Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org राजस्थानी हिन्दी शब्द कोश प्रथम खण्ड Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सम्पादक आ. बदरी प्रसाद साकरिया प्रो. भूपतिराम साकरिया For Private and Personal Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राजस्थानी - हिन्दी शब्द कोश [ प्रथम खंड ] [ असे न ] For Private and Personal Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राजस्थानी - हिन्दी शब्द कोश [प्रथम खंड ] [असेन] सम्पादक : श्रा० बदरीप्रसाद साकरिया प्रो० भूपतिराम साकरिया पंचशील प्रकाशन, जयपुर For Private and Personal Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकाशक : पंचशील प्रकाशन, फिल्म कॉलोनी, जयपुर-302003 मूल्य : छः सौ रुपये (दो खंडों में) संस्करण : 1993 मुद्रक : शीतल प्रिन्टर्स, फिल्म कॉलोनी, जयपुर-302003 RAJASTHANI-HINDI SHABD-KOSH Edited by : Acharya Badri Prasad Sakaria Prof. Bhupati Ram Sakaria Price : Rs. 600.00 (Two Volumes) For Private and Personal Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूमिका प्रेरणा स्रोत और कार्य छः दशक पूर्व मेरे जन्म स्थान बालोतरा में होली के असभ्य व अत्योच्छखल हुड़दंग में राव आदि के भद्दे स्वांग बनते थे और अश्लील गीत गाये जाते थे। परिणामस्वरूप गांव में अनेक झगड़े-टंटे हो जाते थे । कुछ सहयोगीसाथियों के साथ यह निश्चित किया गया कि इन निर्लज्ज सवारियों और अश्लील गीतों को सर्वथा बन्द कर वेद भगवान की सवारी निकाल कर, उसके साथ स्थान-स्थान पर राजस्थानी भाषा में और राजस्थानी तों में ही समाज सुधार के गायन गाये जायं तथा तत्संबंधी प्रवचन राजस्थानी भाषा में किये जायं। सुधार-गीत बनाते समय राजस्थानी भाषा की अनूठी लक्षणा और व्यंजना शक्ति का अनुभव हुमा और इन गीतों के ऐसे विशिष्ट शब्दों का कोश बनाने के संकल्प के साथ हिन्दी में उनके अर्थ लिखने का कार्य प्रारम्भ किया। एक ही दिन में दो सौ शब्दों का संकलन कर लिया। यही प्रेरणा का प्रथम सोपाम था। कुछ पारिवारिक संस्कारों और कुछ सुधारवादी वृत्ति तथा साहित्यिक रुचि ने उपर्युक्त प्रवृत्ति में इतना रस बढ़ाया कि थोड़े ही समय में निजी संग्रह के ग्रंथों में से मैंने अकेले ने लगभग दस हजार शब्दों का संकलन तथा रफ (Rough) संपादन कर लिया पर गाँव में विद्यापोसक मंडल, कन्यापाठशाला (मारवाड़ में प्रथम), सरस्वती पुस्तकालय आदि की स्थापना और उनका सुचारु रूप से संचालन इस प्रवृत्ति को और आगे बढ़ाने में कुछ बाधक ही रहे। कुछ समय पश्चात् मेरे परम मित्र स्व० रामयश गुप्त 'नैणसी री ख्यात' की हस्तलिखित प्रति गूगा गांव से लाये और कहा कि इसका संपादन करना है। प्रतिलिपि तयार को गई । इस ग्रथ का सम्पादन करते समय शब्दों के अर्थ देने के लिए राजस्थानी भाषा के शब्द कोश की नितांत आवश्यकता का अनुभव हुप्रा । ख्यात के शब्दों का एक अलग कोश भी आवश्यक था। लम्बे समय तक ख्यात की अन्य प्रतियों के प्रभाव में काम मंद गति से ही चलता रहा। सन् १९३२ में जोधपुर निवास के समय राज्य के भूतपूर्व प्राइम मिनिस्टर सर शुकदेव प्रसाद काक ने, जो डिंगल का एक अद्वितीय कोश स्व. पं० रामकरणजी पासोपा के देखरेख में निजी खर्चे से बनवा रहे थे, मेरी For Private and Personal Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( vi ) भी सहायक सम्पादक और व्यवस्थापक के रूप में नियुक्ति की । काम को गति देने के लिए वहां छः सात चारण बन्धुओं को भी नियुक्त किया गया, जिनमें श्री देवकर्ण और किशोरदानजी 'घूमरजो' मुख्य थे । सर शुकदेव प्रसाद के देहांत तक सारा कार्य सुचारु रूप से चला, पर बाद में उनके ही पुत्र श्री धर्म नारायण काक ने उसे अनावश्यक समझकर बन्द कर दिया। तब तक यहाँ डिगळ के मानक ग्रंथों (राम रासो, रघुवर जस प्रकाश, क्रिसन रुकमणी री वेली आदि) और डिंगळ गीतों में से लक्षाधिक शब्द छांटकर उदाहरणों के साथ चिटबद्ध कर उनका अनुक्रमण कर लिया गया था । कार्य बन्द होने पर सारी सामग्री एक छोटे कमरे में पड़ी रही, जहाँ दीमकों और चूहों ने काफी सामग्री को अपना भोज्य बनाया। कुछ वहाँ से उड़ा ली गई और शेष सहस्रों रुपयों की अमूल्य सामग्री श्री धर्मनारायण काक ने सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टोट्यूट को केवल इस शर्त पर दे दी कि ग्रंथ के छपने पर, आभार स्वीकार करते हुए उनके पिता का एक बड़ा चित्र उसमें दिया जाय । इंस्टीट्यूट के अधिकारियों के बार-बार कहने पर मुझे जोधपुर जाना पड़ा। श्री धर्मनारायण काक ने अपने पू० पिताजी सर शुकदेव प्रसाद काक के एक बड़े फोटो और उपर्युक्त शर्त के साथ मुझे अवशिष्ट सारी सामग्री दी, जिसे लेकर मैं बीकानेर आया और इंस्टीट्यूट को दे दी । उस अद्वितीय कोश के चिटों के कॉलम्स बड़ी विद्वता से बनाये गये थे। यदि वह सम्पूर्ण हो जाता तो राजस्थानी का विश्व कोश बनता। १. अनेक ग्रंथों में से एक-एक शब्द अनेक बार आने से तथा एक शब्द के अनेक अर्थ होने के कारण चिटों में लिये शब्दों की संख्या बहुत बड़ी है। यह संख्या इन सब के एकीकरण में कम हो जाती है । २. यहाँ हमने जिन अनेकों हस्तलिखित ग्रन्थों की प्रतिलिपियाँ करवाई थीं, वे अनेक ___ वर्षों के पश्चात्, जोधपुर के एक संभ्रान्त व्यक्ति के यहां, लिपिकारों के दैनिक काम पर मेरे हस्ताक्षरों सहित साश्चार्य देखने को मिलीं। ३. शब्द-चिट के कॉलम इस प्रकार थे १. मूलशब्द। ५. उदाहरण । ८. विरुद्ध शब्द । २. व्युत्पत्ति । ६. उदाहरण का ६. विरुद्ध शब्द का अंग्रेजी पर्याय । ३. व्याकरण। हिन्दी अनुवाद । १०. विशेष विवरण (सांस्कृतिक, ४. हिन्दी में अर्थ । ७. उदाहरण का साहित्यिक, ऐतिहासिक आदि ।) अंग्रेजी अनुवाद । ११. विशेष विवरण का अंग्रेजी अनुवाद । For Private and Personal Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( vii ) सन् १९४७-४८ में स्व० नाथूदानजी महियारिया, उदयपुर की बीर सतसई जो जोधपुर सरकार द्वारा प्रकाशित की जा रही थी, उसकी टीका व संपादन करने के लिए मुझे व श्री सीताराम लालस को नियुक्त किया गया । काम सुचारु रूप से संपादित हुआ, कारणवश महियारियाजी को जोधपुर छोड़ना पड़ा और वे फिर लौट कर ना सके । वीर सतसई का संपादन करते समय राजस्थानी शब्दकोश की नितांत आवश्यकता का हम दोनों संपादकों ने अनुभव किया व उसके निर्माण की योजना का भी विचार किया । इसी बीच सादूल राजस्थानी रिसर्च इस्टीट्यूट, बीकानेर में राजस्थान भारती ( शोध पत्रिका ) व राजस्थानी शब्द कोश के कार्य के लिए शोध सहायक के पद पर मेरी नियुक्ति हो गई। दो तीन वर्षों के पश्चात् में शोधपत्रिकाका सम्पादक नियुक्त किया गया । शोध पत्रिका के कारण इंस्टीट्यूट की प्रतिष्ठा तो बहुत बढ़ी पर धनाभाव और समुचित व्यवस्था के प्रभाव में को कार्य आगे नहीं बढ़ सका । कोश व पत्रिका सम्पादन के लिये मैं अकेला था। इतना होते हुये भी लगभग साठ सहस्र शब्दों का सम्पादन हो चुका था । इसी समय सरकारी नियमानुसार मुझे साठ वर्ष की अवस्था पर रिटायर कर दिया गया । जितना भी काम हो चुका था उसे प्रकाशित करवाया जा सकता था, पर इंस्टीट्यूट वह भी न कर सका । दो एक वर्ष पूर्व समाचार मिला था कि कोश की बहुत सारी सामग्री इंस्टीट्यूट से गायब हो गई है । रिटायर होने के बाद मुझे खानगी रूप से कहा गया कि मैं बीकानेर ही हूँ और कार्य जारी रखूं, परन्तु मेरे चिरंजीव प्रो० भूपतिराम ने केला वहाँ रहना ठीक नहीं समझकर के मुझे वल्लभविद्यानगर (गुजरात) बुला लिया । बालोतरा, जोधपुर वगैरह में कोश की जो सामग्री ऐसी ही पड़ी थी उसका जीर्णोद्धार और परिवर्द्धन करने का काम यहाँ प्राकर पुनः शुरू किया । हमारी स्वयं की हस्तलिखित ग्रंथों की सामग्री जो बड़ेरों की संग्रह की हुई तो थी ही, पर अनेक अन्य प्रकाशित ग्रंथों को क्रय करना पड़ा तथा मानक हस्तलिखित ग्रंथों की प्रतिलिपियाँ करवानी पड़ीं। इस प्रकार यहाँ आने पर कोशकार्य एक नये ढंग से प्रारम्भ करना पड़ा । ४. वीर सतसई जोधपुर सरकार द्वारा प्रकाशित नहीं हुई । अपने पुत्र मोहनसिंह का नाम सम्पादक के रूप 'देकर उन्होंने खुद ने प्रकाशित की। भूमिका में हम दोनों में से किसी के नाम तक का उल्लेख नहीं किया । मानदेय (Honorarium) तो अदृश्य ही हो गया । For Private and Personal Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( viii ) अत्यन्त विनम्रतापूर्वक कहा जा सकता है कि यह कोश जिस ढंग से तैयार किया गया है वह एक अनूठा और पहिला मौलिक प्रकार है । इस कोश में बोलचाल और प्राचीन तथा अर्वाचीन साहित्य के शब्दों का चयन इस प्रकार किया गया है कि शोधार्थी हो या अध्यापक, विद्यार्थी हो या विद्वान् - सर्व - साधारण के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा । शब्दों के अर्थ प्रामाणिकता से व प्रसंगों के गहरे अध्ययन के पश्चात् लिखे गये हैं । अतएव साहस के साथ कहा जा सकता है कि मातृभाषा राजस्थानी का ऐसा कोश अद्यावधि प्रकाशित नहीं हो सका । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यहाँ जानकारी के लिये नीचे एक ऐसी विषय-सूची दी जा रही है जो शब्दों के चयन में सहायक रही है १. मनुष्य | संबंध - रिश्ते | २. जातियाँ और उनके धंधे । ३. परिधान ( ऊनी, रेशमी, सूती), प्राभूषण, शृंगारादि । ४. भोजन - ( सांग - तरकारी, रोटी-बाटी इत्यादि भोज्य पदार्थ ) व बरतन । ५. खेल, मनोरंजन, उत्सव, त्यौहार, मेले, पर्व । ६. धार्मिक - तीर्थ, देवी-देवता, धर्म, व्रत, उपवास, भक्ति, सम्प्रदाय, साधु-संन्यासी, मठ-मंदिर । पूजा, ७. शरीर - अंग, उपांग, स्वास्थ्य, रोग, क्रियाएँ - खाना-पीना, आनाजाना, हँसना- रोना, विचार-विनिमय, दौड़ना - भागना, जीना - मरना इत्यादि शरीर धर्म । ८. स्थान - मकान-दुकान, किला-महल, रावळा, गली-बाजार, मार्ग र इनसे संबंधित निर्माण इत्यादि । प्रादि ६. वनस्पति-वृक्ष, पौधे, लता, फूल, कन्दमूल, बीज । वर्षा, जल, वायु, ऋतु, जलाशय । ( नदी, सागर, झील, निवारण इत्यादि । ) १०. खगोल - श्राकाश, नक्षत्र, ज्योतिष । ११. भूगोल - देश, गाँव, नगर, पहाड़, नदी और पृथ्वी । १२. गणित - पट्टी - पहाड़ा, श्राना पाई। १३. संस्कार - जन्म, झड़ लिया (चौलकर्म), उपनयन, विवाह, मृत्यु ( अग्नि संस्कार, प्रेत कर्म, श्राद्ध इत्यादि) । For Private and Personal Use Only • Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ix ) १४. खेती - खेत, धान्य, हल, बैलगाड़ी, कुपा, कोष, कृषक, पाणेती और • इनसे संबंधित । १५. भाषा, शिक्षा-१. राजस्थानी, हिन्दी, महाजनी, अपभ्रंश इत्यादि से संबंधित । २. शिक्षा के अनेक अंग-विद्याएँ, शास्त्र, कलाएँ, विद्यार्थी, अध्यापक, अध्ययन और अध्यापन । ३. व्याकरण । १६. साहित्य-गद्य, कविता, छंद, गीत, रस, अलंकार, साहित्य के प्रकार, लोक साहित्य इत्यादि । लेखन सामग्री, पुस्तकें इत्यादि। १७. पशु-पक्षी-कीटादि(i) पालतू पशु-१. गाय, भैंस, आदि दुधारू (धोणो) से संबंधित दूध, दही, छाछ, मक्खन, घी, चमड़ा, बिलौने का समान । २. ऊँट, घोड़ा, हाथी, बैल-सवारी के पशु और उनकी सजावट का सामान । ( ii) इतर-पशु-पक्षी, कीट-पतंगे । समुद्री जीव । (iii) इन सबसे संबंधित घास, चारा, दाना, चुग्गा इत्यादि । १८. व्यापार-दुकानदारी, सट्टा, दलाली, पाढ़त, लेन-देन, चिट्ठी-पत्री हुंडी, दस्तावेज (खत), बहीखाता, ब्याज-काटा इत्यादि । १६. राज दरबार-महल, पासवान, नाजर, रणवास । राज परिवार, राजा, जागीरदार, छुटभाई, जागीरी, गोला लवाजमा, विरुद, ताजीम, पुरस्कार । २०. शासन-लगान, जकात, नेग, अधिकारी। २१. युख-सेना, शस्त्र-अस्त्र, योद्धा, जूझार, जोहर, युद्ध-क्षेत्र । २२. चलन-सिक्के, तोल, माप, नाप। २३. भूगर्भ-खाने, खनिज पदार्थ, धातुएँ। २४. विविध-(१) गुण-अवगुण, पाप-पुण्य, स्वर्ग-नरक । (२) शारीरिक शक्तियां। (३) मानसिक शक्तियाँ। (४) रंग, रंगोली। संक्षिप्त में प्रयत्न यह रहा है कि कोश को सर्वांगपूर्ण बनाने के लिये कोई विषय अछूता नहीं रहे । For Private and Personal Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोश सम्बन्धी विशेषताएँ इस कोश की अनेक विशेषताओं में से अन्यत्तम विशेषता यह है कि राजस्थानी शब्दों के हिन्दी पर्याय, अर्थ और व्याख्यातामों के अनन्तर काले अक्षरों में राजस्थानी पर्याय, अर्थ भी अधिकांश स्थलों पर दिये गये हैं, यथा(१) देवनागरी (ना०) संस्कृत, राजस्थानी, हिन्दी, मराठी आदि भाषाओं की लिपि । बाळबोध । २. छत-(अव्य०) होते हुए। होताथकां । इस प्रकार यह कोश केवल राजस्थानी-हिन्दी कोश न रह कर एक प्रकार का राजस्थानीहिन्दी-राजस्थानी शब्द कोश बन गया है। ___ हम यह मानते हैं कि यदि हिन्दी को सही मानों में राजभाषा बनना है तो देश की भाषा-भगिनियों के अनेक शब्दों से अपने शब्द भंडार को भरना होगा। इसी दृष्टि से अनेक स्थानों पर मूल राजस्थानी शब्दों की व्याख्या करते समय वाक्य रचना में उनका हिन्दी व्याकरणानुसार प्रयोग किया गया है । यथा-(१) धमोळी-(ना०) २. धमोली का विशिष्ट भोजन ३. धमोली के लिये संबधियों द्वारा भेजी जाने वाली मिष्ठान्न आदि को सौगात । ४. स्त्रियों द्वारा धमोली भोजन करने की क्रिया । पृष्ठ १०३ पर पानापारण (न०) २. आने और पारणों के पहाड़े। राजस्थानी भाषा में अपनाये गये कुछ अंग्रेजी शब्दों को देवनागरी लिपि में भी दिया गया है, जिससे कि विदेशी भाषा के शब्द के तत्सम रूप में परिचित हुआ जा सके । शब्दों के अर्थ देते समय सामान्यत: यह ध्यान रखा गया है कि प्रथम वह अर्थ दिया! जो अधिक प्रचलित हो। इसके बाद क्रमशः कम प्रचलित अर्थों को रखा गया है । प्रचलित और व्यवहृत सभी अर्थों को देने का प्रयत्न किया गया है, फिर वे चाहे प्राचीन काव्य में प्रयुक्त हुए हों अथवा आधुनिक साहित्य में । इसी प्रकार कतिपय शब्दों के कुछ प्रचलित मुहावरे भी यथा स्थान दिये गये हैं। राजस्थानी भाषा की व्यंजना शक्ति का विद्वद्गण इसी से अनुमान लगा सकते हैं कि अकेले 'हाथ' शब्द से बने तीन सौ मुहावरे हमारे संग्रह में हैं। ___ अक्षरादि क्रम में भी थोड़ा परिवर्तन हमने वैज्ञानिक दृष्टि से उचित समझा है। अनुस्वार वाले शब्द मात्राओं के पहिले न देकर अपनी-अपनी मात्राओं के बाद दिये गये हैं। यथा-इस कोश में पृ. ६८० पर 'ना' का अन्तिम शब्द 'नाहेसर रो मगरो' है इसके पश्चात् अनुस्वार युक्त 'ना' का प्रारम्भ होता है । यथा-नां, नांई, नांखणो आदि । 'ड' और 'ड' तथा 'ल' और 'ळ' क्रमशः 'ट' वर्ग और अंतस्थ वर्ग के हैं, अतएव इनको अलग क्रम से न रखकर एक ही क्रम में रखा गया है, यथा For Private and Personal Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृ. ६७ पर 'प्राडो' शब्द है। उसके तुरन्तु बाद 'पाड़ो' पाया है और फिर 'प्राडो अड़ि', 'पाडो अवळो' आये हैं। इसी प्रकार पृ. २६४ पर 'खड' और 'खड़' हैं । पृ. २७१ पर 'खळ' खलक' 'खळकट', 'खळकरणो', और 'खलकत' दर्शनीय हैं। एक और परिवर्तन शब्दों के लिंग-भेद-सूचक संकेतों में किया गया है । हिन्दी और संस्कृत कोशों में प्रयुक्त पुल्लिग और स्त्रीलिंग के स्थान पर 'नर' और 'नारी' का प्रयोग संक्षिप्त रूप 'न' और 'ना' में किया गया है । राजस्थान और राजस्थानी एक समय था जब राजस्थानी भाषा का ध्वज देश के विशाल भू-भाग के साहित्याकाश में लहरा रहा था और आज दशा यह है कि प्रांतीय भाषाओं की कक्षा में भी उसे स्थान नहीं मिल सका है । मातृभाषा को इस दयनीय स्थिति से हृदय क्षोभ से भर जाता है, पर संतोष इतना ही है कि अाज परिस्थिति ने एक करवट बदली है और इसकी साहित्य-सेवी संतान अब माँ-भारती के विभिन्न अंगों और उपांगों को सबल बनाने में संलग्न है। जब राजस्थान दुहरी गुलामी (अंग्रेजों और राजाओं) की मार से पीड़ित था, सर्वप्रकार की चेतना (शैक्षणिक, सामाजिक व राजनैतिक) के अभाव में राजस्थानी को हिन्दी की एक बोली मान लिया गया। इस प्रकार राजस्थानी भाषा अपने ही घर में अपने न्याययुक्त आसन से च्युत कर दी गई-एक विशाल राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत हो राजस्थानवासियों ने भी इस असत्य को सत्य मान लिया। प्रसिद्ध भाषाविद डॉ. सुनीतिकुमार चाटुा, डॉ. ग्रियर्सन और डॉ० तस्सितोरी जैसे प्रसिद्ध देश-विदेश के विद्वान् राजस्थानी को सर्वथा स्वतन्त्र भाषा स्वीकार करते हैं । डॉ. चाटुा का भाषा-वंश-वृक्ष दर्शनीय है : वैदिक भाषा संस्कृत प्राकृत मागधी शौरसेनी अपभ्रंश (नागर) पैशाची बंगाली पाली हिन्दी गुजराती डिगळ (राजस्थानी) For Private and Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( xii ) डॉ. तैस्सितौरी ने नागर अपभ्रंश और डिंगळ तथा गुजराती के बीच में पुरानी पश्चिमी राजस्थानी (जूनी गुजराती) को माना है, जिसे सारे गुजरातो विद्वान् सहर्ष स्वीकार करते हैं तथा इसी से आधुनिक गुजराती और आधुनिक राजस्थानी का उद्भव हुअा है। इस प्रकार हम देखते हैं कि हिन्दी का कोई सीधा सम्बन्ध राजस्थानी से नहीं है । राजस्थान में प्रयुक्त डिंगळ और पिंगळ भाषानों के सम्बन्ध में भी थोड़ा विचार करने की आवश्यकता है। पिंगळ के भाषाकीय स्वरूप को देखते हुये ऐसा प्रतीत होता है कि प्रारम्भ में यह एक शैली विशेष और तत्पश्चात् एक स्वतन्त्र भाषा के रूप में निखरी होगी। कुछ भी हो, आज ये दोनों पृथक शैलियाँ न होकर स्वतन्त्र भाषायें हैं । डिंगळ निश्चय ही पिंगळ से प्राचीन है, अतएव डिंगल के अनुकरण पर नामाभिधान होना सुसंगत लगता है । डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी और अनेक देशी तथा विदेशी विद्वानों का यही मत है। वास्तव में ब्रज मिश्रित राजस्थानी से उत्पन्न एक नई भाषा का नाम पिंगळ पड़ा। वैसे कृष्ण भक्ति के कारण राजस्थान ब्रज भाषा का भी प्रेमी रहा है । ब्रजभाषा के अनेक प्रसिद्ध और श्रेष्ठ कवि राजस्थान के भी रहे हैं। राजस्थानी का प्राचीन नाम मरुभाषा है। भारतीय भाषा भगिनियों में अति प्राचीन और समृद्ध मरुभाषा का उद्गम वि. सं. ८३५ से भी बहुत पूर्व का है। वि. सं. ८३५ में भूतपूर्व मारवाड़ राज्यान्तर्गत जालोर नगर में मुनि उद्योतन सूरि रचित कुवलयमाला में वर्णित १८ भाषाओं में मरु भाषा का उल्लेख इस बात का पुष्ट प्रमाण है कि इस भाषा का साहित्य इससे भी पूर्व का रहा है 'अप्पा-तुप्पा' भगिरे बह पेच्छइ मारुतत्तो 'न उरे भल्ल उ' भरिगरे ग्रह पेच्छइ गुज्जरे अवरे 'प्रम्ह काउं तुम्ह' भगिरे अह पेच्छइ लाडे भाइ य इ भइणी तुब्भे भणिरे प्रह मालवे दि? (कुवलयमाला) इसका प्राणवान व सशक्त वीर रसोय साहित्य कालानुसार अतिशयोक्तिपूर्ण होते हुये भी बेजोड़ तथा भारतीय साहित्य को एक अमूल्य धरोहर है, जिसे राजस्थान वासियों ने अपने रक्तदान से सिंचित व पल्लवित किया था। विश्व कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर तो इस काव्य के कुछ प्रोजस्वी अंशों को सुनकर इतने प्रभावित हुये कि उन्होंने मुक्तकंठ से इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की। अनेक सम्प्रदायों (रामसनेही, जसनाथी, विश्नोई, दादूपंथ, निरंजनी आदि) के प्रवर्तक सिद्ध-महात्मा और मीरा, पृथ्वीराज आदि शताधिक भक्तों को रसप्लावित धारा ने इस प्रदेश को ही नहीं, देश के समूचे भक्तिकाल को For Private and Personal Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( xiii ) सविशेष प्रभावित किया है । इसका लोक साहित्य तो हमारी अगाध संचित निधि है, जो राजस्थान के सांस्कृतिक जीवन को सही परिप्रेक्ष्य में प्रतिबिम्बित करने का मुकुर है। विधाओं में वैविध्य और राशि में विपूलता के होते हुए भी देश के स्वतन्त्रता-युद्ध में और स्वातंत्र्य-सूर्य के उदित होने के पश्चात् भी राजनैतिक चेतना के अभाव में देश के सविधान में इसे मान्यता नहीं दो गई। राजस्थान के राष्ट्र प्रेम और राजभाषा के प्रति उसको आसक्ति को एक विशिष्ट गुण के स्थान पर कमजोर माना गया और राजस्थानी को एक बोली के रूप में संतुष्ट होना पड़ा। आज जब राजस्थान के तपःपूत इस ओर जाग्रत हुये हैं, सरकारी मान्यता के अभाव में भी इस भाषा के आधुनिक साहित्य के निर्माण में अपनी उत्कट इच्छा, अदम्य साहस और प्रतिभा के त्रिवेणी संगम से अपूर्व योगदान दे रहे हैं । कच्छप-चाल से ही सही, पर विविध विधाओं में जो अधुनातन विचारों से प्रेरित साहित्य निर्मित किया जा रहा है, वह कम प्रशंसनीय नहीं है । इधर राजस्थानी साहित्य संगम की स्थापना, केन्द्रीय साहित्य अकादमी द्वारा राजस्थानी भाषा को अन्य भारतीय भाषाओं के समकक्ष साहित्यिक मान्यता प्रदान करना तथा राजस्थान सरकार द्वारा एक विषय (ऐच्छिक ही सही) के रूप में विविध स्तरों पर एक विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में स्थान देना, इसको उपर्युक्त धीमी गति को त्वरित करने में सहायक बने हैं। भाषा को एकरूपता को लेकर जाने-अनजाने एक प्रांतरिक कलह और द्वेषवृत्ति को बाह्य तत्त्वों द्वारा उकसाया जा रहा है। आधुनिक काल में साहित्य निर्माण की दृष्टि से एकरूपता की नितांत आवश्यकता को सभी स्वीकार करते हैं और इसके लिए सद्प्रयत्न भी हुये हैं तथा एकरूपता के लक्ष्य पर पहुंचा जा रहा है, पर इसको लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। हमारे समक्ष गुजराती तथा अन्य भाषाओं के उदाहरण प्रस्तुत हैं । स्वय हिन्दी में ब्रज, अवधी, पहाड़ी, बुदेलखंडी, भोजपुरी आदि अनेक बोलियाँ हैं। फिर राजस्थानी की बोलियों से ही चितित होने की बात समझ में नहीं पा रही है । यह ठीक है कि राजस्थानी में आधुनिक कोश का प्रभाव अब तक खटकता था, पर इस भाषा में कोशों का प्रभाव कभी न रहा । डिगळ नाम माळा, नागराज डिगळ कोश, हमीर नाममाळा, नाममाळा, प्रवधान माळा, डिगळ कोश; अनेकारथी कोश, एकाक्षरी नाममाळा आदि अनेक कोश विद्यमान हैं।। व्याकरण को समझने के लिये इस कोश में प्रयुक्त संकेतों की एक अलग तालिका दी जा रही है। For Private and Personal Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( xiv ) कोश के प्रकाशक श्री मूलचन्दजी गुप्ता साधुवाद के पात्र हैं । कोश के जैसे वृहत प्रकाशन के लिये जब बड़े-बड़े प्रकाशक कतराते हैं तब मातृभाषा को सेवा करने के लिये श्री गुप्ता जी के साहस की जितनी भी प्रशंसा की जाय, कम होगी। यहाँ इसी प्रकाशन संस्था के प्रतिनिधि श्री कुभसिंह राठौड़ को भुलाया नहीं जा सकता। कोश का द्वितीय भाग भी प्रकाशनाधीन है और कुछ ही मासोपरांत वह भी विद्या-व्यसंगियों के हाथ में होगा। मातृभूमि से दूर इस अन्तिम अवस्था में, मैं अपनी जिस साध को पूरी कर सका हूँ, वह मातृभूमि को रज की कृपा और आशीर्वाद का प्रताप है, नहीं तो किसी संस्था या सरकारी सहायता के बिना शब्द कोश जैसे महत्त्वपूर्ण और व्यय साध्य कार्य का पूर्ण होना असम्भव था। राजस्थान छोड़ने के बाद इसकी आशा ही छोड़ दी थी। इस कार्य में मेरे पुत्र चि. प्रो. भूपतिराम का सहयोग नहीं होता तो इस रूप में आज भी इसका तैयार होना कठिन था । दो युगों से गुजरात में रहते हुये और हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन करते रहने पर भी मातृभूमि और मातृ-भाषा के प्रति यह उसकी असोम भक्ति का परिचायक है । प्राधुनिक राजस्थानी साहित्य प्रार महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ : व्यक्तित्व और कृतित्व आदि उसके मौलिक ग्रंथ तथा अन्य साहित्यिक प्रवृत्तियाँ इसकी साक्षी हैं। अध्यापन कार्य की अनेक-विध प्रवृत्तियों, एन. सी. सी., विश्वविद्यालय की सेनेट का सदस्य आदि अनेक स्थानिक गति-विधियों में भाग लेते हुये जो अमूल्य सहयोग (शब्द संकलन, अर्थ-विचार, प्रेस कापी बनाने, प्रूफ संशोधन तथा पत्र-व्यवहार प्रादि) रहा है, उसको तो उसने मात्र सेवा और कर्तव्य समझ कर ही किया है, परन्तु उसका मूल्य प्रांका नहीं जा सकता। शतश: पाशीर्वाद । डॉ. नरेन्द्र भानावत ने दो एक वर्ष पूर्व कोश को प्रकाशित करने की तत्परता बतलाई थी और सुकवि मुकनसिंह बीदावत ने मेरे प्रावास आदि की व्यवस्था करने की जिम्मेवारी उठाने का सहज भाव से जो निमन्त्रण दिया था, उसके लिये उनका आभारी हूँ। अ० बदरी प्रसाद साकरिया For Private and Personal Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra (अनु० ) (श्रव्य ० ) (श्रा० क्रि०) (3270) (उप० ) ( ए०व०) (10) (f550) ( क्रि०भ०) ( क्रि०भ० का ० ) ( क्रि०भू ० ) ( क्रि०भू० का ० ) ( क्रि०वि०) ( जैन ० ) ( जैस ० जैसल०) ( ज्यो ० ) ( तू०पु० ) (दे०) (द्वि०पु० ) (70) ( न०ब०व०) ((770) (ना०ब०व०) (प्र० या प्रत्य०) ( प्र०पु० ) ( ब०६०) ( ब० वा० ) (भ० क्रि०) (भू० ) (भू० क ० ) (भू० क्रि०) ( वव्य ० ) (वि०) www.kobatirth.org संकेत अनुकर रख श्रव्यय Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आज्ञासूचक क्रिया उदाहरण उपसर्ग एक वचन काव्य क्रिया क्रिया भविष्यत् काल क्रिया भविष्यत् काल क्रिया भूतकाल क्रिया भूतकाल क्रियाविशेषण जैन धर्म सम्बन्धी जैसलमेरी ज्योतिष शास्त्र तृतीय पुरुष देखिये द्वितीय पुरुष नर जाति संज्ञा नर जाति बहुवचन नारी जाति संज्ञा नारी जाति बहुवचन 'प्रत्यय प्रथम पुरुष बहुवचन बहुवाची प्रयोग भविष्यत् क्रिया भूतकाल भूतकाल कृदन्त भूतकाल क्रिया वर्ण व्यतिक्रम विशेषण For Private and Personal Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( xvi) (वि०न०) (वि०ना.) (विभ०) (वि०वि०) (वि०स०) (व्या०) (शिला०) (सर्व०) (सं.) विशेषण नर जाति विशेषरण नारी जाति विभक्ति विशेष विवरण विशेषण सर्वनाम व्याकरण शिलालेख सर्वनाम अर्थ संख्या For Private and Personal Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अ-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्णमाला अकज-(न०) १. नाश । २. बुरा काम । का पहला स्वर-वर्ण। इसका उच्चारण अकाज । (वि०) खराब । (अव्य०) बिना कंठ से होता है। __ मतलब के । व्यर्थ । प्रणहतो । अरणं तो। अ-१. शब्दों के पहले लगने वाला एक प्रकज्ज-दे० अकज ।। उपसर्ग, जिसका अर्थ-निषेध, प्रभाव, अकठ-(वि०) जिसके थन कठिन न हों और थोड़ा, अधिक्षेप इत्यादि होता है, जैसे- आसानी से दोहे जा सकें (वह गाय, भैंस अकंटक, अबोलो, अथाघ, अखार इत्यादि आदि)। में । स्वर से प्रारंभ होने वाले शब्दों के अकड़-(ना०) १. ऐंठ । मरोड़। २. अभिपहले आने पर इसका रूप 'अण' हो जाता मान ३. अनम्रता । ४. हठ । ५. धृष्टता । है । २. संस्कृत परिवार की भाषामों की ढिठाई । (वि०) १. कड़ा । सख्त । वर्णमालाओं के व्यंजन वर्णों की स्वर २. नहीं झुकने वाला। मात्राओं में स्वरूप रहित प्रथम मात्रा। अकड़णो-(क्रि०) १. ऐंठ जाना । अकड़ (न०) ३. शिव । ४. ब्रह्मा । ५. विष्णु। जाना । २. ठिठुरना। ३. हठ करना । अइयो-(अव्य०) ओ, अरे, हे आदि संबोधन ४. घमंड करना। ५. घृष्टता करना । सूचक शब्द । ६. झगड़ा करना । ७. कड़ा होना। अउब-(वि०) अपूर्व । अद्भत । अनोखो। अकड़परणो-दे० अकड़। अउबगति-(ना०) १. अपूर्व गति । अकड़ाई-दे० अकड़ । २.अद्भ त , गति । (क्रि० वि०) अद्भत अकड़ाट-दे० अकड़। गति से। अकड़ारणो-(क्रि०) १. घमंड करना । अउबभत-(ना०) १. अपूर्व भाँति । अकड़ना । २. शरीर (की संधि) में वायु २. अद्भत भाँति । (क्रि० वि०) अद्भत से पीड़ा होना। ३. शरीर के किसी अंग भाँति से। का अकड़ जाना। अउर-दे० और । अकडावणो दे० अकडाणो । अउळग-(न०) १. उल्लंघन । २. सेवा। अकड़ीजणो-(क्रि०) १. सर्दी या वायु से चाकरी । ३. याद । स्मृति । प्रोळग। शरीर (के किसी अंग) का ऐंट जाना । अऊत-(वि०) १. अपुत्रक । निःसंतान । अकड़ जाना । २. ठिठुरना। ३. तनना । निपूतो। २. निवंश । ३. कुपूत । ४. जिद करना । ५. घमंड करना। प्रऊती-(वि०) निःसंतान । निपूती। अकडोडियो--(न०) पाक का फल । प्राकड़ अक-(न०) १. दुःख । २. पाप । ३. प्राक। डोडो । आकड़ो। अकढ-(वि०) १. नहीं निकाला हुआ । अकच-(वि०) केश रहित । गंजो । २. नहीं उबाला हुमा (दूध)। For Private and Personal Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मकढियो (२) प्रकळीस अकढियो- दे० प्रकढ । प्रकराळ-(वि०) १. भयंकर । विकराल । प्रकतो-दे० अगतो। २. जो भयंकर न हो। प्रकथ-(वि०) १. नहीं कहने योग्य । २. जो अकरूर-दे० अक्रूर । नहीं कही गई हो। प्रकर्ण-(वि०) १. बिना कान वाला। अकथ-कथ-(ना०) १. अकथनीय बात । २. बहरा । (न०) साँप । २. अकथनीय घटना । ३. जिसका वर्णन अकर्तव्य-(वि०) नहीं करने योग्य । अनुनहीं किया जा सके. उसकी चर्चा । चित । (न०) दुराचरण । ४. ईश्वर के अकथनीय गुणों का वर्णन। अकर्ता-(वि०) १. न करने वाला । अकथनीय-(वि०) जिसका वर्णन नहीं हो २. मानसिक रूप से कर्मों से अलिप्त । सके। अवर्णनीय। अकर्म-दे० अकरम । अकन कँवारी-(वि०) १. आजीवन अकर्मण्य-(वि०) निकम्मा । निकामो । क्वारी। २. प्रखंड क्वारी । (मा०) अकर्मा-(वि०) १. बिना काम का । १. अक्षतयोनि । २. ब्रह्मचारिणी। २. प्रालसी । ३. निकम्मा। निकामो । अकन कँवारो- (वि०) १. वह जिसका ४. फुरसत । बेकार । निवरो । दे० कौमार्य खंडित नहीं हुआ हो। प्रखंड प्रकर्मी । अकरमो। क्वारा। २. आजीवन क्वारा । बाँढो। प्रकर्मी-दे० अकरमी । ३. अक्षत वीर्य । प्रकल-(ना०) बुद्धि । अक्ल । समझ । अकन कुवारो-दे० अकन कँवारो । अकळ-(वि०) १. जो समझा नहीं जा अकबर-(म0) एक मुगल बादशाह सके । २. समर्थ । शक्तिमान । ३. सीमा (१५५६-१६०५ ई०) का नाम । रहित । असीम । ४. समस्त । संपूर्ण । अकबंध-(वि०) १. बिना खोला हुआ। समूचा । ५. व्याकुल । (नि०) १. परब्रह्म । २ बिना तोड़ा हुआ । ३. पूरा। समस्त।। २. ईश्वर । ३. शिव । ४. ज्यों का त्यों। ५. सीलबंध । साबुत । अकलकरो-(न०) अकरकरा । एक औषधि । माखो। अकलमंद--(वि०) १. अक्लमंद । बुद्धिमान । अकरण-(वि०) १. जिसको कोई कर न समझदार । २. मंद अक्ल का । बेसमझ । सके। जो किया नहीं जा सके । २. जो अकलवान- (वि) अक्लमंद । समझदार । करने योग्य नहीं । ३. अघटनीय । अळक-विकळ-(वि०) प्राकुल-व्याकुल । ४. असंभावीय। घबराया हुआ। अकरगण-करण-(न०) १. ईश्वर । २. नहीं प्रकळ क-(वि०) १. कलंक रहित । किये जा सकने वाले को करने वाला। निष्कलंक । २. निर्दोष । (न०) ईश्वर । प्रकरणीय-(वि०) नहीं करने योग्य । अकळाणो-दे० अकळावणो । अकरम-(न०) १. अकर्म । २. कुकर्म। अकळामरण-(ना०) १. घबराहट । व्या. खोटो काम । कुलता । बेचैनी । २. अमूमरण । ३. ऊब । अकरमी-(वि०) १. अकर्मी । पापी। अकळावरणो-(त्रि०) १. अकुलाना । घब २. बुरा काम करने वाला । कुकर्मी। राना । २. उकताना । ऊबना । ऊबणो । अकरमो-(वि०) निकम्मा । १. निकामो। अकलीम-(न०) १. राज्य । २. देश । २. निवरो । दे० अकरमी। अकळीस-(न०) ईश्वर । For Private and Personal Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकल्पनीय प्रकीधो अकल्पनीय-(वि०) जिसकी कल्पना नहीं अकार-(न०) १. 'अ' वर्ण । २. आकार। की जा सके । प्रकळ । ___आकृति । (वि०) बेकार । बेकाम । अकल्पित-(वि०) १. जिसकी कल्पना भी अकारज-दे० अकाज । न की गई हो । २. कल्पना रहित । अकारण-(वि०) बिना कारण। निष्प्रयोअकल्याण-(न०) अशुभ । अमंगल । जन । खोटो । मूंडो। अकारथ-(क्रि० वि०) व्यर्थ । फिजूल । अकस-(ना०) १. ईर्ष्या। २. शत्रता। अकारो-(वि०) १. प्रचंड । तेज । करारा। (वि०) कस रहित । सार हीन । २. अप्रिय । नापसंद । ३. कठोर । कठिन। अकसर-(अव्य०) १. प्रायः । बहधा। ४. अधिक । ५. व्यर्थ । ६. जबरदस्त । २. बार-बार । अकार्य-दे० प्रकर्म । अकसीर-(वि०) १. निश्चित रूप से अकाळ-(न०) १. दुष्काल । अकाल । प्रभावी । २. अचूक गुणकारी। ३. सब काळ । (वि०) असमय । कुसमय । रोगों के लिए अचूक (दवा)। रामबाण अकाळणी-(ना०) मृत्यु । मौत । (दवा)। अकाळ मिरतू-दे० अकाळ मौत । अकस्मात-(क्रि० वि०) १. अचानक । अकाल मृत्यु-दे० अकाळ मौत । सहसा । २. दैव योग से। अकाळ मौत-(ना०) १. असामयिक मृत्यु । प्रकंटक-(वि०) १. निष्कंटक । २. बचपन व युवावस्था की मृत्यु । २. निर्विघ्न । ३. डूबने, जलने या गिरने आदि अकअकाज-(न०) १. बुरा काम । कुकर्म । स्मातों से होने वाली मृत्यु । २. बिना काम । ३. अनर्थ । ४. दुर्घटना। अकास-(न०) १. आकाश । २. शून्य ५. विघ्न । ६. हानि । नुकसान । स्थान । (वि०) शून्य । ७. कार्याभाव । अकास गंगा-(ना०) उत्तर-दक्षिण में अकाट्य-(वि०) १. जो काटा नहीं जा विस्तृत बहुत घने तारों का समूह । सके । २. जिसका खंडन नहीं हो सके। आकाश गंगा। अकाथ-(वि०) १. अशक्त । निर्बल । अकास-दीवो-(न०) आकाश दीप । निबळो । २. अकथ्य । ३. वृथा। विरथा। अकास-वाणी-(ना०) १. आकाश वाणी। अकादमी-(ना०) १. विद्या मन्दिर । देववाणी । २. रेडियो स्टेशन । २. विद्वत् परिषद् । प्रकास-वेल-(ना०) आकाश वल्ली । अमर बेल । प्रकाम-(वि०) १. कामना रहित । इच्छा अकासी विरत-(ना०) १. वर्षा द्वारा रहित । (क्रि० वि०) प्रकारण । व्यर्थ । खेती से प्राप्त होने वाले आजीविका के (न०) १. हानि । नुकसान । २. विघ्न । साधन । २. भिक्षा वृत्ति । ३. पराश्रित ३. खराब काम। खोटो काम । और अनिश्चित आमदनी के साधन । ४. नाश। अकीक-(न०) एक प्रकार का चिकना प्रकामी-(वि०) कामना रहित । निस्पृह। कीमती पत्थर । अकाय--(न०) १. कामदेव । (वि०) अकोध-दे० अकीधो। १. अशरीरी। देह रहित । २. निराकार। अकीधो-(क्रि० वि०) नहीं किया। (वि०) ३. अजन्मा । नहीं किया हुआ। For Private and Personal Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अक्षय मकीन अकीन-(न०) यकीन । भरोसा । भरोसो। अक्ख-(वि०) १. अक्षय । पाखो। पाकीन । दे० अकीधो। अक्खड़-दे० अखड़। अकीनदार-(वि०) १. यकीन वाला । अक्खर-(न०) १. अक्षर । वर्ण । आखर । भरोसा वाला । प्राकीन वाळो । २. ईमान- (वि०) नाश रहित । दार। अक्खो -(वि०) १. अक्षय । पाखो । अकीन वाळो-दे० अकीनदार। २. पूर्ण । पूरा। अकीरत-दे० अकीत्ति । अक्टूबर-(न०) ईसवी सन का दसवाँ अकीति-(ना०) अपयश । अपकीत्ति । महीना । अक्टोबर । बदनामी। अक्यारथ–दे० अकारथ । अकुळ-(वि०) कुलहीन । (न०) बुरा कुल। अक्रत-(न०) दुष्कर्म । (वि०) नहीं करने अकुळाणो-दे० अकळाणो। योग्य । दे० अकृत। अकूळावरणो-दे० अकळाणो। अक्रम-(न०) अकर्म । कुकर्म । पाप । अकुळीग- (वि०) १. नीच कुल का। (वि०) १. अकृत्य । २. अक्रिय । कर्मों अकुलीन । कुळहीणो । कुळ बाहिरो। से रहित । ३. निष्कर्म । कर्म रहित । २. वर्णसंकर। ४. क्रम रहित । अकुलीन-दे० अकुळीण । अक्रूर-(वि०) दयालु । (न०) श्री कृष्ण अकुशल-दे० अकुसळ । के चाचा और भक्त । अकुसळ—(न०) १. अमंगल । अक्षेम । अक्ष-(ना०) १. आँख । २. इन्द्रिय । अकल्याण । २. अहित । ३. अशुभ ।। भूडो। ३. जिस पर पृथ्वी घूमती वह धुरी अकूपार-(न०) समुद्र। है। (न०) १. जूआ खेलने का पासा । अकूरड़ी-दे० उकरड़ी। २. माला का मनका। अकूरड़ो-दे० उकरड़ो। अक्षत-(वि०) बिना टूटा हुआ । अखंडित । अकृत-(वि०) १. नहीं किया हुआ। (न०) १. चावल का बिना टूटा दाना २. खराब किया हुआ । (न०) पाप । अखत । २. जो। ३. अनाबधा मोती। अकृतार्थ-(वि०) १. जो कृतार्थ नहीं। अक्षतयोनि–(ना०) १. वह योनि जिसमें २. असफल । वीर्यपात न हुआ हो। २. वह कन्या अकृत्य-(वि०) नहीं करने जैसा । (न०) जिसके साथ पुरुष का समागम न हुआ हो । नहीं करने जैसा काम । अपकृत्य । अक्षतवीर्य-(वि०) वह जिसका वीर्यपात निकम्मा काम कभी न हा हो। अकृत्रिम-(वि०) १. स्वाभाविक । प्राकृ- अक्षम-(वि०) १. जिसमें क्षमता न हो । तिक । २. वास्तविक । २. असमर्थ । ३. जिसमें काम करने की अकेलो--(वि०) अकेला । एकाकी । अकलो। योग्यता न हो । ४. क्षमा रहित । अकेवड़ो-(वि०) इकहरा । एकवड़ो। अक्षमता- (ना०) १. अक्षम होने का भाव । अकोट- (न०) १. सुपारी का वृक्ष । २. असमर्थता । ३. असहिष्णुता । २. सुपारी । (वि०) अत्यधिक । अक्षम्य-(वि०) क्षमा न करने योग्य । अकोर-(न०) १. निछावर । निछरावळ। अक्षय-(वि०) क्षय नहीं होने वाला । २. उपहार । ३. रिश्वत । अविनाशी। For Private and Personal Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रक्षत तृतीया अक्षय तृतीया - दे० ग्राखा तीज । वर्ण जो शब्द के अक्षय वट - दे० अखं वड़ । अक्षर - ( न० ) १. वह साथ जुड़ा हुआ हो । ( व्या० ) २. अकारादि वर्ण । आखर । ३. ग्रात्मा । ४. सत्य । ५. ब्रह्म । ६. मोक्ष का लेख । (वि०) १. नित्य नाशी । । ७. विधि । २. अवि अक्षरमेळ - ( न० ) वर्णों की संख्या और लघु-गुरु के क्रम की समानता वाला वृत्त । अक्षरवृत्त । वरिणक छंद । श्राखरमेळ । (का० ) । क्ष - ( ना० ) आँख | अक्षुण्ण - ( वि०) afsa | बिना टूटा हुआ । प्रक्षोट - ( न० ) अखरोट । प्रक्षोणी - दे० अक्षौहिणी । अक्षौहिणी - ( ना० ) प्राचीन युग में सेना का एक परिमाण जिसमें १०९३५० पैदल, ६५६१० घोड़े, २१८७० रथ और हाथी रहते थे । अक्स - ( न० ) १. प्रतिबिंब । २. चित्र । अक्सर - ( क्रि० वि०) प्रायः । बहुधा । घरणोकरन । खज - ( वि०) नहीं खाने योग्य | खाद्य | ( न० ) १. नहीं खाने योग्य पदार्थ । २. मांसाहार अखड़ - ( वि० ) १. बिना जोता हुआ । (खेत) । जो खड़ा नहीं गया हो । परती । पड़त । पड़तल । अरणखड़ । अखड़ी - ( वि०) बिना खड़ी या जोती हुई ( जमीन ) । परती । पड़तल । अखड़ेत - ( वि०) १. अखाड़ा बाज । २. मल्ल । ३. वीर । ४. जबरदस्त । ५. रणजीत । अखरण - ( न० ) १. मुँह । मूंढो । २. कथन । अखरो - ( क्रि०) कहना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५ ) अखरै प्रखत - ( न० ) १. पूजा के काम में आने वाले बिना टूटे चावल | प्रक्षत । २. चावल । ३. यावनी भाषा । ४. म्लेच्छ वाणी । ५. नमाज | (वि०) १. जो टूटा न हो । २. जिसके कोई घाव न लगा हो । अक्षत । अखतरो - ( न० ) १. प्रयोग । २. श्राज माइश | अजमास । अखत्यार - ( न० ) इख्तियार | अधिकार । अखत्र - ( वि० ) १. अखंडित । अक्षत । २. अजस्र । निरंतर । ( न० ) प्रक्षत चावल । अखबार - र - ( न० ) समाचार पत्र । छापो । अखम - ( वि० ) १. लाचार । विवश । २. अशक्त । ३. अंधा । प्राँधो । ४. क्षमा रहित । ५. क्षमता रहित । ६. असह्य । ७. असमर्थ । प्रखर - ( न० ) अक्षर । आखर | दे० अक्षर | प्रखरणो - ( क्रि०) अखरना । बुरा लगना । अखरावट - ( ना० ) बार-बार कह करके किसी बात को पक्का करना । खरावट । दे० प्रखरावळ | श्रखरावणो - ( क्रि०) १. बार-बार कह कर बात को पक्का करना । २. सामने वाले से बार-बार कहलवाकर बात को पक्का करना । अखरावळ - ( ना० ) १. अक्षरावली । अक्षर पँक्ति । २. वर्णानुक्रम । अखरावट । ३. अनुक्रमणिका । ४. एक प्रकार की कविता जिसके चरण (पंक्ति) वर्णमाला के अक्षर क्रम के अनुसार आरंभ होते हैं। अक्षरौटी । श्रखरावट । ५. लिखावट | ६. साक्षी के रूप में की जाने वाली लिखा पढ़ी | साक्षी पत्र । ७. जमानतनामा । अखरावळी - ( ना० ) १. अक्षरावली । अक्षर पंक्ति । २. वर्णमाला । अखरं - ( अव्य० ) १. अंकों में लिखने के For Private and Personal Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अखरो साथ संख्या का अक्षरों में लिखा जाना । २. हुंडी, चैक आदि में रुपयों की संख्या का शब्दों द्वारा उल्लेख करने का पारिभाषिक शब्द | जैसे – रु० १०५ ) प्रखरै रुपिया एक सौ पाँच । ३. अक्षरों में । अक्षरों द्वारा व्यक्त | ( वि० ) खरा । पक्का निश्चय । अखरो - ( वि० ) १. कृत्रिम | बनावटीं । खोटो । २. ठा । कूड़ो । ३. कठिन । मुश्किल । अखरोट - ( न० ) एक मेवा । अखंग - ( वि० ) जिसके दाग न लगाया गया हो ( पशु ) । २. जिसके दाग (तप्त चिन्ह ) न लगा हुआ हो (पशु) । ३. अक्षय । अखंड - ( वि० ) १. खंडित नहीं । पूरा । २. समस्त । प्राखो । ३. अविरल । निरंतर | ( ६ ) अखंडळ - ( न० ) प्राखंडल | इंद्र | खंडित - (वि०) जिसके टुकड़े न हुए हों । पूरा | आखो । साबतो । अखाड़मल -- ( न० ) १. योद्धा । २. पहल वान । अखाड़सिध - दे० अखाड़मल । अखाड़ो - ( न० ) १. साधुत्रों का मठ । २. अखाड़े के साधुओं की मंडली व जमात । २. ख्याल - तमाशों में अभिनय करने वालों का (गोलाकार स्थान ) व उसके आजू-बाजू गायक मंडली के गोलाकार रूप में बैठने का घेरा व स्थान | ४. नृत्य सभा । ५. नाट्य शाला । ६. व्यायाम शाला । ७. कुश्ती बाजों का स्थान | दंगल | ८. नशा बाजों के एकत्रित होने का स्थान । ६. जुआ खेलने वालों का अड्डा । १०. युद्ध भूमि । ११. युद्ध । १२. खेल । १३. तमाशा । १४. चमत्कारपूर्ण कार्य । खेलो खेल 1 अखातो - ( वि०) १. भूखा । दीन । गरीब । अखार - (वि०) १. क्षार रहित । २. मिलावट रहित । ३. क्रोध रहित । ४. शत्रुता रहित । अखियात - (वि०) १. प्रसिद्ध । प्रख्यात । २. आश्चर्यजनक । ३. स्तुत्य । ४. चिर स्थायी । (To) यश । कीर्ति । अखिर - दे० प्राखिर । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अखिल - (वि०) १. संपूर्ण । समग्र । २. सर्वांगपूर्ण । अखिलपति - ( न० ) परमेश्वर । अखिलेश - ( न० ) परमेश्वर । अखी - (वि०) १. जिसका क्षय न हो । अक्षय्य । २. न मरने वाला । श्रमर । ३. कीर्तिमान | यशस्वी । अवी अमावस - ( ना० ) आखातीज के पहले की अमावस । वैशाख मास की अमावस्या | अखीर - ( न० ) अंत । आखिर । ( क्रि० वि० ) आखिर में। अंत में । प्रखी रहो - ( श्रव्य० ) गुरुजनों की ओर से दिया जाने वाला आशीर्वचन । 'अमर रहो', 'यशस्वी बनो' इत्यादि आशीर्वादार्थक पद । अखूट - ( वि० ) नहीं खूटने वाला । अपरिमित । अपार । खूत - ( न० ) १. शस्त्र । २. कवच । ३. वीर पुरुष । (वि०) उतावला । प्रखूं तो - (वि०) १. उतावला । २. बेचैन । अखेलो - (वि०) १. जो सबके लिए सुगम नहीं ऐसा खेल (युद्ध) खेलने वाला । २. अद्भुत । ३. व्याकुल । दुखी । ४. मरणासन्न । ५. श्रसाध्य रोग वाला । ( न० ) १. असाध्य रोगावस्था । २. प्रसाध्य रोगी । खेलो खेल -- ( न० ) १. जिसे सर्वसाधारण नहीं खेल सकता ऐसा खेल । युद्ध । २. प्रद्भुत कार्य । ३. विचित्र खेल । For Private and Personal Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अखं ( ७ ) प्रंगमं अखे-दे० अक्षय । अगरण—(न०) १. छंद शास्त्र के अशुभ प्रखैमाळ-(ना०) अक्षमाला । रुद्राक्ष गरण । २. मग्नि । (कि० वि०) प्रागे । माला। अगाड़ी। अखंवड़-(न०) १. कभी क्षय नहीं होने अगणित-(वि०) अगणित । असंख्य । वाला. प्रयाग का अक्षय वट । २. गया अगरणो-(वि०) १. प्रथम । पहलो । का अक्षय वट। २. तीसरा । तोजो। अखैसाही-दे० अखैसाही रुपियो। अगत-दे० अगति । प्रखैसाही नाणो-दे० प्रखैसाही रुपियो। अगति-(ना०) दुर्गति । खोटी गत । अखैसाही रुपियो-(न०) जैसलमेर के अगतियो-(वि०) १. मरने के बाद जिसकी रावल अक्षराज द्वारा प्रवर्तित चाँदी का गति नहीं हुई हो। प्रेतयोनि प्राप्त । रुपया । प्रखैशाही रुपया। २. नरकगामी । ३. अधोगामी। अखोरण-(ना०) अक्षौहिणी सेना। अगतो-(न०) १. छुट्टी। तातील। अवअखोणी-दे० अखोरण। काश । २. छुट्टी का दिन । ३. पर्व बिन । अख्खर-दे० अक्षर। ४. मजदूरी के काम करने वालों के प्रख्यात-दे० अखियात । अवकाश का दिन । अंझा। ५. जीवप्रग—(न०) १. पर्वत । २. सूर्य । ३. अग्नि। हिंसा के अवकाश का दिन । ४. सर्प । ५. यश । (वि०) अचल । अगथि-(न०) अगस्त्य । स्थावर । (क्रि० वि०) १. आगे । अगथियो-(न०) अगस्त वृक्ष । २. सामने । अगद-(ना०) १. दवा । -(वि०) नीरोग । अगचळियो-(वि०) जबरदस्त । स्वस्थ। अगजीत-(वि०) १. अागे रह कर जीतने अगदराज-(न०) १. अमृत । २. औषधि । वाला। २. जीतने वालों में अग्रणी। दवा । अगड-(न०) १. पर्वत । २. रोक । प्रतिबंध। अगन-(ना०) अग्नि । प्राग । ३. अर्गला। प्रागळ । ४. हाथी को बाँधने अगनग--(न०) ज्वालामुखी पर्वत । का स्थान । ५. वह दीवार जो दो अगन-जंत्र-(न०) १. तोप । २. बंदूक । हाथियों को बाँधने की जगहों के बीच में अगन-झाळ-(ना०) अग्नि ज्वाला । शाळ। बनाई हुई होती है। प्रगढ । (वि०) अगन-सिनान-(ना०) जीवित जलना । १. असम्बद्ध । २. ऊपर उठा हुआ। अगनान-दे० अग्यान । अगड़-(वि०) १. अनवड़। २. अगम्य । अगनी-(ना०) १. अग्नि । २. प्रकाश । (ना०) अकड़ । ३. अग्नि देवता । ४. पिस । ५. जठअगड़-बगड़-(वि०) असम्बद्ध। . राग्नि । अगढ-दे० अगड सं०५ अगनी कूरण-(ना०) आग्नेय दिशा । प्रगढाळ-(न०) १. एक अोर ढलुवाँ खप- अगनी कूट-दे० अगनी कूरण ।। रेलों की छत (छान) वाला कमरा। अगनो-दे० प्रगणो। २. एक अोर ढलुवाँ खपरेलों की छत । अगम-(वि०) १. अगम्य । दुर्गम । २. बुद्धि एक ओर ढलुवाँ छान । एकढाळियो। से परे। ३. स्थावर । ४. समझ में न प्रगढाळियो-दे० प्रगढाळ । पाने वाला । ५. अथाह । (न०) For Private and Personal Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (5) अंगम चेती १. ईश्वर । २. वृक्ष । ३. पर्वत । ४. भविष्य । ५. दूरदर्शिता । अगम चेती - (वि०) दूरदर्शी । श्रागम सोचु । आगम सोची । अगम निगम - ( न० ) १. आगम निगम । वेद और शास्त्र । २. वेद । ३. वेद भी जिसे नहीं जानता वह । ४. ब्रह्मज्ञान । ५. ब्रह्मज्ञान की चर्चा । ६. योग विद्या । योग शास्त्र । ७. भूत और भविष्य । अगमबुद्धि - ( ना० ) आगम बुद्धि । दूर दर्शिता । (वि०) दूरदर्शी । अगमभाखी - (वि०) १. भविष्य वक्ता । २. योग सिद्धि द्वारा भविष्य कथन करने वाला । अगमवाणी - ( ना० ) श्रागम वाणी । गूढ़ गिरा । २. रहस्य वारणी । अगम्या - ( ना० ) वह स्त्री जिसके साथ संभोग करना निषिद्ध है, जैसे- माता, कन्या, गुरुपत्नी इत्यादि । अगर - ( न० ) १. सुगंध वाला एक वृक्ष । २. एक प्रौषधि । ( क्रि० वि०) १. यदि । जो । २. आगे । अगरबत्ती - ( ना० ) अगर आदि सुगंधिदार वस्तु की बनाई हुई बत्ती जो सुगंध के लिए जलाई जाती है । धूपबत्ती । अगरवाळ - ( न० ) एक वैश्य जाति । अग्रवाल । अगरवाळण - ( ना० ) अग्रवाल जाति की स्त्री । पर सोया हुआ । अगरेल - ( न० ) १. अगर का तेल । २. अगर वृक्ष । अगल-बगल - ( क्रि० वि० ) १. आस-पास । गंजी - (वि०) १. जिसका नाश नहीं किया जा सके । २. जिस पर विजय नहीं पाई जा सके । अजेय । ( न० ) गढ़ किला । अगंड - ( न० ) कबंध । रुण्ड । अगा - ( क्रि० वि०) १. पहले । पूर्व । २. सामने | सम्मुख । अगाउ - (वि०) १. पहले का । पूर्व समय २. श्रागे वाला । ( क्रि० वि० ) १. पहले । पेश्तर । २. श्रागे । का । अगाउ थी - ( अव्य० ) पहले से । श्रागे से 1. अगाउ लग - ( अव्य० ) आगे तक । अगाऊ - दे० अगाउ । अगरवाळी - दे० अगरवाळण । अगरांटो - (वि०) बिना बिछौने की खाट अगाड़ी - ( क्रि०वि०) १. आगे । सामने | 1 २. पहले । ३. भविष्य में । ( ना० ) १. घोड़े के अगले पैर का बन्धन । २. प्रथम श्राक्रमरण । अगाड़ी - पछाड़ी - ( ना० ब० व०) घोड़े के आगे और पीछे के पाँवों में बाँधने की दो रस्सियाँ । (श्रव्य ० ) श्रागे और पीछे । २. इधर-उधर । अगलूगो - ( वि० ) १. अगला । पहले का । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाड़ी - पछाड़ी २. व्यतीत काल का । ३. आगे का । आने वाले समय का । ४. सामने का । अगलो ( वि०) १. पहले का । भूत काल का । २. अगला । श्रागलो । भविष्य काल का । ३. सामने का। आगे का । अगवाई - ( ना० ) अतिथि का सामने जाकर किया जाने वालास्वागत | अगवाणी - ( वि० ) १. मुख्य । प्रधान । २. आगे रहनेवाला । आगे चलनेवाला । ( ना० ) अतिथि का सामने जाकर किया जाने वाला स्वागत । अगस्त - ( न० ) १. ईसवी सन का आठवां महीना | ऑगस्ट | २. एक ऋषि का नाम । अगस्त्य ऋषि । ३. एक तारा । अगहन - ( न० ) मार्गशीर्ष मास । अगंज- ( - ( वि०) १. जिसका नाश नहीं किया जा सके । २. जिस पर विजय नहीं पाई जा सके । For Private and Personal Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंगात अग्यानी अगात-(वि०) निराकार । अशरीरी। अगेती-दे० प्रागतरी। अगाध-(वि०) १. अधिक । अत्यन्त। अगेस-(क्रि० वि०) आगे । २. गहरा । ऊंडो। अगेह-(वि०) घर रहित । बिना घर का। अगार-(न०) १. कोष । खजाना । अगै-(क्रि० वि०) १. पूर्व काल में । आगार । २. घर । अतीत में। २. पागे । ३. सम्मुख । अगा लग-(क्रि० वि०) १. आगे तक। ४. पहले । ५. भविष्य में। २. लगातार | पागूलगू। अगोचर-(वि०) १. जो इन्द्रियों से न अगाळी-(ना०) बरछी। जाना जा सके । इन्द्रियातीत । अगास-(न०) आकाश । २. अव्यक्त । (न०) १. परब्रह्म । अगासी- (ना०) १. छत पर बना छोटा परमात्मा। २. विष्णु । छप्पर । २. छत पर की खुली जगह। अग्गि-(क्रि० वि०) आगे । (ना०) प्राग । अगाह-(वि०) १. अगाध । अथाह । अग्नान-दे० अज्ञान । २. गहरा । ऊंडो। ३. जो पकड़ा न जा अग्नानी-दे० अज्ञानी । सके । ४. अग्राह्य । (क्रि० वि०) अग्नि-(ना०) वैश्वानर । आग । १. प्रागे । २. सम्मुख । अग्निकूड-(न०) यज्ञकुड । दे० अनल अगाहट--(न०) जमीन का दान । ड (वि० वि०) अगां-(वि०) १. आगे का। २. पहला। अग्निज्वाला-(ना०) आग की लपट । (न०) १. बीता हुआ समय । २. प्राने झाळ। वाला समय । (क्रि० वि०) बीते हुए अग्निदाह-(न०) शव को जलाना । समय में। २. आने वाले समय में। अग्नि संस्कार । दाग । ३. सामने । अग्नि परीक्षा-(ना०) १. अग्नि के द्वारा अगिन-(ना०) अग्नि । परीक्षा करने की क्रिया। २. बहुत कठिन अगिनाण-(ना०) १. अग्नि ज्वाला। परीक्षा । २. अज्ञान । अग्नि पुराण-(न०) अठारह पुराणों में अगियारण- दे० अज्ञान । से एक। अगिवाण-(वि०) १. अगुआ । मुखिया। अग्निपूजक-(न०) पारसी। २. मार्ग दर्शक । अग्निबाण-(न०) अग्न्यास्त्र । अगुप्रो-वि०) १. अगुणा। मुखिया। अग्नि संस्कार-(न०) शव को जलाने की २. मार्ग दर्शक । क्रिया । दाहक्रिया। अगुरण-(न०) १. निर्गुण । गुणरहित। अग्निहोत्र-(न०) वेदमंत्रों द्वारा अग्नि में २. प्रौगुन । दोष । बुराई। आहुति देने की क्रिया। अगुवाणि -दे० अगिवाणी। अग्निहोत्री-(वि०) अग्निहोत्र करनेवाला। अगुवो-दे० अगुनो। अग्य-दे० अज्ञ । अगूढ-(वि०) १. जो गूढ़ न हो । स्पष्ट । अग्या-दे० प्राज्ञा । २. सरल। अग्यात-दे० अज्ञात । अगूण-(न०) पूर्व दिशा । अग्यान-दे० अज्ञान । अगेत-दे० प्रागतरी। अग्यानी–दे० अज्ञानी। For Private and Personal Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १० ) श्रग्रं अग्र - ( वि० ) १. अगला । २. पहला । ३. श्रेष्ठ । ४. प्रधान । ( क्रि० वि० ) १. आगे । २. सामने । ( न० ) १. श्रागे का भाग । २. सिरा । सिरो । अग्रगामी - ( वि०) आगे चलने वाला । ( न० ) १. प्रधान । २. नेता । अग्रगाव - ( न० ) पर्वत । अग्रज -- ( न० ) १. बड़ा भाई । मोटोभाई । २. ब्राह्मण । अग्रजा - ( ना० ) बड़ी बहन । मोटी बहन । अग्रणी - ( वि०) अगुना । अग्रदास - ( न० ) रामानन्दी सम्प्रदाय के गलता ( जयपुर ) निवासी एक प्रसिद्ध रामभक्त कवि जो नाभादास के गुरु और कुंडलिया रामायस्म प्रादि कई भक्ति ग्रंथों के रचयिता थे । अग्रसर - ( वि०) १. अगुआ । २. मुख्य । प्रधान । अग्राज - ( ना० ) गर्जन | दहाड़ । अग्राजगो - ( क्रि०) दहाड़ना | गरजना । अग्राह — दे० अग्राह्य । अग्राह्य - ( वि०) ग्रहरण करने योग्य नहीं । अग्रिम - ( वि०) १. पेशगी । २. पहला । ३. अगला । अग्रे - ( क्रि० वि०) १. पहले । २. आगे । ३. श्रागे से | अघ - ( न०) १. पाप । २. दुख । अघअवतार - ( वि०) पापी । अघट - ( वि०) १. नहीं होने योग्य । २. अयोग्य । ३. अनुपयुक्त । ४. कठिन । ५. जो संभव न हो । ६. नहीं घटने या कम होने वाला । ७. सदा एक जैसा । अघटित - ( वि०) जो कभी न हुआ हो । घडंडी - ( न० ) यमराज । जमराज । अघमंजरण --- ( वि०) पापों को धोने वाला । पापों का नाश करने वाला । ( न० ) विष्णु । २. गंगा । १. घोरपंथी अघमोचरण - (वि०) पापों का नाश करने वाला । ( न० ) १. विष्णु । २. गंगा । ३. शिव । अधरणी - ( ना० ) १. पहला गर्भ । २. गर्भ धारण करने के आठवें महीने किया जाने वाला संस्कार । सीमंतोन्नयन संस्कार । सीमंत । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अघराण - दे० घ्राण । घरायरण - ( वि०) १. असह्य । २. कठिन । ३. भयंकर । दे० धारण । अघवारण - ( वि०) पापों का नाश करने वाला | (To) ईश्वर । अघहारी - ( वि० ) पापों का नाश करने वाला । ( न० ) ईश्वर । प्रघाट - ( वि०) १. बिना रूप का । श्ररूप । २. जो कम नहीं । न्यून । ३. अनंत । अपार । ( न० ) १. समस्त स्वत्वों वाला हस्तलेख | सभी हकों वाला दस्तावेज | २. दानपत्र । ३. शिलालेख । ४. माफी की जमीन जिसे उसका मालिक बेच न सके । ५. दान में प्राप्त भूमि या गाँव । अधारणो - ( क्रि०) अघाना । तृप्त होना । धापणो । अघात - ( ना० ) १. श्राघात । चोट (वि०) प्रहार रहित । अघायो - वि० ) १.. आघात रहित । अक्षत । २. स्वस्थ । ३. अघाया हुआ । तृप्त । धापियोड़ो । अघावरण - दे० घारगो । अघासुर - ( न० ) एक राक्षस का नाम । अघोर - ( वि०) १. भयंकर । २. घोर । ३. मन भावन । ४. प्रिय । ५. पूर्ण । ६ बहुत | (To) १. शिव का एक रूप । २. अघोर पंथ । अघोरपंथ - ( न० ) अघोरियों का संप्रदाय । अघोरपंथी - ( न० ) अघोरपंथ का अनुयायी । अघोरी । For Private and Personal Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अघोरी अघोरी - ( न०) १. अघोर पंथी । औघड़ । ( fao ) २. अधिक खानेवाला । २. भक्ष्या भक्ष्य का विचार नहीं करने वाला । ३. अत्यन्त गंदा । घिनौना । ४ अधिक नींद लेने वाला । श्रति निद्रालु । ५. सुस्त । अहदी । श्राळसी । ऐवी । अघोष - ( वि० ) १. प्रावाज रहित । मीरव । शान्त । ( न०) राजस्थानी वर्णमाला के व्यंजन वर्गों के पहले दूसरे वर्ग यथा - क ख च छ, ट ठ त थ, और प फ - ये अघोष व्यंजन कहलाते हैं । ( व्या० ) अघारण - ( ना० ) १. सुगंधि । सौरभ । घ्राण । २. दुर्गंधि । ( वि०) गंध रहित । अघ्रायरण - दे० धारण । दे० घरायण । ( ११ ) च - (न०) हाथ | श्राच । अचकन – (न० ) एक प्रकार का लम्बा कोट । अत्रगळ - ( वि० ) १. दानी । २. उदार । ३. वीर । अचड़ - ( वि०) १. निश्चल । अचल । २. श्रेष्ठ । ३. वीर । ( न० ) १. यश | कीर्ति । २. चरित्र । ३. श्रेष्ठ कार्य । ४. चेष्टा । ५. कृपा । ६. युद्ध । अचड़ करण - ( वि० १. उत्तम करने वाला । २. शरण देनेवाला । ३. शरणागत की रक्षा के लिये युद्ध करने वाला । ४. योद्धा । अचड़ाँबोल - ( न०) १. श्रेष्ठ पुरूषों का काम वचन । २. प्रमारण कथन । प्रमाण वाक्य । अचरणो - ( क्रि०) १. आचमन करना । २. पीना । ३. खाना । ४. कहना । अचपड़ा - (न०) बच्चों को होने वाली एक प्रकार की हलकी चेचक । श्रछबड़ा । चपळाई - ( ना० ) १. चपलता । २. उद्धतपना । उजड्डता । ३. उत्पात । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रचाळ अचपळो --- ( वि०) १. चंचल । चपल । २. उद्धत । ३. उत्पाती । ऊधमी । अचरज -- ( न० ) आश्चर्य । श्रचंभो । अचल - दे० अचळ । अचळ - ( वि० ) १. अचल । निश्चल । २. दृढ़ ( न० ) १. पृथ्वी । २. पर्वत । ३. ध्रुव । ४. सूर्य । ५. सात की संख्या का सूचक शब्द । अचळ गढ़ - ( न० ) १. श्राबू पर्वत का एक तीर्थस्थान, जहां अचलेश्वर महदेव का प्रख्यात मंदिर है । २. आबू पर्वत का एक ऐतिहासिक स्थान, जहां पहले दुर्ग और नगर बसा हुआ था । अचळा - ( ना० ) पृथ्वी । अचलेश्वर - ( न० ) आबू पर्वत पर अचलगढ़ में स्थित इतिहास प्रसिद्ध शिवमंदिर के महादेव । २. शिव । अचवन --- (न० ) श्राचमन । अचंभ - ( न० ) अचरज । अचंभा । ( वि०) १. आश्चर्यजनक । २. चकित । अचंभरणो - ( न० ) अचंभा करना । आश्चर्य करना । अचंभोकरणो । अचंभम - दे० अचंभ्रम | For Private and Personal Use Only अचंभो - ( न० ) आश्चर्य । अचंभा । अचंभ्रम - ( न०) श्राश्वर्य । प्रचरज | अचागळ - वि०) १. उदार । दातार । २. वीर । बहादुर । ३. प्रचल । अडिग । अचागळो - दे० अचागळ | अचाचूक - ( क्रि० वि० ) अचानक अचार - - ( न० ) अँबिया, कैर, गूदा इत्यादि फल या तरकारियों का मिर्च-मसाले डाल कर बनाया हुआ एक स्वादिष्ट व्यंजन | अथाना । अथाणो । अचारज - ( न० ) १. प्राचार्य । २. एक अल । उपगोत्र । ३. एक ब्राह्मण जाति । कारटियो । अचाळ - (वि०) १. अचल । प्रटल । Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चावणी २. प्रचंड । ३. भयंकर । ४ तेज । ५. अधिक । www.kobatirth.org प्रावरणी - (वि० ). १. नहीं चाहने वाली । २. नहीं चाही गई । ३. अरुचिकर । प्रवाही - ( वि०) निस्पृह । निष्कामी । अचिंत - ( क्रि० वि०) एकाएक । अकस्मात । अचिंत्य - (वि०) १. जिसका चिंतन न हो ( १२ ) सके । २. जिस पर विचार नहीं किया जा सके । कल्पनातीत । चित्यो - ( क्रि० वि०) १. बिना सोचा हुआ । २. अकस्मात | प्रचीती - ( क्रि० वि०) १. जो ख्याल में न ३. नासमझ । ४. जड़ । अचेतो- (वि०) १. अचेत । २. सावधान । हो । २. एकाएक । चींतो - दे० श्रचित्यो । चुतानंद - ( न० ) अच्युतानंद | चुंड - (वि०) १. डरावना | भयावना | २. अद्भुत । ३. निर्भय । अचूक - ( वि० ) १. नहीं चूकने वाला । २. जो अपना प्रभाव अवश्य दिखाये । अमोघ । असरकारक । ३. ठीक । पक्का । भ्रम रहित । ( क्रि०वि०) १. निश्चय ही । २. चूके बिना। ३. अवश्य ही । ४. एकदम । अचूको - ( वि०) १. नहीं चूकने वाला । २. दृढ़ निश्चयी । ( क्रि०वि०) १. निश्चय ही । २. अवश्य ही । अचू को - ( वि०) १. निडर । निःशंक । प्रचंड —दे० अचुंड | चेत - (वि०) बेसुध । मूच्छित । बेहोश । बेभान । २. असावधान । बेखबर | अच्छर - ( ना० ) १. अप्सरा । अक्षर । भाखर । बेहोश | अचैन - ( न०) १. दुख । कष्ट । २. व्याकुलता । ३. बेचैन । अचोट - ( न० ) किला । (ना० ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अच्छरा - ( ना० ) अप्सरा । अच्छाई -- ( ना० ) अच्छापन । अछबड़ी अच्छु - (श्रव्य ) अस्तु । अच्छा। अच्छा जी । खैर । आछो । अच्छेर - दे० अछेर । अच्छेरो—दे० अछेरो । अच्छो- (वि०) अच्छा । भला । चोखो । अच्युत - (नि० ) १. न गिरा हुआ । २. दृढ़ । ३. अटल । ४. शाश्वत । ( न० ) १. विष्णु । २. श्रीकृष्ण । अच्युतानंद - ( न० ) ३. अखंड आनंद | २. अखंड आनंद भोगने वाला । ईश्वर । परब्रह्म । अछइ- - ( क्रि०) 'होना' क्रिया का वर्तमान रूप | 'है' और 'छे' क्रियाओं का काव्य रूप | दे० अछे । अछक - ( वि०) १. अतृप्त । २. उन्मत्त । ३. अपार । अछत - ( ना० ) १. प्रभाव कमी । श्रावश्यकता । माँग । ३. अभिलाषा । (वि०) १. प्रच्छन्न । छिपा हुआ । २. बिना छत्र का । ३. बिना स्वामी का । अछतो - ( वि०) १. प्रभाव वाला । २. गुप्त । छिपा हुआ । ३. साधन हीन । ( न० ) प्रभाव | कमी । अछन - ( प्रव्य ) १. प्रकट | जाहिर । २. पास । निकट । ( वि० ) प्रक्षुण्ण । ( न०) लाड़ | प्यार | अछन- अछन – (अव्य० ) १. प्रीति और सम्मान सूचक एवं शुभकांक्षार्थं एक द्विरुक्ति पद । गुरुजन, मित्र अथवा सगेसंबंधी के प्रति अति स्नेह, सम्मान, स्वागत, दीर्घायु और नैरोग्य आदि मंगल भावनाओं का सूचक एक पद । २. लाड़प्यार । For Private and Personal Use Only अछबड़ा - ( न० ) १. चेचक का एक प्रकार । छोटी चेचक । २. बच्चों को होने वाली एक प्रकार की हल की चेचक । प्रचपड़ा । Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir को प्राप्त युद्धवीर। प्रघर ( १३ ) प्रजक अछर-(ना०) १. अप्सरा । (न०) अछेप-(न०) अन्त्यज । अछूत । हरिजन । २. अक्षर। अछेर-(वि०) आधा सेर ।(न०) आघासेर अछरा-(ना०) अप्सरा । ___ का तौल । अधसेरो । अधसेरियो । अछराण-(ना० ब० व०) अप्सराओं का प्रछेरो। समूह । अछेरो-(न०) १. प्राधासेर का तौल । अछरां-वर-(न0) स्वर्ग में अप्सराओं अधसेरो । २. आश्चर्य । (वि०) अच्छा । द्वारा वरण किया जाने वाला वीरगति उत्तम । अछेव-(वि०) जिसका अंत न पाया जाय । अछरी-(ना०) अप्सरा । अछेह-(वि०) १. जिसका छेह नहीं । अछरीक-(वि०) १. अप्सराओं को प्रिय। अनंत । २. छेह नहीं देने वाला । गंभीर । २. मौजी । लहरी । ३. वीर । ४. संतुष्ट । ३. सीमा रहित । असीम । ४. क्रोध तृप्त । ५. बहुत । अधिक। रहित । ५. अधिक । ६. निरन्तर । अछळ-(वि०) छल रहित । अछेही-(वि०) १. छेह नही देने वाला। अछंग-(वि०) श्रेष्ठ । उत्तम । गंभीर । २. क्रोध रहित । अछंट-(वि०) १. अलग । दूर । २. नहीं अछेहो-(वि०) १. छेह नहीं देने वाला। छटा हुआ । पृथक्करण नहीं किया हुआ। गंभीर । क्रोध रहित । ३. सीमा रहित । (क्रि०वि०) १. अचानक । अकस्मात । असीम । ४. जिसका छेह नहीं। अनंत । २. सबके साथ में। ५. अधिक । ६. निरन्तर । ७. अच्छा। अछंड-(वि०) नहीं छोड़ा हुआ। पकड़ा अछ-(क्रि०) 'छ' क्रिया का काव्य रूप । हुआ। 'होणो,' 'होवणो,' 'हुणो,' 'हुवणो,' अछाड-(वि०) घायल। (हिन्दी 'होना') क्रियाओं के वर्तमान रूप अछानो-(वि०) १. प्रकट । प्रसिद्ध । 'छै' या 'है' के अर्थ में प्रयुक्त राजस्थानी २. छिपा हुआ । गुप्त। गद्य-पद्य का एक प्राचीन रूप । 'छ' क्रिया अछायो-(वि०) १. नहीं छाया हुआ। इसीका संक्षिप्त रूप है । अछइ । छ। है । खुला। २. अशोभित । ३. अतृप्त । अछोभ-(वि०) क्षोभ रहित । ४. आच्छादित। ५. परिपूर्ण। अछोर-(वि०) छोर रहित । अनंत । ६. अप्रसिद्ध । ७. अनाच्छादित । अछोह-(वि०) १. क्षोभ रहित । २. क्रोध अछूत-(वि०) १. बिना छुपा हुआ। रहित । शान्त । २. पवित्र । ३. अस्पृश्य । ४. हरिजन अछोही-(वि०) अक्रोधी। शान्त । धीमो। जाति का । (न०) अन्त्यज । हरिजन । धीरो। प्रछेप । प्रज-(वि०) १. अजन्मा। स्वयंभू । (न०) अछूतो-(वि०) १. नहीं छुपा हुआ। १. ब्रह्मा । २. शिव । ३. विष्णु । २. काम में नहीं लाया हुआ। कोरा। ४. कामदेव । . ५. बकरा। छांग । नया। कोरो। नवो। ६. बकरी । छाळी । ७ मेढ़ा। घंटो। अछेक-(वि०) जिसके छेक नहीं लगा हो। ७. दशरथ के पिता का नाम । आज । बिना चीरा हुआ। अजक-(वि०) १. बेचैन । अशान्त । अछेद- (वि०) अछेद्य। २. चंचल । ३. सावधान । (न०) For Private and Personal Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजको (१४) प्रजवाळीरात १. अशान्ति । २. पातुरता । ३. उतावला. २. अजमेर का निवासी । ३. अजमेर की पन । बनी हुई। अजको-(वि०) १. बेचैन । प्रशान्त । अजमो-(न०) अजवाइन । २. चंचल । ३. सावधान । ४. पातुर। अजमोद-(ना०) अजवाइन के जैसी एक ५. वीर। औषधि । अजमोदा। अजगर-(न०) एक जाति का मोटा और अजय-(न०) पराजय । हार । (वि०) जो बड़ा साँप । हराया न जा सके। अजड़-(वि०) १. अविवेकी । २. अनम्र। अजयमेरु-दे० अजमेर । अक्खड़ । ३. बिना तमीज का । बेतमीज। अजया-(ना०) १. बकरी । छाळी । ४. मूर्ख । जड़ । ५. जो रथ, बैलगाड़ी २. दुर्गा । ३. भांग । और हल इत्यादि में जुतने के योग्य तैयार अजर-(वि०) १. जरा रहित । जो वृद्ध नहीं किया गया हो। (बैल) । प्रजड़ो। न हो। २. जो हजम न हो सके । जड़ो। ३. वीर । बलवान् । (न०) १. देवता । अजडो,-दे० प्रजड़ सं० ५. २. परब्रह्म । अजरण-(न०) पाण्डु पुत्र अर्जुन। (वि०) अजरट-(वि०) बलवान । जबरदस्त । १. निर्जन । २. अजन्मा। अजराइल-दे० अजरायल । अजन,-दे० अजण। अजराग-(वि०) बलवान । जबरदस्त । अजनबी-(वि०) अपरिचित । प्रसेंधो। अजराट-दे० अजरट । अजपा-(न०) १. मन में किया जाने अजरामर-(व०) सदा प्रजर और अमर वाला जाप । २. उच्चरित न होने वाला रहने वाला । अविनाशी । मंत्र । (वि०) न जपा हुआ। अजरायल-(व०) १. सदा एकसा रहने अजपा-जाप,-दे० अजपा-जाप । वाला । चिरस्थायी । २. जो हराया नहीं अजब-(वि०) पाश्चर्यजनक । अद्भ त । जा सके । जिस पर विजय नहीं पाई जा अजभख-(न०) बबूल और बेरी के वृक्ष सके ३. नहीं हारने वाला । ४. जबरदस्त । जिनकी पत्तियों को बकरियां बड़ी रुचि . बलवान । पराक्रमी । ५. निडर । ६. से चरती हैं । प्रजाभक्ष । चंचल । प्रजराळ। अजमारणो-दे० अजमावणो । अजराळ-दे० अजरायल । अजमाव-दे० अजमास । अजरेल-दे० अजरायल । अजमावणों-(क्रि०) आजमाना । परीक्षा प्रजरो-(वि०) १. उत्पाती । २. प्रशान्त । करना । परखणो। जांचरणो। ३. चंचल । ४. सगड़ालू । ५. वीर । अजमास-(ना०) आजमाइश । परीक्षा । बहादुर । जांच । अजवाण-(ना०) अजवाइन । प्रजमो । अजमेर-(न०) राजस्थान का एक प्रसिद्ध अजवाळणो-(क्रि०) १. प्रकाशित करना । नगर जिसे अजयपाल ने ११ वीं सदी में २. उज्वल करना । ३. प्रतिष्ठा। बढ़ाना। पुष्कर और नागपर्वत के पास बसाया यशस्वी बनाना । ४. प्रसिद्ध करना । था। अजवाळीरात-(ना०) चांदनी रात। अजमेरी-(वि०) १. अजमेर सम्बन्धी। चानणीरात । For Private and Personal Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रजवाळो अजवाळो - ( न०) उजाला । प्रकाश । चानरणो । (१५) अजवाळोपख – (न० ) १. चान्द्रमास का सुदि पक्ष । शुक्लपक्ष । सुदपख । २. किसी बात या काम का उज्वल पक्ष या श्रेष्ठ पहलू | अजस्त्र - ( न० ) अपयश । अपकीर्ति । बदनामी । कुजस । अजसु - (वि०) लगातार चलने वाला । निरंतर | अजागळ - ( न० ) अजगर । ( वि० ) विजयी । अजा - ( ना० ) १. बकरी । छाळी । २. दुर्गा । संधो । प्रज्ञात । अजस्सिव- - ( न० ) ब्रह्मा और शिव । प्रजहद - वि०) बहुत अधिक । प्रजाणी - वि० ) अपरिचित । श्रसंधी | अजारो - ( वि०) १. अपरिचित । २ अनभिज्ञ । मूर्ख । प्रजारण । अजंपा -जाप - ( न० ) १. मन में जपा जाने अजाणू – (वि०) १. अपरिचित । २. अन वाला जाप । अजपा जाप । २. गायत्री भिज्ञ । मूर्ख । प्रजारण । प्रजाणे - ( अव्य० ) १. नहीं जानते हुए । २. बेसमझी से । अजाण्यो—दे० प्रजारियो । मंत्र का मन में किया जाने वाला जप । ३. परब्रह्म का ध्यान । ४ पीरदान लालस के एक डिंगल ग्रन्थ का नाम । प्रजंपो - ( न० ) १. बेचैनी । प्रशान्ति । हायतोबा । २. उतावलापन । ३. बखेड़ाबाजी । अजात - ( वि० ) १. नहीं जन्मा हुआ । अजन्मा । २. गर्भस्थ । २. बिना जाति का । ४. नीच जाति का । कुजात । प्रजातळ - (न०) १. कलंक । २. दोषा रोपण । ३. विपत्ति । प्राफत । ४. खोटी जिम्मेदारी । ५. बोझा । अजातशत्रु - (वि० ) जिसका कोई शत्रु न हो । प्रजाती - (वि०) १. जिसकी जाति नहीं । २. विजातीय । प्रजाभर - दे० अजाथळ । अजाथळ - दे० श्रजातळ । अजान - दे० अजाण । अजानबाह - (वि०) श्राजानुबाहु | अजामिल - ( न० ) एक प्रसिद्ध विष्णुभक्त । अजामेल- दे० प्रजामिल । अजाग्रत - ( वि० ) १. जगा हुआ नहीं । २. असावधान । गाफिल । जाचक - ( बि० ) १. नहीं माँगने वाला । याजक वृत्ति की जाति का होने पर भी जिसने याचना करना छोड़ दिया हो । ३. एक ही किसी उदार व्यक्ति का याचक । ४. एक के सिवाय अन्य से नहीं माँगने वाला । अजायबी प्रजारणचक - ( क्रि० वि०) अचानक । एका एक । प्रजारगपरण- ( ना० ) १. अज्ञानता । मूर्खता । २. नासमझी । २. बेखबरी | ४. श्रसावधानी । प्रजाची -- दे० प्रजाचक | अजाजूथ - ( न० ) १. भेड़-बकरियों का ॐ । २. गोटाला । झमेला । अजारण- ( वि० ) १. अनजान । अनभिज्ञ । नावाकिफ । २. अप्रत्यक्ष । ३. अज्ञानी । मूर्ख । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजाणवो - ( वि०) १. अनजान । २. अज्ञानी । मूर्ख । जारियो - - (वि०) अनजान | अपरिचित । + अजायबघर - ( न० ) अद्भुत वस्तुओं का संग्रहालय । संग्रहालय । म्युजियम । अजायबी - ( ना० ) आश्चर्यं । श्रचंभो । नवाई | For Private and Personal Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मजायो अज्जा अजायो-(वि०) अजन्मा । (न०) ईश्वर। अजेव-(वि०) जो. जीता नहीं जा सके। अजाँ-(अव्य०) १. अब तक । अभी तक। अजेय । २. अभी। अजेस-(क्रि० वि०) अभी तक । अब तक । अजाँताँई-(अव्य०) अभी तक । अजे। अजाँ लग-(अव्य०) अभी तक । अजै-दे० अजय। अजिण-(न०) १. मृग, व्याघ्र इत्यादि अजैपाळियो-(न०) जमालगोटा । का चमड़ा । अजिन । २. कृष्णमृग-चर्म। अजै-विज-(वि०) समान । बराबर । • ३. व्याघ्रचर्म । अजोखो-(वि०) १. बिना जोखम का। २. अजित-(वि०) अजेय । बिना तोला हुआ । ३. भय रहित । अजिन-दे० अजिरण। अजोग-(वि०) १. अयोग्य । नालायक । अजिया-(ना०) बकरी ।छागी । छाळी। २. निकम्मा। निकम्मो । ३. अनुचित । अजिर-(न०) प्रांगन । प्रांगरणो। ४. बुरा । खोटो। (न०) १. कुसमय । अजी-(अव्य०)एक सम्मानसूचक संबोधन। २. संकट । आदरार्थी संबोधन । अजोगती-(वि० ना०) १. अनुचित । २. अजीत-दे० अजित । अयोग्य । ३. अनहोनी। अजीब-(वि०) १. प्राश्चर्यजनक २. अजोगतो-(वि०) अनुचित । २. अयुक्त । विलक्षण । ३. अद्भुत । ३. अयोग्य । ४. अनहोना। अजीरण-(न0) अजीर्ण । अपच । बद- अजोगो-(वि०) अयोग्य । नालायक । हजमी । अपचो। अजोड़-(वि०) अद्वितीय । बेजोड़ । २. अजीर्ण- दे० अजीण। अतुल्य । ३. अनुपम । ४. बिना जोड़ी अजीव-(वि०) निर्जीव । का । बेमेल । कुजोड़ । ५. बिना जोड़ अजु-(अव्य) १. जो । २. और जो । __ का । संधि रहित । साँध बिनारो। अजुमाळणो–दे० अजवाळणो । अजोड़ो-दे० अजोड़। अजुमाळी-(ना०) चाँदनी । चानणी । .. अजोणी-दे० अयोनि । अजुग्राळो-दे० अजवाळो । अजोपीनाथ-(न०) महादेव । शंकर । अजुमाळोपख-दे० अजवाळोपख । अजोध्या-(ना०) श्रीराम की जन्मभूमि । अजुगत-(वि०) १. अयोग्य । २. अघटित। अयोध्या। अवध । ३. असंगत । ४. अयुक्त । (ना०) अजोध्यानाथ-(न०) श्री रामचन्द्र । अयुक्ति । अजोनी-दे० अजोगी। अज-(अव्य०) १. अब भी। २. अभी अजोरो-(वि०) निर्बल । निजोरो। तक । हालताई। निरबळ । अजे-(क्रि० वि०) १. अब तक २. अभी अजोसा-दे० अयोसा । तक। अज्ज-(न०) १. आर्य । २. अज । ब्रह्मा । अजेज-(क्रि० वि०) १. अविलंब । शीघ्र। ३. अाज । ४. बकरा । (वि०) अजन्मा। २. अभी भी। अज्जण-(न०) अर्जुन । अजेय-(वि०) १. जो जीता नहीं जा अज्जा -(ना.) १. देवी । दुर्गा । सके । २. जिसे हराया नहीं जा सके। २. बकरी। For Private and Personal Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञा। (१७) अटंग अज्ञ-(वि०) १. मूर्ख । मूढ । २. अनजान अटकायत-(ना०) १. रुकावट । रोक । अज्ञा-(नाo) आज्ञा। २. हिरासत । काचीकैद। अज्ञात-(वि०) १. अविदित । २. गुप्त। अटकाव-(न०) १. रोक । बाधा । ३. अगोचर। २. विघ्न । ३. परहेज । ४. मृत्यु आदि अज्ञान-(न०) १. ज्ञानहीनता । ज्ञानाभाव। के कारण मंगल कार्यों में शामिल होने प्रजाण। २. जानकारी का प्रभाव । का निषेध । ५. रजोदर्शन । अभड़ाव । ३. मिथ्या ज्ञान । ४. अविद्या । माया। मैलोमाथो। ५. अबुध । अबूझ । अटकावणो,—दे० अटकारणो। अज्ञानी-(वि०) १. ज्ञान शून्य । २. मूर्ख। अट को-(10) जगदीशपूरी के जगन्नाथ ३. मिथ्या ज्ञानी। ४. माया-प्रविद्या में जी के भोग का भात । बंधा हुआ । ५. अबुध । अबूझ । अटण-(न०) १. पैर। पांव । पग । अटक-(ना०) १. रोक । रुकावट । २."यात्रा । प्रवास । अटन । अवरोध । २. उलझन । ३. हिचक। अटणो-(क्रि०) १. चलना। चालणो। ४. संकोच । शंका । ५. मनाई। २. घूमना । फिरना। ३. यात्रा करना। ६. दिक्कत । कठिनाई। ७. उपनाम । ४. मारा-मारा फिरना । अल्ल । ८. धंधे या गांव के नाम पर अटपटी-(विना०) १. बेढंगी। २. विचित्र । रखा जाने वाला किसी जाति या पुरुष अनोखी। का उपनाम । ६. जाति । १०. वंश। अटपटो-(वि०) १. अटपटा । पेचीदा । ११. प्रतिज्ञा। प्रण। २. कठिन । ३. बेढंगा । कुढंगो । अटकरण-(न०) १. अटकन । टेउका। ४. विचित्र । अनोखो। टेवको। २. सहारा। अटकरिणयो-(न०) अटकन । टेवको। ही अटर-पटर—(अव्य०) १. परचूरण । २. बिखरी हुई चीजें। ३. फुटकर २. सहारा । (वि०) १. अटकने वाला। २. रुकने वाला। सामान । ५. सामान । (वि०) अव्यअटकणी-(ना०) १. अर्गला । सिटकनी । वस्थित। चटकनी । मागळ । २. रोक। अटरम-सटरम,—दे० अटर-पटर । अटकणो-(क्रि०) १. अटकना । रुकना। अटळ-(प्रि०) नहीं टलने वाला । अटल । थमना । २. उरझना । फँसना। (न0) अटवाटी,--दे० अठवाटी। टेउका । टेवको। अटवाटी-खटवाटी-दे० अठवाटीअटकळ (ना.) १. युक्ति। उपाय । ___खटवाटी। उपाव। २. अनुमान। अंदाज। अटवी-(ना०) वन । जंगल । रोही। ३. उद्भावना । कल्पना। अटंको-(वि०) १. बलवान। २. निःशंक । अटकळणो-(क्रि०) १. अनुमान करना। निडर। २. उपाय सोचना। ३. कल्पना करना। अटंग-(वि०) १. नहीं छुपा हुआ । अटकळपच्चू-(न०) अनुमान । अंदाज । २. काम में नहीं लाया हुआ। ३. अभी (अव्य०) अनुमान से। बना हुआ । नया । ४. नये का विशेषण, अटकाणो-(क्रि०) १. रोकना । २. उल- जैसे—नवो अटंग । (अव्य०) १. सर्वथा । झाना । ३. देर कराना। बिलकुल । २. अभी का। For Private and Personal Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मटा (१८) प्रठी-उठी अटा-(ना०) १. अटारी। २. महल । अठजाम-(ना०) पाठों प्रहर । मष्टयाम । ३. गवाक्ष । झरोखो। (वि०) पाठ मास में जन्मा हुआ। अटाटोप-(वि०) १. घटाटोप २. छाया अठमासा । अठमासियो। हुप्रा। अठड़ोतरसो-(न०) पहाड़े में बोली जाने अटामण-(न0) साग, तीवन आदि में वाली एक सौ पाठ (१०८) की संख्या। झोल को गाढ़ा बनाने के लिये मिलाया अठन्नी-(ना०) पाठ ानों या आधे रुपये जाने वाला बेसन । २. पलेथन। का सिक्का । पळे थण । अठपहलू-(वि०) पाठ पहलवाला। अटारी,-दे० अटा। अठमासियो-(वि०) १. आठ मास में अटाळ-(वि०) बदमाश । प्रांटाळ । (न०) उत्पन्न होने वाला (बच्चा) । २. पाठ ढेर । राशि। महीनों का । अठमासा। अटाळो-(न०) १. टूटा-फूटा सामान । अठवाटी-(ना०) मरणान्त दुराग्रह । २. फालतू सामान । कबाड़ो। ३. फालतू अठवाटी-खट वाटी,-दे० अठवाटी। सामान का ढेर । अठवाड़ो-(न०) एक वार से उसी वार अटूट-(वि०) १. नहीं टूटने वाला । दृढ़ । तक का समय । आठ दिनों का समय । __ मजबूत । २. अजस्र । ३. अविच्छेद । अठवाड़ा। वारोवार । अटेर-(ना०) १. अदीनता। प्रदैन्य। अठाइस-दे० अट्ठाइस । २. नाखुशामद । (वि०) खुशामद नहीं अठाइसो-दे० अट्ठाइसो । करने वाला। अठाई-(ना.) १. जैनों का आठ दिनों अटेरण-(न0) एक उपकरण जिसपर का उपवास । दे० अट्ठाइस । सूत को लपेटकर अंटी बनाई जाती है। अठाऊं-(क्रि०वि०) यहां से प्रसू। अटेरन । अटेरणो । फाळकियो। अठाण-(न०) स्थान । (वि) १. स्थान अटेरणियो-(न0) अटेरन । (वि०) रहित । बेघर । २. अकुलीन । ३. जबरअटेरने वाला। दस्त । अटेरणो-(क्रि०) १. अटेरन पर सूत को अठाणुनो-(न०) अट्ठावनवां वर्ष । लपेट कर अंटी बनाना । २. खूब खाना। अठाणू-(वि०) अठानवे । (न०) अठानवे ३. खा जाना । (न0) अटेरन । की संख्या, '' अट्ठ-(वि०) आठ । (न०) आठ की संख्या, अठातक-(क्रि०वि०) यहां तक । अठतक । '८' पाठो। . अठाताई-(क्रि०वि०) यरे तक । अठताई। अदाइस-(वि०) बीस और आठ । (न०) अठाम-(वि०) स्थान रहित । घर रहित । बीस और पाठ की संख्या, '२८.' अठाइस। (न०) १. कुठौर कुठाम । २. बेमौका । अट्ठाइसो-(न०) १. अठाइसवाँ वर्ष । अठालग-(क्रि०वि०) यहाँ तक । २. दो हजार आठ सौ की संख्या, '२८००' अठावन-दे० अट्ठावन । (वि०) दो हजार आठ सौ। अठासू-दे० अठाऊं। अट्ठावन-(वि०) पचास और आठ। अठी-(क्रि०वि०) १. इधर । यहां । अठ। (न०) पचास और आठ की संख्या, '५८' अठी-उठी-(क्रि०वि) इधर-उधर । अठअठ–दे० प्रट्ठा। प्रोठे। For Private and Personal Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मठीकानी ( १६ ) अड़ताळीस अठीकानी-(क्रि०वि०) इधर । अठोर-(वि०) १. दृढ़। मजबूत । अठीनली-(वि०) इघर की। यहां की। २. अस्वस्थ । ३. निर्बल । अठरी । अड़-(ना०) १. हठ । दुराग्रह । २. लड़ाई। अठीनलो-(वि०) इधर का। यहां का। अड़क-(वि०) १. बिना बोये उगा हुआ अठरो। (नाज) । २. गवार । उद्दड। ३. हठी। अठीन-क्रि०वि०) इस ओर । इधर । ईन। दुराग्रही । (ना०) हठ । दुराग्रह । अठीरी-(ना०वि०) इधर की। अठरी। अडकणो-(क्रि०) १. भिड़ना । २. छूना । अठीरो-(वि०) इधर का । इस ओर का। ३. अड़ना। ४. हठकरना । अड़ करणो । अठरो। अड़ करणी। अठीली–दे० अठीरी। अडकबोलो-(वि०) १. अप्रिय बोलने वाला । गंवारूपन से बात करने वाला। अठीलो-दे० अठीरो। २. अशिष्टभाषी।। अठीव्हेने-(क्रि०वि०) इधर होकर के। अडकमौत-(ना०) १. अकारण मरना । अठेल-(वि०) १. पीछे नहीं हटनेवाला। मुर्खता करके मरना । बेमौत । व्यर्थ में २. वीर । जोरावर । बहादुर । ४. अपार । मरना । २. अकाल मृत्यु । बहुत । अडकियो,--दे० अड़क । अठेलमो-(वि०) १. बहुत अधिक । अड़ कीलो-(वि०) हठी । दुराग्रही। २. आवश्यकता से अधिक । ३. परिपूर्ण। अडखंजो-(न0) १. विविध प्रकार का ४. पीछे नहीं हटने वाला । अविचल । बहुत सा सामान । २. भारी आयोजन अठेलवों-दे० अठेलमो। धूम-धाम । समारोह । ३. कृत्रिम आयोअठ-(क्रि०वि०) यहाँ । जन । बनावटी धूमधाम । ४. फैलाव । अठेतक–दे० अठातक । विस्तार । ५. प्रपंच। ६. ढोंग । अठताणी-दे० अठाताई। आडंबर । अठताई–दे० अठाताई। अडग-(वि०) १. नहीं डिगनेवाला । अठ्ठद्वारका-(प्रव्य०) यहाँ ही मुकाम । अडिग । दृढ़। २. वीर । यहीं पड़ाव । अड़चरण-(ना०) १. रोक । रुकावट । अठधाम-दे० अठ द्वारका। बाधा । २. कठिनाई । ३. रजोदर्शन । अठराख्या-(अव्य०) हुँडी का एक पारि- अड़चल-(ना.) १. बीमारी। २. दुख । भाषिक शब्द, जिसका अर्थ है—अमुक तकलीफ । ३. पीड़ा । दर्द । ४. रुकावट । स्थान से अमुक व्यक्ति ने रुपये लेकर अड़णो-(क्रि०) १. अड़ना । भिड़ना । हुँडी लिख दी है। २. युद्ध करने के लिये पाँव रोंपना । अठलग-दे० अठालग। ३. पांव रोपकर युद्ध करना । अठसारू-(अव्य०) १. यहाँ लायक । ४. अकड़ना। ५. छुआ जाना। स्पर्श २. हमारे योग्य । होना। ६. छूना। स्पर्श करना । अठसू-दे० अठासू। ७. अटकना । फैसना । ८ हठ करना । अठहिज-(क्रि०वि०) यहीं। अड़ताळी-दे० अड़ताळीस । अठोतरसो-(वि०) एक सौ आठ । (न०) अड़ताळीस-(वि०) चालीस और पाठ। एक सौ आठ की संख्या, '१०८' (न०) अड़तालीस की संख्या, •४८' HHHHHHHHHH HTHHHHHHHHE For Private and Personal Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पड़ती ( २०) पड़संग्राम अड़ती-दे० अड़तीस । अडबंग-(वि०) १. मूर्ख । उजड्ड । २. अविअडतीस-(वि०) तीस और आठ । (न०) चारी। ३. नादान। ४. जबरदस्त । अड़तीस की संख्या, '३८' ५. हठी। अड़तो-(वि०) १. स्पर्श करता हुआ। अडबंगी---दे० अड़बंग। छूता हुआ। २. रुकावट वाला। बाधा अडबाऊ-(वि०) फालतू । बेकार । वाला। अडबी-(ना.) १. रोक। रुकावट । अड़दावो-(न०) १. कचरा। २. फूस २. विघ्न । बाधा । ३. झगड़ा । टंटा । आदि की मिलावट । ३. कुटाई । सख्त ४. हठ । जिद । ५. वैमनस्य । मार । मारपीट । ४. घोड़े का एक अड़बीलो-दे० अडीलो। खाद्य । उड़दावो। अड़भंग-दे० अडबंग। अडधियो-(न०) १. आधे सेर का माप । अडभंगी-दे० अडबंगी। २. आधी मुहर का सिक्का । आधी अडवड-(ना०) १. धक्का। २. ठोकर । मुहर । ३. दसवार की मलमल का थान । ३. शरण । ४. भीड़ । ५. अनेकों के एक आधी मलमल। साफा की मलमल । साथ चलने या दौड़ने की आहट । ४. छोटे इंजन की गाड़ी या (प्रारम्भ में अडवडणो-(क्रि०) १. भीड़ में धंसना । बना रेलवे का) छोटा इंजन । २. भीड़ करना । ३. भीड़ का उमड़ना । अडधो-अडध-(वि०) १. आधा-अाधा।। ४. धक्का लगाना। ५. ठोकर खाना । २. प्राधो-प्राध । बराबर प्राधा । ६. ठोकर खाकर गिर पड़ना । ७. संकट अड़प-(ना०) १. साहस । २. शरारत । में पड़ना । ८. शरण में जाना । शरण छेड़छाड़ । ३. हठ । जिद ।। लेना । ६. दौड़ना । भागना ।। अडपदार--(वि०)१. साहसी । २. शरारती। अडवड पंच-(न0) अपने आपको पंच ३. हठी । दुराग्रही। मानने वाला। जबरदस्ती से किसी की अडपाई-(ना०) १. हठीलापन । २. हठ। पंचायती करने को उत्सुक । बिना कहे३. झगड़ा। बुलाये दखल करने वाला। धींगाणियो अडपायत-(वि०) १. अड़ियल । २. भिड़ने । पंच। वाला । ३. निडर । ४. हठी । हठीलो। अडवो-(न०) पशु-पक्षियों को डराने के ५. वीर । बहादुर । लिये खेत में खड़ी की जाने वाली कृत्रिम अड़पायतो-दे० अड़पायत । मनुष्याकृति । (वि०) १. अड़ियल । अडपायल-दे० अड़पायत । २. अडिग । अड़पोलो-दे० अड़पदार। अड़स--(ना०) १. तकरार । वैमनस्य । अड़ब-(वि०) सौ करोड़ । अरब । २. टंटा । फिसाद । (न०) सौ करोड़ की संख्या। अडसटो-(न०) अनुमान । अंदाज अड़बड़-(ना०) १. अड़बड़ाहट । अटपटापन । २. एक ध्वनि । अड़सठ-(वि०) साठ और आठ । (न०) अड़बड़ाट-(ना०) १. अड़बड़ाहट । अट अड़सठ की संख्या, '६८' पटापन । २. उलझन । ३. एक ध्वनि । अड़सठो-(न०) अड़सठवाँ वर्ष । अड़बपसाव-(न०) एक अरब रुपयों का अड़सग्राम-(न०) १, आक्रान्त या पद पुरस्कार। दलित की सहायतार्थ (बिना निमंत्रण For Private and Personal Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रेडसंग्रामी ( २१ ) अंडोअड़ उसके शत्रु से) किया जाने वाला युद्ध । रजस्वला काल । ३. स्वजन की मृत्यु पर २. भयंकर युद्ध । पाली जानेवाली शोक प्रथा । सोग । अडसंग्रामी-अड़संग्राम करने वाला। अडिग-दे० अडग। पराया युद्ध लड़ने वाला। अडियल-(वि०) जिद्दी । हठी । हठीलो । अड़साणी-(वि०) हठी। जिद्दी । (न०) अडिये भिडिये-(अव्य०) १. संकट उत्पन्न ___ महाराना अड़सी का पुत्र । होने पर । २. किसी काम की रुकावट अडसाल-(वि०) १. शत्रु के लिये शल्य या उसके अटक जाने पर। ३. आव रूप । अरिशल्य । २. वीर । ३. हठी। श्यकता के समय । ४. अत्यावश्यक होने अड़सालो-दे० अड़साल । पर। अडगो-(न०) १. अड़चन । २. विघ्न । अडिये-वड़िये-दे० अड़िये-भिड़िये । ३. हस्तक्षेप । ४. पाखंड । (वि०) अड़ी-(ना.) १. युद्ध । २. रुकावट । ३. अनम्र। . हठ । दुराग्रह । ४. साँचा। ठप्पा । अड़ाकी-(वि०) अड़ियल । संचो। अडाखड़ी-(ना०) १. दुर्वृत्ति । २. अडीखम-दे० अडीखंभ । दुष्टता । ३. छेड़ छाड़ । ४. ईर्ष्या । ५. अडीखंभ-(वि०) १. स्तम्भ के समान द्वेष । ६. वैमनस्य । ७. टंटा-फिसाद। अटल । अडिग । २. विपत्ति में धीरज खोड़ीलाई। रखने वाला । ३. दूसरे के दुख को अपने अडाजीत-(वि०) १. वीर । बहादुर । २. ऊपर लेने वाला। ४. जबरदस्त । ५. शक्तिशाली । ३. हठी। शूरवीर ६. हट्टा-कट्टा। अडारण-(न०) मकान बनाते समय छत अडीठ-दे० अदीठ । ___ को पाटने की पत्थर की पट्टियों को ऊपर अड़ी-भिडी-(ना०) १. विपति काल । चढ़ाने के लिये बल्लियों के सहारे बनाया संकटकाल २. रुकावट में पड़ा हुआ हा चवाँ (या ढलुवाँ) मार्ग । काम। ३. अत्यावश्यक काम । अडारणो-(व०) १. रहन । गिरवी । २. अडीलो-(वि०) १. हठीला। २. पीछे एक रागिनी। • पाँव नहीं देने वाला । ३. विघ्नकारी। अडाभीड़-(वि०) अस्त्र-शस्त्र सज्जित । अड़ींग-(वि०) जबरदस्त । कड़ाभीड़ । (ना०) १. भीड़ । २. धक्कम- अडूड-(वि०) १. प्रारूढ़। सन्नद्ध । २. धक्का । दृढ़ । स्थिर । ३. अधिक । ४. अच्छा । अडायटो-(न०) १. प्रायः ढाई पट्टी का श्रेष्ठ (सुकाल के लिये) ५. जबरदस्त । प्रोढ़ने का एक सूती वस्त्र । २. एक ६. भयानक । विकराल । विशेष प्रकार की धोती का कपड़ा । अड़गड़े-(अव्य०) १. लगभग । करीबअडार-(वि०) दस और आठ। (न0) करीब । २. करीब । निकट। अठारह की संख्या, १८' अर्ड-धड़-(वि०) १. बेहिसाब । बेहद । अडारो-(न०) १. अपच के कारण पेट २. अव्यवस्थित । में होने वाला भारीपन । अफारा। अड़ो-(न०) युद्ध । २. हठ । ३. कोष्ठ प्राफरो। २. अपच । अपचो। - वद्धता । कब्जी । ४. अफारा । प्राफरो। अड़ाव-(न०) १. रोक । प्रतिबंध । २. अडोअड़-(अव्य०) १. अति समीप में । For Private and Personal Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भण अडोल । २२ ) बिल्कुल पास । (न०) अति सामीप्य। अढारभार वनस्पति-(ना0) पेड़, पौधे, अत्यन्त निकटता । लता, क्षुप और फल-फूल इत्यादि वनअडोल-(वि०) १. अटल । अडिग । २. स्पति वर्ग का एक समष्टि परिमाण । धैर्यवान । अष्टादश भार परिमाण की वनस्पतिअडोळ-(वि०) कुरूप । कुढंगो । सृष्टि । (अढार भार वनस्पति में चार अडोलणो-(क्रि०) १. अटल रहना। अडिग भार अपुष्प, पाठ भार फल सहित तथा रहना । (वि०) अडिग रहने वाला। सपुष्प और छ: भार लताएं मानी गई हैं। अडोळो-दे० अंडोळो । एक भार वनस्पति का संख्या-परिमारण अड़ोस-पड़ोस-(न०) १. आसपास । २. १२३००१६०८ बारह करोड़ तीस लाख आसपास का घर, स्थान प्रादि । और सोलह सौ आठ माना गया है)। अड़ोसी-पड़ोसी-(न०) अासपास में रहने समस्त उद्भिज वर्ग । २. समस्त प्रकार वाला। की सघन वनस्पति । अढळक-(वि०) अत्यधिक । अपरिमित । अढार वरण-(न०) १. चारों वर्गों की २. उदार। समस्त जातियाँ । २. विश्व की समस्त अढंगो--(वि०) १. बिना ढंग का । बेढंगा। मानव जातियाँ । ३. चारण, भाट कुटुंगो। २. अनोखा । ३. बिकट ४. इत्यादि गुण गायक याचक जातियां । बदसूरत । अढारै-दे० अडारै। अढाई-(वि०) दो और आधा। (न0) 0) अढाळो-(वि०) १. बिना ढंग का । ढाई की संख्या, '२।।' या '२२' कुढाळो। २. प्रतिकूल । अढार-(वि०) १. अठारह । २. समस्त । अढियो-(10) ढाई का पहाडा। अढीरो समष्टि, जैसे-अढ़ार गिर । अढार दीप गठियो । अढी-गणिया । अढिया रो इत्यादि । गुरिणयो। अढारकबाण-दे० अढारटंकी। अढी-दे० अढाई। अढारगिर-(न०) १. सभी पर्वत । पर्वत प्रदाता अढीग्राना-(न० ब० व०) ढाई आने । समष्टि । २. प्राबू पर्वत । अंग्रेजी शासन के दस पैसे । अंग्रेजी दस अढारजोत-(ना०) अनेक दीपकों वाला पैसों का एक मानक । दीप स्तम्भ । अढीगुणा-(वि० ब० व०) ढाई गुना । अढारटंक-(वि०) मजबूत । दृढ़ । (न०) अढीरुपिया-(न० ब० व०) १. अंग्रेजी १. बड़ा धनुष । २. अठारह बार। शासन काल के दो रुपये और पाठ आने । अढारटंकी-(०) बड़ा धनुष । एक सौ साठ पैसों का मुद्रा-मानक । अढारदानी-दे० अढार जोत । २. वर्तमान स्वराज्य सरकार का दोअढारदीप-(न०) १. समस्त द्वीप समूह । सौ पचास पैसों का मुद्रा-मानक । २. दे० अढारजोत । अढी सौ-(वि० ब० व०) ढाई सौ। दो अढार दीवट-दे० अढार जोत । सौ पचास। अढारभार-(न०) १. किसी एक वस्तु का अढीहजार-(वि० ब व०) ढाई हजार । समष्टि रूप में परिमाण । २. अठारह पच्चीस सौ । दो हजार पाँच सौ।। भार परिमाण । ३. अष्टादश भार अण-(प्रव्य०) एक उपसर्ग जो 'नहीं' के वनस्पति । अर्थ में प्रयुक्त होता है। निषेध सूचक For Private and Personal Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रेणीमय भैरीगमें उपसर्ग। (सर्व०) इस । (क्रि० वि०) अणकीलो-(वि०) १. शीघ्र नाराज होने बिना । बगैर । वाला । २. शीघ्र चिढने वाला । ३. द्वेषी। ४. अभिमानी। प्रणामय-(वि०) १. निरोग । २. निर्दोष । निष्पाप । ३. माया रहित । अणकूत-(वि०) १. बिना आँका हुमा । ४. उत्तम । बिना जाँचा हुमा । २. अंदाजन । ३. बेसमझ। मूर्ख।। अण आवडत-(ना०) १. किसी वस्तु, अणख-(न०) १. क्रोध। २. क्षोभ । काम या बात के न समझ सकने का ३. ईर्ष्या । ४. द्वेष। ५. ग्लानि । भाव । २. बुद्धि हीनता । ३. जड़ता । ६. मुझलाहट । ४. अनभिज्ञता । ५. किसी के न आने अणखड़-(कि0) बिना जोता हुआ (खेत)। का भाव । ६. अप्राप्ति । अनुपलब्धि ।। पड़त। प्रखड़। ७. अकौशल । ८. मन नहीं लगना। अणखणाट-(ना०) १. मुझलाहट । मनोरंजन का प्रभाव । ६. अस्फुरण । २. बेचैनी। ३. नाराजगी। ४. उदाअणइच्छा -दे० अरण इंछा। सीनता। अगइछा-(ना०) १. अनिच्छा । २. अणखरगो-(क्रि०) १. मुझलाना । अरुचि । २. क्रोध करना । ३. द्वेष करना । अणक-(वि०) १. नीच । अधम । २. ४. अच्छा नहीं लगना । (वि०) अच्छा __ कुत्सित । खराब। नहीं लगने वाला । नहीं भाने वाला। मणक-चोट-(न०) सचेत नहीं करके अणखलो-(न० सिवाना (मारवाड़) के किया गया प्रहार । नीच घात। कुंभटगढ़ किले का एक नाम । अरण कचोट-(वि०) १. शोक रहित । अणखाधी-(क्रि० वि०)१. यों ही । मुफ्त बेरंज । २. मनस्ताप रहित । में । २. अकारण । ३. बिना मतलब के । अणकमाऊ-(वि०) १. नहीं कमाने ४. बिना लिये-दिये। वाला । धंधा नहीं करने वाला। अणखाधी-रो-दे० प्रणेखाधी। २. निठल्ला । निकम्मा । निकमो। अणखार-दे० असार । अणकल-(वि०) १. जो समझा न जा अणखावणो-(वि०) १. अप्रिय । असुहा सके । २. जो हराया न जा सके। वना । २. अरुचिकर । ३. वीर । ४. शक्तिशाली । ५. निर्भय। अणखी-(क्रि०) १. क्रोधी । २. द्वेषी। ६. अंकुशरहित । ७. अधीर ८. निष्क- अणखीलो-दे० अकीलो । लंक। अणखूट-(वि०) १. बहुत । अपार । अरणकळ-(वि०) १. अनजाना । अपरि- प्रखूट । २. समाप्ति काल के पूर्व । चित । नहीं नाना हुआ। २. जिस पर बेवक्त । असमय । विचार नहीं किया गया हो। ३. जो अणखोट-(वि०) १. निर्दोष । २. शुद्ध । समझ में नहीं आ सके। चोखो। अणकारी-(वि०) १. अनहोनी। २. अलो- अणगम-(वि०) १. अरुचिकर । किक । ३. तीक्ष्ण । ४. अवश । विवश । २. अप्रिय । असुहावना। ३. अज्ञानी । बेबश । ५. जबरदस्त । ६. बेतरकीब । बिना गम वाला। ४. अगम्य । (न०) पायरहित । १. अज्ञान । २. शत्रु । बैरी । ३. अरुचि। For Private and Personal Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रणगमो । २४ ) प्रणतोल अणगमो-(न०) १. अरुचि । २. अनिच्छा। अणछेह-(वि०) जिसका अन्त नहीं । ३. मन का नहीं लगना। अनन्त । अपार । प्रछह । अरणगळ-(वि०) बिना छाना हुआ । अणजारण-(वि०) १. अनजान । अपरिअळगण। चित । २. नासमझ । मूर्ख । (न०) अणगाळ-(वि०) १. अकलंकित । अलां- अज्ञान । छित । (ना०) प्रशंसा। अणजाणियो-(वि०) १. अपरिचित । अरणगिणत--(वि०) अगणित । असंख्य । असेंधो। असंख। अणजाण्यो-दे० अरगजाणियो । अणगिणती-दे० अरणगिणत । अणजीत-(वि०) १. नहीं जीता हुआ। अरणगेम-(वि०) १. निष्कलंक । हारा हुआ। २. जिसको कोई नहीं जीत २. निष्पाप । पाप रहित । निपापो। सके । अपराजित । अरण घटतो-(वि०) अनहोता। अणजुगती-(वि०) १. युक्ति संगत नहीं। अणघड़-(वि०) १. असभ्य । २. अपढ़। २. अनुचित । अशिक्षित । ३..बेडौल । बेढंगा । कुढंगो। अणजोगती-(वि०) १. अनहोनी । ४. नहीं घड़ा हुआ । अनिर्मित। २. अनुचित । ३. अयोग्य। . अरणघड़ी-(वि०) बिना घड़ी हुई । अनि- अणटूट-(वि०) १. बिना टूटा हुआ । मित । (क्रि० वि०) अभी। इसी समय । साबुत । २. नहीं टूटने वाला। प्रबार । हमार। अणडर-(वि०) निडर । निर्भय । अरणचळ-दे० अचल । अगडीठ-(वि०) १. बिना देखा हुआ । अणचायो-दे० अरणचाह्यो। २. अन्धा । प्रणचाहत-(वि०) नहीं चाहने वाला। अणडोल-(वि०) स्थिर । अणचाहो-दे० अणचाह्यो। अरणत-(न०) १. अनन्त चतुर्दशी का व्रत अणचाह्यो-(वि०) १. बिना मर्जी का। रखने वाले के बाहु में बाँधा जाने वाला नापसन्द । बिना चाहा हुआ। २. हानि- चौदह गांठों का एक प्रचित सूत्र । दे० - कारक । अनन्त सं. १३ । २. स्त्रियों के बाहु में अरणचीत-(क्रि० वि०) अचानक । पहनने का एक कड़ा। ३. अनन्त चतुअणचीती-(क्रि० वि०) १. अचानक ।। र्दशी का व्रत । ४. अनन्त भगवान । २. बिना विचारे। ५. विष्णु। (वि०) अनत । दूसरा । अणचीतो-(क्रि० वि०) १. अचानक । दूजो। २. बिना विचारा हुआ। अणतचवदस-दे० अनंत चतुर्दशी । अरणचूक-(वि०) नहीं चूकने वाला । अणतचौदस-दे० अनंत चतुर्दशी। (क्रि० वि०) बिना चूके । अचूक । दे० अणतियो-(न०) अनंत चतुर्दशी का व्रत अचूक। रखनेवाला व्यक्ति। अरणचेत-(वि०) अचेत । बेहोश । प्रणतोट-दे० प्रणटूट । अणछारिणयो--(वि0) बिना छाना हुआ। अणतोल-(वि०) १. बिना तोला हुआ। प्रगळ । .. २. जो तोला नहीं जा सके । ३. अपरिअगछाण्यो-दे० अणछारिणयो । __ माण। बहुत अधिक । ४. अपार । For Private and Personal Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रणतोलियो । २५ ) प्रणभावतो ५. भारी वजनी । ६. जिसकी शक्ति का अणपढ-(वि०) १. बिना पढ़ा। अपढ़ । अनुमान नहीं लगाया जा सके। २. अशिक्षित । ३. मूर्ख । कुपढ । अरणतोलियो-दे० अणतोल । अणपढियो-दे० अरणपढ । अरणतोल्यो-दे० प्रणतोल । अणपाण-(वि०) १. अशक्त । अणी-पाणी अरणथाग-(वि०) १. गहरा। गम्भीर । वाला। ऊंडो। २. अथाह । ३. बहुत अधिक । अरणपार- (वि०) १. अपार । असीम । अरणथाघ-दे० अरणथाग । २. अगणित । (क्रि०वि०) १. इस किनारे। अगथाह-दे० अरणथाग । २. इस ओर। अणदगियो-(वि०). १. वह जिसके दाग अणफेर-(वि०) १. पीछे नहीं मुड़ने (तप्त या दग्ध चिन्ह) नहीं लगा हो वाला । २. अपरिवर्तित । ३. वह जिसमें (पशु)। २. जो दाग लगाकर चिन्हित फर्क नहीं पाये। नहीं किया गया हो। दाग रहित। अणबरण-(ना०)अनबन । खटपट । बिगाड़। ३. निष्कलंक । अणबरगाव-दे० अरणबरण । अणदागल-दे० अणदागियो। अणबाध-(वि०) बेरोक-टोक । अणदाद-(वि०) १. अन्यायी । २. अवश। अणबीह-(वि०) निर्भय । निडर । ३. दाद नहीं देने वाला। वश में नहीं प्रगडर। होने वाला । (न०) अन्याय । गैर अणबूझ-(वि०) ना समझ । अबोध । इन्साफ । अबूझ । अगदीठ-(वि०) १. बिना देखा। अन- अणबोल-दे० प्रणबोलो। देखा । २. अदृष्ट । अणबोला-(नम्ब०व०) १. अनबन । मनअरणदीठो-दे० प्रणदीठ । मुटाव । अबोला। २. आपस में बातचीत अणधाये-(क्रि० वि०) इस ओर । अठीने । बंद रहना। इन । अणबोलो-(न०) मौन । खामोशी । अणधारियो-(वि०) बिना सोचा हुआ। (वि०) १. चुप । खामोश । मौन । २. मूक । गूगो। प्रचीतो । (क्रि० वि०) एकाएक । अगभरिणयो–दे० अरणपढ । अचानक । अरणभय-(वि०)निडर । अभय । अणमे । अरणधीर-दे० अधीर । अणभल-(न०) १. अहित । खराब । अणनम-(वि०) १. अनम्र । २. हठी । भूडो । २. हानि । जिद्दी। अणभंग-(वि०) १. नहीं टूटने वाला। अणनामी-(वि०) १. बिना नाम वाला। २. नहीं हारने वाला । ३. पूर्ण । अखंड। २. किसी के आगे नहीं झुकने वाला। ४. वीर। प्रनम्र । ३. हठी। ४. जो किसी को अपने अणभंग नर-(न०) १. नहीं झुकने वाला आगे नहीं झुका सका । निर्बल । वीर नर । २. पराजित नहीं होनेवाला ५. जिसने किसी को अपने आगे नहीं वीर पुरुष ।। झुकाया। ६. उदार । अरणभावतो-(वि०) १. अरुचिकर । प्रणपटौं-(वि०) वह जिसके पास जागीरी अप्रिय । २. पेट भरा हुआ होने से जो (का पट्टा) न हो । बिना जागीरी वाला। भावे नहीं। For Private and Personal Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अणभ अरण - ( न० ) अनुभव । ( वि०) निडर । अभय । अरणमरण - ( ना० ) १. अप्रसन्नता । नाराजगी । २. अनबन । श्ररणवरण । रणमरणो- (वि०) अनमना । उदास । अरणमानेतरण -- ( ना० ) पति द्वारा सम्मानित या उपेक्षित पत्नी । स्नेहाभाव और सम्मानाभाव वाली पत्नी | ( वि०) उपेक्षिता । ( २६ ) अरणमानेती - दे० अणमानेतरण | रणमा - ( वि०) १. जो मापने में नहीं आये । २. असीम । श्रपार । श्रमाप । रणमा - ( क्रि०वि०) १. बिना माप किये । २. बिना विचार किये । ३. बहुत अधि कता से । हलवाड़ो-पाट अरणवरणत - ( ना० ) अनबन । मनमुटाव । अरणवर - ( उ०जा० ) विवाह काल में वर राजा के साथ में रहने वाला उसका मित्र या कोई अन्य पुरुष । इसी प्रकार दुलहिन के साथ रहनेवाली उसकी सहेली । प्ररणवंछित -- ( वि० ) अवांछित । ( न० ) गहना । अणवढ - (वि०) बिना काटा हुआ । ( ना० ) मित्रता । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शत्रु । अरणविद - ( न० ) मित्र | विसवास - (०) अविश्वास | बेएतबारी । अरणविसवासी - (वि०) बेएतबार । रणवींध -- ( विo ) बिना बींधा हुआ । अरणसमझ - (वि०) बेसमझ । मूर्ख | अरणसंक - ( वि०) निःशंक । निडर । असार - ( वि०) १. सार रहित । असार । निःसार । २. बेसम्हाल | बेपता । ३. इशारा । संकेत । अरसुणी - ( विo ) बिना सुनी हुई । अनसुनी । अरणमाव -- ( वि०) १. नहीं समाने वाला । २. नहीं समाया जा सके । ३. अधिक । बहुत । घणो । जादा । अरणमावतो - दे० प्ररणमाव | अमोट - ( न० ) निभिमान । ( वि० ) निभिमान । अरणमोल - ( वि०) १. अनमोल | अमूल्य । अमोल । २. बहुमूल्य । रण मौत - ( क्रि०वि०) १. बिना मौत प्राये । बेमौत | कुमौत | अरणराय - ( ना० ) १. कुविचार । २. विचारों अणसूत - (वि०) सूत्र में नहीं । अव्यवस्थित । ( न० ) १. प्रव्यवस्था । २ परंपरा का मंग । ३. विरुद्धाचरण । रणसंधी - (वि०) अपरिचित । प्रसंधी | अरणसोम - ( वि०) १. प्रशान्त । २. क्रूर । अरणहद - ( वि० ) खूब । असीम | अरणहद नाद - दे० अनाहत नाद । प्ररणहलनयर - दे० प्ररणहलवाड़ो - पाटण । (दे० अरणहलवाड़ो - पाटण । अरणहलपुरअरणरेस - (वि०) जिसको को कोई जीत अरणहलपुरो - ( वि०) १. प्रणहलपुरे का नहीं सके । श्रजेय । निवासी । २. गहलपुर के शासकों का विरुद या विशेषरण । अहलवाड़ी - दे० श्ररणहलवाड़ो - पाटण । की उथल-पुथल । संकल्प - विकल्प | ३. राय से मेल नहीं खाना । ४. उलटी राय । अरेह - ( वि०) बिना रेखा या श्राकार का । निराकार । अरणवट—(न०) स्त्री के पाँव का एक अणहलवाड़ी- पाटण - (न० ) प्रविश्वासी । For Private and Personal Use Only अरणहल गड़रिये के नाम पर वनराज चावड़ा द्वारा वि० सं० ६०१ बैशाख शुक्ल ३ को खात मुहूर्त करके गुजरात की राजधानी के Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्ररणहाल रूप में सरस्वती ( क्वारिका) के तट पर बसाया गया उत्तर गुजरात का इतिहास प्रसिद्ध नगर जो अब केवल पाटण नाम से प्रसिद्ध है । अरणहाल - (वि०) बेहाल | अरहित - ( न० ) १. प्रहित । २. हानि । अरहंत - ( वि० ) अनहोनी । असंभव । ( २७ ) प्रणती - (वि०) अनहोनी । श्रसम्भव । २. अनुचित । ३. व्यर्थ । श्रती । तो- (वि०) १. अनहोना । असंभव । श्रतो । २. अयोग्य । श्रजोग । ३. अनुचित । ४. व्यर्थं । ५. नहीं करने योग्य | अरणहोगी - (वि०) न होने वाली । नामुमकिन । ( ना० ) न होनेवाली बात या घटना । अांक - (वि०) १. निभर्यं । निशंक । २. वीर बहादुर । ( न०) गवं । अभिमान । कल – (वि०) १. चिन्ह रहित । बेनिशान । २. बेदाग | ३. निष्कलंक | निर्दोष । कव - ( न० ) निर्दोष । निरपराध । प्रांत-दे० अनंत | अणंद - दे० आणंद । अरणारणो - ( क्रि०) मंगवाना | लाने के लिये कहना । अरणाद - दे० श्रनाद । अणि पाणी अरणावड़त दे० अरण आवड़त । प्ररणावड़ो - ( न०) कुटुम्ब से अधिक समय तक दूर रहने कारण उत्पन्न होने वाली मिलने की तीव्र इच्छा । प्रियजन और कुटुम्बियों से मिलने की उत्कंठा । २. मन नहीं लगना । सिद्धियों में से अणिमा - ( ना० ) आठ प्रथम । प्रति सूक्ष्म रूप धारण करने की सिद्धि | अणिमादिक - ( ना० ब० व०) योग की अणिमा इत्यादि आठ सिद्धियाँ । अणियारो - दे० उणियारो । अणियाळ - ( ना० ) कटारी । (वि०) १. नोकदार | अनीवाली । पैनी । २. अनीपानी वाली | वीरांगना । ३. सुन्दर नेत्रों वाली । पैने नेत्रों वाली । अणियाळा - ( न० ब० व०) नेत्र । अरिणयाळी- दे० अरिणयाळ | अरिणयाळो -- ( न०) १. भाला । २. हरिण । ३. ऊंट (वि०) १. नोकदार । पैना । अणीदार । अनी पानी वाला । ३. वीर । सूरभो । अणियाँ - भँवर -- (न० ) १. सेनापति । २. योद्धा । करके | अरणारत - ( न० ) सुख । ( य०) सुखी । अरणाल -- ( न० ) असत्य | झूठ । कूड़ । ( विo ) शुष्क । अरणाळ - (वि०) नोकदार । पैनी । ( ना० ) कटारी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरणी - ( ना० ) १. सेना । २. शस्त्र की नोक । ३. कटारी । ४. तलवार । ५. लेखनी की नोक । ६. सीमा । (वि०) श्रेष्ठ । ( सर्व०) १. इस । २. इन । अरणीक - ( ना० ) १. सेना । २. युद्ध । अरणीपति - ( न०) सेनापति । अरणादर - ( न० ) अनादर । निरादर । अरणाम -- दे० श्ररण ग्रामय । अणीपळ - (श्रव्य ) अभी । इसी समय | अरणाय - ( क्रि०वि०) १. ला करके । मंगवा अरणी - पाणी - ( ना० ) १. साहस | हिम्मत | २. शक्ति । पराक्रम । ३. प्रोज । तेज । प्रताय । कान्ति । ४. शोर्य । वीरता ५. शक्ति और प्रतिष्ठा । ६. स्वाभिमान । ७. सामर्थ्य । हैसियत । ८ हौसला । उत्साह । ६. बुद्धिमता । १०. योग्यता । ११. मान-मर्यादा । For Private and Personal Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अणीमेळ । २८ ) अतरो अणीमेळ-(न0) सेनामों का आमने-सामने अणोखो-दे० अनोखो । आना । दो सेनाओं का मुकाबिला। अणोपती-(वि० ना०) १. बिना फबती। अरणी-रो-भंवर-दे० अणियाँ भँवर । २. अनुचित । बेठीक । अणीवाळो-दे० प्रणियाळो । अरणोपतो-(वि०) १. बिना बफता । २. अणीसुध-(वि०) १. सच्चा वीर । २. अनुचित । बेठीक । शुद्ध आचरण वाला। ३. संपूर्ण दोष अगोवम-(वि०) अनुपम । रहित । ४. अपने स्वरूप के अनुसार सभी अत-(वि०) अति । अधिक । प्रकार से सही रूप में तैयार की गई अतएव—(अव्य०) १. इसलिये । इसी (कोई वस्तु)। कारण से। अणु-(न०) सूक्ष्मकरण । (वि०) अति- अतकत-(ना०) ज्यादती । अत्याचार । सूक्ष्म । (वि०) अतिकृत । अत्याचारी। अणूब प-(न०) अरणुओं के विश्लेषण- अतखंभ-(न०) भाला। संश्लेषण से बना एक महा विनाशक अतगत-दे० अतकत । शस्त्र । एटम बॉम्ब । अतग—दे० अथग। अणुमात्र-(वि०) बहुत थोड़ा। अत चपळ-(न०) मन । अणुराव--(न०) १. प्रेम । अनुराग । अतरण-दे० अतन । आसक्ति । २. संकल्प-विकल्प । ३. अतन-(वि०) बिना शरीर का । (न०) उच्चाट । ४. उपेक्षा । ५. अनुकरण । कामदेव । अणुवाद-(न०) १. अणुओं का विज्ञान । अतबार-(न०) एतबार । भरोसा । २. एक आध्यात्मिक दर्शन। अतमल-(वि०) प्रबल वीर । अणुसार--(वि०) अनुसार । समान । अतमलो-दे० अतमल । सदृश । माफक । अतर-(न०) १. इत्र । अंतर । २. समुद्र । अरणत-(ना०) १. खोटी जिद । २. किसी अतरदान-(ना०) इत्रदान । अंतरदान । को हानि पहुँचाने की जिद्द। ३. बद- अतरा-(वि० ब० व०) इतने । इत्ता । माशी । ४. बेईमानी। ५. न होने योग्य इत्तरा । प्रत्ता। काम या बात। अतराज-(वि०) आपत्ति । एतराज । अणूताई-(ना०) १. नहीं करने योग्य (वि०) अप्रसन्न । नाराज । काम या बात । २. अशिष्ट व्यवहार। अतरा माँहै—(क्रि० वि०) इतने में । इत्ते अशिष्टता । ३. शरारत । बदमाशी। में। प्रणती-दे० अरणहती। अतरा में-दे० अतरा माँहै। अणूगे-दे० अरणहूंतो। अतरी-(वि० ना०) इतनी । इत्ती । इतरी। अरणरो--(न०) १. संशय । २. मनस्ताप । अत्ती। अणेसो--(न0) १. कहने-सुनने पर भी अतरं-(क्रि० वि०) १. इतने में । २. तब नहीं मानना। २. अाँख की लाज । सामने तक। ३. इसके बाद । इत्त । इतरै । होने की शर्म । ३. लिहाज । ४. संकोच। इतरे में । प्रत्ते में। ५. अंदेशा । आशंका । प्रदेसो । ६. अतरो-(वि०) इतना । इत्तो। इतरो। भरोसो। ७. दुख । ८. निराकांक्षा। प्रत्तो । For Private and Personal Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२१) प्रतुळी अतल-(न०) सात पातालों में से एक। अतिचारी-वि०) अति करने वाला। (वि०) तल रहित । अथाह । प्रथाग। अतिथि–(न०) १. मेहमान । पाहुना । अतलस-(न0) एक प्रकार का रेशमी पांवरणो । २. अचानक आया हुआ कपड़ा। मेहमान । ३. एक स्थान पर एक रात से अतलाग-ना०) १. अति स्नेह । २. पूर्ण अधिक नहीं ठहरने वाला संन्यासी। लगाव । ३. याद । स्मृति । अतिरिक्त-(वि०) १. बाद में जोड़ा या अतळ ज-(ना०) भोजनांश का श्वास बढ़ाया हुआ । २. अावश्यकता से अधिक। नली में चले जाने से गले में होने वाली . (क्रि० वि०) अलावा। सिवा । को छोडउलझन । कर । अतळो-(वि०) १. बुरा । खोटा । २. अतिरेक-(न०) १. अतिशयता । बहु अविश्वासी । ३. बिना पैंदे का । ४. वह लता । २. मर्यादा के बाहर होना । ३. जिसका तल नहीं दीखे। ___ व्यर्थ की वृद्धि। अतवेध-(न०) युद्ध । जुध ।। अति वरसरण-(न०) अत्यधिक वर्षा । अतंक-(न०) १. अातंक । रोव । दब- अतिवृष्टि । दबा । २. भय । अतिवृष्टि-दे० अति वरसण । अतंग-(वि०) १. जो तंग नहीं। कसा अतिशय-(वि०) आवश्यकता से अधिक । हुया नहीं। ढीला । २. संकीर्ण नहीं। अत्यधिक । । ३. स्पष्ट । अतिशयोक्ति-(ना०) १. बढ़ा-चढ़ा कर अतंत-(वि०) १. अत्यन्त । अधिक । दिखाना या कहना। २. इसी तथ्य का २. तत्वहीन । ३. तंत्र रहित । एक अर्थालंकार। अता-(वि० ब० व०) इतने अतिसार-(न०) आँव युक्त पतले दस्त अतारां-क्रि० वि०) १. इतने में । २. इस होने का रोग । (वि०) खूब । बहुत । समय । अभी । प्रबार । हमार । अतीत-(वि०) १. बीता हुआ । २. हमारू । निर्लेप । (न०) १. भूतकाल । २. अतारू-(क्रि० वि०) अभी । दे० अतेरू ।। संन्यासी। ३. अतिथि । (क्रि० वि०) अताळ-(वि०) १. अत्यन्त । बहुत । २. दूर । परे । अलग। तेज २. बेताल । (क्रि० वि०) शीघ्र । अतीथ-दे० अतिथि। जल्दी । बेगो ।उतावळ । अतीव-(0) बहुत अधिक । प्रताळो-(वि०) १. उतावला । तेज । फुर अतुकांत-(वि०) १. बिना तुक का । २. तीलो। २. जोशीला। अति-(वि०) १. अत्यन्त । बहुत । (ना०) ___अन्त्यानुप्रास विहीन । (ना०) तुक बिना __ की कविता। १. अधिकता। २. ज्यादती । अत्याचार। अतुल-(वि०) १. जिसे तोला न जा सके । अतिक्रम-(न०) १. मर्यादा का उल्लंघन। बहुत अधिक। २. तुलना रहित । बेजोड़। सीमा से आगे बढ़ना। २. नियम भंग । ३. असमान । प्रागे निकल जाना। अतुळी-(वि०) १. जो तोला नहीं जा सके। अतिचार-(न०) १. मर्यादा का उल्लघन ।। अतुल्य । २. अपरिमित । ३. जिसकी औचित्य भंग । तुलना नहीं की जा सके। For Private and Personal Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मतुळीबल प्रथडाणो अतुळीबळ-(वि०) अतुलित शक्तिशाली। अत्याचारी-(वि०) १. अत्याचार करने __ अतुल बल वाला। वाला। जुल्मी । जालिम । २. पापी । अतू-दे० अत्त । बलात्कारी। अतूट- दे० अटूट अत्यावश्यक-(वि०) अति आवश्यक । अतूठ-(वि०) १. अतुष्ट । अप्रसन्न । २. बहुत जरूरी । असंतुष्ट । अत्युक्ति-(ना०) १. बहुत बढ़ा-चढ़ाकर अतूठो-दे० अतूठ । किया जाने वाला वर्णन । २. एक अर्था अतृप्त-(वि०) १. जो तृप्त न हो । लंकार । अतिशयोक्ति । असंतुष्ट । २. वासनाओं से पीड़ित । ३. अत्युत्तम-(वि०) अति उत्तम । श्रेष्ठ । ३. भूखा । भूखो। अत्रपत-दे० अतृप्त । अतेरू-(वि०) जो तैरना न जानता हो। अत्रि-(न०) सप्तऋषियों में से एक ऋषि । अतोट-(न0) वज्र। अत्रिप्त-दे) अतृप्त । अतोताई-(वि० ना०) १. अति उतावली। अथ-(अव्य) १. ग्रन्थ लिखना प्रारम्भ अधीर । व्यग्र । २. प्रोछे स्वभाव की। करने के पूर्व ग्रन्थ के नाम के पहले लिखा ३. झगड़ालू । कलहप्रिया। जाने वाला प्रारम्भतार्थक शब्द, जैसेअतोतायो-(वि०) १. उतावला । २. अोछे 'अथ श्रीहरिरस गुण लिख्यते ।' २. ग्रन्थ स्वभाव का । ३. झगड़ालू । समाप्ति पर लिखा जाने वाला 'इति' अतोल-(वि०) १. जो तोला न जा सके । शब्द का विपरीतार्थ शब्द । ३. ग्रन्थ के २. अतुल । ३. अपार । (न0) पर्वत । प्रारंभ में लिखा जाने वाला मंगलार्थक अत्तार--(न०) इत्र बनाने तथा बेचने शब्द । ४. प्रारंभ सूचक मांगलिक शब्द । वाला। ५. आरंभ । प्रारंभ । शुरू । (न०) अत्ती-(वि० ना०) इतनी । इतरी। १. धन । सम्पत्ति । अर्थ। प्राथ । २. अत्त -(न०) १. खत (ऋणपत्र) के रुपयों अस्त । ३. मृत्यु । (क्रि० वि०) अनन्तर । की ब्याज रहित वसूली। ऋणपत्र की अथक-(वि०) १. नहीं थकने वाला । २. समस्त वसूली। २. खत या खाते की नहीं थका हुा । ३. बिना थके हुए। मयाद बढ़ाने के लिये उसके खतम होने अथग-(वि०) जिसका थग नहीं । अत्यके पूर्व जमा की जाने वाली रकम । धिक । २. अथाह । लखेवरगो। अथगणो-(क्रि०) १. रुकना । ठहरना । अत्तो-(वि०) इतना । इतरो। थगरयो । २. नहीं रुकना ३. ढेर लगाना। अत्थ-(न०) अर्थ। धन । सम्पत्ति। प्राथ। थग लगारणी । ४. ढेर उठाना। अत्यधिक-(वि०) बहुत अधिक । हद से अथघ-दे० प्रथग । ज्यादा। अथड़ा-अथड़ी--(प्रव्य० ब० व०) १. बारअत्यंत-(वि०) बहुत अधिक । मर्यादा से बार लगने वाली टक्करें। टक्करों। पर बाहर। टक्करें । २. लड़ाई । झगड़ा । ३. हाथाअत्याचार-(न०) १. जुल्म । ज्यादती। पाई। २. पाप । ३. अधर्माचरण । ४. बला- अथडाणो--(क्रि०) १. टकराना । २. त्कार। तकरार होना । ३. हाथापाई होना । For Private and Personal Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ३१ ) sunaut ४. लड़ना ५. भिड़ना । भिड़रणो । प्रथड़ावरणो-- दे० अथड़ाणो । अथमरणो - ( क्रि०) १. प्रस्त- होना । २. नष्ट होना ( न० ) पश्चिम दिशा । अथर - (वि०) अस्थिर । अथर्व - ( 10 ) एक वेद का नाम । अथवा - ( अव्य० ) एक वियोजक श्रव्यय । या । वा । किम्वा । के । अथाग- दे० प्रथाघ । 1 अथाघ - - ( वि० ) १. जिसकी थाह न लग सके । अथाह । २. अत्यधिक । ३. अपार । ४. गंभीर । गहरो । अथारणो- ( न०) १. अचार | प्रथाना । २. कचूमर । अथाह - दे० प्रथाध । थिर - (वि०) स्थिर । चलायमान । प्रथी - ( ना० ) धन सम्पत्ति । प्रयोग - ( वि० ) अथाह । अथोड़ - (विo ) थोड़ा नहीं । पर्याप्त । अद - ( न० ) १. मान प्रतिष्ठा । आदर । २. मूल्य । मोल । ३. पर्वत । ३. भोजन । अदग - ( वि०) १. बेदाग । निष्कलंक । २. निरपराध । प्रदत - ( वि०) कृपरण | कंजूस । प्रदतार - (वि०) कृपरण | कंजूस | प्रदत्ता - (वि०) कुमारी (कन्या) । क्वांरी । अदद - ( न० ) १. संख्या । २. गिनती । तादाद । अदन - ( न० ) भोजन । अदनो- (वि०) १. साधारण । मामूली । २. तुच्छ । ३. नीच । अदब- ( न० ) १. विवेक । २. मर्यादा । ३. प्रतिष्ठा । श्रादर । ४. शिष्टाचार । सभ्य व्यवहार । ४. ढंग । तरीका । ५. लिहाज । अदबुदजी — दे० अदभुतजी । अदबे - ( क्रि०वि०) १. अपेक्षाकृत । २. संभव Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रदव तया । ३. थोड़ा बहुत । थोड़ोधरणो । अदभुज - ( न० ) उद्भिज । वृक्ष । पेड़पौधा । अदभुत — दे० अद्भुत । अदभुत जी - ( न० ) एक लोक देवता । अदम - ( वि० ) १. जिसका दमन नहीं हो सके । अदम्य । २. दमन रहित । स्वतंत्र । ( न०) किसी चीज के बात या काम के न होने की अवस्था । प्रभाव । जैसे-प्रदमसबूत । अदम हाजरी इत्यादि । अदमकारबाई ( ना० ) कार्यवाई न हो सकना । अदम पैरवी । दम पैरवी - ( ना० ) मुकदमे की पैरवी का नहीं हो सकना । कार्यवाही का अभाव | अदमसबूत - ( न० ) प्रमाणाभाव । दमहाजरी - ( ना० ) गैर हाजरी । ग्रनुपस्थिति । अदम्य - ( वि० ) जिसका दमन न हो सके । प्रबल । अदर - - ( न० ) बारण । तीर । अदरक - (न०) ताजा, हरी सोंठ । प्रदरख । श्रादो । प्रदरस - ( वि० ) अदृश्य । लुप्त । प्रदर्श । प्रदरसरण - ( न० ) प्रदर्शन । अविद्यमानता । ( वि० ) अदृश्य । अदरा - ( न०) आर्द्रा नक्षत्र । प्रदर्शन - दे० प्रदरसण | अदल- ( न० ) न्याय । इंसाफ । ( वि०) पक्का | सच्चा । अदल-इंसाफ (न० ) पक्का इंसाफ । पक्षपात रहित न्याय । For Private and Personal Use Only अदल न्याव - दे० अदल-इंसाफ । अदल-बदल - ( न० ) परिवर्तन | उलट पलट । अदला बदली - ( ना० ) १. अदला-बदली । परिवर्तन । २. हेरफेर । ३. आदानप्रदान । अदव - (वि०) कृपण | कंजूस । Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रदोखी प्रदवो ( ३२ ) अदवो-दे० अदव। अदीन--(वि०) १. धनवान । २. तेजस्वी। अदंत-(वि०) १. जिसके दांत न हों। ३. उदार । ४. दीनता रहित । निडर । दंतहीन । २. जिसके दांत न निकले हों। अदीह-(न०) १. बुरा दिन । कुदिवस । (ऊंट, बैल)। २. रात। अदा-(ना०) हावभाव । नखरा । अंग- अदुद-(वि०) निद्वंद्व । द्वाभाव । मंगी। (वि०) चुकता । बेबाक । अदूर-(क्रि०वि०) जो दूर न हो । निकट । अदाकरणो-(न०) चुकता करना २. कर्जा अदूरदर्शी-(वि०) १. अोछी दृष्टि का चुकाना। ३. निभाना । पालन करना । २. दूर की नहीं सोच सकने वाला। आगे (फर्ज का)। की नहीं सोचने वाला ३. मोटी अक्ल का। अदाग--(वि०) बेदाग। अदूरदर्शिता-(ना०) अदूरदृष्टि । नासअदागी-(वि०) १. बेदाग । २. निर्दोष । मझी । बेअक्ली। ३. निर्मल। अदृढ़-(वि०) १. जो दृढ़ नहीं। नामजअदाता-(वि०) कंजूस । सूम। बूत । २. अस्थिर। अदातार-दे० प्रदाता। अदृश्य-(वि०)१. जो देखा नहीं जाए । जो अदानी-(वि0) कंजूस । कृपण । दिखाई न दे । २. लुप्त । ३. अगोचर । अदाप-(न०) अदर्प । निरभिमान (वि०) अदृष्ट-(वि०) न देखा हुआ। लुप्त । दपरहित । अदर्प । निरभिमानी। (न०) १. भाग्य । २. दैवी प्रकोप । प्रदीठ। अदायगी-(ना०) ऋण को चुकता करने की क्रिया। अदा करने की क्रिया या अदृष्ट फल-(न०) भाग्य । अदृष्टि-(ना०) खराब दृष्टि । कुदृष्टि । भाव। अदेखाई-(ना०) ईर्ष्या । डाह । अदालत-(ना०) न्यायालय । अदेख्यो-(न०) ईर्ष्या । डाह । (वि०) अदावत-(ना०) शत्रुता । बैर । अदावती-(ना०) शत्रुता । ईर्ष्या । नहीं देखा हुआ । अदेखा। अदावदी-दे० अदावती। अदेव-(न०) असुर । राक्षस । (वि०) कृपरण। अदिठ-(वि०) जिसको कभी देखा नहीं। अदेवाळ-(वि०) १. कृपण । कंजूस । अदृष्ट । अनदेखा। २. नहीं देनेवाला। अदियण-(वि०) कृपण । कंजूस । अदेवो-(वि०) कृपण। अदिस-(वि०) दिशा रहित । अदेस-(न०) १. आदेश । प्राज्ञा । अदिस्ट--(वि०) अदृष्ट । २. प्रणाम । ३. असभ्यदेश । प्रसंस्कृत अदीठ--(न०) १. पीठ का एक व्रण। देश। कदेश । २. अदृष्ट । भाग्य । (वि०) अदृष्ट । अदेह-(वि०) १. बिना देह का । अशरीरी। अनदेखा । (क्रि०वि०) दृष्टि से परे । २. कृपण । (न०) १. कामदेव । अदीठ चक्कर--(न०) अदृष्ट चक्र । देवी २. परब्रह्म। प्रकोप। अदोख- (वि०) निर्दोष । अदीत--(न०) प्रादित्य । सूर्य । (वि०) अदोखी-(वि०) १. निर्दोषी । निरपराधी। न दिया जाने वाला। २. किसी का बुरा नहीं चाहने वाला। अदीतवार--(न०) रविवार । सूरजवार । ३. अद्वेषी। For Private and Personal Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रधनो पदोड़ी प्रदोड़ी-(न०) मरे हुए गाय, बैल का अधकंठ-(ना०) गले की रक्षार्थ पहनी साफ किया हुआ आधा चमड़ा । प्रधोड़ी। जाने वाली लोहे की एक जाली । अदोळी-दे० अधोळी । ___ कंठत्रारण। अद्ध-(वि०) प्राधा। अधकाचो-(वि०) अधकच्चा । अपरिअद्धो--(वि०) आधा । (ना०) आधी पक्व । बोतल। अधकायो-(वि०) जिसमें आधी दूसरी अद्भ त-(वि०) १. चकित कर देनेवाला। धातु मिली हो ( सोना या चांदी )। २. विचित्र । (न०) आश्चर्य । प्रधखायो। अद्यावधि-(क्रि०वि०) १. आजतक । अधकालो-(वि०) १. प्राधापागल । अर्द्ध २. अभीतक । विक्षिप्त । २. मूर्ख । अद्रक-(न०) १. हरी, ताजी सोंठ । अधकिचरियो-दे० अधकचरियो । __ अदरक । प्रादो। २. भय । अधकिचरो–दे० अधकचरो। अद्रि--(न०) १. पर्वत । २. वृक्ष । अधकेरो-(वि) १. तुलना में अधिक । अद्रिजा--(ना०) पार्वती । गिरिजा। २. आवे के आसपास । अद्वितीय-(वि०) जिसके समान दूसरा न अधकोस-(न०) प्राधाकोस । एकमील । हो । अनुपम । (न0) परब्रह्म। प्रधगाऊ। अद्वैत-(वि०) द्वत रहित । भेदरहित । अधखड़-(वि०) १. प्रौढ़ । अधेड़ । अद्वैतवाद-(न०) जीव और ईश्वर की २. आधा जोता हुआ । आधा खड़ा हुआ तथा जड़ और चेतन की एकता का (खेत) । वैदिक सिद्धान्त । वह सिद्धान्त जिसके अधखायो--(वि०) आधा खाया हुआ । अनुसार यह संसार मिथ्या है और सकल थोड़ा खाया हुआ। आधा पेट । दे० विश्व की उत्पत्ति ब्रह्म से ही है। जीव अधकायो । और ब्रह्म की एकता का तथा जगत अधखिरण-(न०)१. प्राधा क्षण । (वि०) मिथ्या और ब्रह्म सत्य का वेदान्तमत । २. प्राधा खोदा हुआ। अधखुलो-(वि०) आधा खुला हुआ। अध-(वि०) प्राधा । (अव्य०) नीचे । अधगहलो-दे० अधकालो। तले । हैठे। अधानो-(न०) दो पैसों का सिक्का । अधगाळ -(अव्य०) अधबिच में। बीच में । प्राधे गाळे । अघना । (स्वराज्य पहले का)। अधकचरियो-(वि०) १. पूरा कुटा-पीसा अधगावळो-(वि०)१. अशक्त । कमजोर । २. अंगहीन । नहीं । दरवरो । २. अधुरा । अधगैलो-दे० अधगहलो । अधकचरो-दे० अधकचरियो । प्रधघड़ी-(ना०) १. आधी घड़ी । अधकच्चो-दे० अधकाचो। २. थोड़ी बार। अधकरण–दे० अधकर। अधड़-(न०) १. शत्रु । २. राहु । अधकपाळी-(ना०) आधे सिर की पीड़ा। अधन्नी-(ना०) आध आने का सिक्का । आधासीसी । सूर्यावर्त । प्राधानी। अधकर-(वि०) पूरे की तुलना में परि- अधन्नो-(न०) आध आने का सिक्का । मारण में प्राधा । माधो। प्राधो मानो। प्राधानो। For Private and Personal Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अषपाव (४) अधरण प्रधपाव-(न०) प्राधे पाव का तौल। अधर-(न०) १. ओंठ। होंठ। २. नीचे (वि०) जो तौल में आधा पाव हो। का होंठ । ३. बिना प्राधार का स्थान अधफर-(न0) १. पर्वत या टीवे का मध्य या वस्तु । ४. आकाश । (वि०) १. न भाग। २. मध्यान्तर । आधी दूरी । इधर का न उधर का। बीच का। ३. आकाश । अंतरिक्ष । ४. मरण-शौच २. बिना आधार का । ३. जो धरती पर वालों के बैठने की चटाई या बिछावन । न हो । ४. लटकता हुआ। (क्रि० वि०) अधप्रस्तर । बीच में। अधबळियो-(वि०) अधजला । अधरज-(ना०) होठों की लाली । अधबिच-(न0) मध्य । बीच । अधबीच। अधरत-(ना०) आधी रात । अध बिचलो-(वि) १. बीच का । अधरतियो- (वि०) १. आधी रात से २. आधी दूरी का। ___ संबंधित । २. आधी रात में सम्पन्न होने अधबीच-(न०) किसी विस्तार या वाला। लम्बाई का मध्य भाग। (क्रि० वि०) अधरपान-(न०) होठों का गहरा चुंबन । बीच में। अधरबंब-(वि०) अधर में लटका हुआ । अधबूढ-(वि०) प्रौढ़ । अधेड़ । (क्रि० वि०) १. न नीचे न ऊपर । २. न अधबेगड़ो-(न०) १. एक हिंसक पशु । इधर न उधर । (वि०) वर्णसंकर । अधरबिंब-(न0) बिम्बफल के समान अधम-(वि०) १. नीच । २. दुष्ट । लाल होंठ । ३. पापी। अधरम-(न०) १. अधर्म । पाप । कुकर्म । अधम-उधारण-(न०) अधमों का उद्धार २. अकर्तव्य कर्म । ३. श्रुति-स्मृति करने वाला । प्रभु । ईश्वर । परमात्मा। विरुद्ध कर्म या पाचरण । अधमण-(न०) आधे मन का तौल। अधरमी-(वि०) अधर्मी। पापी। दुरा (वि०) जो तौल में प्राधा मन हो। चारी । कुकर्मी । अधमणियो-(न0) प्राधे मन का तौल। अधरयरण-(ना०) आधी रात । अधमणीको-(न०) आधे मन का तौल। अधर रस-(न०) १. अधर में से टपकने अधमता-(ना०) नीचता । नीचपरणो। वाला रस । अधरामृत । २. अधर चुंबन अधमरियो-(वि०) १. मृतप्रायः । का आनंद। मृत्यु के पास पहुंचा हुआ। अधमरा। अधरसुधा-दे० अधरामृत । २. अत्यन्त निर्बल । अधमरो। अधराजियो-(न०)१. राजा। अधिराज । अधमरो-दे० प्रघमरियो। २. सामंत । ३. बड़ा जागीरदार । अधमाई-(ना०) १. अधमता । नीचता। ४. प्राधे राज्य का स्वामी। २. कुटिलता । ३. अपवित्रता । अधरारणो-दे० अधवराणो। अधमीच-दे० अधमरियो। अधरात-(ना०) आधी रात । अधमीची-(वि०) आधी मीची हुई अधरामृत-(न०) १. प्रिय के होंठों को (अांखें) । अर्द्ध उन्मीलित । चूमने से मिलने वाला मिठास या अधमुमो-दे० अधमरियो। अानन्द । २. अधर रस रूपी अमृत । अधमुयो-दे० अधमुनो। अधरैण-(ना०) आधी रात । अषरयण । For Private and Personal Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मधर्म । ३५) अधिकाणी अधर्म-दे० अधरम। अधसेरी-(ना०) आधे सेर का तौल । अधर्मी-दे० अधरमी। अधसेरो-(न०) प्राधे सेर का तौल । अधवच-दे० अधविच । अधंतर--(न०) १. आकाश । २. आधी अधवचलो-दे० अघ विचलो। दूरी । ३. मध्य । (वि०) १. ऊंचा। २. नीचा। अधवचाळ-दे० अधविचाळ । प्रधानो-(न०) १. प्राधा आना। २. आधे अधवधरो-(वि०) १. अपूर्ण । २. अधूरा। आने का सिक्का। ब्रिटिश काल के दो ३. अपरिपक्व । ४. कम बुद्धिवाला। पैसे का सिक्का । अधन्ना । कच्ची समझ वाला । ५. नासमझ। अधायो-(वि०) १. अतृप्त । २. भूखा । अधवराणो- (वि०) १. जो आधा पुराना अधार-(न०) प्राधार । सहारा । हो गया हो । न नया न बिल्कुल पुराना। अधारी-(ना०) साधुओं के हाथ के सहारे जो पूरा पुराना नहीं हुआ । २. अर्द्ध व्य का काठ का बना हुआ टेका। वहृत। प्रधवाली- (ना०) आधी पायली का अधार्मिक-(वि०) १. जो धर्मानुसार न हो । २. धर्म रहित । ३. धर्म के माप। (वि०) आधी पायली के माप विरुद्ध । का । आधी पायली जितना। अधि--(उप०) शब्द के पहले आने पर अधवावरियो-(वि०) १. आधा काम में ___ 'मुख्य', 'श्रेष्ठ', 'अधिक', 'ऊपर' इत्यादि लिया हुआ । २. आधा खर्चा हुआ। अर्थ बताने वाला उपसर्ग । अधविच-(न०) बीच । मध्य । अधबीच। अधिक-(वि०) १. ज्यादा । विशेष । (क्रि० वि०) बीच में। बहुत । २. फालतू । अतिरिक्त । (न०) अधविचलो-(वि०) १. बीच का । एक काव्यालंकार । २. आधी दूरी का। अधिकतम-(वि०) सबसे अधिक । अधविचाळ - (अव्य०) १. बीच में । अध- मैक्सिमम ।। बिच में। (वि०) बीच में रुका हुआ। अधिकतर-(क्रि० वि०) १. दूसरे की ३. बीच में लटका हुआ। अपेक्षा अधिक । तुलना में अधिक । अधवीच-(न०) किसी विस्तार या लंबाई २. आधे से अधिक । ३. प्रायः। अकका मध्य भाग। सर । बहुत बार । अधवीटो-(वि०) १. अर्द्ध वेष्टित । अधिकता-(ना०) बहुतायत । प्राधिक्य । २. अधूरा किया हुआ । अधूरा छोड़ा अधिक मास-(न०)मलमास । लौंद का हा । असमाप्त । अपूर्ण। महीना । पुरुषोत्तम मास । अधसीजो-(वि०) १. आधा सिका हुआ। अधिकरण-(न०) १. आधार । सहारा । २. आधा सीजा हुआ। ३. प्राधा पका २. क्रिया के आधार का बोधक सातवां हुमा । ४. अपक्व । ___ कारक (व्या०) ३. प्रकरण । ४. न्यायाप्रधसूको-(वि०) प्राधा सूखा और आधा लय । ५. विभाग । महकमा । गीला । जिसमें थोड़ी नमी है। जो पूरा अधिकाई-(ना०) १. अधिकता। विशेषता। शुष्क नहीं हुआ है। २. विलक्षणता । ३. महिमा । गौरव । अधसेर-(०) आधा सेर का तौल। अधिकारणी-(क्रि० वि०) ज्यादातर । (वि०) जो तौल में प्राधा सेर हो। बहुधा । घणो करने । For Private and Personal Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अधिकार मालो अधिकार-(न०) १. स्वत्व । हक । अधियाव-(दे०) अधियाळ । २. उत्तरदायित्व । जिम्मेदारी। ३. कब्जा। अधियो-(दे०) अडधियो । पूरी बोतल आधिपत्य । ४. वश। इख्तियार । (के माप) से आधे परिमाण की बोतल । ५. उचित दावा। ६. विषय का पूर्ण अधिराज-(न०) सम्राट । महाराजा। ज्ञान । ७. उच्च योग्यता। ८. पद। अधिवर्ष-(न०) २६ फरवरी वाला वर्ष । ६. शक्ति। १०. प्रकरण । ११. सत्ता। लीप-ईयर । हुकूमत । १२. वाक्य में शब्द का संबंध । अधिवास-(न०) १. रहने की जगह । अधिकारी-(वि०) १. हकदार । २. योग्य। २. दूसरे के यहां रहना। ३. दूसरे देश पात्र । ३. समर्थ। (न०) १. अधिकार- में जाकर रहना । सम्पन्न व्यक्ति । २. योग्य व्यक्ति । अधिवासी-(वि०) १. दूसरे देश में बसा ३. अफसर। हुआ । २. निवासी। अधिकांश-(न०) १. अधिक अंश। बडा अधिवेशन–(न०) १. जलसा, सभा, सम्मेहिस्सा। २. आधे से अधिक भाग। (वि०) लन आदि की बैठक । २. इकट्ठा होकर बहुत सा । (क्रि० वि०) १. बहुधा ।। बैठना । ३. सम्मेलन । सभा । जलसा । ज्यादातर । २. प्रायः । अकसर। अधिष्ठाता-(न०) १. व्यवस्था या अधिकृत-(वि०) १. अधिकार से युक्त। प्रबन्ध करने वाला। २. देखभाल करने २. अधिकार में पाया हुआ। ३. अधिकार वाला। ३. प्रमुख । ४. मालिक । ५. ईश्वर । में किया हुआ। ४. जिसे किसी कार्य अधिष्ठान--(न०) १. रहने का स्थान । करने का स्वत्व प्रदान किया गया हो। वास-स्थान । २. नगर । जनपद । ५. सत्ता प्राप्त। ३. पड़ाव । ४. संस्था और उसके कार्यअधिकेरो-(वि०) १. अधिक । २. तुलना कर्तायों इत्यादि का समह । ५. शासन में अधिक । ३. जाति, गुण, परिमाण तथा उसकी व्यवस्था, नियम इत्यादि । इत्यादि की तुलना में अधिक। अधिष्ठायक-(दे०) अधिष्ठाता। अधिको-(वि०) १. अधिक । २. विशेषता अधीश-(दे०) अधीस । युक्त। अधीश्वर-(दे०) अधीसर । अधिदेव-(न०) १. इष्टदेव । २. मुख्य अधीस-(न०) १. अधीश । ईश्वर । अधिष्ठाता देव । ३. रक्षक देव । २. राजा । ४. परमेश्वर । अधोसर-(न०) १. अधीश्वर । ईश्वर । अधिनायक-(न०) १. मुख्य नायक । २. राजा। मुखिया । सरदार । २. तानाशाह । अधूरो-(वि०) १. अपूर्ण। अधूरा । अधिपति-(न०) १. राजा । २. प्रधान २. शेष रहा हुआ। शेष । बाकी । अधिकारी ३. स्वामी । मालिक । अधेड़-(वि०) प्रौढ़। जिसकी युवावस्था अधिमास-(न०) मलमास । समाप्ति पर हो। अधियार-(दे०) अधियाळ । अधेली-(ना०) आधे रुपये का सिक्का । अधियाळ-(वि०) प्राधा। (न०) १. प्राधा अठन्नी । पाठानी । भाग। २. आधे हिस्से का मालिक । अधेलो-(न0) आधे पैसे का सिक्का । ३. जोत में आधा हिस्सेदार । धेला । For Private and Personal Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ३७ ) प्रखण प्रखरण - ( क्रि०वि०) श्रात्रे क्षरण में । धो- प्रध - (वि०) बराबर प्राधा । श्राधा । श्राधो- प्राध । अधोक्षज दे० धोखज | धोखज - ( न० ) अधोक्षज | विष्णु । परब्रह्म । अधोगत - ( ना० ) अधोगति । अवनति । पतन | ( वि० ) अवनत । पतित । अधोगति - ( ना० ) पतन | दुर्दशा । प्रधोड़ी - ( ना० ) १. खेती में बाधा भाग । २. आधे भाग की खेती । ३. मरे हुए गाय-बैल का साफ किया हुआ प्राधा चमड़ा । अधोतर - ( न०) १. अधोवस्त्र । धोती । २. मोटा कपड़ा । धोकर — दे० अधफर । श्रधोळी - ( ना० ) १. घी, दूध, तैल इत्यादि लेने का और माप का लम्बी डंडीवाला एक पात्र । २. आधे पाव या आधे सेर का ऐसा माप । ३. खेती में आधा भाग । अधोलोक - ( न०) १. नागलोक । २. पाताल। अधोवस्त्र - (To) कमर के नीचे पहना जाने वाला कपड़ा धोती, लुंगी इत्यादि । अधोवायु - ( न० ) अपान वायु । पाद । गोज । अध्यक्ष - ( न० ) १. स्वामी । मालिक । २. सभापति । अध्ययन - ( न० ) १. पठन-पाठन । २. पढ़ना ३. अभ्यास । अध्यवसाय - ( न० ) १. अनथक प्रयत्न । २. उत्साहपूर्वक परिश्रम वाला । अध्यात्म - ( न० ) श्रात्मा-परमात्मा से संबंधित चिन्तन या दर्शन । ब्रह्मविचार | अध्यात्मविद्या -- ( ना० ) ग्रात्मा-परमात्मा से सम्बन्धित शास्त्र । ब्रह्मविद्या । प्रध्यापक ( न०) १. पढ़ाने वाला । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नकोट शिक्षक । २. गुरु 1 अध्यापन - ( न० ) १. अध्यापक का काम । पढ़ाना । २. पठन । अध्यापिका - ( ना० ) शिक्षिका । अध्याय -- ( न० ) ग्रन्थ का परिच्छेद । प्रकरण । अध्यास - ( न० ) १. मिथ्याज्ञान । २. भ्रम । धोखा | अध्याहार - ( न० ) १. अस्पष्ट आशय ढूंढ निकालना । निष्कर्ष निकालना । २. छानबीन । जांच पड़ताल । २. ऊहापोह । तर्कवितर्क । अधम- दे० अधर्म | मी- दे० अधर्मी । अधियामणी - ( ना० ) १. कटारी । २. तलवार । ३. वीरांगना । (वि० ) १. विनाशकारी । २. जाज्वल्यमान | प्रज्वलित । ३. डरावनी । भयंकर । अधियामरणो- (वि०) भयंकर | डरावना । २. पराक्रमी । वीर । अन - ( अव्य० ) निषेध, विरोध, प्रभाव आदि के अर्थ में प्रयुक्त एल उपसर्ग । ( क्रि०वि०) बिना । बगैर । ( वि० ) अन्य | दूसरा ( न० ) अन्न | अनन्न - ( क्रि०वि०) १. अन्योन्य । आपस में । परस्पर । २. एक-दूसरे के संबंध | ( वि०) एक-दूसरे के साथ दियालिया जाने वाला । अन अवसर -- ( न० ) कुसमय । असमय । अनइ - ( क्रि०वि०) और । resererit - (fro) लगन से काम करने अनइच्छा - ( ना० ) इच्छा का प्रभाव । अनिच्छा | अरुचि । अनकार - ( वि०) १. वीर । २. कृपरण । ३. कायर । ( न० ) १. बिना प्रयोजन । २. इनकार । अनकारी - (वि०) जबरदस्त । अनकोट - - ( न० ) अन्नकूट । For Private and Personal Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रनथ-नथे प्रनख ( ३८ ) अनख-(न०) १. क्रोध । २. ईर्ष्या । है परन्तु कहा जाता है कि मैडागास्कर ३. दुख । के प्राणी संग्रहालय (ज) में एक पक्षी अनग-(वि०) १. मूढ़ । २. मोहित । Pterodactyls की हड्डियों के विशाल __३. आश्चर्य चकित । ढाँचे को रखने के लिए ही एक बड़ा अनघ-(वि०) निष्पाप । कमरा खास तौर से बनाया गया है। अनघड़-दे० अणघड़ । जिसमें उसे देखने को सजाया गया है)। अनचर-(न0) थलचर जीवों में वे जो अनड़पंखचर-(न०) हाथी । पटाझर । अन्नजीवी हैं। अन्नचर । अन्नजीवी। अनड़मेर-(न०) सुमेरू पर्वत । मेरगिर । मनुष्य । अनडर-(वि०) अडर । निडर । अनजळ-(न०) १. अन्नजल । दाना पानी। अनड़वान-(न०) १. बैल । बळव । २. २. जीविका । ३. संयोग । पर्वतवासी। अनज्ज-(न०) अनार्य । अनड़हेम-(न०) १. स्वर्णगिरि । सोनअनड़-(न०) १. पर्वत । २. दुर्ग । किला। गिर । २. हिमालय । ३. द्रोणाचल । ४. अनड़पक्षी । ५. राजा। अनडाँ-अनड-(वि०) १. उद्दड़ों को दंड ६. हाथी । (वि०) १. वीर । बलवान । देने वाला । २. वीर । जोरावर । २. नहीं झुकने वाला । अनम्र । उद्दड । अनडाँनड़-दे० अनडाँ-अनड़ । ३. बंधन रहित । अनड़ी-(वि०) १. अनाड़ी। २. मूर्ख । अनड़नड़-(वि०) उद्दडों को सर करने (ना.) १. अनाड़ीपन । २. मूर्खता । वाला। अनडीठ-(वि०) अदृष्ट । बिना देखा । अनड़ाडो-(वि०) अरावली पर्वत । प्रदीठ । पाडावळो। अनडुह-(न०) बैल । बळव । अनड़पंख--(न०) एक बहुत बड़ा और अनडू-(न०) बैल । बळद । बलवान पक्षी। भारंड । अनलपंख । अनद--(न०) गढ़ । किलो । दुर्ग । इसके संबंध में ऐसी किंवदंती है कि यह अनत-(वि०) १. अनंत । २. दूसरा । सदैव आकाश में ही उड़ता रहता है। ३. नहीं झुकने वाला । ३. असीम । हाथियों के झुड के ऊपर आकाश में ही (न०) १. विष्णु । २. अनंत भगवान् । अंडा देता है और भूमि पर पहुँचने से ३. ईश्वर । ४. महादेव । (क्रि० वि०) पहले ही वह फूट जाता है बच्चा अंडे से अन्यत्र । निकल कर अपनी चोंच या पंजों में हाथी अनतद्वार-(न०) १. विष्णु लोक । स्वर्ग । को पकड़कर ऊपर उड़ जाता है । जिस अनता-(ना०) पृथ्वी । प्रकार गरुड़ सॉं का शत्रु माना जाता अनथ-वि०) १. वह जिसके नाथ नहीं है उसी प्रकार यह हाथियों का शत्रु माना डाली जा सकी हो। २. जो किसी के जाता है । कवि-प्रसिद्धि में भी ऐसे वश में नहीं हो सका हो। ३. उन्मुक्त । उल्लेख मिलते हैं, यथा--'धर जहर ४. उद्दड । ५. निरंकुश । ६. बिना नथ देखिया गुरड़ घंख, पेखिया पटाझर का। अनड़पंख ।' यह केवल कवि-प्रसिद्धि अनथ-नथ-(वि०) १. वश में नहीं होने (कवि समय की ही बात मानी जाती वालों को वश में करने वाला । पराजित For Private and Personal Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नय ( ३६) अना-नथ नहीं होने वालों को पराजित करने अनभिज्ञ--(वि०) १. अनजान २. मूर्ख । वाला। २. गविष्टों का गर्व नष्ट करने अनभ्यास-(न०) १. अभ्यास नहीं होना । वाला। २. आदत नहीं होना। अनयाँ-नथ-दे० अनथ-नथ । अनम-दे० अनमो। अनाँ -नथी-दे० अनथ-नथ । अनम-जायो-(न०) १. नहीं झुकने वाले अनदान-दे० अन्नदान । का पुत्र । २. वीर पिता का वीर पुत्र । अनदाता-दे० अन्नदाता । ३. वीर परंपरा को कायम रखने वाला अनधिकार-(वि०) १. बिना अधिकार वीर पुत्र । का । अधिकार रहित । २. अपात्र । (न०) अनमद--(न०) अन्न का नशा । अन्नमद । अधिकार के न रहने की स्थिति । वि०) १. मद रहित । २. गर्व रहित । अधिकार का प्रभाव । (कि० वि०) बिना अनमनो-(वि०) १. अन्यमनस्क । अनअधिकार के। मान २. उदास । ३. अस्वस्थ । अनधिकारी-(वि.) १. जिसे अधिकार अनमंध-(वि०) १. बंधन में नहीं आने न हो । अपात्र । २. अयोग्य । वाला । २. नहीं झुकने वाला । ३. प्रात्मअनधू-दे० अनढू । समर्पण नहीं करने वाला । ४. अजय । अनध्याय--(न०) वह दिन जिसमें शास्त्रा- ५. अपार । नुसार पढ़ने-पढ़ाने का निषेध हो । पढ़ाई अनमंधी-दे० अनमंध । नहीं करने का दिन। पढ़ने की छुट्टी। अनमाग्यो-असंख्य । (न०), १. अजयप्रगतो। वीर । २. शत्रु । (वि०) बिना मांगा अनन्य-(वि०) एक निष्ठ । हुआ। अनन्य भाव-(न0) एक निष्ठ भक्ति या अनमिख-(वि०) अनिमेष । लगन । अनमिळ-(वि०) बेमेल । बेजोड़ । (न०) अनपच-(न०) अजीर्ण । बदहजमी । शत्रु । अपचो। अनमित-(वि0) अपार । असंख्य । अनपारणी-देनजळ या अन्नजल । अनमी-(वि०) १. अनम्र । २. नहीं झुकने अनपूरणा-दे० अन्नपूर्णा । ___ वाला वीर। अनबन-दे० प्रणबण। अनमी कंध-(वि0) जबरदस्त । बलवान । अनबंध-दे० अनमंध । अनमीखंध-दे० अनमिकंध । अनबंधी-दे० अनमंध । अनमेख-दे० अनमिख । प्रनबाध-दे० अणबाध । अनमेळ—(न०) १. शत्रुता । बैर । २. अनबाँध-(वि०) बिना बँधा हुआ । खुलो। शत्रु । बैरी। खुलियोड़ो। अनमोल-(वि०) १. अमूल्य । २. बहुअनबूझ-दे० प्रणबूझ । मूल्य ३. श्रेष्ठ । अनबोल-(वि०) न बोलने वाला । बेज- अनम्म–दे० अनम । बान । गूगो। अनम्र-दे० अनम । अनबोला-दे० प्रणबोला । अनय-(न०) १. अन्याय । अनीति । २. प्रनभल-(न०) प्रहित । माफत । For Private and Personal Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनरगळ ( ४० ) अनंगार अनरगळ-दे० अनर्गल । अनळधक-(ना०) अग्निज्वाला । अनरथ-~दे० अनर्थ । अनळपंख-दे० अनड़पंख । अनरस-(न०) १. वैमनस्य । शत्रुता २. अनळपंखचर-(न०) हाथी । फूट । मनोमालिन्य । ३. विरसता। अनळपड़-(न०) पर्वत । उदासीनता । ४. शुष्कता। रसहीनता। अनळपुड़-(न०) पर्वत । ५. दुख । रंज । ६. दूसरा रस । अन्य- अनळहक-(अव्य०) एक अरबी वाक्य जिस रस । ७. अन्नरस । का अर्थ-'मैं खुदा हूं है । 'अहं ब्रह्मास्मि' का पर्याय पद। अनरीति-(ना.) १. कुरीति । २. नियम अनळा-दे० अनळा । __विरुद्ध आचरण । अनुचित बरताव । अनरूप--(वि०) १. कुरूप । २. असमान । अनवार-(वि०) दूसरा । (क्रि० वि०) दूसरी बार । (न०) अन्नजल ।। अनर्गल-(वि०) १. अनियंत्रित । बेध अनवी-(वि०) १. नहीं नमने वाला । ड़क । २. व्यर्थ । अंडबंड । ३. ऊटपटांग। वीर । २. अनम्र । ३. हठी । ४. उद्दड । अनर्घ-(वि०) १. बहुमूल्य । २. सस्ता ।। ५. अद्भ त कार्य करने वाला। (न०) अनर्थ--(न0) १. विपरीत अर्थ । अनिष्ट ख्यातों में प्रसिद्ध महारोट (मारोठ, मारकार्य । ३. बिगाड़ । उपद्रव । ४. जुल्म। वाड़) के रावत उद्धरण दहिये की महाअत्याचार । ५. बहुत बुरी बात । ६. वीरता का विशेषण । अवैध रीति से प्राप्त धन । ७. हानि । अनशन-(न०) १. किसी बात के विरोध अनर्थक-(वि०) निरर्थक । व्यर्थ । में किया जानेवाला अन्न त्याग । २. अनअनर्थकारी- (वि०) १. उल्टा अर्थ शन करके किया जाने वाला घरना । ३. अन्नत्याग । ४. उपवास । निराहार निकालनेवाला। २. अनिष्टकारी । ३. व्रत । हानिकारक। अनहद-(वि०) १. सीमा रहित । २. अनल-(न0) अग्नि । बेशुमार । ३. अत्यधिक । अनळ-(ना०) १. अग्नि । २. पवन । अनहदनाद-(न०) १. दोनों कान बंद करने अनिल । के पश्चात् ध्यान मग्न होने पर कानों में अनळकुड-(न०) १. अग्निकुंड । यज्ञ होने वाली ध्वनि । शब्द योग का अनहदकुड । २. आबू पर्वत के वसिष्टाश्रम के नाद । २. समाधिस्थ योगी के ब्रह्मरंध्र तीर्थस्थान का इतिहास-प्रसिद्ध यज्ञकुड, में होने वाला एक संगीत जिससे वह जिसमें वसिष्ट महर्षि ने यज्ञ करके, चार मस्त होकर ब्रह्म में लीन हो जाता है । वीर पुरुषों को क्षत्रीकुल में दीक्षित किया अनाहत-नाद। था, जो अग्निकुलोत्पन्न क्षत्री कहलाते अनंक-(वि०) चिन्ह रहित । हैं । मान्यता ऐसी है कि वसिष्ट ऋषि ने अनंख-(वि०) इच्छा रहित । उन्हें अग्नि में से उत्पन्न किया था, अनंग-(वि0) अंग रहित । (न0) अर्थात् अग्निदेव ने प्रसन्न होकर उन्हें १. कामदेव । २. श्रीकृष्ण का पुत्र उत्पन्न किया था। प्रद्युम्न । अनळझळ-(ना०) अग्निज्वाला । अनंगार-(न०) १. कोयला २. अनंगारि । मनळझाळ-(ना०) अग्निज्वाला । महादेव । For Private and Personal Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनंगारि ( ४१ ) अनामत अनंगारि-(न०) १. महादेव । अनागार-(वि०) बिना घरवाला । (न०) अनंगी-(न०) १. कामदेव । २. ईश्वर । साधु । संन्यासी। (वि) बिना अंग का। अनाघात-(वि०) १. अकारण । व्यर्थ । अनंगी कँवार-(न०) १. कामदेव । २. आघात रहित । ३. सुरक्षित ।। २. प्रद्युम्न। अनाचार-(न०) १. अत्याचार । दुराअनंगेश-(न0) महादेव । चार । २. अघटित घटना । अनंत-(वि०) १. अंत रहित । अपार । अनाचारी-(वि०) अत्याचारी । दुराचारी। असीम । २. बहुत । अधिक ३. चिर- अनाज-(न०) अन्न । नाज । धान । स्थायी । अविनाशी । (न0) १. पीपल अनाड़-(वि०) १. वीर । २. उद्दड । का वृक्ष । २. ईश्वर । ३. विष्णु। (न०) १. अड़चन । २. बिगाड़ । ४. अनंत भगवान् । ५. भादौं शुक्ल १४ ३. पर्वत । का व्रत । ६. शिव । ७. शेषनाग। अनाड़ी-(वि०) १. गंवार । २. मूर्ख । ८. शेषनाग के अवतार, लक्ष्मण । ३. हठी । जिद्दी । ६. बलराम । १०. देवता। ११. आकाश। अनाड़ीपणो-(न०) १. मूर्खता । २. गंवारू १२. भुजा का एक गहना । १३. विशेष पना । हठ । जिद । प्रकार की चौदह ग्रंथियों का एक सूत्र अनाडो-(वि०) १. उद्दड । २. वीर। जिसे भादों शुदी १४ के दिन अनंत भगवान् अनातम- (वि०) अनात्म । जड़ । के नैमित्तिक व्रत की दीक्षा लेकर भुजा अनाथ-(वि०) १. जिसके माता-पिता में बांधा जाता है। नहीं रहे हों (वह बालक)। २. जिसका अनंत चतुर्दशी-(ना०) भादौं शुक्ल पालन-पोषण करने वाला नहीं हो । चौदस, जिस दिन अनंत व्रत किया जाता ३. स्वामी रहित । ४. दीन । ५. बिना है। भावरवा सुदी चववस । नाथ का । निरंकुश । अनंतमूळ-(न०) एक औषधि । अनाथाँ-नाथ-(न०) अनाथों का नाथ । अनंतर-(क्रि०वि०) १. इसके बाद में। ईश्वर ।। २. लगातार । (वि0) अंतर रहित । अनाद-दे० अनादि । निकट । अनादर-(न०) अपमान । तिरस्कार । अनंतरूप-(न0) विष्णु । अनादि-(वि०) आदि रहित । (क्रि०वि०) अनंता-(ना०) १. पृथ्वी । २. पार्वती। . अनादिकाल से। ३. माया । ४. एक औषधि । अनाधार-(वि०) आधार रहित । अनंद-दे० आनंद । अनाप-(वि०) १. नाप रहित । बेनाप । अनंदी-दे० प्रानंदी। २. बहुत । अनंद्री-(न०) देवता। अनाप-सनाप-(वि०) १. आवश्यकता से अनाक-(क्रि०वि०) नाहक । व्यर्थ । अधिक । अत्यधिक । २. परिमारण से अनाकानी-(ना०) आनाकानी। टालमटूली। अधिक । अनाकार-(वि०) अनाकार । निराकार। अनाम-(वि०) बिना नाम का । ननामो । अनागत-(वि०) १. अनुपस्थित । अभी अनामत-(ना०) अमामत । थाती । तक नहीं पाया हुमा । २. होनहार । परोहर । प्रमाणी। For Private and Personal Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनामती । ४२ ) अनिश्वरवाद अनामती-(वि०) अमानत पर रखा हुआ। अनिद्रा--(न०) नींद नहीं आने का रोग । अमानती। अनियम-(वि०) १. नियम का अभाव । अनामिका-(ना०) कनिष्ठिका के पास की बेकायदगी। २. अव्यवस्था । अंगुली। अनियाई-(वि०) अन्यायी। अत्याचारी । अनामी-(वि०) बिना नाम का । अप्रसिद्ध। अनियाव-(न0) अन्याय । अत्याचार । अनायास--(क्रि०वि०) १. बिना प्रयास के अनिल-(न०) पवन । वायु । २. सहसा । अचानक । अनिलकुमार-(न०) हनुमान । अनार-(न०) दाडिम फल । अनिवार-(क्रि०वि०) १. दूसरी बार । अनारदारणा-(न०ब०व०) दाडिम के २. फिर कभी । दे० अनिवार्य । बीज । अनार दाने । अनिवार्य- (वि०) १. अवश्यम्भावी । अनार्य-(वि०) १. जो प्रार्य न हो। २. अटल । २. दुष्ट । (न०) १. आर्येतर जाति । अनिश्चित-(वि०) जिसका निश्चय न २. प्राय तर जाति का व्यक्ति ।। किया गया हो। अनावश्यक-(वि०) बेजरूरी। फालतू । अनिष्ट-(वि०) १. अवांछित । २. अशुभ । अनावृष्टि-(ना०) बरसात का न होना। (न०) १. अमंगल । २. विपत्ति । वर्षाभाव । सूखा । . ३. हानि । अनासती-(अव्य०) १. नास्ति नहीं । न नहीं । अनिद्य-(वि०) १. निंदा नहीं करने योग्य । विद्यमानता। २. जिसका ख्याल ही न २. निर्दोष । ३. सुन्दर । हो। ३. अचानक । एकदम । (वि०) अनी-(ना०) सेना । फौज । बुरा। अनीक-(ना०) १. सेना । फौज । २. युद्ध । अनासुरत-दे० अनासुरती। ३. वीर । अनासुरती-(वि०) १. जो सुनने में नहीं , हा अनीच-(वि०) १. जो नीच न हो । अनिआया हो । अनानुश्रुत । २. जिसका कृष्ट । अच्छा । २. जो नीचा न हो। खयाल ही न हो। ३. जो सहज ही में । ऊंचा। बन जाये । (क्रि० वि०) अचानक । अनीठ-(वि०) १. जो कठिन न हो। अकस्मात । सरल । सुगम । २. जो समाप्त न हो । अनाह-(वि०) अनाथ । ___बहुत । (क्रि०वि०) सरलता से । अनाहक-(क्रि० वि०) नाहक । व्यर्थ में। अनीत-दे० अनीति । अनाहत-दे० अनहद नाद । अनोति-(ना०) १. अन्याय। बेइंसाफ । अनाहतनाद--दे० अनहद नाद ।। २. दुराचरण । ३. पाप । ४. अत्याचार । अनाहार-(वि०) निराहार । अनीतो-(वि०) १. नीति विरुद्ध चलने अनि-(वि०) अन्य । दूसरा । और ।। वाला । अन्यायी । २. जुल्मी । दुराचारी। अनिच्छा -(ना०) १. इच्छा का अभाव ।। ३. बदमाश । ४. पापी। २. अरुचि। अनीश्वर-(वि०) १. ईश्वर रहित । अनिठ-(वि०) जो निठे नहीं । जो समाप्त * २. नास्तिक । न हो । अपार । अनित्य-(वि०) १. अस्थायी। २. असत्य। अनिश्वरवाद-(न०) ईश्वर को नहीं ३. नश्वर। मानने का सिद्धान्त । For Private and Personal Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनीश्वरवादी । ४३ ) अनुबंध अनीश्वरवादी -(न०) नास्तिक। अनुजा-(ना०) छोटी बहन । अनीस--(न०) १. बंधन । रोक । २. अनीश । अनुजीवी-(वि०) पाश्रित । (न०) सेवक । अनीह-(वि०)१, निष्काम । २. निर्लोभी। चाकर । अनींद-(वि०) जाग्रत । -(न०) १. मानसिक संताप । अनु-(अव्य०) समीपता, सादृश्यता । पीछे, २. दुख । ३. पश्चाताप । पछतायो । बाद में, साथ-साथ, लगा हुआ, कई बार, अनुत्तम-(वि०) १. जो उत्तम न हो। प्रत्येक इत्यादि अर्थ में प्रयुक्त एक उपसर्ग। २. सबसे उत्तम । अनुकरण-(न०) १. कुछ देख करके उसी अनुत्तर-(वि०) निरुत्तर । प्रकार करना। नकल । देखादेखी। अनुत्तीर्ण-(वि०) उत्तीर्ण नहीं । परीक्षा २. पीछे-पीछे चलना। ___ या जांच में असफल । नापास । फेल । अनुकंपा-(ना०) १. दया। २. सहानुभूति। अनुदात्त-(न०) स्वर के तीन भेदों में का अनुकूळ--(वि०) १. अनुकूल । अनुसार । एक (उदात्त, अनुदात्त और स्वरित)। २. हितकर । ३. प्रसन्न । ४. समर्थक । लघुस्वर । (वि०) १. नीचा (स्वर)। हिमायती। २. लघु (उच्चारण) । ३. लघु । तुच्छ । अनुकूळता-(ना०) १. अनुकूल होने का अनुदान-(न०) संस्था की ओर से सहायता भाव । २. पक्ष में होने की स्थिति । के रूप में दिया जाने वाला धन । ग्रान्ट । अनुक्रम-(न०) १. क्रम । सिलसिला। अनुद्यमी-(वि०) १. उद्यम रहित । २. पद्धति । ३. परंपरा । ४. व्यवस्था। २. आलसी। ५. नियम। अनुनय-(ना०) १. विनय । २. खुशामद । अनुक्रमणिका-(ना०) अक्षरादि क्रम से अनुनासिक-(वि०) १. नासिका संबंधी। बनाई हुई सूची। २. जिसका उच्चारण नासिका और मुख अनुक्रमणो-(क्रि०) १. अनुक्रम से चलना। से हो । सानुनासिक । (न०) अनुनासिक २. पीछे-पीछे चलना। वर्ण, यथा-इ, उ, ण, न, म् । अनुग-(न0) सेवक । दास । (वि०) अनुपम-(वि०) १. उपमारहित । अतुल्य । १. अनुगामी । २. अनुयायी। अद्वितीय । २. सर्वोत्तम । अनुगमन-(न०) १. अनुसरण । अनु- अनुपयुक्त-(वि०) १. जो उपयुक्त न हो । करण । २. पति के पीछे सती होना। अनुपयोगी । २. अयोग्य । सहमरण । अनुपयोगी-(वि०) अनुपयुक्त । अनुगामी-(वि०) अनुगमन करनेवाला। अनुपस्थित-(वि०) गैर हाजिर । अनुयायी। अनुपस्थिति-(ना०) गैर हाजिरी । अनुग्या-(ना०) प्राज्ञा । अनुज्ञा । अनुपान-(न0) औषधि के अंगभूत रूप में अनुग्रह-(ना०) १. कृपा। दया । उसके साथ या बाद में खाई जाने वाली २. आभार । ३. उपकार । पाड़ । वस्तु । अनुचर-(न०) सेवक । दास । चाकर। अनुप्रास-(न०) एक शब्दालंकार । वर्णनौकर । मैत्री। अनुचित-(वि०) अयोग्य । प्रबोग। अनुबंध-(न०) १. पारस्परिक बंधन । मनुज-(न०) छोटा भाई। २. समझोता । एग्रीमेन्ट । ३. मागे पीछे For Private and Personal Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुभव अनुस्वार का सम्बन्ध । ४. विषय, प्रयोजन, अधि- अनुलेख-(न०) नकल। २. श्रुत लेखन । कारी तथा सम्बन्ध-इन चारों का समूह अनुलोम-(न०) १. ऊपर से नीचे की ओर (वेदान्त)। ५. वस्तु, जीव या अंग क्रमशः उतार । २. संगीत का अवरोह । इत्यादि में होनेवाला पारस्परिक संबंध । ३. यथाक्रम । ४. नीच वर्ण की स्त्री के अनुभव-(न०.. १. परीक्षणों, प्रयोगों द्वारा साथ का (विवाह)। संचित ज्ञान । प्रयोग द्वारा प्राप्त ज्ञान । अनुलोमज-(न०) अनुलोम विवाह से २. संवेदना शक्ति से प्राप्त बोध । उत्पन्न हुई संतान । तजुर्बा | अनुभूति । अनुवाद-(न०) कही या लिखी हुई बात अनुभवरणो-(क्रि०) अनुभव करना। को दूसरी भाषा में कहना या लिखना। अनुभवी-(वि०) अनुभव वाला । तजुर्बा- . भाषान्तर । कार। अनुवादक-(न०) भाषान्तरकार । अनुभाव-(न०) १. मनोगत भावों से अनुशासक-(न०) १. अनुशासन करने उत्पन्न शारीरिक चेष्टाएँ । रोमांच वाला । २. आज्ञा देने वाला । इत्यादि । २. महिमा । ३. प्रभाव । अनुशासन-(न०) १. नियमानुशीलता । अनुभूत-(वि०) अनुभव किया हुआ। वह विधान जो किसी संस्था या वर्ग के अनुमति-(ना०) १. सम्मति । २. अनू- सभी सदस्यों को मर्यादा में रह कर कार्य मोदन । मंजूरी। अथवा आचरण करने के लिये बाध्य करे। अनुमान-(न०) १. अंदाज । अटकळ । २. प्राज्ञा । आदेश । ३. उपदेश । २. तर्क । ३. न्याय । शास्त्र के चार । ४. नियम । कायदा । ५. शासन करना। प्रमाणों से एक । अनुमिति का साधन । ६. महाभारत का एक पर्व । अनुष्टुप-(न०) आठ वर्गों के पद वाला अनुमानगो-(क्रि०) अनुमान करना। एक वर्ण वृत्त । एक छंद । अनुमोदन-(वि०) अनुमोदन करने वाला। ।। अनुष्ठान-(न०) १. फल की अपेक्षा से अनुमोदरणो--(क्रि०) अनुमोदन करना । की जाने वाली देवता की पूजा या सम्मति देना । मंजूरी देखो। आराधना। २. कोई धार्मिक क्रिया । अनुमोदन-(न०) १. समर्थन । २. सम्मति । ३. कार्यारम्भ । ४. कार्य का विधिटेको। पूर्वक सम्पादन । अन्यायी-(वि०) १. पंथ या मत का। अनुसरण-(न०) १. अनुकरण । नकल । २. अनुसरण करने वाला । ३. शिष्य । अनसरणो-(क्रि०) अनुकरण करना । अनुरक्त-(वि०) १. रंगा हुआ । २. पीछे चलना। २. आसक्त । अनुसंधान-(न०) १. अन्वेषण । खोज । अनुराग-(न०) १. प्रेम । २. प्रणय भाव। २. जांच-पड़ताल। ३. पाशक्ति । प्रत्यंत लगाव । अनुसार-(क्रि०वि०) १. अनुकूल । सदृश । अनुरागी-(वि०) अनुराग वाला । प्रेमी। २. के समान । की तरह । अनुरूप-(वि०) १. सदृश । २. तुल्य । अनस्वार-(न०) १. स्वर के पीछे उच्चरित ३. उपयुक्त। होने वाला अनुनासिक वर्ण । २. वर्ण के अनुरोध-(न०) १. प्राग्रहपूर्वक विनय ।। ऊपर लगने वाला अनुनासिकता सूचक २. विनय पूर्वक प्राग्रह। बिन्दु। ()। For Private and Personal Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भनूठो (१) प्रन्याऊ अनूठो--(वि०) १. अनोखा । अनूठा । २. अनोप-दे० अनुपम । विलक्षण । ३. अपने ढंग का निराला। अनोपम-दे० अनुपम । ४. असाधारण । अन्न-(न०) नाज । अनाज । अनूढ-(वि०) अविवाहित । अन्नकूट-(न०) १. श्रीठाकुरजी के आगे अनूढा-(ना०) अविवाहिता स्त्री । २. एक रखी जानेवाली अनेक प्रकार के व्यंजनोंनायिका । पकवानों की राशि । २. श्री ठाकुरजी के अनूतो-दे० अणूतो। पकवानों का भोग लगाने का एक पर्व । अनूप-(वि०) १. अनुपम । २. अद्भुत। अन्नक्षेत्र--(न०) मुफ्त भोजन या अन्न ___३. सुन्दर । (न०) जल बहुल प्रदेश । वितरण करने का स्थान । अनुपम-दे० अनुपम । अन्नजळ-दे० अनजल । अनूरो- (वि०) बेनूर । कांतिहीन । अन्नदाता-(वि०) १. अन्न दान करने अनेक-(वि०) एक से अधिक । बहुत। वाला। २ आश्रयदाता । अनेकता--(ना.) १. भेद । २. विरोध । अन्नदान- (न०) अन्न का दान । ३. संगठन का प्रभाव । ४. अधिकता। अन्नपाणी-दे० अनपाणी । अनेकार्थी-(वि०) अनेक अर्थवाला । अन्नपूर्णा---(ना०) १. अन्न की अधिष्ठात्री (न०) वह कोश ग्रन्थ जिसमें एक शब्द देवी । २. पार्वती। के अनेक अर्थ या पर्याय दिये हए हों। अन्नप्राशन-(न०) बालक को छठे या अनेर-(वि०) अन्य । दूसरा। आठवें महीने पहले पहल अन्न खिलाने अनेरण- (वि०) अजेय । (अव्य०) अन्य का संस्कार । प्रकार से। अन्नळा-(ना०) १. अन्नपूर्णा २. हिंगुलाज अनेरी-(वि०) १. दूसरी । २. निराली। देवी । ३. प्रबल वायुवेग । आँधी । ४. अनेरो-(वि०) १. दूसरा । २. निराला। पवन । ५. अग्नि । __३. अपूर्व । अनोखा। अन्नाण-(न0) अज्ञान । अनेस-(वि०) १. घर रहित । २. स्नेह अन्य-(वि०) १. इतर । और । २. कोई। __ रहित । ३. स्वामी रहित । ३. पराया। अनेसी-(वि०) १. असह्य । २. बिना घर अन्यत्र-(क्रि० वि०) १. और कहीं । २. . वाला। । दूसरी जगह । अनेसो-दे० प्रणेसो। अन्यथा-(अव्य०) १. अन्य प्रकार से। अनेह-(न०) १. स्नेहाभाव । २. द्वेष । ३. २. नहीं तो । ३. व्यर्थ । (न०) शत्रुता। असत्य । झूठ । कूड़ । (वि०) १. अनेहो-(वि०) स्नेह नहीं रखने वाला। विपरीत । उलटा । २. मिथ्या। २. द्वषी । ३. शत्रु । अन्यपुरुष-(न०) १. पुरुषवाची सर्वनाम अनै-(अव्य०) १: और २. फिर । पुनः । का तीसरा भेद । वक्ता एवं श्रोता से अनोअन-(सर्व०) १. अन्योन्य । परस्पर। इतर व्यक्ति (व्या०) । आपस में । २. और दूसरे । अन्याई–दे० अन्यायी। अनोखो-(वि०) १. अनोखा । निराला। अन्याऊ-(वि०) १. अन्याय करने वाला । २. सुन्दर । ३. नहीं देखा हुआ। अन्यायी । १. अन्याय से सम्बन्धित । For Private and Personal Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अन्याय (४६) मपटा-पुर अन्याय-(न०) १. न्याय विरुद्ध कार्य। (वि०) १. भागा हुआ। २. हटा हुआ । २. अधर्म । ३. अनीति । ४. अत्याचार। अपगा-(ना०) नदी। अन्यायी-(वि०) १. अन्याय करने वाला। अपगो-(वि०) १. लंगड़ा । खोड़ो। २. २.