Book Title: Sanskrit Jain Nitya Path Sangraha
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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मोवशाखमः .. शीलवतेष्वनतीचारोऽभीक्ष्णज्ञानोपयोगसंवेगो शक्तितस्त्या-: मतपसी साधुसमाधिवैयावृत्यकरणमहंदाचार्यबहुश्रुतप्रवचनभक्तिरावश्यकापरिहाणिर्गिप्रभावना प्रवचनवत्सलत्वमिति तीर्थकरत्वस्य ॥२४॥ परात्मानंदाप्रशंसे सदसद्गुणोच्छा: दुनौद्भावने च नीचैगोत्रस्य ॥२५॥ तद्विपर्ययो नीचैर्वृत्यनुत्सेको चोत्तरस्य ॥ २६ ॥ विघ्नकरणमंतरायस्य ॥ २७॥ ...' : इति तत्वार्थाधिगमे मोकशास्त्र षष्ठोऽध्यायः ॥६॥: .. हिंसानृतस्तेयाब्रह्मपरिग्रहेभ्यो विरतिव्रतं ॥ १॥ देशसर्व

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