Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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कठठणो
( १९२)
कड़करणो कठठणो (क्रि०) १. तैयार होना । २. चढ़ाई कठीरो (न०) १. कठघरा। २. काठ का
के लिये तैयार होना । ३. चढ़ाई करना। हुक्का । (वि०) कहाँ का । किस जगह का।
४. जोश में आना । ५. उमड़ना। कठू-(क्रि०वि०) कहाँ से ('कठे सू' का कठड़ो-(न०) कठघरा ।
___ छोटा रूप ।) कठण-(वि०) १. कठिन । मुश्किल । कठेडो-दे० कठहड़ो।
२. सख्त । कड़ा। कठोर । ३. दृढ़ । कठ-(क्रि०वि०) कहाँ । किधर । मजबूत ।
कठक-(क्रि०वि०) १. कहीं । २. कहीं भी। कठणाई (ना०) कठिनता।
३. कहीं कहीं। ४. कहाँ तक । ५. कहीं कठपींजरो-(न०) काठ का पिंजरा।
तो। कटपूतळी-(ना0) कठपुतली। काष्ठ की कठेथी-(क्रि०वि०) १. कहाँ से। कठे सू। मूत्ति ।
२. जिधर से भी। जहाँ कहीं से भी। कठफाड़ो-(न०) जलाने के लिये चीरी हुई कठे ही-(क्रि०वि०) १. कहीं भी। २. कहीं।
लकड़ी । (वि०) जलाने के लिये लकड़ियों कठोतरी-(ना०) काठ का छिछला बर्तन । को चीरने, फाड़ने वाला।
कठौती। लकड़ी की परात । कठवती-(ना०) कठौली।
कटोती-दे० कठोतरी। कठसेड़ी-(वि०) जिसके थनों से दूध कठि- कठोर-(वि०) १. कठिन । सख्त । कड़ा ।
नता से निकले (गाय, भैंस)। ___२. निर्दय । निष्ठुर। कठहड़ो-(न०) कठहरा ।
कठोरी-(ना०) १. कठौती। २. कपित्थ । कठंजरो-(न०) रसोई घर में रखा रहने कैथ । वाला खाद्य पदार्थ रखने का पिंजरा। कठोळ-(न०) मूग, मोंठ प्रादि द्विदल धान्य । २. कठघरा । कठड़ो।
कड़-(ना०) १. कमर । २. किनारा । तट । कठा तक-(क्रि०वि०) कहाँ तक ।
३. अोर । तरफ । पक्ष । कठाताणी-(क्रि०वि०) कहाँ तक । कड़क-(ना०) १. शक्ति । बल । २. कार्यकठा तांई-- (क्रि०वि०) कहाँ तक ।
शक्ति । ३. गर्जन । ४. कड़ापन । ५. हड्डी, कठा थी (क्रि.वि०) कहाँ से ।
लकड़ी आदि टूटने का शब्द । (वि०) कठा लग-(कि०वि०) कहाँ तक ।
१. तेज स्वभाव का। उग्र। कठोर । कठा सू-(क्रि. वि०) कहाँ से।
२. सख्त । कड़ा । कठोर । कठाँ-(क्रि०वि०) कहाँ ।
कड़कड़-(ना०) प्रहार की ध्वनि । कठिन-दे० कठण।
कड़कड़ खाँड-(ना०) ढेलों वाली एक प्रकार कठिनाई-दे० कठणाई।
की कच्ची खाँड । शक्कर । गड़गड़खांड। कठियाणी-(ना०) कठियारा की स्त्री। मुश्तीखांड। कठियारो- (न०) जंगल में से लकड़िये तोड़ कड़कड़ी-(न०) जोश या क्रोध में दांतों के कर लाने वाला और बेचने वाला व्यक्ति। किटकिटाने की क्रिया । काष्ठिक।
कड़करणो-(क्रि०) १. टूट पड़ना । आक्रमण कठी-(क्रि०वि०) कहाँ । किधर ।
करना । २. टूटना। ३. बिजली का बहुत कठीनै-(क्रि०वि०) किस ओर । किधर को। जोर का शब्द होना। बहुत तेज प्रावाज कठीर-(न०) सिंह । कंठीर ।
का गर्जन होना।
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