अत्याचारी। __अविश्वासी । निपगो। अन्याव- दे० अन्याय । अपघात-(न०) १. आत्महत्या । पापअन्वय--(न०) १. पद्य के शब्दों को वाक्य ___घात । २. हत्या । हिंसा । ३. विश्वासरचना के अनुसार पहले कर्ता, फिर घात । कर्म तदनंतर क्रिया का रखना (व्या०)। अपघाती-(वि०) १. प्रात्महत्यारा । २. पदों का एक दूसरे से संबंध (व्या०)। प्रापघाती । २. विश्वासघाती । ३. ३. ठीक और संगत अर्थ । ४. परस्पर हिंसक । हत्यारा । संबंध । ५. कार्य-कारण का सम्बन्ध । अपच-दे० अपचो।। ६. संयोग । मेल । अपचाल-(ना०) १. बुरी चाल । कुचाल । अन्वेषण-(न0) अनुसंधान । खोज । २. खोटाई। बदमाशी । अप-(उप०) अलग, अनुचित, नीचे, पीछे, अपचो-(न०) अजीर्ण । बदहजमी । रहित, विरुद्ध इत्यादि अर्थों में प्रयुक्त अपछर-(ना०) अप्सरा। होने वाला एक उपसर्ग । (न०) पानी। अपछरा-(ना०) अप्सरा । अपकज-(क्रि० वि०) स्वकार्यार्थ । अपने अपजस-(न0) अपयश । बदनामी । लिये । (न0) बुरा काम । अपकीर्ति । अपकर्म--(न०) बुरा काम । कुकर्म । अपजीव-(10) १. प्राण । २. प्रात्मा । अपकंठ--(न०) बालक । अपकाज-दे० अपकार । अपजोग-(न०) १. फलित ज्योतिष के अनुअपकाजी--(वि०) प्रापस्वार्थी । मतलबी।। सार ग्रहों की वह स्थिति जो अमंगलकारी समझी जाती है। अपयोग। कुजोग । अपकाय-(न०) पीने के जीव । अपकार--(न०) १. कुकर्म । २. हानि ३. २. बुरा समय । कुसमय । ३. प्रसगुन । अनिष्ट । ४. अहित । बुराई। ५. अपजोर-(न०) १. अपना जोर । २. विरोध । ६. अत्याचार । ७. अनादर।। आत्मशक्ति । ३. अपने बल का घमंड । ४. अभिमान । अपकारी-(वि०) १. अपकार करने वाला । २. विरोध करने वाला । " ___ अपजोरी-(कि० वि०) १. अपने जोर से। प्रनिष्ट करने वाला। २. अभिमान से । (न०) अभिमान ।। अपकीरत-(ना०) अपकीर्ति । अपयश । अपजोरो--(वि०) १. अपनी शक्ति पर अपजस । निंदा। बदनामी । निर्भर रहने वाला । २. किसी के वश में अपकीरतो-दे० अपकीरत । नहीं रहने वाला। स्वच्छंद । स्वेच्छाअपकीति-दे० अपकीरत । चारी । ३. किसी के अधिकार को नहीं अपक्ष-दे० अपख । मानने वाला । ४. अपनी शक्ति का गर्व अपख-(वि०) १. पक्ष रहित । अपक्ष । करने वाला। २. असहाय । ३. बिना पाँख वाला। अपट-(वि०) १. बहुत अधिक । अपार । अपगत-(ना०) १. अपगति । बुरी गति । २. जबरदस्त । २. बुरे मार्ग पर जाना ! ३. नाश। अपटाँ-पूर-(न०) १. दोनों किनारों तक For Private and Personal Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रपठ www.kobatirth.org ( ४७ ) भरी हुई और खूब जोर से बहनेवाली । (नदी) । २. पूर्ण भरा हुआ (तालाब) । ३. अत्यधिक । अपठ - (वि०) नहीं पढ़ा हुआ । प्रशिक्षित । अपड़ – ( ना० ) १ पकड़ने की क्रिया । पकड़ । २. ग्रहण करने की शक्ति । ३. समझ । बुद्धि । (वि०) १. जो गिरे नहीं । २. जो हराया नहीं जा सके । ३. वीर । अपणो - ( क्रि०) १. श्रागे बढ़े हुए के बराबर पहुंचना । २. थामना | ग्रहण करना | पकड़ना | पकड़रणो । ३. काबू में लेना । ४. गिरफ्तार करना । ५. ढूंढ़ निकालना । ६. अवरुद्ध करना । गति को बंद करना । ७. समझना । ८. गलती ढूंढ़ निकालना | अपारगो - दे० अपड़ावरणो । अपड़ावणो - ( क्रि०) १ पकड़वाना | २. थामना । ३. पकड़ा जाना । पड़ीणो- ( क्रि०) पकड़ा जाना । अपढ - - ( वि०) १. अनपढ़ । २. मूर्ख । अपराइत - ( ना० ) अपनापन | अपनत्व | आत्मीयता । परगाणो - ( क्रि०) १, अपनाना । अपना बनाना । २. प्यार से प्राकर्षित करना । ३. अपने अधिकार में करना । अपरणात - दे० अपरणाइत । अपणायत - दे० अपणाइत । अपरणावरणो- दे० अपरणारणो । अपरणी - ( सर्व० वि०) श्रपनी । पण — दे० अपणो । अपणो - ( क्रि०) १. अर्पण करना । २. देना । ( सर्व० ) अपना । स्वयं का । ( न० ) आत्मीय | स्वजन । अपत - ( वि०) १. कृतघ्न । २. अविश्वासी । ३. दुष्ट । ४. नीच । श्रधम । ५. पत्तों से रहित । प्रपत्र । ६. निर्लज्ज । ७. अप्रतिष्ठित । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रपमृत्यु अपतरो - ( वि०) १. अप्रतिष्ठित । २. श्रविश्वासी । ३. कुपात्र । ४. स्वच्छन्द । ५. निर्लज्ज । पतियारो - (वि०) श्रविश्वासी । ( न० ) अविश्वास | पतियो - (वि० ) २. अप्रतिष्ठित । ३. स्वार्थी । पती - (वि०) १. विश्वस्त । २. काम चोर । ३. नीच । ग्रधम । ४. कृतघ्न । ५. दुराचारी । ६. पति विहीना । अपथ - ( न० ) १. कुमार्ग । २. श्रपथ्य | कुपथ । अपथियो- (वि०) १. कुमार्गी । कुपथगामी । २. अपथ्य करने वाला । For Private and Personal Use Only १. अविश्वासी । अपदत - ( 10 ) कुपात्र को दिया हुआ दान | ( वि० ) १. कुपात्र को दिया हुआ । २. अपना दिया हुआ । स्वदत्त । अपदेव - ( न० ) भूत, प्रेतादि प्रान देव । अपधंस - ( न० ) अपध्वंश | नाश | अपनाम -- ( न० ) बदनाम । बदनामी | अपभ्रंश - ( ना० ) १. भारत की एक प्राचीन भाषा । २. प्राकृत भाषाओं के बाद की भाषा । ३. शब्द का वह रूप जो मूल से बिगड़ कर बना हो । ४. मूल धातु से बिगड़ कर बना हुआ शब्द । ५. पतन । ६. विकृति | बिगाड़ | अपमपर - दे० अपर । वर । अपमल - (वि) ९. आत्मबली । २. जोरा३. स्वतन्त्र । ४. उद्दंड । प्रापमलो । अपमलो -- दे० अपमल । अपमान - ( न० ) अनादर । तिरस्कार | अपमानित - ( वि० ) जिसका अपमान हुआ हो । अनाहत । अपमार्ग - ( न० ) कुमार्ग | अपमृत्यु - ( ना० ) १. २. अनहोनी मौत । कुमौत | अकाल मृत्यु । Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपयश (४ ) अपवाद अपयश-दे० अपजस । अपराध-(न०) १. भूल । गलती। २. दोष अपर-(वि०) १. अन्य । दूसरा । २. और कसूर । ३. पाप। कोई । ३. जिसके बाद में कुछ न हो। अपराधी-(वि०) १. अपराध करने ४. जो बाद में न हो । पहला । वाला । दोषी । कसूरवार । २. पापी । ५. अगला । ६. जो पराया न हो। अपराधीन-(वि०) जो पराधीन न हो । ७. अतिरिक्त । ७. पीछे का । ६. अपार। स्वतन्त्र । स्वाधीन । अपरचो-(न०) १. अपरिचय । प्रसंध। अपरिग्रह-(न०) १. आवश्यकता से २. जानकारी का अभाव । ३. संशय । अधिक धन का परित्याग । २. संग्रह न ४. अविश्वास । करना । ३. दान न लेना। अपरतो-(न०)१. अविश्वास । २. संशय। अपरिचय-(न०) परिचय या जान पहि ३. भिन्नता । ४. परायापन । ५. दुराव। चान का अभाव । प्रसैंध । अपरचो। अपरबळ-(न०) अपार शक्ति । (वि०) अपरेल-(न०) ईसवी सन का चौथा प्रचण्ड शक्तिशाली । बलवान । ___ महीना । एप्रिल । अपरबळी--(वि०) प्रचण्ड शक्तिशाली । अपरोक-(वि०) १. अपरिहार्य । २. नहीं महाबलवान । रुकने वाला। ३. नहीं चूकने वाला। अपरम-दे० अप्रम। ... (न०) अवरोध । रुकावट । अपरमप्रम-(न०) परब्रह्म । २. ईश्वर। अपरोक्ष-(वि०) प्रत्यक्ष । ३. अप्रमेय । अपर्णा-(ना०) १. पार्वती । २. दुर्गा । प्रपरलोक-(न०) परलोक । स्वर्ग। अपल-(वि०) १. अपार । बहुत । अ परस-(वि०) १. न छूने योग्य । २. बेरोक । ३. नही मानने वाला । __ अस्पर्य । २. बिना छुपा हुया। ४. वश में नहीं होने वाला। अप रस-(न०) १. अमैत्री। शत्रुता । अपलक्षण-(न०) कुलक्षण । कुलखण । २. बिगड़ा हुआ रस । अपलखण-दे० अपलक्षण । अपरंच-(अव्य०) १. इस मजमून के अपलखरणो-(वि०) कुलक्षण वाला । बाद । २. इसके आगे लिखना है कि । कुलखरगो । इसके पश्चात् । पश्चात् लेख यह है कि । अपलच्छरण-दे० अपलक्षण । ३. विशेष में । फिर भी । ४. फिर यह। अपलारिणयो-(वि०) जिस पर पलान उपरांत । उपरंच। ___नहीं कसा गया हो। बिना पलान कसा अपरंपर-(न०) १. परब्रह्म । २. ईश्वर । हुआ (ऊंट, घोड़ा आदि)। (वि०) १. अपरंपार । अत्यधिक । अपलारिणयोड़ो-दे० अपलाणियो । अपार । पुष्कल । अपलारणो-दे० अपलाणियो । अपरंपार-(वि०) अत्यधिक । अपरम्पार। अपवर्ग-(न०) १. मोक्ष । निर्वाण । अपरा-(ना०) १. लौकिक विद्या । २. त्याग । ३. दान । २. पदार्थ विद्या। ३. पश्चिम दिशा। अपवर्जन-(न०) १. त्याग । २. दान । अपगजित-(वि०) १. न हारा हुआ। ३. मोक्ष। २. जो हराया न जा सके। अपवाद-(न0) १. सामान्य नियम में अपराजिता-(ना०) १. दुर्गा । २. कोयल। विरोध जैसी वस्तु या उसका उदाहरण । For Private and Personal Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ४९ ) अपवित्र २. सर्वसाधारण नियम के विरुद्ध बात या घटना । ३. विरुद्ध बात । ४. निंदा | बदनामी । ५. खंडन । ६. अस्वीकार । ७. दोष । अपवित्र - (वि०) १ श्रशुद्ध । मलिन । २. पाप युक्त । अधार्मिक । २. न छूने योग्य | अपशकुन - ( न० ) अशुभ शकुन । अपसुकन । अपशब्द - ( न० ) १. गाली । २. दुर्वचन । ३. अशुद्ध शब्द । अपसर - ( ना० ) अप्सरा । अपसरा - ( ना० ) अप्सरा । अपसवरण - ( न० ) अपशकुन | बुरा सगुन । श्रपसुगन । पसु - ( न० ) पशु । गदहा । १. अपसुकन- दे० पसुगन । अपसुगन - ( न० ) अपशकुन । अपसौरण - दे० पसवरण | अपहड़ - ( वि०) उदार । दातार । २. अपने ही साहस और सामर्थ्य पर दान, मान, सहायता और युद्धादि श्रेष्ठ कार्यों का करने वाला । ३. अत्यधिक । खूब । अपहरण - ( न० ) जबरदस्ती छीनने या उठा ले जाने की क्रिया । अपंग (वि०) १. अंगहीन । २. लूला । लंगड़ा । ३. असमर्थ | पंथ - (०) १. कुपंथ । कुमार्ग । २. पंथ रहित । अपंपर - दे० श्रपरंपर । अपारण - ( न० ) १. बल । शक्ति । २. बिना हाथों वाला । ३. अशक्त । अपारणा - ( सर्व० ब० व० ) अपने । अपारणी - ( सर्व० ) अपनी | अपारणो - ( सर्व०) आत्मीय | अपना । अपात्र - (वि०) १. गुणहीन । २. अयोग्य । ( न०) कुपात्र । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपूज अपादान - (०) १. किसी से अलगाव या पृथक्करण । २. एक कारक । ३. पाँचवीं विभक्ति का अर्थ | अपादान कारक - ( न० ) जिससे विश्लेष या अलगाव होता है, उस संज्ञा शब्द का वाक्य में रूप अथवा कारक ( व्या० ) । व्याकरण में पाँचवाँ कारक । अपान - ( न० ) पाँच प्राणों (प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान) में से एक जो गुदा द्वारा निकलता है । पाद । गोज । अपान वायु - ( न० ) गुदा मार्ग से निकलने वाली हवा | अधोवायु । पाद । गोज । अपार - (वि०) १. जिसका पार न हो । अनंत । २. अत्यधिक । अपाररण- दे० अपार । अपाल - ( वि०) १. बहुत । अपल । २. नहीं रुकने वाला । ३. नहीं रोकने वाला । अपाळ - (वि०) जिसका कोई पालन करने वाला न हो । अपाळो - ( वि०) जो पैदल नहीं चल रहा हो । जो सवारी किया हुआ हो । अपावन - ( वि० ) अपवित्र । पीत - ( वि०) १. जिसमें सिंचाई न की जाती हो (खेत) २. सिंचाई के प्रयोग्य । ३. जो पीले रंग का न हो । अपीधो- (वि०) १. बिना पिया हुआ । २. प्यासा । ३. बिना नशा किया हुआ । अपील - ( ना० ) १. नीचे की कोर्ट के फैसले के विरुद्ध ऊपर की कोर्ट में की जाने वाली प्रार्थना | पुनर्विचारार्थ प्रार्थना । २. अनुरोध । ३. निवेदन । अपुत्र - ( वि० ) १. पुत्र रहित । संतान रहित । पूज - ( वि०) १. अप्रतिष्ठित । २. प्रपूजित । ३. जिसकी पूजा-अर्चना नहीं होती हो ( देवमूर्ति) । ४. जिसकी पूजा या सम्हाल की कोई व्यवस्था न हो । ५. नहीं पूजा जाने वाला । For Private and Personal Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रपूठ प्रपूठ - ( वि० ) १. २. पीठ तरफी । विरुद्ध । ३. सामने । www.kobatirth.org ( ५० ) उलटा । सुलटा । ४. सामने की ओर का । पृष्ठ । अपूठी - ( ना० ) पीठ की नस में पड़ने वाली गाँठ जो ऊपर चढ़ती हुई गले में ग्राकर मृत्यु का कारण बन जाती है । (वि० ) १. विमुखी । उलटी । ( क्रि०वि०) इसके विरुद्ध । दे० प्रपूठो । अपूठो - ( वि० ) १. उलटा । विमुख । २. पीठ की ओर का । ३. पीठ फिराकर खड़ा या बैठा हुआ । ४. सामने की ओर का । पृष्ठ । अपूत --- ( वि० ) १. अपवित्र । २. निपूता । पुत्रहीन | ( न० ) कुपुत्र । कपूत । अपूरण - दे० अपूर्ण । अपूरतो - ( वि० ) १. पूरा नहीं । चाहिये जितना नहीं । २. अपूर्ण । अधूरो । अपूरव - ( वि० ) पूर्व । अपूर्ण - (वि०) जो पूरा न हो । अधूरो । पूर्व - ( वि०) १. जो पहले न हुप्रा हो । २. अनोखा | अनूठा । ३. अनुपम । अपेक्षा - ( ना० ) १. आवश्यकता । २. प्राकांक्षा । ३. आशा । ४. प्रतीक्षा | ५. तुलना । ६. अनुरोध । ( क्रि० वि० ) तुलना । इरण करतां । करतां । पेय - ( वि०) १. न पीये योग्य । २. जो न में पिया जा सके । अपेल - (वि०) १. थोड़ा । कम । २. न टलने वाला । अटल । प्रपैठ - ( ना० ) १. अप्रतिष्ठा । २. अविश्वास । ३. प्रवेश । प्रपोचियो – दे० निपोंचियो । अपोढरणो ( क्रि० ) १. जागना । २. नहीं सोना । ३. नींद नहीं लेना । अपोढी - ( वि०) नींद में से उठा हुआ । जग कर उठा हुआ । ( ना० ) निद्रा त्याग | पोढी होगी - ( मुहा० ) नींद में से जगकर उठना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपौरुषेय - ( वि० ) १. जो पुरुष कृत न हो । २. ईश्वरीय । अपणो - ( क्रि० ) अर्पण करना ( सर्व ० ) अपना । श्रपरो । प्रप्रमाद अप्रकाश - ( न० ) १. अंधेरा । २. अप्रकट | अप्रकाशित - (वि०) १. प्रकाश में न आया हुा । गुप्त । २. न छपा हुआ (ग्रन्थ) | अप्रगट - (वि०) १. जो प्रकट न हो । गुप्त । २. प्रप्रकाशित । अप्रछन्न – ( वि० ) १. प्रच्छन्न । प्रकट | २. गुप्त । अप्रकट | अप्रज - ( वि०) १. निस्संतान । २. निर्वंश । प्रजंत - - (त्रि०) १. बलवान । २. प्रप्रजात । निःसंतान । ३. शत्रु- वंशोच्छेदक । जोम - ( वि० ) अपार बलशाली । अप्रतख - दे० अप्रत्यक्ष | अप्रतिम - ( वि० ) अतुल्य । बेजोड़ । प्रतिष्ठा -- ( ना० ) १. बेइज्जती । अनादर । २. अपकीर्ति । बदनामी । अप्रतिष्ठित - (वि०) बदनाम | अपमानित | अप्रत्यक्ष - ( वि० ) प्रकट | गुप्त । छानो । अप्रब- - ( न० ) १. पर्व से रहित दिन । २. पर्व काल से भिन्न समय । ३. उत्सव नहीं मनाया जा सकना । ४. संकट काल । अप्रबळ - ( वि० ) १. अपार शक्तिशाली | बहुत प्रवल । प्रपरबळ । प्र प्रबल – (वि० ) अशक्त । कमजोर । दुर्बल । दुरबळ । अप्रबळी - (वि० ) अपार शक्तिशाली । बड़ा बलवान । अपरबळी । प्रम - ( न० ) परब्रह्म । अप्रम - प्रम - ( न० ) १. परब्रह्म । २. ईश्वर । परम प्रम । २. श्रप्रमेय । For Private and Personal Use Only प्रमाण - ( न० ) प्रमाणाभाव | ( वि० ) परिमाण | बहुत अधिक । अप्रमाद - ( वि० ) १. प्रमाद रहित । श्रभिमान रहित । २. आलस्य रहित । Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अप्रमेय प्रब अप्रमेय-(वि०) १. जो मापा-नापा न अफळ-(वि०) निष्फल । फल हीन । (न०) जा सके । अमाप । १. असीम । अनंत । बुरा परिणाम । कुफल । ३. प्रसिद्ध । अप्रमाणित । ४. अज्ञेय । अफळावरणो-(क्रि०) टकराना। भिड़ाना । अप्रवाण-दे० अप्रमाण। अफवा--(ना०) उड़ती खबर । अफवाह । अप्रवीत-(वि०) अपवित्र । अशुद्ध । अफ-सर(न०) १. अधिकारी । ऑफीसर । अप्रशस्त--(वि०) १. निंद्य । २. जिसकी २. हाकिम । ३. मुखिया। प्रधान । कीर्ति न हो । ३. अशिष्ट । ४. हलका। अफसोस-(न०) १. शोक । २. खेद । अोछा । तुच्छ । ५. अयोग्य । अफंड-(न०) १. उत्पात । शरारत । अप्रसन्न-(वि०) १. नाराज । नाखुश । ऊधम । २. टंटा। झगड़ा । ३. उप२. उदास । म्लान । ३. दुखी । द्रव । ४. फतूर । ५. आडम्बर । पाखंड। अप्रसिद्ध-(नि०) जो प्रसिद्ध नहीं । अवि- ढकोसला । ६. कपट । छल । ख्यात । प्रफंडी-(वि०) १. उत्पाती। शरारती । अप्राकृत-(वि०) १. अलौकिक । २. ऊधमी । २. झगड़ालू । ३. उपद्रवी । ४. अस्वाभाविक । ३. असाधारण । ४. अन- पाखंडी। ५. कपटी । छलिया । घड़ नहीं। संस्कृत । प्रफारो-(न०) १. अपच, वायु इत्यादि के अप्राप्त-(वि०) १. न मिलने वाला। कारण पेट का फूलना । अफारा । अफरा। अलभ्य । २. दुर्लभ । प्राफरो २. अंदरूनी क्रोध । ३. जोश । अप्रामाणिक-(वि०) १. प्रमाण रहित । (वि०) १. जोशीला। २. वीर । बहा २. अविश्वसनीय । ३. जो प्रमाण के दुर । ३. क्रुद्ध । ४. अधिक । द्वारा सिद्ध न हो। अफाळणो-(क्रि०) १. पछाड़ना । भिड़ाना। अप्रिय-(वि०) जो प्रिय न हो। अरुचि- २. टक्कर देना । ३. पटकना। ४. कर। लड़ना। अप्रीति--(ना०) १. प्रीति का न होना। अफाळा-(न० ब० व०) १. कष्ट । दुख । २. विरोध । ३. शत्रुता । २. चक्कर । ३. निष्फल प्रयत्न । अप्सरा-(ना०) १. स्वर्ग की चिरतरुण अफाळा खाणो-(मुहा०) १. निष्फल गायिका । २. अनुपम सुन्दर तरुणी। प्रयत्न करना । २. कष्ट पाना । ३. भटपरी। ३. देवांगना । ४. इन्द्र की सभा कना। में नृत्य करने वाली स्त्री। अफिर-दे० अफर । अफर-(वि०) १. नही फिरने वाला। अफीण-(न०) अफीम । अमल । नहीं मुड़ने वाला। २. पीठ नहीं दिखाने अफीणियो-दे० अफीणी । वाला। ३. अपनी बात पर दृढ़ रहने अफीणी-(वि०) अफीमची । अमली। वाला । दृढ़ प्रतिज्ञ । (ना०) १. शत्रुता। अफीम-दे० अफीण । २. गर्व । ३. ज्यादती। ४. बेवकूफी। अफीमची-(वि०) अफीम खाने की आदत ५. सेना। वाला । अमली। अफरणो-(क्रि०) १. पेट का फूलना। अफेर-दे० अफर । २. पीठ नहीं दिखाना। अब-(क्रि० वि०) १. इस समय । हमै । अफरी-दे० प्रफर। प्रस्तुत क्षण में । २. इसके बाद । For Private and Personal Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अबक अत्रक - ( वि० ) नहीं कहने लायक । २. व्यर्थ । ३. अनिष्ट | हमके । कष्ट । रोग की अबकलै - ( क्रि० वि० ) इसबार बकै अबकाई - ( ना० ) १. तकलीफ । २. कठिनता । ३. अड़चन । ४. कष्ट साध्य या असाध्य अवस्था । ५. स्त्रियों का ऋतुकाल । ६. बेबशी । अब काळे - दे० अबकलै । अबकी - ( क्रि० वि०) १. इस बार । २. अगली बार । दूसरी बार । फिर । हमकी । हमकं । बीजी वेळा । दूजी वेळा । अबकै - दे० अबकी । प्रत्रको - दे० अबखो । अबखाई - दे० बकाई । प्रबखी - ( वि० ना० ) १. कठिन । मुश्किल । २. कष्टदायक । ३. दुर्गम । श्रबखी वेळा - ( ना० ) संकट काल । अखो - ( वि०) १. कठिन २. कष्टदायक | ३. दुर्गम । ४. बेबश । अबज - (To) सौ करोड़ की संख्या । अरब । बडो - दे० वडो । अबतारणी - ( क्रि० वि० ) अभी तक | ( ५२ ) अबदाळ - ( न० ) फकीर । २. श्रौलिया । श्रवलियो । अबदाली । ३. सिद्ध पुरुष । महात्मा । ४. सत्तर प्रकार के श्रौलियाओं में से एक (इस्लाम ) 1 अबदाळी- दे० अबदाळ | अबरक - (To) अभ्रक । भोडल | जळवू । जळपोस । अवरकै - ( क्रि० वि० ) १. इस बार । हमकै । प्रबळ । २. दूसरी बार । बीजीवेळा । अबरी - ( ना० ) एक प्रकार का चित्रित कागज जो पुस्तकों के पुट्ठों पर चिपकाया जाता है । मार्बल पेपर । बोटियो प्रबळ - ( वि० ) निर्बल । अशक्त । ( ना० ) अबला । स्त्री । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रबलक - ( वि०) १. सफेद और लाल या सफेद और काले रंग का (घोड़ा) । २. चितकबरा । ( न० ) प्रबलक घोड़ा । अबळखा - ( ना० ) १. अभिलाषा । २. खाने की अभिलाषा ३. गर्भिरणी की प्रमुक वस्तु खाने की इच्छा । दोहद । अबळा - ( ना० ) १. अबला । स्त्री । २. गरीबिनी । ३. निर्बला । अवळाखा - दे० श्रबळखा | अबळी - (वि० ना० ) अशक्त । निर्बला । अबळो - ( न० ) निर्बल । अबल । अबाध - ( वि० ) १. बाधा रहित । २. निर्विघ्न । ३. असीम । अपार । अबार - ( क्रि० वि० ) इस समय । अभी । हमार | हमारू' । प्रबाह । अबारताँई - दे० अवतारणी | बारू - दे० अबार । बाँह - ( वि०) १. असहाय । २. बगैर कोल । प्रबीढो—दे० वीढो । अबीर - ( ना० ) एक रंगीन बुकनी । अबीर-गुलाल - ( ना० ) अबीर और गुलाल । अबीह - ( वि० ) १. निडर । निर्भय । २. जबरदस्त । अबीहो - दे० बीह | अबुध - ( वि०) १. ना समझ । अज्ञानी । अबूझ - (वि०) नासमझ । श्रज्ञ । मूर्ख । बेढी - दे० वेढी । बेढो दे० वेढो । अबे - ( क्रि० वि० ) १. अभी । प्रबार । हमार । अब । हमे । बोट - ( वि० ) १. बिना छुआ हुआ ! अछूता । २. पवित्र । ३. अखंड | साबुत । अबोटियो - ( न० ) सेवा-पूजा या रसोई For Private and Personal Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अबोटी अभंगनाथ करते समय धोती की जगह पहना जाने अभय-दे० प्रभ । वाला रेशम या ऊन का वस्त्र । अभयधाम-दे० अभधाम । अबोटी-(न.) १. वल्लभ सम्प्रदाय के अभयपद-दे० अभैपद । मन्दिर में श्री बाल कृष्ण का पुजारी। अभया--(ना०) १. हरे। २. दुर्गा । २. मन्दिरों में सेवा-पूजा का धन्धा करने अभयारण्य-दे० अभ्यारण । वाला व्यक्ति (प्रायः भोजक) । ३. अभर--(वि०) १. जो भरा न जा सके । किसी को स्पर्श नहीं किया हुआ स्नपित २. जो भरा हुआ न हो। खाली । ३. व्यक्ति। जिसे भरने की आवश्यकता न हो । ४. अबोध-(वि०) अनजान । मूर्ख । भरा हुअा। पूर्ण । ५. सम्पन्न । ६. संतुष्ट । अबोल-(वि०) १. चुपचाप । शान्त । २. अभरण-(वि०) दीन । गरीब । बगैर कौल । अभर-भरण-दे० अभरण-भरण । अबोलणा--(न० ब० व०) १. वैमनस्य । अभरण-भरण-(वि०) १. निर्धन को मनमुटाव । २. शत्रुता । धनी बनाने वाला । २. सभी प्रकार की अबोलणो--(वि०) नहीं बोलने वाला। इच्छापूर्ति करने वाला। (न०) १. सर्व मूक । (क्रि०) नहीं बोलना। (न०) १. शक्तिमान् । २. दीनानाथ । ईश्वर । मनमुटाव । २. शत्रुता । अभरंग-(न०) 'अरभंग' का विपर्यस्त शब्द अबोला--दे० अबोलणा। दे० अरभंग । अबोलो--(क्रि० वि०) चुपचाप । बिना अभरां-भरण-दे० अभरण-भरण । . बोले हुए। (वि०) मौन । शान्त । अभरी-(वि०) १. बड़ा धनवान । खूब अभ-(न०) अाकाश । संपत्तिवाला । २. धन-धान्य से पूर्ण । अभक्त-(वि०) १. जो भक्त न हो । भक्ति वैभवशाली । ३. सफल जीवन । ४. नहीं करने वाला । २. श्रद्धाहीन । सम्पन्न । ५. धनान्ध । ६. मिलावट अभक्ष-(वि०) नहीं खाने योग्य । अभक्ष्य। वाला । खोटा । ७. खाली। अभख-(वि०) १. अभक्ष्य । नहीं खाने अभरो-(वि०) १. खोटा । मिलावट योग्य । २. नहीं कहने योग्य । वाला २. खाली । ३. धनान्ध । अभगत--दे० अभक्त । अभरोसो-(न०) १. अविश्वास । २. अभड़ावणो-(क्रि०) स्पर्श करना या संदेह । ___ कराना। छुआना। अभल-(वि०) बुरा । खराब । अभडीजणो-(क्रि०) १. स्पर्श होना । अभळाखा-दे० अबळखा । छूाजाना । ३. स्त्री का ऋतुमती होना। अभवी-(वि०) असंसारी । अभड़ीजियोड़ी-(वि०) रजस्वला। अभंग-(वि०) १. युद्ध से नहीं भागने अभड़ीजियोड़ो-(वि०) १. अस्पृश्य से वाला । २. हराया नहीं जा सकने वाला। जिसका स्पर्श हो गया हो। २. जिसे ३. अटल । ४..अखंड । अटूट। ५. वीर । अस्पृश्य-अशौच लगा हुअा हो । ६. निडर । (न०) एक प्रकार का मराठी अभरण-(वि०) अपढ़ । ठोठ । छंद । प्रभनमो-दे० अभिनमो। अभंगनाथ-(न०) युद्ध से नहीं भागने प्रभनवो-दे० अभिनमो। वालों में प्रतिवलबान योद्धा । २. युद्ध For Private and Personal Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंभांग ( ५४ ) अभिषेक में पीछे पाँव नहीं देने वाला वीर । ३. बलवान विजयी वीर। प्रभाग-(10) अभाग्य । दुर्भाग्य । अभागण-(वि० ना०) १. अभागिनी । २. विधवा । अभागणी-दे० अभागण । अभागियो-दे० अभागो । अभागो-(वि०) अभागा । दुर्भागी । भाग्यहीन । प्रभाग्यो-दे० अभागो।। अभायो-(वि०) १. अप्रिय । अरुचिकर । नापसंद । (न०) जूठन । अभाळ-(वि०) १. जिसकी देख रेख नहीं । जिसकी सार-सम्हाल नहीं । २. जिसकी खोज तलाश नहीं। अभाव-(न०) १. अविद्यमानता । २. कमी । न्यूनता । ३. असत्ता । ४. हानि । ५. बुरा भाव । दुर्भाव । ६. अप्रियता । ७. अश्रद्धा । अभावणो-(वि०) अरुचिकर । अप्रिय । (क्रि०) अप्रिय लगना । प्रभावो-(वि0) अप्रिय । अरुचिकर ।। अभि-(उप०) सामने, पास, तरफ, अधिक, श्रेष्ठ इत्यादि अर्थों में प्रयुक्त एक उप सर्ग। अभिक्रमण-(न०) अाक्रमण । अभिगमण---(न०) १. पास जाना । अभिगमन । २. सम्भोग । अभिचार--(न०) मंत्र तंत्र द्वारा मारण उच्चाटन आदि कार्य । अभिजित-(न०) १. एक नक्षत्र । २. दिवस का आठवां मूहर्त । (विo) विजयी। अभिज्ञ-(वि०) १. अनुभवी। २. जान- कार । ३. निपुण । अभिधा-(ना०) १. शब्द की वाच्यार्थ शक्ति । सीधा सादा अर्थ बताने वाली शक्ति। २. शब्द का मूल अर्थ और उस मर्थ की बोधक शक्ति। अभिधान-(न०) १. नाम । संज्ञा । २. पद का नाम । ३. शब्द । अभिधानमाला-ना) , नाम कोश । २. शब्द कोश ।' अभिनमो-(वि०) १. अभिनव । नवीन । २. अद्वितीय । ३. सदृश । समान । ४. द्वितीय । दूसरा । ५. वीर । (न०) १. पुत्र । २. पौत्र । ३. प्रपौत्र । ४. वंशज । अभिनय-(न०) हाव भाव द्वारा किसी विषय का वास्तविक अनुकरण करके दिखाना । एक्टिग । २. नाटक का खेल । अभिनव-(वि०) नवीन । नया। अभिन्न-(वि०) जो भिन्न हो । जुदा नहीं। सम्बद्ध । अभिप्राय--(न०) १. प्राशय । तात्पर्य । २. उद्देश्य । ३. इरादा। अभिमान-(न०) अहंकार । गर्व । घमंड। अभिमानी-(वि०) अहंकारी । घमंडी । अभियुक्त-(न0) अपराधी । मुलजिम । आरोपी। अभियोग-(न०) १. अपराध । २. मुक दमा । ३. आरोप । मामलो। अभिराम-(वि०) १. आल्हादकारी । आनंददायक । २. मनोहर । अभिरुचि-(ना०) अतिशय रुचि । चाह । __ इक्छा । पसंद। अभिळाखा-दे० अभिलाषा । अभिलाषा-(ना०) इच्छा । आकांक्षा । अभिलासा-दे० अभिलाषा । अभिलेख-(न०) महत्वपूर्ण लेख । दस्तावेज । रेकार्ड। अभिवादन-(न०) वंदन । नमस्कार । अभिषेक-(न०) १. वेद मन्त्रों के साथ जल छिड़कना या स्नान करवाना । २. विधि पूर्वक सिंहासन या राजगद्दी पर बैठाने की क्रिया । ३. यज्ञादि के बाद का शान्ति स्नान । For Private and Personal Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रमिसार (१५) अभिसार-(10) १. मिलन । २. भिडंत। प्रभधाम-(न०) १. अभय धाम । ईश्वर ३. नायक नायिका का पूर्व निश्चित शरणागति । २. मोक्ष । स्थान पर मिलना । संकेतानुसार प्रेमियों अभंपद-(न०) १. अभयपद । २. मोक्ष। का मिलन । अभेपुरा-(न०)र राठौड़ों की तेरह शाखाओं अभी-(क्रि० वि०) १. इसी समय । में से एक। २. तुरन्त । हमार। अभोग-(न०) १. भजन पद या कविता अभीच-(वि०) १. निडर । निर्भय । की वह अंतिम कड़ी जिसमें कवि का २. वीर। नाम आता हैं । प्राभोग । (वि०) जिसका अभीढो-दे० प्रवीढो। भोग या उपयोग न किया गया हो। अभीत-(वि०) निडर । निर्भय । अभोगत--(वि०) १. नहीं जोता हुआ । अभीर-(वि०) असहाय । (न०) अहीर । (खेत) । २. काम में नहीं लाया हुआ। ग्वाला । ग्वाळियो । अभुक्त । अव्यवहृत । ३. नया । अभूखण- (न0) आभूषण । (वि०) भूषण अभ्यागत-(न०) १. मेहमान । पाहुना । रहित । अतिथि । २. भिखारी । भिक्षुक । अभूत-(वि०) १. जो पहले न हुआ हो। ३. साधु संन्यासी । (वि०) दीन । गरीब । अपूर्व । २. अद्भ त । अभूतपूर्व-(वि०) जो पहले न हुआ हो। अभ्यामरद-(न0) युद्ध । अनोखा। अभ्यारण-(न०) वह रक्षित वन जिसमें अभूनो-(वि०) १. आश्चर्य चकित । पशुओं का शिकार नहीं किया जाता है । अभयारण्य । २. पागल । ३. मूढ़ । अभूमो-(वि०) १. अनजान । २. अपरि अभ्यास-(न०). १. निरन्तर अनुशीलन । २. हमेशा की जाने वाली क्रिया । चित । ३. मूर्ख । अभेड़ो-(वि०) १. टेढ़ा। २. विकट । ३. स्वभाव । मुहावरा । टेव । ४. पुनरा वृत्ति । ५. परिश्रम । ६. पढ़ाई । शिक्षा । ३. कठिन । अभेद-(वि०) १. भेद रहित । रहस्य अभ्यास करणो-(मुहा०) १. अभ्यास करना । २. निरन्तर पढ़ना । रहित । २. एक जैसा । ३. अभिन्न । अभ्यासणो-(क्रि०) १. अभ्यास करना । (न०) १. अभिन्नता । एक रूपता । २. पढ़ते रहना। २. एक शब्दालंकार । अभ्यासी-(वि०) १. निरन्तर अभ्यास अभेळणो-(क्रि०) १. न मिलाना । __ करने वाला । २. अभ्यस्त । २. आक्रमण नहीं करना । ३. न लूटना। अभ्र-(न0) १. बादल । २. आकाश । अभेळियो-(वि०) बिना मिलावट का। अभ्रक-(न०) १. भोडल । अबरक । निखालिस । शुद्ध । जळपू । जळपोस । अभेव-दे० अभेद । अभ्रम- (वि०) भ्रम रहित । अभ-(वि०) १. अभय । निडर । २. न अम-(सर्व०) १. हम । २. हमारा । डरनेवाला । (न०) निर्भयता। ३. मेरा। अभैदान-(न०) भय से रक्षा का आश्वा- अम-कज-(अव्य०) १. हमारे लिये । सन । रक्षा का बचन । मेरे लिए। For Private and Personal Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रमस ममल उतरणो अमख-(10) आमिष । मांस । अमरनामो-(न०) १. वीरता, दान या अमचूर-(ना०) कच्चे आम के सुखाये हुए उपकार आदि सत्कर्मों से जिसका नाम टुकड़े या चूर्ण । अमर हो गया हो । २. यश । कीर्ति । अमणो-(वि०) १. बिना मन का । अमरपटो-(न०) अमरता का लेख या अमनस्क । २. विचार रहित । वरदान । अमतरणो- (सर्व०) १. हमारा । २. मेरा। अमरपद-(न०) मोक्ष । अमन-(वि०) १. बिना मन का । अमरपुरी-(ना०) १. देवलोक । २. स्वर्ग । २. मनातीत । (न०) १. मन का अभाव। अमरलोक-(न०) १. देवलोक । २. स्वर्ग । २. परमात्मा । ३. शान्ति । ४. सुख । अमरवेल-(ना०) १. अमरवेलि । अमन-चमन-(न०) सुख शांति । मौज । २. आकाश वेलि । अमर-(न0) १. देवता । २. पारा। अमरस-(न०) १. अाम्ररस । २. अमर्ष । (वि०) १. नहीं मरने वाला। २. जिसका क्रोध । कभी नाश न हो। अमरसुहाग-(न०) सदा अमर रहने वाला अमर-कांचळी-(ना०) शत्रु पक्ष में लड़ने वाले बहनोई की सुरक्षा का (नहीं मारने अमर सुहागरण-(ना०) १. जीवन भर का) भाई की ओर से बहन को दिया सौभाग्यशालिनी बनी रहने वाली स्त्री। २. वेश्या। जाने वाला अभय-वचन । सौभाग्य खंडित नहीं करने का बहन को दिया अमराई-(ना०) आमों का बाग । आम्रवन । हुया वचन । २. सौभाग्य-वरदान । अमरागो-(न0) १. धाट प्रदेश के अमर अमरकोट-(न०) धाट प्रान्त (थर पार ___ कोट नगर का लोकगीत और काव्य कर) का इतिहास प्रसिद्ध एक नगर । प्रसिद्ध नाम । २. अमरकोट जिला । यह नगर और प्रदेश किसी समय मारवाड़ अमरापुर-(न०) स्वर्ग । देवलोक । राज्य का एक भाग था किन्तु अब पाकि- अमरापरी-दे० अमरापुर । स्तान का भाग अमराव-दे० उमराव । अमरकोश-- (न0) अमरसिंह द्वारा रचित अमरावती- (ना०) १. द्वारिका । द्वारकासंस्कृत का एक प्रसिद्ध शब्दकोश । पुरी । २. अमरापुरी । इन्द्रपुरी । . अमरख-(न०) १. अमर्ष । क्रोध ।। अमरीख- दे० अंबरीष । २. जोश । ३. ग्लानि । .. अमरूद-(न०) जामफल । अमरगिर-(न०) आमेर (जयपुर) का अमरेस-(न०) १. अमरेश । इन्द्र । पर्वत। अमरण-(न०) मृत्यु नहीं होना । नागोर के प्रसिद्ध वीर अमरसिंह राठौड़ अमरत-(न०) अमृत । सुधा । का काव्य नाम । अमरतबान-दे० अम्रतबाण । अमळ-(वि०) निर्मल । मल रहित । अमरता-(ना०) अमरत्व । अमरपना। अमल-(न०) १. अफीम । २. शासन । अमरती--(ना०) एक मिठाई । इमरती। अधिकार । ३. व्यवहार । ४. प्रभाव । अमरनाथ-(न०) कोश्मीर का एक प्रसिद्ध असर ५. अधिकार-समय । तीर्थ स्थान जहाँ बर्फ के शिवलिंग के अमल उतरणो-(मुहा०) १. अफीम का दर्शन होते हैं। नशा उतरना । २. अधिकार छिनना । For Private and Personal Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धमायो अमल करणो (.५७ ) अमल करणो-(मुहा०) १. अधिकार अमंगत-(वि०) अयाचक । - करना । २. प्रभाव जमाना। अमंगळ-(वि०) अशुभ । अनिष्ट । (न०) अमल गळणो-(मुहा०) १. अफीम की दुर्भाग्य । -- गोष्ठी में कसूबा तैयार होना। २. अफीम अमंत्र-(न०) १. खोटी सलाह । कुमंत्र । की गोष्ठी होना। असीख । २. कुमित्र । शत्रु । (वि०) अमलदार-(न०) १. अफीमची। २. अधि- खोटी सलाह देनेवाला। - कारी। अमंत्रद-(वि०) खोटी सलाह देनेवाला । अमलदारी-(ना०) १. अधिकार। शासन । (न०) शत्रु । २. अधिकारी का काम या पद । अमा-(ना०) अमावस्या । अमल-पाणी-(न०) १. नाश्ता ।कलेवा। अमाई-(वि०) १. न. समा सके उतना । झारो। २. अफीम लेने के बाद किया अधिक । २. भय उत्पादक । जाने वाला अमात-(वि०) १. मातृहीन । २. मात्रा अमल पाणी करणो-(मुहा०) १. नाश्ता रहित ।। करना। २. अफीम लेना और उसके अमात्य-(न०) १. राजा का मंत्री । ऊपर कुछ खाना । ३. यात्रा की थकान २. मंत्री।। दूर करने के लिये विश्राम करना तथा अमान-(वि०) अपार । अपरिमारण । अफीम लेना। (10) अनादर । अप्रतिष्ठा । अमल-रो-कोट–(न०) बहुत अफीम खाने अमानत-दे० अनामत । वाला। बड़ा अफीमची। अमानती-(वि०) अमानत पर रखा हुआ। अमल-रो-पोतो-(न०) अफीम रखने अनामती। की खलेची। अमानी-(वि०) १. मान रहित । अमल होणो-(मुहा०) अधिकार होना। २. अप्रतिष्ठित । ३. अभिमान रहित । अमला चाक-(वि०) १. अफीम के नशे दे० इमानी। में चूर । २. अत्यधिक नशा। अमानेतण-(ना.) प्रेम और सम्मान से अमली-(वि०) १. अफीमची। २. नशे- वंचित पत्नी। बाज । ३. मस्त । अमाप-(वि०) १. बिना माप का । अमलीमारण-(वि०) १. नशे में मस्त २. अपार । बहुत । रहनेवाला। २. अधिकारों का उपभोग अमाम-(वि०) १. ,बहुत । अधिक । करनेवाला। ३. अधिकार और ऐश्वर्य २. श्रेष्ठ । ३. ममता रहित । ४. इच्छा पूर्ण । ४. धनान्ध । ५. मौजी। ६. दानी। रहित । (ना०) १. अधैर्य । २. अममत्व । दातार । ७. विजयी । ८. वीर। ३. तृप्ति । संतोष । ६. अभिमानी। अमामीदार-(वि०) १. सम्पन्न । धनवान अमलो-(न0ब040) १. राज्य कर्मचारी २. साधन-सम्पन्न । गण । अमला। २. भीड़। अमामो-(वि०) १. बहुत । अधिक । अमंख-(न०) आमिष । मांस । २. उदार । ३. ममत्ववाला । ४. शान्त । अमंखचर-दे० अमिखचर। धीर । गंभीर । ५. संतुष्ट । तृप्त । अमंगण-(वि०), अयाचक । अमायो-(वि०) जो समा न सके । For Private and Personal Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रमार अमार — दे० अबार । श्रमाळो - ( सर्व०) १. मेरा श्रमाव -- दे० श्रमायो । www.kobatirth.org ( १८ २. हमारा । अमावट – (न० ) आम का पापड़ | आमरस की चपाती । श्रम के सूखे हुए रस की जमी हुई परत | अमावड़ - (वि०) १. असीम | बहुत अधिक । २. जबरदस्त । अमावतो. ( वि० ) १. नहीं समा सके जितना । २. नहीं समा सकने वाला । ३. बहुत अधिक । अमावस - ( ना० ) कृष्णपक्ष की अंतिम ANY तिथि । श्रामावस्या | अमास्ती - ( सर्व०) १. मैं । २. हम । प्रमख - ( न० ) श्रामिष । मांस । अमिखचर - ( न०) १. मांस भक्षी पक्षी । २. गिद्ध । ३. पलचर । अमिट - - ( वि० ) १. नहीं मिटने वाला । २. स्थायी । ३. नित्य । अमित -- ( वि०) १ अपरिमित । पार । अमित्र - ( न०) शत्रु । अमिय - ( न० ) अमृत । अमित - ( न० ) अमित्र | शत्रु । मी - ( न०) १. अमृत । २. थूक । मीठ - ( वि० ) अतुल्य । तुलना रहित । श्रमीढो- (वि०) जिसकी तुलना नहीं की जा सके । अतुल्य । अमीरणी - ( सर्व०) १. मेरी । २. हमारी । श्रमीणो- ( सर्व ० ) १. मेरा । २. हमारा । श्रमीत - ( न० ) शत्रु । बैरी । अमीन - ( न० ) १. बाहर का काम करने वाला अदालत का कर्मचारी । २. जमीन की नाप-जोख करनेवाला माल विभाग का कर्मचारी | अमी नजर - ( ना० ) १. अमृत दृष्टि । २. दया दृष्टि । ३. कृपा । अमीर - (वि०) १. धनवान । रईस । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रमृत २. कोमल अंगों वाला । सुकुमार । नाजुक | ( न० ) १. मुसलमान सरदारों की एक उपाधि । २. मुसलमान शासक । सरदार । ३. अफगानिस्तान के बादशाह की एक उपाधि । अमीरपणो - ( न०) १. धनवान होने के लक्षण | धनाढ्यता । २. धनवान होने का अभिमान । धनवानी । ३. उदारता । २. नजाकत । अमीरल --- ( न०ब०व० ) १. अमीरलोग । २. सरदार लोग । अमीरस - ( न० ) १. श्रमृत । सुधा । २. थूक । श्रमी । धनवानपना / श्रमी राई - दे० अमीरात । अमीरात - ( ना० ) १. धनाढ्यता । २. अमीरी । रईसी । ३. नाजुक पना । नजाकत । अमीरी-दे० अमीरात । अमुक - (वि०) १. निर्दिष्ट ( व्यक्ति या वस्तु) । २. श्रज्ञात । ३. फलौं । फलानो । अमूभरण - ( ना० ) १. घबराहट । २. दमघुट घुटन । ३. मूर्च्छा । अमूभरणी – दे० श्रमण । अमूरणो - ( क्रि०) १. अमूमन होना । घबराहट होना । २. मूच्छित होना । ३. श्वासावरोध होना । दम घुटना । प्रभूभागो - दे० अमझरणो । श्रमभावरण -- दे० अमूझणो । अमूझो - ( न० ) १. उमस । २. दमघुटन । श्वासावरोध | अमूमन - - ( अव्य० ) साधारणतया । प्रायः । अमूळ - (वि०) १. मूल रहित । बिना जड़ SAT | निर्मूल । २. कारण रहित । अमूल - (वि०) १. अमूल्य । अनबोल । २. बहुमूल्य । ३. बिना मूल्य का । अमूल्य - दे० अमूल । अमृत - ( न० ) १. जिसके पीने 'अमर हो जाय ऐसा एक कल्पित रस । २. देवलोक For Private and Personal Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमृतधुनी ( ५६ ) अंरग का एक कल्पित पेय जिसके पीने से अम्ह-(सर्व०) १. हम । २. हमारा। बूढ़ापा और मृत्यु पास नहीं आती। ३. हमारी । ४. मैं । ५. मेरा । ६. मेरी। सुधा । ३. बहुत स्वादिष्ट अथवा गुणकारी अम्हतणी-(सर्व०) १. हमारी। २. मेरी। पदार्थ । ४. क्षीर । (वि०) १. नहीं मरा अम्हतणो—(सर्व०) १. हमारा । २. मेरा । हुआ। २. कभी नहीं मरने वाला। अम्ह थी-(सर्व०) १. हमारे से। अविनाशी। २. मेरे से। अमृतधुनि-दे० अमृत ध्वनि । अम्हसू-दे० अम्हथी। अमृतध्वनि-(ना०) श्रीबालकृष्ण के नृत्य अम्हाँ -(सर्व०ब०व०) १. हम । २. हमें । की ध्वनि । २. एक प्रकार का छंद। हमको । ३. हमारे । ४. हमारा । अमृतधारा-(ना०) १. अमृत की धारा। अम्हीणी-(सर्व०) १. मेरी। २. हमारी। २. जीभ के मूल में तालू से टपकनेवाला अम्हीणो-(सर्व०) १. मेरा । २. हमारा। रस । (योग)। ३. एक औषधि । अम्हे-(सर्व०ब०व०) हम । अमृतबान-दे० अम्रतबाण ।। अय-(न०) १. शस्त्र । २. लोहा । अमृता-(ना०) हरॆ । हरीतकी । हरड़े। अयबळ-(न०) शस्त्र बल । अमेळ -(न०) १. विरोध । शत्रुता । अयाचक-दे० अजाचक । (वि०) बिना मिला अयाची-दे० प्रजाची। अमोघ-(वि०) १. अत्यन्त । अपार । अयारण-(वि०) अजान । अज्ञान । मूर्ख । २. अव्यर्थ । अचूक । अयाळ-(10) घोड़े या सिंह की गरदन अमोड़ो-(वि०) १. नहीं मुड़ने वाला। के उपरि भाग के लंबे बाल । २. जिसको पीछे नहीं हटाया जा सके। प्रयास--(न०) १. आकाश । २. चिन्ह । - अचल । (क्रि०वि०) जल्दी । अविलंब । लक्षण। अमोरणो (क्रि०) १. किसी वस्तु के अयोग-दे० अजोग । गुण, प्रकार या परिणाम की सजातीय अयोग्य-(वि०) १. जो योग्य न हो। वस्तु से पूर्ति करना । २. स्नान के लिये २. असमर्थ । ३. अपात्र । ४. अनुपयुक्त । गरम पानी में (मनुकूल ताप का बनाने ५. कुपात्र । नालायक । के लिये) ठंडा पानी मिलाना । अयोनि-(वि०) १. जो योनि द्वारा न ३. मिश्रित करना । मिलाना। जन्मा हो। २. अजन्मा । (न०) १. ब्रह्मा। अमोरो-(न०) और मिलाकर की जाने २. शिव । ३. विष्णु । वाली वृद्धि । बढ़ती । इजाफा। अयोसा-(न०) योषा (नारी) नहीं । अमोल-(वि०) १. अमूल्य । अनमोल। नर । मनुष्य । अयोषा। २. बहुमूल्य । ३. बिना मूल्य । अरनिं०) अरि । शत्रु । (अव्य) १. और । अमोलक-(वि०) १. अमूल्य । २. बहु- २. पूनः । .. मूल्य । कीमती। अरक–(न०) १. सूर्य । अर्क । २. पाक का अम्रत-दे० अमृत । पौधा । ३. भभके से खींचा हुआ रस । अम्रतबाण-(न०) घी, तेल, प्रचार प्रादि २. तांबा । रखने का चीनी मिट्टी का एक पात्र । अरकाद-(न०) सूर्य, चन्द्र इत्यादि ग्रह। मृत्तिका भाजन । अरग-(ना०) तलवार । For Private and Personal Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरगजो अरणोद अरंगजो-(न०) शरीर में लेपन करने का अरजुरण-(न०) १. पाण्डु पुत्र अर्जुन । एकं सुगंधित द्रव्य । प्ररंगजा। २. सोना । ३. चाँदी। ४. बांस ५. अर्जुन अंरगती-(ना०) धातु को रगड़ कर उसे वृक्ष । छीलने का एक औजार । रेती। कानस। अरट-(न०) रहँट । प्रतरड़ी। __ अरटियो-(न०) १. सूत कातने का अरगतो-ब0 बड़ी अरगती। बड़ी कानस। चरखा । रहँटिया । २. एक डिंगल छंद । रेता। अरड़णो-(क्रि०) १. जोर से रोना । अरगनी--(ना०) कपड़े लटकाने-रखने की चिल्लाकर रोना। २. ऊंट का बलरस्सी, तार आदि साधन । बलाना। ३. धक्का मारकर धंसना । अरगळा-(ना०) अर्गला । प्रागळ । अरडाटो-(न०) १. चिल्लाकर रोने की अरगंज-(वि०) शत्रु को नाश करने वाला। आवाज । रोने की चिल्लाहट । २. ऊंट (ना०) रावळ मल्लिनाथ के पुत्र राठौड़ की बलबलाहट । ३. धक्का। वीर जगमाल की प्रसिद्ध तलवार का अरडींग-(वि०) १. जबरदस्त । २. शत्रनाम । जयी । अरगंजण-दे० प्ररिगंजण । अरडुमो-दे० अरडूसो। अरगाहण-दे० अरिगाहण । अरडूसो-(न०) एक पौधा । अडूसा । अरघणो-(क्रि०) १. अर्घ्य देना । २. पूजा अरडो-(न0) १. धक्का । टक्कर । करना । २. फैला हुआ । चौड़ा । उरड़ो। अरघियो-दे० अरघो। अरण-(न०) १. अरण्य । जंगल । अरघो-(न०) अर्घ देने का ताँबे का एक २. अरुण। सूर्य । पात्र । अर्घा । अरणव-(न०) १. समुद्र । २. सूर्य । अरचरणो--(कि०) पूजा करना । अर्चना। अरणी-(ना.) १. एक पौधा। २. अग्नि अरचा---'ना०) अर्चन । पूजा । मंथनात्मक वृक्ष । ३. उसकी लकड़ी। अरज-(ना.) १. अर्ज । प्रार्थना । अरणि । २. चौड़ाई। अरणी-छठ-(ना०) ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अरजक-(न०) शत्रु । छठ को किया जाने वाला स्त्रियों का एक परजदार-(वि०) अर्जदार । फरियादी। व्रत । अरणि षष्ठी या अरण्यषष्ठी। अरजबेगी- (वि०) अर्ज गुजारने वाला। अरणो- (न०) १. अररिण-वन । अरजळ-(ना०) १. कष्ट । तकलीफ । २. अरण्य । जंगल । ३. जोधपुर के निकट २. व्याकुलता । ३. बेहोशी । एक तीर्थ स्थान जहाँ कुड में स्नान करने (वि०). १. बेहोश । २. व्याकूल। का महात्म्य है। परणीजी। ३. घायल । अरणोजी-दे० अरणो सं० ३ मरजाऊ-(वि०) अर्ज करने वाला। अरणो-झरणो-(न०) मारवाड़ के छप्पन अर्जदार। के पहाड़ों में एक तीर्थ स्थान जहाँ एक अरजी-(ना०) अर्जी । प्रार्थना पत्र । भारने के नीचे जलकुड में स्नान करने अरजी दावो-(न०) १. दीवानी अदालत का महात्म्य है । अररिण-निझर । में किये जाने वाले दावे की मर्जी। अरणोद-(न०) १. प्राबू पर्वत पर सनअर्जीदावा। सैट के नीचे के पर्वत में एक तीर्थ स्थान For Private and Personal Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरण्ये । ६१ ) परैरे जहां एक खंडित सूर्य मंदिर, जिसकी सूर्य अरध-(वि०) १. अद्ध । आधा । (क्रि० मूत्ति पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय वि०) नीचे । सूर्य का प्रकाश पड़ता है। अरणोदजीरो अरधगोखो-(न०) डिंगल का एक छंद । मंदिर । २. मेवाड़ का एक प्रसिद्ध तीर्थ अहध भाख-(न०) डिंगल का एक छंद । स्थान 'अरणोंद-गोतमजी' । ३. अरुणो- अरध भाखड़ी-(ना०) डिंगल का एक दय । सूर्योदय । उषाकाल । छंद । अरण्य—(न०) १. जंगल । वन । २. दश- अरध सावझड़ो-(न०) डिंगल का एक नामी संन्यासियों का एक भेद । । छन्द । अरण्य' कांड-(न०) रामायण का तीसरा अरधाळी-(ना०) छंद की एक पंक्ति के काण्ड । दो भागों में का एक भाग । अर्क्ली । अरत्त-(वि०) १. विरक्त । २. जो लाल अरधांग-(न0) अर्धांग नामक एक वात रंग का न हो। रोग । पक्षाघात । २. आधा अंग। (ना०) अरथ-(न०) १. धन । सम्पत्ति । २. शब्द .. अर्धांगिनी। का अभिप्राय । अर्थ । मतलब । ३. मनो अरवांगणी-(ना०) दे० अरधांगी। रथ । ४. अभिप्राय । प्रयोजन । ५. निमित्ति । इष्ट । काम । (क्रि० वि०) अरधांगी--(ना०) अर्धांगिनी । पत्नी । लिये । निमित्त । अरधूस--(न०) १. एकाएक पापड़ना । अरथ प्राणो-(मुहा०) १. काम में सहा आक्रमण । २. सेना । यक होना । २. उपयोग में आना। अरधो- (वि०) आधा । प्राधो । अरथ-गरथ-(न०) १. धन और घर। अरपण-दे० अर्पण। . २. धनमाल । ३. घर-बार । अरपणो--(क्रि०) १. अर्पण करना । भेंट अरथाकळ-(अव्य०) दे० अर्थाकळ । करना । २. देना । सौंपना । अरथाणो-(कि०) १. अर्थ करके सम- अरब-(न०) १. सौ करोड़ की संख्या । झाना। २. अर्थ को विवरण विवेचन । २ को विवरण विवेचन २. एक देश का नाम । और उदाहरणों इत्यादि से स्पष्ट करना। अरबी-(वि०) १. अरब देश का । (ना०) २. दुहराना । ४. स्मरण कराना । अरबी भाषा। याद दिलाना । दे० अरथ प्राणो। अरबुद--(न०) अर्बुद । प्रावू । अरथात-(अव्य०) १. अर्थ यह है कि। अरबुदियो-(न०) आबू पर्वत । २. अभिप्राय यह है कि । अर्थात् । यानी। अरभक-(न०) नवजात बालक । अर्भक । प्ररथावरणो--दे० प्ररथारणो। अरभंग-(न०) १. रावल मल्लिनाथ के अरथी-(वि०) १. लोभी । अर्थी । वीर पुत्र जगमाल के नगाड़े का नाम । २. याचक । ३. जरूरत वाला । ४. धन- प्रभरंग (विपर्यासनाम)। २. शत्रु का वान । (ना०) मुर्दे को शमशान ले जाने नाश करने वाला। की रथी। सोढी। अरमान-- (न0) इच्छा । अभिलाषा । अरदली-(वि०) हुकुम बजाने वाला । अरमोड़ो--(वि०) शत्रु को पीछे हटाने चाकर । अर्दली। वाला। अरदास-(ना०) १. अर्जदास्त । प्रार्थना। अरर-(अव्य०) शोक, दुख, दर्द इत्यादि के २. सिख सम्प्रदाय की गुरु प्रार्थना। कारण मुंह से निकलनेवाला एक शब्द । For Private and Personal Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परराट (६२) परियण अरराट-(न०) १. घोर शब्द । २. चिल्ला- अराण-(न०) युद्ध । पाराण । हट । ३. पीड़ा की चीस । ४. रुदन । अरात-(न०) १. शत्रु । २. दिन । अरळ-(न०) १. खोटा इलजाम । दोषा- अराति-(न०) १. शत्रु । २. काम, क्रोध, रोपण । आरोप । २. रोक । अवरोध । लोभ, मोह, मद तथा मत्सर नामक ३. मुसीबत । संकट । ४. उत्तरदायित्व । विकार । ५. राज्य भार । ६. अर्गला । प्रागळ। अराधरणो-(क्रि०) आराधना करना। ७. शत्रु । आराधना-दे० आराधरणो। अरवजियो-(न०) एक वृक्ष । अराबो-(न०) १. छोटी तोप । २. तोपअरवा-(न०) घोड़ा। गाड़ी । ३. पाराबों से सज्जित सेना। अरविंद-(न०) कमल । ४. सेना। अरस-(न0) १. आकाश । २. अर्श । अरावो-(न0) १. बड़ी अराई। गेंडुरा । बवासीर । ३. दुख । ४. अमैत्री । २. सांप का गोलाकार कुंडली लगाकर शत्रुता । (वि०) नीरस ।। बैठना। अरस-परस-(क्रि० वि०) १. आपस में। अराह-(न०) १. कुमार्ग । २. अधर्म । परस्पर । २. प्रत्यक्ष । (न०) १. साक्षा- अराहो-दे० अरावो। त्कार । २. दर्शन और स्पर्श । अरि-(न०) १. शत्रु । २. विरोधी । ३. अरसाल-(वि०) शत्रु के लिए शल्य रूप ___काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद तथा मत्सर (न०) किल।। ये छः विकार। अरसिक-(वि०) जो रसिक न हो। अरि-अंधार-(न०) सूर्य । अरसो-(न०) समय । काल । अर्सा । अरि-करि-(न०) सिंह। अरहट--(न०) रहँट । प्ररट । अरि गंजण---(वि०) शत्रु का नाश करने अरहटगो-(वि०) शत्रु को भगानेवाला। वाला। (क्रि०) युद्ध करना । २. शत्रु को अरिगाहण-दे० अरिगंजण । भगाना। अरिगाहणो-(क्रि०) शत्रु का नाश अरहर-(ना०) १. तुअर । २. तुअर की करना । (बि०) शत्रु का नाश करने दाल । ३. उसका पौधा । दे० अरिहर । वाला। अरंग-(न0) अप्रीति । अरा-(न० ब० व०) बैलगाड़ी के पहिये की अरिघड़-(ना०) शत्रु सेना । वे पटरियाँ जो पहिए के अंतः केन्द्र से अरिघड़ा-दे० अरिघड़। अरिथड़-(न०) शत्रु सेना । चारों ओर फैली रहती हैं। अरिथाट-(न०) शत्रु सेना । अराई-दे० आहरी। अरिदळ-(न०) शत्रु सेना । अराजकता-(ना०) १. अशांति । अरिपाल-(न०) १. शत्रु को रोकने २. विप्लव । ३. उपद्रव । ४. शासन व्यवस्था का अभाव । वाला । २. प्रत्याक्रमण । ३. युद्ध । अराजी-(ना०) खेत की जमीन । अरिभंजण-(वि०) शत्रु का नाश करने अराट-(न०) शत्रु राज्य। वाला। अराड़ो-(वि०) १. बहुत । २. तेज। अरियण-(न० ब० व०) परिजन । शत्रु(न०) शान्ति । गरण। For Private and Personal Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परियाण (६३) मरोगी अरियाण-दे० परियण। अरूठ-(वि०) १. जबरदस्त । २. अरुष्ट । अरिवर-(न०) बड़ा शत्रु । - प्रसन्न । राजी। अरिसाथ-(न०) शत्रुदल । अरूड़-(वि०) १. अत्यधिक । २. श्रेष्ठ । अरिसाल-(न०) १. शत्रु के लिये शल्य बढ़िया । ३. जो रूड़ो नहीं। असुन्दर । रूप । २. किला । अरसाल । ४. कुरूप । अरिहण-(वि०) शत्रु का नाश करने अरूडो-दे० अरूड़ । वाला । प्ररूप-(वि०) जो रूपवान नहीं । २. जिसका अरिहर-(वि०) शत्रु का हरण करने कोई रूप नहीं । निराकार । ३. कुरूप । वाला। (न0) ईश्वर । परब्रह्म। अरिहंत-(वि०) शत्रु का नाश करने अरूपी-(वि०) निराकार । (न.) ईश्वर । वाला । (न०) अरिहत । जिन । अर्हत अरूबरू - (अव्य०) सामने । रोबरू । अरिहंतो-(वि०) अरिहंत ।। प्रत्यक्ष । परी-(न0) अरि । शत्रु । (अव्य०) अरे-(अव्य०) १. अपने से उतरते दरजे के १. स्त्रियों के लिये संबोधन । २. ही। व्यक्ति के लिये संबोधन का उद्गार । निश्चय । ३. 'अरो' नर जाति का नारी २. आश्चर्य, दुख, क्रोध, चिता इत्यादि रूप निश्चय ही, यहाँ, इधर इत्यादि सूचक उद्गार । अर्थों में । उरी। अरेस-(न०) १. शत्रु । २. युद्ध । ३. शत्रुअरीझ-(वि०)नाराज । (ना०) नाराजगी। संहार । ४. आकाश । अरस । (वि.) अप्रसन्नता । १. सुरक्षित । २. हानि रहित । अरीठो-(न०) रीठे का वृक्ष और उसका ३. अहिंसा । अरेष । ४. निष्कलंक । फल । पारेठो। अरेह-(न०) १. शत्रु । २. युद्ध । ३. शत्रु अरीढ-(वि०) पीठ नहीं दिखाने वाला। ___ संहार । ४. पुत्र । (वि०) १. बिना टूटा अरीत-(वि०) १. बिना रीतिका । हा। दुरुस्त । साजो । २. ठीक । (क्रि०वि०) बिना रीति के । (ना०) ३. पवित्र । कुरीति । अरीति । अरेहरण-(वि०) १. शत्रु-संहारक। २.वीर । अरीश-(न०) बड़ा शत्रु । . बहादुर । (न०) १. शत्रु समूह । २. युद्ध । अरीस-(ना०) १. क्रोधाभाव । शान्ति । ३. विघ्न । कलह । ४. पुत्र । २. अरीश। ५. वंशज। अरुचि-(ना०) १. रुचि का अभाव । अरो-(न०) बैलगाड़ी के पहिये का एक अनिच्छा । २. घृणा। उपकरण । दे० 'उरो' अव्यय अर्थ । अरुण-(न०) १. सूर्य । २. सूर्य का अरोग-(वि०) रोग रहित । नीरोग । सारथी। ३. लाल रंग। ४. लाली। (न०) १. कुशल । कुशलक्षेम । कुसळखेम। (वि०) रक्त । लाल । रातो। २. सुख । अरुणाई-(ना०) लाली । ललाई। अरोगणो-(क्रि०) १. भोजन करना । अरुणोद-(न०) अरुणोदय ।। २. पीना । पान करना। अरुणोदय-(न०) १. सूर्योदय । २. उषा- अरोगी-(ना.) चिता । आरोगी। (वि०) काल । नीरोगी। For Private and Personal Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्थ –दे० प्ररथ अरोड़ मळगोपळगो अरोड़-(वि०) १. नहीं रुकने वाला । अर्बुद-(न०) आबू पर्वत । २. बादल । २. जबरदस्त । ३. बहुत । अधिक । ३. अर्बुद गांठ का रोग । (न0) नहीं रुकना । बेरोक। अबुंदगिर-(न०) अर्बुदगिरि । आबू पर्वत । अरोडणी-(क्रि०) १. नहीं रोकना । जाने अर्वाचीन-(वि०) १.अाधुनिक । २. नया। देना । २. रोकना । रोडरो। अर्श-(न०) बवासीर । मस्सो। अरोड़ो—दे० अरोड़। अल-(वि०) व्यर्थ । फजूल । अरोहक-(वि०) आरोहक । सवार । अळ—(ना०) १. पृथ्वी । २. विष । (वि०) प्रसवार । व्यर्थ । अरोहण-न०) १. ऊपर की ओर जाना। अलका-(न०) अलकापुरी । कुबेर की चढ़ना । सवार होना । ग्रारोहण । पुरी।। अरोहणो-(क्रि०) आरोहणो। चढ़ना। अलकावळि-(ना०) केशों की लटियें । सवार होना । अलकावलि। अलख-(वि०) १. जो दिखाई न दे। अर्थपिशाच---(वि०) धनलोलुप । बड़ा २. जो देखा न जा सके। ३. जो जाना ___ कंजूस । न जा सके। (न०) ईश्वर परब्रह्म । अर्थशास्त्र--(न०) अर्थनीति संबंधी वह अलख जगाणो--(मुहा०) अलख के नाम शास्त्र जिसमें धनोपार्जन, रक्षण एवं पर भीख मांगना । वृद्धि का विधान हो। अलख निरंजण-(न०) ईश्वर । अर्थाकळ-(अव्य०) १. अर्थ के रूप में। अलख पुरस-दे० अलख पुरुष । २. भावार्थ के रूप में। (न०) १. रूपक। अलख पुरुष-(न०) परब्रह्म । ईश्वर । २. अर्थालंकार । ३. अर्थविशिष्टता । अळखामणो-(वि०) १. अप्रिय । अरुचि४. अर्थकला। कर। २. अस्वभाविक । ३. असह्य । अर्थात्-(अव्य०) अर्थ यह है कि । अभि- ४. अशिष्ट । ५. उद्दण्ड । प्राय यह है कि । यानी । प्ररयात। अळखावणोदे० अळखामरणो। अर्थालंकार - (न०)अर्थ के चमत्कार से अलग-(क्रि०वि०) १. जुदा। पृथक् । संबंधित अलंकार । २. दूर । अर्ध-(वि०) १. आधा । अधूरा। अळगण-दे० अरणगळ । अर्धमागधी-(ना०) प्राकृत भाषा का एक अळगी-(क्रि०वि०) १. जुदी। पृथक् । स्वरूप। २. दूर । (ना०) १. रजोदर्शन । २. रजोअर्धाळी-(ना०) चौपाई की दो पंक्तियाँ। दर्शन का एकान्त वास । (वि०) आधी चौपाई। १. निराली। २. एकान्त । अर्धाग-(न०) १. प्राधा अंग। २. पक्षा- अळगो-(क्रि०वि०) १. जुदा । पृथक् । धात । लकवा । २. दूर । (वि०) १. निराला । २. एकांत । अर्धांगिनी-(ना०) पत्नी । अद्धीगिनी। अळगोजो-(न०) एक प्रकार की बांसुरी। अर्पण-(न०) १. प्रदान । २. समर्पण। अळगो-थळगो-(वि०) १. अलग-अलग । मेंट । नजर। भिन्न प्रकार का । २. अकेला । अर्पणो-(क्रि०) अर्पण करना । परपणो। ३. एकान्त । For Private and Personal Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra भलज अलज - ( वि० ) निर्लज्ज । अळजो- (वि०) उद्विग्न । चितित । अलजो- (वि० ) निर्लज्ज । अलज | अलज्ज - ( वि० ) निर्लज्ज | अलटो - ( न०) कलंक | कलंक | www.kobatirth.org ( ६५ ) १. बदनामी । २. लांछन । ३. झूठा आरोप | झूठा लड़-बलड़ - ( क्रि० वि०) श्रंटसंट । अविचार पूर्वक । अळतो- ( न० ) ९. अलक्तक | महावर । २. मेंहदी । अथो - (वि०) व्यर्थ । निकम्मा | अलद्ध - ( न० ) १. अप्राप्ति ( वि० ) प्रप्राप्त । अलप - दे० अल्प | अलपताई - ( ना० ) १. न्यूनता । कमी । अल्पता । १. ओछापना । ३. चंचलता । ४. शैतानी । अलपतो - ( वि०) १. चंचल । १. शैतान । ३. श्रोछा । हलका | अलबत - ( अव्य०) १. अलबत्ता । निस्सन्देह | २. परंतु । ३. हाँ । ४. कम से कम । अलबेलियो—दे० अलबेलो । अलबेलो- (वि०) १. छैला । २. मौजी । ३. मस्त । ४. उदार । ५. खाऊ-खरचू । अलमस्त - ( वि०) १. मतवाला । २. बेफिक्र । अलमारी - ( ना० ) काठ, लोहे आदि का खानेदार कपाट | अलल - ( न०) १. घोड़ा । २. भाला । ( वि०) १. पार । बहुत । २. बहुत से । ३. आला दर्जे का । अलल-टप्पू – (वि०) १. ऊटपटांग । २. बिना ३. बिना अंदाज । ठिकाने का । ४. अंदाजन । अलल-हिसाब - ( क्रि० वि०) १. लेन-देन के अंतर्गत बकाया रकम के पेटे में | २. चुकता हिसाब किये बिना। बिना हिसाब किये । ३. बिना सोचे-समझे । यों ही । ( वि०) बहुत ज्यादा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अळसाके संकट | अळवदो- दे० अळवध । अळवध - ( ना० ) आपत्ति । वर्ध । ग्रळवधो—दे० अळवध । अळवळाट - ( ना० ) १. व्यर्थ का विलंब | २. विलंब करने के इरादे से की जाने वाली व्यर्थ की बातें | फालतू बातें । ३. बकवाद । ४. यों ही इधर-उधर देखना-फिरना । अळवाड़ो - (न० ) भंट | झमेला | अळवारण - (वि०) बिना जूते पहने हुए । असह्य । नंगे पाँव | उळबारणो । चळवी - ( वि०) १. दुसह । २. कठिन | मुश्किल । ३. उलटी । विरुद्ध । ४. महँगी । ५. झगड़ालू । अलवेलियो - ( न० ) एक लोक गीत । दे० For Private and Personal Use Only अलबेलो । अलवेलो - दे० अलबेलो । अलवेसर - (वि०) १. सदा प्रसन्न रहने वाला । २. सदा ग्रानंदोत्सव मनाने वाला । मौजी । अलबेला । ३. उदारमना । उदाराशय । ४. असहायों का सहायक । ५. श्रृंगारित । अलंकृत । ( न० ) १. आनंदी पुरुष । २. द्वितीय पुरुष । परमेश्वर । ईश्वर । लवेसरी - (वि०) १. सदा प्रसन्न रहने वाली । २. सदा आनंदोत्सव मनाने वाली । ३. उदारमना । ४. असहायों की सहायक । ( ना० ) १. अद्वितीय नारी । २. सती स्त्री । ३. शक्ति । दुर्गा । ४. हिंगुलाज की अलि-वल्लभेश्वरी । हिंगलाज देवी । अळवो - ( वि० ) १. अविश्वासी । २. असह्य । ३. कठिन । ४ उलटा । ५. झगड़ालू । अलवो- (वि०) १. मौजी । अलबेला । २. मूक गूंगो अळसाक - ( न०) आलस्य । सुस्ती । Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पळी पळसाणो अळसाणो-(क्रि०) १. काम की होड में अलाणो–दे० प्रपलाणो। .सहयोगी को पीछे रख देना। काम में अळाणो-दे० अळसायो । हरा देना । आलसाना । प्रळाणो। अलाप--दे० पालाप । २. अलसाना। आलस करना। (न०) अलापरणो-दे० पालापणो । स्थगित । मुलतवी । प्राळाणो। अला-बला-(ना०)१. प्रेत बाधा । इल्लत । अळसियो-(न०) १. मिट्टी में पैदा होने २. संकट । प्राकतें । बलाएं। वाला लंबा बरसाती कीड़ा। २. पेट में अलाम-(वि०) १. दुष्ट । बदमाश । उत्पन्न होने वाला एक लंबा कीड़ा। २. नालायक । ३. वर्णसंकर । ४. चोर । केंचुपा । गिजाई। ५. नीच । अळसी-(ना०) अलसी । तीमी । अलायदो-(वि०) · जुदा । अलग । अळसूट-दे० अतलूज । अलहदा। अळसेट-(ना०) १. बाधा । विघ्न । अलाय-बलाय--दे० अला-बला । अड़चन । २. एतराज। आपत्ति । मुसीबत।। अलाव--(न0) १. आँवा । २. अग्निकुड । (वि०) १: नियम विरुद्ध । २. अनुचित । ३. आग का ढेर । ४. तापने की धूनी। ३. अनुपयुक्त । ४. रुका हुआ। अळावरणो-दे० अळसाणो। अळसेड़ो-(न०) १. कचरा । फूस । अलावा-(क्रि०वि०) अतिरिक्त । सिवाय । २. झगड़ा । टंटा। छोड़कर। अळही-दे० अळवी। अलाह-(10) १. अलाभ । हानि । अलंकार-(न०) १. गहना । प्राभुषण । २. अल्ला । खुदा । (वि०) लाभ रहित । २. शृगार । सुन्दर वेश-भूषा । ३. काव्य अलिअळ-(ना० १. अलि-अवलि । में शब्द या अर्थ का चमत्कार अथवा भ्रमर पंक्ति । २. भ्रमर । भौंरा । अनूठापन दिखाने वाले विविध तत्व । अलिय-(वि०) १. अलीक । २. अप्रति४. शब्द तथा अर्थ की वह योजना जिससे ष्ठित। काव्य की शोभा बढ़े । ५. शब्द अथवा । अलियळ-वि०) १. मौजी। मन-मौजी। अर्थ की चमत्कार वाला रचना । शौकीन । २. स्वतन्त्र । स्वच्छंद । ६. शब्द तथा अर्थ की चमत्कृति । ३: उदार । ४. दानी । (न०) १. अलि७. बहत्तर कलाओं में की एक कला।। कुल । भ्रमर समूह । २. भौंरा। अलियावळ-(ना०) भ्रमर पॅक्ति । अलंग-(क्रि०वि०) १. दूर । २. ऊपर । अळियो-(वि०) 'सळियो' का उलटा । (ना०) १. ओर । तरफ। २. दूरी । १. झगड़ा खोर । अळीवाळो। २.अशिष्ट । ३०.मकान की ऊंचाई। ४. ऊंचाई। अभद्र । ३. अव्यवस्थित । ४. केंचुप्रा । ५. घोड़ी की प्रसवदशा । ठारण । अळा-(ना०) १. अग्नि । १. अलाव । सूत सा लम्बा एक बरसाती कीड़ा । ५. नाज के अंदर का कंकड़ ढेला इत्यादि ३. पृथ्वी । कचरा। ६. खेत में फसल के साथ उगने पळाईयाँ-(ना०ब०व०) ग्रीष्म ऋतु की वाला घास। गरमी से शरीर में उठने वाली पिटिकाएं। अळी-(ना०) १. टंटा । फिसाद । अम्होरी। अम्होरियां। गरमी दाने। २. झगडा । कलह । उपद्रव । (वि.) मळायाँ । १. बुरी । खोटी । २. असत्य । For Private and Personal Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिया। पलीक ( ६७) मल्पविराम अलीक-(न०) १. कुमार्ग। २. मर्यादा. अलेखाँ-(वि०) १. असंख्य । बेहिसाब । उल्लंघन । अमर्यादा । (वि०) १. मर्यादा २. अत्यधिक । रहित । २. कुपथगामी। ३. मिथ्या। अलेखें-(क्रि० वि०) व्यर्थ । ४. अप्रिय । अलेप-(वि०) अलिप्त । निर्लिप्त । अळी-गळी-(क्रि० वि०) १. गली गली में। अलेल-(वि०) अपार । २. इधर-उधर । अलोइजणो-(क्रि०) मिश्रित होना । अलीगण-(वि०) १. अखाद्य । २. अग्राह्य। अलोवणो--(क्रि०) गीली वस्तुओं को ३. अनुचित । नाजायज । ४, अनुपयुक्त। परस्पर मिलाने के लिये हाथ से हिलाना अलीध-(वि०) नहीं लिया हुआ। नहीं या मंथन करना । मिश्रित करना। ग्रहण किया हुआ । (क्रि० वि०) १. बिना अलोवीजणो-दे० अलोइजरणो । लिये ही २. लेने से पहले (क्रि० भू०) नहीं अलोक-(वि०) अलौकिक । २. अद्भ त । अलोच-वि०) लोच रहित। कड़ा । अलीन-(वि०) १. अध्यानस्थ । ध्यान से । । ध्यान से कठिन । काठो । दे० आलोच। रहित । २. अतन्मय । ३. विरत ।। अलोज-दे० आलोज । अलग । ४. अनुचित । बेजा। अलीबंध-(न0) ढाल कसने (बाँधने) का अलोप-(वि०) अदृश्य । अंतर्धान । लुम । कसना । अलोल-(वि०) नहीं हिलनेवाला। स्थिर ! अचंचल । अलीमन-(न०) मुसलमान । अलोलक-(न०) स्त्रियों के कान का एक अळीयळ-(न०) अलियळ । प्राभूषण । अलील-(वि०) १. बीमार । २. सूखा । अलोवणो-(क्रि०) द्रव पदार्थ में चुर्ण हरा नहीं। ३. अनील । आदि को हिला-चलाकर एक-मेक करना। अळ झाड़-(न०) १. रस्सी-धागे आदि में मिलाना। पड़ी हुई उलझन । २. टंटा-झगड़ा। अलौकिक-(वि०) १. लोकोत्तर । ३. पेचीदा काम । ४. पेचीदापन । २. असामान्य । अद्भ त । ३. अपूर्व । ५. उलझन । दिक्कत । ६. बिना सार- ४. अति मानुषी । ५. दिव्य । सम्हाल के बिखरा हुमा सामान । अल्प-(वि०) १. थोड़ा। कम । २. छोटा। ७. अटाला । अटाळो। अल्पजीवी-(वि०) कुछ समय तक जीने अळ झाड़ो-दे० अळ झाड़। वाला । अल्पायु। अळ झणो-(क्रि०) उलझना । फँसना। अल्पज्ञ-(वि०) बहुत कम जानने वाला। अळ झाणो-(क्रि०) उलझाना । फंसाना। नासमझ । अलणी-(वि०) १. जिसमें नमक न हो। अल्पप्रारण-(न०) वर्णमाला में प्रत्येक अलोनी । २. नीरस । ३. फीकी। वर्ग का पहला, तीसरा और पांचवा ४. नापसन्द। अक्षर तथा य, र, ल, व वर्ण । अलूणो-(वि०) १. नमक रहित । अल्पभाषी-(वि०) कम बोलने वाला। अलोना । २. नीरस । ३. फीका। अल्पभोजी-(वि०) थोड़ा खाने वाला। अलेख-(वि०) १. लेख रहित । २. जिसका अल्पविराम-(न०) वाक्य में किंचित कोई लेखा नहीं। असंख्य । ३. जो ठहराव के स्थान पर प्रयुक्त एक विराम लिखने के योग्य नहीं। (न0) अलख । चिन्ह () । कामा। For Private and Personal Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवजोग अल्पायु (६८) अल्पायू-(वि०) कम आयु का। अवगति-(मा0) १. बुरी गति । कुदशा । अल्पाहार-(न०) १. साधारण से कम २. भूत प्रेत की गति । ३. नरक में भोजन । २. कलेवा । नाश्ता । मारो। जाना। ४. जानकारी। ५. धारणासिरावण । शक्ति। बुद्धि । (वि०) जिसकी गति जानी नहीं जा सके। अल्ल-(ना०) १. उपगोत्र । २. कुल नाम । ३. वंश की शाखा। अवगाढ–(वि०) १. शूरवीर । पराक्रमी। २. अशक्त । निर्बल । ३. गर्व रहित । अल्ला -(न०) परमेश्वर । खुदा । ४. निमग्न । (न०) युद्ध । अल्हड़-(वि०) १. अल्प वयस्क । २. अनु- अवगात-(वि०) १. निर्बल । अशक्त । व भव हीन । ३. भोला । ४. मौजी। २. बौना । ३. निष्कलंक । ५. अनाड़ी। अवगाळ-(ना०) १. कलंक । लांछन । अव-(उप०) दूषण, हीनता, अनादर, प्रौगाळ । २. बदनामी । अपयश । नीचाई, कमी, अभाव, निश्चय, व्याप्ति ३. शर्म । लाज । एवं विशिष्टता आदि का भाव प्रकट अवगाह-(न०) १. स्नान। २. संकट का करने वाला एक उपसर्ग। स्थान । ३. कठिनाई। ४. भीतर प्रवेश । अवकाश-(न०) १. फुरसत । खाली ५. हाथी का मस्तक । ६. युद्ध । (वि०) सनय । २. छुट्टी । रजा । ३. विश्राम । जुदा । अलग । (क्रि० वि०) दूर ।। ४. आकाश । ५. मौका । अवसर। - अवगाहगो--(क्रि० वि०) १. स्नान अवकृपा-(ना०) नाराजी । अप्रसन्नता । करना। २. युद्ध करना। ३. प्रवेश अवक्कीवारण---'ना०) १. आश्चर्यजनक करना। ४. थाह लेना। ५. सोचनाकथन । २. नहीं कहने योग्य कथन । विचारना । ६. गहरे विचार में पड़ना । ३. टेढ़ी बोली। ४. समझ में नहीं आने ७. चिंतित होना । ८. हल-चल मचाना। योग्य कथन । ५. जोर की चिल्लाहट । ६. मारना । नाश करना। अवगुण-(न०) १. दुर्गुण । २. दोष । अवक्र-(वि०) जो टेढ़ा न हो । सीधा ।। ३. हानि । ४. अपकार ।। अवक्रपा-दे० अवकृपा । अवगुणी- (वि०) १. दुर्गुणी । २. कुकर्मी । अवखल्लगो-१. टेकवाला । २. अक्कड़ । ३. कृतघ्न । क्रतघरणी। ३. अरुचिकर । अवग्या-दे० प्रवज्ञा। अवखाणो-दे० पोखाणो । अवघट-(वि०) १. विकट । दुर्गम । अवगणणा-(ना०) १. अवगणना । कठिन । प्रोघट । २. ऊबड़-खाबड़। उपेक्षा । २. अनादर । प्रवचळ-दे० अविचळ । अवगणणो-(क्रि०) १. अवगणना करना। अवछळ-(वि०) १. सुन्दर । २. पवित्र । उपेक्षा करना। २. अनादर करना। ३. कपट रहित । निश्छल । ३. हेय समझना। अवछाड़-(वि०) १. सहायक । २. रक्षक । अवगत-(वि०) १. जाना हुआ। ज्ञान । ३. कपड़े का ढक्कन । प्रौछाड़। २. जो जाना न जा सके । ३. अवगति अवछाह---(न0) उत्साह । प्रौछाह । प्राप्त । (ना०) १. याद । स्मरण । अवजोग-(न०) १. अपयोग । दुर्योग । प्रोगत । २. अवगति । ३. कुसमय । २. अशुभ मुहूर्त । For Private and Personal Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवज्ञा ( ६ ) प्रवनत अवज्ञा-(ना०) १. अनादर । तिरस्कार। २. अलौकिक ईश्वरीय गुणों से युक्त । २. उपेक्षा । अवहेलना। ३. लापरवाही। ३. दिव्य शक्ति सम्पन्न । ४. अलौकिक । अवझड़-दे० प्रोझड़। ५. विरुद्धाचरण वाला (व्यंग्य में)। अवझाड़-(ना०) प्रहार । चोट । प्रौझाड़। अवथणो---(क्रि०) १. बिगड़ना । २. नाश अवझाड़गो-(क्रि०) १. प्रहार करना । होना। ३. अस्त होना। ४. हारना । २. काटना । ३. मारना । प्रौझाड़यो। ५. अवस्थित होना। विद्यमान होना । अवट-(वि०) १. बिना मार्ग । ऊजड़। ६. होना । बनना । २.६ जिसमें बट न हो। ३. जो समाप्त अवदशा-(ना०). बुरी दशा । गिरी न हो। (न०) १. विरुद्धाचरण । हालत । अवदात--(वि०) १. उज्ज्वल । २. श्वेत । २. कुमार्ग। ३. विकटमार्ग । ४. खड्डा । ३. शुद्ध । पवित्र । (न०) १. श्रेष्ठता। ५. युद्ध । ६. निभिमान । श्रेष्ठ चरित्र । अवटणो.-(क्रि०) १. प्रौटना । उबलना। अवदाळ--(वि०) उदार । २. गुस्से होना। ३. मन में घुटना। अवदिशा-(ना०) विरुद्ध दिशा । कुढयो । ४. युद्ध करना । अवदीक--(न०) युद्ध । अवटावरणो-(क्रि०) १. हैरान करना। अवदीत--दे० अवदात । २. प्रौटाना। उबालना ।। ३. हराना। अबध-(न०) १. अयाध्या । २. अबध-(न०) १. अयोध्या। २. अवधि । सीमा । ३. मयाद । ४. आय । (वि०) ४. उलटना । ५. पूरा करना । निष्पन्न करना । वध नहीं करने योग्य ।। अवधार-(न) १. उद्धार । २. रक्षा । अवटीजणो-दे० अवटणो। ३. निर्णय । ४. निश्चय । अवडी-(वि०) १. इतनी। २. बहुत । अवधारणो-(क्रि०) १. उद्धार करना । ३. इस प्रकार की । ऐसी । २. रक्षा करना। ३. धारण करना । अवडो-(वि०) १. इतना। २. बहुत । ४. स्वीकार करना । ५. निश्चय करना । अधिक । इस प्रकार का। अवधि-(ना०) १. निचित समय । अवढ--(वि०) १. वह (जंगल और जिसके मियाद । २. सीमित समय । ३. सीमा । वृक्षों की लकड़ी) जिसके काटने की मनाई हो। रक्षित । रखत । २. विकट । अवध-(न०) १. योगी। २. संन्यासी । दुर्गम । साधु । (वि०) १. मस्त । २. उच्छं खल । अवतरणो-(क्रि०) १. अवतार लेना। अवधत-न०) १. संसार से विरक्त । २. उत्पन्न होना । जन्म लेना। ३. उत- त्यागी। २. योगी। ३. नाथपंथी साधु । रना। ४. संन्यासी । (वि०) मस्त । अवतार-(न०) १. प्रादुर्भाव । २. जन्म। अवधूताणी-(ना०) संन्यासिनी । ३. ईश्वर का प्राणी रूप में प्राकट्य ।। अवधेश-(न०) १. अवधपति । २. श्री शरीर धारी के रूप में ईश्वर का धरती रामचन्द्र । पर उतरना। अवधेश्वर-(न०) श्री रामचन्द्र । अवतारणो-(क्रि०) १. उतारना । अवध्वंस-(न०) १. नाश । संहार । २. घुमाना । फिराना। अवनत-(वि०) १. झुका हुआ । २. दुर्दशाअवतारी-(वि०) १. अवतार लेने वाला। ग्रस्त । ३. पतित । गिरा हुआ। ४. नम्र। For Private and Personal Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org tarfa अवनति - ( ना० ) १. पतन । ह्रास । २. दुर्दशा । अवनाड़ - (वि०) १. अनम्र । २. योद्धा | ७० ) वीर । अवनाड़ो - दे० अवनाड़ । अवनी -- ( ना० ) पृथ्वी । अवनीप -- (न० ) राजा । प - ( 70 ) वपु । कामदेव | अनंग | अवबेल - (वि०) निराश्रय । निःसहाय । अवमान - ( न० ) अपमान । निरादर । अवमानगो - ( क्रि०) १. अपमान करना । २. उलटा समझना । ३. आज्ञा का पालन नहीं करना । अवयव - ( न० ) १. शरीर का अंग । २. वस्तु का पूरक अंश । हिस्सा । अवर - (वि०) १. तुच्छ । २. न्यून | कम । ३. अधीनस्थ । ४. दूसरा । अन्य । ( श्रव्यo ) और । अ वरजण - ( न० ) स्वीकार । अवर्जन । अवर जरण - ( न० ) १. अन्य व्यक्ति ! २. शत्रु । ( वि० ) पराया । अवर जन । अवरजणो- ( क्रि०) १. इन्कार नहीं करना । २. स्वीकार करना । ३. निछावर करना । अवरण - (वि०) १. बिना वर्ण का ! २. बिना रंग का । अवर्ण । अवररण-वरण - ( न० ) परब्रह्म । ईश्वर | अवस्था - ( वि०) वृथा । निरर्थक । फजूल । अवरपरण - ( न० ) १. अनात्मीयता 1 २. परायापन । ३. भिन्नता । अलगाव | श्रळगापणो । अवरपणो - दे० अवरपण । अवरसरण - ( न० ) १. अवर्षण । अनावृष्टि । २. दुष्काल । अकाळ | अवरसरणो- दे० अवरसरण | अवरंग - ( न०) १. औरंगजेब बादशाह । २. बदरंग । भवलं अवरंगशाह - ( न० ) श्रीरंगशाह | श्रीरंग जेब बादशाह | अवराधरणो- दे० श्राराधणो । अवराधन दे० आराधना । अवरापरण - (वि०) क्वारा। दे० अवरपण । प्रवरा - ( अव्य०) १. दूसरों ने । २. दूसरों को । औरों को। दूजाने । प्रवरी - ( वि०) १. अविवाहिता । क्वारी । कुमारी । २. वह जिसने युद्ध नहीं किया हो ( सेना ) | ( ना० ) १. अप्सरा । २. एक नाग कन्या । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवरेख - ( न० ) १. अनुमान । २. विचार । ३. निश्चय । ४. अवलोकन | वरेखो - ( क्रि०) १. अनुमान करना । २. विचार करना । ३. निश्चय करना । ४. देखना । अवलोकन करना । श्रवरेरण - ( अव्य० ) १. दूसरों के द्वारा । औरों से । २. शत्रुओं के द्वारा । (वि. ब. व.) दूसरे । दूजा | अवरेब - दे० उरेब 1 प्रवरो - (वि०) १. क्वारा। कुमारो । २. दूसरा । दूजो । अवरोखणो- ( क्रि०) १. रोष करना । क्रोध करना । २. प्रसन्न होना । अवरोध - ( नं०) १. रुकावट । २. अड़चन । बाधा । अवरोधक - (वि०) १. रोकने वाला । रोकरियो । २. बाधा डालने वाला । अवरोधरणो- ( क्रि० ) १. रोकना 1 २. रुकावट डालना । बाधा डालना । अवरोह - ( न० ) १. उतार । २. पतन । गिराव । ३. ऊपर के स्वरों से नीचे के स्वरों पर आना । आलाप का नीचे आना ( संगीत ) | 'आरोह' का उलटा स्वर । अवल - ( वि० ) १. पहला । प्रथम । २. उत्तम । श्रेष्ठ । ३. असल । For Private and Personal Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवळण ( ७१ ) अवहेलना अवळण-(न०) १. नहीं लौटना । अवसर-(न०) १. महफिल । २. नृत्य । २. सुधी नहीं लेना । ३. बेखबर। ३. मौका । समय । ४. बार । दफा । अवळणा-(ना०) असुधि । बेखबर । ५. बारी। पारी। ६. मृतक भोज । अवळरणो--(क्रि.) १. नहीं लौटना । औसर । मौसर । ७. कोई विशेष प्रायो वापिस नहीं आना । २. नहीं मुड़ना। जन । आयोजन । अवलंब-(न0) सहारा । प्राश्रय । अवसर चुकरणो-(मुहा०) अनुकूल परिआसरो। स्थित या मौके का हाथ से गँवा देना। अवलंबगो-(क्रि०) १. सहारा लेना। अवसाऊ-(वि०) आवश्यकीय । जरूरी । आधार लेना । २. प्राधार रखना। (कि० वि०) एकाएक । अचानक । अवळाई-(ना०) १. टेढाई । २. चक्कर । अवसारण-(न०) १. मृत्यु । मरण । घूम । ३. बदमाशी। २. मौका । अवसर। ३. विराम । अवलियो-(न0) औलिया। पहुँचा हुआ ४. ढंग । ५. चेत। होश । ६. युद्ध । फकीर । २. सिद्ध पुरुष । ७. अहसान । अवळी-(वि०) १. विपरीत । विरुद्ध । अवसाण-सिद्ध-(वि०) १. मृत्यु को २. टेढ़ी । (ना०) पंक्ति । अवलि । सार्थक बनाने वाला । २. मृत्यु को सिद्ध अवळीमारण-दे० अमलीमाण । करने वाला। ३. समय पर काम सिद्ध अवळ ---दे० अोळ् । करने वाला । ४. समय का लाभ उठाने अवळ डी-एक लोक गीत । दे० प्रोळ् । बाला। ५. युद्ध में वीरगति प्राप्त करने अवळ ---(क्रि० वि०) शरण में । वाला । ६. विजयी । अवळो-(वि०) १. विपरीत । विरुद्ध ।। ' अवसाद--(न०) १. विषाद । २. थकावट । २. टेढ़ा । ३. चक्कर वाला । धूमवाला। . ३. नाश । ४. मृत्यु । अवळो आवरणो-(गुहा०) प्रसव के समय अवसाप---(न०) १. यश । कीर्ति । भ्र ण का आड़ा हो जाना । प्राडोप्रारणो। २. वैभव । ३. बड़प्पन । ४. उदारता । अवळो करणो - (मुहा०) उलटा करना। ५. वदान्यता । प्रौसाप । ६. सामथ्र्य । ऊँधो करणो । ७. शौर्य । ८. शक्ति । बल । ६. उपकार। अवळो वहणो-(मुहा०) १. विरुद्धाचरण अवस्था-(ना०) १. प्रायु । उम्र । ___ करना । कुमार्ग पर चलना । २. दशा । हालत । ३. आयुष्य के चार अवळो व्हेणो--(मुहा०) विरुद्ध हो जाना । अंश-बाल्य, कौमार, यौवन और जरा । अवळो-सवळो- (वि०) १. उलटा-सुलटा। २. जैसा-तैसा। ४. वेदान्त के अनुसार चार अवस्थाएंअवश-(वि०) १. बेबश । मजबूर । जागृति, स्वप्न, सुषुप्ति और तुर्य । लाचार । २. परतंत्र । ५. बुढ़ापा । वृद्धावस्था । अवश्य-(क्रि० वि०) १. जिस पर कोई अवस्थान--(न०)१. स्थान । २. टिकाव । वश न हो । निश्चित । जरूर । ३. स्थिति । २. अनिवार्य । यवहार--(वि०) १. बंधनमुक्त । अवस-(क्रि० वि०) अवश्य । जरूर । २. शिथिल । (न०) १. युद्ध विराम । (वि०) १. जो वश में नहीं किया जा विराम । २. शिथिलता। सके । २. अवश । विवश । .. अवहेलना-(ना०) अवज्ञा । तिरस्कार । For Private and Personal Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवक ( ७२ ) प्रविबाट अवंक-(वि०) सीधा। __ अवादान-दे० प्रावादान । अवंको-(वि०) १. सीधा । टेढ़ा नहीं। अवादानी-(ना०) १. आमदनी । २. सरल। २. आबादी। अवंगी-(वि०) १. वह जहाँ किसी का अवादो-(न०) १. वादा। वायदा । आवागमन न हो (स्थान)। एकान्त । २. मियाद । ३. वादा खिलाफी । ४. स्वाद २. जहाँ कोई जा न सके । दुर्गम । ३. कठिन। रहित । अस्वादो। असवादो। ५. कई ४. सुविधा रहित । (ना०) १. एकांत दिन पहले का बना हुआ (खाद्य पदार्थ जगह । २. भयावनी जगह । इत्यादि) बासी। अवंगो-(वि०) १. दुर्गम । २. कठिन। अवार-(ना०) १. देर विलंब । (क्रि०वि०) ३. झंझटवाला । ४. कष्ट साध्य । तुरंत । अभी । । प्रबार । ५. एकान्त । ६. भयावना (स्थान)। __अवार-नवार-(क्रि०वि०) १. बेर-अबेर । अवंती-(ना०) १. मालवा की प्राचीन, २. कभी-कभी । कद-कदै । ऐतिहासिक राजधानी का एक नाम । अवावर-(वि०) बहुत समय से काम में उज्जयिनी । उज्जैन । २. मालवा का प्राचीन नाम । मालव ।। नहीं लाया हुआ । अव्यवहृत । अवाई-(ना०) १. पाने की क्रिया । अवावर खातो-(न0) अव्यवस्था । बद इंतजामी । गड़बड़खातो। गड़बड़ ।। प्रागमन । २. संदेश । अवाऊ-दे० अवसाऊ । अवावरखानो-(न०) वह स्थान जहाँ बहुत अवाक-(वि०) १. मौन । चुप । २. चकित । ___समय से अव्यवस्थित ढंग से और अव्यअचंभित । ३. जिसमें चेप न हो। वहृत वस्तुएं पड़ी हों। २. अव्यवहृत चीकासहीरण । ४. सत्त्व रहित । सतहीण । वस्तुओं का ढेर। अवाकी-(वि०) १. मौन रहने वाला । अवास-(न०) १. उपवास । व्रत । नहीं बोलने वाला। मौनी। २. मूक । २. प्रावास । घर । (वि०) १. बिना गूगो। ३. नहीं बोलने योग्य ।४. लजित।। घर का। आवास रहित । २. गंध ५. चकित । ६. अप्रामाणिक । रहित । अवाकी वाण-दे० प्रवक्की वाण । अवाह-(न०) आँवाँ । भट्टा । (वि०) अवाचा-(न०) १. प्रतिज्ञा पालन की प्रहार रहित । मुक्ति। की हुई प्रतिज्ञा के प्रतिबंध की अवांग-(वि०) वांगा हुआ नहीं। तेल छुट्टी । २. प्रतिज्ञा का रद होना। वाचा दिया हुआ नहीं (पहिले की धुरी में)। प्रवाचा। __ अवांछनीय-(वि०) १. जो इष्ट न हो । अवाची-(ना०) दक्षिण दिशा । २. नहीं चाहा हुआ । ३. अनुचित । अवाच्य-(वि०) १. अवर्ण्य । अकथ्य । अवांतर-(वि०) १. अंतर्गत । २. मध्य२. जो पढ़ा न जा सके। वर्ती। ३. गौरण । अतिरिक्त । अवाज-(ना०) १. आवाज । ध्वनि । अविअट—दे० प्रविप्राट।। बोली । २. पुकार । ३. स्वर । सुर। अविबाट-(न०) १. युद्ध । २. सेना । अवाड़ो-(न०) पशुओं के लिये बनाया ३. तलवार । (वि०) १. जबरदस्त । हुआ पानी पीने का थाला या खेली। वीर । २. उद्दड। ३. दृढ़। मजबूत । उबारा । खेळी । हवाड़ो। ४. भयंकर। For Private and Personal Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवेरो अविकल ( ७३ ) अविकल-(वि०) १. जो विकल न हो। अविवेक-(न०) विवेक हीनता। नासमझी। अव्याकुल । २. क्रमबद्ध । व्यवस्थित । बेवकूफी। ३. ज्यों का त्यों । ४. पूरा । सम्पूर्ण। अविवेकी-(वि०) १. विवेकहीन । नाअविकारी-(वि०) १. विकार रहित । समझ । बेवकूफ । २. अविचारी। निविकार। २. रोग रहित । नीरोग। अविश्वास--(न०) विश्वास का अभाव । ३. जिसके रूप में कभी विकार या परि- अविश्वासी-(वि०) १. जिसका कोई वर्तन नहीं होता ऐसा (शब्द) अव्यय । विश्वास न करे। २. जो किसी पर (व्या०) - विश्वास न करे। विश्वास न करने अविगत-(वि०) १. अज्ञात । २. अज्ञेय । वाला। ३. अनिर्वचनीय । ४. विवरण रहित। अविहट-दे० अविबाट । (न०) परब्रह्म। अविहड़-दे० प्रविबाट। अविचळ-(वि०) १. स्थिर । ध्रुव । अवीढो--(वि०) १. वीर । योद्धा । २. दृढ़। धीर । निडर । २. अद्भत । अनोखा । ३. कठिन । अविचार-(न०) १. बुरा विचार । दुरूह । विषम। ४. जबरदस्त । ५. भयं२. अविवेक। कर। अविचारी-(वि०) अविवेकी । नासमझ। अवींध-(वि०) १. बिना बींधा हुआ । अविणास-(न०) अविनाश । नाशरहित । प्रविद्ध । अरणवींध । अविणासी-(वि०) १. जिसका नाश न अवूठणो--(न०) अवर्षण । अवरसण । हो । अविनाशी। २. नित्य । शाश्वत । (क्रि०) वर्षा न होना । (न०) परब्रह्म। अवेखणो-(क्रि०) देखना । जोवरणो.। अविद्या-(ना०) १. विद्या का अभाव । अवेढी-(वि०) १. कठिन । २. विकट । २. मूर्खता। ३. अज्ञान । ४. माया का भीषण । ३. प्रतिकूल । विरुद्ध । एक भेद । ५. माया। ४. निर्जन । ५. भयाबना । ६. अद्भ त । अविधान–(न०) १. अभिधान । नाम । ७. जबरदस्त । ८. चिन्ह रहित। ६. धाव २. अव्यवस्था । ३. अनियम । ४. विधान रहित । के विरुद्ध । अवेढो-दे० प्रवेढी। अविनय-(ना०) १. उद्दडता । २. धृष्टता। अवेर-(ना०) १. हिफाजत । सम्हाल । अविनाश-दे० अविरणास । सुरक्षा । २. सुव्यवस्था । ३. विवेकपन अविनाशी-दे० अविणासी । का उपयोग और उसका फल । ४. मितअवियट-दे० प्रविाट । व्ययिता । ५. सुघड़ता । निपुणता । अवियाट-दे० अविपाट । ६. देरी । विलंब । अवियार-(न0) अविचार । अवेरणो-(क्रि०) १. सम्हाल करके रखना। अविरळ-(वि०) १. विरल नहीं। सामान्य । सम्हालना । २. संग्रह करना । ३. सुव्य २. घट्ट। ३. घना। ४. सटा हुआ। वस्थित करना या रखना। ४. वस्तु को ५. सतत । लगातार । वापिस लौटाना या सम्हलाना । अविराम- (क्रि० वि०) विराम रहित। अवेरो--(न०) १. काम करते समय होने बिना रुके। बाला बरतन, मौजार मादि वस्तुओं का For Private and Personal Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवेळा (७४) अष्ट कल्याणी बिखराव । २ बिखरी हुई वस्तुएँ । अशिव-(वि०) १. अमंगलकारी । ३. नित्य व्यवहार की वे वस्तुएँ जिन्हें २. वीभत्स । (न०) अमंगल । काम करने के बाद यथास्थान रखना है। अशिष्ट-(वि०) १. उजड्ड । गंवार । प्रवेळा-(ना०) १. बिलंब । देर । २. अस- २. अभद्र। मय। कुसमय । (क्रि० वि०) शीघ्र। अशुद्ध-(वि०) १ अपवित्र । २. सदोष । झट । बेगो। ३. भूलयुक्त । गलत । खोटी । खोटो। अवेव-/न०) १. अवयव । २. भेद । अशुद्धि-(ना.) १. अपवित्रता । २. भूल । रहस्य । गलती । खोट । अवेस-(क्रि० वि०) अवश्य । जरूर । अशुभ-(वि०) १. अमंगल । २. पाप । (वि०) वेश रहित । (न0) आवेश । __अपराध । ३. खोटो। अवेसास-(न०) अविश्वास । अशेष-(वि०) १. न बचा हुआ। समाप्त। अवै—(सर्व०) १. उसने । २ उन्होंने । २. पूरा । ३. अनंत । अपार । अवोचरण-(न०) पर्दानशीन औरतों के अशोक-(वि०) शोक रहित । (न०) एक प्रोढ़ने या साड़ी के ऊपर प्रोढ़ने का एक प्रति प्रसिद्ध प्राचीन मगध सम्राट । वस्त्र। २. एक प्रसिद्ध मांगलिक वृक्ष । अवोड़ो-दे० प्रौड़ो। अशोच-(न०) १. अपवित्रता। २. वह अव्यक्त-(वि०) १. अप्रकट । २. अगम्य । - अशुद्धि जो परिवार में जनन या मृत्यु पर ३. नहीं कहा हुया । (न०) ईश्वर । मानी जाती है । सूतक । अव्यय-(वि०) १. व्यय रहित । २. विकार अश्रद्धा-(ना०) १. श्रद्धा का अभाव । रहित । अविकारी । ३. सदा एक रूप। २. घृणा । सूग । ३. अनास्था । (न0) सभी लिंगों, वचनों, कारकों अश्र -(न०) आँसू । इत्यादि में अपरिवर्तित रहने वाला अश्रु त-(वि०) नहीं सुना हुा । शब्द । (व्या०) अश्लील-(वि०) १. कामाचार संबंधी । अव्यवस्था-(ना०) कुव्यवस्था । व्यवस्था २. कुत्सित । ३. गंदो । भद्दा । फूहड़ । ___ का अभाव । बदइंतजामी। अश्व-(न०) घोड़ा। अव्यवहारू-(वि०) जो व्यवहार में न आ अश्वमेध-(न0) प्राचीन काल का एक ___ सके । व्यवहार के उपयुक्त नहीं। प्रसिद्ध यज्ञ। अशकुन-(न०) बुरा शकुन । आषाढ-(न०) असाढ़ मास । अशक्त-(वि०) निर्बल ।। अष्ट-(वि०) आठ । (न०) आठ की प्रशक्ति-(ना.) निर्बलता । कमजोरी। संख्या । '' प्रशरण-(वि०) १. निराधार । २. अनाथ। अप्ट कल्याणी-(वि०) १. पाठ श्वेत अशरण-शरण-(वि०) निराधार को शुभ चिन्हों वाला (घोड़ा) । चारों पाँव, __ शरण देने वाला । (न०) ईश्वर। ललाट, छाती, कंधा तथा पूछ जिसके प्रशांत-(वि०) १. बेचैन । २. क्षुब्ध । सफेद हों वह (घोड़ा)। अष्टमंगळी । २. खाने-पीने में पवित्रता-अपवित्रता, अशांति-(न०) १. बेचैनी। २. अस्थिरता। छुआछूत, शुद्धाशुद्ध तथा सफाई . ३. क्षुब्धता। इत्यादि का जहाँ विचार तथा व्यवस्था प्रशिक्षित-(वि०) मनपढ़। न हो । मठ कल्यारपी। For Private and Personal Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असताई अष्टकुले अष्टकुळ---(न०) १. सौ के आठ कुल। अस-(न०) अश्व । घोड़ा । (वि०) ऐसा । २. पर्वतों के आठ कुल। असई-(वि०) असती । कुलटा। अष्टछाप-(न०) आठ सर्वोत्तम पुष्टिमार्गी असखेधो--(न0) १. झगड़ा। २. बोलकवियों का वर्ग। चाल । विवाद । ३. छल कपट । ४. छड़अष्टधातु-(ना०) सोना, चाँदी, तांबा, छाड़। राँगा, जस्ता सीसा, लोहा और पारा। असखेल-ना०) हंसी-मजाक । दिल्लगी। अष्ट नायिका--(ना०) काव्य शास्त्र में मसखरी। वरिणत अवस्था भेद की तीन--मुग्धा, असगंध-(न0) अश्वगंधा नाम की एक मध्या और प्रौढा नायिकाओं के अतिरिक्त झाड़ी तथा औषधि । मासगंध । आगंध । आठ प्रकार की नायिकाएँ-स्वाधीन- असगुन--(न०) अशकुन । अपसुकन । पतिका, खंडिता, अभिसारिका, कलहांत- असगो-(वि०) १. जो सगा न हो। रिता, विप्रलब्धा, प्रोषितभर्तृका, वासक- २. जिससे रिश्ता न हो। (न०) शत्रु । सज्जा और विरहोत्कंठा । असज्ज-(वि०) १. असाध्य । २. तैयार अष्टपद-(न०) १. सिंह । २. मकड़ी। नहीं । सजा हुआ नहीं । ३. टूटा-फूटा । ३. सोना । सुवर्ण। असज्जन-(वि०) १. जो सज्जन नहीं । अष्ट पहर-(ना०ब०व०) दिन-रात के आट दुष्ट । २. शत्रु । पहर । आठपहर का समय । पाठों पहर। असज्झ-दे० असज्ज । अष्ट भुजा-(वि०) आठ भुजाओं वाली। असट-दे० अष्ट । (ना०) दुर्गा। असड़ी-(वि०) ऐसी ! इस प्रकार की ! अष्टमंगळी-दे० अष्ट कल्याणी । अष्ट मंगळीक-दे० अष्ट मंगळी : असड़ो--(वि०) ऐसा । इस प्रकार का । अष्टमी-दे० पाठम। अष्टसिद्धि -(ना०) पाठ सिद्धियां-अणिमा, असण-(न) १. भोजन । अंशन । महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, २. बिजली। ३. वज्र । ४. बाण । इशित्व और वशित्व। ५. अोला। अष्ट सौभाग्य - (न०ब०व०) सौभाग्यवती असणी-(ना०) बिजली । प्रशनि । खिवरण। स्त्री के पाठ चिन्ह-(१) मांग में सिंदूर, सडू, असत-(वि०) १. असत्य । मिथ्या । (२) ललाट पर कुकुम की टीकी (बिंदी), २. अधर्मी । अन्य यो। ३. कायर । (३) आँख में काजल, (४) नाक में बाली ४. बुरा । खराब । ५. सड़ा हुआ । ६. सत्व(नथ), (५) कानों में कुडल, टोटी, झेला हीन । ७ अशक्त । ८. अस्त । तिरोहित । इत्यादि, (६) गले में हार (पोतमाला), असत धान-(न0) १. हलकी किस्म का (७) हाथों में चूड़ा, (८) पाँवों में झाँझर, कड़ले इत्यादि। अनाज । २. नहीं खाने योग्य सड़ा-गला अष्टाध्यायी-(ना०) पाणिनीय व्याकरण अनाज। ३. अग्राह्य अनाज। ४. अधर्म का प्रधान ग्रंथ जिसमें पाठ अध्याय हैं। की कमाई का दाना। अष्टावक्र--(10) एक प्रसिद्ध ऋषि । (वि०) असताई-(वि०) १. कायर । डरपोक । शरीर के प्राठों ही अंगों में बाँका-टेढा। बीकरण । २. सत्वहीन । ३. शक्तिहीन । ४. झूठा। For Private and Personal Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ७६ ) असती - (वि०) १. कंजूस । २. कायर । ३. दुराचारी । पापी । ४. विधर्मी । ५. अन्यायी । ६. झूठा । ७. अशक्त । ( ना० ) १. पतिव्रता धर्म को नहीं पालन करने वाली स्त्री । २. कुलटा । ३. व्यभिचारिणी । बिगड़ियोड़ी । असत्य - - ( वि०) मिथ्या । झूठ । श्रसत । प्रसथळ - ( न० ) साधुओं के रहने का स्थान । असथल । मठ । प्रस्थान - ( न० ) स्थान । जगह । असद - ( वि० ) १ असत्य । २. खराब | ३. खोटा । असन — दे० प्रसरण । असनान - ( ना० ) स्नान । नहान । असनाळ - ( ना० ) १. घोड़े पर कसी जाने वाली बंदूक । २. घोड़े के खुर की नाल । सप --- ( न० ) अश्व । घोड़ा । श्रस्प | असपत—दे० सपति | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असमरथ - दे० असमर्थ । असमर्थ - (वि०) १. सामर्थ्यहीन । अशक्त । २. अयोग्य । असराफ असमंजस - ( ना० ) १. अनिश्चय की मानसिक स्थिति । २. दुविधा । समंध - ( न० ) १. शत्रुता । २. असम्बन्ध । असमारण - ( न० ) आसमान | प्रकाश । ( वि० ) असमान | अतुल्य । समाथ दे० असमत्थ । असमाध - ( न० ) १. उपद्रव । २. रोग । ३. पीड़ा । ४. मृत्यु | 1 समाधरणो - ( क्रि०) मरना । अवसान होना । समाधियो- - ( वि०) १. मरणासन्न । २. रोगी । ३. बेचैन । ४. मरा हुआ | (भू० क्रि०) मर गया । असमान - (वि०) १. जो बराबर न हो । अतुल्य (To) आकाश । श्रासमान । समाप्त - (वि०) जो पूरा न हुआ हो । अपूर्ण । धूरो । समेव - दे० अश्वमेध | असपताल - ( ना० ) १. औषाघालय | दवा खाना । २. चिकित्सालय | हॉस्पिटल | असपति - ( न० ) १. राजा । २. बादशाह । ३ अश्वपति । घोड़ों का स्वामी । असफळ - ( वि०) असफल । विफल | असबाब - - ( न०) सामान | असभ्य- - ( वि० ) अशिष्ट । गँवार | असभ्यता -- ( ना० ) अशिष्टता । गँवारपन । असम - ( वि०) १. जो एकसा न हो । २. ऊबड़-खाबड़ । ३. असमान दृश्य । ४. अतुल्य । समझ - ( ना० ) १. मूर्खता । २. अज्ञानता । प्रसरण - दे० अशरण । अस (fro) मूर्ख | बेवकूफ । श्रसमत्थ - ( वि० ) १. असमर्थ । अशक्त । २. अयोग्य । असमय - - ( न० ) १. खराब समय । कुसमय । बेवक्त । असमर - ( ना० ) तलवार । असमर - झल - (वि०) खड्गधारी । असम्मत - ( वि० ) १ असहमत । २. जो राजी न हो । असर - ( ना० ) १. प्रभाव । २. तासीर । गुण । ३. परिणाम । दे० असुर । असरचो - ( न० ) १. भ्रम मूलक बात । २. विवाद । ३. गलत फहमी । भ्रम । ४. झगड़ा । टंटा । ५. कलह । ६. मनोमालिन्य । ७. अविश्वास । For Private and Personal Use Only प्रसरण - सररण— दे० अशरण-शरण । प्रसरणी - ( क्रि०) १. काम नहीं चलना । २. काम नहीं बनना । (वि०) शररणरहित । श्राश्रय रहित । असरधा - दे० अश्रद्धा | असराफ - (वि०) १. अशराफ । शरीफ । २. सज्जन । Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मसराळ प्रसाइत असराळ-(वि०) १. भयंकर । २. जबर- असंख प्रवाई जैतवादी-(वि०) असंख्य दस्त । (क्रि०वि०) निरंतर। असरार। युद्धों में विजय प्राप्त करने वाला। (न०) (न०) असुर समूह। चित्तौड़ के राणा रायमल के अत्यन्त असल-(वि०) जो बनावटी न हो । सच्चा। बलशाली और असंख्य युद्धों में (कभी खरा । २. शुद्ध । खालिस । ३. कुलीन । नहीं हार करके) विजय प्राप्त करने वाले ४. खास । मुख्य । (न०) १. मूलधन । पुत्र पृथ्वीराज का विरुद । २. जड़ । बुनियाद । असंख्यात-(वि०) अगणित । असळाक-(ना०) १. प्रालस्य । २.मजाक । असंग-(वि०) १. संग रहित । अकेला । ३. छेड़छाड़। २. निलिप्त ३. विरक्त । असळाकरणो-(क्रि०) आलस से अंग असंगत-(वि०) १. असंबद्ध । २. अलग । मोड़ना। २. छेड़छाड़ करना । ३. अनुचित । असलियत-(ना०) वास्तविकता। असंगी-(वि०) विरक्त । असली--दे० असल । असंत-(वि०) असाधु । दुष्ट । दुर्जन । असलील-दे० अश्लील। असंतोष-(न०) १. संतोष का अभाव । असव-दे० अश्व । २. अतृप्ति । ३. अप्रसन्नता। असवादो-(वि०) १. बिना स्वाद का। असंध-(वि०) १. बिना संधा हुआ । स्वाद रहित । २. बिगड़े हुए स्वाद का। २. टूटा हुआ। ३. संधि रहित । बिना साँध का । ४. बिना टूटा हुआ । साबुत । असवार-(न०) सवार । (न०) कवच । असवारी-(ना०) १. सवारी। २. शोभा असंधो—दे० असंध । दे० असेंधो । यात्रा । जुलूस । ३. आक्रमण । असंप-दे० कुसंप। असह–(न०) शत्रु । (वि०) नहीं सहने असंपड-(वि०) १. नहीं प्राप्त होने वाला। योग्य । असह्य । २. बिना स्नान किया हुआ । असहण-(न०) शत्रु । असंभ-(वि०) १. असंभव । २. वीर । असहयोग-(न०) सहयोग न देने का ३. अद्वितीय । ४. भयंकर । ५. बहुत । भाव । साथ न देना। (न०) १. स्वयंभू । अजन्मा । २. शिव । असहाय-(वि०) जिसका कोई सहायक न ३. युद्ध । हो । निःसहाय । असंभम-दे० असंभव । असहाँ-(सर्व०) १. हमको। २. हमारा। असंभव-(वि०) जो संभव न हो। अन____३. मुझको । (अव्य०) असहायजनों होना । नामुमकिन । को। असंभ्रम-(वि०) १. बिना जल्दबाजी के। असही-(न०) शत्रु । (वि०) १. जो शुद्ध बिना हलचल । शांत । बिना घबराहट । न हो । २. असह्य । ३. नहीं सहन करने २. बिना चक्कर खाये। सीधा । (न०) वाला। १. अव्याकुलता । शांति । चैन ।२. निडअसहो-(न०) शत्रु । (वि०) असह्य। रता। ३. संशय,रहित अवस्था । असंशय । असंक-(वि०) १. शंका रहित । भ्रम असाइत-(न०) १५वीं शती का एक कवि रहित । २. निर्भय । निडर । जिसने 'हंसाउळी' काव्य की रचना की असंख-(वि०) असंख्य । अगणित । थी। For Private and Personal Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसाट (७) प्रसेस असाढ--(न०) आषाढ मास । असी-(ना०) १. घोड़ी । अश्वी। २. अस्सी असाता-दे० असांयत। __ की संख्या । '८०' (वि०) १. सत्तर और असाध-(न०) असाधु । प्रसज्जन । (वि०) दस । २. ऐसी । इस प्रकार की । १. असाध्य । २. जो साधा न जा सके। असीम-(वि०) १. सीमा रहित । असाधारगग-(वि) जो साधारण न हो। २. अनंत । अपार । असामान्य। असीस-(ना.) आशिष । (वि०) बिना असाधु-(वि०) असज्जन । दुष्ट । सिर का। असाध्य-(वि०) १. ठीक न होने वाला असीसरणो--(क्रि०) आशिष देना। (रोग)। २. न हो सकने वाला । असींगरणो-दे० प्रासीगणो । ३. जो सिद्ध न हो सके। ४. कठिन। असु-(न०) घोड़ा। दुष्कर। असुख-(न०) १. शत्रुता । २. अप्रीति । असामी-दे० प्रासामी।। ३. दुख । कष्ट । ४. रोग। असार-(न०) १. प्रासार । चाल चलन । असगुन–(न०) अपशकुन । रहन सहन । २. वातावरण । ३. दंग । असुध-(वि०) सुधि रहित। अचेतन । ४. लक्षण । ५. दीवार की चौड़ाई। (ना०) विस्मृति । दे० अशुद्ध । (वि०) सार रहित । निःसार । असुभ-दे० अशुभ।। असालतन--(अव्य०) स्वयं । खुद । प्राप। असुभकारियो-(न०)१. बनिया। वणिक । असालियो--(न०) एक वनौषधि । अहा- वाणियो। (वि०) अशुभकारी। लिम ! चंद्रसूर। असुर-(न०) १. राक्षस । २. मुसलमान : असावधान--(वि०) बेपरवाह । गाफिल । ३. विधर्मी । ४. शत्रु। ५. बादशाह । असावधानी----(ना०) बेपरवाही। असुरगुरु-(न०) शुक्राचार्य । असावरी-दे० प्रासावरी। असुराण-(नम्ब०व०) १. असुर समूह । असांयत-(ना०) अशांति । बेचैनी। २. यवनसमूह । ३. शत्रुसमूह । ४. बाद. असि-(ना०) १. तलवार । २ घोड़ा। शाह। असित-(वि०) १. काला । २. नीला। असुरायण---दे० असुराण । प्रसिद्ध-(वि.) १. जो सिद्ध न हो। असुरारि-(न०) १. देवता । २. विष्णु । अप्रामाणिक । २. अधपका। कच्चा। असूझ (वि०) बिना सूझ का। अबुध । ३. अपूर्ण। बेअक्ल । प्रसिधावक-(न०) १. सिकलीगर । असूधो-(वि०) १. प्रसरल । टेढ़ा । २. तलवार से प्रहार करने वाला। २. कपटी। ३. प्रशांत । ४. अपवित्र । ३. अश्वारोही । घुड़सवार । ५. अशिष्ट । प्रसिधावण-दे० प्रसिधावक । असूस-(ना०) गाढ़ी नींद । (वि०) बेअसिमर-दे० असमर।। खबर । असिया-(नम्ब०व०) घोड़े। असेत-(वि०) १. श्वेत वर्ण का नहीं । असियो-(न०) १. अस्सीवां वर्ष । अश्वेत । २. काला। २. घोड़ा। असेर-दे० प्रासेर । असिवर-दे० असमर। असेस-दे० अशेष । For Private and Personal Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रसेंषो सेंधो- (वि०) अपरिचित । असे - ( ना० ) असती । कुलटा । असोभ - ( वि० ) १. शोभा www.kobatirth.org २. कुरूप । २. अनगढ़ । श्ररणघड़ | असोभतो — दे० सोभ । अस्टपद - दे० अष्टपद । ( ७ ) रहित । अस्ट पोर - दे० प्रष्ट पहर । प्रस्टभुजा - दे० अष्टभुजा । अस्त - ( न० ) १. लोप । तिरोभाव । २. अवसान । मृत्यु । ३. पतन ( वि० ) १. अदृश्य । २. तिरोहित । छिपा हुआ । अस्तबल - ( ना० ) घुड़साल । अस्तर -- ( न०) १. सिले हुए कपड़े के अंदर अस्त्री - ( ना० ) स्त्री । स्थळ - (न०) साधुओं के रहने का स्थान । मठ । द्वारा । २. स्थल । अस्थिर - (वि०) चलायमान । अस्यो - ( वि० ) ऐसा । इस प्रकार का । अस्त्र - ( न० ) अश्व । घोड़ा । स्वपति - ( न० ) १. सम्राट । अश्वपति । २. बादशाह । ३. घोड़े का मालिक । अस्वस्थ - - (वि०) बीमार । रोगी । अस्वा - ( ना० ) घोड़ी । अस्वीकार (- ( न० ) इनकार । नामंजूरी | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अस्स -- ( न० ) अश्व । घोड़ा । अस्सी - ( वि०) सत्तर और दस । ( न० ) अस्सी का अंक, '८०', का कपड़ा २. अस्त्र । ग्रस्त-व्यस्त -- ( वि०) १. इधर-उधर बिखग • हुआ । २. श्रव्यवस्थित । अस्ताचळ - ( न० ) जिसकी प्रोट में सूर्य ग्रस्त होता है वह पर्वत । अस्ताचल । अस्तित्व - - ( न०) १. होने या स्थित होने की वस्था । २. विद्यमानता । ३. सत्ता । अस्तु - ( अव्य० ) १. खैर । २. भला । अच्छा । श्रच्छु । ३. ऐसा ही हो । 1 ग्रहनारण- (न० ) १. चिन्ह | निशान । प्रस्तुति - ( ना० ) स्तुति । प्रार्थना । सहनाण । २. पता । ठिकाना । ३. लक्षण । नाणी - ( ना० ) १. निशानी । पहचान । सहनाणी । २. स्मृति चिन्ह | अस्तेय --- ( न० ) न चुराना । ग्रस्त्र - (०) फेंक कर मारने का हथियार । ग्रहमाण - ( न० ) १. अभिमान । २. वीरता । जैसे - बारण, गोला, आदि । ग्रहमान -- दे० ग्रहमाण । ग्रहमानियो- (वि०) १. अभिमानी । २. स्वाभिमानी । ३. वीर । ४. अहम्मन्य । ५. अभिनंदनीय | ग्रहमानी — दे० ग्रहमानियो । अहमेव -- ( न० ) अभिमान । ग्रह - ( न० ) १. नीचे वाला होंठ । अधर । २. दिन । ( वि०) १. व्यर्थ । बेकार । २. निर्बल । ३. क्रूर । अह- - ( अव्य) १. जो । यदि । २. श्राश्चर्य, खेद प्रादि व्यक्त करने वाला एक शब्द | ( न० ) १. सर्प । हाथी । ( सर्व०) यह । श्रो । २. दिन । ३. सूर्य । ४. अहड़ी - ( वि० ) ऐसी | हड़ो- (वि० ) ऐसा | २. हठ । अहद - ( ना० ) १. प्रतिज्ञा । जिद । ग्रहदी -- ( वि०) १. आलसी । २. अकर्मण्य | ३. हठीला । ४. अधिक नशा करनेवाला । ५. युद्ध में अपने स्थान से नहीं हठने वाला | न०) १ : बादशाह का हाजरिया । २. बादशाही समय का वे सिपाही जिनसे किसी विशेष समय पर ही काम लिया जाता था और शेष समय निठल्ले होकर परे रहते थे । ३. तलब का हुक्म जानेवाला शाही नौकर | अहररण - ( ना० ) प्रहरन । निहाई । ऐरण । अहराव - ( न० ) शेषनाग । ग्रहरू - ( न०) साँप । सर्प । अरू । । For Private and Personal Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (६०) महीणो अहरू-जांझरू-(न०) सर्प, बिच्छु आदि अहंसी-दे० प्राहंसी। विषले जन्तु । ऐरूजांजरू। अहाड़-(न०) राजस्थान के मेवाड़ प्रान्त अहल-(ना०) १. अत्यन्त हलका धक्का। के एक प्राचीन नगर आघाट का प्राधु साधारण टक्कर । अहिल । ऐल । निक नाम । २. कष्ट । दुख । ३. पीड़ा। अहाड़ो-(न०) मेवाड़ के गहलोत वंश का अहळ-(अव्य०) व्यर्थ । योंही। फालतू । क्षत्री।। अहलके-(प्रव्य) १. इस बार । २. इस अहातो-(न०) चारदीवारी । अहाता । __ वर्ष । ऐलके । ऊरण । ऐस । बाड़ो। अहलारण-दे० अहनारण। अहार-(न०) आहार । भोजन । अहळी-दे० अहळ । अहि-(न0) १. सर्प । २. सूर्य । अहळे -(अव्य०) १. योंही २. स्वाभाविक अहिकार-(न०) १. अधिकार । २. अहं तौर से। ३. जैसे भी। ४. अकारण । कार । ३. क्रोध । मुफ्त में। अहिछत्र-(न०) मारवाड़ के नागौर नगर अहळो--दे० अहळ । का एक नाम । अहलोक-(न०) १. इहलोक । २. अहि अहिणी-(ना०) नागिन । सर्पिणी । लोक । नागलोक । ३. पाताल । अहित-(न०) १. अपकार । २. बुराई । अहव-दे० पाहव । ___३. बिगाड़ । ४. शत्रु । अहितु । अहवात--(न०) पति की जीवितावस्था का अहिनाह-(न०) १. शेषनाग । २. महादेव । स्त्री का मांगलिक ऐश्वर्य । सौभाग्य । अहिपूर-(न0) १. नागोर । २. नागपुर । अहिवात । सुहाग। अहिफीण-(न0) अहिफेन । अफीम । अमल । अहवानियो-दे० ग्रहमानियो । अहिमकर-(न०) सूर्य । अहवाल-(न०) हाल । वृत्तान्त । अहिमारण-(न0) अभिमान । अहवाळरणो--(क्रि०) १. उज्वल करना । अहिराणी-(ना०) १. शेषनाग की पत्नी। २. प्रकाशित करना । ३. पवित्र करना। २. सर्पिणी । ३. अहीरनी। ग्वालिन । ४. प्रतिष्ठा बढ़ाना। अहिरामण--(न०) रावण का साथी अहवी-(वि०) ऐसी। , नागलोक का स्वामी। अहवो-(वि०) ऐसा। अहिराव-(न०) शेषनाग । अहसारण -(न०) अहसान । उपकार ।। अहिरिप-(न०) १. गरुड़ । २. मोर । अहसान-दे० अहसारण । अहिलोळ-(न०) समुद्र । अहं-(सर्व०) मैं । अहम् । २. अहंकार । अहिवात-दे० अहवात । अभिमान। अहिवारण-(न०) १. कालीनाग को नाथने अहंकार-(न०) १. अभिमान । २ .प्रहम् वाले श्रीकृष्ण । २. नाग-दमन । का भाव । ३. सर्प के विष को उतारने का मंत्र । अहंकारी-(वि०) अभिमानी ! अहिहाण-(न०) १. अभिधान । शब्दकोश। अहंड-(वि०) लंगड़ा। २. कथन । अहंस-दे० प्राहंस । अहीणो-(न०) घर की गाय भैस का दूध अहंसणो–दे० आहंसणो। देना बंद हो जाने की स्थिति । For Private and Personal Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महीश (१) गजाई अहीश-(न०) १. शेषनाग । २. शेषावतार अंकाळो-(न0) पाक की लकड़ी का लक्ष्मण । छिलका जिसकी रस्सी बटी जाती है। अहुटणो-दे० प्राहुटणो। अंकावणो-(क्रि०) १. तुलवाना। २.किसी अहठ-(वि०) तीन और आधा। साढ़े वस्तु के परिमाण का अनुमान करवाना। तीन । हठो। ३. अंकित करवाना। चिन्ह लगवाना । अहेड़ी-दे० आहेड़ी। दगवाना। अहेस–दे० अहीश। अंकित-(वि०) १. चिन्हित । २. लिखित । अहेसुर-(न०) अहीश्वर । शेषनाग। ३. वरिणत । ४. अनुमानित ।। अहोटणो-(क्रि०) १. उठाना। २. वजन अंकुर-(न०) १. अँखुमा । २. कोंपल । को उठाना । ३. हटाना। ४. मारना। ३. भरते घाव में उठने वाले छोटे-छोटे अहोड़ो-(न०) १. गुरुजनों की बात का दाने। अशिष्ट व नकारात्मक उत्तर । २. अवज्ञा- अंकुश-दे० अंकुस । पूर्ण उत्तर । ३. अशिष्ट कथन । अंकुस- (न०) १. प्रतिबंध । रोक । ४. अशिष्ट संबोधन । २. भय । डर। ३. हाथी को वश में अहोनिस-(क्रि०वि०) १. अहर्निश । रात- रखने व हाँकने का लोहे का बना हुआ दिन । २. निरंतर । सदा। एक काँटा। अहोभाग-(न०) अहोभाग्य । सौभाग्य । ग्रंकूसमख--(10) रथ । अंक-(न०) १. भाग्य । प्रारब्ध । २. उप- अंके-(अव्य०) १. अंकों में । २. अंकों में कार । अहसान । ३. गोद । ४. नाटक इस प्रकार है। (न0) ग्रंकों में लिखी जान का एक अंश । ५. संख्या का चिन्ह । वाली संख्या। ६. संख्या । अांक । ७. नौ की संख्या। अंकोडो--(10) १. लम्बे बाँस में बंधा हा ८. पत्र-पत्रिकाओं का समयावधि में हँसिया । २. जंजीर की कड़ी। ३. हुक । प्रकाशित नंबर । ६. धब्बा । दाग। अंकुड़ा। अंकगणित-(ना०) १. वह विद्या जिसमें अंग-(न०) १. शरीर । २. शरीर या संख्याओं के जोड़ने, घटाने, गुणा, भाग वस्तु का कोई भाग । अवयव । ३. अंश । इत्यादि के करने की रीति बतलाई जाती भाग । ४. स्वभाव । ५. पक्ष । (सर्व०) है। २. हिसाब-लेखा करने की विद्या। आप । स्वयम् । अंकड़ो-(न०) १. लोहे का एक प्रकार का अंग-उधार--(10) १. बिना एवजाना कांटा। अंकोड़ा । २. हुक । (वि०) लिये दिया जाने वाला ऋण । हाथबांका। टेढ़ा। उधार। २. बंधक रखे बिना लिया हुआ अंकपळाई-(ना0) अंकों के माध्यम से ऋरण । लिखने या बातचीत करने की विद्या। अंग-खंभ-(न0) हाथी। अंकपल्लवी । अंकलिपि । अंगज-(न०) १. पुत्र । दीकरो। २. केश। अंकमाळ-(न०) आलिंगन । गले लगाना। ३. पसीना । परसेवो । ४.जू । ५. कामअंकाई-(ना०) १. आँकने या तोलने का देव । ___ काम । २. प्रांकने की मजदूरी। अंगजा-(ना०) पुत्री। दीकरी। अंकारणो-दे० अंकावणो । अंगजाई-दे० अंगजा। . For Private and Personal Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अंगजात अंगजात दे० अंगज । अंगजाया— दे० अंगजा । अंग टूटरो - ( मुहा० ) शरीर में दर्द होना । कळतर होगी । अंगड़ाई - ( ना० ) अंगों को ऐंठाना ( प्रायः जम्हाई लेने के साथ) । अंगड़ारणो - ( क्रि०) अंगड़ाई लेना । ( ५२ ) अंगड़ाना । अंगरण -- ( ना० ) १. अंगना । स्त्री । २. श्रांगन । ३. चौक । अंगणा - ( ना० ) अंगना । स्त्री । अंग तोड़णी - ( मुहा० ) खूब करना । अंगवारण - - ( न० ) कवच | अंगद - ( न० ) १. प्रसिद्ध वानर वाली के परिश्रम पुत्र का नाम । २. बाजूबंद । अंगदार - ( वि०) १. अपने स्वभाव के विरुद्ध आचरण को सहन नहीं करने वाला । २. किसी के परामर्श को नहीं मानने वाला । ३. हठीला ४. एकंगो । ५. नखरों वाला । अंगना - ( ना० ) स्त्री । अंगबळ - ( न० ) १. स्वबल । २. स्वावलंबन | ३. स्वाभिमान । ४. घृत । घी । अंग मरोड़ो - ( मुहा० ) १. प्रालस खाना । २. अंग को ऐंठाना । अंग मोड़ो - ( मुहा० ) करवट बदलना । अंगमाठ - ( वि०) १. सुस्त । आलसी । २. मस्त । ३. अभिमानी । ४. बलाभि - मानी । ५. बलिष्ठ । अंगरखी - ( ना० ) पुरानी ढब का कसों से बाँधा जाने वाला बाँहों और घड़ में पहनने का एक वस्त्र । अंगरखो-दे० अंगरखी । अंग रखो - (वि०) १. हठी | जिद्दी । २. स्वेच्छाचारी । ३. एक स्वभाव का । एकंगो । मंगी अंगरळी - ( ना० ) १. मैथुन । संभोग । २. मौज | आनंद | अंगरस - ( न० ) १. वीर्यं । २. संभोग । ३. रक्त । लोही । अंगरंग - ( न०) संभोग । अंगसंग । अंगराग - ( न० ) १. उबटन । २. महावर । ३. शरीर की सजावट । ४. शरीर के सजावट की सामग्री । अंगरेज -- ( न० ) इंगलैंड का निवासी । अंग्रेज | अंगरेजी - ( ना० ) अंगरेजों की भाषा । इंगलैंड की भाषा । अंग्रेजी । अंगळ - ( ना० ) १. छेड़छाड़ । २. मजाक । ३. ताना । चुटीली बात । अंग लागो - ( मुहा० ) १. जँचना । २. हृदय में बैठना । ३. चिपटना । अंग- लीलंग -- (न०) हंस | अंगवढी - ( ना० ) १. परिश्रम द्वारा दी जाने वाली पारस्परिक सहायता । २. शारीरिक परिश्रम । अंग वारो - दे० अंगवढी । अंगसंग -- ( न० ) संभोग । अंगरंग । अंगहीर - (वि०) बिना अंग का | खंडितांग | अंगार - ( न० ) अंगारा । अंगारो । अंगारक - ( न० ) १. अंगारा । २. उपलों के अंगारों में सेकी जाने वाली बाटी 1 वटक । रोटो | दड़ियो । अंगारों - लाग- ( न०) दाह संस्कार । अंगारो - ( न० ) १. दहकता हुआ कोयला । अंगारा । चिनगारी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंगिया - ( ना० ) १. चोली । कंचुकी । काँचळी । २. तीर्थंकर की मूर्ति के गले के नीचे के समस्त आगे के अंग में धारण कराई जाने वाली सोने या चाँदी की खोल । श्राँगी । अंगी - (वि०) देहधारी । ( न०) नाटक का प्रधान नायक । दे० अंगिया सं. २ । For Private and Personal Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंगीकार (३) अंगीकार-(न०) स्वीकार । मंजूर। अंगोठो लगायो-(मुहा०) हस्ताक्षर की अंगीठी-(ना०) आग जलाने का एक जगह अंगूठे का चिन्ह लगाना । पात्र । बोरसी। अंगोभव-(न0) पुत्र । बेटो। अंगीठो-(न०) विशेष प्रकार की एक अंगोभ्रम(न०) १. पुत्र । बेटो । अंगीठी । अंगेठो। २. पौत्र । पोतो। पोतरो। ३. वंशज । अंगुली-(ना०) उंगली । प्रोगळी। (वि०) समान । सदृश । अंगूठी--(ना०) मुद्रिका । १. मुंबड़ी । अंगोळ-(ना०) १. स्नान । २. दूल्हे को बीटी। २. दरजी की अंगुली में पहनने स्नान कराते समय गाया जाने वाला एक की एक टोपी। अंगोरी। अंगुश्ताना। लोक गीत। अंगूठो–दे० अंगोठो। अंगोळियो—(न०) १. मर्दन-मालिश तथा अंगूर-(न०) द्राक्षा। हरी दाख । लीली स्नान कराने वाला व्यक्ति । २. नाई । दाख। ३. स्नान करने का पानी का बड़ा पात्र । अंगे-(प्रव्य०) १. किसी अंग या अंश में। ४. स्नान करने के लिए बैठने का पाटा। २. यथार्य में । ३. नितान्त । बिलकुल। ५. स्नानघर । अंगेई-(अव्य०) १. किसी अंग या अंश में अंगोळी-(ना०) स्नान । सिनान । भी। २. यथार्थ में भी। ३. बिल्कुल अंग्रेज - दे० अंगरेज। अंग्रेजी-दे० अंगरेजी। अंगेजणो-(क्रि०) १. स्वीकार करना। अंघ्रि--(न०) पैर । चरण । पग । २. ग्रहण करना। ३. सहना । अंघोर-(ना०) १. रोगी की अद्ध चेतन अंगेठी-दे० अंगीठी। अवस्था । २. रुग्णावस्था की नींद । अंगेठो-दे० अंगीठो। ग्रंचळ-दे० अंचल । अंगोअंग-(अव्य०) १. अंग-प्रत्यंग । अंचल-(१०) १. अोढने या साडी का मागे २. अंग-प्रत्यंग में। सम्पूर्ण अंगों में। की ओर रहने वाला छोर। अांचल । अंग-अंग में । ३. अंग से अंग सटाकर । पल्लो । अंचळो। ४. दिमाग में । समझ में । ५. विचार अंचळबंध-(न०) दुल्हा-दुल्हिन के उपवस्त्र और प्रोढ़नी का गठबंधन । गठजोड़ा। अंगोछो-(न०) १. शरीर पोंछने का मोटा अंचळी कपड़ा । तौलिया । गमछो । २. रुमाल । अंचळो-(न०) १. आँचल । २. गठजोड़ा। ३. उपवस्त्र । २. कफनी। अंचला। अंगोठी-(ना०) १. स्त्रियों के पांव की अंछ या-(ना०) इच्छा। अंगुली में पहनने का छल्ला । पोलरी। अंजण—(न०) १. अंजन । सुरमा । २. अंगूठी ।३. दरजी की अंगोरी । अंगुली २. काजल । रेल का एंजिन । त्राण । अंगुश्ताना । अंजन-दे० अंजण । अंगोठो-(न०) १. हाथ या पांव की अंजना-दे० अंजनी । सबसे मोटी व पहली अंगुली । २. स्त्रियों अंजनी-(ना०) हनुमान जी की माता का के पांव के अंगूठे का छल्ला । अंगोठी।। नाम । अंगोठो दिखाणो-(मुहा०) १. कुछ नहीं अंजळ-(न०) १. अन्न-जल । दाना-पानी। देना। २. इन्कार कर देना। वारणो-पाणी । २. भाग्य । For Private and Personal Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंजळी अंतरवान अंजळी-(नाo) हथेली का एक सम्पुट। अंडोळो-(वि०) प्राभूषण रहित ।। अंजलि । लप। अंढो-(न०) दिन का पिछला पहर । अंजस-(न०) १. आत्मीय जनों के सुकृत्यों ढलता दिन । से होनेवाला गर्व । २. अपनी प्रतिष्ठा अंतःकरण-(न०) १. हृदय । २. मन । का गर्व । ३. स्वाभिमान । ४. गर्व । ३. विवेक । ५. प्रसन्नता। अंतःपूर-(न०) रनिवास । जनाना घर । अंजसणो-(क्रि०) १. गर्व करना । अंत-(न०) १. मृत्यु । अवसान । २. प्रसन्न होना। २. समाप्ति । अखीर । ३. छोर । अंजाम-(न०) १. परिणाम । नतीजो। ४. परिणाम । (वि०) निकृष्ट । फळ । २. अंत । समाप्ति । __ अंतक-(न०) १. यमराज। २. काल । अंजीर-(न०) १. गूलर के समान एक मृत्यु । ३. शत्र । ४. नष्ट करने फल । २. इस फल का वृक्ष । वाला। अंट-(न०) १. नोक । २. कलम की नोक। अंतकरण-दे० अंतःकरण । ३. निब । ४. अंटी । टेंट । ५. भाग्य। अंतकराय-(न०) यमराज । जमरायो। अंटस-(ना०) बैर । शत्रुता । दुसमणी। अंतकाळ-(न०) मृत्यु काल । मौत । अंट-संट-(वि०) १. विषयच्युत । २. क्रम- अंतक्रिया-(ना०) मरणोपरान्त किया रहित । बेढंग। (न०) व्यर्थ की बात- जाने वाला संस्कार । अंत्येष्टिक्रिया। चीत । बकवाद । प्रलाप । (क्रि० वि०) अंतजथा-(ना०) डिंगल गीत रचना का बिना सोचे विचारे । कुछ का कुछ। एक नियम । अंटागो--दे० अंटावरणो।। अंत बिगड़गो-(मुहा०) मृत्यु समय दुरअंटावरगो-(क्रि०) मालिक की मौजूदगी वस्था होना । मौत बिगड़ना। में उसकी आँख बचाकर उसकी किसी अंतमेळ-(न०) राजस्थानी दोहे (दूहे) का वस्तु को चुरा लेना। एक भेद । वडो हो। अंटी-(ना०) धोती की गिरह । टेंट। अंतर-(न०) १. भेद । फर्क । २. दूरी । खुटी। फासला । ३. अंतःकरण । हृदय । अंड-(न0) १. अंडकोश । २. अंडा। ४. अतर । इत्र । ५. समय । काल । अंडकोश--(न0) फोता। आंड । पोत- (क्रि० वि०) भीतर । अंदर । वाळिया। अंतरगति-(ना०) मन का भाव । अंडज-(वि०) अंडे से उत्पन्न (पक्षी आदि)। अंतरछाल-(ना०) पेड़-पौधों के तने, अंडजा-(ना०) कस्तूरी। ___ शाखा और जड़ के ऊपर की छाल के अंडबंड-(वि०) १. असम्बद्ध । बे सिर नीचे की पतली छाल । पैर का । २. अनुचित । अंतरजामी-(वि०) मन की बात जानने अंडाकार-(वि०) अंडे के समान आकार वाला । अंतर्यामी । (न०) ईश्वर । वाला। अंतरदशा---(ना०) १. मन की अवस्था । अंडी-(ना०) एक प्रकार का मोटा रेशमी २. गड़ी दशा (गज दशा) के अंदर चलने कपड़ा । अरंडी। वाली छोटी दशा । (ज्योतिष)। अंडो-(न०) अंडा । ईडो। अंतरदान-(ना०) इत्रदान । अंतरदानी । For Private and Personal Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंतरदानी ( ८५ ) अंध श्रद्धा अंतरदानी-दे० अंतरदान । अंतावळ-(ना.) १. उतावल। जल्दी। अंतरधान-(न०) अंतर्धान । गायब २. अंत्रावलि । अंतर पड़ो -(मुहा०) १. भेद पड़ना। अंतिम-(वि०) आखिरी । २. मतभेद होना । ३. दूरी पड़ना। अंतिम यात्रा-(ना०) मृत्यु । अंतरसेवो-दे० अंतरेवो । अंतेउर-दे० अंतेवर। अंतरात्मा-(न0) अंदर स्थित प्रात्मा। अंतेवर-(ना०) १. पत्नी । स्त्री । २. जीवात्मा । ३. अंतःकरण ५. ईश्वर। २. अंतःपुर । अंतराय-(ना०) १. भेद । अलगाव । अंत्यज--(न०) शूद्र । २. वियोग । ३. विघ्न । बाधा। अंत्यानुप्रास-(न०) एक प्रकार का अनुअंतराळ-(न०) १. अंतर । बीच । फर्क। प्रास अलंकार (काव्य) । २. अंदर । ३. मध्य । ४. कोना । अंत्येष्टि-(ना०) मृतक का दाह संस्कार ५. आकाश । ६. अंत्रावली। प्रांतें। आदि । अंतरावळ। अंत्र-(ना०) प्रांत । अंतरावळ । अंतरावळ-(ना०) अंत्रावली । अाँतें। अंत्राळ-(ना०ब०व०) आंतें । अंतरावळ । अंतरिक्ष-दे० अंतरिख । अंत्रावळ-(ना०ब०व०) अाँतें । अंत्रावलि । अंतरिख-(न०) अंतरिक्ष । प्राकाश । अंदर-(क्रि०वि०) भीतर । माहे । प्राभो। २. स्वर्ग। ३. अभ्यन्तर । अंदरूणी--(वि०) भीतर का। भीतरी । ४. ऊंचा स्थान । ५. ऊचाई। अंदर की। मायली। अंतरे-(क्रिवि०) १. अंतर रख करके। अंदाज--(न0) अनुमान । अटकळ । २. इस बीच । ३. बीच में । ४. बाद में। अंदाजन-(क्रि०वि०) अंदाज से। अनुमान अंतरेवो-(न०) घाघरे, लहंगे या जामे से । अटकळ सू। इत्यादि की नीचाई को कम करने के अंदाजो-दे० अंदाज । लिये उसके नीचे के भाग को अंदर की अंदाता-(न०) अन्नदाता । ओर मोड़ कर समस्त घेरे में की जाने अंदेसो-(न०) १. अंदेशा । शंका । खटको । वाली एक सिलाई।अंतरसेवो । प्रांतरेवो। २. खतरा । भय । चिंता । फिकर । अंतरो-(न०) १. ध्रुपद के बाद आने वाली अंदोह-(न०) १. चिल्लाहट । रोना-धोना। प्रत्येक टेक (संगीत) । २. अंतर । फर्क। २. वैमनस्य । शत्रुता । ३. असंतोष । अंत लेणो-(मुहा०) खूब सताना। अधैर्य । ४. वृथा भागदौड़ । वृथा प्रयत्न । अंत वेळा-(ना०) अंतकाल । अंध-(वि०) १. अंधा। २. अविवेकी। अंतस-(न०) १. रक्त संबंधी। स्वजन । असावधान । कुटुम्बी। २. स्नेह । प्रीति । ३. अंत: अंधकार-(न0) अंधेरा। करण । अंधकूप-(न०) १. सूखा हुअा कुआँ । अंत समय-(न0) मृत्यु समय ।। २. एक नरक । ३. घोर अंधेरा। अंत सुधरणो-(मुहा०) १. सुख से मरना। अंध विश्वास-(न०) विवेकहीन प्रास्था । २. मृत्यु सुधरना। खोटी धारणा। अंतहपुर-(न०) रनिवास । अंतःपुर। अंध श्रद्धा-(ना०) विवेकहीन श्रद्धा । खोटी अंताळ-(ना०) उतावल । जल्दी । निष्ठा। For Private and Personal Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंधाधुध अंबोड़ो अंधाधुध--(न०) १. घोर अंधकार । अंबक-(ना०) आँख । २. अन्याय । ३. अव्यवस्था। धींगा धोंगी। अंबनयर-(न०) जयपुर के पास मंबनगर (वि०) १. बेहिसाब । अत्यधिक । २. अंध- नाम का एक ऐतिहासिक प्राचीन नगर । कार से परिपूर्ण । अंधकार मय । आधुनिक आमेर । (क्रि० वि०) १. बिना सोचे-समझे । अंब पुरण-(न०) शीतला का वाहन । अविचारपूर्वक । २. धींगामस्ती से। अंब-प्रवहण । गदहा । गधो।। अंधापो-(न0) अंधापन । अंधावस्था। अंबर-(न०) १. आकाश । २. वस्त्र । अंधार-(न0) अंधकार । ३. बादल । ४. एक विशिष्ट मछली की अंधारियोपख-(न०) कृष्णपक्ष । वदि पख। आँतों से निकलने वाला एक सुगंधित अंधारी-(ना०) १. अंधेरा। २. आँधी। पौष्टिक द्रव्य । ३. कृष्णपक्ष की अंधेरी रात । ४. गश अंबराळ-(न०) १. आकाश । २. मेघ या चक्कर के कारण आँखों से नहीं पंक्ति । सूझने की स्थिति । ५. हाथी के कुभस्थल अंबरीष-(न०) विष्णु भगवान के अनन्य पर रखा जाने वाला आवरण। भक्त एक सूर्यवंशी राजा का नाम । अंधारो-(न०) १. अंधेरा। २. अज्ञान । अंब वाहण-दे० अंब पुरण। ३. अत्यंत कष्टदायी समय । अंबहर-(न०) १. आकाश । २. बादल । अंधारो पख-(न०) कृष्ण पक्ष । बदि- अंबा-(ना०) १. दुर्गा। २. पार्वती । पक्ष । ३. माता। अंधियारो--(न०) अंधेरा । अधारो। अंबाजी-(ना.) १. आबू पर्वत का एक अंधेर --(न०) १. अन्याय । २. कुप्रबंध।। तीर्थ स्थान । अर्बुदा देवी। २. आबू के ३. अव्यवस्था । ४. अराजकता। निकट ईडर और दाँता राज्यों की प्रसिद्ध अंधेर खातो-दे० अंधेर । कुलदेवी तथा धाम (नगर)। अंधेर नगरी-(ना०) १. वह नगरी जहाँ अबाड़ी-(ना०) हाथी का होदा । अमारी। कुप्रबंध और अन्याय का बोलबाला हो। अंबापति-(न०) महादेव । शिव । ऐसी जगह या स्थिति जहाँ नियम, न्याय, अंबा पोहण-दे० अंब पुरण । व्यवस्था आदि कुछ न हो । २. मूखों की अंबार-(न०) ढेर । राशि । दिगलो। नगरी। अंबारत-(ना०) इमारत । मकान । अंधेरो-(10) १. अज्ञान । २. अंधेरा। अंबु-(न०) पानी। अंधारो । ३. अत्यंत विपत्तिकाल। अंबुप्राळ-(न०) १. प्रसिद्ध धर्मवीर अंधो- (वि०) नेत्रहीन । अंधा । आँधो। पाबूजी राठौड़ का विरुद । कान्तिमान अंधोटो- (न०) वह पट्टी या ढक्कन जो पुरुष पाबूजी । २. कान्तिमान पुरुष । घोड़े, बैल आदि की प्रांखों पर बाँधा अंबुप्रो-(वि०) गहरे हरे रंग का। प्राम जाता है। के पत्ते के समान हरे रंग वाला। अंब-(ना०) १. अम्बा देवी। दुर्गा । अंबुध-(न०) अंबुधि । समुद्र । २. पार्वती । ३. माता। ४. शीतलादेवी। अंबुवो-दे० अंबुप्रो। (न०) ५. आम्रफल । आम । ६. पाम का अंबोड़ो-(न०) स्त्री का वेणी गुच्छ । वृक्ष। ६. प्राकाश । ८. जल । ६. वस्त्र। बड़ो। For Private and Personal Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राई अंबोळ (८७) अंबोळ-(ना०) १. अमचूर । २. आम की अँवळो करणो-(मुहा०) १. उलटा __ खटाई। करना । २. विरुद्धाचरण करना । अंभ-(न०) १. जल । २. बादल ।। अँवळो होगो-(मुहा०) विरुद्ध होना । अंभोज-(न०) कमल । अँवार-(न०) काटी हुई झड़बेरी की अंभोरुह-(न०) कमल । कंटीली टहनियों का ढेर । दे० अवार । अंभोरू-(न०) कमल । अंश-(न०) १. भाग । हिस्सा। २. शक्ति। जवळाई-(ना०) १. चक्कर । वक्रमार्ग। पराक्रम । ३. पुत्र । ४. वंशज । ५. वीर्य । लंबा मार्ग। २. कुटिलता। ३. प्रति- ६. कला । कूलता। अंशावतार--(न०) ईश्वर का आंशिक अँवळी-(वि०) १. टेढ़ी। २. उलटी। गुणों वाला अवतार । ३. प्रतिकूल। अंस-दे० अंश । अँवळीमारण-दे० अमलीमाण । अंसधारी-(वि०) १. दैविक शक्तिवाला। अँवळो-(वि०) १. टेढ़ा। २. उलटा। २. अवतारी । ३. वंशज । ___३. प्रतिकूल । (न०) दुख ।। अंसी-(न०) १. पुत्र । २. वंशज । जवळो प्रावणो-(मुहा०) प्रसव समय . अंसुक-(न०) १. एक रेशमी वस्त्र । भ्रूण का प्राडा हो जाना। २. महीन वस्त्र । अंशुक । मा पा-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्ण आइणो-दे० आँईयो । माला का दूसरा स्वर वर्ण । नागरी आइत-(न०) कर । महसूल । चुगी । लिपि में 'अ' का दीर्घ स्वर । (वि०) १. शरणागत । २. आया हुआ। प्रा-(प्रव्य०) तक, पर्यंत, आदि से अंत प्रायोड़ो। तक, सर्वत्र व्यापक, कुछ, थोड़ा, सीमा का प्राइती-(ना०) महाजनी पाठशाला में अतिक्रमण इत्यादि अर्थों में प्रयुक्त । पढ़ाया जाने वाला व्याकरण के पाठ का तथा अतिरिक्त, लगभग, वस्तुतः के अर्थों एक अपभ्रश रूप। में प्रयुक्त होने वाला उपसर्ग। (ना०) प्राइनो-(न०) आईना । दर्पण । १. माता। माँ। २. लक्ष्मी। (न०) प्राइस-(ना०) १. आदेश । आज्ञा । (न०) २. महादेव । ४. ब्रह्मा। (सर्वना०) यह। २. योगी। ३. संन्यासी । (भक्रि०) प्राइठाण-(10) १. चिह्न । २. स्थान। आऊंगा। ३. रगड़ से हो गई हुई हथेली आदि की प्राइंदा-(ना०) भविष्यकाल। (कि०वि०) निर्जीव मोटी चमड़ी। भविष्य में। भागे। (वि०) प्राने वाला आइडो-(न०) वर्णमाला के 'अ' वर्ण (समय)। का नाम । आई-(ना०) १. दुर्गा देवी । २. माता। माइणी-दे० माईणी। माँ। ३. करणी देवी। ४. धाय । उप For Private and Personal Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्राउखी - (वि०ना० ) पूरी | समस्त । प्राउखो- (वि०) समस्त । पूरा | ( न० ) श्रईणी ( ८८ ) माता । ५. बिलाड़ा ( मारवाड़) की चाकरी - (वि०) दे० श्राकरो । ईणो । सीरवी जाति की कुलदेवी । प्राणी-दे० ईणी । ईरो - दे० आईपंथ - - - ( न० ) बिलाड़ा की आई द्वारा चलाया हुआ पंथ । आईपंथी - ( न०) आईपंथ का अनुयायी । आईवाळो - दे० प्राहीवाळो । आउखाण – (न० ) मरे हुए पशु का पूरा चमड़ा | प्रावखाण । १. जीवन । २. आयुष । उम्र । ग्राउगाळ - ( न०) १. वर्षा ऋतु का ग्रागमन । २. वर्षागम के चिन्ह | ३. वर्षागम के बादल । ४. अच्छा समय । सुकाल । ५. सस्तापन | सस्तीवाड़ो । प्राउगाळो - दे० उगाळ । प्राउट - (वि०) १. साढ़े तीन । हूँठ । हूँठो । २. आठ । प्राउदो -दे० सूधो । आाउद - ( न० ) आयुध । शस्त्रास्त्र ग्राउधी — दे० श्रासूधो । प्राऊं छू - ( क्रि०) श्राता हूँ । श्रा हूं । ग्राऊंला - ( भ०क्रि०) श्राऊंगा । प्रासू । आऊंली - (भ०क्रि०) आऊंगी । श्रासू । प्राक दे० आकड़ो । आकड़ो - ( न० ) अर्क । आक का पौधा । माकर - ( ना० ) १. खान । २. खजाना । भंडार । ३. भेद । रहस्य । ४. पाताल । ग्राकरखरण -- ( ना०) १. श्राकर्षण । खिंचाव । २. अपनी ओर खींचने की शक्ति या क्रिया । ३. मोह | प्रकरखरणो - ( क्रि०) १. आकर्षित करना । खींचना। २. मोहित करना । प्राकरसरण - दे० श्राकरखरण । आकरसरणो- दे० प्राकरखणो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीकास गंगा आकरी रुत - ( ना० ) १. ग्रीष्म ऋतु । ऊनाळो । २. दुष्काल | दुकाळ । आकरो - ( वि०) १. कड़ा । सख्त | २. कठिन । मुश्किल । ३. कुरकुरा । करारा । ४. महंगा । ५. तगड़ा । ६. उग्र । ७. तेज । ८. खरा । आकळ - (वि०) आकुल । व्याकुल । प्राकळ - बाकळ - ( वि० ) प्राकुल व्याकुल । घबराया हुआ । प्राकळी - ( ना० ) पानी के बहते रहने से नदी, नाले आदि में पड़ने वाला खड्डा । श्राकळो - (वि०) आकुल 1 अधीर । उतावळो । आकाय - ( न०) १. शक्ति 1 २. साहस । हिम्मत । ३. शौर्य । वीरता । ४. बलवान । जबरदस्त । बल । For Private and Personal Use Only आकार - ( न० ) १. प्राकृति । स्वरूप | २. 'अ' अक्षर । ३. पाताल । ४. शरीर । आकारणी - ( क्रि०) आकार बनाना । रेखाचित्र बनाना । आकारांत - (वि०) अंत में 'प्र' वाला ( शब्द ) । आकारीठ - ( न० ) १. संग्राम | युद्ध | २. शस्त्र प्रहार की ध्वनि । ३. प्रहारों पर प्रहार । ४. घमासान युद्ध । ५. संहार । ( वि० ) १. जबरदस्त । बलवान । २. भीषरण । भयंकर । ३. क्रोधी । ( क्रि०वि०) १. अत्यधिक तीव्र गति से । २. खूब जोर से । प्राकारीठो- (न०) घमासान युद्ध । घोर. संग्राम | आकास - ( न० ) आकाश । श्रासमान । श्राभो । छोटे-छोटे प्रकास गंगा - ( ना० ) अत्यंत तारों का विस्तृत समूह जो आकाश में उत्तर दक्षिण में फैला हुआ दिखाई देता है। Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कासदीat आकासदीवो - ( न०) मकान की छत पर खड़े किये गये बाँस के सिरे पर बंधा हुआ कंडील । आकासवाणी - ( ना० ) २. रेडियो संदेश | ३. रेडियो । आकासवेल - ( ना० ) अमरवेल | ग्राकासी - ( ना० ) धूप प्रादि से बचने के १. देव वाणी । लिये तानी हुई चाँदनी । आकासी विरत - ( ना० ) दे० प्रकासीविरत । आकिल - ( वि०) अक्लमंद । समझदार । आकीन ( न० ) १. यकीन । भरोसा | (58) २. श्रद्धा । प्रास्था । आकीनदार - (वि०) भरोसापात्र | आकीन वाळो - ( वि०) भरोसापात्र । प्राकुळ - ( वि०) १. श्राकुल । व्याकुल । २. व्यग्र । ३. विह्वल । कुळगो - ( क्रि०) व्याकुल होना । घबराहट होना । घबराना । प्राकुळता - ( ना० ) घबराहट । श्राकुलता । व्याकुलता । प्राकृत - ( ना० ) १. करामात । चमत्कार । २. बुद्धि । ३. माणिक । पद्मराग । याकूत रत्न । प्रकृती - ( ना० ) घी और चीनी मिली हुई मंग की बुकनी । प्रकृति - ( ना० ) १. आकार | बनावट । २. मूर्ति । ३. रूप । ४ मुख का भाव । प्राक्रती - दे० श्राकृति । आक्रम - ( न० ) पराक्रम । शूरता । आक्रमण - ( न० ) १. हमला | चढ़ाई | २. प्रहार । ३. श्राक्षेप । श्राक्रोश - ( न०) क्रोधपूर्वक कोसना । प्राक्षेप - ( न० ) १. दोष लगाना । २. निंदा करना । ३. ताना । ४. फेंकना । आखड़गो - ( क्रि०) १. ठोकर खाना । २. लड़ना । झगड़ना । श्राखात्रीज २. प्राखडी - ( ना ) ० १. प्रतिज्ञा । प्रण । प्रतिज्ञा द्वारा लिया हुआ व्रत । मनौती । आखाक - ( न० ) सूर । शूकर । खगो - ( क्रि०) कहना । वर्णन करना । प्राखती - पाखती - दे० श्रागती-पागती । प्राखतो दे० आगतो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रखर - ( न० ) १. अक्षर । वर्ण । २. प्रतिज्ञा । ३. दस्तावेज । हस्तलेख | ( क्रि०वि०) आखिर । अंत में । प्रखर मेळ - दे० अक्षर मेळ । प्रखरी - (वि०) अंतिम । पिछला । आाखळी - ( ना० ) खान के पास का वह स्थान जहाँ पत्थर तोड़कर इकट्ठे किये जाते हैं और मोटे रूप में सँवारे जाकर बेचे जाते हैं । प्रखलो - ( न० ) १. बिना कसी किया हुआ जवान बैल । २. साँड | प्रखंडळ - ( न० ) इन्द्र | ( fro ) सब | समस्त | सगळो । प्रखंडळी -- ( ना० ) १. इन्द्राणी | ( न० ) २. इन्द्र । श्राखा - ( न०ब०व०) १. बिना टूटे चावल | अक्षत (देव पूजार्थं ) । २. अनबींध बारीक मोती जिन्हें अक्षत की जगह काम में लाया जाता है । ३. भिक्षुक को (अंजलि में भर कर ) दिया जाने वाला अनाज । प्राखाड़मल - (वि०) १. बलवान । वीर । २. युद्ध वीर । ३. मल्ल । आखाड़सिध - ( वि०) १. युद्ध कुशल । २. युद्ध में पीछे नहीं हटने वाला । अखाड़ो - दे० अखाड़ो | प्रखारण- दे० श्राख्यान | आखातीज - ( ना० ) अक्षय तृतीया । वैशाख शुक्ल ३ और उस दिन का पर्व । अतोज । माखात्रीज - दे० भाखातीज । For Private and Personal Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आखाबीज (१०) प्रोगमच आखाबीज-(ना०) अक्षय तृतीया का रगड़ से होने वाला निशान । ४. चिन्ह । पहला दिन । अक्षय द्वितीया। प्रखंबीज। निशान । ५. अनुमान । आखारी-(ना०) १. कुएँ से सिंचाई करते पागण-(न०) अगहन । मार्गशीर्ष मास । समय बैलों की अमुक समय के बाद की आगत-(वि०) १. प्राया हुआ। २. उपजाने वाली बदली। २. बारी। पारी। स्थित । (वि०) १. विकट । कठिन । २. दुर्गम । आगतरी-(ना०) १. वह बोआई जो ठीक ३. भीषण । भयंकर। समय पर या कुछ पहले की गई हो । आखिर-(क्रि०वि०) अंत में । अंततोगत्वा। २. पहली वर्षा में की गई बुवाई । ३. वह (वि०) अंतिम । (न०) अंत । खेती जो पहली वर्षा से तैयार हो रही आखिरकार-(क्रि०वि०) अंत में। हो। पाखी-(वि०ना०) १. अखंड । २. पूर्ण । प्रागतरो-(न०) उचित समय पर या पूरी । ३. समस्त । सब । पहली वर्षा के होते ही हाथ में लिया आखीर-दे० आखिर। हुया खेती का काम। आखू-(न०) चूहा । ऊंदरो। २. कंजूस। प्रागत-स्वागत---दे० प्रागता-स्वागता । ___३. चोर । ४. सूअर । अागता-स्वागता-(ना०) १. अागत-स्वाआखेट-(ना०) मृगया। शिकार । गत । आवभगत । खातिरी। २. अतिथि आखेटक-(न०) शिकारी । का आदर-सत्कार । आखेटी-(न०) शिकारी । आगती-पागती-(क्रि०वि०) १. आस-पास । आखेप-दे० आक्षेप। २. इधर-उधर । पड़ेगड़े। आखो-(वि०) १. अखंड। २. पूरा । पूर्ण। अागतो-- (वि०) १. क्रोधित । २. उतावला । ३. समस्त । ४. कसी नहीं किया हुआ। ३. नाराज । ४. दुखी । बेचैन । बधिया नहीं किया हुआ (बैल, घोड़ा, प्रागना ---दे० प्राग्ना । पादि)। आगबंध-(न०) घोड़े की जीन का प्रागे पाख्यात-(वि०) १. विख्यात । प्रसिद्ध । का बंधन । २. आश्चर्यजनक । अखियात । आगबोट-(न०) आग की शक्ति से चलने आख्यान-(न०) १. वर्णन । २. कथा । वाला जहाज । कहानी। आगम -(न०) १. भविष्यकाल । २. भविष्य आग-(ना०) अग्नि । वासदे । २. ताप । की जानकारी । ३. होने वाली घटनाओं जलन । ३. क्रोध । ४. कामाग्नि । की जानकारी । ४. भवितव्यता । होन५. डाह । ईर्षा । हार । ५. आगम । परब्रह्म । ६. प्राय । प्रागड़-(ना०) चूल्हे के आगे का पाली आमदनी । ७. आगमन । ८. प्रारंभ । बनाकर घेरा हुमा भाग जिसमें चूल्हे की शुरू। ६. आदि । १०. प्रथम । राख इकट्ठी होती है । वेऊरणी । वेउंडी। ११. उत्पत्ति । १२. शब्द साधन में वह प्रागड़दी-(क्रि०वि०) आगे। वर्ण जो बाहर से लाया जाय (व्या०) प्रागड़ो-(न०) १. किसी वस्तु की गाँठ १३. वेद । १४. जैन शास्त्र । या पर्व वाला भाग। २. माप का आगमच-(वि०) पहले । (प्रव्य०) पहले निशान । ३. किसी वस्तु की बारबार से। मागूच । For Private and Personal Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रांगम ज्ञानी (११) मागास आगम ज्ञानी-(न०) १. वेदवेत्ता। वेदज्ञ। प्रागळियार-(न०) १. सेवक । चाकर । २. शास्त्रवेत्ता । ३. भविष्यवेत्ता। २. मुखिया । अग्रणी। (वि०) १. आगे आगमरण-दे० आगमन । ___ रहने वाला । (क्रि० वि०) आगे। आगम दिस्टी-दे० प्रागम दृष्टि । आगळी-(ना०) अर्गला । व्योंडा । पागम दृष्टि-(ना०) दूरदर्शिता । मागळ । प्रागमन-(न०) १. पावन । आना। आगली-(वि०) १. बढ़कर । विशेष । आमद । २. प्राप्ति । २. अग्रणी । (त्रि० वि०) अगाड़ी। आगम-निगम-(न०) १. वेदशास्त्र । आगली-पाछली-(वि०) १. आगे-पीछे २. शास्त्र । की । पुरानी या गई गुजरी (बात)। आगमनी--(ना०) सेना का आगे का भाग। पागलो-(वि०) १. पूर्व का । पहले का। हरावल । २. सामने का। आगे का । ३. सामने आगम भाखी-(वि०) भविष्यवक्ता। वाले पक्ष का। ४. आगामी । आने आगमवक्ता- (वि०) भविष्यवक्ता । वाला । ५ अग्रणी। प्रागम वाणी-(ना.) भविष्य वाणी। अागळो--(न०) बड़ी अर्गला । व्योंडा । आगमस-दे० प्रागमच । भोगळ । (वि०) १. अग्रणी । २. बढ़कर । आगमसोचू -(वि०) दूरदर्शी। आगलो-पाछलो-(वि०) १. आगे और आगर-(न०) १. खान । २. खजाना। पीछे का । २. पहले-पीछे का । ३. नया३. घर । ४. ढेर । समूह । ५. नमक पुराना। जमाने का क्यारा । ६. नमक की खान । आगवो--(वि०) १. कुल । समस्त । ७. छप्पर । (वि०) १. बहुत अधिक । २. अगुवा । मुखिया । २. श्रेष्ठ । उत्तम । ३. चतुर । दक्ष। प्राग-वजाग--(न०) वज्राग्नि । बिजली आगराई-(वि०) प्रागरे का (अफीम)। की आग । २. क्रोधाग्नि । आगरो-(न०) भारत का एक प्रसिद्ध आगंतुक-(वि०) १. आया हुआ । २. आने शहर । आगरा । (वि०) १. अत्यधिक । वाला । (न०) अतिथि । मेहमान । २. राशि । ढेर । आगंध--(न०) अश्वगंधा । प्रासगंध । आगळ-(ना.) १. अर्गला । व्योंडा। आगाज-(ना०) प्राग्राज । गर्जन । भोगळ । २. सिटकनी। ३. रोक । प्रागर्जन । २. रोष । क्रोध । बाधा । (वि०) १. रक्षक । २. बाधक । आगा-पीछो--(न०) अगला और पिछला (क्रि०वि०) सामने । आगे। भाग। २. करते का अगला और पीछे आगळ कूची-(ना०) बाहर से भीतर की का भाग । ३. दुविधा । ४. परिणाम | अर्गला को खोलने का एक उपकरण । (वि०) अगला-पिछला । २. उपाय । ३. जानकारी। ४. भेद । आगामी-(वि०) १. आगे का। २. आने रहस्य । ___ वाला। २. भविष्य में प्राने या होने पागलड़ो-(वि०) १. प्रागे वाला । वाला । २. आगे का। आगार-(न०) १. घर । २. स्थान । प्रागळ सींगो-(वि०) वह जिसके सींग ३. कोठार । ४. खजानो । कोष । मागे की मोर झुके-बढ़े हों (बैल)। प्रागास-(न०) माकाश । प्राभो । For Private and Personal Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीगासी ( ६२ ) प्राग्राज आगासी-(ना०) १. घर के ऊपर के कमरे प्रागै-लग-(क्रि० वि०) १. लगातार । के पागे का छपरा। २. चंदोवा। निरंतर । २. अंत तक । ३. आदि चाँदनी। से। शुरू से । (वि०) क्रमानुसार । आगाहट-(न०) १. राज्य की ओर से देव- सिलसिलेवार । (न०) सिलसिला । स्थान को अर्पण की हुई भूमि । अग्रहार। क्रम । २. चारण, भाट, ब्राह्मण, साधु आदि को प्रागै-लारै-(प्रव्य०) १. परिवार या दान में दी हुई भूमि या गाँव । ३. दान । रिश्ते में । २. पहले या बाद में । प्रागियो-(न०) १. जुगनू। खद्योत। ३. कभी आगे, कभी पीछे । दे० प्रागै २. चिनगारी। ३. पतंगा। फतिंगा। पाछै । ४. ज्वार की फसल का एक रोग । प्रागैवान-दे० आगीवाण । ५. पशुओं का एक रोग । आगोतर-(न०) अगला जन्म । मरने के प्रागी-(ना०) प्राग । अग्नि । (क्रि०वि०) बाद होने वाला जन्म । १. आगे । २. दूर। प्रागो-पाछो--(न०) इधर-उधर करने की प्रागीनै-(क्रि०वि०) १. प्रागे को। क्रिया या भाव । (क्रि० वि०) इधर२. सामने । आगे। उधर । आगी-पाछी--(ना०) १. इधर की उधर आगो-पीछो-दे० आगा-पीछो । और उधर की इधर । २. परस्पर भिड़त आगोर-(ना०) तालाब के पास की वह कराने की बातें । ३. पीठ पीछे की निंदा। जमीन जिसकी वर्षा का पानी उस जलाचुगली । ४. बुराई । निंदा। शय में आता है। प्रागीवारण --(वि०) अगुमा । मुखिया। आगोलग-दे० प्रागै लगे । पागू - (वि०) १. अगुआ। पथ प्रदर्शक । आग्ना-(नाo) आज्ञा । हुक्म । (वि0) अगला । (क्रि०वि०) १. पहले। अाग्नेय-(वि०) १. अग्नि सम्बन्धी । २. पहले से । ३. भविष्य में । २. अग्नि का। पागूकथ-(ना०) भविष्य वाणी। प्राग्नेय दिशा-(ना०) अग्निकोण । आगून-(क्रि०वि०) आगे। आग्नेयास्त्र-(न०) प्राग फेंकने या उगलने पागूलग-दे० प्रागै लगे । वाला अस्त्र । आगूच-(क्रि० वि०) पहले। पहले से। आग्या-(ना०) आज्ञा । हुक्म । पेशगी । अग्रिम। प्राग्याकारी-दे० प्राज्ञाकारी । आगेवाणी-दे० प्रागीवारण । प्राग्यापत्र–दे० प्राज्ञापत्र । प्रागै-(क्रि० वि०) १. सामने । सम्मुख । प्रारयापाळक-दे० आज्ञापालक । २. अगाड़ी। ३. इसके बाद । और । प्राग्यापाळण-दे० प्राज्ञापालन । ४. दूर । ५. पहले । बीते समय में। पाग्या भंग-दे० प्राज्ञा भंग । प्रागै-पाछ-(क्रि० वि०) १. आगे और आग्रह-(न०) १. अनुरोध । २. हठ । पीछे । २. इधर-उधर । ३. एक के बाद। जिद । ३. बल । जोर । ४. तत्परता । दूसरा । ४. एक-एक करके। मुस्तैदी। प्रागै-पीछे-दे० प्रागै-पाछै । आग्राज-(ना०) १. गर्जन । दहाड़ । प्रागै-लग-दे० मागे लगे। २. गंभीर ध्वनि । For Private and Personal Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मामाजको ( ६३ ) माचार-विचार प्राग्राजणो-(क्रि०)१. गरजना । दहाड़ना। आचमनी-(ना०) प्राचमन करने की २. गंभीर ध्वनि करना। छोटी चमची। आघ-(न०) १. प्रादर । मान । २. स्वागत आचरज-(न०) आश्चर्य । अचरज । __ सत्कार । ३. अघ । पाप । आचरण-(न०) व्यवहार । चाल चलन । आघड़ी-(क्रि० वि०) दूर । अलग । बर्ताव । आघड़ो-(क्रि० वि०) दूर । अलग। प्राचरणो-(क्रि०) आचरण करना । माघण-(न०) मार्गशीर्ष मास । अगहन।। व्यवहार करना । रीत्यानुसार कार्य आग्रहायण । संपन्न करना। २. रीति करना । आघरणी-(ना०) सीमंतोन्नयन संस्कार । ३. व्यवहार में लाना। ४. स्पर्श करना । दे० अघरणी। प्राचवरणो-(क्रि०) प्राचमन करना । प्राघाट-दे० प्रागाहट। चळू करणो। आघात-(न०) १. चोट । प्रहार । आचंत-(वि०) १. अत्यंत । २. अच्छा । २. आक्रमण । (वि०) बुलंद। जोर (क्रि०) है। की। आचागळ-(वि०) १. प्राजानबाहु । आधी-(क्रि०वि०) दूर । प्राधे। २. अचल । अडिग । ३. वीर ४. उदार । आधेरी-(क्रि०वि०) दूर । प्राधी। प्राचागळो-दे० प्राचागळ । आघेरो-(क्रि०वि०) दूर । प्रायो। प्राचार-(न०) १. चरित्र । २. व्यवहार । ग्राघो-(क्रि०वि०) दूर । फासले पर । ३. पारम्परिक नियम । ४. दान । माघेरो। ५. त्याग । ६. इनाम । उपहार । ७. रीतिआघो-कढ-दे० प्राघो धकेल । रस्म । ८. कर्तव्य । ६. पवित्रता । प्राघो-कढियो-दे० प्राघो धकेल । __शुद्धि । आघो-धकेल-(वि०) बिना निष्ठा के प्राचार करणो- (मुहा०) १. दान देना । जैसा-तैसा किया हुअा। लगन और इच्छा २. नेग चुकाना । ३. रीति संपन्न करना। के अभाव में किया हुआ (काम)। प्राचारज-(न०) १. प्राचार्य । गुरु । प्राघो-पाछो-(क्रि०वि०) १. आगे पीछे । २. पंडित । विद्वान । ३. ब्राह्मणों की २. सब प्रकार से। एक जाति । ४. एक उपाधि । ५. मृत्यो. आवाण-(ना०) १. सुगंध । २. तृप्ति ।। परांत क्रिया कर्म कराने वाला व्यक्ति। आघ्राण-गुज-(न०) भ्रमर । भौंरा। कट्टिहा । महाब्राह्मण । कारटियो। पाच-(न०) १. हाथ । २. समुद्र । प्राचारजी-(वि०) सवर्णों के अतिरिक्त प्राचगळो-दे० आचागळो । उपभोग में नहीं लाने दी जाने वाली प्राचज-(न०) क्षत्री। (हुक्का, चिलम, थाली आदि) । प्राच-प्रभव-(न०) क्षत्री। २. प्राचार से संबंध रखने वाली । प्राचमण--दे० आचमन । ३. आचार्य से संबंध रखने वाली। प्राचमणो-दे० पाचवणो । ४. प्राचार्य की। आचमन-(न०) १. दहिने हाथ की हथेली प्राचारवान-(वि०) शुद्ध आचरण वाला। में जल लेकर मंत्र पढ़ते हुए पीना। आचार-विचार-(न०) १. सामाजिक २. चुल्लू । चळू । तथा धार्मिक रूढ़ व्यवहार । २. रहन For Private and Personal Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माचार-वेदी (१४) माजमायो सहन । ३. व्यवहार और विचार । प्राछटगो-(क्रि०) १. झटकना। २. झटका ४. धार्मिक रीति-रिवाज और मान्यताएँ। देना। प्रहार करना। ३. पछाड़ना । प्राचार-वेदी-(न०) भारतवर्ष । ४. झपटना। आचारहीण-(वि०) आचारभ्रष्ट । प्राछन्न-दे० आसन्न । प्राचारहीन । प्राछंट-दे० प्राछट। आचारी-(वि०) १. चरित्रवान । प्राचार- पाछंटगगो- दे० प्राछटणो । वान । (न०) रामानुजी वैष्णव । दे० आछादित-दे० आच्छादित । 'प्राचारजी' सं० १ और २। प्राछापरणो-(ना.) १. अच्छापन । आचारी-चिलम-(ना०) वह चिलम जो २. भलाई । सवर्णों के अतिरिक्त (निम्न वर्ण वालों ग्राछी-(वि०) १. अच्छी। २. झीनी । को) पीने को नहीं दी जाती। मात्र पतली । (ना०) चारणों की एक सवर्णों में परस्पर पीने की चिलम । देवी।। प्राचार्य-(न०) १. महा विद्यालय का पाछेरो-(वि०) १. तुलना में अच्छा । प्रधान अध्यापक । २. किसी विषय का २. अच्छा । निष्णात पंडित । ३. उपनयन संस्कार के प्राछो-(वि०) १. अच्छा । १. पतला । समय गायत्री मंत्र का उपदेश देने वाला। झीना। ३. स्वस्थ । (अव्य०) अस्तु । ४. धर्म-सम्प्रदाय का संस्थापक । खैर। अच्छु । २. कोई बात नहीं । ५. धर्माध्यक्ष। ६. वेद शास्त्रादि सिखाने ३. भला । सुट्ठो। वाला। ७. धर्मगुरु । ८. पुरोहित । आछोड़ी- (वि०) १. अच्छी । भली । ६. एक उपाधि । प्राछी । २. सुदर । ३. महीन । (ना०) प्राचार्या - (ना.) १. महा विद्यालय की १. बालू । २. पीसी हुई चीनी। बूरा । प्रधान अध्यापिका । २. विदुषी स्त्री। शक्कर । ३. पंडिता। प्राछोड़ो-(वि०) अच्छा । भला । प्राचार्याणी-(ना०) प्राचार्य की पत्नी। २. महीन । बारीक । प्राचिरजा-(ना०) १. पूजागीत । चिरजा। आज-(न०) १. वर्तमान दिन । २. वर्तमान २. वह पूजा-स्तुति जिसको प्रथम आचार्य काल । (क्रि०वि०) १. इस समय । चल गाता है तदुपरान्त अन्य पूजार्थी उसका रहा दिन । २. इन दिनों में। वर्तमान अनुवर्तन करते हैं। काल में । ३. अब । इस समय । पाच्छादन-(ना०) १. ढक्कन । २. पाव- आजकल-(क्रि०वि०) इस समय । इन रण । ३. छाजन । दिनों में। आच्छादित-(वि०) ढंका हुआ। आजकाल-दे० आजकल । आछ–(ना०) छाछ के ऊपर आया हुआ आजन्म-क्रि०वि०) जिंदगी भर । भाजीपानी । छाछ का पानी। मास । (वि०) वन । १. अच्छा । २. पतला । झीणो । आजम-(न०) एक उपाधि । (वि०) बड़ा। पाछउ-(वि०) अच्छा। महान । आछट-(ना०) १. झटका । २. धक्का। आजमाणो-(क्रि०) परीक्षा करना । ३. प्रहार । ४. पछाड़। ५. झपट । जाँचना । आजमाना। For Private and Personal Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माजमास (६५) माळूपहर प्राजमास-(ना०) प्राजमाइश । परीक्षण। प्राझो-दे० आजो। जाँच। पाट-पाट-(ना०) १. बाढ़ (नदी के पानी आजाजीत-(वि०) जिसको जीता नहीं की) २. ध्वंस । नाश । जा सके । अजीत । आटानाटा-(न०) १. शत्रुता। २. झगड़ा । आजाणो-दे० 'प्राणो' के क्रिया अर्थ। टंटा । आजाद-(वि०) १. स्वतन्त्र । २. मुक्त। पाटो-(न०) आटा । चून । पिसान । छूटा हुआ । ३. बेपरवाह । ४. निडर। आटो-लूरण-(न०) १. पाटा और नमक । आजादगी-(ना०) स्वतन्त्रता।। २. बिसात । हैसियत । ३. बुद्धि ! आजादी-(ना०) स्वतन्त्रता ।। समझ। . आजानुबाह-(वि०) १. घुटनों तक लम्बे आटो-साटो-(न०) साटो सं० २, ३ हाथों वाला । २. शूरवीर ।। पाठ-(वि०) पाँच और तीन । चार का पाजावरगो-दे० प्रावणो । दूना । (न०) पाठ का अंक । '' आजी-(न०) १. घृत । घी। २. युद्ध। पाठ पानी - दे० अठन्नी । आजीवन-(वि०) जीवन पर्यंत । जिंदगी- आठड़ो-दे० आठ । भर। पाठ पहोर-(न०) १. पाठों पहर । दिन आजीविका-(ना०) १. वृत्ति । रोजगार। रात । हर सयय । २. रात और दिन २. रोजी । गुजरान । के आठ पहर। आजूरणी-(वि०) १. प्राज की। २. अभी अाठम- (ना०) पक्ष का पाठवाँ दिन । की। अष्टमी। प्रा। आजूगो-(वि०) १. अाज का । २. इस अाठमासियो-(वि०) आठवें मास में समय का । अभी का। जन्मा हुआ। अठमासियो। आजूबाजू-(क्रि०वि०) आस-पास । पाठमों-(वि०) जो क्रम में सात के बाद प्राजो-(न०) १. बल । शक्ति । २. साहस। आता हो । पाठवाँ । ३. भरोसा । ४. सहारा । ५. सहायता । आठवळ-दे० प्रावळी । आजोको-दे० प्राजूणो । पाठवाट-(न०) नाश । नष्ट । (क्रि०वि०) आज्ञा-(ना०) आदेश । हुक्म । परवानगी। इधर-उधर। प्राज्ञाकारी-(वि०) आज्ञा मानने वाला। आठवों-दे० पाठमों। (न०) सेवक। आठानी-दे० अठन्नी। प्राज्ञापत्र-(न०) हुक्म नामा। पाठी-(ना०) १. वेणी को लम्बी करने आज्ञापालक--(वि०) आज्ञाकारी। के लिये उसमें गूथी जाने वाली काले आज्ञापालन-(न०) आज्ञा के अनुसार रंग की ऊनी मोटी डोरी। २. अटेरन काम करना। पर लपेटी हुई सूत की अाँटी । लच्छी। आज्ञाभंग-(न०) आज्ञा का न मानना । । पाठूगाँठ-(अव्य०) १. सभी प्रकार । प्रामाळ-(वि०) १. क्रोधी। २. वीर। ___ सब तरह से । २. पूरा का पूरा । ३. सभी ३. तेजस्वी (न0) क्रोध । २. ज्वाला। अंगों से। अाझाळो-(वि०) १. अति क्रोधी । २. वीर । ३. प्रतापी। (न०) परकार। पाळूपहर-(क्रि०वि०) आठों पहर । परकाल। हर समय । रातदिन। For Private and Personal Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रावळी माउंबर आह्वळा-(क्रि०वि०) आठों दिशाओं में। आडबंध-(न०) १. साधुनों की लंगोटी सब तरफ। कसने की कमर में बाँधी जाने वाली आठ-दे० आठम। मोटी रस्सी। कटिबंध । मेखला । आठो-(न0) पाठ का अंक । '८'। २. साधुओं का लंगोट । ३. बालदिये २. विक्रम संवत् का आठवाँ वर्ष । भाट, बनजारों और भीलों आदि के साफे प्राड-(ना०) १. शैव धर्मावलंबियों का पर बाँधी जाने वाली एक सफेद या लाल तिलक । त्रिपुण्ड्र । २. स्त्रियों का एक रंग के कपड़े की पट्टी। शिरोभूषण । ३. स्त्रियों के गले में पहनने आड वनोळो-दे० प्राड वंदोळो । का एक आभूषण । ४. कपास प्रोडने का प्राडवळो-दे० पाडावळा । स्थान । ५. एक जल-पक्षी। ६. प्रोट। प्राड वंदोळो-(न०) पाणिग्रहण के पूर्व परदा । ७. रोक । अवरोध । ८. फलसे कन्या को घोड़ी पर बिठाकर वर के घर को बंद करने की एक लंबी और मोटी पर वंदोला लेने को ले जाने की शोभा लकड़ी । ६. पानी से भरा हुया खड्डा। यात्रा। प्राड-टेढ-(ना०) थोड़ी देर के लिये लेट ग्राड वाहर-(ना०) वह वाहर या पीछा कर किया जाने वाला आराम । जो दाहिने-बाएँ से आड़ा पाकर किया पाडण--दे० पाडणी । (न०) २. जामा ।। जाता है । लुटेरे या आक्रमणकारियों का ३. दूल्हे का जामा। बाएँ-दाएँ किया जाने वाला पीछा । पाडणी-(ना.) १. ढाल । २. परदा।। तिरछी वाहर । प्राडगो-(क्रि०) १. माँडना । रचना। ग्राड वाहरू-(वि०) पाडी वाहर करने बनाना। २. किसी वस्तु का पूर्व रूप वाला। (नमूना) तैयार करना । ३. निर्माण की पाड़ग-१. (न०) वर्षा के आगमन की जाने वाली वस्तु के यथारूप बन जाने मूचना देने वाली गरमी । उमस । २.