Book Title: Samyag Darshan Part 03
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
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[सम्यग्दर्शन : भाग-3
आत्मार्थी का पहला कर्तव्य (सम्यक्त्व का उपाय बतलानेवाली विशिष्ट लेखमाला) ____ आत्मार्थी का पहला कर्तव्य सम्यग्दर्शन है। वह सम्यग्दर्शन कैसे प्रगट हो? - यह बात भगवान कुन्दकुन्दाचार्यदेव ने समयसार की तेरहवीं गाथा में अलौकिक प्रकार से कहा है। नव तत्त्व के परिज्ञानपूर्वक उसमें से शुद्धात्मा की अनुभूति किस प्रकार करना? - यह बात पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामी ने इस गाथा पर प्रवचन करते हुए विस्तार से समझाई है। सम्यक्त्व के पिपासु जीवों के लिए इन प्रवचनों की लेखमाला अत्यन्त प्रेरणाकारी होने से यहाँ प्रस्तुत है। इस लेखमाला में निम्न नौ प्रकरण हैं -
(1) भव-भ्रमण के मूल का छेदक और मोक्षसुख प्रदायक निश्चयसम्यग्दर्शन कैसे प्रगट हो?
(2) चैतन्य भगवान के दर्शन के लिए आँगन कैसा हो? (3) निश्चयसम्यग्दर्शन का मार्ग। (4) नव तत्त्व का ज्ञान, सम्यग्दर्शन का व्यवहार। (5) भूतार्थस्वभाव के आश्रय से ही सम्यग्दर्शन।
(6) नव तत्त्व का स्वरूप और जीव-अजीव के परिणमन की स्वतन्त्रता।
(7) परम कल्याण का मूल सम्यग्दर्शन... अपेक्षित भूमिका।
(8) नव तत्त्व के ज्ञान का प्रयोजन : ज्ञायकस्वभावी शुद्ध जीव का अनुभव।
(9) भगवान आत्मा की प्रसिद्धि (सर्वज्ञ के निर्णय में सम्यक् पुरुषार्थ)
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