Book Title: Rajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Author(s): Harinarayan Aapte
Publisher: Anandashram Mudranalay
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रामशरः — अपर्वदण्डः रामसेनक:- किराततिक्तः
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रामम् कुष्ठम्
रामम् -- तमालपत्रम्
रामा ४२२
रामा ४३०
रामा - आरामशीतला
रामा —– गृहकन्या रामा- - रोचना रामा - लक्ष्मणा रामालिङ्गनकाम: सैरेयकः रामावक्षोजोपमः – चक्रवाकः रामावामाङ्घ्रिघातकः - अशोकः रामास्तनोपमः - चक्रवाकः रामानी
रामेषु :- अपर्वदण्ड:
धन्वन्तरीयनिघण्टुराजनिघण्टुस्थशब्दानां
| रिपुः - चोरक: रिष्टः- उत्तराभाद्रपदा ३२७
री.
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राहुः - मदनः राः - रत्नानि
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रास्ना राष्णा
रास्ना लक्ष्मणा राहुच्छत्रम्-आर्द्रकम् राहुरत्नम् — गोमेदक:
रालवृक्षक: मूलम्
राल :- राला
रालः– सर्जकः
राला ११९
राष्णा ६२
| रुक् - आतपादयः रुक् — ग्रहणी रुक्प्रतिक्रिया - चिकित्सा रुक्मम् — सुवर्णम्
राष्ट्रिका - बृती राष्ट्री ४३० रासभः – गर्दभः
रुक्मम्—नागपुष्पम् रुक्—व्याधिः
रास्ना ४३३, ४३३, ४३५, ४३९, रुक्मिणी सर्वक्षीरी
रीठा ४२२
रीठा ४२८
रीठा - रीठाकरञ्जः
| रीठाकर अक:- रीठाकरन :
| रीठाकरञ्जः १९२
| रीतिकम् – पुष्पाञ्जनम्
| रीतिका २०८
| रीतिकुसुमम् – पुष्पाञ्जनम् | रीतिजम् — पुष्पाञ्जनम् रीतिपुष्पम्—– पुष्पाञ्जनम् | रीतिः ४२५ | रीतिः -रीतिका
रि. रिङ्गणी—कैवर्तिका रिङ्गिणी - कैवर्तिका
रिङ्गिणी-मुद्रपण रितिपत्रिका —नाकुली रिपुः ४२२
रीती:- पुष्पाञ्जनम् | रत्यन्तरम् ४३१
रु.
४३९,४४० रुक्ष:-भल्लातकः
| रुनिवर्तनम् — आरोग्यम्
| रुग्ण :— रोगी
| रुग्भेद: ४३०
| रुचकम् -- अक्षम्
| रुचकम् – कृष्णलवणम् रुचकम्—सुवर्चलम्
| रुचकः ४३० रुचव ::: - बीजपूर्णः
| रुचिकारिणी -- उत्तरापथिका
| रुचिदः - संधानम्
| रुचिदा -- रोचना
| रुचिरफला - विम्बी
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| रुचिरञ्जन: -- नीलशिग्रुः | रुचिरम् — मूलकम् रुचिरम् - रौप्यम् | रुचिरम् —लवङ्गम् रुचिरा - रोचना
रुचिष्यम् — मूलकम्
रुचिः - आतपादयः
रुचिः - रोचना
रुच्यकन्द :- अर्शोघ्नः |रुच्यकम्---अक्षम् रुच्यम्---अक्षम् | रुच्यम् - जीरकम् रुच्यः -- कतकम्
रुच्या -- कृष्णः | रुच्या: - व्रीहिः | रुजा - कुचम् रुजापहः- धन्वनः रुजा - व्याधिः
रुजासह :— धन्वनः रुणशालिः -- बीहिः रुणाली - व्रीहि:
रुदन्ती ३४१ रुदन्ती ४२७
| रुदन्ती —चणपत्रकः रुद्रजटा ३३१
रुद्रजः -- पारदः
रुद्रपत्नी - प्रतर्कः रुद्ररेतः पारदः रुद्रलता | रुद्रवत् — देवदारुः रुद्रसंख्यका- सोमवल्ली
रुद्रजटा
| रुद्राक्षः ३७४ रुद्राणी-रुद्रजटा
रुद्रा-रुद्रजटा
रुधिरम् — कुकुमम् रुधिरम् — रक्तम्
रुबुक:- एरण्डः
रुवुः -- एरण्ड:
|रुमांसम् ३९२

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