ताप । की जांच करने के लिये उसके सभी भागों गरमी। को जोड़ कर देखना। वस्तु का कच्चा पाड़ गिया-(न० ब० व०) वर्षा ऋतु की रूप तैयार करना। ४. जुए में किसी उमस में अम्हौरियों में उठने वाली वस्तु को बाजी (शत) पर लगाना। चुभन । पाडत-(ना०) १. कमीशन लेकर माल ग्राड गिया खाणो-(मुहा०) उमस के को खरीद-फरोख्त करने या कराने का कारण अम्हौरियों में चुभन उठना । धंधा। आढ़त । दलाली । २. खरीद - पाड़ गियो-(न०) अग्निकण । चिनगारी। फरोख्त कराने का पारिश्रमिक । चिरणग। आड़तियो-(न०) १. कमीशन लेकर खरीद- ME " आडंबर-(न०) १. उत्सव । धूमधाम । फरोख्त करने या कराने का व्यवसाय २. ढोंग । पाखंड । डूंग। दिखावा । करने वाला व्यक्ति । २. चोरी का माल खरीदने वाला व्यक्ति । (चोरों की भाषा ३. तड़क-भड़क । ठाट-बाट । ४. महंत, में) ३. मित्र । गुरु, तथा राजा के ऊपर रखा जाने आड-पलाण-(न०) ऊंट पर कसे पलान वाला छत्र । बड़ा छाता । ५. आच्छादन । पर दोनों पांव एक मोर रखकर की जाने छाजन । ६. तंबू । ७. गंभीर शब्द । वाली सवारी। ८. हाथी की चिंघाड़ । ६. तुरही का For Private and Personal Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्राडंबरी शब्द । १०. युद्ध में बजाया जाने वाला बड़ा ढ़ोल । ११. ललकार । आडंबरी - (वि०) आडंबर वाला । ढोंगी । पाखंडी | दूंगी। आड़ा गवड़ावणी - ( मुहा० ) १. शोक मनाना । २. मरसिया कहना या गाना । ३. मृत्युगीत गाना या गवाना । प्राडायत - (वि०) १. आड़ा आने वाला । २. रोकने वाला । ३. सेना से अकेला लोहा लेने वाला । रोकने वाला । ४. आक्रमण को ( ६७ ) प्राडा रजपूत - ( न० ) १. वह राजपूत जाति जिसमें विधवाएँ पुनर्विवाह करती हैं । २. पुनर्विवाहिता राजपूतानियों से उत्पन्न राजपूत समुदाय । आडावळो - (न०) स्वनाम एक पर्वत । अरावली पर्वत । प्राडिया - ( न० ) बच्चों द्वारा नाक ( की रेंट) को अँगरखे की बाँह के अग्र भाग से पोंछने की क्रिया । प्राडी - ( ना० ) १. पहेली । प्रहेलिका । २. किंवाड़ | कपाट । ३. बाधा । अवरोध | ( विo ) टेढ़ी | बांकी । २. विरुद्ध । ग्राडी ओोळ - (ना० ) १. वस्ती के सभी लोग । गाँव के सभी स्त्री-पुरुष । २. मोहल्ले के सभी स्त्री-पुरुष । ३. अमुक विस्तार के सभी गली मुहल्ले । ४. खेतों की पंक्ति । (वि०) सभी । समस्त । प्राडी टाँग - ( ना० ) १. विघ्न । वाधा । २. उलझन । नाडी देणी - ( मुहा० ) १. किसी के काम में रुकावट डालना। २. द्वार बंद करना । आडी माळ (ना० ) १. श्रास-पास के एक के एक सभी खेतों की गई बुवाई | २. एक ही प्रकार के नाज की बुवाई किये हुए खेतों की पंक्ति ग्राडी वेळा - दे० श्रार्ड समय । । प्राडो बोलगो डैकट - ( न० ) १. सभी प्राणी । २. सभी लोग । ( वि० ) १. समस्त । सभी । २. बेरोक-टोक । आडै छाज - ( न०) नाज को छाज के द्वारा साफ करने की एक विधि । आडै टीले वाळा - ( न०) साढ़ी बारह जातियों को मांगने वाली एक साधुजमात जो अपनी ललाट पर चंदन की एक मीटी उर्ध्व रेखा खींची रखते हैं, जो सिरे पर मुड़ी हुई (टेढ़ी) होती है । प्राडै समय - ( न०) विपत्तिकाल । (अव्य० ) विपत्ति में । दुख पड़ने पर । प्राडो - ( न० ) १. दरवाजा । द्वार | २. कपाट । किंवाड़ । ३. अवरोध । बाधा । ( वि०) १. टेढ़ा । २. विरुद्ध । ( क्रि० वि०) अवरोध रूप में । बीच में । प्राड़ो - ( न० ) १. दुराग्रह । हठ । जिद । २. क्रोध । ३. रोष । रोस । ग्राडो ग्रड़ि - ( क्रि० वि०) १. प्राडा आकर । २. सामने से आकर । ३. सबसे अड़कर । रुकावट डालकर । ग्राडो अवळो - ( क्रि० वि०) १. इधरउधर । यहाँ वहाँ । २. कोने खाँचे में | ( वि० ) १. अनुचित । खोटा । बुरा । २. अशिष्ट । ३. विरुद्ध । प्राड़ो प्राणी - ( मुहा० ) १. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सहायता करना । २. रुकावट डालना । ३. प्रसव के समय भ्रूण का प्राडा हो जाना । आडो आवरणो—दे० ग्राडो प्राणो । आडो खोलो - ( मुहा० ) बंद किवाड़ को खुला करना । द्वार खोलना । प्राडो धंस - ( न० ) श्राड़ा मार्ग । प्राडो देणो- ( मुहा० ) द्वार बंद करना । प्राडो फरगो - ( मुहा० ) १. विरुद्ध होना । २. रोकना । आडो बोलो - ( मुहा० ) १. विरुद्ध बोलना । २. किसी की बात के बीच में बोलना । For Private and Personal Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . पाडो मारग (१५) पायो प्राडो मारग-(न0) १. मुख्य मार्ग में प्रारण-माण-(न०) १. मान-मान । मिलने वाला (उसमें से निकलने वाला) प्रतिष्ठा । २. ठाट-बाट । शान । किसी दूसरी ओर का मार्ग। शाखा ३. अभिमान । मार्ग । २. मार्ग को काट कर जाने वाला आणंद-(न०) १. आनंद । हर्ष । मोह । __मार्ग। ३. विरुद्धाचरण ।। २. ईश्वर । शंकर । ३. विष्णु । आडो रजपूत-(न0) उस राजपूत जाति नि पारणंदकंद-(न०) १. श्रीकृष्ण । ____ का व्यक्ति जिसमें पुनर्विवाह होता है। २. ईश्वर । अनंदकंद । प्राडो लेगो-(मुहा०) जिद करना। आणंदकारी-(वि०) आनंद देनेवाला। आडो वाळगो-(मुहा०) द्वार बंद आणंदघण - (न०) १. श्रीकृष्ण । पानंदकरना। घन । २. आनंद से भरपूर । प्राडो वेर-(न०) एक पक्ष की सहायता प्राणदरणो-(क्रि०) १. प्रानन्द करना। करने से दूसरे पक्ष से बन जाने वाली २. आनन्दित होना । प्रसन्न होना । शत्रुता । उधारी शत्रुता। २. व्यर्थ की आरणद-मंगळ-(न०) १. आनंदोत्सव । २. सुख-चैन । शत्रुता । फालतू दुश्मनी । आणंद-वधाई-(ना०) १. किसी उत्सव प्राडो व्हेणो-दे० प्राडो होणो। __ की बधाई । २. मंगल अवसर । ३. मंगल प्राडो होणो-(मुहा०) १. लेट करके । उत्सव । आराम करना । लेटना । सोना । प्रारदियउ-(क्रि० भ०) १. आनंद हुआ। २. रुकावट डालना। २. आनंदित हुा । ३. आनंद मनाया। प्राण -- (ना०) १. सौगंद । शपथ । ग्रागंदी-(वि०) १. हरदम प्रसन्न रहने २. दुहाई। ३. प्राज्ञा। ४. घोषणा। वाला । पानंद में रहने वाला । प्रानंदी। ढंढेरो। (वि0) अन्य । और । दूसरा। ग्रागायत-(न0) 'प्राणो' लेने या कराने प्राण-कारण-(ना०) मान-मर्यादा । __ के लिये जाने वाला जमाई। प्राण-जाग--दे० प्रावरण-जावरण। प्राणियोड़ो--(भू० कृ०) लाया हुआ । प्रारगरण-(न0) आनन । मुख । मूढो। लायोड़ो। आणण पंच-(न०) पंचानन । सिंह। आरणी-(प्रत्य०) एक प्रत्यय जो पुरुष के पारगणो-(क्रि०) १. लाना । २. ले नाम के अंत में लगकर पुत्र के अर्थ का __ आना । लागो । लावणो। बोध कराता है, जैसे-अमरचंद रामप्राण-दुवाई-(ना०) दे० आण दुहाई। चंदाणी (अमरचंद रामचंद का पुत्र) । प्राण-दुहाई-(ना०) १. शपथ । सौगंद। (क्रि० भू०) १. ले आया। २. ले आई। २. शासनाधिकार । हुकूमत । ३. दुहाई। प्राणो-(न०) १. विवाहोपरान्त वधु का प्राणनै-(अव्य०) ला करके । लायनै । पहली बार ससुराल को पाना । द्विराप्रारण भराणा अंक-१. सुकृत समाप्त हो गमन । गौना । हलायो। मुकळावो । गये । २. अनीति-अत्याचार के परिणाम २. वधु को उसके पीहर से ससुराल में भुगतने का समय आ गया। ३. होनहार और बेटी को उसकी ससुराल से पीहर आ पहुँचा । में लाने का भाव । ३. 'प्राणो' कराने के प्राण भरागो--(मुहा०) १. हो गया। समय पुत्री को दिये जाने वाले वस्त्राबन गया । २. पापोदय हो गया। भूषण । For Private and Personal Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माणो कराणो ( ६६ ) पाताळो प्राणो कराणो-(मुहा०) १. नव विवा- आतमदेव-(न०) प्राण । __हिता पुत्री को प्रथम बार ससुराल आतमबळ-(न०) अपना और अपनी भेजना । २. पुत्री को ससुराल भेजना। आत्मा का बल । प्रात्मबल । अपना३. वधु को पीहर भेजना। बल । प्रारणो-टारणो-(न0) १. पर्व । उत्सव । प्रातमराम-(न०) १. परमात्मा । ब्रह्म । २. जीव । २. विवाहादि मांगलिक अवसर । प्राणो-मुकळावो-(न०) द्विरागमन । प्रातमसुख-(न0) एक प्रकार का रूईदार मंगरखा। गोना। प्राणो लाणो-(मुहा०) पत्नी को पीहर आतमहत्या-(ना०) प्रात्म-हत्या । आत्म घात । से अपने घर लाना। वर का वधु को पातमा--(ना०) १. अन्तःकरण के व्याउसके पीहर से ससुराल में लाना। पारों का ज्ञान कराने वाली सत्ता । आतताई-(न०) धन-माल लूटने, स्त्रियों प्रात्मा। २. जीवात्मा । ३. मन । को हरण करने और घरों में आग लगाने ४. हृदय। इत्यादि दुष्कर्म करने वाला व्यक्ति । ग्रातमाराम-दे० प्रातमराम । प्राततायी। पातळ -(क्रि० वि०) जबरदस्ती से । पातप-(न०) १. सूर्य प्रकाश । धूप । ग्रातस- (ना०) १. अग्नि । पातश । २. सूर्य के प्रकाश की गरमी । उष्णता। २. गरमी। ३. क्रोध । ४. जोश। गरमी । आतपत्र-- (न0) छाता। छत्री । छतरड़ो। ५. काम पीड़ा । ६. एक रोग । उपदंश । पातशक । प्रातपवारण-दे० प्रातपत्र । पातसबाजी-(ना) बारूद के खिलौनों प्रातम-(न०) १. प्रात्मा । २. पर को जलाने का दृश्य या क्रिया। पातशमात्मा । ब्रह्म । ३. जीव । (वि०) बाजी। निजी । स्वकीय । (अव्य) निज । प्रातस-भाळ-(ना०) १. अग्नि ज्वाला । स्वयम् । २. कामाग्नि । काम ज्वाला। प्रातमग्यान-दे० प्रात्मज्ञान । आतसपीड़---(ना०) १. काम पीड़ा । पातमायानी-(न०) आत्मा तथा परमात्मा २. गरमी से होने वाली पीड़ा। के संबंध में जानकारी रखने वाला । प्रातस-पीड़-(वि०) काम पीड़ित । आत्मज्ञानी। प्रातस-पीड़ो- दे० प्रातसपीड़ । आतमघात-(ना०) आत्मघात । प्रात्म आतसाँ-(न००व०) बादशाही जमाने में हत्या। मनाया जाने वाला एक बादशाही प्रातमज-(न०) प्रात्मज । पुत्र । जलसा । दे० प्रातम। आतमजा-(ना०) प्रात्मजा । पुत्री। आतंक-(न०) १. रोब । दब दबा । प्रातमजोरणी-(न०) १. आत्मयोनि । २. प्रताप । तेज। ३. भय । ४. शंका । ब्रह्मा । २. शिव । ३. विष्णु । ४. काम- ५. उपद्रव । देव । आताळ-(न०) १. संकट । दुख । २. तेज आतमज्ञान - (न०) आत्मा और परमात्मा गति । के संबंध की जानकारी । ब्रह्म का साक्षा- आताळो-(वि०) १. उतवाला । स्कार । प्रात्मज्ञान । २. प्रातुर। For Private and Personal Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रातिम ( वि० ) प्रतिम - दे० श्रातम । प्रतिश-- दे० प्रातस । आती - ( ना० ) दुख । कष्ट । १. तंग । सँकड़ा । २. हैरान । तंग | आतुर - ( वि०) १. व्याकुल । २. अधीर । ३. उतावला । ४. दुखी । श्रातुरता - ( ना० ) १. व्याकुलता 1 २. अधीरता । ३. उतावल । आत्मबल - दे० श्रातमबळ । आत्मयोनि - दे० श्रातमजोगी । आत्मराम -- दे० श्रातमराम । ( १०० ) तो- (वि०) १. तंग । संकरा । २. गर्म । क्रोधित । ३. हैरान । आत्म- दे० आतम । श्रात्मज दे० श्रातमज । आत्मज्ञान - दे० श्रातम ज्ञान । आत्मज्ञानी - दे० श्रातमग्यानी । आत्महत्या - दे० प्रातमहत्या | आत्मा दे० श्रातमा । आत्मीय - (वि०) १. निजी । २. घनिष्ठ । ( न०) १. बहुत नजदीक का रिश्तेदार | २. मित्र । ३. स्नेही । प्राथ - - ( ना० ) १. धन । संपत्ति । २. अपने काम या मजदूरी के पारिश्रमिक के बदले में वर्षाशन, विशेष अवसरों पर इनाम या विवाह आदि अवसरों पर नेग आदि प्राप्त करने की कुछ मजदूर पेशा (नाई, कुम्हार, मेघवाल आदि) जातियों के धन्धे की एक प्रथा । ( अव्य० ) १. ही । २. भी । ३. सर्वथा । बिल्कुल । थड़ो - ( क्रि०) १. लड़ना । भिड़ना । २. भटकना । ३. कठिन परिश्रम करना । प्राथण -- ( ना० ) १. संध्या समय । साँझ | श्राथणवेळा । २. पश्चिम । श्रायुग । श्रथरणी - ( ना० ) दही जमाने की हाँड़ी 1 जामणी । प्राथद - ( न० ) १. कृषि कर । मालगुजारी । लगान । २. भूमि- कर । प्राद जुगाव लगान । ३. माल गुजारी देने वाला । कृषक । प्राथमरण - ( ना० ) पश्चिम दिशा । प्राथमरणी दिसा - ( ना० ) पश्चिम दिशा । प्राथु । प्रथमरणो - ( न० ) पश्चिम दिशा । ( क्रि०) १. अस्त होना । २. मरना । ३. पतन होना । आथर - ( न० ) १. चादर । २. बिछौना । ३. फटा-पुराना ओढ़ने- बिछाने का कपड़ा । ४. सर्दी से बचाने के लिए मवेशी को श्रोढ़ाने का टाट या मोटा कपड़ा । ५. टाट का बिछावन । प्राथरियो - - ( न०) १. टाट का बिछावन । ३. फटा पुराना ओढ़ने का २. गोदड़ी । मोटा कपड़ा । आथरो - दे० प्राथरियो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राथारण - ( न० ) १ स्थान | स्थल । २. घर । मकान । ३. गाँव । नगर । ४. दुर्ग । गढ़ । ५. राजधानी । ६. सृष्टि । दुनिया । ७. नाश । ८. पश्चिम दिशा । प्राथा - पोथी - ( ना० ) १. धन माल । पूजी । २. घर का सभी सामान । प्राथुरगो - दे० प्राथड़णो । प्राथुरण - ( ना० ) पश्चिम दिशा । २. दे० प्राथण । प्राथू – (न० ) ग्राथ प्रथा पर काम करने वाला व्यक्ति । प्राणो - ( न०) पश्चिम दिशा । आद - ( वि० ) १. आदि । प्रथम । पहला । ( न० ) १. प्रारम्भ । मूल । २. उत्पत्ति स्थान । ( ना० ) याद । स्मरण । आद जथा -- ( ना० ) डिंगल छंद का एक रचना - प्रकार | प्रादिजथा । आद जुगाद - (वि०) १. अनादि काल का । प्रति प्राचीन । २. परम्परा का । ( क्रि० वि० ) अनादि काल से । For Private and Personal Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मानना। आदत प्रादेसातुं आदत-(ना०) आदत । स्वभाव । आदि कवि-(न०) १. वाल्मीकि ऋषि । आद पुरख-(न०) १. आदि पुरुष । २. ब्रह्मा। ब्रह्म । २. विष्णु । ३. ब्रह्मा। आदि काव्य-(न०) वाल्मीकि रामायण । आद भवानी-(ना०) आदि भवानी । आदित-(न०) आदित्य । सूर्य । प्राद्यशक्ति । पादित वार-रविवार । आदम-(न०) मनुष्य । प्रादमी । मिनख। अादित्य-(न०) सूर्य । रवि । आदमण-(ना०) १. स्त्री । नारी । आदिनाथ-(न०) १. शिव । २. नाथ लुगाई । २. नौकरानी। ३. मजदूरनी। संप्रदाय के प्रथम प्राचार्य । ३. जैन धर्म मजूरणी। के प्रथम तीर्थंकर । ऋषभनाथ । आदमी-(न०) १. प्रादमी। मनुष्य । आदि नारायण-(न०) विष्णु भगवान् । मिनख । २. पति । खाविंद । धणी। आदि पुरुष-(न०) १. परमेश्वर । ३. नौकर । ४. मजदूर । मजूर। २. किसी वंश का मूल पुरुष । आदर-(न०) १. आदर । सम्मान | आदि भवानी-(ना०) आद्यशक्ति । खातिर । २. इज्जत । प्रतिष्ठा। प्रादि वराह-(न०) आदि वाराह । वाराह अादरणो- (क्रि०) १. आदर करना । सत्कार करना। २. प्रारंभ करना। आदि शक्ति-दे० आद सगत । शुरू करना । ३. स्वीकार करना । प्रादीत-(न०) आदित्य । सूर्य । दे० प्रादीत-ब्राह्मण। आदर भाव-(न०) १. सम्मान करने की प्रादीत ब्राह्मण-(न०) चितौड़ के शासक भावना । २. श्रद्धापूर्वक सम्मान । सीसोदियों के पूर्वजों की एक उपाधि या ३. आदर । सम्मान । अल्ल । अादरस-(न०) १. प्रादर्श । दर्पण । प्रादू-(वि०) १. प्रथम । पहला । २. नमूना । आदर्श । २. आदि । प्रारम्भ का। (क्रि० वि०) आदर-सत्कार--(न०) सम्मान के साथ १. प्रारंभ में । शुरू में । २. प्रारंभ से । की जाने वाली आव-भगत ।। शुरू से । पादरा-(न०) आर्द्रा नक्षत्र । प्रादू काळ-(न०) प्रारम्भ । आदि काल । आदर्श-(न०) १. दर्पण । शीशा । २. वह आदेश-(न०) १. प्राज्ञा । हुक्म । जिसके रूप गुणादि का अनुसरण किया २. प्रणाम । नमस्कार । ३. एक वर्ण के जाय । ३. नमूना । स्थान पर दूसरे वर्ण का आना (व्या.) । आद सगत-(ना०) आदि शक्ति । दुर्गा। प्रादेस-दे० आदेश । आदंत-(न०) आदि और अंत। आद्यन्त । प्रादेसणो-(क्रि०) १. प्राज्ञा करना । (अव्य०) प्रादि से अन्त तक। प्रणाम करना। आदि-(न०) १. मूल कारण । २. उत्पत्ति आदेसातु-(न०) प्राचीन समय में दानपत्र, स्थान । ३. परमेश्वर । ४. प्रारम्भ । पट्ट-परवाने, पद और अधिकार प्रदान (वि०) प्रथम । पहला । (अव्य०) इत्यादि के आज्ञा पत्रों में लिखा जाने वगैरह । इत्यादि। वाला राजा की आज्ञा का एक प्रमाण आदिक-(प्रव्य०) आदि । इत्यादि । (पारिभाषिक) शब्द । २. की आज्ञा से । वगैरह। प्रादेशाद। For Private and Personal Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भादो आदो - ( न० ) अदरक । आद्रा - दे० श्रादरा । प्राध - (वि०) दो समान भागों में से एक । ( १०२ ) प्राधा । प्राधक - ( न० ) १. विरुद । २. प्रभुत्व । आधिपत्य । ३. आधिक्य | प्राधख -- दे० प्राधक । प्राधरण - ( न०) दाल, चावल आदि पकाने के लिये किया जाने वाला गरम पानी । प्रदहन | आध व्याध - दे० श्राधि-व्याधि | आधंतर - ( अव्य०) मध्यान्तर । प्राधी दूरी | ( न० ) आकाश | ( विo ) बीच का । मध्य का । ( क्रि०वि०) १. बीच में । २. आकाश में । ३. ऊंचे पर । आधान - ( न० ) १. गर्भ । गर्भाधान | 1 २. धारण करना । आधार - ( न० ) १. सहारा । श्राश्रय । २. बुनियाद । नींव । ३. वह जिसके सहारे कोई वस्तु बनी या ठहरी हो । ४. पात्र । ( वि०) प्राश्रय दाता । आाधारण - ( न० ) १. सहारा । २. सहायता । ३. स्वीकार । ४ पालन । ५. धारण । ६. प्रारती । प्रधारणो - ( क्रि०) १. धारण करना । २. सहारा देना । ३. उठाये रखना । ४. उठाना । ५. अंकित करना । ६. स्वीकार करना । ७. पालन करना । श्राधाळो - ( न० ) परकार । परकाल । प्राझाळो । आधि-- ( ना० ) मानसिक पीड़ा । आधिदैविक - (वि०) १. जो प्रकृति या लोक से ऊपर हो । २. देवकृत । अधि भौतिक-- (वि०) शरीर धारियों द्वारा प्राप्त (कष्ट) | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रानं आधियो - ( न० ) १. किसी वस्तु का प्राधा परिमाण । २. आधी बोतल । ( वि० ) आधे हिस्से का मालिक । प्राधि-व्याधि- ( ना० ) शारीरिक पीड़ा । प्राधी - दे० प्राधो । आधीन - ( वि०) १ मातहत । २. श्राश्रित । ३. वशीभूत । ४. विवश । ५. प्रज्ञाकारी । प्राधीनता - ( ना० ) मातहती । ताबेदारी । प्राधीनी— दे० प्राधीनता । प्राधीरो - ( क्रि०वि०) २. आधी रात को । २. आधी रात में । आधुनिक - ( वि०) अर्वाचीन । श्राज कल का । प्राधेटो - ( न०) किसी दूरी का मध्य स्थान | आधी दूरी । प्राधेड़ - दे० अधेड़ । प्राधो- (वि०) किसी वस्तु के दो बराबर भागों में से एक । आधा । आधी - प्राध - ( न० ) भाग । आधा हिस्सा । ग्राधोड़ी - ( ना० ) गाय या बैल का प्राधा बराबर का प्राधा चमड़ा | ( विo ) प्राधी । मानसिक और प्राधोड़ो - - ( वि०) प्राधा वाला । प्राधा | प्राधो- दूधो- (वि०) १. लगभग आधा । आधा सीसी -- ( न०) आधे सिर में होने आधोळी - दे० आघोड़ी । वाला दर्द । २. आधा । श्रधोफर - (वि०) बीच मध्य । ( न०) १. महल । २. छज्जा । आधोरण -- ( न०) महावत । पीलवान । आध्यात्मिक - (वि०) १. श्रात्मा संबंधी । २. प्रात्मा और ब्रह्म संबंधी । For Private and Personal Use Only मान -- ( ना० ) १. मर्यादा । २. शीलसंकोच । ३. शान । ४. प्रतिष्ठा । इज्जत । ५. ठाट-बाट । ६. गौरव । ७. लिहाज । (वि०) दुसरा । और । परायो । Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रानक आपजी पानक-(न०) १. बड़ा ढोल । २. बड़ा आनी-(ना०) रुपये (६४ पैसों) के सोलहवें नगाड़ा । ३. गरजता हुआ बादल । भाग का सिक्का । चार पैसों की कीमत मानध-दे० प्रानक । का सिक्का। आनन-(न०) मुख । वदन । मूढो। आन-(सर्व०) इनको । अानन-पंच-(न०) पंचानन । सिंह। आनो-(न०) १. एक रुपये का सोलहवाँ आन-बान-(ना०) ठाट-बाट । सजधज। भाग । चार पैसे । २. किसी वस्तु का आनंद-(न०) हर्ष । प्रसन्नता । मोद। सोलहवाँ भाग। मारणंव । प्राप-(सर्व०) १. 'तुम' और 'वे' के लिये प्रानंदकंद-(न०) श्रीकृष्ण । २. परमात्मा। आदरार्थक शब्द । २. स्वयं । खुद । थे। प्रानंदकारी-(वि०) आनंद देने वाला। आप-अंगो-(वि०) १. मस्त । मौजी । आनंदघन-(न०) १. श्रीकृष्ण २. पर- २. घमंडी । मिजाजी । ३. अक्कड़ । मात्मा। आप-आपरै-(सन०) अपने-अपने । प्रानंदणो-दे० पाणंदणो। पाप-पापरो-(सर्व०) अपना-अपना । आनंद बधाई-(ना०) १. मंगल उत्सव । पाप करमी-(वि०) १. स्वभाग्य पर २. मंगल अवसर । प्राणंद बधाई । भरोसा करने वाली या करने वाला। आनंद-मंगल-दे० प्राणंद मंगळ । २. कर्म करके भाग्य बनाने वाली या आनंदी-(वि०) आनंद में रहने वाला। बनाने वाला । स्वावलंबी। - प्रसन्न रहने वाला। आप करमो-(वि०) १. स्वभाग्य पर पानाकानी-(ना०) टालमटूल । प्रागा- भरोसा रखने वाला। २. कर्म करके पीछा । हाँ-ना। भाग्य बनाने वाला । स्वावलंबी। पानापाई-दे० पानापाण । प्रापगा-(ना०) नदी । मानापारण--(न०) १. दशांश पद्धति के प्रापघात-(ना०) प्रापघात । प्रात्महत्या। पूर्व रुपये के ६४ पैसों के हिसाब से रुपये प्रापघाती-(वि०) अात्मघाती। आत्म हत्यारा। की रेजगारी को पाने और पाइयों में लिखकर दर्शाने की एक पद्धति, जैसे - आपच-(ना०) १. मनोव्यथा । २. आत्म हत्या। j' एक पाना (चार पैसे), 'ej' दो आपच-कूटो-(न०) १. कलह । २. मनपाने (८ पैसे), ' तीन पाने (१२पैसे)। स्ताप । ३. व्यर्थ का परिश्रम । बिना 1) चार आने (१६ पैसे) चवन्नी, '1)' लाभ का और पच-मरने का काम । अठन्नी (३२ पैसे), '1)' बारह पाने आप-चीतो--(वि०) अपनी इच्छा से और (४८ पैसे) पोन रुपया। 1) पाँच पाने इच्छानुसार काम करने वाला । २. अपने (२० पैसे), ' सवा पाँच आने प्राप। (२१ पैसे), ij॥' साढ़े पाँच पाने प्रापज-(सर्व०) स्वयौं । आप ही। (२२ पैसे)। ' ' पौने छः आने प्रापजादो-(वि०) १. स्वावलंबी । (२३ पैसे), '1' छः प्राने (२४ पैसे:, २. कर्मठ । ३. अभिमानी ४. हठी। 12) सात पाने (२८ पैसे) । इसी प्रकार आपजी-(न०) १. दादा पिता आदि रेजगारी के सभी हिस्सों को पाना पाइयों में लिखा जाता है। २. पाने और पाणों गुरुजनों के लिए सम्मान सूचक संबोधन । के पहाड़े। २. दादा-पिता आदि गुरुजन । ३. पिता। For Private and Personal Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्री-सा प्रापजी-सा-दे० प्रापजी । आपज्ञान - ( न० ) आत्मज्ञान । आपणो - ( क्रि०) किसी के पीछे दौड़कर उसको पहुँचना | पकड़ना । पहुँचना । आपण -- ( न० ) १. भक्तकवि बारहठ ईसर ( १०४ ) दास का एक आत्मज्ञान संबंधी काव्य । गुण- आपण २. ग्रात्मा । ३. बाजार । ४. दुकान । ( सर्व ० ) १. अपन | अपनलोग । २. अपना । ३. अपने । हमारे । आपणी - ( सर्व०) अपनी | आपणो - ( सर्व ० ) अपना । ( क्रि०) १. देना । २. अर्पण करना । आपत – ( ना० ) आपत्ति । कष्ट । ( क्रि०वि०) एक दूसरे के साथ । परस्पर । आपतकाळ - ( न० ) कुसमय । २. दुर्दिन । आपदा - ( ना० ) विपत्ति | १. आपत्काल । आपनामी -- (वि०) अपने नाम से प्रसिद्ध होनेवाला । आपपर - ( क्रि०वि०) परस्पर । आपस में । प्रापबळ - ( न०) आत्मबल । प्रापबळी - (वि०) १. आत्मबली । २. स्वावलंबी । ३. सामर्थ्यवान । प्रापमलो - (वि०) १. अपनी इच्छानुसार करने वाला | स्वच्छंद । २. स्वतन्त्र | ३. वीर । आपमुरादो ( वि०) स्वच्छंद । आपमेळो - दे० प्राप-चीतो । परंगो - (वि०) अपने रंग में रंगा हुआ । मौजी । मस्त । २. मिजाजी । घमंडी । प्रापरी - ( सर्व० ) अपनी | ( वि०) ग्रापकी । प्रापरूप - ( न० ) १. आत्मस्वरूप । ब्रह्मस्वरूप । २. परमात्मा । ईश्वर । ३. अपना रूप । असली रूप | ( क्रि०वि०) अपने रूप में। अपने असली रूप में । प्रापरो - ( सर्व ० ) अपना । (वि०) आपका । स्वेच्छाचारी । श्रपापंथी आपवळ - ( क्रि०वि० ) अपने पक्ष में । अपनी ओर । आपवीती - (वि०) १. अपने में बीती हुई। खुद की भुगती हुई । ( ना० ) अपनी घटना । घरबीती । 'परबीती' का उलटा । आपस - ( क्रि०वि० ) परस्पर । एक दूसरे के साथ | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आपसरी - ( क्रि०वि० ) १. परस्पर में । परस्पर मिल करके । २. अपने श्राप । आपसी - (वि०) पारस्परिक । ग्रापसूझ - ( ना० ) अपनी समझ | खुद की बुद्धि | आपा ऊपर - ( वि० ) अपनी शक्ति से अधिक । अपनी हैसियत से बाहर । ( क्रि० वि०) अपने असली रूप में । बिगड़े रूप में। आपा ऊपरी - (वि०) १. अपनी शक्ति से अधिक काम करने वाला । २. अपनी हैसियत के उपरान्त बोलने वाला । ३. अपने असली रूप में आने वाला । आपारण - ( न० ) १. शक्ति । पराक्रम । २. साहस । ३. करामात । आपारणी - ( वि०) १. आपारणवाला । शक्तिवान । पराक्रमी । २. साहसी । हिम्मती | ( सर्व० ) अपनी | आपाधापी (ना० ) १. मनचाही । २. खींचातानी । ३. अपनी-अपनी चिता । ४. धांधली । शरारत । पापणी - ( सर्व० वि० ) ( श्राप + आपणो का छोटा रूप ) प्रपना-अपना । आपा परणो – (न०) १. अभिमान । श्रहं - कार २. बल । शक्ति । आपापंथी - (वि०) १. सामाजिक व धार्मिक नियमों के विरुद्ध आचरण करने वाला । २. पारंपरिक आचार-विचारों की अवहेलना करने वाला । ३. मनमानी करने वाला | स्वेच्छाचारी । For Private and Personal Use Only Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीपायत ( १०५ ) ग्रापायत-(वि०) १. जबरदस्त । बलवान । ४. तड़फाना । ५. नाश कराना। मर२. साहसी। __ वाना। ६. अत्यधिक परिश्रम करवाना । आपायतो-दे० आपायत । (स्त्री० पापा- आफू-(न०) अफीम । अमल । यती)। आफूगो-(वि०) १. समस्त । सब । (सर्व०) प्रापासमो-(वि०) १. स्वच्छंद । अपने अपने आप । स्वयं । समान । आफूड़ियो-(वि०) अफीमची। अमलदार । आपाँ-(सर्व०ब०व०) १. अपन । २. हम । आब-(ना०) १. प्राभा । चमक । कान्ति । आपाँपै-(सर्व०) १. अपने-अपने । २.अपन। २. आबरू । प्रतिष्ठा । ३. छबि । अपन-अपन । ३. स्वय।। शोभा। (न०) ४. पानी। ५. वर्ण । रंग। आपे--(सर्व०) अपने आप । स्वतः। आबकारी-(वि०) शराब आदि नशीली आपेज-(सर्व०) अपने आप ही। वस्तुओं से संबंध रखने वाला ( सरकारी प्रापै-था -(वि०) १. अपने भरोसे या महकमा) । सहारे पर रहने वाला। स्वावलम्बी। आबखानो-(न०) १. पानीघर । पनिहारा। २. मनमौजी । इच्छाचारी । ३. स्वतंत्र। पणींढो । २. स्नानघर । ३. पिशाबघर । (अव्य०) अपनी मर्जी से । इच्छानुसार । । सामा। प्राबखोरो-(न०) एक जलपात्र । प्राप-धापै-दे० प्राप-थापै। याबदार-(वि०) १. पानी वाला । प्राभाआपो-(न०) १. प्रात्मा। २. प्रात्मस्व- युक्त। कान्तिमान । २. रंगदार । सुवर्ण । रूप । ३. सहारा । प्राधार । ४. परिचय। ३. सुन्दर । ५. मूतावेशित व्यक्ति द्वारा दिया जाने प्राबनूस-(न०) एक वृक्ष । वाला भत का परिचय । ६. शक्ति। प्राबरू---(ना०) प्रतिष्ठा । इज्जत । ७. अपनी सत्ता । व्यक्तित्व । ८. स्वबल। आबरूदार-(वि०) प्रतिष्ठित । इज्जतदार । ६. स्वाभिमान । १०. जीवात्मा । । प्राब-हवा-(ना०) १. जलवायु । २. वाताप्रापो-पाप-(सर्व०) १. अपने पाप । वरण। स्वतः । २. स्वयं ।। आबाद-(वि०) १. बसा हुआ। २. उपजाऊ । आफत-ना०) विपत्ति । आपदा । आबादी-(ना०) १. वस्ती। आबादी । आफताब-(न०) सूर्य ।। २. जनसंख्या । प्राफरणो-(क्रि०) पेट में वायु विकार अाबी-(ना०) १. चमक । प्रोप । कान्ति । होना । वायु से पेट फूलना । अफरना। २. शोभा। ३. प्रतिष्ठा । पानी। ४. शस्त्र प्राफरीवाद-(न०) धन्यवाद । शाबास । में दी जाने वाली एक प्रोप। पानी। प्राफरो-(न०) पेट में होने वाला वायु- जौहर । विकार । वायु से पेट में होने वाला बाबू (न०) १. पाडावळा ( अरावली ) फुलाव । आफरा। पर्वतमाला का सबसे ऊंचा शिखर । आबू प्राफळगो-(क्रि०) १. टकराना । पर्वत । अर्बुदगिरि २. राजस्थान का एक २. भिड़ना। ३. युद्ध करना। ४. तड़फना। प्रसिद्ध, ऐतिहासिक और पर्वतीय-तीर्थ ५. नाश होना । मरना। ६. अत्यधिक स्थान । ३. आबू पर्वत पर बसा हुआ एक परिश्रम करना। नगर । ४. आबूरोड़ रेलवे स्टेशन के पास प्राफाळणो-(क्रि०) १. टक्कर दिवाना । बसा हुआ खराड़ी नाम का नगर । २. भिड़ाना । ३. युट कराना । बरामी। आबूरोड। For Private and Personal Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १०६ ) का अशौच लगना। ३. अशौच लगना । ४. स्पर्श करना। छूना । ५. भिड़ना । प्राभडियोड़ी - (वि०) १. ऋतुमती । रजस्वला । कपड़ों प्रायोड़ी । २. स्पर्ण की हुई । आभडियोड़ो - (वि०) स्पर्श किया हुआ । ग्राभ फूटरो - ( मुहा० ) घोर वर्षा होना । आभरण -- ( न० ) ग्राभूषण | आभा - ( ना० ) १. शोभा । २. चमक । आभार - ( नए) १. धन्यवाद । १. उपकार । एहसान । प्रभारी - ( वि०) १. कृतज्ञ । २. उपकार श्राभं ग्राभ - ( न० ) १. आकाश । श्राभो । ऊर्ध्वलोक । स्वर्ग | ( ना० ) २. प्रभा । कान्ति । आभ - टूटणो – (मुहा० ) १. घोर ध्वनि के साथ वज्राग्नि गिरना । २. घोर संकट का आ पड़ना । आभड़ छेट - ( ना० ) १. अछूत व्यक्ति या रजस्वला स्त्री से स्पर्श होने का प्रशौच । २. स्पर्शदोष । ३. रजस्राव । श्रटकाव । ग्राभड़ छोत- - दे० आभड़छेट । आभरणो - ( क्रि०) १. स्पर्श होना । छू जाना । २. अछूत जाति के व्यक्ति या ऋतुमती स्त्री से छू जाना एवं स्पर्श होने आमदनी - ( ना० ) १. श्राय । आमद | नाराज । २. हताश । ग्रामद -- ( ना० ) १. आय | आमदनी । २. आगमन । २. प्रायात । मानने वाला । आभास - ( न० ) १. किंचित भास या ज्ञान । २. छाया । झलक । ३. भ्रम । आभीर - ( न० ) १. अहीर । ग्वाला । २. एक छंद । ३. एक राग । भूखण - ( न० ) आभूषण | गहना । श्राभूषरण - दे० आभूखण । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रामंख दिया हुआ रहता है । प्रभोग । २. पूर्ण । समाप्त । ३. उपभोग । ४. विस्तार । ( fao) परिपूर्ण । पूर्ण । चकित । चकित | श्राभोग - ( न० ) भजन, पद या कविता की वह अंतिम कड़ी जिसमें कवि का नाम साधारण प्राभरण -- ( न० ) आभरण | आभूषण । ग्राम - ( वि० ) १. सर्व साधारण । २. सर्वमें व्याप्त । ( न० ) आम्र | ग्रामड़गो - ( क्रि०) १. मिटना । नाश होना । २. लगना । आा लगना । पहुंचना । ग्रामण-दूमरणो- (वि० ) १. उदास । आमना - ( ना० ) १. इच्छा । चाह । २. आम्नाय । वेद । ३. द्विजों का आम्नाय सूचक भेद या फिरका । ४. प्राचीन परिपाटी । परम्परा । ग्रामने- सामने -- ( क्रि०वि० ) एक दूसरे के सामने । आमने-सामने । प्रत्यक्ष । श्रामनो - ( न० ) नाराजी । ग्रामनो- सामनो - ( न०) मुठभेड़ । मुका बला । आमय - ( न० ) १. रोग । बीमारी । २. माया । ग्रामरस - ( न०) आमरस । आम्ररस । ग्रामलवाणी - ( न०) गुड़ डालकर बनाया जाने वाला इमली का पानी । ग्रामलकी- ग्यारस - दे० आँवला- ग्यारस । आमळासार-गंधक -- ( न० ) एक प्रकार का गंधक | ग्रामळासार-गंधप - दे० श्रमळासारगंधक | प्रभूसरण- दे० आभूखरण । प्रभो - (To) आकाश । (वि०) ग्राश्चर्य- आमली - ( ना० ) इमली । आमळो - दे० श्रवळो । दे० श्रावळो । आमहो- सामहो - दे० आमा -सामा | प्रमंख -- ( न० ) प्रामिष । मांस । For Private and Personal Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आमंखचर । १०७ ) आमंखचर-(वि०) मांस भक्षी (पशु व आयस-(न0) १. नाथ सम्प्रदाय के पक्षी)। संन्यासियों का एक विरुद या पदवी। आमंत्रण-(न०) निमंत्रण । बुलावा । २. संन्यासी । योगी । ३. आदेश । प्राज्ञा । तेड़ो। ४. लोहा । आमंत्रणो-(क्रि०) आमंत्रण देना । आयात-(वि०) बाहर से आया हुआ बुलाना । तेड़रणो। (माल-सामान) (10) पायात माल पर प्रामादा-(वि०) तैयार । तत्पर । लगने वाला कर। प्रामा-सामा-(क्रि०वि०) आमने-सामने। प्रायास-(न०) १. प्रावास । निवास । आमिख--(न०) आमिष । मांस । २. आकाश । ३. माभास । ४. परिश्रम । प्रामिखचर-दे० प्रामखचर । ग्रायु-(ना०) आयुष्य । वय । उम्र । प्रामिष-दे० प्रामिव । आयुध--(न०) अस्त्र-शस्त्र । हथियार । प्रामीखो-(वि०) इस प्रकार का। प्रायुर्वेद-(न०) १. भारतीय चिकित्सा प्रामख-(न०) १. प्रस्तावना । १. उपो- शास्त्र । २. अथर्ववेद का उपवेद । द्घात । आयोजन--(न०) १. किसी कार्य में प्रामुहो-सामुहो--(क्रि० वि०) प्रामने- लगना । २. तैयारी । ३. सामग्री । सामने । प्रायोड़ी-(भू० कृना०) पायी हुई। आमेज-(न०) १. मुकाबला । मुठभेड़। प्रायोड़ो-(भू००) आया हुआ । २. मिलन । (क्रि०वि०) १. प्रामने-सामने प्रायोधन-(न0) संग्राम । २. सामने । सम्मुख । पार-(ना.) १. कील जो बैल हाँकने के आमोद- (न०) आनंद । डंडे में लगी रहती है। २. ऐसी कील आम्हा-साम्हा-(क्रि०वि० आमने-सामने। वाला डंडा । ३. करौत । प्रारी । आम्ही-साम्ही-(क्रि०वि०) आमने-सामने। ४. चमड़ा छेदने का सूपा । ५. हठ । आम्हीणी-(सर्व०) हमारी । अम्हीणी। जिद । (प्रत्य०) एक प्रत्यय जो 'काम आम्हीणो-(सर्व०) १. हमारा । अपना। करने वाला' के अर्थ का बताता है। २. मेरा । अम्हीणो। करने वाला। आय-(ना०) १. प्राय । आमदनी । पारख-(वि०) समान ! बराबर । (न०) २. लाभ। १. समानता। बराबरी । २. भाँति । प्रायत-(वि०) १. शरणागत । २. विस्तृत। प्रकार । ३. चिन्ह । निशान । ४. शक्ति । लंबा-चौड़ा। (न०) १. घेरा । पराक्रम । (ना०) कुरान का वाक्य । प्रायत । पारखो-दे० आरिखो। प्रायतां-(न०) मुसलमान लोग। आरज-(न०) १. आर्य । २. श्रेष्ठ प्रायत्तर-(वि०) पराधीन। पुरुष । ३. सबसे पहले सभ्यता प्राप्त आयल-(न०) १. चारण जाति की प्रावड़ करने वाली जाति । ४. हिन्दू । (वि०) देवी । करणीदेवी । २. एक लोक गीत । १. श्रेष्ठ । २. पूज्य । बड़ा। ३. कुलटा स्त्री । पुश्चली स्त्री । (वि०) प्रारजा-(ना०) १. आर्या । २. पार्वती। प्रावड़ देवी की आराधना या पूजा करने ३. साध्वी। ४. प्रार्या छंद । ५. रोग । बाला। बीमारी। For Private and Personal Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १०८ ) श्रारजियाँ प्रारजियाँ - ( ना० ) जैन साध्वी । श्रारजा । -- वन । प्राररण - ( न० ) १. भरण्य । २. युद्ध । ३. लुहार की भट्टी । प्रारणियो-छारणो- ( न०) १. सूखा हुआ गोबर । । उपला | कंडा । आरणो- (वि०) जंगल का । जंगली | श्रारणियो । आरणो छारो - दे० श्रारणियो छाणो । आरण्य - (वि०) जंगल का 1 (न० ) दशनामी संन्यासियों का एक भेद । भारत - ( ना० ) १. जरूरत । श्रावश्यकता । २. कामना । इच्छा । ३. पीड़ा । ४. लालसा । ५. अपनत्व । अपनापन | ६. दीन पुकार । ( वि०) १. जरूरत वाला । २. दुखी । प्रर्त । ३. प्रातुर । अधीर । सम्मुख भारती घुमाना । प्रारती करणो - दे० भारती उताररणो । प्रारतो - ( न०) बड़ी प्रारती । प्रारती । आरपार - ( क्रि०वि०) १. इस किनारे से उस किनारे तक । २. एक सिरे से दूसरे सिरे तक । ३. इधर से उधर । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आरंभरामं मुसलमान । २. एक ( वि० ) अरब का रहने आरब - ( न० ) १. प्रकार की तोप | वाला । आरबळ - ( न० ) १. आहारबल । २. शारीरिक बल । ३. आयु बल । लंबी आयु । ४. आयु का परिमाण । ५. आयु । प्रारव - ( न० ) १. प्रार्त २. ग्राद । रुदन । पुकार । आरस पहाण - ( न० ) प्रादर्श पाषाण । संगमरमर । मकराणो । प्रारसपारण- दे० श्रारस पहारण । प्रारसी - ( ना० ) १. दर्पण | आईना | काच । २. अंगूठे में पहनने की शीशा जड़ी हुई स्त्रियोंकी एक अंगूठी । (वि० ) ऐसी । इस प्रकार की । आरट - ( न० ) युद्ध | आरंग - ( न० ) १. क्रीड़ा । केलि । २. केलिघर । ३. शस्त्र । रंगपुर - ( न० ) केलिगृह । आरंभ - ( न० ) १. शुरु । प्रारम्भ । २. उत्पत्ति । ३. कोई महत् कार्य । ४. उत्सव । ५. वैभव-प्रदर्शन । ६. सजावट | ७. तैयारी । ८. कार्य प्रवर्ती । ६. गतिशीलता । १०. पाप ११. बंधन । १२. हिंसा । १३. युद्ध । १४. घर । १५. मंदिर । देवालय । १६. राजभवन । महल । १७. अटारी । प्रारंभरणो- ( क्रि०) १. शुरु करना । । २. युद्ध करना । प्रारतड़ी-दे० आरती । आरतवंत - दे० भारतवान । प्रारतवान - (वि० ) १. अधिक जरूरत वाला । २. प्रातुर । अधीर । ३. दुखी । पीड़ित । ४. संकट ग्रस्त । आरती - ( ना० ) १. देवमूर्ति के सम्मुख घी का दीपक घुमाने की क्रिया । नीराजन । २. प्रारती का दीपक पात्र । ३. आरती करते समय गायी जाने वाली स्तुति । ४. विवाह की एक प्रथा जिसमें तोरणद्वार पर दूल्हे की सास द्वारा अनेक दीपकों वाली आरती उतारी जाती है । ४. दूल्हे की आरती करते समय गाया जाने वाला एक लोक गीत । आरंभराण - दे० श्रारंभराम | आरती उतारणी - ( मुहा० ) देवमूर्ति के आरंभराम - ( न०) १. देशों को जीतने एवं राजाओं को आधीन बनाने के लिये आक्रमण करने को हर समय तैयार रहने वाला शक्तिशाली राजा । २. वह राजा या बादशाह जिसने बड़े-बड़े अधिपतियों को अपने वश में कर रखा हो । ३. युद्ध देवता । ४. सम्राट । बादशाह । ५. युद्ध For Private and Personal Use Only Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मारंभराय ( १०६) प्रारोपणो रसिक वीर । (वि०) आक्रमण करने पारी-कारी-(ना०) १. तैयारी । २. हलवाला। चल । प्रारंभराय-(ना०) १. युद्ध देवी । प्रारीयण-(न०) १. आर्यजन । आर्य २. शक्ति । दुर्गा। ३. राठौड़ों की कुल लोग । हिन्दू । २. आर्यावर्त । देवी। चामुडा। पारीसो-(न०) दर्पण । शीशा । काच । आराण-(न०) युद्ध । आरे-(न०) १. स्वीकार । मंजूर । प्रारात-(प्रव्य) १. पास । निकट । (न०) २. सीमा । हद । ३. किनारा । ४. अधिशत्रु । कार । वश । आराधरणो-(क्रि०) १. पाराधना करना। प्रारे करणो-(मुहा०) १ स्वीकार करना। २. पूजा करना । ३. रक्षार्थ यत्न करना। २. विवश करना । ४. अधिकार जमाना। पारे राखणो-(मुहा०) मंजूर रखना । आराधना-(ना०) १. सेवा । पूजा। पारेटो-(न०) रीठा का वृक्ष अथवा २. उपासना। (क्रि०) करना। फल । अाराधी-(वि०) पाराधना करने वाला। प्रारो-(न०) १. बड़ी करीत । २. बैल पारावो-(न०) १. ऊँट या बैलगाड़ी की गाड़ी का एक उपकरण । ३. समय । तोप । २. छोटी तोप । ३. गोला-बारूद। ४. जैन मतानुसार सृष्टिकाल के विभाग पाराम-(न०) १. स्वास्थ्य लाभ । का नाम । ५. बारी । पारी । २. विश्राम । ३. शान्ति । चैन । ४. बाग। आरोगरण- (न0) भोजन । जीमन । बगीचा। जीमरण । आरास-(न०) १. शीशा । दर्पण । आरोगणो-(त्रि०) भोजन करना । २. सजावट। जीमना । जीमणो। पारासणो—(क्रि०) सजाना । सजावट आरोगी-(ना०) चिता । करना। प्रारोड़-(वि०) जबरदस्त । बलवान । पारासुर-(ना०) एक देवी। प्रारोध-(न०) १. अवरोध । रोक । २. आराहणो-(क्रि०) आराधना करना। बिना अवरोध । शीघ्र । आरि-(ना०) झींगुर । झिल्ली। पारोप-(न०) १. स्थापित करना । प्रारिख-(न०) १. चिन्ह । निशान । स्थापन । २. प्राक्षेप । ३. तोहमत । २. जोश । ३. दशा। अवस्था । ४. सूरत। आरोपरग-(न०) १. मिथ्या ज्ञान । (वि०) समान । सदृश । २. स्थापित करने का काम । लगाने प्रारिखो-(वि०) १. समान । सदृश । का काम । स्थापन । स्थापना । २. मिथ्या (न०) १. दशा। अवस्था। २. ढंग। धारणा । मिथ्या ख्याल (किसी के संबंध प्रकार। __ में) ४. किसी के विषय में यह कहना प्रारी-(ना.) १. करौती। २. बैलों को कि उसने ऐसा कहा है। हांकने के लिये पैनी कील लगी हुई प्रारोपणो- (क्रि०) १. आरोप लगाना । लकड़ी । ३. जूता सीने का सूपा । २. आरोपित करना । ३. धारण करना। सुतारी। ४. चमड़ा कागज आदि छेदने ४. धारणा बनाना । ५. लगाना । लागू का एक औजार। करना । For Private and Personal Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारोपो (११.) पालमखानो प्रारोपो-(न०) १. करामात । २ कलंक । ८. दोष । ६. असत्य । झूठ । कूड। ३. जमाव । ४. विवाद । १०. मादा पशुओं की कामेच्छा । ११. आरोह--(न0)१. बाण । तीर । २. आक्र- मादा पशुओं की जननेन्द्री। १२. अयाल । मण । ३. चढाव । चढ़ाई । ४. सवारी।। (वि०) फजूल । निरर्थक । ५. सीढ़ी । ६. स्वर को ऊंचा खींचना। आल-प्रौलाद-(ना०) १. बाल-बच्चे । ७. आलाप (संगीत)। परिवार। २. अपनी और अपनी लड़की आरोहणो-(क्रि०) १. सवार होना । की संतान । २. सीढ़ी पर चढ़ना । ३. आक्रमण पाळकस-(न०) आलस्य । सुस्ती । करना। ४. स्वर को ऊंचा खींचना। पाळस । आलाप देना (संगीत)। पाळखो-(न०) १. प्रोट । २. आलस । प्रार्त-(वि०) १. संकट ग्रस्त । २. दीन । पाळस । ३. पीड़ित । पाळग- (ना०) १. रुचि के अनुकूल । पाथिक -(वि०) १. अर्थ से सम्बन्धित । पसंद । २. प्रीति । प्रणय । प्रेम ।। २. धन या पूजी सम्बन्धी । पाळगणो-(क्रि०) १. अच्छा लगना । प्रार्द्रा--(न०) एक नक्षत्र । पसंद आना । २. जी लगना । आर्य-(न)) १. सबसे पहले सभ्य बनने पाळ-जंजाळ-(न०) जगत का मोह जाल । वाली जाति । २. हिन्दु । (वि०) माया जाल । प्रपंच । १. श्रेष्ठ । २. पुज्य । ४. श्रेष्ठ पालण-(न०) साग, तीवन प्रादि को घट्ट कुलोत्पन्न । __ बनाने के लिये उसमें मिलाया जाने वाला आर्यसमाज---(ना०) महर्षि दयानद द्वारा बेसन । संस्थापित एक प्रसिद्ध धार्मिक सगठन । प्रालगो- (क्रि०) १. देना । २. सौंपना । आर्या-(ना०) १. पार्वती। २. सास । (न०) १. कबूतर का घर । २. कबूतरों ३. दादी। ४. कूलीन स्त्री। ५. एक छंद । का दडबा । प्राळनो। आर्यावर्त्त-(न०) भारतवर्ष के उत्तर, आळ-पताळियो- (वि०) १. अति चंचल । मध्य भाग का नाम । २. बखेड़ा बाज । ३. ऊधमी। पार्ष-(वि०) १. ऋषि सबंधी। २. वैदिक। प्राळ-पंपाळ—(न०) १. झंझट । बखेड़ा । पाल-(ना०) १. लड़की की संतान । २. झंझट बाजी । ३. प्रपंच । माया-जाल नाती। २. वंश । कुल । ३. गीलापन। मोह जाल । प्राळ-जंजाळ । पाता। नमी। ४. लौकी। दूधी। पालम-(न०) १. ईश्वर । २. संसार । घीमा । ४. लम्बे आकार का मतीरा। दुनिया । ३. बड़ा जन समूह । ४. बादएक जाति का लंब-गोल मतीरा । ६. एक शाह । ५. मुसलमान । ६. 'माधवानलक्षुप जिसकी छाल से लाल रंग बनता कामकंदला, प्रेम काव्य-ग्रन्थ के रचयिता एक मुसलमान कवि । ग्राळ-(ना०) १. छेड़छाड़ । खेचल । आलमखानो-(न०) १. नक्कारखाना । २. खेल । क्रीड़ा । ३. ठठोली । मजाक । २. राज दरबार की गायिकाएं और दिल्लगी। ४. झंझट । झमेलो। ५. युद्ध ।। तबलचियों के रहने और उनके साजलड़ाई। ६. घेरा। ७. कलंक । लांछन । सामान रखने का स्थान । For Private and Personal Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माळो मालमगीर (१११) पालमगीर-(न०) बादशाह औरंगजेब पाळावरणो-(क्रि०) हराना । परास्त का विरुद। __करना । पालमजी-(न0) मारवाड़ के मालानी पालावणो-(क्रि०) १. दाँत पीसना । प्रान्त में राड़धरा क्षेत्र के एक प्रसिद्ध २. मुह में भाग लाना । लोक-देवता । (आलमजी अत्यन्त पराक्रमी आळियो-(न०) १. छोटा पाला। छोटा राठौड़ राजपूत थे । वे वचनसिद्ध संत ताक । २. दे० असाळियो । कहे जाते हैं ।) आलिंगणो-(क्रि०) प्रालिंगन करना । आलय-(न०) घर । स्थान । बाहुपाश में लेना। आळस--(न०) पालस । सुस्ती। प्रालीजो-(वि०) रसिक । अलबेला । ग्राळसणो-(क्रि०) १. आलसी होना । प्रालीजो भँवर--(न0) १. शौकीन युवक । २. पालस करना। ३. देरी करना। २. प्रेम सम्बन्धी लोक गीतों का रसिक ४. मुलतवी करना। नायक । ३. रसिक नायक का एक पाळसवाण-(वि०) १. प्रालसी । सुस्त। विशेष विशेषण । (वि०) १. रसिक । शौकीन । विका २. अकर्मण्य । आळसाणो-(न०) स्थगित । मूलतबी। पालीणो-(वि०) पालीन । लीन । (क्रि०) अलसाना । पालस करना। अनुरक्त । पाळसी-(वि०) १. सूस्त । धीमा । आलू--(न०) एक खाद्य कंद । पाल । २. प्रालसी । पाळसी। आळ झरणो- (क्रि.) उलझना । आळसेट-(न०) आलस । (क्रि० वि०) प्राळ दो--(वि०) १. सज्जीभूत । सजा १. कठिनाई से। मुश्किल से । २. धीरे- हुमा । २. तैयार । ३. थकान मिटाया धीरे । ३. सुस्ती से। हुप्रा । स्वस्थ । आळसेटू--(वि०) सुस्ती । आलसी । __ प्राळ धणो-(क्रि०) १. उलझना । आलस्य-दे० प्रालस । २. बंधना । ३. जुड़ना। आळग-(ना०) घोड़ी की मस्ती । पाळ धो-(वि०) १. उलझा हुआ । प्रालंबण-दे० आलंबन । २. फँसा हुआ । बँधा हुआ। आलंबणो-(क्रि०) १. सहारा पाना। प्राळ टणी-दे० आळोटयो । २. सहारा देना। आलेड़ो-(न०)१. गीली मिट्टी । गारो। २. प्रालंबन-(न०) १. सहारा। २. आश्रय । गीली मिट्टी के पिण्डों से बनाई हुई नीची ३. रसोद्रेक की आधारभूत वस्तुएँ । दीवार । डॅडवारा। ३. गीलापन । नमी। (साहि०)४. रस का एक अंग । (साहि०) (वि०) मिट्टी से निमित । पालारण-(न०) हाथी बांधने का खूटा। पाळे-दे० प्रालय।। ग्राळारणो-दे० आळसाणो। प्राळ -नाहर-(न0) सिंह की गुफा । आलाप-(ना०) १. तान । राग विस्तार। (अव्य०) नाहर की गुफा में। लय का उठाव । २. स्वर माधुरी । पालो-(वि०) १. भीगा हुआ। २. नमी ३. संगीत मधुरिमा। ४. कोयल का वाला । ३. जो सूखा न हो। स्वर। प्राळो-(न०) १. ताक । प्राला । आलापणो-(क्रि०) १. आलाप देना। २. घोंसला । (वि०) १. अपरिपक्व मालापना । तान लगाना । २. गाना। अथवा कडुपा (फल)। २. बिना कमाया For Private and Personal Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ११२ ) प्रालोच या बिना साफ किया हुआ ( पशु का चमड़ा ) | ( प्रत्यo ) १. संबंध कारक 'का' अर्थ को सूचित करने वाली एक विभक्ति । २. संबंध या कर्तृवाचक एक प्रत्यय । वाला । जैसे- - घर आळो घरवाला | खारण ग्राळो - खाने वाला । आलोच - (न० ) १. मन के भाव | २. विचार । ३. परामर्श | मंत्ररणा । ४. चिंता । फिकर । ५. विवेचन । आलोचन । आलोचरणो - ( क्रि०) १. आलोचना करना । २. विचार करना । ३. परामर्श करना । ४. चिंता करना । ५. समझना । ग्रालोज - ( न० ) १. मन के भाव । २. विचार । ३. संकल्प । ४. प्रालोचना | मालोजरगो - दे० आलोचरणो । प्राळोटरणो—(क्रि०) १. सोते हुए करवटें बदलना | लोटना । जागते हुए सोते रहना । लेटना । ३. कष्ट के कारण करवटें बदलना | ४. प्राशन करना । विश्राम करना । ५. वचन देकर फिर जाना । नट जाना । ग्रालो - तालो - (वि०) १. बाला-ताला । उदार । २. मौजी । ३. भाग्यवान । ४. चंचल । चपल । प्रालोयणा - ( ना० ) आलोचना । लोवरणो- ( क्रि०) मिलाना । आाळ हो- ( न०) १. आलस्य । सुस्ती । ढीलाई । आव - ( ना० ) १. आमद । श्रमदनी । श्रावभगत I २. आदर सत्कार । ३. आयु । ४. उमंग । उत्साह । आव- प्रदर ( न०) आदर सत्कार | स्वागत । श्रावभगत । प्रावक- ( ना० ) १. आमदनी । २. प्रायात । अवकार - ( न०) स्वागत । सम्मान | श्रवखारण- दे० ग्रावखान । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रावरण-जावरण श्रवखान - ( न० ) मरे हुए गाय या बैल आदि का बिना साफ किया हुआ पूरा चमड़ा । प्रावखो-दे० श्राउखो । श्रावगी - (वि० ना० ) संपूर्ण । पूरी । आवगो - ( वि०) १. पूरा । सम्पूर्ण । पूरा का पूरा । २. निजी । ३. मौलिक । ( न० ) १. बिना राजस्व का भूमि दान । २. वह भूमि जिसका कर नहीं लिया जाता । ग्राव - जाव - ( न० ) १. आना-जाना | आवागमन । २. मेल-मुलाकात । ३. श्राने जाने का संबंध । आतिथ्य संबंध | आवट - ( न० ) १, उवाल । २. क्रोध । गरमी । ३. कुढ़न । ४. युद्ध । ५. संहार । नाश । ६. राह । वाट । प्रतीक्षा । वटकूटो - ( न० ) १. क्लेश । दुख २. मनस्ताप । ३. नाश । ४. झगड़ा | प्रावरणो- ( क्रि०) १. उबाल ग्राना । उबलना । खौलना । २. क्रोध मन ही मन दुखी होना । ३. कुढ़ना । व्यथित होना । ४. दूध का उबलकर गाढ़ा होना । ५. भिड़ना । लड़ना । ६. नाश होना । प्रावड़ - ( ना० ) चारण जाति की एक लोक देवी । आवडणो — ( क्रि०) असगरो । ३. भिड़ना । लड़ना । ९. मन लगना । २ अनुकूलता होना । आवड़त - ( ना० ) १. स्मृति तथा बुद्धि की उपज । सूझ । उपज । उद्भावना । २. कल्पना । आवड़ी - ( वि० ) इतनी । आवड़ो - ( वि० ) इतना । आवरण - ( न० ) श्रागमन । आवरण-जावरण - ( न० ) १. आवागमन । जन्म लेने और मरने की क्रिया । जन्म For Private and Personal Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भावणारी (११३) पावी छ। मरण। २. एक दूसरे के यहाँ पाने-जाने आवळ-कावळ-(वि०) १. बेजा । का संबन्ध । कुत्सित । २. अश्लील । ३. उलटा । . पावणारी-(वि०) पाने वाली। प्रावळा झूल-(वि०) १. सोलहों शृगारों पावणारो दे० प्रावणियो। से सुसज्जित (स्त्री)। २. अस्त्र-शस्त्रों से प्रावणियो-(वि०) प्राने वाला। ___ सुसज्जित (योद्धा)। आवणू-(वि०) माने वाला। प्रावळी-(ना०) अवली । पॅक्ति । श्रेणी । आवरणो-(क्रि०) १. पाना । पहुँचना । (वि०) १. भयंकर । २. सज्जित । २. प्राप्त होना। ३. किसी भाव का ३. टेढ़ी । ४. उलटी । ५. दृढ़। मजबूत । उत्पन्न होना। प्रावळी-घड़ा-(ना०) १. विकट सेना । पावत समा-(प्रव्य०) आते ही । २. सुसज्जित सेना । ३. विजयी सेना । पहुँचते ही। आवळी चमू-दे० प्रावळी घड़ा । प्रावध-(न०) आयुष । शस्त्र । आवळो-(वि०) १. विकट । २. मजबून । प्रावध-नख--(न०) १. सिंह । २. एक दृढ़ । ३. सज्जित । शस्त्र। पावस-(क्रि० वि०) अवश्य | जरूर । प्रावधान-(न०) गर्भ । हमल । (वि०) तैयार । तत्पर । प्रावधी-(न०) १. सिपाही । २. सैनिक । ग्रावा-गमन-(न0) १. पाना-जाना । (वि०) आयुध वाला। पावागमन । २. जीवात्मा के बार-बार आवभगत-(ना०) स्वागत-सत्कार । जन्म लेने और मरने की क्रिया । जनमना आदर सत्कार । आवर-दे० प्रवर । और मरना । २. कर्म-बन्धन । प्रावरण-(न०) १. परदा । २. ढक्कन। प्रावाच-(ना०) दक्षिण दिशा । ३. वेष्टन । आवाज-दे० अवाज । आवरणो-(क्रि०) १. घेरना। २. लपे- आवादान–(ना०) १. प्रामदनी । प्राय । टना। ३. ढकना। ४. परदा डालना। २. उपज । पैदावार । ३. आबादी। ५. आवृत्त होना । घिर जाना । आवादानी–दे० प्रावादान । ६. प्रावृत्त करना। प्रावारो-(वि०) १. निकम्मा । पावरत-(वि०) १. प्रावृत्त । घिरा हुआ। २. निठल्ला । आवारा। ३. बदमाश । २. छिपा हुा । ३. आच्छादित । (न०) ४. लुच्चा । १. वृत्ताकार । घेरा। २. चक्कर। आवास-(न०) १. प्रासाद । महल । घुमाव । ३. संकट । ४.चिता। ५. पानी २. घर । ३. रहवास । रहाण । का चक्र । मेवर । ६. सेना । ७. युद्ध। निवास । ४. आकाश । आवरदा-(ना०) १. प्रायु । उम्र । अावाह-(न०) पाहव । युद्ध । २. जीवन । जिंदगी। आवाहण-(न०) आह्वान । निमन्त्रण । आवरो-(न०) १. ससुराल से मिलने वाला बुलावा । धन । २. दहेज । ३. आमदनी। आवाहणो-(क्रि०) १. बुलाना । आवळ-(ना०) एक क्षुप जिसकी छाल से २. चलाना । ३. प्रहार करना । चमड़ा रंगा (कमाया या साफ किया) पावाँ छाँ-(व०क्रि०) १. पाते हैं । जाता है। (वि०) निषिद्ध । खराब । २. पाती हैं। For Private and Personal Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भावाला प्रास प्रावाला-(भ० क्रि०) १. प्रायेंगे । पाश्चर्य-दे० प्रचरज । ... २. मायेंगी। पाश्रम-दे० प्रास्त्रम । पावाँ हाँ-दे० प्रावों छां। . पाश्रय- (न०) १. प्रासरा। माधार । प्रावूछू-दे० आऊछू। २. शरण। पावूला-(भ० क्रि०) १. पाऊंगा । पाश्रीवाद-(न०) आशीर्वाद । आशिष । २. पाऊंगी। प्राश्वासन-(न०) दिलासा । सान्त्वना । प्राव हं-दे० आऊं छू । आश्विन-(न०) कुपार मास । आसोज आवेस-(न०)१. आवेश । जोश । २.क्रोध। का महीना। ३. वेग। ४. भूत-प्रेत का लगाव। आषाढ़-दे० असाढ । ५. प्रवेश। आषाढी-(वि०) १. भाषाढ मास से संबंआवै छै-(व०क्रि०) १. पाता है। २. पाते धित (ना०) प्राषाढ मास की एकादशी या पूणिमा । प्रावैला-(भक्रि०) १. पायेगा । पावेगा। प्रास-(ना०) १. पाशा । उम्मेद । आयगा । २. आयगी। २. भरोसा । ३. छाछ का पानी। माछ। प्रावैली-(भक्रि०ना०) प्रायगी। प्रायेगी। आसकंद—दे० प्रासगंध ।। आवै है-दे० आवै छै। आसका-(ना०) १. विभूति स्वरूप यज्ञ प्रावो-जावो-दे० प्राव-जाव । की भस्म । विभूति । भभूती। २. सिद्धपावजगो---(क्रि०) १. धारण करना। महात्माओं की धूनी की भस्मी। ३. देव२. त्यागना । छोड़ना। प्राव्रत-दे० आवरत। तानों को खेए जाने वाले धूपदानी के धूप की भस्मी। भभूती। ४. प्राशिष । प्राश--दे० प्राशा। मंगल-कामना। प्राशना-(ना०) १. मित्र । दोस्त ।। आसगंध-(न०) अश्वगंधा नामक एक २. परस्त्री लंपट । ३. उपपति । जार। " ४.जारिणी । व्यभिचारिणी। ५.प्रेमिका। वनोषधि । प्राशनाई—(ना.) १. मित्रता। दोस्ती। प्रासगणो-(क्रि०) १. स्वीकार करना। यारी। २. स्त्री-पुरुष का नाजायज संबंध। २. साहप करना। जय_/ भिप्राय । मतलब। अासगीर-(वि०) आशावान । प्राशामुखी। २. इच्छा । ३. उद्देश्य । पासण-(न०) १. संध्या वंदन और पूजा अाशंका-दे० प्रासंका। के समय बैठने का कुश या ऊन का बना पाशा-दे० प्रासा। हुआ बिछावन । आसन । २. बैठने की प्राशावान-(वि०) आशा रखने वाला। विधि । बैठक । ३. पीढ़ा । चौकी आशिष-(ना०) आशीर्वाद । ४. साधुप्रों का स्थान । पाश्रम । मठ । आशीर्वाद--(न०) आशीर्वचन । दुपा। ५. योग साधन के लिये योगी के बैठने मंगल कामना। की विधि (पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिआशुकवि-(न०) तुरंत कविता बना देने कासन प्रादि ८४ आसन)। ६. सुरत की वाला कवि। विधि । (मैथुन के ६४ प्रकार के आसन)। आशुतोष-(वि०) शीघ्र प्रसन्न होने वाला। ७. ऊंट के ऊपर कसे जाने वाले पलान (न०) भगवान शंकर । महादेव । पर बैठने की जगह । ८. हाथी पर For Private and Personal Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पासणियो ( ११५ ) प्रासंदी महावत के बैठने की जगह । हाथी का प्रासरी वचन-दे० आशीर्वाद । कंधा। प्रासरीवाद-दे० आश्रीवाद । प्रासणियो-(न०) १. प्रासन । २. छोटा प्रासरो-(न0) १. आश्रय । अवलंब । आसन । ३. पीढ़ा। २. शरण । ३. भरोसा। ४. मकान । प्रासत-(ना०) १. भक्ति । अनुराग । ५. झोंपड़ा। ६. अंदाजा। अनुमान । आसक्ति । २. आस्तिकता। ३. सत्य। ७. प्रतीक्षा । ८. प्रासकर्ण का पुत्र वीर ४. शक्ति। बल। ५. करामात। चमत्कार। दुर्गादास राठौड़। ६. विश्वास । ७. अभिलाषा । ८. लाभ। प्रासल-(न०) १. आक्रमण । २. प्रासकर्ण ६. मंगल । कल्याण । १०. अधिकार का पुत्र वीर दुर्गादास । ३. दुर्गादास के ११. अस्तित्व । स्थिति । १२. प्रास्था। पिता प्रासकर्ण । (वि०) १. जन्म-मरण रहित । पासव-(न०) १. शराब । मदिरा । २. आस्तिक। २. खमीर औषधि । पौष्टिक मद्य औषधि । आसता-दे० प्रासथान सं० १ से ५। ३. अर्क । प्ररक । प्रासति-दे० पासत । ग्रासंक-दे० प्रासंका। प्रासथा-(ना.) १. प्रास्था । श्रद्धा। ग्रामंका--(ना.) १. संशय । संदेह । २ विश्वास । ३. भावना। २. डर । भय । ३. चिता। ४. अनिष्ट प्रासथान-(न०) १. घर । २. ठौर। की संभावना । खटको। जगह । ३. नगर । ४. स्वस्थान । ५.सभा। प्रासंग--(ना०) १. शक्ति । बल । २.साहस । प्रास्थान ६. खेड़पाटण (मारवाड़) में ३. संसर्ग । लगाव । ४. साथ । ५. मिलाप । राठौड़ राज्य की नींव डालने वाले राव ६. संबंध । नाता। सीहा के पुत्र का नाम । प्रासंगरणो-(कि०) १. साहस करना । प्रासना-दे० प्राशना । २. वश में करना । ३. अपनाना । पासनाई–दे० प्राशनाई। ४. स्वीकार करना । ५. उत्पन्न होना । प्रासन्न-(क्रि०वि०) पास । निकट । ६. तबियत लगना । ७. प्रगट होना । आसन्नो-दे० प्रासन्न । प्रासंग-बाहिरो-(वि०) १. अशक्त । प्रासपद-(दे०) प्रास्पद । शक्तिहीन । २. नाहिम्मत । साहसहीन । आमपास-(क्रि०वि०) १. निकट । नज- प्रासंगरू---(वि०) पराक्रमी । शक्तिशाली । दीक । नजीक । २. चारों ओर । ३. इधर- प्रासंगो--(न०) १. पड़ोस । निकट उधर। निवास । २. पाश्रय । सहारा । प्रासमारण-(न०) प्रासमान । आकाश ।। ३. भरोसा । ४. शक्ति । बल । आसमानो-(न०) तंबू । शामियाना। ५. साहस । ६. स्पर्श । ७. पास । निकट । प्रासमेध-दे० अश्वमेध । ८. प्राशा। आसरम-दे० प्रास्रम । प्रासंदी-(ना०) १. बैठने का पाटा । प्रासराम-(न) १. पाश्रम । २. मकान बाजोट । २. पूजा-पाठ आदि करते समय का कमरा । कोठरी । मोरो। बैठने का आसन । ३. प्रधान पुरुष का प्रासरियो—(न०) १. घर। मकान । प्रासन । ४. साधु-महात्माओं के बैठने का २. प्राश्रय । सहारा । मासरो। पाटा या आसन। For Private and Personal Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पासा (१ ) मासू प्रासा-(ना०) १. माशा । उम्मेद २. गर्भ। (अनाज का अमुक भाग) रूप में हासल हमल । ३. दिशा। देकर बोहरे की जमीन जोतने वाला प्रासाउत-दे० प्रासारणी सं०१० व्यक्ति। प्रासाऊ-(वि०) प्राशावान । आसामीदार-(न०) १. बोहरगत का पासागीर-(वि०) आशावान । काम करने वाला व्यक्ति। प्रासामियों प्रासाढ-(न०) प्राषाढ़ मास । जेठ और वाला। २. प्रतिष्ठित व्यक्ति । ३. धनसावन के बीच का महीना । वान । ४. मुखिया । आसाढी-(वि०) आषाढ़ मास संबंधी। आसामुखी-(वि०) माशावान । प्राषाढ़ मास का। प्रासार--(10) लक्षण । चिन्ह । २. ढंग । प्रासारण- (वि.) आसान । सरल । तरीका । ३. दीवार की चौड़ाई । सुगम । मोसार । ४. वर्षा की झड़ी। ५. अतिप्रासारणी-(10) १. प्रासकर्ण का पुत्र वर्षा । प्रसिद्ध वीर दुर्गादास राठौड़। (ना०) प्रासालुध्ध--(वि०) १. प्राशालुन्ध । प्रासानी । सरलता । (क्रि०वि०) आसानी आशावान । २. प्रेमातुर । से । सुगमता से। प्रासालुध्धी-(वि०) पाशान्वित । प्रासान-दे० प्रासारण । प्रासाळ -(वि०) आशावान । प्रासापुरा-(ना०) आशा पूर्ण करनेवाली प्रासावत-दे० प्रासाउत । एक देवी । आशापूर्णा । पासावंत-(वि०) प्राशावान । आसापुरी-दे० प्रासापुरा। पासावरि-दे० आसापुर । प्रासापुरी धूप-(न०) देव पूजन के लिये प्रासावरी-(ना०) प्रभात समय गाई जाने (गंध द्रव्यों को कूट कर) बनाया हुआ वाली एक रागिनी। एक सुगंधित धूप। प्रासावान-(वि०) प्राशावान । प्रासा बरदार-(न०) सोने या चाँदी के आसावासा-(न०) १. किसी व्यक्ति का बने पासा को लेकर राजा या महंत के विशेष आने-जाने का स्थान । २. रहने आगे चलने वाला सेवक । चौबदार। का स्थान । आसाम-(न०) भारत का एक पूर्वोत्तरीय प्रासाँ-दे० प्रावाला। प्रदेश । आसिरवाद-दे० प्रासीस । प्रासामी-(वि०) अासाम देश का । प्रासी-(भकि०) आयेगा। (ना०) सर्प की प्रासाम देश से संबंधित । (न0) १. लोक। दाढ़। जन । व्यक्ति । २. ऋणी। देनदार। आसीवाळो-दे० पाहीवाळो । ३. प्रतिष्ठित व्यक्ति। ४. मुवक्किल। आसीस-(ना०) आशिष । पाशीर्वाद । ५. अभियुक्त । ५. कृषक । ७. वह व्यक्ति प्रासीसणो-(क्रि०) आशिष देना । जिससे लेन-देन या आर्थिक-प्राप्ति का आसींगणो--(क्रि०) १. स्थानान्तर या व्यवहार हो। ८. ऋणदाता का वह ग्रामान्तर का रुचिकर होना । मन लगना। कर्जदार कृषक जो अपनी खेती के काम प्रासुगाळ-दे० पाउगाळ । के लिये काटा और व्याज से समय-समय आसुगाळो-दे० प्राउगाळ । पर उससे कर्ज लेता रहता है । ६. भोग प्रासू-दे० पाहू । For Private and Personal Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पासूदो । ११० ) प्राइंस पासूदो-दे० पासूधो। का स्थान । मठ । ४. मनुष्य जीवन की परिवार और धन- अलग-अलग चार अवस्थाएँ । कार्य की धान्य से सम्पन्न । २. धन का । ३. स्वस्थ । दृष्टि से आर्यों (हिन्दुओं) द्वारा मनुष्य की ४. जिसने विश्राम लेकर थकान दूर कर आयु के किये गये शास्त्रोक्त चार विभाग । ली हो । अक्लान्त । ५. काम में नहीं ५. दशनामी संन्यासियों की एक शाखा । ली हुई (वस्तु)। ६. बिना जोता हुआ ६. चार की संख्या का संकेत शब्द । (खेत) ।पड़तल । पाउषो। प्रास्रय-दे० आश्रय । पासू-दे० प्रावूला। प्रास्रीवाद-दे० आशीर्वाद । प्रासेर-(न0) किला । दुर्ग । गढ़। आस्वाद-(न०) स्वाद । जायका । सवाद । आसो-(न०) १. सोने या चांदी का आह-(अव्य०) एक कष्ट सूचक शब्द । एक डंडा जिसे राजाओं और मठाधीशों ग्राहट-(ना०) चलने का शब्द । पैर का के आगे चोबदार लेकर चलता है। खुड़का । २. साधुओं का एक प्रासन से बैठकर आहड़नरेश-(नo) सीसोदिया वंश का भजन करते समय आगे की ओर हाथों राजा। मेवाड़ के महाराणाओं की एक को टिकाकर सहारा लेने का एक उप- उपाधि । करण । ३. पाश्विन मास । ४. लाल रंग पाहड़-पाहड़े--(क्रि० वि०) आसपास । को एक शराब । पासव । ५. ध्यान । पाहड़ो-(न०) १. सीसोदिया वंश का विचार । ६. एक रागिनी । (वि०) क्षत्री । २. आहड़ का निवासी। महीन । झीना। पाहण-(न०) १. प्रासन । २. ऊंट के प्रासोज-(न०) प्राश्विन मास । प्रासो। पलान की बैठक । ३. युद्ध । ४. सेना । आहणणो-(क्रि०). १. मारना । नाश पासोजी-(वि०) प्रासोज मास का। (न0) ____ करना । २. युद्ध करना । प्रासोजी बारहट नाम का एक प्रसिद्ध आहत-(वि०) घायल । जख्मी । चारण कवि। प्राहरट-(ना.) १. सेना । २. युद्ध । पास्तिक-(वि०) ईश्वर का अस्तित्व ३. संहार । मानने वाला। पाहरण-(न०) आभरण । प्राभूषण । आस्तीन-(ना०) पहनने के कपड़े की बांह। आहरी-(ना०) खींप, सिरिया आदि प्रास्ते-(क्रि० वि०) धीरे । घास की सीकों से बनाई हुई इंडुरी । प्रास्था (ना०) १. श्रद्धा । २. सहारा । प्राश्रयी। प्रास्थान-(न०) १. बैठने का स्थान । प्राहरो-(न०)१. बड़ी प्राहरी। २.मकान । २. सभा । दे० आसथान । ३. झोंपड़ा । ४. पाश्रय । प्रासरो। प्रास्पद-(न०) १. स्थान । जगह । पाहव-(न०) युद्ध । लड़ाई। २. आधार । ३. कुल । वंश । ४. जाति। पाहवरणो-(क्रि०) युद्ध करना । भिड़ना। ५. पद । मोहदो। आहंचरणो--(क्रि०) १. मारना । नाश प्रास्रम-(10) १. ऋषि-मुनियों का करना । २. प्रहार करना । निवास स्थान । पाश्रम । २. तपस्वी की आहंस-(न०) १. अंश। ३. प्रात्मबल । कुटिया। ३. साधु-संन्यासियों के रहने ३. पराक्रम । शक्ति । ४. साहस । For Private and Personal Use Only Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 'शब्द । आहंसरणो ( ११८ ) प्राईणी ५. प्राण । ६. जीवात्मा । ७. व्यक्तित्व। पाहुटणो- (क्रि०) १. युद्ध करना । ८. स्वाभिमान । २. मारना । वीरगति को प्राप्त होना । पाहंसगो-(क्रि०) १. साहस करना । ३. व्यर्थ गवाना । नष्ट करना । ४. नष्ट २. आत्मबल का जाग्रत होना। ३. असीम होना । ५. पीछे मुड़ना । ६. भागजाना । शक्ति से भिड़ना। चलेजाना। पाहंसी-(वि०) १. साहसी । २. तेजस्वी। पाहुड़-(न०) युद्ध । प्रतापी। ३. प्रात्मबली । ४. स्वाभिमानी। पाहुड़गो-(क्रि०) १. लड़ना । भिड़ना । पाहा-(अव्य०) आश्चर्य और हर्ष सूचक युद्ध करना। आहुति-(ना०) १. हवन में मंत्र बोलने के पाहाड-(न0) मेवाड़ का एक ऐतिहासिक साथ घी, तिल, जो इत्यादि की डाली जाने प्राचीन नगर । प्राघाट । वाली सामग्री। २. वह मात्रा जो एक पाहाडो-(न०) पाहाड़ नगर से संबंधित बार हवन में डाली जाय । ३. बलिदान । होने के कारण मेवाड़ के गहलोत शासकों ४. समर्पण। का एक नाम। पाहटमा--(न0) चित्तौड़ के सिसोदियों आहार - (न०) भोजन । का एक विरुद। (वि०) युद्ध रसिक । आहार-विहार--(न०) रहन-सहन । युद्धप्रिय । पाहिज-(सर्व०) यही । (अव्य०) यही तो। आहू-(न०) आश्विन मास । प्रासोज । आहिस्ता--दे० प्रास्ते । पाहूठरणो-दे० प्राहुटणो। . अाही--(सर्व०) यही। पाहूत--(वि०) निमंत्रित । बुलाया हुआ। ग्राहीठागा-दे० प्राइठाण । बुलायोड़ो। ग्राहीणी-दे० ग्राईणी । आँईगी। पाहूतरण--(ना०) १. अग्नि । आग । ग्राहीर--(न०) अहीर । गूजर । २. निमंत्रण । बुलावो। तेड़ो। (वि0) ग्राहीवाळो-(10) ऋणी की अोर से निमंत्रित । ऋण दाता को लिखकर दिये गये दस्ता- अाहेड़-(ना०) शिकार । आखेट । वेज की वह शर्त जिसके अनुसार अमूक आहेडियो-दे० प्राहेड़ी। अवधि के अंदर ऋण न चुकाया जा सके . अाहेड़ी-(न०) १. शिकारी। प्राखेटक । तो ऋणी की चल-अचल सम्पत्ति जिसका २. भील । ३. थोरी । ४. आर्द्रा नक्षत्र । दस्तावेज में नामोल्लेख किया हया रहता अाहेड़ो-(न०) १. शिकार । प्राखेट । है, ऋणदाता का अधिकार हो जाता २. शिकारी। आखेटक । अाँ-(सर्व०ब०व०) १. इन्होंने । इणां । पाहीवाळो-खत-(न0) ऋणी की ओर २. ये । (वि०) इन । इनके । (अव्य०) से ऋणदाता को लिखकर दिया गया एक नकारात्मक उद्गार । 'पाँहाँ' का दस्तावेज, जिसमें प्राहीवाळे की शर्ते छोटा रूप । २. पाश्चर्य सूचक उद्गार । लिखी रहती हैं। प्राईगी-(ना०) वह गाय या भैंस जिसने पाहुगाळ-दे० ग्राउगाळ । पुनः बियाने तक (बियाने के कुछ समय पाहुगाळो---दे० प्राउगाळो । पूर्व) दूध देना बंद कर दिया हो । माहुट–'न०) युद्ध। प्राणी। For Private and Personal Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पॉईणो ( ११६ ) प्रांगमणों आँईणो-(न०) १. किसी व्यक्ति के यहाँ जिसके एक सिरे पर हँसिया बंधी रहती भैंस-गायों के दूध देना बंद हो जाने की है । २. लोहे का एक टेढ़ा काँटा । स्थिति । वह समय या स्थिति जिसमें आँकोर-दे० आँकूर । किसी व्यक्ति के दूधारू पशुओं ने पुनः आँख-(ना०) १. नेत्र । लोचन। २. आलू, बियाने तक दूध देना बंद कर दिया हो। गन्ना आदि का वह भाग या स्थान जहाँ २. घर में दूध देने वाले पशुओं का से अंकुर फूटता है। ३. वृक्ष. पौधे आदि प्रभाव। की शाखा का वह अंकुर जिसको किसी आँक-(न०) १. अंक । चिह्न। निशान । अन्य वृक्ष या पौधे में कलम करने के २. संख्या का चिह्न । ३. रुपये का बीसवाँ लिये काम में लाया जाता है। ४. मोटे भाग (गणित)। ४. रुपये का सौवाँ भाग चमड़े की सिलाई करने के लिये किया ( ब्याज-फलावट में ) । दोकड़ा । जाने वाला छेद । ५. सुराख । छेद । ५. भाग्य । ६. प्रतीक । ७. सीमा। आँखड़ली-(ना०) आँख । ८. गोद । आँखड़ी-(ना०) आँख। प्राँकड़ो-(न०) १. माल खरीदने-बेचने अाँख फूटणी-(ना०) एक लता । (मुहा०) का वार्षिक विवरण । २. पाय-व्यय का आँख में चोट लगना। २. चोट लगने से वार्षिक विवरण। ३. माल खरीदी का अाँख का बेकार होना । ब्योरे वार पुरजा । बिल । ४. एक अाँख मीचणी-(ना०) आँख-मिचौनी का मौजार या शस्त्र । ५. संख्या ।। खेल । (मुहा०) मरना । मरजाना । आँकरणो-(क्रि०) १. मूल्यांकन करना । अाँख-रातंबर-(न0) ऊँट । २. तोलना। ३. कूतना। अनुमान आँखाँ-अखम-(वि०) अंधा । करना । ४. निश्चित करना । ५. निशान आँखाँ-जखम-(वि०) अंधा। लगाना। अाँख्याँ-संजम-(वि०) अंधा। आँकल-(वि०) दाग करके निशान लगाया आँगछ-दे० प्राँकस । हुआ (पशु) । चिन्हित । २. गिनती में प्राँगणो—(न०) १. आंगन । २. चौक । उस कोटि का । ३. वीर । (क्रि०) बैलगाड़ी के पहिये की धुरी में आँकस-(न०) १. अंकुश । भय । डर। तेल देना । औंगना। २. रोक । प्रतिबंध । प्रागनियो-दे० प्रोगनियो। प्राँकुस-दे० प्रांकस। आँगम-(न०) १. अधिकार । २. गवं'। आँकर-(न०) ठीक होते हुए घाव में आने ३. शक्ति । बल । ४. हिम्मत । साहस । वाले अंकुर । जखम का भराव । ५. उत्साह। आँको-(न०) १. पतन। २. भाग्य। आँगमरण-(न०) १. वश । अधिकार । उत्थान । ३. भवितव्यता। ४. सीमा । २. गर्व । ३. शक्ति । बल । ४. साहस । मर्यादा। ५. उत्तेजन । ६. सहनशक्ति । (वि०) प्राँको प्राणो (मुहा०) १. दुदिन पाना। १.वेगों को तीव्र करने वाला। उत्त२. भाग्य पलटना। जक । २. उकसाने वाला । प्रेरक । प्राँको प्रावणो–दे० प्राँको प्राणो। आँगमणो--(क्रि०) १. युद्ध करना । माकोड़ियो-(न०) १. एक लंबा बाँस २. प्राक्रमण करना । ३. साहस करना । For Private and Personal Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राँगळ . प्रांटीलो । १२० ) ४. जोश के साथ आगे बढ़ना। ५. हराना। आँजणो-(कि0) अंजन लगाना। ६. वश में करना । ७. अधिकार करना। आँझो-(वि०पु०) १. अटपटा। २ कष्ट ८. कष्ट पहुँचाना । ६. स्वीकार करना। कर । दुखदाई। ३. कठिन । ४. दुर्गम १०. गर्व करना। ११. निश्चय करना। (मार्ग)। ५. भयावना और बिना बस्ती १२. वेगों को तीव्र करना। वाला (प्रदेश)। प्राँगळ-(ना०) १. अंगुली । २. अंगुलियों आँट-(ना०) १. टेढ़ापन । बाँकापन । से किया जाने वाला माप । ३. अंगुली २. शत्रुता । ३. द्वेष । ४. हठ । दुराग्रह । की मोटाई का माप । अंगुल-परिमाण । ५. बाँकापन । वीरता। ६. कपट । ४. अंगुली की मोटाई।। ८. लेखनी की नोक । प्रांट । ७. घमंड । प्राँगळी-(ना०) १. अंगुली । उंगली। ६. दांव । १०. धोती की अंटन । अंटी। २. हाथी की सूड के आगे का तीखा अाँटण-(न0) हाथ-पाँव की अंगुलियों तथा भाग। हथेली की चमड़ी में किसी वस्तु के आँगळी-झल-(न0) पुनर्विवाह करने पर निरंतर घसारे से गांठ की तरह उभरा अपने साथ लेकर आई हुई पूर्व पति की हा निर्जीव चमड़ी का कठोर भाग । संतान । २. दे० अंटी। प्रांगवण-दे० प्रांगमरण । अाँटल-दे० आँटाळ । अाँगी-(ना०) १. चोली । अंगिया। . अाँटामोर-(वि०) १. झगडाखोर । २. होली के उत्सव पर डंडियों को गहर २. बखेडाबाज । नाचते समय पहिना जाने वाला बगलबदी ग्रांटादार-(वि०) १. मरोड़दार । लपेट- . अंगरखी से जुड़ा हुआ बड़ा बागा। दार। धमंडी। २. झगड़ालू । ३. जामा। ४. देवमूर्ति को मुंह के अाँटायत-(वि०) १. बैर का बदला लेने अतिरिक्त सामने के सर्वांग को ढक देने वाला। २. द्वेषी । ३. शत्रु । वाली सोने या चाँदी के पत्तर की बनाई अाँटाळ-(वि०) १. झगड़ालू । २. बदहुई शरीराकार एक खोल | अंगिया। माश । ३. शत्रु । ४. दुष्ट । ५. बादशाही जमाने में राजा, बादशाह, अाँटियळ-दे० आँटियाळ । नवावों आदि के पहिनने को अंगरखी आँटियाळ-(वि०)१. आँटेदार । मरोड़दार सहित एक बागा। प्राँगो-(न०)१. स्वभाव । आदत । २. काम २. द्वेषी। ३. शत्रु । ४. विरोधी। का हिस्सा। ५. हठी । ६. चालाक । ७. अभिमानी। पाँच-(ना०) १. अग्नि । २. ज्वाला। ८. दृढ़वती। ३. ताप। ४. कष्ट । तकलीफ। ५. क्रोध। अाँटी-(ना०) १. कुश्ती में पांव का एक अाँचळ-(न०) १. स्तन । २. स्त्रियों की पेच । २. उलझन । फंदा । ३. आड़। प्रोढ़नी का छाती पर रहने वाला छोर। ४. हठ । जिद । ५. टेंट । (वि०) टेढ़ी । अाँचाताणो-(वि०) ऐंचाताना। मुड़ी हुई। अाँचै-(क्रि०वि०) शीघ्रता से। अाँटीलो-(वि०) १. झगड़ालू । २. अभिप्रांजणी-(ना०) प्रांख की पलकों के मानी। ३. अपनी बात पर दृढ़ रहने किनारों पर होने वाली फुन्सी । गुहेरी।। वाला । ४. बदला लेने वाला। ५. जबरबिलनी । गृहांजनी। दस्त । बलवान । For Private and Personal Use Only Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रोटे आंबो अाँट(क्रि०वि०) १. बदले में । २. लिये। आँधीझाड़ो-(न0) अपामार्ग नामक क्षुप । निमित्त । वास्ते। __ आँधो-(वि०) १. अंधा । आंधरा । प्राँटो-(न०) १. लड़ाई। १. शत्रुता। २. धुधला । ३. विवेकहीन । बैर । ३. उलझन । ४. चक्कर । फेरा। अाँधोभैंसो-(वि०) एक खेल । ५. मरोड़ । (वि०) टेढ़ा। अांन–(सर्व०) इनको। इन्हें । अाँटो-टाँटो-(वि०) टेढ़ा-मेढ़ा। आँपण-(सर्व०) अपना। (न०) प्रात्मऑटो-टूटो-दे० ऑटो-टाँटो। स्वरूप । अाँठू-(न०) १. घोड़े, ऊंट आदि पशुओं की अाँपणी-(सर्वना०) अपनी। गरदन के नीचे अगले पांवों की जोड़ का अाँपणीयाँह-(सर्व०ब०व०) १. अपनी । भाग। २. घोड़े प्रादि पशुओं के अगले अपना । अपन सबका । २. अपन सभी। पाँव का घुटना। आँपणो-(सर्व0) अपना। ऑड-(न0) अण्डकोश । आँपाँ-(सर्व०ब०व०) अपन । आँडल-(वि०) बढ़े हुए अंडकोशों वाला। आँपाँणी-(सर्व०ब०व०) १. अपनी । आँडिया-( न०ब०व० ) अंडकोश । अपन सबकी । २. हमारी।। अाँत-दे० प्रांतड़ी। आँपाँरणो--(सर्व०ब०व०) १. अपना । अाँतड़ी-(ना०) अंतड़ी। अाँत । अपन सबका । २. हमारा। आँतर सेवो-(न०) वस्त्र के अंदर के भाग ऑपाँरी-दे० आँपाणी । की सिलाई । दे० अंतरेवो। आँपाँरो-दे० आँपाँणो। प्रांतरिक-(वि०) १. भीतरी । २. घरेलू। आँपाँहूँत-(अव्य०) १. अपने को। २. अपने अाँतरेवो-दे० प्रांतरसेवो । से । ३. अपन सहित । प्राँतरै-(क्रि०वि०) दूर ।। अाँपै-(सर्व०ब०व०) अपन । अपन लोग। आँतरो-(न०) १. दूरी । फासिला । आँब-(न0) आम्र वृक्ष अथवा उसका २. अंतर । भेद । ३. हृदय । ४. रक्त का फल । आम ।। संबंधी । कुटुंबी। ५. अाँत । अंतड़ी। आँबरणो-दे० प्राँबीजणो। प्रांती-दे० आती। आँबलवाणी--दे० प्रामलवाणी । मांत्र-(ना०) प्रांत । अंतड़ी। अाँबली-(ना०) इमली का वृक्ष अथवा अांदोलन-(न0) जनता को उत्तेजित उसका फल । इमली। करने या उभारने का प्रयास । २. हल आँबाहळद-दे० प्राँबा हळदर । आँबा हळदर-(ना.) एक जाति की चल। हल्दी जो औषधि के काम आती है। आंधळघोटो-(न०) प्रक्षय तृतीया के दिन प्रांखें बांधकर खेला जाने वाला पकड़ा आँबीजणो-(क्रि०) १. इमली, नींबू आदि खट्टे पदार्थों के खाने से दाँतों का अंबिया पकड़ी का खेल । जाना। दाँतों में अम्लता आ जाना। पाँधळी-(विना०) अंधी । आँधरी। २. शरीर का पीड़ा के साथ अकड़ जाना। आँधळो-(क्रि०) अंधा । आँधरा। आँबी हळद--दे० प्रांबा हळदर । आँधी-(ना०) धूलिपूर्ण प्रचंड वायु । आँबीहळदर-दे० आंबा हळदर । अंधड़ । (वि०) १. आँधरी । अंधी । अाँबो-(न०) १. आम्रफल । आम । २. धुंधली। ३. विवेकहीन । २. मान वृक्ष । ३. एक लोक गीत । For Private and Personal Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इकतारो प्रांबो मोरियो ( १२२ ) अाँबो मोरियो -(न0) बधाई का एक प्रावळी इग्यारस-(ना०) १. फाल्गुन __ लोक गीत । प्रांबो। ___शुक्ल पक्ष की एकादशी । आमलक एकाअाँमें-(सन०) १. इनमें । इनमें से। दशी। २. झूला झूलने का एक वासंतिक प्रारै-(सन०) इनके । इणार। लोकगीत। आँरो-(सर्व०) इनका । इणारो। आँवळी ग्यारस-दे० प्रावळी इग्यारस । गाँव-(ना०) १. खाये हए अन्न का अपचा प्रॉवळो-(न०)१. एक वृक्ष और उसका हुप्रा लसदार सफेद चिकना मल । ग्राम। फल । आँवला । आमलक । २. स्त्रियों की २. प्रामरोग । कलाई में पहना जाने वाला एक प्राभूषण। ३. स्त्रियों के पाँवों में पहनने का एक प्रावळ-(ना.) १. वह झिल्ली जो गर्भ में जेवर । ४. बट । बल । बळ । (वि०) बच्चे के लिपटी रहती है । जेरी। जरायु । टेढ़ा। प्रांटो। २. एक पीले फूला वाला क्षुप जिसका प्रावो-(न०) कच्ची ईंटें, मिट्टी के बरतन छाल से चमड़ा रंगा जाता है। पकाने का कुम्हार का भट्टा। आँवाँ । आँवळणो-(क्रि०) १. मरोड़ना । २. कान पजावा । कजायो। ऐठना। आँसू-(न०) दुख या हर्ष से आँखों में से प्राँवळनाळ-(ना.) जेरी और उसकी निकलने वाला पानी । अश्रु । प्रांहूं । नली। जेरी । पाँवळ । आँसू-(बर्व०) इनसे । प्राँवळा--(न0ब०व०) १. स्त्रियों के पाँवों अाँहचै-(क्रि०वि०) १. शीघ्र । २. जोर से में पहनने का एक गहना। (चलना या बोलना)। प्रावळाडग्यारस-दे० प्रावळी ग्यारस । अाँहाँ-(अव्य०) नकारात्मक उद्गार । अाँवळासारगंधक-दे० प्रामळसार गंधक । ना। नहीं। अाँवळासार गंध्रप-दे० प्रामळसार गंधक। अहूिँ - दे० आंसू । इ-संस्कृत परिवार की राजस्थानी भाषा ढोल । ३. एक छत्रता का धौंसा। का तोसरा स्वर वर्ण । (सर्व०) १. इस। इकडंकी-(ना०)१. स्वच्छंदता। २. निमं२. इन । ३. यह । (अव्य०) १. पोर । यता। ३. एक छत्रता । २. पादपूर्णार्थ अव्यय । (क्रि०वि०) ही । इकढाळियो–दे० अगढाळियो । इअ-- (सर्व०) इस । इकतार-(न०) १. ध्यान । (वि०)१. एक इए-(सर्व०) इस। रस । एक समान । २. समान । बराबर । इक-(वि०) एक । (क्रि० वि०) लगातार । निरन्तर । इकखरो-(न0) डिंगल गीत-छंद का एक इकतारी-(ना०) १. उत्कट लगन । नहीं भेद । इकक्खरो। टूटने वाली आसक्ति । २. निनिमेष दृष्टि । इकट्ठो-(वि०) इकट्ठा । एकत्रित । टकटकी । स्थिर दृष्टि । ३. ध्यान । इकडंकियो-धूसो-(न०) १. नगाड़े को एक ४. समाधि । डंके से बजाने का एक प्रकार । २. एक इकतारो-(न०) एक तार वाला एक वाद्य डंके से बजाया जाने वाला नगाड़ा या यंत्र । For Private and Personal Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इकताळी (१२३) इकाई इकताळी-दे० इगताळीस । (कि० वि०) इकळासियो-(वि०) जिस पर एक ही ताली देने के साथ । झट । सवार बैठ सके ऐसा छोटा (ऊंट)। इकताळीस-दे० इगताळीस । (न०) वह ऊँट जिस पर एक ही सवार इकती-दे० इगतीस । बैठा हो । इकतीस-दे० इगतीस । इकळाहियो-दे० इकळासियो ।. इकत्रीस-दे० इगतीस । इकलिंगजी-(न०) १. मेवाड़ के महाइकपोतियो-लसण-(न०) लहसुन की राणाओं के कुल देवता इकलिंग महा एक जाति जिसके मूल में एक ही गांठ देव । २. मेवाड़ का इतिहास प्रसिद्ध होती है । ऊंची जाति का लहसुन । पर्वतीय तीर्थ स्थान । ३. मेवाड़ राज्य के इकबाल-(10)१. स्वीकार । २. भाग्य । स्वामी इकलिंग महादेव । (मेवाड़ के नसीब । ३. प्रताप । (वि०) ग्राबाद।। महाराणा इकलिंग जी के दीवान कहइकमात-(ना.) १. अक्षर के ऊपर लगने लाते हैं।) वाली 'ए' की मात्रा, जैसे-'क' के ऊपर इकलोतो-(वि०) अपने माता-पिता का 'ए' की मात्रा लगने से उसका 'के' यह मात्र पत्र। रूप बना। (क+ ए = के) । (वि०) इकवीस--(वि०) बीस और एक । इक्कीस । २. एक माता के उदर से उत्पन्न । (10) इक्कीस का आंक-२१' । सहोदर । इकसठ-वि०) साठ और एक । (न0) इकर-(क्रि० वि०) एक बार। __ इकसठ की संख्या-'६१'। इक रदन-(न0) श्री गजानन । इक समच-(क्रि० वि०) १. एक सन्देश इकरसाँ-(क्रि० वि०) एक बार। . ___ में। २. एक इशारे में। ३. एक साथ इकरंगो-(वि०) १. सदा एक सी प्रकृति सभी । ४. एकाएक । अचानक । वाला। २. अपनी बात पर स्थिर रहने इक साखियो--(वि०) जहां वर्षाऋतु की वाला। ३. प्रतिज्ञा पर दृढ रहने वाला। ४. पक्षपात रहित । ५. एक रंग का । एक ही फसल होती हो। इकसार-(वि०) एक समान । एक रंग में रंगा हुआ । ६. एक जैसा । एक समान । इकसूत-(वि०) एक सूत्र । संगठित । (न0) इक्कानवाँ वर्ष । (क्रि०वि०)एक सूत्र में। संगठित रूप में । इकरारण--(वि०) नम्वे और एक । इकंगो--(वि०) १. एक समान प्रकृति इक्यानवे । (न०) इक्यानवे की संख्या--- वाला। २. एक पक्ष वाला । एक तरफी। "६१' । ३. एक सिद्धान्त पर रहने वाला। ४. इकरार-(न०) १. प्रतिज्ञा । वादा । इच्छानुसार करने वाला । ५. क्रोधी। २. कबूल । कबूलात । इकंत-(न0) एकान्त । (वि०) निर्जन । इकरारनामो-(न०) १. प्रतिज्ञा पूर्वक शून्य। स्वीकृति का दस्तावेज । अनुबन्ध पत्र। इकाई-(ना०) एक का मान । एकाङ्क। इकराँ-(क्रि० वि०) एक बार। २. अंकों की गिनती में प्रथम अंक । इकळायो-दे० इकळासियो । समूह अंकों में सबसे आगे का अंक । इकळास-(न०) १. मेल-मिलाप । प्रेम । ३. अंकों की गिनती में प्रथम अंक का २. मित्रता । इखलास । ३. संगठन । स्थान । (समूह अंकों में प्रथम अंक का For Private and Personal Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १२४ ) श्राने वाला ज्वर । इकियासियो - ( न० ) इक्यासीवां वर्ष । इकियासी - ( वि० ) अस्सी और एक । इक्यासी | ( न० ) इक्यासी की संख्या - '८१' । ईकारण लेखन क्रम सबके बाद में होता है, जैसे१२३ इसमें तीन का अंक प्रथम व इकाई इको ज - (वि०) एक ही । इकोतर - (वि०) सत्तर और एक । के स्थान पर आया हुआ है । ) इकारणू-दे० इकरा । इकहत्तर । ( न० ) इकहत्तर की संख्या -- '७१' । इकार - (न०) 'इ' प्रक्षर । ( श्रव्य० ) एक इकोतरो - (न० ) इकहत्तरवां वर्ष । इको-दुको - (वि०) १. कोई-कोई । बार । एक दफा 1 इकावन - ( वि० ) पचास और एक । इक्यावन । ( न० ) पचास और एक की संख्या- '५१ ' इकावनमों— (वि०) संख्या क्रम में जो पचास के बाद आता हो । इक्यावनवाँ । इकावनो - ( न० ) इक्यावनवाँ वर्ष । इकावळी - ( ना० ) १. अंकों की गिनती । २. एक से सौ तक के अंक । ३. एक से सौ तक के अंकों की पढ़ाई या रटाई । इकतिरै- --- ( क्रि० वि०) एक दिन के अन्तर से । एक दिन को छोड़ कर । ( वि० ) एक दिन को छोड़ कर उसके बाद के दिन । इस क्रम से किया जाने वाला या होने वाला । इकाँतरो - ( न० ) एक दिन के अन्तर से था । तांगा । २. अकेला - दुकेला । ३. एक दो । इक्कीस - दे० इकीस । इक्कीसो- दे० इकीसो । इक्को – (न०) १. बादशाही जमाने का एक बलशाली और शस्त्र विद्या में प्रवीर योद्धा जो अकेला ही कई योद्धाओं से लड़ने की सामर्थ्य रखनेवाला होता २. बादशाह का अंग रक्षक | ३. एक घोड़े की घोड़ा गाड़ी। ४. एक बूटी वाला ताश का (वि०) बेजोड़ | अद्वितीय । इक्को-दुक्को - दे० इको-दुको । इक्यासियो — दे० इकियासियो । इक्यासी - दे० इकियासी । इगढाळ - दे० अगढाळ | इगताळी- दे० इगताळीस । इगताळीस - (वि०) चालीस और एक । इकतालीस । ( न० ) इकतालीस की संख्या –'४१' | पत्ता । इगताळीसो - (०) १. इकतालीसवां वर्ष । २. इकतालीस सौ । '४१००' | इगती - दे० इकतीस | इगतीस - (वि०) तीस और एक 1 इकतीस | ( न० ) इकतीस की संख्या -- ‘३१’ । इगतीसो - ( न०) १. इकतीसवां वर्षं । २. इकतीस सौ की संख्या । ( वि० ) इकतीस सौ । तीन हजार एक सौ । इगसठ — दे० इकसठ । इगसठसो - ( न० ) इकसठ सौ | '६१००' | इगसठो - ( न० ) इकसठवाँ वर्ष । इकीस - ( वि० ) १, बीस और एक । इक्कीस । २. श्रेष्ठतर । ३ तुलना में श्रेष्ठ | ( न० ) इक्कीस की संख्या - '२१' । इकीसो -- (न०) १. इक्कीसवां वर्ष । २. इक्कीस सौ की संख्या - २१०० ' । ( वि० ) १. विश्वासपात्र । खरा । ३. तुलना में श्रेष्ठ । श्रेष्ठतर । ४. इक्कीस सौ । दो हजार एक सौ । इकेवड़ो- (वि०) इकहरा । बिना तह का । ( स्त्री० इकेवड़ी ) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only इसठो Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org इगियारमो इगियारमो - ( न०) १. मृतक के ग्यारवें दिन का क्रियाकर्म । (वि०) जो संख्या क्रम में दस के बाद आता हो । ग्यारहवां । इगियारस -- ( ना० ) पक्ष का ग्यारहवां दिन । ग्यारस । एकादशी । इगियार - दे० इग्यारं । ( १२५ ) इगियारै सो – (न०) ग्यारे सौ । '११००' । इगियार - ( न० ) १. ग्यारहवाँ वर्ष । २. मृतक के ग्यारहवें दिन का क्रियाकर्म । इचरज - ( न० ) श्राश्चर्य । अचरज । इच्छारणो - दे० इंछारणो । इग्यारे - (वि०) दस और एक । ग्यारह | ( न०) ग्यारह की संख्या । इयु - ( ना० ) व्यंजन प्रक्षर के ऊपर मुड़कर आगे की ओर आने वाली मात्रा । दीर्घ 'ई' की यह '' मात्रा । दीर्घ 'ई' की मात्रा का नाम । इच्छा - ( ना० ) अभिलाषा । लालसा । चाह | रूचि । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विध इजारेदार - ( न० ) १. इजारे पर काम करने वाला । इजारदार । २. ठेकेदार । इजारो - ( न० ) १. निश्चित रकम और शर्तों पर भूमि, ग्राम आदि की उपज या कर आदि को वसूल करने का दिया जाने वाला ठोका । २. अधिकार | ३. जिम्मेवारी । इजै - विजै - (वि०) समान रूप के । एकसी शक्ल के (दोनों) । इज्जत - ( ना० ) १ इज्जत । प्रतिष्ठा । सम्मान । २. मान मर्यादा | इज्जत -प्रसार - ( वि० ) लब्ध प्रतिष्ठ । इ ंतर - (वि०) सत्तर और प्राठ । इठत्तर । ( न० ) उठत्तर की संख्या - ७८' । इठतरो - (न०) इठत्तरवां वर्षं । इठियासियो - ( न० ) इठासीवाँ वर्ष । इठियासी - ( वि०) अस्सी और आठ । इठासी । ( न० ) इठासी की संख्या - '८८' । इठे - ( क्रि० वि०) यहाँ । इच्छा - भोजन - ( न० ) रुचि के अनुसार इड़ा - ( ना० ) १. दे० इंगळा । २. पृथ्वी । का भोजन । इजत - दे० इज्जत । इजलास - ( ना० ) न्यायालय । अदालत । इजहार - दे० इजार सं० १. २. ३ । इजा - ( ना० ) १. क्षत । चोट । २. कष्ट | ३. हानि । ३. गाय । ४. पार्वती । ५. सरस्वती । इरण - ( सर्व०) १. इस । २. इसने । इरण कानी - ( क्रि०वि० ) इस ओर । इधर । इणगी - ( क्रि०वि०) इधर । इस ओर । इरणगी - उरणगी - ( क्रि०वि०) इधर-उधर । घड़ी -- ( क्रि०वि०) अभी । इसी इजाजत - ( ना० ) १. हुक्म । श्राज्ञा । २. मंजूरी । इजाफै - ( विo ) अधिक । ज्यादा । इजाफो - ( न० ) १. इजाफा । बढ़ती । वृद्धि । २. लाभ । मुनाफा । बचत । इजार - ( न० ) १. इजहार । अदालत में । दिया गया वक्तव्य । बयान । २. साक्षी । ३. प्रकट । ४. पायजामा । इजारदार- दे० इजारेदार । इजारबंद - ( न० ) नाड़ा । समय । इ - ( सर्व० ) इसको । इपरि - ( क्रि० वि० ) १. इस प्रकार । २. इस पर । इभाय -- ( क्रि०वि० ) इस प्रकार । इरमात - ( अव्य० ) श्रत: । इसलिए | इरी - ( सर्व० ) इसकी । इरै - ( सर्व० ) इसके | इरो -- ( सर्व० ) इसका । इणविध - ( क्रि०वि०) इस प्रकार । For Private and Personal Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra इसाइत इसाइत - ( क्रि०वि० ) प्रभी । इसी क्षरण | इ हिज - ( सर्व०) १. इसीने । इसने ही । २. इसी । इस ही । इहीज - इहिज । इरणां - ( सर्व०) १. इन । २. इन्होंने । इरणांनू - ( सर्व० ब० व० ) इनको । इणी - ( सर्व० ) इनकी । इरगांरै - ( सर्व० ) इनके । इणांरो - ( सर्व० ) इनका । इणीइ - (सर्व० ) इसने । www.kobatirth.org इरिण - दे० इण । इरिया - गिरिया - (वि०) इने-गिने । थोड़े से । कतिपय । - ( सर्व० ) इस । इस ही । ( १२६ ) इतबार - ( न० ) एतबार । भरोसा | इतबारी - (वि०) विश्वासी । इत - ( क्रि०वि०) यहाँ । इधर । इतकी - (वि०) १. थोड़ी । २. इतनी । इतकीसी - ( क्रि०वि०) इतनी ही । इतकीसीक - (वि०) बहुत थोड़ी । इतको - (वि०) १. थोड़ा । जरा । २. इतना । ( क्रि०वि० ) १. इधर । इस श्रर । २. इतना ही । इतकोसो - ( श्रव्य० ) थोड़ा सा । ( सर्व० ) इतना ही । इतकोसोक - (वि०) बहुत थोड़ा । इतनो- दे० इतरो । इतमाम - ( न० ) ठाट बाट । तड़क-भड़क । ( वि० ) तमाम । इतर - ( वि० ) १. दूसरा । अन्य । २. फालतू । ३. साधारण । ( न० ) इत्र । अंतर । इतररणो - ( क्रि०) १. इतराना | फूलना | गर्व करना । २. इठलाना । ठसकना । ३. अपने को बड़ा और बहुत बुद्धिमान समझना । ४ सिर चढ़ना । ५. अपनी बड़ाई करना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इतराणो - दे० इतरणो । इतरावणो - दे० इतरणो । इतरा - ( वि० ) इतने । इही इतराज- दे० एतराज । इतरा माँहै - ( श्रव्य० ) १. इस बीच । २. इतने में । इतरी - ( वि० ) इतनी । इतरै - ( क्रि० वि० ) इतने में । ( सर्व० ) इतने । इतरो - ( वि० ) इतना | इतरोसो - ( वि० सर्व० ) इतनासा | इतना थोड़ा सा । इतरोहीज - ( क्रि० वि० ) इतना ही । इतना थोड़ा ही । थोड़ा ही । इतला - ( ना० ) सूचना । इत्तिला । इतलानामो -- ( न० ) अदालत में हाजिर होने का सूचनापत्र | इत्तिलानामा | इतवार - ( न०) रविवार । इतवरी - (वि०) कुलटा । व्यभिचारिणी । इता - ( सर्व० ) इतने । इतां - ( सर्व० ) इतने । इति - ( ना० ) १. समाप्ति । अंत । २. उल्लंघन । ३. सीमा । हद। (अव्य० ) १. समाप्त । २. समाप्ति । For Private and Personal Use Only इतिवृत - ( न० ) १. इतिहास । २. वर्णन । ३. पुरानी कथा । इति श्री - ( ना० ) किसी धर्म ग्रन्थ अथवा उसके किसी पर्व, काण्ड या अध्याय आदि भाग का समाप्ति सूचक पद । समाप्ति । इतिहास - ( न० ) बीती हुई घटनाओं का क्रमानुसार वर्णन । ख्यात । तवारीख । इती - दे० इतरी । इतीसी - ( सर्व० ) इतनी सी । इतै - ( क्रि०वि०) १ इतने में । २. इतनी देर में । ३. इतने समय तक । ४. यहाँ । इतैही - ( क्रि०वि०) १ इतने में ही । २. तब तक । ३. उसी क्षण। उसी समय । Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir में। इतो ( १२७) इतो-दे० इतरो। इन्न-दे० इन। इतोसो दे० इतरो सो। इफरात-(ना०) अधिकता। (वि०) १. इतोसोक-दे० इतरो सो। अधिक २. अत्याधिक । इत्ता-दे० इता। इब-(क्रि०वि०) अब। इत्ता में-(प्रव्य०)१. इस बीच । २. इतने इबकी सात-(अव्य०) अभी का अभी। इबछळ-(वि०) अचल । अविचल । इत्तो-दे० इतरो। (स्त्री० इत्ती)। प्रवचळ । इत्याद-(प्रव्य०) इसी प्रकार और । इबरकै--(क्रि०वि०) १. इस बार । इत्यादि । वगैरह। २. दूसरी बार । और । फिर । इत्यादि-दे० इत्याद । इबसात-दे० इबकी सात । इत्यादिक-दे० इत्याद । इबादत-(ना०) भक्ति । उपासना । इत्र-(न०) अतर । इबारत-(ना०) १. लेख । २. लेख शैली। इथ-(क्रि०वि०) यहां । इभ--(न0) हाथी। इथिए–(क्रि०वि०) इधर । यहाँ । इथिये-दे० इथिए । इंम - (क्रि० वि०) इस प्रकार । ऐसे । इथे-(क्रि०वि०) यहां ।।। इमदाद--(ना०) सहायता । मदद । इमरत-(ना०) अमृत । सुधा । इधक-(वि०) अधिक । इधक मास--(न०) अधिक मास । पुरुषो इमरती-(ना.) १. पानी पीने का एक पात्र । गई । २. उरद की पीठी से त्तम मास। इधकाई–(ना.) अधिकाई। अधिकता। ___ बनने वाली जलेबी जैसी एक मिठाई । विशेषता। इमरस-(न०) १. अमर्ष । क्रोध । इधकेरो-(वि०) १. दो या दो से अधिक २. कुढ़न । खीझ । ३. दुख ।। इमली-(ना.) एक वृक्ष और उसकी की तुलना में एक अधिक अच्छा ।। २. अधिक । ज्यादा । ३ महत्त्व का। गूदेदार लंबी खट्टी फली। इमानी- (ना०) मकान बनवाने का वह इधको-दे० इधकेरो। काम या व्यवस्था जो ठीके पर न हो। इधर-(क्रि०वि०)१. यहां । २. इस ओर।। मकान बनवाने का वह काम या तरीका इनकार-(न०) १. मनाई। २. अस्वी- . जो मजदूरों को दैनिक मजदूरी देकर कार । ३. अस्वीकृति । नामंजूरी। . (उनकी इमानदारी पर) करवाया जाता इनसान-(न०) १. मनुष्य । मानव । २. मानव जाति । इमामदस्तो-(न०) प्रौषधियां आदि इनसाफ-(न०) इंसाफ । न्याय । कूटने की लोहे या पीतल की अोखली इनात- दे० इनायत । और उसका हत्था । हमामदस्तो। इनाम-(न०) पारितोषिक । बख्शिश । इमारत-(न0) बड़ा और पक्का मकान । इनायत-(ना०) १. कृपा। अनुग्रह । वेली। २. प्रदान । ३. मेंट। इमि-दे० इम । इनै-(सर्व०) इसे । इसको। (क्रि० वि०) इमी-(न०) १. अमृत । प्रमी । २. थूक । इस प्रोर । इधर । प्रमी। For Private and Personal Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इम्तिहान ( १२८) इलोळ इम्तिहान-(न०) परीक्षा । इळज--वृक्ष । पेड़। इम्रत-दे० इमरत । इलजाम-(न०) १. अपराध । २. अभिइया-(क्रि०वि०) यहाँ । योग। इयारो-दे० इयेरो। इळत्री-(ना०) तीनों लोक । त्रिभुवन । इयां- (सर्व०) इन । (वि०) ऐसा। (कि० इळपत-(न0) इलापति । राजा । वि०) ऐसे । इस प्रकार । इळपुड़-(न०) पृथ्वी तल । इयांकळो-(वि०) इस प्रकार का । ऐसा। इळपूत-(न०) इलापुत्र । मंगल ग्रह । (अव्य०) इनके जैसा। इळपूतद्योस-(न0) मंगलवार । इयु-(क्रि०वि०) इस प्रकार । यों। इळपूतवार-(न0) मंगलवार । इये-(सर्व०) इस । इसने । इलम-(न०) १. विद्या । २. हुनर । इयेन-दे० इयेने। इल्म । शिल्प । ३. जादू । ४. उपाय । इयेनै-(सर्व०) इसको । ५. ज्ञान । ६. जानकारी। इयेरै-(सर्व०) इसके । इळवइ-(न०) इलापति । राजा। इयेरो-(सर्व०) इसका। इळा-(ना०) १. इड़ा । इंगला । २. पृथ्वी । इयेसू-(सर्व०) इससे । इला। ३. पार्वती । ४. सरस्वती । इरकारणी-(ना०) ऊंट के घुटने का ५. गौ। ऊपरी भाग। इला-दे० इळा । इरकियो-(न०) ऊंट के अगले पांव के इळाकंत-दे० इळकंत । मूल में बाजू की रगड़ से होने वाला इलाको-(न०) १. प्रान्त । इलाका । जख्म। २. प्रदेश । ३. क्षेत्र । ४. अधिकार क्षेत्र । इरकी-दे० इरकारणी। इळाचक्र-दे० इळचक्र। इरखो-दे० ईरखो। इलाज-(न०) १. उपचार । चिकित्सा । इरद-गिरद-(क्रि०वि०) इर्द-गिर्द । पास- २. उपाय। पास । चारों ओर । इळात्रय-दे० इळत्री। इरंड़ काकड़ी-(ना०) पपीता । पपयो। इळाथंभ-(न0) १. शेषनाग । २. राजा। इरंडियो-(न०) एरंड का पौधा ।। इळाधर-(न०) पर्वत । इरंडी-(ना.) १. एरंड का बीज । इळापत- दे० इळपत । २. एक रेशमी वस्त्र । इळापुड़-दे० इळपुड़। इरादो--(न०) १. इरादा। मनोभाव। इळायची-(ना०) इलायची । एला। प्राशय । २. मित्रता। इळायचो-(न०) एक बहुमूल्य रेशमी इळ-(ना०) इला । धरती । भूमि । __ कपड़ा । इळकंत-(न०) राजा । भूपति । इलाकांत। इळाव्रत-(न०) १. इलावृत्त । पृथिवी इलकाब-(न0) खिताब। __ मंडल । २. एक पृथ्वी खंड। इळगार-(न०) १. उत्साह । उमंग । इलोळ—(ना०) १. लहर । मौज । २. जोश । २. साहस । ४. प्रस्थान । २. प्रसन्नता । ३. लहर । तरंग । कूच । रवानगी । ५. रोष । क्रोध । ४. तरीका। ढंग। ५. एक राजस्थानी इळचक्र--(न०) क्षितिज । छंद । For Private and Personal Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इल्लत ( १२६ ) इंछणो इल्लत-(ना.) १. झंझट । २. भूत-प्रेत इस्ट-(न०) १. इष्ट । इष्टदेव । आराध्य आदि का लगाव । ३. रोग । ४. दोष। देवता। २. कुल देवता। ३. मित्र ।(वि०) ४. कलंक। १. वांछित । इष्ट । अभिलषित । अभिइव - (क्रि०वि०) १. अब । २. ऐसे। प्रेत । २. पूज्य । (सर्व०) इस । इस्टदेव-(न०) १. इष्टदेव । आराध्य इव करतां-(अव्य०) इस प्रकार । देवता । कुल देवता। इवडो-(वि०) १. इतना। २. ऐसा। इस्टाम-दे० स्टांप। (स्त्री० इवडी) इस्तगासो-(न०) किसी के विरुद्ध फौजइशारो-दे० इसारो। दारी कोर्ट में की जाने वाली अर्जी । इश्क-(न०) १. प्रेम । स्नेह । २. काम इस्तरी-(ना०) १. धोबी तथा दरजी का विकार । एक उपकरण जिससे कपड़े की सिकुड़न मिटाई जाती है । २. स्त्री। इष्ट-दे० इस्ट । इस्तीफो—(न०) इस्तीफा । त्यागपत्र । इष्टदेव-दे० इस्टदेव । इस्तेमाल-(न०) उपयोग। इस इ-(वि०) १. ऐसे । २. ऐसी। इस्त्री-(ना०) स्त्री । दे० इस्तरी । इसक-(न०) इश्क । प्रेम । इस्यो-वि०) ऐसा। इसक-चाळो-(न0) काम चेष्टा । इसकी-(वि०) प्रेमी । रसिक । इश्की । इस्लाम-(न0) मुसलमानी धर्म । इह-(सर्व०) १. यह । २. इस । (क्रि०वि०) इसकूल-दे० स्कूल । यहाँ । इसक-दे० स्क्रू । इसड़ी-(वि०) ऐसी। इहड़ी-(वि०) ऐसी। इसड़ो-(वि०) ऐसा। इहड़ो-(वि०) ऐसा । इहाँ-(क्रि०वि०) यहाँ । इसपताळ-(न०) अस्पताल (स्त्री० इसड़ी) हॉस्पिटल । दवाखानो। इहि-(सर्व०) १. यह । २. इस । इसबगुळ-(न०) १. रेचक बीजोंवाला इहि विचि-(वि०) इस बीच की। (अव्य०) एक पौधा। २. इस पौधे के बीज । ___ इस वस्तु या समय के बीच में । इसबगोल । इहो-(सर्व०) १. वह । २. यह । (वि०) इसलाम-(न0) मुसलमानी धर्म । इस्लाम। ऐसा । (अव्य०) इस प्रकार । इसा-(वि०) १. ऐसे। ऐसे अनेक । इंगळा- (ना०) मेरु दण्ड के वाम भाग की २. इस प्रकार के । ऐसे। ___ इड़ा नाम की एक नाड़ी। इसान-(क्रि०वि०) इस प्रकार। इंगलिश-(ना०) अंग्रेजी भाषा । इसारो-(न०) १. इशारा । संकेत । इंगलिस्तान-(न०) इगलैंड। २. सूचन। इंगलैंड-(न०) अंग्रेजों का देश । इंगलिइसी-(वि०) ऐसी। स्तान। इसू-(वि०) ऐसा । इंगित-(न०) इशारा। इसै-(वि०) ऐसे। इंच-(न०) १. एक फुट का बारहवाँ भाग। इसो-(वि०) ऐसा। २. फुट के बारहवें भाग का माप । इसो-तिसो-(अव्य०) ऐसा-वैसा । ऐसा- इंछणो-(क्रि०) १. इच्छा करना । तैसा। २. विचार करना। ३. निश्चय करना। For Private and Personal Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इंछना इंछना-(ना०) इच्छा। इंद्रजव-(न०) कुड़ा बीज । इंछा-(ना०) इच्छा। इंद्रजाळ-(न०) १. मंत्र तंत्र तथा हाथ की इंछा-भोजन-दे० इच्छा-भोजन । सफाई द्वारा अचंभे की बातें दिखाने की इंजन-(न०) भाप की शक्ति से चलने विद्या या कला । फरफंद । जादूगरी। __ वाला यंत्र । एंजिन। २. मायाकम । ३. नट विद्या । ४. धोखा। इंजीनियर-(न०) यंत्र शास्त्र का विशारद। छल । ५. मंत्र-तंत्र द्वारा आश्चर्योत्पादक इंजैकशन-(न०) पिचकारी द्वारा । कला का ग्रन्थ । __ शरीर में दवा प्रवेश करना। इंद्रजीत-(न0) मेघनाद । इं?-(क्रि०वि०) यहाँ । इस जगह । अठ। इंद्रधजा-(ना०) रंग-बिरंगी अनेक छोटी __ धजाओं वाला एक बड़ा ध्वज। इन्द्रध्वज । इंडज-(न०) अंडे से उत्पन्न होने वाले इंद्र धनुष-दे० इंद्रधनुस । प्राणी । अंडज । इंद्र धनुस-(न०) सूर्य के सामने की दिशा इंडिया-(न०) भारत देश । में वर्षा होने के कारण सूर्य के प्रकाश से इंडै-दे० इंठे। क्षितिज को छता हुआ दिखाई देने वाला इंतकाळ-(न०) मृत्यु । मौत । सात रंगों का अर्धवृत्त । इंतजाम-(न०) प्रबन्ध । इंतजाम। इंद्रपुरी-(ना०) १. इंद्र की नगरी । इंतजार-(न०) १. प्रतीक्षा । २. आतुरता। २. देवताओं की नगरी । इंतजारी-दे० इंतजार ।। इंद्रप्रस्थ-(न०) पांडवों की राजधानी । इंद-(न०) १. इंद्र । २. इन्दु । चन्द्रमा । प्राचीन दिल्ली। इंदगोप-दे० इंद्रगोप। इंद्रलोक-(न०) स्वर्ग। इंदर-(न०) १. इन्द्र । २. मेघ-घटा। इंद्रवधू-दे० इंद्रगोप । ३. स्वामी । ४. वृक्ष । इंद्राण-(न०) १. तसतूबा । इन्द्रायण का इंदर धनख-दे० इंद्र धनुष । फल । २. इंद्रायण की लता । इंदराज-(वि०) १. ऊँचा । १. श्रेष्ठ। इंद्राणी-(ना०) इन्द्र की पत्नी। ३. बड़ा। (न०) १. लिखा जाना। इंद्रापुरी --(ना.) १. इन्द्र की राजधानी । लिखावट । २. नोंध । नुंध । अमरापुरी २. इन्द्रापुरी के समान वैभव इंदरियो-(न०) १. मेघ-चटा । २ इंद्र। या सुख । इंदिरा-(ना०) लक्ष्मी। इंद्रायण-(ना०) १. तसतूबे की लता। इंदीवर-(न०) नील कमल । २. इन्द्रायण का फल । तसतूंबो।। इंदु-(न०) चंद्रमा। इंद्रासण-(न०) इन्द्र का सिंहासन । इंद्र-(न०) देवताओं का राजा । इन्द्र । इन्द्रासन । इंद्र कूण-(ना०) खगोल और शकुन शास्त्र इंद्रासन-दे० इंद्रासण । की सोलह दिशाओं में से एक दिशा। इंद्रिय--दे० इंद्री । इन्द्रकोण । इंद्री--(ना०) १. शिश्न । लिंगेद्रिय । इंद्र कूट-दे० इंद्र कूण। २. वह शक्ति जिसके द्वारा बाहरी पदार्थों इंद्रगोप-(ना०) बीरबहूटी । ममोलो। के भिन्न भिन्न गुणों का भिन्न भिन्न रूपों ममोलियो। ___ में अनुभव होता है (ज्ञानेन्द्रिय)। ३. शरीर For Private and Personal Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ईरखाळे के वे अवयव जिनके द्वारा यह शक्ति इंसान--(न०)१. मनुष्य। २. मानव जाति । विषयों का ज्ञान प्राप्त करती है । इंसाफ-दे० इनसाफ । (कर्मेंद्रिय) । ४. इंद्रिय । इंस्पैक्टर-(न0) निरीक्षक । ई-संस्कृत परिवार की राजस्थानी ईत-(ना०) पशुओं की चमड़ी में चिपका भाषा की वर्ण माला का चौथा स्वर रह कर खून चूसने वाला एक छोटा वर्ण । 'इ' का दीर्घ रूप। कीड़ा। ई-(सर्व०) यह । (अव्य०) १. ही । २. भी। ईतरणो-दे० इतरणो। ई-(सर्व०)१. इसने । २. इस । ३.इससे। ईति-(ना०) खेती को हानि पहुंचाने वाले (वि०) ऐसे । इसी प्रकार के । __उपद्रव । ईकड़-(न०) मूग-मोठ के जैसा एक जंगली ईद-(ना०) मुसलमानों का एक त्योहार । द्विदल नाज और उसका पौवा । इसे ईनणी-दे० ईंधणी। पका कर गाय भैस आदि को खिलाते हैं। ईन-मीन-(वि०) इने-गिने। अल्प । थोड़े। ईकार-(न०) 'ई' वर्ण। ईन-मीन-तीन-दे० ईन-मीन । ईख-(ना०) १. दृष्टि । २. गन्ना । ऊख । ईनलो-(वि०) इधर का। इस अोर का । ईखण(ना०) नेत्र । प्राँख । ईक्षण। ईनूणी---दे० ईंढोणी । ईखणो-(क्रि०) देखना। ईनै-(सर्व०) इसको । (क्रि०वि०) इधर । ईटणो-(क्रि०) १. उपयोग करना। काम यहाँ । में लाना । २. बखेरना। छितराना। ईमान-(न०) १. धर्म । २. नीयत । ३. बहाना । बहा देना। ३. अच्छी नीयत । ४. विश्वास भरोसा । ईठ-(न०) १. इष्ट । २. पति । ५. प्रामाणिकता। ईडर- (न०) १. ऊंट की छाती में उभरा ईमानदार-(वि०) १. सच्चाई से काम हुआ एक गोल खुरदरा स्थान । २. गुज- करने वाला । सच्चा । खरा । २. व्यवहार रात का एक ऐतिहासिक नगर और राज्य। शुद्ध । ३. विश्वासपात्र । ४. धर्मभीरू । ईडरियो--(वि०) १. ईडर का। ईडर ५. प्रामाणिक । संबंधी । २. ईडर निवासी। ईमानदारी-(ना०) १. सच्चाई । २. व्यवईढ-(ना०) १. समानता । तुलना । हार शुद्धता । ३. धर्माचरण । ४. प्रामाबराबरी । २. ईर्ष्या । डाह । ३. शत्रुता। णिकता।। बैर । ४. हठ । ईमानी-दे० इमानी। ईढक-(न०) नगाड़ा। ईयेरै-दे० इयेरै। ईढग-दे० ईढगरो। ईयेरो-दे० इयेरो। ईढगरो-(वि०) १. बराबरी करने वाला। ईयेवळ-(क्रि०वि०) इस ओर । इधर । २. ईर्ष्यालु । ३. पीछे नहीं रहने वाला। ईरखा-(ना०) ईर्ष्या । डाह । ४. शत्रु । बैरी। ईरखाळू -(वि०) ईर्ष्यालु । For Private and Personal Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ईरखो ( १३२ ) इंढोणी ईरखो-(न०) ईर्ष्या । ईसाणंद-(न०) भक्तकवि ईसरदास बारहठ ईरण -(ना०) अग्नि । का महत्व सूचक नाम । ईली-(ना०) अनाज का एक कीड़ा । अन्न- ईसारण-दे० ईशान । कीट । इलीका । ईसाणी-(वि०) ईशान दिशा की । ईलोजी--(न०) होली के हुड़दंग की एक ईसान-दे० ईशान । (सं० पु०) अहसान । __ अश्लील मूर्ति । उपकार । ईवाड़ो-(न०) भेड़-बकरियों का बाड़ा। ईसुरी-दे० ईश्वरी। ईश-दे० ईश्वर । ईह-(सर्व०) यह । (सं०स्त्री०) इच्छा । ईशान-(न०) उत्तर-पूर्व के मध्य का कोण। ईहग-(न०) १. याचक । २. चारण । ईशान दिशा । २. शिव । महादेव । ३. भाट । (वि०) इच्छुक । ईश्वर-(न०) १. ईश्वर । परमेश्वर । ईहण-दे० ईहग । २. शंकर । महादेव । ३. स्वामी । प्रभु। ईहा-(ना०) इच्छा । ईश्वरी-(ना०) १. दुर्गा । भगवती । ईहाड़-(ना०) एक तोप । २. पार्वती । भवानी। ईं-(सर्व०) १. इस । २. इसने । ३. यह । ईस-(न०) ईश्वर सं० १, २ ३, (ना०) ईंकी-(सर्व०) इसकी। १. खाट की चौखट की लंबी लकड़ी। ईंके-(सर्व०) इसके । चारपाई के चौखटे की दाहिने या बाएँ ईको-(सर्व०) इसका। की लकड़ी । २. किसी भूभाग की लंबाई। इंगी-(सर्व) इसकी । ३. लंबाई की ओर का नाप । इंगो-(सर्व०) इसका । ईसको--(न०) ईर्षा । डाह । ईजाँ-(क्रि० वि०) यहाँ । ईसर-दे० ईश्वर । ईंट-(ना०) १. पकाया हुआ मिट्टी का ईसरजी-(न०) १. महादेव की वह मूर्ति चौकोर टुकड़ा जिसे सीमेन्ट, चूना या जो जामा, खिड़किया पाघ और तुरें मिट्टी के गारे से जोड़कर मकान की कलगी वाली राठौड़ी वेशभूषा में गनगौर दीवार बनाई जाती है। ईट । २. चार के उत्सव (गौरी पर्व) पर गौरी की मूर्ति के साथ प्रशित की जाती है। २. महा. कोनों की बूटी वाला ताश का पत्ता । देवजी । शिवजी। ईंटाड़ी-दे० ईट। ईसरदास-(न०)मालाणी प्रदेश (मारवाड़) इटाळा (न०) १. इट का टुकड़ा । (वि०) के भादरेस गाँव के निवासी प्रसिद्ध भक्त १. ईटो वाला । इट पकाने वाला । कवि ईसरदास बारहठ । इंटोड़ो-(न०) ईंट का टुकड़ा । ईसरी-दे० ईश्वरी। इंडो-(न०) १. अंडा । २. देव-मंदिर के ईसरेस-(न०) महादेव । ईश्वरेश। शिखर के ऊपर का स्वर्णादि का बना ईसवीसन-(न०) ईसा के जन्म-काल से हुमा एक विशेष प्रकार का कलश । __ चलाया हुआ वर्ष । इंडोणी-दे० इंढोणी। ईसा-(न०) ईसाई धर्म का प्रवर्तक। ईसा- इंदणी-दे० इंढोणी । मसीह । ईंढोणी-(ना०) कपड़े आदि की बनी एक ईसाई-(न०) ईसा के मत को मानने विशेष प्रकार की गोल गट्टी (कुडली) वाला। जिसको पानी का घड़ा मादि बोझा For Private and Personal Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ईदावाटी । १३३ ) उकरांस उठाने के लिये स्त्रियाँ सिर पर रखती ईनै—(सर्व०) १. इसने । २. इसको । इसे है। इंडुरी । ईंडुप्रा। (क्रि०वि०) इधर । इस ओर । ईदावाटी-(ना०) मारवाड़ में ईदा-परिहारों ईं पर-(प्रव्य०) १. इस पर । तदुपरान्त । का एक क्षेत्र । जोधपुर के पश्चिम में २. इसके पश्चात् । इसके ऊपर । ईदा-राजपूतों की जागीर का प्रदेश। ईंयाँ-(क्रि०वि०) १. ऐसे । २. वैसे । इंधण-(न०) भोजन बनाने के लिये जलाने इंयाँरै-(सर्व0) इनके। की लकड़ी, कंडा आदि । जलावन । इंधणी-(ना०) भोजन पकाने के लिये काम ईयाँरो-(सर्व०) इनका। में पाने वाली (जलाने की) की लकड़ी। इंरो-(सर्व०) इसका । बलीते की लकड़ी (बलीता)। इंसू-(सर्व०) इससे । उ-संस्कृत परिवार की राजस्थानी भाषा उए-दे० उवे । की वर्णमाला का पांचवां प्रोष्ठ स्थानीय उकट-(न०) १. कसाव । कसेलापन । स्वर वर्ण । २. क्रोध । गुस्सा। ३. मनोमालिन्य । उपब-(न०) १. उद्भव । जन्म । १. वृद्धि। ४. जोश । मनोवेंग । ५. पावेश । बढती (वि०) अद्भत । उकटणो-(क्रि०) कसाव पैदा होमा । उमणो-(क्रि०) उगना । कसाना । २. क्रोध पैदा होना । ३. मनोउग्रर-(न०) उर । हृदय । मालिन्य पैदा होना । ४. जोश में माना। उग्रह-(न०) उदधि । समुद्र । उकत-(ना०)१. उक्ति । कथन । २.समझ। उप्रारणो-(क्रि०) उगाना । बुद्धि । ३. युक्ति । उपाय । उपारण-(न०) १. न्योछावर करने की उकताइजरणो-(क्रि०) १. उकता जाना । वस्तु। २. निछावर । उत्सर्ग । ३. उद्धार । ऊब जाना । २. अधीर होना । रक्षा। बचाव । (वि०) उद्धार करने उकतारणो-दे० उकताइजणो । वाला। उकतावरणो-दे० उकताइजरणों । उपारणा-(न०) बलैया । न्योछावर । उकती-दे० उकत । उपारणो-(क्रि०) निछावर करना । उकतीवान-(वि०) १. उक्ति वाला । बलिहार जाना । (न०) निछावर । उत्सर्ग। २. बुद्धिमान । ३. प्रत्युत्पन्नमति । उग्रारो-(न०) १. उत्सर्ग । निछावर । उकर-(न०) बाण । २. गांव से बाहर निकलने का उकरड़ी-(ना०) छोटा उकरड़ा । धूरी । मार्ग । गाँव से बाहर निकलने के मार्ग उकरड़ो-(न०) १. कूड़े-कचरे का ढेर । का अंतिम छोर तथा प्रवेश करने के मार्ग पूरा । २. कूड़ा-कचरा डालने की का सिरा। जगह। उओं-दे० उणां । उकरास-(न०) १. चाल । धूत्तता। उग्रारो-दे० उवार। २ युक्ति । उपाय । ३. कौशल । ४. प्रवउप्रारो-३० उवारो। सर । मौका । ५. खेल का दांव । For Private and Personal Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उकलणो ( १३४ ) उखाड़णो उकलणो-(क्रि०) १. सूझना । सूझ होना। सूखे हुए नदी या तालाब में खोदा जाने फूरना । २. दिमाग में आना । उपजना। वाला खड्डा । ३. ( लिखावट आदि का ) स्पष्ट पढ़ा उकेल-(न०) १. परिणाम । निकाल । जाना। २. उपाय । रास्ता । सुलझाव ।३. सूझ । उकळणो-(क्रि०) १. प्रौटना । उबलना। समझ । ४. उलझी हुई बात को सुलझाने २. अकुलाना । उकताना। ऊबना। की यक्ति । समाधान । ३. क्रोध करना। ४. भीषण रूप धारण उकेलणो-(क्रि०) १. उरझी हुई बात को करना। सुरझाना । २. सुलझाना। ३. गूच उकळतो काळजो-(न0) व्याकुल चित्त। निकालना ।। उकळाट-दे० उकळाटो। उक्त-(वि०) १. उपरोक्त । कथित । उकळाटो-(न०) १. क्रोध । २. संताप । २. उल्लिखित । ३. घाम । ४. गरमी। ५. दमघुट । उक्ति-(ना०) १. कथन । २. वाक् चातुर्य । ६. उफान । उबाल । ३. शब्द लालित्य । ४. चमत्कारपूर्ण वाक्य । उकस-(ना०) १. जोश । २. क्रोध । प्रज्वलन । २. उत्तेजन । उख-(न0) बैल । उकसणो--(क्रि०) १. जोश में आना। उखड़णो--(क्रि०) १. जड़ सहित निकल २. क्रोध करना । २. उत्तेजित होना। प्राना। २. अलग होना। सटा हुआ न रहना। ३. नौकरी का छूट जाना । पदउकसारणो-(क्रि०) उकसाना । उभारना । नयत होना । ४. क्रोध करना । तैयार करना। उग्वगारगो-(क्रि०) १. उठाकर ले जाना। उकसावरगो-दे० उकसाणो । २. भार उठाना । ३. शस्त्र उठाना । उकंबरणो-(क्रि०) सिर को ऊँचा उठाना । उखगारगो-(क्रि०) बोझा उठवाने में सहाउकाळ-(न0) उबाल । यता करना । बोझा उठवाना। उकाळरणो - (क्रि०) उबालना । उख-(ना०) औषधि । उकाळी-(ना०) उबाली हुई काष्ठादि । -(ना०) उबाला हुई काष्ठादि उखरड़ो-दे० उकरड़ो । औषधियों का पानी। औषधियों का उखराळी-(वि०) १. वाण (रस्सियाँ) उबाला हुआ रस । जोशांदा । काढ़ा। टूट कर ढीली बनी हुई (खाट)। टूटीउकाळो-(न०) १. उबाल । उफान ।। फूटी (खाट)। २. जिस पर बिस्तर नहीं २. काढ़ा । क्वाथ । बिछा हो । बिना बिस्तर की (खाट) उकासरगो--(क्रि०) १. अधिक प्रकाशमान (ना०) कुतिया की धुरी । करना । २. प्रज्वलित करना । ३. दीपक उखलणो-(क्रि०) १. अपने स्थान से की बत्ती को ऊपर खिसकाना । बत्ती को अलग होना । उखड़ना। २. परस्पर । और बाहर निकालना। ४. उत्तेजित चिपटी हुई वस्तुओं का अलग होना । करना। ५. उभारना। ६. हैरान करना। उखा-(ना०) गाय । तंग करना उखाड़णो--(क्रि०) १. किसी गड़ी या जमी उकीरो-(न0) गोबर का एक कीड़ा। हुई वस्तु को बाहर निकालना। २. अलग उकील-(न०) वकील । करना। हटाना। ३. नौकरी से दूर उकेरी-(ना०) पानी प्राप्त करने के लिये करना । पदच्युत करना। ४. नष्ट करना। For Private and Personal Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उसाइ-पछाड़ ( १३५ ) उगवणो उखाड़-पछाड़-(ना.) १. भांग तोड़। उगणसाठो-(न०) उनसाठवां वर्ष । २. उथल-पुथल । तितर-बितर । ३. छिन्न- उगणंतर-(वि०) साठ और नौ। (न०) भिन्न । ४. बखेड़ा। उपद्रव । उनहत्तर की संख्या-६६' । उखाणो-(न०) १. उपाख्यान । अोखाणो। उगणंतरो-(न०) उनहत्तरवाँ वर्ष । २. कहावत । ३ उक्ति । ४. दृष्टान्त । उगणासियो-दे० उगणियासियो । उदाहरण । उगणासी-दे० उगणियासी । उखेख-(न०) क्रोध । उगणियासियो-(न0) उनासीवाँ वर्ष । उखेखणो-(क्रि०) १. क्रोध करना । उगणियासी-(वि०) सित्तर और नौ। २. देखना। (न0) उनासी की संख्या-७६' । उखेड़णो–दे० उखाड़णो। उगणी-दे० उगणीस । उखेल-(न०) १. उत्पात । २. युद्ध । उगणीस-(वि०) दस और नौ। (न०) ३. कलह । ४. उत्खनन।। ___ उन्नीस की संख्या-'१६' । (वि०) हलके उखेलणो-(क्रि०) १. रस्सी पगड़ी आदि दर्जे का । उतरता हुआ । खराब । के आंटों को खोलना। २. अपने स्थान उगरणीसो- (न०) उन्नीसवाँ वर्ष । (वि०) से अलग करना। उखेड़ना । ३. परस्पर १. उन्नीस सौ। एक हजार नौ सौ । चिपटी हुई वस्तुओं को अलग करना। २. जो तुलना में खराब हो । बदतर । दे० उखाड़णो सं० १, २। उगणोतर-दे० उगणंतर । उखेवणो-(क्रि०) देवता के सामने धूप- उगणोतरो-दे० उगणंतरो। अगरबत्ती जलाना । धूप खेना। उगत- दे० उकत । उगटगो-(क्रि०) कसाव उठना । कसेला- उगम--(ना०) १. उद्गम । उदय । पन पैदा होना । (न0) उबटन । २. उत्पत्ति । ३. अंकुरण । उगण चाळी-दे० उगण चाळीस । उगमण-(ना०) पूर्व दिशा । उगरण चाळीस-(वि०) तीस और नौ। उगमणू-(क्रि०वि०) १. पूर्व दिशा की ओर (न०) उनताळीस की संख्या-'३६' (वि०) पूर्व दिशा का । (न०) पूर्व दिशा । उगण चाळीसो- (न०) उनचालीसवाँ वर्ष । जो उगमणो-दे० उगमणू। उगणती-(वि०) बीस और नौ। (न०) उगरणो-(क्रि०) उबरना । बचना । उनतीस की संख्या-'२६' । उगरांटो-दे० अगरांटो। उगरगतीस-दे० उगणती। उगरामणो-(क्रि०) प्रहार करने के लिये ___ शस्त्र उठाना । हाथ उठाना। उगणत्रीस-दे० उगणती। उगळरणो-(क्रि०) १. उगलना। २. जुगाली उगणतीसो-(न०) उनतीसवाँ वर्ष । __करना। ३. के करना। वमन करना। उगणपचा-दे० उगण पचास । ४. वमन होना । उलटी होना। उगणपचास-(वि०) चालीस और नौ। उगळाणी-(वि०) नग्न । नंगी । विवस्त्र । (न०) उनचास की संख्या-'४६' । उघाड़ी। (ना०) कै । उलटी । उगाळ । उगरणपचासो-(न०) उनचासवां वर्ष। उगळागो-(क्रि०) 'उगळाणी' का पुल्लिग । उगणवो-दे० उगवणो । (क्रि०) के होना । उलटी होना । उगणसाठ-(वि०) पचास और नौ। (न०) उगवणो- (क्रि०वि०) पूर्व दिशा में । पूर्व उनसाठ की संख्या-'५६' । दिशा की ओर। For Private and Personal Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उगाई उगाई - ( ना० ) १. अंकुरन । २. अंकुरित । होने की स्थिति । ३. उगाने का कान । उगाड़ो - ( क्रि०) १. उगाना । २. बुवाई करना । बीज बोना । ३. पेड़-पौधे लगाना । उगारणो - दे० उगाड़णो । उगामरणो - ( क्रि०) प्रहार करने के लिए लाठी, शस्त्र आदि को ऊंचा उठाना । उगार - ( न० ) १. बचाव । उद्धार । २. बचत । उगारणो - ( क्रि०) उबारना । बचाना । उगाळ - ( न० ) १. पीक । २. जुगाली । ३. वमन । के । उगाळणी - ( क्रि०) १. जुगाली करना । ( १३६ ) २. वमन करना । ३. उच्चारना । उगाळदान - ( ना० ) पीकदान । उगाळी ( ना०) १. उदय । २. सूर्योदय । ३. जुगाली । २. पीकदान । उगावरगो - दे० उगाड़णो । उगावो - ( न० ) उगने की क्रिया । उगूरण - दे० उगमरण । उगे रखो - ( क्रि०) गीत गाना करना । उगेरै - ( अव्य०) वगैरह । इत्यादि । उग्र - (वि०) १. तेज । प्रचंड । २. भयानक । ३. क्रोधी । ४ ऊंचा । ५. जबरदस्त । ६. प्रति । अधिक । उग्रज - ( ना० ) १. गर्जन । जोर की गर्जना । २. गर्व गर्जन । (वि०) गर्वोन्नत । उग्रजरगो - ( क्रि०) १. गर्जन होना । २. गर्व से गर्जना । २. गर्व से मस्तक ऊंचा उठाना । प्रारंभ उग्रजती - ( न० ) हंस । उग्रभागी - ( वि०) १. ऊंचे भाग्यवाला । भाग्यशाली । २. तेजस्वी । उग्रहणो - ( क्रि०) १. बदला लेना । २. बदला माँगना। ३. कर वसूल करना । ४. उगाहना । उगाही करना । ५. पकड़ना उघाड़णो धारण करना । ६. ग्रहरण करना । ७. मुक्त करना । उग्रहण - वैरी - ( न०) तलवार भाला श्रादि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शस्त्र । उग्राहणो - ( क्रि०) दे० १. उधरावणो । २. छोड़ना । ३. प्रहार करने को शस्त्र उठाना । ४. छुड़ाना । उघड़णो - ( क्रि०) १. उघड़ना । खुलना । २. आवरण रहित होना । ३. प्रगट होना । ४. नंगा होना । उघाड़ा होना । ५ . ( भाग्य ) खुलना । उघररणो- ( क्रि०) १. उघाई का वसूल होना । लेनदारी का वसूल होना । २ कर की वसूली होना । ३. उघड़ना । उघराई - दे० उघाई | उघराणी - दे० उघाई । उघराणियो - ( न० ) उघराणी करने वाला । उघराणो - ( न० ) १. नंगे पाँव | २ उघाई । ( क्रि०) उगाहना । उगाही करना । उघरावणी-दे० उधाई । उधरावणो - ( क्रि०) उधार दी हुई रकम, वस्तु या वस्तु का मूल्य वसूल करना । तकाजा करना । २. बदला लेना । उघवरणो- दे० उघरावणो । उघाई - ( ना० ) १. उधार दी हुई रकम का तकाजा । २. उधार दी हुई वस्तु या वस्तु की कीमत का तकाजा । उगाही । ३. उगाही का काम । ४. उधार दी हुई रकम । ५. वसूल हुई रकम । वसूली । उघाड़ - ( न० ) १. प्रकट । प्रवरोधाभाव । २. रहस्य का प्रस्फुटन | रहस्योद्घाटन । ३. ( समस्या का) स्पष्टीकरण | खुलासा । ४. मैदान । ५. समझ । ६. श्राकाश का बादल रहित होकर धूप निकलना । उघाड़रणो - ( क्रि०) १. खोलना २. खुला करना । उघाड़ा करना । ३. ढक्कन का हटाना । For Private and Personal Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपार पड़णो ( १३७ ) उघाड़ पड़णो-(मुहा०) १. समझ में ५. चित्त फट जाना। माना । २. रहस्य खुलना। उचरणो-(क्रि०) उच्चार करना। कहना। उघाड़ बार-दे० उघाड़ो बारो। उचंगो-(वि०) १. उचक्का । उठाईगीर । उघाड़ बारो-(न०) १. खुला प्रवेश । २. चाँई। ठग। धूतं । ३. बदमाश । २. वह स्थान जिसमें चाहे जिधर से प्रवेश उचंडणो-(क्रि०) १. उठाना । उचकना । हो सके। ३. मुख्य द्वार के अतिरिक्त २. उछालना। बिना अवरोध के आने जाने का मार्ग। उचंत-दे० उधार । ४. चोर के आने जाने के लिए सरल उचंत खातो- दे० उधार खातो । मार्ग । ५. चोरी करके भाग जाने का उचाट-(ना०) १. व्यथा । पीड़ा। सरल मार्ग। २. चिंता । ३. मन की अस्थिरता। उघाड़ीछाती-(ना०) हिम्मत । साहस । उचारणो-(क्रि०) १. उच्चारण करना । (वि०) साहसी वीर । (क्रि०वि०) अत्यन्त २. बोलना । कहना। वीरता पूर्वक । उचाळो-(नि०) १. दुष्काल या युद्ध आदि उघाड़ो-(वि०) १. नंगा । नग्न । उघारा। संकट के कारण सामूहिक रूप से निवास २. खुला हुआ। बिना ढका हुआ ।। स्थान को छोड़ कर दूसरे किसी स्थान में ३. स्पष्ट । साफ । ४. प्रगट । ५. जो निवास हेतु किया जाने वाला प्रजा का बंद न हो। ६. नहीं प्रोढ़ा हुआ। प्रस्थान । २. संकट काल में देशान्तर उघाड़ो होणो-(क्रि०) १. नंगा होना।। निवास के लिये किया जाने वाला प्रजा २. बदनाम होना। ३. खुल जाना। का एक साथ प्रस्थान । उच्चलन । ४. खुला होना। उचावणो-(क्रि०)१. बोझा आदि उठाना । उघामणो-दे० उगामणो । उगरामणो। २. उठवाना। उचकरिणयो-(न०) किसी वस्तु को ऊंचा उचासरो-(न०) १. श्रेष्ठ जाति का श्वेत उठाने के लिये उसके नीचे रखा जाने घोड़ा। २. इन्द्र के घोड़े का नाम । वाला ईंट, पत्थर आदि का टुकड़ा। उच- उच्चैःश्रवा। कन । टग। (वि०) १. उठाने वाला। उचाँचळो-(वि०)१. अविचारी। २. उद्धत । २. बोझा ढोनेवाला । ३. आँखों के ३. चंचल । ४. उतावला। सामने चोरी करने वाला। उचकाने उचित-(वि०) योग्य । मुनासिब । ठीक । वाला । उचीश्रव-दे० उचासरो। उचकणो-(क्रि०) १. उचकना । ऊपर उचैश्रव-दे० उचासरो। उठना । २. भागना । उचैस्रवो-दे० उचासरो। उचकावणो-(क्रि०) १. उचकाना। ऊपर उच्च-दे० ऊंचो । श्रेष्ठ । उठाना । २. आँखों के सामने किसी वस्तु उच्चळचित्तो-(वि०) १. उच्च हृदय । को चुरा लेना । उचकाना। उदार । २. अस्थिर चित्त वाला। उचक्को -दे० उचंगो। उच्चाटन-(न०) १. जुड़ी हुई वस्तु को उचटणो-(क्रि०) १. चौंकना । भड़कना। अलग करना । उखाड़ । २. एक बिचकना । १. नींद में चौंकना। ३. नींद अभिचार । उड़ जाना । ४. मन नहीं लगना। उच्चार-(न०) क्थन । बोल । For Private and Personal Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (११ ) उच्चारण-(न०) १. शब्दों या वर्गों के पसंदगी । २. अधिक लाभ वाले भाग को बोलने का ढंग । २. मुह से बोलना। लेने की छूट । ५. अभिरुचि । मन की उच्चैश्रवा-(न०) १. चौदह रत्नों में से पंसद । ६. कुदान । छलांग। एक । २. इंद्र का घोड़ा। उछळ-कूद-(ना०) १. ऊधम । उतपात । उच्छव-(न०) १. उत्सव । २. पर्व। २. चंचलता । अधीरता । ३. शोरगुल । त्यौहार । ३. उत्साह । उछळणो-(क्रि०) १. कूदना । फाँदना । उछजणो-(क्रि०) १. प्रहार करने के लिये २. खुशी से फूलना । ३. जोश में आना । शस्त्र उठाना। २. हाथ ऊंचा उठाना। ४. प्रागे बढ़ना । ३. जोश में प्राना। ४. ऊपर उठना। उछळ-पाँती-(ना०) १. पसंदगी वाला ५. ऊपर उठाना। भाग । २. अधिक लाभ वाला भाग । उछट-(ना०) १. कुदाई। २. भगदड़ । उछंग-(ना०) उत्संग । गोदी। क्रोड़। ३. पानी का धक्का। जोर की लहर। उछाळ-(ना०) १. पाणिग्रहण के बाद ४. लहर । तरंग । ५. उदारता। दूल्हा-दुलहिन का जनिवासे जाते समय उछटणो-(क्रि०) १. कूदना। २. भागना। मार्ग में ठौर-ठोर की जाने वाली रुपये३. पानी का धक्का आना। ३. लहर के पैसों की निछरावल-वर्षा । २. राजा, धक्के से सम्हल नहीं सकना। महंत या धनाढ्य की मृत्यु होने पर उछतं-(ना०) १. प्रसन्नता । खुशी । श्मशान यात्रा के समय मार्ग में की जाने २. इच्छा । चाह । ३. शक्ति . हैसियत ।। वाली रुपये-पैसों की फेंकाई । ३. उछलने सामर्थ्य । की क्रिया । कुदाई। उछब-दे० उच्छव। उछाळणो-(क्रि०) फेंकना । उछालना। उछरणो-(क्रि०) १. पालण-पोषण प्राप्त उछाळो-(न०) १. उछलने की क्रिया । करना । पालण-पोषण होना । २. पोषण २. ऊधम । शोर । ३. लहर। तरंग । पाना। ३. पोषण पाकर वयस्क या योग्य ४. उमंग । ५. जोश । ६. बिना सारहोना। ४. गाय भैस आदि पशुत्रों का सम्हाल के इधर-उधर बिखरी हुई और जंगल में चरने को जाना। अव्यवस्थित रूप से पड़ी हुई सामग्री। उछरंग-(न०) १. उत्सव । २. हर्ष। उछाव-(न०) १. उत्सव । २. उत्साह । मानंद । ३. हर्ष । ४. जोश । उछरंजण-(न०) दान । उछाह-दे० उछाव। उछळग-(न०) १. नाच । नृत्य । उच्छ- उछाँट-(ना०) वमन । कै । उलटी। लांग । २. उमंग । उत्साह । ३. खुशी। उछेट-(ना०) अपूर्ण गर्भपात । प्रसन्नता। उछेद-(न०) १. उच्छेद । खंडन । उछळ-(ना०) १. किसी कार्य को करने के २. नाश । ध्वंश ।। लिये या किसी वस्तु की पसंदगी अथवा उछेदणो-(क्रि०)१. उखाड़ना । २. खंडन उसको प्राप्त करने के लिये दूसरों से पहले करना । ३. नाश करना । दिया जाने वाला अवसर । २. अनेक उछेर-(न०) १. पालण-पोषण । भरणइकाइयों में से किसी एक की पसंदगी। पोषण । २. पुत्र-पुत्री की सन्तान । ३. अधिक लाभ वाले भाग को लेने की पाल-पोलाद । ३. पुत्र-पुत्री । संतान । For Private and Personal Use Only Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उचरणो उजागरो उछेरणो-(क्रि०) १. पालन-पोषण कार्य का सम्पादन । (क्रि०) १. व्रत का करना। २. पालन-पोषण करके योग्य उद्यापन-उत्सव करना। २. उजमणे के बनाना। ३. गाय-भैस आदि पशुओं को निमित्त भोजन-समारोह करना। चराने के लिए जंगल में हाँकना। उजर-(न०) १. उन । आपत्ति । एतउछ ग-(न०) १. उत्सर्ग । दान । राज। २. विरोध । ३. मना । अस्वी२. निछावर। कृति। उछ ग्ग-दे० उछग । उजरत-(ना०) पारिश्रमिक । मजदूरी । उज-न०)१. नेत्र । २. अाँसू । ३. हृदय । उजरदार-(वि०) एतराज करने वाला। ४. स्तन । ५. अोज । पुरुषार्थ । साहस। उन उठाने वाला । उजरदारी पेश ६. कान्ति । ७. बल । शक्ति। ऊर्जा । करने वाला। ८. शान । ठाट-बाट । उजळणो-(क्रि०) १. उजला होना । उजा-दे० उज। साफ होना । २. प्रकाशित होना । उजड-(वि०) १. निर्जन । वीरान । प्रकाशना । चमकना। २. कंटकाकीर्ण । पाकीर्ण । अप्रशस्त उजळाई-(ना०) १. गुदा प्रक्षालन । (मार्ग)। (न०) बिना मार्ग का गमन । २. शौचाचार । ३. स्वच्छता । सफाई। उजड-(वि०) १. मूर्ख । नासमझ । ४. उत्तमता । पवित्रता । ५. चमक । २. अनाड़ी । ३. असम्य ।। उजळो-(वि०) १. उज्वल । स्वच्छ । उजड़णो-(क्रि०) १. उजाड़ होना । २. श्वेत । सफेद । धोळो। वीरान होना। २. बिखरना । ३. उख- उजवरणो-दे० उजमणो। ड़ना । ४. नष्ट होना । बरबाद होना। उजवाळक-(वि०) १. उज्वल करने उजदार-(न०) १. सेनाध्यक्ष । २. प्रोहदे- वाला । २. प्रसिद्ध करने वाला । दार । हुजवार । ३. नौकर वर्ग । (वि०) ३. ख्यातनामा । १. साहसी। २. बलशाली । ३. बड़े उजवाळरणो--(क्रि०) १. उज्वल करना। स्तनों वाली। २. प्रसिद्ध करना। ३. यशस्वी बनाना । उजबक-(न०) १. रणोत्साही वीर । ४. प्रकाशित करना । चमकाना। दे० २. घोड़ा । ३. तातारी लोग । ४. तातार अजवाळणो । जाति । ५. मुसलमान । ६. शत्रु । उजवाळी-(ना.) चाँदनी । (वि०) शुक्ल (वि०) १. आततायी । २. अनाड़ी। पक्ष की। उजड्ड । ३. मूर्ख । नासमझ । ४. रण- उजवाळो-(0) उजाला । प्रकाश । दे० व्याकुल । रण-विक्षिप्त । (क्रि० वि०) प्रजवाळो। अविछिन्न रूप से । लगातार। उजागर-(वि०) १. प्रकाशित । २. उजमणो-(न०) १. किसी प्रतिज्ञात विख्यात । प्रसिद्ध । ३. श्रेष्ठ । ४. मह नियमित व्रत का उद्यापन । २. प्रतिज्ञात त्वपूर्ण । ५. सुन्दर । मनोहर। ६. सचेत । नियमित व्रत की समाप्ति के अवसर पर सावधान । ७. अनोखा । ८. धीर-वीर । किया जाने वाला भोज । उजमणो का ६. वंश को उज्वल करने वाला । भोजन-समारोह। ३. व्रत का उद्याप- उजागरो-(न०) १. जागरण । २. नींद नोत्सव । ४. उत्तम कार्य । ५. मंगल का प्रभाव । ३. नींद नहीं लेने के कारण For Private and Personal Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उजाड़ (१४०) उठाऊगीर उत्पन्न प्रालस्य । (वि०) १. प्रसिद्ध । उजीणी-(ना०) उज्जयिनी । उज्जैन २. श्रेष्ठ। ३. सुन्दर । ४. अनोखा। नगर । ५. वंश को उज्वल करेने वाला। उजीर-(न०)१. वजीर । मंत्री। दीवान । उजाड-(न०) १. निर्जन स्थान । २. शतरंज की एक गोटी का नाम । २. जंगल । ३. ध्वंस । नाश । ४. हानि। उजूद-(वि०) गैर मौजूद । 'मौजूद' का उलटा । नुकसान । (वि०) १. निर्जन । वीरान ।। उजेण-दे० उजीणी। २. नष्ट । ध्वस्त। उजेणी-दे० उजीणी। उजाड़गो-(क्रि०)१. नष्ट करना । ध्वस्त उजेस–(न०) प्रकाश । (वि०) १. प्रकाशकरना। २. बस्ती को निर्वासित करना । मान । २. प्रकाशित । बस्ती निर्जन करना। वीरान करना। उजोत-(न0) उद्योत । प्रकाश । ३. बिगाड़ना। उज्जारण-(न०) उद्यान । उजाथर- दे० उजागर । उज्जैन-(न०) १. मालवा की प्राचीन उजाळ-(न०) १. प्रकाश । २. प्रकाशित। राजधानी का नगर । २. विक्रम सम्वत् करने वाली वस्तु । ३. प्रकाश देनेवाली के प्रवर्तक विक्रमादित्य की राजधानी का वस्तु । ४. पानी मिश्रित वह तेजाब उज्जयिनी नगर। जिससे सोना चाँदी आदि धातुएँ व गहने उज्वल-(न0) १. कांतिमान । उजला। आदि साफ किये जाते हैं। देदीप्यमान । २. स्वच्छ । ३. सफेद । उजाळक-दे० उजवाळक । उझळणो-(क्रि०) १. छलकना । उजाळणो-(क्रि०) १. प्रकाशित करना । २. मर्यादा के बाहर होना। ३. उफनना। २. चमकाना । उजाला करना। साफ उझाखो-(10) उजाला । प्रकाश । करना। ३. कीर्तिवान बनाना । उझेड़णो-(क्रि०) १. चीरना । फाड़ना । उजाळी-(ना०) चाँदनी । उजाली। २. उधेड़ना। उजाळो-(न०) १. उजाला । चाँदना। उझेळ-(ना०) १. लहर । तरंग । रोशनी । २. चमक । तेज । २. जोश । (वि०) अत्यधिक । उजाळो पख-(न0) शुक्ल पक्ष । अजवा- उभेळणो-(क्रि०) १. तरंगित करना । ळियो पाख। २. जोश में लाना। ३. हिलाना । उजावणो--(क्रि०) उपजाना । पैदा डुलाना । करना। उटींगण-(ना०) एक वनस्पति । उजास-(न०) १. प्रकाश । उजाला। उठगो-ऊठणो। २. चमक । कान्ति । ३. सफेदी । उठंग-(न0) तकिया। उपधान । उजलापन । उठंतरी–दे० उठांतरी। उजासणो-(क्रि०) प्रकाशित करना । उठाइगरो-(वि०) १. चोर । २. अाँख चमकाना। बचाकर वस्तु चुराने वाला । उचक्का । उजासी-(ना०) १. प्रकाश । २. सफेदी। उठाऊ-(वि०) १. चोर । २. उचक्का । उजियाळी-(ना०) चाँदनी । चंद्रिका । ३. खर्चीला । ४. उभरा हुमा । उजियाळो-दे० उजाळो । उठाऊगीर-(वि०) नजर चुका कर दूसरे उजियास-दे० उजास । की वस्तु को उठालेने या चुराने वाला । For Private and Personal Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उठाड़णो ( १४१) उठाड़णो-(क्रि०) दे० उठावणो। उडगण-(न०) तारा समूह । उठाणो-(न०) दे० उठामणो। (क्रि०) उडगाण–दे० उडगरण। १. उठाना । खड़ा करना । २. सोते हुए उडणखटोलो-(न०) उड़नेवाला खटोला । को जगाना । ३. धारण करना । लेना। विमान । ४. ऊपर करना। ५. ऊंचा लेना । उडणो–(क्रि०) १. पक्षी, टिड्डी, कीट प्रादि ६. दूर करना। का प्राकाश में विचरण करना। २. उठामणी-दे० उठांतरी । दे० उठामणो। विमान का आकाश में दौड़ना । ३. पंतग, उठामणो-(न०) १. मरे हुए का शोक । गुड़ी, गुबारा आदि का आकाश में ऊपर मनाने को तापड़ डालकर (बिछायत उठना । ४. ध्वजा, झंडे आदि का करके) बैठे रहने की क्रिया को समाप्त फहराना । ५. तेज भागना । ६. रंग का करने की विधि । २. मृतक के शोकार्थ फीका पड़ना । ७. गायब होना । बैठक की समाप्ति । तापड़ की समाप्ति । ८. इधर-उधर हो जाना। ६. छलांग ३. शोकार्थ-बैठक की समाप्ति के समय मारकर पार हो जाना। १०. सुरंग के स्नेही-संबंधियों का मृत व्यक्ति के यहां जोर से पत्थरों का ऊंचा जाकर दूर जाने की क्रिया । गिरना । ११. तेजी से शस्त्र का चलना। उठाव-(न०) १. किसी वस्तु का उठा १२. वायु के प्रवाह से वृक्षों के पत्तों का हुआ भाग । २. उठाने या उभराने का हिलना । (वि०) उड़नेवाला। काम । ३. दिखावा । ४. प्रारंभ । शुरू- उडगो-प्रणो-(न०) एक ही दिन में टोडा आत । ५. माल की बिक्री । खपत। और जालोर को विजय कर लेने के ६.खर्च । व्यय । ७. गूजायश । समाई। उपलक्ष में प्राप्त किया गया चित्तौड़ के उठावरणी-दे० उठामणी । राणा रायमल कुभावत के पुत्र पृथ्वीराज उठावणो-दे० उठामणो । (क्रि०) की अद्भ त वीरता का विरुद । दे० असंख१. उठाना । खड़ाकरना । २. उठवाना ।। प्रवाई-जैतवादी। खड़ा करवाना । ३. सोते हुए को जगाना। उडतो तीर-(न०) जान-बूझ कर सिर पर ४. ऊंचा करना। ५. लेना। धारण ली हुई आफत । करना। उड़द-(न०) एक द्विदल अन्न । उरद । उठावो-दे० उठाव । माष । उठाँतरी-(ना.) १. चले जाने का भाव । उड़दा वेगम-(ना०) १. नर वेश में रहने गमन । २. बरखास्तगी । मौकूफी । वाली मुसलमान बादशाह की दासी। ३. बदली। स्थानान्तर । ४. चोरी। उर्दूबेगम । २. उद्दड स्त्री। ५. चापलूसी। ६. उठाईगिरी। उड़दा बैंगरण-दे० उड़दा वेगम । (वि०) उठी-(क्रि०वि०) उधर । वहाँ । उस पोर। मूर्ख । । उठे-(क्रि०वि०) वहाँ । उधर । उड़दावो-(न०) घोड़ों का एक खाद्य । उड़क-दुड़कियो-(वि०) १. कभी इस घोड़ों की लापसी। पक्ष में और कभी उस पक्ष में रहने वाला। उड़दी-(ना०) वरदी । सरकारी वेशभूषा । पक्ष पलटू । २. दोनों पक्षों में रहनेवाला। उड़दू-(ना०) १. फारसी लिपि में लिखी ३. अविश्वसनीय । जाने वाली एक यावनी भाषा। उर्दू । For Private and Personal Use Only Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उडपती (१४२ ) उणार २. बादशाही जमाने का छावनी बाजार। (ना०) १. उच्च स्वर । तेज प्रावाज । ३. भीड़-भाड़। . २. चारण-भाट प्रादि कवियों की भाषा। उडपती--(न०) उडुपति । चन्द्रमा ।। ३. 'डिंगल' शब्द का पर्याय । उड़वै-(न०) चन्द्रमा। उडीक-(ना०) १. प्रतीक्षा। इंतजार । उडं--(प्रव्य०) 'छु' बोलकर के किसी २. राजस्थानी खगोल पौर शकुन शास्त्र वस्तु का गायब कर देने का जादूगरी की सोलह दिशाओं में पूर्व और प्राग्नेय मंत्र । २. गायब । लुप्त । (न०) जादूगरी दिशाओं के बीच की दिशा । का खेल । जादूगरी। (वि०) गायब । उडीकरणो-(क्रि०) प्रतीक्षा करना। राह लुप्त । देखना । इंतजार करना। उडंगण-दे० उडगण। उढरणो-(न०) प्रोढना । अोढ़ने का उडंड-(न०) घोड़ा। वस्त्र । २. दुपट्टा। उडंडाण-(न०) अश्वसमूह । घोड़े। उण—(सर्व०) १. उस । २. उसने । उडंडाणी-(न०) अश्वसमूह । घोड़े। (ना०) उणगी-(क्रि०वि०) उस प्रोर । उधर । घोड़ी। उणचास-(वि०) पचास में एक कम । उडाऊ-(वि०) व्यर्थ खर्च करने वाला। उंचास । उंचास की संख्या । '४६।। अपव्ययी। उगताळीस-(10) तीस और नौ की उडाड़णो-(क्रि०)१. उड़ाना। २. भगाना । संख्या । ३६' । (वि०) उंचालीस । ३. गायब करना। ४. चुराना । ५. तेज उरणमणापणो-(न०) उदासी। व्याकुलता। दौड़ाना। ६. शस्त्र से किसी अंग को उरणमरणो-(वि०) १. उन्मना । अनमना । काट कर दूर करना । ७. नष्ट करना। न्यमनस्क । २. व्याकुल । ३. चिंतित । उडाण-(ना०) १. उड़ने का काम । (स्त्री० उरणमरणी) उडान । २. शीघ्रगति । तेज चाल। उरणरी-(सर्व०) उसकी। ३. छलांग। उरणरै-(सर्व०) उसके । उडाणो दे० उडाड़णो। उणरो-(सर्व०) उसका । (स्त्री० उणरी) उडावरणो-दे० उडाड़णो। उरणहिज-(सर्व०) उसी । उसही। उडांगर-(न०) पक्षी। उणहीज-दे० उणहिज । उड़ियंद-(न०) चन्द्रमा । उणादि-(वि०) उ, उर, इर इत्यादि उडियण-(न०) उडुगण । तारा समूह । (प्रत्यय) । (व्या०) उडियारण-(न०) १. एक देश । २ साधुओं उणाम-(न०) १. उपद्रव । २. अशान्ति । के शरीर में लपेटने का एक वस्त्र । गाती। ३. खेती की वह नीची जमीन जिसमें वर्षा ३. आकाश । ४. उड़ान। ५. तारासमूह। का पानी इकट्ठा होकर गेहूं, चना उत्पन्न (वि०) १. डरावना । भयानक । २ ऊंचा। होता हो । उनाम । उनाव । उडियाणी-(ना०) शरीर को कस कर उणाव-दे० उणाम सं० ३ । बांधने का एक वस्त्र । गाती । २. पक्षी। उरणा-(सर्व०ब०व०) १. उन । २. उन्होंने । ___ गगनचर ।३. उडियाण देश का निवासी। उपाँरा-(सर्व० ब० व०) १. उनके । उडिंगळ-(क्रि० वि०) उच्च स्वर से । २. उनका। ऊंची ध्वनि से । खूब जोर की आवाज से उणार-(सर्व०ब०व०) उनके । For Private and Personal Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्यारो (१३) उरणांरो-(सर्व०००) उनका। उतरणो-(क्रि०) १. मुकाम करना । उरिण-(सर्व०) १. उस। २. उसने ३. उसी। ठहरना । मुसाफरी में विश्राम करना । उसही। ४. उसी ने। २. ऊपर से नीचे पाना। ३. सवारी उरिणयार-(वि०) समान । सदृश । अनु- आदि पर चढ़े हुए का सवारी करने से हार। (न०) १. समान मुखाकृति । पूर्व की स्थिति में (नीचे) पाना । २. सूरत । शक्ल । ४. किसी पद या अधिकार का छिन उणियारो-(न०) १. मुखाकृति । सूरत । जाना। ५. पहिने हुएव स्त्र, आभूषण शक्ल । २. सादृश्य । ३. अनुकरण । आदि का अंग से विलग होना । ६. भोजन ४. रूप। सामग्री का पक कर तैयार हो जाने पर उणियार-दे० उणियार । चूल्हे-भट्टी आदि से नीचे लिया जाना। उणिहारो-दे० उणियारो। ७. हिसाब, लेख आदि की प्रतिलिपि होना। उणी-(सर्व०) १. उसी । उसही । ८. वर्ष, मास आदि काल विभाग का २. उसीने । समाप्त होना। ६. छायाचित्र (फोटो) उणीज-दे० उरणहिज। खिंचना। १०. किसी वस्तु के भाव में मंदी आना। ११. कान्तिहीन होना। उत-(म०) सुत । पुत्र । (क्रि०वि०) वहाँ। १२. साँप, बिच्छू आदि के दंश का विष उधर । (उप०) एक उपसर्ग। कम होना । १३. अशीच-सूतक आदि के उतकंठ-(क्रि० वि०) उत्कंठापूर्वक । २. ऊपर को गरदन उठाये हुए। (वि०) कारण घढ़े आदि मिट्टी के बरतनों का उत्कंठित । २. आतुर । अव्यवहार्य होना। १४. चोट लगने के कारण जोड़ की हड्डी का अपने स्थान से उतकंठा-(ना.) १. प्रबल इच्छा । प्रातु खिसक जाना। १५. नदी-नाले आदि से रता । २. आशा। पार होना । १६. चाक, खराद, कल या उतणो-(वि०) उतना। साँचे आदि के द्वारा किसी वस्तु का तैयार उतन-(न०) १. वतन । जन्मभूमि । होना । १७. बुखार या सिरदर्द का कम २. देश । ३. निवास । ४. ठिकाना। होना । १८. नशे का कम होना । उतपत-(ना०). उत्पत्ति । १६. किसी वस्तु पर चढ़े हुए रंग या उतपन-(वि०) उत्पन्न । (क्रि०भूष्का०) मुलम्मे का फीका पड़जाना या उड़जाना। उत्पन्न हुआ। पैदा हुआ। २०. किसी वस्तु को धोने, छीलने या उतपात-(न०) १. ऊधम । २. शरारत । छिलके आदि दूर करने के बाद मूल वस्तु ३. उपद्रव । ४. विनाश कारक आपत्ति । उत्पात । ५. दुख । का (अनुमानित) तौल बठना। २१. प्रावेश या क्रोध आदि का कम होना। २२. किसी उतपाती-(वि०) १. नटखट । शरारती। व्यक्ति या वस्तु के प्रति मन की वृत्ति का .२. उपद्रवी । उत्पाती। उतबंग-(न०) सिर । मस्तक । उत्तमांग । हट जाना या कम हो जाना । २३. नदी उतमंग-दे० उतबंग। आदि जलाशय का पानी कम हो जाना । उतमाई-(ना.) १. उत्तमता। २. पवि- (अर्थ संख्या १ से ३ के अतिरिक्त त्रता । अच्छापन । ३. विशेषता । सभी व्याखाएँ सम्बन्धित संज्ञाओं के साथ खूबी। 'उतरणो' क्रिया के लगने से यौगिक रूप For Private and Personal Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उतरतो www.kobatirth.org ( १४४ ) तत्तत् अर्थी को प्रगट करती है । जैसे ( प्रथं क्रम से ) ४. हाकमी उतरणी । जागीरी उतरणी । ५. अंगरखी उतरणी । ६. रोटी उतरणी । सीरो उतरणो । ७. हिसाब उतररणो । ८. पखवाड़ो उतरण । ६. फोटू उतरणो । १०. भाव उतरणी । ११. मूंढो उतरगो । १२. जहर उतरणो । १३. मटकी उतरणी । १४. हाथ उतणो । १५. नदी सू पार उतररणो । १६. खराद सू चूड़ी उतरणी । १७. ताव उतररणो । १८. नशो उतरणो । १६. रंग उतरणो । २०. बिदामरा छिलका काढिया तो सेर री अधसेर उतरी । २१. रीस उतरणी । २२. मन उतरणो । २३. नदी रो पाणी उतरणो । उतरतो - ( वि०) १. जो तुलना में घटिया हो । २. निम्न श्रेणी का । हलके दर्जे का । ३. ऊपर से नीचे आता हुआ । उतरता हुआ । उतराई - ( ना० ) १. ऊपर से नीचे आने की क्रिया । उतरान । २. ढलान । ढळाव । उतरान । ३. नाव द्वारा पार होने या पार करने का काम । ४. नाव द्वारा पार करने की मजदूरी । ५. पार उतरने का कर । ६. उठाई हुई वस्तु को सहारा देकर नीचे रखवाने का काम । उतराखंड - ( न० ) १. हिमालय पर्वतप्रदेश का एक नाम। २. बदरी - केदार, गंगोत्री-यमुनोत्तरी और कैलाश आदि हिमालय का तीर्थ प्रदेश । ३. भारत के उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग । हिमालय पर्वत के आस पास का प्रदेश । उतरारण - ( न० ) १ उत्तर दिशा । २ उतार । ढलाई | ढलाव | उतराई । ३. सूर्य का उत्तरायण प्रवेश पर्व । मकर संक्रान्ति | उतराणो - ( क्रि०) १. उठाई हुई वस्तु को सहारा देकर नीचे रखवाना । उतराना । उतारणी उतरवाना । २. ऊपर से नीचे लाने में मदद करना । उतराद - ( न०) उत्तर दिशा । उतरादू - ( वि० ) १. उत्तर दिशा की ओर का । (श्रव्य ) उत्तर दिशा में । उतरादो -दे० उतरा । उतराध— दे० उतराद । उतराधी - दे० उतरा । उतराधू - दे० उतराद् । उतरावणो - दे० उतराणो । उतरासरण - ( न० ) मकान के द्वार पर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लगने वाले छज्जे के नीचे का पत्थर । उतंग - ( न० ) १. घोडा। २. सूर्यं । (वि० ) ऊँचा । उत्त ु ंग । उतंत - (वि०) उत्पन्न । उतरियोड़ो - ( वि० ) १ उतरा हुआ । २. व्याकुल । चितित । २. बेकार । उतरो - (वि०) उतना । 1 उताप - ( न० ) १. पीड़ा । दुख । २. रोग । उतार - ( न० ) १. कद, विस्तार या मात्रा आदि में कमी होते रहने का भाव । क्रमशः घटने की प्रवृत्ति । घटने की क्रिया । २. उतरने की क्रिया । ३. ढाळ । ढलाव । ४. घटाव | कमी । ५. पतन । उतार-चढाव - ( न०) १. उतरना चढ़ना । २. उतराई - चढ़ाई । ढलाव और चढ़ाव । नीचाई - ऊँचाई । ३. अवनति और उन्नति । पतनोन्नति । उताररण- ग्रब्ब - ( न० ) १. गवं उतारने वाला । गर्वभंजन । २. परमात्मा । उतारगो - ( क्रि०) १. ऊँचे से नीचे लाना । २. उठाई हुई वस्तु को नीचे रखना । ३. पहने हुए वस्त्र को शरीर से अलग करना । ४. निछावर करना । ५. निगलना । ६. पार ले जाना । ७. पद से हटाना । ८. श्राश्रय देना । ठहराना । ६. तैयार करना । १०. नकल करना । ११. उग्र प्रभाव दूर करना । For Private and Personal Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उतारू www.kobatirth.org उतारो - ( न०) १. विश्राम । २. ठहरने का स्थान । ३. ( १४५ ) उतारू - ( वि०) १. उपयोग में लाया हुआ । व्यवहृत । उतरन । २. सन्नद्ध । तत्पर । उद्यत । ३. नदी में से पार करने वाला । ४. प्रवासी । पड़ाव | बरात के ठहरने का स्थान 1 जनिवासा । ४. निवास स्थान । ५. किसी काम या उसकी व्यवस्था के संबंध की सूची । अवतरण । ६. प्रेत बाधा मिटाने की एक क्रिया | उताळ - दे० उतावळ । उताळो - दे० उतावळो । उतावळ - - ( ना० ) १. बेकरारी । सरगरमी । व्यग्रता । २. शीघ्रता । जल्दी । ३. चंचलता । श्रस्थिरता । ( क्रि०वि०) शीघ्र । जल्दी । ताकीद | उतावळो - (वि०) १. जल्दी करने वाला । उतावला । फुर्तीला । - जल्दबाज । २. जोशीला । ३. बेकरार । व्यय । ४. चंचल | अस्थिर । ( क्रि०वि०) झट | शीघ्र । उतिम - ( वि०) उत्तम । उत्कृष्ट । श्रेष्ठ । उतो - ( वि०) उतना । उत्कृष्ट - (वि०) श्रेष्ठ । उत्तम । उत्तम - (वि०) उत्कृष्ट । श्रेष्ठ । उत्तमता - ( ना० ) श्र ेष्ठता । उत्तमताई - दे० उतमाई । में उत्तम पुरुष - ( न० ) व्याकरण वह सर्वनाम जो बोलने वाले पुरुष का बोध कराता है । जैसे- मैं, म्हूं, हूं, म्हे, म्हां । उत्तमांग - ( न० ) १. सिर । २. मुख । उत्तर - ( न० ) १. जवाब | प्रतिवचन । २. उत्तर दिशा । ३. बरात को दहेज के रूप में दी जाने वाली विदाई । श्रोतर | ४. इनकार । मना । ५. बहाना । मिस । ६. शेष । बाकी । पीछे । ( क्रि०वि० ) पीछे | बाद । अनन्तर । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (उत्तरकांड -- ( न०) १. रामायण का शेष atus । २. किसी पुस्तक का शेष भाग । उत्तरकाळ (न०) वृद्धावस्था । उत्तरक्रिया -- ( ना० ) मरण की अंतिम क्रिया । उत्तरदायी - (वि०) जवाबदार | उत्तर दिशा - ( ना० ) दक्षिण दिशा के गमन । उत्तो- दे० उतो । उत्थान - ( न० ) सामने की दिशा । उदीची । उतरा । उत्तरपद - ( न० ) समास का अंतिम पद । उत्तर मीमांसा - ( ना० ) मीमांसा दर्शन का अंतिम भाग | वेदान्त । उत्तराखंड - दे० उतराखंड | उत्तराधिकार - ( न०) १. संपति का क्रमिक स्वत्व । विरासत । २. किसी व्यक्ति के मरने पर उसकी संपत्ति को पाने का अधिकार । उत्तराधिकारी - ( न०) वारिस | उत्तरायण - ( न०) सूर्य का उत्तर दिशा में उथम १. उन्नति । समृद्धि । २. उदय । ३. उठाव । उत्पत्ति - ( ना० ) १. उद्भव । २. जन्म | ३. उपज । पैदास । उत्पन्न - ( वि०) १. जन्मा हुआ । २. पैदा । ३. उद्भूत । उत्पात - दे० उतपात । उत्पाती - दे० उतपाती । For Private and Personal Use Only उत्सव - ( न० ) १. आनंद-मंगल का समय । २. धूमधाम । समारोह । ३. पर्व । त्योहार | उत्साह - ( न० ) १. उमंग । २. श्रानंद | ३. साहस । उथ - ( क्रि०वि०) वहाँ । उथड़गो - - ( क्रि०) १. गिरना । पड़ना । २. भिड़ना । लड़ना । उथप - ( न०) १. उल्लंघन । २. अवज्ञा । Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपपणो (१४६ ) उथपरणो-(क्रि०) १. उकताना । ऊबना। उदक-(10) १. पानी । २. दान । २. उखाड़ना । उथापना । ३. आज्ञा का ३. विधिवत संकल्प करके दान में दी हुई उल्लंघन करना । २. राज्यच्युत करना। भूमि, पशु प्रादि । ४. राज्य-कर से मुक्त ५. हराना । ६. उल्लंघना। इनाम या दान में दी हुई भूमि । उथळणो-(क्रि०) १. उलटना। २. उलट- उदकणो-(क्रि०) हाथ में जल लेकर पुलट करना। ___ संकल्प के साथ दान देना । उथळ-पुथळ-(ना०) १. हलचल । क्रान्ति। उदक-भोम-(ना०) संकल्प करके दी हुई २. उलटा-सीधा । क्रमभंग। ३. परि- दान की भूमि । वर्तन । ४. अव्यवस्था। (वि0) अव्य- उदग-दे० उदक। वस्थित । उलटा-सीधा । उदगणो–दे० उदकणो। उथळावणो-(क्रि०) १. उलटाना। उथ- उदगिरणो-(क्रि०) १. निगली हुई वस्तु लाना। २. पदच्युत करना। ३. उलटवाना। को बाहर निकालना। उगलना। २. उदउथलो-(न०) १. उत्तर । जवाब। २. किसी गरना। बाहर निकलना। ३. प्रगट बात, आवेश, रोग आदि की पुनरावृत्ति। होना। (वि०) १. थोड़ा गहरा । छिछला। उदग्ग-(वि०) १. ऊंचा। २. ऊंचा उठा उथळो-दे० उथलो। हुमा । उदग्र । ३. प्रचण्ड । उथाप-(न०) उत्थापन । उन्मूलन। उदगो-(क्रि०) १. उदय होना । उथापण-(वि०) उत्थापन करने वाला। २. उत्पन्न होना। ३. प्रकट होना । उन्मूलन करने वाला। उदध-(न०) उदधि । समुद्र । उथापरणो-(क्रि०) १. उखाड़ना । उन्मूलन उदधि-दे० उदध ।। करना । २. राज्यच्युत करना । ३. प्राज्ञा उदधि-मत-(वि०) गंभीर मति वाला का उल्लंघन करना। ४. पराजित करना। गंभीर बुद्धिमान । हराना। उदभव-दे० उद्भव । उथाप थाप-दे० उथाप सथाप। उदभिज-(न०) पेड़, पौधे आदि जो पृथ्वी उथाप-सथाप-(न०) उत्त्थापन और और में से उगते हैं । उद्भिज । स्थापन । (वि०) उत्त्थापन और स्थापन उदमाद-(ना०) १. उत्पात । २. उछलकरने वाला। पदच्युत और प्रतिष्ठित कूद । तोफान । शरारत । ऊधम । करने वाला। ३. जोश । ४. मस्ती। ५. मौज । उथिए-(क्रि०वि०) उधर । वहाँ । मानंद । ६. उत्साह । उमंग। ७. उन्माद । उथिये-दे० उथिए। पागलपन । ८. उद्योग । धंधा । उथेलगो-(क्रि०) १. उलटना । उलटा। ७. परिश्रम । करना । २. उलट-पुलट करना । उधमादी-(वि०) १. नटखट । शरारती । ३. पुस्तक का पन्ना उलटना। २. उत्पाती। ३. उन्मादी। पागल । उथेलो-(न०) १. जवाब । उत्तर । प्रति- ४. उत्साही । ५. मस्त । ६. परिश्रमी । वचन । उथळो। २. टूटे हुए सिलसिले की उदय-(न०) १. उदय । प्राकट्य । पुनः की जाने वाली चर्चा । ३. निर्णय । २. उद्गम । ३. निकास । ४. उन्नति । ४. उथलने की क्रिया। वृद्धि । For Private and Personal Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदयागरि ( १४७ ) उद्धार उदयागरि-(न०) १. एक कल्पित पर्वत उदीच-(ना०) उत्तर दिशा। उदीची। जिसके पीछे से सूर्योदय होना माना जाता उदीपन-(न०) १. उद्दीपन । प्रकाशन । है। २. मेरु। २. तापन । उत्तेजन । ३. काव्य में रसों उदयाचळ-दे० उदयगिरि । ___का विभाव विशेष । ४. उत्तेजना उत्पन्न उदयास्त-(न०) १. उदय और अस्त। करने वाले पदार्थ । ५. उभाड़। २. उन्नति और अवनति । चढ़ती-पड़ती। उदेई-(ना०) दीमक । वल्मीक । उदर-(न०) १. पेट । २. गर्भ । उदेग-(न०) १. उद्वेग । बेचैनी । उदरनिर्वाह-(न0) गुजारा। माजीविका। २. घबराहट । ३. चिन्ता । ४. मावेश । पेट भराई। जोश। उदरपूर्ति-(ना०) गुजारा । पेट भराई। उदै –दे० उदय । उदंगळ-(न०) १. लड़ाई । युद्ध । २. उप- उदैगिर-(न०) उदयगिरि । द्रव । उत्पात । ३. टंटा-बखेड़ा । उदो-(न०) १. उदय । २. भाग्योदय । ४. शोर । हो-हल्ला । ३. भाग्यकाल । ४. भाग्य । सौभाग्य । उदंड-(वि०) १. उद्दण्ड । अक्खड़ । ५. भवितव्यता । प्रारब्ध । ६. काल । उजड्ड । २. निडर । समय । ७. वृद्धि । बढ़ती । उन्नति । उदंत-(वि०) १. दाँत आने के पहिले की उदो प्राणो-(मुहा०) दुर्दिन पाना । अवस्था वाला (ऊँट)। वह जिसके दाँत भाग्य समाप्त होना। न निकले हों। २. बिना दाँतों का। उदोत-(न०) १. उद्योत । प्रकाश । २.