Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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जवाईराज ( ४३६ )
जागीर जवाईराज-(न०) १. ससुराल में जमाई के जागण-दे० जागरण । लिये सम्मानसूचक संबोधन । २. जमाई। जागणो-(क्रि०) १. जागना; जगना । नींद दामाद। ३. एक लोकगीत ।
को त्यागना । सोकर उठना। २. चेतन जॅवारा-दे० जवारा।
होना। सावधान होना। सजग होना । जा-(प्रत्य०) किसी शब्द के अंत में प्रयुक्त ३. उत्पन्न होना । ४. उत्तेजना होना । होने पर उत्पत्ति अर्थ का वाचक नारी जागती-(वि०) १. जगी हुई। जाग्रत । जाति प्रत्यय । यथा-प्रात्म+जा- २. प्रज्वलित ।। आत्मजा (पुत्री), गिरि + जा - गिरिजा जागतीजोत-(ना०) १. देवी चमत्कार । (पार्वती) इत्यादि । (ना०) १. पुत्री। २. किसी देवी देवता का प्रत्यक्ष चमत्कार। २. जननी । माता । (सर्व०) १. जिस । ३. प्रज्वलित ज्योति । २. उस । (वि०) उचित । मुनासिब । जागतो-(वि०) १. जगता हुआ । जाग्रत । (अव्य०) १. जाने का प्राज्ञासूचक अोछा शब्द । २. जाने की आज्ञा । (क्रि०) जाने जाग में प्रारणो-(मुहा०) १. घोड़ी को के भाव की आज्ञार्थक क्रिया।।
कामेच्छा होना । २. घोड़ी को गर्भधारण जाइ-(वि०) १. जितना। २. जिस प्रकार
__की इच्छा होना । जगर आयो । का। (सर्व०) जिस ।
जागर-(न०) १. युद्ध । २ कुत्ता। जाइगा-दे० जायगा।
जागरण-(न०) १. किमी उत्सव पर्व आदि जाइंदो-(वि०) १. 'लाइंदो' (दत्तक) से पर सारी रात जागते रह कर किया जाने
उलटा । गोद लाया हुया नहीं। स्व- वाला भजन गायन । रतजगा । २.रात में कुलोत्पन्न । स्ववंशज। २. उत्पन्न । जाया (नींद नहीं लेकर) जागते रहने का भाव हुया । जायोड़ो। ३. औरस ।
(ना०) जागरी की स्त्री। जाई-(ना०) १. पुत्री । बेटी । २. स्त्री।
जागरी (न०) १. वेश्या पुत्र । २. भड़ वा । जाऊ-(वि०) जाने वाला। (अव्य०) जाने ३. जागरी जाति । की तैयारी में।
जागवणो-(क्रि०) १. उत्पन्न करना। २. जाऊली-(भ०क्रि०) जाऊंगी।
सृष्टि उत्पन्न करना । ३. जगाना । जाऊंला-(भ०क्रि०)१. जाऊंगा। २. जाऊंगी।
जागा-(ना०) १. जगह । स्थान । २. जाऊंलो-(भक्रि०) जाऊंगा।
मकान । घर । ३. मठ । स्थल । अस्थल । जाकळ-(वि०) वीर।
४. अोहदा । पद। जाखोड़ो-(न०) १. ऊंट । २. सवारी के जागा-जमी-(ना०) मकान और जमीन । लिये सजा हुअा ऊंट ।
जागा-मीटो-(न०) १. अर्द्ध जाग्रतावस्था । जाग-(न०) १. एक वेदोक्त कर्म । यज्ञ ।
अर्द्ध निद्रावस्था । थोड़ी नींद थोड़ी याग। २. धर्मयुद्ध । ३. विवाह आदि
जाग्रतावस्था। २. वह समय या स्थिति मांगलिक उत्सव । ४. महाभोज । ५.
__ जिसमें कोई सो रहा हो और कोई जग ब्रह्मभोज । ६. जगते रहने का भाव ।
रहा हो। जाग्रति । ७. जाग्रतावस्था । ८. स्थान । जागीपो-दे० जाग सं. ६, ७. जगह । ६ घोड़ी की मूत्रेन्द्री। अश्वा. जागीर-(ना०) सरकार की ओर से (इनाम योनि । १०. घोड़ी की संभोगेच्छा । या स्वत्वाधिकार के रूप में) प्राप्त भूमि तुरंगी की कामेच्छा । जगरो।
या प्रदेश ।
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