Book Title: Samkitsar Granth
Author(s): 
Publisher: Unknown

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Page 135
________________ पोछेतेरहेछे. जेह अभव्य जिवेही॥ नफासीया एवमाइया ॥ भावारं दमणुत्तरसुरं॥ सितायनरनार दतंच॥१॥ केवली गाहर हथे॥ पवजातिथवबरंदारां ॥ पवयसूरी सुरनं॥लोगतिय देव सामित्॥ २॥नयात्तिसग सुरतं ॥ परमहिम्मिय जुगल मणुपत्तं । संभिन्नसोति तहा। पन्चधराहारपुषायत्तं ।। ३।। मइजागा इंसुषद्धी। सुपत्तदारा समाहि मरणंच॥ चारादुगमधुसिप्पिय ॥ रवीरासवारखीरा ठागतं ॥ ४॥ति थयर तिथपडीमा॥ नपरी भोगाइ काररो॥ विपुगो पुढवाईय भाव मियं ॥ अभव जीवेही नहुपत्तं ॥ ५॥ चनदस रयरात्तपी॥नपत्तं पुशोपि विमारा सामीत्तं॥ समत्तनारा संयम ॥ तवाई भावन भाव दुग्गे॥६॥ अणुभव जूत्ता भत्ति॥ जिलारा साहम्मियारावाछसं॥ नपसाहेति अ भाचो। संवेग तनसुपखं ॥७॥ जिरा जराशी जाया। जिराज रवादीचगा जूग्मप्पहागा ॥ आयरीय पयाई दसगं ॥ परमथ गुरा ढमपन॥ अणुबंध हेनु २ सरुवा ३ ॥ तथ अहिंसा तिहां जिणु ठिा॥ दव्वेराय भावराय ॥ दुहावी तेसिंन संपत्ता ॥९॥ इति अभव्यकुसक॥ जेभाऊत्युंजे जलव्यवझेटसावानानपामेतेमांणीपसमजायलाच संजंधीतोवस्तुनपाने,नेप्यत्लावासुत्रवस्तुत्तोपाभेनारपणो परमा घाभी,न्नुगसीयो,तीर्थऽश्नीप्रतिभागालोगभानावेपृथ्वी, पारशिवनस्प. तीतेभयपिटरतानमा,चीमाननाघएगीमा,सासनवता,सासनदेवी, शेचीसल्झयोवीसन्दरीजलव्यवसेटसावानानपामेउयुमने सीहातमातोजेसर्व वस्तुमालन्याजव्य नववन्न पुवा असई अदुवा अरांतरचुलो उताणपनाछे.अतीतजसेवारंवारनिश्प्रेसनंतीमनं तीवार तोले मुससीद्धांत थरीनभलेखेवाप्रपाब्लेड्यातेहयंयनेसीद्धान उरीमभनायोचलीहसाघमिरहेछे. सुतंगराहाररइयंतहेवा पत्ते यदुद्धिरइयंच ।। सुकेवलणारइयं । अभिन्नदसपुविणारइयंः गएघर प्रत्येषुद्धी, पि, पउ. परपुर्वि जेसातनोउयोते चयनसुत्रहीये.जेवाततोडीउछेतेभाटेपुर्रयार्य पुर्वधरहतातेहना लेडया ग्रंथप्रमानवातेनोत्तरःहींसाघरभीपुर्चधारीमायार्यचो .

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