तेज । ३. उद्यत । तत्पर । ४. प्रस्तुत । ५. उठाया उद्गम-(न०) १. अविर्भाव । निकास । हुआ । ६. उठता हुअा। ७. प्रज्वलित । २. उदय । (न०) प्रकाश । उद्योत । उद्घाटन--(न०) १. खोलना । उघाड़ना । उदार-(वि०) १. दानशील । त्यागशील। २. स्पष्टता । २. विशाल हृदय वाला । ३. सरल हृदय उद्दमी-(वि०) उद्यमी । उद्योगी। वाला । ४. श्रेष्ठ । ५. शिष्ट । उद्दिम-दे० उद्यम । उदाळणो--(क्रि०) १. नाश करना । दलन उद्देश-(न०) १. अभिप्राय । मतलब । करना । २. उलटा कर देना । ३. औंधा- २. हेतु। कारण । ३. अनुसंधान । मार देना। अन्वेषण । ४. नाम निर्देशपूर्वक वस्तु उदास-(वि०) १. खिन्न । २. दुखी। निरूपण । ५. अभिलाषा । उद्देश ।। ३. नाराज । ४. विरक्त । उद्देश्य-(न०) १. लक्ष्य । उद्देश्य । उदासी-(ना०) १. खिन्नता । ३. दुख । २. ध्येय । २. इष्ट । ३. नाराजी । विरक्ति । ५. एक संप्रदाय । उद्देस-दे० उद्देश । उदासी सम्प्रदाय । (वि०) त्यागी । उद्देस्य-दे० उद्देश्य । बिरक्त । वैरागी। उद्धत-(वि०)१. अविनयी। २. उच्छं खल । उदाहरण-(न०) दृष्टान्त । मिसाल । उद्धरणो-(क्रि०) १. उद्धार करना । दाखलो। २. उद्धार होना । ३. धारण करना । उदियाचळ-(न0)उदयाचल । उदयगिरि। उद्धार--(न0) १. मुक्ति । छुटकारा । उदियापुर-(न0) उदयपुर नगर । निस्तार । २. दोषमोचन । ३. सुधार । H For Private and Personal Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उद्योर ( १४ ) उधार-लहणो उद्घोर-दे० उद्धार । उधार । वस्तु) का लेन-देन । ३. गाहकों में लेना उद्भव-(न०) १. जन्म । उत्पत्ति । रुपया। तकाजा । उघाई। लेनदारी । उद्यम-(न०) १. परिश्रम । २. उद्योग। (सं०पु०) ४. उद्धार । मुक्ति । छुटकारा। घंधा। काम । ३. यत्न । प्रयास। उधार करणो-(मुहा०) १. नाम पर ४. पुरुषार्थ । लिखकर माल बेचना । रुपया बाकी रख उद्यमी-(वि०) उद्यम करने वाला। कर माल बेचना। २. उद्धार करना । उद्यान-(न0) बाग । बगीचा। उधार खातो-(न०) अल्पकालिक उधार उद्योग-(न०) १. धंधा। रोजगार । दी गई या ली गई रकमों (रुपया-पैसा २. प्रयत्न । चेष्टा । कोशिश । ३. परि- आदि) का अस्थाई (प्रायः बिना ब्याज का) श्रम । खाता । २. उधार। उद्योत-(न०) प्रकाश । तेज । उधारण-(न०) समुद्र । (वि०) उद्धार उद्योतवंत-(वि०) प्रकाशमान । जाज्वल्य- करने वाला। मान । उधारण-अळियळ-(न०) समुद्र । उद्रक-(न०) डर । भय । उधारणीक-(वि०) १. ऋणपत्र का एक उद्रावणो-(क्रि०) भय दिखाना । डराना। पारिभाषिक शब्द । ऋण लेने वाला। (वि०) भयावना । डरावना । उद्धारणिक । ३. रुपये उधार लेकर उद्रेक-(न०) वृद्धि । अधिकता । खत (दस्तावेज) लिखकर देने वाला । उधड़णो-(क्रि०) १. सिले हुए का टांका ऋणपत्र लिख कर देने वाला। टूट जाना । २. उखड़ना । उधारणीनाम-(न०) १. ऋण पत्र उधमणो-दे० ऊधमणो। (दस्तावेज) का एक पारिभाषिक पद । उधरणो-दे० उद्धरणो। २. ऋण लेने वाले का नाम । ३. ऋण उधरत-(ना०) १. वह लेन-देन जिसको पत्र (खत) लिखाने वाले का नाम । (कच्ची रोकड़-बही में से) पक्की रोकड़- आसामी का नाम । ४. खत (दस्तावेव) बही में नहीं लिखा जाता है। २. अल्प में लिखे जाने वाले ऋणी का नाम । समय के लिये बिना ब्याज की जाने वाली उधारणो-(क्रि०) १. उधार ले जाने लेन-देन । ३. निश्चित अल्प कालिक वाले के नाम पर बही में लिखना। अवधि के अंदर (जिसमें रकम का ब्याज २. बही में लेखे (उधार) बाजू में रकम नहीं चढ़ता) लेन-देन का चुकता किया का लिखना। उधार की नोंध करना । जाना। ४. बिना लिखा लेन-देन (ऋण)। ३. उधार बाजू में खर्च की रकम लिखना। जबानी लेन-देन । ४. उद्धार करना । निस्तार करना। उधळणो-दे० ऊधळपो।। उधारनूध-दे० उधार बही । उधळियोड़ी-दे० ऊधळियोड़ी। उधार बही-दे० उधार वही । उधार-(ना०) १. पैसे बाकी रखकर की उधार-लहरणो-(न०) ग्राहकों को उधार गई माल की खरीदी। बाद में चुकाने की दिये हुए माल के बकाया रुपये । नियत से नाम पर लिखवाकर की गई (क्रि०) १. नाम पर लिखवाकर माल खरीदी । २. बाद में चुका देने की नियत खरीदना। २. नाम लिखवाकर रुपये से किया जाने वाला रुपये-पैसे (या किसी लेना। For Private and Personal Use Only Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वही उधार - वही - ( ना० ) १. उधार दिये हुए माल की रकम अथवा दी गई रोकड़ी रकम लिखने की बही । २. उघाई की नोंध । उधारियो - (वि०) उबार लेने वाला । उधारिया । उधारी - (वि०) उधार दी हुई या ली हुई (वस्तु) । उधारी घड़ - ( ना० ) १. नहीं लड़ी हुई सेना । २. प्राश्वस्त सेना । ३. वह शत्रु सेना जो विजेता ने अपने अधिकार में कर ली हो । ४. पराजित सेना । उधारी घड़ - गहण - (वि०) १. शत्रु की सेना के ऊपर अधिकार करने वाला । २. दूसरे की सहायता के लिए युद्ध करने वाला । ३. परोपकार के लिए युद्ध का आह्वान करने वाला। (न० ) मुँहता नैणसी का एक विरुद | उधारो - (वि०) उधार दिया हुआ । उधियार - ( ना० ) १. विलम्ब । देर । २. उधार । लेनदारी । उधेड़ो - ( क्रि०) १. सिलाई को खोलना । २. खाल उतारना । ३. परतों को अलग अलग करना । ४. चीरना- फाड़ना । उधोर - (वि०) १. बीर । बलिष्ठ । २. लंबे कद वाला । डीघो । ( न० ) १. उद्धार । २. उठाना । उधोरण - ( क्रि०) १. उद्धार करना । २. उठाना । उनग - (वि०) नग्न | नंगा | उनगरणो- दे० उनंगणो । ( १४६ ) उनथ -- ( वि०) १. जिसके नाक में नथ नहीं हो । जिसके नाक में नकेल नहीं डाली गई हो । ३. बंधन रहित । ४. स्वतन्त्र । उनथ नथ - (वि०) १. नकेल रहित के नकेल डालने वाला । २. बंधन रहित को बंधन में डालने वाला । ३ वश में नहीं होने वाले को वश में करने वाला । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उनाळो उनमरणो- दे० उनमनो । उनमत - ( वि० ) १. उन्मत्त । पागल । २. मदान्ध । उनमत्त - दे० उनमत । उनमद -- ( न० ) उन्माद । मस्ती | ( वि० ) मस्त । मतवाला । उनमनो- (वि०) १. व्याकुल । २. दुखी । ३. अन्यमनस्क । अनमना । खिन्न | उदास । उनमाद - ( न०) १. उन्माद । पागलपन । २. नशा । उनमादक - (वि०) उन्मत्त बनाने वाला । उन्मादोत्पादक । ( न०) कामदेव का एक बारण । उनमान - ( न० ) १. अनुमान । अंदाज । ( fro ) १. थोड़ा । कम । २. परिमाणानुसार । ३. समान । बराबर । उनमानरणो - ( क्रि०) अनुमान करना । अटकलना | उनंगरणी - ( क्रि०) १. प्रहार करने को शस्त्र उठाना । २. प्रहार करना । ३. तलवार को म्यान से बाहर निकालना । ४. नंगा करना । ५. नंगा होना । उनाम - ( न० ) थल प्रदेश का वह भूमि भाग जिसके खेतों में वर्षा का पानी इकट्ठा हो जाता है । २. वह खेत जिसमें (बिना सिंचाई के ) वर्षा की नमी से गेहूं और चना उत्पन्न होता हैं। सेंवज खेत । ३. नोची भूमि । ४. जलाशय । उनाळू - (विc ) ग्रीष्म ऋतु संबंधी । ग्रीष्म ऋतु का । उनाळ वायरो - ( न०) नैऋत्य कोण की For Private and Personal Use Only उनाळू साख - ( ना० ) वसंत ऋतु में काटी जाने वाली फसल । वासंतिक । कृषि | ग्रीष्म शाख । रबी की फसल । उनाळो - ( न० ) ग्रीष्म ऋतु । गरमी का मौसम | Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उनावें उनाव- दे० उनाम | उनींदो - (वि०) जो नींद में हो । निद्रित । निद्रायमान | ( क्रि०वि० ) निद्रा त्याग कर । उनै - ( क्रि०वि०) वहाँ । उधर । ( सर्व० ) उसको | उन्नत - ( वि०) १. ऊँचा । श्रेष्ठ । ३. आगे बढ़ा हुआ । उन्नति - ( ना० ) १. ऊँचाई । २. सुधार । ३. महत्ता । ४. तरक्की । बढ़ती । उन्मत्त - ( वि० ) १. पागल । २. बेसुध । ३. मतवाला । ४. अहंकारी । ( १५० ) उन्माद - - ( न० ) १ . पागलपन । २. एक रोग । उप -- ( उप० ) एक उपसर्ग जो शब्दों के पूर्व लगकर उनमें समीपता, सादृश्य, सामर्थ्य, व्याप्ति, शक्ति, गौणता तथा न्यूनता के अर्थों को प्रकाशित करता है । उपकथा - ( ना० ) मुख्य कथा के अंदर की छोटी कथा । उपकरण - ( न० ) १. साधन । २. सामग्री । ३. औजार । ४. राजा के छत्र चामर आदि । उपकार -- ( न०) १. नेकी | भलाई । २. अहसान । कृतज्ञता । ३. लाभ । उपकारी- (वि०) उपकार करने वाला । उपक्रम - - ( न० ) १. आयोजन । तैयारी । २. अनुष्ठान । ३. भूमिका । उपक्रमरगो - ( क्रि०) १. प्रायोजन करना । २. भूमिका बाँधना । ३. तैयारी करना । ४. भूमिकानुसार कार्य को शुरू करना । ५. शुरू करना । ६. पहुँचना । ७. आगे बढ़ना । उपखान- न - ( न० ) उपाख्यान | कथा | उपखीग - (वि०) फटा - मैला (वस्त्र) । उपगरणो - ( क्रि०) १. प्राप्त करना । २. प्राप्त होना । ३. अधिकार में होना । ४. लेना | ग्रहण करना । उपगार - उपकार । उपखड़ांगो उपगारण - (वि०) उपकार करने वाली । उपगारी - दे० उपकारी । उपचार - ( न० ) १. चिकित्सा | इलाज | २. व्यवहार । प्रयोग । ३. पूजा । ४. पूजाविधि । ५. संस्कार । ६. साधन । ७. मिथ्या कथन । ८. खुशामद । ६. सेवासुश्रुषा । उपज - ( ना० ) १. खेत में उपजा अन्न आदि । पैदावार । २. उत्पत्ति । ३. समझ । बुद्धि । ४. बुद्धिस्फुरण । सूझ । उक्ति । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपजरण - ( न० ) १. जन्म । २. उत्पत्ति । उपजणो - ( क्रि०) १. उपजना । सूझना । ध्यान में आना । २. उगना । ३. उत्पन्न होना । पैदा होना । ४. जन्म लेना । उपजाऊ - ( वि०) १. जिसमें अधिक और अच्छी उपज हो । उर्वर । २. फलद्र ुप । उपजारो - ( क्रि०) १. उत्पन्न करना । पैदा करना । बनाना । २. उगाना । उपजावणो - दे० उपजाणो । उपट - ( न० ) १. उठाव । उभार । २. लहर । तरंग । ३. उदारता । ४. दान ५. उखाड़ पछाड़ । उपटरणो - ( क्रि०) १. उमड़ना । २. उभरना । ३. उछलना । ४. उखड़ना । उपडंखणो - ( क्रि०) १. प्राक्रमण करना । २. प्रस्थान करना । ३. क्रोध करना । ४. शल्य रूप होना । उपड़गो - ( क्रि०) १. किसी वस्तु का ऊपर उठना । २. उठना । उठाया जाना । ३. उमड़ना । ४. उभरना । ५. घटा का उठना । ६. चलना । ७. दौड़ना । ८. खर्च होना । उपड़ाणो - ( क्रि०) १. उठवाना । २. बो को कंधे या सिर पर रखवाना ! भार उठवाना । उपड़ावरणो- दे० उपड़ाणो । उपड़ाँखरगों - दे० उपडंखणो । For Private and Personal Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपड़ोखियो उपरल्यां उपडाँखियो-दे० उवडाँखियो । उपमा-(ना०) १. सादृश्य । समानता । उपत-(ना०) १. उपज । २. उत्पत्ति ।। २. मिलान । तुलना। ३. एक अर्था३. आमदनी । कमाई। लंकार । उपदरो-दे० उपद्रव । उपमारण-(न०) १. जिस से उपमा दी उपदेश-(न०) १. शिक्षा । २. नसीहत ।। जाय वह पदार्थ । २. सादृश्य तुल्यता । उपदेस-दे० उपदेश । ३. दृष्टान्त । ४. प्रमाण विशेष । उपदेसणो-(क्रि०) उपदेश करना। उपमाता-(ना०) १. धाय । २. अपर माता। उपद्रव-(न०) १. उत्पात । २. विप्लव । ३. गृह-कलह। ४. भूतादि का आवेश । उपमान-दे० उपमारण । ५. संकट । ६. लड़ाई । ७. रोग । उपमेय-(वि०) जिसकी उपमा दी जाय । वर्ण्य । बीमारी। ८. महामारी । ६. बीमारी उपयुक्त-(वि०) योग्य । उचित । में अन्य बीमारी। उपयोग-(न०) १. व्यवहार । प्रयोग । उपद्रवी-(वि०) उपद्रव करने वाला । इस्तेमाल । १. लाभ । ३. आवश्यकता । उत्पाती। ४. प्रयोजन । उपधातु-(ना०) मिश्र धातु जैसे-काँसा, उपरणी-(ना०) १. खिड़कियां या चूंचपीतल मादि । दार पाघ के ऊपर बाँधी जाने वाली उपनगर-(न०) नगर का बाहरी भाग ।। विभिन्न रंग की एक छोटी पगड़ी। स्थाई सर्बब। रूप से बंधी हुई पगड़ी के ऊपर छोटी उपनयो-(क्रि०) उत्पन्न होना । पगड़ी। २. ओढ़ने का छोटा वस्त्र । उपनाम-(न०) दूसरा नाम । दुपट्टी। उपनायक-(न०) नाटक वार्तादि में मुख्य उपरणो-(न०) १. ऊपर से प्रोढ़ने का नायक का सहकारी नायक । वस्त्र । चादर । पिछोड़ी। उपनायिका-(ना०) मुख्य स्त्री पात्र के उपरम-(न०) १. अंतर्धान । लुप्त । बाद का दूसरा स्त्री पात्र । विलीन । २. उपराम । विरति । उपनियम-(10) पेटानियम । ३. विश्राम । आराम । ४. मृत्यु । . उपनिषद--(न०) वेद की शाखानों के ५. संन्यास। ब्राह्मण ग्रंथों के वे अंतिम भाग जिनमें उपरमरणो-(क्रि०) १. अंतर्धान होना । ब्रह्मविद्या का निरूपण किया हुआ होता विलीन होना । २. खिसक जाना । ३. उपराम होना। निवृत्त होना । विरक्त उपन्नो-(वि०) उत्पन्न । (भू०क्रि०) उत्पन्न होना। ४. पाराम करना । विश्राम हुआ। (स्त्री० उपन्नी)। करना। ५. मरना । । उपभाषा-(ना०) मुख्य भाषा का गौण उपरल्याँ-(नाब०व०) १. वायु में विचभेद । बोली। रण करने वाली वात-प्रकोप की कल्पित उपभोग-(न०) किसी वस्तु के व्यवहार लोक देवियाँ । मैलड़ियां, मावड़ियां, का सुख । २. किसी वस्तु को उपयोग में बायांसा आदि । २. एक वात रोग । लेना। वात पीड़ा। ३. बच्चों का एक वात उपमंत्री-(न०) सहायक मंत्री। रोग । बाल लकवा। For Private and Personal Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपरवाड़ो उपाय उपरवाड़ो-दे० ऊपरवाड़ो। उपरोक्त-(वि०) ऊपर कहा हुप्रा।। उपरंच-दे० अपरंच । उपरोथळी-(क्रि० वि०) ऊपरा-ऊपरी । उपरंत-(क्रि० वि०) १. अतिरिक्त । ऊपर-ऊपर । सिबाय । २. अनन्तर । बाद में । पीछे। उपल-(न०) १. पत्थर । २. रत्न । ३. बढ़कर। (वि०) १. अतिरिक्त। ३. प्रोला । ४. बादल । २. अधिक । दे० उपरांत । उपवन -(न०) बगीचा। उपराणो--(क्रि०) १. दुखी होना । उपवस्त्र-(न०) दुपट्टी। चादर । उपवास—(न०) १. अनाहार व्रत । भूखे २. घबराना । ३. ऊपर पाना । उपराम-दे० उपरम । रहकर भजन करने का (एक दिन-रात का) व्रत । २. लंघन । उपरामणो-दे० उपरमणो। उपबीत-(न०) यज्ञोपवीतः। जनेऊ । उपराळी-दे० उपराळो । उपवेद-(न०) वेदों में से निकली हुई उपराळो--(न०) १. सहायता । २. सिफारिश। ३. पक्ष । तरफदारी। (वि०) । विद्याएँ । प्रायुर्वेद, धनुर्वेद, गांधर्ववेद और १. बचा हुआ । शेष । २. अधिक । स्थापत्य शास्त्र इत्यादि। उपसणो-(क्रि०) १. (व्रण का) उठना । उपराँठ-(ना०) १. शरीर का पृष्ठभाग । २ फूलना । फूलकर मोटा होना । पेट के पीछे का भाग । पीठ । २. अप्रस ३. उभरना। नता। ३. टेढ़ाई। वक्रता । (वि०) उपसंहार-(न०) १. पुस्तक का अन्तिम १. अप्रसन्न । २. टेढ़ा । विमुख । प्रकरण जिसमें पुस्तक का संक्षेप में निर्दे(क्रि०वि०) पीठ की ओर । पीछे की शन किया हुआ होता है । २. सारांश । पोर । उपस्थ (न०) १. लिंग । २. भग । उपराँठी बाहाँ-(नब०व०) उल्टी मुश्क। उपस्थकच-(न0) गुह्यन्द्रिय के बाल । पीठ की ओर मोड़ कर बाँधे हुए हाथ। उपस्थित-(वि०) विद्यमान । हाजिर । उपराँठो-(वि०) १. विरुद्ध । २. विमुख। उपहार-(न०) भेट । असम्मुख । ३. अप्रसन्न । ४. टेढ़ा । उपहास-(न०) हँसी। मश्करी । वक्र । ५. पीठ फिराया हुआ । पीठ दिया उपाख्यान-(न०) १. छोटा पाख्यान । १. अंतर्कथा । ३. वृत्तान्त । उपरांत-(वि०) १. विशेष । अधिक । उपाड़-(न०)१. फोड़ा। वरण । २. उठाव । २. पावश्यकता से अधिक । अतिरिक्त । ३. खर्च । खपत । ४. बोझा । भार । ३. इससे अधिक । (क्रि०वि०) १. आगे दे० उपाड़ो। जाकर । बढ़कर । २. अनन्तर । पीछे। उपाडगो-(क्रि०) १. ऊँचा करना । बाद में। ३. इस पर भी । ४. नहीं हो उठाना। २. उखाड़ना। ३. खर्चा करना । तो । ५. इससे प्रागे। ४. कर्जा करना । लेना । थामना । उपरांयत-(ना०) १. प्रोढ़ने की राली। ६. बोझा उठाना । ७. (बच्चे को गोदी २. मोढ़ने के वस्त्र के ऊपर प्रोढ़ा जाने में) उठाना। कमर में उठाना । वाला दूसरा वस्त्र । ३. दोहरा ओढ़ना। उपाड़-(वि०) अधिक खर्चा करने वाला। दे० उपरांत । खर्चीला। For Private and Personal Use Only Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपाड़ो । १५३) उफताणो. उपाड़ो-(न०) १. खची। २. अपने खाते में भागीदार के द्वारा समय-समय पर उठाई गई रकम । ३. व्यवसाय में से घर खर्च के लिए उठाई गई रकम। ४. असामी (कृषक) के द्वारा बोहरे के यहां से समय समय पर कर्ज ली हुई कुल रकम । ५. वर्ष भर घर का खर्चा। ६. उठाया जा सके उतना बोझा । ७. किसी वस्तु का उतना भार जो एक बार में लिया या उठाया जा सके। ८. विवाह, प्रोसर-मौसर, मकान बनाने इत्यादि पर किया गया नैमित्तिक खर्च । ६. प्रारंभ । १०. लकड़ी, काँटे, घास आदि का काटकर बनाया हुआ ढेर । उपाध-(ना०) १. उपाधि । संकट । आफत । विघ्न । २. उपद्रव । ३. शरा- रत। ४. बदमाशी। ५. तकलीफ । कष्ट । उपाधि-(ना०) १. पदवी। खिताब । २. उपद्रव । ३. संकट । ४. कष्ट । तकलीफ। उपाधी--दे० उपाधि । उपाधियो-(न०)१.उपाध्याय । २. अध्या पक। ३. एक अल्ल । एक उपगोत्र । उपाध्याय-दे० उपाधियो। उपाय-(न०) १. युक्ति । तरकीब । २. पास पहुँचना । ३. इलाज । ४. साधन । ५. प्रयोग। उपायण-(वि०) उत्पन्न करने वाला। रचना करने वाला। उपायस-(न०) १. उपाय । प्रयत्न । २. उत्पत्ति । ३. आमदनी। पैदाइश । (भ० क्रि०) डत्पन्न करेगा। (भ० क्रि०) उत्पन्न किया। उपालंभ-(न०) १. शिकायत । २. उला__ हना। आपको । पोळभो।। उपाळो-(कि० वि०) १. पैदल । बिना सवारी। २. नंगे पैर । पाळो । उपाव-(न०) १. उपाय । प्रयत्न । २. युक्ति । तरकीब । ३. लड़ाई । झगड़ा । दे० उपाय । उपावरण- दे० उपायण । उपावणो-(क्रि०) १. उत्पन्न करना । पैदा करना । २. निर्माण करना । उपाश्रय-दे० उपासरो। उपास-दे० उपवास । उपासक-(न०) १. भक्त । २. साधक । ३. अन्यायी। उपासना---(ना०) अाराधना। उपासरो- (न०) जैन साधुत्रों के रहने का स्थान । उपाश्रय । २. पाठशाला । उपासी-(वि०) उपासना करने वाला। उपासक । उपेक्षा-(ना०)१. धृणा । घिन । नफरत । २. तिरस्कार । अनादर । ३. उदासीनता । खिन्नता । ४. त्याग । उपेजो-दे० उपज । उपेत-(व०कि०) प्रोपता है । शोभा पाता है। (वि०) १. विशिष्ट । २. प्राप्त । (अव्य०) समेत । सहित । उपोढणो - (क्रि०) १. जागता। २. सोते हुए का उठ बैठना । प्रपोढ़यो । उप्रवट-(ना०) १. सहायता। २. सिफारिश । (अव्य०) उपरान्त । (वि०) १. अधिक । २. गर्वीला । गर्वित । ३. क्रोधी। (क्रि०वि०) आगे होकर । बढ़कर । उफण-(न०) १. उफान । उबाल । २. जोश। उफणणा-(कि०) १. उफनना । उब लना । २. हवा में उड़ाकर भूसा और अन्न को अलग करना । ओसाना । २. अत्यन्त क्रोध करना । उफतणो-(क्रि०) उकताना । ऊबना । हैरान होना। २. उफनना । क्रोध करना । उफतारणो-दे० उफतणो। For Private and Personal Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उफतावणो (१५४) उमड़यो उफतावणो-दे० उफतणो । उबाँबरो-दे० उबंबरो। उफाण-(न०) १. उफान । उबाल । उबेड़णो-(क्रि०) १. उखाड़ना। २. जुड़े २. जोश । ३. क्रोध । हुए को अलग करना। ३. तोड़ना। उफागो-दे० उफारण। उबेड़ो-(न०) १. शकुन में दाहिनी बाजू । उफारू-(वि०) आकार में उभार वाली २. दाहिनी बाजू का शकुन । (वि०) और बड़ी किन्तु वजन में हलकी। १. दाहिनी ओर से होने वाले शकुन से उबकणो-(क्रि०) १. के करना । वमन सम्बन्धित । २. टेढ़ा । विरुद्ध । करना। २. जोश करना। ३. जोश में उबेळ-(ना०) १. सहायता । मदद । आना । ४. उमड़ना । छलकना । २. रक्षा । बचाव । उबकाई-(ना०) १. वमन । के । उलटी। उबेळगो-(क्रि०) १. सहायता करना । २. मितली । उबड़ाक । मतली। २. रक्षा करना । ३. उखेलना । उबटणो-(न०) उबटन । पीठी । (क्रि०) उबेळ -(वि०) १. सहायता करने वाला। रंग का फीका पड़जाना या उड़ जाना । २. रक्षा करने वाला। उबड़गो-(क्रि०) १. सौध में से टूटना । उभय-दे० उमै । २. उखड़ना । ३ टूटना। उभराणो-दे० उबाणो। उबड़ाक-दे० उबकाई। उभार-(न०) १. उठाव । २. ऊँचाई। उबरेळो-(न०) १. वर्षा का बंद होना। ३. वृद्धि । आकाश का वर्षा और बादलों से रहित उभारणो-(क्रि०) १. उभारना । ऊँचा होना । २. बंद । समाप्त । रोक। उठाना। २. उकसाना । ३. धारण उबळगो--(क्रि०) १. खोलना । उफनना। करना । २. क्रोध करना । गरम होना । उभाँवरो-(वि०) १. खानाबदोश । उबंबरो-(वि०) १. बीर । बहादुर । २. भ्रमणशील । ऊभां खुरो। २. ऊँचा । श्रेष्ठ । उभै-(वि०) उभय । दोनों। उबाक--दे० उबकाई। उभ्रत-(क्रि०वि०) १. दूर करके । उबारणो-(न०) नंगे पांव । जूती रहित २. संशय हटा करके । ३. समाधान पाँव । (वि०) १. नंगे पैरों वाला। करके । जूती रहित पाँवों वाला। २. कोश उमक-(वि०) १. भूखा । २. दुखी । रहित । म्यान रहित । (स्त्री० उबाणी)। ३. नहीं छका हुा । अतृप्त । उबारणो-(क्रि० १. उबारना । बचाना। उमगरणो-दे० उमंगणो। २. उद्धार करना । मुक्त करना। उमटणो- (क्रि०) १. उमड़ना । बढ़ना। उबारो-(न०) १. बचा हुआ अंश । २. जोश करना । जोश में आना। बचत । २. शेष । ३. लाभ । ३. क्रोध करना। उबाळ-(न०) १. उफान । उबाल । उमड़णो-(क्रि०) १. घटा छाना । २. जोश । आवेश। २. घटा का वेग के साथ चढ़ पाना । उबाळणो-(क्रि०) उबालना । खौलाना। ३. समूह रूप में आगे बढ़ना । ४. (पानी उबाळो-दे० उबाळ। का) अधिक वेग से बना। ५. उठना । उबासी-(ना.) जम्हाई । जंभाई। ऊंचा आना। For Private and Personal Use Only Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उमणो (१५५) उरणियो उमरणो-दे० उणमणो। उमियावर- (न0) शिव । महादेव । उमणो-दुमणो-(वि०) उन्मना-दुर्मना । उमिरायत-दे० अमीरात । उद्विग्नचित्त । उदास । उमीर-दे० अमीर । उमदा-(वि०) अच्छा । बढ़िया। उमेद-(ना०) १. उम्मेद । आशा । उमराव-(न०) १. श्रीमंत । २. अमीर। २. भरोसा । विश्वास । ३. आसरा । ३. धनी। रईस । ४. सरदार । जमींदार। उमेरणो-(क्रि०) पूर्ति करना। कमी पूरी ५. राजा। ६. बादशाह के दरबार का करना । और मिलाना। हिन्दू राजा। उमेरो-(न०) १. पूर्ति । २. वृद्धि । उमराव वनी-(ना०) वैवाहिक लोकगीतों उमेश-(न०) महादेव । शंकर । की एक नायिका । २. दुलहिन । उर-(न०) १. हृदय । २. वक्षस्थल । उगराव-वनो- (न०) १. वैवाहिक लोक छाती । ३. लक्ष । गीतों का एक नायक । २. दुलहा। उरग-(न०) सर्प । साँप । उमळको-(न०) १. स्नेह प्रेरित उत्साह उरग कोळी-(न०) गरुड़ । का उफान । २. भावावेश । उरज-(न०) १. स्तन । कुच । २. शक्ति। उमंग-(ना०) १. उत्साह । उल्लास । बल । ३. वृद्धि । ४. कार्तिक मास । २. अभिलाषा । उरजस-(न०) १. अोज । कान्ति । उमंगणो-(क्रि०) १. उमंग में आना । २. बल । शक्ति। ३. गर्व । इच्छा । प्रसन्न होना । २. उत्साहित होना। अभिलाषा । ५. अवसर । ३. उमड़ना । उमंग से बढ़ना। उरड़-(ना०) १. बलात् प्रवेश। २. धक्का । उमंडणो-दे० उमड़णो। टक्कर । ३. मुकाबिला । टक्कर । उमा-(ना०) १. पार्वती । २. दुर्गा । ४. साहस । ५. युद्ध । ६. रगड़ । उमाद-(न०) उन्माद । पागलपन । ७. अाक्रमण । ८. स्वपराक्रम । ६. खींचा. उमादे-(ना०) १. जोधपुर के राव मालदेव तानी । झपटा झपटी । १०. कामना । (१५८८-१६१६ वि०) की रानी उमादेवी उरणो-(क्रि०) १. भीड़ को लांघकर भटियानी । (यह स्वाभिमानी रानी 'रूठी आगे बढ़ना । २. धक्का मारकर भीड़ में रानी' के नाम से प्रसिद्ध हुई और एक घुसना । बलपूर्वक घुसना। ३. सीना लोकदेवी की भाँति पूजी जाती है)। तानकर आगे बढ़ना । ४. लड़ना । २. एक लोक गीत । ५. आक्रमण करना। ६ साहस करना । उमादो-(वि०) उन्माद ग्रसित । पागल। उरड़ो-(न०) १. टक्कर । धक्का । उमापति-(न०) महादेव । २. चौड़ाई। ३. छेद की चौड़ाई । उमायो-(वि०) १. उमंग से प्रेरित । ४. समेटी हुई वस्तु की परतों को खोल २. उमंगवाला। (क्रि०वि०) अनुरक्त होकर । कर फैलाने का भाव । प्रसार । फैलाव । उमावो-(न0) १. उत्साह । उमंग । (वि०) १. चौड़ा। २. खुला हुआ । २. लगन । अनुराग । अनुरक्ति । विस्फुरित । विस्फारित । ३. फैला हुआ। उमाहणो-दे० ऊमाहणो।। विस्तीर्ण। उमाहो-दे० उमावो। उरणकी-(ना०) भेड़ । उमिया-(ना०) उमा । पार्वती । उरणियो-(न०) भेड़ का बच्चा । मेमना । For Private and Personal Use Only Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उरदुते उलखणो उरदुत-(ना०)१. उरोजा ति । उरोद्य ति। उराट-(न0) १. छाती । २. हृदय । स्तनों की शोभा । २. उरोजद्वय । युगल- उरासणो-(क्रि०) १. कुएँ में चरस को स्तन । ३. स्तन । पानी भरने के लिये ऊंचा नीचा करना । उरध-(न०) आकाश । (वि०) ऊर्ध्व । २. चरस को कुएँ में उतारना। ऊंचा। उराँ-ढालाँ-(वि०) १. ढाल के समान दृढ़ उरधगत-(ना०) १. ऊर्ध्वगति । ऊंची और उठे हुये वक्ष वाला। जिसका वक्षगति । २. स्वर्ग । ३. स्वाभिमान । (वि०) स्थल ढाल के समान दृढ़ है। २. चौड़ी १. स्वाभिमानी । २. बलाभिमानी । छाती वाला। ३. साहसी। हिम्मतवाला। स्वबली । ३. ऊंची गतिवाला। उरिण-(वि०) उऋण । ऋणयुक्त । उरधपूड--(न0) १. वैष्णवी तिलक । उरिया-(क्रि०वि०) इस ओर । इधर । ऊर्ध्वपुण्ड्र । श्रीमुद्रा। २. विशिष्ट सम्प्र- उरेखणो-(क्रि०) १. चित्रित करना । दायों के भिन्न-भिन्न प्रकार के खड़े तिलक। चित्र बनाना। २. ढाँचा बनाना । रेखा३. खड़ा तिलक । चित्र बनाना । रेखांकित करना । ३. अनुउरधरेख-(ना०) हथेली तथा तलुवे की मान करना । ३. देखना । ५. जानना। सौभाग्य सूचक एक खड़ी रेखा । ऊर्ध्व- उरेब-(न०) १. बुनावट से टेढ़ा काट कर रेखा (सामु०)। की जाने वाली एक प्रकार की सिलाई । उरधलोक-(न०) ऊर्ध्वलोक । स्वर्ग । २. बुनावट से टेढ़ा। (वि०) टेढ़ा । उरप-(न०) नृत्य का एक प्रकार । तिरछा । उरबाणो--दे० उबाणो। उरेव-(न०) १. हृदय । (वि०) हृदयस्थ । उरमी - दे० ऊर्मी। हृदय में स्थित । उरमंडण-(न०) १. स्तन । २. पुष्पमाला। उरेहणो-दे० उरेखणो। ३. रत्नजड़ित सुर्वण हार । उरै-(क्रि०वि०) इस ओर । इधर । उरळाई-(ना०) १. विस्तार । विस्तृति। उरो-(अव्य०) किसी क्रिया शब्द के साथ फैलाव । २. अवकाश । ३. खुली जगह। प्रयुक्त होने वाला निकटस्थ निश्चय सूचक ४. चौड़ाई। एक अव्यय । इसका प्रयोग-'यहाँ, इधर उरळो-दे० उरड़ो। और 'इस ओर' इस भावार्थ में होता है। उरवड़-दे० उरड़। यह 'उरै' शब्द का एक रूप है। इसका उरस-(न०) १. स्वर्ग । २. आकाश । स्त्रीलिंग 'उरी' और बहुवचन 'उरा' है । ३. वक्षःस्थल । ४. हृदय । ५. प्रौलिया दूरस्थ-निश्चय सूचक 'परो' इसका विपफकीर की मरण तिथि । उर्स । (वि०) रीत शब्द है। नीरस । उरोज-(न०) स्तन । कुच। उरसथळ-(न०) १. वक्षःस्थल । उरस्थल। उर्दू- (ना०) १. फारसी लिपि में लिखी छाती । २. स्तन । कुच । जाने वाली एक यावनी भाषा तथा लिपि। उरसथळी-दे० उरसथळ । २. एक खड़ी बोली जिसमें अरबी, फारसी उरस-री-तेग- (वि०) जबरदस्त साहसी । भाषाओं के शब्दों की अधिकता होती है । २. वीराग्रणी। उळखणो-दे० अोळखयो । उरंगम-(न०) साँप। उलखरणो-दे० कुलखणो। For Private and Personal Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उलखो ( १५७ ) उलाळणो उलखो-(वि०) १. नाराज। उदास । ४. अस्तव्यस्त करना । ५. लौटाना । २. दीन । ३. उपेक्षित । ४. कुलक्षणों उलटावरणो-दे० उलटाणो। वाला । ५. लूखा । ६. उलटा। उलटी-(ना०) वमन । उलटी । के। उलखो-सुलखो-(वि०) १. राजी-बेराजी। (वि०) विरुद्ध । (क्रि०वि०) वापस । २. उलटा-सुलटा । ३. लूखा-सूखा । उलटो-(वि०) १. उलटा। प्रौंधा । २. आगे ४. जैसा-तैसा । कैसा भी। ५. कुलक्षण का पीछे और पीछे का प्रागे। ऊपर का और सुलक्षण को नहीं समझने वाला। नीचे और नीचे का ऊपर । क्रम विरुद्ध । मूर्ख । ६. दीन । ७. दया पात्र। ३. विपरीत । उळग-(ना०) १. सेवा । चाकरी। २. पर- उळथरणो-(क्रि०) 'उथळणो' का वर्ण देश की नौकरी। ३. परदेशगमन । विपर्यय । दे० उथळणो । ४. गीत । गायन । ५. वियोग-गीत । उलथणो-(क्रि०) १. नक्षत्र का अस्त होने ६. स्मृति-गीत । के निकट पाना। नीचे उतरना । २. मध्याउळगणो--(क्रि०) १. गाना। गायन करना। काश से ढलना। ३. मानसिक व्यथा का २. दूरस्थ की उळग (वियोग-गीत) करना। मिटना । सिर का हलका होना। उळगाणो--(न०) (वि०) १.प्रवासी पति । ४. उलटना । पलटना । प्रवासी प्रियतम । २. महत्तर । भंगी। उळबागो-(वि०) बिना जूती पहने हुए। (वि०) १. परदेशी। प्रवासी । २. परदेश नंगे पाँव । में नौकरी करने वाला। ३. वह जिसकी उलळणो-(क्रि०) १. ढरकना । झुकना। उळग (वियोग-गीत) की जाये। २ आगे बढ़ना। ३. एक अोर बढ़ना । ४. लोगों का इकट्ठा होना। भीड़ करना । उळझरणो-(क्रि०) १. उलझना । फँसना । ५. बैलगाड़ी का पीछे की ओर झुकना । २. लड़ना । तकरार करना। ३. विवाद उळवारणो-दे० उळबाणो। करना । ४. लपेट में आना। ५. आसक्त उलसणो—(क्रि०) प्रसन्न होना । उल्लसित होना । प्रेम होना। ६. काम में लगा होना । खुश होना। रहना । ७. कठिनाई में पड़ना । उलंघणो- (क्रि०) १. लांघना। उल्लंघन उळझाड़-दे० अळ झाड़ । करना । २. अवज्ञा करना। अवहेलना उलटणो-(क्रि०) १. उलटना । पलटना। करना। २. औंधा करना । ३. आक्रमण करना। उलंघी-(वि०) १. लांघने वाला। उल्लंघन टूट पड़ना। ४. उमड़ना । उमड़कर करने वाला। २. अवहेलना करने वाला। पाना। बढ़ना । ५. घूमना । पीछे मुड़ना। उलाक-(ना०) वमन । कै । उलटी। ६. क्रम विरुद्ध होना । ७. अस्तव्यस्त उलाळ-(न०) १. भार अधिक हो जाने के करना। कारण बैलगाड़ी का पीछे की ओर झुकना। उलट-पलट-(ना०) १. परिवर्तन । 'धगळ' का उलटा । २. झुकाव । अदल-बदल । २. अव्यवस्था । गड़बड़ी। ३. नष्ट । उलट-पुलट–दे० उलट-पलट । उलाळगो-(क्रि०) १. बैलगाड़ी को पीछे उलटफेर--(न०)१. हेरफेर । २. परिवर्तन। की ओर झुकाना। २. झुकाना । ३. उलट उलटाणो(क्रि०) १. उलटाना। पलटाना। देना। ४. नष्ट करना। ५. चलाना । २. औंधा करना। ३. क्रम विरुद्ध करना। हटाना। For Private and Personal Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उलाळियो में उलाळियो - ( न०) चरस को पानी में डुबाने के लिये उसके मुँह की कुड़ बाँधा जाने वाला भार । (वि०) लुढ़काने वाला । झुकाने वाला । उलाळने वाला । ( भू०क्रि०) १. झुका दिया । उलाळ दिया। २. उलटा कर दिया । उलट दिया । ३. नाश कर दिया । उलाळो - ( न०) १. एक मात्रिक छंद । २. धक्का | टक्कर । ३. झुकाव । दे० उलाळ १, २ दे० उलाळियो (सं०) और ( वि० ) । उळावरणो- ( क्रि०) १. उल्लासपूर्वक बुलाना । पुकारना । २. प्रेमपूर्वक सुमिरण करना । ३. भजना । ४. प्रसन्न करना । उली कानी - ( क्रि० वि० ) इस प्रोर । ( १५८ ) इधर । उळीचरणो - ( क्रि०) १. कुएँ में से गंधे पानी को बाहर फेंकना जिससे ताजा पानी आजाये । उलूखलमल्ल - दे० ऊखळमल । उले पास-दे० उनी कानी । उलेळ - ( ना० ) १. उमंग । उत्साह । २. लहर । तरंग | ३. मौज । तरंग | ४. बाहुल्य । अधिकता । ५. मनुहार । आग्रह | अनुरोध | हलेळ मों- ( क्रि०वि०) १. मनुहार के साथ | अनुरोधपूर्वक । २. अधिकता से । ३. उँडेलते हुए । (वि०) १. उँडेला हुआ । २. बहुत अधिक । उलेळवों दे० उलेळमों । उलोर - ( न० ) १. उत्साह । उमंग । २. हर्ष । ३. बढ़ाव । उमड़ाव । ४ घिराव । ५. घटा । उल्लास - ( न० ) १. आनंद । २. प्रकाश । ३. प्रकरण । श्रध्याय । ४. एक काव्यालंकार । उल्लू -- (न०) उलूक । घूघू । घूघूराजा । उवारसी उल्लेख - ( न० ) १. निर्देश । २. कथन । २. वर्णन । ४. चर्चा | उल्हसरणी - ( क्रि०) १. उल्लसित होना । २. प्रसन्न होना । ३. कूदना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उवट - ( न० ) विकट मार्ग । दुर्गम मार्ग | (वि० ) ऊबड़ खाबड़ | ऊंचा नीचा । उवड़णो- ( क्रि०) १. उमड़ना । २. ऊंचा उठना । उवडखियो - ( न० ) १. भूखा ( सिंह ) । २. क्रोधित सिंह । ३. सिंह के समान झपट कर लड़ने वाला साहसी वीर । ४. डाकू । लुटेरा । (वि०) १. भूखा ( सिंह ) । २. क्रोधी । ३. प्रत्यन्त साहसी । (भू०क्रि०) १. श्राक्रमरण किया । २. प्रस्थान किया । ३. चलाया । उवरिण - ( सर्व०) उस | उवर - ( न० ) १. हृदय । अंत करण । २. उदर । पेट । ( क्रि०वि० ) ऊपरि । ऊपर । उवह - ( न० ) उदधि । समुद्र | ( सर्व० ) । १. वह । २. उस । ३. उसे । उवहि-- ( न०) उदधि । समुद्र । उवाड़ो - ( न० ) पशुत्रों के पानी पीने के लिये कुएँ के पास बनाया हुआ लंबा उदपान । खेली । उदपान । २. गाय या भैंस के थनों का स्थान । थनों के ऊपर का दुग्धस्थान | गाय या भैंस का प्रयन । उवार - ( ना० ) १. न्योछावर । २. न्योछावर की हुई वस्तु । ३. विलंब । देर । ( क्रि०वि०) रहित । बगैर । बिना । उवाररणा - ( न०) १. न्योछावर । वारफेर । बारी । वारीफेरी । २. उत्सर्गं । बारी । उवाररणो - ( क्रि०) वारना । न्योछावर 1 करना । वारी फेरी करना । २. वारीजाणो । उवारसी - ( ना० ) १. सिफारिश । अनुकुल अनुरोध । २. सहायता । मदद । For Private and Personal Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उवारा-उरदी । १५६ ) उस्तादी उवारा-उरदी-(वि०) बिना वरदी वाला। उसर-(न०) १. असुर । २. मुसलमान । जो वरदी पहिना हुआ नहीं है। (न०) उसराण-(न०ब०व०) १. असुरसमूह । बादशाह की ओर से प्राप्त अधिकार के २. यवनसमूह ।। रूप में खान-उमरावों को सैनिक रखने उसरावरण-(न०) १. उऋण । २. पके के प्रकारों में से "उवारा-उरदी' सैनिक हुए चावलों का पानी। ३. चक्की से रखने का एक प्रकार । निकाला हुआ चून। उवारो-(न०) गांव का निकास मार्ग। उससणो-(क्रि०) १. बढ़ना । २. फूलना। गाँव के बाहर जाने का रास्ता । उसह-(न०) १. वृषभ । २. ऋषभ । उपद्वार। उसारणो-(क्रि०) १. चावलों के पकजाने उवाळ--(न०) पानी पर बहकर पाया हुआ पर उनमें बचे हुए पानी को निकाल कर ___ कचरा, फेन आदि । अलग करना। २. चक्की की वाटी उवाह-(न0) विवाह । उद्वाह ।। (धेरे) में से पिसे गये आटे को बाहर उवाँ–(सर्व०) १. उन । २. उन्होंने । निकालना । ३. उखाड़ना। ४. फैकना । (क्रि०वि०) वहाँ । उठे। ५. निकालना । ६. तैयार करना । उवाँरी-(सर्व०) उनकी । उरणारी। बनाना। उवार-(सर्व०) उनके । उणारे । उसास-(न०) १. उच्छ वास । उसांस । उवाँरो-(सर्व०) उनका । साँस । २. आह । लंबी साँस । उवे-(सर्व०)१. वे । २. उन । ३. उन्होंने। उसी-(वि०) वैसी । बिसी । __४. वह । ५. उस । ६. उसने। उसीलो-(न०) १. वसीला। जरिया । उवेखणो-(क्रि०) १. देखना । २. उपेक्षा २. पाश्रय । ३. संबंध । ४. सहायता । __ करना । ३. नजरंदाज करना। ५. सहारा। उवेट—(वि०) १. भीषण । भयंकर । (न०) उसीसो-(न०) तकिया । प्रोसियो। __ फंदा । जाल । बंधन। उसुर- दे० उसर । उवेठ–दे० उवेट। उसूल-(न०) सिद्धान्त । उवेळ-(ना०) १. लहर । तरंग । २. नशा। उसो-(वि०) वैसा । विसो। ३. छलका । उभराव । उद्वेल । उस्तरी-(न०) इस्तरी । ४. सहायता। मदद । उस्ताणी-(ना०)१. गुरु पत्नी। २. अध्याउवेळणो-(क्रि०) १. मदद करना । पिका। ३. धूर्त स्त्री। ४. उस्ताद की २. रक्षा करना। ३. छलकाना । स्त्री । उवेव-(न०)१. उपभेद । प्रकार । २. भेद। उस्ताद-(न०) १. गुरु। अध्यापक । ३. रूप . २. विशेषज्ञ । ३. चिकित्सक । ४. नाई। उवो-(सर्व०) वह । ५. वेश्याओं का संगीत शिक्षक । (वि०) उश्रा-(ना०) गाय । १. निपुण । दक्ष । २ धूतं । चालाक । उसड़ी-(वि०) असी। बेड़ी। प्रोड़ी। अंड़ी। उस्तादण-दे० उस्तादणी । उसड़े-(वि०) वैसे । उस प्रकार के। उस्तादरणी-(ना०) दे० उस्तारणी। उसड़ो-(वि०) वैसा। उस प्रकार का। उस्तादी-(ना०) १. चालाकी। धूर्तता। ओड़ो। बड़ो। २. चतुराई । होशियारी। ३. निपुणता। For Private and Personal Use Only Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उस्तो ( १६० ) ऊख उस्तो-(न०) (उस्ताद का अपभ्रंश रूप)। उंडाई-दे० ऊंड़ाई । १. चित्रकार । सिलावट । ३. शिल्पी। उंडारण-दे० ऊडाण । ४. कारीगर । उस्ताद । उंडाळी-(वि०) गहराई वाली। गहरी । उह-(सर्व०) वह । ऊंडी। (ना०) १. नाभि । तूंटी। दंडी। उहाड़ो-दे० उवाड़ो। २. मिट्टी का एक बरतन । उहास - (न०) १. प्रकाश । चमक । उंडाळो-(वि०) गहराई वाला। ऊंड़ा। उजास । १. दंतपंक्ति की चमक । (न०) एक पात्र । उहासणो-(क्रि०) १. प्रकाश करना। उंडाँण-दे० ऊंडारण । २. प्रकाशित होना। ३. दंतपंक्ति का उताळ-दे० उतावळ । चमकना । ४. अति हँसना । उताळो-दे० उतावळो । उहि -(सर्व०) १. वहीं । २. उस । उसी। उतावळ-दे० उतावळ । उहिज-(सर्व०) १. वही । २. उस ही। उतावळो-दे० उतावळो । उसी । उधायलो-दे० ऊंघायलो। उही-दे० उहि । उंबरो-दे० ऊमरो। दे० उमराव । उहीज--दे० उहिज । उंबी-दे० ऊंबी। उंगळ-दे० प्राँगळ । उंवार-(ना०) १. झड़बेरी की टहनियों उंगळी-दे० प्राँगळी । . का ढेर । २. खेत में से काटी हुई झड़उंगारणो-दे० ऊंघाणो। बेरियों का लगाया हुआ ढेर । अंबार । उंगावणो दे० ऊंधावणो। उंवारणो--दे० उवारणो । उंगीजणो-दे० ऊंघीजणो । उहुँ-दे० ऊहूँ। ऊ-राजस्थानी वर्णमाला का प्रोष्ठस्थानीय ऊकरडीबाब-(न0) वह कर जो गांव की __ छठा स्वर वर्ण। __सफाई के लिये लिया जाता है। ऊ-(सर्व०) वह। ऊकरड़ीलाग-दे० ऊकरड़ी बाब । ऊक-(न०) बंदर । ऊकरड़ो-(न०) घूरा। ऊकटणो-(क्रि०) १. क्रोध करना । ऊकळणो-(क्रि०) दे० उकळणो । २. कसीजना । ३. आगे बढ़ना । ४. उभ- ऊकस-(वि०) गर्वोन्नत । रना। ५. शस्त्र उठाना । ऊकसरणो-(क्रि०) १. युद्ध करना । ऊकटो-(न०) घोड़े या ऊंट का तंग । २. उठना । उभरना। ३. ऊंचा उठना । ४. गर्वोन्नत होना । ५. गर्व करना । ऊकड़त्राणो-(वि०) १. पांव समेटे हुए ऊकेरी-(ना०) नदी या तालाब के सूख उलटा सोने की आदत वाला। उलटा । जाने पर वहाँ पर पानी के लिये खोदा सोने वाला । ऊकड़ताणो।। जाने वाला खड्डा । ऊकड़ो-(संपु०) १. रंगूर । २. बंदर। ऊख-(न०) १. गन्ना। ईख । सेलड़ी। ऊकरड़ी-(ना०) छोटा पूरा । २. गाय भैस का स्तन प्रदेश । For Private and Personal Use Only Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊजळ ऊसपी ऊखधी-(ना०) प्रौषधि । ऊगाढ-(न०) १. पौरुष । २. नाश । ऊखम-(ना०) ऊष्म । ताप । गरमी। (वि०) प्रबल । ऊखमल-(न०) ('उलूखलमल्ल' का ऊन ऊगैदीह-(न०) १. प्रभात । २. कल प्राने रूप)। दे० ऊखळमल । वाला प्रभात । (क्रि०वि०) प्रभात होते ऊखळ-(न0) अोखली। ही। ऊखळणो-(क्रि०) १. ऊखल में कूटना। ऊगोड़ो-(वि०) १ उगा हुआ । २. उदित । खांडना। २. उखड़ना। ३. नाश होना। ऊग्रजणो--(क्रि०) १. गर्व से गर्जना । ४. नाश करना। २. गर्व से मस्तक ऊंचा करना । ऊखळमल-(न०) (उलूखलमल्ल का ऊन ऊग्रजती-(ना०) कटारी । रूप) । १. रणक्षेत्र । २. युद्ध । रण। ऊग्रजी-दे० उग्रजती। ३. योद्धा। ऊग्रती-दे० उग्रजती। ऊखळमेळो-(न०) युद्ध। ऊग्रहरणो-दे० उग्रहणो। ऊखळी-(ना०) १. प्रोखली। २. किंवाड़ ऊघड़णो-(क्रि०) दे० उघड़यो । के चूळिये के नीचे रहने वाला लोहे का ऊघाड़ी-दे० उघाड़ी। एक उपकरण। ऊघाड़ो-दे० उघाड़ो। ऊखेवणो-(क्रि०) दे० उखेवगो। ऊचकरणो--(क्रि०) १. ऊंचा उठाना । ऊगट-(न०) १. उबटन । २. कसाव । २. सिर पर उठाना । कसेलापन । (वि०) उच्छिष्ट । बचा ऊचळ चितो-(वि०)प्रशांत-चित्त । अस्थिर हुमा । (क्रि०वि०) खूब । बहुत । पेट चित्त । उदास । भर के। ऊचाळो-दे० उचाळो। ऊगटो-(न०) ऊंट या घोड़े पर काठी कसने ऊछजणो-(क्रि०) १. उठाना । २. तैयार का पट्टा । तंग । कसन । करना। ३. प्रहार करने के लिये शस्त्र ऊगणो-(क्रि०) १. उदय होना । २. अंकुर को ऊपर उठाना । फूटना । उगना । ३. बीज में से अंखुप्रा. ऊछरणो-(क्रि०) १. गायें, मैसें आदि का निकलना । ४. नशा चढ़ना। ५. प्रकट समूह रूप से जंगल में चरने को जाना । होना। २. पालन-पोषण और सार-सम्हाल प्राप्त ऊगम-(ना०) १. उगाई । २. उद्गम । कर बड़ा होना ।। ऊगमण-ना०) १. पूर्व दिशा । २. उदय। ऊछेरणो-दे० उछेरणो । ऊगमणी-(वि०) १. पूर्व दिशा की। ऊज-(वि०) बलवान । ऊर्ज । दे० उज । २. पूर्व दिशा से संबंधित । (ना०) ऊजड़-दे० उजड़। १. पूर्व दिशा । २. उगाई। ऊजड़णो-दे० उजड़यो । ऊगमरणो-(वि०) १. पूर्व दिशा का। ऊजम-(न०) १. उद्यम । उद्योग । २. पूर्व दिशा से संबंधित । (न०) पूर्व २. प्रयास । प्रयत्न । दिशा। ऊजमणो-(क्रि०) दे० उजमणो । ऊगरणो-(क्रि०) दे० उगरणो । ऊजळ-(वि०) १. उज्ज्वल । कांतिमान । ऊगळरणो-(क्रि०)दे० उगळणो। २. सफेद । श्वेत । ३. वेदाग । निर्मल । ऊगवरण-(ना०) दे० ऊगमण । ४. पवित्र । For Private and Personal Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊजळ वरण ( १९२) कपलो ऊजळ वरण-(न०) १. उज्वल वर्ण। ऊठणो-(क्रि०) १. खड़ा होना । उठना । उच्चवर्ण । २. त्रिवर्ण । ३. सत्शूद्र । २. नींद उड़ना । जगना । ३. सोकर उठ (वि०) उच्चवर्ण का। बैठना। ४. उभरना। ५. ऊंचा होना। ऊजळाई–दे० उजळाई। ६. उत्पन्न होना । ७. किसी प्रथा का ऊजळा करणो-(मुहा०) १. प्रतिष्ठा अंत होना । ८. खर्च होना । मरना। बढ़ाना । १. यशस्वी बनाना । ३. उज्वल ऊठबैठ- (ना०) १. दोनों हाथों से दोनों करना। कान पकड़ कर बार बार उठने बैठने की ऊजळा जुहार-(अव्य०) १. दूर से ही । हर से दी सजा। २. उठने-बैठने का व्यायाम । ३. उठने-बैठने का स्थान । अधिक माने नमस्कार । ऊपरी नमस्कार । २. उपेक्षा। जाने का स्थान। अवज्ञा । ३. साधारण जान-पहिचान या । ऊठाणो--(न०) मरे हुये के पीछे डाले हुए साधारण रिश्ते का व्यवहार । तापड़ को उठाने की विधि । ऊजळो-(वि०) १. प्रकाश वाला । ऊडंड-(न0) घोड़ा। १. स्पष्ट । ३. निर्मल हृदय वाला। ऊड़ी-(वि०) वैसी । प्रोड़ी । बड़ी। ४. उज्वल । ५. यशस्वी । ६. सफेद। ऊरणत-(ना०) १. गुरुजन या महापुरुष की ७. निर्मल । ८. निष्कलंक । वियोगजनित सलने वाली स्मृति (जिसमें ऊजळोपख-(न०) १. शुक्ल पक्ष । किसी उनके आदर्शों की पूर्ति करने वाला कोई चान्द्र मास का सुदी पक्ष । २. सत्य पक्ष । न हो ।) २. कमी । अभाव । ३. हानि। ऊजवरणो-दे० उजमणो। घाटा । ४. दारिद्रय । ऊझ-(ना०) अोझरी। ऊरणप-(ना०) १. कमी। खोट । भूल । ऊझड़-दे० उजड़। २. गैरहाजिर या मरे हुये की खटकने ऊझणो-(न०) पुत्री के द्विरागमन के समय वाली कमी। ३. अोछाई। अोछापन । दिये जाने वाले वस्त्राभूषण आदि ।। क्षुद्रता। ४. दिल की दुर्बलता। हृदयप्रोझरणो। दौर्बल्य । ऊझम-(न०) १. उद्यम । २. उत्पन्न । ऊरणारत-दे० ऊरणत । ३. शांत । ४. उष्ण । ५. ज्वाला। ऊरण-खूणे-(क्रि०वि०) घर के कोने-कोने ऊझमरणो-(क्रि०) १. बुझाना। २. प्रौटाना। में और इधर-उधर । २. इधर-उधर । २. घटाना। ४. जलाना। ५. गरम ऊरणो-(वि०) १. उदास । २. कम । करना । ६. शांत करना। ७. उद्यम न्यून । ३. छोटा । ४. अपूर्ण । ऊत-(न०) १. पुत्र । २. कुपुत्र । (वि०) ऊझळणो--(क्रि०)१. भर पाना । छलकना। अविचारी । अज्ञानी । २. उमड़ना । ३. उफनना। ४. बढ़ना। ऊत जारणो-(मुहा०) १. निःसन्तान होना। ५. उछलना । ६. मर्यादा के बाहर होना। २. निःसन्तान मरना। ऊझामरणो-दे० ऊझमणो। ऊत जावरणो-दे० ऊत जाणो। ऊटपटांग-(वि०) १. बेमेल । २. टेढ़ा- ऊत होणो-(मुहा०) १. कुपूत होना । मेढ़ा । ३. व्यर्थ । २. कुपूत वत पाचरण करना । ऊठ-(ना०) १. फुरती। तेजी। २. चेत- ऊथलो-(न०) १. पलटा। पलटा खाना । नता । ३. बल । शक्ति । ४. उमंग । २. अच्छा होने के बाद फिर रोग H For Private and Personal Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊदल ऊनी प्राध ऊद्रमर - का प्राक्रमण होना । ३. उत्तर । ४. प्रत्यु- ऊधरो-(वि०) १. ऊर्ध्व । ऊंचा । २ उदार । सर । ५. सामने जबाब । मुंहजोरी। दानी। ३. साहसी । ४. उठा हुषा । ऊदल-(न०) १. उदयसिंह या उदयराज । उभरा हुआ। ५. विषम । का साहित्यिक या काव्य नाम । २. इन ऊधळरणो--(क्रि०) विवाहित पति को छोड़ नामों का लघुता-सूचक रूप । कर स्त्री का पर पुरुष के साथ भाग ऊद्रकणो--(शि०) १. डरना। भयभीत जाना । उढ़रना। होना । २. चौंकना । काँपना। ऊधळारण-(ना०) पति को छोड़कर पर । भागना। पुरुष की पत्नी बन कर रहने वाली ऊध-(न०) बैलगाड़ी का एक उप स्त्री। पर पुरुष के साथ भाग जाने वाली स्त्री। करण । ऊधड़ो-(न०) १. किसी वस्तु या राशि ऊधलाळ-दे० ऊधळाण । की तोल-माप पर कीमत निश्चित किये । ऊधळियोड़ी-(वि०) १. ब्यभिचारिणी। बिना किया गया क्रय-विक्रय । भाव-तोल स्वैरिणी । २. स्वेच्छाचारिणी। ३. बिना विवाह के पत्नी रूप से किसी पुरुष के के बिना अनुमान से कियागया क्रय-विक्रय । घर में रही हुई। ४. पर पुरुष के साथ २ अनुमान से निश्चित किया हुअा मूल्य । भागी हुई । ५. पर पुरुष के घर में पत्नी अनुमानित मूल्य । अंदाजा कीमत । रूप से रही हुई । उढरी । ३. मकान आदि के बनाने का ठेका। ऊधस-(न०) दूध । (न०) खांसी । (वि०) (वि०) बिना भाव-तोल का । बिना ऊर्ध्व । ऊंचा। हिसाब का । (कि0 वि0) बिना भाव- ऊन-(ना.) भेड़ के बाल । ऊरणं । ऊन । तोल के। (वि०) १. छोटा । २. थोड़ा। ऊधड़ो लेणो-(मुहा०) १. डाँट-फटकार ऊनड--(न0) ऊनड़ जाम नाम का एक बताना । धमकाना। २. बिना तोल,माप प्रसिद्ध दानी राजा जिसने अपना राज्य के किसी वस्तु को खरीदना। आउठकोड़ बंभणवाड़ (सामई) साँवळसुध ऊधम-(न०) १. शोर । कोलाहल । रोहड़िया को दान में दे दिया था। २. शैतानी। शरारत । नटखटपना । ऊनमरणो-(क्रि०) बादलों की घटा का ३. उपद्रव । उत्पात । ४. लड़ाई। उमड़ना। ऊधमणो-(क्रि०) १. अच्छे कार्यों में धन ऊनवा-(न0) एक मूत्र रोग । का खर्च करना। अतिथि-सत्कार, दान ऊनाळ ---(वि०) ग्रीष्म ऋतु से संबंधित । और कुल की मर्यादा पालन में धन का उष्णकाल संबंधी। (ना०) उनालू फसल । उपभोग करना । २. सत् कार्य करना ! ऊनाळ -साख-(ना०) रबी की फसल । ३. जीवन को सार्थक बनाना। ४. दान, ऊनालू खेती।। धर्म, वीरता पौर उपकारादि के काम ऊनाळो-(न०) ग्रीष्म ऋतु । उष्णकाल । करना । ५. दान करना। ऊनियो—दे० उरणियो। ऊधमी-(वि०) ऊधम करने वाला । ऊनी-(वि०) १. ऊन का बना हुआ । ऊन शरारती। से संबंधित । २. उष्णः गरम । ऊधरण-(वि०) उद्धार करने वाला। ऊनी आँच-(ना०) नुकसान, भय या (न०) उद्धार । अप्रतिष्ठित होने का प्रसंग । For Private and Personal Use Only Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊन (१६४) ऊपरा-ऊपरी ऊन-(सर्व०) उसको । उसे । (क्रि० वि०) ऊपरछल्लो-दे० ऊपरचलो। १. इधर । इस अोर । यहाँ । २. उधर। ऊपरणी-(ना०) चूचदार या खिड़किया उस ओर । वहाँ। पगड़ी के ऊपर बाँधी जाने वाली भिन्न ऊनो-(वि०) गरम । उष्ण । रंग की एक छोटी पगड़ी। ऊन्हाळो दे० ऊनाळो। ऊपरतळं-(क्रि०वि०) १. एक के ऊपर ऊपट-दे० उपट । ___ एक । २. अव्यवस्थित । ३. ऊपर-नीचे। ऊपटणो-(क्रि०) दे० उपटणो। ऊपरदान-(अव्य०) १. आगे होकर के । ऊपड़णो-दे० उपड़णो। बढ़ कर के । २. मना करने पर भी। ऊपरणरणो-(क्रि०) दे० उफणणो सं० २ व ३. और ज्यादा । ४. और । विशेष । ऊफणणो सं०१। ऊपरमाळ-(न०) १. गांव की सीमा के ऊपनो -(क्रि०) उत्पन्न होना । पैदा किनारे आये हुये खेतों की पंक्ति । किनारे होना। के खेत । २. ऊपर का मार्ग । ३. जो ऊपनियोड़ो-(वि०) १. उत्पन्न । पैदा। सर्वसाधारण के आने जाने का मार्ग २. उपार्जित । पैदा किया हुआ। न हो। ऊपना-(न०) १. माल की बही में माल ऊपरलियाँ-(ना०) एक प्रकार की लोक के बेचने का इंदराज । २. बेचान खाते देवियां, जिनके प्रकोप से बालकों में एक में लिखी जाने वाली रकम या रकमों के प्रकार का वात रोग होना माना जाता _है। मावड़ियां । मैलड़ियां । इंदराज । ३. माल के बेचान की आमदनी। ऊपरली पळ-(ना०) जीवन का श्रेष्ठ समय । ऊपनो-(वि०) उत्पन्न । पैदा। ऊपरलो-(वि०) १. ऊपर वाला। ऊपर ऊपर-(वि०) १. ऊंचाई पर । २. ऊंचा। ३. अतिरिक्त । ४. श्रेष्ठ । __ का । २. बलवान । जोरावर। ऊपर वट-(ना०) १. सहायता । २. सिफाऊपरकरणो-(मुहा०) सहायता करना । रिश । (क्रि०वि०) १. बढ़कर । ऊपर ऊपर चट्टो-(वि०) १. ऊपर ऊपर का । होकर के । (वि०) अधिक ।। दिखावे का । २. व्यर्थ । (स्त्री० ऊपर ऊपर वाड़ी-(ना०)१. गणित के प्रश्न को चट्टी)। शीघ्र हल करने की युक्ति । मूल युक्ति । ऊपर चलो--(वि०) १. शक्ति उपरान्त । शीघ्र-रीति । शीघ्रनियम । मूल नियम, सामर्थ्य से अधिक । सामर्थ्य से ऊपर । __ शीघ्र-गणित-गुर । २. काम को शीघ्र २. आवश्यकता से अधिक । अतिरिक्त। निपटाने की यक्ति । दे० ऊपरवाड़ो। ३. ऊपर ऊपर का। ४. साधारण । ऊपर वाड़ो-(न०) १. नजदीक का मार्ग। फुटकर । परचूरण । छोटा मोटा । २. ऊपर का मार्ग । ३. बिना मार्ग का ५. मुख्य कार्य के संपादनार्थ की जाने ___ मार्ग । ४. बाड़ आदि से घेरे हुए स्थान वाली तयारी का काम । (अव्य०) ऊपर में प्रवेश करने के मख्य द्वार के अतिरिक्त होकर । मरजी के उपरान्त । मरजी के अनियमित रूप से बना हुमा शीघ्र पहुँचने खिलाफ। का मार्ग । बेकायदा रास्ता । ऊपरचूटो-(वि०) १. अतिरिक्त। २. फुट- ऊपरा-ऊपरी-(क्रि० वि०) एक साथ । कर। लगातार । एक के ऊपर एक । For Private and Personal Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊपळी ( १६५) ऊमतो ऊपळी-(ना०)बैलगाड़ी का एक उपकरण। ऊभताण-दे० ऊभता । ऊपळो-(न0) १. चारपाई के चौखट का ऊभताळ-(न०) दे० ऊभता । (क्रि०वि०) सिर या पांव की ओर का डंडा। चौखट १. सहसा । एकाएक । २. अभी का की चौडाई का डंडा। २. जमीन के नाप अभी। इसी समय । में चौड़ाई का नाम । ३. चौड़ाई। ऊभसूख-(वि०) जो खड़ा खड़ा ही सूख ऊफरणणो-(क्रि०) १. अनाज को साफ गया हो (वृक्ष)। खड़ी स्थिति में सूखा करने के लिए छाज में भरकर ऊपर से हुआ (वृक्ष) । नीचे गिराना । २. अत्यन्त क्रोध करना। ऊभाऊभ-(क्रि०वि०) १. खड़े खड़े। अभी ३. उबलना । उफान आना। ४. जोश माना। ४. जोशका अभी। इसी वक्त । २. सहसा । में प्राना। अचानक । ऊबको- (न0) उबकाई । पोकाई । ऊभा-पगों-(क्रि०वि०) १. अभी का अभी। मिचली। २. बिना विश्राम लिये। तुरंत । ३. ऊबट-दे० वट। जीवित रहने की दशा में । कायम होने ऊबटो-(न०) १. घोड़े की जीन को कसने की हालत में।। का तंग । २. तंग को कसने की उसके ऊभा पगाँ-री-सगाई-जीवित होने तक किनारे पर लगी हुई चमड़े की पट्टी। का संबंध । ऊबड़-खाबड़-(वि०) ऊंचा नीचा । खो ऊभाँ-(अव्य०) १. खड़े। २. खड़े रहते वाला (मार्ग)। हए। ३. उपस्थित रहते हए । ४. जीवित ऊबड़णो-(क्रि०) दे० उबडयो। रहते हुए। ऊबडियो-(न०) रहँट का एक उपकरण। ऊभाँ-ऊभाँ-(प्रव्य०) खड़े खड़े। अभी ऊबड़ो-दे० ऊबड़ियो। का अभी । तुरन्त । ऊबरणो-(क्रि०) १. बचना । शेष रहना। ऊभाँखरो-(वि०) १. जो बैठे नहीं। जो २. कष्ट या दुर्घटना से बच जाना । फिरता रहे। भ्रमणशील । २. खाना३. मृत्यु से बचना। बदोश । ऊबेलगो-(क्रि०) १. मदद करना । ऊभाँ-खुरो—(वि०) १. जो बैठे नहीं । जो २. रक्षा करना। फिरता रहे । भ्रमणशील । २. खानाऊभघडी-(क्रि०वि०) १. तत्काल । २. बदोश । (न) घोडा। तुरंत । ३. एकाएक । अचानक । ऊभै-चूक-(क्रि.वि०) एकाएक । अचाऊभछठ-(ना०) स्त्रियों द्वारा किया जाने नका।। वाला भादों कृष्ण षष्टी का एक व्रत। ऊभै-छाज-(न0) छाज में नाज को फट(इस व्रत में दीपक हो जाने के समय से कने का एक विशेष प्रकार । चन्द्रोदय तक स्त्रियां खड़ी रहती हैं तथा ऊभो-(वि०) १. खड़ा। खड़ा हुआ। चंद्रदर्शन और पूजन के बाद पारणा २. उठा हुआ। करती हैं।) ऊमरण-दूमणो-(वि०) उदास । खिन्नऊभरणो-(क्रि०) १. खड़ा रहना । २. खड़ा चित । अन्यमनस्क । होना । ३. तैयार रहना । ऊभता-(न०) हाथ ऊपर उठाकर खड़े ऊमरणो-(वि०) अनमना । उदास । हुए मनुष्य के बराबर की गहराई तथा ऊमतो-(वि०) १. उन्मत्त । पागल । ऊंचाई का माप। २. मस्त । मतवाला। For Private and Personal Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊमर ऊंघीजणो ऊमर-(ना०) प्रायु। ऊर्ध्वपुण्ड्र--(न०) वैष्णव सम्प्रदाय का ऊमरकोट-(न०) पाकिस्तान-सिंध प्रान्त खड़ा तिलक । के थरपारकर जिले का एक इतिहास ऊर्ध्ववायु-(न०) डकार। मुख से निकप्रसिद्ध नगर । मध्यकालीन सोढ़ाण क्षेत्र लने वाला वायु का उद्गार । की राजधानी । (एक समय यह मारवाड़ ऊर्मी-(ना०) १. लहर। २. मन की राज्य का भाग था ।) __ लहर। ऊमर दराज-)वि०) दीर्घजीवी। ऊल-(ना०) जीभ का मैल । ऊमरदान-(न०) ऊमर काव्य के रचयिता ऊली-(वि०) १. इधर की। इस प्रोर ___ मारवाड़ के एक प्रसिद्ध चारण कवि । की। २. उधर की । उस प्रोर की । ऊमरो-(न०) १. द्वार भाग। घर का ऊलं-(सर्व०) १. इस । २. उस । द्वार और उसके आस-पास का भाग। ऊवट-(न०) ऊजड़। उत्पथ । विकट २. मुख्य द्वार के चौखट की नीचे वाली मार्ग । लकड़ी। देहली। बारोक। ३. हल से ऊवेलणो-(क्रि०) सहायता करना । बनने वाली पंक्ति । खेत में हल को चलाने ऊस-(न०) १. गाय भैंस का थन प्रदेश । से बनी रेखा। २. थनों के ऊपर का वह भाग जिसमें ऊमस-(ना०) १. ऊष्णता । २. तपन । दूध रहता है। ३. वर्षा के पूर्व की गरमी। ऊसर-(ना०) अनउपजाऊ भूमि । ऊमादे-दे० 'उमादे' और 'रूठी रागी'। ऊसव- (न0) उत्सव । ऊमावो--(न०) १. उत्साह । २. उमंग। ऊसस-(न०) १. जोश । आवेग । ___ सुखदायक मनोवेग। २. उत्साह। ऊमाहणो--(क्रि०) उमंग में आना । ऊससणो- (क्रि०) १. जोश से फूल जाना । उमंगित होना । उत्साहित होना। २. ऊँचा उठना । ३. उत्साहित होना । ऊमाहो-दे० ऊमावो। ४. जोश में आकर युद्ध करना। ५. ऊरबो--(न०) १. प्राशा । २. दृढ़ प्रफुल्लित होना । प्रसन्न होना । विश्वास । ३. मान । प्रतिष्ठा । ऊं-(ना०) १. गर्व । २. अकड़। (सर्ग०) ऊरणो-(क्रि०) १. खोलते पानी में दाल, उस। खीच प्रादि का डालना। २. चक्की के ऊंघ-(ना०) १. नींद । निद्रा। मुंह में पीसने के लिए मुट्ठी भर करके ऊंघणो-(क्रि०) नींद लेना । दे० ___ऊंघीजणो। नाज डालना । ३. घोड़े पर सवार होकर अत्यन्त वेग से युद्ध में प्रवेश करना।। ऊंघाणो-(क्रि०) दे० ऊंघावणो । (वि०) ऊरीजरणो-(क्रि०) १. दाल, खीच आदि ___सोया हुआ । निद्रित । निद्रावश ।। का गरम पानी होने पर हंडिया में डाला ऊंघावणो-(क्रि०) १. सुलाना । २. बच्चे जाना । २. नुकसान में पड़ना । हानि आदि को ऊंघाने का प्रयत्न करना। उठाना। ऊंघीजणो-(क्रि०) १. नींद आना । ऊरू-(ना०) जाँघ । साथळ । २. एक स्थान पर सतत दबा रहने से ऊर्ध्व-(वि०) १. ऊंचा। ऊपर का । किसी अंग का (रक्त प्रवाह बन्द हो जाने ३. सीधा। ४. उन्नत । ऊँचा उठाया से) सो जाना । ३. अनजान तथा प्रज्ञान हुआ। में रहा करना। For Private and Personal Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊंच ( १६७ ) ऊंदरी ऊंच-(वि०) १. ऊंचा। उच्च । २. अधिक ऊंचेरो- (वि०) १. तुलना में ऊंचा। ___अच्छा । श्रेष्ठ । ऊंचो-(वि०) १. ऊपर । २. लम्बा । ऊंच कुळी-(वि०)ऊंचे कुल का। ३. बड़ा । ४. श्रेष्ठ । ऊंचनीच-(ना०) ऊंचे और नीचे का भेद। ऊंट-(न०) सवारी का एक प्रसिद्ध पालतू उच्च वर्ण व निम्न वर्ण का भेद । (वि०) पशु । उष्ट्र । उत्कंठ। (वि०) (ला०) १. ऊंचा और नीचा। २. भला और १. लंबा । २. मूर्ख । बुरा। ऊंट कंटाळो-(न०) ऊंट के पसंद की एक ऊंचपण-(न०) १. बड़प्पन । ऊंचापना। ___ कटीली घास। २. ऊंचाई। ऊंटड़ो-(न०) १. बैलों को छोड़ देने पर ऊंचपणो-(न०) दे० ऊंचपण । छूटी बैलगाड़ी के जमीन पर टिके रहने ऊचमन-(वि०) १. उदार। २. महत्वा- का आगे के भाग में नीचे लगा हा मोटा डंडा । २. ऊंट । कांक्षी । ऊंचमनो–दे० उंचमन । ऊंट-बाळदो-(न०) ऊंट बैल का संबंध । ऊंचलो-(वि०) ऊपर का। अनमेल सम्बन्ध । अस्वाभाविक संबंध । ऊचवरण-(न०) १. उच्च वर्ण । द्वि- ऊट-वेद-(न०)१.नीमहकीम । २.धूर्त वैद्य। जाति । २. ब्राह्मण । ऊंटादेवी-(ना०) पुष्करणा ब्राह्मणों की एक देवी । उष्ट्रवाहिनी। ऊंचवहो-(वि०) १. ऊर्ध्वगामी । २. ऊंचे आचरण वाला । श्रेष्ठ आचरण वाला। ऊंडळ-(न०) ऊपर से गिरती हुई वस्तु ३. उपकारी । ४. उदार । को थामने के लिये हथेलियां फैला कर ऊंचाई-(ना०) १. ऊंचापना । उठान । ऊपर उठाये हुये हाथ । उदंजलि । २. नीचे के स्तर से ऊंचा होता हुआ २. ऊपर से गिरती हुई वस्तु को बाहु भाग । ३. बड़प्पन । ४. गौरव । पाश या गोद में थाम रखने की क्रिया । ऊंचाण-(ना०) १. चढ़ाव । २. ऊंचा ३. गोद । ४. ऊपर उठाये या फैलाये हुए स्थान । दे० ऊंचाई। हाथ । ५. बाहुपाश (बाथ) में समावे ऊंचाणो-(क्रि०) दे० ऊंचावणो। जितनी वस्तु । ६. बाहुपाश । बाथ । (वि०) ऊंचावणो-(क्रि०) उठवाना । ऊंचा १. गहरा । ऊड़ा। २. घिरा हुआ। करना । सेना द्वारा घिरा हुआ। (न0) सेना का ऊंचासरो-(वि०) १. यश और स्वाभिमान खूब दृढ़ बना हुया घेरा । घेरा। के कारण जिसका सिर ऊंचा हो । उच्च ऊंडाई-(ना०) गहरापन । गहराई । शीर्ष । २. सिरे नाम वाला। ऊंची ऊंडारण-(ना०) गहराई। ख्याति वाला । ३. गर्वोन्नत । ४. उच्चा- ऊंडाँत-(ना०) १. नीची भूमि । २. गहशय । ५. उच्चाश्रय (न०)१. पूर्वजों का राई । ३. गम्भीरता। स्थान । २. मूलस्थान । ३. उच्चैःश्रबा। ऊंडो-(वि०) १. गहरा। २. गम्भीर । ऊंचाँत-दे० ऊचारण । ३. अगाध । ४. अन्दर से लंबा। ऊंचीतारण-(वि०) उच्चाशय । (ना०) ऊरण-(न०)इस वर्ष । चालू वर्ष । वर्तमान वर्ष । १. महत्वाकांक्षी । २. स्वाभिमान तथा ऊंदर-(न०) चूहा । मूसा । कुलाभिमान को ऊंचा उठाये रखना। ऊंदरी-(ना०) १. चुहिया। २. पीठ की ऊंचीसरो-३० ऊंचासरो। नस में गांठ पड़ जाने का एक कष्ट साध्य For Private and Personal Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊंदरो ( १६६) ऋषभदेव रोग । ३. दाढ़ी-मूछ के बाल उड़ जाने २. डालना । गेरना। ३. भरे हुए पात्र का एक रोग । ४. गंजरोग। को टेढ़ा करके किसी दूसरे पात्र में खाली ऊंदरो-(न०) चूहा । मूषक । करना । ऊंच-(ना०) १. बैलगाड़ी का एक भाग। ऊधो-(वि०) १. उलटा । प्रौंधा । २. राजस्थानी खगोल साहित्य की सोलह २. विरुद्ध । ३. हानिकारक । (स्त्री० दिशाओं में से एक दिशा। उत्तर और ऊंधी। वायव्य कोण की दिशा । (वि०) औंधा। ऊधो-पाधरो-(वि०) उलटा-सुलटा । उलटा । ऊंब -(10) नैऋत कोण से ईशान कोण ऊंधकरमो-(वि०) १. उलटा काम करने की ओर अपेक्षाकृत नीचे प्राकाश में वाला। २. बताये गये तरीके से नहीं तेजी से बहने वाला हलका बादल । करने वाला । ३. कुकर्मी। (स्त्री० लोर । ऊंध करमी)। ऊंबरो-(न०) १. खेत में हल चलाने से ऊंधाकड़ो-(वि., दे० उंधकरमो। खिची रेखा । हल-रेखा । हल चलाकर ऊंधायलो--(न०)ौवे पात्र में शकरकंद प्रादि निकाली गई रेखा । २. दहेली । रखकर उसके ऊपर आग जला कर भाप दहलीज । से पकाना । २. इस प्रकार पकाने की ऊंबी--(ना०)जो या गेहूं की बाल ! ऊमी । क्रिया । ३. रोटी सेकने का उलटा तवा। ऊहूं-(प्रव्य०) १. अस्वीकृति प्रथवा हठ ऊंधावणो-(कि०) १. उलटा करना । सूचक एक उद्गार । २. नहीं । ना। ऋ ऋ - संस्कृत परिवार की राजस्थामी वर्ण- ऋतुमती-(वि०) १. रजस्वला । २. वह माला का सातवाँ स्वर वर्ण । जिसका रजोदर्शन काल समाप्त हो गया ऋग्वेद--(न०) चारों वेदों में से एक जो हो और संतानोत्पत्ति के लिये समागम पहला और प्रधान माना जाता है। के योग्य हो। संसार की सबसे प्राचीन धर्म पुस्तक। ऋतुराज-(न०) वसंत ऋतु । ऋग्वेद । ऋतुस्नान-(ना०) रजोदर्शन के चौथे दिन ऋचा-(ना०) वेद मंत्र।। का स्नान । ऋद्धि-(ना०) १. समृद्धि । वृद्धि । ऋण-(न०) कर्ज । देना । कर्जदारी। २. सिद्धि । ३. लक्ष्मी । ४. पार्वती। ऋणी-(वि०) १. ऋण लेने वाला । ऋद्धि-सिद्धि-(ना०) समृद्धि पौर सफ__कर्जदार । २. उपकृत । लता। २. सुख सम्पत्ति । ऋत-- (न०) १. सत्य । २. अचल नियम। ऋषभ-(न०) १. ऋषभावतार । २. ऋतु-(ना.) मौसम । पत । रितु । ___ संगीत के सात स्वरों में से दूसरा । ऋतुकाल-(न०) स्त्रियों के रजोदर्शन ३.बैल । वृषभ । के बाद के सोलह दिन । गर्भाधान का ऋषभदेव-(न०) १. ऋषभावतार । समय। २. प्रादि तीर्थंकर । रिषभदेव। For Private and Personal Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋषि-(न०) १. मंत्र दृष्टा। २. नया दर्शन प्राप्त करने या कराने वाला महात्मा । ३. मुनि । तपस्वी। ऋषि-ऋण-(न०) ऋषियों का ऋण जो प्रेकतान वेदों के पठन-पाठन और उनके अनुसार प्राचरण करने से पूरा होता है। ऋषिकल्प-(न०) ऋषियों के समान पूज्य व बड़ा । रे प्रे-संस्कृत परिवार की राजस्थानी भाषा प्रेकज-(वि०) एक ही । का पाठवां स्वर वर्ण । कजीव-(वि०) १. अभिन्न । २. मिला श्रे-(सर्व०) १. यह । २. इस । (ब०व०) हुआ । मिश्रित । ३. सुघटित । ३. ये। (प्रव्य०) संबोधन के रूप में अकटंगियो-(वि०) एक टाँग वाला । प्रयुक्त । एक शब्द । लंगड़ा। प्रेक-(वि०) १. संख्या में पहला । दो का अकटाणो-(न०) १. दे० अकासणो । प्राधा । २. बेजोड़ । ३. प्रधान । ४. अमुक एक बार। (उदा, एक हतो राजा) । (न०) १. पहिला अंकठाँ–(ना०) एक जगह । अंक या इकाई। २. एक की संख्या। अंकठा-(वि०)१. एकत्रित । २. एक साथ । ३. विष्णु । ४. परमात्मा। ५. संख्या- अंकठो--(वि०) इकट्ठा । एकत्रित । वाचक शब्द के अंत में 'लगभग', 'करीब' अकड़-(न०) १. ४८४० वर्ग गज जमीन । अर्थ में-उदा. पाँचेक, हजारेक । २. इतनी भूमि का नाप । (प्रव्य०) मात्र । सिर्फ। उदा. एक रामरो अकडकी-दे० इकडंकी। भरोसो राखो। प्रेकडसण-(न०) गणेश । गजानन । एक दशम । ग्रेक अंगो-(वि०) १. एक तरफी प्रकृति वाला । अपनी इच्छानुसार करने वाला। कढाळ-(वि०) एक समान । एक तरह २. हठी । जिद्दी। ___ का। प्रेक-अंक-(वि०) १. एक के बाद प्रेक। अकढाळियो-(न०) एक पलिया प्रोसारा। एक भार ढालू छाजन वाली कोठरी। २. एक के बाद दूसरा । क्रमिक । प्रगढाळा प्रगढाळियो। प्रेकक्खरी-दे० अंकाक्षरी।। प्रेकरण-(वि०) एक ही। प्रेकचक्र-(वि०) चक्रवर्ती । (न०) सूर्य । कत-(न०) दे० अकासणो। (क्रि०वि०) प्रेक चख-(वि०) एक चक्षु । एक अाँख एकत्र । इकट्ठा । वाला । काना । कारणो। प्रेकतरफी-(वि०) १. एक पक्ष का । प्रेकच्छरी-दे० प्रेकाक्षरी। २. जिसमें पक्षपात किया गया हो। प्रेकछत्र-(न0)१. एक तंत्र शासन प्रणाली । अंकता-(ना०) १. मेल । एक्य । २. बरा वह शासन प्रणाली जिसमें एक ही का बरी। पूर्ण प्रभुत्व हो। २. एक हत्थी हुकूमत । अकताई-दे० एकता। ३. पूर्ण प्रभुत्व । (वि०) १. एक राजा अकतान- (ना०) सभी का एक साथ स्वर वाला। २. पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न । (संगीत) । २. एकाग्रचित्त । (वि०) लीन For Private and Personal Use Only Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कतारो (१७) अकलवीर कतारो-(न०) एक तार वाला वाद्ययंत्र । २. एफ समान । एक सरखा । इकतारा। अकर-(अव्य०) एक बार । अकत्र-(क्रि०वि०) इकट्ठा । अंक रदन-(न०) गणेशजी । ग्रेकथंभियो-(वि०) १. एक स्तंभ वाला। अकरस-(वि०) शुरू से अखीर तक एक २. एक थंभे ऊपर बनाया हुआ। _जैसा। ग्रेकथंभियो-महल-(न०) १. एक थंभे के अकरसाँ-(अव्य०) एक बार । ऊपर बनाया गया महल । २. एक थंभे अकराग-(न०) एकमत । संप । के आकार का बना हुआ महल। अकराह-(न०) १. राष्ट्र का एक धर्म । अकदंत-दे० एकडसरण। प्रजा का एक धर्म । २. मुसलमानी धर्म । अंकदम--(अव्य०) १. एकदम । तुरंत । इलाही मजहब । ३. राह । न्याय । २. निपट । बिल्कुल । (वि०) पक्षपात रहित । अकदाँई-रो-(वि०) बराबर उम्र का। अक रूप-(वि०) एक जैसा । समवयस्क । ग्रेक रूपता-(ना०) रूप, गुण, बनावट प्रेकदा-(वि०) एक बार की। अमुक समय आदि में किसी अन्य के समान होने का की । (क्रि० वि०) एकबार । अमुक भाव । समय। अकल-(न०) सूअर । (वि०) १. अकेला। अकदाण-(प्रव्य०) एक बार । २. अनुपम । (वि०) इकल्ला । अंकप्राण-(वि०) एकजीव । अकलअंगो-(वि०) १. इकतरफी स्वभाव प्रेक फसली-(वि०) वर्ष में एक फसल का। अपनी इच्छानुसार करने वाला । वाला (देश या भूमि)। २. हठी । जिद्दी। अंक बीजो-(अव्य०) परस्पर । अंकलखोरो-(वि०) १. अकेला रहने अंक भाब-(वि०) एक भाव का। वाला। २. अकेला उपभोग करने वाला। अकम-(ना०( १. प्रतिपदा । पक्ष का प्रथम ३. स्वार्थी । दिन । २. इकाई । एकाई । अंकलगिड़-(न०) सदा अकेला विचरण अंक मत-(वि०) एक राय के । करने वाला निर्भय और बड़ा शक्तिशाली अकमते-(अव्य०) एक राय से। सूअर । प्रेकमन-(वि०) १. संगठित । २. अकमत। अकलड़ो-(वि०) १. एक लड़ वाला। अकमना-(वि०) १. एक मन वाले । एक २. अकेला। मत वाले । २. संगठित । अकल-दोकल-(वि०) १. अकेला । अंकमात्र-(वि०) केवल एक । एक ही। २. अकेला-दुकेला । इक्का-दुक्का । अकमेक-(अव्य०) १. परस्पर । आपस अकलमल्ल-(वि०)१.अकेला ही कई वीरों आपस में । २. एक जैसा । एक सरीखा। से लड़ने की शक्ति रखने वाला। एक । (न०) मिश्रण। मिलन । (वि०) अकलवाई-(ना०) लुहार का एक १. मिश्रित । मिला हुआ। २. परस्पर औजार। मिले हुये। एक दूसरे से मिला हुआ। अकलवाड़-(न०) शक्तिशाली । शूकर । २. एक समान । अकलवीर-(न०) अकेला जूझने वाला प्रेक रंग-(वि०) १. बराबर । समान। वीर । For Private and Personal Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कलसूरो कलसूरो - (व०) १. स्वार्थी । नतलबी । २. बहादुर । वीर । ३. साथी रहित । अकेला । प्रीति । कळास - ( न० ) १. मेल 1 मित्रता । २. संगठन । कलियो – (वि०) अकेला । एकाकी 1 ( न० ) एक बैल वाली छोटी गाड़ी । रेखळो । कलिंग - ( न० ) १. मेवाड़ राज्य के स्वामी एकलिंग महादेव । २. सीसोदिया क्षत्रियों के इष्टदेव श्री एकलिंग महादेव । ३. उदयपुर के पूर्व में एक तीर्थ स्थान जहां एकलिंग महादेव का मंदिर है। शिवपुरी । कलो - ( वि०) १. अकेला । इकल्ला । २. अलग । ३. सहायहीन । क लोहिलो - ( वि०) १. एक रक्तवाला । एक वंश का । २. एक स्वभाव का। प्रेक वचन - ( न०) १. व्याकरण में वह वचन जिससे एक का बोध हो । २. निश्चय । कवड़ो - ( वि०) १. एक परत वाला । ( १७१ ) इकहरा । कसंथ - ( वि०) एकमत । एक राय के । कसर - ( वि० ) एक समान । क सरखो - (वि०) एक सरीखा । समान । क सरीखो - ( वि०) एक प्रकार का । एक जैसा । क साथे - ( श्रव्य०) १. सब मिल करके । २. एक साथ में । एक ही बार में । क सिरीसो- (वि०) दे० एक सरीखो । कसो - ( वि० ) १. एक समान । एक जैसा । २. दस दहाई । एक सौ | ( न० ) एक सौ की संख्या । '१००' कहथी - (वि०) वह (गाय या भैंस) जो नित्य दुहने वाले व्यक्ति से ही दुहाती हो । एक ही व्यक्ति से दुहाने की प्रादत वाली । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कार्य हथो - (वि०) एक व्यक्ति द्वारा संचा लित । एक हत्था । कंगो - दे० ब्रेक अंगो । कंकार - दे० काकार । कंत— दे० कांत । कंतर - दे० कांतरै । कंतरो—दे० कांतरी । कंदर - ( अव्य० ) १. श्रीसतन । २. ग्राम तौर से । समग्रतया । सामान्यतया । काई - ( ना० ) १. अंक गणना में सबसे आगे का और प्रथम अंक । इकाई । २. एक का मान या भाव । काक - (वि०) १. मात्र एक । एक ही । २. अकेला । ( क्रि० वि०) एक दम । सहसा । अचानक । अकस्मात | काकी – दे० एकाएक । काकार - ( वि० ) ९. कइयों के मेल से जिसने एक रूप या प्राकार धारण कर लिया हो । २. जो किसी से मिलकर उसी जैसा होगया हो । ३. एक आकार वाला । एक रूप । ४. मिला हुआ । मिश्रित । ५. भेद रहित ( न० ) १. एक होने का भाव । २. एकाचार । ३. एकधर्मं । ४. तुल्य प्राकृति । ५. एक होने की क्रिया या भाव। काकी - दे० एकाएक । काक्ष - (वि०) एक प्राँख याला । काना । ( न० ) १. कौआ । २. शुक्राचार्य । काक्षरी - ( वि०) १. जिसमें एक ही अक्षर हो । एकाक्षरी । ( न० ) १. एक छंद जिसमें एक ही अक्षर वाले शब्द का प्रयोग किया हुआ होता है । २. एक ऐसा पद्य साहित्य जिसमें अनेक प्रश्नों के उत्तर एक ही अक्षर ( शब्द) में प्राप्त किये हुए हीते हैं । काखरी - दे० एकाक्षरी । ग्रेकाग्र - - ( वि०) १. एग ही ओर मन लगा हुमा । एक लक्षी २. तल्लीन । For Private and Personal Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंकाग्रता । १७२ ) श्रेक काग्रता-(ना.) तल्लीनता। मन की कोई न हो ऐसा स्थान । २. अकेलास्थिरता। पन। कारणो-(न०) इक्यानवाँ वर्ष । कांतरै-(प्रव्य०) १. एक दिन के अंतर अकारण- (वि०) नब्बे और एक । (न०) से। एक दिन के बाद । एक दिन का ___६१ की संख्या । बीच । अकारणू मों-(वि०) संख्या क्रम में जो अंकांतरो-(न०) एक दिन के अंतर से नब्बे और बरानवे के बीच में आता हो। आने वाला ज्वर । (वि०) एक दिन का इक्यानवा । बीच देकर पाने वाला। अकादशी-दे० अकादसी। अंकांतवास-(न०) १. एकान्त में रहना । अकादसी-(ना०) चांद्रमास के उभय पक्षों २. गुप्त रूप से रहना । की ग्यारहवीं तिथि। अकांत वासी-(वि०) एकान्त वास करने अकादसो-(न०) १. मृतक का ग्यारहवें वाला। दिन का कृत्य । २. ग्यारहवां दिन । अंकी-(ना०) १. वह जिस पर किसी एक अकाध-(वि०) १. कोई । कोई-कोई। वस्तु का चिह्न किया हुमा हो। २. जो २. क्वचित् । ३. कोई एक । दो से नि.शेष विभाजित न हो सके । अकाधो-(वि०) दे० अकाध । ३. विषम संख्या । इकाई । ४. एक बूटी प्रेका बेका-दे० एकी-बेकी। वाला ताश का पत्ता । ५. एक अंगुली अकावन-(वि०) पचास और श्रेक । (न०) उठाकर पिशाब करने को जाने का __ इक्यावन की संख्या, '५१'। संकेत । ६. पिशाब की हाजत । मूत्रवेग । अंकावनमों-(वि०) संख्या क्रम में जो ७. एकता । मेल । सम्भूति । पचास और बावन के बीच में आता हो। अंकी-बेकी-(न०) १. विषम और सम अंकावनो-'न०) इक्यावनवां वर्ष । सख्या। २. विषम और सम संख्या को अंकावळ-(न०) १. एक लड़ी का हार ।। मुट्ठी बंद कर बताये जाने का एक प्रकार २. गले का एक गहना।। का जुना। मुट्ठी में बंद किये गये दानों कावळ हार-दे० कावळ । की सम या विषम संख्या बताने की हार अकावळी-दे० इकावळी । जीत का एक द्यूत । ३. बालकों का एक अंकासपो-(न0) दिन में केवल एक बार खेल । ४. श्रेक अंगुली उठाकर पिशाब । भोजन करने का व्रत। एकाशन । और दो अंगुलियाँ उठाकर टट्टी जाने का अकांकी-(न0) एक ही अंक में समाप्त संकेत । ५. पिशाब और टट्टी। होने वाला नाटक। अंकीसार--(वि०) एक जैसा । एक समान । कांगी-(वि०) १. एक अंग वाला । एकसा। २. अपंग । ३. एक तरफी । ४. एकेंद्रिय। अकूको-(वि०) एक एक । एक के बाद ५. एक ही बात को पकड़े रहने वाला मेक । एक के बाद दूसरा एक ।। हठी। जिद्दी । एकंगो। __ अकेंद्रिय-(न०) वह जीव जिसके एक ही अंकांत-(वि०) १. किसी के आने-जाने से इंद्रिय होती है, जैसे-जोंक । रहित । २. खानगी । ३. अलग । अंक-(ना०) मास के पक्ष का प्रथम दिन । ४. बिलकुल । नितान्त । (न०) १. जहाँ एकम । प्रतिपदा । For Private and Personal Use Only Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १७३ ) प्रेक केक - (वि०) एक एक । प्रति एक । के फेरे - ( श्रव्य०) १. एक साथ । २. एक ही समय में । को - ( न०) १. एक । २. एक की संख्या । ३. संगठन । एकता । ४. एक बूटी वाला ताश का पत्ता । ५. एक घोड़े वाली गाड़ी । ६. राजा का अंगरक्षक । इक्का । ७. बादशाही योद्धा जो अकेला ही अनेकों से लड़ने की सामर्थ्य रखता हो । ८. विक्रम संवत् का पहला वर्ष । कोज - (वि०) १. एक । २. एकही । कोतर - (वि०) सत्तर और एक । इकहत्तर | ( न०) सत्तर और एक की संख्या '७१' । कोतरमों - (वि०) संख्या क्रम में जो सत्तर और बहत्तर के बीच में आता है । इकहत्तर | कोतरो - ( न० ) इकहत्तरवाँ वर्षं । कोळाई - ( ना० ) दे० एकलवाई | खरो - ( न० ) एक वनौषधि । ग्रेडी - ( ना० ) १. एड़ी । २. जूती या बूट की एड़ । पेड़ - छेड़ – ( क्रि०वि०) १ इधर-उधर । २. किनारों पर । ढो - ( न० ) १. पता । निशान । २. मौका | प्रेरण - ( न०) १. हरिण । २. मृगचर्म । ( सर्व ० ) १. इस । २. यह । प्रेरण - ( सर्व०) १. इस ३. इसको । २. इसने । प्रेरणपर - ( अव्य० ) १. इस प्रकार । २. इस पर । तबार - ( न० ) विश्वास । प्रेतराज - ( न० ) प्रापत्ति । उज्र । तलो - ( वि० ) इतना | अतवार - ( न०) रविवार । ताँ - ( वि०) १ इतने । २. इतनो को । ती - (वि०) इतनी | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेवजी प्रेते - (वि०) इतने । तो - ( वि०) इतना । थ - ( क्रि० वि०) १. यहाँ । इस ओर । इधर । प्रेम - ( क्रि०वि०) १. इस प्रकार । ऐसे । २. उस प्रकार । उस तरह । प्रेम . . - ( न० ) पारंगत त्रिनयन (श्रस ) शिक्षण की पदवी । (मास्टर ऑफ आर्ट्स) रंड -- ( न० ) ₹डी । इरंडियो । प्रेरण -- ( न० ) निहाई । प्रहरन । रसो- (वि०) ऐसा । इस प्रकार का । प्रेरक - ( न० ) १. शराब । २. घोड़ा । ३. तलवार । ४. इराक देश । रिसो- (वि०) दे० अंरसो । येळची -- ( ना० ) इलायची । लान - ( न० ) घोषणा । लाबेलो - ( न० ) १. इधर उधर हो जाने के कारण परस्पर नहीं मिल सकने का भाव । २. बच्चों का एक खेल । श्रेळियो - ( न०) ग्वारपाठे का सुखाया हुआ रस । एलुवा । मुसब्बर । ओळ - ( अव्य०) वृथा । बेकार । ग्रे - ( अव्य० ) इस प्रकार । ऐसा ही । २. और फिर । वज - ( न० ) १. गहना । २. बदला । ३. परिवर्तन । ४. स्थानापन्न । वज-पाटी - (ना० ) १. सभी प्रकार के आभूषण । २. सगाई - विवाह संबंधी आभूषरण । ३. आभूषरण वस्त्रादि । वजान - ( श्रव्य० ) जगह में । परिवर्तन में। श्रेवज में । For Private and Personal Use Only जानो - ( न० ) रुपये उधार देने के बदले. में रखी जाने वाली रुपयों से अधिक मूल्य की वस्तु । २. बदला । प्रतिकार । ३. प्रतिफल । वजियो - दे० श्रेवजी । वजी - ( न० ) बदले में काम करने वाला व्यक्ति । Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेवा ( १७४) पेठ-पेठ प्रेवड़-(न०) भेड़-बकरियों का मुड । ५. गर्व करना । घमंड करना। श्रेवड़-छेवड़-(क्रि०वि०) आसपास । इधर- अंठवाड़ो-(न०) जूठा । उच्छिष्ट । जूठन । उधर । आजूबाजू। (वि०) जूठा । उच्छिष्ट । ग्रेवड़ी-(वि०) इतनी। ॲठीजणो-(क्रि०) १ अकड़ना। २. गर्व प्रेवड़ो-(वि०) इतना। ___ करना। ३. बल लगना। ४. मोड़ा जाना । अवमस्तु-(अव्य०) ऐसा ही हो। बेठो-(वि०) १. जूठा । २. वह जिसमें अवाळ-(न०) गड़रिया। अंठा लगा हो। ३. वह जिससे जूठन या वाळियो (न०) गड़रिया। जूठा हाथ स्पर्श होगया हो । (स्त्री०प्रेठी) अवे-(सर्व०) वे। (10) जूठन । ग्रेसिया–(न०) पाँच महाद्वीपों में से एक। अठो-चूटो-दे० अँठो-जूठो । अह- (सर्व०) १. यह । २. इस । अँठो-जूठो- (वि०) जूठा । (न०) १.जूठन । श्रेहड़ी-(वि०) ऐसी। उच्छिष्ट । २. इधर-उधर बिखरी हुई अहड़ो-(वि०) ऐसा। जूठन । अहवो (वि०) ऐसा। अंडणो--(क्रि०) १. तोल करना । तोलना। अहिज-(सर्व०ब०व०) १. येही। २ इन्होंने २. अनुमान करना । २. अनुमान लगाना ही। (वि०) ऐसी। (वजन का)। अहिजपरि-(अव्य०) इस प्रकार । बेंडो-(न०) १. किसी के यहां भोजन के श्रेही-(सर्व०) १. येही। २. ये भी। निमंत्रण पर साथ में ले जाया जाने वाला ३. इन्हीं । ४. यही । यह । ५. इसी अनिमंत्रित व्यक्ति । २. तोल । वजन । ग्रेडी-(वि०) ऐसी। ३. किसी पात्र के अंदर वस्तु को तोलने अहो-(वि0) ऐसा। के पहले खाली पात्र को तोलने का अँचातारणो-दे० अंचाताणो । वजन । (वि०) १. कठिन । २. विषम । अंजिन-दे० इंजन । दुर्गम । अठ-(ना०) १. उच्छिष्ट । जूठन । अँढणो–दे० अंडणो। २. घमंड । ३. अकड़ । ४. मरोड़। डेढो-दे० अंडो। अंठगो-(क्रि०) १. जूठा करना । २.चखना। अंधारण-(न०) १. पहचान । निशानी। ३. बल देना । मरोड़ना। ४. अकड़ना। २. चिह्न । निशान । निशानी। -संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्ण- ___ माला का नौवां (स्वर) वर्ण। -(सर्व०) 'पा' सर्वनाम नारी जाति और 'यो' सर्वनाम नर जाति का बहुवचन । ये। ये लोग। अंडी-(वि०) ऐसी। इस प्रकार की। इसी। अंडो-(वि०) ऐसा। इस प्रकार का । इसो। अठ-पैठ-(ना.) १. जानकारी। पहचान । परिचय । मोखाण । २. प्रतिष्ठा । ३. ख्याति । For Private and Personal Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir • २. माजमजा। मैतराज (१७) प्रेतराज-(न०) आपत्ति । विरोध । औरण-दे० प्रहरण । एतराज । राब । मद्य । २. इराक अंतरेय-(न०) १. इस नाम का एक उप- देश । ३. इराक देश का बाजा। ४. निषद् । २. ऋग्वेद का एक ब्राह्मण इराक का घोड़ा। ५. घोड़ा। (ना०) ग्रन्थ । तलवार । खड्ग। तिहासिक-(वि०) इतिहास से सम्ब- भैराकी-(वि०) इराक देश से संबंधित । धित । (न०) १. घोड़ा। २. इराक का घोड़ा। अंद- दे० अहद । औरापत-(न०) १. इन्द्र की सवारी का अंदी-दे० अहदी। हाथी । ऐरावत । ऐरापति । सक्रवाह । अंदीठौड़-(ना०) · १. विकट स्थान । २. गर्जन करता हुआ बिजली वाला २. गुप्त स्थान । बादल । विद्य त-मेघ । ३. विद्यु त । अधूळा-(न0)१. मौज । मस्ती। २. राग-। बिजली। रंग . ३. मौजमजा । औरावत-दे० अरापत ।। अधूळो-(वि०) १. मस्त । मौजी। २. औरावती-(ना०) १. रावी नदी। २. वीर । ३. छल । शौकीन । (न०)भूत । बिजली। अरू- (न०) सर्प । साँप । अन-(वि०) १. अत्यन्त ठीक । २. उप अरू-जांजरू-(न0) सर्प, बिच्छू आदि युक्त । ३. मुख्य । (ना०) १. प्रतिष्ठा । विषैले जन्तु । प्राबरू । २. समाज या जाति की मर्यादा। रो-रो-(वि०)१. हरकोई । साधारण । ३. घर । अयन । ४. पाश्रम । स्थान ।। २. अपरिचित । ३. उचक्का। ४. पराया। ५. गति । चाल। ५. तुच्छ । हीन । अनरो-(वि०) १. वह जिसमें कष्ट सहने अलाण-(न०) १. रूपरंग । २. रंग ढंग । की शक्ति न हो। २. कामचोर । ३.. तौर-तरीका । ३. चिन्ह । निशान । अमीर की तरह बना रहने वाला। प्रहलारण । प्रहनाण । ४. प्रसंग । अनाण-(न०) १. निशान । चिन्ह । ५. रहस्य । ६. लगाव । संबंध । ७. भूत२. लक्षण। भय । प्रेत । डर । ८. घोषणा । ऐलान । अनाण-सैनाण--(न0) लक्षण, चिन्ह मुनादी। प्रादि । अलान-(10)घोषणा । ऐलान । मुनादी। अब-(न०) १. दूषण । २. खामी। अवाकी-(वि०) १. दुष्ट । २. लुटेरा । ३. भूल । गलती । ४. अवगुण । ३. शत्र ।। बुराई। ५. गुनाह । दोष । अपराध । अवास-(न0) घर । आवास । ६. कलंक । लांछन । ... श्रेश्वर्य-(न०) १. अणिमा आदि सिद्धियाँ। अब-गैब-(क्रि०वि०) १. गुप्त रीति से । २. धन-सम्पत्ति । ३. प्रभुत्व । ४. २. अनजान से । ३. दृष्टि से बाहर ।(वि०) विभूति । १. जिसका किसी को पता या ख्याल न अश्वर्यवान-(वि०) ऐश्वर्यवाला। वैभवहो । २. अनहोनी। ___ शाली। अबी-(वि०) १. दूषणवाला। २. बद- अस-(अव्य०) १. इस वर्ष । वर्तमान वर्ष । माश। ३. चालाक । ४. बेईमान । ऐष। (न.) १. मौज-मजा । ऐश । ५. दुष्ट । ६. अंगहीन । २. भोगविलास । For Private and Personal Use Only Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पैसके मोकारो भैसके-(पन्य०)१. इस बार । २. इस वर्ष। वर्तमान काल । अंसको-(वि०) इस बार का। वर्तमान वर्ष का। असो-(वि०) ऐसा । इस प्रकार का । अहिक-(वि०) लौकिक । सांसारिक । अहिज-(सर्व०) ये ही। अही-(सर्व०) १. ये ही । ये भी। चरणो-(क्रि०) खींचना । तानना। मैंचातारणो-वि०) जिसकी प्रांख का कोया और उसकी कीकी सामने नहीं हो। फिरी हुई आँख वाला । भेगा। अँठ-दे० अँठ। अठरणो-दे० अंठणो। अँठवाड़ो-दे० ग्रेवाड़ो। अँठो-दे० जेठो । अठो-बूटो-दे० ठो-जूठो । अठो-ठो-दे० ठो-जूठो । अँडणो- दे० अंडगो। अंडे-(कि०वि०) इधर । यहां । अठे। अंडो-दे० डो। अंड-(वि०)१. उपयोग में नहीं लिया जाने वाला। २. उपयोग में नहीं पा सकने वाला। |ढरगो--(क्रि०)१. तौल करना । २. अनु मान करना (वजन का)। अंधारण-(न०) १. स्मृति रूप चिन्ह । २. स्मारक । अनाण। अंधी ठौड़-(ना०) अनजानी जगह । प्रसंधी जागा । अँधो-(वि0) अपरिचित । प्रसेंधो। ओ प्रो-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्ण पर तीर लगाना । ३. शस्त्र प्रहार __माला का दसवां (स्वर) वर्ण। करना । ४. उलटी करना । प्रो-(सर्व०) यह । प्रोकर-(न०) १. ताना । उपालंभ । प्रोइंछणो-(क्रि०) १. मनेच्छा पूर्ण होने २. अपशब्द । ३. तुच्छकार । तुच्छार्थक की शर्त पर भेंट के रूप में संकल्प की शब्द । हुई वस्तु को पाराध्य देव के अर्पण कर प्रोकळी(ना०) १. पानी के वेग से बहने देना । इच्छापूर्ति होने पर देवता को भेंट के कारण पड़ने वाला खड्डा। २. रेती चढ़ाना । २. न्योछावर करना । वारना। ___ का छोटा धुस । पवन से उड़कर बना हुआ छोटा टीला। ३. इस प्रकार बने प्रोईछगो- दे० प्रोइंछणो। हुए टीले के पास का खड्डा । ४. टीवे प्रोईजाळो-दे० प्रोसीजाळो। पर हवा के वेग से बनी हुई बालू रेत के प्राक-(न०) १. समूह । २. घर। लहर या लहर माला । ३. पाश्रय । ४. पक्षी। ५. शूद्र । ६. भोकात--(ना.) १. हैसियत । बिसात । निशान । ७. अंजलि । ८. खप्पर । २. ताकत । ६. कै । उलटी। प्रोकारी-(ना०) १. वमन । के। २. ओकरणो-(क्रि०) १. निशान करना । मिचली। लकड़ी या धातु में औजार से निशान प्रोकीरो-(न०) वर्षाऋतु में गोबर में करना। २. निशाना लगाना। निशाने उत्पन्न होने वाला एक कीड़ा । गोगीड़ो। For Private and Personal Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोख ( १७७ ) मोचीतो पोख–ना०) १. पर्व के दिन किसी प्रोगणगारो-(वि०) प्रौगुन वाला । दोषी। आत्मीय की मृत्यु हो जाने के कारण, उस पर्व को उस दिन मनाने का निषेध । अोगनियो--(न०) स्त्रियों के कान के ऊपर २. कमी । न्यूनता। को लोल में पहने जाने वाला सोने या अोखरण-(न0) मूसल । सांबीलो। चाँदी की एक लटकन । पीपळ पतियो। अोखणणो-(क्रि०) १. मूसल से अोखली पोपळ पान्यो। (एक कान में ऐसे तीन तीन पहने जाते है।) में कूट कर नाज (के दानों) का छिलका ओगाळ-(ना) १. कलंक । लांछन । दूर करना । खांडणो । २. उखेड़ना। २. जुगाली। अोखणियो-(न०) मूसल । सांबोलो। प्रोगाळणो-(क्रि०) १. जुगाली करना । (वि०) मूसल द्वारा अोखली में कूटने २. कलंकित करना। ३. जल्दी जल्दी वाला। खाना । पूरा चबाये बिना खाना । प्रोखणो-(क्रि०) मूसल द्वारा प्रोखली में प्रोगाळी-(ना०) जुगाली। कूटना । (न०) मूमल। प्रोगाळो--(न०) चरने के बाद बचा हुआ ओखद-(ना0) औषधि । दवा । ___ डंठलों वाला नहीं खाने योग्य घास । पोखदी-(ना०) औषधि । दवा । प्रोगुण--(न०) १. अवगुण । दुर्गुण । पोखध-दे० अोखद । २. दोष । ऐब । पोखर-(न0)१. विष्टा । मल । गू। २. प्रोगणगारो-(वि०) १. औगुन करने गोबर । ३. नरक । ४. गंदगी । __ वाला। प्रौगुनी। अवगुणी । २. अपपोखर बोलणो-(मुहा०)अशिष्ट बोलना। राधी। दोषी। गाली गलौज देना। प्रोगुणी-(वि०) १. अवगुणी । २. दोषी। पोखळण-(न०) १. प्रहार । चोट । , अोघ-(न०) १. समूह । राशि । २. धना२. नाश । पन । ३. धारा । ४. बहाव । अोखळणो-(क्रि०) १. प्रहार करना। मोघट-(वि०) १. दुर्गम । २. विकट । २. नाश करना। भयंकर । ३. कठिन । पोखळी-(ना०) अोखली । दे० पोकळी। प्रोघड-न०) १. अघोरी। २. मस्त । अोखा-(ना०) अनिरुद्ध की पत्नी । उषा। ३. मनमौजी । ४. जोगी। अोखाणो-(न०) १. उपाख्यान । २. कहा- अोघम (ना०) १. शरीर की उष्मा । वत । ३. उदाहरण । ४. दृष्टान्त । २. धरती या मकान ग्रादि से प्राप्त होने अोखा मंडळ-(न०) द्वारका के पास का वाली उष्मा। __ काठियावाड़ का एक भाग । अोघमो-(न०) १. शरीर की उष्मा । अोखी-(वि०) १. कठिन । २. दुःसाध्य । २. धरती, मकानादि से प्राप्त होने वाली ३. दुर्लध्य । ४. विकट । ५. अटपटी। उष्मा । ३. वर्षागम की तपन । अोखीवार-(ना०) १. संकट काल । अोघाट-(न0) दुर्गम स्थान । २. क्रांति काल । प्रोघो-(न०) जैन साधु के पास रहने वाला प्रोखो-(वि०) १. अटपटा। २. कठिन । रजोहरण । रजोयरणो। ३. दुःसाध्य । ४. दुर्लध्य । ५. विकट। ओचीतो-(वि०) अचिन्त्य । अप्रत्याशित प्रोगण-दे० मोगुण । प्राकसमिक । अनचीता । अणचीतवियो। For Private and Personal Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोछ ( १७८ ) प्रोझड़ ओछ-(ना.) १. नीचता। प्रोछापन। प्रोछो-(वि०) १. कम । थोड़ा। २. नीच क्षुद्रता । २. कमी । न्यूनता । प्रकृति वाला। ३. अपशब्द बोलने वाला। अोछटणो-(क्रि०) १. कूदना। २ भागना। अशिष्ट भाषी । ४. निंदा करने वाला। ओछरणो-(क्रि०) १. अोछापन करना। ५. ठिगना । बौना। ६. क्षुद । तुच्छ । क्षुद्रता दिखाना। २. अोछा होना । कम हीन ७. छोटा। होना : घट जाना। प्रोज-(न०) १. बल । शक्ति । प्रताप । प्रोछब-(न०) उत्सव । उच्छब । २. तेज । प्रकाश । ३. कान्ति । ४. शूरअोछाई—(ना०) १. क्षुद्रता । अोछापन । वीरता जगाने वाला काव्य । २. कमी । न्यूनता। प्रोजगी-(वि०) १. किसी की स्मृति में अोछाड़-(न०) १. थाली आदि में रखी रात भर नींद नहीं लेने वाला । २. रात हुई वस्तु को ढकने का वस्त्र । आच्छादन। में जगता रहने वाला। २. भोजनाच्छादन। ३. कपड़े का ढक्कन। अोजगो-(न०) १. रात को नींद नहीं लेने ४. ढकने का कपड़ा । ५. खोल । या नहीं पाने के कारण उत्पन्न आलस्य । गिलाफ । ६. रक्षक। नींद की खुमारी। उनींदापन । २. नींद प्रोछाड़णो-(क्रि०)१. ढकना । आच्छादित का अभाव । करना। २. पूर्ति करना। ३. रक्षा प्रोजतो-(वि०) १. उपयोग में लिया जा करना। ___ सकने योग्य । खपता । २. जिसके उपयोग पोछारणो-(क्रि०) १. कम हो जाना। करने में बहिन-बेटी के भाग की आपत्ति घट जाना। २. कग कर देना। घटान हो । ३. अनुकूल । देना। (त्रिभू०) कम होगया। घट गया। योजळा--(न०) (विना सिंचाई के ) केवल अोछापणो-(न०) १. अोछापन। हलका- जमीन की तरी से होने वाले गेहूं। पन । अोछाई। २. नीचता। क्षुद्रता। प्रोजस-दे० पोज । ३. कमी। प्रोजस्वी--(वि०) प्रोजसवाला । अोछा बोलो-(वि०) १. पोछा बोलने प्रोजार--- (न0) अौजार । उपकरण । वाला । २. अशिष्ट भाषी। प्रोज-(क्रि०वि०) १. अभी। अब ही। अोछी-(वि०)१. कम । थोड़ी। २. छोटी। २. अब भी। ३. अभी तक । ४. पुनः । ३. अशिष्ट बोलने वाली । ४. ठिगनी।। और । फिर। बौनी । ५. हीन । तुच्छ । प्रोजो-(न०) खर्च में कमी तथा बचत अोछी कापरणी-दे० प्रोछी वाढणी। करने की भावना। खर्च नहीं करना । पोछीजणो--(क्रि०) कम होना । घट बचत करने की मनोवृत्ति । जाना। अोझकणो-(क्रि०) १. डरना । भय ओछी ढाण-(ना०) ऊंट की एक चाल । मानना। २. डर के मारे उछलना । धीमी दौड़। ३. अचानक जाग उठना। चौंक कर ओछी वाढणी-(मुहा०) १. बात या काम जाग उठना । ४. चौंकना । ५. काँपना। के फैलाव को अधिक लंबाने से रुकना अोझड़-(त्रि०वि०) लगातार । (वि०) या रोकना । २. झंझट को फैलाने से रोकना। ३. हानिकारक बात का विस्तार का विस्तार १.असंख्य । अपार । २. भयंकर । (ना०) नहीं करना। १. झटका। २. चोट । प्रहार । For Private and Personal Use Only Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रोझड़-झड़ ( १७६ ) मोठंभो ओझड़-झड़-(वि०) १. प्रहारों को सहने कपास को अलग करना। ४. अग्नि को वाला । २. क्षत-विक्षत । ३. प्रहार करने राख से ढकना। ५. दूध आदि को उबाला वाला । (अव्य०) प्रहारों पर प्रहार। देकर गाढ़ा करना । (क्रि०वि०) प्रहारों को सहन करता हुअा। प्रोटली--(ना०) वबूतरी । चोतरी । ओझड़णो- (क्रि०) १. झटका मारना। प्रोटलो-(न०) चबूतरा। प्रोटो। चौतरो। २. प्रहार करना। ३. युद्ध करना। प्रोटवरणो—(क्रि०) १. अधिकार में लेना । ४. लड़ना। २. दबाना । अोझरणो-(क्रि०) दे० अोधणो । (न०) अोटाई-(ना०) १. प्रोटने का काम । गौना की विदाई के समय कन्या को दिये २. प्रोटने की मजदूरी। जाने वाले वस्त्राभूषण आदि । दहेज । प्रोटागो-(क्रि०) दूध आदि को उबाला दात । दायजो। देकर गाढ़ा करना। अोझर-(न०) १. पेट । २. अाँत । प्रोटावणो दे० प्रोटारगो तथा प्रौटीजरणो। ओझरी-(ना०) १. पेट । २. बढ़ा हुआ प्रोटाँटळो--(वि०) १. कड़ी गर्दन वाला । पेट । जिसकी गर्दन अकड़ गई हो । २. दुबलाग्रोकरो-(न०) दे० प्रोझरी। पतला । ३. अड़ियल । ४. झगड़ालू । प्रोझळ-(वि०) १. अप्रकट । अप्रत्यक्ष । अोटाँटीजरपो-(त्रि०) वायु से गर्दन का २. अदृष्ट । अदृश्य । ३. अंतर्धान । अकड़ जाना। तिरोहित । (न०) १. अप्रकटता । अप्र- प्रोटो--(न०) १. चबूतरा । चौतरो । त्यक्षता। २. तीव्र ज्वाला । (क्रि०वि०) २. तालाब, बंध ग्रादि में परिमारण से १. अप्रकट रूप से । अप्रत्यक्षता से। अधिक पाये हुये पानी को निकालने के २. अदृष्ट । लिये बनाया हुप्रा मार्ग। जलाशय में अोझळणो-(क्रि.) १. बुझाना। २. बुझना। समा सकने की शक्ति के उपरान्त पानी ३. मिटना । मिटाना । ४. गायब होना । के निकलने का बनाया हुआ मार्ग । लुप्त होना। ५. कूदना । ६. जलना। ३. शरण । सहारा। प्रोमो-दे० १. प्रोधो। २. ब्राह्मणों की अोठ---(ना०) १. शरण । २. सहारा । एक अल्ल । उपाध्याय । ३. झाड़ा- मदद । ३. रोक । रुकावट । ४. एकान्त झपटा करने वाला। जगह । ५. परदा । ६ होंठ। प्रोट-(ना०) १. शरण । २. पाड़। अोठक--(न०) १. ऊंट । २. ऊंट, ऊंटनी, ३. रोक । रुकावट । ४. सहारा। टौड आदि । ऊंट जाति । ऊंट धन । ५. बखिया की सिलाई। (वि०) ऊंट संबंधी । ऊंट का। ओटणी—(ना०) १. बखिया की सिलाई। ओठक-पड़तल-(न०) ऊंट के ऊपर कसा तुरपाई। तुरपन। २. तुरपन की मजदूरी। जाने जाने वाला काठी-गद्दा आदि ३. रूई और कपास अलग करने की सामान । क्रिया। अोठम-(वि०) १. रक्षक । २. सहायक । प्रोटगो-(क्रि०) १. एक प्रकार की सिलाई ३. पोषक । (ना.) १. आश्रय । शरण । करना। २. बखिया की सिलाई करना। २. सहायता । मदद । बखियाना । ३. चरखी के द्वारा रुई और अोठंभो-(न०) १. प्राश्रय । २. शरण । For Private and Personal Use Only Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोठारू (१८०) प्रोढावणी अोठारू-(न०) ऊंट, ऊंटनी और उसके प्रोडव-(ना.) ढाल । फलक । बच्चे । ऊंट धन । ऊंट समूह । २. ऊंट प्रोडवरणो-(क्रि०) ढक देना। ढकना । या ऊंटनी । ३. साँड़नी। ऊंटनी । (वि०) २. ढाल से रक्षा करना। ऊंट संबंधी। प्रोडंडी- (ना.) १. मुक्की। मुठ्ठी । दे० अोठी-(क्रि०वि०) उधर । (न०) १. ऊंट- प्रोडंडीस । सवार । शुतुर सवार । २. उष्ट्रारोही- अोडंडीस-(वि०) १. उद्दण्ड । २. जबर दूत । (वि०) ऊंट संबंधी । ऊंट का। दस्त । अोठीजट-(ना०) ऊंट के काटे हये बाल। पोडी-(ना०) १. टोकरी । डलिया। ऊंट के बाल । २. (प्रोडा से छोटा) घास का नाप । अोठीपो--(न०) १. आजीविका के लिये प्रोडो--(न०) १. बड़ा टोकरा । २. कुतर ऊंट के द्वारा सवारी ले जाने, माल लादने किये हुए घास-चारे का एक नाप । प्रादि का किया जाने वाला धंधा। प्रोड़ो-दे० ग्रोहड़ो। (वि०) उस तरह का २. ऊंटों के क्रय-विक्रय का काम । ऊंटों वैसा । ऊड़ो। के व्यापार का काम । ३. राज्य की अोढ-(ना०) सिंचाई के लिये कुएं पर शुतुरसवारी की नौकरी का काम। रहने वाले बैलों और मनुष्यों के लिये बने ४. ऊंटों का प्रदेश (जैसलमेर)। घास के छाजन । हाळी, बैल आदि के अोठे-(क्रि०वि०) १. वहाँ । २. उधर । रहने के लिये कुएँ पर बने हुये अस्थाई अोठो-(न०) १. उदाहरण । मिसाल । निवास के पड़वे-झोंपड़े। दृष्टान्त । २. परदा। ३. उपालंभ। अोटरग-(न०) १. अोढ़ने का वस्त्र । ताना । ४. एकान्त । ५. सहारा । मदद । २. ढाल । ३. युद्ध में रक्षा का साधन । (वि०) ऊँट संबंधी। ऊंट का। (वि०) प्रोढरिणयो-(न0) ओढ़नी या ओढ़ना के १. खराब । बुरा । २. ऊंट से संबंधित । लिये ऊनता सूचक शब्द । ओढ़ना । पोठो दूध-(न0) ऊंटनी का दूध । प्रोढणो। प्रोड-(न०) १. मिट्टी खोदने का काम प्रोढणी-(ना०) १. स्त्री के प्रोढ़ने का एक करने वाला व्यक्ति । २. एक जाति । वस्त्र । प्रोढ़नी । २. चुनरी । बेलदार । ३. किनारा । (वि०) समान । अोढणो--(न०) १. स्त्री के प्रोढ़ने का एक बराबर । (ना०) ओर । तरफ । वस्त्र । अोढ़ना। (क्रि०) १. वस्त्र से अोड़-(ना०) १. समानता। बराबरी। शरीर को ढाँकना । २. जिम्मेवारी लेना। २. समुद्र का किनारा। ३. गांव का ३. धारण करना। किनारा । (ना०) ओर । तरफ। (वि०) प्रोढाडणो-(क्रि०) उढ़ाना । समान । बराबर । प्रोढामणी-दे० प्रोढावणी । प्रोडण-(ना.) १. प्रोड की स्त्री । ओढाळगो-(क्रि०) दरवाजा बंद करना । २. प्रोड जाति की स्त्री। ३. ढाल ।। किंवाड़ ढकना। फलक । ओढावणी-(ना०) १. विवाह में कन्या के प्रोडणो- (क्रि०) १. प्रहार करना । पिता की ओर से वर के माता-पिता २. प्रहार हेतु हाथ या शस्त्र उठाना । ३. तैयार करना। ४. भेलना । थामना। अादि कुटुम्बीजनों को पघड़ी, दुपट्टा, ५. सहन करना। ६. ढकना । प्रौढ़ना, रुपये आदि मेंट देकर किया जाने For Private and Personal Use Only Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओढावणो ( १८१ ) प्रोनाई वाला बरात की विदाई के समय का प्रोथिये--(क्रि०वि०) वहाँ । उधर । उस सम्मान । पहरावगी। २. दहेज । जगह । उठे । पौठे। अोढावरणो-(क्रि०) वस्त्र से शरीर प्रोद--(ना०) १. बल, वीर्य और गुण आदि ढाँकना । उढ़ाना। में वंश की परम्परा। २.वंश । खानदान । अोढो-(वि०) १. दुर्गम । विकट । वोढो। प्रोध । २. जबरदस्त । बलवान । ३. भयावना। आदरण-(न०) १. बैलगाड़ी के पट्टों के आधार की मोटी बल्लियाँ। तख्ते के नीचे डरावना। ओण-(न०) पाँव । चरण । (अव्य०) के लंबे डंडे । २. प्रोदन । भात । और । फिर । दे० ओरण । प्रोदनिक-(न०) रसोईदार । प्रोत -- (प्रत्य०) १. एक अपत्य प्रत्यय । प्रोदर---(ना०) १. किसी धातु में बेमेल की २. पुरुष के नाम के अंत में लगने वाला धातु का मिश्रण । जैसे-सोने में लोहा, एक प्रत्यय जिसका अर्थ-'का पुत्र' होता। सं.सा आदि । २. पेट । उदर । है । जैसे--'रघुनाथ करमसीग्रोत' अर्थात अोदी-(ना०) शिकार के लिये बैठने का 'रघुनाथ करमसी का पुत्र' । ३. पुरुष नाम ___ ऊँचा और गुप्त स्थान । . के अंतिम अक्षर की 'अ' की मात्रा से ओद्रक-(न०) भय । डर । अातंक । संधि-विकार होने से बनने वाले 'उत' प्रोद्रकरणो-(क्रि०) १. भय मानना । शब्द का 'प्रोत' रूप । (न०) सुत । पुत्र । २. डरना । घबराना । भयभीत होना । ३. आश्चर्य करना। ४. संपूर्ण शक्ति व अोतप्रोत-(वि०) १. एक दूसरे के साथ वेग के साथ आक्रमण करना । मिला हुमा । २. तल्लीन । तन्मय । या प्रोद्राव-(न०) भय । आतंक । प्रोतर-(ना०) १. बरात को दी जाने अधि(ना०) १. वंश । कुल । प्रोद । वाली विदाई। २. बरात की विदाई की २. समूह । ३. खिचड़ी, पकवान आदि अंतिम रस्म । ३. दहेज । दायजो। भोज्यपदार्थो का पैंदे में जल जाने से होने प्रोतर देणी-(मुहा०)१. बरात को पहरा ___ वाला स्वाद-परिवर्तन । वनी करना । २. दहेज देना। अोधकरणो-(क्रि०) डरना । चौंकना । प्रोतरादो-(वि०) उत्तर दिशा का। प्रावण। । अोधणो--(क्रि०) खिचड़ी, पकवान आदि उतरादो। भोज्यपदार्थों का पकाते समय पैदे में जल प्रोथ-(क्रि०वि०) उधर । वहाँ । उठे। जाना। (ना०) १. हानि । नुकसान । घाटो। अोधीजणो-दे० श्रोधणो । २. कमी। ३. सहारा। अोधूळा-(न०) मौज । हँसी-दिल्लगी । प्रोथणो-(क्रि०) १. अस्त होना । मजा । अधूळा । (वि०) निडर । निर्भय । २. कलंकित होना। ३. अवनत होना। (क्रि०वि०) निर्भय होकर । बुरे दिन देखना । दुर्दशा होना । ४. परा- अोधो-(वि०) पैदे में जला हुआ । (खिचड़ी जित होना । हारना । ५. मरना। आदि भोज्यपदार्थ)। प्रोथ रणो-(क्रि०) १. उमड़ कर आना। अोन-(न०) १. मार्ग। २. निकास । २. हमला करना। ३. ढीला पड़ना। ओनाड़-(वि०) १. योद्धा । वीर । ४. हानि उठाना । २. मनम्र। प्रवनाड़। For Private and Personal Use Only Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रोप प्रोप - ( न० ) १. शोभा । २. चमक । प्रकाश । ३. कान्ति । ४. पॉलिश । ५. कवच | ( वि०) सदृश । समान । ओपणी -- ( ना०) सोने चाँदी के आभूषणों आदि पर जिलह देने का अकीक का मत्स्याकार टुकड़ा । श्रोपती । ( क्रि०) चमक देना | पॉलिश करना । परणो - ( क्रि०) १. फवना । शोभा देना । २. शोभा पाना । श्रोपना। ३. चमक लाना । पॉलिश करना | अपना । ३. योग्य ठहरना । उपयुक्त होना । ४. उपयुक्त स्थान पर स्थित होना । श्रोत - दे० उपत | चोपतो - ( वि०) १. फवता । फबता हुआ । सजता हुआ । २. सुंदर । ३. उचित । ( अव्य०) १. यथाविधि । विधि अनुरूप | २. यथास्थान | ठीक जगह पर । ग्रोपम - ( ना० ) १. उपमा - ( वि०) १ उपमा योग्य । २. सुन्दर । समानता ग्रोपमा - ( ना० ) १. उपमा | सादृश्य | 1 २. तुलना । मिलान । ३. शोभा । सुंदरता । ४. चिट्ठोपत्री में लिखा जाने वाला प्रशंसा सूचक वाक्य । प्रशस्ति । प्रोपरो - ( वि० ) १. उचक्का । २. लुच्चा । ३. सामान्य गुणों से रहित । ४. अजनबी | अपरिचित । प्रोपास रो - दे० उपासरो । श्रोफिस - (To) कार्यालय । दफ्तर । प्रोफिसर - ( न० ) अधिकारी । अफसर | प्रवासी - ( ना० ) उबासी । प्रोम - ( न० ) १. ओम् । श्रोंकार । २. परब्रह्म । ३. व्योम | आकाश | श्रमगोम - ( न०) १. श्राकाश और पृथ्वी । ( १८२ ) २. ब्रह्म और सृष्टि । प्रोमाहरणो - दे० ऊमाहणो । प्रोयण -- ( न०) १. शुद्र । २. पाँव । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रोळ कोठा । रखत । प्रोरड़ी - ( ना० ) छोटी कोठरी । ओरड़ो - ( न० ) १. कोठरी । २. एक द्वार वाली कोठरी । ओरण -- ( ना० ) १. जंगल का वह भाग जो किसी देवी-देवता के नाम अर्पित और रक्षित होता है । जिसमें वृक्ष की लकड़ी नहीं काटी जाती और खेती नहीं होती । देवारण्य | अरण्य । २. गोचर भूमि । रखा । रखत । प्रोरणो- ( क्रि०) १. खौलते हुये पानी में दाल आदि का डालना । २. पीसने के लिये चक्की के गाले में नाज डालना । ३. सेना को ललकार कर युद्ध में प्रवर्त्त करना । युद्ध में झोंकना । ४. सीमा लांघना । मर्यादा लांघना । ५. घोड़े को वेग से में युद्ध डालना । चोरतो - ( न०) १. धोखा । २. पश्चाताप | पछतावो । ३. संदेह । शक । ४. श्रभिलापा । ५. आनंद की उत्कंठा । ओरस - ( ना० ) १. दुःख । ग्लानि । २. लज्जा । लाज । प्रोरसियो - ( न०) चंदन घिसने का पत्थर का चकलोटा । For Private and Personal Use Only रसो- (वि०) दुखदाई । श्रनखावना | प्रणखावणो । प्रोरा - ( क्रि०वि०) १. यहाँ । इधर । २. समीप । पास । एक ओोरी ( ना० ) १. चेचक जैसा रोग | छोटी चेचक । २. छोटा कमरा । कोठरी । प्रोरड़ी । प्रोरीजरगो- दे० ऊरीजणो । ओरीसो - दे० ओरसियो । प्रोरू - ( क्रि०वि० ) और फिर । वळं । फेर । प्रोरो—दे० ओरड़ो । ओळ - ( ना० ) १. पंक्ति । २. श्रेणी । ३. हल से खेत में खींची जाने वाली रेखा । ऊमरो । Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नोळख ४. जमानत के रूप में बंदी या सेवक बना कर रखा जाने वाला ग्रादमी । ५. जमानत के रूप में आदमी की रहन । ६. परम्परा । वंश परम्परा । पीढी । ७. पैतृक - संस्कार । वंश - गुण । ८. प्रोट । ग्राड़ । ६. वंश । संतति । ( वि० ) १. परम्परागत । ( १८३ ) २. समान । बराबर । ओळख - ( ना०) पहिचान | परिचय | ओळखणी-दे० ओळख | ओळखणो - ( क्रि०) पहिचानना । परिचय प्राप्त करना । प्रोळखाण - ( ना०) पहिचान । जानपहिचान | परिचय | ओळग - ( ना० ) १. सेवा । चाकरी । २. स्तुति । सुमिरण । ३. याद । स्मृति । ४. विदेश प्रवास । ५. यात्रा । ६. गुरण । प्रशंसा । कीर्तिगान । ७. खुशामद । ८. गायन । गाना । ६. लड़की को पीहर से ससुराल ले जाने के लिये अथवा ससुराल से पीहर ले जाने के लिये आने वाला बुलावा । श्रारणो । १०. भक्ति । ११. उल्लंघन । ओळगरण - ( ना० ) १. यश । कीर्ति । २. विदेश प्रवास । ३. ढादिन । गायिका । गाने वाली । ४. भंगिन । महतराणी | भंगण । भोळगणो- ( क्रि०) १ गुण गाना । यशोगान करना । २. स्तुति करना। बड़ाई करना । ३. उच्च स्वर से गाना । गायन करना । ४ उल्लंघन करना । (वि० ) परदेशी । ओळगवो- (वि०) १. गुण गान करने वाला । २. भक्त । ३. गाने वाला । ओळगाणी - ( ना० ) १. गाने वाली । गायिका । २ ढादिन । ३. भंगिन | महतराणी | ओळगाणो - ( न०) १. विदेशी । २. प्रवासी । भोळा ओळ ( न० ) ३. ढाढ़ी । ४. भंगी । महतर । ५. प्रवासी पति । प्रवासी प्रियतम । ओळगियो - (न०) परदेशी । प्रवासी । ओळगू - ( न०) १. परदेशी । प्रवासी । २. स्तुति गायक । ३. गाने वाला । ओलज - ( ना० ) लाज । शर्मं । प्रोलरण - ( न०) रोटी के साथ खाया जाने वाला साग, तरकारी आदि । जिससे रोटी, सोगरा, पूरी, चावल आदि लगा कर खाया जाय वह द्रव व्यंजन | सागतरकारी । खाटो । घोलणो - ( क्रि० ) १. साग भाजी आदि में रोटी यादि के टुकड़े कर दोनों को मिला देना । २. किसी गीले या तरल पदार्थ में किसी वस्तु के टुकड़े कर या पीस कर उसमें मिला देना । मिश्रित करना । ओळणो - ( क्रि०) १. सिर के बालों में कंघा करना । उलझे हुये बालों को कंघा करके सुलझाना । २. उलझन मिटाना । सुलझाना | ओळभो - ( न०) उलाहना । उपालम्भ | ठपको | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओळमो- दे० ओळभो । श्रोतरो -- ( क्रि०) १. घटा का उमड़ना । २. घटा का झुक कर बरसना । ३. तेज वर्षा होना । ४. ग्राँखों में से पानी पड़ना । आँसू ढलना । ५. प्रतीक्षित समय का आ पहुँचना । ६. श्राना । ७. लगना । ओळंग — दे० ओळग । ओळ ंदी - दे० ओळ बी । ओळंबी - ( न०) नवविवाहिता के प्रथम बार ससुराल जाने के समय साथ जाने वाली साथिन । श्रवलंबिनी । मन लगनी । साथ रण । प्रोळ भो - दे० श्रोळभो । ओळा ओळ - (श्रव्य ० ) एक के बाद एक पंक्ति में । पंक्तिबद्ध । हारबंध | For Private and Personal Use Only Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रोळा-छाना ( १८४ ) प्रोवरी योला-छाना-(न०) १. मिस । बहाने । अोळी माँडगो--(मुहा०) चंदे में रुपया २. अस्पष्टता । देना । चंदे में नाम लिखाना । पोलाद-(ना०) प्रौलाद । संतान । केड़। अोळी में बैठणो-(मुहा०) ओळी व्रत के अोळावो-(न0) १. आड़ । प्रोट । दिन सहयोगियों के साथ उपाश्रय में बैठ २. परदा । घूघट । गूघटो। ३. बहाना। कर उपवास और धर्म-ध्यान करना। मिस । प्रोळींतर-(वि०) निकम्मा। प्रोलाँडो-(क्रि०) १. छोड़ना । त्यागना। प्रोळ -(ना०) प्रेमी की वियोग जनित २. अस्वीकार करना। ३. अवज्ञा करना। स्मृति । २. एक लोकगीत । पोळ डी । ४. उल्लंघन करना । लाँघना । ५. उल- अोळ डी-(ना०) 'पोळ' की स्नेह प्रेरित टना । पलटना । औंधा करना। ऊन संज्ञा । दे० प्रोळ । ओळत्तरो-(न०) दूर और सुरक्षित स्थान। अोळ्बो -(न०) साँप-बिच्छू आदि जहरीले दूर एकान्त जगह । जतुनों के काटने पर रह रह कर अथवा प्रोळियो-(न0) १. पत्र । चिठ्ठी । प्रवाह की भाँति होने वाला दर्द । २. संक्षिप्त रूप से लिखा जाने वाला अोळे -(क्रि०वि०)१. प्रोट में । २. संरक्षण पत्र । ३. पत्र लिखने का सँकड़ा और में । ३. गुप्त रीति से । लम्बा कागज । ४. संक्षिप्त पंचांग। प्रोलै- (वि०) १. इस । २. उस । ५. जमानत के रूप में आदमी की रहन । प्रोलै कानी-दे० अोली कानी । पोळ । ६. रहन रखा हुआ आदमी अोलो--(न०) १. प्रोट । पाड़। २. परदा । सागड़ी। ७. हस्तलिखित ग्रंथों के कागज ओळो-(न०) १. कोठरी । झोंपड़ी । पर बिना स्याही की रेखाएँ उभारने के २. प्रोट । परदा । ३. कंद या चीनी का लिये बनी हुई एक ऐमी काष्ट-पट्टी जिसके बना लड्डु । मिसरी का लड्डु । खंडोरा । लंबाई के दोनों सिरों पर समानान्तर में ४. वर्षा के जलकणों से जमा हुआ गोला। ५. शरण । ६. बचाव । रक्षा। ७. ठंड, आमने सामने २० २५ छेद बनाये होते ताप और वर्षा से बचने के लिये बैलों के हैं, जिनमें लंबाई की ओर मोटे धागों को लिये बनाया गया ओरड़ा । ग्रथित करके चिपका दिया जाता है। अोलो-दोलो-(वि०) १. औला-दौला । लिखे जाने वाले कागज को उस पट्टी पर मौजी। २. उदार । ३. लापरवाह । रख कर अंगुलिएँ फिराई जाती हैं, अोल्हरणो -(क्रि०)१. बरसना। २. बढ़ना । जिससे रेखाएँ (प्रोळियाँ) उभर आती तरंग का उठना। ३. प्रवेश करना । हैं । कागज पर प्रोळी (रेखा) उभारने ४. शुरू होना। ५. एक मास समाप्त की एक काष्ट पट्टी। दे० फाँटियो। होने के बाद दूसरे मास का प्रारम्भ होना। पोळी-(ना०) १. पॅक्ति । २. लकीर । जैसे-गौरी नै बीजोड़ो मास अोल्हरियो । ३. चंदा । अनुदान । ३. जैनियों का एक (सोहर गीत)। समूह व्रत । ओल्हो-(न०)१. मिस । बहाना। २.प्राड़। अोली कानी-(अव्य०) १. इस अोर । ३. शरण । (वि०) बचता हुआ । छिपता २. उस ओर। हुमा । भागता हुआ। प्रोळी-दोळी-(क्रि०वि०) १. चारों ओर। प्रोवरी-(ना०) छोटी कोठरी। मोरी । २. आस-पास। मोरड़ी। For Private and Personal Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ओवरो ग्रोवरो - ( न० ) १. साल के अंदर का कोठा ( कमरा) । श्रोरो । प्रवारणी - ( क्रि०) १. निछावर करना । वारना । ओइंछरणो । श्रोंछना | २. निछावर होना । प्रवासगो - ( क्रि०) दे० श्रोहासगो । ग्रोस - ( ना० ) १. शबनम । तुषार । ( १८५ ) २. पाला । प्रसरण - (वि०) कटु । कडुग्रा । ओसरणरणो- ( क्रि०) ग्राटा गूंधना । माँड़ना । सानना । मसळणो । प्रसरण - दे० श्रोळरणो । प्रो-स-तो- (अव्य०) यह तो । ग्रोसर - ( न० ) १. अवसर । मौका । समय । २ कोई खास वक्त । संयोग । ३. मौके की बात । ४. मृतक भोज | मौसर । श्रौसर । न्यात | प्रसरणी - ( क्रि०) १. घटा का बरसना । मेह का बरसना शुरू होना । २. प्रसू श्राना । ३. गोले, बारण आदि की झड़ी लगना । अस्त्र-शस्त्रों का वरसना । ४. प्रभाव होना । ग्रोसर - मोसर - ( न०) १. बृहन् मृतक भोज । मृतक का बड़ा व्याति भोज | न्यात | मौसर । श्रौसर । २. छोटा-बड़ा न्याति भोज | 13 प्रोसरी - ( ना० ) १. मकान की भींत के सहारे खुली जगह में बनी हुई छाजन । बारजा । श्रौसरी । श्रीहरी । २. छोटा दालान | वरंडा । बरामदा | श्रोसरो - ( न० ) १ अवसर । २. बारी । पारी । प्रोसळणो - दे० श्रोळणो । ग्रोसवाळ - ( न० ) १. एक वैश्य जाति । २. इस जाति का व्यक्ति । ओवाळण - (ना० ) ओसवाल स्त्री । प्रोसंक - ( न० ) १. भय । आतंक । २. पराजय । हार । ३. घबराहट । श्रहणो प्रोसंकरणो - ( क्रि०) १. डरना । २. पराजित होना । ३. घबराना । प्रसारणं - ( न० ) १ अवसर । मौका | २. श्रवसान | सुध-बुध । होश- हवास । ३. अवसान | समाप्ति | मृत्यु । ४. ग्रह सान । उपकार | श्रीसाप - - ( न० ) २. शोभा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १. यश | महिमा | कीर्ति I ३. वैभव । ५. गुण । योग्यता | अहसान । ७. पराक्रम । ४. महत्त्व । ६. उपकार । शौर्य । ८. साहस । हिम्मत । सागर - ( न० ) १. चावलों के पक जाने के बाद उनमें से निकाला जाने वाला इजाफे का पानी | माँड़ । २. अग्नि पर पकाई जाने वाली वस्तु का उसके पक जाने के बाद निकाला गया अधिक पानी । ३. दाल का छौंका हुआ पानी । प्रोसार - ( न०) दीवाल की मोटाई । भींत की चौड़ाई | असार । प्रोसारो - ( न० ) ग्रोसारा । वरंडा । २. ग्रोसरी । बारजा । ससा - दे० ग्रोसामण | ग्रोतावरण- ( क्रि०) चावलों के पक जाने पर उनमें रहे हुये अधिक पानी ( माँड़ ) को निकालना । प्रोसियाळी - ( न०) १. किसी के किये गये उपकार के बदले में सहन की दालान । जाने वाली पराधीनता । २. लाचारी । ( वि०) १. लाचार । २. उपकार से दबा हुआ । ३. पराश्रित । प्रोसीजाळो - ( न०) १. अव्यवस्थित वस्तुनों For Private and Personal Use Only का ढेर । २. निकम्मी वस्तुओं का अव्यव स्थित ढेर । ३. तितर-बितर पड़ा हुआ सामान । प्रोसीसो- (०) १. तकिया । २. सिरहाना । सो - ( न० ) आँख में डाली जाने वाली एक श्रौषधि । प्रहरणो - ( क्रि०) १. प्राच्छादित होना । ढँक जाना । २. ढक देना । ३. हटना । Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अोहड़णो (१८६ ) प्रोगुण ४. हटाना। ५. नाश करना । ६. नष्ट ४. हँसी करना । उपहास करना । होना । ७. कमजोरी दिखाना । कमजोर ५. अगरबत्ती आदि जलाना । धूप खेना। होना। ६. उद्भासित होना। प्रकाशित होना । पोहडगो-(क्रि०) १. हटाना। दूर मोहिज-(सर्व०) यही ।। धकेलना । २. पीछे हटना । श्रोही-(सर्व०) १. यही । २. यह भी । अोहड़ो-- दे० अहोड़ो। सोहीजाळो-दे० प्रोसीजाळो । अोहथगो- (क्रि.) १. अस्त होना । ओं- (न०) १. एक परब्रह्म सूचक शब्द २. मिटना । नाश होना। ३. स्थिति का __ जो प्रणवमंत्र कहलाता है । ओं। पाम् । कमजोर होजाना । अवनत होना। अवदशा होना। २. अ, उ और म् का संयुक्त रूपपोहदो-(न०) प्रोहदा । पद । प्रोऽ, ओ और ॐ। ३. ब्रह्म तथा ओहर—(ना०) हानि । नुकसान । ईश्वर सूचक नाम । प्रणव । ४. वेदमंत्र, पोहरी--दे० प्रोसरी। प्रार्थना और धार्मिक क्रिया आदि के ओहळणो-दे० अोळयो । प्रारंभ में उच्चारण किया जाने वाला अोहलै-(अव्य०) १. एकान्त में । २. छिपे एक महान पवित्र नाम । ५. वेदत्रयी की छिपे। सूचक संज्ञा । ६. देवत्रयी (ब्रह्मा, विष्णु, ओहलो-(वि०) १. एकान्त । २. गुप्त । महेश) सूचक नाम । प्रणव । पोहं-(सर्व०) अहम् । मैं । (न0) प्रोऽ। ओंकार-(न०) प्रणवमंत्र । ओम् । प्रोहास-(ना०) १. नाराजगी। २. क्रोध। प्रोकार । प्रोम्कार । ३. व्यंग्य । ४. मजाक। ५. उपहास । ओंकारेश्वर-(न०) १. महादेव । शिव । हँसी । ६. प्रकाश । २. मध्यप्रदेश में नर्मदा के किनारे स्थित ओहासणो--(क्रि०) १. नाराज होना। द्वादश ज्योतिलिंगों में से एक । २. क्रोध करना। ३. व्यंग्य करना। ओंठ-दे० ओंठ सं० १ । सौ औ-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्ण- औगत-(ना०) १. याद । स्मरण । माला का ग्यारहवाँ स्वर वर्ण । २. ज्ञात । जाना हुआ। ३. अवगति । प्रो-(सर्व०) १. यह । २. वह । (अव्य०) दुर्दशा। औगाढ-(वि०) १. जबरदस्त । प्रबल । और। २. गंभीर । गहरा। औकात-(ना.) १. सामर्थ्य । शक्ति । औगाळ-दे० प्रोगाळ । २. बिसात । हैसियत । अौगाळणो दे० ओगाळणो। औकास-(न0) अवकाश । औगाळो-(न०) १. जुगाली। २. पशुओं औखद-(ना०) अोषधि । के खाने से बचा हुआ घास । अखोर । औगण-(न०) अवगुण । प्राखोर । ३. बिगड़ी हुई वस्तु । ओगणगारो-(वि०) १. अवगुणी । प्रौगुण-(न०) १.अवगुण । बुराई । दोष । दुर्गणी । २. हानिकारक । ३. कृतघ्न । २. हानि । For Private and Personal Use Only Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्रघट घट - (वि०) १. दुस्साध्य | कष्टसाध्य | दुर्गम २. कठिन । ३. बिना सँवारा हुआ। अस्त-व्यस्त | छिन भिन्न । प्रौड़ - दे० श्रोड़ | परणो -- ( क्रि०) १. इस प्रकार आपस में मिलना कि बीच में कुछ भी जगह न रहे । सटना | चिपकना । भिचना | भिठना । भिचीजरगो । २. रगड़ खाना । २. घर्षण करना । छाड़ - ( न० ) ढँकने का वस्त्र । ढक्कन । ग्राच्छादन । छाड़ो - ( क्रि० ) ढँकना । श्राच्छादित करना । ( १८७ ) छाप - ( ना० ) बड़प्पन | महत्व | छाह - ( न०) १. उत्सव | २. उत्साह | प्रौछाही - (वि०) उत्साही । प्रौछाहो — दे० श्रौछाह । श्रौजळ - दे० प्रोजळा । जस-- ( न० ) अपयश | औजार- ( न० ) १. काम करने का साधन । लुहार, बढ़ई आदि शिल्पियों के काम करने का उपकरण । २ उस्तरा । पाछो । झड़ - ( न० ) शस्त्र प्रहार का शब्द | ( क्रि०वि० ) निरंतर । लगातार | तार प्रहार करना । प्रौटारो - दे० प्रौटावणो । झड़ो - ( क्रि०) १. शस्त्र प्रहार करना । २. शस्त्र प्रहार का शब्द होना। ३. लगा श्रीरंगसाह प्रौद्रकरणो - ( क्रि०) १. डरना । भयभीत होना । २. धड़कना (दिल का ) | प्रौद्राक - ( न० ) भय । डर । प्रौद्राव - ( न० ) ग्रातंक । रौब । श्रद्राह दे० श्रौद्राव । प्रौध - ( ना० ) अवधि | समय । aौधकरणो - ( क्रि०) डरना | चौंकना । श्रधायत - ( न० प्रहदेदार | पदाधिकारी । - ( न० ) १. गुरुजनों की बात का दिया जाने वाला असभ्यतापूर्वक उत्तर । बड़ों को टोकना । २. उत्तर । प्रदर - दे० ोदर । दसा - ( ना० ) अवदशा | दुर्दशा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धारणो -- ( क्रि०) १. उद्धार करना । अवधारना। २. ग्रहण करना । धारण करना । ३. उधार खाते लिखना । लेखे (लहना, लेना) लिखना । बही में उधार में किसी के नाम रकम लिखना । प्रौधो- ( न० ) प्रोहदा । बाजू नाड़ - ( वि० ) १. अनम्र । २. जबरदस्त । ३. वीर । ३. गहलोत वंश का । और - ( अव्य० ) शब्द और वाक्य का एक संयोजक शब्द | ( वि० ) १. अन्य | दूसरा । निराला । अपर । अवर । २. अधिक । ज्यादा । ( क्रि०वि०) १. अतिरिक्त । सिवाय । २. फिर । पुनः । और है- ( अव्य० ) और ठौर । दूसरी जगह । औरत - ( ना० ) १. स्त्री । नारी । महिला । २. पत्नी । औरतो - ( न०) १. पश्चात्ताप । उरस्ताप । २. संदेह | वहम | रवी - (वि०) दूसरा । टावरण - ( क्रि०) दूध यादि को प्राँच औरवियाँ - ( अव्य०) १. दूसरे लोगों को । देकर गाढ़ा करना । श्रौटाना । दूसरे लोगों के पास । ( न० ) दूसरे लोग । रस - ( न० ) विवाहिता पत्नी से उत्पन्न पुत्र । औरंग - ( न० ) औरंगजेब | औरंगसाह - दे० प्रवरंगसाह | For Private and Personal Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (855) रू श्रौरू - ( क्रि०वि०) २. फिर । मौलाड़ो - ( क्रि०) प्रौलाद - ( ना० ) १. परम्परा । नौलो - दौलो - दे० श्रोलो दोलो । वात- ( न०) १. वियोग । २. अवगति । हिवत । सोहाग | सौभाग्य | १. चोर भी । और । ३. पीछे । बाद में । उलट देना । संतान । २. वंश औसत - ( ना० ) कम और अधिक के योग का बराबर विभाजन । कम और अधिक जितनी राशियाँ हों, उन सबके योग का कक्को उतनी ही राशि संख्या से विभाजित किया हुआ विभाजन फल । समष्टि का सम विभाजन । परता । सरेरशस सिरेराशि । प्रौसर - दे० प्रोसर । प्रसरण - दे० ग्रोसरणो । प्रौसरी दे० ओसरी । प्रकरण - ( क्रि०) डरना । भयभीत होना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसारण - दे० प्रसारण । प्रसाप दे० अवसाप या प्रसाप । प्रसार दे० श्रोसार | प्रस्था - दे० अवस्था । क कउ - ( ना० ) तापने की धूनी । ( सर्व०) कोई । कउतिग- ( न० ) १. कौतुक | विनोद | क - संस्कृत परिवार की राजस्थानी भाषा की वर्णमाला का बारहवाँ तथा क वर्ग का प्रथम व्यंजन वर्ण । कंठस्थानी पहला व्यंजन | क - ( अव्य० ) १. प्रथवा । किंवा । या । २. है कि यह है कि । ३. काव्य का एक पादपूणर्थिक ग्रव्यय । जैसे-नवी मूजरी खाटक नर्चुव टापरी । ( उप०) एक श्रव्यय-उपसर्ग जो शब्द के पहिले लग कर रहित, बेमेल, विरुद्ध और कुत्सित अर्थ को प्रकट करता है । जैसेकऋतु, कजोड़, कवेला, कपूत इत्यादि । ( न० ) १. विष्णु । २. अग्नि । ३. सूर्य । ४. पानी । ५. मस्तक । ६. सेना । कअवसर दे० कुअवसर । कइ - ( क्रि०वि०) कब । ( अव्य०) १. प्रथवा । २. संबंध सूचक 'के' विभक्ति का एक रूप | ( सर्व०) क्या । कँइ । कइक - (वि०) कई । बहुत । बहुत से । कई - ( वि० ) अनेक | बहुत । ( क्रि०वि० ) कभी । २. कुतूहल । ऋतु - ( ना० ) प्रतिकूल ऋतु । बेमौसम | ककड़ो - ( न० ) १. दाढ़ी या मूंछ का लाल रंग का बाल । २. टुकड़ा । ३. ज्योतिष में एक योग । ककार - ( न० ) 'क' अक्षर । ककियो । ककियो - दे० ककार | ककीलक - ( न० ) कवच | ककुदवान - ( न० ) १. बैल । २. साँड | वृषभ । ककुभ - ( ना० ) दिशा । ककुभाळी - (वि०) दिशात्रों से आने वाली । ( प्राँधी ) । कक्कावारी - ( ना० ) वर्णमाला का अनुक्रम | अनुक्रमणिका । वर्णाम्नाय । For Private and Personal Use Only अखरावट । श्रखरावळ । कक्को - ( न०) १. 'क' वर्ण । ककार | ककियो । २. वर्णमाला ३. प्राथमिक ज्ञान । ककहरा | Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कख ( १८६) कछेरी कख-(न०) १. तिनका । फूस । तिणको। कचोटीजणो-(क्रि०) दुखी होना। २. जंगल । ३. आँख का कोना। कचोरी-(ना०) बेसन य. दाल की पीठी में कगवा-(ना०) १. ज्वार की एक जाति । मसाले भर कर बनाई जाने वाली मैदे की २. सफेद ज्वार । जोन्हरी । ३. कंगनी पूरी । कचौड़ी । नाम का अन्न। कचोळी-(ना०) कचोरी । २. कटोरी । कच-(10) १. केश । बाल । २. धंसने ३. पानी की डोल । का शब्द । (वि०) कच्चा । अपक्व । कचोळो-(न०) १. कटोरा । २. कुएँ में कचकच-(ना०) १. बक-झक । किचकिच। से सींच कर पानी निकालने की डोल । माथापच्ची । २. हुज्जत । झोड़ । कच्चाई-(ना०) १. अपूर्णता । २. अनुभवकजियो । वाग्युद्ध । हीनता। ३. कच्चापन । ४. मन की कचकोळी-(ना०) काँच की चूड़ी। दुर्बलता । कमजोरी । कचावट । कचबीड़ी-(ना०) काँच के टुकड़ों से कच्ची रसोई-(ना०) वे भोज्य पदार्थ जो __ मंडित लाख की चूड़ी। तले हुये न हों। पानी के योग से पकाई कचर-(न०) १. कचरा। चूरा। (वि०) गई दाल, साग, रोटी, चावल ग्रादि । टूटा हुया । फटा हुया । विर्दीण। कच्ची रोकड़ (ना०) वह बही जिसमें कचर-कचर-(न०) १. कच्चा फल खाने कच्चा या उधरत हिसाब लिखा जाता का शब्द । २. हर समय खाते रहना। है । ३. कचकच । बकझक । कच्चो-(वि०) १.कच्चा । अपक्व । काचो। कचरघारण-(न०) १. संहार । नाश। २. डरपोक । ३. अर्द्ध पठित । ४. अनुभव २. कीचड़ । रहित । कचरणो-(क्रि०) १. कुचलना। रौंदना। कच्छ (न०) १. गुजरात का कच्छ प्रदेश । २. खूब खाना । ३. खाते रहना। २. समुद्र के किनारे की भूमि । ३. कछुपा । कचरो-(न०) कूड़ा-करकट । ४. कच्छपावतार । ५. लंगोट । कछोटा। कचाट (- ना०) १.कच्चापन । २.अयूरापन। ६. धोती की लांग । ७. तट । किनारा। अपूर्णता । ३. कंजूसी। कच्छी-(वि०) १. कच्छ देश का निवासी। कचावट-(ना.) १. कच्चापन । कच्चाई। २. कच्छ देश से संबंधित । (ना०) २. अनुभव हीनता । ३. अपूर्णता। १. कच्छ देश की भाषा । २. एक प्रकार कचूमर-(न०) किसी फल को कुचल कर की तलवार । (न0) कच्छ का घोड़ा। बनाया गया प्रचार । दे० छूदो। कच्छी पलारण-(न०) कच्छ की बनी कचेड़ी-(न०) कचहरी । न्यायालय । हुई विशेष प्रकार की घोड़े या ऊंट की अदालत । जीन । कचेरो-(ना०) १. कांच की चूड़ियां मनाने कछ-दे० कच्छ । वाला तथा बेचने वाला व्यक्ति । कछणो (न0) १.चमड़े को चीर कर बनाई २. कचेरा जाति का व्यक्ति । कचारा। हुई रस्सी। चीरे हुये चमड़े की रस्सी । कचोट-(ना०) १. दुःख । रंज । शोक । चमड़े की लंबी पट्टी । २. कछनी। २. मानसिक पीड़ा। कछेरी-(वि०) कच्छदेशोत्पन्न (घोड़ी)। कचोटणो-(क्रि०) दुख देना। कच्छ देश की। For Private and Personal Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कछोटो ( १९.) कटपो कछोटो-(न०) १. छोटी धोती । घुटने की कजी करणो- (मुहा०) १. हराना । ऊपर की धोती । कछोटा । २.जांघिया। परास्त करना। २. लाचार बनाना। कछोरू-(न०) कुपुत्र । कपूत । ३. तैयार करना। कज-(न०) १. काम । काज । कार्य। कजी होणो-(मुहा०) १. तैयार होना । २. केश । ३. ब्रह्मा । (क्रि०वि०) लिये। २. सम्हलना। ३. लाचार होना । हेतु । निमित्त । __४. परास्त होना । हारना । कजळी-(ना०) १. अंगारे के ऊपर की कजै-दे० कजि । राख । २. पारा और गंधक को शामिल कजोग-दे० कुजोग । पीसकर बनाई हुई बुकनी । ३.एक जंगल। कजोड़-दे० कुजोड़ । कजळीजणो-(क्रि०) अंगारे के ऊपर राख कजोड़ो- दे० कुजोड़। जमना । कज्ज-(न०) १. काम । काज । २. सम्प्रकजस-दे० कुजस। दान कारक का एक चिह्न। लिये, वास्ते कजा-(न०) १. मौत । मृत्यु । २. प्राफत । आदि । विपत्ति। कट- (ना०) १ कटि । कमर । २. कटा कजाक-(वि०) १. मारने वाला। २. लुटेरा। हुग्रा टुकड़ा । ३. कटने की क्रिया। ३. आततायी। ४. शत्रु । ५. योद्धा। ४. कपड़ा, बाल प्रादि की कटाई । ६. भयंकर । ५. नमूने की कटाई। ६. मसाले, चीनी कजाकी-(वि०) १. दुष्ट । २. प्राततायी। आदि डाल कर बनाया हुआ इमली का ३. नीच । कुत्सित । पानी । ७. शव । क जाणा-(अव्य०) न जाने | क्या जाने । कटक-(ना०) १. सेना । फौज । २. दल। कइ ठा। समूह । ३. नितंब । चूतड़ । ४. उड़ीसा कजात-दे० कुजात । प्रान्त का एक नगर । ५. सेंधा नमक । कजावो-(न०) १. कुम्हार का बरतन, ईंट कटकट-(10) दाँतों से बजने का शब्द । अादि पकाने का भट्टा । निमाड़ो। पजावो। कटकड़ो-(न०) विविध प्रकार की भाँतों २. ऊंट, गधे आदि पर रखा जाने वाला (चित्रकारी) वाले काँसे की बनी पट्टी, पत्थर आदि सामान लादने का बना जिस पर ठोंक कर सोने चांदी के तार लकड़ी का ढाँचा। पर भाँत उठाई जाती है। कजि-(अव्य०) सम्प्रदान कारक की कटकरणो-(क्रि०) १. बादल का जोर से विभक्ति । लिये। वास्ते । निमित्त । गर्जना । कड़कना । २. आक्रमण करना। कारण । हेतु । (ना०) कार्य। ३. क्रोध करना। कजियाखोर-(वि०) लड़ाई-झगड़ा करने कटकबंध-(न०) १. सेना समुदाय । वाला । टंटाखोर । २. सुसज्जित सेना। कजियो-(न०) १. टंटा । झगड़ा । २. युद्ध। कटकी-(ना०) आक्रमण । २.छोटा टुकड़ा । कजी-(ना) १. दोष । २. लांछन । कटको-(न०) १. टुकड़ा। खंड । २. अंगुली कलंक । ३. हानि । ४. विकृति । खराबी। के चटकने का शब्द ।। ५. भ्रष्टता । ६. अनवन । (वि०) बेबश। कटगो-(क्रि०) १. किसी धारदार वस्तु लाचार । __ से किसी वस्तु के टुकड़े होना । For Private and Personal Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कटत ( १९१ ) कठचीत्र २. बीतना (समय का)। ३. लिखावट कटाव-(न०) १. काट-छांट । कतरब्योंत । पर लकीर फिरना। लिखावट का गलत २. पानी के वेग से होने वाली जमीन की सिद्ध होना । लिखावट का निरर्थक कटाई । भूकटन । ३. तास के खेल में होना। ४. दूर होना । (न०) शिल्पियों हुकम के पत्ते का दाँव । ४. तास के का एक औजार । खेल में अमुक (रंग के) पत्तों का न होना। कटत-दे० कटती। ५. कटाई का काम । दस्तकारी । शिल्प । कटती-(ना०) मूल्य या वेतन में की जाने काटावदार-(वि०) कटाई के काम वाला । वाली कमी । कमी। जिस पर कटाई का काम हो। कटावकटमी-(ना०) १. निंदा । बुराई । दार । २. बेल बूटों वाला। २. किसी की कही हुई बात को गलत कटि-(ना०) कमर ।। ठहराना । काटना। खंडन । (वि०) कटिमंडण-(न०) करधनी । १. काटी हुई। तराशी हुई। २. कटी कटीजणो-(क्रि०) १. कसाव पैदा होना । हुई । ३. विपरीत । उलटी। २. काटा जाना । ३. जंग लगना । कटमों-(वि०) १. कटा हुआ । कटवाँ। कटोती-(ना०) किसी रकम में से धर्मादा, कटमों व्याज-(न०) मिती काटा। कटुना दस्तूरी आदि काट लेना। ब्याज । __ कटोरदान-(न0) गोल डिब्बे के प्राकार कटवरण-(वि०) १. काटने वाला । का ढक्कनदार पात्र । २. मारने वाला । ३. अपकारी । ४. बुरा कटोरी-(ना०) छोटा कटोरा । प्याली । करने वाला। __ बाटकी। कटवी-दे० कटवी। कटोरो-(न०) प्याला । कटोरा । बाटको। कटाई-(ना०) १. काटने का काम । कट्टो-(न०) वह थेला जो पूरी बोरी से २. काटने की म री। प्राधा हो । (वि०) १. मजबूत । २. बलकटाकट-(ना०) १. मारकाट । २. लड़ाई। वान । ३. कटकट का शब्द । कठकळ (ना०) १. फाटक । झाँपो । कटाछ-(न0) १. तिरछी नजर। २. व्यंग्य २. किंवाड़। से भरी बात । ताना । कटाक्ष । कठकारो-(न०) प्रस्थान करते समय पूछा कटाणो-(क्रि०) कटवाना । कटाना। जाने वाला 'कहाँ' अर्थ सूचक अशुभ कटार-(ना०) एक दुधारा छोटा शस्त्र । समझा जाने वाला 'कठे' शब्द, जैसेकटारी। 'कठ जानो हो ?' (कहाँ जा रहे हो ?) कटारडढो-(न०) सूअर । (ऐसा नहीं पूछ कर मंगलकारी प्रश्न कटारभाँतछींट-(ना०) देशी रंगाई-छपाई 'सिध जाम्रो हो ?' पूछा जाना चाहिये) की मोटे कपड़े की एक प्रकार की घाघरे । २ अशुभ सूचक 'कठै' शब्द का नाम । की छींट । कटार के चिह्न की छपाई का कुप्रर्थक शब्द । (प्रस्थान करते समय घाघरे का कपड़ा। 'कठै' शब्द का प्रयोग अशुभ माना जाता कटारमल-(न०) १. कटारी रखने वाला है।) __ वीर । २. कटार चलाने में प्रवीण योद्धा। कठचित्र-(न०) कठपुतली । काष्ठचित्र । कटारी-दे० कटार। कठचीत्र-(वि०) लकड़ी में चित्रित । For Private and Personal Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कठठणो ( १९२) कड़करणो कठठणो (क्रि०) १. तैयार होना । २. चढ़ाई कठीरो (न०) १. कठघरा। २. काठ का के लिये तैयार होना । ३. चढ़ाई करना। हुक्का । (वि०) कहाँ का । किस जगह का। ४. जोश में आना । ५. उमड़ना। कठू-(क्रि०वि०) कहाँ से ('कठे सू' का कठड़ो-(न०) कठघरा । ___ छोटा रूप ।) कठण-(वि०) १. कठिन । मुश्किल । कठेडो-दे० कठहड़ो। २. सख्त । कड़ा। कठोर । ३. दृढ़ । कठ-(क्रि०वि०) कहाँ । किधर । मजबूत । कठक-(क्रि०वि०) १. कहीं । २. कहीं भी। कठणाई (ना०) कठिनता। ३. कहीं कहीं। ४. कहाँ तक । ५. कहीं कठपींजरो-(न०) काठ का पिंजरा। तो। कटपूतळी-(ना0) कठपुतली। काष्ठ की कठेथी-(क्रि०वि०) १. कहाँ से। कठे सू। मूत्ति । २. जिधर से भी। जहाँ कहीं से भी। कठफाड़ो-(न०) जलाने के लिये चीरी हुई कठे ही-(क्रि०वि०) १. कहीं भी। २. कहीं। लकड़ी । (वि०) जलाने के लिये लकड़ियों कठोतरी-(ना०) काठ का छिछला बर्तन । को चीरने, फाड़ने वाला। कठौती। लकड़ी की परात । कठवती-(ना०) कठौली। कटोती-दे० कठोतरी। कठसेड़ी-(वि०) जिसके थनों से दूध कठि- कठोर-(वि०) १. कठिन । सख्त । कड़ा । नता से निकले (गाय, भैंस)। ___२. निर्दय । निष्ठुर। कठहड़ो-(न०) कठहरा । कठोरी-(ना०) १. कठौती। २. कपित्थ । कठंजरो-(न०) रसोई घर में रखा रहने कैथ । वाला खाद्य पदार्थ रखने का पिंजरा। कठोळ-(न०) मूग, मोंठ प्रादि द्विदल धान्य । २. कठघरा । कठड़ो। कड़-(ना०) १. कमर । २. किनारा । तट । कठा तक-(क्रि०वि०) कहाँ तक । ३. अोर । तरफ । पक्ष । कठाताणी-(क्रि०वि०) कहाँ तक । कड़क-(ना०) १. शक्ति । बल । २. कार्यकठा तांई-- (क्रि०वि०) कहाँ तक । शक्ति । ३. गर्जन । ४. कड़ापन । ५. हड्डी, कठा थी (क्रि.वि०) कहाँ से । लकड़ी आदि टूटने का शब्द । (वि०) कठा लग-(कि०वि०) कहाँ तक । १. तेज स्वभाव का। उग्र। कठोर । कठा सू-(क्रि. वि०) कहाँ से। २. सख्त । कड़ा । कठोर । कठाँ-(क्रि०वि०) कहाँ । कड़कड़-(ना०) प्रहार की ध्वनि । कठिन-दे० कठण। कड़कड़ खाँड-(ना०) ढेलों वाली एक प्रकार कठिनाई-दे० कठणाई। की कच्ची खाँड । शक्कर । गड़गड़खांड। कठियाणी-(ना०) कठियारा की स्त्री। मुश्तीखांड। कठियारो- (न०) जंगल में से लकड़िये तोड़ कड़कड़ी-(न०) जोश या क्रोध में दांतों के कर लाने वाला और बेचने वाला व्यक्ति। किटकिटाने की क्रिया । काष्ठिक। कड़करणो-(क्रि०) १. टूट पड़ना । आक्रमण कठी-(क्रि०वि०) कहाँ । किधर । करना । २. टूटना। ३. बिजली का बहुत कठीनै-(क्रि०वि०) किस ओर । किधर को। जोर का शब्द होना। बहुत तेज प्रावाज कठीर-(न०) सिंह । कंठीर । का गर्जन होना। For Private and Personal Use Only Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१४) .. करवी कड़कनाळ-(ना०) तोप विशेष । बेचने खरीदने के समय तोल में बोरी, कड़को-(न०) १. अंगुलियों को चटखाने से टीन प्रादि (जिसमें वे भरे हुये हों) की होने वाला शब्द । २. शक्ति । ताकत ।। की जाने वाली कटौती । करदा । ३. कड़ाके की आवाज । ३. सोने चांदी के आभूषणों में भरी हुई कड़ख-(ना०) नदी का ऊँचा किनारा । लाख तथा जड़त का सुरमा, नग आदि कड़खरगो-(क्रि०) आक्रमण करना। टूट विजातीय वस्तुएं । ४. कूड़े-करकट के पड़ना। २. क्रोध करना । ३. इकट्ठा कारण मल्य में की जाने वाली कमी। होना। कटौती। ५. माल के क्रय-विक्रय में दी कड़खेत-(वि०) १. कड़खो गाने वाला जाने वाली छूट । ६. कूड़ा-करकट । चारण, भाट, ढाढ़ी आदि । २. योद्धा। करदा। कड़खै-(क्रि०वि०) १. दूर । २. अलग। कड़नाळो-(न०) किंवाड़ को बंध करने की कड़खो-(न०) १. कगार । किनारा । सांकल । कुडा । कोंढा। २. छंद विशेष । ३. ढाढ़ी, भाट या कड़प-कपड़ों में लगाया जाने वाल कलफ । चारणों द्वारा ऊँचे स्वरों में अलापा जाने माँड़ी। वाला विजय गीत । ४. विजय-गीत । कड़पारण-(न०) १. कड़प लगा हुआ । ५. राग-विशेष, जो युद्ध के समय प्रोत्साहन २. मजबूत । ठोस । दृढ़ । देने के लिये गाई जाती है। सिंधु राग। कड़ब-(ना०) ज्वार के सूखे डंठल । कड़वी। कड़छंगो-(क्रि०) १. उमड़ना। बढ़ना। कड़बंध-(न०) १. कंदोरा । करधनी । २. लपकना । उछलना। ३. तैयार २. कमर बंध । ३. तलवार । होना । कमर कस कर तैयार होना। कड़बंधी-(ना०) १. कटारी । २. तलवार । कड़छी-(ना०) लंबी डंडी का बड़ा चम्मच। कड़बी-दे० कड़ब। कलछी। __ कड़मूल-(ना०) १. सेना। फौज । २. कमर कड़छो-(न०) बड़ी कलछी। के नीचे का भाग । ३. चूतड़ । नितंब । कड़ड़-(ना०) १. बिजली की आवाज। टुंगो। २. लकड़ी के टूटने की आवाज । कड़ला-(न०व०व०) स्त्री के पांवों में पहनने कड़तळ-(न०) १. तलवार । २. झाला के सोने चांदी के पोले कड़े। राजपूत । ३. सौराष्ट्र के झाला राजपूतों कड़वाई-(ना०) १. कड़ापन । कड़वास । का एक विरुद । (वि०) वीर। २. कटुता । अप्रियता । कड़तू-(ना०) कमर । कटि। कड़वा जीभो-दे० कड़वाबोलो । कड़तोड़ो-(न०) १. ऊंट। २. करधनी। कड़वाट-दे० कड़वास । कंदोरो। (वि०) १. वह (वस्तु) जिसका कड़वा बोलो-(वि०) कटु बोलने वाला। बीच का भाग टूटा हुआ हो। २. वह अप्रियभाषी। जिसकी कमर टूटी हुई हो। कटि से टूटा कड़वास-(ना०) १. कटुता । अप्रियता । हुआ। ३.कमर तोड़ने वाला। ४. जो सुर- नाराजी । २. कड़ मापन । तीखापन । क्षित नहीं। असुरक्षित । ५. वीर। कड़वाई। कड़दो-(न०) १. तेल घी आदि का कीट कड़वी-(वि०) १. कटु । कड़ ई । २. अप्रिय । (मैल)। २. नाज, घी, तेल आदि को कटु । For Private and Personal Use Only Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कड़वी रोटी ((१९४) कड़वी रोटी-(ना०) किसी के यहां मृत्यु कड़ियां-(नाब०व०) कमर । होने के दिन, (मृतक का अग्नि संस्कार कड़ियाल - (न०) १. कवच । २. कवचधारी होने के बाद, उसके घर वालों के लिये) योद्धा । किसी संबंधी के यहाँ से पहुँचाया जाने कड़ियाळी-(ना.) १. घोड़े की लगाम । वाला खाना। २. लोहे की कड़ियां लगी हुई लाठी। कड़वो-(वि०) १. कटु । कड़ा । कड़ए (वि०) कड़ीवाली। स्वाद वाला । २. अप्रिय । कटु। कड़ियो-(न०) राज । चेजारो। कड़वो तेल-(न०) १. सरसों का तेल (खाने कड़ी-(ना०) १. जंजीर का छल्ला । २. गीत के प्रयोग में) सरसियो। २. तारामीरा या कविता का एक पद। ३. पांव का का तेल । जांभो तेल । (मालिश के एक गहना । (वि०) कठोर । सख्त । प्रयोग में ।) कडूबो- (न०) १. कुटुंब । वंश । कड़ाई-(मा०) कड़ापन । कठोरता। २. कुटुबीजनों या सगोत्रियों को दिया कड़ाकूट-(ना०) मगजपच्ची । माथाकूट । जाने वाला भोज । कड़ाक-(प्रव्य०)किसी वस्तु के टूटने का शब्द। कड़ेचा-(न०) सीसोदिया राजपूतों की एक कड़ाको-(न०) १. किसी कड़ी वस्तु के टूटने शाखा । का शब्द । २. लकड़ी से माथे में मारने कड़ेली-(न०) मिट्टी का तवा । का शब्द । ३. भूखों मरना। उपवास । कड़-(क्रि० वि०) निकट । पास । नड़ो। अनशन । कन। कड़ाजूझ-(वि०) १.कटि में प्रायुधों को कस कड़ो-(न०) १. हाथ-पाँव में पहिनने का कर युद्ध के लिये तैयार । अस्त्र-शस्त्रों एक गहना । कड़ा। कंकरण । २. कड़ाह से सज्जित । २. कटिबद्ध । तैयार। आदि बरतन को पकड़ने के लिये किनारे कड़ाजूड़-दे० कड़ा झ। पर लगा हुआ कंकणाकार कड़ा । कड़ाभूड़-दे० कड़ाजूझ । ३. द्वार के ऊपर की हुई अद्ध गोलाकार कड़ाबंध-(वि०) १. अस्त्र-शस्त्रों से सज्जित। चुनाई । मेहराब । ४. समूह । झुड । . २. कमर कसा हुआ । कटिबद्ध । तैयार। कडोळ-दे० कुडोळ । कड़ाबीण-(न०) १. एक शस्त्र । २. एक कढरणो-(क्रि०) १. प्रौटना । खोलना । प्रकार की बंदूक । दे० कड़ाभीड़। २. निकलना । कड़ाभीड़-(वि०) अस्त्र-शस्त्र और कवच कढारणो-दे० कढावणो । आदि से सज्जित । कढावणो-(क्रि०) १. प्रौटाना। २. निकलकड़ायलो-(न०) छोटी कड़ाही । वाना। कड़ायी-दे० कड़ाही। कढी-(ना०) एक तीवन जो दही या छाछ कड़ायो-दे० कड़ायलो। में बेसन और मसाले मिलाकर और कड़ाळ-(न०) १. बड़ा कड़ाह । २. कवच।। उकाल कर बनाया जाता है । कढ़ी । कड़ाळो-(न०) बड़ा कड़ाह । कढीजणो-(क्रि०) १. दूध का प्रोटा जाना कडाव-(न०) कड़ाह । बडा कड़ाहा। या प्रौटाना । २. प्रोटाना। प्रौटा जाना। • कड़ाही-(ना०) छोटा कड़ाह । कड़ाही। ३. निकलना । ४. निकल सकना । कड़ि-(ना०) कटि । कमर । निकल आना। For Private and Personal Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कढीयो ( १९५) कणी कढीणो-(न०) १. देवता के निमित्त बनाया ३. सुमेरु पर्वत । कनकगिरि । ४. लंका हुप्रा पकवान । २. खाने से पूर्व देवता के का किला । लंकागढ़ । निमित्त परोसा हुआ पकवान । ३. तली करणलाल-(न0) दाडिम । अनार । हई भोजन सामग्री। करणवार-(न०) कणवारिये का काम । कढी बिगाड़-दे० खुड़ी बिगाड़। २. करणवारिये का पारिश्रमिक । ३. एक करण-(न०) १. दाना। नग। अनाज । ___ कर । जागीरदार की एक लाग । ३. धूलिकरण । रजकरण । ४. बूद । कतरा। करणवारियो-(न०) जागीरदार या राज्य ५. मोती हीरा आदि रत्नकरण। ६. हिम्मत । साहस । ७. प्रौटण । किण । के राजस्व विभाग की ओर से खेती की कणक-(न०) १. सफेद गेहूं। २. सोना। पैदावार की निगरानी रखने और उसके कनक। अनुसार कृषकों से राजस्व रूप में अनाज करण-कण-(कि०वि०) १. अलग-अलग । लेने आदि का काम करने वाला एक निम्न २. टुकड़े-टुकड़े। कर्मचारी। राजस्व विभाग का एक चपरासी। कणकती-(ना०) कंदोरा । करधनी । करणदोरो । कंदोरो। करणसारी-दे० करणारी। करणकी-(ना०) चावलों के टुकड़े। करणसारो-(न०) अनाज भरने के लिये कणगती-दे० कणकती। मिट्टी का बना एक कोठा । कोठीलो । करण-गूगळ-(न०) दानेदार बढ़िया गूगल । कए कणाद ऋषि-(न०) वैशेषिक दर्शन के कणचाळ-(न०) युद्ध । प्रणेता ऋषि । करणछणो-(क्रि०) १. क्रुद्ध होकर अाक्रमण करणारी-(ना०) भींगुर । करणसारी। करना । २. काटना । ३. रोना। ४. दुख कणारो-दे० कणसारो। पाना। ५. पीड़ा के कारण कराहना। करणावळ-(न०) १. नाज का ढेर । २. भिक्षा ६. टट्टी फिरने के समय जोर करना। __ में प्राप्त विविध प्रकार के अन्नकण । करणजो-(न०) १. करदा । कूड़ा। अनाज की भिक्षा । २. लाक्षा । लाख । कणां-(क्रि०वि०) कब । कद । कदै। करी। कणणाट-(ना०) १. सिंह का क्रोधपूर्ण करणांई-(क्रि०वि०) कभी । कराई । दहाड़ना । २. वीरों की हुकार । कणांकलो-(क्रि०वि०) कभी का। करांकलो। कणदोरो-(न०) करधनी । कंदोरो। कबहरो। कणपारण-(वि०)१. ठोस बुना हुआ (वस्त्र)। करिगयर-(न०) कनेर का पौधा । करणेर । २. दृढ़ । मजबूत । कड़पाण। कणियागिर-दे० करणयगिर। कणबरण-(ना०) कणबी की स्त्री। कणियागरो-(न०) १. जालोर का किला। करणबी-(न०)१. एक कृषक जाति । २. इस २. जालोर का अधिपति । ३. सोनगरा जाति का मनुष्य । राजपूत । सोनगरा चौहान । (वि०) करणय-(न०) सोना । कनक । जालोर का निवासी । जालोर वाला। करणयगढ़-(न०) १. जालोर का किला। करिणयाचल-दे० करणयगिर । ___कनकगढ़ । २. लंका। कणी-(ना०) १. चावल के छोटे टुकड़े। कणय गिर--(न०) १. जालोर का पर्वत । २. हीरा, माणिक आदि किसी रत्न का कनकगिरि । २. जालोर का दुर्ग। छोटा टुकड़ा। रत्नकरण । ३. टुकड़ा । For Private and Personal Use Only Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कणूको ( १९६ ) कत्यूरी खंड । ४. बल्ली । शहतीर । ५. फुट भर कतरी-(वि०) कितनी। कित्ती। कितरी। स्टील की गावदुम पतली शलाका। (सर्व०) कतरो-(वि०) कितना । कित्तो । कितरो। १. कौन । २. किस। कतल-(ना०) हत्या । कत्ल । करणू को-(न०) दाना। कण । अन्नकरण। कतळी-(ना०) १. गन्ने आदि को छील कर (क्रि०वि०) कभी का। ___ काटी हुई फाँक । २. एक मिठाई। बर्फी। करणेठ-(न०) छोटा भाई । अनुज । (वि०) कतवाणो-(क्रि०) कतवाना। कनिष्ठ । छोटा । करणेठी। कतवारी-(वि०) कातने वाली । कोठी-(न०) कनिष्ठ । छोटाभाई । (वि०) कताई-(ना०) १. कातने का काम । २. छोटा। कनिष्ठ। __ कातने की मजदूरी । (वि०) कितने ही। कणेर-(न०) १. कनेर का वृक्ष । कनेर। कतारणो-दे० कतावणो । कणेरीपाव-(न०) १. नाथ संन्यासियों की कतार-(ना०) १. पॅक्ति । २. श्रेणी । एक सम्प्रदाय के एक प्रसिद्ध महात्मा ३. झुड । कनीपाव । कृष्णपाद । कण्हपा। २. नाथ कतारियो-(न०) ऊंटों द्वारा एक गाँव से सम्प्रदाय की कालबेलिया जाति के गुरू दूसरे गाँव को माल लाने लेजाने वाला कनीपाव । व्यक्ति । कण-(न०) सोना । कनक । (सर्व०) कतावणो-(क्रि०) कातने का काम किसी १. किस । २. किसने । (क्रि०वि०) कब। अन्य व्यक्ति से करवाना । कतवाना। किस समय । कतिपय-(वि०) १. कितने ही। २. थोड़े कणगढ़-(न०) दे० करणयगढ़ । ___ से । कुछ। करणगिर-दे० कणयगिर। कतियासी-(ना०) १. कात्यायनी देवी । कणही-(क्रि०वि०) १. कभी । २. कभी भी। दुर्गा । २. एक रणपिशाचिनी । योगिनी। करणो-(न०) १. रीड की हड्डी। २. रीढ़। कतियो-(न०) तार, चद्दर आदि धातु की ३. कमर । ४. गरदन । ५. सीमा। वस्तुओं को काटने की एक कैची । कत्ती। ६. हल चलाते समय उसके साथ बँघा कतीलो-(न०) १. एक वृक्ष का गोंद । रहने वाला एक पत्थर जिसकी रेखा से २. एक प्रकार का गोंद । कतीरा। खेत (जाव) में पानी की सिंचाई के लिये कतेब-(ना०) १. किताब । पुस्तक । २. वेद। नाली बन जाती है। ३. कुरान । कतई-(क्रि० वि०) सर्वथा । बिलकुल । कतूहळ-(न०) १. कौतुहल । कुतूहल । समूधो। २. पाश्चर्य । कतरण-(ना०) सिलाई करने के पहिले कतेई-(प्रव्य०) बिलकुल । सर्वथा । संमूषो। कपड़े की की जाने वाली काट-छाँट के साथ । अतिरिक्त टुकड़े। कपड़े के काट-ब्योंत कतो-दे० कत्तो। की अतिरिक्त लीरियां। कत्ती-(ना०)१. छोटी तलवार । २. कटारी । कतरणी-(ना०) कैची। कत्तो-(न०) कितना । कतरो। कतरणो-(क्रि०) १. कपड़ा या कागज आदि कत्थाई-(वि०) १. कत्थे के रंग जैसा । को कैंची से काटना । २. नष्ट करना। २. कत्थे के रंग का । मारना । (न०) बड़ी कैंची। कत्थूरी-(ना०) कस्तूरी। For Private and Personal Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कत्थो ( १९७) कदीक कत्थो-(न०) कत्था । काथो। . ___ कदताणी-(क्रि०वि०) कब तक । कठताई। कथ-(ना०) १. कथा । वर्णन । २. कथन । कदन-(न०) १. पाप । २. विनाश । २. वध । उक्ति। ३. कहावत । ४. प्रशंसा । ५. हिंसा । ४. दुःख । ५. युद्ध। वाग्युद्ध । ६. वादविवाद । ७. निंदा। कदम-(न०) १. डग २. घोड़े की चाल ८. घटना । ६. बात का लंबाना। लंबा विशेष । ३. राजस्थानी का एक छंद । जिक्र ४. कदंब वृक्ष । ५. कदंब का फूल । कथक-(वि०) कथा बाँचने वाला । कत्थक। कदमकाळ-(अव्य०) कभी-कभी। कवे-कदे । (न०) एक नृत्य । कदमोख-(न०) हाथी। कथरण-दे० कथन । कदर-(ना०) १. मान । प्रतिष्ठा । २. कांटा कथणी-(ना०) १. कथन । उक्ति । २. बात- या कंकड़ लगने से उठने वाली वाली __ चीत । ३. कहावत । ४. गाथा । गाँठ । (अव्य०) तरह । प्रकार । कथरणो-(क्रि०) १. कहना। २. जपना। कदरज-(वि०)१. कायर । कदर्य । २. पापी । ३. कविता करना। ४. चर्चा करना। ३. नीच कुल में उत्पन्न । ४. कृपण । जिक्र करना। ५. निंदा करना। (ना०) धूल। कथन-(न०) १. कहन । वचन । बोल । कदरदान-(वि०) १. कदर करने वाला। २. बात । ३. उक्ति । ४. किसी के २. गुण ग्राहक । सम्मुख कही हुई बात । वक्तव्य । कदरूप-(वि०) कद्रप । बेडौल । ५. चर्चा । ६. प्रसंग। कदरूपो-दे० कदरूप । कथनी-दे० कथणी। कदली-(न०) केला । कथा-(ना०) १. गीता, रामायण आदि कदली वन-(न0) केले के पेड़ों का वन । धार्मिक ग्रन्थों की व्याख्या जो श्रोतागणों कदंच-(क्रि०वि०) १. कदाचित । २. कभीके सम्मुख की जाती है। २. धार्मिक कभी। व्याख्यान । ३. कहानी । वात । कदंचकाळ-दे० कदमकाळ। ४. वृत्तान्त । कदंब-(न०) १. कदम वृक्ष । कदंब । २. कथानक-(न०) कथा वस्तु । फौज । ३. मुड । समूह । ३. ढेर । कथा वार्ता-(नाम्ब०व०) धार्मिक कथाएँ। कदंबो-(न०) कीचड़ । (वि०) १. हत्यारा। कथीर-(न०) रांगा धातु । २. कीचड़युक्त । कद-(न०) १. माप । प्रमाण । २. ऊंचाई। कदाक-(क्रि०वि०) कदाचित् । शायद । (क्रि०वि०) कब । किस समय । कदै। कदाच-(क्रि० वि०) कदाचित । शायद । करें। कदाचरण-दे० कदाच । कदई-(क्रि०वि०) कभी। कदाचार-(न०) अनुचित आचरण । कदक-(10) १. तम्बू । खेमा। २. चंदोवा। कदाचित-(क्रि०वि०) कदाचन । कांच । चंदरवो। शायद। कदको-(क्रि०वि०) कभी का । करूको। कदापि-(क्रि०वि०) कभी । हरगिज । कदको ही-(क्रि०वि०) कभी का। कदरो कदी-(क्रि०वि०) १. कब । कदे । २. कभी। कदीक-(क्रि०वि०) १. कभी। २. कभीकरताँई-(क्रि०वि०) कब तक । कठताई। कभी। For Private and Personal Use Only Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कदीम ( १९८) कन्याकाळ कदीम-(न०) १. प्राचीनकाल । (क्रि०वि०) कनफटो-(न०) वह संन्यासी जो कानों को परम्परा से। प्राचीनकाल से। (वि०) फड़वा कर उनमें मुद्रायें पहिनता है। पुराना। कनफड़ो-(न०) आँख और कान के बीच कदीय-(क्रि०वि०) १. कभी भी । २. किसी की जगह । कनपटी। भी दिन । कनफूल-(न०) स्त्री के कान का एक प्राभूकदे-(क्रि०वि०) कब। षण । कर्णफूल । कदेक-(क्रि०वि०) कभी। कनमूळ-(न०) १. कान के नीचे का भाग । कदेरो-दे० कदोको। २. कान के मूल में होने वाली गाँठ। कदेकण-(क्रि०वि०) कभी-कभी। कनलो-(वि०) पास का। निकट का । कदेसको-दे० कदोको। कनरो । गोढलो। कदोको-(क्रि०वि०) कभी का । करूंको। कनवज-(न०) कन्नौज । कधी-(क्रि०वि०) कभी। कदे। कनवजियो-(वि०) १. कन्नौज का रहने कन-(क्रि०वि०) पास। (अव्य०) १. नहीं- वाला। २. कन्नौज से संबंधित । (न०) तो। २. या तो। ३. अथवा । या । कन्नौज से पाकर मारवाड में बस जाने कनक-(न०) १. सोना । २. धतूरा ।। के कारण राठौड़ राजपूतों का एक ३. एक छंद । ४. एक घोड़ा। विशेषण । कनक-कूट-(न०) सुमेरु पर्वत । कनसळाई-(ना०) कनखजूरा । कंसलाई । कनखजूरो-दे० कनसळायो । कनसळायो-दे० कनसळाई । कनकगढ-(न०) १. जालोर का किला। कनंग-(न०) कुदन । २. लंकागढ़ । कना-दे० किना। कनकगिर-(न०) १. जालोर का पर्वत। कनात-(ना०) मोटे कपड़े की दीवार जिससे २. कनकगिरि पर बना जालोर का किला। किसी जगह को घेर कर पाड़ कर दी ३. सुमेरु पर्वत । जाती है । मोटे कपड़े का परदा । कनकाचल-(न०) १. सुमेरु पर्वत । २. कनार-दे० किनार । जालोर का पर्वत । कनारी-दे० किनारी। कनखळ-(न०) १. टंटा-फसाद । २. शैतानी। कनारो-दे० किनारो। ३. लड़ाई-झगड़ा । दे० कनखळजी। कनियाणी-(ना०) करणी देवी । कनखळजी-(न०) हरिद्वार के पास एक कनीपाव-दे० कणेरीपाव । प्रसिद्ध तीर्थ स्थान । कन-(क्रि०वि०) पास । निकट । गोळे । कनछ-(ना०) कौंच फली। कनैयो-दे० कन्हैयो। कनटोपो-(न0) सिर को कानों तक ढक कनोती-(ना०) घोड़े के कान या उसके कान देने वाली टोपी। ___ की नोक । कनपटी-(ना०) कान और आँख के बीच कन्न-दे० कनै । __ की जगह । कन्या-(ना०) १. पुत्री। लड़की । बेटी। कनपड़ी-(ना०) १. कान और प्राँख के बीच २ क्वारी लड़की । ३. बारह राशियों में से की जगह । कनपटी । २. कनपटी में होने एक राशि (ज्यो०)। ४. पाँच की संख्या । वाली सूजन । कन्याकाळ-(ना०)१. कन्यावस्था । २.लड़कों For Private and Personal Use Only Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कन्याकुमारी ( १६९) कपिल के विवाह के लिये कन्याओं की प्राप्ति कपर्दिका-(ना.) कौड़ी। का प्रभाव । कन्याओं की कमी। कपर्दी-(न०) महादेव । कन्याकुमारी-(ना०)१. भारत के दक्षिरण कपदिनी-(ना०) पार्वती । किनारे का भूशिर । २. दुर्गा । कपाट-(न०) दरवाजे के पल्ले । किंवाड़। कन्यादान-(ना०) विवाह में धर्मशास्त्रा- पट । द्वार ।। नुसार वर को कन्या समर्पण करने की कपातर-दे० कुपातर । रीति । कपाळ-(न०) १. खोपड़ी । कपाल । कन्यावळ-(न०) १. पाणिग्रहण के दिन २. सिर । माथा । ३. भाल । ललाट । कन्या के वडीलों की ओर से रखा जाने कपाळ क्रिया-(ना०) शव-दाह के समय वाला उपवास । २. विवाह में वर को कपाल को तोड़कर उसमें घृत-आहुति कन्या समर्पण करने के बाद कन्या का देने की एक क्रिया। कपालक्रिया । मुख देख कर (उपवासी जनों की) भोजन कपाळकिरिया । करने की रीति। . ___ कपाळियो-(वि०) सिर खपा देने वाला। कन्याराशि-(न०) एक राशि । (ज्यो०) झौड़ी। झोरी। विवादी। (न०) १. कन्या विक्रय-(न०) कन्या देने के बदले में कापालिक । २. राठौड़ क्षत्रियों की पैसे लेने की क्रिया या भाव । कपाळिया शाखा का व्यक्ति। कन्याशाळा-(ना०) कन्यानों के पढ़ने की कपाळी-(न०) १. शिव । २. भैरव । पाठशाला। कपालेश्वर-(न०) १. शिव । २. महादेव । कन्ह-(न०) श्रीकृष्ण । ३. मारवाड़ के मालाणी प्रान्त में चोहकन्हैयो-(न०) १. श्रीकृष्ण । २. एक पक्षी। टण गांव का प्रसिद्ध शिव मन्दिर और कप-(न०) १. प्याला । २. कपि । बंदर । उसमें प्रतिष्ठित शिवलिंग। कपट-(न०) १. छल । दुराव । २. धोखा। कपावणो-(क्रि०) कटाना । कटवाना । . छळ । कटाणो। कपटाई-दे० कपट । कपास-(न०)१. रूई का पौधा । २. बिनौलों कपटी-(वि०) छली। दगाखोर । छळियो। . सहित रूई । ३. बिनौला। कपड़कोट-(न०) १. बड़ा तम्बू । खेमा। कपासियो-(न०) १. बिनौला । २. सिर शामियाना । २. वस्त्रागार। . या खोपड़ी के अन्दर का गूदा। भेजा । कपड़छारण-(वि०) कपड़े से छाना हुआ। ३. पगतल या हथेली में उठने वाली कपड़छान । चूर्ण को कपड़े से छानने की कपास के आकार की एक गाँठ । क्रिया। कपासी-(वि०) कपास के फूल जैसे पीले कपड़णो-(क्रि०) 'पकड़णो' शब्द का रंग वाला । विपर्यय रूप । दे० पकड़णो। कपि-(न०) १. बन्दर । २. हनुमान । कपड़े आयोड़ी-(वि०) रजस्वला । ऋतु. ३. हाथी । ४. सूर्य । मति । प्राभडियोड़ी। कपिधुज-१. अर्जुन । कपिध्वज । कपड़ो-(न०) वस्त्र । कपड़ा । गाभो। कपिल-(न०) १. सांख्य दर्शन के प्रणेता कपड़ो लत्तो-(न०ब०व०) पहनने-प्रोढ़ने के ऋषि । २. शिव । ३. सूर्य । ४. अग्नि । कपड़े। (वि०) १. सफेद । २. भूरा। For Private and Personal Use Only Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कपीश्वर कपीश्वर - ( न० ) हनुमान । कपीसर - दे० कपीश्वर । www.kobatirth.org कपूतर - दे० कपूत | कपूती - ( ना० ) कुपुत्री | कपूर - ( न० ) पिंद - (०) १. सिंह | २. हनुमान । ३. सुग्रीव । कपूत - ( न० ) कुपुत्र । बुरा लड़का । अऊत । कछोरू । ( २०० ) एक प्रसिद्ध सुगंधित द्रव्य । कपूरवासियो - (वि०) कपूर को मिलाकर के सुगंधित बनाया हुआ । कर्पूर वासित । कपूर वासियो - पारगी - ( न० ) कपूर मिला कर सुगंधित बनाया हुआ स्नान करने का पानी । कपूरियो - (न० ) भेड़ बकरे, आदि के अंडकोश का मांस । (वि०) १. कपूर के जैसे रंग वाला । २. हल्के पीले रंग का । कपूरी - ( ना०) नागर वेल के पान की एक जाति । दे० कपूरियो । कपोळ - (न०) कपोल । गाल । कपोळ कथा - ( ना० ) १. झूठी व लम्बी बात । गप्प | कल्पित बात । कल्पित वर्णन | कफ - ( न०) १. बलगम । श्लेष्भ । २. कमीज की आस्तीन का अगला भाग जिसमें बटन लगे होते हैं । कफरण - दे० कफन । कपन - ( न० ) मुर्दे को ढकने का वस्त्र | कफण । कफनी - ( ना० ) साधु के पहनने का लंबा चोला । कफायदो- दे० कुफायदो । कफार दे० कुफार | कबज - ( न० ) १. वश । अधिकार । २. कब्जे में लेने या पकड़ने की क्रिया । ३. मलावरोध | कब्ज | कबजो दे० कब्जो | harir कबड्डी - ( ना० ) स्वास को रोककर साहस और सतर्कता से दो दलों में खेला जाने वाला एक प्रसिद्ध कसरती खेल । