Book Title: Ratnakarsuri Krut Panchvisi Jinprabhsuri Krut Aatmnindashtak Hemchandracharya Krut Aatmgarhastava
Author(s): Ratnakarsuri, Jinprabhsuri, Hemchandracharya
Publisher: Balabhai Kakalbhai
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( ११ )
माटे एटले जेम पूर्वे अमारा घणा अवतार यया तेमज या पण एक अवतार, जन्म गणनाना पूरण माटेज थयो. ॥ ६ ॥
|| गाथा ७ मीना बुटा शब्दांना अर्थ ॥
मन्ये हुं मानुं हुं
मनः- मन
यत् = जे
न=नहीं
मनोइ = सुंदर
वृत्तं-शील; वर्तुल
त्वदास्य= तारुं मुख
पीयूष = अमृत मयूख= किरण
लाजाव-लानथी
डुतं - पीगल्युं; द्रवीभूत थयुं महानंद रसं - मोटो आणंदरूपी
रस
कठोरं-कठण
अस्मादृशां = अमारा सरखानुं
देव हे देव ! हे नाथ !
तत्-ते
अश्मतः- पाषाणाथी अपि-पल
मन्ये मनो यन्न मनोज्ञवृत्तं, त्वदास्य पीयूषमयूखवाजात्; द्रुतं महानंदरसं कठोरे, मस्मादृशां देव तदश्मतोऽपि ॥ ७ ॥
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