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कबर - ( ना० ) मुड़दा गाड़ने का गड्ढा । कब्र । घोर । कबरी - ( ना० ) वेणी | चोटी | कबरी डंड - ( न० ) वेणी । दंड । गुँथी हुई लम्बी चोटी | दंडाकार लंबी वेरणी । कबंध - ( न० ) सिर कटा घड़ । बिना सिर का धड़ । कबंध - ( न० ) १. वाले का पुत्र । करता हुआ धड़ । शस्त्र चलाता हुआ घड़ । सिर कटे घड़ से लड़ने वीर पुत्र । २. लड़ाई कबाड़खानो - (०) १. कबाड़े का ढेर । २. वह स्थान जहाँ कबाड़े की वस्तुएँ रखी रहती हैं। कबाड़े की दुकान । कबाड़रणो - ( क्रि०) १. प्राप्त करना । २. इधर उधर खोज करके किसी वस्तु को प्राप्त करना । ३, छल से किसी वस्तु को प्राप्त करना । कबाड़ी - ( न० ) पुरानी वस्तुओं को खरीदनेबेचने वाला व्यापारी । ( वि० ) १. चालाक । होशियार । कुशल । २. प्रपंची । ३. छली । कपटी । कबाड़ो - ( न० ) १. लकड़ी का सामान । २. बेकार सामान । ३. पुराना सामान । ४. अनुचित काम । ५. प्रपंच । ६. बेईमानी का काम । कबारण - ( न० ) १. कमान । धनुष । २. मेहराब | कबारणदार - दे० कमारणदार । कबारगी - ( ना० ) १. लोह श्रादि किसी धातु की लचीली पतली सींक व लचीली पत्ती । २. घड़ी प्रादि के तारों के गोल चक्करों के श्राकार का पुर्जा । कमानी । ३. सारंगी, चकारो, रावणहत्था प्रादि तार वाद्यों को बजाने का गज । ४. पतली For Private and Personal Use Only Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कबीर कैमठोरण बेंत आदि लचीली लकड़ी के दोनों आवश्यकता पर बलात् वसूल की जाने किनारों में डोरी बंधा हुप्रा बरमा फिराने वाली रकम । ४. किसी अपराध पर का एक साधन । कमानी। छेद करने रईसों से वसूल किया जाने वाला दंड। के लिये बरमे को घुमाने की कमानी। कबूली-(ना०) १. नमक मसाले और भालू ५. मेहराब । आदि डालकर बनाया जाने वाला चावलों कबीर-(न०) एक प्रसिद्ध निर्गुणपंथी संत का एक खाद्य-पदार्थ । २. स्वीकृति । जो जाति से मुसलमान जुलाहे थे। (इन्हीं ३. विजय के रूप में लिया जाने वाला के नाम से कबीरपंथ चल रहा है)। खर्चा या दंड दे० कबूलात । कबीरपंथी-(न०) १. कबीर पंथ का अनु- कबोल-(न०) कुवचन । यायी । २. कबीर पंथी साधु । कबोलो-(वि०) कुवचन बोलने वाला । कबीरी-(ना०) १. गुजरान । गुजारा। कब्जी-(ना०) कन्जी । मलावरोध । कोष्टनिर्वाह । २. उदरपूर्ति का काम । ३. बद्धता । पेट भराई । ४. धंधा । छोटा मोटा रोज- कब्जो-(न०) १. अधिकार । कब्जा । स्वत्व । गार । ५. गरीबी । ६. फक्कड़ जीवन । २. किंवाड़ आदि में पेंच से जड़ा जाने कबीलेदार-(वि०) परिवार वाला। वाला एक उपकरण । ३. स्त्रियों के कबीलो-(न०) १. जनाना । रनिवास । पहिनने का एक वस्त्र । २. परिवार । कुटुंब । कभागरण-(वि०) अभागिनी । प्रभागरण । कबू-(न०) १. कबूतर । कपोत । कभागियो-(वि०) प्रभागा । प्रभागो। कबूतर-(न०) पारेवा । कपोत । (वि०) कभागी-(वि०) १. प्रभाग। अभागियो । गरीब । २. प्रभागरण । कबूतर खानो-(न०) १. कबूतरों को रखने कभारजा-दे० कुभारजा । का पिंजरा । २. गरीबखाना। अनाथा- कभाव-दे० कुभाव। श्रम । (वि०) गरीब । दीन। कम-(वि०) थोड़ा । अल्प । थोड़ो। कबूतरी-(ना.) १. नट की स्त्री। २. अद्- कम अकल-(ना०) कम बुद्धि का । मूर्ख । भुत नट कला के करतब दिखाने वाली कम असल-दे० कमसल । नटनी । ३. कपोती। पारेवी। कमख-(न०) १. पाप । कल्मष । कबुल-(न०) स्वीकार । अंगीकार । ३. हमला । ४. उत्कंठा। कबूलगो-(क्रि०) स्वीकार करना । मंजूर कमची-(ना०) बेंत । छड़ी। कमजात-(वि०) कम असल। कबूलात-(ना०) १. स्वीकृति । मंजूर। कमजादा-(वि०) न्यूनाधिक । २. एक बिन अपराध की प्राचीन दंड कमजोर-(वि०) अशक्त । दुर्बल। प्रथा जिसके अंतर्गत राजा किसी भी कमजोरी-(ना०) अशक्ति । दुर्बलता। जागीरदार, धनाढ्य या प्रतिष्ठित व्यक्ति कमज्या-(ना०)१.कमाई । २.कर्म । ३.जीवन से अपनी जरूरत की बड़ी से बड़ी रकम के अच्छे-बुरे कर्म । ४. परिश्रम । मजदूरी। वसूल कर सकता था। ३. किसी धनाढय कम ज्यादा-(वि०) न्यूनाधिक । प्रोछो वत्तो। व्यक्ति, दीवान प्रादि बड़े पदाधिकारी या कमठ-(न०) १. कच्छप । २. धनुष । जागीरवार मादि से राजा के द्वारा अपनी कमठाण-(न०) १. मकान । महल । करना। For Private and Personal Use Only Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कमठीणो ( २०२ ) कैमळे जूर्ण २. घर। ३. भवन-निर्माण। मकान कम नसीब-(न०) दुर्भाग्य । (वि०) दुर्भागी। बनाने का काम । ४. सृष्टि । ५. शरीर- कम नसीबी-(ना०) दुर्भाग्य । रचना। कमनीय-(वि०) सुदर । फूटरो । कमठाणो-'न०) १. भवन निर्माण की कमबख्त-(वि०) १. दुर्भागी। २. बदमाश । कला। २. भवन निर्माण काम । वास्तु धूर्त । कला । ३. सृष्टि । ४. शरीर । कमबख्ती-(ना०) १. कमनसीबी । दुर्भाग्य । कमठाधररूप-(न०) कच्छपावतार । कमठ कमर-(ना०) शरीर का मध्य भाग । कटि। के रूप में भगवान विष्णु का एक कमर। अवतार । कमठाळ-(न०) १. हाथी। २. तामीर । कमर कसणो-(मुहा०) १. तैयार होना। ३. धनुषधारी योद्धा । २. हिम्मत करना। ३. लड़ने को तैयार कमठो-(न०) १. मकान बनाने का काम। होना । ४. लड़ना। कमठा । तामीर । २. कारोबार । ३. सष्टि कमर खोलाई-(ना०) एक प्राचीन कर जो का निर्माण । ४. धनुष । कमठ । हाकिम अपने दौड़े के समय पड़ाव वाले गाँव से भोजन आदि खर्च के लिये कमर कमरण-(सर्व०) १. कौन । २. किस ।। । ३. किसको । ४. किसके । ५. किसने । खोलने के नाम से वसूल करता था। कमणीगर-(न०) १. धनुष बनाने वाला कमरतोड़-(वि०) कमर तोड़ डाले जैसा कमंगर। २. चित्रकार । ३. टूटी हुई हड्डी कठिन (काम)। को बिठाने वाला । हाडवैद्य । हाडवैद । कमरपट्टो-(न0) कमर में बाँधने का पट्टा । कमणेत-(वि०) १. धनुषधारी। २. बाण कमर बंद-(न0) कमर में लपेट कर बाँधने चलाने में प्रवीण । तीरंदाज । कमनैत । ___ का कपड़ा। पेटी। कमत-दे० कुमत । कमर बंदो-(न०) १. साफा । फेंटो । कमतर-(न०) १. कृषि कार्य । २. खेत में २. कमरबंद । कमरबंदो। किया जाने वाला काम या मजदूरी । कमरबंध-दे० कमरबंद । २. काम । ४. श्रेष्ठ काम । ५. धंधा । कमरबंधो-दे० कमरबंदो। व्यवसाय । ६. कुकर्म । ७. छिपा काम। कमर कमरी-(ना०) ऊंट के पिछले पांव में होने ८. मजदूरी । ६. दशा । स्थिति । वाला एक वात रोग । कमतरी-(वि०) १. मजदूरी करने वाला। कमरो-(न०) कमरा । बैठक । कोठरी । २. खेती करने वाला। श्रोरड़ो। कम ताकत-(वि) अशक्त । कमजोर । कमळ-(न०) १. मस्तिष्क । कमल । मस्तक । कम ताकती-(ना०) कमजोरी । अशक्ति । २. कमल पुष्प । पद्म । ३. गर्भमुख । कमती-(वि०) थोड़ा । कम । प्रोछो। गर्भाशय का अग्रभाग । ४. हठयोग के कमध-(न०) राठौड़ क्षत्री। कमधज। अनुसार मस्तिष्क आदि शरीर के भीतरी कमधज-(न०) १. राठौड़ क्षत्रिय । २. कर्म- भागों की कल्पित ग्रंथियाँ। ५. जल । ध्वज। ६. मृग । ६. तांबा। कम धजियो-(न०) राठौड़ क्षत्री। कमधज। कमळ चख-दे० कमल नैण । कम नजर-(ना०) १. अवकृपा । २. दृष्टि- कमळजा-(ना०) लक्ष्मी । मांध। . कमळ जूण-दे० कमलयोनि । For Private and Personal Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कमळ जोणी ( २०३ ) कमीण कमळ जोणी-दे० कमलयोनि । कमागर-(वि०) १. शस्त्र बनाने का काम कमळ नयण-दे० कमळ नैण । करने वाला। कर्मकार । लुहार । २. कमळ नयरणी-(वि०) कमल पुष्प के समान मजदूर । ३. सेवक । दास । सुन्दर नेत्रों वाली। कमाड़-(न०) १. कपाट । किंवाड़। २. कमळ नैण-(न0) विष्णु । (वि०) कमल- छाती की हड्डियाँ । पुष्प के समान सुन्दर नेत्रों वाला। कमाड़ियो-दे० किंवाड़ियो। कमळ-पूजा-(ना०) १. मस्तिष्क पूजा। कमाड़ी-दे० किंवाड़ी। २. अपने हाथ से मस्तिष्क काट कर देवी- कमाण-(ना०) १. कमाई । २. कमान । देवता के अर्पण करने की क्रिया । मस्तक धनुष । ३. महराब । काट कर मेंट करने की पूजा । ३. कमल कमाणदार-(वि०) १. कमान वाला । पुष्प से की जाने वाली पूजा। २. अर्ध गोलाकार। कमल योनि-(न०) ब्रह्मा। कमारणस-दे० कुमारणस । कमळा-(ना०) १. पृथ्वी। २. लक्ष्मी। कमाणी-(ना०) १. कमाई। प्राप्ति । ३. देवी । ४. धनसम्पत्ति । २. नफा । ३. कमानी। ४. तीर कमान कमळाखी-(ना०) कमल के समान सुदर बनाने वाला व्यक्ति। नेत्रों वाली। कमलाक्षी। कमारणो-(क्रि०) १. उपार्जन करना । कमळापति-(न०) विष्णु । कमाना। २. नफा होना। २. साफ करना कमळियो-(न०) कामला रोग । पोलिया। (चमड़ा) (न०) १. प्रिय पुत्र । २. कमाने कमळो-(न०) १. ऊंट । २. एक रोग। वाला बेटा । (वि०) कमाऊ । कामला। कमान-(न०) १. धनुष । २. महराब । कमवखत-(वि०) प्रभागा । बदकिस्मत । ३. स्प्रिग। कमबख्त । कमारग-दे० कुमारग। कम समझ-(वि०) कमबुद्धि वाला । मूर्ख। कमाल-(वि०) १. बहुत अच्छा । उत्कृष्ट । कमसल-(वि०) १. कम असल । दोगला। २. सर्वोच्च । सर्वोपरि । ३. सुन्दर । वर्णसंकर । २. दगाबाज । ३. नालायक। (न०) १. कौशल से भरा अद्भुत, अनोखा ४. नी । ५. कमजात । साहसपूर्ण काम । २. खूबी । ३. गुण । कमसीस-(न०) शिरत्राण । सिर का कवच। कमालीनी (HD) , प्रित। कमंडळ-(न०) १. साधु संन्यासियों का २. भैरव । ३. मुसलमान । जलपात्र । कमंडल । २. शाक आदि परो- कर सरा- कमावणो-(क्रि०) १. उद्यम से पैसा प्राप्त सने का एक पात्र । कमंध-(न०) १. राठौड़ क्षत्री । २. कबंध । । करना । २. चमड़े को सुधारना । (वि०) कमाने वाला। कमंधज-दे० कमधज । कमाई-(ना.) १. उपार्जित धन । २. प्राम कमिटी-दे० कमेटी। दनी। ३. नफा । २. कमाने का धंधा। कमा-(ना०) १. न्यूनता। हीनता। २. उद्यम व्यवसाय । ५. पूर्व कर्म । ६. संचित हानि । नुकसान। कर्म । ७. मनुष्य जीवन के भले बुरे कर्म। कमीज-(न०) एक प्रकार का कुरता । कमाऊ-(वि०) कमाने वाला । कमाई करने कमाण-(वि०) १. नीच । हलका । क्षुद्र । बाला। ___ कमीना कमीणो। (म०) १. कुछ ऐसी For Private and Personal Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुख । कमीणपणो ( २०४ ) करड़ हलकी जातियां जो जन्म, मरण, विवाह, करकरणो-(क्रि०) दर्द के कारण चिल्लाना। प्रोसर-मौसर इत्यादि पर जीमन और कराहना । नेग लेती है और बदले में वेठ निकालती करकर-(ना०) १. पिसी हुई वस्तु में मिश्रित रेती-कंकर । महीन कंकर । कमीणपणो-(न०) क्षुद्रता। कमीनापन। २. धूल । रेती । किरकिर । नीचता। करकरी-(ना०) कंगुरो वाली अंगूठी। (वि०) कमीणो-(वि०) कमीना । नीच। खूब सिकी हुई (रोटी)। करारी। प्राकरी। कमीशन-(न०) १. दलाली । २. पंच। करकरो-(वि०) १. अच्छा सिका हुआ । कमेटी-(ना०) कुछ मनुष्यों की बनी समिति। खूब सेका हुमा (रोटी, सोगरा)। समिति । २. करारा । कड़ा । खुरखरा। कमेड़ी-(ना०) फाखता । पंडुक । हुड़कली। करकली-(ना०) १. कान की बाली । कमेस-(वि०) १. कम । थोड़ा। २. कम- २ छोटी बाली। ३. कंगूरों वाले तार बेसी। ___ की पतली अंगूठी। कमोद-(न०) १. कमल । २. कुमुदिनी। करकाँटो-(न०) नाखून । ३. चावल की एक ऊंची जाति। ४. ऊंची करख-(न०) १. विरोध। २. शत्रुता । जाति का चावल । ५. जल की स्वच्छता ३. क्रोध । ४.मन-मुटाव । कर्ष । ५.पीड़ा। का एक विशेषण । कमोदणी-(ना०) कुमुदिनी । कुई । करग-(न०)१. हाथ । २. अंगुली। ३. पंजा। कमौत-दे० कुमोत। ४. कटारी। कम्माल-(ना०) मुण्डमाला । करगसा-(वि०) झगड़ालू । कलह-प्रिय कयत्थइ-(वि०) कृतार्थ ।। (स्त्री)। कर्कशा। कयंतु-(न०) कृतान्त । काल । करज-(न०) १. नख । २. अंगुली । ३.कर्ज। कयामत-(ना०) १. बहुत बड़ी विपत्ति । ऋण । २. प्रलय । ३. मरने बाद खुदा के आगे करजदार-(न०) ऋणी । देनदार । कर्जजबाब देने का दिन। दार । करजायत। कयाँ-(क्रि०वि०) १. क्यों। २. कैसे। करजदारी-(ना०) कर्जदारी। देनदारी। कीकर। देना । ऋण। कयो-(सर्व०) कौनसा । कुणसो। करजायत-दे० करजदार । कर-(न०) १. हाथ । २. हाथी की सूड । करजो-(न०) कर्ज । ऋण। ३. महसूल । कर । ३. किरण । (वि०) करट-(वि०)१.काला। २. दुष्ट । ३.कुकर्मी। करने, देने अथवा प्राप्त करने वाला, (न०) १. कोमा । २. कुकर्म । ३. कानों इन अर्थों को सूचित करने वाला पदान्त, के कुंडल । जैसे-सुखकर, दिनकर आदि । करठ-दे० करट । करक-(न०) १. अस्थि । हड्डी। २. अस्थि- करठाळ-(ना०) १. भाला । २. तलवार । पंजर । ३. बल । शक्ति । ४. दर्द। करठाळग-दे० करठाळ । पीड़ा । ५. खटक । ६. बारह राशियों में करड़-(वि०) दृढ़ । मजबूत । (ना.) १. एक से एक राशि । कर्क राशि । (ज्यो०) घास । २. कमर । ३. एक प्रकार का सर्प । For Private and Personal Use Only Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करर-काबरो ( २०५ ) करणारी करड़-काबरो-(वि०) चितकबरा। दो या है करण-कारक । २. कुती के गर्भ से दो से अधिक रंग के धब्बों वाला। उत्पन्न सूर्य के पुत्र वसुषेण, जो बाद में करड़को-(न०) १. कठोर वस्तु को दांतों कर्ण नाम से प्रसिद्ध हुए। यह प्रभातसे चबाने पर होने वाला शब्द । २. लकड़ी नाम और महादानी थे। ३. अमरेली आदि किसी वस्तु के टूटने से होने वाला (सौराष्ट्र) के ठाकुर वजाजी का पुत्र शब्द । करण सरवैया, जिसको भक्त ईसरदासजी करड़णो-(क्रि०) १. काटना (दाँतों से)। बारहठ ने सर्प दंश से हुई मृत्यु से जीवित २. चबाना । चाबरणो। किया था। ४. श्रवणेन्द्रिय । कान । करड़ाई-(ना०) १. कड़ापन । २. गर्व । कर्ण । ५. करने योग्य काम । ६. करने अभिमान । ३. नियम पालन में सख्ती। की क्रिया या भाव । ७. साधन । (वि०) सख्ती। करने वाला। करड़ारण-दे० करडाँवरण ।। करण कारण-(न०)१. करने-कराने वाला। करड़ापणो-(न०) कड़ापन । कठोरता । २. ईश्वर । २. अभिमान । गर्व । करण पसाव-(न०) १. आशीर्वाद । २. करडाँवण-(न०1१. बहादुरी का झूठा अभि- कृपा । प्रसाद । ३. कृपाभाव । मान । २. युवावस्था का गर्व । ३. गर्व। करण फूल-(न०) कान में पहिनने का ४. कड़ापन । कठोरता । ५. ऐंठ। ऐंठन। स्त्रियों का एक गहना। मरोड़। करण लंब-(न०) गदहा । लंबकर्ण । करड़ी-(वि०) १. कठोर । कड़ी । सख्त । करण-संघार-(वि०) संहार करने वाला। २. कठिन । मुश्किल । ३. दृढ़ । मजबूत। (न०) प्रलयकारी रुद्र । शिव । करड़ी कन्या-(ना०) मूल नक्षत्र में उत्पन्न करणहार-(वि०) करने वाला । करणार । कन्या । (न०) ईश्वर । करड़ी रुत-(ना०) ग्रीष्म ऋतु । ऊनाला। करणहारो-दे० करणहार । ऊनाळो। करणाट-भारत में दक्षिण का एक प्रदेश । करड़ -(न०) पकाये हुये या भिजाये हुए कर्णाट । करणाटक । नाज में रह जाने वाला अपक्व या अभिद्य करणाटक-भारत में दक्षिण का एक प्रदेश । दाना। कर्नाटक। करड़ो-(वि०) १. कठोर । सख्त । कड़ा। करणाटी-(वि०) १. कर्णाट देश का । २. २. कठिन । मुश्किल । ३. मजबूत । दृढ़। कर्णाट देश संबंधी। (ना०) १. कर्णाट काठो। देश की भाषा । २. कर्णाट देश की स्त्री। करड़ोधज-(वि०) १. अभिमानी । गर्विष्ठ। दे० करणावटी। २. रुष्ट । अप्रसन्न । नाराज । ३. अकड़। करणार-(वि०) करने वाला । करणहार । ऐंठा हुा । अकड़ा हुआ। करणवाळो । करणारो। करड़ोलकड़-(वि०) १. प्रकड़ा हुआ । ऐंठा करणारी-(वि०) करने वाली। करणहार । हुमा । २. अभिमानी। करडोधज। करणवाळी। करण-(न०) १. व्याकरण में वह कारक करणारो-(वि०) करने वाला। करणवाळो जिसके द्वारा कर्ता क्रिया को सिद्ध करता करणाळी-दे० करणारी । For Private and Personal Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फरणाळो ( २०) करपाल करणाळो-दे० करणारो। करतल भिक्षा-(ना०) हथेली में समावे करणावटी-(ना०) बीकानेर जिले का एक उतनी भिक्षा लेने का व्रत । प्रदेश । करतली-(ना०) हथेली। करणियो-(वि०) करने वाला । करणार। करता-(वि०) १. करने वाला। कर्ता । करणी-(ना०) १.राजगीर का एक औजार। २. निर्माता । बनाने वाला। (न०) यापी। करनी। २. आचरण । व्यवहार । ईश्वर । कर्ता । सूष्टि कर्ता दे० कर्ता । ३. चारण जाति की एक देवी । करणी। करतार-(न०) ईश्वर । सिरजनहार । सृष्टि प्राई। रचने वाला । कर्तार । करणीगर-(न०) करने वाला। कर्ता। करताळ-(न०) १. एक कांस्य वाद्य । झांझ। ईश्वर । ताल । २. मजीरा । ३. तलवार । करणेज-(न०) मृतक का श्राद्ध आदि क्रिया- करताळी-(ना०) १. हाथ से बजाई जाने क्रम । २. मृतक भोज । प्रोसर । वाली ताली । २. हथेली। करणेजप-(वि०) चुगलखोर । करतां-(प्रव्य०) १. करते हुये । होते हुये । करणेल-(न०) १. कणिकार । कनक चंपा। २. तुलना में (वि०) काम करते हुये। २. कनकचंपे का तेल । ३. करने का करतूत-(ना०) १ काम । २. कला । ३. तेल । कौशल । ४. चरित्र । ५. समझ । करणो-(क्रि०) १.करना । बनाना। रचना। ६. गुण । ७. निंद्य कर्म। . २. निबटाना। (न०) १. एक जाति का करतूतियो-(वि०) १. निंद्य काम करने बड़ा नींबू । करना । २. करने वाला। वाला । २. छली । कपटी। करतब-(न०) १. हाथ की सफाई । जादू। करद-(ना०) १. तलवार । २. कटारी । करामात । २. हुनर । ३. छल । कपट । ३. कीचड़ । (वि०) १. कर देने वाला। ४. कर्तव्य । ५. खोटा काम । अयुक्त- २. हाथ का उत्तर देने वाला । दानी। काम । करद वानी-(वि०) १. तलवार धारी । २. करतबी-(वि०) १. करामाती। २. हुनर शस्त्रधारी। ३. सहायता करने वाला। ४. उपकारी। वाला। ३. अयुक्त काम करने वाला। ४. कपटी। करधार-(ना०) १. तलवार । २. शस्त्र । करतमकरता-(न०) १. नहीं किया जा करनळ-(न0) करणीदेवी का आत्मीय व स्नेह भावना का ऊनता सूचक नाम । सके उसको भी कर सकने में समर्थ । करनाळ-(न०) १. एक प्रकार का बड़ा २. सर्वोपरि । सर्वाधिकारी। ३. विशेष _युद्ध ढोल, जिसे चलती गाड़ी पर बजाया क्षमता या योग्यता रखने वाला व्यक्ति ।। ४. घर या समाज में व्यवस्था देने वाला जाता था। २. एक प्रकार का फूक ___ वाद्य । भोंपू । ३. बंदूक । ४. तोप । सर्वेसर्वा व्यक्ति । ५. जिसे किसी कार्य करनाळो-दे० कड़नाळो।। करने के सब अधिकार प्राप्त हों। सर्वे करपण-दे० कुरपण । दे० किरपण या सर्वा । ६. घर का मालिक या सर्वेसर्वा कृपरण। जिसकी आज्ञा से घर के सब काम होते हों। करपाण-(ना०) तलवार । करतल-(न०) हथेली । हथाळी। करपाल-(ना०) १. तलवार । २. लाठी। करतल ध्वनि-(ना०) तालियों की आवाज। डांग । For Private and Personal Use Only Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करवी ( २०७ ) करबो-(न०) एक पेय भोज्य पदार्थ । छाछ करळ-(ना०) १: मुट्ठी । मुष्टिका । २. तर्जनी या दही मिश्रित पीने योग्य एक भोजन। अंगुली और अंगूठा दोनों के सिरों को करंभ । (क्रि०) करना । बनाना। मिलाने से बनने वाली गोलाकार जगह । करभ-(न०)१. हाथी का बच्चा। २. हाथी। २. करल में समा सकने वाली वस्तु । ३. हथेली। ४. ऊंट का बच्चा। ५. ऊँट। (वि०) कराल । भयंकर । करभक-(न०) ऊँट। करळी-(वि०) मुट्ठी में पकड़ा जा सके उतना करम-(न०) १. कर्म । काम । २. धामिक (पुराल) । (ना०) पुराल । पयाल । कृत्य । ३. भाग्य । संचित कर्म । ४. करळो-(न०) हाथ द्वारा कांख में दबा कर मस्तिष्क । माथा । ५. कर्तव्य । ६. नित्य ले जाया जा सके उतने पुराल-घास आदि कर्म । दे० कर्म । का मुट्ठा । बड़ा पूला। करमगत-(ना०) कर्मगति । भाग्य। करलो-(न०) ऊंट । करमचंदियो-(न०) अोछापन और क्रोध करवट-(ना०) १. बाजू (पसवाड़े) से में प्रयुक्त की जाने वाली 'सिर' और लेटने की क्रिया । २. पार्श्व । ‘भाग्य' की संज्ञा । कर्म । भाग्य । करवत-(ना०) प्रारी । करीत । करमठोक-वि०) प्रभागा । भाग्यहीन । कर-वरसणो-(वि०) दानी । हतभाग्य । करवरो-(वि०) १. अद्धं दुष्काल वाला। करमण-(वि०) उद्यमी । कर्मण्य । थोड़ी वर्षा वाला। २. कठिन । मुश्किल । करमरणा-(अव्य०) १. कर्म के द्वारा । कर्म दुरूह । (न०) वह वर्ष जिसमें वर्षा कम से । कर्मणा । २. काम करते हुए। होने के कारण फसल पूरी न हुई हो । करमन्न-दे० करमरण । छोटा दुष्काल । २. सामान्य फसल का करमप्रसाद-(वि०) १. भाग्यशाली । करम वर्ष । साधारण । वर्ष । ३. दुष्काल । प्रसाद । २. उपकारी। अकाल । ४. आफत । बला। करम-रेख-(ना.) १. भाग्य रेखा । २. करवाण-दे० करवाळ । भाग्य का लेख। करवाळ-(ना०) तलवार । करमसी साँखलो-(न०)एक हरिभक्त कवि। करवो-(न०) सकोरा । कसोरा । (यह पृथ्वीराज राठौड़ से भी पहले का करसण-(ना०) १. खेती। कृषि । २. । वेलिकार है।) कृषिकर्म । करम-हीण-(वि०) भाग्यहीन । कर्महीन । करसणी-(न०) कृषक । किसान । __ अभागा । कर्मठोक । करसणो-(क्रि०) खींचना । तानना । कर-माठो-(वि०) कंजूस । कृपण । करसल-(ना.) १. फर्श में लगी पत्थर की करमाँ बाई-(ना०) एक प्रसिद्ध भक्त स्त्री। चौकियाँ । टाइलों वाला फर्श । कर-मूकावणी-(ना०) वर वधु के पाणि- करसाख--(ना०) अंगुली । ग्रहण को छुड़ाते समय दिया जाने वाला करसारण-(न०) किसान । दान, नेग आदि। पाणिग्रहण छोड़ने के करसो-(न०) कृषक । किसान । समय दिये जाने वाले नेग, दक्षिणा, इनाम करहली-(ना०) ऊंटनी । सायड़। . आदि। करहलो-(न०) ऊंट। करमेतीबाई-नाO) एक भक्त स्त्री। करहीरो-(वि0) ऊंटसवार । करभारोही। For Private and Personal Use Only Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करोड़ करहेलियो (२०) करहेलियो-दे० करहलो। जोरावर । बलवान। ३. तेज। ४. अधिक । करही-(ना०) ऊंटनी । सायड़। ५. भयानक । करहो-(न०) ऊंट। कराळ-(वि०) भयंकर । कराल । करंक-(न०) १. हड्डी । २. अस्थि । ३. कराळी-(ना०) फूस-कचरा हटाकर जमीन अस्थिपंजर। साफ करने का कृषकों का एक लम्बे डंडे करंडियो-(न०) पिटारा का कस्सीनुमा उपकरण । (वि०) भयंकर । करतो-(वि०) १. करने वाला। कर्ता । डरावनी। २. करता हुप्रा। कराळो-(वि०) भयंकर । कराल । कराई-(ना०) १. संग्रह रखने के लिये करावणो-(क्रि०) करवाना । व्यवस्थित रूप से लगाई गई घास की करां-(क्रि०वि०) कब । कद । कदै । शिखरनुमा बड़ी ढेरी। कंदूड़ी। चारवाड़ो। करांही-(क्रि०वि०) कभी का । कदरोही। २. करवाने की मजूरी । बनवाई । पारि- करि-(अव्य०) करण तथा अपादान कारक श्रमिक। __ की विभक्ति 'से' । (न०) हाथ । कराकरी-(न०) प्रयत्न । कोशिश। करियो-(न०) जवान ऊंट । (क्रि०भू०) कराख-(ना०) काख । बगल । किया। कराखी-(ना०) अंगरखी का बगल में रहने करी-(क्रि०५०) किया। कर दी। (न०) वाला वस्त्र भाग । १. हाथी । २. पथ्य । (अव्य०) करण कराड-(ना०) १. सीमा। हद । २. मर्यादा, तथा अपादान कारक की विभक्ति 'से' । मान तथा गौरव की हद । (न०) करीवर-(न०) १. श्रेष्ठ हाथी। २. हाथी। १. नदी का किनारा। २. बनिया के लिये करीसाग-(ना०) उपलों की आग । पोछा शब्द । ३. बनिया । ४. कलार । करुण रस-(न०) साहित्य के नौ रसों में कराड़णो-(क्रि०) करवाना। से एक। कराड़ा बारै-(क्रि०वि०) १. सीमा बाहिर। करुणा-(ना०) दया । अनुकंपा । २. मर्यादा बाहिर । मर्यादा या गौरव के करूप-(वि०) कुरूप । कवरूपो । उपरान्त । ३. किनारों से बाहर। करूर-(वि०)१. क्रूर । निर्दय । २. भयंकर । कराबीण-(ना०) चौड़ी नाल की एक छोटी भयानक । बंदूक । करू कणो-(क्रि०) १. ऊंट का बलबलाना । करामत-दे० करामात । २. कौए का बोलना। (क्रि०वि०) कभी करामात-(ना०) १. करिश्मा । चमत्कार। का। कदरो, कस्को ।। २. युक्ति। करेण-(अव्य०) १. हाथ से । कर द्वारा। करामाती-(वि०) १. सिद्ध । २. करामात २. हाथों द्वारा । हाथों से। (न०) हस्ती वाला। ३. चालाक । होशियार । समूह । गजयूथ । करामातीक-दे० करामाती। करै-(क्रि० वि०) कब । कद । कदै । करार-(ना०) १. प्रतिज्ञा । २. शक्ति । करैक-(क्रि०वि०) १. कभी-कभी । करसीक । . बल । ३. धीरज । ४. निर्भयता । २. कब तक । ५. वादा । कोल । इकरार। करही-(क्रि०वि०) कभी । कब । करारो-(वि०) १. सख्त । कठिन । २. करोड़-(वि०) सौ लाख । For Private and Personal Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कळजुग करोड़पति ( २०१) करोड़पति-(न०) जिसके पास करोड़ रुपये कर्मचारी--(ना०) १. कार्यकर्ता । २. मज हो वह व्यक्ति । करोड़ या करोड़ों की दूर। सम्पत्ति का स्वामी। कर्मठ-(वि०) सतत काम करने वाला। करोड़पसाव-दे० करोड़पसाव । कर्मनिष्ठ । करोड़ी-(न०) बादशाही जमाने में कर कर्मण्य-(वि०) काम करने में दक्ष । कर्मठ । उगाहने वाला व्यक्ति । कर्मफळ-(न०) पूर्वजन्म के कर्मों का फल । कर्क-(न०) १. एक राशि । २. केकड़ा । कल-(न०) १. आने वाला दिन । २. बीता कर्कशा-दे० करगसा। हुआ दिन । पिछला दिन । (ना०) १. कर्ज-(न०) ऋण। चैन । पाराम । (वि०) सुंदर । मनोहर । कर्जदार-(वि०) ऋणी। कळ-(ना०) १. यंत्र । मशीन । २. युक्ति । कर्ण-(न०)१. कुन्ती के पुत्र महादानी कर्ण। ३. बुद्धि । ४. युद्ध । ५. असुर । ६. तरअंगराज । २. श्रवणेन्द्रिय । कान। ___ कस ७. कलह । ८. कलियुग । ६. वस्तु । कर्णाटक-(न०) दक्षिण भारत का एक १०. जगत । ११. चैन । १२. शत्रु । १३. प्रान्त । कपट । १४. काव्य की कला । १५. कला। कर्णेद्रय-(ना०) कान । १६. शक्ति। १७. समय । १८. बन्दूक कर्तव्य-(न०) १. करने योग्य काम । २. का घोड़ा । (वि०) सुन्दर । मनोहर । धर्म । कळकळणो-(क्रि०) १. खोलना । उबलना। कर्ता-(वि०) १. करने वाला। २. बनाने २. गरम होना। ३. दुखी होना। ४. वाला। रचना करने वाला। (न०) १. तड़पाना । ५. हाथ में उठाये हुए शस्त्रों की व्याकरण में क्रिया के करने वाला बोधक चमक दिखाई देना । शस्त्रों का चमकना। कारक । प्रथम कारक । २. ईश्वर । कळकळाट-(न०) १. गृह कलह । २. दुख । विधाता। प्रभु । ३. अधिकारी। संताप । रोना धोना । ३. कलह । कर्दम-(न०) १. कीचड़ । २. पाप । ३. झगड़ा । ४. खौलना । उबाल । मांस। कर्नल-(न0) सेना का एक अधिकारी या कळकंठ-(ना०) कोयल । कलकंठ । (वि०) पद। मधुर कंठवाला। कर्पूर-(न०) कपूर। कळको-(न०) १. पानी का उबाल । २. कर्म-(न०) १. काम । कार्य । २. कर्त्तव्य । गरम करने से पानी में आये हुये उबाल ३. धार्मिक कर्तव्य । ४. प्रेतकर्म । मृतक अथवा खोलने का शब्द । कर्म । ५. व्याकरण में वह जिस पर कलखरण-दे० कुलखण । क्रिया का फल पड़े। दूसरा कारक। कलखणो-दे० कुलखणो । कर्मकांड-(न०) धर्म क्रियाओं से सम्बन्धित कळखारो-(वि०) कलहप्रिय । मगड़ालू । वेद का भाग । २. निश्चित विधियाँ और (स्त्री० कळखारी।) क्रियाओं से युक्त धार्मिक शास्त्र या कृत्य। कळचाल-(वि०) १. रणकुशल । २. रणकर्मकांडी-(वि०) कर्मकांड का अनुसरण प्रिय । (ना०) रणकुशलता। (न०) १. करने वाला। युद्ध । २. उपद्रव । कर्मगति-(ना०) कर्म की गति । प्रारब्ध । कळचाळो-(न०) १. युद्ध । २. उपद्रव । . नसीब । कळजुग-(न०) कलियुग। For Private and Personal Use Only Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कळळ कळजुग पोहरो ( २१०) कळजुग पोहरो-दे० कळजुगवारो। कळपावणो-(क्रि०)१. दुख देना । सताना। कळजुग वारो-(न०)१. कलियुग का समय। २. रुलाना । ३. विलाप करना। ४. दुखी २. अधर्म का समय । होना। कळझळ-(ना०) कलह । कळपीजणो-(क्रि०) १. दुखी होना । २. कळण-(ना०) १. भिगोकर छिलके उतारने विलाप करना । के बाद पिसी हुई दाल । २. दलदल। कळबी-(न0) एक कृषक जाति । करणबी। कीचड़ । ३. वह गीली जमीन जिस पर चलने से पैर अन्दर घुस जायें । ४. नाश । कलम-(ना०) १. बही में लिखी जाने वाली रुपयों की संख्या और उसके विवरण ५. मवाद नहीं निकलने के पहले फोड़े में । होने वाला दर्द । व्रण की पीड़ा । पीड़। सहित किसी व्यक्ति के नाम की लिखावट कळणो-(क्रि०) १. कीचड़ में फंसना । २. दाखिला। रकम । एन्ट्री। २. दफा । हैरान होना। परेशान होना। ३. दुख धारा । सेक्शन । ३. बही-खाते में लिखा जाने वाला विषय या व्यक्तिपरक एक देखना। ४. नाश करना। ५. युद्ध करना । बार का ब्योरा । अाइटम । ५. लेखनी। ६. अनुमान करना । ७. दाल को भिगोकर छिलके दूर करने के बाद चक्की में कलम । ६. चित्रशैली । ७. पेड़ की वह टहनी जो दूसरी जगह लगाने के लिये पीसना। रोपी जाती है। ८. सिर के बालों का कळत-(ना०) १. कीचड़ । २. कमर । ३. वह पतला भाग जो कान के प्रागे दाढ़ी स्त्री । कलत्र। की अोर रखा जाता है । हजामत में कळत्त-दे० कलत्र। कनपटियों के बालों की काट । ६. मुसकळतर-(ना०) १. व्रण की वेदना । २. लमान । शरीर में होने वाली वेदना । पीड़ा। कळमत-(न०) युद्ध । कलत्र-(न०) १. पत्नी । स्त्री । लुगाई।। कळमस-(न०)१. पाप । कल्मष । २. मैल। कळदार-(न०) १. मशीन द्वारा निर्मित (वि०) १. काला । श्याम । २. मैला । चाँदी का रुपया। २. ताला। (वि०) कलमदान-(न०) एक लंबी छोटी संदूकची कलवाला । यंत्रवाला। जिसमें दवात और कलमें रखी रहती हैं। कलप-(न०) १. ब्रह्मा का एक दिन । कलम-हथो-(वि०) १. लेखक । २. कवि । कल्प। २. वेद के छः अंगों में से एक । कलमारण-(न०) मुसलमान अर्थ सूचक ३. शरीर को निरोग और पुनः युवा 'कलम' शब्द का बहुवचन रूप । मुसलबनाने की एक वैद्यक युक्ति । कल्प । ४. मान वर्ग। खिजाब । ५. समय । काल । __ कलमी-(वि०) कलम लगाने से उत्पन्न । कळप-(न०)१. दुख । संताप । २. बेचैनी। जैसे कलमी ग्राम । २. रवे वा सींक के ३. उत्कट इच्छा । ४. लाग । लगन । जैसा । जैसे--कलमीशोरा। । कळपरणो-(क्रि०) १. दुख भुगतना। २. कलमीसोरो-(न०) शोरा । कलमीशोरा । बिलखना। विलाप करना। ३. कल्पना कळमळ-(न०) १. सेना। २. सेनापति । . करना। ४. किसी वस्तु को किसी के ३. युद्ध । निमित्त करना। कळळ-(न०) १. पाप । २. अपराध । कळपतर-दे० कल्पतरु । दोष । ३. गर्भ का प्रारंभिक रूप । ४. For Private and Personal Use Only Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कळळणो ( २११ ) कळापारी शोर । ५. चीत्कार । चीख । ६. युद्ध कलंक-(न०) १. लांछन । दाग । कलंक । का कोलाहल । ७. घायलों का आर्त २. दोष । तोहमत । स्वर। कलंकी-(वि०) १. लांछित । बदनाम । कळळरणो-(क्रि०) कोलाहल होना। २. दोषी । अपराधी। (न०) विष्णु का कळळ-हंकळ-(न०) १. युद्ध का शोर । होने वाला अवतार । कल्कि अवतार । २. कोलाहल । शोरगुल । २. चन्द्रमा । कळळाटो-(न०)१. रुदन । जोर का रोना। कलंगी-(न०) १. मोर अथवा मुर्गे प्रादि २. समूह रुदन । पक्षियों के सिर पर की चोटी या फुनगी। कळवारणी-(न०) मंत्रित पानी । कलगी। २. पगड़ी, टोपी आदि में लगाया कळवख-दे० कल्पवृक्ष । जाने वाला फुनगा । ३. पगड़ी में लगाया कळवछ-दे० कल्पवृक्ष । जाने वाला एक विशेष शिरोभूषण । कळस-(न०) १. कलश । धड़ा। २. मंदिर कलगी। ४. चौंचदार पगड़ी में तुर्रे की के शिखर या गुंबद के सबसे ऊपर का सामने वाली बाजू में लटकने वाली कलशाकार और नुकीला भाग। इंडो। ३. बादले की लूम । काव्य का उपसंहार सूचक अंतिम छंद। कलंदर-(न०) १. एक प्रकार का मुसलमान ४. कुभ राशि । ५. डिंगल का एक छंद फकीर । २. रीछ और बन्दर को नचाने विशेष । का खेल दिखाने वाला व्यक्ति। मदारी। कळसियो-(न०,पानी पीने का छोटा जल- (वि.) १. मैला । गंदा । २. धुरिणत । पात्र। कलंब-(न०) तीर । बाण । कळसी-(ना०) १. आठ मन का माप । २. कळा-(ना०)१. अंश । २. युक्ति। ३. कौशल । ___ बड़ा धड़ा। जल भरने का बड़ा पात्र । ४. गाने बजाने की विद्या। ५. छलकपट । कळसो-(न०) सँकड़े मुंह का पानी का बड़ा ६ धूर्तता। ७. बदमाशी। चालाकी। घड़ा । कळो। ८. ज्योति । ६. हुनर । १०. चंद्र मण्डल कळह-(न०) १. युद्ध । २. झगड़ा। का सोलहवां भाग । ११. समय का एक कळहकारी-(वि०) १. युद्ध करने वाला। मान । १२. नटों का कौशल । नट विद्या । २. झगड़ालू । ३. कलहकारिणी। १३. शोभा। १४. अद्भुत कार्य। १५. कळहगुरु-(वि०) युद्ध प्रवीण। कौतुक । १६. सामर्थ्य । १७. पुरुषों के कळहण-(ना०) १. युद्ध । २. सेना। प्रतिभा सूचक ७२ प्रकार । १८. केलि कळहरण-कोट-(वि०) १. युद्ध से नहीं डरने संबंधी काम शास्त्र के ६४ प्रकार । वाला । २. युद्ध प्रिय । युद्ध रसिक । ३. . कला-दे० कळा । (युद्ध में) रक्षा का स्थान । कळाई-(ना०) (हाथ का) मणिबंध । गट्टा। कळहळ-(न०) १. युद्ध का शोर । २. कोला- कळाकंद-(न०) मावे की एक मिठाई। __ हल । शोरगुल । कळातरो-(न०) एक कीट । मकड़ी। कळहवरीस-(न०) १. योद्धा । वीर पुरुष। कळाधर-(न०) १. चन्द्रमा । २. शिव । २. युद्ध का आवाहन करने वाला। (वि०) कलाओं का जानकार । कळहंत-(न०) युद्ध। कळाधारी-(वि०) १. कलावान । २. युक्ति कळहंस-(न०) राजहंस । कलहंस । से काम करने वाला। For Private and Personal Use Only Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कळाप ( २१२ ) फळीजको कळाप-(न०) १. समूह । २. रुदन । ३. कळिभीम-(न०) कलियुगी भीम। दुःख । विलाप । ४. तरकश । तूणीर । कलिमल-(न०) कलि का मैल । पाप । ५. मोर की पांखों का छत्र । ६. भौंरा। कळिमूळ-दे० कळमूळ । कळापाती-(वि०) १. कपटी । छली । २. कलियळ-(न०) १. क्रौंच पक्षी के बोलने चंचल । उत्पाती। का शब्द । कलरव । कळापी-(न०) १. मोर । २. कोयल। कळियार-दे० कळिमूळ । कलाबातू-(न०) रेशम के धागे पर लपेटा कलियुग-(न०) चार युगों में का अंतिम युग । हुआ सोने या चांदी का बारीक तार ।। अधर्म युग। कलाबत्त । कळियो-दे० कुळियो । दे० कलसियो । कळायण-(ना०) १. काली मेध-घटा । कळिहिवा-(अव्य०) युद्ध करने के लिए। कांठळ । २. वर्षा का एक लोक गीत । कलिग-(न०) १ एक प्राचीन जन पद का कलाळ-(न०) १. कलाल जाति का व्यक्ति। नाम । २. एक असुर का नाम । किलंग। २. शराब बनाने या बेचने वाली जाति । कळी-(ना०) १. बिना खिला हुमा पुष्प । कलवार। कलिका । २. कुरते आदि में काँख में कलाळण-(ना०) १. कलाल जाति की स्त्री।। ळगने वाला तिकोना कपड़ा। ३. नीचे २. कलाल की स्त्री. की भोर (तले में) शंकु वाला (नुकीला) कलाळी-(ना०) १. एक लोक गीत । २. पाम के आकार का हुक्के का जलपात्र । कलाल जाति की स्त्री। ४. कळी वाला जस्त का बना हुआ हुक्का । कलावंत-(न०) १. गायक । २. कलाकार। ५. कलई नाम की धातु । ६. कलई का ३. नट । ४. एक संगीतज्ञ जाति । ५. मुलम्मा। ७. दीवाल में सफेदी करने इस जाति का व्यक्ति । ६. संगीतज्ञों की तथा पान में खाने प्रादि के काम में प्राने उपाधि । वाला कंकड़ रहित चूने का बारीक चूर्ण । कळावान-(वि०) १. चतुर । प्रवीण । २. ८. शुरु में फूटने (पाने) वाले मूछ-दाढ़ी छली। कपटी। ३. धूर्त । ४. कला के बाल । ६ दर्पण में एक ओर किया जानने वाला। गया पारे आदि का लेप। १०. नाक में कलावो-(न0) हाथी की गरदन । कलावा।। से बाल निकालने का नाई का औजार । कळाहीण-(वि०)१. अज्ञ । मूर्ख । अबूझ । ११. घाघरे या जामे का पल्ला जो गाव२. अशक्त । ३. कला रहित । दुम (ऊपर की ओर से सैकड़ा और नीचे कला-(वि०) १. बड़ा (गाँव) । की अोर क्रमशः चौड़ा होता हुआ) होता कळि-(न०) १. युद्ध । २. कलियुग । (अव्य०) है, जिससे घाघरे या जामे की बनावट लिये । हेतु। नीचे से घेरदार बनती है . (एक घाघरे कळिकाळ-(न०) कलियुग का समय । या जामे में २० से १०० कलियां तक अधर्म का समय। होती हैं ।) १२. तरह । प्रकार । (वि०) कळिचाळो-दे० कळचाळो। १. सुन्दर । २. समान । (क्रि० वि०) कळि पत्थ-(न०) कलियुगी अर्जुन । कलि- तरह । भाँति । पार्थ । कळीजणो-(क्रि०) १. कीच में फंसना । २. कळिपाथ-दे० कळि पत्थ । घर-गृहस्थी या सांसारिक कामों में उल For Private and Personal Use Only Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कलुख झना । ३. मोहजाल में फँसना । ४. नष्ट होना । कलुख - ( न० ) १. पाप । कलुष । २. दूषित भाव । ३. मलीनता । ( वि०) १ मैला । २. बुरा । कळ - (To) कलियुग । कळ काळ - ( न० ) १. कलिकाल । कलियुग । २. बुरा समय । कळे जी - ( न० ) १. कलेजे का मांस । कळे जो - ( न०) कलेजा । काळजो । कलेवो - ( - ( न० ) नाश्ता । सिरावरण । कळस - ( न०) १. क्लेश । मनस्ताप । २. ( २१३ ) कलह । ३. दुख | वेदना | कळ हवा - दे० कलिहवा । कळो - ( न० ) १. कलह । २. युद्ध | लड़ाई | ३. एक जल पात्र । कलसा । ४. एक संचा। एक यंत्र या अौजार । कलोड़ - (न०) छोटा बैल । कळोधर - (वि०) १. कुल को उज्ज्वल करने वाला । २. कुल का उद्धार करने वाला । ( न० ) १. वंशधर । वंशज । २. पुत्र । ३. ३. पौत्र । कल्प- दे० कलप । कल्पतरु - ( न० ) मनवांछित देने वाला स्वर्ग का एक वृक्ष । कवर्ग गई हो । खार वाली । कृषि के योग्य नहीं । ( जमीन ) कव - ( न० ) १ पितरों को दी जाने वाली आहुति । कव्य । २. कवि । ३. फलों में पड़ने वाला एक कीड़ा या रोग । कवा | कवखारण- दे० कुवखारण । कवच - ( न०) जिरह बख्तर । कवचन - दे० कुवचन | कवट - ( ना० ) १. छाती । वक्षःस्थल । २. वक्षः स्थल । कपाट । वक्ष कपाट । उरकपाट । ३. कपाट । ४. कुमार्ग । खोटा मार्ग । ५. दुर्दशा । श्रवदशा । दुर्गति । कवटी - ( वि०) १. कुमार्गी । कुमार्ग गामी । २. दुर्दशाग्रस्त । श्राशीर्वाद । कल्लर - ( ना० ) १. सड़ी हुई राब का विशे रण । २. बासी या सड़ी हुई राब । ३. खार वाली जमीन । ४. मैदान । ( वि० ) १. बासी । २. वह जिसमें सड़ान पैदा हो Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कवडाळो - ( न० ) १. ऊंट की गर्दन और पलान के हाने में लटकाया जाने वाला, छेद की हुई कौड़ियों से बनाया हुआ झालरी नुमा एक शृंगार - उपकरण । कौडाळो । कवडाळी - (वि०) वह जिसमें कोड़ियाँ जड़ी या लगी हुई हो, जैसे कवडाळी इंढोरणी । कवडी - ( ना० ) कौड़ी । कपर्दिका । ( वि० ) कितनी | cast - ( वि० ) कितना । ( न० ) बड़ी कौड़ी | कवरण - ( सर्व०) १. कौन । ( क्रि०वि० ) किस प्रकार । कँसे । कल्पसूत्र - ( न० ) १. वैदिक कर्मों की विधियों का एक शास्त्र । २. एक वेदांग । ३. जैन साधुत्रों के लिए आचार वर्णन की एक धर्म पुस्तक । कवर - ( न०) कुँवर | कुमार । कवराणी - ( ना० ) कुँवर की पत्नी । कल्याण - ( न० ). १. मंगल । कुशल । २. हित । ३. एक राग । कल्याणमस्तु–(श्रव्य०) कल्याण हो, ऐसा कवरांगुर - ( न० ) १. जालोर के इतिहास प्रसिद्ध वीर कान्हड़दे सोनगरा के पुत्र वीर मदे का विरुद । २. बड़ा कुँवर । कवर्ग - ( न० ) क, ख, ग, घ, ङ, इन पाँच कठ्य, स्पर्शी, अल्पप्राण अघोष व्यंजनों का समूह कवत - ( न०) १. काव्य । २. कवित्त । कवयी मिरतु-दे० काची मौत । कवयो - दे० कवेयो । For Private and Personal Use Only Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कवल' ( २१४ ) कश्यपसुत कवल-(न०) १. कौल । वादा। २. कवा। करने का काम । कवि कर्म । ग्रास । कवो। कवि-प्रसिद्धि-दे० कवि-समय । कवळ-(न०) १. सूपर । २. जवान सूपर। कवियण-(न०ब०व०) कविजन । कविलोग। ३. कमल। कविराजा-(न०)१. श्रेष्ठ कवि । २. कवि। कवलपंजो-(न०) कौलनामा । इकरार- कविलास-(न०) कैलाश । नामा। कवि-समय-(न०) प्रकृति, शास्त्र और लोक कवळी-(ना०) १. हस्तलिखित पुस्तक को विरोधी वे बातें जिनका कवि लोग सुरक्षित रखने के लिये उसके आकार का परम्परा से वर्णन करते आ रहे हैं । उनके हाथ से बनाया हुअा गत्ते, कूटे आदि का संबंध में यह नहीं विचारा जाता कि बना एक प्रकार का वेष्टन या डिब्बा। वस्तुत: वे उस प्रकार होती हैं या नहीं। २. एक विशेष रंग की गाय । ३. गाय । यथा-हंस का मोती चुगना । स्वाति बूंद ४. द्वार के आजू बानू लगाई जाने वाली से केले में कपूर उत्पन्न होना इत्यादि । खड़े पत्थर की पट्टी। (वि०) कोमल । कवि प्रसिद्धि । मुलायम । कवीश्वर-(न०) १. वाल्मीकि ऋषि । २. कवळो-(न०) १. सूअर । २. द्वार का बड़ा कवि । । कवीसर । पार्श्वभाग। ३. द्वार । (वि०) १. नर्म। कवीसर-(न०) कवीश्वर । कोमल । २. केवल । मात्र । ३. बिना कवेयीमौत-दे० काची मौत । मात्रा का वर्ण । कवेयो-(वि०) १. कुवयस । अल्पवयस्क । कववाहण-(ना०) अग्नि । कव्य-वाहन । २.युवा । (केवल मौत का एक विशेषण।) कवा-(ना०) १. ऋतु विरुद्ध हवा । २. कवेळा-(ना०) १. कुसमय । २. संध्यासमय । ऋतु विरुद्ध हवा के चलने से फल या साँझ । ३. अमंगल बेला । फसल आदि में उत्पन्न होने वाला रोग कवेसर-दे० कबीरार । या जीव-जन्तु । कर्वत-दे० कुवैत । कवाज-(ना०) १. कुचाल । बुरा आचरण। कवो-(न०) ग्रास । कौर । कुचमाद । २. दुष्टता। कव्य-(न०) पितरों को आहुति रूप में दी कवारपाठो-(न०) क्वार पाठा । घीक्वार। जाने वाली भोजन सामग्री । कव। कवाली-(ना०) १. कव्वाली । २. गजल । कव्यंद-(न०) कवीन्द्र । श्रेष्ठकवि । कवि-(न०) १. कविता रचने वाला। २. कव्वाल-(न०) कव्वालियों का गाने वाला। ब्रह्मा । ३. वाल्मीकि । ४. वेदव्यास । कव्वाली-गायक । ५. भाट । ६. चारण। कश्मीर-(न०) भारत का ठेठ उत्तर में कविइलोळ-(न0) डिंगल का एक गीत- आया हुआ प्राकृतिक सौंदर्य का एक छंद । प्रसिद्ध प्रदेश या राज्य । काश्मीर । कवित-(न०) एक छंद । एक वर्णवृत। कश्मीरी-(वि०) १. काश्मीर-संबंधी । (न०) छप्पय । घनाक्षरी छंद । १. काश्मीर की भाषा। २. काश्मीर का कविता-(ना०) छंदोबद्ध रसमय रचना। निवासी। पद्य। कश्यप-(न०) एक प्रसिद्ध ऋषि । कविताई-(ना.) १. कविता। २. कविता कश्यपसुत-(न०) सूर्य । सा For Private and Personal Use Only Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कष्ट ( २१५) कसी कष्ट-(न०) १. दुख । संताप । २. श्रम। गाँव । नगर । कस्बा । महनत । ___ कसबो लोग-(न०) गाँव के लोग । गँवार । कष्टीजणो-(क्रि०) प्रसव की पीड़ा होना। कसम-(ना०) सौगंध । प्रसव वेदना होना। कसमसरणो-(क्रि०) १. घबराना । २. कस-(य०) १. सार । तत्व । २. अरक । हिचकना । कसमसाहट करना। ३. कुल ३. सारभाग । ४. रस । ५. थूक । ६. बुलाना। ४. आगा पीछा करना । दुविधा सोने की परीक्षा के लिये उसको कसौटी में पड़ना। ५. चलायमान होना । इधर पर घिस कर बनाई जाने वाली रेखा। उधर होना। ७. पतले और ऊँचे बादल । कसवाड़। कसमीर-(न०) काश्मीर देश । ८. तृण । तिनका। ६. घास । १०. कसर-(ना०) १. कमी। खामी । नुक्स । अंगरखी को कसने की डोरी। बंद ।। २. न्यूनता । कमी। ३. हानि नुकसान । तनी। ११. शक्ति । बल । १२. अर्थ। ४. अपूर्णता । ५. मात्रा, मान, मूल्य प्रयोजन । मतलब । १३. लाभ । अर्थ । इत्यादि में कम । घट । १४. चिलम, हुक्के आदि के धुएं को कसरत-(ना०) १. व्यायाम । २. अभ्यास । खींचने की क्रिया । १५. गवं । अभिमान । 1 ३. अधिकता । (वि०) अधिक । बहुत । कसरण-(न०) १. बंधन । बँधना। बंद। कसरात-(ना०) १. त्रुटि । खामी। २. २. अग्नि । कृशानु । कसर का एवजाना। ३. कसर (त्रुटि) होने के कारण मूल्यों में की जाने वाली कसरगो-(न०) कसने की डोरी। तस्मा। कमी। (क्रि०) १. खींचकर बांधना । २. कसोटी कसवाड़-दे० कस सं० ७. पर कस लगाना ३. दबाना । ३. तैयार कससणो-(क्रि०) १. जोश में आना । २. होना । ५. धनुष की डोरी चढ़ाना। आक्रमण करना। ३. जोश में आकर ६. मशीन में उसके पुरजे को कस कर चलना । बिठाना। कसाई-(न०) १. बूचड़। (वि०) निर्दय । कसतो-(वि०) १. तोल माप आदि में कुछ क्रूर । कम । २. मात्रा या परिमाण से कुछ कसायलो-(वि०) कषाय स्वाद वाला । थोड़ा। कम । प्रोछो। कसैला। कसदार-(वि०) सत्त्ववाला । कसालो-(न०) १. पेट भर भोजन नहीं कसनागर-(न०) अफीम । मिलना। २. दरिद्रता। निर्घनता। कसपाण-(न०) १. जो कसे रहते हैं। जो ३. अभाव । ४. कमी। पुरुष के हाथो से मर्दन किये जाते हैं। कसाव-(न०) १. कसेलापन । २. परीक्षा। २. जो हाथों से कसती है । स्त्री । ३. ३. खिचाव । जो पुरुष के मन और शक्ति का कर्षण कसावट-(ना०) १. कसने का काम । २. करती है। स्त्री। (वि०) शक्तिशाली तपास । परीक्षा । भुजाओं वाला। कसी-(ना०) लंबे डंडे वाला फावड़े जैसा कसब-(न०) १. कारीगरी । २. वेश्यावृत्ति । एक औजार । फावड़ी। कस्सी । (वि०) ३. धंधा । पेशा। १. कैसी। किस प्रकार की। २. कौनसी। कसबो-(ना.) १. खुशबू । सुगंध । २. बड़ा कुणसी। किसी। For Private and Personal Use Only Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कसोजणो कहवते कसीजगो-(क्रि०) १. कसला होना । २. कस्ट-दे० कष्ट । कसा जाना । बाँधा जाना । ३. कसौटी कस्टम-(न०) १. महसूल । २. आने वाले पर घिसा जाना। माल पर लगने वाली चुंगी। ३. रिवाज । कसीसणो-(क्रि०) १. कसना। खींचना। कस्टीजणो-दे० कष्टीजणो । २. कसा जाना। कस्तूरियो-मिरघ-(न०) १. कस्तूरी मृग । कसींदो-(न०) कपड़े पर सूई और धागे से २. विलासिता की एक उपाधि । (वि०) बनाया हुआ काम । कशीदा। १. सुगंध प्रिय । २. शौकीन ।। कसुपाड़-दे० कुसुवाड़। कस्तूरी-(ना०) एक प्रसिद्ध सुगंधित द्रव्य कसुवाड़-दे० कुसुवाड़। जो हिमालय के कस्तूरी मृग की नाभि से कसूरण-(न०) कुशकुन । अपशकुन । प्राप्त होता है । मृगमद । कसूत-(वि०) १. जो सूत्र में नहीं। वक्र। कस्तो -दे० कसतो। टेढ़ा । २. अव्यवस्थित । कुसूत । (न०) कस्यो-(वि०) १. कैसा । २. कौनसा । १. कुप्रबन्ध । कुसूत । २. अव्यवस्था । कहकह-(न०) कोलाहल । कसूमल-(न०) १. लाल रंग । कसूबल । कहड़ो-(वि०) कैसा। किस प्रकार का । २. लाल रंग का एक कपड़ा । कस्बल । किसड़ो। कड़ो। कसूर-(न०) १. अपराध । अनुचित कार्य । कहण-(ना०) १. संदेश । २. वचन । कथन । दोष । २. गलती। भूल । ३. दोष । ३. कहावत । ४. अपवाद । ५. लांछन । पाप । कलंक । ६. लोकापवाद । दोष । कसूर वार-(वि०) १. अपराधी। दोषी। कहणगत-(ना०) १. बदनामी। २. कलंक । २. भूल करने वाला। भूलक । ३. पापी। ३. कहावत । कसूबल-(न०) १. कुसुम के फूल से बना कहणार-(वि०) कहने वाला । कहणियो । हुआ रंग । २. लाल रंग। ३. लाल रंग २. उपालंभ देने वाला। से रंगा हुअा एक कपड़ा । (वि०) लाल । कहणावट-दे० कहणावत । लाल रंग का । कसबी-(वि०) लाल रंग का । लाल रंग कहणावत-(ना०) १. कहावत । कहवत । से रंगा हुआ। २. किम्वदंती। कसूबो-(न०) १. अधिक मादकतार्थ पानी कहरिणयो-दे० कहणार । में गाला हा अफीम । अहिफेन-द्राव। कहणी-(ना०) १. कहावत । २. दोष । २. कसुमल रंग। लाल रंग । ३. ढाक वृक्ष । टेसू। कहणो-(क्रि०) १. कहना । बोलना । २. कसो-(सर्व०) कौन । (वि०) कौनसा । आज्ञा करना । ३. डाँटना । ४. समझाना । कुरणसो। किसो। (न०) कसना। फीता। (न०) १. कथन । २. आज्ञा । कसोटी-(ना०) १. काले पत्थर का एक कहर-(न०) १. युद्ध । २. विपत्ति । दुख । चिकना टुकड़ा जिस पर घिस कर सोना ३. वज्रपात । ४. प्रलय । ५. अकाल । परखा जाता है । कसौटी। २. परीक्षा। (वि०) १. भयंकर । २. उग्र । तेज । जाँच । कहवत-(ना०) १. कहावत । २. दृष्टान्त । कसोटो-(न०) लंगोटा । पटली । ३. कथन । For Private and Personal Use Only Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कहवाड़णो ( २१७ ) कंगलो कहवाड़णो-(क्रि०) १. संदेश भेजना । २. शिव । ६. सूर्य । करवाना। कहलवाना। ३. सिफारिश कंकट-(न०) १. कवच । २. शत्रु । करवाना। ३. राक्षस । (वि०) दुष्ट । कहवावरणो-दे० कहवाड़गो। कंकणी-(ना०) १. स्त्रियों के पहुँचे में पहने कहाड़गो-(क्रि०) कहलाना । जाने वाला एक गहना। २. गिद्धनी । कहाणी-(ना०) १. वार्ता । वात । कहानी। गोधणो । गरजड़ी। २. विगत । वृत्तान्त । ३. कल्पित बात। कंकपत्र-(न०) बाण । तीर । कहानी। कंकाड़ो-(न०) कांटों वाला एक जंगली कहाव-(न०) १. संदेश । खबर । २. कथन । वृक्ष । ककड़ो। उक्ति । कंकाणी-दे० कंकरणी। कहावत-दे० कहवत । कंकाळ-(न०) १. अस्थि-पंजर। २. सिंह । कहिम-(अव्य०) १. यदि । अगर । २. ____३. युद्ध । अथवा । या । ३. चाहे । जो। कंकाळण-(ना०) १. कंकालिनी। कर्कशा कहिरो-(वि०) क्रोधी । कोहिरो। स्त्री। २. काली देवी का एक नाम । कंकालिनी । कंकाली। (वि०) कलहप्रिया । कही-(ना०) १. कथन । २. रचना । (वि०) कंकाळणी-दे० कंकाळण। कृत । रचित । बनाई हुई। कही हुई। जैसा- वेलि श्रीकिसन रुकमणी री राठौड़ कंकाळी-(ना.) १. एक देवी। दुर्गा का एक नाम । दुर्गा । २. झगड़ाखोर स्त्री । प्रथीराज री कही। कलहप्रिय स्त्री। कहैबो-दे० कसूबो। कंकावटी-(ना०) १. बिन्दी लगाने के लिये कहूँभो-दे० कसूबो । कुमकुम रखने का एक पात्र । २. एक कह्यो-(न०) १. प्राज्ञा । २. कथन । ३. देश। रचना (वि०) कहा हुआ । बनाया हुपा। कंकू-(न०) कुकुम । रोळी । रोरी। रचित । कृत । जैसे-गुण हरिरस कंकूपत्री-(ना०) विवाह, जनेऊ आदि मांगबारहठ ईसरदास रो कह्यो। लिक अवसरों की आमंत्रण पत्रिका । कं-(न०) १. सुख । २. कामदेव । ३. सिर। कुकुमपत्रिका । गचड़ी। कंकोत्री। ४. जल । पानी । ४. स्वर्ण। ६. कमल। कंकेड़ो-दे० कंकाड़ो। ७. आग । ८. सेना। कंकोड़ो-(न०) साग बनाने के काम में पाने कॅइ-(सर्व०) एक प्रश्नवाचक शब्द । क्या। वाला एक छोटा लता फल । बरसाती कोइ। लता का एक फल । कॅइक-(वि०) १. थोड़ा । जरा । २. कुछ। कंकोत्री-दे० कंकूपत्री। थोड़ासा। कंकोळ-(न०) १. शीतलचीनी का वृक्ष । कॅइ ठा-(भव्य०) १. क्या पता। २. न जाने । २. शीतलचीनी । कजार। कंग-(न०) कवच । बस्तर । कंक-(न०) १. एक पक्षी जिसके पंख बाण कंगर-(न०) कंगुरा। में लगाये जाते हैं। २. चील पक्षी। कंगळ-(न0) कवच । बख्तर । ३. कोपा । ४. युद्ध । ५. नर कंकाल । कंगलो-(वि०) १. झगड़ालू । २. कंगाल । ६. बाण । ७. भूगाल । ८. महादेव । दरिद्री । For Private and Personal Use Only Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कंगवो ( २१८) कंठौरल कंगवो-(न0) फसल का एक रोग । भाग । घोंटा । गळो । ३. स्वर । अावाज । कंगस-(न०) कवच । ४. स्मरण करने की क्रिया । ५. याद कंगाल-(वि०) गरीब । निर्धन । (वि०) कंठस्थ । जवानी । कंघो-(न०) कंधा । कौकियो। कंठत्राण-(न०) गले की रक्षा के लिए युद्ध कंचरण-(न०) सोना । कंचन । सोनो। में पहिनी जाने वाली लोहे की एक जाली। कंचरणी-(ना०) १. हल्दी। २. वेश्या। कंठकवच । गलवारण । गले का कवच । पातर । ३. नर्तकी। नाचरण । (न०) कंठ बेठणो-(मुहा०) १. गला बैठना । १.नपुंसक । नामर्द । २.नाजिर । नाजर। २. स्वर साफ नहीं निकलना। कंचनी-दे० कंचरणी। कंठमाळ-(ना०)गले में माला की तरह कंचूनो-(न०) कंचुकी। अंगिया । चोली। अनेक गुमड़ियाँ निकलने का रोग । काँचळी। गंडमाला। कंचुवो-दे० कंचुनो। कंठमाळा-(ना०) १. गंडमाला का एक कंचू-दे० कंचुनो। रोग । २. गले का हार । कंचो-(न०) १. पतंग । गुड्डी । कनकौवा। कंठळ-दे० कांठळ । २. कंचुकी। कंठलो-(न०) गले का एक आभूषण । कंज-(न०) १.कमल । २.ब्रह्मा । ३. अमृत । कंठसरी-(ना०) कंठी । कंठसिरी । कंठश्री। ४. सिर के बाल । ५. दोष । ६. महादेव। गले की माला। कंजर-न०) एक अस्पृश्य जाति । (वि०) कंठ सूखरगो-(मुहा०) १. गला सूखना । झगड़ालू । २. मुसीबत में पड़ना। कंजरी-(ना०) १. कंजर जाति की स्त्री। कंठस्थ-(वि०) १. कंठस्थित । कंठगत । २. मुसलमान वेश्या । (वि०) झगड़ालू । २. जबानी याद । कंठाग्र । कंजार-(न०) सूर्य । सूरज । कंठाळ-(न0) ऊंट। कंजारी-(न०) चंद्रमा। कंठाळो-(वि०) १. गाने में सुमधुर आवाज कंजूस-(वि०) कृपण। वाला । २.बलवान । शक्तिमान । ३.सिंह । कंटक-(न०) १. कांटा। २. दुश्मन । शत्रु । (न0) ऊँट । ३. असुर । राक्षस । (वि०) १. बाधक । कंठी-(ना०) १. गले का एक आभूषण । विघ्नकर्ता । २ कष्टदायक । शल्यरूप । २. छोटे गुरियों की माला। ३. साधु३. हृदयहीन । ४. शठ। ५. मूर्ख। गुरु की ओर से शिष्य को दीक्षा के रूप ६. दुष्ट । दुरात्मा। में पहिनाई जाने वाली माला। ३. तुलसी कंटक असण-(न०) ऊँट । की माला। कंटग-दे० कंटक । कंठीबंध-(वि०) किसी सम्प्रदाय में दीक्षित कंटाळो-(न०) १. ऊँट कंटाला घास । होकर उसके चिह्न स्वरूप कंठी गले में २. ऊब । उद्वग। उकतान । व्याकुलता। धारण करने वाला । अनुयायी। (वि०) कांटेदार । काँटोवाला । कँटीला। कंठीर-(न०) सिंह । कंट्राट-दे० कांट्रेक्ट । कंठीरण-(ना०) सिंहनी। कंट्रोल-(न०) अंकुश । काबू । कंठीरणी-(ना०) सिंहनी। कंठ-(न०) १. गला। २. गले के अंदर का कंठीरल-(न०) सिंह। For Private and Personal Use Only Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कंठौरव ( २१६ ) कंद्रप कंठीरव-(न०) सिंह। ७. समूह । ८. दुख । (वि०) मूर्ख । कंठे करणो-(मुहा०) याद करना । कदक-(न०) चंदोवा । चंदरवो । कंठेसरी-(ना०) सोलंकियों की कुलदेवी। कंद काढणो-समूल नष्ट करना । कंठेश्वरी। कंदचर-(न०) सूअर । शूकर । कंठे होणो-(मुहा०) कंठस्थ होना । जबानी कंदमूळ-(न०) खाने योग्य वानस्पतिक जड़ें। होना। कंदमूल। कंठो-(न०) १. गले का एक प्राभूषण। कंदरप-(न०) १. प्रद्युम्न का पुत्र अनिरुद्ध । २. गला । __ श्रीकृष्ण का पौत्र । २. कामदेव । कंदर्प । कंड-(वि०) १.मक्खीचूस । कंजूस । २.धूत। कंदर्प-दे० कंदरप । ३. कुटिल । ४. मैला-कुचेला ५. ढोंगी। कंदळ-(न०) १. युद्ध। २. नाश । ध्वंश । कंडियो-दे० करंडियो। ३. शोरगुल । ४. कटा हुआ अंग। ५. कंडीर-(वि०) १. मैला । गंदा। २. बहुत टुकड़ा । ६. समूह । ७. स्वर्ण । सोना । अफीम खाने वाला। ३. बहुत खाने कंदळी-(ना०) १. ध्वजा। २. एक प्रकार वाला । पेटू । खाऊ । की शराब । ३. एक देव वृक्ष । ४. युद्ध । कंडील-दे० कंदील । संग्राम । ५. हरिण । कंत-(न०) १. पति । कान्त । २. ईश्वर। कंदीजणो-(क्रि०) सड़ना । कंतर-(ना०) खाने-पीने आदि की वस्तुओं कंदीजियोड़ो-(वि०) सड़ा हुआ। ___ में मिली हुई रेत । कंदील-(ना०) १. बांस की सींकों के बनाये कंता-(ना०) पत्नी । कान्ता । गये ढाँचे पर कागज या अभ्रक चिपका कर बनाया हा एक दीपक । २. लालकंथ-(न०) १. पति । कान्त । टेन। लैटर्न । कंथकोट-(न०) योगी कंथड़नाथ के नाम कंदूड़ी-(ना०) संग्रह हेतु चुन कर बनाया से जाम साड़ के द्वारा बनवाया हुमा सिंध गया घास का ढेर । कराई । कंदूड़ो । के पारकर जिले का इतिहास प्रसिद्ध कंदोई-(न०) मिठाई बनाने वाला । हलवाई। प्राचीन किला और नगर । _सुखड़िया। कंयड़नाथ-(न०) सिव का इतिहास प्रसिद्ध कंदोराबंध-(वि०) कंदोरा बांधने वाला एक सिद्ध योगी। (मनुष्य) । (न०) १. जन्म लेने के समय कंया-(ना०)१. संन्यासी का लम्बा चोला । पुत्र शब्द के पर्याय रूप में प्रयोग किया २. गुदड़ी। जाने वाला शब्द । जैसे-फलाणचंद रे कंथाधारी-(न०) १.संन्यासी । २. महादेव । कंदोराबंध हुप्रो है। धिन्नड़ । धेनड़। कंथुप्रो-(न०) एक कीड़ा। ३. मात्र पुरुषों को निमंत्रित करने के कंथो-(न०)१.पति । कंथ । कांत । २.संन्यासी लिये प्रयुक्त पुरुषवाची शब्द । जैसेके पहनने का लंबा चोला । कंदोराबंध नैतो है। कंद-(न०) १. वानस्पतिक गांठदार मूल- कंदोराबंध-नैतो-(न०) भोजन के लिये प्याज, पालू, सूरण इत्यादि । २. बिना मात्र पुरुषों को दिया जाने वाला निमंत्रण। रेशे की जड़ । मूली, शकरकंद इत्यादि। कंदोरो-दे० करणदोरो। ३. गूदेदार जड़। ४. शुद्ध की हुई चीनी। कंद्रप-(न०) १. कामदेव । कंदर्प । २. चीनी-बुरा। ५. बादल । ६. दुर्गन्ध । पुरुषत्व । For Private and Personal Use Only Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कंध ( २२० ) कवार सूखड़ी कंध-(न०) १. कंधा । स्कंध । २. गर्दन। बेटा । ४. राजकुमार । (प्रत्य०) कुवरि कंध-चाप-(न०) धनुषाकार ग्रीवा वाला या कुमारी नामों का अपभ्रंश रूप जिसका घोड़ा। पुत्री के नाम के अंत में प्रत्यय रूप में कंध-रूढा-(ना०) स्कन्ध रूढ़ा देवी। सिंह प्रयोग किया जाता है जैसे-रतनकुवर । वाहिनी। पोहपकुवर । कंधाळ-(न0) १. बैल । २. बैल के कंधे कँवर कलेवो-(न०) पाणिग्रहण के पूर्व पर रखा जाने वाला जूना। (वि०) वीर। दुलहे को ससुराल में कराया जाने वाला कंधाळधुर-(न०) बल । भोजन । क्वारा जीमन । इस अवसर पर कंधो-(न०) कन्धा । . गाया जाने वाला गीत ।। कंप-(वि०) चंचल । अधीर । (न०) १. कँवराणी-(ना०) १. राजकुमार की पत्नी । दोष । २. कँपकँपी । ३. भय । २. पुत्रवधु । जिसके ससुर जीवित हों। कँपकँपी-(ना०) कँपनी । कंपन । थरथरा- कॅवरी-(ना.) १. कन्या । पुत्री। २. क्वारी ___ कन्या । ३. राजकन्या । कंपणी-(ना०) १. कँपकँपी। २. कम्पनी। कवळ-(न०) १. कमल । २. मस्तक । व्यवसाय में भागीदारी। ३. सुपर । कंपनी-(ना०) १. व्यापारिक-मंडली या कँवळ-पूजा-दे० कमल पूजा। संस्था । २. साथी। ३. मंडली ४. भागी कॅवळा-(ना०) लक्ष्मी । कमला । दारी। कॅवळापणो-(न0) कोमलता । नरमाई । कंपाउंडर-(न०) डाक्टर के कहने मुताबिक कॅवळापति-(न०) विष्णु । लक्ष्मीपति । __ दवाओं का मिश्रण तैयार करने वाला। कमलापति । कंपारण-(न०) तराजू । कांटो। कँवळी-(ना०) १. दरवाजे की दीवाल के कपास-(न०) १. दिशा सूचक यंत्र । २. वृत्त मुहरों पर चौखट की खड़ी लकड़ियो के बनाने का प्रौजार । परकार । पीछे चौखट की बराबर लंबाई का लगाया कंपी-(ना.) १. उड़ कर आई हुई बारीक जाने वाला खड़ा चपटा पत्थर । २. धूल । गर्द । गर्दगुबार । २. कँपकँपी। सुअरनी। शूकरी । (वि०) १. कोमल । कंपू-(ना०) १. छावनी । कैम्प । २. सेना। मुलायम। कंपोजीटर-(न०) छापाखाना में टाइप कँवळो-(न०) दरवाजे में लगी दोनों जोड़ने वाला । मुद्राक्षर बिठाने वाला। कंवलियों के आसपास की भींत । २. कंब-(ना०) छड़ी। कांब। सूअर । (वि०) १. कोमल । मुलायम । कंबू-(न०) १. शंख । २. हाथी । २. बिना मात्रा वाला अक्षर जैसेकंबोज-(न०) १. घोड़ा । २. एक देश । कॅवळो 'क'। कंभूठाण-(न०) हाथी को बाँधने का स्थान। कँवाड़-दे० किंवाड़। __ खंभूठाण। कँवार मग-(न०) क्वार मग । आकाशकँवर-(न०) १. पिता की जीवित अवस्था गंगा । में पुत्र का सम्मान सूचक पर्याय । २. कँवार सूखड़ी-(ना०) एक कर विशेष जो पिता की जीवित अवस्था में लड़के को राजा या जागीदार के पुत्र के नाम से किया जाने वाला संबोधन । ३. पुत्र । किसी पर्व या उसके जन्मदिन और विवाह For Private and Personal Use Only Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कंवारी ( २२१) काकीडो के अवसरों पर नजराना के रूप में प्रजा नालायक । ३. अकर्मण्य । ४. स्त्रण । से लिया जाता था। ५. मूर्ख । (न०) १. सर्वकाल में समान कँवारी-(वि०) अविवाहिता । क्वारी। रूप से स्थित । परमेश्वर । सदा कायम कँवारी घड़ा-(ना०) १. युद्ध के लिये रहने वाला। ईश्वर । २. ज्वार का वह तैयार सेना। २. अनामत सेना। ३. दाना जो मुट्टे में दाना बनते समय कीड़ा युद्ध नहीं लड़ी हुई सेना। कंवारी घड़। लगकर बिगड़ जाता है और कुछ लंबा कॅवारी लापसी-(ना०) बारात को दुल्हे के होकर मिट्टी से भर जाता है। पाणिग्रहण के पूर्व दिया जाने वाला वह काई-(प्रव्य०) अथवा । या । (सर्व०) प्रथम भात ( = भोजन) जिसमें मांगलिक १. कोई । २. कुछ। ३. कुछ भी। (न०) रूप से गुड़ की लापसी बनाई जाती है। १. पानी की एक घास । २. दाँतों का कॅवारो भात। . ___ मैल । ३. होठों की पपड़ी। ४, मैल । कँवारो-(वि०) क्वारा । अविवाहित । काकडी-(ना०) ककड़ी। खीरा । कँवारो भात-दे० कँवारी लापसी। काकड़ो-(न०) १. कपास । बिनौला । कंस-(न०) १. मथुरा के राजा उग्रसेन का २. गले के भीतर की दोनों ओर की पुत्र । २. प्याला। ३. मजीरा । ४. गाँठे । ३. जीभ की जड के ऊपर लटकने कांसा। वाला मांस खंड । गले का कोमा । कंसळो-दे० कानखजूरो। घंटी। कंसार-(न०) एक प्रकार का मिष्टान्न । काकनदी-(ना०) जैसलमेर राज्य की इतिकंसारी-(ना०) १. फुदकने वाला एक छोटा हास प्रसिद्ध प्राचीन राजधानी लुद्रवा के कीड़ा । झींगुर । २. कंसारे की स्त्री। खंडहरों के निकट बहने वाली एक बरसाती कंसारण। नदी, जिसकी तट पर उमरकोट के महेंकंसारो-(न०) ठठेरा । कंसारा । कसेरा। दरा की प्रसिद्ध प्रेमिका मूमल की मैड़ी बनी हुई है। कंसासुर-(न०) कंस। काकरियो-दे० काकरो। का-(प्रव्य०) अथवा या तो। (सर्व०) क्या। (प्रत्य०) संबंधकारक अथवा छठी विभक्ति काकरेज-(न०) मारवाड़ की दक्षिण सीमा पर उत्तर गुजरात का एक स्थान तथा का बहुवचन रुप । प्रदेश जहाँ के बैल और गायें प्रसिद्ध हैं। काइ-(प्रव्य०) अथवा । या । (क्रि० वि०) १.क्यों। २.क्या। (सर्व०) १.कोई। २.क्या। काकरेजी-(वि०) काकरेज (उत्तर गुजरात) ____ का प्रसिद्ध (बैल)। काकरेज संबंधी। काइम-(वि०) १. सर्वकालीन । २. सर्वव्यापक। ३. सर्वज्ञ । सर्वविद । ४. सर्वद्रष्टा। काकरो-(न०) १. पत्थर का छोटा टुकड़ा। २. एक घास । ५. सर्वशक्तिमान । ६. सर्वकाल में समान काकळ-(न०) १. स्वजन के दुख से कातर रूप से स्थित । ७. उपस्थित । ८. कायम। होकर रोना-पीटना। २. शोक । ३. युद्ध । स्थिर । ६. निश्चित । १०. स्थापित । काकाजी-(न०)१. चाचाजी। २. पिताजी। (न०) ईश्वर । परमात्मा । काकीडो-(न०) एक जाति की छिपकली काइमराव-(न०) सर्वकाल में समान रूप जो सूर्य-किरणों की सहायता से अपने से स्थिर रहने वाला परमात्मा । शरीर को अनेक रंगों में बदलती है। काइमो-(वि०) १. निकम्मा । २. अयोग्य । गिरगिट । For Private and Personal Use Only Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काफी ( २२२ ) काचो काकी-(ना०) चाची। गले का कोमा । गलशुडी। काकी-सासू-(न0) चचिया सास । कागलो-(न०) कोपा । काग । काकी-सुसरो-(न०) चचिया ससुर । कागाबाटी-(ना०) एक घास । काको-(न०) १. चाचा । २. पिता।। कागारोळ-(ना०) १. रोना-पीटना। २. काकोदर-(न०) सर्प । साँप । __ शोर । कोलाहल । काकोदरी-(ना०) सपिणी । सापणी। कागोळ-(ना०) श्राद्ध कर्म में पितरों के काखबिलाई-(ना०) बगल का फोड़ा । निमित्त दी जाने वाली काकबलि । ___ कॅखौरी । काखोळाई। कागबलि। काखोळाई-दे० काखबिलाई। कागोलड़-(ना०) मेघ घटा के आगे-आगे काग-(न०( १. कोप्रा २. शीशी का ढक्कन। चलने वाले सफेद बादल । कोरण । कॉर्क। काच-(न०) १. दर्पण । प्राइना । २. काँच । काग उडावणी-(न0) अवगुणी और झग- ३. एक नेत्र रोग । मोतियाबिंद । ड़ालू पुत्रवधु की ओर से सासू के लिये काचड़कूटो-(वि०) चुगलखोर । कहा जाने वाला अपमान जनक सांकेतिक काचड़ो-(न०) १. निंदा । बुराई । २. नाम । चुगली। कागरण-(ना०) बाजरी की फसल का एक काचर-(न०) ककड़ी । कचरी । रोग। काचर-कूचर-(न०) १. खाने की फुटकर कागद-(न०) १. चिठ्ठी। पत्र । पत्री। चीजें । २. हलका खाना । घटिया खाना । २. कागज । ३. चना-चबेना । अटरम-पटरम । कागदवाई-(ना०) पत्र-व्यवहार । चिट्ठी- काचरी-(ना०) सुपारी या नींबू के आकार पत्री का उत्तर-प्रत्युत्तर । __ का छोटा कचरी फल । कचरी । कागदियो-(न०) १. छोटी चिट्ठी । काचरो-नि०) १. ककड़ी। २. छोटी और पुरजा । २. कागज का टुकड़ा। गोल ककड़ी। कागदी-(वि०) पतली छालवाला जैसे- काचा कानांरो-(मुहा०)१. सुनी-सुनाई बात कागदी नींबू । कागदी बदाम । २. जो को बिना विचारे सच्ची मान लेने वाला। जल्दी टूट-फूट जाय । ३. नाजुक । (न0) कान का कच्चा । बहकावे में आने वाला। कागज बेचने वाला। काची गार-(ना०) १. मिट्टी का गारा । कागदी जवान-(ग0) जवान उम्र का २. कीचड़। निर्बल व्यक्ति । काची मौत-(ना0) जवान की मृत्यु । युवाकागदी नींबू-(न०) पतली छाल का अधिक मृत्यु । रस वाला ऊँची जाति का नींबू । काचो-(वि०) १. कच्चा। बिना पका। कागदी बदाम-(ना०) पतले छिलके की अपक्व । २. जिसके तैयार होने में कसर और अधिक मीठी ऊँची जाति की बादाम। हो। ३. बिना रस का। जिसमें रस कागभुसंड-(न०) काकभुशुडि । उत्पन्न न हुआ हो। ४. जो आँच पर कागमुखो-(न०) कौए की चोंच के समान पका न हो। ५. कच्ची मिट्टी का बना। पीछे से चौड़ा और आगे से सँकड़ा (मकान)। ६. अशक्त । कमजोर । ७. अन-अभ्यस्त । कागलियो-(न०) गले के भीतर की घंटी। ८. कायर । ६. असत्य । १०. खराब । For Private and Personal Use Only Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काचो-कयो ( २२३ ) काजळी-तीज बुरा । ११. व्यर्थ । १२. अधूरा। (न०) भाषा। (न०)१.घोड़ा। २.कच्छी घोड़ा। कच्चापन । कचाई। काछी जोड़-रो-(न०) १. कच्छ का ऊंट । काचो-कवैयो-(वि०) अल्पायु का। कच्चा २. ऊंट । मौर कुवयस्क । काछेल-दे० काछराय । काचा-पाको-(वि०) १. कच्चा-पक्का। काछेली-दे० काछराय । अर्धदग्ध । काछेलो-(न0) कच्छ का रहने वाला काचो-पोचो-(वि०)१. डरपोक । २.साहस- चारण । कच्छ देश का चारण । हीन । नाहिम्मत । ३. अनुभवहीन । २. चारणों की श्रेक शाखा । काचोमतो-(न०) १. ढिल-मिल विचार। काज-(न०) १. कार्य। काम । २. प्रयोजन । २. अस्थिर मन । ३. कायरता। उद्देश्य । ३. व्यवसाय । ४. बटन फँसाने काछ-(ना०)१. जाँघ । साथळ । २.लंगोट। के लिये कोट. कुरता मादि में बनाया ३. लांग । (न०) १. कच्छ देश । जाने वाला छेद। ५. मृत्यु भोज । मौसर। काछ जती-(वि०) लंगोट का सच्चा। ग्रोसर । (अव्य०) लिये । कारण । निमित्त । वास्ते । जितेन्द्रिय । काछरगो-(क्रि०) १. युद्ध करना । २. नाश काज-किरियावर-(न०) प्रौसर-मौसर करना। ३. कमर कसना। ४. लंगोट (मृत्यु भोज), भात भरना (माहेरा), लगाना । (न०) कछोटा । छोटी घोती। दहेज, बड़े-बड़े दान, न्याति भोज, ब्रह्मभोज काछद्रढो-(वि०) जितेन्द्रिय । (न०) ब्रह्म और आर्थिक सहायता इत्यादि श्रेष्ठ कर्म । कीत्ति-कर्म। कारी। काज-किरियावरो-(वि०) औसर-मौसर काछ-पंचाळ-(ना०) १. एक लोक देवी। आदि महाभोज करने वाला। २. भात २. सैणी देवी । ३. कच्छ की एक देवी । भरने वाला। माहेरा भरने वाला । काछबियो-(न०) १. लोकगीतों का एक ३. बड़े बड़े दान और आर्थिक सहायता नायक । २. एक प्रसिद्ध लोकगीत । दे० करने वाला । महान् उदार । महादानी । काछबो। काजथंभ-(वि०) १. प्रधान कार्यकर्ता । काछबो-(न०) १. कछुप्रा। २. थरपारकर २. कार्य कुशल । (न०) १. पुण्य कार्य । जिले के उमरकोट में हुआ एक लोक धर्म काम । २. वीर मृत्यु । ३. मरणोप्रसिद्ध काछब नामक राजा । ३. एक त्सव ४. कीत्तिस्तम्भ । ५. स्मारक । लोकगीत का नायक । काछवियो । ४. काजळ-(न०) १. कज्जल । दीपक का काछबा से संबंधित एक लोकगीत। घुआ। २. काजल से तैयार किया हुआ काछराय-(ना०)कच्छ देश की सैरणी देवी। अंजन । काछ-वाच-निकळक-(वि०) जिसने ब्रह्म- काजळियो-(न०) १. काले रंग से रंगा चर्य पालन करने में और सत्य भाषण हुआ प्रोढ़ना । २ अक लोक-गीत । करने में कलंक नहीं लगने दिया हो। ३. अंजन। काछियो-(न०) धोती अथवा लहंगे के नीचे काजळी-(ना०) १. धुए की कालिख । पहिनने का एक वस्त्र । कलौंछ । २. काजली तीज । काछी-(वि०) १. कच्छ देश का । कच्छ काजळी-तीज-(ना०) १. कजली तीज । निवासी । (ना०) कच्छ की भाषा । कच्छी २. भादौं वदि तीज को मनाया जाने For Private and Personal Use Only Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काजी ( २२४ ) काठी वाला स्त्रियों का एक त्यौहार । २. काट-छांट की अस्पष्टता । ३. कतरन । काजी-(न०) मुसलमानों का धर्म गुरु एवं ४. कलह । (शरा के अनुसार) न्यायाधिकारी। काटी-(न०) १. माल की खरीद-फरोख्त के काजी री लाग-(ना०) काजी लोगों के । मूल्य की अदायगी में बारदाना, धर्मादा, गुजारे के लिये बादशाही वक्त में लिया। दस्तूरी आदि के रूप में की जाने वाली जाने वाला एक कर। कटौती । २. ऋण-पत्र में ऋणी के नाम काजू-(न0) एक मेवा । (वि०) १. काम लिखे गये रुपयों में से काट कर दिये जाने की। काम में आने वाली । उपयोगी। वाले कम रुपये। ३. कर्जदार के नाम २. उत्तम। दस्तावेज में लिखी गई रकम में से (एक काजू कळिया-(न०) का नू मेवा । निश्चित परिणाम में) कम देने की काट-(न०) १. जंग । मुरचा । २. क्रोध ।। शोषण वृत्ति का एक रिवाज। ४. शोषण वृत्ति का एक प्रकार । ३. शत्रुता । बैर । ४. कलंक । दोष । ५. पाप । ६. अब । खोट । ४. किसी काठ-(न०) १. लकड़ी काष्ठ । २. इंधन । ३. मुर्दे को जलाने की लकड़ियाँ । कही हुई बात को गलत ठहराने का भाव । खंडन । ८. काटने का काम या ढंग । काठ-कबाड़-(न०) लकड़ी का सामान । काठ देणो-(मुहा०) १. मृतक की सहानुकटाई। भूति में शव की रथी के साथ श्मसान काटकरणो-(क्रि०) १. क्रोध करना। २. तक जाना। २. चिता में लकड़ी रखने ___ आक्रमण करना। ३. कड़कना। में योग देना। काट खूरिणयो-(न०) १. समकोण । २. क काट-भखण-(ना०) १. अग्नि । काष्ठनब्बे अंश का कोण । ३. समकोण भक्षण । २. वीर गति प्राप्त पति की नाप का राज-बढइया का एक प्राजार । चिता में सती का प्रवेश ।। गुनिया । काठ लेणो-दे० काठां चढ़णो। काट खूणो-दे० काटखूणियो। काठहड़ो-(न०) १. तख्त । सिंहासन । २. काट-छाँट-(ना.) १. काटने छाँटने का काठ का पिंजरा । कठघरा । काम । २. काट कर छाँटने का काम । काठाँ चढणो-(मुहा०) सती होना। वीर ३. दुरुस्ती । संशोधन । गति प्राप्त पति की चिता में पत्नी का काटण-(वि०) १. काटने वाला। २. नाश जल मरना। सहगमन करना। २. शव करने वाला (न०) १. काटने की क्रिया । का चिता में जलना। २. कसाई। काठियावाड़-(न०) गुजरात का प्रेक भाग काटणो-(क्रि०) १. काटना । २. चीरना। सौराष्ट्र प्रदेश । सौराष्ट्र। ३. दांत मारना या डसना । ४. लिखे काठियावाड़ी-(वि०) १. काठियावाड़ हुये के ऊपर लकीर फेरना । रद्द करना। संबंधी । २. काठियावाड़ का रहने गाला। ५. डंक मारना । ६. कम करना। (ना०) काठियावाड़ी भाषा या बोली। काटल-(वि०) १. जंग लगा हुअा। जंग काठियो-(वि०) १. दुष्कर्म करने वाला। वाला। २. लांछित । कलंकित । ३. २. मंदभागी । ३. काठ बेचने वाला। बहिष्कृत । ४. काटा हुआ। काठी-(ना०) १. घोड़े या ऊँट की पीठ पर काटा-कूटो-(न०) १. काट-छाँट । दुरुस्ती। रखी जाने वाली जीन । पलान । २. For Private and Personal Use Only Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काठो ( २२५) कातियो राजपूतों की एक उपजाति । ३. शरीर काणी-(वि०) एक प्रांख वाली । काणंखी। की गठन । (वि०) १. काठियावाड़ का। कानी । २. दृढ़ । मजबूत । ३. तंग । सँकरी। काणी दिस-(ना०) १. अपने जनपद से काठो-(वि०) १. तंग । सँकरा । २. सख्त। भिन्न दूर का जनपद । अपने चौखले से कड़ा। ३. कठोर । ४. मजबूत । दृढ़। बाहर का स्थान । २. दूर और एकान्त ५. कंजूस । कृपण । ६. मोटा । जाड़ा। जगह । अटपटी जगह । ३. वह दिशा या (न0) एक प्रकार का कठोर फोड़ा। स्थान जिसके साथ अपना कोई संबन्ध कारबंकल। न हो। काडो-(न०) १. एक गाली। २. एक अशिष्ट कारणी दीवाळी-(ना०)दीपावली का पहिला वाक् संपुट । __दिन । इस दिन द्वार के एक तरफ ही काढणो-(क्रि०) निकालना। दीपक रखा जाता है। काढो-(न०) क्वाथ । काढ़ा। कारणेठो-(न०) नुकीला दाँत । शूल दाँत । कारण-(ना०) १. सम्मान । प्रतिष्ठा । खूटो। २. सम्मान की भावना । ३. लोक-लाज। काणो-(न०)१. सुराख । छिद्र । (वि०)१. मर्यादा। ४. संकोच । ५. महत्व । ६. एक आँख वाला। काखांण । काना। मृतक के घरवालों के शोक में संवेदना २. दुर्बुद्धि । ३. जिस फल का कुछ अंश प्रकट करने को जाने की प्रथा । ७. तराजू कीड़ों ने खा लिया हो। कीट भक्षित के दोनों पलडों में समतला का प्रभाव । (फल, साक आदि।) डंडी पोर उसके एक पलड़े का एक ओर काणो गूघटो-(न०) घूघट में से देखने के झुकाव । ८. तराजू के दोनों पलड़ों को लिये एक आँख के आगे दो अंगुलियों में समतुलित करने के लिए ऊँचे उठने वाले प्रोढ़ने को लपेट कर बनाया जाने वाला पलडे में रखा जाने वाला वजन । पासंग। घंघट का नेत्राकार छिद्र । कारण-कुरब-(न०) १. मान मर्यादा। २. कात-(ना०) बड़ी कतरनी। बड़ी कैंची। प्रतिष्ठा। कातरणो-(क्रि०) १. सूत कातना। ऊन या कारणण-राण-(न०) सिंह । काननराज । रूई का धागा बनाना। कातमा । कताई काणम-(ना०) १. तकड़ी की डंडी और करना । (न०) सूत कातने का काम । पलड़े में रहने वाला मुकाव । २. दोनों कताई। पलड़ों को समतुलित करने के लिए ऊँचे कातर-(ना०) बड़ी कतरनी। (वि०) १. उठने वाले पलड़े में रखा जाने वाला कायर । २. व्याकुल । वजन । कारण । कातरियो-(न०) स्त्री के हाथ का एक काणजो-(वि०) काना । एकाक्ष । (न०) गहना । १. चिपड़ी । २. कचरा। कातरो-(न०) फसल को चौपट करने वाला कारण-मुकारण-दे० काण ६ । एक कीड़ा। कारणस-(ना०) एक औजार जिसको किसी कातळी-(मा०) १. शरीर का ढांचा । २. धातु पर रगड़ने से उसके बारीक कण शरीर की शक्ति । ३. किसी चीज का कट कर गिरते हैं। रेती। प्ररगती। लम्बा पतला और चपटा टुकड़ा । कतली। कानस। कातियो-(न०) जबड़ा । जबाड़ो । For Private and Personal Use Only Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काती (२२६ ) फानो लेपो काती-(न०) १. कार्तिक मास । २. घास कान-फूटो-(वि०) बहरा। काटने का एक औजार । ३. एक शस्त्र । कान भरणा-(मुहा०) बहकाना । कातीरो--दे० कातीसरो। कान मांडणा-(मुहा०) ध्यान से सुनना । कातीसरो-(न०) खरीफ की फसल । कान वाढणा-दे० कान कतरणा । कातीरो। कानवो-दे० कानम्हो । का तो-(अव्य०) या तो । अथवा तो। कान हो-(न०) श्रीकृष्ण । कात्यायनी-दे० कतियारणी। कानसळाई-(ना०) कनखजूरा । काथ-(न०)१. ताकत । शक्ति । २. शरीर। कानसळायो-दे० कानसळाई । ३. माया । धन । ४. कथा । ५. मिजाज। काना करमत-(ना०) वर्ण के ऊपर और ६. चरित्र । ७. विनाश । ध्वंस । ८. आगे लगाई जाने वाली मात्राएँ । 'प्रो' काम । ६. रचना । निर्माण । की मात्रा । कानामात । काथो-(न०) कत्था। काना-पाती-(ना०) कान के पास धीरे-धीरे कादमी-(ना०) बुखार में होने वाला बात करना । काना-फूसी । काना-बाती । पसीना । २. भैस । (संकेत शब्द) कानामात-(ना०) वर्ण के ऊपर और आगे कादंबरी-(ना०) १. सरस्वती। २. कोयल। लगाई जाने वाली मात्राएँ। काना और ३. सारिका । मैना। मात्रा। कादंबिनी-(ना०) १. मेघमाला। २. बिजली। कानी-(क्रि०वि०)१. पोर । तरफ । (ना०) कादो-(न0) कीचड़ । कर्दम । कादा-कीच। धोती आदि वस्त्र की किनारी । __ गारो। कानी-कानी-(क्रि०वि०) इधर उधर । सभी कान-(न०) १. श्रवणेन्द्रिय । कर्ण । कान। जगह। २. बन्दूक का लोंग। कानू गो-(न०) १. बादशाही समय का एक कान कतरणा-(मुहा०) होशियारी में किसी कर्मचारी । २. कानूनगो। कानून जानने को दाद नहीं देना । होशियारी में चढ़ा- वाला व्यक्ति । ३. एक राज्य कर्मचारी । बढ़ा होना। कानकान-(अध्य०) कानों-कान । एक कान कान कापणा-दे० कान कतरणा। से दूसरे कान । एक व्यक्ति से दूसरे कानखजूरो-(न०) कनखजूरा। कनसळायो। व्यक्ति । व्यक्ति से व्यक्ति । कान खारणा-(मुहा०) बार बार कहना। कानो-(न०) १. बरतन का किनारा । २. कान खुलणा-(मुहा०) सचेत होना । वर्ण के प्रागे आने वाली 'मा' की मात्रा । कान खोलणा-(मुहा०) सचेत करना। खड़ी पाई । काना। ३. श्रीकृष्ण । कानजी-(न0) श्रीकृष्ण ।। (प्रव्य०) पृथक । कानजी-पाठम-(ना०) भादौ कृष्ण पक्ष की कानोकान-दे० कानै कान । श्रीकृष्ण जन्माष्टमी । गोकळ माठम। कानो देणो-(मुहा०) १. किनारा लेना। कान देणो-(मुहा०) ध्यान से सुनना। दूर रहना । किनारा देना । दूर करना। कान धरणा-(मुहा०) ध्यान से सुनना। ३. वर्ण के प्रागे खड़ी पाई रूप 'पा' की कानपकड़णो-(मुहा०)भूल स्वीकार करना। मात्रा लगाना । कान पकड़ागो-(मुहा०) भूल स्वीकार कानो लेणो-(मुहा०) किनारा लेना। दूर रहना । दूर होना। कराना। For Private and Personal Use Only Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कान्ह कुंवर ( २२७ ) कामकाज कान्ह कुँवर-(न०)१. पुत्र । २. श्रीकृष्ण। काबर-(ना०) एक पक्षी। बाल कृष्ण । काबरियो-(वि०) चितकबरा । कबरा । कान्हड़-(न०) श्रीकृष्ण । (न०) कबरा कुत्ता। २. कुत्ते का बच्चा । कान्हड़दे-प्रबंध-(न0) मारवाड़ के प्रसिद्ध काबली-(वि०) १. काबुल का निवासी । ऐतिहासिक नगर जालोर के वीर कान्हड़दे २. काबुल से संबंधित । ३. जिसकी बोली सोनगरा और सुलतान अल्लाउद्दीन के समझ में न आवे । (न०) १. मुसलमान । परस्पर जालोर में हुये युद्ध के वर्णन का २. हींग बेचने वाला पठान । जालोर के कवि पद्मनाभ के द्वारा रचा काबली चिरणो-(न0) एक प्रकार का चना । हुमा १५ वीं शताब्दि की राजस्थानी बड़ा चना । भाषा का प्रसिद्ध ऐतिहासिक प्रबंध ग्रंथ। काबली दाड़म-(न०) लाल और मोटे दानों कान्हवो-(न०) श्रीकृष्ण । कान्हो । कान्हजी। की एक दाडिम । काबुली अनार ।। कान्हूडो-दे० कान्हवो। काबली बदाम-(ना०) १. काबुल से पाने कान्हो-दे० कान्हवो। वाली बादाम । २. अच्छी जाति की एक काप-(न0) १. काटना । कटाई। काट बादाम । छाँट । २. कमी । ३ बचत । - काबली हींग-(ना०) १. काबुल की हींग । कापकूप-(न०) कतर-ब्योंत। २. काट-छाँट। पठानी हींग । २. अच्छी जाति की हींग । ३. बचत । किफायत । ४. कटे हुए काबू-(न०) १. बंद। पकड़। २. अधिकार । टुकड़े। वश । कापड़-(न0) कपड़ा। काबू करणो-(मुहा०) १. बांधना। २. कैद कापड़ी-(न०) १. याचक । २. साधु । में रखना। ३. अधिकार में लेना । ३. भाटों की एक शाखा। काबो-(न०) १. परमार क्षत्रियों की एक कपड़ा। वस्त्र शाखा। ३. इस शाखा का व्यक्ति । कापणो-(क्रि०) १. काटना। २. मारना । ३. लूट खसोट करने वाली जाति का व्यक्ति । ४. अरब देश के मक्का शहर में ३. कम करना । घटाना। ४. हटाना। __ मुसलमानों की जियारत का एक स्थान । दूर करना। ५. ताश के खेल में तुरुप काम-(न०) १. कार्य। कृत्य। २. व्यापार । चाल चलना । काटना। ३. इच्छा । ४. कर्तव्य । ५. धंधा । कापुर-(न०) १. छोटा गांव । २. सुविधाओं व्यवसाय । ६. उपयोग। जरूरत । ७. से रहित बस्ती। कुगाव । ३. ऊजड़ खेड़ा। प्रयोजन । मतलब । तात्पर्य । ८. सरोकार कापुरस-(वि०) कापुरुष । कायर । गरज । ६. रचना । १० रचना कौशल । कापो-(न०) चमड़े का टुकड़ा । साक . १२. विषय सुख की इच्छा । १३. काम। फलादि का टुकड़ा ।। रति । १४. कामदेव । १५. धर्मशास्त्राकाफर-(न०) १. भिन्न धर्मावलम्बी । नुसार चार पदार्थों (धर्म, अर्थ, काम, २. ईश्वर के अस्तित्व को न मानने वाला। मोक्ष) में से एक । काम । पुरुषार्थ । नास्तिक । (वि०) १. क्रूर। निर्दय। काम करणियो-(वि०) १. महनती । २. पश्चिमाभियाची। पश्चिमाभिमुखी। परिश्रमी । २. कर्तव्यनिष्ट । कर्मठ । काफलो-(न०) काफिला। कारवां । पथिक- कामकाज-(न०) १.काम धंधा। २. कारोसमूह । बार। For Private and Personal Use Only Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कामगरो । २२ ) कायम कामगरो-(वि०) कामकाजी । उद्यमी। व्योपार । २. नौकरी । ३. मजदूरी । २. काम करने वाला। ३. काम में प्राने ४. शिल्प काम । शिल्पियों का कारोबार । वाला । उपकारी। कामधेनु-(ना०) याचित वस्तुओं को देने काम चलाऊ-(वि०)१. अस्थाई । २. सामा- वाली एक गाय । सुर-सुरभि । न्यतया काम में लाया जा सकने योग्य । कामना-(ना०)कामना । मनोरथ । इच्छा। कामचोर-(वि०) काम से जी चुराने वाला। कामरू देस-दे० कामरूप । आलसी। कामरूप-(न०) भारत का प्रासाम देश । कामड़-दे० काँबड़। कामल-(वि०) योग्य । काबिल । कामड़ियो-(न०) १. कामड़ी से टोकरी कामळ-(ना०) १. कम्बल । २. गाय-वैल आदि बनाने वाली जाति का पुरुष । की गरदन के नीचे लटकने वाली मोटी २. रामदेव का भक्त । ३. तंबूरे पर गाने का काम करने वाली याचक जाति । काम विराम-(न०) स्तन । उरोज । कामड़ी-(ना०) बेंत । छड़ी। कामसर-(प्रव्य०) १. काम के लिये । कामरण-(न०) १. स्त्री। कामिनी। २. वशी- २. काम हो तो। करण । कामरण । ३. वर्षागम के कारण कामख्या देवी-(न०) आसाम की कामाख्या काँसा, ताँबा आदि धातु-पात्रों पर होने देवी । वाला रंग बदल । ४. विवाह का एक कामंछा-(ना०) १. कामेच्छा २. कामाख्या । लोक गीत । कामण ।। कामागनी-(न०) कामाग्नि । कामज्वाला। कामणगारी-(वि०) १. वशीकरण करने कामाग्नि-(ना०) कामज्वाला । वाली। २.मोहित करने वाली। मोहिनी। कामिणी-दे० कामणि । कामणगारो-(वि०) १. कामण करने कामू-(वि०) १. कामकाज वाला । २. उप वाला। वशीकरण करने वाला। जंत्र-मंत्र योग में आने वाला। काम में प्राने वाला। द्वारा वश में करने वाला। २. जो वश कामेती-(न०) १. कामवार । प्रबंधक । में करले । मोहित करने वाला। मोहक । २. जागीरदार की जागीरी का प्रबंधक । कामरिण-(ना०) कामिनी । स्त्री। कामेही-(ना०) गौड़ों की कुलदेवी। कामणी-दे० कामणि । काय-(अव्य०) १. या । २. या तो। अथवा । कामदार-(न०) १. कर्मचारी। २. जागीर- अथवा तो। ३. क्योंकि । (वि०) १.कौन । दार का मुख्य पदाधिकारी । जागीरदार २. क्या । ३. कितना । ४. कुछ । ५.कुछ की जागीरी का प्रबंधक । कामेती। (वि०) भी । (क्रि०वि०) १. क्यों। २. किसलिए। जिस पर गोटा किनारी या (सर्व०) १. क्या। २. कोई । (ना०) शरीर । काया। काम किया हुआ हो। कायज करणो-(मुहा०) १. जीन कसे हुये कामदेव-(न०) काम वासना का देवता । घोड़े की लगाम को जीन में ही अटका मदन । मनोज । देना। २. लगाम, जीन आदि डाल कर कामधकाऊ-(वि०) १. काम में आने घोड़े को संपूर्ण रूप से सवारी के लिये लायक । साधारणतया जिससे काम तैयार रखना । निकल सके। काम चलाऊ। कायथ-(न०) १. कायस्थ जाति । २. कायस्थ १. कामधंधा। बनिज- जाति का व्यक्ति । पंचोली । For Private and Personal Use Only Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कायथण ( २२६ ) कारकूट कायथण-(ना०) १. कायस्थ जाति की कायो-(न०) लोहे का एक औजार जिसको स्त्री। पंचोलण। २. लोक गीतों की गरम करके किसी बरतन आदि में रांगा एक नायिका। से झालन लगाई जाती है। (वि०) १. कायथाणी-(ना०) १. लोक गीत । २.विवाह थका हुआ । क्लान्त । २. उकताया हुआ। के गीतों की एक नायिका। ३. कायस्थ ३. हैरान । तंग। जाति की स्त्री। कायो करणो-(मुहा०) १. थकाना । हैरान कायदो-(न०)१. मान । मर्यादा। प्रतिष्ठा। करना । २. विवश करना । २. नियम । ३. दस्तूर । रिवाज। कायो हुणो-(मुहा०) १. थकना। २. हैरान ३. कानून । विधान । ५. उर्दू भाषा होना । उकता जाना । ३. विवश होना । सीखने की पहली पुस्तक । मजबूर होना। कायब-(न०) कान्य । कविता। कार-(न०) १. वश । अधिकार । २. लाभ । कायब-कूतो-(वि०) काव्य की परीक्षा फायदा । ३. असर । प्रभाव । ४. उपाय । करने वाला। काव्यपरीक्षक । (न०) (ना०) १. रेखा । लकीर । २. सीमा । काव्य की परीक्षा का काम । ३. पाड़। ४. एक शब्द जो वर्णमाला के किसी अक्षर के साथ लग कर उसका कायम-दे० काइम । स्वतंत्र बोध कराता है, जैसे-प्रकार से कायमो-दे० काइमो। 'अ' का। मकार से 'म' का इत्यादि । कायर-(वि०) १. बिना साहस वाला। ५. एक शब्द जो किसी शब्द के आगे बेहिम्मत । डरपोक । डरपण । २. लग कर उसके करने वाले का बोध बुजदिल । कायरो-(प्रव्य०) १. किस बात का । २. कराता है, जैसे-व्यंजनकार । स्वर्णकार क्या। (वि०) भूरी आँखों वाला। इत्यादि । (वि०) करने वाला। बनाने वाला। ६. मोटर। कायलाणो-(न०) १. शिकार का रक्षित . कार आवरणो-(मुहा०) १. लाभप्रद होना । स्थान । २. जल-पक्षियों की शिकार का उपयोगी होना । (दवा का) २. काम में स्थान । ३. जोधपुर के निकट एक बड़ा पाना। तालाब जो एक समय राजाओं के जल- जल कारक-(न०) संज्ञा व सर्वनाम का वह रूप पक्षियों की शिकार का स्थान था। जिससे वाक्य में अन्य शब्दों के साथ कायली-(ना०) १. ग्लानि । खेद । २. उसका संबंध प्रगट होता है। (व्या०) । लज्जा । ३. थकावट । ४. सुस्ती ।। (वि०) १. करने वाला । कर्ता । २. उपकाहिली। योगी। लाभदायक। काया-(ना०) शरीर । देह । कार करण-(मुहा०) १. फायदा करोना । कायाकळप-दे० कायाकल्प । २. फायदा होना । (औषधि से) ३. काम कायाकल्प-(10) शरीर का जवान हो। करना । धंधा व्यवसाय करना। ' जाना। कार काढण-(मुहा०) १. संबंधो तोड़ना । कायाधाम-(न०) प्रात्मा । २. संबंध तोड़ने की प्रतिज्ञा करना। कायापूत-(न०) औरस पुत्र । ३. लकीर खींचना। काया भाड़ो-(न०) पेट भराई । कारकूट-(न०) बेचान । विक्रय । बै। कायाराम-(न०) प्रारमा । (जमीन का)। For Private and Personal Use Only Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २३.) __ कारी कारकूट-लिखत कारकूट-लिखत-(न०) बैनामा । बिक्री १०. दरमियानगिरि करने वाला। ११. पत्र । (जमीन का) करने योग्य । करणीय । १२. कारण से कारकून-न०) १. प्रहलकार । मुशी। उत्पन्न । १३. कारण के रूप में होने . २. गुमास्ता । ३. कार्यकर्ता । ४. कारिंदा। वाला । १४. कारण संबंधी । कारणिक । कारखानो-(न०) १. अधिक मात्रा में १५. शुभ । मांगलिक । १६. श्रेष्ठ । वस्तुएं तैयार करने का कार्यालय । कारणै-(न०) १. कारण । २. निमित्त । कारखाना। २. बड़ा कार-बार । ३. प्रयोजन । हेतु । (अव्य०) १. कारण से। विभाग । खाता। २. के कारण । के लिये । कारगर-(वि०) गुणकारी । प्रभावी । कारतक-(न०) कार्तिक । कार्तिक मास । उपयोगी। कारतकसाम-(न०) स्वामीकार्तिक । कारगुजार-(वि०) भली प्रकार काम करने कार-बार-(न०) १. काम काज । २. वाला। व्यापार । व्यवसाय । कारचोबी-(ना०) १. कपड़े पर जरी का कारमुख-(न०) धनुष । काम । २. कसीदा। कारमो-(वि०) १. नाशवान । २. न्यून । कारज-(न०) १. काम । कार्य २. मृत्यु- अोछा। ३. उतरता हुआ। हलका । भोज । ३. मृत्यु से संबद्ध प्रसंग। निम्नश्रेणी का। ४. निकम्मा । ५. भयंकारटियो-(न०) १. मृतक के एकादशे का कर । ६. अद्भुत । ७. असत्य । ८. अनुक्रिया कर्म और श्राद्ध कराने वाला पयोगी । ६. उपयोगी १०. सुन्दर । ब्राह्मण । २. महाब्राह्मण । कट्टहा। कारस-(ना०) कंडों की महीन प्राग । कारण-(न०) १. हेतु । उद्देश्य । २. सबब । कारा । २. कंडों का चूरा । कारीष । निमित्त । ३. लिये । वास्ते । ४. ईश्वर । कारसथानी-(ना०) चालाकी । चालबाजी। ५ प्रेम । ६. कृपा । ७. प्रभाव । ७. मान । कारस्तानी । कारसाजी। प्रतिष्ठा । ६. लाभ । १०. गौरव । कारसाजी-दे० कारसथानी । ११. गर्भ । हमल। कारंदो-(वि०) १. काम करने वाला । कारण-कै-(अन्य०) १. कारण यह कि । कारिंदा । २. होशियार । चतुर । ३. २. इसलिये कि । ३. क्योंकि । प्रवीण । ४. मुख्य । कारणसर-(अव्य०) १. इस कारण २. के कारा-दे० कारस । कारण । ३. कारण उत्पन्न होने पर। कारायण-(न०) १. बिजली। २. मेघघटा। कारणिये-(प्रव्य०) १. लिये । २. के लिये। काळायण । (वि०) करने वाला। के कारण। कारी-(ना.) १. फटे हुये वस्त्र या बरतन कारण करण-(न०) सृष्टि उत्पत्ति का प्रादि की जोड़। पैबंद । २. इलाज । कारण । ईश्वर। चिकित्सा। ३. उपाय । तरकीब । युक्ति । कारणीक-(वि०) १. प्रभावशाली । २. ४. अाँख के ऊपर पाये हुये जाल को प्रामाणिक । ३. बुद्धिमान । समझदार।। हटाने की शल्य चिकित्सा । ५. एक प्रत्यय विवेकी । ४. प्रतिष्ठित । ५. योग्य । ६. जो शब्द के मागे लग कर उसका कर्ता अधिकारी। ७. ख्यातिप्राप्त । ख्यातनाम । अर्थ प्रकट करता है, जैसे-लाभकारी ८. ज्ञाता । जानकार । ६. परोपकारी। सुखकारी मादि । For Private and Personal Use Only Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कारीगर ( २३१ ) काळपी-मिसरी कारीगर-(वि०) १. शिल्पी। दस्तकार। काळकरमो-(वि०) काले कर्म (खोटे काम) २. प्रवीण व्यक्ति । ३. किसी भी हुन्नर करने वाला । (न०) एक गाली। में दक्ष व्यक्ति। काळका-(ना०) १. कालिका देवी। २. कारीगरी-(ना०) १. कारीगर का काम । कुरूप स्त्री । ३. झगड़ालू स्त्री। २. कलात्मक काम । रचना । ३. कला- काळख-(ना०) १. कालापन । कालिमा । कौशल । ४.दक्षता । प्रवीणता। ५.चालाकी। २. कोयले का चूर्ण। ३. तवा, कड़ाही कारू-(न०) गाँछा, छीपा, घाँची, तंबोळी, आदि का धुपा । कालिख । ४. कलंक । कुम्हार, कठियारा, माली, मोची, मर्दनिया ५. पाप । और बुनकर ये दस जातियों । कहा०- काळगनी-(ना०) १. योगियों का भस्मी नव नारू नै दस कारू । मनुस्मृति में पांच लगाते समय पढ़ने का एक मंत्र । कालाकारू बताये हैं, यथा-- ग्नि मंत्र । २. भस्मी । ३. मृत्यु । तक्षा च तंत्रवायश्च नापितो रजकस्तथा । . ४. कालाग्नि । पंचमश्चर्मकारश्च कारव: शिल्पिनो मताः ॥ काळ-चाळो-(न०) १. भयंकर युद्ध । २. कारू-नारू-(ना०) दस कारू और नौ नारू काल-रूप । कालस्वरूप । (वि०) काल जातियाँ । दे० 'कारू' और 'नारू'। स्वरूप। युद्ध में काल के समान । ३. कारो-(न०) १. कलह । झगड़ा । २. निंदा। मृत्यु को छेड़ने वाला (युद्ध) । ३. बढ़ा कर कही जाने वाली सच्ची- काळजवन-(न०) कालयवन । झूठी बातें। काळजा-री-कोर-(वि०) अत्यन्त प्रिय । कार्यकुशल-(वि०) कार्य करने में निपुण। काळजियो-दे० काळजो। कार्यवाही-(ना०) १. कार्य करने की काळजीभो-(न०) वह व्यक्ति जिसका कहा प्रक्रिया । काररवाई । २. कार्य करने की हुआ अशुभ वचन सिद्ध हो जाता है । तत्परता। कालजिह्वा । (वि०) अशुभ भाषी। कार्यसिद्धि-(ना०) १. काम पार जाना। काळजो-(न०) १. कलेजा। २. हृदय । २. काम बन जाना। ____३. जी । मन । कार्यालय-(न०) दफतर । प्रॉफिस । काळ-झाँप-(ना०) १. मृत्यु का झपट्टा । काल-(न०) आने वाला या बीता हुआ २. जीवन की समाप्ति । (वि०) १. मृत्यु दिन । कल। से झपट करने वाला। काळझापो । काळ-(न०) १. समय । २. मौत । काल। २. मरणोत्साही । ३. दुष्काल । ४. यम । ५. साँप । ६. काळ-झाळ-(ना०) १. काल ज्वाला । सिंह । ७. विष । ८. दो ऋतु या चार मृत्यु । २. वीर मृत्यु । २. भयंकर युद्ध । मास का समय। ४. भयंकर क्रोध । काळ-पाखरियो-(न०) १. मृत्यु-संदेश। काळझाळो-(वि०) महान क्रोधी । ग्रामान्तर के किसी संबंधी की मृत्यु हो काळप-(न०) १. दुष्काल । (ना०) २. जाने का संदेश देने वाला पत्र। श्यामता । कालापन । ३. कलंक । काळकरमी-(वि०) काले कर्म (खोटे काम) काळपी-मिसरी-(ना०) मिसरी का एक करने वाली। व्यभिचारिणी । (ना०) प्रकार । ऊँची जाति की मिसरी । एक गाली। काळपी मबात। For Private and Personal Use Only Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काळ-पूछियो ( २३२ ) काळी नाग काळ-पूछियो-(वि०) १. अशुभ (व्यक्ति)। ३. काम सम्पादन के लिये रिश्वत देने, २. अशुभ कर्मा। खुशामद करने और भाग-दौड़ करने आदि काळबी-(वि०) १. काले रंग की । काली। कठिन और हैरानी की कार्यवाही। ४. जैसे २ मडा दया बाजरी. ज्वार ग्रादि मोटा तैसे करके किया जाने वाला गुजारा । २. सड़ ५. अनुचित कार्य । अनाज) (न0) खराब अन्न । कदन्न । काळबूट-(न०) वह ढाँचा जिस पर मढकर कालावाला- (न०) १.भोली भाली विनती। .. जूता तैयार किया जाता है । कलबूत । २. शुद्ध मन की प्रार्थना । ३. खुशामद । गिड़गिड़ाहट । आजिजी।। काळबेलियो-(न०)सँपेरा।। काळास-(न०) १. कालापन । कालिमा । काळ-भुजाळ-(न०) काल से भी युद्ध करने । २. साधारण कालापन . ३. दुर्भावना। ___ में समर्थ वीर। ४. पाप। काळमिस-(ना०) कालिख । काळाहरण-(ना०) काली घटा । काले काळमी-(ना०) १. लोक देवता पाबूजी की बादलों की घटा । __घोड़ी का नाम । २. काली घोड़ी। काळांतर-दे० काळ तर । कालर-(ना०) १. खेती के अयोग्य जमीन । काळांतरै-दे० काळंतरै । २. घास के संग्रह के निमित्त व्यवस्थित काळिज-(न0) कलेजा । रूप से लगाया जाने वाला शिखराकार काळियार-(न०) काला हरिण । ढेर । कराही। काळियो-(वि०) १. काले वर्ण का । (न०) काळ तर-(अव्य०) कालांतर । समय बाद। १. नाग । २. अफीम। .. काळ तरै-(प्रव्य०) १. कालांतर में । २. कालिंगडो-(न०) संपूर्ण-जाति की एक समय पाकर। राग। कालाई-(ना०) १. पागलपन । २. मूर्खता। कालिंद्री-(ना०) यमुना नदी । गहलाई। काली-(वि०) १. पगली । २. मूर्ख । । काळाई-(ना०) कालापन । श्यामता । काळी-(वि०) काले रंग की। काली । काळास। (ना०) काली देवी। कालिका । काळाखरियो-दे० काळ-पाखरियो। काळी कांठळ-(ना०) काली घटा। मेघ काळागर-(न०) अफीम । घटा । काळायरण। काला-गहिलाँ-रो-दातोर-(वि०)१.पागल के काळी छाँग-दे० काळी थाट । समान दानी । अति उदार । २. असहाय काळीजीरी-(ना०) एक पेड़ की फली के व निर्बलों का पालन-पोषण करने वाला। बीज।। काळा-धोळा-(न०) काली करतूतें । कार- काळीथाट-(ना०) बकरियों का समूह । स्तानी । २. छल-कपट । ३. उलटे काम। टाटा छाँग । छांग । अनुचित काम । ४. बदचलनी। काळी द्रह-(ना०) वृन्दावन के पास यमुनानदी कालापरणो-दे० कालाई । का एक द्रह जिसमें कालिय नाग रहता था। काळा-पीळा-(न०) १. कार्य संपादन करने काळीधार-(ना०) १. काली द्रह । काली के लिये उचितानुचित का विचार नहीं दह । २. भयंकर आफत । भारी दुख । करने की कार्य प्रणाली । २. कार्य-संपादन काळी नाग-(न०) व्रज में यमुना नदी के के लिये उठाया गया कठिन परिश्रम । काली दह में रहने वाला एक प्रसिद्ध जल For Private and Personal Use Only Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काळी-पोळी ( २३३ ) कावड़ें विषधर जिसको श्रीकृष्ण ने वहाँ से २. खोटा। ३. छली । ४. भयंकर । भगा कर पुनः समुद्र में रहने के लिये (न०) १. सपं । २. प्रफीम । ३. कलंक । विवश किया था। कालिय नाग। काळो आखर-(न0) १. दुर्भाग्य । २. काळी-पीळी-(वि०) १. काली और पीली। मृत्यु । ३. मृत्यु संदेश । , मृत्यु-संदेश का काले और पीले रंग की। २. भयंकर। पत्र । ४. काली स्याही से लिखा अक्षर । (ना०) १. जीवन के उतार चढ़ाव। यथाः- काळो आखर भैंस बराबर । २ बड़ी बड़ी प्राफतें। काळो ऊन्हाळो-(न०) अत्यधिक गर्मीवाला। काळी बोळी-(वि०) १. अत्यधिक । घोर। ग्रीष्मकाल। २. तेज । प्रचंड। ३. भयंकर । भयावनी। काळोकूट-(वि०) अत्यन्त काला। ४. भयंकर आँधी । ५. ग्रीष्म की तेज धूप काळो टीलो-(न०) कलंक का टीका । और घोर अंधेरी रात का विशेषण शब्द। कलंक । लांछन । काळी माता-(ना०) कालिका देवी। काळो तारो-(न०) १. पिता को मारने काली रो कळस-(न०) १. पगली स्त्री के वाले शत्रु का बदला नहीं लेने वाले पुत्र सिर पर उठाये हुये घड़े के अखंडित रहने की कलंक रूप उपाधि । २. युद्ध से भाग की असंभावना। (वीरों के जीवन पर जाने वाले व्यक्ति का कलंककारी नाम । प्रारोपण) २. युद्ध करने के लिये अपने कालो तुतक-(वि०) बिलकुल पागल । निश्चय से नहीं हट कर मृत्यु को वरण कालो पाणी-(न०) शराब । दारू । करने वाले वीर का एक विशेषण। काळो पाणी-(न०) १. काला पानी । २. मरणोन्मत्त वीर का एक विशेषण । अंग्रेजों के शासन-काल में अंदामन द्वीप में ३. पगली के सिर का घड़ा। ४. राज- भेज देने की सजा। ३. देश निकाला। स्थानी लोक कथाओं की एक कथानक- ४. यातायात और पानी आदि की रूढ़ि। ५. वीर साहित्य का एक उपमा असुविधाओं वाला निकृष्ट स्थान । अलंकार । ६. एक कवि समय । काळो-पीळो-(वि०) १. क्रोधित । (न०) काळीगो-(न०) १. बरसाती तरबूज। काला और पीला। २. तरबूज । मतीरो। काळो मूडो-(न०) किसी नीच काम करने काळीदार-(न०) भयंकर विषला काला सर्प। का कलंक । काला मुह । काळ 'डी-(न०) १. कलंक । लांछन । काळो मूडो करणो-(मुहा०) १. कुपात्र २. बहुत बड़ा कलंक । या दुष्टजन का आँखों के आगे से दूर काळ स-दे० काळास । काळ डो। होना। प्रांखा-प्रदीठ होणो । २. कलंकित काले-(प्रव्य०) आने वाले या बीते दिन को। होने का काम करना । काळ कोसाँ-(अव्य०) १. बहुत दूर । २. काव-(ना०) १. मृत्यु । २. अवधि । मयाद । __दुर्गम और दूर। ' म्याद । काळे नाग रा झाग-(न०) अफीम । कावड़-(ना०) १. काँवर । बहगी। २. कालो-(वि०) १. पागल । उन्मत। २. देवी-देवता, धर्मात्मा और भक्तों आदि मूर्ख । ३. रणोन्मत्त । ४. मतवाला। पुण्य-पुरुषों के रंग-बिरंगे चित्रों की अनेक मस्त । छोटे छोटे खंडों वाली एक छोटी पेटी । काळो-(वि०) १. काले रंग का। काला। ३. इन चित्रों के दिखाते समय कावड़िये For Private and Personal Use Only Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोहणनू कीवतरा खोर ( २३४ ) द्वारा किया जाने वाला वर्णन । कावड़- काषाय-(वि०) गेरुए रंग का । भगमो। वाचन । काष्ठ-(न०) लकड़ी । काठ। कावतरा खोर-(वि०) चाल बाज । षड्यंत्र- कासग-(सर्व०) १. किससे । किरणतूं। २. कारी । छलिया। जाळसाज । किसकी । किणरी । कावतरो-(न०)१. कारस्तानी । जाळसाजी। कासप-(न०) कश्यप ऋषि । घोखा । दगो । २. प्रपंच । कपटपूर्ण कासप उत-(न०) सूर्य । कश्यप सुत । योजना । ३. साजिश । षड्यंत्र। कासप तन-दे० कासप उत । कावळ-(वि०) १. उलटा। विपरीत । २. कासपमेर-(न०) कश्यपमेरु । काश्मीर । खराब । बुरा। ३. अनुचित । बेठीक । कासपराव उत-दे० कासप उत । 'सावळ' का विपरीत शब्द । कासपराव सुत-(न०) सूर्य । कावळियार-(वि०) १. बदचलन । कुमार्गी। कासप सुत-दे० कासप उत । २. चालाक । ३. बेईमान । कासार-(न०) तालाब । पोखरा । कावो-(वि०) १. प्रभावित । २. उपकृत । कासी-(ना०) गंगाजी के तट पर बसा हुआ आभारी । ३. छली । (न०) १. चक्र। भारत का अति प्राचीन विद्या धाम व वृत्त । २. युद्ध । ३. वाद-विवाद । ४. तीर्थ स्थान । प्रमुख और पावन सप्तशत्रु । ५. चोर । ६. छल । कपट ७. परियों में से एक । काशी। वाराणसी। शत्रुता । दुश्मनी । शिवपुरी। काव्य-(न०) १. कविता । काव्य । २. पद्य- कासी-करवत-(ना०) प्राचीन समय में पुस्तक । मुक्ति के लिये काशी में जाकर शरीर को काशी-दे० कासी। करवत से चिरवाकर मृत्यु प्राप्त करने काशी-करवत-(ना०) १. काशी का वह की क्रिया । दे० काशी-करवत । स्थान जहाँ मोक्ष की प्राप्ति के लिये लोग कासी-भंवर-(न०) भैरव । भैरूजी । पारे से कटकर मर जाते थे। २. नये कासींद-(न०) पत्रवाहक । कासिद । जन्म में इच्छित फल प्राप्ति के लिये काशी कासू-(सर्व०) १. क्या । काऊं। काई । में जाकर शरीर पर करीत चलवाने २. कौनसा । (क्रि०वि०) १. कैसे । किस की क्रिया। प्रकार । २. किस लिये । किरणसारू । काशीनाथ-(न०) शिव । किरणकाम । काशीफल-(न०) कुम्हड़ा । कद्द । कोळो। काह-(सर्व०) १. क्या । कांई। कंई । २. काश्त-(ना०) १. खेती । २. खेती का काम। कौनसा। (क्रि०वि०) १. क्यों २. कहाँ (वि०) जोता-बोया हुआ। से । (अन्य०) अथवा । या। (न०) कस । काश्तकार-(न०) कृषक । किसान । सार । तत्व । काश्तकारी-(ना०) १. खेती बाड़ी। २. काह काढणो-(मुहा०) हैरान करना । कृषिकर्म । खेती। परेशान करना। काश्मीर-दे० कश्मीर। काहण-(सर्व०) किस । कौन । (क्रि०वि०) काश्मीरी-दे० कश्मीरी। किसलिये । क्यों। काश्यप-(न०) १. एक प्रसिद्ध ऋषि । काहणनू-(क्रि० वि०) किसलिये । २. कणाद ऋषि । किरणसारू। For Private and Personal Use Only Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काहरी ( २३५ ) काझरणो काहरों-(क्रि०वि०) किस समय । कब । का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान । कदै। कर। काँकळ-(न०) युद्ध । काहळ-(न०) एक बड़ा ढोल जो युद्ध के काँकियो-(न०) कंधा। समय बजाया जाता था। काँकी-(ना०) कंघी। काहली-(वि०) १. उद्विग्न । व्यग्र । २. काँगरी-(ना०) १. छोटा कंगुरा। २. छोटा पगली । भोली। ३. डरपोक । कायर । बुर्ज । बुर्जी। (ना०) १. काहिली। सुस्ती। २. थकान। काँगरो-(न०) १. कंगुरा । २. बुर्ज । काहलो-(वि०) १. भोला । २. पागल । काँगलो-(न०) कंगला । काहुल-(न०) १. युद्ध का ढोल । २. बड़ा काँगसियो-(न०) कंघा । ढोल। काँगसी-(ना०) कंधी। काहुलणो-(कि०) १. युद्ध करना। २. काँगाई-(ना०) १. झगड़ा । २. कंगाली। क्रोध करना । ३. युद्ध का ढोल बजाना। ३. कांगो की झगड़ा करने की रीतिकाँई-(सर्व०) १. एक प्रश्न वाचक शब्द । भाँति । क्या। कई। (क्रि०वि०) १. कुछ । २. काँगारोळ-(ना०) १. लड़ाई-झगड़ा। २. क्यों । कैसे । ३. कैसे। वाद-विवाद । थुक्का-फजीती। ३. कंगालों काँकड़-(ना०) १. सीमा । सरहद। २. की लड़ाई । ४. कंगालों सा व्यवहार । किनारा । ३. जंगल । ५. कंगलापन । काँकण-(न०) १. कंगन । कंकण । कड़ा। काँगीरासो-के गांगीरासो। २. युद्ध । कांकळ । काँगो-(न०) १. भीख मांगने वाली एक काँकर्ण-डोरड़ो-दे० कांकरण-डोरो। मुसलमान जाति । २. इस जाति का काँकरण-डोरो-(न०) १. वर-वधु के हाथों व्यक्ति । लड़झगड़ कर भीख वसूल करने में बाँधा जाने वाला मंगल-सूत्र । विवाह- वाला । कंगला । (वि०) झगड़ा करने सूत्र २. दृष्टि-दोष से बचने के लिये वर- वाला। वधु के हाथ-पांवों में बाँधा जाने वाला एक काँचळियो-पंथ-(न०) एक वाम मार्ग । तांत्रिक सूत्र । चोली पंथ। काँकरिणयो-(न०) स्त्रियों की वेणी को काँचळी-(ना.) १. कंचुकी । २. साँप की अधिक लम्बी करने के लिये उसमें गूथी केंचुली। ३. विवाह प्रादि अवसरों पर जाने वाली एक विशेष प्रकार की वेणी। लगने वाला पुत्री का नेग । पुत्री नेग । पाठी। कन्या नेग । ४. भात । माहेरो। मामेरो। काँकणी-(न०) स्त्रियों की कलाई में पहिने हाथ-कांचळी। ___ जाने वाला एक आभूषण। काँचळी करणो-(मुहा०) माहेरा करना। काँकर-(क्रि०वि०) १. कैसे । किस प्रकार । भात भरना । हाथ-कांचळी करणो । कोकर । २. क्यों । क्यु। (न०) १. काँचवो-(न०) कंचुकी । कांचळी । कंकर । २. कंकरीली भूभि । काँचू-(न०) कंचुकी । काँचळी । कांकरी-(ना०) कंकड़ । कंकरी। काँजी-(ना०) धान्याम्ल । एक खट्टा पेय । काँकरो-दे० काकरो। काँझणो-(क्रि०) टट्टी फिरने के समय कांकरोली-(ना०) मेवाड़ में वल्लभ संप्रदाय कन्जी के कारण जोर करना और जोर For Private and Personal Use Only Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org काँटारखी करते समय मुँह से 'ऊं' आदि शब्द निकलना । कनसना । काँझना । काँटारखी - ( ना०) जूती । पगरखी । कांटा रखो - (०) जूता । पगरखो । काँटाळो - (वि०) १. काँटोंवाला । २. वीर । (To) १. हिंसक पशु । २. सिंह । ३. एक घास । काँटावाड़ - (ना० ) बेरी की कँटीली डालियों से बनाया हुआ अहाता । काँटों का घेरा । बाढ़ । काँटियो - ( न०) १. एक मुसलमान जाति । २. इस जाति का पुरुष । ३. हँसिया । कांटी - ( ना० ) १. तोलने का एक छोटा ( २३६ ) काँटा । २. एक घास । काँटी - लाग- ( न०) एक प्राचीन कर । काँटेदार - (वि०) वह जिसमें काँटे लगे हों । कांटों वाला । काँटाळो । काँटो - ( न०) १. काँटा । २. सांप-बिच्छू श्रादि विषैले जंतु । २. बिच्छू आदि का डंक । ४. डंडी के बीचोबीच खड़ी नोक वाली तराजू । काँटा । ५. स्त्रियों के नाक का एक गहना । काँटा । ६. समतोल के लिये तराजू की डंडी के बीचोबीच लगी रहने वाली नोक । ७. घड़ी की सूई । ८. अवरोध । बाधा । ६. शंका । हम । (वि०) दुखदायी । काँट्रक्ट - (न० ) ठीका । कंट्राट । काँट्रक्टर (न०) ठीका लेने वाला व्यक्ति । ठीकेदार काँठळ - (ना०) उठती हुई काली मेघ घटा । बादलों की घटा । कळायरण । काँठळियो - ( न० ) १. प्रति समय सेवामें या पास रहने वाला व्यक्ति । २. राज्य के समीप रहने वाला । राज्य का पड़ोसी । २. पड़ौसी देश की सीमा का जागीरदार । ४. नित्य पास में रहकर सेवा करने वाला जागीरदार । ५. पहाड़ों में रहने वाली काँघाळ जाति । ६. इस जाति का व्यक्ति । ७. सीमा रक्षक । ८. पड़ोसी राज्य का लुटेरा । ६. लूट-खसोट करने वाला पहाड़ी लुटेरा । काँठलो - ( न०) १. गले में पहनने का एक Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आभूषण । २. हार । कठायत - (वि०) १. राज्य की सीमा पर रहने वाला । २. सीमा रक्षक । काँठिया वरण- ( न० ) १. सरहद पर रहने वाले लोग । २. सरहद की रक्षा करने वाले लोग । ३. धनुष-बाण आदि शस्त्र पास में रखने वाली शिकारी जाति के लोग । भील, मीणा आदि । काँठीर दे० कंडीर । काँठे - ( क्रि० वि०) १. निकट । २. किनारे पर । काँठो - ( न०) १. नदी आदि का किनारा | २. सीमा । किनारा । काँड - (न०) १. बारण । तीर । २. धनुष के बीच का भाग । ३. ग्रंथ का एक अंश । प्रकरण । काण्ड । ४. दुर्घटना | काँडा - दे० काँडो | पास । काँडी - ( न०) १. तीर-कमान | धनुप | २. तीर-कमान से शिकार करने वाला व्यक्ति । ३. कौआ । कागलो । काँडो - (न०) १. बुराई | निंदा । २. खोटी अपकीति । For Private and Personal Use Only चर्चा | ३. बदनामी । ४. झगड़ा टंटा | कांदो - (०) प्याज | काँदा । काँध - ( ना० ) १. कंधा । २. जूए की रगड़ से बैल की गरदन पर होने वाला गड्ढा । बैल के गरदन की चमड़ी का मोटा और सख्त होना । ३. लाश की अरथी को श्मशान ले जाते समय दिया जाने वाला कंधा | काँधमल - (वि०) वीर । काँधाळ - (वि०) १. बड़े कंधों वाला । २. वीर । ३. बैल | Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोषियो ( २३७ ) किणणो काधियो-(वि०) १. शव की ठठरी को कंधा काँवळी-(ना०) चील पक्षी । देने वाला । २. चापलूस । काँवळो-(न०) पीली चोंच और सफेद पांखों काँधो-(न०) कन्धा । खवो। वाला गिद्ध जाति का एक पक्षी । काँप-(ना०) १. नदी में बह कर आई हुई काँस(न०) एक प्रकार की घास । मिट्टी । (न०) सेना-शिविर । कैम्प। काँसटियो-(न०) कसारा । ठठेरा । २.कांसी कापणी-(ना०) कंपन । थरथराहट । के बरतन बेचने वाला व्यापारी । धूजणी। काँसाळ-(न०) १. झांझ । कसताल । काँपणो-(क्रि०) १. कांपना । थरथराना। ताल । २. मजीरा।। धूजना। २. भय खाना । डरना। काँसा-रोग-(न०) १. गरीबी के कारण काँब-(ना०) १. बेंत । छड़ी। २. लम्बी खाने को नहीं मिलने की स्थिति । भूखा पतली टहनी । ३. सोने या चाँदी को मरने की हालत । २. गरीबी। गाल कर रेजे में ढालने से बनी लम्बी काँसो-(न०) किसी व्यक्ति के लिये उसके छड़। घर पर थाल में परोस कर भेजा जाने काँबड़-(न०) १. रामसा पीर (रामदेव) . वाला भोजन । २. परोसा हुआ भोजन । के चमार जाति के भक्त । २ तंबूरे पर भोजन । ३. कांसे का बना थाल या गाने का काम करने वाली एक जाति ।। थाली। ३. चमार जाति का याचक । काँहटो-(न०) किंवाड़ की सांकल । कुडी। काँबड़ियो-दे० कांबड़। कूटो। काँबड़ी-(ना०) छड़ी। बेंत । काँध । तड़ी। कि-(अव्य०) १. अथवा । या। २. मानो। काँबळ-(ना०) दे० कामळ । गोया। ३. क्या । ४. कैसे । काँबळी-(ना०) कमली । कम्बल। किमोसड़ो-(न०) ब्राह्मण के लिये अपमान काँबळो-(न०) कम्बल । ___ जनक शब्द । ब्राह्मण । काँबाटणी-(क्रि०) बेंत से मारना । बेंत से किचरणो-(क्रि०)१. पीसना । २. दाबना। प्रहार करना। ३. कुचलना । रौंदना । काँबी-(ना०) १. खुले पत्रों की हस्तलिखित किजातियो-(अव्य०)एक प्रश्न पद, जिसका पुस्तक को पढ़ते समय पुस्तक अंगुलियों अर्थ-कौन सी जाति का।' 'किस जाति के पसीने से मैली न हो इसलिये अंगूठे का' अथवा 'जाति से कौन हो' होता है । के नीचे रखी रखी जाने वाली एक काष्ठ- किठा-(अव्य०)कौनसी जगह । किस जगह । पट्टिका। कम्बिका। २. पांव का एक कहाँ। गहना। ३. पतली छड़ी। ३. सोने या किण-(सर्व०) १. किस । २. किसने । ३. चांदी को पिघाल कर रेजे में ढाली हुई किसके । (ना०) १. किसी वस्तु की निरंलंबी पतली शलाका । वाळकी । ढाळी। तर रगड़ से हथेली की चमड़ी का ऊपरी काँबेटणो-दे० काबाटणो। भाग का निर्जीव होकर मोटा हो जाना। काँय-(क्रि०वि०) १. कुछ भी। २. किस- प्राइठाण । प्रांटण । २. घाव पर पाने लिये। वाला मोटा चमड़ा । खहंट। कायरो-(वि०) १. क्या। २. किस बात किणणो-(क्रि०) १. कराहना । २. रोना। - का। किरण बात रो। ३. खुशामद करना। For Private and Personal Use Only Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किण मात ( २१६) किरड़ो किरण मात-(प्रव्य०) १. किस प्रकार । २. किनार-दे० किनारी । किस लिये। किनारी-(ना०) १. किनारा। कोर । २. किणरी-(सर्व०) किसकी। गोटा-किनारी। ३. कपड़े के छोर का किरणरो- (सर्व०) किसका। भाग जो भिन्न रंग का होता है। किरणही-(सर्व०) किसी ने । किनारै-(क्रि०वि०) १. दूर । अलग । २. किणारी-(सर्व०) किनकी। __ जुदा । अलग । भिन्न । ३. तट पर। किणिपरि-(अव्य०) किसी भी प्रकार । किनारो-(न०) १. किनारा । तट । काठो। किरिणय-(अव्य०)१. किसी भी । २. किसी २. छोर । अंतिम सिरा। ने भी। किनियारणी-(ना०) चारणों की किनिया किणी-(सर्व०) १. किसी । २. कौनसी। शाखा में उत्पन्न करणी देवी का एक किण-(सर्व०) किसने । नाम । कित-(क्रि०वि०) कहाँ । किधर । किस किन्नो-दे० किनको। जगह। किम-(क्रि०वि०) १. क्यों । २. कैसे । किस कितरो-(वि०) कितना। प्रकार । कितरोइक-(वि०) कितनाक । किमकर-(क्रि०वि०) १. कैसे । २. किस किता-(वि०) कितने । । उपाय से । कसे करके । किताइक-(वि०) कितने ही । किमाड़-दे० किंवाड़। कितावर-(न०) उपकार । किरियावर ।। किमाड़ियो-दे० किंवाडियो । कितो-(वि०) कितना। किमाड़ी-दे० किंवाड़ी। कितोक-(वि०)१. कितना सा । कितनाक। कियो-(वि०) कौनसा । (सर्व०) कौन । २. कितना। ३. कितना थोड़ा। (क्रि० भ०) किया । बनाया। कितोसोक-(वि०) १. कितना सा। २. किर-(अव्य०) मानो । जैसे । गोया । (न०) कितना थोड़ा । ३. थोड़ा सा। निश्चय। कित्ति-(ना०) कीत्ति । यश । किरकॉटियो-(न0) गिरगिट । काकीडो । कित्ती-(वि०) कितनी। किरड़ो। कित्तो-(वि०) कितना। किरकिर-(ना०) १. पाटा आदि भोजन किथ-(सर्व०) १. कौन । २. कोनसा। सामग्री में मिली हुई रेती । २. अपयश । (क्रि०वि०) कहाँ। ३. लांछन । किथा-(क्रि०वि०) कहाँ । किस जगह। किरकिरो-(न०) १. विघ्न । बाषा । २. किथिये-(क्रि०वि०) कहाँ । किस जगह। बनते हुये उत्सव प्रादि कार्यों में पड़ने किथै-(क्रि०वि०) कहाँ । किस जगह। वाला विघ्न । कार्यावरोध । किन-(अव्य०) १. अथवा । या । २. मानो। किरच-(ना०) सीधी तलवार । गोया। किरचो-(न०) १. टुकड़ा। २. सुपारी का किनकी-(ना०) छोटा पतंग । गुड्डी। टुकड़ा। किनको-(न०) पतंग । कनकौवा । गुड्डी। किरड़ो-(न०) १. छिपकली की जाति का किना-(प्रव्य०)१. अथवा । या । २. मानो। विविध रंग बदलने वाला एक जन्तु । गोया। गिरगिट । किरकोटियो । काकीडो। For Private and Personal Use Only Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किरण ( २३९) किरियाणो किरण-(ना०) १. गोटा-किनारी । तार- किरमिर-(ना०) तलवार । किनारी। २. बादले की झालर । ३. किरळी-(ना०) तीव्र चिल्लाहट । प्रकाश की रेखा । रश्मि । किर वाणी-(ना०) तलवार । किरणमाळ-(ना०) ज्वाला के समान तप्त किरसाण-(न०) १. किसान । कृषक । किरणों वाला सूर्य । सूर्य । प्रादित्य । २. खेती। कृषि ।। किरणाळ-(न०) १. सूर्य । २. चंद्र । ३. किरसारणी-(न०) कृषक । किसान । तेजवान पुरुष । ४. यशस्वी वीर पुरुष । किरसाणी-(न०) खेती करने वाले लोग । (वि०) १. प्राभायुक्त । २. तेजस्वी। कृषक जाति । किरणाळो-(वि०) १. तेजस्वी । २. वीर। किराड़-(न०) १. किरड़े (गिरगिट) के (न०) सूर्य। समान भाव, चेष्टा और विचार आदि किरणियो-(न०) १. महंत, श्रीपूज, प्राचार्य के रूप में विविध रंग बदलने वाली शोषक और राजा लोगों की सवारी के साथ रहने वृत्ति वाला व्यक्ति । २. किराड़ नगर वाला सोने या चाँदी से निर्मित लँबे डंडे के नाम के ऊपर से प्रसिद्धि में आई हुई वाला गोल या पत्तेनुमा एक राजचिन्ह बनियों की एक संज्ञा । बनिया । ३. नदी जिसकी एक और सूर्य और दूसरी ओर का किनारा । ४. किनारा । ५. कलार । चंद्रमा किरणों सहित चित्रित किये हुये किराड़ -(न०) १. मारवाड़ के मालाणी होते हैं । भादंड । भामंडल । २. छाता। प्रान्त का खंडहर रूप एक प्रसिद्ध प्राचीन किरणी-(ना०)सहारा । प्राश्रय । प्रासरो। ऐतिहासिक नगर । किराटकूप । २. किरतब-दे० करतब। मारवाड़ के नौ बड़े दुर्गों में से एक । ३. किरतबी-दे० करतबी। मारवाड़ के इतिहास प्रसिद्ध नगर और किरतार-दे० करतार। उसके किले का नाम । किरती-(ना०) १. कृत्तिका नक्षत्र । २. किराणो-दे० किरियाणो । ___ कृत्तिका नाम के छः तारों का समूह। किरात-(न०) १. एक जंगली जाति । किरपण-(वि०) १. कंजूस । कृपण । २. भील । २. नीच। किरायतो-(न०) प्याज के बीज । किरपा-(ना०) कृपा । मेहरबानी। किरायरो-दे० किरायतो । किरपाण-(ना०) कृपाण । किरपान । किरायो-(न०) किराया । भाड़ा। भालो। __तलवार खांडो। किरांसू-(सर्व०) किससे । किरमजी-(वि०) किरमिजी । गहरा लाल। किरि-(अव्य०) १. अथवा । किंवा । २. किरमर-(ना०) तलवार । तरवार। मानों । गोया । जैसे।। किरमर-झल-दे० किरमर हथो। किरिया- (ना०) १. मृतक का प्रशोच निवाकिरमर-हथो-(वि०) १. खड़ गधारी। २. रणार्थ किया जाने वाला बारह दिनों तक __ मुहता नैणसी का एक विशेषण। का क्रिया कर्म । २. मृतक का ग्यारहवें किरमाळ-(ना०) १. तलवार । (न०) १. दिन का श्राद्ध प्रादि क्रिया कर्म। एकादशा। तेजस्वी पुरुष । २. वीर पुरुष। ३. सूर्य । ३. व्यवहार । प्राचरण । किरमाळी-(वि०) खड़ गधारी । (ना०) किरियाणो- (न०) १. सोंठ, पीपर, पीपरा१. खड़ग । २. सूर्य । तलवार । मूळ, जवायन, चिरोंजी, बादाम, इला For Private and Personal Use Only Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किरियावर ( २४.) किस्त यची आदि पंसारी के यहां मिलने वाली किलो-(न०) किला । दुर्ग। वस्तुएँ । पंसारठ की वस्तुएँ । किराना। किलोड़ो-(न०) १. छोटे कद का बैल । २. प्रसूता के लिये बनाये जाने वाले २. छोटी उमर का बैल । । पौष्टिक संघाने की वस्तुएँ। किलोळ-(ना०) १. कल्लोल । उमंग । २. किरियावर-(न०) १. श्रेष्ठ कर्म । दे० तरंग । लहर । ३. आनंद । मोज । काज-किरियावर और क्यावर २. उपकार । किवळो-(10) १. सूअर । कवळो। २. किरियावरो-(वि०) १. किरियावर करने बिना मात्रा का वर्ण । कवळो । वाला। २. अहसान करने वाला । ३. किवाण-(ना०)कृपाण । तलबार । तरवार । श्रेष्ठ कामों को करने वाला। ४. कीत्ति किसकंध-(ना०) किष्किन्धा । मान | यशस्वी। किरी-(ना०) १. पथ्य । परहेज । २. तने किसड़ी-(वि०) १. कैसी । २. क्या । (सर्व०) के बीच का (काला और) सख्त भाग।। कौनसी। किरीट-(न०) मुकुट । मुगट। किसडो-(वि०) १. कैसा । २. क्या। (सर्व०) किरीटी-(न०)१. कुक्कुट । मुर्गा । कूकड़ो। कौनसा । २. मोर । ३. इन्द्र । ४. श्रीकृष्ण । ५. __ किसड़े-(सर्व) कौनसा । किरीट धारण करने वाला। किसन-(न०) श्रीकृष्ण । किरै-(न०) १. हाहाकार । कुहराम । रोना किसनाग-(न०) अफीम । पीटना । २. शोक । उदासी। किसनागर-(न०) अफीम । अमल । किरै-फूटणो-(मुहा०) हाहाकार मचना । किसब-(न०)१ धंधा । व्यवसाय । २. वैश्यरोना-पीटना। वृत्ति । ३. कला । हूनर । किरोड़ी-दे० करोड़ी। किसबरण-(ना०) वेश्या । पातर । किल-(अव्य०)१. या । अथवा । २. निश्चय ।। किसम-(ना०) १. किस्म । प्रकार । २. ढंग। तर्ज। किलकिला-(ना०) एक प्रकार की तोप । किसमत-(ना०) भाग्य । तकदीर । किस्मत । (न०) १. तोप का गोला। २. बड़े वेग तगदीर। की उड़ान के साथ जल-जंतुओं को पकड़ कर खाने वाला एक पक्षी। ३. किल किसमिस-(ना०) छोटी दाख । किशमिश । किल शब्द । किलकिलाहट । किसान-(न०) कृषक । खेतीखड़। किरसाण । किलकोळ-(ना०) १. कलोल । क्रीडा। किसी-(वि०) कौनसी। केलि । २. हंसी-मजाक। किसू-(वि०) १. कौनसी। कौनसा। २. किलच-(न०) १. मुसलमान । २. एक पक्षी। कैसी । कैसा। ३. क्या। किलम-(10) मुसलमान । (ब. व-किलमां, किसो-(वि०) १. कौनसा । २. कैसा । किलमारण । किलमायण । (सर्व०) १. कौन । २. कसा। किलंग-(न०) १. एक दैत्य । २. कल्कि किसोक-(वि०) कैसा । स्त्री०-किसीक । अवतार । किसोदरि-(ना०) कृशोदरी । पतली कमर किलंगी-दे० कलंगी। वाली। किलंब-(न०) मुसलमान । (ब.व.-किलंबा, किस्टो-(न0) जरदालू ।। किलंबाण, किलंबायण, किलबाण किस्त-(ना०) १. ऋण को थोड़ा-थोड़ा किलबायण)। करके देने की क्रिया। २. पराजय । हार। For Private and Personal Use Only Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किस्सो ( २१) कीन ३. हानि । ४. शह (शतरंज में)। किस्त लगाने के पूर्व प्राभूषण के छोटे छोटे में दिया जाने वाला रुपया। विविध भागों को चिपकाने का एक किस्सो-(न०) १. किस्सा। कहानी । चेप । चीक । २. झगड़ा। ३. विवाद । कीचक मारण-(न०) भीमसेन । किहड़ो-(वि०) १. कौनसा । २. कैसा। कीचकरिप-(न०) भीम । कीचक-रिपु । किहड़ी-(वि०) कैसी। कीचड़-(न०) कर्दम । पंक । गारो । कारो। किहकि-(वि०) कुछ। थोड़ा । (सर्व०) कीचरड़ो-(न0) कीच । कोई। कीट-(न०) १. मैल । २. किट्ट । करो। किहि-(सर्व०) १. किसी के । २. किस । ३. तपाये हुये घी की तलछट । ४. कीड़ाकि-(सर्व०) क्या। __ मकोड़ा। कीड़ा। (वि०) महाकंजूस । किंगरी-सारंगी के समान एक तंतुवाद्य । अत्यन्त लोभी। किंजळक-(ना०) १. पराग । पुष्परज। कीटी-(ना०) मावा । खोया । २. केशर । केसर । कीटो-(न०) घी, तेल आदि में नीचे जमकियाँ-(क्रि०वि०) कैसे । किस प्रकार । जाने वाला मैल । किट्ट । तलछट । करदो। किंवाड़-(न०) १. दरवाजा। २. कपाट। कीड़ी-(ना०) चींटी। चींउंटी। किंवाड़ । कमाड़। कीडी नगरो-(न०) १. चींटियों का बिल । किंवाड़ियो-(न०) १. छोटा किंवाड़ । २. हथेली और पगथली में होने वाला कमाड़ियो। २. रसोईघर में भोजनादि एक फोड़ा। रखने का छोटा कोठा। कीड़ी-वेग-(क्रि०वि०) १. मंदगति । २. धीरेकिंवाड़ी-(ना०) छोटा किंवाड़। धीरे। (वि०) धीरे धीरे चलने वाला। की-(क्रि०वि०) १. क्या। (सर्व०) कौनसा। मंदगति । (अव्य०) 'का' विभक्ति का नारीजाति रूप। कीड़ो-(न०) कीड़ा । (क्रि०५०) 'करणो' क्रिया का भूतकालिक कीणो-(न०) १. साग सब्जी खरीदने के नारी जाति रूप । लिये पैसों के अवज में दिया जाने वाला कीकरण-दे० कोकर। अनाज । २. अनाज । कीकर-(क्रि०वि०) १. किस प्रकार । कैसे। कीत-(ना०) कीर्ति । २. किसलिये। कीध-दे० कीघो। कीकली-(ना०)छोटी बच्ची। कीकी । गीगी। कीधी-(भू०क्रि०) १. 'की' 'करणो' वर्तमान कीकलो-दे० कीको। क्रिया का नारीजाति भूतकाल रूप । करदी। कीकी-(ना०) १. छोटी बच्ची। २. प्रांख बनादी । २. समाप्त कर दी। ३. वर्णन __की पुतली । अाँख का तारा। की। कीको-(न०) बालक । छोटा बच्चा । गीगो। कीधो-(भू०क्रि०) 'करणों' वर्तमान क्रिया कीच-(न०) १. कीचड़ । काबो । २. सुहागा का भूतकाल रूप । १. कर दिया। बनाया। और दानामेथी को उबाल कर बनाया निर्माण किया । २. वर्णन किया । हुमा एक लसदार चेप जिसमें आभूषण ३. समाप्त किया। तैयार करते समय उसके खंडो को चिपका कीघोड़ो-(भू००) (वि०) किया हुआ । कर उनमें झालन लगाई जाती है। झालन कीन-दे० कीघो। For Private and Personal Use Only Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कीनरो ( २४२ ) कीदरी कीनरो-(न०) किसी के संबंध में निंदायुक्त कीरतनियो-(न०) १. कीरतनिया जाति ___ लंबी चर्चा । दे० कींदरो। का व्यक्ति । २. मंदिर में गा-बजा कर कीनास-(न०) यम । कीनाश । जम । कीर्तन करने वाला । ३. कीर्तनकार । कीनी-दे० कीधी। कीरथम-दे० कीरथंभ । कीनो-दे० कीधो। कीरथंभ-(न0) कीर्तिस्तम्भ । कीति स्थाई कीनोड़ो-दे० कीघोड़ो। रखने के लिये बनाया हुआ स्तम्भ । कीन्ही-दे० कीधी। स्मरण स्तम्भ । कीन्हो-दे० कीघो। कीरप-(ना०) १. दया । अनुकंपा । करुणा। कीन्होड़ो-दे० कीघोड़ो। २. किसी के दुखदर्द की वेदना । हमदर्दी । कीप-(न०) १. लोहे की चद्दर का बना सहानुभूति । छोटे मुह वाला तूग जैसा पानी का कीर्तन-दे० कीरतन । बरतन । २. बोतल में प्रवाही भरने का कीति-(ना०) १. यश । २. प्रशंमा । एक चोंगा । कीमो। ३. हाथी की कन- ३. ख्याति । पटी का मद । ४. कुप्पी । कूपी। कीर्तिस्तभ-दे० कीरथंभ । कीमत-(ना०) मूल्य । दाम । मोल । कील-(ना०) १. मेख । कीली। २. खूटी। कीमतरणी-(ना०) १. कीमत का अनुमान कीलगियो-(न०) मंत्रित कील को जमीन लगाना । जाँच । व खेजड़ी आदि में ठोंक कर भूतप्रेत को कीमतणो-(क्रि०) १. कीमत करना। मोल वश में करने वाला । कीलक । ___ करणो । मोलणो । २. कीमत लगाना। कीलणो--(क्रि०) भूतप्रेत आदि को मंत्र कीमतारणो-(क्रि०) कीमत करवाना। __पढ़ते हुये कील ठोंक कर वश में करना। कीमती-(वि०) मूल्यवान । कीलियो-(न०) कुएं में से पानी निकालने के कीमियागर-(न०) रसायनी। चरस के रस्से को बैलों के जूए की रस्सी कीमियो-(न०) १. रासायनिक क्रिया । से कील द्वारा जोड़ने और बैलों का २. रसायन । चला कर कुएँ से चरस निकालने वाला कीमो-(न०) १. छोटे छोटे टुकड़ों में काटा व्यक्ति । हुआ खाद्य-मांस । २. बोतल में तरल कीली-दे० कील ।। पदार्थ डालने का चोंगा। कीप । कीमो। कीवी-दे० कीधी। कीर-(न०) १. केवट । २. एक जाति । की-(वि०) कुछ । थोड़ा । किंचित । ३. तोता । शुक । सूओ । सूवटो। कींक-(वि०) कुछ । किंचित । (प्रव्य०) कीरत-दे० कीति । कुछ तो। कीरतन-(न०) १. ईश्वर भजन और नाम कींगरणो-(क्रि०) १. रोना। २. शोक कीर्तन । २. गायन-भजन । कीर्तन। मनाना । कीरतनिया-(न०ब०व०) १. एक घरबारी कींजरो-(न०)१. कलंक । लांछन । २.निंदा । वैष्णव-साधु जाति जो राम कृष्ण प्रादि बुराई । ' के धार्मिक चरित्रों का अभिनय करती कीजाँ-(क्रि०वि०) किस जगह । कहाँ । कठे। है। २. कीर्त नियों की मंडली। रास- कीदरो-(न०) १. दोषदर्शन । २. निंदा । धारियों की मंडली। बुराई । ३. लंबी और निरर्थक बात । For Private and Personal Use Only Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कीरी ( २४३ ) कुटळ कीरो-(वि०) किसका । किणरो। कुचरणी-(ना०) १. छेड़छाड़। २. किसी कु-(उप०) संज्ञा शब्द के पहिले लग कर को तंग करने की क्रिया । ३. चर्चा । उसमें दूषित भाव उत्पन्न करने वाला एक ४. निंदा। उपसर्ग । यथा-कुवेला, कुठाम । कुवखाण कुचरणो-(क्रि०)कुरेदना। आदि । (ना०) पृथ्वी। कुचलणो-(क्रि०) कुचलना । रौंदना। कुअवसर-(न०) प्रतिकूल समय । कुसमय । कुचाल-(ना.) १. बदमाशी। २. दुष्टता। कवेळा । कुचाली-(वि०) १. कुचाल चलने वाला या कुप्रो-(न०) कुआँ । करने वाला । बदमाश । २. दुष्ट । कुकड़ा-(ना०) सूत का लच्छो । अटा। कुचाव-(ना०) बुरी इच्छा । खोटी चाह । कूकरम-(न०) कुकर्म । कुकृत्य । खोटा काम। कचील-(वि०) मैला-कूचेला । कुकरमी-(वि०) १. कुकर्म करने वाला। चीलणी-(वि०) गंदी । मैली। २. व्यभिचारी। कुछ-(वि०) थोड़ा । किंचित । कुकरियो-(न०) कुत्ते का बच्चा । पिल्ला। कुछाप-(ना०) १. कलंक । २. बदनामी । कुकर्म-दे० कुकरम । ३. बुरा प्रभाव । कुकर्मी-दे० कुकरमी। कुछेक-(वि०) थोड़ासा । कुकवि-(न०) १. अयोग्य तथा कुकर्मी पुरुषों कुछोरू-दे० कछोरू। की प्रशंसा करने वाला कवि । २. काव्य कुज-(सर्व०) कोई । (न0) मंगलग्रह । के कर्म व मर्म को नहीं जानने वाला कजकोई-(वि०) हरएक । प्रत्येक । (सर्व०) कवि। ३. ईश्वर तथा देश भक्ति से विमुख __ हरकोई। कवि । ४. अपढ़ कवि । अबूझ कवि।। कूजस-(न0) कुयश । अपयश । निंदा । कुकस-(न०) १. इमली का बीज । कंगो। अपकीरत । २. बाजरी ज्वार आदि नाज को ऊखल कजात-(10) १. कुत्ता। २. नीच जाति । में कूटने से निकला हुआ छिलका । कूको। (वि०) १. नीच । अधम । पतित । ३. सड़ा गला नाज । ४. निस्सार अन्न । कुजाब-(न०) १. बुरी बात । २. अवांछित (वि०) १. सार रहित । नि:सार । २. कुसार । उत्तर । ३. गाली। कुकाम-(न०) कुकृत्य । कुकर्म । कुजोग-(न०) १. कुयोग । कुसंग । २. अशुभ कुकुदवान-(न०) बैल । योग । बुरा समय । कुखेत-(न०) १. खोटे आचरण वाली स्त्री। कुजोड़-(ना०) अयोग्य जोड़ी। व्यभिचारिणी । २. बुरा स्थान । कुठौर । कुजोड़ी-दे० कुजोड़ । कुठौड़। कुजोड़ो-दे० कुजोड़। कुख्यात-(वि०) बदनाम । कुटको-(न०) टुकड़ा । कटको । कुगति-(ना०) दुर्गति। कुटम-दे० कुटंब । कुच-(न०) स्तन । उरोज । कुटम-कबीलो-(न0) कुटुंब के समस्त स्त्री कुचमाद-(ना०) १. बदमाशी। २. धूर्तता। पुरुषों का समूह । ३. चालाकी। कुटमजात्रा-दे० कुटंबजात्रा। कुचमादी-(वि०) १. बदमाश । २. धूर्त । कुटम परिवार-दे० कुटम-कबीलो । ३. चालाक । कुटळ-(वि०) कुटिल । कपटी। For Private and Personal Use Only Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुटलाई ( २४ ) कुतुबनुमा कुटळाई-(ना०) कुटिलता। वाली जब्ती । कुर्की । प्रासंजन । कुटंब-(न०) कुटुम्ब । परिवार । कुड़छी-(ना.) करछी । कड़छी । कुटंब-जात्रा-(ना०) १. संन्यास की दीक्षा कुड़तो-(न०) कुरता । चोला । लेने के बाद अपने कुटुम्ब से प्रथम बार कुड़-दाँतळी-(ना०) एक चिड़िया । भिक्षा मांग कर लाने का विधान । कुड़ापो-दे० कुढापो । २. प्रव्रज्या ग्रहण के बाद कुटुम्बीजनों से कुड़ियारो-(वि०) झूठा । मिलने जाना। ३. प्रवासी का अपनी कुडोळ-(वि०) बेडौल । भद्दा । मातृभूमि और कुटुम्बीजनों से मिलने कुढ-दे० कुढण । जाना। कुढण-(ना०) १. मनस्ताप । २. खीझ । कुटाई-(ना०) १. कूटने का काम । २. ३. रीस। पिटाई । ठोंकपीट । कुढणो-(क्रि०) भीतर ही भीतर संतप्त कुटार-(न०) १ मड़ियल टटू । २. खराब होना । मन ही मन में दुखी होना। आदत का पशु । ३. मड़ियल चौपाया। कुढब-(वि०) १. बेढब । २. कठिन । ३. दुर्बल पशु । बुरा । (न०) बुरी आदत । कुटि-(ना०) कुटिया । झोंपड़ी। कुढबो-(वि०) १. अव्यवस्थित । २. बेढंगा। कुटिया-(ना०) कुटि । झोंपड़ी। कुढंगा। ३. विवेक रहित । कुटिल-(वि०) १. कपटी । २. टेढ़ा । कुढंग-(वि०) बेढंगा । कुढंगा। (न०) बुरा कुटिलता-दे० कुटिलाई। ढंग । कुटिलाई-(ना०) १. टेढ़ापन । २. कपट। कुढंगी-(वि०) १. बेढंगी। २. बैढंगा । कुटी-दे० कुटि। ३. उजड्ड । कुटीजणो-(क्रि०) १. मार खाना। पिटना। कुढंगो-वि०) दे० कुढंगी। २. कूटा जाना । (औषध आदि का)। कुढापो-(न०) १. ईर्ष्यावश हृदय में जलन कुटुंब-दे० कुटंब । उत्पन्न करती हुई प्रतिपल बनी रहने कुटेव-(ना०) खराब आदत । वाली स्मृति । २. कुढन । जलन । कुदैम-(ना०)१. कुसमय । बुरावक्त । २. अनु- ३. ईर्ष्या । पयुक्त समय । कुढाळो-(वि०) १. प्रतिकूल । २. नियम कुठाम-(न०) दे० कुठौड़। विरुद्ध । ३. रिवाज के खिलाफ । कुठाँव-दे० कुठाम । कुरण-(सर्व०) १. कौन । २. किसने । कुठौड़-(ना०) १. बुरी जगह । कुठौर। कुरण पाखै-(क्रि०वि०) १. किसलिये । क्यों। २. गुप्तांग । २. किस ओर। कुड-(न०) १. दीवाल । २. झोंपड़ा । कड। कुणबो-(न०) कुटुम्ब । परिवार । कुड़-(ना०) १. शिकार के समय हरिण को कुण्यां-(सर्व०) १. किसके । २. कौन । फंसाने का लोहे का बना एक घेरा । २. कुत-(ना०) १. वर्षा ऋतु में होने वाला चरस के मुह का गोल घेरा। मच्छर जाति का एक सूक्ष्म जन्तु । कुड़कली-दे० करकली। २. एक घास । कुड़की-(ना०) देन, अर्थदंड आदि की वसूली कुतको-(न०) कुतका । सोंटा । डंडा । के लिये माल या जायदाद की कीजाने कुतबनुमा-दे० कुतुबनुमा । . For Private and Personal Use Only Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमणां कुतबसाही नाणो ( २४५ ) कुतबसाही नाणो-(न०) कुतुबशाही रुपया। कुमार्ग । २. निषिद्ध आचरण । कुमार्ग । कुतर-(ना०) ढोरों के चरने के लिये ज्वार, ३. बुरा मत । बाजरी आदि के डंठलों को फरसी से काट कुपातर(न०) अयोग्य व्यक्ति । कुपात्र । कर किये हुये महीन टुकड़े । भूसा। (वि०)१ अयोग्य । नालायक । २ निकम्मा । कुतरणो-(क्रि०) चूहों द्वारा वस्त्र प्रादि का ३. बदचलन । काटना। २. घास डंठल आदि की कुतर कुपाती-(वि०) १. उत्पाती। उपद्रवी । करना। २. अयोग्य । नालायक । ३. निकम्मा। कुतरियो-(न०) १. एक घास । २. कुत्ता। कुपार-न०) समुद्र । अकूपार । कुतुब-(न०) ध्र वतारा। कुपी-(ना०) घी, तेल भरने की चमड़े की कुतुबनुमा-(न०) दिग्दर्शक यंत्र । छोटो कुप्पी । २. शीशी। कुतुबमीनार-(न०) दिल्ली का एक प्रसिद्ध कुपीत-(ना०) १. बुरा हाल । २. तकलीफ। मीनार। संकट । कुत्ताघींसी-(ना०) १. नीच काम । हलका कुफळ-(न०) बुरा परिणाम । काम । २. हीन वृत्ति। कुफायदो-(न०) हानि । नुकसान । कुत्ती-(ना०) १. कुतिया। २. कुत नाम कुफार-(वि०) १. अश्लील । २. कुत्सित । की घास । (ना०) अश्लील गाली। कुत्तो-(न०) कुत्ता। कुबध(ना.) १. कुबुद्धि। मूर्खता । २. कुथान-दे० कुठाम । चालाकी । धूर्तता । ४. बुरी सलाह । कुथाळ-(वि०) विपरीत । उलटा । (ना०) कुबधमूळ-(न०) चोर । अन अपेक्षित स्थिति । कुबधी-(वि०) १. कुबुद्धि वाला । चालाक । कुदरत-(ना०)१. ईश्वरीय शक्ति। २ प्रकृति। धूर्त । कुदान-(न०) १. कुपात्र दान । २. दान में कुबारण-(ना०) १. बुरा स्वभाव । नहीं देने योग्य वस्तु का दान । निकम्मी २. कुवचन । वस्तु का दान । (ना०) कूदने की क्रिया। कुब्जा-(ना०) कंस की एक दासी का नाम । कुधान-(न०) १. कुधान्य । सड़ा हुआ कुभारजा-(ना०)१. अकुलिनी । २. कुलटा। अनाज । २. राँधने में कच्चा या जला ३. झगड़ालू स्त्री। ४. कलहप्रिय स्त्री । हुमा अनाज । ५. फूहड़ स्त्री । कुभार्या । कुधारो-(न0) १. 'सुधारो' का उलटा। कुभाव-(न०) १. अप्रीति । २. तिरस्कार । कुरीति । २. बिगाड़। कुमकुम-(न०) १. केशर । २. कुकुम । कुनरण-दे० कुदण। रोली। कुनाम-(न०) अपकीर्ति । बदनामी। (वि०) मकुमा-(न०) १. गुलाब जल । २. गुलाब जिसकी लोग निंदा करते हों। बदनाम । पुष्प । ३. अबीर गुलाल से भरा लाख का गोला। कुनार-दे० कुभारजा। कुमजा-(ना०)१. दुख । कष्ट । २. भाग्य । कुन-(क्रि०वि०) कहाँ । किधर । किस ओर। . प्रारब्ध । कुपथ(न०) १. कुपथ्य । बदपरहेजी। २. कूमणा-(ना०) १. विशेषता । २. अवकृपा। खोटा मार्ग । ३. खोटा काम । नाराजगी । ३. उदास । कुमनस् । दुर्मनस् । कुपंथ-(न०) १. उबड़-खाबड़ मार्ग । ऊजड़। ४. बेमन । ५. कमी। For Private and Personal Use Only Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमत ( २४६ ) कुलखणो कुमत-(ना०) कुमति । बुद्धिहीनता। कुरब कायदो-(न०) १. नियमानुसार आदर कुमया-(ना०) अवकृपा । नाराजगी। सत्कार करने की भावना। २. मान । कुमळावणो-(क्रि०) कुम्हलाना । प्रतिष्ठा । ३. सत्कार । कुमळीजणो-दे० कुमळावणो। कुरळणो-(क्रि०) दहाड़ दहाड़ कर रोना । कुमंत्र-(न०) खोटी सलाह । अनुचित ___ व्याकुल होकर रोना । कराहना । परामर्श । कुरळाट-(न0) रोना । चिल्लाना । रुदन । कुमाई-दे० कमाई । कुरळाटो-(न०) विलाप । रुदन । कुमाणस-(न०) दुर्जन । नीच मनुष्य । कुरलों-(न0) कुल्ला । गरारा । कुमारग-(न०) १. खोटा मार्ग । कुमार्ग। कुरसी-(ना०) एक प्रकार का आसन । २. खोटा आचरण । __ कुरसीनामो-(ना०) वंशवृक्ष । ग-(न०) आकाशगंगा । कुरंग-(न०) १. हरिण । मृग। २. कुमेत कुमी-(ना०) कमी । न्यूनता । मणा । रंग का घोड़ा। ३. घोड़ा। (वि०) १. कुमीट-(ना०) १. अवकृपा । नाराजगी । २. बदरंग । खराब रंग का । २. असुन्दर । कुदृष्टि । ३. पापहाष्ट । कुरंगाण-(न०) हिरणों का मुड । मृग कुमुही-(वि०) बदसूरत । कुरूपा। समूह। कमहो-(वि०) १. बदसूरत । कुरूप । २. करंगी-विo) बदरंगी। बदरंग। (10) जिसका मुंह देखने से अमंगल माना हिरण । (ना०) हरिणी। जाता है। कुरंड-(न0) एक खनिज पदार्थ । कूमेत-(न०) १. घोड़े का लाल रंग । २. लाल रंग का घोड़ा। कुरंद-(न०) दीनता । गरीबी । कुमेळ-(वि०) बेमेल । बेजोड़। (न०) १. कुराण-(न०) मुसत्रमानों का धर्मग्रन्थ । वैमनस्य । अनबन । २. दुश्मनी । शत्रुता । कसान मौत । लाज और सेवा कुराणी-(न०) १. कुरान के अनुसार आचसुश्रुषा के अभाव में हुई मृत्यु । २. भूख रण करने वाला । कुरानी । २. मुसल मान। प्यास से हुई मृत्यु । ३. दुर्घटना से हुई कुरान दे० कुराण । मृत्यु । कुरकी-दे० कुड़की। कुरीत-(ना०)कुप्रथा । खोटोरीत । कुरीति । कुरकुरी-(ना०) १. पेट-दर्द । २. दर्द ।। कुरुक्षेत्र-(न०) एक तीर्थ स्थान । २. महा भारत का युद्धस्थल । कुरखेत-(न०) कुरुक्षेत्र । कुल-(वि०) समस्त । तमाम । कुरझ-(ना०) क्रौंच पक्षी । कुळ-(न०) वंश । कुटुम्ब । कुरटरपो-(क्रि०) कुतरना । काटना। कुरड़-(ना०) १. दंत पंक्ति । २. घोडे की कुळकाण-(ना०) कुल की मर्यादा। दंत पंक्ति । ३. एक घास । ४. पीठ ।। कुळकाट-(वि०) कुल को कलंक लगाने वाला। कूरनस-(न०) झुक कर किया जाने वाला कुलखण-(न०) कुलक्षण । अवगुण । अभिवादन । कुरपण-(ना०) कपड़े या चमड़े आदि की कुलखरणी-(वि०) १. बुरे लक्षणों वाली। कतरन । २. दुराचारिणी। कुरब-(ना०) १. प्रणाम। २. विनय । ३. कुलखरणो-(वि०) १. बुरे लक्षणों वाला। सत्कार प्रादर। प्रोगुणी । २. दुराचारी। For Private and Personal Use Only Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुली ३.स जीपर्वत । कुलछ ( २४७ ) कुलछ-(न०) कुलक्षण । बुरालक्षण । बद- कुळभूखण-(न०) कुल में भूषण रूप । चलनी। कुल में शोभा रूप । कुलटा-(ना०) व्यभिचारिणी स्त्री। कुळ-मंडण-(न०) १. कुल की शोभा । कुलड़ी-(ना०) मिट्टी की छोटी लुटिया। कुळमेरू-(न०) सुमेरू सहित सातों पर्वत । कुल्हिया। ___ सुमेरु पर्वत का कुल-समूह । सुमेरु-कुल । कुलड़ी मुखो-(वि०) छोटी व भद्दी मुखाकृति वाला। कुळमौड़-(न०) १. कुल की कीर्ति को कुलड़ो-(न०) कुल्हड़ । पुरवा । बढ़ाने वाला । वंश का सिरमौर । २. कुळरण-(ना०) १. व्रण पीड़ा। २. अत्य- वडील पुरुष । बडेरो । ३. सुपुत्र । धिक पीड़ा। कुळ-लजामणो-(वि०) १. कुल को लजित कुळणो-(क्रि०) व्रण में पीड़ा होना। ___ करने वाला । (न०) कुपुत्र । कुळतारक-दे० कुळतारण । कुळलाज-(ना०) कुल की मर्यादा । कूकतारण-(वि०) कुन को तारने वाला । कूळवंत-(वि०) कुलीन । खानदानी । __कुल की कीर्ति बढ़ाने वाला। कुळवंती-(ना०) उच्चकुल में उत्पन्न स्त्री । कुळतारणी-(वि०) कुल को तारने वाली। कुळवट-दे० कुळवाट । कुल की कीत्ति बढ़ाने वाली। कुळव-दे० कुळबहू । कुळदीवो-(न०)१. कुल दीपक । २. सुपुत्र । कुळवाट-(ना०) १. कुल की उच्च मर्यादा सपूत । २. कुल का श्रेष्ठ मार्ग। ३. वंशपरंपरा । कुळदेवी-(ना०) वह देवी जिसकी पूजा इष्टदेव के रूप में कुल में परंपरा से होती कुळवान-(वि०) कुलीन । कुलवान । सद शज । पा रही हो। कुल की परंपरागत इष्ट देवी। कुळसुध-(वि०) शुद्ध कुल का कुलीन । कुळदेवता-(न०)वह देवता जिसकी मान्यता कुळहीण-(वि०) १. कुलहीन । २. नीच कुल में परम्परा से होती आ रही है । __ कुल का। कुळधर-(न०) पुत्र । कुलंग-(ना०) बदमाशी। . कुलनास-(न०) १. ऊँट । २. कुलक्षय। कुलंगार-(न०) कुल को कलकित करने कुळपाँति-(ना०) कुल परम्परा। वाला । कुलांगार। . कुलफत-(न०) १. शत्रुता । २. द्वेष। कुलंगी-(वि०) बदमाश । कुळबहू-(ना.) १. कुल ववू । कुलीन पुत्र- कुळाच-(ना०) १. औंधे सिर गिरना। २. वधू । कुलीन स्त्री। ___ छलांग । कुलाँच । गुलाँच । कुळबाहिरो-(वि०) कुलहीन । कुल बाहिर। कुळातरो-(न०) मकड़ी। अकुलीन । कुलक-(ना०) खेत में घास काटने (निदानि कुळ बिदरी-(वि०) १. जो वर्णसंकर कुल करने) की खुरपी। __ में उत्पन्न हुआ हो । २. वर्णसंकर। कुळियो-(न०) बेर आदि फलों का बीज । कुलबै-(क्रि०वि०)छिपे रूप से । छिपे-छिपे। ठळियो। कुळभाण-(न०) १. कुल में सूर्य रूप । २. कुली-(न०) भार ढोने वाला मजदूर । __कुल में श्रेष्ठ । ३. पुत्र । सपूत । (वि०) कुलवान । For Private and Personal Use Only Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुको ( २४८ ) कुपारी-घड़ा कुळी-(ना०) खरबूज-तरबूज प्रादि फलों के कुसंग-(ना०) बुरी संगति । बीज । मग्ज । गिरी। २. बीज । दाना। कुसंगत-(ना0) कुसंग । कुसंगति । कुलीण-(वि०) कुलीन । खानदानी। कुसंगी-(वि०) बुरी संगति में रहने वाला । कुवखारण-(न०) निंदा । बुराई । अपकीत्ति। कुसंप-(न०)१. अनबन । फूट । २. शत्रुता। ली कुवचन-(न०) १. खोटा शब्द । २. गाली। . ३. विरोध ।। कुवट-(न०) कुमार्ग । कुपथ । कुसागड़ी-(न०) १. बैलगाड़ी को चलाने कुवत-(ना०) १. कुवाक्य । २. बुरी बात । __ वाला वह सागड़ी जो गाड़ी पर सवारियों ३. गाली । ४. कूवत । बुद्धि । ५. शक्ति । ___ को बिठाने या भार लादने में बैलो की ताकत । कुव्वत । सुख सुविधा का ध्यान नहीं रखता हो । कुवाड़ियो-(न०) कुल्हाड़ा। २. कुमार्ग दर्शक । जो गाड़ी को चलाना कुवाड़ी-(ना०) कुल्हाड़ी। नहीं जानता। कुवारण-(ना०) १. कुवाणी। कुवाक्य । कुसुपाड़-दे० कुसुवाड़। २. कटुवचन । ३. गाली। कुसुवाड़-(ना०)१. गर्भ का समय के पहिले कुवादी-(न०) शत्रु । गिर जाना। २. प्रसव सम्बन्धी अनियकुविसन-(न०) कुव्यसन । मितता से होने वाली बीमारी। प्रसवरोग। कुवेळा-(ना०) १. कुसमय । कवेळा । २. कुसूत-(वि०) १. अव्यवस्थित । २. अव्य आपत्तिकाल । ३. संध्याकाल । सांझ। वहारिक (न०) १. अंधेर । कुप्रबन्ध । २. कुवैरण-दे० कुवाण । __ अनाचार । असत् कार्य । कुवैत-(क्रि०वि०) १. बिना विचार । २. कुहकबाण-(न०) १. एक प्रकार की तोप । नाप तोल रहित । २. अग्निबाण। कुशळ-दे० कुसळ । कुहाड़ियो-(न०) कुल्हाड़ा। कूशळलाभ-(न०) 'ढोला मारू रा दूहा' ग्रंथ कुहाड़ी-(ना०) कुल्हाड़ी। का संकलन कर्ता और कवि । कुहाल-(न०) बुरा हाल । कस-(ना०) १. कुश । दर्भ । २. एक घास । कहीजणो-/क्रि०११. सडना । २. बागना। ३. हल की फाल । ४. जल । ५. श्रीराम दुर्गध देना। ३. पकाये हुए अन्न का पड़े का पुत्र । ६. एक द्वीप । कुसनेही-(वि०) १. कृत्रिम स्नेह वाला। रहने से दुर्गव देना । १. कपटी। छली। (न०) १, कपटी अ न) १. कुमार । पुत्र। कुवर । मित्र । २. शत्रु, २. राजकुमार। कुसम बाण-(न०) १. कामदेव । २. कुसु- कुअरी-(ना०) १. कुमारी । पुत्री। २. शर। राजकुमारी। कुसळ-(ना०) १. क्षेम । मंगल । कुशल । कुआरमग-(ना०) आकाशगंगा । (वि०) प्रवीण । चतुर । कुमारी-(ना०) कुमारी। अविवाहिता । कुसळखेम-(ना०)१. कुशल-क्षेम । खैरियत । क्वारी । (वि०) सुखी और तंदुरुस्त । कुआरी-घड़ा-(ना०) १. वह सेना जो कुसळात-(ना०) कुशल क्षेम । खैरियत । कभी न हारी हो । २. वह सेना जिस पर कुसळायत-दे० कुसळात । कभी कोई विजय प्राप्त न कर सका हो । कुससथळी-(न०) १. द्वारिका । २. प्राचीन ३. वह सेना जो युद्ध के लिये तैयार खड़ी द्वारका । कुशस्थली। For Private and Personal Use Only Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २४६ ) कुमारो कुप्रारो- (वि०) अविवाहित । क्वारा। कु कुम - ( न० ) १. केशर । २. रोली । कुंकुमपत्रिका - दे० कंकपत्री । कुंज - - ( न० ) १. लताच्छादित मंडप । २. क्रौंच पक्षी । कूंझ । कुरझ । कुज गळी - ( ना० ) १. बगीचे में लताओं से श्राच्छादित तंग गली । २. वृंदावन की एक गली । कु' जड़ो - ( न० ) शाक, तरकारी बेचने वाला । माली । कुंजर - (To) १. हाथी । २. बाल । कुंजर - प्रसरण - ( न०) पीपल वृक्ष । कुंजविहारी - ( न० ) श्रीकृष्ण । कुजा - वरदार - ( न० ) पानी पिलाने वाला नौकर | कु' जो - ( न० ) सुराही । कूजा । कुंड - ( न०) १. छोटा जलाशय । २. हवन के लिये बनाया हुम्रा गड्डा । ३. हवनपात्र । ४. यज्ञवेदी । ५. हौज । कुंडल - ( न० ) १. कान का एक गहना । २. संन्यासी के कान की मुद्रा । कुंडलियो - ( न० ) एक डिंगल छंद । कुंडली - ( ना० ) १. साँप का गोलाकार में बैठने की एक मुद्रा । २. जन्मपत्री में ग्रहों की स्थिति सूचक बारह कोष्टक वाला चक्र । ३. सर्प । कुडाळी - ( ना० ) १. छोटा गोल घेरा । २. प्रायः रोटी आदि खाद्य पदार्थ रखने का ढक्कन वाला एक पात्र । कुडाळो - (न० ) १. वृत्त । गोलाकार । गोल घेरा । २. सूर्य और चंद्र के चारों ओर दिखने वाला वृत्त | कुत - ( न० ) भाला | कुतळ - ( न०) १. बाल । २. भाला । कु तळमुखी - ( ना० ) कटारी । कुद - ( न०) जूही की जाति का एक सफेद फूल । (वि०) कु ंठित । मंद । २. सुस्त । ३. अस्वस्थ । ४. उदास । खिन्न । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुँवर नजराणो कुदर - (To) आभूषण में रत्नों की जड़ाई करने के लिए ताप दे कर बनाया हुआ शत प्रतिशत शुद्ध सोना । कुंदन । (वि०) कान्तिमान । कुंदी - ( ना० ) १. धुले या रंगे हुए कपड़ों की तह करके मोगरी से कूटने और उसकी सिकुड़ मिटाने की क्रिया । २. खूब मारना । ३. ठुकाई । पिटाई । कु. दीगर - (To) कुदी करने वाला कारीगर । कुंदो - ( न० ) बंदूक का लकड़ी का बना हुम्रा पिछला भाग । कुरूंदा | कुंभ - ( न० ) १. कलश । घड़ा । २. एक प्रसिद्ध पर्व जो प्रति बारहवें वर्ष प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में मनाया जाता है । ३. एक राशि का नाम । ४. हाथी का भस्थल । ५. हाथी का सिर । ६. शिवजी के एक गरण का नाम । ७. रावण का भाई कुंभकर्ण । कुंभकर्ण - ( न०) १. रावण के भाई का नाम । २. रतनरासो के रचयिता का नाम । कु भगढ - ( न० ) मेवाड़ के महाराणा कुंभा द्वारा बनवाया गया कुभलमेर का दुर्ग । कुंभटगढ़ - ( न० ) मारवाड़ के सिवाने के किले का एक नाम । श्रगखळो किलो । कु भाथळ - ( न० ) कुंभस्थल । हाथी का गंडस्थल | कुंभार-(न०) कुम्हार । कुंभाररण - ( ना० ) १. कुम्हार की पत्नी । २. कुम्हार जाति की स्त्री । कुंभीपाळक - (To) महावत । कुभेण - (०) १. कुभकर्ण । २. कु भज ऋषि । ३. हाथी । कुँवर - ( न० ) १. कुमार । २. राजपुत्र । ३. पुत्र । जागीरदार के कुँवर नजराणो - ( न० ) पुत्र के नाम पर अथवा उसके विवाह For Private and Personal Use Only Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुंवर-पछेवड़ो ( २५०) कूटो आदि के अवसर पर लिया जाने वाला कूकर-(न०) कुत्ता । कूतरो। एक जागीरदारी कर। कूकरियो-(न०) पिल्ला । कुत्ते का बच्चा । वर-पछेवड़ो-दे० कुवर-नजराणो। गूलरियो। कुवर-पाँवरी-(न०) पुत्री की ओढ़नी के कूकवो-(न०) जोर की अावाज । चिल्ला नाम पर लिया जाने वाला एक जागीर. हट । दारी कर । कूकाऊ-(न०) १. पुकार करने वाला । कूकने वर-माणो-(न०) पुत्र के नाम पर लिया वाला । २. अर्ज करने वाला। जाने वाला एक जागीरदारी कर। कुकी-(ना०) बच्ची । कीकली । कोकी । वर-सूखड़ी-(न०) कुवर के भोजन के गोगी । गोगली। निमित्त लिया जाने वाला एक जागीरदारी कको-(न०) १. ऊखल में कूटने से बाजरी आदि अनाज का निकला हुमा छिलका । कुवरी-(ना०) १. क्वारी कन्या । २. राज २. पुकार । ३. शोर । ४. बच्चा । __ कुमारी । ३. बेटी । पुत्री। गोगो । कोको । गीगलो। कुवारिका-(ना०) १. समुद्र में नहीं मिलने लन कूख-(ना०) १. कोख । गर्भाशय । २. पेट । वाली नदी । सरस्वती। क्वारिका ।। उदर । २. अविवाहिता । कुमारी । क्वारिका। कूचा-पाणी-(न०) वह वस्तु जो पानी में कुवारी-(ना०) १. क्वारी। क्वारिका । बराबर घुल-मिल या पिघल गई न हो । अविवाहिता। जैसे विना सीझी हुई दाल । कुवारीघड़ा-दे० कुपारीघड़ा। कूचो-(न०) १. फुजला। कूड़ा-करकट । कुवारो-(वि०) क्वारा । अविवाहित । २.घास । भूसा । ३. घास-फूस । कचरा । केसड-कियोसड़ो' का विकृत रूप । दे० कजगो-क्रि०) १. कोयल का बोलना । किमोसड़ो। २. मधुर शब्द करना। कुहिक-(क्रि०वि०) कुछेक । कुछ । कूट-(न०) १. झूठ । कूड़। कपट । २. कुही-(क्रि०वि०) कुछ भी । पर्वत । पर्वत की चोटी । ३. वह पद कूक-(ना०) १. पुकार । २. हल्ला । शोर । जिसका अर्थ जल्दी स्पष्ट न हो । ४. ३. रुदन । कूकड़-१. कुक्कुट । मुर्गा । (ना०) २. सूखे चिढ़ । खीज । ५. कूटने पीटने की क्रिया । पीलू या लिसोड़े । कोकड़। (वि०) १. आततायी। अत्याचारी। २. कूकड़कंधो-(न०) घोड़ा। कृत्रिम । नकली। कूकड़ला-(न०) १. जमाई के सम्मान या कूटणी-(क्रि०) १: पीटना। मारना । २. व्याज-प्रशंसा में गाये जाने वाले लोक- ___ कूटना । (धान औषध प्रादि) । गीत । कूटळो(-लो)-(न०) कचरा । कूड़ाकरकट । कूकड़लो-(न०) मुर्गा । कूटियाँ-(ना०) १. किसी को चिढ़ाने के कूकड़वाहणी-(ना.) बहुचरा देवी । लिये उसके हाव भाव तथा बोलने आदि कूकड़ी-दे० कोकड़ी। की कीजानेवाली नकल । चिढ़ाना । कूकणो-(क्रि०) १. शोर करना । २. पुका- २. उपहास । रना। ३. पुकार करना । ४. विलाप कूटो-(न०) १. पानी में सड़ा लेने के बाद करना । रोना। कागज, चिथड़ों मादि को कूटकर मुलतानी For Private and Personal Use Only Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कूड़ मिट्टी के योग से बनाई हुई ( बरतन आदि विविध पात्र बनाने की ) लुगदी । २. चुरा । चूर्णं । ३. कचरा । कूड - ( न० ) १. झूठ । सत्य । २. कपट | ठगाई । www.kobatirth.org कूड़-कपट - ( न० ) घोखा घड़ी । छल-कपट | कुड़चो- (वि०) झूठा । झूठ बोलने वाला । कूड़णो- ( क्रि०) १. डालना । गेरना । २. किसी वस्तु को एक पात्र में से दूसरे पात्र में डालना । उँडेलना । कूड़ाबोली - (वि०) झूठ बोलने वाली । झूठ बोलने की आदत वाली । कूड़ा बोलो - (वि०) झूठ बोलने वाली । झूठ बोलने की आदत वाला । कूड़ियो - ( न०) १. ऊंट के चमड़े या लोहे का बना हुआ कुप्पा । कुप्पा । २. चरस द्वारा कुएँ में से पानी निकालने का एक उपकरण । (वि०) भूठ बोलने वाला । ठा । कूड़ो - ( न० ) १. कुाँ । २. घी या तेल भरने का चमड़े का एक पात्र । कुप्पा | मलसा । चीप । ३. कचरा (वि०) १. कपटी । २. कुटिल । खोटा । ३. ठा । ४. व्यर्थं । कूडो - ( न० ) कचरे, तुस आदि से साफ कर खलियान में लगाया हुआ अनाज का ढेर । कूढरणो- (क्रि०) डालना । उँडेलना । कुरण - ( ना० ) १. दिशा । २. कोना । कूतरी - ( ना० ) कुतिया । कुत्ती । कूतरो - ( न० ) कुत्ता | श्वान | कूदको - (न०) छलाँग । कुदान | कूदणो - ( क्रि०) १ कूदना । फाँदना । कधर - ( न० ) पर्वत । कूपार - (न०) समुद्र | अकूपार । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्कू गो कूबड़ - ( ना० ) पीठ का टेढ़ापन । कूबर | कूबड़ो - (वि०) दे० कुबो । कुबावत - ( न० ) महात्मा कूबाजी के नाम से प्रसिद्ध एक बैष्णव सम्प्रदाय । कूबो - ( वि०) १. टेढ़ी पीठ वाला । आगे की ओर झुकी हुई पीठ वाला । कूबा । बड़ा । ३. टेढा | बाँका । ( न० ) हल | कुमटिया - ( नज्ब०व०) १. कुमट वृक्ष के बीज | भटकरिया । कुमटियों का साग । कूर - ( न० ) १. पकाया हुआ भोजन । २. मांस । ३. सत्य । कूड़ | झूठ । कूरबारण - ( न० ) १. पकाये हुये भोजन को रखने का पात्र । २. मांस-पात्र । कूरम - ( न० ) १. कूर्म । कछुआ । २. कछ वाहा राजपूत । कूरो- (न०) मक्का, ज्वार आदि मोटा अनाज । कूलर - ( ना० ) घी में भुनाये हुये आटे में शक्कर मिलाकर बनाया हुआ खाद्य । कूलो-(न०) १. कूल्हा । २.चूतड़ । ३. पेड़ ू प्राजू बाजू कमर में निकला हुआ हड्डी भाग । ४. चारण का निदा सूचक नाम । कूवो - ( न० ) १. हल । २. कुआँ । कू ( प्रत्य० ) कर्म और सम्प्रदान की विभक्ति । कूकड़ी - ( ना० ) मुर्गी । कूंकड़ो - ( न० ) मुर्गा | कुक्कुट | कूकर - ( क्रि०वि०) कैसे । क्यों कर । कूकावटी - ( ना० ) तिलक करने के निमित्त कुंकुम (रोली) रखने का पात्र । कू कू - ( न० ) कुंकुम । रोली । कूत- (ना०) १. कुत्ता घास । २. मच्छर की कूकूपत्री - ( ना० ) १. यज्ञ, यज्ञोपवीत और एक जाति । कुत । विवाह जैसे मांगलिक श्रवसरों पर भेजी जाने वाली निमंत्रण पत्रिका । २. विवाह की निमंत्रण पत्रिका । कू' गचड़ी - दे० कू कूपत्री । कू' गचो - ( न० ) इमली का बीज । कू गो । कू को । कू' को - ( न० ) इमली का बीज । गो-दे० कू को । For Private and Personal Use Only Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २५२ ) कृतयुग कूची-(ना०) १. चाबी । कुजी। ताली। लगाया जाने वाला मूल्य । २. परिमाण । २. दीवार पोतने का मूज का बना झाडू- ३. कूतने का काम । नुमा एक उपकरण । ३. चित्र बनाने की कूतणो-(क्रि०) १. तोलना । २. तोल, नाप टिटहरी के बालों की बनी कलम । ४. करना। ३. किसी वस्तु के तोल, माप, ऊंट की पीठ पर कसा जाने वाला पलान । परिमाण और मूल्य आदि का अनुमान पलाए। चारजामा। ५. उपाय । ६. करना । कूतना । रहस्य जानने का साधन । कुजी । कूताई-(ना०) १. कूतने की क्रिया या ऊंट की मूत्रन्द्रिय । ___ मजदूरी। २. अनुमानित परिमाण, मूल्य कूचीडढो-(न०) कूची के समान दाढ़ी मादि । वाला । मुसलमान। कूतो-(न0)१. अनुमान से किसी वस्तु का कूज-दे० कूझ । निश्चय किया गया परिमाण या मूल्य । जड़ी-(ना०) १. कुजड़े की स्त्री। (वि०) २. कूतने का काम । ३. खड़ी फसल का झगड़ालू । अनुमानित परिमाण । (वि०) परखने जड़ो--(न०) साग-सब्जी और फल बेचने वाला। परीक्षक। वाली जाति का मनुष्य । कुजड़ा। (वि०) कूपळ-(ना०) १. नया और कोमल पत्ता । झगड़ालू। कोंपल । २. अंकुर । कुंभ-(ना०) क्रौंच पक्षी। कुरस। कूपळी-दे० कूपळ । कूट-(ना०) १. दिशा । कोण । २. कोना। कूपली-(ना०) चांदी आदि की बनी काजल कोण। ३. ऊँट के पैर का बंधन । ४. रखने की छोटी डिबिया । २. टुडी। सीमा। ५. छोर । किनारा । नाभि । ३. दोनों पसलियों के नीचे और कंटाळ-(न०) १. सिंह । (वि०) १. दिशा पेट के ऊपर मध्यभाग का गड्ढा । वाला । २. अमुक दिशा से संबंधित ।। कूपलो-(न०) कुकुम, अरगजा, चोवा प्रादि कूटणो-(क्रि०) ऊँट के एक पैर को मोड़ ___रखने की डिबिया। __ कर बाँधना । कू पी(ना०) कुप्पी। कूठो-(न०) सांकल अटकाने का कोंढा । कूळो-(वि०) कोमल । नरम । कॅवळो । कुडा । कृत-(न०) १. मृत्यु भोज । कृत्य । २. मृतक कूडापंथ-(न०) एक वाम मार्ग । संस्कार । मृतक का क्रिया कर्म । ३. कूडापंथी-(न०) कूडा पथ का अनुयायी। काम । कृत्य । कर्म । (वि०) किया हुआ। कूडी-(ना०) १. पत्थर सीमेंट आदि का संपादित । २. बनाया हुआ। रचित । बनाया जल-पात्र । २. भोजन सामग्री ३. पूरा किया हुआ। रखने का एक पात्र। कृतघण-(वि०) कृतघ्न । प्रकृतज्ञ । कंडो-(न०) चौड़े मुंह का एक पात्र । कृतघणी-दे० कृतघण । कूत-(ना०) १. समझ । बुद्धि । २. उपज। कृतघ्न-दे० कृतघण । ३. उक्ति । ४. अनुमान । ५. कूतने का कृतघ्नी-दे० कृतघण । - काम । ६. योग्यता । ७. अनुभव । ८. कृतज्ञ-(वि०) अहसानमंद । यश । ९. प्रतिष्ठा । मान । कृतज्ञता-(ना०) अहसानमंदी । कूतरणी-(ना०) १. अनुमानित तोल पर कृतयुग-(न०) सतयुग । For Private and Personal Use Only Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कृतार्थ ( २५३ ) केळवणो कृतार्थ-(वि०) कृतकृत्य । केतान-(क्रि०वि०) कितने ही। कृतांत-(न०)१. मृत्यु । २. यम । ३. पाप। केता-(क्रि०वि०)कितनों का । (वि०) कितने । कृपण-(वि०) १. कंजूस । २. नीच। केतो-(वि०) कितना । कृपा-(ना0) मेहरबानी । अनुग्रह । केथ-(क्रि०वि०) कहाँ ? किघर ? के-(वि०) १. कितने । २. कुछ । (क्रि०वि०) केदार-(न०) १. हिमालय का एक शिखर । क्या। (प्रत्य०) संबंध कारक विभक्ति २. एक यात्रा धाम । ३. खेत । 'को' का एक बहुवचन रूप। केदारनाथ-(न०) १. हिमालय का एक केक-(सर्व०) १. किसी को। २. किसी। तीर्थ स्थान । २. केदारेश्वर महादेव । कोई। (वि०) १. कई एक । कईयक। केदार-रो-काँकण-(न०) १. शिवजी का २. कई । कितने ही। कंकण । (मुहा०) २. बड़ी भारी विजय । केका-(ना०) मोर का शब्द । ३. अति कठिन काम । ४. मंत्रसिद्ध केकारण-(न०) घोड़ा। कंकरण । ५. कोई अद्भत वस्तु या काम । केकावळ-(न०) मोर। केदारेश्वर-दे० केदारनाथ । केकी-(न०) मोर । केदारो-(न०) १. एक राग । के-के-(अव्य०) १. कई-कई । २. क्या-क्या। केन-(क्रि०वि०)कोई नहीं । (अव्य०)की तरफ ३. कौन-कौन । से। पत्र लिखने या भेजने वाले की ओर से । केजती-(न०) शत्रु । केम-(क्रि०वि०) किस प्रकार ? कैसे ? केजम-(न०) शत्रु। के मात्र-(अव्य०) १. क्या बिसात ? २. केठा-(अव्य०) क्या पता ? __ क्या इतना ही ? केठी-(प्रव्य०) १. क्या पता ? २. कहाँ ? केर-(प्रत्य०) संबंध कारक विभक्ति । 'का' केठीक-(अव्य०) क्या पता ? अथवा 'की' । काव्य की 'केरो' या 'केरी' केठे-(अव्य०) कहाँ ? संबंव कारक विभक्ति का एक रूप । केड़-(न०) १. वंश । खानदान । (ना०) केरड़ी-(ना०) गाय की बछड़ी । टोगड़ी। १. कमर । कटि । २. शरीर का पीठ केरड़ो-(न०) गाय का बछड़ा । टोगड़ो। वाला भाग। पीछा । ३. पीछे जाने का केरी-(प्रत्य०) संबंध सूचक स्त्रीलिंग विभक्ति भाव । पीछा। केड़े-(क्रि०वि०) १. पीठ की ओर । २. केरे-(प्रत्य०) संबंध सूचक काव्य विभक्ति पीछे । बाद में। (वि०) अनुगामी । 'के' । केड़ो-(न०) १. पीछा । अनुगमन । २. सिरा। केरो-(प्रत्य०) संबंध सूचक विभक्ति 'का' । अंत । केळ-(ना०) १. केलि । मानंद । क्रीड़ा । केण-(सर्व०) १. किस । किसने । २. कौन। २.खेल । तमाशा । ३.एक लता। ४. केले (क्रि० वि०) किसलिये। ___ का पौधा । ५. एक बड़े फूल वाला पोषा। केगवई-(प्रव्य०) किसलिये। केलड़ो-(न०) मिट्टी का तवा। केत-(न०) केतुग्रह । (ना०) १. पताका। केळ नारायणी-(ना०) गौड़ क्षत्रियों की धजा । २. मृत्यु । देवी। केतलो-(वि०) कितना। केळवणो-(क्रि०) १. शिक्षित बनाना । केता-(वि०) १. कई । २. कितने । ___ तालीम देना। २. सुधारना । ३. सफाई For Private and Personal Use Only Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir केळो ( २५४ ) दार बनाना। ४. काम में प्राने लायक अनेक । (क्रि०वि०) किस प्रकार ? बनाना। केवो-(न०) १. प्रतिशोध । वैर का बदला। केळो-दे० केला। २. बुराई । ऐब । दोष । ३. निंदा । केवटणो-(क्रि०) १. निभाना । २. अधीनस्थ बुराई। ४. दोष-दृष्टि । ५. वैर । शत्रुता। के अनुकूल होना या उसको प्रेम द्वारा ६. कमी । न्यूनता । ७. नुक्स । खामी । अपने अनुकूल बनाना। ३. सुधारना। केशव-दे० केसव। समारना। ४. इकट्ठा करना । बटोरना। केस-(न०) बाल । केश । ५. मितव्ययिता करना। ६. संभालना। केसर-(न०) १. केशर । जाफरान । २. फूल ७. पालन-पोषण करना । ८. पशु को के बीच में होने वाली बाल के समान मार कर उसकी चमड़ी से मांस दूर सींकें। करना। केसरियो-(न०) १. गोगाजी की भाँति नागकेवटियो-(न०) नाव खेने वाला । नाविक ।। रूप माना जाने वाला एक लोक देवता । केवट । २. वैवाहिक लोकगीतों का एक नायक । केवट-(न०) १. निभाने वाला । २. अधीनस्थ ३. दुलहा। ४. घुला हुअा अफीम । को प्रेम से अपने अनुकूल बनाना। ४. (वि०) १. केशर से रंगा हुआ। २. केशरी सुधारने वाला। ४. संभालने वाला। रंग का। ५. पोषण करने वाला। ६. संग्रह करने केसव-(न०) १. केशव । श्रीकृष्ण । वाला । ७. मितव्ययी। ८. नाविक । सीमाविका २. विष्णु । केवटणहार-(वि0) केवटने वाला। (न0) केसवाळिया-दे० केवाळिया। केबटियो। केसवाळी-(ना.) १. घोड़े की गर्दन की केवड़ो-(न0) केतकी । केवड़ा । केश राजि । अयाल । २. सिंह की गर्दन केवळ-(वि०) १. केवल । शुद्ध । २. मात्र । के बाल । केसर । ३. घोड़े की गर्दन पर सिर्फ । (अव्य०) निपट । बिलकूल । (10) शोभा के लिये पहनाई जाने वाली धागों १. शुद्ध ज्ञान । २.एक संप्रदाय । केबल्य। से गुथी हुई एक जाली । केवळ-ज्ञानी-(न०) शुद्ध ज्ञान वाला। केसू-(न०) १. टेसू । पलाश का फूल । केवळियो काथो-(न0) एक प्रकार का २. पलाश वृक्ष । केसूलो। कस्था । केसूलो-(न०) १. पलाश का फूल । टेसू का केवाण-(ना०) तलवार । कृपाण । फूल । २. पलाश के फूल का रंग । ३. केवाय देवी-(ना०) दहिया चाच राना पलाश वृक्ष । केहूलो। द्वारा बनवाये हुये किणसरिया गांव के केहड़ो-(वि०) किस प्रकार का ? कैसा? केवाय मंदिर की देवी। दहिया राजपूतों केहर-(न0) सिंह। की कुलदेवी। केहरी-(न०) सिंह। केवाळिया-(नम्ब०व०) खड़िया मिट्टी की केहवो-(वि०) कौनसा ? कैसा? दवात (बोळखो) में डाला जाने वाला केहूलो-दे० केसूलो । बालों का गुच्छा । केशावली। केहो-(वि०) कैसा ? कौनसा ? केवी-(न०) १. शत्रु । दुश्मन । २. दुरात्मा। कै-(अव्य०) १. एक संयोजक शब्द 'कि' । दुर्जन । (वि०) १. दूसरे । अन्य । २.कई। २. या । अथवा । किंवा । ३. या तो। For Private and Personal Use Only Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २५५ ) कोचरी अथवा तो । ४. अर्थात् । यानि । (वि०) केकी-(सर्व०) १. किसकी। २. किसी की। कितना? को-(सर्व०) कौन । (वि०) कोई । (प्रत्य०) कैडो-(वि०) कैसा ? किस तरह का ? ___ कर्म और सम्प्रदान की विभक्ति । कैद-(ना०) १. जेल । कारावास । २. कोइक-(सर्व) १ कोई-कोई २. कोई एक । ___ बंधन । ३. रोक । अवरोध । कोइठो-(न०) १. वह कुआं जिसका चरस कैनै-(सर्व०) किसको। के द्वारा पानी निकाला जाकर सिंचाई कैफ-(न०) १. नशा । २. मस्ती। की जाती है। कोसीटो। २. साग-सब्जी कैफियत-(न०) १. विशेष सेवाओं के उप- की बाड़ी । वाड़ी। लक्ष्य में निवेदमपत्रों आदि पर स्टांप कोइडो-(न०) १. रहस्य । भेद । २. उलनहीं लगाने की राज्य की ओर से दी झन । ३. आँटी। ४. झमेला । झंझट । जाने वाली माफी । २. राज्य में या राजा कोइलो-(न०) कोयला । को पेश किये जाने वाले निवेदन-पत्रों में कोई-(सर्व०) १. अनिश्चित । २. अनेक में स्टाम्प नहीं लगाने की माफी का एक से एक । ३. एक भी। पारिभाषिक शब्द (मारवाड राज्य का कोकड़-(ना०) १. सूखे हुये पीलू फल । एक नियम) ३. विवरण । ४. विशेष २. सूखे हुये लिसोड़े (गूदिये) ३. गप्प । सूचना या विवरण। रिमार्क । ५. हाल। कोकडी-(ना.) १. सूत की आँटी । कुकड़ी। समाचार । _ लच्छी । २. वस्त्र वर्तिका । कैमखानी-(न०) १. एक अद्धं मुसलिम जाति। , ' कोकड़ो-(न०) १. वस्त्र वर्तिका । कपड़े की क्यामखानी । २. इस जाति का व्यक्ति ।। बाती । २. बड़ी कुकड़ी। लच्छा । कैयाँ-(क्रि०वि०) कैसे ? किस प्रकार ? कोकणो-(क्रि०) १. कच्ची सिलाई करना । कैर-अंबोळ-दे० करंबोळ।। २. छेदना। कैर-(न०) १. करील वृक्ष । २. करील फल । कोकरू-(न०) कानों का एक प्राभूषण । कर। गोखरू। कैर-बाटो- (न०) करील के कच्चे ताजे फल कल कोकळ-(ना०) १. बहुत बाल बच्चों का र और फूल । परिवार । २. बहत अधिक संतान वाला कैरंबोळ-(न०) कैर, कुमटिया, साँगरी अभावग्रस्त परिवार । (वि०) १. दीनताआदि में अमचूर मिला कर बनाया हुआ युक्त । २. दीन । ३. विनीत । साग। __ कोकलो-(न0) १. टिंढ़सी, ककड़ी आदि कैरी-(ना०) कच्चा आम । अंबिया। (सर्व०) का बड़ा खेलडा। २ मतीरे, टिंढसी किसकी ? प्रादि की खाली खुपरी। कैरो-(सर्व०) किसका? कोख-(ना०) १. कुक्षी । कुख । २. गर्भाकैलास-(न०) मानसरोवर के पास हिमालय शय । ३. पेट । उदर । का एक शिखर, जहां शिव-पार्वती का कोचर-(ना०) दाढ़ की जड़ में पड़ने वाला निवास स्थान माना जाता है। खड्डा । दाढ़ का एक रोग । (न०) १.खड्डा । कैलासपुरी-(ना०) मेवाड़ का प्रसिद्ध तीर्थ- २. पेड़ की खोड़र । कोटर। __ स्थान एकलिंगजी। कोचरी-(ना०) उल्लू जैसी उल्लू से छोटी कैलू-(न०) खपरेल । एक चिड़िया। उल्लू की जाति का एक कैलूडो-दे० कैलू । पक्षी । भैरव चीबरी। For Private and Personal Use Only Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २५६ ) कोज । किला । दरीखाना । कोज - ( सर्व०) कोई । ( क्रि०वि०) नहीं । कोझो - (वि०) १. अनुचित । २. विपरीत । ३. कुरूप । बदसूरत । ४. बेढंगा । ५. खराब । बुरा । कोट - ( न०) १. शहर की चार दीवारी । प्राचीर । परकोटा । २. दुर्गं ३. जागीरदार की कचेरी । ४. पहिनने का एक वस्त्र । ५. ताश के खेल में एक पक्ष का एक साथ सातों ही सर (हाथ) बना लेना और एक भी नहीं बनाने देकर ६. सौ लाख । करोड़ । कोटड़ी - ( ना० ) १. छोटा कमरा । कोठरी । २. छोटे जागीरदार की बैठक । कोटवाळ - ( न० ) १. गढ़ या नगर का बंदो विपक्ष को मात देना । बस्त करने वाला अधिकारी । २. कोट रक्षक । दुर्ग रक्षक । ३. पींजारा । कोटवाळी - ( ना० ) कोटवाळ की कचहरी । नगर रक्षक के काम करने का दफ्तर । कोट सलेम दे० सलेम कोट । कोठार - ( ना० ) अनाजघर । गोदाम । बखार। कोठारियो - ( न० ) १. छोटा कोठार । २. रसोईघर में बना एक कोठा जिसमें भोजन सामग्री रखी रहती है । कोठारी ( न० ) १. भंडारी । कोठारी । २. एक अल्ल या जाति । कोठा- सूझ - ( ना० ) १. अपने आप उपजने बाली कल्पना | कल्पना । २. खुद की बुद्धि । ३. मन की उपज । कोठी - ( ना० ) १. बंगला । २. अनाज रखने का कुठला । ३. बड़ी दुकान । ४. कुठिया के प्रकार की आतिशबाजी । ५. कोल्हू में तिलहन पीसने का खड्डा । कोठीवाळ - ( न०) १. बड़ा व्यापारी २. कोठी वाला । कोठो - ( न० ) १. खाना । कोठा । कोष्ठक । २. माल सामान रखने या भरने का कोठियो गोदाम । ३. पेट । उदर । ४. अनाज भरने का बखार । ५. पानी का हौज । कोड़ - (वि०) १. करोड़ । कोटि । २. छाती । कोड -- ( न०) १. उत्साह । २. अन्तर की श्राशा । ३. प्यार । ४. मनोभाव । हुलास । चाव । ५ हर्षं । ६. उमंग | कोड़दान - दे० कोड़पसाव । कोड़पसाव - ( न० ) करोड़ रुपयों के मूल्य Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का पुरस्कार | कोड़ वरीस - ( न० ) करोड़ रुपयों का दान देने वाला | कोड़-पसाव देने वाला । कोडंड - ( न० ) धनुष । कोडंडीस - ( न०) बड़ा धनुष । कोदंड । कोडायतो- (वि०) १. हर्ष पूर्ण । २. उत्साह युक्त । ( क्रि०वि०) उत्साह से । उमंग से । कोडायो - (वि०) कोड वाला । उमंग वाला । कोडाळी - (वि०) १. जिसमें अनेक कोड़ियाँ लगी हुई या गुथी हुई । २. कौड़ी के जैसी । कौड़ी के समान सफेद श्रौर बड़ी । ३. उमंग वाली । ४. प्रेम वाली । कोडाळो - (वि०) १. कौड़ी या कौड़ों से युक्त । कोड़ों से गुंथा हुआ । २. उमंग वाला । ३ प्रेमी । स्नेही । ( न० ) ऊँट के गले में पहिनाने का कोड़ियों या कौंड़ों गुंथा हुआ एक आभूषण । कोड़ियो - ( न०) मिट्टी का दीपक । कोड़ी - ( ना० ) १. बीस वस्तुनों का समूह । २. बीस की संख्या । २० । कोड़ी - ( fao) एक करोड़ की कीमत का । कोढो - (०) सूअर । कोड़ीधज-- ( न० ) १. करोड़पति । २. एक उच्च जाति का घोड़ा । कोड़ी मोल - (वि०) करोड़ के मूल्य का । कोडीलो- (वि०) कोड वाला । उमंग वाला । कोढ - ( न०) एक चर्म रोग । कोढ । कुष्ठ । कोढियो- ( न०) कोढ़ी । कुष्ठी । (वि०) कोढ़ रोग वाला । For Private and Personal Use Only Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कोणप कोप - ( न०) राक्षस | कौणप । कोतक - ( न० ) १. कौतुक | विनोद । २. मजाक । ३. खेल तमाशा । ४. प्रपंच | कोतग- दे० कोतक । कोतरकाम - ( न० ) लकड़ी या पत्थर पर की गई नक्काशी । कोरणी । कोतरणी - ( ना० ) १. नक्काशी । कोरणी । खुदाई । २. नक्काशी का ढंग । ३. नक्काशी की उज्रत । ४. नक्काशी का औजार । कोतरो - ( क्रि०) लकड़ी या पत्थर पर चित्रकारी करना | कोतल - ( न०) सोने चांदी के गहने, झूल और रेशम तथा मखमली जीन से सजाया हुआ जलूसी घोड़ा । कोताई - ( ना० ) १. कमी । त्रुटि । कोताही । २. निर्धनता । गरीबी । ३. कंजूसी । कोथमीर - ( न० ) हरा धनिया । कोथळी - ( ना० ) थैली । कोथली । कोथळी खोलामरणी-दे० ताळो खोलामणी । कोथळो - ( न०) बड़ा थैला । कोथला । कोदम - ( न०) एक जंगली नाज । कोदमी - दे० कोदम । कोदाळो - ( न०) कुदाला । कोनी - ( क्रि०वि०) नहीं । ( २५७ ) कोन्याँ- दे० कोनी | कोप - ( न०) क्रोध । रीस । कोपरगो - ( क्रि०) १. क्रोध करना । रीस करना । २. नाराज होना । कोपर - ( ना० ) १. खोपड़ी २. कोहनी । कोपरियो - ( न०) छोटा पत्थर । कंकड़ । कोपरो - ( न०) नारियल की गिरी का प्राधा गाँठ । २. एक प्रकार की लम्बी डंडी का लट्ट्ट जो घुमाने पर कोयल की भांति शब्द करता है । ३. चरस की लाव के सिरे पर बँधा रहने वाला लकड़ी का छोटा गट्टा । कोयलेक - ( न० ) कुत्ता । कोयो - (०) १. आँख का डेला । २. सूत डोरे आदि की घंटी । घुंडी । लच्छी । कोर - ( ना० ) १. गोटा - किनारी । २. किनारा । सिरा । ३. सीमा । हृद । ४. बुराई । दोष | त्रुटि । कोर-कसर - ( ना० ) १. कम खर्ची । किफा यत । २. कमी । कसर । त्रुटि । कोर - गोटो - ( न०) गोटा-किनारी । गोटापट्टा । कोरज - दे० कोरपाण । कोरड़ - ( ना० ) १. एक घास । २. फली भौर पत्तों सहित उखाड़े हुये मोठों के पौधे । भाग । कोम - ( न० ) १. कूर्म । कछुआ । ( ना० ) कोरड़ो - ( न०) रस्सी या कपड़े को बट कर १. जाति । कौम । कोमळ - (वि०) १. कोमल । मुलायम | २. सुकुमार । नाजुक । ३. दया । ४. मधुर । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोरण कोमंड - ( न० ) कोदंड । धनुष । कोय - ( सर्व०) १. कोई । २. किसी को । कोण - (०) १. नेत्र । आँख । २. प्रखि का कोना । ३. शत्रु । कोय-नी - ( क्रि०वि०) नहीं । कोयल - ( ना० ) १. कोकिल । कोयल । पिक । २. एक लता । ३. लम्बी डंडी का पोला छेदों वाला एक लट्टू जिसे घुमाने पर कोयल की भाँति शब्द निकलता है ! कोयली । कोयलाराणी - ( ना०) सौराष्ट्र में कोयल पर्वत पर की कोकिला रोहिणी देवी । हर्षद देवी । हरसिद्धि देवी । कोकिला रानी । कोयली - ( ना० ) १. पीठ में उठने वाली एक For Private and Personal Use Only बनाया हुआ चाबुक । कोड़ा । कोरण - ( ना० ) काले बादलों की घटा के घटा । आगे की सफेद बादलों की कागोलड़ । Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कोररणावटी कोरगावटी - ( ना० ) राजस्थान में जोधपुर जिले का एक प्रदेश | मारवाड़ का एक प्रदेश | कोरणी - ( ना० ) १. पत्थर, काष्ठ श्रादि को कुरेद कर बनाये जाने वाला बेल बूटे का काम | तक्षरण | नक्काशी । संगतराशी । २. कोरने का औजार । छेनी । ३. कोरने की कारीगरी । निपुणता । ४. कोरने की ( २५८ ) उज्रत । करणी करणी-दे० कोरणो । कोरणो- ( क्रि०) १. चित्र बनाना । २. नक्काशी करना । तक्षरण करना । कोपारण- (वि०) मांड लगा हुआ (वस्त्र) । कोरम - ( न० ) १. कूर्म । कच्छप । २. सभा का काम शुरू करने के लिये आवश्यक मानी हुई सदस्य संख्या । कोरमो - ( न०) १. मूंग, मोठ आदि द्विदल धान्य को दल करके उसमें का अलग किया हुआ महीन चूरा । दाल का चूरा । मिस्सा | खुद्दी । २. एक प्रकार का मांस भोजन । कोरंभ - (०) १. कच्छप । कूर्म । कछुप्रा । २. कच्छपावतार | कोराई - ( ना० ) १. पवित्रता । २. चतुराई । ३. आडम्बर । ४. रूखापन । ५. तक्षण कार्यं । नक्काशी । ६. तक्षण की मजदूरी । कोरी - (वि०) १. उपयोग में नहीं लाई हुई । नई । अछूती । २. सिर्फ । मात्र । ३. व्यर्थ की । बेमतलब की । थोथी । ४. खाली हाथ । असफल । ५. रूखी- लूखी । ६. निखालिस | बेदाग । ( ना० ) कच्छ राज्य का सिक्का । I 1 कोरो- (वि०) १. काम में नहीं लाया हुआ । न बरता हुआ । नया । अछूता । २. रूखा । लूखा । ३. सादा । कोरा (कागज आदि) ४. खाली हाथ । असफल । ५. सिर्फ । मात्र । ६. व्यर्थ का । बे मतलब का । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७. थोथा । फालतू । ८. बेदाग । कोरो-कट - (वि०) बिलकुल नया। समूचा कोरा । कोरो-मोरो - ( क्रि०वि०) खाली । यों ही । बेमतलब । फालतू । खाली हाथ । कोर्ट - ( ना० ) न्यायालय । कचहरी । कोर्ट फीस - ( ना० ) कोर्ट के केस के खर्च की सरकार में भरी जाने वाली रकम । रसम । कोळ - ( ना० ) बड़ी जाति का एक चूहा । घूस । कोलक - ( ना० ) मिर्च । कोळरण - ( ना० ) १. कोळी की स्त्री । २. कोळी जाति की स्त्री । कोळा मरण - ( ना० ) दूर वर्षा के वे बादल जो ठंडे पवन के साथ उड़ कर आते हैं । कोलायत - ( न० ) बीकानेर से ५० किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम में कपिल मुनि का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान । कोलाळी - ( न० ) १. कुम्भकार । कुम्हार । कोस २. ब्रह्मा । ३. उल्लू । कोळी - ( न०) १. एक जाति । २. इस जाति का मनुष्य । ३. खाद्यान आदि अंजली में रख कर देवता को अर्पण करने की क्रिया । ४. हाथ और काँख में उठाया जा सके जितना घास आदि का गट्ठा। पूळी । ५. कवल । ग्रास । कोलेज - ( न० ) महाविद्यालय । कोश - दे० कोस । For Private and Personal Use Only कोशकार - (To) शब्द कोश बनाने वाला । कोशल- दे० कोसळ | कोशल- नंदन- दे० कौसळनंदरण । कोशला - दे० कोसळा । कोशाध्यक्ष - ( न०) खजानची । कोस- ( न०) १. दो मील की दूरी का माप । गाऊ । गव्यूत । २. दो मील की दूरी ३. खजाना | कोष । ४. वह ग्रन्थ जिसमें शब्द और उनके अर्थं दिये गये हों । Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोसीद-(न०) प्रा कोसो ( २५६ ) कपा शब्दार्थ संग्रहावली। कोश । ५. कुएं में क्यारो-(न०) सिंचाई के लिये खेत में बनाया से बैलों द्वारा पानी निकालने का चमड़े जाने वाला पाली से घिरी जमीन का एक का बना हुआ जलपात्र । चरस । मोट। भाग। खोडो। ६. तलवार का म्यान । ७. अंडा । क्यावर-(न०) १. यश का काम । २. जीत . ८. अंडकोश । का काम । ३. कूल को उज्वल भौर कोसणो-(क्रि०) १. बुराई करना । निंदा प्रख्यात करने वाला काम । ४. माहेरा। करना । २. बुरा कहना । बुरा-भला ५. मौसर । ६. उपकार । प्रहसान । कहना। क्यां-(क्रि०वि०)१. क्यों ? २. किस प्रकार ? कोसळ-(न0) अयोध्या नगरी । कोशल । __ कैसे ? (सर्व0) किस ? कोसळ-नंदरण-(न०) श्रीराम ।। क्यांन-(क्रि०वि०) १. किसलिये ? (सर्व०) कोसळा-(ना०) अयोध्या नगरी । किसको ? कोसीटो-(न०) वह कुआं जिस पर खेत क्यारी-(प्रव्य०) किसकी ? काहेकी ? २. में सिंचाई करने के लिये चरस से पानी किस बात की ? निकाला जाता है । कोइटो। क्यार-(अव्य०) किसके ? स्य । क्याँरो-(अव्य०) किसका? काहे का? किस कोह-(न०) १. क्रोध । रीस । २. मोट। बात का? चड़स । ३. दो मील । गाऊ । ४. पर्वत। क्यांमू-(सर्व०ब०३०) किनसे ? (ना०) धूलि । रज । पूड़ा क्यु-(वि०) १. कुछ । (कि०वि०) क्यों ? कोहणो-(क्रि०) १. क्रोध करना । २. नाराज क्युइ-(वि०) कुछ । कुछ भी। होना । दे० कुहीजणो। क्युइक-(वि०) कुछ । कुछेक । कोहर-(न०) कुआँ । कूप । क्यू कर-दे० कूकर । कोहर तेवणो-(मुहा०) कुएँ में से बलों क्यु क-(क्रि०वि०) क्योंकि । द्वारा पानी निकालना। क्युही-दे० क्युइ। कोहीटो-दे० कोइठो। ऋग-(ना.) १. तलवार । २. हाथ । करग। कोहीरो-(वि०) १. क्रोधी। २. मन में अगल-(न०) कवच । कुढ़ते रहने वाला। करण-(न०) १. कुती पुत्र महादानी कर्ण । कोंकर-(क्रि०वि०) क्यों कर । कैसे। २. कान। कौगत-(ना०) १. मजाक । हसी। २. क्रतकाळ-(वि०) नाश करने वाला । मारने दुर्गति । कुगति । कौतुक । ४. हद से वाला । (न०) यमराज । ज्यादा हंसी-मजाक । ऋतगुणी-(वि०) कृतज्ञ । गुण करने वाला। कौड़ियो-(न०) खंजरीट नामक पक्षी। उपकारी । कौडी-(ना.) १. कौड़ी। कपर्दिका । २. ऋतघण-(वि०) कृतघ्न । कभी किसी समय कम मूल्य का एक ऋतबिलंद-(वि०) १. उदार । २. कार्यसिक्का । (वि०) तुच्छ । कुशल । कौडो-(न०) बड़ी कौड़ी। क्रतांत-(न०) १. यम । कृतान्त । ३. मृत्यु । कौल-(न०) १. कोल । वचन । २. कथन । ३. पाप। . क्यव-(न०) कवि। क्रपण-(वि०) १. कृपण । कंजूस। २ नीच । क्यामखानी-दे० कैमखानी। क्रपा-(ना०) कृपा । अनुग्रह । For Private and Personal Use Only Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २६० ) कपारण कपारण- ( ना० ) तलवार । कृपारण । कपाळ - ( वि०) कृपालु | दयालु । *पीट - ( न०) पानी । *पीठ - ( न०) १. श्रग्नि । २. जल । क्रम - ( न०) १. पैर । २. कर्म । ३. लीला | ४. क्रम । सिलसिला । ५. पंक्ति । ६. नियमित व्यवस्था । क्रम-काळा- (न०) १. दुर्भाग्य । २. दरिद्रता । ३. अनुचित काम । ४. कुकर्म । दुष्कर्म । क्रमगत - ( ना० ) १. कर्मों की गति । २. प्रारब्ध । कमरगा - ( अव्य० ) कर्म से । कर्मणा । ( न०) कर्म । *मरणो - ( क्रि०) १. चलना । जाना। २. प्राक्रमरण करना । क्रमश:- ( अव्य०) क्रमवार । क्रमसाखी - ( न० ) सूर्य । क्रमाळी - ( ना० ) ऊँट की मादा । ऊंटनी । *मेलिका । साँड़ । *मिजा - ( ना० ) लाख । लाक्षा । क्रमेळक - (न०) ऊँट । क्रमेलक । हकरणो - ( क्रि०) किलकारी मारना । हूको - (To) चिल्लाहट । बड़बड़ाहट । बलबलाहट । काकाळ - ( वि०) १. महाक्रोधी । २. वीर । बहादुर । पिरण - (वि०) कृपण | कंजूस | क्रिपा - ( ना० ) दया । कृपा । महरवानी । क्रिपारण - ( ना० ) कृपारण । तलवार | त्रिपाळ - (वि०) कृपालु । क्रिसरण - ( न०) कृष्ण । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्रिसन - ( न०) कृष्ण | क्रीत - ( ना० ) १. कीर्ति । २. गुण । ( वि० ) खरीदा हुआ । क्रीळा - ( ना० ) १. क्रीड़ा । श्रामोद-प्रमोद | लीला | क्षय फोड़ - दे० कोड़ । कोड़दान दे० को दान | क्रोड़पति - ( न०) करोड़ पति । कोड़पसाव - दे० कोड़पसाव | कोड़वरीस - दे० कोड़वरीस । कोडीज - दे० कोड़ीधज । क्रोध - ( न० ) गुस्सा | कोप । क्रोधरणो- ( क्रि०) क्रोध करना। रीस करना । (वि०) क्रोध करने वाला । क्रोधी । क्रोधंगी - (वि०) क्रोधी । क्रोधांगी । क्रोधी - (वि०) गुस्से वाला । रीसटियो । क्रोधीलो - (वि०) १. क्रुद्ध । २. क्रोधी स्वभाव वाला | क्लास - ( ना० ) वर्ग । श्र ेणी । क्लोक - ( ना० ) दीवाल घड़ी । क्वाट - ( न० ) ऊंट | क्वारमग- दे० कँवारमग । क्वार्टर - ( न० ) कर्मचारियों के रहने का मकान । कामत - ( ना० १. करामात । २. कांति । कामात दे० कामत | क्रांत - ( न० ) छबि । काँति । शोभ । (वि०) १. भयभीत । २. प्राक्रान्त | क्रिगल - ( न०) कवच । कितारथ - (वि०) कृतार्थं । कृतकृत्य । संतुष्ठ । क्षत्री - ( न० ) क्षत्रिय । राजपूत । क्षरण - ( न०) १. समय का सबसे छोटा मान । पल का चौथा भाग । २. काल । समय । क्षरण भंगुर - (वि०) क्षरण भर में नष्ट होने वाला । २. अनित्य । क्षणेक - ( श्रव्य०) क्षणभर । थोड़ी देर । क्षत्र - ( न० ) १. क्षत्रिय । २. बल । ३. शरीर । ४ राष्ट्र । ५. घन । क्षत्रिय - दे० क्षत्री | For Private and Personal Use Only क्षमता - ( ना० ) १. सामर्थ्यं । शक्ति । २. धैर्य । ३. काम करने की योग्यता । क्षमा - ( ना० ) १. माफी । क्षमा । खमा । २. सहनशक्ति । ३. पृथ्वी । ४. दुर्गा । क्षय - ( न० ) १. ह्रास । २. नाश । Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खखी ( २६१) क्षर-(वि०) १. नष्ट होने वाला। (न०) क्षुप-(न०) १. पौधा। २. झाड़ी। १. जल । २. मेघ । ३. शरीर । ४. क्षुर-(न०) १. पशु का खुर । २. उस्तरा। जीवात्मा । ५. अज्ञान । क्षेत्र-(न०) १. खेत । २. भूमि का टुकड़ा । क्षात्र-(वि०) क्षात्रेय संबंधी। ३. तीर्थस्थान । ४. प्रदेश । ५. युद्धस्थल । ६. स्त्री । क्षार-(न०) १. खार । २. सुहागा। ३.. शोरा। ४. राख । क्षेत्रपाल-(न०) १. ग्राम रक्षक देवता । क्षितिज-(न०) १. वह स्थान जहाँ धरती खेत्रपाल । २. भोमिया । भोमियोजी। और आकाश मिले हुए दिखाई देते हैं। क्षेत्रफळ-(न०) रकबा । वर्गफल । क्षेपक-(न०) १. ग्रन्थ में पीछे से मिलाया २. वृक्ष । ३. मंगल ग्रह । क्षीण-(वि०) १. सूक्ष्म । २. जो कम हो जो को हुआ अंश जो उसके मूलकर्ता की रचना न हो। (वि०) १. बाद में मिलाया गया हो। ३. दुबला-पतला। हुमा । फेंका हुआ। क्षीर-(न०) १. दूध । २. खीर । ३. पानी। क्षेम-(न0) १. कुशल-मंगल । २. सुख । क्षीरसागर-(न०) १. एक समुद्र जो दूघ ३. सुरक्षा । का माना जाता है। २. मीठे पानी का मंकरी-(ना०) एक देवी । समुद्र । क्षोरिण-(ना०) पृथिवी। क्षुद्र-(वि०) १. नीच । २. कृपण । ३. क्षोभ-(न०) १. व्याकुलता । २. क्षुब्ध होने छोटा । ४. थोड़ा। ५. दरिद्र । का भाव। ३. क्रोध । ४. शोक । क्षुधा-(ना०) भूख । ५. भय । डर। ख-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्णमाला खखड़धज-(वि०) १. अति बलवान । के 'कवर्ग' का द्वितीय व्यंजन वर्ण । इसका २. रोबदार । ३. चुस्त । फुरतीला । उच्चारण स्थान कंठ है। अक्खड़ । ५. दृढ़। मजबूत। ६. शौकीन । ख-(न०) १. शून्य स्थान । २. अाकाश । छैला । छैलो। ३. सूर्य । ४. छिद्र । ५. स्वर्ग । ६. किसी खखपती-(न0) १. निर्धन व्यक्ति । २. देवा भी नक्षत्र से दशवा स्थान (ज्या०)। लिया । देवाळियो । खूटोलो। खई-(ना०) १. कटीली टहनियों का इतना खखाटी-(ना०) १. खाँसी। २. खांसी की ढेर जो बेई द्वारा उठाया जा सके । प्रावाज । मथारी । २. क्षय । ३. युद्ध । खईस-दे० खवीस। खखार-(न०) १. कफ । श्लेष्मा। बलगम । खकार-(न0) 'ख' अक्षर । खसखो । २. खाँसी की आवाज । खख-(ना०) १. खाख । राख । २. धूलि । खखारणो-(क्रि०) खाँसी करना। खांसना । रज । धूड़। खासगो। खखड़-(वि०) १. जोरावर । जबरदस्त । खखी-(न०) १. खाख रमाने वाला खाखी। २. वृद्ध । बूढो। साधु । २. दीनजन । गरीब । For Private and Personal Use Only Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra खखद खखींदड़ - (वि०) प्रति वृद्ध । ( नं०) भस्म लेपित, लंबी दाढ़ी वाला प्रति वृद्ध व्यक्ति । वृद्ध | साधु | खख्खो - (न०) 'ख' वर्णं । खकार । खग - ( न० ) १. पक्षी । २. सूर्यं । ३. देवता । ४. गंधर्व । ४. बाण । ३. सूर्यचन्द्र आदि ग्रह । ७. तलवार । ८. सूअर की थूथन की एक ओर बाहर निकला हुआ लंबा व नुकीला दति । ६. घोड़ा । www.kobatirth.org खगखेल - ( न० ) युद्ध | खगचाळो - (न०) युद्ध । खगझलो - ( वि०) १. खड्ग धारण करने वाला । २. वीर । खगणो - ( क्रि०) १. तलवार प्रहार करना । २. नाश करना । खगधर - दे० खगझलो । ( २६२ ) खगनाथ - दे० खगपति । खगपति - ( न०) १. सूर्य । २. गरुड़ । खगपंथ - ( न०) आकाश । खगमेळ - ( न० ) युद्ध | खगराज - ( न० ) गरुड़ । खगराव - ( न० ) गरुड़ । चलाना । खगवाट - ( न० ) युद्ध | खगवाळो - ( न०) स्त्रियों के हाथ का एक गहना । (विo ) खड्गधारी । खगवाहो - ( न० ) १. शस्त्र चलाने में प्रवीण । २. वीर पुरुष । (वि०) शस्त्र प्रहार करने वाला । खगाट - ( न०) खड़ग । तलवार । खगाररण - ( न०) १. गुरुड़ । २. युद्ध । खगाँधीश - ( न०) गरुड़ । खगराज - ( न० ) गरुड़ । खगाँव - ( न०) गरुड़ | खगेल - (वि०) १. खड्गधारी । २. वीर । (न०) सूअर | खगेस- दे० खगेसर । खगेसर - (न०) १. गरुड़ । खगेश । २. सूर्यं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खेट करम खगेश | खगेंद्र - (न०) गरुड़ | खगोळ - ( न० ) १. श्राकाश मंडल । खगोल । २. खगोल विद्या । खग्ग- ( न०) खड्ग । तलवार । खग्रास - ( न०) सूर्य या चंद्र का पूरा ग्रहण | खचरी - ( ना० ) मादा खच्चर । खच्चरी । खचाखच - ( क्रि०वि० ) ऊपराऊपरी । ठसा उस । (वि) खूब भरा हुआ । खच्चर - ( न०) गधे तथा घोड़ी के संयोग से उत्पन्न पशु | खेसर । श्रश्वतर । खज - ( न०) १. खुराक । भोजन । खाद्य । १. शिकार । खजमत - ( ना० ) हजामत । खजानची - ( न०) कोषाध्यक्ष । खजानो - ( न०) १. खजाना । भंडार । धनागार । कोश । २. धन । दौलत | खजीनो-(न०) दे० खजानो । खजूर - ( ना० ) १. एक वृक्ष और उसका फल । २. एक मिठाई । खजूरियो - (वि०) खजूर के पत्तों से बना हुआ । खट - ( वि० ) छः । षट् । ( न० ) टूटने, टकराने का शब्द । ( क्रि० वि०) जल्दी | शीघ्र । खटक - ( ना० ) १. खटका । २. आशंका | ३. तीव्र उत्कंठा । लगन । ४. दर्द । कष्ट । ५. दुश्मनी । ६. प्रहार । खटकरण - दे० खटकळ । खटकरणो - ( क्रि०) १. सलना । खलना । २. अंदर से दुखी होना । ३. किरकिर की तरह खटकना । ४. खटखट शब्द होना । ५. झगड़ा होना । ६. प्रहार होना । ७. चुभना । ८. बुरा लगना । खोटो लागो । For Private and Personal Use Only खट करम - ( न० ) १. ब्राह्मण के छः कर्म । षट्कर्म । २. नित्य कर्म । Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खटकळं ( २६३ ) खटवरण खटकळ-(न0) १. नोहरे या बाड़े का घास खटपटो-(न0) नैमित्तिक काम की झंझट । फूस से बना कच्चा फाटक । २. छोटा २. झंझट । ३. विवाहादि नैमित्तिक फाटक । काम । ४. नित्य करने के काम । नित्यखटकारणो-दे० खटकावणो । कर्म । ५. हाथ में लिया हुमा काम । खटकावणो-(क्रि०) खट खट का शब्द खटपद-(न०) भ्रमर । भौंरा । भमरो। उत्पन्न करना । खटकाना । खटखटाना। खटपदी-(ना०) १. जू। २. षटपदी। खटको-(न०) १. टकराने या ठोकने पीटने छप्पय छंद । से उत्पन्न होने वाला शब्द । खटका। खट भाखा-(ना०) १. छः दर्शन । छ: खट-खट शब्द । २. भय । डर । ३. अनि- शास्त्र । २. संस्कृत, प्राकृत प्रादि छः ष्ट की संभावना । ४. खटका । आशंका। भाषाएँ । संदेह । ५. चिता । खटका । ६. किंवाड़ खटमल-(न०) खाट में पड़ने वाला एक की सिटकनी । आगळ । कीड़ा । मांकड़ । मतकुरण । खटको होणो-(मुहा०) १. शब्द होना। खटमीठो-(वि०) खट्टा मीठा। खटमीठा । २.संदेह होना। ३. डर लगना। खटमुख-(न०) स्वामी कार्तिकेय । षडानन । खटखट-(ना०) खटखट की आवाज । खट रस-(न०) १. भोजन के छः प्रकार के ठोंकने-पीटने का शब्द । २. झंझट । रस-मधुर, लवण, तिक्त, कद्र, कषाय माथापच्ची। और अम्ल । षड्रस । २. मनमुटाव । खटचरण-दे० खटचलण । अनबन । ३. खट्टारस । खाटो रस । खटचलण-(न०) भौंरा। भमरो। खटराग-(ना०) १. छः राग । २. अनबन । खटणी-(ना०) सहनशक्ति । खटरास । ३. घर-गृहस्थी का जंजाल । खटणो-(क्रि०) १. निभना। २. परिश्रम ४. मायाजाल । करना। ३. उपार्जन करना । ४. प्राप्त खटरास-(न०) मनोमालिन्य । अनबन । करना । ५. सहन होना । ६. समाना। मनमुटाव । कड़ाकूट । खट दरसण-(न०) १. न्याय, वैशेषिक, खट रितु-(ना०) छः ऋतुएँ । षटऋतु । सांख्य, मीमांसा, उत्तर मीमांसा और खट रिपु-(न०) काम क्रोधादि मनुष्य के योग-ये छः दर्शन । षट्शास्त्र । २. छः विकार । षड्पुि । संन्यासी। ३. ब्राह्मण, संन्यासी, दरवेश खटरुत-दे० खटरितु । (मुसलमान फकीर), जोगी, जंगम और खटरो-दे० खाटरो। जती--इन छ: पराश्रित जातियों का खटली-(ना०) खटिया । मावली । मचली। समाहार। खटवदन-दे० खटमुख । खटपट-(ना०) १. युक्ति से काम निकालने खटवरण-(न०) १. छः याचक जातियाँ का प्रयत्न । २. योजना। व्यवस्था। जोगी, जंगम, सेवड़ा (जैन-साधु) संन्यासी, ३. प्रपंच । ४. झगड़ा। बोलचाल । दरवेश (मुसलमान फकीर) और ब्राह्मण। ५. दुश्मनी । (क्रि०वि०) जल्दी । शीघ्र । २. षटवर्ण । ३. समस्त जातियाँ। खटपटियो-(वि०) १. प्रपंची । चालबाज । खटवाटी-(ना०)१. जिद । हठ । २.प्रतिज्ञा । २. झंझटी । ३. झगड़ालू । कजियाखोर। ३. रुष्टता । खटपाटी । नाराजी। ४. भाग-दौड़ करने वाला। खटवरण-दे० खट वरण। For Private and Personal Use Only Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खैटवरण-प्रागवड । २६४ ) खड़गधारी फिकर । खटवरण-प्रागवड़-(वि०) छहों वर्गों का खड-(न०) खड्डा । गड्डा । खाडो। धर्मरक्षक । २. छः दर्शन (जातियों) का खड़-(ना०) घास । चारो। पालक । खडक-(ना०) १. नदी का ऊंचा किनारा । खटाई-(ना०) १. खट्टापन । २. खट्टी चीज। कांठी । कांठो। २. ढेर । ३. खटका । ३. कपट । छल। खटाऊ-(वि०) १. प्राप्त करने वाला । खड़कणो-(क्रि०) १. ऊपरा-ऊपरी रखना। २. प्राप्त करने योग्य । एक के ऊपर एक रखना। २. 'खड़क' खटाखट-(ना०) १. तकरार । झगड़ा। शब्द होना। (क्रि०वि०) तुरन्त । खड़-काचर-(न०) १. कचरी। २. जंगल खटाणो-दे० खटावणो। में होने वाली कचरी के बेल और उसका खटायत-(वि०) १. योद्धा । २. सहन करने फल । काचरी। वाला । ३. प्राप्त करने वाला । ४. परि- खड़किया-पाघ-दे० खिड़कियापाघ । श्रमी । महनती। खड़की-(ना०) १. किंवाड । २. झरोखा । खटारो-(न०) माल-मोटर । भार मोटर। ३. कुटुम्ब । घर । ४. दो या ज्यादा घरों लॉरी। की एक दरवाजे (पोल) वाली गली। खटाळो-(न0) टूटाफूटा सामान। खड़को-(न०) १. दरवाजा बंद होने या खटाव-(न०) १. धीरज । २. समाई। खुलने का शब्द । २. किसी वस्तु के टकबिसात । प्रौकात । ३. शक्ति । सामर्थ्य । राने का शब्द ।। हैसियत । ४. सहनशीलता । ५. निर्वाह । खड़खड़-(ना०) १. खड़खड़ की ध्वनि । खटावरणो-(क्रि०) १. निर्वाह करना। २. खिलखिलाहट । २. परिश्रम करना। ३. निभाना। खड़खड़णो-(क्रि०) खड़खड़ शब्द होना । ४. धीरज रखना । ५. प्राप्त करना । खड़खड़ना । खटास-(न०) १. खट्टापन । खाटापरणो। खड़खड़ाट--(न०) १. खड़खड़ाहट । २. खड़२. मतभेद । ३. वैमनस्य । खड़ शब्द । (अव्य०) १. कहकहा लगा खटीक-(न०) १. चमहे या शराब का व्या- कर बोलना। २. एक साथ सबका पार करने वाली जाति । २. इस जाति (उठना या जाना) । (न०) ठंड से होने का व्यक्ति। वाली कंपन। खटीकरण-(ना०) खटीक जाति की स्त्री। खड़खड़ावणो-(क्रि०) खटखटाना । खटूमड़ो-(वि०) १. खट्टे स्वाद वाला। खड़खड़ी-दे० खड़खड़ो। २. वह जिसमें खट्टा स्वाद भी हो । थोड़ा खड़खड़ो-(न०) ठंड से होने वाली कंपन । खट्टा (फलादि)। धूजन। कंपकंपी। (ना०) खड़खड़ी । खटू बड़ो-दे० खटूमड़ो। धूजणी। खटेत-(वि०) १. वीर । बहादुर । २. परि- खड़खोचरो-(वि०) १. ऊंचानीचा । २. खड्डों श्रमी । मेहनती। खटोलड़ी-(ना०) खटिया । मचली। खड़ग-(न०) तलवार । खड़ ग । खटोली-दे० खटोलड़ी। खड़गधारणी-(ना०)१.दुर्गा । २.वीरांगना। खटोलो-(न०) छोटा खाट। खड़गधारी-(वि०) खड्गधर । वीर । वाला। For Private and Personal Use Only Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खड़गसिध ( २६५ ) खड़ियो खड़गसिध-(वि०) खड्ग चलाने में सिद्ध- खड़भड़-(ना०) खड़बड़ आवाज । २. गड़हस्त । वीर। बड़ । शोर ।ऊधम । ३. कहासुनी । बोलखड़गहथो-(वि०)१. योद्धा । २. खड्गधारी। चाल । कजियो । ४. घबराहट । खड़चर-(न०) घास चरने वाला पशु। खड़भड़णो-(क्रि०) १. खड़बड़ाना । २.कहा(वि०) घास चरने वाला। सुनी होना। झगड़ा होना। ३. घबराना। खड़चराई-(ना०) १. पशुओं को जंगल में खड़भड़ाट-(ना०)१. खलबली। २.अावाज। चराने का कर । २. पशु रखने वालों से दे० खड़बड़ाट । लिया जाने वाला कर । ३. चराने का खड़भरी-दे० खडेरी । काम । खड़वा-(ना०) १. चलने का परिश्रम । खड़णो-(क्रि०) १. खेत बोना। २. खेत में चलना । २. चलने की दूरी। ३. चलने हल चलाना। ३. बैलगाड़ी आदि को की क्रिया । चलाई। गमन । हाँकना । ४. चलना । ५. चलाना। खड़सल-(ना०) एक प्रकार का रथ । खड़तल-(वि०) १. दुख सहन करने वाला। खड़हड़णो-(क्रि०)१. लड़ना । युद्ध करना। २. परिश्रमी। महनती । ३. गठीले २. नाश होना । ३. गिरना । गिरजाना। शरीर का । ४. उग्र। प्रचंड । ५. दृढ़। पड़ना । ४. लड़खड़ाना । मजबूत । सैंठो। खड़हंड-(न०) घोड़ा। खड़ताल-(ना०) घोड़े की टाप में लगने खड़ग-(वि०) १. सीधा २. सीधा खड़ा । वाली नाल । २. जूते के नीचे लगने वाली (न०) शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, नाल । छंद और ज्योतिष-वेद के ये छः अग । खड़ताळ-दे० खड़ताल । षडंग । खड़ब-(न०) सौ अरब की संख्या । खरब । खडंजो-(न०) खड़ी ईंटों की चिनाई । खर्व । खड़ाऊ-(ना०)पादुका । चाखड़ी। खड़बड़-दे० खड़बड़ाहट । खड़ाक-(न०) गिरने का शब्द । (वि०) खडबड़ खोपो-(न0) अवगुणी और झग- सीधा । टटार । खड्ग । ड़ालू पुत्र-वधू की ओर से रखा जाने खड़ाखड़-(अनु०) खड़खड़ ध्वनि । वाला ससुर का अपमानजनक सांकेतिक खड़ाखड़ी-(क्रि०वि०) १. अभी का अभी । नाम । ससुर । (वि०) झगड़ालू । खड़े-खड़े। खड़बड़णो-(क्रि०) १. लड़ना । २. उतावला खड़ागो-दे० खड़ावणो । होना। ३. घबराना। खडाळ-(न०) जैसलमेर जिले का एक खड़बड़ाट-(ना०) १. तकरार । लड़ाई। प्रदेश । २. उतावल । ३. घबराहट । ४. खड़बड़ खड़ावरणो-(क्रि०) १.हँकवाना । चलवाना। शब्द । २. खेत में हल चलवाना । खड़बड़ी-(ना०)१. घबराहट । २. तकरार। खड़ियो-(न०) १. कंधे की दोनों ओर लटखड़बूजो-(न०) खरबूजा। काई जाने वाली दो खानों वाली एक खड़बो-(न०) १. दही या दही जैसी जमी थैली । झोलो । थैला । २. कंधे पर लट हुई बस्तु की उपमा । २. ठसी हुई या काया जाने वाला दो या दो से अधिक जमी हुई वस्तु । स्थिर हुमा द्रव पदार्थ ।। खानों बाला एक थैला जिसमें भिक्षुक For Private and Personal Use Only Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खड़ी ( २६६ ) खता भिक्षा में प्राप्त विविध अनाज कणों को तमस्सुक । ऋणपत्र । ३. पत्र । चिट्टी । अलग-अलग खानों में डालता है। ३. ४. प्रतिष्ठा । इज्जत । मान । ५. जंग। दवात । ४. खड़िया मिट्टी की एक दवात मुरचा। काट। ६. पाव । क्षत । ७. जिससे हरताल से लिखी हुई अक्षर जमाने दाढ़ी। ८. पृथ्वी । ६. क्षत्रियत्व । की पाटी पर अक्षरों के ऊपर लिखने का खतनो-(न०) खतना । मुसलमानी । सुन्नत । अभ्यास किया जाता है । बोळखो। खत बही-(ना०) लेन देन का काम करने खड़ी-(ना०) घास का ढेर । वाले बोहरों की वह बही जिसमें खत खडी-(न0) खड़िया मिट्टी। जिप्सम । (ऋणपत्र) लिखे हुए हों अथवा खतों चारोळी। की नकलें की हुई हों। खडीण-(ना.) १. वह नीची भूमि (खेत) खतम-(वि०) खत्म । समाप्त । (न०) १. जिसमें वर्षा का पानी इकट्ठा होने से गेहूँ समाप्ति । संपूर्णता । २. नाश । ३. और चने की फसल ली जाती है। कमाल । निपुणता । २. जैसलमेर जिले का एक भाग। खतमेटण-(ना०) लाख । लाक्षा । खड़ी बोली-(ना०) हिन्दी भाषा। खतरण-(ना०) खतरी की स्त्री। खड़ेरी-(ना०) १. एक बैलगाड़ी परिमाण खतरनाक-(वि०) भयानक । का घास । २. घास की भरी बैलगाड़ी। खतराणी-दे० खतरण ।। दे० खरेड़ी। खतरी-(न०) १. कपड़े छापने । रंगने खरण-(न०) १. क्षण। पल । २. किसी तथा छापने की लकड़ी की छापों (भाँतों) कार्य को सिद्ध करने के लिये उसकी को बनाने का काम करने वाली एक पूर्ति पर्यन्त धारण किया जाने वाला व्रत। जाति । २. इस जाति का प्रादमी । ३. कार्य सिद्धि तक किसी वस्तु के त्याग ब्रह्मक्षत्री। ३. क्षत्री। राजपूत । की प्रतिज्ञा । ४. किसी वस्तु के त्याग की खतरो-(न०) १. भय । खतरा । २. खटका। प्रतिज्ञा। ५. प्रस्थाई प्रतिज्ञा । ६. मकान अंदेशा । अंदेसो। के ऊपर की मंजिल । खंड । ७. अलमारी, खतवरणी-(ना०) रोकड़ बही में जमा खर्च पाले आदि का घर । खंड । दराज। की हुई रकमों को खाताबही के व्यक्तिवार खरणक-(न०) १. चूहा । २. ऊंट । (वि०) खातों में लेने का काम । खतौनी । नितान्त । बिलकुल । खतहीणो-(वि०) १. दाढ़ी मूछ रहित । खणका-(ना०) १. बिजली । (न०) झूठा २. घाव रहित । क्षत रहित । अक्षत । रोना । पाखण्ड । नखरा। ३. अप्रतिष्ठित । खणखण-(ना०)१.लड़ाई करने की इच्छा। खतंग-(न०) १. घोड़ा। २. आकाश । ३. झगड़ने की इच्छा । २. लत । चसका। अग्निबाण । (वि०) १. वीर । २. ३.बूरा इरादा । 'खनखन' शब्द । निर्लज्ज । ३. निडर । ४. अणीदार । खणखणाट-(न०) १. खनखनाहट । खन- तीक्ष्ण । ५. जिसके पुत्र-कलत्र न हो । कार । झनकार । दे० खणखरण १. २. । ६. उद्दड । ६. क्षताँग। घायल । ८. खगणो-(क्रि०) १. खोदना । खनना। अभिमानी। ६. पराक्रमी । २. खुजलाना। खता-(ना०) १. अपराध । २. भूल । ३. खत-(न०) १. दस्तावेज । लिखत । २. धोखा । ४. हानि । For Private and Personal Use Only Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खताई ( २६७ ) खपावणो खताई-दे० खतवणी । धमका कर भगवाना । खदेड़ना। खताणो-दे० खतावणो। खद्योत-(न०) जुगनू । खतावरणी-देखतवरणी। खनै-दे० कनै । खतावणो-(क्रि०) रोकड़ बही की रकमें खनोडियो-(वि०) खान में काम करने खाता में लेना । रोकड़ से खाते में व्यक्ति वाला । खनोड़ी। या विषय क्रम से हिसाब लिखना । खाते खनोड़ी-(ना०) छोटी खान । (वि०) खान में चढ़ाना । में काम करने वाला। खानोडियो । खतियो-(वि०) जंग लगा हुआ । जंग से खप-(ना०) १. आवश्यकता । उपयोगिता । कटा हुआ । (न०) १. एक (बिना सिला) २. खपत। ३. उपयोग । व्यवहार । ४. मोटा सूती वस्त्र । मोटी सूती चद्दर । महत्व । ५. कमी । तंगी । ६. बिकरी । खत्तो । २. जंग । काट । ७. प्रयत्न । ८. नाश । खतोगी-दे० खतावणी। खपणो-(क्रि०) १. मरना। २. युद्ध में खत्ताळ-(न०) घोड़ा। काम पाना । ३. खतम होना । समाप्त खत्तो-(न०) ठंड में प्रोढ़ने का एक मोटा होना । ४. जरूरत होना । ५. उपयोग में वस्त्र । खतियो। आना। ६. परिश्रम करना । ७. प्रयत्न खत्र-(न०) १. क्षत्रियत्व । २. क्षत्रिय । करना। ३. युद्ध । ४. बल । ५. राष्ट्र । ६. घन। खपत-(ना०) दे० 'खप' के सभी प्रर्थ । ७. शरीर । १. माल का बिकरा । २. नाश । ३. खत्रवट-(न०) १. क्षत्रियत्व । क्षात्रपथ । समावेश । ४. गुंजाइश । २. रजस । ३. युद्ध । खपती-(ना०) १. आवश्यकता । २. उपखत्रवाट-दे० खत्रवट । योग । ३. बिकरा। खत्रवेव(न०) युद्ध । खपतो-(वि०) १. उपयोग में प्रासके ऐसा। खत्राणी-(ना०) १. क्षत्राणी। २. खतरी उपयोगी । २. व्यवहार्य । जो काम में आ जाति की स्त्री। खतराणी। सके । ३. खान-पान में लिया जा सके । खत्री-(न०) १. क्षत्री । २. दे० खतरी। ४. बिक सकने योग्य । खपत्ता । ५. जिसकी खथावळ-(ना०) उतावला । शीघ्रता। धार्मिक या सामाजिक रूप से अंगीकार खद-(न०) मुसलमान । या ग्रहण करने में कोई रुकावट न हो । खदखद-(न०) १. खदखद शब्द । २. पानी खप परमाण-(अव्य०) आवश्यकतानुसार । उबलने का शब्द । ३. खिलखिलाहट । __ यथावश्यक । जरूरत के मुताबिक । खदड़ो-(न०) मुसलमान ।। खपरी-(ना०) मतीरे का आधा भाग । खदबद-(प्रव्य०) किलबिलाते हुए । (अनु०) खपारणो-दे० खपावणो । उबलने का शब्द । खपावड-दे० खपावळ । खदबदणो-(क्रि०) १. किलबिलाना । २. खपावण-(वि०) खपाने वाला। (ना०) उबलना। मृत्यु। खदराळ-(न०) १. मुसलमान । यवन । खपावणो-(क्रि०) १. किसी वस्तु की २. यवन-समूह । प्रावश्यकता उत्पन्न करना । २. किसी को खदेड़णो-(क्रि०) मार भगाना । डरा किसी काम पर लगा देना। ३. बिकरा For Private and Personal Use Only Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खैपावळ ( २६८ ) खमाई करवाना। बिकवाना। ४. मार देना। खबीस-दे० खवीस । नाश कर देना। ५. भर देना । भर खबोचियो-दे० खाबोचियो । सकना। समा देना। ६. बिताना। खबोड़णो-(क्रि०) खूब खाना । सबोड़णो । समाप्त करना। खम-(न०) १. टेढ़ापन । बल । २. जोश । खपावळ-(ना०) १. मृत्यु । २. नाश करने खमण-(ना०) क्षमा। की शक्ति । ३. आवश्यकता। खमणी-(वि०) सहन करने वाली । (ना.) खपीड़-(न०) हानि । नुकसान । (वि०) सहनशीलता। १. अति वृद्धावस्था के कारण मृत्यु के खमणो-(क्रि०) १. सहन करना । बरदाश्त निकट आया हुआ । (तुच्छार्थक) २. करना। २. परिणाम भोगना। ३. प्रतीक्षा वृद्ध । बुड्ढा । (तुच्छार्थक) । करना। ठहरना। ४. शांत रहना । ५. खप्पर-(न०) भिक्षापात्र । खप्पर । नुकसान उठाना । (वि०) सहन करने खफरखान-(वि०) दुष्ट । अत्याचारी । वाला। (न०) मुसलमान । खमत-खामणा-(न०) १. पyषण पर्व की खफा-(वि०) १. क्रुद्ध । २. नाराज । समाप्ति पर जैनों में परस्पर क्षमा याचना खबचो-(न०) १. नाज प्रादि किसी वस्तु की एक प्रथा । २. क्षमा याचना के लिये को हथेली में भर कर देने का एक सम्पुट। व्यवहृत शब्द । अंगुलियों सहित बनाया जाने वाला हाथ खमता-(ना०) १. क्षमता । सहनशीलता । का एक संपुट । अंजलि । २. टंटा-फिसाद। खिमता । २.शक्ति। सामर्थ्य । ३. योग्यता । ३. दोषारोप । ४. ग्राफत । ५. छोटा ४. सहनशक्ति। ५. धैर्य । खमया-(ना०) १. एक देवी। २. पृथ्वी । खबर-(ना०) १. समाचार । २. संदेश । ३. क्षमा । क्ष्मा । (वि०) १. क्षमा करने सूचना । ३. जानकारी। ४. निगरानी। वाली । क्षमारूप । देखभाल । ५. होश । सुधि । खमा-(ना०) १. क्षमा । माफी। २. धीरज । खबरदार-(वि०) १. सावधान । सतर्क । ३. पृथ्वीक्षमा । थमा। धरती । ४. श्रादर चौकन्ना । २. खबर रखने वाला । संदेश सूचक 'हाँ' शब्द का बोधक, जो गुरु, राजा, वाहक । (अव्य०) सतर्क रहो । होशियार संत आदि से बात करते हुये कहा जाता हो जानो। इस आशय का उद्गार ।। है । ५. गुरु, राजा आदि के लिये 'जय' खबरदारी-(ना०) १. सावधानी। होशि- या 'अभिवादन' सूचक शब्द । (अव्य०) यारी । २. निगरानी। क्षेम कुशल रहो । क्षमा वीर रहो । प्राप खबरनवीस-(वि०) संदेश वाहक । क्षमावान हैं । दुख न हो। ईश्वर सहाय खबरी-(वि०) संदेश वाहक । करे। चिरजीवी रहो-इत्यादि भावार्थों खबसूरत-दे० खूबसूरत । को सूचित करने वाला उद्गार । खबी-दे० खवीस । खमा-अवतार-(न०) १. क्षमावतार । खबीड़णो-(क्रि०) १. मारना। पीटना। अत्यन्त क्षमावान पुरुष । २. गुरु । ३. २. टक्कर मारना । धक्का देना। राजा । ४. महात्मा । खबीड़ो-(न०) १. धोखा । २. हानि । ३. खमाई-(ना०) १. क्षमा। २. क्षमा करने चोट । ४. धक्का । टक्कर । की शक्ति । ३. सहनशक्ति । क्षमाशीलता। For Private and Personal Use Only Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खमाणी खमाघणी - ( अव्य० ) राजा-महाराजा, महंत, श्राचार्य और गुरु श्रादि को किया जाने वाला एक अभिवादन । ( २६९ ) खमाभुज - ( न० ) राजा । क्षमाभुज । खमावणो - ( क्रि०) १. क्षमा माँगना । २. क्षमा मंगवाना। ३. क्षमा करवाना | ४. ठहराना । रुकवाना । ५. प्रतीक्षा करवाना । ६. शांत करना । खमीर - ( न०) १. गुथे हुए आटे का सड़ाव । २. जोश, प्रवेश । ३. ताकत । बल । खमीरदार - (वि०) १. जिसका खमीर उठाया हुआ हो । २. जिसमें खमीर मिला हुम्रा हो । ३. जोशवाला । खमीर वाला । ४. ताकत वाला । बलवान् । खम्माच - दे० खंभावती । खम्या - दे० खमा १. २. ३. खय - ( न० ) १. क्षय । नाश । २. ह्रास | २. क्षय रोग । खयमान- (वि०) जिसका मान क्षय हो गया हो । प्रतिष्ठित । मानक्षय । खयंकर - (वि०) १. नाश करने वाला । क्षयंकर । २. नाश होने वाला । खर - ( न० ) १. गदहा । गधो । ( वि० ) १. अशुभ । २. मूर्ख । खरक कूरण - ( न० ) वायव्य और पश्चिम दिशा के बीच की दिशा । खरखर - ( ना० ) १. किसानों से लिया जाने वाला एक जागीरदारी लगान । २. झगड़ा करने की इच्छा । ३. गवं । ४. पछतावा । ५. दुख । खरखरणो - ( क्रि०) १. चुभना । २. खट कना । ३. सलना । खरखरावणो - ( क्रि०) बड़ियाँ (मुंगोड़ी ) यदि किसी सूखी वस्तु को तवे पर घी से भूनना । खरखरो - ( न० ) १. पश्चाताप पछतावा । २. शक । अंदेशा । ३. संताप । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खरखोदरो- (वि०) खुरदरा । खरगो-दे० खरगोस । खरगोस - ( न०) खरगोश । शशक । खरड़को खरच - ( न०) १. खर्च । व्यय । २. लागत । खर्चा । ३. कमी । ४. प्रौसर । मौसर । नुकतो । मृतकभोज । ५. खूब पैसे खर्च करने का शुभाशुभ अवसर । ( वि० ) थोड़ा । कम 1 खरच करणो - ( मुहा० ) प्रौसर करना । मृतक भोज करना । ( क्रि०) खर्च करना । ख रचना । खरचणो- ( क्रि०) १. खर्च करना । २. व्यवहार में लाना । बरतना । खरचाऊ - (वि०) जिसके करने या बनाने में अधिक खर्च हो । बहुत खर्च वाला । २. खर्चीला । खरची - ( ना० ) १. निर्वाह खर्च । २. हाथ खर्च । ३. धन-माल । खरची-खूट - (वि०) १. धनाभाव वाला । २. निर्धन । ( न० ) धनाभाव । दरिद्रता । खरचीलो - (वि०) खर्चवाला । खर्चीला । खरचो - ( न०) १. खर्च । खर्चा । २. किसी अवधि तक का समग्र खर्च । ३. समग्र खर्चे का योग । खरज - दे० षडज । For Private and Personal Use Only खरड़ - ( ना० ) १. मिलावट वाली चांदी को आग द्वारा शोधने पर भट्टी (खुड़िया) में लगे रहने वाले रजतकरण और उसका कीट । रौप्यकरण संलग्न मिट्टी और कीट । २. अफीम की टिकिया पर लगा रहने वाला कचरा । अफीम युक्त पोस्त का चूरा । ३. जाजम, त्रिपाल आदि मंडप की सामग्री । ४. शस्त्र प्रहार की ध्वनि । खरड़क - ( ना० ) १. शस्त्र प्रहार की ध्वनि । २. रगड़ । [ खरड़ को - ( न० ) १. रगड़ । २. ध्वनि विशेष । Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खरड़यो ( २७० ) खरापरण खरड़णो-(क्रि०) १. लेप करना । २. मैला की पत्थर की कुंडी । खल । खरल । लगाना । ३. गंदा करना। बिगाड़ना। खरळवो-(न०) १. ढोली। २. खारवाल । कीचड़ आदि से गंधा करना। नमक बनाने वाला। खरड़ा-बही-(ना०) १. जमीदारी के भिन्न- खरळी-(ना०) १. शीघ्रता से किया जाने भिन्न करों की वसूली की प्रासामीवार वाला स्नान । उतावल में किया जाने वाला हिसाब की बही। २. उधार दी हुई स्नान । २. कम पानी से किया जाने वाला वस्तुओं की नोंघ-बही । स्नान । ३. स्नान । नहान । खरड़ीजणो-(क्रि०) कीचड़, मैला आदि से खरळी खाणो-(मुहा०) १. झटपट नहाना । गंदा होना । गंदा होना। २. स्नान करना। खरड़ो-(न०) १. गृह कर । मकान टैक्स । खर वाहण-(ना०) शीतला देवी। २. उधार बही । ३. विवरण-सहित खरसरण-नि०) १. धने तंतु वाला एक हिसाब-पत्र । ४. कर्जे का चुकता हिसाब घास । २. दे० खरसणियो । ५. मसौदा । खर्रा । ६. लंबी सूची। खरसरिणयो-दे० खरणियो। खरणियो-(न०) किसी केटीले वृक्ष की खरहंड-(न०) १. सेना। २. घोड़ा। ३. शाखा । बबूल, खेजड़ी आदि की टहनियों नाश । ४. चिंता । वाली शाखा, जिसका उपयोग (अनेक खराई-(ना०) १. खरापन । २. स्पष्टता । शाखाओं के रूप में बाड़ की मजबूती के ३. पक्की बात । ४. कौल । करार । लिये किया जाता है । खरहरिणयो । खराखर-(अव्य०) १. सचमुच । वास्तव खरसणियो। में । २. अवश्य । खरणी-(ना०) केन्द्रीय सरकार द्वारा राजा खराखरी-(ना०) १. खरापन । सच्चाई । या जागीरदार से लिया जाने वाला एक २. संकट । ३. कठिनाई । कर । खिराज । खंडीरेख । खिरणी। खराजात-(ना०) माल पर लगने वाला खरणो-(क्रि०) वृक्ष के पत्तों आदि का गोदाम भाड़ा, मजदूरी आदि खर्च । माल गिरना। २. गिरना। ३. झड़ना । ४. की कीमत के अलावा उस पर लगने मरना । (न0) वंश । कुल । वाला खर्चा । खरतर-(वि०) १. जोश वाला। तेज । खराडो-दे० खुराड़ो। २. कठिन । ३. खुरदरा। खराणो-(क्रि०) खरा करना । बात को खरतरगच्छ-(न०) जैन संप्रदाय के चौरासी पक्का करना। गच्छों में का एक । खराद-(ना०) एक यंत्र जिस पर चढ़ा कर खरतरो-(न०) १. पश्चाताप । २. वहम । धातु या लकड़ी की वस्तुएँ सुडौल, चिकनी संदेह । (वि०) १. तेज स्वभाव का। और चमकदार बनाई जाती है । चरख । २. खरतरगच्छ का। खरादणो-(क्रि०) किसी वस्तु को खराद खरदूख-(न०) खर और दूषण नाम के पर चढ़ा कर सुडौल और चमकदार दत्य । बनाना । खरादना। खरदूखरण-दे० खरदूख । खरादी-(न०) खराद का काम करने वाला। खरब-(न०) सौ अरब की संख्या। खरादी। खरळ-(ना०) औषधि प्रादि पीसने घोटने खरापरण-दे० खरापणो । For Private and Personal Use Only Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरापणो ( २७१) खरापणो-(न०) १. खरापन । सच्चाई। खरीलो-(वि०) १. विश्वासी। २. हठी । २. दृढ़ता । मजबूती । २. पुष्टता । जिद्दी । ३. क्रोधी। ४. कड़ापन । खरूंट-(न०) १. भरते हुये घाव की सूखी खराब-(वि०) १. बुरा । गन्दा । २. दुरा- पपड़ी। खरूड। २. छिल जाने का चारी । अनीतिमान । ३. बिगड़ा हुआ। छिह्न । खरोंच ।। टूटा-फूटा। ४. सड़ा हुआ। खरेखर-(प्रव्य०) १. वस्तुतः । सचमुच । खराबी-(ना०) १. दोष । ऐब । बिगाड़। २. निश्चय । निश्चय ही । ३. जरूर । २. अवगुण । ३. दुर्दशा । ४. तोड़-फोड़। अवश्य । ५. सड़ांध । खरेडी-(ना.) १. एक बैलगाड़ी पर लादा खराबो-(न०) १. हानि । नुकसान । २. या भरा जाय उतने सूखे घास का परिबिगाड़ । खराबोलो-(वि०) खरी बात कहने वाला। मारण । २. गाड़ी भरा घास । ३. घास से भरी हुई बैलगाड़ी । खड़भरी । खडेरी। स्पष्ट वक्ता। खरामण-(ना०) १. पक्की बात । २. किसी खरो-(वि०) १. विशुद्ध । २. सच्चा । से बार बार कह कर बात या शर्त पक्की ईमानदार । ३. छल रहित । ४. स्पष्ट भाषी ५. पक्का । ६. कड़ा । सख्त । ७. करना । ३. शर्त । कौल । सही । दुरुस्त । खरामणी-दे० खरामण। खरावट-दे० अखरावट या खरामण ।। खरोटो-(न०) अपनी जागीरी में बाहर के मवेशी चराने वाले से जागीरदार द्वारा ली खरीकहो-(वि०) १. स्पष्ट वक्ता । खरी जाने वाली एक लाग । एक लगान जो कहने घाला। खरी कहा । २. सच्चा । बाहर के मवेशी चराने वाले से जागीरदार ३. प्रामाणिक । द्वारा लिया जाता था । प्रान्तेतर से लिया खरीको-(वि०) १. खरी कहने वाला। जाने वाला चराई का एक लगान । २. खरी कहा। स्पष्ट वक्ता। २. सच्चा । एक कर जो गाँव को सफाई आदि के लिये ३. प्रामाणिक । ४. कठिन । दुर्गम । ५. । लिया जाता था। शीघ्र समझ में नहीं आने वाला । ६. जो खळ-(वि०) १. दुष्ट । खल । २. नीच । ३. शीघ्र नहीं किया जा सके। खरीखोटी-(ना०) १. कटुबात । २. कड़वी क्रूर। (न०) १. शत्रु। २. यवन । ३. किन्तु सच्ची बात । (वि०) खरी और ___खरल । ४. खली । सीठी। खोटी। खलक-(न०)१. दुनिया । संसार । २. लोग । खरीद-(ना०) १. खरीदा हुआ। २ क्रय । लोग समूह । मानव समूह । ३. मानव खरीदरणो-(कि०) मोल लेना। खरीदना। मात्र । ४. मनुष्य जाति । ५. जाव खरीददार-(वि०) खरीदने वाला। ६. भीड़। खरीदारी-(ना०) खरीददार। खळकट-(न०) नाश । संहार । खरीदी-(ना०) १. खरीद की हई वस्तु । खळकरणो-(क्रि०) १. पानी का खळ-खळ २. खरीदने का काम। शब्द करते हुये बहना । २. खाँसने से कफ खरीदीकरणो-खरीदना । का गले में से आवाज करते हुये छूटना । खरीफ-(ना०)चौमासे की फसल । वरसाळ खळकत-(ना०) १. दुनिया। सृष्टि । २. साख। भीड़ । ३. लोगबाग। For Private and Personal Use Only Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खलक-मुलक ( २७२ ) खवानी खलक-मुलक-(न०) भीड़ भाड़ । मानव खळळ-(न०) पानी के बहने का शब्द । समूह। खळवट-(न०) १. युद्ध । २. नाश । संहार । खळ काळ-(ना०) तलवार ।। खळ विखळ-(वि०) टूटा-फूटा । खलकाँनै-(अव्य०) १. दूसरों को। २. लोगों खळसाल-(न०) युद्ध । कों। ३. लोगों ने । ४. दूसरों ने। खळहळणो-(त्रि.0)१. खळ-खळ शब्द करते खलको-(न०) १. छोटे बच्चे के पहिनने का हुये पानी का बहना। २. खल-खल शब्द ढीला वस्त्र । २. अंगरखा । ३. फकीर के पहिनने का एक बड़ा और ढीला वस्त्र। खळाक-(न०) बिना कष्ट के खांसी के कफ ४.तौर-तरीका । रहन-सहन । ५. प्राचार- के निकलने का शब्द या भाव ।। विचार । ६. खेल । तमाशा । ७. मजाक। खळाडळा-(न०) १. टुकड़े। खंड । २. दिल्लगी। विनाश । (क्रि०वि०) टुकड़े-टुकड़े । खंडखळखळ-(न०)पानी के बहने का एक शब्द । खड । खळखळो- (वि०) १. तोल माप अादि खलास-(वि०) १. समाप्त । खत्म । २. में बराबर से कुछ अधिक । तोल. माप च्युत । ३. खाली। आदि में पूरा । २. उदार । खलासी-(न०) इंजन में कोयला झोंकने खळखायक-(वि०) दुष्टों का नाश करमे वाला । २. जहाज में काम करने वाला वाला । (ना०) तलवार । मजदूर। खळगट-दे० खळकट । खळाहळ-(न०) खळहळ शब्द । खळी-(ना०) १.खली। सीठी। २ ग्वार खळचरणो-(क्रि०) नाश करना। खळणो--(क्रि०) १. स्खलित होना । विच. मोठ,मूग आदि का खलिहान । खलीची-(ना०) बुकची । खलेची । लित होना । २. बुरा लगना । ३. दुखना। खलीतो-(ना०) १. खरीता। २. खलता । पीड़ा होना । ४. नाश करना । थैला । खलगो-(क्रि०) १. खटकना । सलना । २. खलीफो-(न०) १. एक मुस्लिम अधिकारी । बुरा लगना । अप्रिय लगना । ३. अखरना । २. नाई। हज्जाम । खळतो-(न०) १. एक प्रकार का थैला । २. खळीगणो-(क्रि०) १. उँडेलना । २. खाली खलीता । ३. बड़ा बटुना। करना। खळदळ-(न0) शत्रुदल । खलदल । खलेची-(ना०) रस्सी से बांधी जाने वाली खळभळ-(ना०)१. घबराहट । अशांति । २. कपड़े आदि रखने की एक थैली । बुकची। हलचल । ३. शोर । हल्ला । ४. भगदड़ । खलीची। खळभळणो-(क्रि०) १. खलबली मचाना। खलेती-दे० खलेची । २. भयभीत होना। खळो-(न०) १. खलिहान । २. युद्धक्षेत्र । खळभळाट-दे० खळभळ । खल्लो -(न0) १. जूता। पगरखी। २. खळ मळी-(ना०) खलबली । फटा हुमा जूता। खलल-(ना०) १. अड़चन । विघ्न । बाधा। खवाड़णो-(क्रि०) खिलाना। २. हानि । ३. कमी। खवाणो-(क्रि०) खिलाना । खलल नाँखगो-(मुहा०) अड़चन डालना। खवानी-(न०) 'खान' (खाँ) का बहुवचन । खलल पाड़णो-(मुहा०)नुकसान में डालना। खान लोग । खवातीन । For Private and Personal Use Only Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खवावणी खवावरण - ( क्रि०) खिलाना । खवास - ( न० ) १. नाई । २. सेवक । ३. एक जाति । ( ना० ) १. दासी । २. उप पत्नी । ३. रखेल स्त्री । खवासरण - ( ना० ) खवास की स्त्री । खवासिन । नाइन । २. दासी । ३. रखेल । खवासवाळ - ( ना० ) खवास श्रोर उसकी सन्तान । खवासी - ( ना० ) १. सेवकाई । २. सेवा । चाकरी । ३. हाजरी । खवाँ - खाँच - (वि०) १. दोनों हाथों में ठेठ कंधों तक पहिना हुआ (चूड़ा) । दोनों हाथों में चूड़ा पहनी हुई । ३. सधवा । सुहागिन । ( ना० ) सबवापन | सुहाग | सौभाग्य | खवी-दे० खवीस | खवीस - ( न०) १. दुष्ट तथा भयंकर व्यक्ति । खबीस । २. राक्षस । ३. बिना सिर का प्रेत । खवो - ( न०) १. कंधा । कांधो । २. पार्श्व । बाजू । खस - ( न० ) गाँडर नामक घास की सुगन्धित जड़ | लंबे तंतुओं वाली गौंडर की जड़ । उशीर । खसकरणो - ( क्रि०) १. खिसकना । हटना । सरकना । २. बिना सूचना चले जाना । ३. भाग जाना । चले जाना । खसकारणो - ( क्रि०) हटाना । सरकाना | खिसकाना । ( २७३ ) खसखस - ( न०) पोस्त का दाना । खसखस । खसखानो-(न०) गरमी के मौसम में रईसों के लिये बनाई जाने वाली खस की टट्टियों की कुटिया | खस गृह । गांडर घर । उशीरालय । टाटी घर । 1 खसरण - ( न० ) १ युद्ध । २. शत्रुता । ३. अनबन । झगड़ो Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंखी खसरणो - ( क्रि०) १. खिसकना । सरकना । २. चलना । ३. पीछे हटना । ४. भाग जाना । ५. लड़ना । ६. परिश्रम करना । ७. प्रयत्न करना । खसपोस- ( ना० ) १. खस का परदा । २. खस की टट्टी । टाटी । खसबो - दे० खसबोई । खस बोई - ( ना० ) सुगंध । खुशबू । खसम - ( न० ) पति । खाविंद | धरणी । खसर - ( ना० ) १. छेड़खानी । २. युद्ध | खसंग - ( न० ) पवन । वायु । खसाखस - ( ना० ) १. टंटा- फिसाद । २ लड़ाई-झगड़ा । ३. कहा-सुनी । बोलचाल । ४. युद्ध । लड़ाई । खसाखू द - ( ना० ) १. शत्रुता । २. द्वेष । ३. लड़ाई-झगड़ा । खसियो - (वि०) खसिया । बधिया । खसोलो - ( क्रि०) १. घुसेड़ना । धँसाना । खहरण - ( न० ) १. युद्ध | छेड़छाड़ । खसरग | झगड़ो । खहणो - ( क्रि०) १. मरना । २. युद्ध करना । ३. खिसकना । हटना । ४. चलना । ५. चले जाना । ६. गिरना पड़ना । खंकाळ - ( न०) दुर्भिक्ष । (वि०) खाली । खंख - ( ना० ) बारीक धूल । वस्तुनों के ऊपर उड़कर जमने वाली महीन मिट्टी | (वि० ) १. खाली । २. सार रहित । खोखला । ३. निर्धन | खंखर - (वि०) जिसके पत्त े झड़ गये हों । बिना पत्तों वाला (वृक्ष) । खंखाड़ - ( ना० ) १. ग्रीष्म ऋतु की तेज हवा । २. ग्रीष्म ऋतु की तेज हवा और उसकी आवाज । खंखारो दे० खेंखारो । खंखाळणो - ( क्रि०) १. खंगालना । २. धोना । खंखी - (न०) साधु | खाली । For Private and Personal Use Only Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंखेरणो ( २७४) खंडाळ खंखेरणो-(क्रि०) १. खाली कर देना। खंटो-दे० खंटवाड़ो। २. झटकना । फटकारना । ३. झाड़ना। खंड-(न०) १. भाग । हिस्सा । २. दल । खंखोळणो-(क्रि०) १. किसी वस्तु को पानी समूह । ३. अध्याय । प्रकरण । ४. मकान में हिला कर धोना। २. हिला कर अंदर के ऊपर का भाग । ५. मकान का एक से धोना। भाग। ६. देश । ७. खांड। चीनी। खंखोळी-(ना०) स्नान । सिनान । ८. टुकड़ा। खंखोळो-(न०) १. स्नान । २. शीघ्रता से खंड काव्य-(न०)प्रबंध काव्य का एक प्रकार । __ की जाने वाली स्नान । सिनान। खंडण-(न०) १. काट-छाँट । छेदन । खंखोळो खारणो-(मुहा०) स्नान करना। खंडन । २. किसी की बात या मत को खंग-(न०) १. पशु के अंग प्रत्यंगों के रंग गलत ठहराना । अशुद्ध प्रमाणित करना । या आकृति के द्वारा उसको पहिचानने के खंडन । ३. खांडने या कूटने की क्रिया । चिह्न । २. पशु की आकृति । ३. ऊँट की ४. ध्वंस । नाश। डाढ़ें। ४. तलवार । ५. ढेर। खंडणी-(ना०) १. अधीन राज्य की ओर खंगवाळो-(न०) स्त्रियों के गले में पहनने से प्रभु राज्य को दिया जाने वाला कर । की सोने या चाँदी की हँसली। खिराज । खंडिका । २. खिराज की खंगाळ-(ना०) १. स्नान । २. धोना।। किश्त । ३. मालगुजारी की किश्त । धुलाई । ३. नाश । ३. तीर । ३. ग्रोखली। ५. पृथ्वी। खंगाळणो-(क्रि०) १. खंगालना । हलका खंडणो-(क्रि०) १. खंडित करना । तोड़ना। या कम धोना। धोना। २. नाश करना। २. अलग करना । भिन्न करना। ३. खंच-(ना०) १. तंगी। कमी। २. घाटा। खाँडना । कूटना। ४ मारना। हानि । ३. खींचातानी । ४. शत्रुता। खंडत-(वि०) १. टूटा हुआ । खंडित । ५. मनुहार । ६. आकर्षण । २. अपूर्ण। खंचरणो-(क्रि०) १. खिचना । तनना । खंडन-दे० खंडण । खींचा जाना। खंडबंड-(न०) १. तोड़ा-तोड़ी । तोड़ाखंचा-खंची-(ना०) १. मार्थिक तंगी । २. फोड़ी। २. नाश । (वि०) १. अपूर्ण । खींचा-खींची। ३. झगड़ा-टंटा। २. टूटा हुआ। खंजन-(न०) एक पक्षी। खंडर-(न०) १. खंडहर । २. वीरान । खंजर-(न०) १. एक शस्त्र । २. खंजन उजाड़ । ३. नाश । पक्षी । (वि०) लंगड़ा। खंडरणो-(क्रि०) १. नाश करना । संहार खंजरी-(ना०) डफली। करना । २. काटना। खंजरीट-(न०) खंजन पक्षी । खंजरिच। खंडळ-(न०) १. टुकड़ा । २. भाग । हिस्सा। खंडरिच।. खंडवाळियो-(न०) खान में पत्थर तोड़ने खंटवाड़ो-(वि०) अन्नांश आदि लगने से वाला मजदूर । साफ नहीं किया हुया (रसोई का पात्र)। खंडापीण-(ना०) मछली । जिसमें खंटा लगा हो। (न०) वह अन्नांश खंडावरणो-(त्रि०) १. कुटवाना । खंडवाना । जो भोजन बनाते समय पात्र में लगा रह २. मरवाना । जाता है। खंडाळ-(ना०) १. तलवार । २. तलवारें। For Private and Personal Use Only Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २७५ ) सेंडित खंडित - दे० खंडत | खंडियो - (वि०) १. खिराज देने वाला । वह २. खंडित । जो खंडी भरता है । खंडियो राजा - ( न०) वह राजा जो केन्द्र सरकार को खंडी भरता है । २. केन्द्र सरकार का मातहती राजा । खंडी - ( ना० ) खिराज | खंडिका । खरणी । रेख । खिरणी । खंडीवन - दे० खांडव । खंडtaratas - ( ना० ) अग्नि । खंडेलवाल - ( न० ) २. एक ब्राह्मण जाति । खंडो - ( न० ) १. दीवाल की चुनाई में काम आने वाला पत्थर का चौकोर टुकड़ा । पत्थर की ईंट । २. तलवार । खांडो । खंत - ( ना० ) १. उत्सुकता । २. अभिलाषा । चाह । इच्छा । ३. सावधानी । होशियारी । ४. सावधानी के साथ काम में लगे रहने का गुण । ५. उमंग । खंदक - ( ना० ) १. कोना । २. खड्डा । ३ खाई । खंदा खोळ - ( ना० ) १. ऊधम । २. शोर । १. एक वैश्य जाति | ३. उद्दण्डता । खंदी - दे० खंधी | खंदेड़ी - (ना० ) मिट्टी की खान । खंध - ( न० ) कंधा । नाश । खंधार - ( ना० ) १. सेना । ( न० ) १. खंधारी घोड़ा । २. खंधार देश । ३. खंधार शहर । खंधी - ( ना० ) १. किश्त । प्रदेयऋरण भाग । खंडिका । २. खिराज । खररणी । खंडिका । खंधीवाळो - (वि०) किश्तों के रूप में वसूली की शर्त से रुपया उधार देने वाला । २. किश्तों के रूप में कर्ज चुकाने वाला । ३. किश्तों की उगाही करने वाला । खंधेड़ी - दे० खंदेडी | खंधो - ( न० ) कन्धा । स्कन्ध | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खाखी खंभ - (न०) १. स्तम्भ । खंभा । थंभा । २. कंधा । ३. बाहुदण्ड भाइची - ( ना० ) १. विवाह के अवसर पर गाई जाने वाली एक रागिनी । २. खंभावती । खम्माच रागिनी । खंभावती - ( ना० ) मालकोस की एक रागिनी । खम्माच । खंभूठाण - (To) हाथी को बाँधने का स्थल । खंभो - ( न०) खंभा । थंभा । थांबो । खंस - ( ना० ) १. प्रयत्न । २. मस्ती । ३. युद्ध | सरणो - ( क्रि०) १. प्रयत्न करना । २. मस्ती करना । ३. युद्ध करना । ४. खाँसना । खाइस - दे० ख्वाहिश | ( भ०क्रि० ) १. खाऊंगा । २. खायेगा | खाई - ( ना० ) १. खंदक | २. किले के चारों ओर रक्षार्थ खोदी हुई नहर । खाउकड़ो - दे० खाऊ | खाऊ - (वि०) १. अधिक खाने वाला । २. रिश्वतखोर । खाको - दे० खाखो | खाख - (ToT) १. काँख । २. राख । ३. मिट्टी । ४. धूल । खाक । ५. कुश्ता । किसी धातु की भस्म । ६. नाश । खाख बिलाई - ( ना० ) काँख में उठने वाला व्रण । खाखोळाई । खाखरी - ( ना०) तंबाकू की सूखी पत्तियाँ । खाखरो - ( न० ) १. पलाश वृक्ष । २. चना, मोठ आदि द्विदल की बनी पतली कुरकुरी रोटी । ३. होली का दूसरा दिन । घूरेली । ४. खूब सिकी हुई करारी रोटी । ५. सूखी रोटी । ६. मोयन डाल कर बनाई हुई बेसन या गेहूं के घाटे की कुरकुरी पतली चपाती । खाखलो - ( न० ) गेहूँ या जौ के डंठलों का चुरा । भूसा । खाखी - ( न० ) खाख रमाने वाला साधु | (वि०) खाकी रंग का । खाकी । For Private and Personal Use Only Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खाखो । २७१ ). खाखो-(न०) नकशा या चित्र आदि का खाजा । डौल । ढाँचा । बनावट। खाका । प्राकृति। खाट-(ना०) चारपाई । खटिया । माचो। २. खिन्न प्राकृति। खाटक-(वि०) १. प्राप्त करने वाला । २. खाखोळाई-दे० खाखबिलाई। कमाने वाला। उद्यमी । खाटरिणयो । खाखो-विलखो-(वि०) १. दुखी । २. न्या- ३. जीतने वाला। विजयी । ४. वीर । कुल । उदास । बहादुर । ५. योद्धा। खाग-(ना०) १. तलवार । खड्ग । २. गेंडे खाटणियो-दे० खाटक । का सींग । थोबड़े के बाहर एक तरफ खाटणो-(क्रि०) १. प्राप्त करना । २. निकला हुमा सूअर का लम्बा दाँत । अधिकार करना। ३. कमाना । अजित खागचाळो-(न०) युद्ध । करना । . जीतना । खाग-भळ-(ना.) १. खड्ग-प्रहार रूपी खाटरो-(वि०) नाटा । ठिगना । ठोंगरयो । ज्वाला। २. खड्ग-प्रहार । ३. खड्ग खाटी-(वि०) १. खट्टी । अम्ल । तुर्श । प्रहार की वेदना । २. प्राप्त की हुई। ३. कमाई हुई । खाग-झल-(वि०) खड्गधारी । (ना०) कमाई । आमदनी। खागणो-(क्रि०) १. तलवार चलाना । खाटो-(वि०) खट्टा । तुर्श । (10) १. छाछ । २. मारना । नाश करना । २. कढ़ी। २. तरकारी । तीवन । ३. खाग-त्याग वीर-(न०) युद्धवीर और दान- राबड़ी । राब । ५. हाजमा बढ़ाने वाला वीर । एक चूर्ण । खट-मीठा चूर्ण । खागरणी-(ना०) तलवार । (वि०) नाश खाटो-चू-(वि०) अत्यन्त खट्टा । करने वाली। खाटो तूड़-दे० खाटो-चू । । खागरणो-(क्रि०) मारना। नाश करना। खाटो-बड़छ-दे० खाटो-चू । (वि०) नाश करने वाला। खाड-(ना०) १. खड्डा। गड्डा । गर्त । खागवळ-(ना०) १. तलवार । २. शस्त्रबल। खाडो । २. हानि । नुकसान । खागेल-(वि०) १. खड्गधारी। २. वीर। खाडाबूच-दे० खाडाबूज । (न०) लम्बे दांत वाला सूअर । डाढाळो। खाडाबूज-(वि०) खड्डे में डाल कर मिट्टी खाज-(ना०) खुजली। ___ से बराबर किया हुआ । जमीदोज । खाजटणो-दे० खाजूटणो। खाडाळ-(न०) जैसळमेर प्रान्त का एक खाजरू-(न०) १. बकरे का बलिदान । भू-भाग । (वि०) खड्डे वाला। २. बलिदान के लिये मारा जाने वाला खाडाळी-(ना०) भैस । (संकेत शब्द) । बकरा । ३. बलि के बकरे का मांस । खाडू-(न०) भैसों का बाड़ा। खाजापीर-(न०) अजमेर के ख्वाजा पीर खाड़ेती-(न०) १. बैलगाड़ी को चलाने मयुद्दीन चिश्ती की दरगाह । ____ वाला व्यक्ति । सागड़ी। २. खेत खड़ने खाजासरो-(न०) नवाबों के अंतःपुर का वाला व्यक्ति। हल चलाने वाला । हाळी । नपुंसक मुसलमान नौकर । ख्वाजासरा। खाडो-(न०) खड्डा । गड्ढा । २. घाटा । खाजूटणो-(क्रि०) खाना (तुच्छता के अर्थ . हानि । ३. कमी। में) । खाजटयो। खाण-(ना०) १. खान । खदान । २. खाजो-(न०) मैदे की बनी खस्ता पूरी। उत्पत्ति स्थान । ३. भोजन । खाद्य । ४. For Private and Personal Use Only Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra खाकी www.kobatirth.org ( २७७ ) खानि । योनि । जीवयोनि । खाकी - ( ना० ) १. रिश्वत । लांच । २. भोजन खर्च | खारणखंडो - दे० खावरणखंडो । खारण-पारण- (न०) १. खाना और पीना । २. खाने पीने के शुद्धाशुद्ध का विचार । ३. खाने-पीने का ढंग । ४. अन्न पानी | ५. सामिल बैठ कर खाने पीने का व्यवहार | २. १. खाणो - ( न० ) १. भोजन । खाना । भोजन सामग्री । जीमरण । ( क्रि० ) खाना । भोजन करना। २. सेवन करना । ३. हड़प जाना । ४. सहन करना । ५. डसना | काटना । ५. छींक, उबासी श्रादि शरीर के ऊर्ध्व वेगों का मुह द्वारा उभरना । ७. उड़ा लेना । ८. घूस लेना । खाणो- दाणो - ( न०) १. खाना । भोजन | जीमण । २. खाना-पीना । ३. यात्रा में पड़ाव डाल कर किया जाने वाला विश्राम श्रौर खाना-पीना । खाणो - पीरो - ( न०) खाना-पीना । भोजन । भोजन-सामग्री । जीमण । ( क्रि०) १. खाना-पीना । २. भोजन करना । खात - ( न०) खेत जमीन की उपज बढ़ाने के लिये उसमें डाला जाने वाला सड़ा-गला कचरा । खाद । खातर । खातरण - ( ना० ) खाती की स्त्री । खातिन । वरणाकरण | खातमो - ( न० ) १. खातमा । अंत । २. मृत्यु | मौत । खातर - ( न०) १. खाद । खात । २. फूस । ३. श्रादर-सत्कार | खातिर । ( श्रव्य० ) लिये । वास्ते । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खातो पाड़णो खातिर । २. देखभाल | ध्यान । ३. भरोसा । ४. जिसमें कोई संशय न हो । निश्चय । ५. प्रमाण । सबूत | ( अव्य० ) लिये । वास्ते । खातरीबंध - (वि०) विश्वास करने योग्य | भरोसावाळो । खातरोड़ - ( ना० ) खातियो के मोहल्ले की वह जगह या चौक जहां मोहल्ले के खाती अपना काम करते हैं । २. खातियों का मोहल्ला | खातोड़ । खातापाड़ - ( ना० ) खाता बही से उद्धृत किये हुये ग्रामांतर खातों की वह बही जिसमें उघाही निमित्त सफर की सहूलियत की दृष्टि से अलग अलग दिशाओं, गांवों तथा अलग अलग वस्तुओं के व्यवसाय मद के क्रम से खातों की प्रतिलिपि की गई होती है । लेखापा | खाताबही - ( ना० ) वह बही जिसमें व्यक्तिवार लेन-देन का हिसाब व खाते लगे रहते हैं । खाती - ( न०) बढ़ई | सुथार । वरणाक । खाती चिड़ो - ( न०) एक पक्षी । खातो - ( न० ) १. खाता । मद । विभाग | २. व्यक्ति परक लेन-देन का हिसाब | रोकड़ बही के जमा-खर्च का मद वार हिसाब । ३. खाता बही । ४. विषय । प्रकरण । खातो खलोगो - ( मुहा० ) १. काम काज का नया विभाग शुरू करना । २. बैंक या दुकानदार के यहां नया खाता खोलना । ३. नया व्यवहार करना । ४. ब्याज पर उधार लेना । खातर जमा - ( ना० ) १. तसल्ली । २. खातो चूकतो करणो - ( मुहा० ) १. लेनभरोसा । देन बराबर करना । २. ऋण चुका देना । खातरदारी - ( ना० ) श्रावभगत । श्रादर खातो पाड़रणो- ( मुहा० ) नाम का खाता सत्कार | खातिरदारी । लगाकर लेने-देने की रकमें खाते में लेना । लेने-देने वाले के नाम का खाता लगाना । खातरी - ( ना० ) १. श्रादर । स्वागत | For Private and Personal Use Only Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २७८ ) खातो-पीतो खातो-पीतो- (वि०) १. खाने-पीने से सुखी । २ स्वस्थ । हृष्ट-पुष्ट । खातो सरभर कररणो - ( मुहा० ) १. लेनदेन बराबर करना । जमा उधार बराबर करना । २. हिसाब चुकता करना । खाथाई - ( ना० ) शीघ्रता । त्वरा । उतावळ । खाथो- ( क्रि०वि०) शीघ्र | जल्दी । (वि०) उतावला | तेज । उतावळो । खाद - ( ना० ) १. हानि । नुकसान | टोटो | २. सोने चांदी में मिली हुई विजातीय धातु । ३. खात । खातर । खादन- ( न०) दाँत । खादर - ( ना० ) तरी वाली जमीन । तराई । खादरो- (न०) खड्डा । गड्ढा । खाडो । खादी - ( ना० ) १. हाथ कता और हाथ बुना कपड़ा । खद्दर । २. मोटा सूती कपड़ा । रेजो । खादीधारी - (वि०) खादी पहनने वाला । aratast - (वि०) १. अधिक खाने वाला । २. मिष्ठान्न प्रिय । चटोरा । चटोकड़ो । खाध - ( ना० ) १. हानि । नुकसान । घाटो । | खाद । २. खुराक । ३. दोष । ऐब । नुक्स । ४. कमी । न्यूनता । खान - ( न० ) १. मुसलमान । २. मुसलमान सरदार । ३. पठानों की एक उपाधि । ४. कुएँ में पानी कम हो जाने पर उसमें से मिट्टी निकाल कर और गहरा करना । ५. खान । खदान | खानगी - ( वि०) १. गुप्त । व्यक्तिगत । स्वकीय | घरू । निजी । खानदान - ( न० ) १. कुटुम्ब । परिवार । २. वंश । कुल । ३. उच्च कुल । धराणो । खानदानी - ( ना० ) कुलीनता । २. सज्जनता । (वि०) १. खानदान वाला। कुलीन । प्रतिष्ठित | घरापावाळो । २. कुटुम्ब वाला । ३. ऊँचे कुल का । ४. पैतृक । वंश परम्परागत | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खोपर खान-पान - दे० खारण- पारण । 1 खानसामो- (न०) खानसामाँ । रसोईया | खानाजंगी - ( ना० ) लड़ाई । खानाजाद - (वि०) जन्म से पाला-पोषा हु । (सेवक ) | (To) चाकर । खानाजाद गुलाम - (न० ) १. अपने स्वामी M की हर प्रकार की और हर समय सेवा करने का सौभाग्य समझने वाला सेवक 1 २. वंश परम्परा से सेवकाई में रहने वाला सेवक । ३. जन्म से पाला पोषा हुआ सेवक । ४ पालन-पोषण के ऋण से उऋण होने की भावना से सेवा करने वाला व्यक्ति । खानारण - ( ना० ) १. मुसलमान प्रदेश । २. मुसलमान । ३. मुसलमानों का समूह । ४. यवन - सेना । खानाबदोश - (वि०) घुमंतू । यायावर | खानांखरण - (वि०) १. शत्रुवंश उच्छेदक | २. यवनों का नाश करने वाला । खानेड़ी - ( ना० ) १. मिट्टी की खान । २. छोटी खान । खदेड़ी | खानो - ( न० ) १. खंड । २. खाना । कोष्टक | ३. संदूक, अलमारी आदि में बना विभाग । ४. मेज के नीचे लगा हुआ खाना | दराज । खाप - ( न० ) १. बाहु । २. दर्पण । ३. तलवार । ४. म्यान । कोष | ( वि०) दर्पण जैसा स्वच्छ । साफ-सुथरा । खापगा - ( ना० ) गंगा नदी । खापटी - ( ना० ) १. बाँस की पतली फट्टी । खपची । २. तलवार के लिए ऊन वाचक शब्द । तलवार । For Private and Personal Use Only खापटो - ( न०) पत्थर की पतली और चौरस शिला । खापर - ( न०) १. विरुद्ध धर्मवाला। काफिर । मुसलमान । २. धूर्त । ३. वंचक । ठग । Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खापरियो ( २७६ ) खारचिया खापरियो-(वि०) १. धूर्त । शठ। चालाक । पात्र के ढक्कन की सांध को बंद किया २. ठग । वंचक ३. चोर । ४. अनाज में जाता है। ३. अकर्मण्यता। निठल्लापन । लगने वाला एक कीड़ा। ४. मौन । चुप। . खापां नमावणो- (मुहा०) उद्दण्डों को खामणियो-(न०) खाम करने के गोंद का झुकाना । उद्दण्डों को स रकरने वाला। बरतन । २. चूल्हे के आगड़ की पाली खापाँ न मावणो-(मुहा०) १. उत्साहित में हंडिया रखने के लिये बनाया हुआ होकर अथवा क्रोधित होकर अपने प्रापे में छोटा गोल खड्डा । नहीं रहना । २. अति अभिमान करना। खामणी-दे० खामणियो । खापी-(ना०) १. आवश्यकता। जरूरत । खामणो-(क्रि०) १. गीली मिट्टी आदि से २. मांग । चाह । खपत । किसी पात्र के ढक्कन को चिपका कर बंद खाफरो-(न०) एक प्रसिद्ध चोर का नाम । करना। २. लिफाफे को (उसमें चिट्ठी खाबक-(ना०) १. खार भंजणा आदि डालकर) गोंद से चिपका कर बंद करना। से भरी हुई अंजलि या हथेली । खाबचो। (न०) १. शरीर की ऊँचाई। कद। २. २. अफीम (कंसूबे) से भरी हुई अंजलि । आकार । (वि०) ठिगना । बौना । ३. अंजलि । ४. यश-गायक । ५. भाट ठींगरणो । आदि याचक । याचक वर्ग । ६. भोजन- खामी-(10) १. दोष । भूल । २. कमी। भट्ट । त्रुटि । न्यूनता । कसर । ३. घाटा । खाबचो-(न०) हथेली का एक संपुट । हानि । ४. दोष । कसूर । अपराध । खाबक । खाबचो। __ खामीदार-(वि०) १. कसूरवार । अपखाबड़-(न०) १. जैसलमेर पान्त का एक राधी । दोषी। २. त्रुटित । खंडित । भाग । २, ईडर प्रदेश का एक भाग । ३. भूलक । खाबोलियो-(वि०) बाँये हाथ से भी काम खामेड़ो-दे० खांभीड़ो। करने या लिखने की आदत वाला। खामोश-(वि०) चुप । मौन । खाबेड़ी । सव्यसाची । खामोशी-(ना०) १. चुप्पी। मौन । २. खाबेड़ी-दे० खाबलियो। नीरवता। खाबोचियो-(न०) छोटा खड्डा । २. पानी खायकी-(ना.) १. रिश्वत । घूस। २. __ का छोटा खड्डा । डबरा । खाने का खर्चा । खाबोचो-दे० खाबोचियो । खार-(न०) १. क्रोध । गुस्सा । २. द्वेष । खाम-(न०)१. लिफाफा। २. संधि । जोड़। डाह । ३. दुश्मनी । ४. क्षार । ५. ३. बरतन और उसके ढक्कन की सन्धि सज्जीखार । ६. सुहागा । सुहागाखार । को गीली मिट्टी से बंद करने का काम। खारक-(ना०) छुहारा । खारक । खामखाह-(क्रि०वि०) व्यर्थ । योंही। खारक-चोर-(वि०) १. भगलोभी । भगखामचाई-(ना०) हस्तकौशल । कारीगरी। प्रिय । २. कामी। (न0) कामी पुरुष । ___ चतुराई । निपुणता। खारखंध-(वि०) क्रोधवाला । क्रोधी। खाम वो-(वि०) निपुण । प्रवीण । कुगल । खारच-(वि०) क्षार वाली (भूमि) । खामग-(न०) १. खामने की क्रिया । २. खारचिया-(वि०) साधारण खारे पानी की वह गीला पाटावा मिट्टी जिससे किसी सिंवाई से उत्पन्न होने वाले (गेहूं)। For Private and Personal Use Only Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खारंज (२६०) खालसा होणो खारज-(वि०) १. बिगड़ा हुआ । २. कोर्ट खारीलो-(वि०) १. क्रोधी। २. द्वेषी। • द्वारा बेबुनियाद ठहराया गया (मुकदमा)। ईष्योलु। ३. बहिष्कृत । ४ रद्द किया हुआ। खारो-(वि) १. क्रोधी। २. तेज । ३. खारण-(न०) १. एक प्रकार का खट्टा जोशीला । ४. क्षार वाला। ५. नमकीन । गुड़ । खारी भूमि। ६. अप्रिय । (म०) १. एक क्षार । पापड़ खारभंजणा-(न०)प्रफीम,शराब प्रादि लेने में डालने का खारा । २. लवण । नमक । के बाद मुंह का स्वाद सुधारने के लिए ३. सुहागा। खाया जाने वाला सुपारी, खारक, इला खारो-पाक-(वि०) आक के समान कड़ा यची. मिसरी, पापड़ आदि कोई खाद्य अत्यन्त कड़ मा। २. प्रत्यन्त खारा । पदार्थ । खारोळ-दे० खारवाळ । खारवाळ-(न०) नमक उत्पन्न करने वाली खाल-(न०) १. चमड़ा। २. धातु-पात्र के एक जाति या उस जाति का व्यक्ति । गिरने से उसमें पड़ जाने वाला खड्डा । खारवाळण-(ना०) खारवाळ की स्त्री। मोच । ३. ढलाई। ढाल । ४. ढुलवीं खारवाळी-(ना०) १. खारवाळ की स्त्री। जगह। २. दे० खाराळी । (वि०)१. क्षारवाली। खाळ-(न०) १. पानी का नाला । २. पानी २. क्रोधवाली। क्रोधी। की छोटी नाली । खाळी । मोरी। खारवाळो-(वि०) १. क्षारवाला। २. क्रोध खालडियो-(न०) १. चमड़ा रंगने या वाला । क्रोधी। कमाने वाला। २. चमडे का व्यापार खाराखेरो-(न०) बचे खुचे सामान का करने वाला। चूरा । २. बचाखुचा सामान । खालड़ी-(ना०) चमड़ी-त्वचा । चामड़ी। खारामोठा-(वि०) नमकीन और मीठा। खालड़ा-(न०) चमड़ा। चामड़ो। (10) १. नमकीन और मीठी वस्तु । २. खालणो-(क्रि०) १. धातु के पत्र या चद्दर दुख-सुख । के टुकड़े में खाल डालकर कटोरीनुमा खाराळी-(ना०) सोना चांदी की झालन के बनाना । २. मारना । छोटे छोटे टकडों को उकाले हए सहाग खालमो-(अव्य०) १. मुफ्त में। यों ही । के पानी के साथ रखने का एक छोटा २. बिना कारण । प्रस्तर पात्र । सुहागा सहित टांका रखने खालसा-(न०) राजाओं की उपपत्नियों का का पात्र । क्षार वाली । (वि०) १. क्षार एक प्रकार । २. रखेल । ३. दासी । ४. वाली । २. क्रोध वाली। क्रोधी। सिख सम्प्रदाय । खारास-(न०) १. कुछ कुछ खारापन । २. खालसाई-(वि०) १. खालसे का। २. खारापन। राज्य का । सरकारी। खारिज-दे० खारज। खालसो-(न०) १. राज्य सरकार । २. सर्व खारियो-(न०) १. बाजरी के सूखे डंठल । साधारण । (वि०) १. राज्य का । २. सज्जी का पानी डाल कर बनाया सरकारी । २. राज्य के अधिकार का । जानेवाला आटे का खीच । ३. एक घास । खालसा होणो-(मुहा०) जमीन, गाँव, देश खारी-(वि०) १. क्षारवाली। (ना०) मरु- आदि का जब्त होना। जागीरदार का स्थल का एक प्रदेश । २. राजस्थान की कब्जा हठकर किसी जमीन, गाँव आदि एक नदी । ३. डलिया । मोडी। का सरकारी कब्जे में ले लिया जाना। For Private and Personal Use Only Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खालिक खालिक - ( न० ) सर्जनहारा । सृष्टिकर्ता । खाळिया करणो - ( मुहा० ) अन्याय के विरुद्ध धरना देकर अपने ही हाथ से अपना सिर काट कर बलिदान हो जाना। चांदी करणो । खालियो - ( न० ) घाव । खाळियो - ( न०) पानी की नाली । खालिस - ( वि०) निखालिस । शुद्ध । खाली - (वि०) १. रिक्त | खाली ठाली । २. निठल्ला । बेकार । ३. व्यर्थ । ४. निर्धन । ( क्रि०वि० ) १. मात्र । केवल । २. यही । ऐसे ही । ( २८१ ) खालीखम - (वि०) बिलकुल खाली । खाळीदो - (वि०) निद्रावश । खाली पीली - ( अव्य० ) व्यर्थ । खाळी - ( ना० ) पानी की नाली । मोरी । नाळी । बिना कारण । खाळ - ( न० ) १. खेल का साथी । खेल में अपने अपने पक्ष का सहयोगी । २. कबड्डी का साथी खिलाड़ी | खेळ । खाळो - ( न०) गंदे पानी का नाला । २. नाला । नाळो । खाव खंडो - दे० खावणसूरो । 'खवणसूरो- (वि०) बहुत खाने वाला । खाने में शूरवीर । खाऊ । खावरिणयो- (वि०) १. खाने वाला । २. उपभोग करने वाला । ३. सहन करने वाला । araणो - ( क्रि०) १. खाना । भोजन करना । २. सहनकरना । उदा० मार खावरणो । ३. सेवन करना । उदा० हवा खावणो । ४. छींक, दम, उबासी आदि खाना । ५. हजम करना | हड़प करना । खावरण- पीवरण- दे० खाणो पीणो । खावतो - पीवतो- दे० खातो- पीतो । खावंद - ( न०) १. पति । खाविंद । २. मालिक | धणी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खासो भंडो खावाळ - ( वि०) खाने वाला | खावाळी - ( ना० ) खाने की इच्छा । खाविंद - दे० खावंद | खास - ( वि० ) १. स्वयं । मुख्य । विशेष | ३. निजका । अपना । आत्मीय । ( न० ) खाँसी । कफ । खास करने - ( अव्य०) खासकर । विशेषतः । प्रधानतः । खासखेळी - (अव्य०) १. खास आदमियों की मंडली । अपनी मंडली । २. श्रानंदगोष्ठी । खासड़ो - ( न०) १. जूता । २. फटा-पुराना जूता । खास ड्योढी - ( ना० ) १. रानियों के रहने का स्थान । २. राजमहल का खास द्वार । खास नवीस - ( न०) १. नवींसंदों का ऊपरी । २. गुप्त बातों का लिखने वाला । ३. राजा का निजी लेखक । खासियत - ( ना० ) १. विशेशता । २. गुरण । खासी - ( ना० ) रानी से संबंधित, यथाखासी डावड़ी । (वि०) १. बहुत । अधिक । खूब । २. बढ़िया । ३. बराबर । खासी डावड़ी - ( ना० ) रानी की मानीती और विश्वासपात्र दासी । खासीताळ - ( अव्य०) १. बहुत देर । प्रति For Private and Personal Use Only • विलम्ब । २. बहुत समय । खासो- (वि०) १. राजा से संबंधित वस्तुओं का विशेषरण । राजा का, यथा- खासोथाळ खासो घोड़ो, खासो हाथी, खासो भंडो, खासो नौकर इत्यादि । २. अधिक । ३. बहुत सा । ४. खूब । भला । बराबर । ५. बढ़िया । खासी घोड़ो - ( न०) राजा की सवारी का घोड़ा । खासो भंडो- ( न०) युद्ध अथवा सवारी के समय साथ रहने वाला राजा का निजी झंडा । Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खासो थाळ । २८२) खांडणो. खासो थाळ-(न०) राजा के लिए परोसा ४. रेखा बनाना। __ जाने वाला थाल । राजा का भोजन । खाँच-रो-चूड़ो-(न०)खाँच में पहिना जाने खासो नौकर-(न०) राजा के हरदम पास वाला हाथी दाँत की गावदुम चूड़ियों का रहने वाला नौकर । २. राजा का निजी सैट । विश्वसनीय नौकर । खाँचा-तारण-(ना.) १. किसी वस्तु को खाहड़ो-दे० खासड़ो। प्राप्त करने के लिये एक दूसरे के विरुद्ध खाहिस-दे० ख्वाहिश । किया जाने वाला प्रयास । खींचाखींची। खाँ-(न०) १. मुसलमान। २. खान । पठान ।। २. छीना-झपटी। ३. मनुहार । ४. किसी (अव्य०) मुसलमानों के नामों के अंत में शब्द अथवा वाक्य का जबरदस्ती से लगने वाला एक शब्द । किया जाने वाला भिन्न अर्थ का प्रयास । खाँख-(ना०) काँख । बगल । ___ काल्पनिक अभिप्राय निकालने का प्रयास । खाँखळ-(ना०) अाकाश में छाई हुई गर्द। खाँचा ताणी-दे० खाँचाताण । खाँखळणो-(क्रि०) आकाश में धूल छा जाना। खाँचायत-(वि०) १. खींचने वाला । खाँखळियो-(वि०) धूल से आच्छादित । २. तंगी वाला । कमी वाला। ३. खींचा रजाच्छादित । जाने वाला। खाँगड़ो-(न०) राठौड़ राजपूत । (वि०) खाँचो-(न०) १. मोड़ । २. कटाव । ३. १. बांका वीर । २. उद्दण्ड । ३. टेढ़ा। सँकरा रास्ता । ४. नुक्कड़ । ५. निकलता खाँगली-(वि०) टेढ़े सींगों वाली । (गाय) हुआ कोना । प्रागे निकला हुआ भाग । खाँगी-(वि०) १. टेढ़ी। बाँकी। २. टेढ़े खाँट-(न०) भील-मैरणा आदि लूट-खसोट व सींगों वाली । ३. वीरांगना । शिकार करने वाली जातियों का समूह । खाँगीबंध-(न०) १. राठौड़ राजपूत । २. (वि०) १. लातें मारती दूध देने वाली । राठौड़ राजपूतों का एक विरुद। (गाय) २. दूध नहीं देने वाली । (गाय) खाँगो-(वि०) १. टेढ़ा। बाँका । वक्र।। ३. धूर्त । काँइया । २. वीर । बहादुर । खाँट गाय-(ना०) आसानी से दूध नहीं खाँगो-बाँको-(वि०) टेढ़ा-मेढ़ा। दुहाने वाली गाय । खाँच-(ना०) १. स्त्रियों के बाहु-मूल से खाँट जात-दे० खाँट । (न०) । कोहनी तक का भाग जिसमें गावदुम खाँड-(ना०) १. शक्कर । २. चीनी । हाथीदांत की चूड़ियों का सैट पहना जाता खाँडरिणयो-(न०) मूसल । सांबीलो। (वि०) है। दे० खाँच-रो-चूड़ो । २. तंगी। १. खाँडने वाला । मूसल से कूटने वाला। संकीर्णता । ३.घाटा । हानि । ४. कोना। २. नाश करने वाला। ५. मोड़ । खाँचा । ६. मनुहार । आग्रह। खाँडणी-(ना०) १. अोखली । ऊखळ । खाँचखूच-(ना०) १. छोटी-मोटी त्रुटि । २. छोटा मूसल । कोर-कसर । न्यूनता। २. बारीकी। खाँडगो-(क्रि०) १. धान्य या किसी वस्तु गहराई। को अोखली में मूसल से या इमामदस्ते खाँचरणो-(क्रि०) १. खींचना। घसीटना। से कूटना। २. मारना ३. नाश करना । २. म्यान में से शस्त्र बाहर निकालना। ४. भाले से मारनां । ४. सवारी ऊंट का ३. भभके से मर्क शराब मादि बनाना। कूदते हुए चलना । (न०) मूसल । (वि०) For Private and Personal Use Only Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खाँड बारस ( २८३ ) खाँभियो १. खाँडने वाला । मूसल से कूटने वाला। एक विशेषण । २. कूदते हुये चलने या दौड़ने वाला खाँदेड़ी-दे० खानेड़ी। (सवारी ऊंट)। ३. मारने वाला । नाश खाँध-(ना०) १. कंधा। २. पशु की गरदन। करने वाला। ३. अरथी को कंधे पर उठाने का भाव । खाँड बारस-दे० खाँडबारो । खाँधियो-(न०) शव की रथी को कंधे पर खाँडबारो-(न०) बारहवें दिन किया जाने उठा कर श्मशान ले जाने वाला। अरथी वाला मृत्यु-भोज । प्रौसर । नुकतो। ढोने वाला । कंधा देने वाला। मौसर । खाँधो-(न०) १. कंधा। २. बैल की गरदन । खाँडरणो-(क्रि०) १. नाश करना । खाँधोळो-(न०) १. कंधा । २. जुए की लंबी २. मारना । ३. टुकड़े करना । लकड़ी के बूगों (सिरों) के पास ऊपर खाँडव-(न०)१.एक वन का नाम (पुराण)। की ओर उठा हुग्रा भाग। खाँडाधर-(वि०) शस्त्रधारी।। खाँप-(ना०) १. कुल-शाखा । २. वंश । खाँडाळी-(वि०) टूटे हुए सींगों वाली। ३. गोत्र । ४. जाति । ५. फल की लंबी (गाय, भैस आदि) चीरी । ६. छील कर बनाया हुआ बाँस खाँडियो-(वि०) १. खंडित सींगों वाला। का चिपटा टुकड़ा । खपची । चीप । (ढोर) २. विकलांग । खांडा। खाँपण-(न०) कफन । खाँडाळो-(वि०) खड्गधारी। खाँपो-(न०) १. टूटी हुई डाल के तने से खाँडी-(वि०) खंडित । (ना०) १. एक लगा रहने वाला ठूठ । गुत्थ । २. तौल । २. एक माप । ज्वार बाजरी आदि के डंठलों का वह खाँडेराव-(वि०) १. तलवार चलाने में नीचे का भाग जो फसल काटने पर भी प्रवीण । २. खड्गधारी। जमीन में लगा रहता है। घोचो। (वि०) खाँडेल-(वि०) खड्गधारी । १.झगड़ालू । लड़ाकू । २.उजड्ड । गँवार । खाँडो-(न०) १. तलवार । २. दुधारी खाँपो-खरड़ो-दे० खाँपो-खीलो। तलवार । (वि०) १. खंडित । खाँडा। खाँपो-खीलो-(विः, खांपा और जीत के टूटा हुअा । २. अपूर्ण । समान चुभने वाला । दुखदायी। दुष्ट । खाँडो-खोचरो-(वि०) टूटा-फूटा। २. कलहप्रिय । झगड़ालू । खोलोखाँपो । खाँत-(ना०) १. तीव्र इच्छा । २. लगन। खाँभ-(ना०) १. पर्वत का मोड़ । २. दो ३. चतुरता। ४. रुचि । ५. विवेक बुद्धि। पर्वतों के मध्य का भाग ३. पहाड़ी ६. उत्कंठा । ७. सावधानी। होशियारी। ढलाव । ४. पहाड़ का भीतर घुसा हुआ ८. सावधानी से काम करने का गुण। काग । ५. तलहटी । ६. कुए में से पानी ६. देख रेख । निगहबानी। १०. शौक ।। निकाले जाने वाले चरस की लाव (रस्से) ११. उमंग । की कीली। खाँतीलो-(वि०) १. तीव्र उत्साह व इच्छा खांभरणो-(क्रि०) १. ठहराना। २. रोकना। वाला। २. जानने वाला ३. जिज्ञासु । ३. खड़ा करना। ४. मारना। ४. रसिक । ५. बहुज्ञ । ६. चतुर। खाँभियो-(न०)१. दे० खाँभीड़ो । खामेड़ो। ७. खाँत से काम करने वाला। (अव्य०) २. नट । (वि०) शव की रथी को कंधे विवाह संबंधी लोकगीतों के नायक का पर उठाने वाला । खाँधियो । For Private and Personal Use Only Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खाँभी खाँभी - दे० खाँभीड़ो । २. स्मृति स्तम्भ | स्मारक । खाँभीड़ो- (वि०) कुए में से चड़स निकालने के लिये बैलों को हाँकने वाला व्यक्ति । पुरा । २. बैलों के द्वारा कुए में से पानी निकालने की लाव की कीली निकालने वाला व्यक्ति । खाँभी । कोलियो । खामेड़ी | ( २८४ ) खिचड़ी - दे० खीचड़ी | खिचता - ( ना० ) क्षमा । खिजरगो-दे० खीजरगो । खाँवचाई - दे० खामचाई | खाँसड़ो ( न० ) १. जूता । २. फटा-पुराना जूता । खाहड़ो । खाँसो- ( क्रि०) खाँसना । खाँसी - ( ना० ) १. गले में अटके हुए कफ को बाहर निकालने की क्रिया । २. कास रोग । खाँसी । धाँसी । खिजमत - ( ना० ) १. हजामत । क्षौर । २. सेवा । चाकरी । खिदमत | खिजा - ( ना० ) पतझड़ । खिजां । पानखर । २. पतन । अवनति । खिजाणो - दे० खिजावणो । खिजावरणो - ( क्रि०) १. क्रोधित करना । २. चिढ़ाना । खिजाना । तंग करना । खिजी - ( न० ) ऊंट | खिजूर - (ना० ) खजूर । खिड़क - (ना०) १. कंटक तृणों से बने हुये फलसे का श्रर्गल-डंडा । २. खिड़की । द्वार । ३. व्यवस्थित ढेर । ४. ढेर । राशि । ५. वस्तु के अंग या सीमा से बाहर निकला हुआ किनारा । बाहर की र का हुआ भाग । ( वि० ) अलंकृत | खिड़करणो - ( क्रि०) १. चिनना । २. तरकीब से रखना । ३. ढेर लगाना । खिड़कियापाघ - ( ना० ) मध्यकालीन राजाश्रों के गीजामा पहनते समय धारण की Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खितरू जाने वाली पगड़ी जिसका आगे का भाग खिड़क की तरह उठा रहता था जिसमें तुर्रा, सेली, कलगी और सिरपेच श्रादि लगे रहते थे। खिड़कदार पघड़ी । २. इसी प्रकार की दूल्हे की पघड़ी । खिड़की - ( ना० ) १. किंवाड़ । २. झरोखा | ३. द्वार । दरवाजा । ४. घर । ५. वंश | खिर - (To) एक पल । समय का चौथा भाग | क्षण । ( ना० ) हठ करने की आदत । खिरक - ( ना० ) १. बिजली । २. क्षण । (अव्य०) क्षण भर में । क्षण में 1 खिरणका - ( ना० ) १. बिजली । २. झूठी रुलाई । खिर रगो- ( क्रि०) १. नाश करना | मारना । २. खुजाना । ३. खोदना । खिगदा - ( ना० ) रात । खिणवाणो - ( क्रि०) १. खुदवाना । २. हटवाना । ३. तुड़वाना । खितरि - ( अव्य०) क्षण भर के बाद | थोड़ी देर के बाद । क्षरणान्तर । खिराणो - दे० खिणावरणो । खिरावणो - ( क्रि०) १ खुदवाना । २. हटवाना । ३. तुड़वाना | खिक - ( क्रि०वि०) क्षणेक । क्षण भर | थोड़ी देर । खित - ( ना० ) १. पृथ्वी । क्षिति । २. क्षेत्र । ३. धन । खितज - ( न० ) १. क्षितिज । २. वृक्ष । खितजा - ( ना० ) क्षितिजा । सीता । खितधर - ( न० ) पर्वत । क्षितिघर । खितप - ( न० ) राजा । खितपाळ - ( न० ) १. क्षेत्रपाल । २. राजा । खितपुड़ - ( न० ) पृथ्वीतल । खितबो - ( न० ) १ पद । श्रोहदा । रुतबा | २ प्रतिष्ठा । ३. प्रशंसा । खितरू - ( न० ) क्षितिरुह । वृक्ष । For Private and Personal Use Only Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खिताब ( २८५ ) खिल्ली खिताब-(न०) उपाधि । पदवी। खिलको-(न०) १. अनुचित हंसी-मजाक । खिति-दे० खित । २.तमाशा । हँसी । खेल । ३.तमाशबीनों खितिज-(न०) वह दृश्य जहाँ धरती और की भीड़। ४. वातावरण। ५. अव्यवस्था। प्राकाश मिले हुये दिखाई देते हैं। क्षितिज। खिलगो-(क्रि०) १. विकसित होना । २. वृक्ष । खिलना। फूलना। २. फबना। शोभा खिदमत-(ना०) सेवा । चाकरी । टहल । देना। खिदमतगार-(न0) सेवक । नौकर। खिलदार-(वि०) १. खिलाड़ी । २. ख्याल खिनाणो-(क्रि०) १. भेजना। २. भिज- रखने वाला। ३. ख्याल-अभिनय करने वाना। ३. उठवाना । ४. उचवाना । वाला। खिनावणो-दे० खिनायो। खिलबत-(ना०) १. आमोद-प्रमोद । हँसीखिपा-(ना०) रात । क्षिपा। खुशी। २. आमोद-प्रमोद की गोष्ठी। खिमण-दे० खिवरण। ३. एकान्त स्थान । खिलवत । ४. खेलखिमणो-दे० खमणो। तमाशा। खिमता-दे० खमता। खिलवाड़-(ना०) १. खेल । तमाशा । खिमा-दे० खमा। कौतुक । २. जिसको करने में कोई तकखिमावत-(वि०) १. क्षमावंत । दयालु । लीफ का अनुभव न हो, ऐसा साधारण २. क्षमा करने वाला । ३. शाँत प्रकृति । काम । ४. गंभीर । धीर । खिलहरी-दे० खिलोरी। खिमिया-(ना०) १. क्षमा । २. देवी। खिलाड़-दे० खेलाड़ । शक्ति । ३. पृथ्वी। खिलाड़ी-दे० खेलाड़ी। खिमियावान-(वि०) १. क्षमा करने वाला। खिलारणो-(क्रि०) १ खिलाना । भोजन क्षमावान। २. शांत प्रकृति । गंभीर। कराना । २. खेलने देना। ३. विकसित धीर । ४. दयालु । करना। खिमियावाळो-दे० खिमियावान । खिलाफ-(वि०) विरुद्ध । प्रतिकूल । खिरणियो-(न०) वाड़ करने के काम में खिलाफत-(ना०) विरुद्धता । प्रतिकूलता। ली जाने वाली शमी प्रादि कँटीले वृक्षों खिलियार-(वि०) १. खिलाड़ी । २. रण की काटी हुई शाखा । खरणियो। रसिक । युद्ध कुशल । युद्ध का खिलाड़ी। खिरणी-(ना.) एक वृक्ष और उसका फल। खिलोणो-(न०) खिलौना । रमकड़ो । रायण | खिरनी। दे० खरणी । रामतियो। खिरणो-(क्रि०) वृक्ष से पत्ते, फूल आदि खिलोरी-(न०) १. जंगली मनुष्य । २. का नीचे गिरना । २. गिरना । झड़ना। असभ्य व्यक्ति । ३. भेड़-बकरी चराने खिराज-(ना०) १. राजस्व । खंडी। वाला व्यक्ति । गड़रिया । रबारी। खिल-(ना०) १. खेत में पहली खेड़न । खिल्लत-(ना०) वे वस्त्रादि जो बादशाह २. विकसित होती हुई खेती । बाल कृषि। की ओर से किसी राजा प्रादि को उसके ३. निना जुती भूमि । सम्मानार्थ उपहार में दिये जाते हैं। खिलअत-दे० खिल्लत। खिलअत । खिलकत-(ना०) सृष्टि । संसार । खिल्ली-(ना०) हंसी । मजाक । दिल्लगी। For Private and Personal Use Only Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खिल्लो - खिल्ल खिल्लो - खिल्ल - ( न० ) १. एक का दूसरे में समा जाने से उत्पन्न एक रूपता । समान रूप । एक रूप । २. प्रभिन्नता । ३. गाढ़ मिलन | ( २५६ ) खिवरण - ( ना० ) बिजली । चपला । विद्यत । खिवणो - ( क्रि०) १. बिजली का चमकना । २. आक्रमण करना । ३. झपटना । ४. क्रोध करना । खिसकरणो - दे० खसकरणो । खिसकारण - दे० खसकारणो । खिसकावरगो-दे० खसकारणो । खिसरण - दे० खसरण । खिसरणो - दे० खसणो । खिसारणो- (वि०) १. लज्जित । शर्मिन्दा । ( क्रि०) १. लज्जित करना । २. खिसकना । पीछे हटना । ( क्रि०भू० ) लज्जित हुआ । खिहाणो - दे० खिसारणो । खिंचरणो १. तनना । २. प्राकर्षित होना । ३. घसीटा जाना । ४. अंकित होना । ५. अंकित करना । खिंचाई - ( ना० ) १. खींचने की क्रिया या भाव । खींचने की मजदूरी । खिंचाव - ( न० ) १. तनाव । २. मतभेद | ३. शत्रुता । ४. खींचने का काम या भाव। खिडगो - ( क्रि०) १. चलना ! जाना । २. मरना । ३. तहस-नहस होना । ४. छितराना । बिखरना । तितर-बितर होना । ५. ले जाना । ६. उठाना । ७. बिखेरना । fast - (०) १. बिखराना । छितराना । तितर-बितर करना । २ तहस-नहस करना । ३. उठवाना । ४. ले जाना । विदारणो - दे० खिंडारणो । विरण - ( ना० ) बिजली । विवरणो - ( क्रि०) १. बिजली का चमकना । २. क्रोध करना । खीच - ( न० ) छड़े हुये बाजरी या गेहूँ को दाल के साथ पका कर बनाया हुआ खिचड़ी जैसा एक खाद्यान । २. बाजरी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खीजाळ की खिचड़ी | खीच खबोड़ - (वि०) १. खूब खीच खाने वाला । २. अधिक खाने वाला । खीचड़ - खोटो - ( न०) १. प्रोखली में मूसल से खीच कूटने वाला । २. मूसल । साँबीलो । खीचड़ वार - ( न० ) माघ मास की संक्रान्ति, जिस दिन सूर्य पूजा के निमित्त सात धान्यों का खीच और गुड़राब बनाई जाती है । मकरसंक्रान्ति । संकसंयत । खीच खाने का दिन । खीच, परब । खीचवार । खिचड़वार । खीचड़ी - ( ना० ) दाल और चावल सामिल पका कर बनाया जाने वाला एक खाद्यान्न । खिचड़ी | खीचड़ी - लाग- ( न०) जागीरदार का एक कर । खीचड़ो- दे० खीच | खीच परब - दे० खीचड़वार । खीचवार - दे० खीचड़वार । खीचियो - ( न०) गेहूँ, ज्वार आदि के श्राटे को सज्जी के पानी में पका कर बना हुआ एक प्रकार का पापड़ । खीची - ( ना० ) १. चौहान राजपूतों की एक शाखा । ( न०) २. खीची राजपूत । खीचीवाड़ो - (न०) खीची राजपूतों की जागीरी का प्रदेश । खीज - ( ना० ) १. क्रोध । गुस्सा । रीस । २. चिढ़ | भुंझलाहट । ३. शीतकाल में ऊंट को आने वाली मस्ती । ऊंट की गर्जन | खीजगो - ( क्रि०) १. क्रोध करना । रीसरणो । For Private and Personal Use Only रीस करणो । २. खीजना | भुलाना । चिड़रणो । ३. पश्चाताप करना । ४. ऊँट का मस्ती में श्राना । खीजाणो - ( क्रि०) १. क्रोधित होना । २. क्रोधित करना । चिड़ारणो । खीजाळ - (वि०) क्रोध करने वाला । खीजने वाला । ( न० ) ऊँट | Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २८७ ) खोजावणी खींचाताण खीजावणो-दे० खीजाणो।। लकड़ी में बनाये हुये खई में इस प्रकार खीजियोड़ो-(वि०) १. क्रोधित । २. चिढ़ा अटकी रहती है कि जिससे ऊपर वाला हुआ। ३. शीतकाल में मस्ती में पाया पाट आसानी से घुमाया जा सके। खील हुआ (ऊंट)। और मांकड़ी। खीटरपो-दे० खींटणो। खीली-(ना०) १. कील । मेख । चूंक । खीण-(वि०) १. क्षीण । दुबंल । २. सूक्ष्म। २. खूटी। मंद । ३. कृश । पतला। ४. जो क्षीण खीली करणो-(मुहा०) १. दुख देना। हो गया हो । जो घट गया हो। २. चिढ़ाना । खीणता-(ना०) क्षीणता । दुर्बलता । खोली खटको-(न०) भय । डर । दुबळाई। खीलो-(न०) १. बड़ी कील । मेख । २. खीनखाप-(न०) एक प्रकार का बढ़िया लंबा और पतला आदमी। __ कपड़ा। खीलो-खाँपो-दे० खाँपो-खीलो। खीप-दे० खींप। खीलोरी-(वि०) १. जंगली । २. उजड्ड । खीमर-दे० खींवर । (न०) गड़रिया । खीर-(ना०) १. दूध । क्षीर । २. दूध में खीवर-(न०) सुभट । वीर । चावल डालकर बनाया जाने वाला एक खीस-दे० खीसी । भोज्य पदार्थ । क्षीर । तस्मई । हविष्य । खीसी-(ना०) शमीवृक्ष की मंजरी । खेजड़ी खीरकंठ-(न०) बालक । क्षीरकंठ । बोबो- की मंजरी। मींजर। धावरिणयो । थण-चूघरिणयो। खीसो-(न०) जेब । खूजियो । गूजियो । खीरज-(न०) दही। खींखरो-(वि०) १. अति वृद्ध । डण । खीर सागर-(न०)१. क्षीर सागर । २.खीर डोकरड़ो। १. जीर्ण । बोदो । (न०) आदि द्रव पदार्थ परोसने का एक पात्र । १. जंगल । वन । २. घास । चारो। खीरो-(न०) जलता हुआ कोयला । अंगारा। खींच-(ना०) १. खिंचाव । तनाव । २. खील-(न०) २. मुहासा। २. चक्की के प्राकर्षण । ३. अाग्रह । ४. कमी। तंगी। नीचे के पाट में बीच में लगी कील । खींचरणो-(क्रि०) १. खींचना । घसीटना । ३. मेख । कील । ४. एक प्रकार का व्रण २. म्यान से तलवार को बाहर निकालना। जिसमें से चावल जैसी कील निकलती ३. भभके से शराब आदि बनाना । ४. है। ५. व्रण की कील । ६. भुना हुआ लकीर काढ़ना। रेखा बनाना। प्रोळीअन्न। काढरपो। खीलणो-(क्रि०) १. खिलना। फूलना। खींचा-खींच-(ना०) १. खींचातानी। २. २. मंत्र के प्रभाव से प्रेतादि के आवेश को आग्रह । ३. तंगी । कमी। रोकना । कीलना। ३. किसी वस्त्र के दो खींचा-खींची-दे० खींचा-खींच । लम्बे टुकड़ों को इस प्रकार सीना कि खींचाताण-ना०) १. किसी वस्तु को दोनों के किनारे मुड़े नहीं । डॅडियाना। प्राप्त करने के लिये दो में से एक दूसरे खील-माँकड़ी-(ना०) चक्की के ऊपर वाले के विरुद्ध किया जाने वाला उद्योग । पाटे के बीच की लकड़ी और नीचे वाले खींचा-खींची। २. शब्द तथा वाक्य का पाट की खूटी जो ऊपर वाले पाट की क्लिष्ट कल्पना के सहारे या जबरदस्ती For Private and Personal Use Only Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खींचा-ताणी ( २८८ ) भिन्न अर्थ करना। ३. प्राग्रह । ४. दुरा- खुड्डो।। ग्रह। खुड़कणो-(क्रि०) बजना । शब्द करना । खींचा-ताणी-दे० खींचाताण ।। खुड़का होना। खींचीजणो- (क्रि०) १. खींचा जाना । खुड़को-(न०) आवाज । शब्द । २. घसीटा जाना। खुड़खोज-दे० खुरखोज । खींजो-(न०) जेब । खुड़ताल-दे० खड़ताल । खींटणो-(क्रि०) १. तोड़ना। २. क्रोध खुड़ताळ-दे० खड़ताल । करना। खुड़द-(न०)१. संहार । नाश । २. टुकड़ा। खींडणो (क्रि०) बिखेरना। फैलाना । दे० ३. छोटा । खुर्द । खिड़ो। खुड़द साणोर-(न०) एक डिंगल छंद । खींच-(न०) लम्बी और पतली सींको तथा । खुड़दा-खुड़दा-(अव्य०) १. टुकड़े-टुकड़े । बिना पत्तों वाला एक क्षुप । २. जुड़े हुये भागों का अलग होना। खींपड़ो-दे० खींप। खुडदियो-(वि०) परचुनिया । खींपोली-(ना०) खींप की फली । खुड़दो-(न०) १. चूरा । टुकड़ा । २. खुर्दा । खींवर-(वि०) शूरवीर । बहादुर। ___ रेजगारी । खुदरा। खींवळ-(न०) एक प्राभूषण। खुड़दो करणो-(मुहा०) १. धन उड़ा कर खुक-(ना०) १. पानी पीने की अधिक खतम करना। २. तोडना। ३. नाश इच्छा । अधिक प्यास । २. गरमी या करना । या बुखार के कारण गले में उत्पन्न होने खुड़पगी-दे० खुरड़पगी । वाली खुश्की और प्यास । ३. खुश्की ।। खुड़पगो-दे० खुरड़पगो। खुख-दे० खुक। खुडारणो-(क्रि०) लंगड़ाना। खुजळी-(ना०) खुजली । खाज । खुडावरणो-दे० खुडाणो। खुजाळ - (ना०) १. खुजली । २. कामेच्छा। खुडी-(ना०) १. छोटा घर। २. थेपड़ियों ३. किसी अनुचित काम की प्रवृत्ति । (उपलों) को खड़ा करके सोने चाँदी को खजाळणो-(क्रि०) खुजलाना। खिरणरणो। गलाने के लिये बनाया जाने वाला एक ' खुटगो-(क्रि०) १. कम होना । घट जाना। विवराकार । २. समाप्त होना। ३. पूरा नहीं होना। खुडीबिगाड़-(वि०) १. सभा में विघ्न उत्पन्न कम पड़ जाना। करने वाला। सभा बिगाड़। २. घर खुटहड़-(वि०)१. जबरदस्त । २.नालायक। पालक । घर बिगाड़।। खुटाड़णो-(त्रि०) १. कम करवा देना। खुडी-(ना०) छोटी छोटी कोटरियों वाला घटवा देना। खुटवा देना। २. समाप्त घर । छोटा घर । खुडिया। करवाना । ३. समाप्त करना। ४. कम खुड्डो-(न०) १. पक्की मिट्टी का टीबा । करना। २. ऐसे टोबे को खोद कर बनाया हुआ खुटारणो-दे० खुटाड़णो। घर या गुफा । ३. अर्ध पथरीली भूमि में खटावरणो-दे० खुटाड़णो। बनी हुई गुफा। खोह । ४. कबूतर और खुड-(ना०) अर्घ पथरीली (और ऊँची- मुर्गा-मुर्गी को रखने का घर । खाना। नीची) भूमि में बनी हुई गुफा। खोह । दड़बा । For Private and Personal Use Only Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २८६) पुणरिणयो खुरणखुणियो-(न०) १. खनखन प्रावाज खुद्या-दे० खुधा । करने वाला खिलौना । रमको। खुधा-(ना०) क्षुधा। भूख । खुणचो-(न०) नाज आदि सूखा पदार्थ लेने खुधाळ-दे० खुधावंत । के लिये बनाई जाने वाली हाथ की खुधावंत-(वि०) भूखा । क्षुधावंत । अंजलि । खबचो। खुधिया-(ना०) क्षुधा । भूख । खुणस-ना०) १. शत्रुता। २. द्वेष । ३. खुध्या-दे० खुधिया। क्रोध । ४. शक । अंदेशा। ५. प्रादत। खुपरी-(ना०) १. खोपड़ी। २. किसी कड़ी ६. खराब आदत । गोलाकार वस्तु का ऊपरी आवरण । खुणसो-दे० खुणचो। ३. गूदा निकाले हुये मतीरे के ऊपर का खुद-(सर्व०) स्वयं । प्राप।। मोटा छिलका अथवा उमका प्राधा भाग। खुदकाश्त-(ना.) १. अपनी ही जमीन में खुफिया-(वि०) गुप्त । छिपा हुआ। की जाने वाली काश्त । २. खुद की ही खुभगो-(क्रि०) चुभना । धंसना । गड़ना । भूमि को जोतने वाला काश्तकार । चुभणो । खुदकुशी-(ना.) आत्महत्या । आपघात । खुभागो-(क्रि०) चुभाना । घंसाना । चुभाखुदगरज-(वि०) स्वार्थी । मतलबी। खुद- वो। गरज। खुभावणो-दे० खुभाणो। खुदगरजी-(नाo) स्वार्थ परता। (वि०) खुमरी-(ना.) एक चिड़िया । खुदगरज । स्वार्थी। खुमारणरासो-(न०)दलपतविजय द्वारा रचा खुदणो-(क्रि०) खोदा जाना। हुआ मेवाड़ के इतिहास का एक डिंगल खुद बखुद-(वि०) १. अपने पाप । २. प्राप। काव्य ग्रंथ। खुमारणी-(ना०) एक मेवा। खुरबाणी । खुद मुख्तार-(वि०) स्वतंत्र । खुमारणो-(वि०) नशा किया हुआ। नशीला। खुद मुख्तारी-(ना०) स्वतंत्रता।। खुमारियो । (न०) मेवाड़ के अधिपति खुदवाई-(ना०) १. खोदने का काम । रावळ खुमान के वंशज । २. खोदने की मजदूरी। खुमार-दे० खुमारी। खुदवाणो-(क्रि०) खुदवाना । खोदने का खुमारियो-(वि०) नशा किया हुआ । काम करवाना। नशीला। खुदा-(10) ईश्वर । खुमारी-१. नशा । २. नशे का उतार । खुदाणो-दे० खुदावणो। ३. अधूरी नींद । ४. भोजन के बाद की खुदालम-दे० खूदालम। सुस्ती। खुदावणो-(क्रि०) खुदवाना । खुर-(न०) १. सींग वाले चौपायों के पैर खुदावंद-(न०) १. खुदा । परमेश्वर । २. की दो भागों में विभक्त टाप । गाय, भैंस - महाशय । प्रादि के पैर का नख । घोड़े आदि खुदिया-दे० खुधा । पशुओं के पैर का वह बिना फटा नख भाग खुदी-(ना०) १. अहंभाव । २. अभिमान। जो जमीन पर पड़ता है । सुम । टाप । खुदोखुद-(वि०) १. अपने आप। २. आप खुर । २. पैर । पांव । खुद। खुरखू-(ना०) घरती। For Private and Personal Use Only Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खुरखोज ( २६० ) खुरासाणी प्रजमोखुरखोज-(ना.) १. शोध । पता । २. जाँच। पत्थरों से बँधा हुआ ढलुवा मार्ग । खुएँ । पूछताछ । ३. पदचिन्ह । खोज। खरसाडो दे० खराड़ो। खुरचरण-(ना.) १. कड़ाही, हाँडी प्रादि में खुरसारण-(ना.) १. शाण। सान । खरसे खुरच कर निकाला गया खाद्यान्न । सान । २. घोड़ा। ३. सेना। ४. तलवार । खुरचन । २. गरम किये हुये दूध के पात्र ५. बादशाह । ६. मुसलमान । ७. खुरामें से खुरच कर निकाला हुअा अंश। सान। ३. कड़ाह में रखा जाने वाला नाई का खुरसारणी-(वि०) खुरासान का। (न०) भोज्य-नेग । पकाये गये पक्वान्न का कड़ाह मुसलमान । में रखा जाने वाला नाई के नेग का शेष खुरसी-(ना०) १. कुरसी। २. अोहदा । भाग। पद। खुरचणियो-(न०) छोटा खुरपा । खुरचनी। खुरंट-(न०) घाव के ऊपर की सूखी पपड़ी। पलटा। खुराक-(ना०) १. भोजन । २. भोजनखुरचणो दे० खुरचणियो। (क्रि०) किसी परिमारण । ३. औषधि-मात्रा। जमी हुई वस्तु को छील कर अलग करना। खुराकी-(ना०) १. भोजन-व्यय । खुराक खुरचना । छुटाना। का नकद एवजाना। खुराक के लिये दिया खुरजी-(ना०) एक प्रकार का थैला। जाने वाला नकद दाम । २. खुराक के खुरड़पगी-(ना०) वह स्त्री जिसके आने से- एवजाने में की जाने वाली मजदूरी । निवास करने से अनिष्ट और हानि होती ३. पारिश्रमिक एवजाना। ४. दैनिक हो। वेतन । दैनिकी। दैनगी । (वि०) अधिक खुरड़पगो-(न०) वह पुरुष जिसके पदार्पण खाने वाला। से तथा प्राकार रहने से अमंगल और खुराड़ो-(न०) पशुओं के खुरों में होने वाला हानि होती हो। एक रोग। खुरद-(वि०) छोटा । क्षुद्र । खुर्द । खुराड़ो-मुराड़ो-(न०) पशुओं के खुरों और खुरदम-(न०) गदहा। मुंह में होने वाला एक रोग। खुरदरो-(वि०) जो चिकना न हो । खुरदरा। खुरापाती-(वि०) १. उपद्रवी । झगड़ा । खुरपियो-(न०) लोहे या पीतल की चपटी ___ करने वाला। २. इधर-उधर की लगा कलछी । लोहे या पीतल की खुरचनी। कर झगड़ा कराने वाला। छोटा पलटा । खुरचरिणयो। खुरासारण-(न०) १. फारस का एक प्रांत । खुरपी-(ना०) १. घास छीलने-काटने का खुरासान । २. फारस का एक नगर । एक उपकरण । २. चमार का एक ३. मुसलमान । ४. बादशाह । ५. घोडे औजार। की एक जाति । खुरपो-(न०) खुरपा । क्षुरप्र । बड़ा पलटा। खुरासाणी-(वि०) १. खुरासान का खुरचना। रहने वाला । खुरासानी । २. खुरासान खुरबाणी-दे० मारणी।। से संबंधित, यथा-खुरासाणी अजमो । सुरमो-(न०) एक मिष्ठान्न। खुरमा। खुरासारणी घोड़ों । (न०) मुसलमान । खुररो-(न०) १. पशुओं के बालों में से मैल खुरासाणी अजमो-(न०) एक प्रकार का निकालने का एक उपकरण । २. ईंटों, बढ़िया अजवाइन । For Private and Personal Use Only Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खुरीट खुरांट - (वि०) १. वृद्ध । बूढ़ा । खुट । २. अनुभवी । खुट । ३. होशियार । ( २६१ ) चालाक । खुरियो - (०) १. पैर । २. सद्य- जात पशु के बछड़े का खुर । ३. पशु का पैर । खुरिया करणो - ( मुहा०) सद्यजात बछड़े के नरम खुरों को तोड़ कर छोटा करना । खुरी - ( ना० ) १. पशु का खुर । सुम । २. घोड़ा । ३. खुर वाला पशु । ४. घोड़े को फिराने की एक अभ्यास क्रिया । ५. आनंद । सुख । मौज । ६. पशुओं का खुर से भूमि खोदने या पग पटकने की क्रिया । ७. चुराए गये पशु को प्राप्त करने के लिये चोरों को दिया जाने वाला धन । ३. सिर में खुरो - ( न०) दे० खुर १,२ । मैल की पपड़ी जमने का एक रोग । खुलखुलियो - ( न० ) बक्चों को होने वाला सूखी खाँसी का एक रोग । कुकुर खाँसी । धाँसी । खुलगी - ( क्रि०) १. प्रावरण हटना । खुलना । २. बंधन छूटना । ३. ताले में चाबी लगना । ४. शोभित होना । ५. प्रारंभ होना । ६. प्रचलित होना । खुळणो - ( क्रि०) १. खोलना । गरम पानी का खोलना । २. गले से खांसी के कफ का उखड़ना । खुलावरणो- ( क्रि०) खुलवाना । खुलास - (वि०) १. स्पष्ट । साफ-साफ | १. कुशादा | चौड़ा । विस्तृत ( मकान ) । ३. हवादार ( मकान ) । खुलासावार - (श्रव्य० ) विवरण सहित । स्पष्टीकरण के साथ । खुलासो- ( न० ) १. स्पष्टीकरण | खुलासा । २. सार । निचोड़ | सारांश | ( वि०) १. खुला हुआ । २. साफ-साफ । स्पष्ट | खुलो - ( वि०) १. जो बँधा न हो । खुला खुसभगती हुआ । २. जो ढका न हो । खुला । ३. साफ-साफ । स्पष्ट । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खुल्लमखुल्ला - (श्रव्य ० ) १. सबके सामने | खुले में । २. बिलकुल स्पष्ट । खुवाणी - ( क्रि०) खिलाना । खुवार - (वि०) १. नष्ट | बरबाद । स्वार । २. खराब । खुवारी- ( ना० ) ख्वारी । बरबादी । खुश दे० खुस । खुशखबरीं- दे० खुसखबरी | खुशनसीब - ( वि०) भाग्यशाली । खुशनसीबी - ( ना० ) सौभाग्य । खुशनुमा - ( वि०) मनोहर । सुंदर । खुशबू - ( ना० ) सुगंध | खुशबूदार - (वि०) सुगंधित | खुशबख्ती - दे० खुसभगती । खुशमिजाज - (वि०) हमेशा प्रसन्न रहने वाला । खुशहाल - दे० खुस्याल । खुशहाली - दे० खुस्याली । खुशामद - दे० खुसामद | खुशी- दे० खुमी । खुश्क - दे -दे० खुस्क । खुश्की - दे० खुस्की । खुस - ( वि०) १. प्रसन्न । राजी । खुश । २. तंदुरुस्त | स्वस्थ | खुस करणो - ( मुहा० ) १. पसंद करना । चाहना । २. प्रसन्न करना । राजी करना । संतोष कराना । खुसकी - ( ना० ) १. खुश्की । स्थल मागं । २. पैदल चलना । ३. शुष्कता । खुश्की । खुसखबरी - ( ना० ) प्रानंद समाचार । खुसणो - ( क्रि०) चुभना । धँसना । खुसबो - ( ना० ) खुशबू । सुगंध । खुसबोदार - (वि०) खुशबूदार । सुगंधित । खुसभगती - ( ना० ) खुशबख्ती | सद्भाग्य । २. बख्शिश । ३. प्रति प्रसन्नता । For Private and Personal Use Only Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खुसामद खुसामद - ( ना० ) १. चापलूसी । खुशामद । २. झूठी प्रशंसा । खुरियो - (To) कोना । खूणो । खूणी - ( ना० ) कोहनी | ( २६२ ) खुसामदियो- (वि०) खुशामदी । चापलूस । खुसामदी - ( वि०) खुशामद करने वाला । चापलूस । २. भूठी प्रशंसा करने वाला । (To) खुशामद | चापलूसी । खुसी - ( ना० ) १. खुशी । प्रसन्नता । २. इच्छा । मरजी (वि०) राजी । खुश । खुस्क - ( वि० ) १. शुष्क । सूखा । २. रूखा । खुस्की - दे० खुसकी | खुस्याल - ( वि०) १. प्रसन्न । २. सब प्रकार से सुखी । खुशहाल । सम्पन्न | २ तंदुरुस्त । खुस्याली - ( ना० ) १. प्रसन्नता । खुशी । २. खुशहाली । ३. सुख । ४. सम्पन्नता । समृद्धि | खुदालम - दे० 'दालम | खुभी - ( ना० ) १. थंभे के नीचे का भाग । थंभे के नीचे की चौकी । थंभे का आधार । २. वर्षा ऋतु में उत्पन्न । होने वाला सर्वांग में कोमल, सफेद, क्षुद्र, छतरी जैसा एक उद्भिद । कुकुरमुत्ता । धरती का फूल । साँप की टोपी । खुमी । ढिंगरी । ३. कान का एक गहना । खू - ( न० ) १. दुष्काल । प्रकाळ | ( उ०पाँचों आठो दस पनरो खू पड़िया) २. पीड़ा । दुख । ३. क्रंदन । विलाप । खूटरो - दे० खुटो | खूटल - दे० खुटोलो । खटोड़ो - दे० खुटोलो । खुटोलो - ( वि०) १. निर्धन । गरीब। दीन । २. दीनहीन । ३. मूर्ख । बेवकूफ । ४. प्रामाणिक | झूठ बोलने वाला । ५. निकम्मा । ६. समाप्त । ७. हानिवाला । ८. कमीवाला । खटोड़ो । ६. भूलवाला । १०. निर्लज्ज । मागी खूणै-खोचरे - (श्रव्य० ) किसी कोने में । कोने में । इधर-उधर । खूणो - ( न०) १. कोना । २. पति के मरने के बाद कुछ काल तक विधवा को कोने में बैठने का रिवाज । ३ ऐसी विधवा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir के बैठने का स्थान । खूणो-खोचरो - ( न०) १. कोना - खाँचा । आनेवाला तथा काम २. काम में नहीं में नहीं लिया जाने वाला घर का भाग । ( श्रव्य० ) किसी कोने ३. एकान्त स्थान । में। कोने में । खून - ( न० ) १. रक्त । लहू । लोही । २. हत्या । कत्ल । ३. अपराध । ४. बिगाड़ | ५. रक्त संबंध । वंश | खून करणो - ( मुहा० ) हत्या करना । खूनी - (वि०) १. खून करने वाला । घातक । हत्यारा । २. दोषी । अपराधी । ३. अत्याचारी । ४. खून से संबंधित । ५. खून से रंगा हुआ । रक्त रंजित । खूब - (वि०) १. बहुत अधिक । २. बढ़िया । ३. कमाल । खूबसूरत - ( वि०) रूपवान । सुंदर । खूबसूरती - ( ना० ) सुन्दरता । खूबाणी - ( ना० ) खुरबाणी । खूबानी । जरदालू । खूबी - ( ना० ) १. विशेषता । विलक्षणता । २. गुरण । खूबी । ३. चतुराई । निपुणता । ४. अच्छापन । ५. मौज । मजा । For Private and Personal Use Only खूम - ( न० ) १. मुसलमान । २. कृषक | ३. वस्त्र । ४. निम्न जाति या उस जाति का व्यक्ति । खूमचो - ( न० ) एक बड़ा थाल जिसमें मिठाई श्रादि खाने का सामान रख कर फेरी वाले बेचते हैं । खींचा । खुमपोस- (न० ) परोसे हुये भोजन के थाल को ढकने का वस्त्र । खूमारणो - ( न० ) रावल खुमान का वंशज शिशोदिया राजपूत | Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खूमो ( २६३ ) खेचर खूमो-(न०) १. वस्त्र । २. वस्त्र जलने की खूटारोप-(वि०) १. दृढ़ । मजबूत । दुर्गध । २. पक्कावट। खूर-(न०) १. सेना । फौज । २. मुसलमान । खूटियो-(न०) १. खूट (वंश की शाखा) यवन । ३. घोड़ा। ४. बाण। तीर। का अधिकारी या प्रतिनिधि । २. मुखिया । (वि०) दुष्ट । प्रधान । ३. गाँव का मुखी । ४. खूटा । खूसट-(वि०) १. मूर्ख । बेवकूफ। २. मेख । (वि०) १. नामी । प्रसिद्ध । वृद्ध । बूढ़ा। प्रख्यात । २. खूटे से बँधा रहने वाला। खूह-(न०) कुआँ । कूप ।। खूटी-(ना०) १. कपड़े लटकाने के लिये खूखण-(न०) नाश । विनाश । (वि०) दीवाल में लगी कील । २. कील । मेख । कुंओं खोदने वाला। खूटी। छोटा खूटा । ४. दाढ़ी के बालों खू खाट-(ना०) तेज आंधी और उसकी के वे अंकुर जो हजामत कराने पर आवाज। रह जाते हैं। खूखार-(वि०) १. भयानक । डरावना। खूटी ताण-(ना०) १. पांव लम्बे करके २. क्रूर । निर्दयी। सीवे सोने की स्थिति । २. गाढ़ निद्रा। खूगाळी-(ना०) गले का एक प्राभूषण। खूटो-(न०) १. नुकीला दाँत । शूल दाँत । खूच-(ना०) १. नुक्कड़ । कोना । २. भूल। कारणेठो । २. गाय-भैस आदि बाँधने की चूक । खामी । ३. नुक्स । दोष । ४. जमीन में गड़ी मोटी लकड़ी। बड़ी मेख । कमी । न्यूनता । ५. द्वेष । बैर। खूटा । ३. फसल काटने के बाद खेत में खूचणा-(न०) १. दोष । ऐब । नुक्स। खड़ा उसका सूखा डंठल । बुराई । २. कसर । कमी। खू द-(न०) १. मुसलमान । २. बादशाह । खूजियो-(न०) जेब । खीसो । गूजियो। ३. वीर । ४. खूदने का भाव । ५. स्वामी। खूजो-दे० खूजियो। खूदरणो-(क्रि०) १. खूदना । रौंदना । २. खूट-(ना०) १. दिशा । २. ओर । तरफ। कुचलना। (पैरों के द्वारा) ३. चंपी ३. कोना । ४. छोर । सिरा । ५. भाग। करना । ४. नाश करना। हिस्सा । ६. वंश या शाखा । ७. गांव या खूदळियो-(वि०) १. किसी को संकट के प्रदेश का एक छोर। (प्रव्य०) पूरा। समय सहायता न करने वाला । संकट के ठीक । (नाप में)। __ समय मुह छिपाने वाला। २. परापखूटरगी-(ना०) खूटने का काम । कारी । ३. खुशामदी। (न०) १. शत्रु । खूटणो-(क्रि०) १. तोड़ना। २. चुनना। २. आक्रमणकारी। ३. उखाड़ना । ४. फूल पत्ते आदि तोड़ना। खूदवै-(न०) १. बादशाह । २. मुसलमान । खूटा-उपाड़-(न०) सभी लोग। खूदालम-(न०) १. बादशाह । २. मुसलखूटा-उपाड़ नैतो-(न०) भोजन का वह मान । ३. यवन सेना । ४. वीर । निमंत्रण जिसमें कोई बाकी नहीं रहे। ५. क्षमा । (वि०) क्षमावंत । (बड़े भोज में) सभी घरों में दिया जाने खूसड़ो-(न०) १. सूखा जूता । २. जूता । । वाला निमंत्रण। खाहड़ो। खूटारगो-(क्रि०) तुड़वाना । चुनवाना। खेचर-(न०) १. नभचर । पक्षी । २. सूर्य, खू टावरणो-दे० खूटाणो। चंद्र, तारागण आदि । ३. देवता । For Private and Personal Use Only Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २६४ ) खेचल खेचल - ( ना० ) १. कष्ट । दुख । २. रोग । ३. परेशानी । हैरानी । ४. छेड़ छाड़ । छेड़खानी । खेजड़ी - ( ना० ) शमी वृक्ष । खेजड़ी । जाँट | खेजड़ो - दे० खेजड़ी । खेट - ( ना० ) १ युद्ध । २. घोड़ा । ३. ढाल । फलक । ४. शिकार । आखेट । ५. गाँव । खेटक - ( ना० ) १. ढाल । २. शिकार । आखेट । (वि०) ३. शिकारी । आखेटक | वीर । बहादुर । खेटर - ( न० ) १. फटा पुराना सूखा जूता । ठेठर । २. जूता । खेटो - ( न० ) १. युद्ध । २. शत्रुता । ३. धक्का । ४. भिड़न्त | मुठभेड़ । ५. सरोकार | वास्ता । ६. जान-पहचान । परिचय | फेटो । खेड़ - ( न० ) १. गाँव । खेड़ा । २. खंडहर । ३. हल चला कर निकाली हुई रेखा । श्रोळ । ४. लड़ाई । ५. आक्रमण । ६. श्रीसर मौसर प्रादि बड़े भोज समारोह में अमुक गाँवों को निमंत्रित करने की निश्चित मर्यादा । ७ मारवाड़ का एक इतिहास प्रसिद्ध नगर जहाँ राठौड़ों ने ( राव सीहा और उसके पुत्र प्रसथान ने ) कन्नोज से आकर सर्व प्रथय अपने राज्य की नींव डाली थी । ( आज यह नगर खंडहर रूप में है । इसके प्राचीन नाम 'खेड़पाटण' या 'क्षीरपुर' कहे जाते हैं । यह नगर बालोतरा से ५ मील पश्चिम में स्थित है | ) खेड़करणो - (मुहा०) १. खेत में हल चलाना । खेत जोतना । २. पैदल मुसाफिरी करना । चलना । ३. मनुष्यों को श्राक्रमरण के लिये इकट्ठा करना । ४. प्रक्रमरण करना । ५. किसी बड़े कार्य को सफलता पूर्व पार लगाना । खेड़खरच - ( न०) १. पराजित शत्रु से लिया Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खेतल जाने वाला सेना खर्च । २. सेना का मार्ग व्यय । ३. शत्रु से लिया जाने वाला आक्रमण खर्च । ४ खेत को खड़ने में होने वाला खर्च । खेड़रणो - ( क्रि०) १. खेत में हल चलाना । २. चलाना । हाँकना । खेड़पति - ( न० ) १. खेड़ नगर का स्वामी । २. राठौड़ क्षत्री । खेड़ादेवत - ( न० ) १. ग्राम देवता । २. क्षेत्र - पाल । खेड़ायत - ( न० ) १. एक गाँव का धनी । एक गाँव की जागीरीवाला जागीरदार । २. जमीन जोत कर गुजरान करने वाला व्यक्ति । खेड़ा-री-वाधरण - (ना० ) शिकार का एक प्रकार । खेड़ी - ( ना० ) इस्पात । पक्का लोह । खेड़ेचो - ( न० ) १. खेड़ में सर्वप्रथम राज्य स्थापित करने और वहाँ से अन्य स्थानों में फैलने के कारण राठौड़ राजपूतों का प्रचलित नाम । २. राठौड़ राजपूतों की एक शाखा । खेड़ो - ( न० ) गाँव । खेड़ा । खेढी - (०) शत्रु | धी । वैरी । खेत - ( न० ) १. वह भूमिखंड जिसे अन्न उत्पन्न करने के लिये जोतते बोते हैं । खेतर । २. रणक्षेत्र । रणखेत । युद्धस्थल । ३. खानदान । कुळ । वंश । ४. उत्पत्ति स्थान । ५. श्मशान भूमि । खेतपाळ - ( न०) एक लोक देवता । क्षेत्रपाल | एक ग्राम रक्षक देवता । खेत्रपाळ | खेतर - दे० खेत १ । खेतरपाळ - दे० खेतपाळ । खेत रहरणो- ( मुहा० ) युद्ध में मरना । खेतरी - दे० खेती | खेतल - ( न० ) १. क्षेत्रपाल । क्षेत्र या गाँव का देवता । २. भैरव । ३. खेतसिंह 1 For Private and Personal Use Only Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खेतलरथ ( २९५ ) खेरी खेतराम या खेताराम का साहियिक लघु खेप-(ना०)१. एक मुश्त माल का अधिक रूप। लाभ प्रद क्रय विक्रय । लाभप्रद सौदा । खेतलरथ-(न०) भैरव का वाहन । कुत्ता। २. सस्ते में खरीदा हुमा थोक माल । कूतरो । ३ व्यापार के निमित्त किया गया वह खेतलवाहण-दे० खेतलरथ । दौरा जिसमें अधिक लाभ मिला हो । ४., खेतलोजी-(न०) १. क्षेत्रपाल । खेतरपाळ। आयात होने वाला माल । ५. खेप । २. भैरव । भैरों। फेरो। खेती-(ना०) १. कृषि । काश्तकारी । खेपक-(न०) मूलग्रन्थ में किसी अन्य द्वारा काश्त । २. खेत में उगी हुई या खड़ी पछि से जोड़ी हुई रचना । मूलग्रन्थ में फसल । ३. व्यवसाय । धंधा। दूसरे व्यक्ति द्वारा मिलाया हुआ रचनाखेती-पाती-(ना०) खेती वाड़ी का काम। अंश । क्षेपक (वि०) १. बाद में मिलाया कृषि का काम । करसण । हुप्रा । २. खेप करने वाला। खेतीवाड़ी-(ना०) १. खेती काम । किसानी। खेपियो-(न०) दूत । कासिद । (वि०) १. २. खेती करने, साग सब्जी लगाने और खेप करने वाला । २. परिश्रमी । बागवानी करने का काम । खेतीबारी। खेम-(न०) १. क्षेम । मंगल । कल्याण । ३. वह भूमिखंड जहाँ सिंचाई द्वारा खेती, स्वस्थ । ३. सुरक्षा । ४. सुख । बागवानी और साग सब्जी पैदा होती खेमकुसळ-(ना.) १. सुख-शांति और आरोग्य । क्षेम कुशल । आनंद-मंगल । खेत्र-दे० खेत। राजीबाजी । राजीखुशी। खेत्रपाळ-दे० खेतरपाळ । खेमंकरी-(ना०) १. क्षेमंकरी देवी। २. खेत्री-दे० खेती। सफेद पंखवाली चील । खेमकरी । खेद-(न०) १. अफसोस । शोक । २. मान- खेमाळ-(ना०) तलवार । सिक कष्ट । संताप । मनस्ताप । ३. खेमो-(न०) तंबू । पश्चाताप । अनुताप । पछतावा । ग्लानि। खेरणियो-(न०) चालनी। चलनी । (वि०) ५. खिन्नता । ६. शत्रुता। खिरानेवाला। खेदाई-(ना०) १. छेड़छाड़ । २. ईर्ष्या। खेरणी-(ना०) १. चालनी। चलनी। २. खेदाखेद-(ना.) १. शत्रुता । २. वैमनस्य । खिराने का काम । खेरणो-(क्रि०) १. गिराना। खिराना । ३. झगड़ा-टंटा । तकरार । खेदो (न०) १. छेड़छाड़। छेड़खानी। २. २. झगड़ना । ३. संहार करना । रगड़ा-झगड़ा। टंटोझगड़ो। ३. द्वेष। खेरवाळी-(ना०) रखवाली। निगै । रख४. हमला । ५. पीछा। वाळी। खेध-(न०) १. शत्रुता। वैर । २. युद्ध। खेरा-खारो-(न०) १. मिठाई का चूरा। ३. विरोध । ४. वाद-विवाद । ५. क्रोध। २. किसी वस्तु का बचा हुमा टूटा-फूटा । ६. दुख । भाग । ३. चूरा । जखीरा । खाराखेरो । खेधी-(न०) शत्रु । दुश्मन । वैरी। खेरी-(ना०) दाँतों पर जमने वाली पपड़ी। खेधो-दे० खेदो। दन्तशर्करा। For Private and Personal Use Only Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वेरू खेरू ं-(बि०) १. बरबाद । नाश । २. बिगाड़ । क्षति । ३. व्यर्थं । ( २ε६ ) खेरो - ( न० ) १. चुरा । चुरो । २. छोटा । ३. बची हुई सुखी लपसी, हलुआ, टुकड़ा मिठाई आदि । ४ इन वस्तुनों का मिश्रण । ५ इन वस्तुओं का बचा हुआ बासी चूरा । ६. किसी वस्तु या वस्तुओं का अवशिष्ट करण समूह | खेल - ( न० ) १. नाटक । २. तमाशा । रमत । ३. हँसी । रमत । ४. क्रीड़ा । ५. खेलकूद । ६. करतब। ७. साधारण बात । खेळ - ( ना० ) १. पशुनों के पानी पीने के लिये बनाया हुआ लंबोतरा कुंड । खेळी । २. कुल । ३. कुलभेद । खेलड़ो- (न०) ककड़ी, टीडसी आदि की सूखी फाँक । ( वि०) दुबला पतला | कृश । खेलो - ( क्रि०) १. खेलना । रमणो । २. क्रीड़ा करना । ३. युद्ध करना । ४. सट्टे का व्यापार करना । ५. जुआ खेलना । खेलाड़-दे० खेलार । खेलाड़ी - ( वि० ) १. खेल खेलने वाला । खिलाड़ी । खेलाड़ी । रमाक । रमाकू । २. अभिनय करने वाला । ३. सट्टेबाज । ४. चतुर । चालाक । ५ मुत्सद्दी । ( न० ) १. नट । २. कीर्तनिया । खेलार - (वि०) १. अभिनय करने वाला । २. खेलने वाला | खिलाड़ी । ३. चतुर । होशियार । चालाक । ४. सट्टेबाज । खेळी - ( ना० ) १ युवती । २. मौजी - स्त्री । आनंद - प्रकृति वाली । ३. पशुओं के पानी पीने के लिये बनाया गया आयताकार हौज | ४. स्त्री के लिये ( बात करते समय का) एक संपुट । ( वि०) १. हँसमुखी । २. मौजी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खेळ - ( नं०) १. खेल का मुखिया । २. पक्ष में खेलने वाला साथी । खेल का सहयोगी । बाळू 1 खेळो - ( न०) १. सैनिक । २. बच्चा । ३. पुरुष । ४. व्यक्ति । ५. तीसरे पुरुष का एक विशेषण । ६. बात करते समय का एक संपुट (तीसरे व्यक्ति के लिए ) | ( वि०) १. जवान । युवा । २. मस्त । ३. मूखं । ४. मजाकी । ५. श्रानन्दी | खेलो- (न०) १. सट्टा । खेला । २. दाँव । ३. खेल । खेव - ( ना० ) १. विलंब । देर । २. क्षण । पल । ३. प्रादत । टेव । खेवट - ( न०) १. केवट । मल्लाह । ( ना० ) १. ध्यान । लगन । २. श्रभ्यास । ३. उत्कंठा । खेटियो - (०) १. केवट | मांझी । खेवट | २. गुप्रा । श्ररणी । खेवरणा - ( ना० ) १. चिन्ता । परवाह । २. देख-रेख । निगरानी । खेवरणी - ( ना० ) १. नाव चलाने का डाँड़ । २. छोटा खेवरा । खेवणो । खेवणो - ( न०) नथ के मध्य का जड़ा हुआ एक रत्न जिसके प्राजू-बाजू मोती पिरोये हुए रहते हैं । ( क्रि०) १. देवता के आगे धूप या अगरबत्ती जलाना । धूप खेना । २. नाव चलाना । नाव खेना । खेवो - ( न० ) अभ्यास । श्रादत । खेस - ( न० ) १. दुपट्टा । उपरना । २. मोटे सूत की चद्दर | खेसलो । खेसरणो - ( क्रि०) १. हटाना । दूर भगाना | २. मारना । खेसलो - ( न० ) १. खेस । दुपट्टा । २. मोटे सूत की बुनी चद्दर । खेह - ( ना० ) १. उड़ती हुई धूलि । २. धूलि । रंज । ३. रोटों (बाटी) को पकाने के For Private and Personal Use Only Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २६७ ) बेटियो - विनायक लिये जलाई हुई कण्डों की निर्धूम प्रग्नि । ४. राख । खेहटियो - विनायक - ( न० ) १. विवाहादि मांगलिक कार्यों के प्रारम्भ में अस्थाई रूप से स्थापित की जाने वाली विनायक की मूर्ति । किसी मांगलिक कार्य के पूर्व मिट्टी से बना कर स्थापित की जानेवाली गणेश की मूर्ति जो कार्य की समाप्ति के पश्चात् नदी, आदि किसी तीर्थ या स्थानीय जलाशय में विधिपूर्वक विसर्जित कर दी जाती है । खेहरोटोबाटी । - ( न० ) खेह में पकाया हुआ रोटा । खेहाडंबर-दे० खेहारव । हारव - ( ना० ) प्रकाश में छाई हुई गर्द । खेहारवरण - दे० खेहारव । खाट - २. ग्रीष्म की तेज हवा । २. ग्रीष्म की तेज हवा की आवाज । खूंखाट । खंखाड़ । खेंखार - (न०) १. कफ । श्लेष्म । बलगम । दे० खेंखारो । खारो - ( न० ) १. गले में से कफ छूटने का शब्द । खाँसी होने का शब्द । २. घर में प्रवेश के समय सूचना के रूप में गुरुजनों के द्वारा की जाने वाली कृत्रिम खाँसी जिससे स्त्री आदि कुटुम्बीजन उनके प्रति शिष्टाचार का पालन करने के लिये सतर्क हो जायँ । अंतःपुर श्रादि खानगी स्थानों में प्रवेश के समय पूर्व सूचना के रूप में किया जाने वाला कृत्रिम खाँसी का शब्द । खेंग - ( न०) १. घोड़ा । २. तलवार । ३. पशु के अंग-प्रत्यंग के रंग या आकृति द्वारा उसको पहिचानने का चिन्ह । खंग ४. पशु की प्राकृति । ५. नाश । गरणो - ( क्रि०) १. नाश करना। संहार करना । २. घन को दुर्व्यसन में खर्च खैखाड़ करते रहना । धन का दुरुपयोग करना । गाळ - ( न० ) नाश । संहार । खेंच- दे० खींच । खेंचरणो दे० खींचरणो । खेंचाखेंच दे० खींचाखींच | खेचाखेची - दे० खेंचाखेंच । खेंचातारण - दे० खींचाताण । खै - ( न०) क्षय । नाश । खय । खैकार - ( न०) नाश । संहार । खैकारी - (वि०) क्षयकारी। संहारक । खैकाळ - ( न०) १. नाश । २. युद्ध । खैगररणो - ( क्रि०) नाश करना । खैगाळ - दे० खैकाळ । खैड़ी-दे० खेड़ी । खैड़ो - ( न०) १. गाँव । २. गाँव का बाहरी प्रदेश । ३. बरं आदि का छत्ता । ४. पूरे गाँव को कराया जाने वाला भोजन । समस्त गाँव का न्योता । खेड़ा-न्यात । खेड़ा-जीमरण । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खैरण - ( न०) १. नाश । २. क्षय रोग । तपेदिक । खैर - ( न०) १. एक वृक्ष जिसकी छाल से कत्था बनाया जाता है । २. कुशल । क्षेम । खैर । ( अव्य० ) १. कुछ चिंता नहीं । २. श्रस्तु | अच्छा । खैरसार - ( न० ) कत्था । खैराइत दे० खैरात | खैरात - ( ना० ) दान । पुण्य । खैरादी - ( न०) खराद पर काम करने वाला व्यक्ति । खरादने का काम करने वाला । खरादी । खैरायत - दे० खैरात | खैरियत - ( ना० ) कुशल । खैरी गूंद - ( न०) खैर वृक्ष का गोंद । खेड़ी गूंद खै रोग - ( न०) क्षय रोग । तपेदिक । खैसर - (न०) कुबेर | खैखाड़ - ( न० ) ग्रीष्म की तेज हवा और उससे उत्पन्न डरावनी ध्वनि । For Private and Personal Use Only Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खैखार खोजा। ( २९८ ) खोट पाखो खेंखार-दे० खेंखार । खोजना । २. तपासना । खंखारो-दे० खेंखारो। खोज लागणो-(मुहा०) पता लगना । खेंखारो करणो-खाँसना । खोजी-(वि०) पांवों के चिन्ह देख कर चोर खेंग-दे० खेंग। की तलाश करने वाला। पागी। २. बैंगरू-(न०) घोड़ा। खोजक । खोजू । खोजने वाला । खेंगाळ-दे० खंगाळ । खोज-दे० खोजी। खेंगाळो-दे० बंगाळ । खोजो-(न०) १. नाजिर । नपुंसक । अंत:खेंच-दे० खेंच। पुर में पहरा देने वाला नौकर । ३. बँचणो-दे० खेंचरणो। नपुंसक सेवक । ४. एक मसलमान जाति । लैंचामैच-दे० खेचाखेंच । खेंचाताण-दे० खेंचाताण । खोट-(ना०) १. भूल । गलती । २. कमी। खो-(न०) १. क्रोध । २. गर्व । २. द्वोष। अभाव । ३. हानि । ४. दोष । ५. पाप । ४. शत्रुता। ५. आदत । ६. होश। ६. कलंक । ७. झूठ । असत्य । ८. काम ७. खाई । ८. वंश । कुल । ६. मूल। से जी चुराना । ६. किसी उत्तम वस्तु में - १०. उद्भव । ११. प्रारंभ । निकृष्ट पदार्थ का मिश्रण। खोपो-दे० खोवो। खोट करमी-(वि०) १. पापिनी । २. खोखळो-(वि०) खोखला । पोला । पोलो। कपटा । ३. व्यभिचारिणी। खोखो-(न०) १. शमी (खेजड़ी) वृक्ष की खोट करमो-(वि०) १. खोटे कर्म करने सूखी फली। शिबी। २. किसी वस्तु के वाला । कुकर्मी । २. कपटी । ३. पापी । पैकिंग की खाली पेटी । सामान भरने या खोट काढणी-(मुहा०) १. लिखे हुए में भर कर कहीं भेजने की हलकी पेटी। भूल निकालना । २. भूल का पता ३. वह कागज जिस पर हुँडी लिखी गई लगाना । ३. दोष बताना । हो । हुंडी। ४. सिकरी हुई हुँडी। अदा खोटखणो-दे० खोट करमो । की हुई हुँडी । ५. जिसका सारतत्व खोट-खबाड़-(ना०) १. गलती। भूल । निकाल लिया गया हो ऐसी वस्तु । २. मिलावट । मिश्रण । ३. त्रुटि । ६. एक खेल । खोटखाणो-(मुहा०) नुकसान उठाना । खोगाळ-(ना.) १. गुफा कंदरा । २. खोट-चूक-(ना०) भूलचूक । खोखलापन । पोलारण । ३. नाश ।। खोट नाखणी-(मुहा०) १. भूल डालना । खेंगाळ । २. घाटा डालना। ३. अच्छी वस्तु में खोगीर-(न०) १. घोड़े की जीन के नीचे हलकी वस्तु मिलाना। दिया जाने वाला एक ऊनी कपड़ा । घोड़े खोट निकाळणो-दे० खोट काढणी । या ऊँट पर काठी रखने के समय उसके नीचे दिया जाने वाला मोटा कपड़ा। खोट पखो-दे० खोट पाखो । नमदा । खुगीर २. चारजामा । जीन । खोट पड़णो-(मुहा०) १. कमी होना । खोज-(न०) १. वंश । २. तलाश । अनु- (व्यक्ति की)। २. हानि होना । संधान । ३. पद चिन्ह । खोज। खोट पाखो-(न०) १. दूषित पक्ष । २. खोज जाणो-(मुहा०) निवंश होना। दूषित दृष्टिकोण। ३. वस्तु का दूषित खोजणो-(क्रि०) १.तलाश करना । हूढ़ना। अंश । (वि०) असत्य पक्ष वाला । For Private and Personal Use Only Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खोट पियाणो ( २६९ ) खोड़ खुड़ावणो खोट-पियाणो-(न०) कन्यापक्ष की ओर खोटी-(ना०) १. प्रतीक्षा । २. देरी । (वि०) से ज्योनार खतम होने के बाद दूल्हे के १. जिसमें खोट हो । २. वह जो असली पिता की ओर से बारातियों को दी जाने न हो । नकली । ३. बुरी। खराब । ४. वाली ज्योनार । २. बारात की विदाई के विश्वास घातिन । ५. निकम्मी। ६. पूर्व वरपक्ष की ओरसे ज्योनार करने की गलत । ७. असत्य । ८. कपटी। एक प्रथा। खोटीकथ-(ना०) १. झूठ । २. झूठी बात। खोट-पीणो-दे० खोट-पियायो। ३. बुरी बात । ४. बुरी खबर । खोट पूरी करणी-(मुहा०) कमी को पूरी खोटी करणो-(मुहा०) १. प्रतीक्षा कर__ करना । २. धन-हानि की पूर्ति करना। वाना। २. रोक रखना। ३. हैरान खोटमाळो-दे० खोट वाळो । करना। खोट मेळणी-(मुहा०) शुद्ध वस्तु में हलकी खोटीपो-(न०) १. देरी। विलंब । २. काम ___या विजातीय वस्तु को मिलाना। में देर होना । काम में होने वाली देरी। खोट-रखो-(वि०) १. जानबूझ कर गलती ३. बिना काम से होने वाली रुकावट । __ करने वाला । २. नालायक । ३. धूर्त । अनावश्यक रुकावट। खोट राखणी-(मुहा०) १. कपट रखना। खोटी होणो-(मुहा०) १. प्रतीक्षा करना । २. भूल रखना । ३. भूल करना। २. रुके रहना । ३. हैरान होना । खोटवाळो-(वि०) १. वह वस्तु जिसकी खोटींगो-दे० खोटंगो। कल आदि में कुछ नुक्स पैदा हो गया हो। खोटै खरणै-रो-(वि०) नीच कुल का। २. गलती वाला । ३. बिगड़ा हुआ। अकुलीन । खोटमो-(न०) १. गुप्तांग के बालों के साफ खोटो-(वि०)१. जो असली न हो । कृत्रिम । करने का काम । २. शौचादि की निवृत्ति । नकली । २. कपटी । छली । ३. अधर्मी। ३. दे० खोट-पियायो। ४. विश्वासघाती । ५. बुरा । खराब । खोटवों-दे० खोटमो। ६. निकम्मा । ७. गलत । ८. असत्य । खोटहड़-(न०) कुडली बनाकर बैठा रहने । वाला सर्प । (वि०) निकम्मा । खोटो खरणो-(न०) १. कलंकित कुटुब । खोटंगो-(वि०) १. वह जिसका स्वभाव दूषित वंश । २.निकृष्ट कुल । नीच कुल। खोटे काम करने का पड़ गया हो । २. खोटोड़ो-(वि०)१ खोट वाला । २. नकली। अंग में खोट रखने वाला। मन में ऐब ३. निकम्मा । गयो-बीतो। रखने वाला। खोड़-(न०) १. कलंक । लांछन । २. कसर । खोटाई-(ना०) १. दोष । बुराई । २. कमी । ३. लंगड़ापन । ४. लत । कुटेव । झूठापन । ३. पालसीपन । ४. दुष्टता। ५. दोष । ऐब । ६. धूर्तता। ७. जंगल । ५. छल । कपट । ८. शंख । ६. बराबरी । तुलना । खोटा-घड़णो-(मुहा०) १. अनुचित काम खोड़की-(वि०) लंगडी। खोड़ी। (ना०) करना । २. कुकर्म करना। ३. कुविचार बच्चों का एक खेल । करना। खोड़-खबाड़-(ना०) खामी । दोष । त्रुटि । खोटा-लखणो-(वि०) १. बुरे लक्षणों खोड़ खुड़ावणो-(मुहा०) किसी की बरावाला । बदचलन । १. दुर्गुणी । बरी करना। For Private and Personal Use Only Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ३०० ) खोड़लो - दे० खोड़ीलो । (वि०) लंगड़ा । खोड़ारगो-दे० खोड़ावणो । खोडा में देखो - (मुहा० ) कैदी के पाँवों को खोडा में डालना । खोड़ावरण - ( क्रि०) लंगड़ाना । खोड़ियो - (वि०) लँगड़ा । खोड़ो । खोडियो - ( न०) १. छोटा क्यारा । २. हजामत बनाने का एक उपकरण । सेफ्टी रेजर । खोड़ी - ( ना० ) १. खेत में आने जाने के लिये दो बाजू (बाँहाँ) वाला गाड़ा हुआ एक खूंटा जिससे जानवर खेत में नहीं जा सके । २. ऊँट के अगले पैर को मोड़कर दिया जाने वाला बंधन । (वि०) लंगड़ी | खोड़ीलाई - ( ना० ) १. बदमाशी । २ चालाकी । ३. शरारत । ४. नुक्ताचीनी । ५. हैरान - गति । खोड़ीलो - ( वि०) १. ऐबी । ऐब देखने वाला । दोष देखने वाला । २. अशुभ । ३. अमंगलकारी । ४. बदमाश । चालाक । ६. हैरान करने वाला । ७. नुक्ता चीनी करने वाला । ८ व्यर्थ नुकशान करने वाला । (स्त्री० खोड़ीली) ५. खोडो-(न०) १. क्यारा । २. कैदी के पाँवों कोकस कर रखने का एक बड़ा और भारी काष्ठ यंत्र । २. डाढ़ी के बीच में ठुड्डी पर (हजामत में) बनवाई जाने वाली पतली रेखा । खोड़ो - (वि०) १. लंगड़ा । २. वीर । ३. स्वर रहित । हलंत । (अक्षर) ( न० ) १. हनुमान । २. भाटी क्षत्री । खोण - ( ना० ) १. क्षोणी । पृथ्वी । २. प्रक्षी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेना । १. दाँत खोतरणी - ( ना० ) कुरेदने की सलाई । तिनका । २. नक्काशी करने का श्रीजार । टाँकी । ३. छेड़-छाड़ । कुचरणी । खोतरो - ( क्रि०) १. खोदना । २. जड़ से खोम उखाड़ना । ३. कुरेदना | खोदणियो - (वि०) खोदने वाला । खोदणो- ( क्रि०) १. खोदना । २. नक्कासी करना । खोदाई - ( ना० ) १. खोदने का काम । २. खोदने की उजरत । ३. ऊधम । पाजीपन । शैतानी | खोदियो - ( न०) १. गदहे का बच्चा । दे० खोदो । खोदो - ( न० ) १. साँढ । २. छोटा साँढ | ३. बैल | खोध - ( न० ) क्रोध । खोपड़ी - ( ना० ) सिर की की खुपरी । खोपणो - ( क्रि०) १. खोना । २. नष्ट करना । ३. गाड़ना । ४. रोपना । खोपरी - ( ना० ) १. सिर की हड्डी । कपाल । २. सिर । ३. गूदा निकला हुआ तरबूज का टुकड़ा | खुप | खोपरेल- (न०) नारियल का तेल । खोपरो- (न० ) सूखे नारियल का हिरणी सेना । खोणी-दे० खोग | खोगो - ( क्रि०) १. गँवाना । २. नष्ट करना । बिताना । खोत - ( न०) १. मुसलमान । २. मुस्लिम खोम - ( ना० ) बुर्ज । भाग । खोपी - ( ना० ) १. गाय का तुच्छार्थक नाम । २. बूढ़ी गाय । खोपो - ( न०) १. बैल का तुच्छार्थक नाम | For Private and Personal Use Only आधा २. बूढ़ा बैल । (वि० ) अनावश्यक हस्तक्षेप करने वाला । बिन जरूरी दखल करने वाला । खोबो - ( न०) १. करतल का संपुट । अंजली । खबचो । २. अंजली भर वस्तु । ३. मोटी रोटी में अंगुली से दबाकर बनाया हुआ खड्डा । Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org क्षीण खोयण - ( ना० ) १. पृथ्वी । २. प्रक्षौहिणी सेना । २. कोठरी । खोरड़ी - ( ना० ) १. झोंपड़ी । ३. बुढ़िया । (वि०) बुड्डी । खोरड़ो - ( मा० ) १. झोंपड़ा। मिट्टी का बना घर । २. कोठरी । (वि०) बुड्डा । खोरो - ( न० ) १. सिर की चमड़ी का एक रोग । २. अधिक दिनों की खाद्य वस्तु में पैदा होने वाला बे-स्वादपना । (वि०) अधिक दिनों के कारण बेस्वाद बना हुआ (खाद्य पदार्थ) 1 खोळ-(ना०) १. गिलाफ । २. केंचुली । ३. आवरण । ४. शरीर । ५. गोद । ६. सिंह की गुफा । ७. बिवाह की एक प्रथा जिसमें वर और वधु के दुपट्टे और श्रोढ़ने के छोर में गुड़ मेवा आदि भरा जाता है। खोलड़ो - ( न० ) १. घर । २. झोंपड़ा । ३. शरीर । खोळणो - ( क्रि०) धोना । खोळी - ( ना० ) १. गिलाफ । २. प्रावरण । खोळो - (न०) १. गोद । क । २. चंचल | ३. अंचल से बनाई हुई भोली । ४. घोती के अगले भाग को ऊँचा खोलने से बना हुआ भोला । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्याली खोवरिगयो - (वि०) खोने वाला । खोवणो- ( क्रि०) दे० खोणो । खोवा-खू दो - (न० ) २. छीना-झपटी । खोवो - ( न०) खोश्रा । मावा । कीटी । मावो । खोसरियो - (वि०) १. खोसने वाला । लूटने वाला । २. छीनने वाला । खोसणो- ( क्रि०) १. खोसना । लूटना । २. छीनना । झपटना | ३. लटकाना । टाँगना । ४. अटकाना । फँसाना । खोंसना । खोसरो- ( - ( न० ) वेश्या का दूत या दलाल । खोसा-खूं दो-- (न०) १. लूट-खसोट । २. २. छीना-झपटी | खोह - (ना० ) गुफा । खोहण - (ना० ) १. लूट-खसोट । १. अक्षौहिणी सेना । २. पृथ्वी । क्षणि । खोडी - ( ना० ) घास फूस एकत्रित करने का लकड़ी के दाँतों वाला कृषकों का एक उपकरण । खौळो- (वि०) जो तंग न हो । ढीला | शिथिल । खोलो - ( क्रि०) १. बँधी हुई वस्तु को छोड़ देना । २. ढके हुए पात्र के ढक्कन को हटाना । ३. समेटी हुई वस्तु को फैलाना । ४. बंध किये हुए किवाड़ आदि की रुकावट को हटा देना । ख्यात - ( ना० ) १. इतिहास । २. इतिहास ग्रंथ । ३. मध्यकाल में लिखे गये राजस्थानी भाषा के इतिहास ग्रंथों की संज्ञा । ४. यश । ५. प्रसिद्धि । (वि०) प्रसिद्ध | खोळ भरणी - (मुहा० ) वर-वधू की खोळ ख्याती - ( ना० ) १ ख्याति । प्रसिद्धि । २. यश । में गुड़ मेवा आदि भरना । खोळायत - (वि०) दत्तक । गोद लिया हुआ । ( न०) दत्तक पुत्र | खोलावरणो- ( क्रि०) खुलवाना । खोलियो - ( न०) शरीर । For Private and Personal Use Only कीर्ति । ख्याल - ( न० ) १. ध्यान । २. विचार | ३. नाटक का एक प्रकार। लोक नाटक । तमाशा । ४. एक रागिनी । ५. खेल । ख्यालक - ( न० ) १. ख्याल खेलने वाला । ख्याली । २. बाजीगर । ख्याली - (वि०) १. ख्याल खेलने वाला । खेलाड़ी । २. मजाकी । मजाक पसंद | ३. कल्पित । मनगढ़ंत | ख्यालीड़ो दे० ख्याली । Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org रूपांत ख्यांत-दे० खांत | रूयोगी - ( ना० ) १. पृथ्वी । क्षोणि । २. क्षौहिणी । ( ३०२ ) ग ग- संस्कृत परिवार की राजस्थानी भाषा के कवर्ग का तीसरा वर्णं । कंठस्थानी तीसरा व्यंजन वर्ण । ग - ( न० ) १. गणेश । २. श्रीकृष्ण । ३. गंधर्व । ४. गीत । ५. गुरुमात्रा । (का० ) । ( वि०) १. गाने वाला । २. जाने वाला । गइ - ( ना० ) गति | गई - (वि०) दरगुजर । माफ किया हुआ । ( ना० ) माफी । क्षमा । (क्रि०भू०) 'जागो' क्रिया का भूतकाल नारी जाति रूप । 'गयो' का नारी जाति रूप । गई करणो - ( मुहा० ) १. दर गुजर करना । २. माफ करना । ३. अनसुनी करना । गई गुजरी - (वि०) १. बीती हुई । भूतकाल की । २. बुरी दशा को पहुँची हुई । निकृष्ट | ३. प्रशिष्ट व्यवहार वाली । अशिष्ट । ( ना० ) भूतकाल की हकीकत । बीती हुई बात । गईवाळ - ( वि०) १. गयाबीता । निकम्मा । अयोग्य । २. हतभाग्य । गउ - ( ना० ) गाय । गउ खाणो - ( न०) मुसलमान । गउखानो - ( न०) गौशाला । गउघाट - ( न० ) १. तालाब आदि जलाशयों पर बना हुआ गायों के पानी पीने का घाट । २. बड़ा घाट । मुख्य घाट । गउतिरात - दे० गोत्रात । गउदान - (०) गायदान । गोदान | गउ-मारणो - ( न० ) १. मुसलमान । ख्वार-दे० खुवार । ख्वारी - दे० खुवारी | ख्वाहिश - ( ना० ) इच्छा | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छ २. गोहत्या । गउमुखी - ( ना० ) गउमुख के प्रकार की एक थैली जिसमें हाथ डालकर माला फिराई जाती है। गकार - ( न० ) कवर्ग का तीसरा वर्णं । 'ग' वर्ण । गग्गो । गगियो । खड़ो - ( न० ) मुसलमान । गगन - ( न०) आकाश । श्रसमान । गगन - गढ - ( न०) बहुत ऊंचा महल । गगनघेर - ( न० ) १. भीड़ । २. मानवसमूह | गगनचर - ( न० ) १. पक्षी । २. नक्षत्र । गगनमरिण - दे० गगनमिरण । गगनमंडळ - ( न० ) १. प्रकाश मंडल । २. ब्रह्माण्ड । ३. मस्तक (योगशास्त्रानुसार ) । गगन मरण - ( न० ) सूर्य । गगनमरिण । गगियो- दे० गग्गो । गग्गो - ( न०) 'ग' वर्ण । गघ - ( न० ) ऊँट | गधराज - दे० गघराव । गघराव - ( न० ) १. ऊँट । २. बड़ा ऊंट । ३. महिया ऊंट । महियो । गच - ( न०) १. चूने का फर्श । २. चूना । गचरको - ( न० ) १. खट्टी या तीखी डकार । प्रम्लीका । २. डकार के साथ श्राने वाला अपच अम्ल अंश । ३. उपेक्षा । लुग । ४. मिचळी । मतली । For Private and Personal Use Only गच्छ - ( न०) १. समुदाय । जत्था । २. जैन सम्प्रदाय के भेद या समुदाय का नाम । जैन साधुयों के चौरासी भेदों की संज्ञा । ३. जाना । गमन । Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गन्धर्व (३० ) गच्छवै-दे० गछवै। वाला वीर योद्धा । ३. शरणागत रक्षक । गच्छंती-(ना०) १. भाग जाने का भाव । ४. रक्षा करने में अग्रणी । (ना०) १. चंपत होना। २. गमन करने का भाव । हाथी के कुभस्थल पर बाँधी जाने वाली गमन । ढाल । २. बड़ी ढाल । गछरणो-(क्रि०) १. चलना। २. भागजाना। गजथाट-(न०) हस्ति सेना। ३. चले जाना। गजदंत-(न०) हाथी का दाँत । गछवै-(न०) गच्छपति । गजधर-(न०) १. भवन निर्माण करने गछंत-दे० गच्छंती। वाला शिल्पी । मिस्त्री । २. दरजी, बढ़ई, गज-(न०) १. हाथी। २. तीन फुट का एक सिलावट आदि जिनके काम में गज की ___माप । ३. बंदूक भरने की छड़ । ४. आवश्यकता रहती है । ३. दरजी। सारंगी बजाने की कमान । (वि०) १. गजनाळ-(ना०) बड़ी तोप। मुख्य । प्रधान । जैसे-गज दशा । २. गजब-(न०) १. विचित्र बात । २. पाश्चर्य । श्रेष्ठ । उत्तम । जैसे-गजगिरि । ३. बड़ा। अचंभा। ३. जुल्म । अन्याय । ४. अापत्ति। जैसे-गजमोती । गजपीपर । आफत । ५. कोप । रोष । (वि०) १. गजक-(ना०) तिल पपड़ी। . भयंकर । २. विचित्र। ३. अतिशय । गजगत-(न०) १. जमीन का गजों से किया खूब ।। हुआ माप । २. हाथी के समान मतवाली गजबरण-(वि०) १. गजब करने वाली । चाल । गजगति । २. नखरे वाली । नखराळी । गजगामणी-(वि०) हाथी के समान मस्त गजबंध-(न०) जिसके यहाँ सवारी के लिये चाल से चलने वाली । गजगामिनी। हाथी बँधे रहते हों। राजा। गजगामिनी-दे० गजगामणी। गजबंधी-दे० गजबंध । गजगाव-दे० गजगाह। गजबाग-(न०) हाथी को चलाने या वश में गजगाह-(न०) १. हाथी । २. हाथियों का करने का अंकुश । गजबांक । झुड । ३. हाथी की भूल । ४. शृंगारी गजबाँक-दे० गजबाग । घोड़ों के इधर उधर लटकाने वाले चमर। गजबी-(वि०) १. गजब करने वाला । २. ५. घोड़े की भूल । ६. घाघरा । लहँगा। कुशल । प्रवीण । चतुर । ७. गजगति । हाथी के समान चाल । ८. गजबोह-(न०) १. चमत्कार । २. विचियुद्ध । गजग्राह । १. संहार । नाश । त्रता। ३. गजब की बात । ४. शौर्य । (वि०) शूरवीर। वीरता । ५. हस्तीदल । गजगौहर-(न०) गजमोती। गजमुख-(न०) १. गणेश । २. हस्तीमुख । गजग्राह-(न०) युद्ध। गजमोती-(न०) १. एक प्रकार का मोती गजघड़ा-(न०) हस्ती सेना । जो हाथी के मस्तक से निकलता है। गजठेल-(वि०) हाथियों को पछाड़ने वाला। गजमुक्ता । २. बड़ा मोती । गजमोती । महाशक्तिशाली। गजर-(ना०) १. घंटा बजने का शब्द । गजडंबर-(न०) गज समूह । २. प्रातः काल बजने वाला घंटा । ३. गजढाल-(न०) हाथियों का समूह । गज- चार, छः, आठ, दस और बारह सम थाट । २. युद्ध में हाथियों की रक्षा करने संख्या के घंटों के बजने पर उतनी ही For Private and Personal Use Only Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गजराज गठड़ी बार जल्दी जल्दी बजने वाले घंटों की गजारूढ-(वि०) हाथी पर सवार । झनकार (शब्द) या बजाने की क्रिया। गजियाणी-(ना०) १. एक रेशमी कपड़ा। ४. दुर्ग पर से बजने वाला भोर का २. एक गज पनहे का रेशमी कपड़ा। नगाड़ा । ५. एक प्रकार की बंदूक । ६. गजी-(ना०) १. हस्तिनी। १. एक मोटा एक तोप । ७. गजर के अनुसार तोप का कपड़ा । खद्दर । छोड़ा जाना । ८. मजाक । दिल्लगी। गजेन्द्र-(न०) १. बड़ा हाथी। २. ऐरावत । ६. शोर । हल्ला । १०. उत्पात । गजो-(न०) १. सामर्थ्य । शक्ति । २. गजराज-(न०) बड़ा हाथी। सामर्थ्य । बिसात । बूता । गजरो-(न०) १. हाथ में पहिनने का एक गज्जूह-(न०) गजयूथ । हाथियों का झुंड । गहना । २. फूलों का गजरा। गज्र-(ना०) तोप। गजल-(ना०) १. उर्दू-फारसी की एक गट-(न०) गले में कोई वस्तु उतारने का रागिनी । २. इस राग का शृगारिक शब्द । काव्य । ३. उर्दू-फारसी का एक गायन गटकारणो-दे० गटकावणो। प्रकार । ४. रेखता। ५. वह गजल काव्य गटकावरणो-(क्रि०) १. उदरस्थ करना । जो सूफियों द्वारा जीव और आत्मा के गटकाना। पीना। निगल जाना। प्रतीक रूप तुर्रा और कलगी अथवा प्रिय २. हड़पना। और प्रियतमा (आशिक और माशूक) के गटकूड़ो-(न०) १. कबूतर । २. सुदर रंगदो प्रतिद्वन्द्वी समुदायों में आमने-सामने रूप का छोटा बच्चा। बैठ कर परस्पर एक दूसरे की श्रेष्ठता गटपट-(ना०) १. परस्पर की गुप्त वात । या महत्व के रूप में गाया जाता है। २. घनिष्टता। गजवदन-(न०) गणेश । गटरमाळा-(ना०) बड़े दानों की माला । गजवाग-दे० गजबाग । गटो-दे० गट्टो सं० ३ गजविभाड़-(वि०) हाथी को पछाड़ देने गट्टी-(ना०) लपेटे हुए धागे की दड़ी । वाला । जबरदस्त । वीर। गट्टो-(न०) मुसाफिरी में सेवा-पूजा और गजवेल-(10) फौलाद । इस्पात । कांति- . दर्शनार्थ साथ में रखने योग्य राम, कृष्ण सार। प्रादि की ढक्कनदार गोल छबि । २. हुक्के गजशाही-(न0) जोधपुर और बीकानेर के की तंबाकू रखने का एक विशेष प्रकार __ दोनों राजानों द्वारा प्रववित रुपया। का गोल डिब्बा। ३. कलाई और पांव गजसिंघजी-रो-रूपक-(न०) बीकानेर नरेश की नली के नीचे की जोड़ की उभरी हुई गजसिंह की प्रशस्ति का सिंढायच फतहराम हड्डी। टखना। गट्टा। ४. बेसन की का एक डिंगल काव्य । लोई । ५. हुक्के का एक भाग । ६. लपेटे हुये धागे का बड़ा गोल-दड़ा। गजंद-दे० गयंद । गठजोड़ो-(न०) १. विवाह में पाणिग्रहण गजा-(ना०) १. आफत । २. सामर्थ्य । के समय वर-वधू के उत्तरीय के छोरों को शक्ति । हैसियत । परस्पर बाँधने की एक प्रथा। २. गठगजाणण-(न०) गजानन । गणेश । बंधन । छेड़ाछड़ी। गजानन-(न०) गणेश । गठड़ी-(ना०)१. कपड़े में बँधा हुआ सामान। गजानंद-(न०) गजानन । गणेश । गठरी । पोटकी। For Private and Personal Use Only Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गठबंधण ( ३०५ ) गण गठबंधण-दे० गठजोड़ो। गड़ागड़-साज- १. वाद्य सामग्री। गाजेगठियो-(न०) १. गांठ काटने वाला। जेब बाजे । २. वाद्य-ध्वनि । काटने वाला । जेब कतरा। २. लुच्चा। गड़ासंध-(न०) सीमा। हद । (क्रि० वि०) ३. घुटने आदि अंग की जोड़ों में होने पास । निकट ।। वाला वायु रोग। वाय रोग से जोड़ों में गडी-(ना०) १. कपड़े की तह । २. कपड़े होने वाली पीड़ा। के समेटने पर बनने वाला उसका हर गड़-(न०) फोड़ा । गांठ। भाग या मोड़ । ३. बही के पन्नों में डाले हये सल । ४. उलझन । गाँठ । ५. कपड़े गड़गड़-खाँड-दे० कड़कड़ खांड । के थान थेले प्रादि की एक समान वस्तुओं गड़गड़ाट-(न०) गर्जन। की श्रेणीबद्ध की हुई चुनाई । ६. करीने गड़गड़ी-(ना०) कुएँ से डोल की रस्सी से रखी हुई वस्तुओं का समूह । खींचने का एक चक्राधार । फिरकी। गड्थळ-दे० गड़ोथळ । २. घिरनी। चरखी । गराड़ी। गड़ो-दे० गिड़ो। गड़-गूमड़-(न0) फोड़ा-फुन्सी। गड़ोथळ-(न०) १. छलांग । कुलाँच । गडडणो-(क्रि०) १. बादलों का गर्जना। कलाबाजी । २. शमिन्दगी । ३. हतप्रभ । २. गड़गड़ की ध्वनि होना। ३. नगाड़ा ४. हतकीर्ति । बजना । ४. जोर से बाजा बजना। गढ़-(न०) किला । दुर्ग । गडणो-(क्रि०) १. गड़ना। दफन होना। गढपति-(न०) १. राजा । २. दुर्गपति । २. धंसना । ३. चुभना। गढरोहो-(10)१. किले का घेरा । २. किले गडत-(ना०)१. बीमारी की तंद्रा । बीमारी पर से किया जाने वाला शत्रों का प्रव की बेहोशी। २. हलकी बेहोशी। ३. रोध । ३. गढ़ की आड़ में किया जानेवाला हलकी नींद। अवरोध । ४. गढ़ पर किया जाने वाला गड़दन-दे० गरदन । आक्रमण । गड़दानी-(ना०) गरदन । गरेबान । गढवई-दे० गढपति । गड़दान-(न०) १. एक वाद्य । २. ढोल। गढवाड़ो-(न०)चारणों का गाँव या बस्ती। ३. एक तोप । गढ़वार-(वि०) दृढ़ । मजबूत (कपड़े के गड़दानो-(न0) बाजा । ढोल । __लिये)। गड़बड़-(ना०) १. कोलाहल । शोरगुल । गढवी-(न०) १. चारण । (ना०) २. पानी २. अव्यवस्था। गोलमाल । ३. क्रमभंग। पीने का लोटे के प्राकार का छोटा पात्र । ४. दंगा। बलवा । ५. खड़बड़ी। बखेड़ा। कळसियो। गडवी-(ना०) लोटे के प्रकार की छोटी गढव-दे० गढपति । लुटिया। लोटे के ऊपर रखी जानेवाली गढवो-(न०) चारण । छोटी लुटिया, जिससे लोटे में से लेकर गढी-(ना०) १. छोटा गढ़। २. गांव के पानी पिया जाता है । कळसियो। (न0) चारों ओर का बाड़, भींत आदि का बना चारण । गठबी। हुमा प्रहाता। गडवो-(न०) १. लोटा। २. कलसा । गढीस-(न०) गढ़पति । घड़ा । ३. चारण । गढवी । गढोई-(न०) गढ़पति । गड़ाकू-(ना०) गुड़ या खमीर मिला हुमा गण-(न०) १. शिव का पारिषद । पार्षद । तम्बाकू। प्रमथ । २. मुड । समूह । ३. श्रेणी। For Private and Personal Use Only Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गरणकारणो वर्ग । ४. छंद शास्त्र के अनुसार तीन वर्णों का समूह । जैसे-यागण, मागण आदि । कारण- दे० गिरणकारणो । गणगोर - ( ना० ) १. पार्वती । गौरी । २. चैत्र मास में मनाया जाने वाला राजस्थान का एक प्रसिद्ध गौरी पूजन का उत्सव | गरणरणरणो- ( क्रि०) १. तोप में गोला छूटने का शब्द । २. प्रतिध्वनि होना । ३. बीत जाना । निकल जाना । गरणरणाटो - ( न० ) १. गोल चक्कर खाने की क्रिया या भाव। २. सिर घूमना । चक्कर । ३. भिनभिनाहट । ४. रोने जैसी सूरत बनाकर भीं-भीं करने का भाव । गन्नाटो । टन्नाटो । गुनगुनाहट । गरण - ( क्रि०) १. गिनना । गिनती करना । २. हिसाब लगाना । ३. समझना । ४. किसी को कुछ महत्व का समझना । महत्व देना । गणतरी - ( ना० ) १. गिनती । २. अनुमान । अंदाज । ३. पूछ । आदर | मान । सम्मान । ( ३०६ ) गणधर - ( न० ) तीर्थंकरों के उपदेशों का प्रचार करने वाले जैनाचार्यं । गणनायक - ( न०) गणेश । गणपति - (To) गणेश । गरणव- ( न० ) गणपति । गरणवै - ( न०) गणपति । गणिका - ( ना० ) गनिका । वेश्या । गणित - ( न०) १. गिनती, मात्रा, संख्या इत्यादि के हिसाब का शास्त्र । २. हिसाब | गणेश - दे० गणेसजी । गणेसजी - ( न० ) ज्ञान और मंगल कार्यों के देवता । सर्वप्रथम पूजनीय देव | गणेश । गजानन । गत - ( ना० ) १. गति । २. मोक्ष । ३. विधि । गति । ४. दशा। हालत । ५. ढंग । ६. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गदफड़ गति । चाल । ७. ईश्वरीय लीला । ८. वादन की क्रिया विशेष । वाद्य बजाने की कोई रीति । ६. तालभेद । १०. मजाक । ११. चालाकी । १२. मनुष्य, पशु आदि के बोलने ( बोलियो ) की ana | ( वि०) १. भूतकाल का | बीता हुना | प्रतीत । व्यतीत । २. गया हुआ । ३. नष्ट । हत । ४. रहित । हीन । ५. मरा हुआ । गत - पंचमी - ( ना० ) १. पंचत्व । २. मोक्ष | ३. पंचम गति । श्रेष्ठ गति । ४. वीर गति । ५. वीर लोक । ६. स्वर्ग । गतराड़ो - ( न०) हिजड़ा । गतंड | गतंड- दे० गतराड़ो । गतागत- (वि०) गया और भाया हुआ । ( न०) गमनागमन । गतागम - ( ना० ) १. समझ । २. विचार । ध्यान । ३. सूझ । ४. आना-जाना । आवागमन | ( वि०) गया और श्राया | गया और थाया हुआ । गताबोळ - ( न० ) १. वंशोच्छेदन । २. नाम शेष । नष्ट | ( वि० ) पानी में समाविष्ट । डूबा हुआ । २. नष्ट | गति - ( ना० ) १. चाल । गति । गमन । २. स्पदंन । हरकत । ३. गम्यस्थान । ४. प्रकार | ढंग । रीति । ५. दशा। हालत । अवस्था । ६. मरने के बाद की स्थिति । ७. मुक्ति । मोक्ष । ८. लीला । माया । गतू - ( न० ) किसी वस्तु पर से छोड़ा हुआा अपना अधिकार । २. बेचान । जैसे— मकान गतू कर दियो । ( अव्य० ) १. बिल्कुल भी । २. कुछ भी । ३. पूर्णतया । ( वि०) १. मस्त २. पूर्ण । संपूर्ण । गथराड़ो - ( न० ) १. हिजड़ा । २. नपुंसक गथियो- दे० गथराड़ो । गदफड़ - ( न० ) एक पीली चोंचवाला मांसाहारी पक्षी । (वि०) १. मोटा । २. फूला हुआ । For Private and Personal Use Only Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गदरो (३.७ ) गांगा गदरो-(न०) गद्दा । मादी । गबीड़ो-(न०) १. हानि । घाटा । २. किसी गदा-(ना०) एक अस्त्र । दुर्घटना का समाचार । ३. चोट । ४. गदियायो-(न०) प्राधे तोले का एक तोल । धोखा। गद्यारणक। गबोळो-(न०)१. विध्न । रुकावट । बाधा । गदियो-(न०) एक पुराने सिक्के का नाम । २. खयानत । ३. गबन । ४. गोटाला । · गरेयो। गोटाळो। गद्य-(न०) वह रचना जो पद्यबन्ध न हो। गभ-(न०) गर्भ । पद्य का उलटा। सादी लिखावट । २. गम-(न0) १. सूझ । २. ज्ञान । ३. गति । लेखनशैली । ३. लेखशैली। ४. सहन शीलता। ५. विचारशक्ति । गधामस्ती-(ना०) १. शरारत । ऊधम । ६ जानकारी। ७. क्षोभ । दुख । गम । २. धक्कमधक्का। ८. सब्र । ६. प्रतिष्ठा । साख । गधेड़ी-(ना०) गधी। गधेड़ो-(न०) गदहा । गधो। गमण-(न०) १. गमन । प्रस्थान । २. गधो-दे० गवेड़ो। (ना०) गधी। संभोग । मैथुन । ३. पाँव । ४. नाश । गनायत-(न०) स्वगोत्री के अतिरिक्त वह गमरणो-(क्रि०) १. खो जाना । २. मरना । सजातीय व्यक्ति जिसके घर बेटी लेने देने ३. नाश होना। ४. गमन करना। ५. का सम्बन्ध हो सकता हो। रिश्तेदार। बीतना। ६. बिताना । ७. मन लगना । सम्बन्धी । गिनायत । ८. फबना । अच्छा लगना । गनीम-(न०) १. शत्रु । २. डाकू । लुटेरा। गमत-(ना०) १. विनोद । गम्मत । २. गनीमारण-(न०)१. शत्रुदल । २. डाकूदल। प्रानन्द । मजा। गनो-(न०) सम्बन्ध । रिश्ता । गिनो। गमती-(वि०) १. विनोदी । गम्मती । २. गप-(ना०) १. उड़ती बात । अफवाह । २. मजाक-पसन्द । हँसोड़। झूठी बात । डोंग। गमर-(ना०) १. तुलना । बराबरी । २. गपाटो-(न०) गप । डींग । घमंड । गुमर । गपी-(वि०) गप हांकने वाला या वाली। गमलो-(न०) मिट्टी का एक पात्र जिसमे गप्पी । फूल-पत्ती के पौधे लगाये जाते हैं । गपोड़-(वि०) गप हाँकने वाला । गप्पी। गमला । गपोड़बाज-(वि०) गप हाँकने वाला । गयोबीतो-(वि०) निकम्मा । गया-गुजरा। गप्पी । गपोड़ो-(न०) गप्प । गमागम-(क्रि०वि०) १. चारों और । २. गप्पी-दे० गपी। इधर-उधर । यहां-वहाँ । ३. जहां-तहाँ । गप्पीदास-(वि०) गप हाँकने का प्रादी। ४. निरन्तर । गफलत-(ना.) १. असावधानी। २. भूल । गमाड़णो-दे० गमावणो। गबकावणो-(क्रि०) धमकाना। डाँटना। गमार-दे० गवार । गबड़कावणो-(क्रि०)धमकाना। दुत्कारना। " गमावरणो-(क्रि०) १. खोना। २. नाश फटकारना । फटकारणो। करना । ३. खो देना । ४. व्यतीत करना। गबरू-(वि०)१. मूर्ख । २. सीधा । भोला। गमाँगमाँ-(क्रि०वि०) १. चारों ओर से । ३.असावधान। २. चारों ओर को। चारों तरफ । For Private and Personal Use Only Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गमी ( ३..) गमी-(ना०) १. शोक । २. दिलगीरी। ३. आवश्यकता। ४. इच्छा । ५. खुशा३. मृत्यु । मद । ६. मेघ गर्जन । गाज । ७. दहाड़। गमीजणो-(क्रि०) खो जाना। गरजरणो-(क्रि०)१. गरजना । २. दहाड़ना। गमे-(क्रि०वि०) १. मोर । तरफ। (अध्य) गर्जन होना। ३. कड़क कर बोलना । अथवा । वा । या । तड़कना। गमे-गमे-(क्रि०वि०) १. चारों ओर से। गरजाउ-(वि०) १. गरज वाला। जरूरत २. चारों ओर । ३. इधर उधर । इधर- वाला । २. स्वार्थी । उधर को। गरट-दे० गरठ। गय-(न०) १. गज । हाथी । २. ऊँट । गरठ-(न०) १. सेना। २. समूह । मुड । गयगमणी-(वि०) गजगामिनी। ३. पाताल । (वि०) १. गरिष्ट । भारी। गयण-(न0) आकाश । गगन । प्रकास । २. अधिक । ३. कठिन । ४. अभेद्य । माभो। गरढी-(वि०) वृद्धा । बुड्ढ़ी। डोकरी । गयणमिण-(न०) गगनमणि । सूर्य । डेरगती। गयणंग-(न०) आकाश । प्राभो। गरढो-(वि०) बूढ़ा । वृद्ध । बूढो । डोकरो। गयरणाग-(न०) आकाश । प्राभो। डेरण। गयरणांगरण-(न०) आकाश । प्राभो। गरण-(ना.) १. कराह । २. ग्रहण । गयदंतो-(न0) हाथी के समान बड़े दाँत ३. पकड़ । बाला सूअर । गरणाटो-(ना०)१. कराह । गरण । २.बकगयनाळ-दे० गजनाळ । बक । ३. सिर पूमना । रक्कर । गयंद-(न०) गजेन्द्र । हाथी। गरणावणो-(क्रि०) १. गरण करना । गयाजी-(न०) बिहार में फल्गु नदी के तट कराहना । २. चक्कर खाना । सिर पर स्थित एक प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थस्थान । घूमना । ३. भिनभिनाना । यहाँ पितरों को पिंडदान करने का गरगो-(न०) छन्ना । गळरणो । जळ महात्म्य माना जाता है। गया। छारणरणो। गयो-(क्रि०भू०) 'जाणो' या 'जावरणो' का गरथ-(न०) १. रुपया-पैसा । धनमाल । भूतकाल रूप । १. चला गया। २. मर २. माल असबाब । ३. घर । ४. गृहस्थ । गया । ३. खो गया। ५. गाँठ। गयोड़ो-(भूका०कृ०) १. गया हुआ । २. गरथार-(ना०) घर । खोया हुआ। गरद-(ना०) १. गर्द । धूल । धूड़ । २. गयो-बीतो-(वि०) बुद्धिहीन । बेअक्ल । नाश । ३. झुड । (वि०) गर्द छाई हुई । गरक-(वि०) १. डूबा हुआ । सना हुआ। गरदन-(ना०)१. गला । ग्रीवा । २. बोतल गरक । २. लीन । तन्मय । ३. खूब । या कुप्पे का ऊपर का संकरा भाग। गरकाब-(वि०) १. मग्न । २. अंतरस्थ । गरदभ-(न०) गधा । गषो। डूबा हुआ । ३. समाहित । ४. गायब। गरदी-(ना०) १. भीड़ । जनसमूह । २. गर्द । लुप्त । गीला। शराबोर । गरगड़ी-दे० गड़गड़ी। गरनाळ-(ना०) चौड़े मुह की तोप । गरज-(ना०) १. स्वार्थ । २. प्रयोजन। गरब-(न०) गर्व । अभिमान । धूल। For Private and Personal Use Only Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बगल गरब गहेलो - (वि०) गर्वोन्मत्त | गरबणो - ( क्रि०) गर्वित होना । गर्व करना । गरबीजरो - ( क्रि०) गर्वित होना । श्रभि मान में आना । अभिमान होना । श्रभिमान करना । गरबीलो - ( वि०) १. श्रभिमानी । २. गर्वीला | गरभ - ( न० ) १. हमल । गर्भ । भ्रूण । २. गर्भाशय । ३. गूदा । ४. किसी वस्तु का मध्य भाग । (श्रव्य ० ) बीच में । भीतर में । गरभ - जगत - ( न० ) जगत का कारण । जगत- गर्भ परब्रह्म । गरभणी - (वि०) हामिला । गर्भिणी । गर्भवती । गरभवती- दे० गर्भवती । गरभवास- दे० गर्भवास | गरभीजरगो - ( क्रि०) गर्भधारण करना । गरम - ( वि० ) १. उष्ण । तप्त | गरम | २. क्रुद्ध | उत्तेजित । ३. उग्र । तीव्र । ४. गरमी पैदा करने वाला । गरमागरम - (वि०) गरम-गरम । गरमास - ( ना० ) १. गरमी । २. गरम वातावरण । गरमी - ( ना० ) १. उष्णता । ताप । २. विचार-विमर्श में आने वाली तेजी । गरम वातावरण । ३. क्रोध । ४. उपदंश । ५ आतशक रोग । उष्णता । ( ३०६ ) गर्भ २. गंभीर । धीरजवान । ४. गर्ववाला । घमंडी | गरहण - ( ना० ) १. घृणा । ३. उपालम्भ । गराळ - (वि०) विषभरा । विषाक्त । जहरीला ( न०) विषतुल्य शत्रु । भयंकर शत्रु । गरास दे० ग्रास । गरासियो - दे० ग्रासियो । गरीठ - (वि०) १. गरिष्ठ । भारी । २. पराक्रमी । ३. जबरदस्त । ४. अजेय वीर । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गर्दभ - (न०) गधा | करणो । गरवो- (वि०) १. गौरव वाला । गरुप्रा । गर्भ - दे० गरभ । २. हाथी । २. अनाथ | ४. सीधा । ( न० ) १. भीषण युद्ध । गरीब - ( वि०) १. निर्धन । ३. दीन हीन । बापुरा । सरल । ( न० ) भिखारी । मँगता । २. गलित कुष्ट वाला रोगी । कोढ़ी । गरीब-गुरबो - (न०) कंगाल । गरीबरणी - ( वि० ) निर्धना । भिखारी । २. सीधी । सरल | ( ना० ) भिखारन | मँगती । गरीब नवाज - ( वि०) दयालु । गरीब परवर - ( वि०) गरीब का पालन करने वाला । दीन प्रतिपालक । गरीबाई - ( ना० ) गरीबी । कंगाली । गरीबी- दे० गरीबाई | गरुड़ - ( न०) गरुड़ पक्षी । विष्णु का वाहन | गरुड़गामी - ( न०) विष्णु भगवान | गरुड़ध्वज - ( न०) विष्णु । गरूठ - (वि०) १. गरिष्ठ । भारी । २. जोरदार | जबरदस्त । ३. भयंकर । ४. बड़ा । ५. गवं वाला । गरळ - ( न० ) विष । जहर । गरळस - (न०) १. सर्प । २. बिच्छू । गरळाणी-दे० गरळावरणो । गरूर - ( न०) गर्व । अभिमान । गरळावरण - ( क्रि०) १. रोना । २. विधि - गरो - ( न० ) १. बल । शक्ति । २ पकड़ । ग्रहण | पकड़ने की शक्ति । ३. समूह । ४. ढेर । राशि । ५. झड़बेरी की पतली शाखाओं का ढेर । याना । गरवाई - ( ना० ) १. गंभीरता । २. अभिमान । ३. महिमा । ४. गरुप्रई । गरबीजरो - ( क्रि०) गर्व करना । घमंड गरोळी - ( ना० ) छिपकली । For Private and Personal Use Only २. निंदा । Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गर्भवती ( ३१०) गळहेर्थ गर्भवती-(वि०) सगर्भा । गभिरणी। तरल पदार्थों को छानने का कपड़ा। गर्भवास-(न०) १. उदर में गर्भ का वास । छन्ना । जलछारणरणो। जळछारपरिणयो। २. उदरस्थ गर्म । गलत-(वि०) १. अशुद्ध । जो सही न हो । गल-(ना०) १. बात । २. खबर । समाचार। २. असत्य । झूठा । खोटो। ३. संदेश । ४. गप्प । डींग । ५. पुकार। गळत कोढ-(न०) गलितकुष्ट । कोढ । गळ-(ना०) १. गला । कंठ। (किवि०) गळत कोढी-(न०) गलितकुष्टी । कोढियो । १. संलग्न । २ पास । निकट । ३. चारों गळतंग-(न०) ऊंट के गले में माला की ओर। तरह बंधी हुई एक मोटी रस्सी जिसको गळकासिला-(ना०) गंडकी नदी को ऊट पर कसे हुए पलान के अगले भाग शिला । सालिग्राम । में एक रस्सी के टुकड़े से इसलिए बाँध गळगळो-(वि०) १. अत्यधिक हर्ष, प्रेम, दिया जाता है कि जिससे पलान ऊंट की अदा ग्रादि के कारण आवेग से पूर्ण । पीठ पर से पीछे की ओर न खिसक सके। पुलकित । गदगद । २. दुखकातर । गळती-(वि०) समाप्त होती हुई। बीतती ३. अश्रु पूर्ण। हुई (रात)। (ना०) भूल । गलती। गळगै-(ना०) १. मन की गांठ । मन की। खोट। बात । २. गलग्रंथि । गले की गाँठ। गळथरणो-(न०) १. खूटे से बाँधने के लिए (अव्य०) मन में पशु के गले में डाली जाने वाली रस्सी । गळचिया खाणो-(मुहा०) मुह, नाक, कान २. बकरी के गले में लटकने वाला स्तन । प्रादि में पानी घुस जाने पर डूबने की (क्रि०) गले में रस्सी डालना। गले में स्थिति में होना। २. यथार्थ उत्तर नहीं डोरी बाँधना। दे सकने की स्थिति में या घबराहट से । गळपटियो-(ना०) स्त्रियों के गले में पहिऊटपटांग उत्तर देना। नने का एक प्राभूषण। गळचियो--(न०) गले से ऊपर मुह, कान, नाक में आ जाये उतने पानी में डबने की गलफो-(न०) १. ऊंट की फुलाई हुई जीभ । गल्लो। २. गाल का अंदर का भाग। क्रिया। गळडवो-(न०) कंधे पर रहने वाला चमड़े गले के अंदर का चमड़ा। का लंबा पट्टा जिसमें तलवार लटकाई गलबल-(अनु०) शोर । कोलाहल । रहती है। गलबो-दे० गलबल। गळणियो-(न०) दे० गळणी। गळवाणी-(ना०) घी में सिके हुए गेहूँ के गळणी-(ना०) १. तरल पदार्थ छानने का आटे को गुड़ के पानी में प्रौटा कर बनाई उपकरण, चलनी । चाळणी । २. गले हुए जाने वाली पतली राब। मीठी राब । अफीम को छानने की (बकरी के स्तन गुळराब । जैसी ) कपड़े की एक थैली। गळसूडो-(न०) १. गले और तालू के बीच गळणो-(क्रि०) १. गलना । पिघलना। में उभरा हुआ भाग। गलशुडी । गले का पिघळरयो । २. दुबला होना । क्षीण होना। एक रोग । ३. बीतना। खतम होना। ४. रस गळहथ-(ना०) १. सौंगघ । शपथ । बनना । ५. छनना । (न०) पानी आदि २. बंधन । For Private and Personal Use Only Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गळाई गळाई - ( क्रि०वि०) १. ज्यों । जिस प्रकार । २. जिस ढंग से । जैसे । ३. प्रकार । तरह समान । ( ना० ) १. गलाने का काम । १. गलाने की मजदूरी । ३. गालने की मजदूरी । ४. गालने का काम । गळाsha - (वि०) गला डूबे इतना (पानी) । गळाणो - ( क्रि०) १. गलवाना । गलाना । पिघलाना । २. नष्ट करना । गळामणो - ( न०) १. पशुप्रों के गले में बाँधने की डोरी । २. लंबी माला की तरह गले में बंधी हुई कपड़े की पट्टी जिसमें चोट लगाने या फोड़ा प्रादि होने से हाथ रखा रहता है। ( ३११ ) गलार - ( ना० ) १. मौज मजा । २. गायन । ३. भेड़ बकरी आदि पशु तथा गिद्ध आदि पक्षियों का तृप्ति या मौज में किया जाने वाला शब्द । ४. पशु-पक्षियों को मस्ती या मौज । गळावणो - ( क्रि०) गलाना । ( न० ) दे० गळामणो । गळित्रागो - (०) १. ब्राह्मण । २. त्रिवर्णं । द्विज । ३. जनेऊ | गळियार - ( न०) १. सँकड़ी गली । (वि०) १. गली गली में चक्कर लगाते रहने वाला । श्रावारा । २. रसिक । गळिवारो - ( न० ) १. सँकड़ी छोटी और बंद गली । २. संकड़ी गली । ३. संकड़ा मार्ग | गळियो गुलसरो- (न०) अधिक मादकता गला कर तैयार किया हुआ अफीम द्राव । गळी - ( ना० ) १. गली । कुचा । सेरी । २. छेद । ३. उपाय । गळी-कूचळी- दे० गळी-कूची । गळी - कूची - ( ना० ) १. रहस्य | भेद । २. प्रत्येक गली । गली-गली । ३. उपाय । गलीचो - ( न०) गालीचा । कालीन । गळ ं डो- (न०) दे० गळसूडो । गवड़ावरणो गळ टो- (न०) १. तीवन, घाट आदि रंधेज राँते समय बेसन, दलिया आदि में पड़ने वाली गांठ । २. गुलट । कुलाँच | गलेफ - ( ना० ) खाँड की परत । खाँड की चासनी की परत | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गले फरगो - ( क्रि०) मिठाई पर खाँड की चासनी की परत चढ़ाना । गळं - ( क्रि०वि० ) पास । निकट । कनै । ( अव्य० ) गले में । गळं - उतरणो- (मुहा० ) दिल में बैठना । उचित जान पड़ना । जँचना । २. समझ में आना । गळं-टूपो आवरण - (मुहा० ) संकट में पड़ना । गळं - पड़गो- ( मुहा० ) १. दोष मँढ़ना । २. जवाबदारी डालना । ३. खुशामद की जबरदस्ती करना । 1 गळं हाथदेणो - ( मुहा० ) सौंगध खाना । गळो - ( न०) १. गला । गर्दन । कंठ । २. कंठ । स्वर । ३. बर्तन आदि का ऊपरी पतला भाग । ३. अंगरखी, कुरते प्रादि का वह भाग जो गले के प्राजू-बाजू रहता है । गळो - पड़गो - (मुहा०) बालक के गले में गरमी होने वाला एक रोग । गल्ल - ( ना० ) १. कीर्ति । यश । २. शुभ कामों की कीर्ति गाथा । ३. बात । ४. उड़ती बात । ५. डींग । गप्प गल्लड़ी - ( ना० ) १. शुभ कामों की यश गाथा । २. बात । ३. उड़ती बात । गल्लो- ( न०) १. ऊंट की फुलाई हुई जीभ । २. बिकरी का रुपया-पैसा रखने की पेटी । ३. अन्न राशि | गवड़ - ( न०) गौड़ (राजपूत या ब्राह्मण) । गवड़ावणो - ( क्रि०) गीत गवाना । गाने में साथ देना । गवाना । For Private and Personal Use Only Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गहडंबर गवीड़जणो गवीड़जणो-(कि०) १. गाया जाना । २. ३. गाया जाना । बदनाम होना। गवेसो-(न०) १. निंदा-चर्चा । २. चर्चा । गवर-(ना०) १. गौरी। पार्वती । २. व्यर्थ की बातें। गप्पें । ३. बकवाद । गणगोर के उत्सव पर प्रदर्शित की जाने ४. बातचीत । ५. खोज-पता। वाली गौरी की काष्ठ-प्रतिमा। गवैयो-(न०) गाने वाला । गर्वया । गायक । गवरजा-(ना०) गौरी । पार्वती। गस-(ना०) १. चक्कर । २. बेहोशी । गवरल-(ना०) १. गौरी । पार्वती । २. गह-(न०) १. गर्व । घमंड । २. मानंद । गणगोर उत्सव पर गाया जाने वाला मौज । ३. मस्ती। ४. प्रतिष्ठा । मान । एक लोकगीत । ५. घर । गृह । ६. घर का कोई भाग । गवरांदे-(ना०) गौरीदेवी । गौरी। पार्वती। ७. घर का ऊपरी भाग । ऊपर की गवरी-(ना०) गौरी । पार्वती । मंजिल । (वि०) १. गंभीर । ऊड़ा। २. गवरीपुत्र-(न०) गणेशजी। मस्त । ३. जबरदस्त वीर ।। गवळ-(न०) १. गौवंश । गाय बैल आदि। गहक-(न०) १. नखरा । २. गर्व । घमंड। २. ग्वाला। ३. कृत्रिमता। गवा-(ना०) गवाह । साक्षी। गहकरणो-(क्रि०) १. प्रसन्न होना । खुश गनाड़-(ना०) १. मोहल्ला । गली । होना । २. खुश होकर गर्जना । ३. नखरे २. बाड़ा। से बोलना। ४. नखरे करना। ५. गर्व गवाड़गो-दे० गवड़ावणो । से बोलना । ६. पक्षियों का कलरव करना। गवाड़ी-(ना०) १. छोटी गली । गृहावली। ७. ढोल या नगाड़े का बजना । २. एक कुटुम्ब के पाँच-सात घरों की बंद गहको-(न०) १. बोलने का बनावटी और गली । २. घर । वंश । बाड़ी। ___ व्यंग्य पूर्ण ढंग । २. मिजाज । घमंड । गवार-(न०) १. ग्वार का क्षुप । २. ग्वार ३. नखरा । ४. कृत्रिमता । ५. ढंग । का बीज । ग्वार । तरीका। गवारणी-(ना०) गवारिया की स्त्री। गहगट-(न०) १. पानंद । हर्ष । खुशी । गवारफळी-(ना०) ग्वारफली। २. हर्षातिरेक । ३. उत्सव । ४. खूबी । गवारियो-(न०) प्रायः कंघा बनाने और विशेषता । ५. अधिकता। ६. हर्ष की बेचने वाली एक खानाबदोश जाति का अधिकता । बादलों का छा जाना । घटा। मनुष्य । ८. युद्ध । घमासान । गवाळ-(न०) ग्वाल। गहगहणो-(क्रि०) १. उत्साहित होना । गवाळण-(ना०) ग्वालिनी। २. प्रसन्न होना ३. उत्सव होना। ४. गवाळणी-दे० गवाळण । अच्छा लगना। ५ महकना। ६. विशेषता गवाळियो-(न०) ग्वाला। युक्त होना । ७. फलना-फूलना। गवावरणो-दे० गवड़ावणो । गहगाट-(वि०) प्रकाशमान । रौबवाला । गवाह-दे० गवा। गहड़-(वि०) १. वीर । २. जबरदस्त । गवाही-(ना०) साक्षी । गवाही ।। ३. गंभीर । (न०) गर्व । घमंड । गवीजणो-(क्रि०) १. कुख्यात होना । गहडंबर-(न०) १. घटा। २. धूप, अत्तर बदनाम होना । २. चर्चा का पात्र होना। आदि की सुगंधि से भरपूर बना हुआ For Private and Personal Use Only Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गणे www.kobatirth.org ( ३१३ ) वातावरण । (वि०) १. बादलों से छाया हुआ । २. वस्त्राभूषणों से अलंकृत | ३. घना । ४. खूब । गहण - ( न० ) २. युद्ध । ३. भीड़ । १. ग्रहण (सूर्य, चंद्र का ) । ( वि० ) गहन | गंभीर । गहणो - ( क्रि०) १. पकड़ना । २. धारण करना । लेना । (न०) गहना । प्रभूपण । गरणी - गाँठो - (०) गहना व अन्य सम्पत्ति | धन-माल । गहतंग - ( न० ) नशे में मस्त । गहपूर - (वि०) पूर्ण गर्वित । ( न० ) सिंह | गहभरियो - ( वि०) १. गर्वित । घमंडी । २. गंभीर । ३. मस्त | मौज । गहमह - ( न०) १. दीपकों की जगमगाहट । २. धूमधाम । उत्सव | ३. भीड़ । गहमरणो - ( क्रि०) १. दीपकों का चमकना । २. शोभा देना । ३. धूमधाम होना । ४. जोश में माना । ५. गर्व करना । ६. भीड़ करना । ७. भीड़ होना । गहमहर - (वि०) १. गंभीर । २. वीर । योद्धा | (To) उत्सव । धामधूम | गहमातो- (वि०) पूर्ण गर्वित । गर्वोन्मत | गहर - ( न० ) १. गर्व । घमंड | २. शोभा । ( वि० ) १. घना । गहरा । २. अथाह । ३. गंभीर । गहराई - ( ना० ) १. गहरापन | ऊंड़ाई | २. गंभीरता । गहरी - ( वि०) १. घनिष्ट । २. घना । अधिक । ३. गंभीर । ऊंड़ा । गहळ - ( ना० ) १. नशा । २. चक्कर । सिर घूमना । ३. भोजन का नशा या सुस्ती । ३. हलकी नींद । गहलाई - ( ना० ) पागलपन । गहलो - (वि० ) पागल । मत्त । ( न० ) १. हिलपुर- पाटण शासक कर्ण की मूर्खता का एक विरुद । २. कर्ण - गहलो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गंगाजळी गहवइ - ( न० ) गृहपति । गहवर - ( न०) १. सघनता । २. अभिमान । (वि०) १. गह्वर । दुर्गम । २. घना । ३. अभिमानी । गहवररणो - ( क्रि०) १. अभिमान करना । २. वृक्ष का पुष्पों, पत्तों आदि से छा जाना । ३. मस्ती से झूमना । गहवरियो - (वि०) १. गंभीर । २. निडर | ३. गर्वित । ४. मस्त । गहवंत - ( वि० ) १. घमंडी । अभिमानी । २. गंभीर । गहीजणो - ( क्रि०) १. घिस जाना । २. हानि उठाना। ३. दूसरे के बदले में हानि उठाना । गहीर - (वि०) गंभीर । गहरा । गहु प्राळ - ( ना० ) गेहूं के खेतों का समूह । गेहूं के खेतों की पंक्ति । गहूं- (०) गेहूं 1 For Private and Personal Use Only गंग - ( ना० ) गंगा । जान्हवी । भागीरथी । ( न०) १, जोधपुर नगर के स्थापक राव जोधा के वंशज राव गांगा का काव्य नाम । २. चहुवारण का पौत्र और चाह का पुत्र राणा घणसूर ( छापर - द्रोणपुर के माहिल का बडेरा) का विरूद । ३. ३. अकबर कालीन एक कवि । गंग-रो- जड़ाग- ( न०) भीष्म पितामह । गंगा - ( ना० ) भारत के उत्तर भाग की एक प्रसिद्ध और अति पवित्र नदी, जो हिमागंगोत्री से निकल कर बंगाल की खाड़ी में गिरती है । भागीरथी । गंगाजळ - ( न०) गंगा का जल । गंगाजळी - ( ना० ) १. टोंटी वाला छोटा जलपात्र । २. गंगा की यात्रा करके गंगाजल भर कर लाने का पात्र । ३. पीतल और ताँबे की चद्दर जोड़ कर बनाया हुआ छोटा कलश | लय Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गंगा न्हावणो गंदीवाड़ो गंगा न्हावणो-(मुहा०) १. पाप, झंझट गंजेड़ी-(वि०) गांजा पीने वाला। नशाबाज । और उत्तरदायित्व से बरी होना। २. गंगा गंजो-(न०) गंज रोग वाला। में स्नान करना। गंठ-(ना०) १. गाँठ । २. उलझन । ३. मायागंगा-परसादी-(ना०) गंगा-यात्रा की प्रसादी रूपी गांठ । प्रविद्या । अज्ञान । और गंगाजल बाँटने के निमित्त किया गंठियो-(न०) १. संधिवात का एक रोग । जाने वाला भोजन-समारोह। गठिया रोग । २. गॅठकटा। गिरहकटा । गंगा-सागर-(न०) वह तीर्थ स्थान जहाँ ३. ठग । धूर्त । ४. एक घास । गंगा सागर में मिलती है। २. टोंटी वाला गंठीजणो-(क्रि०) बंध जाना । लोटा । गंठो-(न०) १. ऊंट पर दोनों प्रोर लदी गंगा-स्वरूप-(वि०) १. गंगा के समान हुई जलाने की लकड़ियों (इंधन) की निर्मल स्वभाव वाला। २. शांत प्रकृति लाव । २. कस कर बांधी हुई गठरी । के धर्माचारी व्यक्तियों के नाम के पहिले ३. पानी में ऊपर से सीधी मारी जाने आदरार्थ प्रयुक्त होने वाला एक विशेषण। वाली छलाँग। ३. विधवा स्त्रियों के नाम के पूर्व लिखा गंडक-(न०) १. कुत्ता । कूतरो । २. ग्रामजाने वाला आदर सूचक 'गं० स्व० शूकर । विशेषण का पूरा नाम। गंडकड़ी-(ना०) १. कुत्ती । कुतिया । गंगेरण-(मा०) १. एक वृक्ष । २. इस वृक्ष कूतरी । २. ग्राम-शूकरी । __ की लकड़ी। गंडकड़ो-दे० गंडक । गंगेव-(न०) गांगेय । भीष्म पितामह । गंड़की-(ना०) १. एक नदी का नाम । गंगोज-(न०) दे० गंगा-परसादी । २. कुतिया । कुत्तो। गंगोतरी-(ना०) वह तीर्थ स्थान जहाँ से गंडसूर-(न०) ग्राम शूकर । गंगा निकलती है । गंगोत्री। रुद्र हिमा- गंडसूरो-दे० गंडसूर । लय। गंडूरो-दे० गंडसूर । गंज-(न०)१. ढेर । राशि । २. एक के ऊपर गंडो-(न०) १. अंकुश । २. एक शस्त्र । एक रखी हुई एकसी चीजों का ढेर । ३. ताबीज । गंडा। ३. सिर की चमड़ी का एक रोग। गंदगी-(ना०) १. मैलापन । २. अस्वच्छता । खल्वाट । ४. एक ही वस्तु के क्रय-विक्रय अशुद्धता । ३. मैला । मल । का बाजार । मंडी। गंदळ-(ना०) मूली, गाजर आदि के पत्तों गंजणहार-(वि०) १. शत्रुओं का नाश करने के बीच में उत्पन्न होने वाला एक कोमल वाला । २. वीर । ३. जीतने वाला। डंठल वाला पत्ता। गंजगो-(वि०) शत्रुषों का नाश करने वाला। गंदवाड़-(ना०) १. गदंगी । २. अस्वच्छता। (क्रि०) १. नाश करना । गंजना २. परा- ३. गंदीवाड़ा। जित करना। ' गंदियो-(न०) १. एक तीक्ष्ण बदबू वाला गंजीजणो-(क्रि०) १. नाश होना । मरना। घास । २. एक कीड़ा । २. हारना। गंदीवाड़ो-(न०) १. दुर्गंध वाले कचरे का गंजीफो-(न०) १. ताश की गड्डी। ताश ढेर । २. वह स्थान जहाँ ऐसा गंदा कचरा का खेल। पड़ा हो । ३. गंदगी। For Private and Personal Use Only Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गंदी गाडीवान गंदो-(न०) जट की दरी। (वि०) मैला। गाऊ-(न०) दूरी का एक नाप जो दो मील गंदा । अस्वच्छ । __ का होता है । गव्यूत । कोस । गंध-(ना०) १. सुगंध । २. दुर्गध । ३. गागड़दो-(न०) राब के जैसी गाढ़ी छनी लेशमात्र स्पर्श । ४. लेशमात्र निकटता। हुई भांग । २. अधिक गाढ़ा द्रव । गंधक-(न०) गंधक । गाघ-(न०) १. गहरा घाव । २. सड़ा हुमा गंधजाण-(न०) नासिका । घाव । (वि०) १. चालाक । होशियार । गंधमद-दे० मदगंध । घाघ । २. चतुर । दक्ष । गंधरप-(न०) १. गंधर्व । २. गंधक । गाघराणो-(क्रि०) विवाहित पति को गंधर्व-(10) १. गाने बजाने वाले देवतानों छोड़कर या विधवा होने पर स्त्री का का एक वर्ग। गाने बजाने वाली एक दूसरे पुरुष के घर में पत्नी रूप से रहना। जाति । गाज-(न०) १. बादल का गर्जन । २. सिंह गंधर्वनगरी-(ना०) १. आकाश मंडल में की दहाड़ । ३. तोप के छूटने का शब्द । ४. बिजली। वज्र। ५. एक वस्त्र । दिखने वाला एक प्रतिबिम्ब । २. काल्प ६. बटन का काज । निक नगर । मिथ्या ज्ञान । गाजरगो-(क्रि०) १. बादलों का गर्जना । गंध-वह-(न०) १. नाक । नासिका । २. २. सिंह का दहाड़ना। (वि०) गाजने २. पवन । वायु। ३. चंदन । (वि०) वाला। सुगंधित । गाजन माता-(ना०) बनजारों की कुलगध-वहरण-दे० गंधवह । देवी। गंधवाह-दे० गंधवह । गाजर-(ना०) १. मूली के जैसा एक कंद । गंधसार-(न०) चंदन। गाजर । २. एक प्रकार की प्रतिशगंधहर-(न०) नाक । बाजी। गंधावरणो-(क्रि०) गंधना । बदबू मारना। गाज-वीज-(न०) बादलों का गर्जन और बू मारना। बिजली की चमक । गंधी-दे० गाँधी। गाठणो-(क्रि०) घिसना । घिसजाना । गंधीलो-(वि०) १. मैला । बदबूदार । गाठीजणो-(क्रि०) घिसजाना । गंधवाला। गाडगो-(क्रि०) १. गाड़ना । दफनाना । गंध्रव-(न०) गंधर्व । २. थंभे आदि के कुछ भाग को गाड़ कर गंभीर-(वि०) १. उदार । २. प्रौढ़ । ३. खड़ा करना। गहरा । ४. विकट । ५. शांत । ६. धीर। गाडर-(ना०) भेड़ । (न०) एक विषला वरण। गाडियोड़ो-(वि०) १. गाड़ा हुआ। गंभीरी-(ना०) मेवाड़ की एक नदी। गाडी-(ना०)१. सामान या मनुष्यों को एक गँवार-(वि०) १. ग्रामीण । देहाती । २. स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने वाला मूर्ख । नासमझ । २. असभ्य । यान । रेलगाड़ी, घोडागाड़ी, बैलगाड़ी गा-(ना०) १. गाय । २. पृथ्वी। (वि०) आदि। गरीब । बिचारा। ___ गाड़ीखड़-(वि०) गाड़ी चलाने वाला । गाएठो-(न०) पराल में से अनाज को अलग गाड़ीवान । गाड़ीवाळो । सागड़ी। करने का काम । गाडीवान-दे० गाड़ीखड़। For Private and Personal Use Only Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गाडेती गाती - (वि०) गाड़ीवान । गाड़ीवाळो । गाडो - ( न० ) १. छकड़ा। २. बैलगाड़ी । २. घास से भरी हुई बैलगाड़ी । गाडो धकावरण - ( मुहा० ) १. जैसे तैसे गुजारा करना । २. अपना व्यवहार विवेक से चलाना । गाडो चलावणी-दे० गाडो धकावणो । गाडोलियो - ( न० ) १. बैलगाड़ी पर घरसामान रख कर एक गांव से दूसरे गाँव धंधे के निमित्त फिरती रहने वाली खानाबदोश लुहार जाति का व्यक्ति । २. चलना सीखने की बच्चों की एक प्रकार की छोटी गाड़ी । गाडोलो - ( ना० ) १. दे० गाडोलियो । २. हाथ से चलाया जाने वाला ठेला । गाढ - ( न० ) १. शक्ति । २. धैर्य ३. गर्व । घमंड । ४. प्राग्रह । ५. दृढ़ता । ६. निरोगता । ६. सम्मान । मान-सनमान । ( वि०) १. गहरा २. पक्का । ३. घना । ३. दृढ़ । ५. अधिक । गाढम - ( वि०) १. गर्वीला । २. गंभीर | ३. वीर । ( न० ) १. वीरता । २. बल । ३. गंभीरता । ४. प्रतिष्ठा । गाढमल - ( न० ) १. गर्वीला वीर । २. वीर पुरुष । ( वि०) स्वाभिमानी । २. अभिमानी । गाढ - रो-कोट - ( न० ) शक्ति का भंडार | (वि०) १. अजेय शक्तिशाली | जबरदस्त ताकतवर । २. स्वाभिमानी । गाढवान-दे० गाढवाळ | गढवाळ - (वि०) १. शक्तिमान । २. धीरज ( ३६ ) वान । ३. दृढ़ । गाढवाळो - (वि०) १. बलवान । २. धैर्यवान । ३. गंभीर । ४. सहनशील । गाढा - मारू - (न०) १. गर्वीला पुरुष स्वाभिमानी व्यक्ति । २. रसिक पुरुष ३. जमाई । दामाद । ४. दूल्हा । ५. । । गादह जमाई | विवाह के लोकगीतों का । ६. एक नायक । ७. एक लोक गीत । गाढो - (वि०) १. अच्छा । २. खूब । अधिक । बहुत । ३. जो अधिक पतला न हो । काठो । ४. घनिष्ट । घना । ५. धैर्यवान । धीरजवाळो । ६. दृढ़ । ७. गर्वीला । गाणो - ( न० ) गाना । गायन । गीत । ( क्रि०) गाना । गीत गाना । लय के साथ अलापना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गात - ( न०) शरीर । देह | गाड़ी - ( ना० ) दे० गाती । गातर - ( न० ) १. गात्र । अंग । २. शरीर का कोई भाग । ३. दे० गातरो । गातर ढीला पड़रणो- ( मुहा० ) शर्म या डर के मारे शिथिल पड़ जाना । गातरो - ( न०) १. अनेक प्राड़े डंडों वाली निसेनी का एक डंडा । २. किंवाड़ में लगने वाली श्राड़ी लकड़ी का एक टुकड़ा । गाती - ( ना० ) १. शरीर पर कपड़ा लपेट कर बाँधने का एक ढँग । २. छाती और पीठ पर लपेट कर बाँधा जाने वाला कपड़ा । गातो- दे० गातरों | गात्र - ( न० ) १. शरीर । देह । २. शरीर का कोई भाग । अंग । गातर । गाथ - ( ना० ) १. धन । २. घर । ३. गाथा । कथा । वृत्तान्त । ४. कीर्ति । यश । गाथा - ( ना० ) १. कथा । वृत्तान्त । २. कीर्ति । यश । ३. छंदबद्ध वार्ता । ४. वर्णन | बयान | चित्ररण । ५. एक छंद । गाद - ( ना० ) १. तरल पदार्थ के नीचे जम जाने वाली गाढ़ी चीज । तलछट । कीट । कीचड़ । २. पशुओंों के चूतड़ के ऊपर का भाग । पुट्ठा। ३. गंध । ४. दुर्गंध । ५. मैला । विष्ठा । मल । गादड़ो - ( न०) गीदड़ | गादरणो - ( क्रि०) १. अंकुरित होना । २. प्रफुल्लित होना । खिलना । प्रसन्न होना । गदह - (०) गदहा । गधो । For Private and Personal Use Only Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोमू। गावही (११७) गाम भाभी गादहो-दे० गादह । वस्तु का भीतरी भाग। गादी-(ना०) १. राज्य सिंहासन । २. राजा, गाभरणी-(ना०) गर्भवती। (प्रायः गाय, महंत, साधु आदि के बैठने का आसन मैंस आदि के लिये)। तथा पद । ३. किसी व्यवसायी के बैठने. गाभलो-(न0) चूड़ा चीरने के बाद रहा का स्थान । पेढ़ी। दुकान । ४. गद्दी। हुआ हाथी-दांत का वह बीच का भाग प्रासन । जो चूड़ी चीरने के योग्य नहीं रहता। गादीधर-(न०) १. महंत । २. राजा। (वि०) १. भोला। सीधा । २. मूर्ख । ३. उत्तराधिकारी। गादी नशीन-(वि०) १. गद्दी नशीन । गद्दी गाभो-(न०) १. वस्त्र । कपड़ा । २. रद्दी पर बैठा हुआ। सिंहासनारूढ़ । २. पदा- कपड़ा । ३. कड़ा, टड्डा आदि पोले आभू षणों के अंदर की ताँबे की पतली छड़ गादेपत-दे० गाधोतरो। (सरिया)। गादोतरो-दे० गाधोतरो। गाम-(न0) १. ग्राम। गांव। २. निवास गाधोतरै-गाळ-(अव्य०) सख्त से सख्त दी स्थान । जाने वाली शपथ या गाली। जैसे-मारा गाम-गोठ-(न०) १. प्रवास । यात्रा । २. रुपिया हमार-रा-हमार नहीं देवैला तो गांव -गोष्ठी। ३. ठाम-ठिकाना। पताथनै गादोतर-गाळ है। ठिकाना। गाधोतरो-(न०) १. पुनः नहीं लौट पाने गामठी-(वि०) १. गाँव से संबंधित । २. के लिये, गौवध के पाप लगने की प्रतिज्ञा गाँव संबंधी। ३. गाँव का रहने वाला । करके किसी गांव से किया हुआ सामूहिक गँवार । ४. विदेशों में बनी हुई के मुकानिष्कासन । गौवधोत्तर । २. ऐसी दुर्घटना बिले देश में बनी हुई (वस्तु) । देश में गृह के समय छोड़े हुए स्थान पर खड़ा किया उद्योग द्वारा निर्मित । जाने वाला गौ मूर्ति के साथ अंकित गामठी-चाँदी-(ना०) १. जेवर प्रादि शिलालेख । ३. इसी प्रकार किया जाने मिलावटी चाँदी को घरू शोधन-प्रक्रिया वाला निष्कासन जिसमें वापिस नहीं लौट से तैयार की गई शुद्ध चाँदी । २. टॅकसाल में शुद्ध नहीं की हुई अथवा टॅकसाल में पाने के लिए माता, पुत्री, बहिन और टच नहीं निकलवाई हुई चाँदी । पत्नी के साथ गदहे से संभोग कराने की गामड़ियो-(न०) छोटा गांव । (वि०) गाँव शपथ ली हुई हो। ४. गदहे से संभोग का । गाँव का रहने वाला। कराती हुई स्त्री की मूत्ति के साथ अंकित गामतरो-(न०) १. अपने गांव से की जाने उक्त आशय का शिलालेख । गर्दभीतर।। वाली दूसरे गाँव की यात्रा । २. एक गांव गानगर-(न०) गायक । से दूसरे गाँव को जाने की क्रिया। ग्रामागाफल-(वि०) गाफिस । बेसुध । न्तर होना । ग्रामान्तरण । गाबड़-(ना०) गरदन । ग्रीवा। गामधणी-(न०)गांव का स्वामी । जागीरगाभ-(न०) १. हमल । भ्रूण । गर्भ । प्रायः दार । इस शब्द का अर्थ गाय, भैस आदि मादा गामघर-(10) गाँव का स्वामी । पशुओं के गर्भ से ही लिया जाता है। गाम भाभी-(न0) सरकारी या जागीरी के ३. किसी वस्तु का मध्य भाग । ४. किसी काम के लिये प्रासामियो को बुलाने के For Private and Personal Use Only Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्यक्ति । गाम सारणी गावतकियो लिये नियुक्त किया गया भाभी जाति का द्वारा संबंधियों को संबोधन करके गाये जाने वाले परिहास गीत । (न०) १. मालगाम-सारणी-(ना०) सारे गाँव को दिया पुषा, जलेबी आदि बनाने के लिये बनाया जाने वाला भोजन । किसी एक व्यक्ति जाने वाला प्राटे का घोल । २. मार्ग । की ओर से समस्त गांव के लिये किया ३. पहाड़ का तंग मार्ग । ४. दो पहाड़ों जाने वाला भोजन समारोह । वृहत् गांव के बीच का सैकड़ा मार्ग। ५. पर्वत की भोज। घाटी । ६. संहार । नाश । गामसिंघ-(न०) कुत्ता । ग्रामसिंह । गाळणो-(क्रि०) १. पिघलाना। गलाना । गामाऊ-(वि०) गांव संबंधी। गाँव का। २. निचोड़ना। २. पानी आदि किसी गामेती-(वि०) १. गाँव का निवासी। तरल पदार्थ को छानना। ४. मजबूर गॅवार । ग्रामीण । २. गाँव का अगुप्रा। करना । मनाना। ५. प्रभाव डालना । गामोगाम-(न०) गाँव-गाँव । प्रत्येक गाँव। ६. नष्ट करना। प्रति गाँव । गाळमो-(न०) गला हुआ अफीम । कसूबो। गाय-(ना०) धेनु । गाय । गौ। (वि०) गला हुआ । पिघला हुआ। गायक-(न०) गया। गाळी-(ना०) १. उपाय । रास्ता। २. गाँठ । गायकवाड़-(न०) वडोदरा राज्य के शासक ग्रंथि। ३. टोटी, लोंग प्रादि कर्णाभूषणों की जाति या विरुद। ___ का वह विछला भाग जो (लोलक) कणं गायटो-(न०) खलिहान में भूसे से अनाज छेद में डाला हुआ रहता है । ४. गाली । को जुदा करने की क्रिया। दुर्वचन । गायड़मल-दे० गाहड़मल । गाळो-(न०) १. अंतर । फर्क । २. समयागायड़-रो-गाडो-दे० गाहड़-रो-गाडो। न्तर । ३. स्थलान्तर । ४. किसी वस्तु गायणी-(ना०) १. गाने वाली । गायिनी। के मूल्य में एक दूसरे स्थान में परस्पर पेशेवर गायिका । २. वेश्या। रहने वाला अंतर । ५ सरकाई जा सकने गायत्री-(ना०) १. एक अत्यन्त पवित्र वाली रस्सी की गाँठ । फांसा । सरकी वैदिक मंत्र । गायत्री। २.एक वैदिक छंद। पासो। ७. चक्की का मुंह । ८. चूड़ी गायवी-(न०) गायक। आदि गोल वस्तु का घेरा। व्यास । ६. गार-(ना०) लीपने के लिये बनाया हुआ चक्की के गाले (मुह में पीसने के लिये गोबर और मिट्टी का गारा। २. कीचड़। डाले जाने वाले मुट्ठी भर अनाज का गारड़ी-(न०) सँपेरा। परिमाण। १०. चक्की के मुंह में डाला गारत-(वि०) नष्ट बरबाद । जाने वाला मुट्ठी भर अनाज । गारबो-(न०) १. गर्व । घमंड । गावड़ियो-(न०) १. बैल, साढ़, बछड़ा गारो-(न०) १. कीचड़ । कादो । २. चुनाई प्रादि गोवंश । २. बैल । ३. सौढ़ । के लिये गालो हुई मिट्टी। गारा। गावड़ी-(ना०) गाय । गौ । पालेड़ो। गावणियो-(वि०) गाने वाला। गवयो। गाल-(न०) कपोल । गाल । गावरणो-दे० गायो। गाळ-(ना०) १. गाली। अपशब्द । २. गाव तकियो-(न०) १. छोटा गोल तकिया कलंक । लांछन । ३. विवाह में स्त्रियों जो सोते समय गाल के नीचे रखा रहता For Private and Personal Use Only Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाव ( ३१६ ) पार है। २. गादी पर रखा रहने वाला लंबा का फल । तकिया । मसनद । पीठ के सहारे का बड़ा गाँगरत-(ना०) १. व्यर्थ की बातें। बकतकिया। वाद । २. बात की रगड़ । रटन । गावदू-(वि०) गावदी । नासमझ। गाँगरो-दे० गांगरत । गावी छाछ-(ना०) गाय की छाछ । गोतक। गाँगीरासो-(न०) १. व्यर्थ की लम्बी बातें। गावो-(वि०) गाय का । गाय से संबंधित । बकवाद । २. बार-बार वे ही बातें। बात (ना०) गाय। की रगड़। गावो-घी-(न०) गाय का घी । गोघृत । गांगेय-(न०) भीष्म पितामह । गावो-दूध-(न०) गाय का दूध। गो-दुग्ध । गाँधेड़ो-(न०) गरदन में से टूट कर जुदा गास-(न०) ग्रास । कौर । निवाला। कवो। हो गया हुअा घड़े बरतन आदि का मुह । गासियो-दे० गास। गाँघो-(न०) दे० गांघेड़ो। गाह-(न०) १. गर्व । २. शक्ति । ३. कथा। गाँछ-(ना०) १. गाँछे का काम । २. गांठ । ४. हानि । नुकसान । ५. नाश । ३. समूह । टोळी। गाहटणो-(क्रि०) दे० गाहणो । गाँछण-(ना.) १. गांछे की पत्नी । २. गांछा गाहटो-दे० गायटो। जाति की स्त्री। गाहड़-(न०)१. अभिमान । २. स्वाभिमान। गाँछो-(ना०) १. बांस की टोकरियां बनाने ३. शक्ति । बल। _वाली जाति का व्यक्ति । गाहड़णो-(क्रि०) अभिमान करना। गाँजणो-(क्रि०) १. नष्ट करना। नाश गाहड़मल-(वि०) १. गर्वीला। २. स्वाभि- करना । गंजन करना । २. हराना। मानी । ३. शौकीन । (न०) १. दूल्हा। गाँजर-(न०) चरस । मोट । कोश । वींद । २. स्वाभिमान और वीरता सूचक गाँजो-(न०) १. भाला । २. भांग की जाति दूल्हे का पर्याय । ३. दूल्हे का एक विरुद। का एक नशीला पौधा, जिसकी कलियों ४. विवाह के गीतों का एक नायक । को चिलम में तमाकू की तरह पीते हैं। गाहड़-रो-गाडो-(न०) १. समर स्वाभि- गाँठ-(ना.) १. बंध । २. ग्रंथि । गाँठ । मानी । २. स्वाभिमानी पुरुष । ३.जड़ की गुत्थी । ४.गोल जड़ । ५. बांस ३. वीर पुरुष । ___ का पोर । ६. गठड़ी । ७. फोड़ा । व्रण। गाहण-(न०) १. नाश । २. युद्ध । (वि०) गाँठड़ी-(ना०) गठरी । गठड़ी। नाश करने वाला। गाँठणो-(क्रि०) १. जूतों की मरम्मत करना। गाहणो-(न०) १. धान, गेहूं प्रादि दाने २. फंसाना । बनाना। ३. गांठ देना । निकालने के लिये डंठलों के ढेर पर बैलों बांधना। प्रादि को फिराने की क्रिया। दे० गायटो। गाँठ-रो-(वि०) अपना । निज का। (क्रि०) १. नाश करना । २. पकड़ना। गाँठाळो-(वि०) गांठों वाला। ग्रहण करना। ३. ठगना । ४. पहुँचना। गाँठियो-(न०) सोंठ, हल्दी आदि की गांठ५. घिस जाना। ६. घिसना । घिसा दार जड़ । गाँठ के प्राकार की जड़ । जाना। गाँठे-(क्रि०वि०)१. पास में । २.अधिकार में। गाहा-दे० गाथा। गाँड-(ना०) १. गुदा। मलद्वार । २. पेंदा । गाँगड़ी-(ना०) १. एक क्षुप । २. इस क्षुप तला। For Private and Personal Use Only Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोषणो ( ३२०) गिनर गांथणो-(क्रि०) १. किसी को अपने पक्ष वाला । बलवान । (न०) १. शूकर । में कर लेना। २. बांधना। दो पशुओं २. ऊंट । को गले से एक साथ बांधना। गिड़गिड़ी-(ना०) कुएँ पर लगा हुआ गाँथे घालणो-(मुहा०) १. अपनाना । पहिया जिस पर डोल रख कर खींचा अपना करना। २. अपने पक्ष में करना। जाता है। चरखी। फिरकी। ३. प्राश्रय देना। ४. किसी को अपने गिड़दी-दे० गिरदी। कब्जे में लेना। ५. किसी को दूसरे के गिड़राज-(न०) १. बड़ा सूपर । सूपर । प्राश्रय में कर देना । ६. दो पशुओं को २. ऊंट । गले से एक साथ बाँधना । गिड़ग-(न0) ऊंट। गाँधरण-(ना०) गांधी की स्त्री। गिड़ो-(न०) १. प्रोला। २. बड़ा गोल गाँधी-(न०)१. अत्तर बेचने वाला । अत्तार । पत्थर । २. पंसारी । ३. एक वैश्य जाति । गिणका-(ना०) गणिका । वेश्या । गाँव-न०) दे० गाम । गिरणकारणो-(क्रि०) १. सम्मान करना । गाँव खेड़ो-(न०) १. गाँव के प्राजू बाजू की २. आदर देना। ३. किसी बात पर ध्यान जमीन । बस्ती के अतिरिक्त गांव की वह देना । बात का मानना । स्वीकार करना। जमीन जो वहाँ की पंचायत या म्युनिसी- ४. लक्ष्य में लेना । ५. अपनाये रखना। पलिटी के अधिकार में हो। गाँव की गिरणगोर-(ना०) दे० गणगोर । सीमा । २. गाँव । गिणणो-(कि०) १. गिनना। गिनती । गाँवडियो-दे० गामड़ियो। करना। गणना करना । २. हिसाब गाँवतरो-दे० गामतरो। लगाना। ३. मानना । ४.ध्यान देना। ५. गाँवधणी-दे० गामघरणी। . किसी बात को कुछ महत्व को समझना । गाँवधर-दे० गामधर । ६. किसी को कुछ महत्व का समझना । गांवभाँमी-दे० गामभाँमी। ७. महत्व देना। गाँव सारणी-दे० गामसारणी । गिणत-(ना०) १. चिंता। खटक । परवाह । गाँवसिंघ-दे० गामसिंघ। २. विचार । ध्यान । ३. सोच-विचार । गाँवाऊ-दे० गामाऊ। ४. गणना। ५. महत्व । (वि०) गिना गिगन-(न०) गगन । आकाश । जाने वाला। माना जाने वाला । सम्मान गिगनार-(न०) १. आकाश । २. गिरनार वाला। गिनती में आने वाला। पर्वत । गिणती-(ना०) १. गिनती । गणना । २ गिचरको-३० गचरको। ___ महत्व । ३. संख्या । गिजा-(ना०) १. भोजन । २. ताकत देने गिणाणो-(क्रि०) गिनाना। वाली खुराक । ३. संकट । प्राफत । गिटकणो-(क्रि०) गिटना । निगलना।। गिणावणो-(क्रि०) गिनवाना । गिणाणो। गिटणो-(क्रि०) १. निगलना । २. समाप्त गिथळ-(वि०) १. गंदा । २. पागल । (न०) करना। हिजड़ा। गिड़-(न०) सूअर । (वि०) बड़ा । दे० गिड़ो। गिनर-(ना०) १. परवाह । चिंता। २. गिड़कंध-(वि०) १. दृढ़स्कंध । २. दृढ़स्कंध ध्यान । ख्याल । For Private and Personal Use Only Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गिनरत ( ३२१ ) गिरसोन गिनरत-(ना०) १. गिनती । गणना । धूलि । गर्द । २. ख्याल । विचार । ध्यान । ३. पूछ। गिरदवाय-(न०) १. विस्तार । २. घेरा। बूझ । चारों ओर का विस्तार । गिनान-दे० ग्यान । गिरदाव-(क्रि०वि०) चारों ओर । (न०) गिनान-विसंभ-(न०) ज्ञान का आधार-रूप। घेरा । चक्कर । ज्ञान-विध भ । (वि०) तत्वज्ञान में दृढ़। गिरदावर-(न०) महकमा मालगुजारी का गिनायत-दे० गनायत। __ एक कार्यकर्ता। फिर करके जांच पड़ताल गिनारणो-(क्रि०) १. ध्यान देना। सोचना। करने बाला। गिर्दावर । २. परवाह करना। ३. समझना । विचार गिरदी-(ना०) १. भीड़ । २. धूलि । गर्द । करना। गिरधर-(न०) श्रीकृष्ण । गिरिधर । गिनारो-(न०) परवाह । ध्यान । ख्याल । गिरधारी-(न०) गिरिधारी । श्रीकृष्ण । गिनती। गिरनार-(न०) सौराष्ट्र में जूनागढ़ के पास गिनो-दे० गनो। का पर्वत और तीर्थस्थान । गिर-(न०) १.गिरि । पहाड़ । २.तरबज ग्रादि गिरपुर-(न०)१.राजस्थान के दूंगरपुर नगर फलों के अन्दर का गूदा । ३. दसनामी का काव्योक्त नाम । २.पहाड़ और नगर । संन्यासियों का एक भेद । गिरि। गिरफतार-(वि०)पकड़ा हुआ। गिरिफ्तार । गिर-अढार-(न०) १. आबू पर्वत । २. गिरफतारी--(ना०) कैद । बंधन । गिरमिट-(न०) १. भारत के बाहर मजदूरी समस्त पर्वत । गिर-उद्धर-(न०) गिरिधारी। श्रीकृष्ण । के लिये ले जाये जाने वाले मजदूरों से कराया जाने वाला इकरार नामा । गिरगट-दे० काकीडो। एग्रीमेन्ट । २. छेद करने का एक औजार। गिरजा-(ना०) १. गिरिजा। पार्वती ।। गिम्लेट। २. ईसाइयों का प्रार्थना-मंदिर । गिरजा गिरमिटियो-(न०) गिरमिट (एग्रीमेन्ट) से घर । बँधा हुआ मजदूर । . गिरझ-(न०) १. गिद्ध । (ना०) गिद्धनी। गिरमेर-(न०) सुमेरु पर्वत । मेरुगिरि । गिरझड़ो-(न०) गिद्ध । गिरराज-(न०) १. गोवर्धन पर्वत । गिरिगिरण-(न०) १. सूर्य, चंद्र का ग्रहण । २. राज । २. हिमालय । ३. प्राबू पर्वत । पीड़ा के कारण मुंह से निकलने वाला गिरराजधरण-(न०) गिरिराजधरण । एक अव्यक्त शब्द । पीड़ा सूचक शब्द । श्रीकृष्ण । कराह । गिरवाण-(ना.) १. लकड़ी की बनी ऊंट गिरण-गहलो-(वि०) प्रति विक्षिप्त । पूरा की नकेल । (न०) देवता । गीर्वाण।। 'पागल । गिरवाणपत-(न०) इन्द्र । गीवाणपति । गिरणो-(क्रि०) १. गिरना । २. पतन गिरवाणी-(ना०) देवी । सरस्वती । होना । अवनति होना। ३. लुढ़कना। गीर्देवी। ४. सूर्य चंद्र का ग्रहण होना। ग्रहण गिरवी-(ना०) रेहन । बंधक । लगना। गिरवै-(न०) गिरिराज । दे० गिरवी । गिरद-(क्रि०वि०) १. चारों ओर । गिर्द । गिरसोन-(न०) जालोर का स्वर्णगिरि २. पाजू-बाजू । इर्द-गिर्द । (ना०) रज। पर्वत । सोनगिरि । For Private and Personal Use Only Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गिरस्थ गिरस्थ - दे० गृहस्थ | गिरस्थी - दे० गृहस्थी । गिरता - ( श्रव्य० ) ऋणदाता की ओर से ऋणी से लिखाये जाने वाले दस्तावेज में 'होता' अर्थ का बोधक एक पारिभाषिक शब्द । उदा० के लिये देखिये 'घनिक नाम ' शब्द | गिरंद - ( न०) बड़ा पहाड़ । गिरा - ( ना० ) १. सरस्वती । २. विद्या । ३. वाणी । वचन । ४. प्राज्ञा । गिराग - ( न० ) ग्राहक । गाहक । गिराज - ( ना० ) १. समझ | विचार | ( ३२२ ) २. उपाय । गिराणो - ( क्रि०) १. गिराना । २. घटाना । ३. पतन करना । गिराळ - ( न० ) १. पर्वतश्र ेणी । २. बड़ा पर्वत । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गीजड़ गिरिराज धरण ( न०) श्रीकृष्ण । गिरिंद- दे० गिरिद । गिरी - ( ना० ) नारियल के अन्दर ( जमे हुए पानी ) के गूदे का टुकड़ा । चटक । गिरै - ( ना० ) ५. ग्रह । २. संकट । ३ आपत्ति । गिलगिली - ( ना० ) गुदगुदी । कांख आदि में किसी के हाथ के स्पर्श से होने वाली सुरसुराहट । गिलट - ( न० ) १. किसी धातु पर सोने चांदी का चढ़ाया जाने वाला झोल । २. कथीर । कलई । गिळणो - ( क्रि०) १. निगलना । २. नाश करना । ३. अधिकार में करना । गिलम - ( न० ) १. मोटा गद्दा । २. बड़ा गोल तकिया । ३. कालीन । गिला - ( ना० ) १. निंदा। गिला । बदनामी। २. झगड़ा । टंटा । ३. शिकायत | उलहना । गिलानी - ( ना० ) १. ग्लानि । घृणा । नफरत । सूग । २. शिथिलता । थकावट | ३. खेद । पश्चाताप । गिलास - ( ना० ) पानी पीने का एक जलपात्र । गिरावट - ( ना० ) १. गिरने की क्रिया, (भाव अथवा ढंग ) । २. पतन । ३. वस्तुनों के मूल्य अथवा भाव घटने की क्रिया । मंदी | गिरावणो - ( क्रि०) दे० गिराणो । गिरासियो - ( न०) दे० ग्रासियो । गिरि - ( न०) १. पर्वत । २. दसनामी संन्यासियों का एक भेद । ३. इस वर्ग के संन्यासियों के नाम के अंत में लगने वाला एक प्रत्यय । गिरिजा - ( ना० ) पार्वती । गिरिजापति - ( न० ) महादेव । गिरिधर - (०) श्रीकृष्ण । गिरधर । गिरिधारी- दे० गिरिधर । करना । गिरियंद - ( न० ) १. गिरीन्द्र | बड़ा पर्वत । गिंदवो - ( न० ) तकिया । गिंदुक । गिदियो - ( न०) एक बदबूदार घास । २. एक बदबूदार कीड़ा । ( fao) गंदा । मैला । गीगली - दे० गीगी । २. सुमेरु पर्वत । ३. हिमालय | गिरियाडोब - ( वि० ) टखना डूबे जितना (पानी) । टखने तक । गीगलो - दे० गीगो । गिरियो - (To) एड़ी के ऊपर बाहर निकली गीगी - ( ना० ) बच्ची । कीकी हुई गाँठ जैसी हड्डी । गुल्फ । गिरिराज - ( न० ) गोवर्धन पर्वत । ग्लास । गिलो - ( न० ) १. झगड़ा-टंटा । २. निंदा | गिला । ३. गिलोय | गिलोवरणो- ( क्रि०) गीला करना । गिंदरणो - ( क्रि०) १. दुर्गंध देना । २. सड़ांधगंध उत्पन्न होना । ३. निंदा करना । बुराई For Private and Personal Use Only गीगो - (To) बालक । बच्चा । कोको । जड़ - दे० गड | Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गीत ( ३२३ ) गुजराती गीत-(न०) १. गायन । २. डिंगल साहित्य गुमाड़-दे० गवाड़। ___ का एक छंद विधान । गुपाड़ी-दे० गवाड़ी। गीतरण-(वि०) गीत गाने वाली। गुयार-दे० गवार । गीतगी-दे० गीतण। गुपारतरी-(ना०) १. ग्वारफली। २. बीज गीत भेदक-(वि०) १. काव्य (डिंगल) के निकली हुई ग्वारफली का भूसा । भेदों को जानने वाला। २. गायन तथा गुपारपाठो-(ना०) १. ग्वारपाठा। धीकुराग-रागिनियों का जानकार । __और। गीता-(ना०) १. एक विश्वविख्यात धर्म गुपारफळी-(ना०) ग्वार की फली । पुस्तक । श्रीमद्भगवद्गीता । २. कितनेक गुमाळ-(न०) ग्वाला। धार्मिक पद्यग्रन्थों के रखे हुए नाम । जैसे- गुपाळियो-(न०) ग्वाला । रामगीता । शिवगीता आदि । गुमाळो-(न०) ग्वाला। गीताजी-(ना०) श्रीमद्भगवद्गीता। गुअाँजणी-(ना०) पलक पर होने वाली गीतेरण-दे० गीतण। - फुसी । गुहांजनी। गीदड़-(न0) सियार । (वि०) डरपोक । गुचळकियो-दे० गळचियो । गीध-(न०) गिद्ध। गुचळको-(न०) १. पानी में गोता खाने की गीधरण-दे० गीधारणी। क्रिया । डूबने का भाव । डुबकी। २. गीधारण-(न०) गिद्ध समूह । अधिक भोजन करने से डकार के साथ अाने वाला अन्नांश । गीधारणी-(ना०) गिद्धनी । गुचळी-(ना०) कोई बात कह कर उससे गीरबो-दे० गारबो। फिर जाने का भाव, मुकरने का भाव गीरवाण-(न०) गीर्वाण । देवता। मुकरनी। गीरवाणी-(ना०) १. सरस्वती । २. गजर-(न०) १. गुजरान । निर्वाह । २. देवी। ३. संस्कृत भापा । गीर्वाणी। निकाल । निकास । ३. प्रवेश । ४. वेद वाणी। गुजरणो-(क्रि०)१. बीतना । व्यतीत होना। गीलो-(वि०) १. गीला। भीगा हुप्रा । २. किसी जगह से आना या जाना । तर । २. जो गाढ़ा न हो। गीला। ३. निभना । निभाव होना । निर्वाह __ ढीला । ३. सुस्त । ढीला।। होना । ४. मरना । फौत होना। गींगणी-(ना०) पीली आँखों वाली एक गुजराण-(न0) गुजरान । निर्वाह । चिड़िया। गुजरात-(न०) राजस्थान के दक्षिण में गींड-(न०) अाँख का मैल । चीपड़।। अरब समुद्र के किनारे प्राया हुअा भारत गींडोळो-(न०) १. वर्षा ऋतु में पैदा होने का एक प्रान्न । गुर्जर देश । वाला काले रंग का एक कीड़ा। (वि०) गुजरातण-(ना०) १. गुजरात की स्त्री। १. मैला । कुचेला । गंदा । २. पालसी। २. गुजरात की तंबाकू । ३. तमाखू । अकर्मण्य। गुजराती-(न०)१. गुजरात का रहने वाला। गींदड़-(ना.) १. शेखावाटी का होली का गुजरात का निवासी । २. मूझारो नृत्योत्सव । २. रास । ३. गेहर । (निमोनिया रोग)। (ना०) गुजरात की गींदवो-(न०) तकिया। भाषा। गुजराती । (वि0) गुजरात का । गींदोळो-(न0) एक मिठाई । गुजरात संबंधी। For Private and Personal Use Only Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुजारणो ( ३२४) गुजारणो-(क्रि०) १. गुजारना । बिताना। गुड़ावणो-(क्रि०) १. गिराना। २. लुढ़ २. निर्गमन करना। ३. पेश करना। काना। दाद मांगना। गुड़ियो-(वि०) कवच धारण किया हुआ। गुजारिश-(ना०) निवेदन । (हाथी) । पाखरित । गुजारो-(न०) निर्वाह । गुजर । गुजरान । गुडी-(ना०) १ पतंग । २. ध्वजा । धजा । गुज्ज-(वि०) गुह्य । ३ छोटी धजा। ३. वन्दनमाला । बंदनगुटकी-(ना०) १. जन्मघुट्टी। २. पानी वार । वंदरणमाळा । ५. उत्सव । ६. आदि प्रवाही की घूट। गुलाल । ७. चंग । डफ । ८. कागज की गुटको-(न०) १. पानी की घूट। २. छोटे बनी चिड़िया । ६. रहस्य । १०. गाँठ । आकार की मोटी पुस्तक । ३. बीच में ११. कपोल । गाल । १२. कवच । सिले हुये पत्रों की हस्तलिखित पुस्तक। गुड़ी- (न०) १. ऊंट । २. कवच । ३. एक गुठली-(ना०) ऐसे फल का बीज, जिसमें ___ गाली। एक ही कड़ा बीज होता है । अष्टि। गुडी उछळणो-(मुहा०) १. उत्सव होना । गुठली। २. पतंग उड़ना। गुड़-(न०) १. हाथी का कवच। २. कवच। गुडीजगो-(क्रि०) १. पाना । २. जाना । ३. गुड़ । गुळ। . (दोनों अर्थ तुच्छकार में) गुड़कणो-(क्रि०) १. गिरना । २. चलना। गुडी पड़णो-(मुहा०) १. गाँठ पड़ना । २. ३. लुढ़कना । लुड़कना । ४. मरना। मनोमालिन्य होना । ३.शत्रुता होना । गुड़को-(न०) १. लुढ़कने की क्रिया। २. गडी-पडवो-(न०) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा । धक्का । ३. बात को आगे की चर्चा के । लिये मुल्तवी करने की क्रिया। ४. किसी गुडी मेळो-(न०) पतंगोत्सव । पतंग उड़ाने बात की चर्चा या टंटे झगड़े के निपटाने और काटने की स्पर्धा का उत्सव । के लिए नियत किये गये समय को ओर गुढियो- (न०) १. किसी अंक की एक से दस आगे बढ़ाना। फलों की क्रमागत सारिणी। गुड़गो-(कि०) १. लुढ़कना। २. गिरना : पहाड़ा । २. छोटा घड़ा। गिर पड़ना। ३. मरना। ४. पाखर गुढो-(न०) रक्षास्थान । (कवच) पहिनना। गुरण-(न०) १. जाति स्वभाव । २. लक्षण । गुड़ पाखर-(वि०) कवचधारी। (म०) १. ३. धर्म । ४. निपुणता । चतुराई। ५. कवच । २. हाथी या घोड़े का कवच । ज्ञान । ६. विद्या । ७. कीर्ति । ८. उपगुडळ-(न०) १. अस्थियुक्त पकाया हुआ कार । अहसान । ६. प्रभाव । असर । मांस । २. घुटना । १०. लाभ । ११. प्रकृति के सत्व, रज गुडळणो-(क्रि०) पानी का मैला होना।। और तम ये तीन गुण । १२. कला । गुडळो-(वि०) १. मैला । गंदला। २. १३. कारण । १४. काव्य । १५. स्तुति गाढ़ा । ३. धना। काव्य । विरुद काव्य । १६. डिंगल के गुड़ागो-दे० गुड़ावणो । प्रशस्ति काव्यों की एक संज्ञा । १७. गुडाळियाँ-(त्रि० वि०) घुटनों के द्वारा । डिंगल का भक्ति काव्य । १८. सुमिरन । (चलना)। १६. विशेषता । २०. तीन की संख्या । For Private and Personal Use Only Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुण-प्रतीत ( ३२५ ) गुरिणयणे (ना०) १. रस्सी। २. धनुष की डोरी। गुरणपचा-दे० गुणचास । प्रत्यंचा। गुरगपचास-दे० गुणचास । गुण-प्रतीत-(न०) गुणातीत । निर्गुण पर- गुण-पाड़-(न०) प्राभार । उपकार । मेश्वर । परब्रह्म। गुण-बाहिरो-(वि०) १. गुणहीन । २. गुण-आगम- (न०)१. परब्रह्म महिमा । २. प्रभावहीन । महिमा रहित । ३.अवगुणी। भक्त ईसरदास-बारहठ द्वारा रचित एक दोषी । ४. खोटो । खोटा। भक्ति ग्रन्थ । (गुण आपण, गुण निंदा- गुणमोती-(न०) बढ़िया और बड़ा मोती। स्तुति इत्यादि इनके रचे हुए 'गुण' संज्ञक गुणव-(न0)१. स्तुति । प्रार्थना । २. भक्ति । आठ ग्रन्थ प्राप्त हैं जो इनके अन्य काव्य ३. गुणानुवाद । गुणावली । गुणराशि । ग्रन्थों के अतिरिक्त हैं)। ४. प्रशंसा । गुणकारी-(वि०) लाभकारी। गुणवत्ता-(ना०) १. गुणयुक्तता । २. गुण-गरवो-(वि०)गम्भीर । धीर । शांत । उत्तमता । श्रेष्ठता । २. गुणों में गरुपा। धीर । गुणी । ३. गुणवंत-दे० गुणवान । गौरवशाली। गुणवंती-(वि०) गुणवाली। सुलक्षणा । गुणगान-(न०) स्तुति । प्रशंसा। गुणशालिनी। गुणग्राम-(न०) गुण समूह । गुणवाचक-(वि०)१. जो गुण को बतलावे । गुण-ग्राहग-(न०) १. गुणों का ग्राहक । २. विशेषण । (घ्या०)३. प्रशंसक । २. काव्यरसिक। गुरगवान-(वि०) १. गुणवंत । २. विद्वान । गुणचाळी-(वि०) तीस और नौ। उन- गुण-वृद्धिविधान-दे० वर्ण वार्धक्य विधान। चालीस । उनतालीस । (न०) तीस और गुणसठ-(वि०) १. पचास और नौ । (न०) नौ की संख्या ३६' । पचास और नो की संख्या '५६'। उनसठ । गुणचाळीस-दे० गुणचाळी। गुरणसाठ-दे० मुणसठ। गुणचास-(वि०) चालीस और नौ। उन- गुणहीण-(वि०)१. गुणहीन । गुणरहित । चास । उनपचास । गुणपचास । (न०) २. उपकार को नहीं मानने वाला । चालीस और नौ की संख्या ४६' । कृतघ्न । गुणचोर-(वि०) १. कृतघ्न । २. खल। गुणंतर-(वि०) साठ और नौ। (न०) साठ दुष्ट । और नौ की संख्या ६६' । उनहत्तर । गुरगणी-(ना०) पाठशाला में पड़े हुए और गुणा-(न०) १. एक संख्या को दूसरी संख्या पढ़ाए जाने वाले पाठों (पट्टी पहाडे आदि) से उतनी ही बार बढ़ाने की अंकगणित की विद्यार्थियों द्वारा सामूहिक रूप से की की एक प्रक्रिया । २. बार । बेर । जानेवाली आवृत्ति । गणना। गणना- गुणाकार-(न०) गुणा । गुणन । (वि०) वृत्ति । गुण करने वाला । लाभदायक । गुणगो-(क्रि०) गुणा करना। दे० गणणो गुणानुवाद-(न०) प्रशंसा । स्तुति । तथा गिरणणो। गुणावळो-(ना०) १. यशोगान । गुणगान । गुणताळीस-दे० गुण वाळीस । २. माला। गुरगती-दे० गुणतीस। गुणियण-(न०) १. गुणीजन । गुणवान गुणतीस-(वि०) बीस और नौ । उनतीस। लोग । २. पंडित जन । ३. गवैया । ४. (न०) उनतीस की संख्या । २६ कवि। ५. यशगायक । For Private and Personal Use Only Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गुणियासी गुणियासी - (वि०) सत्तर और नौ । उनासी । ( न० ) उनासी की संख्या '७६' । गुणियो - (To) बढ़ई आदि शिल्पियों का एक उपकररण जिससे किसी वस्तु के कोरणों की सीध देखी जाती है । गुनिया- गज । कोण - गज | कोरण-माप । गुणी - ( न० ) १. कवि । २. कला कोविद । ३. विद्वान । पंडित । ४. गवैया । ५. जंतर मंतर जानने वाला । ६. रस्सी । (वि०) १. गुणवान । सद्गुणी । २. अनुभवी । ३. चतुर । होशियार । दक्ष । गुणीजण - दे० गुणिरण | गुणीजणो - ( क्रि०) १. गिनती में श्राना । २. हिसाब में लिया जाना । ३. बड़े आदमियों की गिनती में आना । ४. घनवानों में गिना जाना । ५. शिष्ट पुरुषों में गिना जाना । ( ३२६ ) गुदड़ी-दे० गूदड़ी | गुदररणो - ( क्रि०) १. निभना । गुजरान करना । विभाव होना । २. परवरिश पाना । ३. गुदराण - ( न० ) निर्वाह । गुजरान । गुदरावणो - ( क्रि०) १. अर्ज करना । गुजारिश करना । १. अर्ज पहुंचाना। पेश करना | गुजारना । गुदाळक - (वि०) मांसाहारी । गुद्दी - ( ना० ) गरदन का पिछला भाग । गुळक - दे० गुळकियो । गुळकियो - (वि०) गोधूलिक । गोधूलि समय का । सन्ध्या समय का । गुधळकियो लगन - ( न० ) गोधूलिक समय का पाणिग्रहण लग्न । संध्या समय का विवाह मुहूर्त | गुनेगार - ( वि० ) गुनहगार । अपराधी । कसूरवार । गुनेगारी - ( ना० ) १. दंड । जुरमानो । जरीबानो । २. अपराध । गुनहगारी । कसूर । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुंर गुनो - ( न० ) गुनाह | जुर्म । अपराध । कसूर । गुपचुप - ( अव्य० ) चुपचाप । गुपती - ( ना० ) एक शस्त्र । गुफा - ( ना० ) गुफा | कंदरा | खोह । गुम - ( वि०) १. लापता । गायब । २. खोया हुआ । ३. अप्रसिद्ध । गुमकरणो - ( मुहा० ) १. छिपा देना । २. उठा ले जाना । उड़ा देना । गुमधाम - दे० गुमसुम । गुमगो - ( क्रि०) खोना । खोजाना । गुमनाम - ( f (व० ) १. अज्ञात । २. जिस (पत्र) में भेजने वाले का नाम न हो । गुमर - ( न० ) १. अभिमान । मिजाज । २. युद्ध । गुमसुम - ( अव्य० ) १. स्तब्ध | २. मंद । उदास । ३. चुपचाप । गुमहोरगो - ( मुहा० ) १. खोजाना । २. छिप जाना । गुमाणो - दे० गुमावरणो । गुमान - ( न०) गर्व । घमंड | गुमानरण - ( वि०) १. गुमानवाली । गर्वीली । २. लोक गीतों की एक नायिका । गुमानी - ( वि०) १. गर्वीला । श्रमिमानी । गुमानवाला । २. स्वाभिमानी । गुमावणो - ( क्रि०) १. गुमाना । खोना । २. नष्ट करना । ३. गायब करना । उड़ा लेना । गुमासतो - ( न०) १. व्यापारी की ओर से खरीद फरोक्त करने वाला मनुष्य । गुमाश्ता । एजेण्ट । २. दुकानदार का नौकर । ३. मुनीम | गुमेज - ( न० ) १. अभिमान । गर्व । २. हैसियत । गुर - ( न०) १. गणित की एक सहज प्रणाली । ऊपर मार्ग । ऊपरवाड़ी । २. रहस्य । ३. गुरु । For Private and Personal Use Only Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुळगुलो गुरज ( ३२७ ) गुरज-(न०) एक शस्त्र । गदा । मुद्गर । उपाव । ८. परिश्रम के बाद प्राप्त सफगुर्ज। लता का सरल उपाय । गुरजदार-(न०) गदाधारी । गुजबरदार। गुरुगम-(ना०) १. गुरु के द्वारा बतलाया गुरजबरदार-दे० गुरजदार । हुप्रा ज्ञान या मार्ग । २. गुरु द्वारा समझा गुरड़-(न०) गरुड़ । पक्षीराज । विष्णु का हुआ रहस्य । ३. गुरुज्ञान ।। वाहन । गुरुजन-(न०) माता, पिता, शिक्षक इत्यादि गुरडधजगामी-(न०) विष्णु । वडील वर्ग। गुरड़ो-(न०) १. भाँभी जाति का गुरु । गुरुद्वारो-(न०) १. गुरु का निवास स्थान । चमारों का पुरोहित । २. गुरु की अपमान २. वह सम्प्रदाय जिसमें गुरुदीक्षा ली हो। सूचक संज्ञा । ३. सिक्खों का धर्म स्थान । गुर-सदातारा-(वि०) दान दातामों का गुरुभाई-(न०) एक ही गुरु के शिष्य होने गुरु । महादानी। के नाते अन्य शिष्य की भाई संज्ञा । अपने गुरंड-(न0) अंग्रेज। गुरु का दूसरा शिष्य । गुरुभाई। गुराणी-(ना०) १. गुरुपत्नी। गुरुग्रानी। गुरुमुखी-(ना०) पंजाब की एक लिपि एवं २. पुरोहितानी । २. स्त्री शिक्षक। भाषा। शिक्षिका । ४. रसोई बनाने का धंधा गुरुवार-(न०) बुधवार के बाद का दिन । करने वाली ब्राह्मणी । बामणी । रसोई- वृहस्पतिवार । दारणी। गुर्जर-(न०) १. गुजरात । २. गूजर जाति । गुराब-(ना०) एक प्रकार की तोप। (वि०) गुजरात का रहने वाला। गुराँ-(न०) १. देशी पाठशाला का शिक्षक। गुर्जरी-(ना०) १. गुजराती भाषा। २. ___ मारजा । २. जैन जती । जती। गुजरात की स्त्री । गुजरातिन । ३. गुराँसा-दे० गुराँ । ग्वालिन । रबारण । गूजरी। गुरु-(वि०) १. बड़ा । २. भारी। वजनी। गुल-(न०) १. फूल । २. चिलम का कोट । ३. श्रेष्ठ । (न०) १. प्राचार्य । शिक्षक। ३. चिलम में जली हुई तम्बाकू । ४. दिये २. किसी धर्म के मत्र का उपदेष्टा । की बत्ती का जल कर फूला हुआ सिरा। प्राचार्य । ३. देवताओं के गुरु वृहस्पति । ५. दीपक के बुझने या बुझाने का भाव । ४. एक नक्षत्र । ५. भाँभी जाति (चमारों) बुझाना। ६.दग्धोपचार । डाम । ७.पशुओं का गुरु । ६. सात वारों में से एक वार । के पुढे पर गरम शलाका से बनाया हुआ वृहस्पतिवार । ७. दो मात्राओं वाला चिह्न । दाग । दीर्घाक्षर। गुळ-(न०) गुड़। गुरुकूची-(ना०) १. गुरु के द्वारा प्राप्त गुल करणो-(मुहा०) दीये को बुझाना । मार्ग । २. रहस्य । भेद । ३. किसी भी गुल क्यारी-(ना०) १. अनेक भांति के परिस्थिति में कारगर होने वाली युक्ति, पुष्प । २. पुष्पों की क्यारी । गुलक्यारी। साधन, उपाय आदि । ४. अनेक तालों गुळगचियो-(न०) १. छोटा गोल पत्थर । में लगने वाली चाबी । ५. वह दूसरी २. एक कँटीले पौधे का गोल बीज । चाबी जिसके लगाये बिना ताला नहीं गुलगुलो-(न०) मीठा पकोड़ा। गुड़ का खुलता। ६. गुप्त चाबी । ७. सरल बड़ा। For Private and Personal Use Only Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुलचियो ( ३२८ ) गुंजार गुळचियो-(न०) १. तैरना नहीं जानने के २. परवश मनुष्य । कारण डूबने की क्रिया । निराश्रय होकर गुलामी-(ना०) १. दासता। गुलामपना । डूबने की हालत । २. डुबकी । गोता। २. बहुत हलकी ताबेदरी। ३. पराधीनता। गुलजार-(वि०) १. रौनक वाला। शोभा गुलाल-(ना०) उत्सव के समय लोगों पर वाला। २. हराभरा । ३. पुष्पावृत। डाली जाने वाली लाल रंग की एक बुकनी। (न०) वाटिका । बगीचा। गुलांच-(ना०) १. जमीन पर उलटा गिर गुळराब-दे० गळवाणी। पड़ना । लुढ़कन । २. कुलाँच । छलाँग । गुललंजा-(ना०) १. कामिनी। सुदरी। गुळी(ना०) नील का रंग । नील । लालबुर्ज। सदा बनी ठनी रहने वाली। छली । २. गुळे चो-(न०) १. डुबकी । गुलाँच । सुन्दर रमणी । ३. एक लोक गीत । २. कुलाँच । गुललंजो-(वि०) सदा बना ठना रहने गुळे टो-(न०) जमीन पर उलटा गिर पड़ने वाला। छला। शौकीन । २. रसिक । की क्रिया । लुढ़कन । . ३. अति सुन्दर । (न0) लोकगीतों का गुवाड़-दे० गवाड़। गुवाड़ी-दे० गवाड़ी। एक नायक । गुळ-लपेटी-(वि०) १. गुड़ से लपेटी हुई । गुवार-दे० गुमार। ऊपर से मीठी और अंदर से कड़वी । २. गुवारफळी-दे० गुणारफळी । कपट-भरी। अंतर में कपट और बाहर गुवाळ-दे० गुमाळ । प्रीतियुक्त (बात)। गुवाळियो-दे० गुमाळियो । गुळलाग-'ना०) जन्म, विवाह आदि शुभ गुसट-(ना०) १. छिपी बातचीत । कानाअवसरों पर गुड़ के रूप में लिया जाने ___ फूसी । २. परामर्श । सलाह । गोष्ठी । ३. बातचीत । वाला एक जागीरी लाग।। गुसळ-(न0) स्नान । गुस्ल । गुळवाड़-(न०) १. ईख की खेती । २. ईख गुसळखानो-(न०) स्नानघर । का खेत । ३. ईख । गन्ना। गुसाँई-(न०) गोस्वामी । गोसाँई । गुलहंजा-(वि०) १. हँस के समान गति गुस्ताखी-(ना०) १. उद्दडता। धृष्टता। वाली। २. हंस के समान कोमलांगी। २. अशिष्टता । ३. छेड़-छाड़ । ३. सुदर । ४. रसिक। गुस्सेल-(वि०) क्रोधी। गुल होरपो - (मुहा०) १. दीये का बुझना। गुस्सो-(न०) क्रोध । गुस्सा । २. मरण : गुहराज-(न०) शृगवेरपुर निवासी रामभक्त गुलाब-(न०) १. एक पुष्प । गुलाब । ____निषादराज गुह । २. गुलाब का पौधा। गुहिर-(वि०) गंभीर । गहरा। गुलाबजळ-(न०) गुलाब के फूलों का चुमाया गहिर-दूरंग-(न०) जैसलमेर के किले का हुआ अकं । गुलाब जल । नाम । गुलाब-जाँबू-(न०) एक मिठाई । गुलाब गुहो-दे० गूहो । जामुन । गुजार-(ना०) १. गूज । गुजन । २. गुलाबी-(वि०) गुलाब के रंग का । गुलाब अव्यक्त मधुर ध्वनि । कलकल ध्वनि । संबंधी। ३. भौंरों की आवाज । ४. भनभनाहट । गुलाम-(न०) १. खरीदा हुमा दास । गूज । ५. साहस । ६. शक्ति । For Private and Personal Use Only Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुंजारव ( ३२९ ) गूणती गुंजारव-(ना०) १. भौंरों का शब्द । गूजर-(न०) १. गूजर जाति । २. गूजर भ्रमर ध्वनि । गुजार । २. झनझनाहट। जाति का व्यक्ति । घोसी । ३. ग्वाला। गुजास-(ना०) १. गुजाइश । सुभीता। (ना०) तीसरी पत्नी । २. खटाव । सामर्थ्य । हैसियत । ३. गूजर-खंड-(न०) गुजरात । खाली जगह । ४. अवकाश । समाई। गूजरधरा-(ना०) गुजरात । गुजाहळ-(न0) गुजाफल । चिरमटी । गूजरवै-(न०) गूर्जरपति । गुजरात का घुघची । चिरमी ___ स्वामी। गुंडो-(वि०) बदमाश । दुराचारी । गूजरी-(ना०) १. गूजर जाति की स्त्री। कुमारगी। (न०) दुराचारी व्यक्ति । २. ग्वालिन । ३. स्त्रियों की कलाई में गुभारियो-दे० गुंभारो। पहिनने का एक गहना। गुभारो-(न०) १. गुफा। कंदरा । २. गूजी-(ना०) १. गरम की हुई छास । २. __ भूमिगृह । तलघर । तहखाना । ___मिला हुआ गेहूं और जौ । गोजई। गू-(न०) मल । विष्टा । भिस्टो। गूझ-(ना०) गुह्य । रहस्य । गूगीड़ो-दे० गोगीड़ो या जूजळो । गूडण-(ना०) एक गाली (वि०) गिराने गूगरी-दे० गूघरी। वाला। गूगळ-(न०) एक पहाड़ी वृक्ष । २. गूगल गूडळ-(न०) १. बैल का अंडकोश । २. हड्डी का सूखा रस । गूगल का सुगंधि वाला में लगा हुआ मांस जो चूस करके या गोंद । गुग्गुल । दाँतों से तोड़कर खाया जाता है। ३. गूगळी-(ना०) छोटी जाति का गूगल का घुटना । ४. अंडकोश । पेड़। (वि०) १. मैली। २. धुधली। गूडळणो-(क्रि०) १. छा जाना। आच्छन्न ३. गाढी । ४. मटमेली। होना। २. गॅदला होना । ३. धूल से गूगळो-(वि०) १. धुंधला। २. मैला। आच्छादित होना। ३. मटमैला। गूडळियो-(वि०) गॅदला । गूघरमाळ-दे० घूघरमाळ । गूढ-(वि०) १. जिसमें कोई विशेष अभिप्राय गूधरी-(ना०) १. धातु की बनी गुरिया, जो छिपा हो । २. जिसका अभिप्राय स झिना हिलने पर बजती है। छोटा घुघरू। कठिन हो। ३. रहस्यमय । ४. गहन । २. उबाले हुए गेहूँ। ३. अनाज के रूप ५. गुह्य । छिपा हुआ । ६. दुर्गम । में लिया जाने वाला लगान । गूघरी लाग। (न०) पहेली। गूघरी लाग-(ना०) खेत मालिक की ओर गूढचर-(न०) चोर । से खेत जोतने वाले से लिया जाने वाला गूढपद-(न०) १. साँप । सर्प । २. मन । अनाज के रूप में एक लगान । खेत या ३. गूढ़ अर्थ वाला पद । कुएँ का किराये के रूप में जोतने वाले गूढा-(ना०) पहेली। से लिया जाने वाला धान्यकर। गूण-(ना०) १. गूनी । बोरा। बोरी। गूघरो-(न०) घुघुरू। २. बैल या ऊंट पर अनाज भरने और गूघी-(ना०) जमा हुअा ऊनी कपड़ा । लादने का दोनों ओर लटकने वाला दोहरा नमदा । घुग्घी । घूधी। थैला । खुरजी । गोन । छाटी। गूघू-(न०) उल्लू । धुग्घू । गुपूराजा । गूणती-दे० गूण। .. For Private and Personal Use Only Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गूदियो गणियो ( ३३० ) गूणियो-(न०) १. छोटा कलश । २. दूध गूघटो-दे० गूघट । दुहने का पात्र । दूणियो । दूहणियो। गूच-(ना०) १. गुत्थी । २. उलझन । गूणो--(न०) ग्वार, मूग, मोंठ आदि के कठिनाई । सूखे हुए पौधों की कूटी हुई टहनियाँ, गूचवाड़ो-(न०) १. उलझन । गुत्थी । पत्तियाँ आदि का भूसा। २. असमंजस । दुविधा। ३. कठिनाई । गूतो-(न०) १. गाय या भैंस के प्रसव के गूछळी-(ना.) १. लच्छी। अंटी । २. उल बाद पहली बार दोहा हुअा और गरम झन । मुश्किली । ३. डोरे आदि में पड़ने किया हुआ दूध । २. पहली बार दोहा वाली गाँठ, गूची । उलझन । हुआ दूध। गूछळो-(न०) बड़ी गूछळी । गूद-(न०) माँस । गूज-(ना०) १. गुजार । २. प्रतिध्वनि । गूदड़ती-दे० गूदड़ी। ३. कान की बालियों में लपेटा हुआ पतला गूदड़ी-(ना.) चिथड़ों से बनी हुई बिछाने तार ४. गुप्त मंत्रणा । व प्रोढ़ने की गुदड़ी । गोदड़ी । राली। गूजणो-(क्रि०) १. गुर्राना । २. गरजना। गूदड़ो-(न०) चिथड़ों से बना हुआ बिछा- ३. प्रतिध्वनि होना । गूजना। ४. भौंरे वन । का गुजार करना । ५. जोर से बोलना । गूमड़ो-(न०) व्रण । गाँठ । फोड़ा। गूजार-(न०) कोठार । गू-मूतर-(न०) मल-मूत्र । मैला। गूजियो-(न०) जेब । खीसो । गूलरियो-(न०) कुत्ते का बच्चा । पिल्ला। गूजी-(ना०) घर वालों से छिपा कर रखा कूकरियो। हुआ धन । गूहो-(न०) उपस्थकच राशि । गूजो-(न०) १. जेब । २. एक मिठाई। गूग-(ना०) १. गूगापन । मूकपन । २. आपे गूथणो-(क्रि०) १. गूथना। २. पिरोना । से बाहर होने का भाव । ना समझी। ३ रचना करना । प्रथित करना। सनक । ३. पागलपन । उन्मत्तता। गूथाणो-दे० गूथावणो । गूगलो-(वि०) १. गूगा। मूक । (न०) गूंथावणो-(क्रि०) गुथवाना । १. एक बरसाती कीड़ा। २. मस्त ऊंट। गूद-(ना०) १. गोंद । २. मांस । ३. मरा गूगी-(ना०) ठंड तथा बरसात में प्रोढ़ा हुआ पशु । जाने वाला जमाई हुई सफेद ऊन का गूदरणो-(क्रि०) गूधना । माँड़ना । एक वस्त्र । (वि०) १. जिसमें बोलने की गूदपाक-(न०) गोंद से बनने वाली एक शक्ति न हो । मूक । गूगी। २. आपे से मिठाई । बाहर । नासमझ (स्त्री)। ३. पागल गूदरै-(क्रि० वि०) निकट । पास । (प्रायः (स्त्री)। ___ गाँव के) गूगो-(न०) नाक का सूखा मैल । सूखा गूदवड़ो-(न०) एक मिठाई। रेंट। (वि०) १. जिसमें बोलने की शक्ति । गूदरो-(न०) १. गाँव के फलसे की बाहर न हो। मूक । गूगा । २, आपे से बाहर। का मैदान । २. कनिष्टिका के नीचे से ना समझ । ३. पागल । उन्मत्त । कलाई तक हथेली का भाग । गूंघट-(न०) १. घूघट। मुखावरण। गूदियो-(न०) १. छोटे लिसोड़े वाली २. आवरण । ३. लज्जा। गूदी का फल । लिसोड़ा। २. गोंदपाक । For Private and Personal Use Only Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३३१ ) गैगहण गूदी-(ना०) एक वृक्ष जिसके फल लगभग टुकड़ा । चने जितने बड़े, मीठे और लसदार होते गेढी-डोरो-(न०) स्त्रियों के सिर के बोर हैं । गोंदी। छोटे लिसोड़ा वाला वृक्ष। (रखड़ी) के साथ लगने वाली सोने की छोटा लसोड़ा । लभेरा। जड़ाऊ गावदुम नली और उसके साथ गूदो-(न०) १. बड़े लसोड़ों का वृक्ष । २. लगाई जाने वाली इधर-उधर दो सोने बड़ा लसोड़ा फल । गूदो। की पतली संकले । (जंजीरें)। गूबड़ो-(न०) दे० गूमड़ो। गेम-(न०) १. देशद्रोह । २. पाप । दुष्कर्म । गृह-(न०) घर । मकान। ३. शत्रुता। गृहस्थ-(न०) १. ब्रह्मचर्य के बाद विवाह गेमार-(वि०) १. गँवार । असभ्य । करके घर में रहने वाला पुरुष । २. घर. २. मूर्ख । संसार । ३. गृहराज्य । ४. उच्च कुलो- गेमी-(वि०) १. देशद्रोही । २. पापी । त्पन्न पुरुष । ५. कुटुब । परिवार । दुष्कर्मी। गृहस्थाश्रम-(य०) भारतीय जीवन के चार गेरणियो-(न०) बड़ी चलनी । चालना । प्राश्रमों में से दूसरा आश्रम । ब्रह्मचर्य गेरणी-(ना०) चलनी । चालनी । के बाद का आश्रम । गेरणो-(न०) बड़ी चलनी । चालना । गृहस्थी-(ना०) १. घर की व्यवस्था । २. (क्रि०) गिराना । डालना । पटकना । गृहस्थ का काम काज । ३. कुटुम्ब । गेरू-(न०) एक लाल मिट्टी। परिवार । गेह-(न०) घर । गृह ।। गृहिणी-(ना०) १. गृहस्थ की स्त्री। २. गेहणी-(ना०) १. गृहिणी । २. पत्नी। __ गृहस्वामिनी । घर मालकिन । ३. पत्नी। गेहर-(ना०) १. होलिका उत्सव का एक गेघरो-(न०) १. कच्चा व हरा चना । कोष लोक नृत्य । डंडिया गेहर । वासंतिक सहित हरा चना । २. चने का पौधा। रास क्रीड़ा । २. चंग के साथ गाने-बजाने ३. चने की फसल । ४. ज्वार की बाल। और नाचने का एक वासंतिक उत्सव । गेडियो-(न०) १. मुड़े हुए हत्थेवाला मोटा ३. डोलचियाँ द्वारा एक दूसरे पर पानी __ डंडा । २. छड़ी। डाल कर खेलने की एक वासंतिक जलगेडी-(ना०) १. छड़ी। २. लाठी । ३. मुड़े क्रीड़ा । हुए हत्थे वाली छड़ी। गेहरियो-(न०) गेहर खेलने वाला । गेहर गेड़ो-(न०) १. बैलगाड़ी आदि वाहन द्वारा में नाचने वाला व्यक्ति । माल ले जाने-लाने का चक्कर । २. गेहूं-(न०) एक प्रसिद्ध अनाज । गहूं । चक्कर । फेरा। परिभ्रमण । ३. माल गोधूम । गंदुम। या सामान को इधर से उधर ले जाने गेंती-(ना०) कुदाली । कोदाळी । की क्रिया। गेंद-(ना०) दड़ी। गेंद। गेढी-(ना०) १. स्त्रियों के सिर में बोर गै-(न०) १. हाथी। गज । २. आकाश । (रखड़ी) की जड़ाऊ नली। एक सिरो- (ना०) गति । चाल। भूषण । २. सूत, ऊन आदि की गेंडुरी। गैगमणी-दे० गयगमणी । ३. बैलगाड़ी के पहिये की धुरी में लगाया गैगहण-(वि०) १. अपने बाहुबल से जाने वाला सुराख वाला चमड़े का गोल आकाश को थामने वाला । अत्यन्त For Private and Personal Use Only Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गैगाह ( ३३२ ) गैल छोड़णो बलशाली। २. हाथियों को पकड़ने या अदृश्य । ३. अज्ञात । ४. पापी । पछाड़ने वाला। (क्रि०वि०) अचानक । गैगाह-दे० गजगाह । गैमर-(न०) हाथी। गैघट-(न०) १. ऑनदोल्लास । २. महो- गैर-(अव्य०) निषेध, अभाव, गलत इत्यादि त्सव । ३. भोगविलास । ४. आनंद के अर्थ सूचक एक उपसर्ग । (वि०) १.दूसरा । साधनों की उपलब्धि । सर्व सम्पन्नता। अन्य । २. अपरिचित । ३. अनुचित । ५. गैघट (गैघट्ट) नाम का राजस्थानी गैर इनसाफ-(न0) अन्याय । दूहा साहित्य । ६. गजदल । हस्तीदल। गैर कायदे-(वि०) कायदा विरुद्ध । गैघटा-(ना०) १. हाथियों की घटा । गैर चलण- (न०) १. जो राज्य से अमान्य हाथियों का मुड। २. हाथियों की सेना। हो। जो राज्य द्वारा संचालित न हो। हस्ती सेना। जैसे खोटा रुपया। नकली रुपया। २. गवूमणो-(क्रि०) १. घने बादलों का उम- जो व्यवहार विरुद्ध हो, जैसे-खोटी हुंडी। ड़ना । घटा का उमड़ना। २. छा जाना।। जाली हुंडी । ३. गैर चाल । कुमार्ग । मंडराना। गैर चाल-(न0) कुमार्ग । बदचलनी । गैजूह-(न०) हस्ती दल । (वि०) बदचलन। गै-डसण-(न०) १. गजदंत । गजदशन । २. गैर-मुनासिब-(वि०) गैर वाजिबी । गजदंशन । सिंह । ३. ध्रोळ (सौराष्ट्र) के अनुचित । ठाकुर जसाजी जाडेजा का विरुद। ४. गैर-रस्तो-(न०) १. बेकायदा । २. खोटा सूमर । (वि०) सिंह के समान बली। वीर। मार्ग । ३. कुरीति । गैडंबर-(न०) १. घटा। घनघटा । २. गैर-वदळ -दे० गैर वल्ले । पश्चिम की ओर से उठने वाले बादलों गैर वल्ले-(अव्य०) १. चिट्ठी पत्री आदि की घटा । लोरों की घटा । का योग्य पते पर नहीं पहुँचना । गैर गैरण-(न०) आकाश । गगन । बदले । गैर बदले हो जाने का भाव । गैरणाग-(न0) १. गगन । प्राकाश । २. २. खो जाने का भाव । गुम हो जाने का गगनाग्नि । ३. हाथी। भाव । गैतूल-(न०) १. वातचक्र । बवंडर । २. गैर बाजबी-(वि०) १. अनुचित । २ आकाश में छाई हुई गर्द। ३. आँधी। अयोग्य । तूफान । ४. हस्ती सेना। ५. सेना । ६. गैर-हाजर-(वि०) अनुपस्थित । गैर समूह । ७. पवन । हाजिर । गैदंत-(न०) हाथी दांत । गैर-हाजरी-(ना०) अनुपस्थिति । गैर गैब-(वि०) १. जो सम्मुख न हो। जो हाजिरी । अज्ञात हो । परोक्ष । २. जो नहीं देखा गेल-(ना०) १. पीछा । २. रास्ता । मार्ग । जा सके । अदृश्य । (अव्य०) प्रति । हर । (क्रि०वि०) पीछे । गैबाऊ-(क्रिवि) १. गुप्त रीति से । गैल छोड़णो-(मुहा०)१.(किसी से संबंधित) २. अचानक । ३. सामान्य प्रकार से। छेड़ी हुई चर्चा को बंद करना । घर (वि०) सामान्य। रखना। पीछा छोड़ना । २. पीछा नहीं गैबो-(वि०) १. गुप्त । छिपा हुमा । २. करना। For Private and Personal Use Only Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गैलापको ( ३३३ ) गोचरी गैलापणो-(न०) पागलपन । गोकुळीनाथ-(न०) १. जालोर के इतिहास गैली-(वि०) पगली। प्रसिद्ध शासक वीर कान्हड़दे सोनगरा का गैलो-(न0)१. मार्ग। रास्ता। २. परम्परा। एक विरुद । २. श्रीकृष्ण । सिलसिला । (वि०) १. पागल । गहलो। गोख-(न०) १. गवाक्ष । झरोखा । शरूखो। २. नासमझ। २. कान का बाहरी पर्दा व भाग । ३. गैवर-(न०) १. हाथी। २. श्रेष्ठ हाथी। आँख और कान के पानू बाजू का भाग । गजवर । ४ कर्ण विवर । ५. कनपटी। कनपडो । गैंडो-(न०) मैंसे की तरह का एक जंगली गोखड़ो-(न०) १. गवाक्ष । वातायन । जानवर। झरोखा। २. एक प्रकार का ताक जो गो-(ना०) १. गाय । गौ । २. इन्द्रिय। साल के प्रवेश द्वार (की दोनों ओर दीवाल के प्रासारों) में बना हा होता ३. वाणी । ४. पृथ्वी । ५. आकाश। गोपाळ-(न०) ग्वाल। गोग्राळियो-दे० गोपाळ ।। गोखरू-(न0) १. एक बनस्पति और उसका बीज । २. स्त्रियों के हाथ में पहिनने का गोउड़ो-(वि०) गाय का (चमड़ा)। गोउड़ो साज-(न०) गाय का चमड़ा । एक गहना। ३. पुरुषों के कान में पहिनने गोचर्म । का एक गहना। ४. जरतार । (कोरगोटा) का एक प्रकार का फीता। गोग्रो-(न०) शीतकाल में मस्ती में प्राये गोखो-(10) १. गवाक्ष । गोखडो। २. हुए ऊंट की गलसुई के समान फूल कर । डिंगल का एक छंद। मुंह से बाहर निकली हुई जीभ । गोगादे-(न०) १. एक लोक देवता । २. गो-करण गहण-(न०) पृथ्वी को उत्पन्न गोगादे चौहान । ३. राठौड़ राव वीरम व धारण करने वाला परमेश्वर। का पुत्र । गो-कर्ण-(न०) १. टोडा (राजस्थान) के गोगानम-(ना०) भादौं सुदी नौम । सर्प पास बनास नदी के तट पर आया हुआ पूजा का दिन । नाग-नवमी । शिव का एक प्रसिद्ध तीर्थ । २. दक्षिण गोगीडो-दे० जूजळो । में आया हुआ एक प्रसिद्ध शिव-तीर्थ । गोगो-(10) १. एक लोक गीत । २. एक ३. गाय का कान । ४. खच्चर । ५. सर्प । लोक देवता । ३. गोगादे चौहान । गोकळ-(न0) गोकुल । गोकुळ । ४. गोगादे राठौड़। गोकळ-पाठम-दे० कानजी-पाठम। गोध-(न०) फेन । झाग । गोकळिया गुसाँई-(न०) वल्लभ सम्प्रदाय गोघी-दे० गूधी। के गुसांईजी। गोघोख-(न०) गौशाला । गोकुळ-(न०) १. ब्रज में मथुरा के पास गोचर-(न०) १. चरागाह । (वि०) इन्द्रिय का एक गांव, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बाल्यकाल बिताया था। नंद, यशोदा गोचरी-(ना०) १. भिक्षा। २. भिक्षाऔर श्रीकृष्ण की निवास भूमि २. गौनों वृति । (जने साधूओं की)। ३. अपने ही का समूह । ३. गो, वृषभ आदि । घर में की जाने वाली चोरी। ४. चोरी गोकुळनाथ-(न०) श्रीकृष्ण । से घर वालों से छिपाकर इकट्ठा किया गोकुळवाळ-(न०) गोकुलवाला । श्रीकृष्ण । हुमा धन। गम्य । For Private and Personal Use Only Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir री। . गोचंदण ( ३३४ ) गोडोवळावण गोचंदण-(न०) गोपीचंदन । (ना०) एक बाग आदि में कसी, फावड़े इत्यादि से मिट्टी उलट-पुलट करना। प्रकार की गोह । चंदनगोह। गोट-(ना०) १. मगजी। २. चौपड की गाड़-(ना०) १. भीड़ । २. समूह । झड । ३. नाश । संहार । गोटी । ३. मुभाहट । ४. धुएँ की घटा। गोड़गो-(क्रि०) १. नाश करना। संहार ५. धूलि की घटा। गर्द । ६. आवेग ।। । करना । २. हाथी का चिंघाड़ना । मन की तरंग। गोड़वणो-(क्रि०) १. मारना । नाश गोटको-(न०)जिल्द बंधी हुई छोटी पुस्तक। करना । २. गिराना । गटका । २. बिना पकाई हुई इंट। गोडवाड-दे० गोढवाड़। गोटाळो-(न०) १. अव्यवस्था। २. पैसों गोड़ाटी-(ना०) मारवाड़ के नागौर जिले के मामले में गोलमाल। का भाम । गोटावाळ-(वि०) कर्तव्य भावना से रहित गोड़ा देणो-(मुहा०) १. हानि पहुंचाना । २. किसी प्रिय की मृत्यू होना। • होकर किया हुआ (काम) । २. फूहड़पन।। से किया हुप्रा । ३. जैसा-तैसा किया गोडालकड़ी-(ना०) एक कठोर शारीरिक हुअा। गोडाळियाँ-(क्रि०वि०) बच्चे का घुटनों गोटी-(ना०) चौपड़ की सारी। चौपड़ या और हाथों के बल चलने की क्रिया ।। सतरंज का मोहरा । २. गोली। टिकिया। गोड़ियो-(न0) १. इंद्रजालिक । जादूगर । गोटीजरणो-(क्रि०) १. मुंझाना। २. दम " घुटना । ३. धुआँ, धूल आदि से भर गोडी-(ना०)१. घुटना । २. घुटने को मोड़ जाना। कर रस्सी से पैर को बांधने की क्रिया। गोटो-(न०) १. नारियल । २. गोटा गोडी करणो-(मुहा०)१. ऊँट के एक पांव किनारी। ३ मुभाहट । ४. मन की को घुटने में से ऊपर को मोड़ कर रस्सी तरंग आवेग । ५. घुटन । ६. धुएँ का के द्वारा घुटने से बाँध देना, जिससे वह बादल या घटा। भाग नहीं सके । २. विवश करना । गोठ-(ना०) १. मित्रमंडली का भोजनोत्सव। मजबूर करना । ३. विश्राम करना । दावत । गोठ । २. समूह भोज । ३. गोडी ढाळणो-(महा०) १. थक जाना । गोष्ठी । ४. ढारणी । ५. छोग गाँव । २. थक कर बैठ जाना । ३. बैठ जाना। गोठ-गूघरी-(ना.) किसी प्रसन्नता या ४. मृतक के घर उसके घर वालों को उत्सव के समय किया जाने वाला मित्र- सम्वेदना प्रकट करने को जाना । मंडली का भोजन समारोह । महफिल गोडी देणो-(मुहा०) ऊंट के अगले पैर को और दावत । प्रीति भोज । घटने से मोडकर रस्सी से बाँधना । गोठरण-(ना०) १. साथिन । स्त्रीमित्र । गोडीख-(10)१. समुद्र । २. समुद्र में उठने २. सखी । सहेली। वाली लहरों की ध्वनि । गोठियो-(न०) १. मित्र । २. बालमित्र ।। गोडो-(न०) घुटना। गोठी-(न०) १. बालमित्र । २. मित्र। गोडो वळावरणो-(मुहा०)मुंहकाण कराना। दोस्त । मृतक के यहाँ उसके घर वालों को गोड-(नाo) (हाथी की) मस्ती। सान्त्वना देने व संवेदना प्रकट करने को गोडगो-(क्रि०)१. खुरपी लगाना । २. खेत जाना। For Private and Personal Use Only Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोधम गोडो-चाळणो गोडो वाळणो- (मुहा०)दे० गोडोवळावणो। पुरुष के नाम के अनुसार उस कुल की गोढ-(न०) १. वृक्ष का तना । थड़। २. संज्ञा । २. वंश । कुल । ३. संतान । मूला । मूली । ३. जड़ । मूल । गोत्र-कदंब-दे० गोतकदम । गोढलो-(वि०)निकट का । पास का। गोत्रजण-(ना०) पड़िहारों की कुलदेवी । गोढवाड़-(न०) मारवाड़ के पाली जिले का गोत्रात-(न०) गोत्रिरात्र नाम का स्त्रियों दक्षिण-पूर्वी प्रदेश। __ का व्रत जो भादौं शुक्ल पक्ष की सप्तमी, गोढवाडी-(वि०) १. गोढवाड प्रदेश का अष्टमी और नौमी को किया जाता है। गोविरात्रि। रहने वाला । २. गोढवाड़ का । गोढवाड़ गोथरणी-(ना०) १. बैलगाड़ी के जुए में सम्बन्धी। गोढारण-दे० गोढवाड़। लगने वाली लकड़ी की कील जो बैल की गोढाँ-दे० गौढे। गरदन को अंदर की ओर जाने से रोकती है। २. द्राक्षा । बड़ी दाख । गोढे-(क्रि०वि०) पास । निकट । कनै।। गोथरणो-(न०) जुग्रा (धूसरी) को बंद करने गोण-(न०) १. आसमान । २. गमन । की लकड़ी की एक कील । गोथरणी । जाना। गोणो-(न०) गौना । द्विरागमन । प्राणो । (क्रि०) गोथरणी से बंद करना । गोत-(ना०) १. गोत्र । २. वंश । कुल । गोथळी-(ना०) थैली । कोथली । ३. डुबकी। ४. बहाना । ५. तलाश ।' गोद-(ना.) १. क्रोड़। उत्संग । अंचल । खोज । खोळो। २. कोड़ांग का वस्त्र भाग । ३. गोतकदम-(ना०) गोत्र हत्या । कुल-हत्या। दत्तक प्रणाली । ४. दत्तक । गोत खाणो-(मुहा०) नट जाना । मुकर गोदड़ी-(ना०) गुदड़ी । गूदड़ी। जाना। गोदड़ो-(न०) फटे-पुराने चिथड़ों का गोतणो-(क्रि०) तलाश करना । ढूंढ़ना ।। बिछौना । गुदड़ा। गोदड़ा। गोतभाई-(न०) एक ही गोत्र में उत्पन्न गोद लेणो-(मुहा०)निःसंतान होने की दशा व्यक्ति। में अपने किसी गोत्री के पुत्र को शास्त्र गोतर-दे० गोत्र । विधि अनुसार अपना पुत्र स्वीकार गोतियो-(न०) १. गाय, भैंस आदि के लिये करना । खोळ लेणो । २. बच्चे को कमर बाजरी, ग्वार, खल और कुतर आदि के __ में उठाना । तेडरणो। मिश्रण (वाँटो) को पकाने का चूल्हा व गोदान-(न०) गाय का दान । पात्र (हाँडो) । (वि०)समान गोत्र वाला। गोदाम-(न0) माल रखने का वखार । गोडाउन । गोदाम ।। गोत्रज । गोती-(वि०) १. गोत्र वाला । २. स्वगोत्री। गोदावरी-(ना०) दक्षिण भारत की एक पवित्र नदी। गोतीत-(वि.) इन्द्रियातीत । गोदी-(ना०) १. क्रोड़ । उत्संग । २. गोतो-(न०) १. व्यर्थ का चक्कर । फेरा । गोदाम । भखार । वखार । माटो। २. मार्ग भूलकर इधर-उधर गोधरण-(न०) गायों का समूह । गोधन । फिरते रहने की क्रिया । चक्कर । ३. गोधन-(न०) १. गायें रूपी धन-दौलत । डुबकी। गोता। २. गोवृन्द । गोत्र-(ना०) १. किसी ऋषि के नाम से गोधम-(न०) १. होहल्ला । २. झगड़ा पहिचाने जानेवाला कुल । कुल के मूल टंटा । ३. कलह । ४. गृह कलह । For Private and Personal Use Only Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोषळियो ( ३३६ ) गोरटियो गोधळियो-(न०) १. छोटा सांड़ । २. गोभू-(वि०) डरपोक । बेनसल का सांड़ । ३. छोटा बैल । गोम-(न०) १. पृथ्वी। २. प्राकाश । ३. गोधुळक-(ना०) संध्या समय । गोधूलि नगाड़ा । ४. गर्जन । (वि०) गुप्त । समय । (वि०) गोधूलि समय का (पाणि- गोमगह-(न०) १. प्राकाश । २. मेघगर्जन। ग्रहण)। गोमतसर-(न०) मारवाड़ के इतिहास गोधुळक-लगन-(न०) १. गोधूलिक लग्न। प्रसिद्ध भीनमाल नगर का एक प्राचीन २. गोधूलिक समय का विवाह । गोधूलिक नाम । गौतमसर । पाणिग्रहण। गोमती-(ना०) १. द्वारका की सामुद्र नदी। गोधूळकिया फेरा- (न०) संध्याकालीन २. गंगा में मिलने वाली एक नदी। मुहर्त में होने वाला पाणिग्रहण । गोमय-दे० गोबर । गोधुळकियो साहो-दे० गोधुळकिया फेरा। गोमख-(न०) १. गाय का मुह । २. एक गोधूलि-(ना०) गायों के चलने से उड़ने प्राचीन तीर्थ ।। वाली धूलि । २. गायों के जंगल में से गोमखी-(ना०) १. माला जपने की गाय के वापिस लौटने का समय । संध्या समय । मुख के आकार की कपड़े की कोथली । २. गोधो-(न०)१. सांड़ । २. खस्सी नहीं किया गंगोत्री तीर्थ । गंगोतरी । हुमा बैल । गोमूत-(न०) गोमूत्र । गोप-(न०) १. गले का एक प्राभूषण । २. गोय-(क्रि०वि०) छिपा करके । . व्रज की एक अहीर जाति । ३. ग्वाला। गोयणी-दे० गोरणी। ४. गौ। गाय । गोपकाव्य-(न०) ग्राम्य-जीवन वर्णन करने गायरा-(न०)१. गाँव के निकट का भाग । वाला काव्य । गूदरो। २. गोह। गोपाळ-(न०) १. श्री कृष्ण । २. ग्वाला। गोरखधधा-(न०) १. गोरखपथा साधुआ गोपी-(ना०) १. गोप पत्नी। ग्वालिन । का बहुत कड़ियों वाला एक डंडा । २. २. वृन्दावन की श्रीकृष्ण भक्त गोप-स्त्री। गोरख पंथियों का एक यंत्र । ३. अनेक गोपीचंदण-(न०) तिलक करने की एक कड़ियों वाली एक अंगूठी । ४. एक ही सफेद व पीली मिट्टी । गोपीचंदन । काम की निरर्थक पुनरावृत्ति । ५. गोपीवर-(ना०) श्रीकृष्ण । निकम्मा धंधा । खोटो धंधो। ६. बहुत गोफण-(न0) पत्थर या ढेला फेंकने का। झंझट वाला काम । ७. उलझन । जोता (योत्र) के जैसा एक साधन । झंझट । गोफन । फिन्नी । ढलवांस। गोरखनाथ-(10) एक प्रसिद्ध संन्यासी गोफणियो-(न०) १. गोफन से फेंका जाने महात्मा गोरखनाथ । वाला ढेला या पत्थर । २. गोफन । गोरखपंथ-(न०) गोरखनाथ द्वारा चलाया ढेलवास। हुआ पंथ । गोबर-(न०) गाय या भैस का मल। गोरखपंथी-(वि०) गीरखपंथ के अनुयायी। गो-भरतार-(न०) १. पृथ्वीपति । २. गोरज-(ना.) गायों के चलने से उड़नेवाली इन्द्रियों का अधिपति । ३. श्रीकृष्ण । रज । गोभी-(ना०) शाक में प्रयोग आने वाला गोरटियो-(वि०) गोरे रंग वाला। गौर एक फूल या पत्तों की एक गांठ । कोबी। वर्ण । For Private and Personal Use Only Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ३३७ ) गौरण गोरण - ( ना० ) प्रथम मिलन । सुहागरात । गोरणी - ( ना० ) १. गौरी व्रत उद्यापन की सौभाग्यवती स्त्रियों को दी जाने वाली लहाण (सौगात) गौरिणी । २. व्रत उद्यापन के दिन भोजन के लिये निमंत्रित सौभाग्यवती स्त्री । ३. सौभाग्यवती स्त्री के गौरी व्रत के उद्यापन का भोज । गोरधन दे० गोवर्धन | गोरबंध - ( न० ) १. ऊंट का श्रृंगार करने के लिए उसे पहिनाया जाने वाला फुंदनों और लूमों वाला प्रकार । २. इस संबंध का एक बहुत प्रसिद्ध लोकगीत | 'गोरबंध लूं बाळो' नामक लोक गीत । गोरमी - ( न० ) १. बरात को, उसके गोरमे में पहुंच जाने पर कन्यापक्ष की श्रोर से दिया जाने वाला एक स्वागत भोज । २. गाँव के बाहर का मैदान । ३. गाँव के निकट का भाग । ४. गाँव का वह स्थान या मैदान जहाँ गांव की गायें जंगल में चरने को जाने के लिये इकट्ठी होती हैं । गोरल - दे० गणगोर । गोरवो दे० गोरमो । गोरस - ( न०) दूध, दही, छाछ, मक्खन आदि गाय के द्वारा प्राप्त होने वाली वस्तुएँ । गोरहर (न०) जैसलमेर किले का नाम । गोरंग - (वि०) गौर वर्ण का । ( न० ) १. अंगरेज । २. यूरोपियन । गोरंगी - (वि०) गौर वर्ण वाली । सुम्दर । ( ना० ) अंगरेज स्त्री । गोरावो - ( न०) एक जाति का साँप । गोरांगी - दे० गोरंगी । गोरांदे - ( ना० ) १. गौरी । पार्वती । २. पत्नी । ३. गौर वर्णवाली स्त्री । गोरी - (वि०) १. गौर वर्ण की । सुन्दर । ( न० ) १. मुसलमान । २. ग्वाला । ( ना० ) गौर वर्ण की स्त्री । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मीळवो गोरीराय - ( न० ) बादशाह । गोरू - ( ना० ) गाय । ( न०) गोवंश | (वि०) कायर | डरपोक । गोरो - (वि०) गौर वर्ण का । ( न० ) १. यूरोप का निवासी । २. अंग्रेज । फिरंगी । ३. गोरा भैरव । गोरोचन - ( न०) गाय के पित्ताशय से प्राप्त होने वाला एक सुगन्धित द्रव्य । गोरो - निचोर - (वि०) खूब गोरा । सुन्दर वर्ण का । गोळ - ( न०) १. वृत्ताकार । वृत्त । २. समूह । । ३. सेना । फौज । ४. शक । संदेह । ५. अंतर । फर्क । ६. षड्यन्त्र । जाल । ७. एक शस्त्र । ८. . घेरा । (वि०) १. वृत्त या चक्र की तरह का । घेरे वाला । २. गेंद या गोले की तरह का । गोल । गोल - ( न० ) १. सेना का मध्य भाग । २. गोला । वर्णसंकर । ३. गोलों का मुहल्ला । ४. दास । सेवक 1 गोलक - ( न० ) १ रुपया पैसा रखने की पेटी । मल्ला । २. वर्णसंकर । गोलो । गोळ गूंथरणो- ( मुहा० ) पड्यंत्र रचना । गोलरण - ( ना० ) गोले की स्त्री । गोली । २. दासी । मोलणो- ( न०) १. वर्णसंकर । गोलो । २. दास । नौकर । गोळ - मटोळ - (वि०) १. बिल्कुल गोल । २. अस्पष्ट (बात) | गोळमाळ - ( न० ) १. गोलमाल । २. श्रव्यवस्था । ३. घपला । घोटाला । ४. मिलावट | For Private and Personal Use Only गोळमोळ - (वि०) १. गोल-गोल । बिल्कुल गोल । २. अस्पष्ट । गोळवो - (म०) गेहूँ के आटे का दड़ी के जैसा गोल बनाये जाने वाला एक भोज्य पदार्थं । रोटक । रोटो । बाटी । Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १३० ) मोलाई गोलाई - ( ना० ) गोलापन । नीचता । गोळाई - ( ना० ) गोलाई । घेरा । गोळियो - ( न०) १. काँसी की कटोरी । २. अंगुली में पहनी जाने वाली एक प्रकार की अंगूठी । ३. स्त्रियों के पाँव की अंगुली में पहिना जाने वाला एक छल्ला । गोळी - ( ना० ) १. वटिका । २. बच्चों के खेलने की कांच की गुलिका । ३. बंदूक में भर कर छोड़ने की शीशे की गुलिका । ३. दही बिलौने का मिट्टी का बड़ा पात्र । ४. पीतल या ताँबे का बड़ा घड़ा । ४. वृक्ष का सूखा हुआा मोटा तना । गोली - ( ना० ) १. गोले जाति की स्त्री । २. दासी । ३. गोले की स्त्री । गोळो - ( न०) १. गेंद के समान कोई गोल वस्तु । किसी वस्तु का गोलपिड । ३. नारेली (टोपाळी) रहित नारियल । वह नारियल जिसके ऊपर का कठोर छिलका (नारेली) दूर कर दिया गया हो । गरी का गोला । गोळो । गोटो । ४. लोहे का गोल पिंड जो तोप में डाल कर छोड़ा जाता है । ५. लालटेन में लगाया जाने वाला काच का एक उपकरण । लालटैन का गोला । ६. पेट का एक रोग । गुल्म रोग । गोलो - ( न० ) १. गोला जाति का आदमी । गोला । २. वर्णसंकर । ३. दास । चाकर । गोवरियो - दे० गुणियो । गोवर्धन - ( न० ) १. ब्रज प्रदेश का एक पुराणप्रसिद्ध पर्वत । श्रीकृष्ण द्वारा अंगुली पर उठाया गया एक पर्वत । २. मंदिर के द्वार के श्रागे स्थापित किया जाने वाला कीर्तिस्तम्भ । ३. गोवंश की वृद्धि | ४. दीवाली पर घर के आगे बनाया जाने वाला गोबर का एक पर्वत-रूप जिसकी पूजा करती हैं । गोवर्धनधारी - ( न०) गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठाने वाले श्रीकृष्ण । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गौरव गोवाळ - दे० गुमाळ । गोवाळियो- दे० गुप्राळियो । गोविंद - ( न० ) १. श्रीकृष्ण । २. परब्रह्म । गोवो - दे० गोश्रो । ( न०) गोचर भूमि । गोश्त - ( न० ) मांस । गोष्ठी - ( ना० ) १. मंडली । २. बातचीत । ३. परामर्श । गोस- ( न० ) १. कान । २. गोश्त । गोसवारो - ( न० ) तथा व्योरा । १. श्राय-व्यय का लेखा गोशवारा । २. योग । जोड़ | गोसियळ - दे० गोसेल । गोसेल - (वि०) क्रोधी । गुस्सेल । गोसो - ( न० ) १. एकान्त । गोशा । २. कोना । गोशा । खुणो । ३. अंडकोश वृद्धि रोग । ४. अंडकोश । पोतवाळ । ५. कमान, छड़ी आदि की नोक । गोह - ( ना० ) छिपकली की जाति का एक For Private and Personal Use Only बड़ा जहरीला जन्तु । गोहर - ( न०) १. गाँव के बाहर का वह मैदान, जहाँ गाँव की गायें चरने जाने को इकट्ठी होती हैं । २. गोसमूह | गोहरी - ( न० ) गाँव की गायें जंगल में ले जाकर चराने वाला । २. ग्वाला । गोहीरो - (न०) १. गोह के समान एक छोटा विषाक्त जंतु । विषखपरा । २. गोह । गोहू - (न०) गेहूँ । गौ - ( ना० ) १. गाय । २. पृथ्वी । ३. सरस्वती । गौतमसर- दे० गोमतसर । गौरजा - ( ना० ) पार्वती । गौरी । गवरजा । गौरव - ( न० ) १. गुरू होने का भाव । २. बड़प्पन | बड़ाई । ३. सम्मान । श्रादर | ४. वृद्धि । बढ़ती । ५. वर श्रौर उसके संबंधियों का गौरव मान बढ़ाने के निमित्त कन्यापक्ष की ओर से दी जाने वाली एक विशेष ज्योनार । Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गौरवान्वित । ३३६ ) ग्रामदेवता गौरवान्वित-(वि०) गौरवमय । महिमा- ग्रभवास-(न०) गर्भवास । मय । ग्रह-(न०) १. नक्षत्र । २. नो की संख्या। गौरी-(ना०) १. पार्वती । २. गोरे रंग की १. नौ प्रसिद्ध तारे जो सूर्य के चारों ओर : स्त्री । ३. आठ वर्ष की कन्या । घूमते हैं। गौरी शंकर-(न०) १. महादेव । २. गौरी ग्रहण-(न०) १. सूर्य या चन्द्र पर क्रमशः और शंकर । ३. हिमालय की एक चोटी चंद्र या पृथ्वी की छाया पड़ने की स्थिति । का नाम । सूर्य या चंद्र का पूरा या किसी अंश में पृथ्वीगौहर-(न०) मोती। वासियों को दिखाई नहीं देना। २. पकग्याति-(ना०) १. जाति । २. न्याति । ड़ना । पकड़ । ३. स्वीकार । मंजूर । ग्यान-(न०)१. ज्ञान । तत्वज्ञान । ब्रह्मज्ञान। ग्रहणगंध-(न०) नाक । नासिका। २. चेतनता। ३. बोध । जानकारी। ग्रहणी-(ना०) गृहिणी । पत्नी । ४. बुद्धि । समझ । ५. प्रतीति । भान । ग्रहणो-(क्रि०) १. लेना। पकड़ना । २.ग्रहण ग्यान-गहीर-(वि०) ज्ञान-गंभीर । लगना । (न०) गहना । प्राभूषण । ग्यानण-(वि०) ज्ञान वाली। ग्रहदशा-दे० ग्रहदसा। ग्यान पंचमी-(ना०) कार्तिक शुक्ल पंचमी। ग्रहदसा-(ना०) ग्रहों की स्थिति के अनुसार ग्यान भंडार-(न0) पुस्तकालय । ज्ञान किसी व्यक्ति की अच्छी या बुरी दशा । भंडार । ग्रहदशा। २. गोचर ग्रहों की स्थिति । ग्यान रुपेत-(न०) ज्ञान-स्वरूप । ३. दुर्भाग्य । अभाग्य । ग्यान रूप-(न०) ज्ञान-स्वरूप । ग्रहमिण-(ना०) दीपक । गृहमणि । ग्यानवान-(वि०) १. ज्ञानी। २. विद्वान । ग्रहम्रग-(न०) कुत्ता । गृहमृग । ग्यान विसंभ-दे० गिनान-विसंभ। ग्रहस्थ-दे० गृहस्थ । ग्यानी-(वि०) १. ज्ञानवान । ज्ञानी। २. ग्रहस्थास्रम-दे० गृहस्थाश्रम । विद्वान । पंडित । (न०) प्रात्मज्ञानी। ग्रहस्थी-दे० गृहस्थी। ब्रह्मज्ञानी। ग्रहावरणो-(क्रि०) १. पकड़वाना । २. प्राप्त ग्याभ-(न०) गर्भ (मादा पशु का)। गाभ। कराना । ग्याभरण-(वि०) गर्भवती (मादा पशु) । ग्रंथ-(न०) पुस्तक । पोथी । किताब । गाभरण। ग्रंथसाहब-(न०) सिक्खों का धर्म-ग्रंथ । ग्याभरणी-दे० ग्याभण। ग्रंथारण-(न०) १. शास्त्र । २. ग्रंथ राशि । ग्यारस-(ना०) एकादशी । पक्ष का ग्यारहवाँ ग्रंथसमूह। दिन । ग्रंथी-(न0) १. ग्रंथ साहब का पाठ करने ग्यारसियो-(वि०) वह, जो एकादशी का वाला । २. ग्रन्थि । गाँठ । ३. बंधन । व्रत रक्खे हुए हो। ग्राम-(न०) १. गाँव । २. बस्ती। ३. ग्रगाचार-(न०) गर्गाचार्य ऋषि । राशि । ढेर। ४. शिव । ५. सप्तक ग्रज-दे० गरज । (संगीत) ६. तौल की दशांश पद्धति की ग्रजणो-दे० गरजणो। एक इकाई। ग्रब-(न०) गर्व । घमंड। ग्रामदेवता-(न०) गाँव का रक्षक-देवता । ग्रभ-(न०) २. गर्भ । हमल । खेतरपाळ । For Private and Personal Use Only Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाममृग ( ३४०) षटको ग्राममृग-(10) कुत्ता । स्वान । ग्राह-(न०) मगरमच्छ । ग्रामसिंह-(न0) कुत्ता । कूतरो। निध-(न0) गिद्धपक्षी। ग्रामसीह-(न०) कुत्ता । ग्रामसिंह। ग्रीखम-(न0) ग्रीष्म ऋतु । गरमी का ग्रामान्तर-(न०) दूसरा गांव । गाँवतरो। मौसम । ऊनाळो । ग्रामीण-(वि०) गांव का रहने वाला। ग्रीभरण-(ना०) गिद्धनी । देहाती । गँवार । गमार । गिवार। ग्रीठ-दे० गरीठ। ग्राव-(न०) पत्थर । ग्रीधरण-दे० ग्रीझण। ग्रास-(न०) १. राजाओं की ओर से ग्रीधाण-(ना०) गिद्धनियाँ । (न०) गिद्धों अपने छुटभाइयों को प्राजीविका के लिये का झुड। दी हुई भूमि । २. कोर । कवो । लुकमा। ग्रीधारणी-दे० ग्रीधरण। ३. खुराक । भोजन । ४. लूटखसोट । ग्वाड-दे० गवाड़। ५. हिस्सा। ग्वाड़ी-दे० गवाड़ी। प्रासवेध-(न०) १. लूटखसोट । २. लूटमार । ग्वार-दे० गवार। ३. लड़ाई। ४. दूसरे की जमीन या ग्वारतरी-दे० गुणातरी। जागीरी पर किया जाने वाला बलात् ग्वारपाठो-दे० गुपारपाठो । अधिकार । बलात् वसूल किया जाने वाला ग्वारफळी-दे० गुपारफळी । भूमिकर। प्रासियो- १. ग्रास में प्राप्त भूमि का रवाळ-(न०) ग्वाला । अहीर । गुमाळो । जागीरदार । गुजारे के लिए दी हुई ग्वाळो। जागीरी का जागीरदार । २. जागीरदार। ग्वाळियो-दे० गोपाळ । ग्वाळ । ३. पहाड़ों में रहने वाली लुटेरी जाति __ ग्वाळे री-(ना०) ग्वालियर की भाषा या का व्यक्ति । ४. लूट-खसोट करने वाला बोली । (वि०) ग्वालियर का। व्यक्ति । ५. विद्रोही । बागी। ग्वाळो-दे० गोपाळ। घ-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्णमाला व्यंजन वर्ण । 'घ' वर्ण । का चौथा कंठ्य व्यंजन-वर्ण । इसका घचरी-दे० घसरो। उच्चारण-स्थान कंठ है। घचोळरणो-(क्रि०) १. धमकाना । डराना। धकार-(न०) वर्णमाला का चौथा व्यंजन २. मारना । पीटना ३. विघ्न डालना। __ वर्ण । 'घ' वर्ण । घघो। घट-(न०) १. घड़ा । २. शरीर । ३. घघ-(न०) ऊंट । (ना०) खजूर (खारक) हृदय । ४. कमी। (वि०) कम । थोड़ा । का बीज । कुळियो। घटकार-(न०) कुम्हार । परजापत । घघड़ो-(न०) १. बेर का बीज । कुळियो। कुभकार। २. अष्ठि । गुठली। घटणो(क्रि०) १. कम होना। छीजना। घघ्घो-(न०) धकार । वर्णमाला का चौथा २. होना। घटना। वाका होना । ३. For Private and Personal Use Only Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra घटना www.kobatirth.org ( ३४१ ) ४. उचित होना । उचित लगना । ५. लागू होना । घटना - ( ना० ) १. रचना । बनावट । २. माजरा। वारदात | घटमाळ - ( ना० ) १. रहेंट की घड़ियों की माला । २. क्रम । प्रणाली । ३. आवागमन । जन्म-मरण । घट - वध - ( ना० ) १. कमीबेशी । न्यूनाधिकता । २. अवनति - उन्नति । ३. मंदी तेजी | ( व्यापारिक वस्तु की) । घटा - ( ना० ) १. बादलों का उमड़ना । मेघमाला । २. वृक्ष समूह । ३. समूह | झुंड घटाटोप - ( न०) बादलों या रज के उड़ने से हुई छाया या अंधेरा । २. आकाश में छाई हुई बादलों की घटा । घनघोर घटा । ३. श्रोहार । छाजन । श्राच्छादन । घटाड़ो - ( क्रि०) १. घटाना । कम करना । २. शेष करना । बाकी निकालना । ३. उचित ठहराना । ४. लागू करना । घटारो - दे० घटाणो । घटावरगो-दे० घटाड़णो । घटिया - ( वि०) १. अपेक्षाकृत निम्न कोटि का । उतरता । हलका । २. तुच्छ । नीच । कमसल | घटियो - दे० घटोलियो । घटूलियो - दे० घटोलियो । घटोलियो - ( न०) छोटी चक्की । घट्टी - ( ना० ) आटा पीसने की चक्की | घरटी । घड़ - ( ना० ) १. सेना । २. शरीर । ३. समूह । ४. घटा । ५. घड़ा । ६. परत । तह । ( क्रि०वि०) १. यथास्थिति । ठिकाने सर । २. समुचित रूप में । घड़घड़ाट - ( न०) गर्जन । गाड़ी चलने आदि से होने वाला शब्द । घड़रणो - ( क्रि०) १. घड़ना । बनाना । घड़ियो प्राकार देना । २. शिक्षित बनाना । योग्य बनाना । ३. माल बेच कर पैसा बनाना । घड़त दे० घड़तर । घड़तर - ( ना० ) १. बनावट । गढ़न । २. कारीगरी । ३. शिल्प | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घड़ बैठरणो - ( मुहा० ) १. समुचित रूप से तय होना । २. किसी काम का यथा स्थिति, यथास्वरूप पार पड़जाना । घड़भंजरण - ( ना० ) १. निर्माण और नाश । २. उथल-पुथल । ३. विचारों का उठना और समा जाना । विचारों की उथलपुथल । उधेड़बुन । (वि०) सेना का नाश करने वाला । वीर । घड़मोड़ - ( वि०) शत्रु की सेना को पीछे हटाने वाला । २. शूरवीर । घड़ली - ( ना० ) १. रहँट की माल में बँधी रहने वाली घड़िया । घेड । २. कागज, कपड़े आदि की परत । घड़ी । घड़वे - (To) सेनापति । घड़ा - ( ना० ) १. सेना । फौज । २. समूह | भुंड । घड़ाई - ( ना० ) १ घड़ने का काम । २. घड़ने का पारिश्रमिक | घड़ारणो- दे० घड़ावणो । घड़ामरण - दे० घड़ाई । घड़ामणी - दे० घड़ामरण । घड़ामोड़ दे० घड़मोड़ | - घड़ाळ - ( वि०) १. सेना वाला । २. शूरवीर । घड़ावरणो- ( क्रि०) घड़ाना | गढ़ाना । बन वाना | घड़ा - विभाड़ - (वि०) शत्रु सेना का नाश करने वाला । घड़ियक - ( क्रि०वि०) घड़ी भर के लिये । एक घड़ी भर । घड़ियाल - ( ना० ) १. घड़ी । २. घंट । कोरा | (To) मगरमच्छ । ग्राह । घड़ियो - ( न० ) १. किसी अंक के एक से १० तक गुणनफलों की क्रमिक सारणी । For Private and Personal Use Only Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घड़ी ( ३४२ ) घंणसार .. पहाड़ा । गुढियो। पट्टी पहाड़ा। घणघोर-(न०) मेघ गर्जन । (वि०) १. २. सुवर्णकार । ३. छोटा घड़ा। घनघोर । भयंकर। २. बहुत । ३.गहरा। घड़ी-(ना०) १. चौबीस मिनट का समय घना । परिमाण । २. समय । ३. अवसर । घणचक-(न०) १. भीड़ । भीड़भाड़। ४. एक समय सूचक यंत्र । घड़ियाल । २. मेला । ३. युद्ध । ४. बड़ा प्रायोजन । ५. रहट की माल में लगी हुई कुलिया। घणजाण-(वि०) १. बहुज्ञ । २. बुद्धिमान । घड़ली। ६. कपड़े, कागज आदि की। ___पंडित । ३. कलाविद । ४. होशियार । परत । घड़ी-घड़ी-(क्रि०वि०) बार-बार । । चतुर । घड़ीभर-(अव्य०) थोड़ी देर । थोड़ी देर के । घरगजाणग-दे० घणजाण । लिये। घणदाता-(वि०) अधिक दान देने वाला। घड़ लो-(न०) छोटा घड़ा। प्रौढर दानी । घरणदेवाळ । घड़ो-(न०) घड़ा । कलसा। घरणदीहो-(वि०) १. वृद्ध । बुड्ढ़ा । घड़ोटिया-(न००व०) एकादशा की शुद्धि २. बहुत दिनों का । पुराना । ३. बासी। क्रिया के उपरान्त मृतक के बारहवें दिन घण-देवजी-रोटा-(नम्ब०व०) १. देवीकी एक विशेष अशौच-निबारण क्रिया देवता के निमित्त बनाये जाने वाले घी. जिसमें बारह पिण्डों के अतिरिक्त (घट- गुड़ मिश्रित बाटी (रोटों) के चूरमे के स्वरूप) पानी भरे बारह घड़े, बारह जल लड्डु । २. विशेष प्रकार से बनाया हुआ छानने और उनके ऊपर बारह थालियों देवता के निमित्त का रोटा-भोज । ३. में उस दिन का बनाया हुआ मिष्टान्न भर हनुमानजी के लिये बनाया हुआ मोटी करके शुद्ध किये हुए तर्पण स्थान में रख रोटियों के चूरमे का भोज । रोट । दिये जाते हैं और फिर तर्पण करके ४. बड़ी बाटी। गोल प्राकार के बड़े मिष्टान्न सहित वे घड़े संबंधी और कुटुंबी- रोटे । गोळवा । जनों में प्रशौच निवारण की सूचना रूप घणदेवाळ-(वि०) दातार । घणदाता । में दिये जाते हैं और पिंड गाय को दे दिये घणनामी-(वि०) असंख्य नामों वाला। जाते हैं। बारहवें दिन का श्राद्ध । द्वादशा। (वि०) ईश्वर । परमेश्वर । बारियो। घणमंड-(न०) मेघ घटा । घड़ोटियो-(न०) छोटा घड़ा। घणमोली-(वि०) बहुमूल्य । महँगी। घण-(न०) १. बड़ा हथौड़ा। २. बादल । घणमोलो-(वि०) १. अमूल्य । बहुमूल्य । मेघ । ३. द्विदल अनाज में पड़ने वाला। एक कीड़ा। घुन । ४. समूह । झुड । २. महँगा । ३. प्रिय। ५. लोहा । (वि०) १. बहुत । अधिक। घणरूप-(वि०) अनेक रूपों वाला। (न०) २. ठोस । दृढ़। ईश्वर । घणकरो-(वि०) १. बहुत सा । (क्रि०वि०) घणसहवाळ-दे० घणसहो । प्रायः । बहुत करके । अकसर । घणसहो-(वि०) सहनशील । भरखमो । घणखाऊ-(वि०) अधिक खाने वाला । भारीखमो। घणघणा-(वि०) बहुत अधिक । घणसार-(न०) १. कपूर । २. चंदन । ३. घणघट्ट-(वि०) अत्यन्त । पारा । ४. धुआँ । ५. वर्षा । ६. पानी। For Private and Personal Use Only Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra स्याम www.kobatirth.org ( ३४३ ) घरो- (वि०) बहुतेरा । बहुत । बहुत सारा । घणो - ( fao) अधिक । बहुत । पुष्कल । घोखरो - दे० घणकरो । घतावरणो - दे० घलावणो । घरणस्याम - ( न० ) १. घनश्याम । श्रीकृष्ण । २. काला बादल । ( वि० ) अधिक श्याम | बहुत काला । । ज्यादातर । जीवी हो । आशीर्वाद । घरगहर - ( ना० ) घटा । घराक - (वि०) बहुत घराणी - ( ना० ) १. प्राश्चर्यजनक बात । २. बहुत अधिक होशियारी की बात या काम । २. चालबाजी । घराजीव - ( श्रव्य० ) चिरायु हो। दीर्घ- घमक - ( न० ) १. भाले के प्रहार का शब्द । २. अधिक जोर की वर्षा का शब्द । ३. मेहमानों को भोजन के समय बार-बार अधिक से अधिक घी परोसने की मनुहारें । जैसे - 'घी री घमक उड़ रही है । ४. लूहर और घूमर नाम के नृत्यों में एक नृत्य ताल । ५. अनेक पाँवों के घुंघुरुषों का एक साथ होने वाला तालबद्ध शब्द । घमकरणो - ( क्रि०) १. नाचना । २. घटा घरणार ग - ( अव्य० ) १. बहुत आभार । २. धन्य । धन्यवाद । शाबास । ३. वाहवाह | घणी खमा - ( श्रव्य०) १. गुरुजन प्रादि अत्यन्त सम्मानित पुरुषों को किया जाने वाला अभिवादन । २. बहुत क्षमावान हैं श्राप । ३. गुरूजनों की बात का स्वीकृति सूचक शब्द । 'हाँ' शब्द का एक शिष्ट पर्याय | घरी वात - ( वि० ) १. अनेक गुणों से अलं कृत । २. महिमावंत । ३. आदरणीय । घणी वार - ( क्रि०वि०) १. कई बार २. प्राय: । ३. कभी २ । ४. बहुत देर । घर - दे० घणो । घन - ( वि०) १. ठोस । २. घना | गाढ़ा | ३. बहुत अधिक । (०) बादल । मेघ । घनघोर दे० घणघोर । घमंड - दे० घरणमंड | घनरूप - (वि०) मेघ के समान श्याम रूप । श्यामवर्णं । धनवान - ( वि० ) मेघ के समान वर्णवाला । मेघवान । श्यामवर्ण । घनश्याम - ( न० ) श्रीकृष्ण । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घय घनसार दे० घरणसार । घबराट - ( ना० ) १. घबराहट । हड़बड़ी । २. व्याकुलता । घवराणो - दे० घबरावणो । घबरावणो - ( क्रि०) १. घबराना । हड़बड़ाना । २. व्याकुल होना । घबरीजणो - ( क्रि०) १. घबरा जाना । हड़बड़ा जाना । २. व्याकुल होना । का उमड़ना । ३. अचानक आ पड़ना । घमको - ( न० ) १. नाच घुंघुरुनों का For Private and Personal Use Only लगने वाला झटका । २. एक नृत्य ताल । घमचाळ - ( ना० ) १ युद्ध । २. प्रहार । ३. सेना । फौज । धमचाळ | घमड़-घमड़ - (अनु० ) चक्की का तेजी से चलने का शब्द | घमरोळ - ( ना० ) १. ऊत्रम । २. उत्पात । ३. युद्ध । ४. खलबली । ५. प्रहार । घमसारण - (वि०) भयंकर | प्रचण्ड | ( न० ) १. भयंकर युद्ध । २. सेना । ३. समूह | ४. भीड़ । ५. शोर । ६. नाश । घमंड - ( न० ) अहंकार | गर्व | घमंडी - (वि०) अभिमानी । घमोड़णो - ( क्रि०) १. ठोकना । पीटना । २. धमकाना । डराना । ३. मारना । नाश करना । ४. बहुत खाना । ५. बिलौना करना । घय - ( ना० ) १. चोट । जख्म । २. ढोल या नगाड़े का शब्द | घाई । Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३४४ ) घर मंडण घर-(न०) १. मनुष्य का रहने का स्थान। बहुत अधिक । मकान । घर । गृह । आवास । २. घरटियो-दे० घटोलियो। किसी वस्तु का कोष । आवरण । ३. घरटी-(ना०) आटा पीसने की चक्की । कुल । वंश । ४. वस्तु रखने का कोठा। घट्टी। खाना। ५. चौपड़, शतरंज आदि का घरणी-(ना.) १. गृहिणी। पत्नी । २. खाना। ६. कोठरी । ७. जन्म स्थान । स्त्री । लुगाई।। ८. जन्म कुंडली में ग्रह विशेष का स्थान। घर दीवो-(न०) वंश का दीपक । वंश को ९. मूल कारण । जैसे-'रोग रो घर प्रकाशित करने वाला । पुत्र । खांसी।' घर-धरण-(ना०) १. स्वपत्नी । २. घर की घर-आँगणो-(न०) १. घर का आँगन । स्वामिनी । २. अति परिचित और निकट का स्थान। घर-धणियाणी-(ना०) १. पत्नी । २. घर ३. बार बार आते जाते रहने का स्थान। की मालकिन ।। घरकोलियो-(न०) १. छोटा और कच्चा घर-धरणी-(न०) १. पति । २. गृहस्वामी । घर । २. अवदशा को प्राप्त हुआ घर । ३. मकान का मालिक । ३. पांव के पंजे पर गीली मिट्टी थपथपा घरनार-(ना०) पत्नी । लुगाई। कर बच्चों द्वारा बनाया हुआ विवर। घरनाळो-(म०) मिट्टी का पकाया हुआ घर-खरच-(न०) १. घर वालों का निर्वाह नल जैसा फुट डेढ़ फुट का एक टुकड़ा । करने में होने वाला खर्च । २. घर में या परनाळो । घरनाला। घर के संबंध में होने वाला खर्च । घरबार-(न०) १. बाल बच्चे वगैरह । घरखर्च । घर-गिरस्ती। २. घर की चीज वस्तु । घरगतु-(वि०) १. जो घर के उपयोग के माल-मिल्कीयत । लिये बना हो । २. जो बेचने के लिये घरबारी-(वि०) १. घर वाला । २. नहीं बनाया गया हो । ३. खानगी। संसारी । गृहस्थी। घर गरणो-(म0) विधवा का पुनर्लग्न। घरबीती-(वि०) खुद में बीती हुई । (ना०) __ नातो । नातरो। निजी तथा घर के सुख-दुख की बात । घर-घर-(अव्य०) प्रतिघर । 'पर बीती' का उलटा। घर जमाई-(न०) १. वह व्यक्ति जो ससुर घर बूडो-(वि०) घर को नष्ट करने वाला। का आश्रित होकर ससुराल में ही रहे। घर घालक। २. वह व्यक्ति जो अपनी प्रथा के अनुसार घर भेदू-(वि०) १. घर का भेद जानने विवाह संबंध के निमित्त अपनी ससुराल वाला । २. घर का भेद जानकर चारी में रहने के लिये बाधित होता है.। करने वाला । ३. घर का भेद खोल कर घरजाम-(वि०) घर में जन्म लिया हुआ (गोद पाया हुआ नहीं ।) २. विवाहिता घरमंड-(न०) १. धन । सम्पत्ति । २. घर पत्नी से उत्पन्न । औरस । का स्वामी । गृहपति । ३. पति । ४. कुल घरट-(न०) भैसे द्वारा चलाई जाने वाली की शोभा । चूना पीसने की बड़ी चक्की । घट्टा । घरमंडण-(न०) १. स्वामी। पति । २. घरट्ट । २. घेरा। ३. समूह । (वि०) घर की शोभा । ३. पुत्र । ४. कुल दगा देने वाला। For Private and Personal Use Only Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घरमेढी ( ३४५) घसैड़-पसड़े परम्परा कायम रहने का साधन । पत्नी गरीब घर(सगाई करते समय विचारणीय) की प्राप्ति । विवाह । ५. पत्नी। २. घर की हानि । खुद की हानि ।। घरमेढी-(न०) १. गृहस्थ । गृहमेधी । घराऊ-(वि०) १. घर संबंधी। घर का। २. घर का मुखिया। २. निज का । अपना । ३. पापस का। घर-रो-घर-(न०) १. अपना घर । २. घर परस्पर का। के सभी लोग । ३. संपूर्ण घर । पूरा घराघरू-(वि०) निजी । अपना । अपना मकान । ही । घर रो धणी-(न०) १. पति । २. घर का घराणो-(न०) कुल । वंश । घराना । . मालिक । मकान-मालिक । घरियो-(न०) आभूषण का कोठा, जिसमें घरलोचू-(वि०) १. आमदनी की सीमा में नग जड़ा जाता है। रहकर विवेक से घर का खर्च चलाने धरू-(वि०) १. घर से संबंधित । घर का। वाला । २. घर की व्यवस्था को सुचारु २. निज का । अपना । निजी । खानगी। रूप से बनाये रखने वाली। घरूपणो-(न०) घर वालों के जैसा व्यवघरवट-(ना०) १. घर की व्यवस्था । २. गृहस्थ लक्षण। ३. घर की परंपरा। घरेचो-(न०)पुनर्विवाह । धारेचो । नातो । मर्यादा। घर की पारंपरिक मर्यादा। नातरो। ४. वंश का गुण । ५. वंश । घरोघर-(अव्य०) १.प्रतिघर । प्रत्येक घर । घरवाळी-(ना०) १. घर की मालकिन । २. घर प्रति घर । एक घर के बाद दूसरा धरिगवाणी। २. पत्नी। घर । ३. सभी घरों में । घर-घर । घरवाळो-(न०) १. घर का मालिक । घरोट-दे० घरवट । घरधरणी । २. पति । घरोपो-(न०) बहुत अच्छा सम्बन्ध । धर घरवास-(न०)१. अन्य पुरुष के घर में पत्नी का सा संबंध । अपरणात । रूप से किया जाने वाला निवास । २. घलावणो-(क्रि०)डलवाना । प्रवेश कराना। पर स्त्री का पत्नी रूप में ग्रहण । ३. पैसाड़णो। गृहस्थ । गृहस्थाश्रम । घसक-(ना०) १. डीग । गप्प । २. तौरघरवासो-(न०) १. पर पुरुष के साथ पत्नी तरीका । रंग-ढंग । ३. सूरत-शक्ल । ४. रूप का सम्बन्ध । पत्नी रूप में पर पुरुष बनावट । रचना । ५. ठसक । के घर में रहना। २. गृहस्थावस्था। घसकाळ-(वि०) घसक मारने वाला । ३. गृहस्थ-जीवन । __ गप्पी । २. ठसक वाला । ठसकाळ । घरविकरी-(ना०)घर का सामान । गृहस्थी घसको-दे० घसक । का सामान । घसड़को-(न०) १. खरोंच । रगड़ । २. घरविध-(वि०) १. निजी । आपसी । रेखा । चिन्ह । ३. खर्चा । ४. भारी । व्यक्तिगत । २. गुप्त । ३. घर संबंधी। खर्च का परिणाम । ५. बिना मन का ४. घर की तरह । (ना०) १. मित्रता। काम । इच्छा के विरुद्ध करने या करवाने प्रेम संबंध । २. प्रेम । स्नेह । (क्रि०वि०) का भाव । बेगार । वेठ । परस्पर । आपस में। घसड़णो-दे० ढसड़णो । घरहारण-(ना०) १. निर्बल स्थिति का धर। घसड़-पसड़-(ना०) अव्यवस्था । For Private and Personal Use Only Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धसणे ( ३४६ ) घाघस्याण घसण-(ना०)१. युद्ध । लड़ाई । २. सेना। घंटी-(ना०) छोटा घंटा। फौज । ३. मार्ग। घंटो-(न०) १. साठ मिनिट का समय । घसरणो-(क्रि०) घिसना । रगड़ना। दिन-रात का चौबीसवाँ भाग। २. धातु घसरको-(न०) १. खरोंच । २. दूसरे के का एक बाजा जो केवल ध्वनि उत्पन्न लिये उठाई जाने वाली हानि और कष्ट। करता है। घंट। बाजा। लिंगेन्द्रिय । ३. बेगार । वेठ । दे० घसारो। ( गाली के रूप में) घसरो-(न०) १. बिना मतलब का काम। घंटो देखावणो-(मुहा०) अंगूठा दिखाना। व्यर्थ का काम । २. बिना पारिश्रमिक के _इनकार करना। किया जाने वाला काम । ३. हैरानी का घंस-(न०) १. मार्ग। २. बड़ा मार्ग । ३. काम । ४. प्रासंगिक काम । ५. मन को सेना का मार्ग । ४. युद्ध । ५. सेना । ६. नहीं रुचने वाला काम । ६ काम पर संहार । ध्वंस । ७. समूह ।। काम । काम की अधिकता। एक साथ घंसार-(न०) १. मार्ग। २. नाश । ३. अनेक काम । सेना । फौज । ४. युद्ध । (वि०) १. युद्ध घसाणो-दे० घसावरणो। करने वाला। नाश करने वाला। ३. घसारो-(न०) १. विवशता अथवा लिहाज पीछा करने वाला। से किसी का मुफ्त में किया जानेवाला घा-(न०) १. धाव । २. घास । चारा । काम । २. दूसरे के लिये उठायी जाने ३. नाश । वाली हानि । ३. बेगार । ४. हानि । घाई-(ना०) ढोल नगाड़े आदि बड़े वाद्यों नुकसान । ५. घिसाई। ६. घिसा जाना । का ( दूसरे वाद्यों के साथ ) तालबद्ध छीजन । घटाव । वादन । दो वाद्यों के बजने का मिलान । घसावणो-(क्रि०) घिसाना । तान । २. ढोल नगाड़े आदि का शब्द । घसियारो-(न०) घासवाला । घसियारा । ३. अजस्र वादन । बजाते जाना । ४. घसीट-(ना०) १. घसीटने की क्रिया या किसी वस्तु या बात के लिये लगायी जाने भाव । २. जल्दी की लिखावट । शीघ्र वालो रटन । अजस्रता । अविच्छिन्नता । लिखावट । जैसे-कई घाई लगा दी है, चुप रह । घसीटणो-(क्रि०) १. रगड़ते हुए खींचना । ५. उतावल । दौड़धूप । १. जल्दी जल्दी में लिखना । जैसा तैसा घाउ-(न०) १. घाव । २. नाश । (वि०) लिखना। घंट-(न०) १. बड़ी घंटी। घंटो। २. कंठ। घाव करने वाला । प्रहार करने वाला। (वि०) उस्ताद ।चालाक । घाघ-(वि०) १. बहुत चालाक। २. अनुघंटारव-(न०) घंट बजने की ध्वनि । भवी । (न०) एक अनुभवी व्यक्ति जिसके घंटाळ-(वि०) जिसके गले में घंट बँधा नाम की वर्षा व कृषि सम्बन्धी कहावतें हुमा हो । प्रसिद्ध हैं। घंटाळी-(ना०) घंटिका देवी।। घाघड़दी-(वि०) गहरी । गाढ़ी । घंटियाल-(न०) फोग के छोटे छोटे दानों घाघरी-(ना०) छोटा लहँगा । घघरी । (फोगला) के पक जाने की संज्ञा । पका घाघरो-(न०) लहँगा । घाघरा । हमा फागला । फोग मंजरी। घाघस्यारण-(न०) बाह्मणों का एक भेद । For Private and Personal Use Only Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घाचघूच ( ३४७ ) धारड़ो घाचघुच-(ना०)१. अव्यवस्थित बनावट । घाण-(न०) १. राशि में की उतनी वस्तु २. मोच । खड्डा(बरतन में)। ३. बखेड़ा। जो एक बार में कोल्हू में पेली जाय या (वि०) प्राड़ा-टेढ़ा। भट्टी पर पकाई जाय । धान । संपूर्ण राशि घाट-(न०) १. जलाशय का बँधा हुमा । का उतना एकम जो एक बार में तला, किनारा । २. नदी, तालाब आदि का पीसा, पेला या पकाया जाय । २. नाश । ३. युद्ध । ४. हैरान । व्यग्र । ५. कोल्हू । तट । तीर । ३. मार्ग । रास्ता। ४. ६. सुगध । ७. समूह । (वि०) तरबतर । पर्वत का तंग व दुर्गम मार्ग | घाटी। सरोबार। ५. प्राभूषण । गहना। ६. बनावट। घाण काढणो-(मुहा०) १. नाश करना । शिल्प । दस्तकारी। कारीगरी। ७.स्थान। २. हैरान करना । ८. दशा । अवस्था । ६. ढंग । तरीका। घारण-मथारण-(न०) किसी बात पर लंबा १०. व्यवस्था। ११. रूप। १२. प्रकार। विवाद । २. संहार । नाश । ३. कलह । घाण-मथारण करणो -(मुहा०) १. विवाद भौति । १३. शरीर । १४. षड्यन्त्र । करना । २. बहुत सोच विचार करना । (ना०) दली हुई मक्की या बाजरी का घाणी-(ना०) कोल्हू। छाछ में पका कर बनाया हुआ एक खाद्य । घाणो-(न0) उतनी वस्तु या अंश जितनी एक रंधेज । २. मृत्यु । (वि०) कम। एक बार में पेली या पकायी जाय। २. थोड़ा। नाश । संहार । ३. समूह । घाटघड़-(ना०) १. सोच विचार । चिता। घात-(ना०) आपत्ति । विपत्ति । २. कष्ट । उधेड़ बुन । (वि०) विचार मग्न । दुख । ३. अहित । हानि । ४. घोखा । घाटघड़ो लुहार-(न०)वह लुहार जो चाँदी छल । ५. हत्या । वध । नाश । ६. के जेवर बनाने का काम करता हो । दुर्दिन । ७. ताक । अवसर की प्रतीक्षा । घाट-बराड़-(ना०)१. घाट पर स्नान करने . ८. चोट । घाव । प्रहार । ६. दाँव । का कर। २. पहाड़ी की घाटी में रक्षार्थ पेंच । १०. पानी में डूबने या अकस्मात होने वाली मृत्यु । ११. निंदा । बुराई । लगने वाला यात्रा कर । घाटादारी-(ना०) घाटी में होकर जाने का घात करणी-(मुहा०) धोखा देना । कर। घातक-(वि०)१. घात करने वाला। मारने घाटारोह-(न०) १. पर्वत की घाटी से वाला । घातक । २. शत्रु । पसार नहीं होने देने के लिये किया जाने घातकियो-दे० घातक । वाला बंदोबस्त । धाटावरोध । घा-तकियो-(न०)एक विशेष घास का बना घाटावळ-(न0) १. विकट पहाड़ी मार्ग । तकिया । बूसी घास से भरा तकिया। २. पर्वत लाँघने का एक मात्र मार्ग। घातकी-दे० घातक । घाटी-(ना०) १. दो पहाड़ों के बीच का घातगो-दे० घालणो । भाग। २. दो पहाड़ों के बीच का तंग घातियो-दे० घातक । घाती-दे० घातक । रास्ता । ३. पहाड़ी ढलाई । ४. संकट । घाबाजरियो-(न०) घाव पर लगाने की आपत्ति । एक वनस्पति । घाट-(वि०) कम । थोड़ा । घायल-(वि०) जख्मी । पाहत । घायल । घाटो-(न०) १. हानि । नुकसान । २. घायो-(वि०) आहत । जख्मी। कमी । न्यूनता । ३. पहाड़ की बड़ी घारडो-(न०) तवे पर बनाया जाने वाला घाटी । ४. दुर्गम पहाड़ी मार्ग। मालपुए की तरह का एक पकवान । घाटो पड़णो-(मुहा०) नुकसानों होना । चीलड़ो। उलटा। For Private and Personal Use Only Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाँदो घालणो ( ३४८ ) घालणो-(क्रि०) १. डालना । रखना। घासतेल-(न०) मिट्टी का तेल । घासलेट । छोड़ना । २. अंदर रखना । ३. घुसाना। घासफूस-(न०) कूड़ा करकट । प्रवेश कराना। ४. मिलाना । ५. बिगा- घास बराड़-दे० घास चराई । ड़ना । ६. मारना । नाश करना। घासमारी-(ना०) मवेशी रखने वालों से घालमेल- (ना०) १. हस्तक्षेप । दखल। लिया जाने वाला कर । दस्तंदाजी । २. उखाड़-पछाड़। ३. किसी घासलेट-(न०) मिट्टी का तेल । घासतेल । बात पर अावश्यकता से अधिक विचार घासियो-(न०) १. मोटा गद्दा । २. ऊंट के विनिमय । ४. प्रपंच । बखेड़ा। ५. पलान पर बिछाया जाने वाला गद्दा । निकालने और डालने का काम । इधर- घासियो कसरणो-(मुहा०)१. रवाना होना। उधर करना । ६. फेरफार करना । हेरा- २. ऊंट पर घासिया रखना। फेरी। ७. व्यर्थ का काम । ८ चुगली- घासो-(न०) १. औषध को पानी में घिस चांटी। इधर-उधर लगाने का काम। कर देने का प्रकार । इस प्रकार घिसकर घालामेलो-(न०) १. भोज के अवसर पर दी जाने वाली औषधि । ३. पानी में कमीन-कारू आदि नेग वालों को कांसा घिसी हुई औषधि का द्रावण । ४. दूसरे (जीमन) परोसने का काम । २. निमंत्रित के बदले में उठायी जाने वाली हानि । व्यक्तियों के नहीं आ सकने पर उनके लिए घासो खाणो-(मुहा०) दूसरे के बदले में थाल परोसकर भेजने का काम । दे० हानि उठाना । घालमेल १, २, ४ और ५। घाह-(ना०) लहँगे, घाघरे, पायजामे इत्यादि घाव-(न०) १. क्षत । जस्म । २. आघात। में नाड़ा डालने की जगह । नेफा। चोट । प्रहार। घाँचण-(ना.) १. घाँची की स्त्री। २. घाव करियो-(बि०) घाव करने वाला। घांची जाति की स्त्री। मारने वाला। घाँची-(न०)१. कोल्हू चलाने वाली जाति का घावडियो-(वि०) १. घाव करने की ताक व्यक्ति । २. तिलहन पेलने वाली जाति । में रहने वाला । २. मारने वाला । घाँटकी-दे० घाँटी। घातक । ३. अवसर का लाभ उठाने घाँटकी दाबरणी-दे० घाँटो दाबणो। वाला । ३ होशियार । चालाक । (न0) घाँटी-(ना०) १. कंठ । २. गरदन । ३. हानि पहुँचाने या मारने की ताक में रहने ___ गले की वह हड्डी जो आगे की ओर वाला या पीछा करने वाला व्यक्ति । २. निकली रहती है । टेंटुआ। जासूस । घावणो-(क्रि०) १. घाव करना। प्रहार घाँटो-(न०) १. कंठ । २. गरदन । ३. करना । २. मारना । संहार करना। गला। घाव भरीजरणो-(मुहा०) घाव का दुरुस्त । घाँटो-टूप-(न०) १. गले में टूपा आये होना। जैसी दशा । २. गला घोंट । घा वेकरियो-(न०) घाव के खून को बंद घाँटो दाबणो-(मुहा०)१. गला दबोचना । करने वाला एक घास । २. मजबूर करना। घास-(न०) तृण । चारा । खड़। घाँतरड़ो-(न०) गला । कंठ । घास चराई-(ना०) पशुओं को घास चराने घाँदो-(न०) १. बाधा । अड़चन । २. का कर। विघ्न । HHHHHHI For Private and Personal Use Only Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पांसाड़ (३४९) घुटाई घाँसाड़-दे० घांसाहर। घीनड़-(न०) शेखावाटी में होली-त्यौहार घाँसाड़ो-(वि०) वीर । बहादुर । (न०) के दिनों में पुरुषों द्वारा खेला जाने वाला १. सेनापति । २. योद्धा । एक डंडिया नृत्य । गीदड़ रास । घाँसाहर-(ना०) १. सेना। फौज । २. घीनरो-(न०) फटा-पुराना और मेला समूह । ३. वीर । ४. सिंह । ५. युद्ध । । कपड़ा। घाँसाहरो-(न०) १. सेनापति । २. योद्धा। घी पीणो-(मुहा०) किसी काम को सुगम समझना। घिनड़ो-(न०) १. घास, लकड़ी बेचने वाली जाति का व्यक्ति । २. गंदा रहने वाला घी रा दीवा बळरणा-(मुहा०) १. अत्यन्त व्यक्ति । वैभवशाली बनना । २. वैभव का उपभोग करना । घिरणो-(क्रि०) १. लौटना । फिरना । २. घी री नाळ देणी-(मुहा०) मोटे बांस की गई हुई या खोई हुई वस्तु का प्राप्त नली को घी से भर कर गाय, भेंस, ऊंट होना। ३. घिर जाना। प्रावृत्त होना। आदि के मुह में डालकर पिलाना । ३. एकत्रित होना। घी री माखी-(वि०) १. घृणित । २. घिरत-(न०) घृत । घी। उपेक्षित । घिरोळो-(न०) डर के कारण मन में उठने घीलोड़ी-(ना०)घृतपात्र । घी की लुटिया । __ वाला वेग । २. चक्कर । ३. बेहोशी।। घीसगो-दे० घींसहो। घिलोड़ी-दे० घीलोड़ी। घींचरणो-(क्रि०) १. खींचना । २. घसीटना। घिसणो-(क्रि०) १- घिसना। रगड़ना । घींचीजणो-(क्रि०) १. खींचा जाना । घिसारणो-दे० घिसावणो। २. घसीटा जाना। घिसारो-दे० घसारो। घींसरणो-(क्रि०) घसीटना। घिसावणो-(क्रि०) घिसाना । घिसवाना । घींसार-(न०) १. मार्ग । २. विकट जगह घिस्सो-(न०) झाँसा । जुल । धोखा ।। ____ में बनाया हुआ मार्ग । घी-(न०) घृत । घी । तूप । घींसाळी-(ना०) १. हल को पाड़ा रख घी-खीचड़ी-(ना०) १. समान संबंध । २. कर के (घर से खेत और खेत से घर प्रेम संबंध । ३ लाभ ।। घी-खीचड़ी रो मेळ-(मुहा०) १. लाभ । तक बैलों द्वारा) ले जाने का लकड़ी का २. प्रेम सम्बन्ध । ३. समान सम्बन्ध । बनाया हुआ साधन । २. क्यारों में पानी ___पहुँचाने वाली नाली में पानी नहीं ४. मृतक के पीछे किये जाने वाले अनेक टंकों के भ्याति-भोज (मोसर) का घी और सोखने देने के लिये नाली में चिकनी मिट्टी लेप करने की क्रिया। खिचड़ी का पहला भोज । घुचरियो-(न०) पिल्ला । कूरियो । घी घालणो-(मुहा०) १. हानि पहुँचाना।। गुलरियो। २. विघ्न डालना। घुटणो-(कि०) भंग, ठंडाई आदि का घी चोपड़णो-(मुहा०) १- फुसलाना । २.. पिसना। २. दम घुटना । ३. मन ही धोखा देना। मन दुखी होना । कुढ़ना । (न०) घुटना। घी देणो-(मुहा०) अग्नि संस्कार के समय गोडो। कपाल तोड़कर के उसमें घी डालना। घुटाई-(ना०) घोटने का काम अथवा कपाल क्रिया की विधि करना। उसकी मजदूरी। For Private and Personal Use Only Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org घुटारणो १. घोटा जाना । घुटारो - ( क्रि०) घुटवाना । घुटीजरगो - ( क्रि०) क्रोधित होना । ३. दम घुटना । ४. क्रोध से अंदर ही अंदर घुटना । घुड़कारणो - ( क्रि०) धमकाना । डाँटना । घुड़की - ( ना० ) धमकी । डाँट | घुड़चढ़ी - ( ना० ) विवाह की एक प्रथा । घुड़चराई - दे० घोड़ा चारण । ( ३५० ) २. घुड़नाळ - दे० असनाळ । घुड़लो - ( न० ) १. चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से सप्तमी तक मनाया जाने वाला कन्यात्रों का एक प्रसिद्ध त्यौहार । २. अनेक छिद्रों वाला एक छोटा मिट्टी का घड़ा जिसमें दीपक जला रहता है । कन्याएं इसे सिर पर उठा कर दुष्टों द्वारा सतीत्व रक्षा करने और सतीत्व महिमा के गीत गाती हैं । ३. इस संबंध का एक लोकगीत | घुड़साळ - ( ना० ) घुड़शाला । पायगा । तबेलो | घुरण - ( न० ) मूंग, मोठ आदि द्विदल अन्न व लकड़ी में उत्पन्न होने वाला और उसी को खाने वाला कीड़ा । घुन । घुण पड़रणा - ( मुहा० ) नाज में घुन पैदा होना । घुरण लागरणो - ( मुहा० ) १. नाज में घुन पैदा होना । २. नहीं मिटने वाली बीमारी का लगना । ३. लंबी बीमारी के कारण दुर्बल होते जाना । घुमट - ( न० ) गुंबज । हरम्य शिखर । घुमटी - ( ना० ) छोटा गुंबज । हरम्य शिखर । घुमड़रणो- ( क्रि०) बादलों का उमड़ना । घटा का उठना । घुमाणो-दे० घुमावणो । घुमाव - ( न० ) १. मोड़ । २. चक्कर । फेरा घुमावो - ( क्रि०) १. घुमाना । फिराना । २. चवकर देना । ३. मोड़ना । मोड़ो । घुरकरणो - ( क्रि०) १. भूकना । २. टकटकी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घुळणो लगा कर देखना | घुरकाणो - ( कि० ) धमकाना । डाँटना । घुड़कारणो । घुरकावणो - दे० घुरकाणो । घुरको - ( न०) १. डाँट । धमकी । २. गुर्राहट । घुरड़का - रो - दान - ( न०) १. मृत्यु के समय दिया जाने वाला दान । २. निकृष्ट दान । घुरड़को - ( न० ) १. मृत्यु के समय कफ उठ जाने से कंठ में होने वाली घरघराहट । २. अंतिम साँस के समय दिया जाने वाला दान । घुरड़णो- ( क्रि०) १. रगड़ना । २. खरोंचना । घुररणो - ( क्रि०) १. नगाड़े, ढोल आदि का बजना । २. बादलों का गरजना । ३. कुत्ते आदि पशुनों का गुर्राहट करना । गुर्राना । ४. एक टक देखना । घुरस - ( ना० ) घोड़े का गरदन झुका कर पैर पटकने की क्रिया । घुरस खाणो - ( मुहा० ) घोड़े का पैर पटक कर गरदन झुकाना । घुरसाळी - ( ना० ) कुतिया, लोमड़ी आदि के रहने का खड्डा । घुरिया । घुरसाळो - ( न०) घोंसला । घुरावणो - ( क्रि०) १. ढोल, बाजा श्रादि बजाना । २. बजवाना । ३. गरजना । ४. निद्रावस्था में जोर से खुर्राटों की आवाज करना । घुरी - ( ना० ) कुत्ते, सियार आदि द्वारा अपने रहने बैठने के लिये बनाया हुआ खड्डा । For Private and Personal Use Only घुळगाँठ - ( ना० ) वह गाँठ जो प्रासानी से नहीं खुल सके। घुळणो - ( क्रि०) १. घुलना । २. पिघलना । ३. रोग, चिंता आदि से क्षीण होना । ४. धागे आदि में लगी गाँठ का दृढ़ होना । ५. ( समय का) बीतना । व्यतीत होना । Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घुळवीं गांठ घेच धुळवीं गांठ-दे० घुळगांठ। नृत्य करना। घुसणो-(क्रि०) घुसना । प्रवेश करना। घूमरो-(न०) १. समूह । झुड । झूमरो। घुसाणो-(क्रि०) घुसाना । अंदर घुसेड़ना। २. घेरा । घुसाळ-(ना.) १. घोंसला । २ घुड़शाला। घुरणो-(क्रि०) १. अपलक देखना। बिना घुसाळी-(ना०) कुत्ती और उसके छोटे प्रास झपकाये देखते रहना। २. आँखें बच्चों के रहने का खड्डा । फाड़ फाड़कर देखना। घुसेड़णो-दे० घुसाणो। घूस-(ना०) १. रिश्वत । २. एक बड़ा घुपाळो-(न०) घोंसला। चूहा । कोळ । घूस। घुडी-(ना.) १. बटन । २. गाँठ । घूस खावणियो-दे० घूसखोर । घूक-(न०) उल्लू । घूसखोर-(वि०) रिश्वत खाने वाला । घूकारि-(न०) कौत्रा। रिश्वत लेने वाला। घूध-(ना०) लोहे का टोप । शिरस्त्राण। घूसो-(न०) १. घास । २. तंतु । छूछा । घुघर-(न०) १. घुघरू । २. एक शस्त्र । ३.मुक्का । ४. गुप्तेन्द्रिय के बाल । झांट । घूघरमाळ-(ना०) बैलों आदि के गले में घूहो-(न०) गुप्तस्थान के बाल । झाँट । बाँधी जाने वाली घुघुरुषों की माला । उपस्थ-कच । घूघरी-दे० गूधरी। घूघटो-(न०) घूघट । घूघरो-(न०) घुघुरू। घूच-(ना.) १. टेढ़ापन । मोड़ । २. मोच । घूघी-(ना०) ऊन को जमा कर बनाया ३. दुविधा । अड़चन । ४. उलझन । हुआ एक वस्त्र । घूच पड़णो-(मुहा०) १. मोच पड़ना । घूघू-(न०) उल्लू । २. डोरी या धागे का उलझना । गाँठ घब-(ना०) बरतन आदि के गिरने या टक्कर पड़ना । ३. मेल-मिलाप में गाँठ पड़ना । लगने से उसमें पड़ा हुआ खड्डा । मोच। घूट-(ना०) १. द्रव पदार्थ का उतना अंश घूम-दे० घूब । जितना एक बार में गले के नीचे उतारा घुम घुमाळो-(वि०) बड़े घेर वाला । घेर जा सके । २. चुसकी। दार (घाघरा)। घूटी-(ना०) १. मृगी की बीमारी। २. घूमणो-(क्रि०) १. घूमना । लहराना। जन्म होने के बाद बच्चे को पिलाई जाने झूमना। २. चक्कर काटना। फिरना। वाली औषधि । घुट्टी । जन्मघुट्टी। ३. गोलाकार में घूमना । ४. किसी लोक धुसो-(न०) १. मुक्का । २. मुष्टिका देवता का प्रावेश आना। आवेश पाने प्रहार । पर घूमना। घृणा-(ना०) नफरत । घिन । ग्लानि । घूमर-(ना०) १. समूह । २. मुड । ३. घृत-(न०) घी । घिरत । स्त्रियों का एक गोलाकार नृत्य । ४. घे चरणो-(क्रि०) १. एक हो जाना । २. घूमर का एक लोक गीत । ५. छत में आलिंगन करना । ३. छा जाना । लटकाया जाने वाला काँच की अनेक घेघूमगो-(क्रि०) १. मँडराना । घेरा हंडियों का एक फानूस । झूमर । डालना। २. छा जाना । ३. भिड़ना । घूमर घालणो-(मुहा०) १. गोलाकार लड़ना । ४. घटा छाना। फिरना । २. बार बार आना । ३. घूमर घेच-(ना०) १. सेना । २. घसीटना । For Private and Personal Use Only Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ___३. समूह । टोली। घेचणो । ३५२) घोड़ियो घेचणो-(क्रि०) घसीटना । खींचना । घोचो-(न०) १. लकड़ी का छोटा टुकड़ा । लेजाना। २. तृण । तिनका। घेटियो-(न०) भेड़ का बच्चा । मेमना। घोचो लागणो-(मुहा०) घोचा चुभना । घेटो-(न०) नर भेड़ । मेढ़ा। घोट-दे० घोटो। घेट्यो -दे० घेटो। घोट उपड़णो-(मुहा०) लट्ठियों से लड़ाई घेड़-दे० घड़ली। होना। घेर-(न०) १. घाघरा, जामा आदि का गोल घोटणो-(त्रि०) १. घिसना । २. पीसना। विस्तार । घेराव । २. घेरा । परिधि । ३. रगड़ना । घोटमघोट-(वि०) १. दृढ़ । २. मोटा। घेरणो-(क्रि०) १. घेरना। मोड़ना । २. (मनुष्य)। चारों ओर फैल जाना । ३. घेरा डालना। घोटाई-(ना०) १. घोटने का काम । २. घेरदार-(वि०) घेरवाला। घोटने की मजदूरी।। घेरो-(न०) १. परिधि । २. सेना का किसी घोटो-(न०) डंडा । सोंटा । घोटा। दुर्ग आदि के चारों ओर किया हुआ घोडचढी-दे० घुड़चढ़ी । घेराव । ३. घेरा हुआ स्थान । ४. गोल घोड़ची-(न०) घुड़सवार । चक्र । घेरा। घोड़ पलाण-(न०) घोड़े की जीन । घेरो खाणो-(मुहा०) चक्कर खाना। घोडलो-(न०) १. घोड़ा। २. द्वार (चौखट) घेरो देणो-(मुहा०) १. घेरा डालना । २. में ऊपर की ओर दोनों बाजू बनाई जाने चक्कर खाना । ३. चक्कर देना। वाली लकड़ी या पत्थर की अश्वमुखाघेवर-(न०) एक मिठाई । घेवर । कृति । ३. मकान की शाल के द्वार पर घे बरणो-दे० घेघूमणो। दोनों ओर आमने-सामने बनाया जाने घेसाहर-दे० घाँसाहर। वाला एक प्रकार का गवाक्ष । गोखड़ो । घोई-(ना०) १. चक्कर । मोड़ । टेढ़ापन। घोड़ागाँठ-(ना०) १. रस्सी में लगाई जाने (मार्ग का) २. बार। दफा । समय। वाली सरकने वाली गाँठ । सरकीपासो । मरतबा । ३. देर । बेर । विलम्ब। खूटा गांठ । घोई खाणो-(मुहा०) चक्कर खाना । घोडागाड़ी-(ना०) १. घोड़े से चलाई जाने आँटे मारना। __ वाली गाड़ी । इक्का । तांगा। २. बग्गी। घोख-(न०) १. गर्जन । गरज । घोष । घोड़ा चारण-(न०) घोड़ों का जंगल में २.नाद । शब्द । ३. नारा । ४. गायों का चराने का कर ।। बाड़ा । गौशाला। घोड़ा नस-(ना.) १. बड़ी नस । रक्त घोखणो-(क्रि०) १. रटना। २. वराबर वाहिनी । २. एड़ी के पीछे की नस । पढ़ना । ३. मनन करना। चिंतन करना। घोड़ा ले-(प्रव्य०) आश्चर्य सूचक एक घोघ-(न०) १. झाग । फेन । २. नदी के अव्यय पद । पानी का बढ़ता हुआ वेग। घोड़ावेग-(क्रि०वि०) १. अति शीघ्रता से। घोघड़ मिन्नो-(न०) १. बड़े सिर वाला तुरंत । एकदम । एकाएक । २. तेज जंगली बिल्ला। वनबिलाव। २. बच्चों गति से । को डराने का हाऊ । हौवा। घोड़ियो-(न०) पालना । झुलना । गहवारा। For Private and Personal Use Only Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org घोड़ी घोड़ी - ( ना० ) १. घोड़े की मादा । श्रश्वा । अश्विनी । २० पालना । कपड़े की झोली का भुलना । गहवारा । ३. सेवइयां बनाने की मशीन को खड़ा करने का ढाँचा । ४. ऊंट की काठी को दो बैठकों में विभाजित करने वाला बीच का उठा हुआ भाग । ५. लंगड़े के सहारे की लाठी । ६. विवाह का एक लोक गीत । ७. बच्चों का एक खेल | ८. एक ऊंची तिपाई । ६. ताने को माँड देने के लिये उसे फैलाने का जुलाहों का एक उपकरण । घोड़ो - ( न० ) १. घोड़ा । अश्व । २. सीमा चिन्ह | हदबंधी का निशान । ३. बंदूक दागने का खटका । ४. शतरंज का एक मोहरा । घोणी - ( न०) सूअर | घोदो - ( न० ) १. लकड़ी व हाथ की हलकी चोट । २. तीक्ष्ण वस्तु के चुभने की क्रिया । ३. रोक । अड़चन । घोनी - ( ना० ) बकरी । घोनो - ( न० ) १. बकरा । २. बकरी । ( ३५३ ) ( वि० ) बहरा । घोबो - ( न० ) १. नेत्र की नस में होने वाला शूल । २. रह रह कर होने वाला शिर शूल । सिर दर्द । ३. रह रह कर होने बाला दर्द । ४. अंगुली आदि से आँख में लगने वाली चोट । ५. खेत में काटी हुई फसल के खड़े डंठल । खांपा । घोबो चालरगो-दे० घोबो हालणो । घोबो लागो - ( मुहा० ) लकड़ी चुभना । तिनका चुभना । घोबो हालो - ( मुहा० ) १. कनपटी या सिर में असा दर्द होना। २. प्राँख में दर्द होना । ३. आँख को नस में दर्द होना । घोर - (वि०) १. भयंकर । भयानक । २. विकराल । ३. सघन । घना । ४. अत्यधिक । ५. विकट । दुर्गम । ६. घोळपो गंभीर । ( ना० ) १. मुर्दे को दफनाने का स्थान या खड्डा । कब्र । २. नींद में होने वाला श्वास शब्द । ३. गूंज । गुंजार । ४. ढोल या नगाड़े की गंभीर ध्वनि । घोररणो - ( क्रि० ) १. ढोल बजाना । २. ठोकना । पीटना । २. नींद में साँस लेने की आवाज होना । खर्राटे खींचना । घोरंधार - ( न० ) १. प्रसिद्ध लोक देवता Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाबूजी के प्रतिघाती कोळू के स्वामी पकी लोक निति उपाधि । २. घोर अंधेरा । घोरावणो - ( क्रि०) १. नींद की अवस्था में जोर से खर्राटे खींचना । २. जोर से ढोल या नगाड़ा बजाना । घोरारव - ( न० ) १. भयसूचक आवाज । २. खूब जोर की आवाज । घोर ध्वनि । घोळ - ( न०) १. न्योछावर । उत्सर्ग । उतारा । वारीफेरी । १. न्योछावर की गई वस्तु । ३. वह पानी जिसमें कोई वस्तु हल की गई हो । पानी में मिला हुआ कोई घुलनशील पदार्थ । घोळ करणो - ( मुहा० ) न्योछावर करना । उतारा करना । वारीफेरी करना । उवारो । घोळणो - ( क्रि० ) किसी घुलनशील पदार्थ को पानी में मिलाना । घोलना । मिश्ररण करना । २. न्योछावर करना । वारना । वारणो । उवारगो । घोळियो - ( न० ) मट्ठा | गाढ़ी छाछ । दे० घोळयो । घोळी जगो - ( मुहा० ) १. पिघलना । २. न्योछावर होना । दुखी होना । मन में घुटना । मनस्ताप होना । घुटीजरगो । घोळी जाणो - ( मुहा० ) १. न्योछावर होना । बलि होना । बलि जाना। २. बलैया लेना । घोळचो - ( न० ) एक तकिया कलाम । एक सखुन तकिया । बातचीत के बीच में For Private and Personal Use Only Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org घोसण प्रायः कई मनुष्यों द्वारा स्वभावतः बोला जाने वाला एक सम्पुट । ( अव्य० ) १. अस्तु । प्रच्छु | अच्छा । भला । खैर । २. न्योछावर होता हूँ । वारी जाऊं । उत्सर्ग करता हूं । ३. उत्सर्ग होता हूं बलि जाता हूं । ४. उत्सर्ग हुआ । निछावर हो गया । ( ३५४ ) घोसरण - ( ना० ) १. घोसी की स्त्री । २. घोसी जाति की स्त्री । घोसी - ( न० ) १. गायें रखने वाला । ङ - संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्णमाला के क वर्ग का पाँचवां व्यंजन वर्णं । इसका उच्चारण-स्थान कंठ और नासिका है । महाजनी में इसका उच्चारण च - संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्णं माला के चवर्ग का तालुस्थानीय पहला व्यंजन | च च - ( अव्य० ) १. और । अन्य । २. एक पद पूरणर्थिक वर्ण । ( न० ) १. मुख । २. चन्द्रमा । ३. अग्नि । चइ - ( अव्य०) 'चे' विभक्ति का एक रूप | के । चइलो - दे० चीलो | चड़ - ( ना० ) हल का एक उपकरण । (श्रव्य०) संबंध सूचक ( षष्टी) विभक्ति का एक चिन्ह | राजस्थानी की 'चो' और हिन्दी की 'का' विभक्ति का अपभ्रंश रूप । चक दे० चोक । - चउगरणउ दे चौगुणो । चकचूर घोषिन् । २. गूजर । ३. गायें रख कर उनके दूध को बेचने का धंधा करने वाली एक मुसलमान जाति । ४. इस जाति का व्यक्ति । घोंघाट - ( न० ) कान में होने वाला घों-घों का शब्द | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धरणा - ( ना० ) घृणा । ग्लानि । नफरत । घ्रत - ( न० ) घृत | घी । घोणी - ( न० ) शूकर । सूत्रर । 'ड़' होता है । पोसाळ ( पाठशाला) की बालभाषा में इसे ' रडियो ऊमणो- दूमणो' कहते हैं । 'ङ' या 'ड़' का शब्द के आदि में प्रयोग नहीं होता | चउथ दे० चौथ । चउद - (वि०) चौदह । '१४' चउपई - दे० चौपाई | चट्ट - दे० चोहटो | चऊ - ( ना० ) हल का एक उपकरण । चक - ( न० ) १. एक अस्त्र । चक्र । २. पहिया । ३. चकवा पक्षी । ४. जमीन का बड़ा टुकड़ा । ५. दिशा । ( वि०) चकित | अचंभित । ( ना० ) और तरफ । चकचक - ( ना० ) १. निंदा । चर्चा । २. लोकापवाद । ३. बकबक । ४. पक्षियों की चहचहाट | चकचाळो - ( न०) १. युद्ध । २. उत्पात । उपद्रव । चकचूर - ( न० ) १. नाश । चकनाचूर | For Private and Personal Use Only Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३५५ ) चकासो ध्वंस । २. थकान । (वि०) १. अधिक । चकरीखम-(वि०) चकित । विस्मित । नशा लिया हुआ। २. थका हा। ३. चकड़ीखम । (क्रि०वि०) चूराचूरा। चकरीजणो-(क्रि०) १. चकित होना । २. चकचुध-(ना०)प्रकाश या चमक के कारण भ्रम में पड़ना । चकराना। ३. घबरा प्रांखों की दृष्टि का स्थिर न रहना। जाना। तिलमिली । चकाचौंध । चकळ-(वि०) भ्रमित । चकित । चकलो-(न०) १. चकलोटा । चकला । २. चकचूंधियो-दे० चकचूध । चकड़ीखम-(वि०)चकित । विस्मित । ___ दुश्चरित्र स्त्रियों का अड्डा । चकडोळ- (न०)१.जनानी पालकी । डोली। चकलोटो-दे० चकलो। २. नीचे ऊपर चक्कर खाने वाला झूला। चकवई-दे० चकवै। चकवान-(न०) गदहा ।खर । ३. नशा । दे० वैकुठी। विठी। चकवी-(ना०) चक्रवाकी । चकई । चकडोळ चढणो-(मुहा०) १. नशा छा चकवै-(न०) चक्रवर्ती राजा। सार्वभौम जाना । बदनाम होना। राजा। सम्राट । (वि०) चक्रवर्ती । चकतो-(न०)१. मुसलमान । २. मुसलमानों सार्वभौम । का एक भेद । ३. चमड़ी के ऊपर उठी , चकवो-(न०) चकवा । चक्रवाक । हुई चपटी सूजन । चकाचक-(वि०) १. तृप्त । २. घृतपूर्ण । चकनाचूर-(क्रि०वि०)१. चूरा-चूरा । टुकड़ तरबतर । ३. मजेदार। टुकड़े। २. बहुत थका हुा । ३. जो चकाचूध-दे० चकवूध । बिल्कुल टुकड़े-टुकड़े हो गया हो। चकाबो-(न०) १. लड़ाई । युद्ध । २. चकबंदी-(ना०) १. कई खेतों को मिलाकर हमला । अाक्रमण । ३. चमत्कार । एक चक बनाना। २. खेती की भूमि को चकार-(न०) १. चवर्ग का प्रथम वर्ण 'च'। चकों में बांटना। ३. भूमि को भागों में २. भीड़। जन समूह । ३. स्वीकार । बाँटकर सीमाबंदी करना।। ४. चारण को दान में दी हुई जागीरी। चकमक-(न०) १. झगड़ा। तकरार । २. (वि०) चतुर । चिनगारी । ३. चकमक पत्थर । चकारो-(न०) १. भाला आदि शस्त्रों की चकमो-(न०) १. धोखा । २. भुलावा । कपड़े की खोल । २. दल । समूह । ३. चकमा । ३. ऊन को जमाकर बनाया गोलाई । चक्र । गोलचक्र । ४. दंतक्षत हुमा एक वस्त्र । का गोल निशान । ५. एक प्रकार का चकर-(न०) १. चक्र । २. चक्कर। तंतुवाद्य । चिकारो। ६. चक्कर । फेरा। चकरड़ी-दे० चकरी। चकास-(ना०) १. जाँच । तपास । २. चकराणो-(क्रि०) १. चकराना। चकित प्रकाश । होना। २. चक्कर खाना। ३. भ्रमित चकासपो-(क्रि०) परीक्षा करना। जांच होना। करना । तपासणो। चकरायत-(न०) १. योद्धा । शूरवीर । २. चकासो-(न०) १. प्रकाश । २. कौतुक । घबराहट । (वि०) घबराया हुआ। ३. चमत्कार । ४. करामात । ५. चकरावणो-दे० चकराणो।। झगड़ा। लड़ाई । बोल-चाल । वादचकरी-(ना०)गिररी। फिरकनी। फिरनी। विवाद। For Private and Personal Use Only Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चकित (३५६) पगडोळ चकित-(वि०) दंग । चकित । विस्मित। चक्रपाणि-(न०) १. विष्णु भगवान । २. चकू-दे० चक्कू । श्रीकृष्ण। चकोतरो-(न0) एक प्रकार का नींबू । चक्रवर्ती-(वि०) एक समुद्र से दूसरे समुद्र चकोतरा। तक राज्य करने वाला । सार्वभौम । चकोर-(न०)१. एक पक्षी । (वि०)१. साव- चक्रवाक-(न०) चकवा । धान । होशियार । सतर्क । २. चालाक। चक्र सुदर्शन-दे० सुदर्शन चक्र । चक्क-(न०) १. चक्र । २. पहिया । चक्का। चक्राकार-(न०) गोलाकार । ३. दिशा। ४. चकवा । ५. ओर। चक्रायुध-(न०) सुदर्शन चक्र । तरफ । (वि०) चकित ।। चक्रांकित-(न०) एक वैष्णव सम्प्रदाय । चक्कर-(न०) १. गोलाकार वस्तु । २. (वि०) जिसके बाहु मूल पर सुदर्शन चक्र घेरा । ३. पहिया । चक्का। ४. फेरा। का चिन्ह अंकित हो। ५. हैरानी । ६. सिर घूमना। गश । चक्रित-(वि०) चकित । विस्मित । चक्कर। चक्रेश्वरी-(ना०) एक देवी । चक्कर प्राणो-(मुहा०) माथा फिरना ।। चख-(ना०) १. नेत्र । चक्षु । आँख । २. चक्कर खाणो-(मुहा०)फेरा खाना । अाँटा युद्ध । ३. अग्नि । मारना। चक्कवै-दे० चकवै। घख-अलाव-(न०) क्रोध पूर्ण नेत्र । चक्की-(ना०) १. पाटा पीसने का एक क्रोध से जलते हुए नेत्र । क्रोध-पूर्ण लाल नेत्र। यंत्र । घरटी। घट्टी। २. मिठाई का चखएक-(न०) दैत्यगुरु शुक्राचार्य । (वि०) थक्का। चाशनी में तैयार की हुई एक एकाक्ष । काना । काणो। मिठाई जिसको थाली में ढालकर थक्के चखचूधियो-(न०) चकाचौंध । काट दिये जाते हैं। चक्की फेरणो-(मुहा०) चक्की चलाना । चखचूधी-(ना०) चकाचौंध । घट्टी फेरना। चखचधो-(वि०) छोटी आँख वाला। चक्कू-(न०) चाकू । छुरी। चखचोळ-(न०) क्रोधाविष्ट रक्त नेत्र । चक्को -(न०) १. पहिया । चक्का । २. क्रोधपूर्ण लाल नेत्र । रक्त वर्ण नेत्र । धक्का । ३. पिंड। (वि०) १. लाल आँखों वाला । २. क्रुद्ध । चक्ख-(ना०) चक्षु । प्रांख । नेत्र। चखरण-दे० चखणी। चक्खेव-(प्रव्य०) आंखों से ।। चखणी-(ना०) १. चखने की क्रिया । २. चक्र-(न०) १. एक शस्त्र । चक्र। २. चखने की वस्तु । सुदर्शन चक्र । ३. चक्रांक । ४. गोल चखणो-दे० चाखणो । आकृति । गोलाकार । ५. पहिया । चखस्र व-(न०) सर्प । साँप । चक्का । ६. कुम्हार की चाक । ७. पानी चखाड़णो-(क्रि०) चखाना । का भंवर । ८. सेना । ६. अंयुली के ऊपर चखाणो-दे० चखाड़णो । के पोर पर बनी हुई चक्राकार रेखा। चखावरणो-दे० चखाड़णो। १०.वातचक्र । ११. चक्कर । १२.फेरा। चग-(न०) खींप नाम का एक जंगली क्षप । दौर। खींपड़ो। चक्रधर-(न०) विष्णु भगवान । चगडोळ-दे० चकडोळ । For Private and Personal Use Only Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चंगणो ( ३५७ j चगणो-(क्रि०)१. चग से झोंपड़े को छाना। चटको-मटको-(न०) नखरा । २. घाव से खून बहना। चटको मारणो-दे० चटको भरणो । चगतो-(न०) मुसलमान । चटको लागणो-(मुहा०) १. डंक लगना चगदायळ-(वि०) १. कुचला हुआ। २. या चुभना । २. बात चुभना । घायल । चटणी-(मा०) १. पुदीना, अदरक, धनिया चगदो-(न०) १. घाव । क्षत । २. कुचल प्रादि को पीस कर बनाया हुआ व्यंजन । कर बनाया हुआ चूरा। चटनी । २. चाटने की चीज । अवलेह । चगाणो-दे० चिगाणो। चटपटी-(वि०)१. स्वादिष्ट । जायकादार । चगावणो-दे० चिगारतो। २. मसालेदार । (ना०) १. घबराहट । चच्चो -(न०) 'च' वर्ण। चकार । संताप । २. उतावल । शीघ्रता । चज-(न०) १. छल। कपट । २. बुरा चटाई-(ना०) १. चाटने की क्रिया या चरित्र । ३. कपटपूर्ण आचरण । चरि. भाव । २. तृण, सींक, ताड़ के पत्तों आदि तर । ४. नखरे बाजी । ५. चमत्कार की का बना बिछावन । मादड़ी। मालड़ी। बात। चटारणो-दे० चटावणो। चट-(न०) लकड़ी के टूटने का शब्द । (क्रि० चटावरणो-(क्रि०) चटाना । वि०) शीघ्र । तुरंत । झट। चटाँ-लटाँ-(ना०)लत्थोबत्थ । गुत्थमगुत्था। चटक-(ना०) १. शोभा। २. फूरती। भिड़त । शीघ्रता । ३. चमक दमक । ४. चमक । चटियो-(न०) छड़ी । चिटियो। कान्ति । ५. नखरा। ६. गर्व । घमंड। चटु-दे० चिटुड़ी। ७. नारियल की गिरी का छोटा ट्रकड़ा। चटुकी-दे० चिटुड़ी। चिटक । चटोकड़ो-(वि०) स्वाद-लोलुप । घटोरा । चटकरणी-(ना०) सिटकनी। चट्ठ। चटकणो-(क्रि०) १. चट चट शब्द होना। चट्टान-(ना०) पर्वत का समतल भाग । विशाल पाषाण-खंड । २. उछलना । ३. टूटना । ४. चुभना । चट्टो-दे० चोटलो। चटक-मटक-(ना०) १. नखरा । बनाव । चटकीलापन । २. रसिकता । चड़भड़-(ना०) १. कलह । टटा । २. बक वाद । चटकारणो-दे० चटकावणो । चड़भड़यो-(क्रि०) १. गुस्से होना। २. चटकावणो-(क्रि०) डंक मारना । ऊंचानीचा होना। ३. लड़ पड़ना । झगचटकीलो-(वि०) १. सुन्दर । मनोहर । ड़ना । २. नखरे वाला । रंगीला । चडवो-(न0) रंगरेज । रंगारो। चटको-(न०) १. बिच्छू, मच्छर आदि का चड़स-(न०) १. चिलम में पीने का एक दंश । २. काटने | डंक मारने की मादक पदार्थ । चरस । २. मोट । चरसा। क्रिया । दंशन । ३. चुभन । खटक । ४. कोस । चड़ो। मनोभाव चड़सियो-(न०) चरसा को खाली करने चटको-भरणो-(मुहा०) १. किसी कीड़े या वाला व्यक्ति । जानवर का डंक मारना या दाँत से चड़सो-दे० चड़ो। काटना । २. चुभती बात कहना। चड़ो-(न०) चड़स । मोट । कोस । For Private and Personal Use Only Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चढ-उतार ( ३५८ ) चणणाट चढ-उतार-(वि०) १. गावदुम । २. चढ़ाई. चढाकू-दे० चढाक । २. सवारी करने उतराई । ३. ऊंचाई और ढलाई । के लायक उम्र का (ऊंट, घोड़ा) सवारी चढण-सितवारण-(न0) इन्द्र । योग्य । चढाऊ । चढणो-(क्रि०) १. नीचे से ऊपर को जाना। चढाचढ़ी-(ना०) प्रतिस्पर्धा । होड़। चढ़ना। २. प्रस्थान करना। ३. हमला चढाण-(ना०) १. चढ़ाई । २. ऊंचाई। करना। ४. उन्नति करना। ५. सवार चढारणो-(क्रि०) १. नीचे से ऊपर की ओर होना । ६. कर्ज होना । कर्ज बढ़ना । ७. ले जाना । चढ़वाना । २. चढ़ने में प्रवृत्त नदी, तालाब आदि के पानी का बढ़ना । ___ करना । ३. देवताओं को अर्पण करना । ८. सेवन किये हए मादक पदार्थ का नशा ४. सवारी कराना । ५. मॅगेतर को वस्त्र होना। ६. पदवृद्धि होना । १०. अर्पित और आभूषण पहिनाने की प्रथा को होना । किसी देवता को किसी वस्तु की मनाना । ६. हँडिया, तवा आदि पात्र को मेंट धरा जाना। ११. पकाने के लिए चूल्हे पर रखना । ७. बही या रजिस्टर पात्र का चूल्हे पर रखा जाना। १२. __में दर्ज करना। ८. लेप, रंग मुलम्मा मोल बढ़ना । भाव बढ़ना । १३. जोश में आदि का प्रावरण करना । चढाबरणो । आना । १४. लेप, रंग, मुलम्मा आदि का चढापो-दे० चढावो। आवरण होना। चढाव-(न०) १. पर्वत या भूमि के किसी चढती-(ना०) १. उन्नति । उत्थान । भाग की उत्तरोत्तर ऊंचाई । चढ़ाई । २. बढोतरी। २. समुद्र के जल का बढ़ाव । ज्वार । चढती-पड़ती-(ना०) उन्नति-अवनति । ३. नदी आदि के पानी का बढ़ाव । उत्थान-पतन । चढावरणो-दे० चढाणो । चढतो-(वि०) १. तुलना में बढ़ा हुआ। चढावो-(न०) १. देवता को अर्पण किया २. बढ़ा चढ़ा हुआ। ३. उदीयमान । हुप्रा रुपया-पैसा, गहना , वस्त्र इत्यादि ४. अधिक । ज्यादा। सामग्री । २. देवता को अर्पण किया हुआ चढतो आँक-(न०) संख्या का अगला अंक नैवेद्य । प्रसाद । ३. व्यापारी द्वारा वस्तु शून्य में अशुभ समझा जाता है इसलिये पर उसके वास्तविक मूल्य से अधिक उसमें जोड़ी जाने वाली '१' की संख्या। मूल्य अंकित करने अथवा मूल्य के आगे जैसे ५००) के स्थान पर ५०१) इसी प्रकार और फालतू अंक बढ़ा देने का संकेत । सभी शून्याग्र संख्याओं में । तीखो प्राँक । ४. बढ़ावा । उत्साह । ५. बहकावा । चढाई-(ना०) १. हमला । आक्रमण । २. चढी-रो-पलाण-(न०) ऊंट पर कसी जाने पर्वत या भूमि का वह भाग जो क्रमशः वाली सवारी की काठी । सवारी का ऊंचा हो । ऊंचाई की ओर जाने वाली पलान । भूमि । ३. ऊंचाई । ४. चढ़ने की क्रिया। चरणक-दे० चिणक । चढाऊ-(वि०) १. सवारी योग्य । २. तुलना चरणखार-न०) चने के क्षुप को जला कर में चढ़ता हुआ। ३. क्रमशः ऊंची होती निकाला हुया क्षार । चनकक्षार । _हुई भूमि । ४. चढ़ने वाला। चरणगाट-(न०) १. तमाचा, बेंत आदि के चढाक-(वि०) ऊंट, घोड़े आदि सवारी में लगने से होने वाला दर्द । २. एक ध्वनि । कुशल । चढाकू। ३. नाश । For Private and Personal Use Only Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चणणावणो ( ३५६ ) . चत्रगढ चणणावणो-(क्रि०)१. भय, क्रोध, करुणा, चतुरानन-दे० चतुराणण। हर्ष, शीत, प्रावेश इत्यादि से शरीर की चतुराश्रम-(न०) चार आश्रम । (ब्रह्मचर्य, रोमावली का तन कर खड़ा होना । २. गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास)। आवेश में आना । तनतनाना। ३.'चणण' चतुर्थ-(वि०) चौथा । चौथो । शब्द करना । ४. जोश में आना। चतुर्थाश्रम-(न०) चौथा पाश्रम। संन्यस्ताचरणपण-(ना०) १. शारीरिक अशांति । श्रम । अस्वस्थता। २. वेदना । व्यथा । क्लेश । चतुर्थांश-(न०) चौथा भाग । ३. मानसिक अशांति । चतुर्थी-(ना०) १. चौथ तिथि । २. चौथी चणाई-दे० चिणाई। विभक्ति । चणायकाँ-दे० चिणायका । चतुर्दश-(वि०) चौदह । चवदे। चणारी-दे० चिणाई। चतुर्दशी-(ना०) पक्ष का चौदहवां दिन । चणीबोर-(न०) छोटा बेर । झड़बेरी का चौदश । चववस । बेर । चतुर्दिश-(अव्य०) चौतरफ । चारों ओर । चरणो-(न०) चना । चणक । चारूकानी । चण्णाटियो-(न0) नाश । चतुर्दिशा(ना०) चारों दिशाएँ । चारूकूट । चतड़ा-चौथ-(ना०) भादौं मास की गणेश चतुर्धाम-(न०) द्वारका, रामेश्वर. जगन्नाथचतुर्थी। पुरी और बदरिकाश्रम-ये मुख्य तीर्थ चतरबांह-दे० चत्रबाह । या धाम । चतराई-दे० चतुराई। चतुर्भुज-(वि०) १. चार हाथ वाला । चतुर-(वि०) १. होशियार । चतुर । २. २. चार कोण वाला। (न०) १. चार बुद्धिमान । ३. दक्ष । निपुण । ४. व्यव- कोण वाली आकृति । २. विष्णु भगवान । हार कुशल । ५. चालाक । ६. चार। चतुर्मास-(न०) आषाढ़ शुक्ला एकादशी से चतुर् । (समास में पूर्व पद) । कार्तिक शुक्ला एकादशी तक की अवधि । चतुरता-दे० चतुराई । चातुर्मास । चौमासो। चतुरपणो-दे० चतुराई।। चतुर्युग-(न०) सत्य, त्रेता, द्वापर और चतुरभुज-(वि०) चार भुजाओं वाला । कलि-ये चार युग । चत्रभुज । (न०) विष्णु भगवान। चतुर्वर्ण-(न०) ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और चतुरंग-(ना०)१. शतरंज । २. चतुरंगिणी। शूद्र-ये चार वर्ण । चतुरंगणी सेना-(ना०) हाथी, घोड़े, रथ चतुर्वेद--(न०) ऋक्, यजुर, साम और और पैदल इन चार अंगों वाली सेना। अथर्व-ये चारों वेद।। चतुरंगिणी। चतुर्वेदी-(न०) ब्राह्मणों का एक गोत्र । चतुरंगिणी-दे० चतुरंगणी सेना। चतुस्तन-(न०) गाय, भैस आदि चार चतुराई-(ना०) १. पवित्रता। २. चतुर- स्तन वाला मादा पशु । पना। चतुरता। ३. चालाकी । ४. चत्र-(वि०) १. चार । २. चतुर । दक्ष । होशियारी । सावधानी। ३. धूर्त । छली । छळियो । चतुरागण-(न०) चतुरानन । ब्रह्मा । चत्रकोट-दे० चत्रगढ । (वि०) चार मुख वाला। चत्रगढ-(न०) चित्तौड़गढ़ । For Private and Personal Use Only Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चत्रधा ( ३६० ) चमक चूड़ी चत्रधा-(वि०) चार प्रकार का । (न०) हुई पतली झिल्ली। बिड़क । चिपड़ो। चारों ओर। ३. साफ की हुई लाख की पतली परत । चत्रबाह-(म०) १. श्रीकृष्ण । २. चार चिपड़ी। चपड़ो। भुजा धारी श्री विष्णु । (वि०) चार चपत-(ना०) थप्पड़ । तमाचा । थाप । हाथों वाला । चतुर्भुज । चत्रभुज । चपळ-(वि०) १. स्थिर नहीं रहने वाला। चतुरबाह। चपल । चंचल । २. होशियार । चालाक । चत्रभुज-दे० चत्रबाह । ३. फुर्तीला । उतावला । उतावळो । चत्रभुज वाहण-(न०) गरुड़ । चपळता-(ना०) १. चंचलता। चपलता । चत्रमास-(न०) चातुर्मास । चौमासा । २. होशियारी । चालाकी । ३. उतावल । चौमासो। फुर्ती । उतावळ। चत्रवाणी-(ना०)१. चारों वेद । २. ब्रह्मा। चपळा-(ना०) १. बिजली। चपला । २. चत्वार दिस-(नम्ब०व०) चारों दिशाएँ। लक्ष्मी । ३. चपला स्त्री। चारू खूट। चपेट-(ना०) १. तमाचा । थप्पड़ । २. चदरो-(न०) चादर । चद्दर । चंगुल । चनण-(न०) चंदन । चंदरण । चपेटरपो-(क्रि०)१.तमाचा मारना। ठोंकना। चनण गोह-दे० चंदण गोह । २. भगाना। चनण चौक-दे० चन्नणचौक । चप्पल-(न०) खुली एड़ी का एक प्रकार चनरमा-(न०) चंद्रमा । चाँद । का जूता। चन्नण-दे० चनण। चबको-(न०) १. घाव या वण का दर्द । चन्नणगोह-(ना०) चंदन के समान रंग २. रह रह कर होने वाला दर्द । चबक । वाली एक गोह । चनणगोह। ३. व्रण प्रादि को गरम शलाका से दागने चन्नणचौक-(न०) १. चंदन से सुवासित की क्रिया । डंभ क्रिया । डाम । ४. मर्म चौक । २. वह चौक जिसके द्वार आदि वचन । ताना। महणो । ५. मर्म प्रहार । चंदन के बने हुए हों। ३. श्रीखंड मंडित चबाणो-(क्रि०) दाँतों से कुचलना या बड़ा मंडप । ४. सभी प्रकार से सजा काटना । चबाना । चबावरणो । हुमा पालोकित चौक । चबावरणो-दे० चबायो। चपक-(न०) सेना का बायाँ भाग। चबीणो-(न०) चबैना । चर्वण । चनाचपको-दे० डाम। चबैना । मूगफली, सेव, चना आदि चबा चपटो-(वि०) जो छितराया हुआ और कर खाने की चीज । पतला हो । चपटा । चबूतरी-(ना०) छोटा चबूतरा । चौतरी । चपड़ास-(ना०) चपरास । चबूतरो-(न०) चबूतरा । चौतरा । चपड़ासी-(न0) १. अरदली। २. चौकी- चमक-(ना०) १. प्रकाश । २. भाभा । दार । ३. नौकर । सेवक । ४. चपरासी। कान्ति । ३. चौंक । झिझक । ४. भ्रम । चपड़ी-दे० चिपड़ी। संदेह । ५. संदेहगत भय। चपड़ो-(न०) १. चीनी की चाशनी को चमक चूड़ी-(ना०) एक प्रकार का सोने थाली में बिछाकर बनाई हुई पतली या चांदी का कंगन । गोल मोगरों वाली परत । २. चीनी की चाशनी से बनाई चूड़ी। For Private and Personal Use Only Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चमकणो ( ३६१ ) चमूपत चमकणो-(क्रि०) १. चमकना । प्रकाशित चमतकारी-(वि०) १. चमत्कार दिखाने होना । २. प्रतिभा का प्रकाश में आना । वाला। चमत्कारी। २. जिसमें कोई ३. ऐश्वर्य बढ़ना। ४. कीर्ति पाना । ५. चमत्कार हो । ३. उन्नति करने वाला। चौंकना । ६. डरना । ७. संदेह करना। भाग्यशाली । ४. सिद्धिवान । ८. संदेह होना। चमत्कार-दे० चमतकार । चमकदार-(वि०) चमकीला । चमत्कारिक-दे० चमतकारी । चमकाणो-दे० चमकावणो । चमन-(न०) १. फुलवाड़ी। २. बगीचा । चमकारो-(न०) १. चमक । प्रकाश। ३. मौज । २. चमत्कार। चमर-दे० चंवर । चमकावणो-(क्रि०) १. चमकाना । चम- चमरख-(न०) सुराख वाले मोटे चमड़े की चमाना। २. उज्वल करना । ३. चौंकाना। एक चकती जिसमें होकर चरखे का तकला ४. डराना । ५. कीर्ति फैलाना । फिरता रहता है । चमरखो। चमकीलो-(वि०) चमक वाला। प्रकाश चमरखो-दे० चमरख । वाला। चमर ढोळणो-(मुहा०) किसी देवता पर चमगादड़-(ना०) चूहे से मिलती सूरत का चमर फिराना । उड़ने वाला एक जंतु, जिसे दिन में नहीं चमरबंद-(न०) १. राजा । २. शूरवीर । दिखने से पैरों के बल औंधा टॅगा रहता चमराळो-(न०) मुसलमान । (वि०) १. है और रात में उड़ता है । चमचेड़। वह जिसके ऊपर चँवर ढुलता हो । चमचम-(ना०) जलन । चमचमाहट । चँवरबंद । २. चंवर फिराने वाला। चरचराट.। (न०) एक मिठाई । खोए चमरी-दे० चंवरी। की एक बीकानेरी मिठाई । (वि०) तेज चमार-(न०) १. जूता बनाने वाला व्यक्ति । युक्त। मोची । २. जूता गांठने वाली जाति का चमचाटक-दे० चमगादड़ । व्यक्ति । चर्मकार । चमची-(ना०) छोटा चम्मच । चमारण-दे० चमारी। चमचेड़-दे० चमगादड़। चमारी- ना०) चमार जाति की स्त्री । चमचो-(न०) चम्मच। मोचरण । चम-जू-(ना०) १. उपस्थ के बालों में चमाळियो-दे० चैवाळियो । उत्पन्न होकर चमड़े से चिपटी हुई रहने चमाळीस-(वि०) चालीस और चार । वाली एक प्रकार की जू। चर्म-यूका। चँवालीस । (न०) चवालीस की संख्या । २. पशुपों के बालों में होने वाली जू। "४४" । चमड़पोस-(न०) वह हुक्का जिसका जल- चमाळीसो-(न०) चवालीसवाँ सम्वत् । __ पात्र चमड़े का होता है। चमीर-(न०) सुवर्ण । सोना । चामीकर । चमड़ी-(ना०) चमड़ी । त्वचा । चामड़ी। सोनो। चमड़ो-(न०) चमड़ा । खाल । चामड़ो। चमीरळ-(न०) सोना । सुवर्ण । (वि०) चमतकार-(न०) १. करामात । चमत्कार। सुवर्ण निर्मित । २. विस्मय । पाश्चर्य । ३. अलौकिक चमू-(ना०) सेना । क्रिया। चमूपत-(न०) चमूपति । सेनापति । For Private and Personal Use Only Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चरताळो चमेली ( ३६२ ) चमेली-(ना०) छोटे सफेद सुगंधित फूलों चरचरणो-(क्रि०) जलन होना । वाली एक लता। चरचराट-(ना.) १. जलन । २. चरचर चमोटो-(न०) १. चमड़े का एक टुकड़ा जिस ध्वनि । पर उस्तरे की तेज की हुई धार को चरचरागो-दे० चरचरणो। संवारा जाता है । २. सान को घुमाने की चरचरो-(वि०) चरपरा । तीखा । चमड़े की लम्बी पट्टी। चरचा-(ना०) १. चर्चा । बातचीत । चम्मड़-(न०) चमड़ा। (वि०) १. चमड़े २. जिक्र । वर्णन । जैसा मजबूत । २. कंजूस । चरज-(न०) १. चरित्र । ढोंग । २. धोखा। चम्मड़पोस-दे० चमड़पोस।। ३. एक पक्षी। चय-(न०) ढेर । राशि । चरजणो-(क्रि०) काटना । चीरना । चर-(न०) १. दूत । २. दास । सेवक । चरजा-(ना.) १. विशेष रागिनी जिसमें ३. घास । चारा। (वि०) चलने वाला। देवी की स्तुति गाई जाती है। २. देवी चरक-(न०) वैद्यक के एक प्राचार्य । २. की स्तुति ।। चरक ऋषि का रचा हुमा 'चरक संहिता' चरजाळी-(विना०) १. ढोंगी। २. धूर्ता । ग्रंथ । ३. नखरों वाली। नखराळी । चरकणो-(क्रि०) पक्षी या बच्चों का हँगना। चरजाळो-(वि०) १. ढोंगी। पाखंडी। चरकीन-(न0) टट्टी । विष्टा । २. धूत । चरको-(वि०)१. जिसमें अधिक मिर्चे हों। चरड़-(अव्य०) चीरने या फाड़ने का शब्द । २. चरपरा । तीखा। ३. तेज । ४.क्रोधी। चरण-(न०) १. पाँव । पग। २. कविता चरको-फरको-(न०) मिर्च-मसाला युक्त या गायन का एक पाद । तुक । कड़ी। व्यंजन । तीखा-फीका व्यंजन । (वि०) चरण कमळ-(न०) कमल के समान कोमल १. जो मीठा न हो। २. फीके स्वाद और सुदर चरण ।। वाला । ३. मिर्च मसाले वाला। __ चरण कमळायने-(प्रव्य०) चरण कमलों में चरख-(न०) १. तोप । २.बंदूक । ३. तोप- (गुरुजनों को पत्र में लिखा जाने वाला गाड़ी। एक पद) । चरखी-(ना०) १. तोप खींचने वाली गाड़ी। चरणरज-(ना०) चरणों की धूलि। तोप गाडी । २. तोप । ३. कपास प्रोटने चरणामृत-(न०) देव मूर्ति या किसी पूज्य का चरखा । ४. कुएँ में से डोल खींचने व्यक्ति के पाँवों की धोवन । पादोदक । की गड़ारी। घिरनी। ५. चक्कर खाने चरणोदक । वाली एक आतिशबाजी । ६. रस्सी बटने चरणारविद-दे० चरण कमल । का एक यंत्र । ७. सर्दियों में मस्ती में चरणो-(क्रि०)१. पशुओं का घास चरना । आने के समय ऊँट के दाँत पीसने की घास खाना। (न०) १. एक रेशमी वस्त्र । क्रिया या शब्द । २. जूता निकालने और पहिनाने वाला चरखो-(न०) १. हाथ से सूत कातने का यंत्र । चरखा। अरटियो। २. कपास चरणोई-(ना०) १. चरने की जगह । लोढ़ने का एक संचा। २. घास । ३. विविध प्रकार की घास । चरचरणो-(क्रि०) १. चरचना। लेप करना। चरताळो-(वि०) १. चरित करने वाला। २. चर्चा करना। धूर्त । पाखंडी । चरजाळो। ___ सेवक । For Private and Personal Use Only Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चरपराट ( ३६३ ) चर्मकार चरपराट-(न०) १. गर्व । तरमराट । २. चराणो-(कि०) चराना। घास खिलाना। - स्वाद में तीखापन । ३. घाव की जलन । चरावरणो । चरपराणो-(क्रि०)१.जलन होना। २.तीखा चरावणो-दे० चराणो। लगना । चरवरगो। चरित-(न०) १. आचरण । वर्तन । व्यचरपरो-(वि०) १. तीखे स्वाद वाला। वहार । २. चरित्र । ३. रीति नीति । चरपरा। चरचरो। २. बहुत बोलने ४. वृत्तान्त । हाल । ५. जीवनी । ६. वाला। पाखंड । ढोंग । ६. करमी । करतूत । चरबरण-(न०) चबैना । चबीणो। ८. कपट । चरबी-(ना०) मेद । वसा । चरबी। चरिताळी-दे० चिरताळी । चरभर-(न०) एक खेल । 'सरभर' नाम का चरिताळो-दे० चिरताळो । खेल। चरित्र-दे० चरित। चरम-(वि०) १. अंतिम । २.पराकाष्टा का। चरित्रवान-(वि०) उत्तम चरित्र वाला। दे० चर्म । सदाचारी। चरमराट-(ना०) १. जलन । २. अकड़। चरी-(ना०)१. घास । चारा । २.हरी ज्वार चरम-समाध-(ना०) संभोग । आदि का चारा । ३. चरने की क्रिया । चरमी-दे० चिरमी। ४. घास वाली जगह । चरागाह । ५. एक चरवरणो-(क्रि०) घाव का चर्राना । जलन जळ पात्र । चरवी। होना। चरू-(न०) चौड़े मुह का एक बरतन। देग । चरवादार-दे० चरवंदार। देगड़ो। चरवी-(ना०) पीतल का एक जल पात्र । चरू-सुगाळ-(न०) १. अधिक अतिथियों चरदार-(न०) घोड़ों की देखभाल करने के आवागमन के कारण वह स्थिति वाला या जंगल में जाकर चराने फिराने जिसमें हर समय भोजन बनाना चालू ही वाला नौकर । सईस । चरवादार । रहता है। २. वह नियम जिसमें प्राने चरवो-(10) तांबे या पीतल का एक बड़ा वाला कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं जा जलपात्र । चरू । देग । सके । ३. किसी भी समय किसी भी चरस-(ना०) १. तीव्र इच्छा । उत्कट अतिथि या अनाथ के आ जाने पर भोजन चाह । २. परम्परा । अनुक्रम । ३. किये बिना नहीं जाने देने की उदारता । उत्साह । उमंग । (न०) १. एक मादक ४. अतिथि सेवा की वह व्यवस्था जिसमें पदार्थ जो तंबाकू की तरह चिलम में रख किसी भी समय कोई भी आये भोजन कर धुएं के रूप में पिया जाता है । गाँजे किये बिना नहीं जा सकेगा। का गोंद । २. मोट । चरसा। कोश। चर्चरी-(ना०) १. आनंद । २. उत्सव । (वि०) बढ़िया । अच्छा। ३. होली पर नाच-गान के साथ गाई चराई-(ना०) १. चरवाने की मजदूरी। जाने वाली फाग रागिनी। २. चराने का काम। चर्चा-दे० चरचा। चराक--(न0) चिराग । दीपक। चर्म-(न०) चमड़ा। त्वचा । चामड़ो। चराचर-(वि०) स्थावर और जंगम । जड़ खालड़ो। मौर चेतन । चर-अचर । (न०) जगत। चर्मकार-(न०) १. चमार । २. मोची। For Private and Personal Use Only Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धर्मचिड़ी ( ३६४ ) चलाचलो चर्मचिड़ी-(ना०) चमगादड़ ।। चलनसार । चलता (सिक्का) यथाचर्मवाद्य-(न०) ढोल, नगाड़ा आदि चमड़े चलणी नोट । (ना०) १. चलने की से मॅढ़ा हुआ बाजा। क्रिया । २. आटा छानने की चलनी। चळ-(वि०) अस्थिर । चल। (ना०) खाज। चालणी। खुजली । (न०) युद्ध । चलगो-(क्रि०)१. चलना । प्रस्थान करना। चल-(वि०) अस्थिर । चलायमान । चलता २. हिलना। ३. बहना । ४. जारी हुआ । (न०) १. रिवाज । २. व्यवहार। रहना । ५. निभना । ६. अनुसरण उपयोग । करना। ७. उपयोग में लेना । ८. उपयोग चळक-(ना०) १. चमक । चिलक । २. में पाना। ६. प्रारंभ होना । शुरू होना। कांति । आभा। ३. वस्तुओं के भाव में १०. मरना। आने वाली तेजी । तेजी । सुर्थी। चळणो-(क्रि०) १. विकृत होना । २. पथ चळकणो-(न०) १. प्रकाश । चमक । २. भ्रष्ट होना। चलित होना। विचलित प्रतिबिम्ब । चमक । (वि०) १. चमकने होना। ३. डिगना। डिगरणो। पतित वाला। चमकीला । २. प्रकाश देने वाला। होना। (क्रि०) चमकना । प्रकाश देना । चळदळ-(न०) १. पीपल वृक्ष । २. पीपल चलकर्ण-(न०) घोड़ा। का पत्ता। चळकाणो-(क्रि०)चमकाना । चळकावणो। चळपत्र-(न०) १. पीपल वृक्ष । अश्वत्थ । चळकी-(ना०) चमक। २. पीपल का पत्ता। चळको-(न०) १. प्रकाश । २. प्रतिबिम्ब । चळवळणो-(क्रि०) १. घबराना । घबराचळगत-(ना०) १. स्वभाव । २. चाल- वरणो । २. विचलित होना । चलन । ३. रहन-सहन । चळवळाट-(न०) १. घबराहट । २. तनचलचाल-(ना०) १. धंधा । व्यापार । मनाट । काम-धंधो। कामधंधा । २. बिकरा। चळविचळ-(वि०) १. चलायमान । डाँवा३. रहन-सहन । डोल । अस्थिर । २. अस्त-व्यस्त । ३. चळचूक-(ना०) १. जान-बूझ कर की हुई घबराया हुप्रा। गलती । २. गलती । भूल । ३. धोखा। चळस-दे० फैशन । छल । चळा-(ना०) १. लक्ष्मी । २. बिजली । चलण-(न०) १. पाँव । चरण । पग । २. ३. पृथ्वी । ४. स्त्री। व्यवहार । ३. उपयोग । ४. स्वत्व । चलाऊ-(वि०) १. साधारण। २. साधारण हक । ५. अधिकार । सत्ता । ६. प्रचार। उपयोग की। ३. व्यवहार में आने योग्य । रिवाज । व्यवहार । ७. प्रथा। रीति- चलाक-(वि०) १. चालाक । धूर्त । चालरिवाज । चलन । ८. रुपया-पैसा आदि। बाज । २. होशियार । सिक्का । ६. प्रचलित सिक्का । प्रचलित चलाकी-(ना०) १. चालाकी। धूर्तता । नारणो। चालबाजी । २. होशियारी। चलणसार-(वि०) १. प्रचलित । २. काम चलाचली-(ना०) १. जन्म-मरण । अावामें आने योग्य । काम चलाऊ । गमन । २. व्यग्रता । घबराहट । ३. चलणी-(वि०) १. जिसका चलन हो। चलने की तैयारी । For Private and Personal Use Only Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चलाण बसक चलाण-(10) १. पुलिस द्वरा अपराधी को बहुत छोटा एक तोल । २. कथन । पकड़ कर न्यायालय में उपस्थित करने बात । ३. खबर। संदेश । (वि०) चार । का काम । २. माल का एक स्थान से चवड़-दे० चौड़े । से दूसरे स्थान पर भेजे जाने का काम। चवड़ो-दे० चौड़ो। ३. रेलवे से बाहर भेजे जाने वाले माल चवरणो-(क्रि०) १. कहना । २. चूना । की गिनती, तोल आदि की नोंध का टपकना । मरणो । चूवरणो। भरा जाने वाला फॉर्म । चलान । रवन्ना। चवत्थो-(वि०) चौथा । चौथो। ४. बाहर से पाये हुए माल की रेलवे चवथ-(वि०) चौथा । चतुर्थ । की रसीद। चवदमों-(वि०) चौदहवां । चलारणो-दे० चलावणो। चवदस-(ना०) पक्ष का चौदहवाँ दिन । चलावणो-(क्रि०)१. चलाना। २. हिलाना। चतुर्दशी । चौदस । ३. हाँकना । ४. बहाना। ५. निभाना। चवदंत-(न०) प्रकट । (अव्य०) प्रत्यक्ष ६. काम में लेना। ७. जारी रखना। रूप में। ८. गतिमान करना । ६. प्रचलित करना। चवदे-(वि०) दस और चार । १४ । (न०) १०. प्रहार करना। चौदह की संख्या । १४. । चलायमान-(वि०) १. विचलित । २. चलने चवदोतर सो-(न०) पहाड़े में बोली जाने वाला । ३. चलता हुआ । ४. चंचल । वाली एक सौ चौदह (११४) की चळीजणो-(क्रि०) पतन होना । पथभ्रष्ट संख्या। होना। चवदोतरो-(न०) चौदहवाँ वर्ष । चळ अळ-दे० चळ ळ । चवरासियो-(न०) चौरासी गांवों का चळ वो-(न०) १. रक्त । २. चुल्लू । जागीरदार । बड़ा ठाकुर । २. लोकगीतों अंजली। का एक नायक । ३. चौरासीवाँ वर्ष । चळ -(न०) १. भोजन के बाद का आचमन। चवरासी-दे० चोरासी। चुल्लू । २. अंजली । चळ वो। ३. भोजन चवरी-(ना०) चौरी । विवाह-वेदी । के बाद हाथ-मुँह धोने की क्रिया : चवर्ग-(न०) च, छ, ज, झ, न-इन पांच चलू करणो-(मुहा०) चालू करना। शुरू तालुस्थानी व्यंजनों का वर्ग । 'च' __ करना । प्रारंभरपो। समाम्नाय । 'च' समाम्नाय के पाँच वर्ण । चळ करणो-(मुहा०) भोजन करके हाथ- चवळेरी-दे० चवळेरी। _ मुंह धोना । चुल्लू करना। चवळो-दे० चवळो। चळ ळ-(न०) १ रक्त । खून । २. मुसल- चवाण-(न०) १. चौहान राजपूत । २. मान । ३. युद्ध । किसी जाति की अल्ल या अटक । चळे वो-(न०) १. मृतक का क्रिया कर्म। चश्म-(ना०) आँख । २. मृतक भोज। चश्मदीद-(वि०) प्रत्यक्षदर्शी । आँखों से चळो-(न०) घोड़े, गधे प्रादि उन पशुओं का देखा हुआ। मूत्र जिनके खुर फटे हुए नहीं होते हैं। चश्मो-(न०) १. ऐनक । २. स्रोत । सोता। चव-(न०) १. मोतियों को तोलने का एक चसक-(ना०) रह रह कर होने वाला दर्द । तोल । मोती आदि रत्नों को तोलने का चबखो। For Private and Personal Use Only Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पसको ( ३६६ ) पहुंचक चसकणो-(क्रि०) रह रह कर दर्द होना। चहन-(न०) १. रोने का ढोंग । ढपला । चबखरणो। २. शिशु के अपने आप हँसने, अव्यक्त चसको-(न०) १. चसका। लत । २. शब्द बोलने आदि के प्रति लक्षण । व्यसन । ३. झटका देकर उठने वाली ३. चिन्ह । पीड़ा । ४. रह रह कर उठने वाला दर्द। चहबचो-(न०) पानी का हौद । कुड । चह चबखो। बच्चा । चसणो-(क्रि०) १. दीपक जलना। दीपक चहर-(ना०)१. निंदा। बदनामी । २. खेल। का प्रकाशित होना । ३. दीपक का प्रकाश तमाशा । ३.बाजीगर । मदारी । ४.ठाटहोना। ३. प्रकाशित होना। ४. बंदूक बाट । पानंदोत्सव । चहल । ५. पक्षियों का छूटना। का कलरव । ६. भांति २ के पक्षियों का चसम-(ना०) अांख । चश्म । नेत्र । समूह । पक्षी समूह । ७. कलंक । ८. चसमारण-(ना०व०व०) आँखें। चक्षुद्वय । व्यंग्य । (वि०) श्रेष्ठ । चसमो-(न०) १. चश्मा । ऐनक । २. चहरो-(न०) १. चहरा। सूरत । शक्ल । झरना। स्रोत । मरणो। २. मुख । मुह। ३. मुह पर पहनने की चसळक-दे० चसळको। कोई मुखाकृति । मुखोटा । ४. निंदा । चसळको-(न०) १. बैलगाड़ी के चलने पर अपकीति ।। उसके पहिये में अथवा कुएं पर मोट चहल-(न०) १. प्रानंद । मौज । २. पक्षियों निकालते समय भमण में होने वाला का कलरव । ३. सीमा । (अव्य०) आनंद शब्द । २. मस्ती में आये हुए ऊंट के से। मौज में। (क्रि०वि०) इधर-उधर । दांत पीसने से होने वाला शब्द । चसळक। चहल-पहल-(ना०) १. पानंदोत्सव की ३. दर्द । पीड़ा । पीड़। सजीवता। २. उत्सवीय वातावरण । चसवारणो-दे० चसावणो। ३. रोनक । चमक-दमक । चसारणो-दे० चसावणो। चहळावरणो-(क्रि०) १. बिजली का चमचसावणो-(क्रि०) १. दीपक जलाना। कना । २. चमकना । दीपक से प्रकाश करना । २.बंदूक छोड़ना। चहळावळ-(ना०) चमक । प्रकाश । ३. प्राग जलाना। चहाव-(ना०) १. इच्छा। अभिलाषा । चह-(ना०)१. चिता। प्रारोगी। २ इच्छा। २. उत्साह । उमंग । चाह । (वि०) गुप्त। चहावरणो-(क्रि०) चाहना। इच्छा करना। चहक-(ना०)१. पक्षियों का शब्द । २.दर्द। चहीजणो-(क्रि०) १. आवश्यकता होना । पीड़ा। २. चाहिये। चहकणो-(क्रि०) १. उमंग में बोलना । २. चहीज-(अव्य०) १. चाहिये । २. उचित पक्षियों का कलरव करना । ३.दर्द होना। है । ३. अावश्यकता है। दर्द उठना। चहुँ-(वि०) १. चारों। चारोंही । २. चार । चहचंद-(न०) १. पानंद । २. उत्सव ।। उच्छव। चहुँगमाँ-(प्रव्य०) चारों ओर । चहटणो-(क्रि०) चिपटना । चिपकना। चहुँचक-(प्रव्य०) १. चारों दिशाएँ । २. चैटरणो। चारों दिशाओं में। ३. चारों ओर । For Private and Personal Use Only Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सणो। (३६७ ) चहदिस-(प्रव्य०) चारों दिशाएँ। सब चंचाळ-(न०) १. घोड़ा। २. घोड़ों का ओर । समूह । अश्व समूह । ३.पक्षी । ४.हाथी । चहुँधा-दे० चहुँगा । चंचाळी-दे० चंचाणी। चहुँवळ-दे० चहुँगा । चंचु-(ना०) चोंच । चूंच । चहुँदै-(अव्य०)१ चारों ओर । २.चारों ही। चंट-दे० छंट। चहुँदैग्रमा-दे० चहुँगा । चंटेल-दे० छंटेल। चहुँवैचका-दे० चहुँगा। चंड-(ना०) १. चंडिका देवी । चंडी। (वि०) चहेवैवळा-दे० चढुगाँ । १. विकट । भयंकर । २. बलवान । चंग-(न०) १. एक प्रकार का डफ। बड़ा ३. उग्र । ४. क्रोधी । ५. उद्धत । ___ डफ । २. पतंग । ३. पतंग की पूछ। चंडका-दे० चंडिका । चंगास-(म०) गोमूत्र । चींगास। चंड-डाक-(ना०)१. युद्ध-पंडिका का वाद्य । चंगासणो-(क्रि०) गाय का मूतना । चींगा- २. भय या युद्ध की चेतावनी देने वाला बाजा। चंगी-(वि०) १. उत्तम । २. स्वस्थ । चंडा-(ना०) उग्र स्वभाव की स्त्री । कर्कशा। ३. सुदर। करगसा। चंगुल-(म०) १. पंजा। २. फंदा। चंडाई-(ना०) १. उग्रता। २. प्रबलता । चंगो-(वि०) १. अच्छा । उत्तम । २. स्व- ३. नालायकी । ४. बे-ईमानी । ५. स्थ । तंदुरुस्त । ३. सुन्दर । ४. मजबूत । चंडालपना । ६. अत्याचार । ७. ऊधम । ५. पवित्र । (स्त्री० चंगी) । ८. शीघ्रता। चंच-(ना०) चोंच । चंचु । चंडातक-(न०) लहँगा । चंचरी-(ना०) भौंरी । भमरी। चंडाळ-(वि०) १. चाण्डाल । क्रूर । २. चंचरीक-(न०) भौंरा । भमरो। निर्दय घातक । ३. पापी । ४. जल्लाद । चंचळ-(वि०) १. चुलबुला। चपल । २. ५. पतित । ६. उग्र क्रोधी । (न०) एक चलायमान । गतिशील । अस्थिर । ३. अन्त्यज जाति । चाण्डाल। डोम । २. चालाक । होशियार। ४. तेज । फुर्तीला। जल्लाद । ५. क्षणिक । फानी । (न०) १. घोड़ा। चंडाळ-चौकड़ी-(ना०) १. कुकर्म करने २. मन । ३. पारा । ४. पवन । (ना०) वालों की टोली। २. षड्यन्त्रकारियों १. बिजली । २. मछली। ३. माया। की मंडली । गुन्डाटोली। चंचळता-(ना०) १. चपलता। चुलबुला- चंडाळरण-(ना०) १. चाण्डाल जाति की पन । २. गतिशीलता । अस्थिरता। स्त्री। २. चांडाल स्त्री। (वि०) क्रूर ३. तेजी । फुर्ती । चंचळाई। स्वभाव वाली। चंचळा-(ना०) १. बिजली। २. लक्ष्मी। चंडाळणी-दे० चंडाळण । ३. माया। ४. मछली । ५. घोड़ी । ६. चंडाळी-(ना०) १. क्रोध । २. उग्र क्रोध । चंचल स्त्री। (वि०) अस्थिर । चलायमान। चंडावळ-दे० चंदावळ । चंचळाई-(ना०) चंचलता। अस्थिरता। चंडिका-दे० चंडी। चंचाणी-(ना०) १. चील पक्षी । २.गिद्धनी। चंडी-(ना०) १. चंडिका देवी। दुर्गा । २. ३. मांसाहारी पक्षी। कर्कशा स्त्री । (वि०) कर्कशा । For Private and Personal Use Only Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चंडीश चंडीश - ( न०) महादेव । शिव । चंडू - ( न० ) अफीम का किवाम जो तंबाकू की तरह नशा करने के लिये चिलम में पिया जाता है । चंडूखानो - ( - ( न० ) चंडू पीने का नशाबाजों चंदवो दे० चंदरवो । ( ३६८ ) का स्थान | चंडूल - ( ना० ) एक चिड़िया । चंडोळ - ( ना० ) एक प्रकार की पालकी । चंद - ( न०) १. चंद्रमा । चदि । ( ना० ) एक रागिनी । (वि०) कुछ | थोड़े । थोड़े से । २. कई एक । चंदगी - ( ना० ) १ रुपया-पैसा । २. बहुत थोड़ा पैसा । चंदरण - ( न० ) चंदन | श्रीखंड । संदल । चनण । चंदरगिर - ( न० ) चंदनगिरि । मलयाचल । मलयगिरि । चंदर गोह - ( ना० ) एक प्रकार की गोह । चंदनगोह | चंदणहार - ( न० ) १. चंदनहार । २. चन्द्रहार | चंदरिया - (वि०) चंदन के समान रंगवाला । चंदनी । चंदनिया | चंदन - दे० चंदरण । चंदनाम- दे० चंदनामो । चंदनामो - (न०) यावच्चन्द्र प्राप्त की हुई ख्याति । यावच्चन्द्र बनी रहने वाली कीर्ति । २. ऐसा काम जिसकी ख्याति यावच्चन्द्र बनी रहे । ३. कीर्ति । यश । चंदप्रहास- दे० चंद्रप्रहास । चंदरमा - ( न० ) चंद्रमा । चंदरवो- ( न०) चंदोवा | चंदळाई - दे० चंदळे वो । चंदळियो- दे० चंदळे वो । चंदळ वो- (न०) चौलाई । चंदळियो । 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चंद्रहार चंद वदनी - दे० चंदमुखी । चंद वरदाई - ( न० ) डिंगल महाकाव्य 'पृथ्वीराज रासो' का रचयिता प्रसिद्ध महाकवि चंदवरदायी । चंदारणरणी - (वि०) चन्द्रवदनी । चंद्राननी । चंदावदनी - दे० चंदारणरणी । चंदावळ - ( ना० ) सेना का पीछे का भाग । २. चांद्रायण व्रत । चंदो - ( न० ) १. किसी कार्य की सहायता के लिये कई व्यक्तियों से उगहाया हुआ धन । चंदा । २. पत्र-पत्रिकाओं का वार्षिक मूल्य । ३. सदस्य शुल्क । ४. चंद्रमा । चंदोल - ( न० ) १. सेना का पिछला भाग । चंबावळ । २. एक प्रकार की पालकी । चंदोवो - (न०) चंदोवा | चंदरयो । चंद्र - ( न० ) १. चन्द्रमा । चाँद । २. मोर पाँख का चन्द्राकार चिन्ह या भाग । चंद्रक । ३. एक की संख्या । ४. शकुन तथा योग के अनुसार बाएँ नासाछिद्र से चलने वाला श्वासोच्छ् वास । चंद्रस्वर । चंद्रकळा - ( ना० ) चंद्रिका | चाँदनी । चानणी । चंदमुखी - ( वि०) चन्द्रमा के समान मुख चंद्रमुखी - दे० चंदमुखी । वाली | चंद्रमुखी | चंद्राननी । चंद्रमौलि - ( न० ) महादेव । चंद्रवार - ( न०) सोमवार । चंद्रवो दे० चंदरवो । चंद्रशेखर - ( न० ) महादेव । चंद्रहार - ( न०) १. रत्नहार । २. एक प्रकार का हार । चंद्रग्रहण - ( न० ) चंद्रमा का ग्रहण । चंद्रदुरंग - ( न० ) चितौड़गढ़ का एक नाम । चंद्रदुर्गं । चंद्रप्रहास- ( ना० ) तलवार । चंद्रबिंदु - (न०) सानुनासिक वर्ग के ऊपर लगने वाला अर्ध चन्द्राकार और बिन्दु । ऐसा चिन्ह | बिन्दु । 6", चंद्रमा - ( न०) चंद्र | इंदु । शशि ।। चाँद । For Private and Personal Use Only Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चंद्रहास (३६ ) चाख चंद्रहास-(ना०) १. तलवार । २. रावण चवरी-(ना) १. लग्न मण्डप । विवाह की तलवार का नाम । ३. एक भक्त का वेदी। २. घोड़ों के पूछ के बालों की नाम । बनाई हुई चमरी । अमरी। चंद्रहाँस-(न०) चंद्रहार । हार । चँवरीदापो-(न०) १ विवाह का एक नेग । चंद्राणणी-दे० चंदाणणी। २. विवाह का एक राज कर । चंद्रायणो-(न०) एक छंद । चवरीलाग-दे० चैवरी दापो। चंद्र वो-दे० चंदोवो। चवळे री-(ना०) चौले की फली। चंद्रोदय-(न०) १. चंद्रमा का उदय । २. चवळो-(न0) चौला । चवळो। ___ एक रसौषधि । चवाळियो-(न0) मकान के छत की पत्थर चंपक-(न०) चंपा का वृक्ष अथवा पूष्प। की पट्टियों तथा भारी पत्थर को उठाकर चंपकळी-(ना०) १. गले का एक आभूषण। ऊपर रखने वाला मजदूर । २. चंपे के फूल की कली। . चा-(प्रत्य०) प्राय: काव्य में प्रयुक्त छठी चंपकवरणी-दे० चंपावरणी। विभक्ति का बहुवचन रूप । के । चंपणो-(क्रि०)१. दबाना । २.पैर चाँपना। चाउडा-(ना०) चामुडा। ३. पकड़ना। ४. हराना। ५. लज्जित चाऊ-(वि०) १. मिष्ठान्न खाने की आदत होना। ६. लज्जित करना । ७. छिपना। वाला । २. खूब खाने वाला । ३. रिश्वत चंपत-(वि०) लुप्त । गायब । लेने वाला। चंपाई-(वि०) चंपा के रंग के समान । चाक-(ना०) १. बागा (जामा) का घेरवाला चंपा-वरणी-(वि०) १. चंपा के फूल के नीचे का भाग । २. कुम्हार का बरतन बनाने का चक्र । ३. बड़ी चक्की। ४. समान वर्ण वाली । गौर वर्ण वाली। चक्र । ५. पहिया। ६. बोर्ड पर लिखने चंपी-(ना०) पाँव दबाने का काम । की खड़िया मिट्टी की पैन । (वि०) १. चंपू-(न०)गद्य-पद्य मय काव्य । वह साहित्य स्वस्थ । चंगा। २. मस्त । मदोन्मत्त । कृति जिसमें गद्य पद्य दोनों हों। ३. सावधान । सचेत । सतर्क । ४. तृप्त । चंपेल-(न०) १. चंपे का तेल । २. चमेली ५. ठीक । दुरुस्त । ६. सज्जित । ७. का तेल । प्रसन्न । कुशल । राजी खुशी।। चंपेली- (ना०) चमेली। चाकर-(10)१. नौकर । सेवक । २. दास। चंपो-(10) चम्पे का वृक्ष या फूल । चंपा। ३. गोला । ४. एक जाति । गोला जाति । चंपक। चाकराणी-(ना०) १. चाकरनी। नौकचंबळ-(ना०) कोटा के पास होकर बहने रानी । २. दासी । ३. गोली। वाली राजस्थान की एक नदी जो विंध्या- चाकरी-(ना०) १. सेवा । २. नौकरी। चल पर्वत से निकलती है और यमुना में चाकली-(ना०) चक्की । मिल जाती है । चर्मण्यवती । चम्बल। चाकी-(ना०) १. चक्की । घट्टी । २. चंबु-सुराही । भुड़को। टिकिया। चंवर-(न०) चमर । चामर । चाकू-(ना०) चक्कू । छुरी। छरी। चंवरगाय-(ना०) वह गाय जिसके पूंछ के चाख-(ना०) १. नजर । दृष्टि-दोष । वीठ । बालों से चमर बनता है। २. आँख । (वि०) प्रसन्न । (प्रव्य०)राजी For Private and Personal Use Only Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चाखड़ी खुशी । कुशल क्षेम | मजे में । प्रसन्न हो । ( कुशल समाचार) चाखड़ी - ( ना० ) १. खड़ाऊ । पाँवड़ी । २. चक्की के खील (कील) के ऊपर रहने वाला लकड़ी का टुकड़ा जो चक्की के ऊपर के पाट के सुराख में लगा रहता है । मकड़ी । ३. बाँस को पट्टी जो हड्डी टूटे हुए अंग पर बाँधी जाती है । चाखरणो - ( क्रि०) १. चखना | स्वाद लेना । च - ( न० ) १. सिर । २. मुँह । २. अनुभव करना । ३. फल भुगतना । चागर - ( ना० ) १. प्रेम । लाड़ । २. वार्तालाप । ३. प्रेम मिलन | चाच ( ३७० ) चाचर - ( ना० ) १. करतल ध्वनि के साथ गाते हुए किया जाने वाला समूह नृत्य | ताली के साथ ताल मिलाते हुए किया जाने वाला समूह नृत्य और गायन । २. ताली के साथ स्त्रियों का समूह नृत्य और गायन । ३. नृत्य । नाच । ४. संगीत । ५. खेल तमाशा । ६. वसंत ऋतु की एक राग । होली गीत । ७. चाचर खेलने का चौक । ८. मंदिर के आगे का चौक । ६. होली का हुड़दंग । १०. हो हल्ला । ११. बड़ा ढोल । १२. बड़ा डफ । चंग । १३. शिखर । १४. मस्तक । १५. युद्ध भूमि । रणक्षेत्र । १६. श्मशान भूमि । चाचरो - ( न०) १. सिर । २. सिर का अग्र भाग । ३. कपाल । खोपड़ी । ४. भग । योनि । चाची- ( ना० ) चाचा की पत्नी । काकी । चाचो - (न०) बाप का छोटा भाई । काको । चाट - ( न० ) १. व्यसन । २. लत । ३. चाटने की वस्तु । ४. चटपटी वस्तु । ५. प्रबल इच्छा । ६. लोलुपता । चाटण - ( ना० ) चाटी जाने वाली वस्तु | चटनी | चाडो चाटणो - ( क्रि०) १. चाटना । २. स्वाद लेना । ३. खा जाना । ४. पोंछ कर खा लेना । ५. गाय आदि का सद्यजात बछड़े को जीभ से चाटना । प्यार से जीभ फेरना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाटाळ - (वि०) १. चाटो खाये बिना दुहाने नहीं देने वाली (गाय या भैंस) । २. रिश्वतखोर । चाटू - (वि०) १. चापलूस । २. चाटने वाला । चटोकड़ो | चाटो - ( न० ) गाय, भैंस के लिए घास की कुतर ( महीन कुट्टी) के साथ बाजरी, ग्वार, गुड़ यादि मिश्रण का रंधा हुआ एक खाद्य । वाँटो । चाठ - ( ना० ) १. पहाड़ का समतल भाग । २. पहाड़ पर चढ़ाई का चिपटा समतल भाग | पहाड़ का ढलवाँ समतल भाग । चीठ । ३. लंबा चौड़ा चिपटा पत्थर | चाठो - (न०) १. चोट, वरण आदि का निशान । २. चकता । दाग । ३. ददोरा । चपटी सूजन । ४. चिन्ह । निशान चाड - ( ना० ) १. पुकार । २. सहायता । रक्षा । ३. रक्षार्थ पीछे दौड़ना । बाहर । ४. युद्ध । ५. चुगली । ६. धोखा । दगा । ७. इच्छा । चाह । ६. कुएँ में से पानी खींचने के लिये मुंडेर के सहारे खड़े रहने का स्थान । चाडकी - ( ना० ) छोटी मटकी । चाडो । चाडको दे० चाडो | चाड़व - ( न० ) १. कवि । २. चारण । चाडियो - ( न०) मिट्टी का छोटा जल पात्र । ( विo ) चुगलखोर | चाडी - ( ना० ) १. चौड़े मुँह की छोटी मटकी । २. चुगली । ३. शिकायत । ४. सहायता । चाडीखोर - (वि०) चुगली करने वाला | चाडो - (न०) चौड़े मुंह का मटका । चौड़े मुंह का बड़ा घड़ा। मिट्टी का बड़ा For Private and Personal Use Only Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाढ ( ३७१) चामकस घड़ा । २. चौड़े मुह का दही बिलौने का चाप-(ना०)१. पाहट । खुड़को । पदचाप । मटका । २. दीवाल की चुनाई में लगाया जाने चाढ-(ना०) १. आक्रमण । २. सहायता। वाला चपटा पत्थर। (न०) धनुष । मदद । मदत । ३. सहायता की मांग। चापट-(ना०) १. चपेट । तमाचा । थप्पड़। ४. अभिलाषा । इच्छा । अभळाखा। २. चापड़ । धूलो । ३. भाग-दौड़ । चाढण-जळ-(वि०) १. कीति प्राप्त करने चापटणो-(क्रि०) १. भागना। २. थप्पड़ वाला। २. वंश की कीर्ति को बढ़ाने मारना । चापटो- दे० चपटो। वाला। चाढणो-दे० चढ़ाणो। चापड़-(न०) १. गेहूं के भाटे का चोकर । चाणक-(न०) चाणक्य । कौटिल्य । (क्रि० थूलो । चापट । २. दोड़ने की क्रिया । दौड़। ३. युद्ध । वि०) अचानक । सहसा । चापड़णो-(क्रि०) १. भागना। २. युद्ध चाणचक-(क्रि०वि०) अचानक । एकदम ।। करना। लड़ना। ३. भयभीत होना। चातक-(न०) पपीहा । सारंग। डरना । बीहणो। चातर-(वि०) चतुर । चापड़ो-दे० चापड़। चाती-(ना०) फोड़े फुन्सी पर चिपकाई जाने चापधारी-(न०)धनुषधारी श्री रामचंद्र । वाली मरहम की थिगली । पट्टी। चापर-(ना०) शीघ्रता । चातुर-दे० चातर। चापर करणो-(मुहा०) १. जल्दी करना । चातुर्मास-(न०) चौमासा । वर्षा के चार २. उतावल करना । मास । चौमासो। चापळी-(ना०) १. बिजली । २. लक्ष्मी । चात्रक (वि०) चतुर । होशियार । (न०) । चापलूस-(वि०) खुशामदी । खुसामदियो । चातक । चापलूसी(ना०) खुशामद । चात्रग-दे० चात्रक । चाबखो-(न०) १. चाबुक । कोड़ा। कोरड़ो। चात्रण-(न०) नाश । संहार । २. मामिक वचन । ३. तीव्र प्रेरणा । चात्रणो-(क्रि०) १. नाश करना। २. चाबणो-(क्रि०)दाँतों से कुचलना । चबाना। हराना । हराणो। चाबी-(ना०) १. कुजी । कूची । ताली। चादर-(ना.) १. तालाब नदी आदि में २. घड़ी चालू करने का एक पुर्जा । फैले हये पानी की सतह । २. ऊपर से चाबूक-(ना०) कोड़ा। कोरड़ो। गिरने वाली पानी की चौड़ी धारा । ३. चाम-(न०) १. चमड़ा। त्वचा । खाल । प्रोढ़ने या बिछाने का कपड़ा। दुपट्टा। २. खेत में हल चलाकर निकाली हुई चद्दर । ४. धातु का पत्रा। ५. मुकाम । रेखा । हल चलाने से हल की फाल से डेरा। बनी हुई रेखा या नाली । सीता । कूड । चादरो-(न०) प्रोढ़ने तथा खाट पर बिछाने पोळ । ३. खेत के किनारों की प्राड़ो का वस्त्र । निकाली हुई हल की रेखाएँ । माडीचानणी-दे० चाँदणी। पोळां । चानणो-(न०)प्रकाश । चाँदना । उजाला। चामकस-(न०) १. एक घास । २. बहुत चानणोपख-(न०)१. शुक्लपक्ष । सुवपख । । फलियों वाली एक पौष्टिक वनस्पति का २. अनुकूल समय या वातावरण । छत्ता । बहुफळी । बोफळी। ..." For Private and Personal Use Only Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चामचोर ( ३७२ ) चारभुज चामचोर-(वि०) व्यभिचारी। चारखाणी-(ना०) जरायुज, उद्भिज, अंडज चामचोरी-(ना०) व्यभिचार । पर स्त्री और स्वेदज प्राणियों के उत्पन्न होने के ___ गमन । ये चार प्रकार। चामजू-दे० चमजू। चारखूट-(ना०) १. चारों दिशाएँ। २. चामड़ियाळ-(न०) मुसलमान । चौखूट। चामडियो-(न0) चमड़े का काम करने चार चाँद लागणो-(मुहा०)प्रतिष्ठा, शोभा वाला । चमार । चर्मकार । खालड़ियो। इत्यादि में वृद्धि होना । चामड़ी-(ना०) चमड़ी। चार-छाँतो-(न०)घास, कड़बी आदि पशुओं ___ के चरने की सामग्री। चार-डोको । चामड़ो-(न०) १. चमड़ा। खाल । २.. चारो। त्वचा। चमड़ी। ३. मरे हुए पशु का चमड़ा । खालड़ो। चारजामो-(न०) घोड़े या ऊंट की पीठ पर चामण-(ना०) आँख । ___ कसा जाने वाला सवारी के लिए प्रासन । चारडोको-(न०) अन्न के अतिरिक्त कृषि चामणी-दे० चामण। चामर-दे० चवर। द्वारा प्राप्त होने वाला पशुओं के लिये घास चारा आदि। खेती से उत्पन्न होने चामरस-(न०) संभोग सुख । चामसुख-दे० चामरस । वाले नाज का अतिरिक्त भाग । कड़बी। कड़ब चार-छाँतो। चामरियाळ-(न०) १. मुर,लमान । २. चारण-(न०) १. क्षत्रियों का यशोगान घोड़ा। करने वाली एक जाति । २. इस जाति का चामरी-(न०) घोड़ा। मनुष्य । चामळ-(ना०) चम्बल नदी।। चारणिया वंट-(न०)जागीरी की वह प्रथा चामीकर-(न०) सोना । सुवर्ण । जिसमें (पाटवी और थाटवी)सभी भाइयों चामीर-दे० चामीकर । में जागीरी व भूमि का समान बंटवारा चामुडा-(ना०) चामुंडा देवी । दुर्गा का किया जाता है। सभी भाइयों में गांव एक स्वरूप । और जमीन के समान बँटवारे की प्रथा । चामोटो-दे० चमोटो। चारणी-(ना०) १. चारण की स्त्री। २. चाय-(ना०) १. एक पौधा तथा उसकी चालनी । (वि०) चारण संबंधी। पत्तियां । २. इस पौधे की सूखी पत्तियों चारणो-(क्रि०) चराना । घास खिलाना। को गरम पानी में डालकर बनाया जाने (न०) चालना । बड़ी चलनी । वाला गरम पेय । चार धाम-(न०) भारत की चार दिशामों चायना-(ना०) १. चाहना । इच्छा । २. में चार बड़े तीर्थ-पूर्व में जगन्नाथपुरी, मावश्यकता । दक्षिण में रामेश्वर, पश्चिम में द्वारका, चायलवाड़ो-(न०)बीकानेर जिले का चायल और उत्तर में बदरीनाथ । जाति के जाटों का प्रदेश । चारपाई-(ना०) खाट । माचो । चार-(वि०) तीन और एक । (न०) चार चारभुजा-(न०) राजस्थान का एक प्रसिद्ध की संख्या । '४' (ना०) घास । चारो। तीर्थ स्थान । वल्लभ संप्रदाय का एक तीर्थ स्थान ।२. चारभुजा भगवान । For Private and Personal Use Only Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाळीस चार-वीसी ( ३७३ ) चार-वीसी-(वि०) बीस का चार गुना। चाळकनेच-दे० चाळकनेची। अस्सी । '८०' चाळकनेची-(ना.) प्रावड़ देवी । चारानी-(ना०) चार पानों का सिक्का। चाल करणो-(मुहा०) धोखा देना। चवन्नी । चाळकराय-दे० चाळकनेची । चारु-(वि०। सुन्दर । फूठरो। चालचलगत-(ना०) १. चालचलन । चारू-(वि०) चारों। चारों ही। चार के आचरण । २. चारित्र्य । चार । चालचलण-(न०) प्राचरण । व्यवहार । चारूकानी-(प्रव्य०) चारों ओर । चरित्र । चालचलन । चारू मेर-(प्रव्य०) चारों ओर । चोरुकेर। चाल चलणो-(मुहा०) धोखा देना । चाकानी । चालढाल-(ना०) १. चालचलन । २. रंगचारो-(न०) १. घास । चारा। २. किसी ढंग । तौर-तरीका । एक बात के विषय में अनेक विधियों का चाळणी-(ना०) चलनी । छलनी । मिलान । विकल्प । ३. उपाय । चारा। चालणो-दे० चलणो । तदबीर । ४. वश । अधिकार । चाळणो-(न०) १. चालना। बड़ी चलनी । चारोतरसो-(न०) पहाड़े में बोली जाने (क्रि०) छानना। चालना। २. भड़काना । वाली एक सौ चार (१०४) की संख्या । उकसाना । ३. छेड़ना। चारोळी-(ना०) १. एक प्रकार की बढ़िया चाळनेच-(ना०) मावड़देवी। . पारदर्शक खड़िया जिसको पका पर चालबाज-(वि०) चालाक । धूर्त । टैल्कम पाउडर प्रादि बनाये जाते हैं। चालबाजी-(ना०) चालाकी । धूर्तता । (थोब री) खड्डी । २. नारियल की गिरी चाळराय-(ना०) प्रावड़देवी। का छोट टुकड़ा। ३. चिरौंजी। चाळा-(न०बहु०व०) १. मजाक करने के चार्वाक-(न०) १. एक अनीश्वरवादी तत्व लिये किसी के बोलने चालने आदि का विचारक । एक नास्तिक तार्किक । २. किया जाने वाला अनुकरण । २. हाव नास्तिक दर्शन । भाव। नखरा । अंगचेष्टा । ३. छेड़छाड़ । चाल-(ना०) १.रिवाज । प्रथा । २. गति । चालाक-(वि०) १. होशियार। २. धूर्त । रफ्तार । ३. चलने का ढंग । चाल । ४. विधि । ढंग । ५. छल । कपट । ६. चालाकी-(ना०) १. होशियारी। २. धूर्तता। शतरंज आदि के खेल में दाँव चलने की चाळागरो-(वि०) १. युद्धोत्साही । २. पारी । ७. अनुकरण । नकल ।। युद्धोन्मुखी। ३. लड़ाई खोर । झगड़ाचाळ-(ना०) १. अंगरखे आदि का सामने खोर । ४. पाखंडी । ढोंगी । ५. वीर । का निचला भाग। २. कमर बाँधने का चालारण-दे० चलाण । कपड़ा । ३.कपड़े का छोर । अंचल । दामन। चाली-(ना०) १. चलने का ढंग । २. चाल ५. युद्ध। ६. कोप । ७. प्रान्त । परगनो। चलन । आचरण । ८. स्वर्ग-पातालादिक लोक । ६. कमर । चाळी-(वि०) चालीस । (न०) चालीस की चालक-(वि०) चलाने वाला। संख्या। चाळक-(ना०) १. देवी। २. प्रावड़ नाम चाळीस-(वि०) बीस और बीस । (न०) की देवी । ३. देवी का वाहन । सिंह। चालीस की संख्या । '४०.'। For Private and Personal Use Only Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाळीसमो ( ३७४ ) चाळीसमो-(वि०) जो क्रम में उनतालीस चावंडा-दे० चामुडा। ___ के बाद पाता हो। चालीसवाँ । चावै-दे० चाहीज । दे० चाहै । चाळीसवों-दे० चाळीसमो। चावो-(न०) १. पुत्र । छावी । (वि०) १. चाळीसो-(न०) १. चालीस पद्यों का ग्रंथ प्रसिद्ध । प्रख्यात । २. प्रगट । वा काव्य । यथा-हनुमान चालीसो । २. चास-(ना०) १. पृथ्वी। २. ज्योति । चालीसवाँ वर्ष । ३. मुसलमानों में मृतक प्रकाश । ३. जाँच । तपास । ४. खबर । के पीछे चालीसवें दिन किया जाने वाला पता। ५. चाह । इच्छा । ६. कृषक । खाना। ७. नीलकंठ पक्षी। ८. हल चलाने से चालू-(वि०) १. वर्तमान । प्रचलित । २. बनने वाली रेखा । चाम । गतिमान । ३. प्रारम्भ । शुरू। चासणी--(ना०) १. चाशनी । शीरा । २. चालेवो-(न०) १. प्रस्थान । गमन । २. परीक्षा करने के लिये गलाया हुआ सोने चिरप्रस्थान । मृत्यु । ___ का टुकड़ा । ३. परीक्षा । चाळो-(न०) १. क्रीड़ा। २. चेष्टा । ३. चासणी करणो-(मुहा०) १. जांच करना। नखरा। मटका। ४. लक्षण । चिन्ह । २. चासनी बनाना । ५. कुतूहल । कौतुक । ६. मनोरंजन। चासणो-(कि० । जलाना। दीपक जलाना। दिल बहलाव । ७. रचना । बनाव। चासो-(न०) १. प्रकाश । २. खेत में हल उठाव । ८. वृद्धि । ६. वातावरण । चलाने से बनी रेखा । ३. कृषक । प्रवाह । फैलाव । १०. चलन । रिवाज । चाह-(ना०) १. इच्छा । २. जरूरत । ११. सिलसिला । १२. दबाब । १३. चाहिजवारण । हरकत । १४. ढोंग । १५. भूत-प्रेत आदि चाहड़-(ना०) पैरों में पहिनने का एक का प्रकोप । १६.छलछद्म । १७.छेड़छाड़। आभूषण । १८. हैरानी । १६. दुख । कष्ट । २०. चाहणो-(क्रि०) १. चाहना । इच्छा करना। निकम्मापन की क्रियाएँ । २१. कोप। २. प्रेम करना। २२. युद्ध । २३. रोग। २४. रोग का चाहना-(ना०) चाह । इच्छा । चावना । सर्वदेशीय उपद्रव । महामारी। २५. चाहिजवाण-(ना०) आवश्यकता । जरूरत । भेद। २६. उपद्रव । चाही-(वि०) १. सिंचाई के योग्य (जमीन)। चाव-(न०) १. चाह । अभिलाषा। २. जरखेज, उपजाऊ । २. चाही हुई। उत्साह । उमंग । ३. उत्कंठा । ४. दान। इच्छित । (ना०) सिंचाई योग्य कृषि ५. उत्सव । ६. हर्ष । ७. शौक । ८. भूमि । रस । मजा। __ चाहीजै-(अव्य०) १. आवश्यकता है । चावणो-(क्रि०) चबाना । चाबना । ___चाहिये । २. उचित है । उपयुक्त है। चावना-(ना०) चाहना । इच्छा । इंछा। चाहू-(वि०) १. चाहने वाला। २. हित चावर-(ना०) जोते हुये खेत की जमीन को चिंतक । समतल करने के लिये उस पर पाटा चाहै-(अव्य०) १. यदि इच्छा हो । २. जैसी फिराने की क्रिया । सावर । इच्छा हो । जो मर्जी हो । चावळ-(न०) १. चावल । तंदुल । २. रत्ती चाह्यो-(वि०) इच्छित । मन चाहा । के माठवें भाग का तोल । चाहा हुआ। For Private and Personal Use Only Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चाँच ( ३७५ ) चाँपो चांच-(ना०) १. चोंच । चंचु । २. चोंच के चाँदमारी-(ना.) १. कपड़े, तख्ते प्रादि जैसी नोकदार चीज । ३. वह लंबी लकड़ी पर बने चंद्र चिन्ह पर गोली मारने का जिसमें कुएँ से पानी निकालने की ढेकली अभ्यास । २. चाँदमारी का मैदान । बँधी रहती है । ४. कुएँ से पानी निकालने चाँदसूरज-(न०) १. स्त्रियों का एक सिरोका एक यंत्र । ढ्कली। ५. बैलगाड़ी के भूषण । २. चन्द्र और सूर्य । आगे का नोकदार भाग। चाँदी-(ना.) १. रौप्य । रूपो। रजत । चाँचड़-(न०) १. पिस्सू । २. खेत में खड़ी २. व्रण । छाला। छाळो । ३. व्रण से फसल। उत्पन्न चट्टा । व्रण का सफेद निशान । चाँचदार-(वि०) चोंचवाला। ४. घाव । जख्म । ५. माल । धन । चांचाळी-(ना०) गिद्धनी। (वि०) चोंच। रुपया-पैसा। वाली। चाँदी करणो-(मुहा०) अन्याय के विरुद्ध चाँचाळो-(वि०) चोंच वाला। धरना देकर शस्त्र के प्रहार से आपघात चाँचियो-(न०) १. चोर । २. उचक्का । करना या खून निकालना। दे० खाळिया करणो। ३. डाकू। चाँदी पड़णो-(मुहा०) घाव पड़जाना । चाँटी-(ना०) १. दौड़ । २. सहायता । ३. बेगार । ४. सेवा । ५. दासी । चेटी।। चाँदी वरसणो-(मुहा०) खूब आमदनी होना। चाँडाळ-दे० चंडाळ । चाँतरी-(ना०) चबूतरी । चूतरी। चाँदो-(न०) १. चाँद । २. एक लोक गीत । चाँदोड़ी रुपियो-(न0) एक प्राचीन मेवाड़ी चाँतरो-(न०) चबूतरा । चूतरो।। सिक्का । चाँद-(न०) १. चन्द्रमा । चद्र । २. स्त्रियों चाँद्रायण-(न०) चंद्रमा के घटने-बढ़ने के के सिर का एक आभूषण । ३. मोर पंख अनुसार कम ज्यादा कौर खाने का एक के शीर्षस्थ चौड़े भाग के बीच की चंद्रिका । कठोर मासिक व्रत, तप या अनुष्ठान । ४. निशाने मारने का लक्ष्य । चाँप-(ना०) १. किसी यंत्र को चलाने या चाँदडलो-(न०) चाँद । चन्द्रमा । बंद करने की कल । कमान । २. दबाव । चाँदणी-(न०) १. चंद्रना का प्रकाश ।। ३. ध्यान । खयाल । ४. उतावल । चाँदनी। ज्योत्स्ना । २. वस्त्रों के ऊपर शीघ्रता। ओढ़ने का परदानशीन औरतों का एक चाँपण-(ना०) १. किसी समतल वस्तु या विशेष वस्त्र। ३. चंदोवा । ४. हाथ से वस्तु के समतल भाग को बिलकूल सपाट रंगे छपे मोटे कपड़े का एक बिछावन । करने का एक अौजार । २. दबाने का मोटे कपड़े की दरी । जाजम । ५. छत औजार या कल । ३. खुशामद ।। के ऊपर मैड़ी के आगे का छपरे वाला चाँपणो-(क्रि०) १. हाथ-पैरों की चंपी खुला भाग । ६. बिछावन या खाट पर करना । २. दाबना । दबाना । ३. खुशाबिछाई जाने वाली चादर । मद करना । राजी करना । ४. अधिकार चाँदरणीरात-(ना०) चन्द्र के प्रकाश वाली ___ करना । कब्जा करना। ५. डराना । रात। भय दिखाना। चाँदणो-दे० चानणो । - चाँपो-(न०) १. गो-समूह । गायों का झुंड । चाँदरणो पख-(न०) शुक्ल पक्ष । गोहर । २. चंपा का वृक्ष । For Private and Personal Use Only Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चांब . ४.तरसाना। चिड़पड़ो चाँब-दे० चाम, सं० ३.। चिगावणो-(क्रि०) १. भुलावा देना । चांबळ-(ना०) चम्बल नदी । फुसलाना। २. ललचाना । लालायित चि०-(प्रव्य०) १. चिरजीव' का संक्षिप्त करना । ३. चिढ़ाना । खिजाना । रूप । * चिगियाँ-दे० चिगाळी । चिक-(ना०) बांस की तीलियों का परदा। चिगी-दे० चिगाळी । चिलमन । चिकटाई-दे० चिकणाई। चिट-(ना०) कागज का छोटा टुकड़ा। चिटक-(ना०) १. नारियल की गिरी का चिकटो-दे० चौंगटो। छोटा टुकड़ा। चारोली। २. प्राभा । चिकणाई-(ना०) चिकनाई । चिकनापन । __ कांति । चटक । ३. उमंग। ४. परत । स्निग्धता। पपड़ी। चिकणाट-दे० चिकणाई। चिटकणी-(ना०) सिटकनी । चिटकनी । चिकणो-दे० चीकणो। चिटको-दे० चटको। चिकार-(वि०) १. भरपूर । ठसाठस । खूब चिटियो-(न0) छड़ी। चटियो । भरा हुआ। चिटु अाँगळी-(ना०) सबसे छोटी अंगुली । चिकारो-(ना.) एक तंतु वाद्य । कनिष्ठिका। चिकास-(न०) चिकनाई । स्निग्धता। चिटुड़ी-(ना०) हाथ (या पाँव) की सबसे चिकिछा-(मा०)चिकित्सा । औषधोपचार। छोटी अंगुली । कनिष्ठिका । __ इलाज । चिट्टो-(न०) किसी लंबी वस्तु के शुरू या चिकित्सा-दे० चिकिछा। अंत का भाग । सिरा। चिकर-(न0) सिर के बाल। चिट्टी-(ना०) पत्र । पत्री । खत । चिग-(ना०) बाँस की पतली सीखों को चिट्ठीपत्री-(ना०) १. पत्र । चिट्टी । धागों से गूथकर बनाया हुआ दरवाजे २. ग्रामान्तर से आने वाला या ग्रामान्तर का परदा । चिक । को लिखा जाने वाला पत्र-संदेश । ३. चिगथ-(न०) मुसलमान । पत्र-व्यवहार। चिगथो-(न०) मुसलमान । चिड़-(ना०) १. चिढ़ । कुढ़न । २. मुझला. हट । ३. खीज । ४. घृणा । नफरत । चिगदणो-(क्रि०) १. चिगदना । पीसना । चिड़कली-(ना०) चिड़िया । चिड़ी। २. मसलना । कुचलना। चिड़कलो-(न०) नर चिड़िया। चिड़ा। चिगदो-(न०) घाव । जस्म । चिड़ो। चिगनिया-(नम्ब०व०) बहुत छोटे-छोटे लिये जाने वाले ग्रास । चिड़कोली-(ना०) चिड़िया । चिड़ी। चिगनिया करणो-(मुहा०) पेट भर जाने चिड़चिड़ो-(वि०) चिड़चिड़े स्वभाव वाला। तुनक मिजाज । पर थाली में बची हुई भोजन सामग्री के चिड़णो-(क्रि०) १. नाराज होना। २. बहुत छोटे-छोटे कौर लेना। क्रोध करना। ३. खिजाना । ४. झुझचिगाणो-दे० चिगावणो। लाना । कुढ़ना । चिढ़ना । चिगाळी-(ना.) किसी की बोली या प्राकृति चिड़पड़ो-(वि०) १. वर्षा की कमी वाला। की की जाने वाली उपहासजनक नकल । (वर्ष)। २. थोड़ा-थोड़ा (वरसना) । चिढ़ । कुट्टी। थोड़ी-थोड़ी (वर्षा)। For Private and Personal Use Only Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिड़ाणो ( ३७७ ) चितरणी चिड़ाणो-दे० चिड़ावणो। चुनने का काम । चुनाई। चिड़ावणो-(क्रि०) १. नाराज करना। २. चिणायकाँ-(ना.) चाणक्य नीति का खिजाना। ३. उपहास करना। लोक रूप जो वाणीकी पाठशालाओं में चिड़ियाटूक-(ना०) जोधपुर के किले की पढ़ाया जाता है । चाणक्य नीति । पहाड़ी का नाम । (किला बनने के पूर्व चिरणारी-दे० चिणाई। इस पहाड़ी पर चिड़ियानाथ नाम के चिणावणो-दे० चुणावणो । प्रसिद्ध योगी रहते थे। इसलिये पहाड़ी चिरणो-(न०) चना । चनक । का नाम यह प्रसिद्ध हुआ)।। चिरणोटियो-(न०) १. पुत्र जन्मोत्सव पर चिड़ी-(ना०) चिड़िया। पुत्र की माता को प्रोढ़ाया जाने वाला चिड़ीमार-(न०) बहेलिया । पारधी। एक विशेष प्रकार का मांगलिक ओढ़ना । चिड़ी मोथियो-(न0) एक प्रकार का घास । २. इस मांगलिक अवसर पर गाया जाने श्रीमुस्तक । वाला एक लोक गीत। चिडीलो-(वि०) १. क्रोधी। २. चिड़चिड़े चिपोटी-दे० चिरमी। स्वभाव वाला। चित-(न०) १. अंत:करण । २. चित्त । चिड़ो-(न०) नर चिड़िया । चिड़कलो। ३. चेतन स्वरूप । (वि०) सीधा लेटा चिड़ोकणो-(वि०) चिड़चिड़े स्वभाव वाला। __ हुआ। चिड़ीलो ।। चितइलोळ-(न०) एक डिंगल-छंद । चिडोकली-(ना०) चिड़िया । (वि०) चितउर-(न0) चित्तौड़। चिढ़ने वाला। चितकबरो-(वि०)रंग-बिरंगा । चितकबरा। चिडोकलो-(वि०) १. चिड़चिड़े स्वभाव चितचोज-(ना०) १. प्रसन्नता । खुशी। वाला। २. चिढ़ने वाला। (न०) नर २. मौज। चिड़िया। चिड़ो। चितचोजी-(वि०) १. प्रसन्न । खुश । २. चिड़ोतरसो-दे० चारोतरसो । मौजी । (ना०) प्रसन्नता ।। चिणक-(ना०) १. मोच । लचक । चनक। चितचोर-(वि०) चित्त को चुराने वाला। २. अग्निकण । अंगारा । चिनगारी । मनभावना। चित्त को वश में करने चिरणग-दे० चिरणक। वाला। चिणगट-(ना०) तमाचा । थप्पड़ । थाप। चित-बिलंद-(वि०) विशाल हृदय । बुलंद चिणगारी-(ना०) चिनगारी । अग्निकरण । चित्त वाला । उदार । चिग । तळंगियो।। चित भरमियो-(वि०) उन्माद रोग से चिणगियो-(न०) रुक रुक कर पिशाब पीड़ित । मतिभ्रम । चित्तभ्रम । पागल । पाने का रोग। मूत्रकृच्छ । (वि०) चितभंग-(वि०) १. निराश । २. खिन्न । थोड़ा। न्यून । चिणगो-(वि०) थोड़ा। कम । (स्त्री० __ उदास । (न०) १. उन्माद । २. उचाट । चिणगी)। चितमाठो-(वि०) कृपण । कंजूस । चिणणो-(क्रि०) चुनना। चितरकोट-दे० चित्रकूट । चिणाई-(ना.) १. एक गोल और काला चितरगढ़-(न०) चित्तौड़गढ़ । विषेला जंतु। २. पैर के तलवे में इस चितरणो-(क्रि०) १. चित्रित करना । जंतु के स्पर्श से होने वाला व्रण । ३. २. चित्र बनाना। २. नक्काशी करना । For Private and Personal Use Only Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चितराणं ( ३७८ ) चितराण - (न०) 'चित्तौड़ का महराना' चित्रकूट - ( न० ) का संक्षिप्त रूप | चित्तौड़ाधिपति । चितराम - ( न०) १. चित्र । छबि । चित्राम | २. आश्चर्य व घबराहट से चित्र जैसी निष्प्राण स्थिति । ३. भीति चित्र । चितवरण - ( ना० ) १. देखने का एक प्रकार । चितवन । २. दृष्टि । ३. याद । चितवन- दे० चितवरण । चिता - ( ना० ) श्मशान में शव को जलाने के लिये चुना जाने वाला लकड़ियों का ढेर | आरोगी | चेह । चह । चितानळ - ( ना० ) चिता की अग्नि । चितारणी - ( ना० ) १. विवाह, त्योहार आदि पर स्नेही संबंधियों के यहाँ भेजी जाने वाली पक्वान्नादि की भेंट | हाँथी । २. भेंट | उपहार । ३. याददास्त । चिताररणो - ( क्रि०) १. याद करना । २. चित्र बनाना । चितारो - ( न०) चित्रकार | चितेरो । चिताळ - ( ना० ) बड़ा और चिपटा पत्थर | चितेरो दे० चितारो । चित्त दे० चित | चित्तोड़ - ( न०) १. मेवाड़ का इतिहास प्रसिद्ध मगर और किला । २. मेवाड़ की प्राचीन राजधानी | चित्तौड़गढ़ | चित्तोड़गढ़ - ( न० ) चित्तौड़गढ़ । दे० चितोड़ | चित्तोड़ी - ( न० ) मेवाड़ राज्य का एक प्राचीन सिक्का | चित्तौड़ी रुपया । (वि०) चित्तौड़ संबंधी । 1 चित्र - ( न० ) १. छबि । तसबीर । चितराम । चित्राम । २. दृश्य । चित्रकला - ( ना० ) चित्र बनाने की कला या विद्या । चित्रकार - (०) चितारो | चित्र बनाने वाला । चित्रकारी - ( ना० ) चित्रकार का काम | चित्र-निर्माण | चित्रकला | चिपकरणो १. प्रसिद्ध चित्तौड़ नगर का साहित्यिक और संस्कृत नाम । २. प्रयाग के निकट का एक पर्वत जिस पर वनवास के समय राम, सीता और लक्ष्मण रहे थे । एक तीर्थ स्थान । चित्रकोट - दे० चित्रकूट । चित्रगुप्त - ( न०) १. प्राणियों के पाप-पुण्य का लेखा रखने वाले एक यम । २. कायस्थ जाति के प्रादि पुरुष । चित्रणो- दे० चितरणो । चित्राम - ( न० ) १. चित्र । चितराम । २. भीति-चित्र । चित्रामरणी - ( ना० ) १. चित्रकारी । २. नक्काशी । ३. नक्काशी करने का पारिश्रमिक | चित्रारो- ( न० ) चित्रकार । चितेरो । चितारो । चिदाकाश - ( न० ) आकाश के समान निर्लिप्त Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir और व्यापक परब्रह्म । चिदारणंद - (न०) चेतन और आनंद | चिदा नंद | परब्रह्म | चिदात्मा - ( न० ) चेतन्य स्वरूप परमात्मा । परब्रह्म । चिदानंद - दे० चिदारद । चिदाभास - ( न० ) १. जीवात्मा । २. चैतन्य स्वरूप परब्रह्म का प्रतिबिंब जो मनुष्य के अंतःकरण पर पड़ता है । ३. ज्ञान का प्रकाश । ४. ज्ञान | चिनगारी - ( ना० ) प्रग्निकरण । स्फुलिंग । चिनियो - (वि० ) थोड़ा । किंचित् । चिनेक - ( अव्य० ) १. क्षणभर । २. थोड़ी देर । ( वि०) १. थोड़ा । किंचित् । २. थोड़ा सा । चिन्मय - ( न० ) पूर्ण, विशुद्ध ज्ञानमय ईश्वर । चिन्ह - ( न० ) चिह्न | निशान । चिपकरणो - ( क्रि०) १. चिपकना | चिमटना । चिपटना । २. लिपटना । For Private and Personal Use Only Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिपटणो ( ३७६ ) चिळक चिपटणो-दे० चिपकणो। चिरत-(न०) पाखंड । ढोंग । चरित । चिपटी-(वि०) चपटी । दबी हुई । (ना.) ढूग। १. चुटकी । २. चंगुल । दे० चिबटी। चिरताळी-(वि०) १. धूर्ता। ठगिनी । २. चिपटो-(वि०) जिसकी सतह उभरी हुई न पाखंड करने वाली । चरित करने वाली। हो। चिपटा । दुराचारिणी । व्यभिचारिणी। चिपड़ी-(ना०) शुद्ध की हुई लाख की चिरताळो-(वि०) १. अनेक प्रकार के चिपटी टिकिया या परत । चरित करने वाला । दूंगी । २. कपटी । चिपड़ो-दे० चपड़ो। छली । ३. पाखंडी। धूर्त । ठग । चिपणो-(क्रि०) चिपकना। चिरनिद्रा-(ना०) मृत्यु । मौत । चिबटी-(ना०) १. मध्यम अंगुली और चिरमटी-दे० चिरमी। अंगूठे को चटकाने से उत्पन्न शब्द । २. चिरमी-(ना०) गुजा । घुघची । चिरमी । पांचों अंगुलियों के अगले पोरों को मिलाने चिरमेही-(न०) गदहा । गधो। से बनने वाला संपुट । पाँचों अंगुलियों चिरळी-(ना०)चिल्लाहट । चीख। चीत्कार। को इक्कठा करने में जितना समा सके चिर शांति-(ना०) १. मृत्यु । २. मोक्ष । वह माप । चुटकी । चुंगल । ३. पाँचों चिर समाधि--(ना०) मृत्यु । मौत । मिरतू । अंगुलियों को इक्कठा करने से बनने वाला चिरंजी-(वि०) चिरंजीव । चिरायु । संपुट । चुटकी। ४. इस सम्पुट में समा दीर्घायु । (न०) आशीर्वाद का शब्द । सकने वाला पदार्थ। (अव्य०) चिरजीव रहो । दीर्घायु हो। चिमगादड़-दे० चमगादड़। चिरंजीव-दे० चिरंजी। चिमटी-(ना०) १. किसी वस्तु आदि को चिराक-(न०) चिराग । दीपक । दोवो । पकड़ने का दो अंगुलियों का एक संपुट । चिराग-दे० चिराक । २. छोटी वस्तु को पकड़ने के लिये चिमटे चिराड़-(ना०) १. दरार । शिगाफ । २. के जैसा एक छोटा औजार । चिमोटी चीरो । ३. चिल्लाहट । चिमतड़ी। सवाणी। चिराडो-(न०) १. शिगाफ । बड़ी दरार । चिमटो-(न०) चिमटा । चीपियो। २. चीरो। ३. चिल्लाहट । चिमनी-(ना०) १. मिट्टी के तेल से जलने चिरायतो-(न0) एक कड़वी वानस्पतिक वाला कुप्पी जैसा एक दीपक । २. कार औषधि । खानों का वह लंबा भूगल जिसमें होकर चिरायु-(वि०) बड़ी उमर वाला। (ना०) धुआं निकलता है । ३. रसोई घर की बड़ी आयु । छत पर बना धुआँकश। चिराळ-दे० चिराड़। चिमंतर-(वि०)सत्तर और चार । चौहत्तर । चिरावणो-(क्रि०) १. चिरवाना । चीरने (न०) चौहत्तर की संख्या । ७४ चिरकुटो-दे० चीथगे। का काम करवाना। २. हाथीदांत, नरेली चिरजीवी-दे० चिरंजीवी। ___आदि की चूड़ी खराद पर उतरवाना। चिरड़ियो-(वि०) चिड़चिड़े स्वभाव वाला। चिरूं-(वि०) 'चिरंजीव' का संक्षिप्त । चिरणाट-(न०) नाश । चिरूंजी-(ना०) एक मेवा । चिरौंजी । चिरणाटियो-दे० चिरणाट । चिळक-दे० चिळको। पर For Private and Personal Use Only Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चिळकरणो ( ३८० ) चीक १. चिळकरणो - ( क्रि०) चमकना । ( न० ) प्रकाश । चमक । २. प्रतिबिम्ब । प्रति प्रभा । श्रक्स (विo ) चमकने वाला । चिळकी - ( ना० ) १. चमक । प्राभा । चिहुए वळाँ - ( क्रि०वि०) चारों भोर । चिहुँवे - ( वि०) चारों । चारों ही । चिश्रो- ( न० ) इमली का बीज । कूं को । कूं गो । २. पॉलिश । चिंगरण - दे० चरण | चिळको- ( न० ) १. चमक । २. प्रकाश । चिंघाड़ - ( ना० ) हाथी की बोली । हाथी की चिल्लाहट । ३. प्रतिबिंब । चिलगोजो - ( न०) चीड़ वृक्ष का फल । एक चिंघाड़णो - ( क्रि०) हाथी का चिल्लाना । मेवा | नेवज । नोजा । नेजो । चिलड़ो - दे० चीलड़ो | चिलम - ( ना० ) १. तंबाकू पीने का लकड़ी या मिट्टी का बना एक उपकरण । सुलफी । २. हुक्के का वह मिट्टी का पात्र जिसमें तमाकू और श्राग रखी रहती है। चिलम पीरणो - ( मुहा० ) चिलम में रखी हुई तमाखू के धुएँ को मुँह से खींचना | चिलमपोस - ( न०) चिलम का ढक्कन । चिलम भरणो - ( मुहा० ) पीने के लिये चिलम में तंबाकू और आग रखना । चिलमियो- ( न० ) १. चिलम या हुक्के में तंबाकू भरने, उस पर श्राग रखने और पीने आदि की क्रियाएँ । २. चिलम की नली में रखा जाने वाला कंकड़ | चुगल | ३. चिलम में प्राग रखने की क्रिया । चिलो - ( न० ) १. धनुष की डोरी । चिल्ला । प्रत्यंचा । २. मुसलमानों का चालीस दिनों का एक व्रत । चिल्ला । चिल्लारगो - ( क्रि०) १. चीखना । चिल्लाना । २. जोर-जोर से बोलना । चिह्न - ( न० ) १. चिन्ह । निशान । २. वृत्तान्त | हाल | चिहापणो - ( न० ) पश्चाताप | पछतावो । ( क्रि० ) पछताना | पछतावा करना । पछतावरणो । पछतावा । चिहापो - ( न० ) पश्चाताप । चिर - ( न०) १. सर के केश । चिकुर । २. केश । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिंघाड़ना । चिंत - ( ना० ) १. चिंता । फिक्र । फिकर । २. याद । ३. विचार । चिंतक - (वि०) चिंतन या मनन करने वाला । चिंतरण - दे० चिंतन | चितरणो - दे० चितवरणो । चिंतन - ( न० ) १. ध्यान । २. विचार । मनन । ३. विवेचना । चितवरण - दे० चितवन । चितवरणो - ( क्रि०) १. मनन करना । २. निश्चय करना । ३. याद रखना । ४. चिंता करना । ५. सोचना । चिंतन करना । ६. विचार करना । चितवन- ( न० ) चिंतन । चितवियोड़ो- (वि०) १. निश्चय किया हुआ । २. सोचा हुआ । विचारा हुआ । चिंता - ( ना० ) १. चिंता । फिकर । २. विचार | सोच | चिंताजनक - (वि) चिता उत्पन्न करने वाला । चितामरिण - ( ना० ) अभिलाषाओं को पूर्ण करने वाला एक काल्पनिक रत्न । चित्या- दे० चिंता | चिंदी - दे० चींधी | चींदी । ची - ( प्रत्य०) 'चो' विभक्ति का नारी जाति रूप | छठी विभक्ति । की । चीक - ( न०) स्वर्णकारी में काम आने वाला मेथी दाना और सुहागा का उकाला हुआ पानी । २. वनस्पति के फल, टहनी आदि For Private and Personal Use Only Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ३८१ ) चीकट में से निकलने वाला चिकना पानी प्रथवा दूध । ३. कीचड़ । कीच । चीकट - दे० चींगट | चीकटो- दे० चींगटो । चीकरण क्रम - ( न० ) अशुभ कर्म । पापकर्म । चीकरणी सोपारी - ( ना० ) एक प्रकार की उबली सुपारी । चीकरणो- (वि०) १. चिकना । २. चिपचिपा । ३. कंजूस । चीकरणो घड़ो - ( न०) जिस पर किसी बात का असर न हो । चीकास- दे० चीकट । चीकू - (To) एक वृक्ष और उसका फल । चीख - ( ना० ) चिल्लाहट । चीत्कार । चीखो - ( क्रि०) १. चिल्लाना । चीत्कार करना । २. रोना । ३. बकबक करना । जोर से बड़बड़ाना । चीखल - ( न० ) कीचड़ । चीखलो । कादो । चीखलो - ( न०) कीचड़ । कादो । चीगट- दे० चींगट | चीगटो- दे० चींगटो । चीज - ( ना० ) १. वस्तु | पदार्थ । २. महत्व की बात । ३. गीत । गायन । ४. प्रभूषरण | गहना । चीज वस्तु - ( ना० ) १. समस्त वस्तुएँ । २. सामान । सामग्री । सर सामान । चीटलो - दे० चींटलो । चीटो- (वि०) १. चिकना । चिकटा । २. कंजूस । ( न० ) १. मक्खन तपाने से नीचे बैठने वाला मैल । घृतमंड । किट्ट । कोटो । २. स्निग्ध पदार्थों का मैल । चीटो । कीटो । चीठ - ( ना० ) १. पहाड़ का समतल ढलवाँ भाग । चाठ । २. चिलम की नली का कीट । गुल । चीठापरणो - ( न० ) १. कंजूसी । कृपणता । २. कड़ाई | कड़ापन | ३. दृढ़ता । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वीतरणो चीठी- दे० चिट्ठी । चीठो- ( न०) १. तेल या घी का कीटा | २. कंजूस । कृपरण । ३. कड़ा । कठिन । दृढ़ | चीड - ( ना० ) १. काँच का छोटा मनका पोत । २. एक वृक्ष और उसकी लकड़ी । चीड़ - ( न० ) ऊंट का मूत्र । चीड़ो - ( क्रि०) ऊंट का मूतना । चीडो- (वि०) १. कंजूस । कृपण । २. लचीला और मजबूत । चीरण - ( ना० ) १. मकान की छत छाने की पत्थर की पट्टी । २. पायजामे या घाघरे के सिरे की वह जगह जिसमें नाड़ा डाला जाता है । नेफा । ३. चीन देश । चीरणाई चाँदी दे० चीनाई चाँदी । चीरणी - ( ना० ) १. चीनी । खाँड । शक्कर । २. चीनी भाषा । ३. छेनी । टाँकी । ( वि०) १. चीन देश संबंधी । २. चीनी । चीन देश का । चणीखाँड - ( ना०) खाँड । शक्कर | चीणीमाटी - ( ना० ) एक सफेद चिकनी मिट्टी जिसके बरतन बनते हैं। चीनी मिट्टी । चीरणीरेत - ( ना० ) बारीक दानेदार रेती जिसमें मिट्टी नहीं होती है। धोरा री रेत । वेकळ । बालू । रेणुका । रेत । चीरगोटियो - दे० चिरोटियो । चीत - ( ना० ) १. विचार । २. चिंतन । विवेचन । ३. परामर्श । मंत्रणा । ४. स्मरण | याद । ५. चित्त । मन । ६. चिंता । चीतगढ - ( न० ) चितौड़गढ़ । चीतणो - ( क्रि०) १. विचार करना । २. निश्चय करना । ३. याद करना । चिंता करना । For Private and Personal Use Only चीत ररणो - ( क्रि०) १. चित्र बनाना । २. चित्रकारी करना । ३. नक्काशी करना । Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चीतरी ( ३८२) चीराळी चीतरी-(ना०) छितरे हुए पतले और छोटे देश का। चीन से संबंधित । २. चीनी ___ बादल । तीतर के पंख जैसे बादल। मिट्टी का बना हुग्रा। चीतरो-(न०) एक हिंसक पशु । चीता। चीप-(ना०) १. बाँस की चिपटी और लंबी चीतळ - (न0) एक प्रकार का साँप। २. पट्टी। २. ढोल, चंग आदि बजाने की अजगर । ३ एक जाति का हिरण । लंबी ओर पतली खपची। ३. चूड़ी पर चीतवरणो-(कि०) १. सोचना । विचारना।। जड़ने की सोने या चाँदी की लम्बी पत्ती। २. निश्चय करना। ३. इरादा करना । पाती। ४. घी भरने का चमड़े का कुप्पा । विचार करना । ४. संकल्प करना। मलसा । कूड़ो। ५. पत्थर का छोटा किसी को कुछ देने का विचार करना। चिपटा टुकड़ा। चीता-(ना०) १. याद । स्मरण । २. स्मृति । चीपटी-(ना०) १. बांस की लंबी चिपटी चीतारणी-(ना०) १. मिठाई पकवान आदि पट्टी । २. ज्वार और बाजरी के डंठल । की भेंट । बींदड़ी। संभाळ । २. सौगात ।। चीपड़-(न०) आँखों का मैल । गोंड।। चीबरी-(ना०) उल्लू की जाति का एक भेट । ३. याददास्ती। छोटा पक्षी । कोचरी। चीतारणो-(क्रि०) १. सुमिरन करना। चीबो-(10) १. मुसलमान । २. मुसलमानी रटना । २ याद करना। किसी के प्रति का एक भेद । कुछ सोचना । ३. सोचना । विचारना। चीमटो-(न०) चिमटा । चीपियो । चीताळ-(ना०) १. छत को छाने के लिये चीमडियो-दे० चीभडियो। काम में आने वाली पत्थर की लंबी पट्टी चीर-(ना०) १. फांक । टुकड़ा। (न०) १. २. चपटा बड़ा पत्थर । चीरा। दरार । ३. स्त्रियों के प्रोढने का चीतालंकी-(वि०) चीते के समान पतली वस्त्र । ४. एक रेशमी वस्त्र । ५. वस्त्र । कमर वाली । सीहलंकी। चीरड़ो-(न०) १. चिथड़ा । चीथरो। २. चीतो-दे० चीतरो। दे० चीलड़ो। चीतोडी-दे० चित्तौड़ी। चीरणो-(न०) १. चीरना । काटना । चीतोड़ो-(न०) बापा रावल का वंशज फाड़ना । २. भीड़ को आर-पार करना । चित्तोड़ाधिपति । मेवाड़ का राना। ३. हाथी दांत को चूड़ियों के आकार में खरीदना । चीत्र-दे० चित्र। चीत्रणो-दे० चित्रणो। चीर-फाड़-(ना०)१. डाक्टर द्वारा की जाने चीत्रारो-दे० चित्रारो। वाली शल्य चिकित्सा। २. चीरना और फाड़ना। चीन-(न०) १. एक देश । (ना०) २. पह- चीरवियो-(वि०) हाथी दांत और नरेली चान । पोळखारण । आदि को चीर कर चूड़ियां बनाने वाला चीनाई-(वि०) चीन देश का। व्यक्ति । चूड़ीगर। चीनाई चांदी-(ना०) चीन देश की चाँदी। चीरहरण-(न०)१. श्रीकृष्ण द्वारा गोपियों बढ़िया चाँदी। के वस्त्र चुराने की लीला। २. कौरवों चीनणो-(क्रि०)१. देखना । २. पहचानना। द्वारा द्रौपदी का वस्त्र हरण। अोळखरणो। चीराळी-(ना.) १. चीख । चिल्लाहट । चीनी-(ना०) १. खाँड । २. चीनी मिट्टी। २. किमी वस्तु का चीरा हा भाग । ३. ३. चीन देश की भाषा । (वि०) १. चीन टुकड़ा । खंड । For Private and Personal Use Only Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३८३ ) चीथणो चीरी-(ना.) १. छोटी पतली फांक । वस्त्र चींनो-(न0) इमली का बीज । कूको । या फल आदि का काटा हुआ लंबा कुंगो । टुकड़ा । २. चिट्ठी-पत्री । पत्र। चींगट-(न०) १. चिकनाई । स्निग्धता । २. चीरो-(न०) १. चिर जाने का लंबा घाव । घी, तेल आदि चिकने पदार्थ । (वि०) २. चीर-फाड़ । डाक्टरी शस्त्र क्रिया । १. चिकना । चीकट । २. तेल, घी आदि ऑपरेशन । ३. पगड़ी । ४. लीरा। लगा हुआ। लीरो। ५. टुकड़ा। ६. किसी कार्य की चींगटो-(वि०) जिस पर चिकनाई लगी हई सहायता के लिये बहुत आदमियों से थोडा हो । चिकनाई वाला। स्निग्ध । चिकना। थोड़ा मांगकर इकट्ठा किया हया धन । चींगरण-दे० चींघण । ७. रियासती या जागीरी जमाने का एक चींगास-दे० चंगास । लगान । चींगासरगो-दे० चंगासणो । चील--(ना.) १. चील पक्षी । २. बथुए की चींगो-(न०) घोड़ा। जाति की एक भाजी । ३. साँप। ४. एक चींघरण-(ना०) १. निर्धूम अग्नि का ढेर । देवी । ५. तँवर क्षत्रियों की देवी। चिता की अग्नि में शव को इधर-उघर चीलख-(ना०) १. चील पक्षी। २. एक करने की लंबी लकड़ी। ३. चिता की अग्नि । श्मशान की अग्नि । ४. श्मशान भाजी। चीलड़ी-(न०) तवे पर घी में तली हुई की राख । भस्मी। ५. आग्नेय दिशा । आटे या बेसन के घोल की एक प्रकार चीचड़-(न०)जानवरों की चमड़ी से चिपका की पूरी। उलटा । चिलड़ा। चीला । __रहकर खून पीने वाला एक कीड़ा । घारलो। किलनी। चिचड़ा। चीलर-(न०) १. थोड़े पानी का छोटा चीचड़ो-दे० चीचड़। तालाब । नाडो । पोखरा । पोखरी । २. चीचाड़णो-(क्रि०) रुलाना । रेजगी । रेजगारी । ३. सूअर का बच्चा । चींचाणो-(क्रि०) १. रुलाना । २. रोना। चिल्लाना । चीलराज-(न०) शेषनाग । चींटलो-(न०) सांप का बच्चा । चीलरो-(न०) १. सूअर का बच्चा। २. चींटी-(ना०) चिउँटी । कीड़ी। दे० चीलड़ो। चींत-(ना०) १. चिंता । फिक्र । २. याद । चीलो-(न०) बैलगाड़ी के चलने से बनने स्मरण। वाले पहिये का लंबा चिन्ह । गाड़ीवाट । ' चीतगो-(क्रि०) १. चिंता करना। २. २. रेल की पटरी । ३. रिवाज । चाल । विचार करना । ३. याद करना। परम्परा । ५. मार्ग। चींतवणो-दे० चींतरणो। चीवट-(ना०) १. तत्परता । मुस्तैदी । २. चीथडियो-(वि०) १. चिथड़ों का व्यवसाय लगन । लीनता। तन्मयता। करने वाला । २. फटे-पुराने चिथड़े पहिचीवर-(न०) वस्त्र । नने वाला। ३. मैला-कुचेला । गंदा । चीस-(ना०) १. पीड़ा। दर्द । २. कराह । (न0) चिथड़ा। चीसणो-(क्रि०) पीड़ा से कराहना । चीथरणो-(क्रि०) १. रौंदना । कुचलना। चीखना। २. दबाना। For Private and Personal Use Only Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ३८४ ) चौथरियो चींथरियो- दे० चथड़ियो । चींथरी - ( ना० ) १. छोटा चिथड़ा । २. धज्जी | चथरो - ( न० ) १. मलिन तथा जीर्ण वस्त्र खंड | चिथड़ा । २. धज्जी । ३. गूदड़ । atथीजरणो - ( क्रि०) रौंदा जाना । कुचला जाना । चींदी - ( ना० ) १. चिथड़े की पतली पट्टी | २. चिदी । धज्जी । चींधी । ३. छोटा लंबा टुकड़ा । चींध - ( ना० ) १. ध्वजा । पताका । धजा । २. चिथड़ा । ३. वस्त्र की लंबी लीरी । चीड़ - (०) १. अधिक अफीम खाने वाला व्यक्ति । २. बहुत अफीम खाने के कारण सुध बुध रहित और गंदा रहने वाला व्यक्ति । ३. एक राजपूत जाति । ४. चुना हुआ वीर पुरुष । ५. वीराग्रणी योद्धा । ६. कुलीन घर का भिखारी । ७. वह भिखारी जो अपनी जाति के सिवाय दूसरी जाति की भीख नहीं लेता है । जाति का भिखारी । ८. वैश्य जाति का भिखारी । बनिया जाति का मंगता । F ६. वरदीधारी सैनिक । (वि०) १. वीर | बहादुर | योद्धा । २. कंजूस । ३. दरिद्री । ४. गंदा । airरणो - ( क्रि०) देखना । चींधाळो - (वि०) धजावाला । ध्वजधारी । चींधी - ( ना० ) १. वस्त्र या कागज की लंबी पट्टी । धज्जी | लोरी । २. चिथड़ा । ajit देखो - ( मुहा० ) पति की ओर से पत्नी का त्याग करना । पति की ओर से पत्नी का संबंध विच्छेद करना । तलाक देना । चीप - ( ना० ) १. घी भरने का ऊंट के चमड़े का बड़ा कुप्पा । मलसा । २. झिरीदार चूड़ी के ऊपर लगाई जाने वाली सोने या चाँदी की पत्ती । ३. ढोल, चंग आदि बजाने की बाँस की पतली खपची । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चुगल चपटी - दे० चीपटी । चींपटो-दे० चींपियो । airs - (To) चींपियो - ( न० ) चिमटा | चभडियो - (०) चिटा । ककड़ी । चीयो - ( न० ) इमली का बीज । चरणो - ( क्रि० ) टपकाना । चूना । चुमारगो - ( क्रि०) चुआना । टपकाना । चुप्रावरणी - दे० चुप्राणो | चुकरणो - ( क्रि०) १. चुकना । समाप्त होना । २. बेबाक होना । चुकलियो - ( न०) मिट्टी का छोटा घड़ा । चुकल्यो - दे० चुलियो । चुकंदर - (न० ) लाल रंग का एक कंद । चुकाई - ( ना० ) चुकता करने की क्रिया या का मैल । गोंड । चोपड़ । भाव । चुजारगो - दे० चुकावणो । चुकादो - ( न० ) १. चूकता होने का भाव । चुकाई । २. फैसला । For Private and Personal Use Only चुकारो दे० चुकादो । चुकावणो - ( क्रि० ) हिसाब चुकता करके पैसे देना । चुकाना । २. निबटाना । ३. भुलाना । भुलावे में डालना । भ्रम में डालना । भूल में डालना । ४. किसी को किसी काम के करने से रोकना । ५. मौका खोप्रा देना । ६. रुकावट डालना । चुख - (न) १. टुकड़ा । खंड । २. रूई का छोटा पहल । फाहा । चूंखो । चुग- ( न० ) पक्षियों को चुगने के लिये डाला जाने वाला नाज । चुग्गा । दाना । चुगरणो - ( क्रि०) १. चुगना । बीनना । २. पक्षियों का चोंच से दाना उठाकर खाना । चुगथ - ( न०) १. मुगल । २. मुसलमान । चुगथाळ - ( न०बहु०व०) १. यवन समूह | मुसलमान देश | चुगल - ( वि०) १. चुगलखोर । निंदक । ( न० ) १. चिलम के छेद में रखा जाने Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir से । चुगलखोर । ३८५) पुरणियो वाला गोल कंकड़। गिट्टक । गिट्टी। रखना। ३. ईंट या पत्थर को एक के २. मुसलनान। ऊपर एक रखकर दीवाल उठाना। ४. चुगलखोर-(वि०) चुगली खाने वाला ।। चुगना । बीनना। चुगल । चुणाई-(ना०) १. चुनने का काम । २. चुगळणो-(क्रि०)मुंह में इधर-उधर करते हुए चुनने की मजदूरी। किसी वस्तु को चूसते रहना। चूसना ।। चुणाणो-दे० चुणावणो। चुगलाळ-(न०बहु०व०) मुसलमान लोग। चुणाव-(न०) चुनने का काम । चुनाव । 3 २. पसंदगी। (वि०) चुगलखोर । चुणावणो-(क्रि०)चुनवाना । २ चुगवाना। चुगलियो-दे० चुगल । चुनड़ी-दे० चूनड़ी। चुगली-(ना०) १. शिकायत । २. पीठ पीछे चुनाळ-'न०) मुसलमान । की जाने वाली शिकायत । चुनियो-दे० चुणियो। चुगलीखाणो-(मुहा०)१. शिकायत करना। चुनोती-(ना०) १. ललकार । २. उत्तेजना। २. किसी की झूठी बात कहना । ३. अनु ३. चेतावनी। पस्थिति में निंदा करना। चूप-(वि०) खामोश । मौन । शांत । चुगलीखोर- दे० चुगलखोर । चुपकै-(क्रि०वि०)१. चुपचाप । चुप रहकर । चुगाणो-(क्रि०) पक्षियों को दाना डालना। २. धीरे-धीरे । ३. छिपे-छिपे । गुप्त रूप चुगाना। चुगावणो-दे० नुगाणो। चुपको-(वि०) शांत । मौन । चूगी-दे० चुग । चुपचाप-दे० चुपके। चुगो-(न०) चिड़ियों का दाना । चुग। चुपड़णो-दे० चोपड़णो। चुग्गो-दे० चुगो। चुपड़ाणो-(क्रि०) किसी वस्तु को घी-तेल चुटकलो-(न०)१. विनोद पूर्ण छोटी बात। आदि स्निग्ध पदार्थ से तर करवाना । २. विनोदपूर्ण उक्ति । चुटकला । ३. दवा चुपड़ावणो-दे० चुपड़ाणो । का गुणकारी नुसखा । फकीरी नुसखा। चुबकी-(ना०) डुबकी। गोता। चुभकी। चुटकी-(वि०) चुटकी भर । थोड़ा । (ना०) चुबकी मारणो-(मुहा०) डुबकी लगाना। १. अंगूठे और अंगुली को चिटकना। चूबी-दे० चुबकी। ... २. चिटकाने का शब्द । चुबी मारणो-दे० चुबकी मारणो। . चूट्रो-(न०) स्त्री के बालों की चोटी। चुभयो-(क्रि०) १. चुभना । बसना । २. चोटलो। खटकना। प्रखरना। ३. दिल में खटचुड़लाळी-(ना०) १. सधवा । सुहागिन । कना । व्यथा उत्पन्न करना। सौभाग्यवती स्त्री । २. पत्नी। (वि०) चुभाणो-(क्रि०) १. चुभाना। फंसाना । चूड़ा पहनी हुई। चूड़ेवाली। २: दिल में खटक उत्पन्न करवाना। चूड़लो-दे० चूड़ो। चुभावरणो-दे० चुभाणो। चुड़ेल-(ना०) १. पिशाचिनी। भूतनी। चुरड़ो-दे० चुल्लो। : . डाकण । २. क्रूर स्त्री । चुई ल। ३. चुरणियो-(न0) मानव-विष्ठा में उत्पन्न दुष्टा । (वि०) चूड़ा पहनी हुई । चुड़े ल। होने वाला एक बारीक 'कीड़ा। मनचुणगो-(त्रि०) १. चुनना। २. क्रम से कीट । विष्ठा-कीट । चुनियो । For Private and Personal Use Only Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुरळो (३८६) चूरळो-दे० चुल्लो। चुंगी-दे० चूगी। चुरस-(वि०) १. श्रेष्ठ । २. सुन्दर। चुंघावरणो-दे० चूधावणो। चुराणो-(क्रि०)चोरी करना । चुराना। चुंबक-(न०) वह पत्थर या धातु जो लोहे चुळ-(ना.) १. खुजली। २. कामेच्छा। को अपनी ओर खींचती है। (वि०) ३. अवांछनीय काम करने की प्रवृत्ति। चुंबन करने वाला। ४. इस प्रकार का काम करना जिससे चुबन-(न०) बोसा । वाल्हो । पिटाई होने की नौबत आये। चुंहटियो-(न०) चुटकी। चूंटियो । चूंग. चुळणो-(क्रि०) १. शरीर का ढीला पड़ना। टियो । शिथिल हो जाना । २. अधिक समय तक चूक-(ना०) १. भूल । गलती। त्रुटि । २. पड़े रहने के कारण हलवे, खिचड़ी आदि दोष । ऐब । ३.कसूर । अपराध । दोष । का बदबू देकर पानी छोड़ देना। ३. ४. कपटपूर्ण प्रायोजन । षड्यंत्र । ५. हिलना । खिसकना । ४. खुजली चलना। धोखा। छल । ६. छिप कर मारना। ५.पतन होना । अवनत होना । ६.सन्मार्ग घात । ६. असावधानी। ८. न्यूनता । से हटना । कुमार्ग की ओर प्रवृत्त होना। कमी। प्रथभ्रष्ट होना। चकणो-(क्रि०)१. चूकना । २. भूल जाना। चुळबुळ-(ना०) चंचलता। ३. भूल होना। ४. काम को समय पर चुळबुळो-(वि०) चंचल । . नहीं कर सकना । अवसर खोना। ४. चुळवळ-(क्रि० वि०) १. चुल्लू से। २. वंचित रहना । ६. पथ भ्रष्ट होना । ७. चुल्लू में रक्त भर कर के । (न०)१.चुल्लू । निपटना। तै होना। चुकारा होना। २. रक्त । खून । ८. कसर रखना । कमी रखना । चुळवो-दे० चुल्लो। चुळियोड़ी-(वि०) १. जिसकी जवानी ढल चूको-(न०) १. एक घास । २. एक भाजी। त गई हो। २.जिसका शरीर शिथिल हो गया । शाक । ३. तंबाकू का पत्ता । जरदो। हो (स्त्री)। ३.पथ भ्रष्ट । ४. डावांडोल । सूको। चुळियोड़ो-(वि०) १. पथ भ्रष्ट । २. विच चूची-(ना०) स्तन की घुडी। चूचुक । : लित । ३. शिथिल । कुचाग्र । बीटरगी। चूजो-(न०) मुर्गी का बच्चा। चूजा । चुल्लो-(न०) चुल्लू । चुळवो। चूड़-(ना०) १. स्त्री के हाथ का एक गहना। चुवरणों-(क्रि०) १. चुअना । टपकना । २. कलाई की चूड़ियों के आकार का रिसना । २. बूद बूद गिरना। विधवा के हाथ का एक गहना । चुसकी-(नां०) १. सुड़क कर पीने की। क्रिया। २ घूट । ३. मद्यपात्र । चुसकी। चूड़ाळी-(वि०) १. चूड़ा पहनी हुई। २. चूड़ा वाली। सौभाग्यवती । सधवा । चुस्त-(वि०) १. फुरतीला। २. मजबूत ।। सुहागरण । चुड़लाळी । चुहियो-(न) १. शरीर के किसी पीड़ित भाग को गरम शलाका द्वारा दग्ध करने चूड़ाळो-(न०) प्रसिद्ध वीर विजयराव भाटी की क्रिया । डंभन क्रिया । डाम । का विरुद। .. २. इस प्रकार जलाने से बनने वाला चूड़ी-(ना.) १. स्त्रियों के हाथ में पहिनने निशान। जाम । ठाडो। का सोने या चांदी का एक गहना । २. चुगल-(न०) पंजा। चंगुल । सौभाग्य सूचक कंकण । ३. हाथी दांत For Private and Personal Use Only Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चूड़ी उतार ( ३८७ ) परमो कांच आदि की चूड़ी। ४. कोई वृत्ताकार सधवा स्त्री। सधवा । सुहागवती । पदार्थ । ४. ग्रामोफोन का रेकॉर्ड । ५. सुहागण । २. पत्नी । ३. देवी। शक्ति । किसी कील, पेच या ढकने आदि में कसने (वि०) १. सौभाग्यवती। २. चुनरी ओढ़ी के लिये बनी हुई घुमावदार गहरी रेखाएं। हुई। चुडी-उतार-(वि०) एक दूसरे से छोटा। चूनड़ी-दे० चूदड़ी। गावदुम । (न०) एक दूसरे से क्रम में चूनड़ी मंगळ-(न०) कन्या की जन्म कुंडली छोटा होने का भाव । चूड़ियों की तरह में एक अशुभ योग । (कन्या की जन्म एक का दूसरी से छोटी होने का क्रम । कुडली में दूसरे, चौथे, पाठवें या बारहवें ढाळ-उतार । घर में पड़ा हुआ मंगल)। चूड़ीगर-(न०) हाथी दांत की चूड़ियाँ चीरने चूनाळ-(न०) १. मुसलमान । २. बीर । और बेचने वाला व्यक्ति । चुड़िहारा। ३. सिंह। दांती । चौरवियो। चूनी-(ना०) १. माणिक का छोटा दाना । चूड़ी वधणी-दे० चूड़ी वधरणी। लाल रत्न-करण । लाल,। चुन्नी । चूड़ी वधरणी- (मुहा०) चूड़ी का टूटना २. रत्न-कण । बहुत छोटा नग। (टूटना कहना अशुभ माना जाता है इस- चूनो- (10) चूना। लिये चूड़ी वघरणी या चूड़ी वधरणी कहा चूनो लगायो-(मुहा०) १. नीचा दिखाना। जाता है। ) २. ठगना । ३. कलंकित करना । चूड़ो-(न०) १. सौभाग्यवती स्त्रियों के हाथों चूनो लागणो-(मुहा०) १. बदनाम होना । __ में पहिनने का हाथी दाँत की चूड़ियों का कलंकित होना । एक गावदुम सेट । स्त्रियों का सौभाग्य चूप-(ना०) १. प्रसन्नता। २. उमंग । ३. सूचक एक भूषण । २. मंगी। उत्साह । दे० चूप। चूड़ो फूटणो-(मुहा०) १. पति का मरण चूमणो-(क्रि०) चुम्बन करना । बोसा लेना। होने पर स्त्री के हाथ की सौभाग्यसूचक व्हालो देखो। चूड़ियों का तोड़ा जाना। २. विधवा चूर-(न०) १. चूर्ण । चूर चूर । टुकड़ा। होना । सुहाग खंडित होना। २. ध्वंस । नाश । (वि०) १. बेसुध । चुडो फोडणो-(मुहा०) पति का मरण होने बेहोश । २. शिथिल । पर स्त्री के हाथ का सौभाग्य सूचक चूड़ा चूरण-(न०) १. चूर्ण । बुकनी । २. प्रौषतोड़ना। धियों का बारीक सफूफ । चूर्ण । २.चूरा। चूरण-(न०) १. पाटा । चून । २. खुराक । भूको।। ३. चर्ण । ४. पक्षी भोजन । चुगो । चूरणो-(क्रि०) १. रोटी को घी-गुड़ पादि चूत-(ना०) योनि । भग। में चूर कर चूरमा बनाना। २. बारीक चूतियो-(वि०) बेवकूफ । मूर्ख । चूरा करना ३. भींचना। दाबना। ४. चून-दे० चूण। नाश करना। ५. टुकड़े करना। " चूनगर-(न०) १. चूना बनाने वाला या चूने चूरमो-(न०) १. घी, गुड़ या चीनी के साथ का काम करने वाला व्यक्ति । २. एक रोटी प्रादि को चूर करके बनाया हुमा जाति । भोज्य पदार्थ । मधुरान्न । चूरमा । चूनड़ियाळ-(ना०) १. चुनरी ओढ़ने वाली २. बेसन की एक मिठाई । For Private and Personal Use Only Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूरी (३८) चूरी-(ना०) १. नमक, मिर्च और घी मिला चवरणो-(क्रि०) टपकना । चूना। रिसना । हुमा पापड़ का चूर्ण । २. बारीक चूरा। चूसणो-(क्रि०) १. किसी वस्तु के रस को भूकी। __ मुंह से सुड़क-सुड़क कर खींच लेना। चूरी भाटो-(न०) शीघ्र पिस जाने वाला चूसना। २. मनुचित रूप से किसी का एक मुलायम पत्थर । घीया पत्थर। धीरे धीरे माल-मत्ता हड़प कर जाना । संगेजराहत । माखरिणयो भाटो। घीयो। चूहो-(न०) चूहा । मूषक । ऊदरो। चूरो-(न०) चूर्ण । चूरा । बुरादा । भूको। चू-(न०) १. चिड़िया या चूहे के बोलने चूर्ण-दे० चूरण। ___ का शब्द । २. बहुत धीमा शब्द । 'चू' चूर्णी-(ना०) १. पाणिनि के सूत्रों का शब्द । चूकारो । पतंजलि द्वारा किया हुआ महाभाष्य। चूंक-(ना०) १. कील । २. स्त्रियों के दाँतों २. कठिन पदों की व्याख्या बताने वाली का एक आभूषण । ३. पेट का तीव्र पुस्तक । चूरिणका । ३. कविता का गद्य दर्द । पेट की ऐंठन । मरोड़। में लिखा हुआ सार । ४. कठिन पदों की चुकलो-(न०) १. शस्त्र की नोक । २. व्याख्या। ___ नोक का प्रहार। चूळ-(ना०) १. कील । २. कूल्हे की हड्डी। चूकारो-(न०) 'चू' शब्द । बहुत धीमा - चूलड़ी-(ना०) १. लोहे का बना छोटा __ शब्द । चूल्हा । २. अंगीठी । बोरसी । गोरसी। चूखो-(न०) १. रूई, ऊन आदि का छोटा चूला लाग-(न०) प्रति चूल्हे के हिसाब से पहल । २. छितराये हुए बादलों में का लिया जाने वाला एक कर । धुपावराड़। छोटा बादल । ३. निर्मल आकाश में चूलावराड़-दे० चूला लाग । छोटा बादल। चूळियो-(न०) १: बिना कब्जों वाले किंवाड़ चूगटियो-(न०) चुटकी से चमड़े को ऐंठने के ऊपर नीचे लगने वाला लोहे का एक की क्रिया। चूटियो। नौकदार भाग। नीचे का भाग एक लोहे की गणो-दे० चूघणो। ऊखली में और ऊपर का भाग एक लोहे के कड़े में लगा रहता है। किंवाड़ के वे चूंगथरणा-(नम्ब०व०) १. स्तन । बोबा । चूंगथयो-(न०) दुधमुंहा बच्चा। नकूसे जिनके सहारे किंवाड़ खड़ा रहता है, खुलता है तथा बंद होता है। २. चूंगी-(ना०) १. नगर में आने वाले माल ५ कूल्हा । पर लगने वाला महसूल । आयात कर । चूळियो उतरणो-(मुहा०) १. कूल्हे की २. कर । हड्डी का खिसक जाना। २. ऊखली में घणो-(क्रि०) स्तनपान करना । बोबो ... से किंवाड़ के चूलिये का निकल जाना। धावणो। चूले में जाणो-(मुहा०) नष्ट-भ्रष्ट होना। चूघाणो-दे० चूघावणो । चले में पड़णो-(मुहा०) नष्ट-भ्रष्ट होना। चूघावणो-(क्रि०) स्तनपान करवाना । चूलो-(न०) मिट्टी, इंटें आदि का बना एक बोबो धवाणो । उपकरण जिसमें लकड़ियां और कंडे चूंच-(वि०) १. नाराज । अप्रसन्न । २. __जलाकर उस पर भोजन पकाया जाता है। क्रोधित । ३. जोशपूर्ण । (ना०) १. चूल्हा। चूचदार पगड़ी की चूंच । २. चोंच । चूलो बळणो-(मुहा०) भोजन बनना। चांच । ३. जोश । आवेश । ४. गवं । For Private and Personal Use Only Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चूंचक ( ३८६ ) चूचक-(न०) प्रथम प्रसव के बाद पुत्री को चूथीजणो-(क्रि०) १. लूटा जाना । लूटी ससुराल भेजते समय दिये जाने वाले जरो । २. मर्दन होना। ३. मर्दन किया वस्त्र, आभूषण आदि । हलाणो । (ऐसा जाना । ४. रौंदा जाना । रिवाज है कि पुत्री का प्रथम जापा प्रायः चूंथो-(न०) १. गड़बड़ । अव्यवस्था । पीहर में कराया जाता है)। २. बिगाड़। ३. झंझट । (वि०) १. चूंचाड़ी-(ना०) जलती हुई लकड़ी को मर्दित । चूंथा हुआ । २. अव्यवस्थित । गोलाकार घुमा कर चक्र बनाने का भाव ३. झंझटवाला। या क्रिया। चूदड़ी-(ना०) स्त्रियों की लाल रंग की चूंचाणो-(क्रि०) १. ठोंकना । पीटना। तथा बेल-बूटीदार सुदर और झीनी २. रुलाना। ३. मैथुन करना। ओढ़नी । चुनरी। चूची-(ना०) १. आग। २. जलती हुई चूधळो-(वि०) छोटी और कमजोर पाखों पतली टहनी। २. स्तन का अग्र भाग। वाला। २. जिसकी दृष्टि मंद हो । चूचुक । बिटनी । बीटणी। चुधा । चूंषियो। चूंधो। चूंटणो-(क्रि०). १. अंगुली से तोड़ना चूंधियो-दे० चूघो। (फूल आदि ।) २. नोचना । उखाड़ना। चूधो-दे० चूधळो । ३. समारना । ठीक करना । (साग, पात चप-(ना०) १. स्त्रियों के दांतों का एक आदि ।) ३. शाक आदि की पत्तियाँ ___ गहना। चूक । २. स्त्रियों के हाथ की तोड़ना। चूटना । ५. चुनना। पसंद चूड़ी की मेख । ३. उत्साह । उमंग । करना। ४. चाव । ५. यत्न । ६. ध्यान । देख चूंटावणो-(क्रि०) १. चुटवाना । २.चुना. रेख । ख्याल । ७. शरीर की सजावट । जाना। शौकीनी। ८. निपुणता । कुशलता । ६. चूंटियो-(न०) १. मक्खन । २. चूंगटियो। शुद्धता । स्वच्छता। चुहटियो । चुटकी । ३. एक मिठाई। पाळो-दे० पाळो । चूंटियो चूरमो-(न0) बेसन से बनाई जाने चूप वाळो-दे० चूपाळो । वाली एक मिठाई। चूप हाळो-दे० चूपाळो। चूंटियो भरणो-(मुहा०) १. चुटकी से पाळो-(वि०) १. चतुर । दक्ष । २. चमड़ी को पकड़ कर खींचना या ऐंठना। सुघड़ । ३. उत्साही । ४. शौकीन । २. चमड़ी को ऐंठ कर दर्द पहुँचाना। चे-(अव्य०) संबंध सूचक 'चा' विभक्ति का चूटो-(न०) १. मक्खन का लौंदा । २. बहु वचन रूप । के । किसी लंबी वस्तु का शुरू या अंत का चेचक-(ना०) शीतला या माता नामक भाग । सिरा। ३. फल, शाक आदि का एक संक्रामक रोग। डंठल। चेजारो-(न०) मकान बनाने वाला व्यक्ति । चूतरी-(ना०) चबूतरी । चांतरी। राज । राजगीर । मेमार । कड़ियो । चूतरो-(न०) चबूतरा । चौंतरा। चांतरो। चेजो-(न०) १. चेजारे का काम । चुनाई। चूथ-(न०) १. मर्दन । २. लूट । ३. नाश । २. दाना । चुग्गा। चूंथरणो-(कि०) १. चूंथना। रौंदना । चेट-(न०) १. पति । स्वामी । २. दास । २. लूटना। ३. मर्दन करना । मसळपो। सेवक । ३. भाँड़ । विदूषक । ४. भड़,मा। For Private and Personal Use Only Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बैटक ( ३६० ) चेटक-(न०) महाराणा प्रताप के घोड़े का उपदेश के काव्य का एक अंग । संतवाणी नाम । २. सेवक । दास । ३. दूत। का अंग, जैसे-जीवदया रो अंग । चेतावणी चेटल-(न०) सिंह का छोटा बच्चा।। रो अंग, इत्यादि। चेटी-(ना.) १. दासी । सेविका । चेरी। चेतावणो-दे० चेतवणो । २. दूती। चेतावनी-(ना०) १. सावधान करने के लिये चेड़-(न०) मृत्यु भोज । प्रौसर । कही गई बात । चेतावरणी। २. आज्ञा चेड़ो-(न०) १. झंझट । बखेड़ा । प्राफत । का पालन न करने पर की जाने वाली २. इल्लत । दोष । ३. भूत प्रेत का कार्यवाही की सूचना । आवेश । प्रेतबाधा । चेतियोड़ो-(वि०) १. सावधान । सचेत । चेढरपो-(कि०) चिपकाना । चेपरणो। २. प्रज्वलित । चेढी-(ना०) १. पांच सौ साठ गाँवों का चेतो-(न०) १. होश । चेतना। संज्ञा । समूह । ५६० गांवों का प्रदेश । २. पाँच २. समझ। बोध । ३. सतर्कता। ४. सो साठ गांवों की जागीरी। याद । स्मृति । . चेढीमणो-(न०) १. चेढी का मालिक। चेन-(न०) १. चिन्ह । लक्षण । २. हावदे० वेढीमणो। भाव । ३. आराम । सुख । चैन । (ना०) चेत-(न०) १. सावधानी । होश । २. चेत- लड़। चेन । सकळ । नता। चेतना। ३. बोध । ज्ञान । ४. चेप-(न०) १. पीव । मवाद । रसी । २. सुध-बुध । ५. सुधि । स्मृति । दूसरे के रोग का असर । छूत । ३. चिपचेतणो-(क्रि०) १. चेतना । सावधान चिपा रस । लसदार रस । ४. बात, होना। २. अग्नि लगना । प्रज्वलित झोड़ आदि का सिलसिला । ५. प्रभाव । होना । ३. (लड़ाई) छिड़ना। असर। चेतन-(न०) १. जीवधारी । प्राणी । २. चेपरणो-(क्रि०) १. चिपकाना । २. दबाना। जीवात्मा। ३. मनुष्य । प्रादमी। ४. ३. तमाचा मारना । होश । सुध । (वि०) १. चेतना वाला। चेपाचापो-(न०) १. मुश्किल से होने वाला २. सजीव । गुजारा । २. गुजारा। चेतना-(ना०) १. बुद्धि । समझ । २. ज्ञान। चेपियोड़ो-(भू००) चिपकाया हुआ। ३. चेतनता। ४. ज्ञानात्मक मनोवृत्ति । चेपी-(वि०) १. चेपवाला। ३. चेप लगने ५. जीवन शक्ति । ६. समझ शक्ति। वाला । छूत वाला। २. चिपकने वाला। ७. होश । ४. चिकना। चेतवणो-(क्रि०) १. चेताना। सावधान चेपो-(न०) १. प्रतिबंध या किसी सूचना करना । २. याद कराना । ३. सुलगाना। के रूप में दीवाल, मकान आदि पर चिपचेताचूक-(वि०) १. बेहोश । बेसुध । २. काया जाने वाला कोई सरकारी प्राज्ञा___ व्याकुल । विकल । ३. चेतना रहित । पत्र । २. गुजारा । निर्वाह । चेपाचापो । ४. अस्थिर बुद्धि वाला। चेरी-(ना०) दासी। चेताणो-दे० चेतावणो। चेरो-(न०) दास । सेवक । चेतावणी-(ना०) १. चेतावनी । सतर्क चळ-(न०) १. वस्त्र । कपड़ा । २. प्रस्वेद। ' होने की सूचना । २. संतों की शिक्षा या पसीना । परसेवो । For Private and Personal Use Only Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चेलकाई ( ३६१ ) चोख करणो चेलकाई-(ना०) शिष्यता । चेलापना । चैर-(न०) १. खींप नामक एक क्षुप । सेवकाई। __ खींप । खोंपड़ो। २. चरका । चीरो।। चेलकी-दे० चेली। चैरको-(न०)१. चीरने का घाव । चरका । चेलको-दे० चेलो। चीरो। चीरण। २. मन को चुभने वाली चेला-चाँटी-(ना०) दास-दासी। बात । चेली-(ना०) १. चेली। शिष्या। २. दासी। चैरणो-(क्रि०) १. चीरना। काटना । २. चेलो-(न०) १. शिष्य । चेला । २. सेवक । निंदा करना । ३. कटाक्ष करना । माक्षेप दास । करना। चेळो-(न०) १. तराजू का पलड़ा । तुला- चैल-(न०) कपड़ा । वस्त्र । पट । पल्ला । २. पक्ष । चळ-(ना०) १. चहल । चहल-पहल । चेष्टा-(ना०) १. मन का भाव बताने वाली आनंदोत्सव । अंगों की गति । भावभंगी । २. परिश्रम। चै-(ना०)चिड़ियों की चहचहाट । कलरव । ३. प्रयत्न । . २. बकवाद । चेह-(न०) १. चिता । २. चिता की अग्नि । चैठ-(ना.) १. चिपकने का भाव । चिप३. श्मशान । मरघट । काव । चहट । २. प्रयत्न । कोशिश । चेहरो-(न०) १. मुख मंडल । मुख। लगन । ३. मनुहार । आग्रह । अनुरोध । मुखड़ो। २. मुखौटा । मुखोटो। ४. एक उदर रोग । चेहरो-मोहरो-(न०) सूरत-शक्ल । हुलिया। चैंठणो-(क्रि०) १. चिपकना। २. गले चैत-(न०) चैत्र मास । चैतर । पड़ना। ३. क्रोधित होकर उत्तर देना या चैतर-दे० चैत । बात करना । चहटरपो।। चैतरी-(वि०) चैत्र मास का। चैत्र मास चो-(प्रत्य०) छठी विभक्ति । संबंध कारक संबंधी। विभक्ति । का। (प्रायः काव्य में प्रयुक्त चैतरी मेळो-(न०) मेहवा और खेड़ होने वाली इस विभक्ति के चा,' 'चे' (मारवाड़ के अधिपति और प्रसिद्ध सिद्ध बहुवचन और 'ची' नारी जाति रूप हैं।) रावल मल्लिनाथ और उनकी रानी चोईस-(वि०) बीस और चार। (न०) रूपाँदे के नाम से तिलवाड़ा और थान चौबीस की संख्या, '२४' । गाँव के बीच लूणी नदी के पाट में चैत्र चोईसो-(न०) १. संवत का चौइसवाँ वर्ष । वदी ११ से चैत्र सुदी ११ तक भरा २. २४०० की सख्या । (वि०) दो हजार चार सौ । चौबीसौ । . जाने वाला एक भारत-प्रसिद्ध व्यापारिक चोप्रो-दे० चोवो। मेला । चेत्री मेला । मलीनाथजी-रो-मेळो । चोकठ-(ना०) चौखट । चैत्य-(न०) १. सीमा चिन्ह । सीमा पत्थर। __ चोकठो-(न0) चौखटो। र २. देवालय । ३. बौद्ध मंदिर ४. स्मरण चोकर-दे० थूलो। स्तंभ । स्मारक । यादगार । चोख-(न०) १. तपास । २. तलाश । ३. चैत्र-(न०) चैत्र मास । चैत । चैतर । जानकारी । ४. ठाट । तैयारी। ५. ढंग । चैत्री-दे० चैतरी। युक्ति । ६. सलीका । तहजीब । ७. चैन-(न०) १. शांति । २. सुख । पाराम । चतुराई। ३. स्वास्थ्य लाभ। चोख करणो-(मुहा०) जाँच करना। For Private and Personal Use Only Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पोख चोखतीख - ( ना० ) १. विशेषता । २. प्रतिष्ठा । चोखवट - दे० चोख । चोखा - ( न०) चावल । तंदुल । चोखाई - ( ना० ) १. पवित्रता । २. शुद्धता । स्वच्छता | चोखापन । ३. सुंदरता । ४. असलियत । ५. आडंबर । ढोंग | ६. चतुराई । ७. युक्ति । ढंग | प्रकार । ८. गुदा प्रक्षालन । ६. शौचनिवृत्ति । चोखामो - (वि०) उज्वल वर्ण का । त्रिवर्णं में का । ( न० ) १. उच्च वर्ण । २. उज्वल जाति । 1 ( ३६२ ) चोखी - (वि०) १. अच्छी । २. असली । विशुद्ध । ३. सुंदर । ४ पवित्र । ५. : ऋतुस्नाता । चोखो - (वि०) १. अच्छा । २. सुन्दर । ३. पवित्र । ४. असल । असली । विशुद्ध । ( अव्य० ) १. अस्तु । श्रच्छा । खैर । २. ठीक है । चोगान - ( न०) मैदान | चौगान । चोघरणो - ( क्रि०) १. खूब बारीकी से जाँच करना । तलाश करना। खोजना । २. धूर्तता दिखाना । चालाकी बताना । होशियारी बताना । चोघो - (वि०) १. खूब बारीकी से जाँच करने वाला । २. प्रति कुशल । निष्णात । निपुर । चतुर । ३. धूर्त । चालाक | होशियार । चोचळा - ( न०) १. नखरा । २. ढोंग । चोळी - (वि०) १. नखरे करने वाली । नखराळी । २. ढोंगी । चोचलो- (वि०) १. ढोंगी । २. नखरे बाज | नखरालो । धूर्त | चोचा - ( न०ब०व०) १. छल । कपट । धूर्तता । २. ढोंग की रुलाई । रोने का ढोंग । ३. निंदा । ४. कलह । चोचाळी- दे० चोचळी । चोटियाळी चोचाळो - (वि०) १. धूर्त । कपटी । २. ढोंगी । चोज - ( ना० ) १. शौक । २. मौज । ३. मनोरंजन । ४. उत्साह । ५. मजाक । दिल्लगी । ६. हँसाने वाली चमत्कारपूर्ण उक्ति । ७. व्यंगपूर्ण उपहास | ८. तर्क । दलील । ६. बुद्धि की सूक्ष्मता । १०. छिपाव । ११. भेद | रहस्य । १२. हँसी । हास । १३. सुंदरता । १४. कान्ति । आभा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चोजाळी - (वि०) हँसी - दिल्लगी वाली । चोजवाली । चोजाळ - ( वि०) १. मौजी । २. मजाकी । हँसी-मजाक करने वाला । चोजवाला । ३. व्यंग्य तथा परिहास से चित्त को प्रसन्न करने वाला । चोजाळो - दे० चोजाळू चोजीलो - ० चाळ | I चोजो - ( न०) १. नखरा । २. छल । कपट | चोट - ( ना० ) १. प्रहार । प्राघात । २. घाव । जख्म । ३. मानसिक व्यथा । ४. यातना । कष्ट । ५. दाँव-पेच । ६. विश्वासघात | ७. प्राक्रमण । वार । ८. एक प्रकार का तांत्रिक अभिचार । मूठ | मारण । चोट खारणो - ( मुहा० ) १. नुकसान लगना । २. प्रहार सहना । चोट मारणो - ( मुहा० ) मारण अभिचार करना | मूंठ मारणो । चोट लागरणो - ( मुहा० ) १. प्रियजन की मृत्यु होना । २. नुकसान होना । ३. चोट लगना । चोटली - दे० चोटी | चोटलो - ( न० ) १. जूड़ा । २. सिर के घ और लंबे बाल । ३. बालों की चोटी । चोटियाळ - दे० चोटियाळी । चोटियाळी - ( ना० ) १. योगिनी । २. रण For Private and Personal Use Only Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चोटियो पिशाचनी । (वि०) १. खुले केशों वाली। एक छंद जिसकी प्रत्येक पंक्ति में १६ २. चोटीवाली। __ मात्राएँ होती है । चौपाई । चउपई। चोटियो-(न०) १. राजस्थानी दोहे का एक चोपाळ--(ना०) गाँव के लोगों के पंचायत प्रकार । २. एक डिंगल गीत । ३. मुरट करने को बैठने की खुली जगह । घास की ढेरी। चोफकेर-(अव्य०) चारों ओर । चारू मेर। चोटी-(ना०) १. चोटी । शिखा । २. वेणी। चोतरफ । ३. पर्वत-शिखर । ४. नारियल के ऊपर चोफाड़-(वि०) चार भागों में चीरा हुआ। का तंतु-समूह । नारियल की जटा । ५. चोफाड़ो-दे० चोफाड़ । मोर, मुर्गे आदि पक्षियों के सिर की चोफूली-(ना०) १. एक आभूषण । २. कलगी। आक के फूल के अंदर का भाग । चोटी वढियो-(न०) वह व्यक्ति जो अपनी चोफेर-दे० चोफकेर । चोटी कटवा कर जागीरदार का वशवर्ती चोफेरी-(ना०) राजपूतों में सुहाग रात को और विश्वासु कर मुक्त (लाग-लगान मनाया जाने वाला उत्सव (अव्य०) रहित) प्रजाजन बनता था। २.मुसलमान। चारों ओर । (वि०) चोटी कटा हुआ । चुटिया चोब-(ना०) १. तंबू या शामियाने के बीच रहित । का काष्ठ का बड़ा खंभा । तंबू को खड़ा चोटीवाळो-(वि०) जिसके चोटी हो । करने का थंभा। ढोल या नगाड़े को (न०) हिन्दू । बजाने का डंडा । ३. सोने, चाँदी से मढ़ा हुमा एक डंड जिसे चोबदार राजा या चोटीवाळो तारो-(न०) धूमकेतु । पुच्छल । मठाधीशों के आगे लेकर चलता है। तारा । पूछल तारो। आसा । पासो। ४. शाक-सब्जी के पौधे चोटी हाथ में होणो-(मुहा०) कब्जे में को उखाड़ कर दूसरी जगह लगाने की होना। क्रिया । रोप। चोडोळ-(म०) १. हाथी । २. पालकी। चोबचीणी-(ना०) एक काष्ठौषधि । चोप-(ना०) १. सेवा । भक्ति । २. श्रद्धा। चोबचीनी। ३. चाव । उमंग । ४. इच्छा । (क्रि०वि०) चोबणो-(क्रि०) पौधे को एक जगह से श्रद्धा पूर्वक । उखाड़ कर दूसरी जगह लगाना । रोपरणो। चोपई-दे० चोपाई। २. डाम देना। चोपड़-(न०) १. घी, तेल आदि स्निग्ध गोवा व चोबदार-(न०) १. छड़ी दार । प्रासाबरपदार्थ । २. घी। घृत। दार। २. नकीब । ३. दरबान । द्वारपाल । चोपड़णो-(क्रि०) १. चपाती के ऊपर घी , चोभणो-(क्रि०) १. रोपना । खोंसना । फैलाना । चुपड़ना। २. किसी वस्तु के २. शाक सब्जी के पौधों को उखाड़ कर ऊपर घी-तेल आदि स्निग्ध पदार्थ को दूसरी जगह ले जाना। ३. तेल में रुई फैलाना । ३. पोतना । लीपना । चुपड़ना। भिगोकर गरम गरम सेंकना । ४. चुभाना। चोपड़ो-(न०) १. कुकुम, चंदन, अक्षत चोर-(न०) १. चोरी करने वाला । तस्कर। आदि मांगलिक वस्तुएँ रखने का एक २.एक प्रकार की नर मक्खी जो मक्खियों पात्र। . की शत्रु होती है । (वि०) प्रांतरिक भावों चोपाई-(ना.) चार पंक्तियों (चरणों) का को छिपाने पाला। For Private and Personal Use Only Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org चौर-चकार चोर - चकार - ( न०) चोर उच्चके आदि । चोरटाई - ( ना० ) १. चोरी । चौट्टाई । २. चोरी के लक्ष्ण । ३. चोरी की रीति । चट्टा ( ३६४ ) चोरटो - ( न० ) चोर । चोट्टा | ( स्त्री० चोरटी) । चोरणो(क्रि०) चुराना। चोरना । चोरी करना । चोर नट - ( न० ) नटों की एक जाति । चोरा - कूटो - ( न० ) १. बेईमानी । २. रिश्वतखोरी । ३. लूटपाट । ४. ठगाई । ठगी । चोरी-(ना०) १. चोर का काम । किसी की वस्तु को लेना । क्रिया । २. अपहरण । चोरी - चकारी- ( ना० ) चोरी लूट-खसोट छिपकर चुराने की प्रादि । चोरी - जारी - ( ना० ) १. चोरी और व्यभिचर । २. दुष्कर्म । चोळ- ( न०) १. लाल रंग का एक वस्त्र । २. लाल रंग । ३. मजीठ । ४. आमोदप्रमोद । केलि । क्रीड़ा । ५. कामक्रीड़ा | ६. रक्त । लहू । ( वि० ) १. लाल । २. संलग्न । संबद्ध | चोलरण - ( ना० ) परेशानी । हैरानी । तंग करना । खोड़ीलाई । चोलरण करणो- दे० चोलणो । चोलगो - ( क्रि०) हैरान करना । सताना । परेशान करना । खोड़ीलाई करणी । चोळणो - ( क्रि०) १. मसलना । रगड़ना । २. बार बार वही बात कहना । ( न० ) एक वस्त्र । कुरता । चोळो । चोळ-बोळ - ( वि०) १. अत्यन्त क्रोधित । २. प्रत्यन्त लाल । ३. अत्यन्त आनंदित । खूब खुश । चोळास - ( ना० ) ऊंट पर एक साथ की जाने वाली चार जनों की सवारी । चोळी - ( ना०) चोली । अँगिया । कांचळी । चौकड़ा - लगाम चीळी पंथ - ( न०) वाममार्ग । कांचळियो पंथ । चोळो - ( न०) १. कुरता । २. शरीर । देह । ३. साधुनों के पहनने का लंबा चोला । चोवो - ( न०) १. लकड़ी या नारेली के जलने से उसमें से निकलने वाला रस । चोप्रा । २. एक सुगंधित द्रव्य । चोवा । अरगजा । चोह - (ना० ) प्राँख में चोट लगने से उत्पन्न Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ललाई । चोंच - ( ना० ) १. चोंच । चंचु | चांच | कुएँ में से पानी निकालने का एक यंत्र । ढेंकली | चोंतरी - ( ना० ) चबूतरी । चोंतरो - ( न०) चबूतरा । चौ - (वि०) समास शब्द में 'चार' अर्थ का सूचक पूर्वग । चार । यथा— चौकनी, चौमासो इत्यादि । चौइस - ( विo ) बीस और चार । चौबीस | (To) चौबीस की सख्या । '२४ ' चौइसौ - ( न० ) १. चौबीसवां संवत् । २. २४०० की संख्या । (वि०) दो हजार - चार सौ । चोक - ( न०) १. घर के भीतर चौकोनी खुली जगह । २. गली बाजार की बड़ी खुली जगह । ३. चौराहा | चौहट्टा ४. पृष्ठ भाग । पीठ । ५. मैदान । चौक- चाँदणी - ( ना० ) शेखावाटी का गणेशचौथ ( भादौ शु० ४) के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला एक प्रावृटोत्सव । चौकठ - ( ना० ) चार लकड़ियों का एक ढाँचा जिसमें किंवाड़ के पल्ले जड़े रहते हैं । बारसोत । बारोक । चौकठो - ( न०) चौकोर ढाँचा | चौकोना ढाँचा | चार लकड़ियों का चौकोर ढाँचा | चौकठ | चौकड़ा - लगाम - ( ना० ) घोड़े की एक प्रकार की लगाम | For Private and Personal Use Only Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौकड़ी चौगड़दाई चौकड़ी-(ना.) १. x ऐसा चिन्ह । चौकीदार-(न०) पहरेदार । २. चार आदमियों की मंडली। ३. चार चौकीदारी-(ना०) पहरा। रखवाली। युगों का समूह या समय । ४. रसोई में चौकूट-(न०) चारों दिशाएँ । बनी हुई मेंडदार चौकोनी जगह जहाँ चौको-(न०) १. चार की संख्या । चार बैठ कर भोजन किया जाता है । चौका। '४' । चौगो। २. अगले चार दाँत । ५. हरिण की छलांग। सामने के चार दांतों का समूह । ३. भोजन चौकड़ो-(न०) १. लगाम की घोड़े के बनाने के लिये गोबर मिट्टी से लिपा हुआ मुह के अंदर रहने वाली लोहे की कड़ियाँ घर का एक भाग। ४. रसोईघर में या डंडी। २. एक प्रकार की लगाम । बनाई हुई मेंडदार चौकोनी जगह जहाँ ३. कान का एक आभूषण । बैठ कर भोजन किया जाता है । ५. रसोई चौकनी-(ना०) लंबे डंडे वाला एक कृषि घर । ६. मरणासन्न व्यक्ति को लिटाने के उपकरण जिसके आगे सींगों के समान लिये गोबर से लीप कर तैयार की हुई चार नुकीले डंडे लगे रहते हैं। चौसींगी । जगह । ७. चौथा संवत् । चौखट-दे० चौकठ । चौक पूरणो-(मुहा०) प्रांगन में मांगलिक चौखटो-दे० चौकठो। रेखा चित्रों को चित्रित करना। साथियो चौखळो-(न०) १. आस-पास के मिलते (साखियो) बणाणो। जुलते सांस्कृतिक संबंधों के कुछ गांवों का चौकरणो-दे० चौतीणो। समूह । २. आजू-बाजू के गाँवों का समूह । चौकस-(ना०) १. सावधानी । सतर्कता। परगनो । ३. मृत्यु भोज का एक सीमा२. खबर । पता । ३. तलाश । खोज । प्रकार जिसमें प्राथू-बाजू की निश्चित (वि०) सतर्क । सावधान । (क्रि०वि०) सीमा के गांवों की अपनी जाति वालों अवश्य । निश्चय । को निमंत्रित किया जाता है। चौकसाई-(ना०) १. सावधानी। खबर- चौखंडो-(वि०) १. चौकोना। २. चार दारी। २. रखवाली। निगरानी। ३. मंजिल वाला। चौडा । (न०) चार तपास । परीक्षा। खंड या मंजिल वाला मकान । चौमंजिला चौकसी-(न0)सोने-चाँदी का व्यवसाय करने मकान। वाला व्यक्तिं । सराफ । २. सराफी धंधे चौखूरणो-(वि०) १. जिसके चारों कोने के कारण किसी जाति की पड़ी हुई बराबर हों। सम-चौरस । २. चौकोना । अटक या अल्ल । दे० चौकसाई। चौखू टो। चौका-बरतन-(न०) रसोई बन जाने के चौखूट-(ना०)१. चारों दिशाएँ । २. चारों बाद बरतन मांज कर चौका लीपने का कोने । (वि०) चार कोनों वाला । काम । संजेरो। (क्रि०वि०) चारों दिशाओं में । चौकी-(ना०) १. चबूतरी। २. पहरा। चौखूटो-(वि०) १. चौकोना। चार कोनों ३. चौखूटी चबूतरी। ४. जकात चौकी। वाला । २. समचौरस । चौखूपो । चूगी चौकी । ५. थाना । ६. तोबीज । चौगट-दे० चौकठ । गंडा। ६. गले में पहिनने का एक चौगड़द-(कि०वि०) चारों ओर । प्राभूषण। चौगड़दाई-(ना०) चारों और का फैलाव । For Private and Personal Use Only Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौगणो ( ३९६ ) चौपड़ चौगणो-(वि०) चौगुना। चौगुणो। चार सौ। चौगर्द-दे० चोगड़द । चौथ-(ना०) १. पक्ष का चौथा दिन । चौगान-(न०) मैदान । चौक । पखवाड़े की चौथी तिथि । चतुर्थी । २. चौगुणो-(वि०) चार गुना । चौगुना। आमदनी का चौथा भाग जो मराठे कर चौगरणो। के रूप में लिया करते थे। ३. नफे में चौगो-(न०) चार की संख्या । चौको। चौथे भाग का राजस्व । ४. चतुर्थांश । चौघड़-(ना०) दाढ़ । चौभर । चौथाई-(ना०) चौथा हिस्सा । चतुर्थांश । चौघड़ियो-(न०) १. चतुर्घटिका। चार चौथापो-(न०) वृद्धावस्था । घड़ी का समय । २. वासर गणना के चौथो-(वि०) २. चार की संख्या वाला । अनुसार चार चार घड़ी में बदलने वाला तीसरे के बाद का । चतुर्थ । मुहूर्त । चौदस-दे० चवदस । चौड़-(न०) विनाश । संहार । चौदह-दे० चवदै। चौड़ाई-(ना०) लंबाई से भिन्न दिशा। चौदंत-(क्रि०वि०) सन्मुख । प्रामने-सामने । चौड़ाई । अरज। __ मुकाबले । (वि०) वह पशु जिसके चार चौड़े-(क्रि०वि०) प्रत्यक्ष । दिन दहाड़े। दाँत निकल आये हों। चार दांतों वाला। प्रकट रूप में। चौदंत हुणो-(मुहा०) १. प्रामने-सामने चौड़े चौगान-(अव्य०)१. खुले आम । सर्व- होना । २. मुकाबला होना । ३. मिलना। ___ साधारण में । सबके सामने । २.चौगान में। ४. भिड़ना। चौड़े-धाड़-(अव्य०) १. सबके सामने धाड़ा चौधर-(ना०) चौधरी का पद । २. चौधरी डाल कर । २. सबके सामने । खुले आम का काम । मुखियापन । ३. चौधरी को ३. दिन दहाड़े । दिन में । उसके काम के बदले में मिलने वाला चौड़े-धूपट-दे० चौड़े-धाड़े। एवजाना । चौधराई। चौड़ो-(वि०) चौड़ा। चौधरण-(ना०) १. चौधरी की पत्नी। चौडोल-(न०) १. पालकी । २. हाथी। २. जाटनी । जाट स्त्री। चौतरफ-(क्रि०वि०) चारों ओर । चौधराई-दे० चौधर। चौतरी-दे० चाँतरी। चौधरी-(न०) १. एक कृषक जाति । चौतरो-दे० चाँतरो। पटेल । पिटल । २. जाट । ३. पंच । चौताळो-(वि०) चार ताल वाला । (न०) ४. किसी जाति या समाज का मुखिया । १. मृदंग आदि का ताल विशेष । चौधाड़े-दे० चौड़े धाई। २. संगीत का एक ताल । दे० चौखळो। चौपगो-(वि०) चार पाँव वाला। (न०) चौतीणो-(न०) वह कुआँ जिस पर चार पशु । जानवर । चौपाया।। चरसों द्वारा एक साथ पानी निकाला चौपट-(न०) ध्वंस । नाश । बरबादी । जाता हो । चौलावा । चौकरो। (वि०) १. नष्ट । भृष्ट । बरबाद । २. चौतीस-(वि०) तीस और चार । (ना०) चार परत वाला । दे० चौपड़। चौतीस की संख्या । ३४ । चौपड़-(ना०) १. चौराहा । २. चौसर का चौतीसो-(न०) १. चौतीसवाँ सम्वत् । २. खेल । ३. बिसात । चौसर । (वि०) ३४०० की संख्या । (वि०) तीन हजार चार परत वाला। For Private and Personal Use Only Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौरंग चौपड़ो (३६७) चौपड़ो-(न०) १. हिसाब-बही । २. भाटों चौबोलो-(न०) एक मात्रिक छंद । की वंशावलियां लिखने और पढ़ने की चौमजलो-(वि०) चार मंजिल वाला । बही । ३. कुकुम चावल आदि मांगलिक चोखंडो। वस्तुएँ रखने का एक पात्र । चौमठ-(वि०) चारों ओर से बाँधी जाने चोपन-(वि०) पचास और चार । चौवन । वाली । जो (गठरी) चारों ओर से बांधी (न०) पचास और चार की संख्या। जा सके। (ना०) पुराने ढंग का एक संदूक । चौपनियो-(न०) १. छोटी बही । बहीनुमा चौमाळ-(न०) एक ब्राह्मण जाति । (वि०) नोट बुक । (वि०) चार पन्नों वाला। चार मंजिल वाला। चौपाई-दे० चोपाई। चौमासो-(न०) १. वर्षा ऋतु । २. वर्षा चौपानियो-दे० चौपनियो। ऋतु के चार मास । चतुर्मास । चौपायो-(न०) पशु । चतुष्पाद । चौपगो। चौमासो उतरणो-दे० चौमासो ऊठरणो। चौपाळ-दे० चोपाळ । चौमासो ऊठणो-(मुहा०) चातुर्मास का चौफकेर-दे० चौफेर । समाप्त होना। २. साधु संन्यासियों का चौफाड़-(ना०) १. चीर कर बनाये हुए चौमासे में एक जगह स्थाई रूप से रहने चार भाग । २. किसी वस्तु के किये हुए ___ की अवधि का समाप्त होना । चार भाग। (वि०) चीर कर जिसमें चौमासो करणो-(मुहा०) साधु-संन्यासियों चार भाग दिखाये गये हों। जैसे-प्रचार ___ का चौमासे में किसी एक स्थान पर वाला नींबू । स्थाई रूप से रहना। चौफाड़ियो-(वि०) चौफाड़ किया हुअा। चौमासो बैठणो-दे० चौमासो लागणो। चौफाड़ो-दे० चौफाड़ियो। चौमासो लागणो-(मुहा०) चातुर्मास का चौफूली-(ना०) १. चार पत्तियों वाला प्रारंभ होना । आसाढ़ शु० ११ से कार्तिक फूल या और कोई उपकरण । २. एक शु० ११ तक वर्षा ऋतु के चार मास प्राभूषण। चौफेर-(अव्य०) चारों ओर।। का प्रारंभ होना। चौफेरी-(क्रि०वि०) चारों ओर । (ना.) चौमासो वीतणो-(मुहा०) वर्षा ऋतु का (कुछ जातियों में) वर-वधु के प्रथम समाप्त होना । दे० चौमासो ऊठरणों ।। __ मिलन की रात्रि का नाम । चौमुखो-(वि०) १. चार मुह वाला । २. चौबार-(प्रव्य०) १. खुले में। २. खुले चार द्वारा वाला। (क्रि० वि०) चारों पोर। आम । सर्वसाधारण के सामने । चौबारो-(न०) १. चार खिड़कियों वाला चौमेर-(क्रि०वि०) चारों ओर । चौफेर । झरोखा । २. अटारी । ३. खुली बैठक। चौमेळो-(न०) १. आकस्मिक मिलन । ४. मकान की छत पर बना हुआ हवा- २. मिलन । दार कमरा । ५. चार द्वार वाला कमरा। चौरस-(न०) चतुष्कोण । समकोण । चौबीस-(वि०) बीस और चार । (न०) चतुर्भुज आकृति । (वि०) १. समतल । ___ चौबीस की संख्या । २४ । २. चौपहल । चौबो-(न०) व्रजभूमि का चतुर्वेदी ब्राह्मण। चौरंग-(न०) १. वस्त्र विशेष । २. चतुचौवा । चौबे । रंगिनी सेना। ३. युद्ध । ४. चार रंग । For Private and Personal Use Only Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौरंगी ( ३६८) छहावना ५. चार अंग। (वि०) कटे हुये हाथ चौसठ-(वि०) साठ और चार । (10) पांवों वाला । चौरंगा। चौसठ की संख्या । '६४' चौरंगो-(वि०) १. कटे हुये हाथ पांवों चौसठ जोगणी-(ना०) १. योगिनियों के वाला । चौरंगा । २. चार रंगों वाला। चौंसठ प्रकार । २. चौंसठ जाति की चौराणुनो-(न०) चौरानवाँ सम्वत् । योगनियाँ । ३. चौंसठ योगिनियों का चौराण-(न०) चौरानवे की संख्या । समूह । '६४' । (वि०) नब्बे और चार। चौसठो-(न०) सम्वत का चौंसठवां वर्ष । चौरासिया-ठाकर-(न०)१. चौगसी गांवों चौसर-(ना०) १. चतुर्दिक । चारों दिशाएँ। का जागीरदार । २. वड़ा जागीरदार। २. चौपड़ । ३. चौपड़ की बिसात । ४. चौरासियो-(न०) सदी का चौरासीवां सफेद दाढ़ी मूछे। (वि०) चार लड़ वर्ष । वाला । (क्रि०वि०) चारों ओर । चौरासी-(वि०) १. अस्सी और चार। चौसर गाहा-(ना०) एक गद्य छंद । (न०) १. चौरासी की संख्या । '८४' चौसरा-(न०) १. दाढी-मूछ के सफेद बाल । २. चौरासी लाख योनियां। ३. चौरासी वृद्धावस्था के श्वेत बाल । २. आँसू । गांवों की जागीरी। ४. चौरासी गाँवों चौसरो-(न०) १. फूलों का हार । २. चार का समूह । लड़ी का हार । ३. चौलड़ा । ४. चद्दर । चौरासी सिद्ध-(न०) चौरासी प्रकार के ५. आँसू । अश्रुधारा। चौसाको-(न०) चार कटोरों वाला साग सिद्ध महात्मा। परोसने का पात्र । चौरिसिया-(न०) ब्राह्मणों की एक अल्ल। चौसी-दे० चौसीरी। चौलड़ो (वि०) १. चार लड़ियों वाला। चौसीरी-(ना०) १. चार भाइयों की हिस्से 3 २. चार तहों वाला। दारी। २. चार हिस्से । (वि०) १. चार चौलावो-दे० चौतीणो। हिस्सों का । २. चार हिस्सेदारों का । चौवटियो-(न०) १. चौहट्ट का कर वसूल चौसीरो-दे० चौसीरी। करने वाला। २. चौहट्ट का पंच । ३. मानी। गांव का पंच । ४. चौहट्टा । चौहटो-(न०) चौहट्टा। चौवटो-(न०) १. चौहट्टा । चौराहा । २. चौहत्तर-(वि०) सत्तर और चार । (न०) बाजार। चौहत्तर की संख्या । '७४' चौवड़ो-(वि०) १. चौहरा । चौगुना । २. चौहाण-(न०) क्षत्रियों की एक शाखा । चार परत वाला। चौहान क्षत्री। चौविहार-(न०) सूर्यास्त के बाद भोजन च्यवन ऋषि-(न0) एक प्राचीन ऋषि । नहीं करने का जैन धर्म का एक नियम । च्यार-(वि०) चार। चौवीस-दे० चौबीस । च्हावणो-(क्रि०) चाहना। चौवीसो-दे० चोईसो। च्हावना-(ना०) इच्छा । चाहना। For Private and Personal Use Only Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३६६) .छगळ छ-(न०) संस्कृत परिवार की राजस्थानी पिला कर उन्मत्त बनाना। ३. ठगना । वर्ण माला के च वर्ग का तालु स्थानीय ४. धोखा देना। ५. भुलावे में डालना । दूसरा (व्यंजन) वर्ण। भुलाना। ६. अचंभे में डालना। ७. छ-(वि०) गिनती में पांच से एक अधिक। हैरान करना । तंग करना । ८. किसी को छः। (न०) छः की संख्या । '६' व्यंग्य द्वारा मूर्ख बनाना। छइ-दे० छै । (वि०) छहों । छही। छकाय-(न०) जैन मतानुसार (पृथ्वीकाय, छकायन(न०) छक-(वि०) १. तृप्त । २. आपूर्ण। ३. अपकाय, तेजकाय, वायुकाय, वनस्पतिपूर्ण । भरा हुआ । ४. मस्त । (न०) १. काय और त्रसकाय) छः जाति के जीव । शोभा । २. उत्सव । ३. समारोह। ४. . छकार-(न०) १. 'छ' वर्ण। छछो। २. सजावट । तैयारी । ५. ठाट । वैभव । हरिण । मृग । छींकियो। ६. भीड़भाड़ । ७. दल । ८. पक्ष । ६. छकारो-(न०) १. हरिण । मृग। २. तृप्ति । १०. गर्व । ११. खुमारी। १२. छोकियो हिरण । जोश । १३. कवच । १४. भाला। १५. छकावणो-दे० छकायो। छः का समूह । षटक । (पहाड़ा के अंकों छाकार-(न०) सबल । पाथय । भाता । में) यथा-एक छक-छक । बेछक बारे; छकिपारी-(ना०) खेत में काम करनेवालों तीन छक अंडार इत्यादि। (क्रि०वि०) के लिये भाता ले जाने वाली । भतवारी । चकित । विस्मित । छकिग्रारो- दे० भतवारो। छकड़-(न०) १. एक पुराना सिक्का । २. छकीली-(वि०) छकी हुई। मस्तानी । छकड़ा । __ मदमस्त । छकड़ाळ-(न०) कवच । (वि०) १. वीर । छकीलो-(वि०) छका हुआ । मदमस्त । २. जोशीला । ३. कवचधारी। ४. __ छको-दे० छक्को। भालाधारी। छकड़ाळो-(वि०)१. कवचधारी। २. भाला छक्को -(न०) १. छः का प्रांक '६' । २. घारी । ३. वीर । बहादुर । छः बूटियों वाला ताश का पत्ता । ३. छकड़ो-(न०)१.एक बैल की गाड़ी। छकड़ा। __ पासे का वह बल जिसमें छः बिंदियाँ हों। सग्गड़ । २. भार गाड़ी । ३. कवच ।। ४. छठा वर्ष (वि०सं०का०)। छकणो-(क्रि०) १. तृप्त होना । २. घमंड छग-(न०) बकरा । छाग। करना । ३. नशा चढ़ना । ४. बहकना । छगड़ी-(ना०) बकरी। ५. पूर्ण होना । भर जाना। छगड़ो-(न०) १. बकरा । २. छः का अंक। छकपूर-(न०) १. गर्व । २. नशा। छगण-'छरणग' का विपर्याय । दे० छणग । छकबंबाळ-(वि०) रक्त पूर्ण घावों से छका छगन-मगन-(न०) १. सुन्दर बच्चों की जोड़ी। २. छोटे छोटे प्यारे बच्चे। छकाणो-(क्रि०) १. खिला पिला कर तृप्त छगळ-(न०) १. बकरा । २. छोटा मशक । करना । छकाना। २. मद्य, भांग आदि चंगेरी । दीवड़ी। छागळ । छागळी । हुआ। For Private and Personal Use Only Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छगळी ( ४०० ) छडाणो करणो छगळी-दे० छागळी । छटादार-(वि०) छटा वाला। छग्गी-(ना०) छः बूटियों वाला ताश का छटाधर-(वि०) १. शोभावान । २. प्रभावपत्ता । शाली। ३. वीर । बहादुर । छग्गो-दे० छक्को। घटायत-दे० छटाधर । छछूदर-(न०) चूहे के जैसा एक जंतु ।। छटाँक-(ना०) १. सेर के सोलहवें भाग का छछोरपरण-(न०) १. अोछापन । २. बच- तोल । २. सेर का सोलहवां भाग । पन । छटूद-(न०) मेवाड़ में कर रूप में लिया छछोह-(क्रि०वि०) तीव्र गति से। अति ___ जाने वाला कृषि का छटा भाग । शीघ्रता से । (वि०) १. फुर्तीवाला । २. छटेल-दे० छंटेल । तेजस्वी । ३. सुन्दर । (न०) १. फव्वारा। २. जलकरण । छट्टी-(ना०)सवा छः का पहाड़ा । छछोहो-(वि०) १. चंचल । २. तेज । ३. छठ-(ना०)पक्ष का छठा दिन । छठी तिथि । षष्ठी वेगवान । शीघ्रगामी । ४. तेजस्वी । ५. प्रचंड । उग्र। ६. ढीला । शिथिल । छठी-(ना०) १. प्रसव के वाद की छठ (न०) १. जलकरण । बूद । २. फव्वारा। रात्रि । २. जन्म की छठी रात का ३. दुर्धर्ष योद्धा । (क्रि०वि०) १. अत्यन्त उत्सव, जिस रात्रि को विधाता शिशु के तेज गति से । २. अति शीघ्रता से । भाग्य का निर्माण करता है। ३. छठ छछ छो-(न०) 'छ' वर्ण । छकार । तिथि । ४. मृत्यु । ५. युद्ध । (वि०) छज-(ना०) १. झोंपड़े या कच्चे मकान की छठवीं । छट्ठी। छाजन । छान । २. ढक्कन । ३. विवेक। छठो-(वि०) छठवाँ । छठा। ४. बुद्धि । ५. छात । छत। छड़-(न०) १. भाला। २. छोटी बरछी । छजवाळ-(न०) १. छज्जा । २. छज्जों की ३. भाले का डंडा। पंक्ति । ३. गवाक्ष । झरोखा । गोखो। छड़करणो-(क्रि०) पानी छाँटना। (वि०) १. बुद्धिमान । २. विवेकी। छड़काव-(न०) पानी छांटने की क्रिया। छजेड़ी-(ना०) अकेली खड़ी दीवाल की छड़छबीलो-(न०) धूप, औषधि आदि में . छाजन । (वि०) छाई हुई। काम आने वाली एक जलीय सुगंधित छजेड़ो-(वि०) छाया हुआ । वनस्पति । छरीला। छज्जो-दे० छाजो। छड़णो-(क्रि०) १. कूटना । ठोंकना। २. छटकणो-(क्रि०)१. बंधन से निकल जाना। भाले से प्रहार करना। ३. अोखली में २. पकड़ी हुई वस्तु का भार या धक्के से डाल कर नाज को मूसळ से कूटना। ४. अोखली में कूट कर नाज को साफ छूट जाना । वेग के साथ दूर जाना। छटपटणो-(क्रि०) तड़पना । छटपटाना । करना । ५. छाज में फटक कर नाज को छटपटारणो-(क्रि०) १. तड़फड़ना। छट साफ करना। पटाना । २. तड़फड़ाना । छडंग-(वि०) अकेला। छटपटी-(ना०) १. अधीरता। व्यग्रता। छडाणो-(न०) १. छोड़ना । त्यागना । २. उतावली। २. छुड़ाना। छटा-(ना०) १. शोभा । कांति । २. शान। छडाणो करणो-(मुहा०) छोड़ कर चले खूबी । ३. चमक । ४. प्रभाव । जाना । भाग जाना। For Private and Personal Use Only Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घडाळ छड़ाळ-(न०)भाला । (वि०) भाले वाला। छात । पाटन । ५. होने का भाव । बचने भालाधारी। का भाव । बचत । ६. वृद्धि । ७. बहुताछड़ाळो-दे० छड़ाळ । यत । अधिकता। ८. घाव । क्षत । ६. छड़ियाळ-दे० छड़ाळ । दुख । दर्द। छड़ी-(ना०) १. हाथ में रखने की लकड़ी। छतर-(न०) मंदिर में देवता के ऊपर टंगा बेंत । २. देवमंदिर, राज दरबार, महंत रहने वाला सोने या चाँदी का छत्र । और धर्माचार्यों के चोबदार के पास रहने छतरड़ी-(ना०)१. छोटा छाता। २. छाता। वाला सोने या चांदी से मँढा हा एक छतरड़ो-(न०) छाता। लम्बा डंड । राजदंड । ३. झंझट । छतरधारी-(न०) छत्रधारी । राजा। । विवाद । छतरी-(ना०) १. जूझार और राजा की छड़ीझल-दे० छड़ीदार । चिता पर एवं साधु-महात्मा की समाधि छड़ीझाल-दे० छड़ीदार। पर बनाया जाने वाला एक प्रकार का छड़ीदार-(न०) छड़ी रखने वाला। छड़ी स्मारक भवन । गुमटी। २. छाता । बरदार । चोमवार । ३. कुकुरमुत्ता। छड़ी बरदार-दे० छड़ीदार । छताँ-(प्रव्य०) १. फिर भी। तो भी । २. छड़ीहथो-दे० छड़ीदार । ऐसा होने पर भी । ३. इसके उपरान्त । छड़ींदो-(वि०) १. अकेला । एकाकी । २. ४. होते हुये। खाली हाथ । सामान या बोझा के बिना। छती-(ना०) पृथ्वी । छरीदा । (यात्री)। छतीस-(वि०) तीस और छः । (न०) छतीस छडो-(न०) १. पांव का एक गहना । २. की संख्या। ३६ । ___ मोतियों का झुमका । (वि०) अकेला । छतीस पवन-(न०) चारों वर्ण और उनके छड्डुणो-दे० छंडणो। अंतर्गत आने वाली समस्त जातियाँ । २. छण-दे० क्षण। समस्त मानव समाज । छरणक-(न0) छन-छन का शब्द । छनक । छतीसी-(ना०) छत्तीस छंदों का काव्य । छनछनाट। छणको-दे० छणक । छतीसो-छत्तीसवाँ सम्वत् । छणग-(0) उपला । कंडा । छाणो। छतै-(अव्य०) १. होते हुये । होता था। छणरणो-क्रि०) छनना । . २. रहते हुये । रहतां थकां । ३. मौजूदगी छणदा-(ना०) रात्रि । रात । क्षणदा । में । छणाई-(ना०) १. छानने का काम । २. छता-(वि०) १. प्रत्यक्ष । प्रकर । २. छानने की मजदूरी। प्रसिद्ध । (अव्य०) १. फिर भी। तो छरणारी-दे० छाणेरी। भी । २. होता हुआ । ३. ही । : .. छरणावट-(ना.) १. तपास । जांच । २. छत्त-(ना०) दुराग्रह । हठ । दे० छत । छानने की क्रिया। छत्ती-(ना०) छाती। छरगावणो-(क्रि०) छनवाना । छत्तीस-दे० छतीस। छणियारो-दे० छाणेरो। छत्तीसो-दे० छतीसो। छत-(न०) १. देवी देवता के ऊपर रहने छत्र-(न०) १. देव मूर्तियों के ऊपर टंगा वाला छत्र । २. राज्य । ३. राजा। ४. रहने वाला सोने या चांदी का बना छाते For Private and Personal Use Only Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra छत्रछाया www.kobatirth.org ( ४०२ ) जैसा एक छोटा उपकरण । छार । २. राज चिन्ह के रूप में राजाओं के ऊपर रखा जाने वाला छाता । ३. राजा । ४. पिता । ४. छाता । छत्री । (वि०) १. श्रेष्ठ । २. ऊंचा । छत्रछाया - ( ना० ) शरण । रक्षा । आसरो । छत्रधर - (न० ) राजा । छत्रधारी - ( न० ) राजा । छत्रपति - ( न० ) मरहटों का राज्य स्थापित करने वाले वीरवर शिवाजी का विरुद और उनकी उपाधि । २. राजा । छत्रबंध - ( न० ) राजा । छत्रभंग - ( न० ) १. ज्योतिष का एक योग जिसमें राजा का नाश होता है । राजा की मृत्यु । २. माता-पिता आदि गुरुजन के मरने का योग । माता-पिता की मृत्यु । ३. पति की मृत्यु । वैधव्य । छत्राधीस - ( न० ) राजा । छप्पनगिर छदाम - ( ना० ) १. पैसे का चौथा भाग । रुपये का २५६ वाँ भाग । २. पैसे के चौथे भाग का सिक्का । ( प्राचीन) छदामभर - (श्रव्य ० ) कुछ भी नहीं । (वि०) बहुत हलका | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छद्म- ( न० ) छल-कपट । छनाछन - ( न० ) पैसे की अधिकता । धन की रेलमपेल | छनीछर - ( न० ) शनीश्वर । शनैश्चर । थावर । छपगो - ( न० ) षट्पद । भौंरा । छपरणो - ( क्रि०) १. छपना । मुद्रित होना । २. अंकित होना । छपनियो- दे० छपनियो काळ । छपनियो काळ - (न०) वि० सं० १९५६ का प्रसिद्ध भयंकर दुष्काल । छपनो - ( न०) सदी का छप्पनव वर्ष । २. वि०सं० १९५६ का प्रसिद्ध दुष्काल वर्ष । छपरियो - ( न०) १. छप्पर । २. झोंपड़ा । छत्राळ- (न०) राजा । छत्रधारी । छत्राळो - ( न०) १. राजा । २. जैसलमेर के छपरो - ( न० ) छप्पर । राजा का विरुद | छात्राळो । छत्री - ( न० ) १. छाता । २. महात्मा, राजा श्रादि बड़े पुरुषों के अग्निदाह के स्थान पर बनाई जाने वाली गुमटी । ३. स्मारक । ४. क्षत्री । क्षत्रिय । छत्रीपरगो- (To) क्षत्रियत्व | छत्रीस - दे० छतीस | छत्रीसो - दे० छतीसो । छद - ( न०) १ पत्ता । पत्र । २. कागज । ३. पाँख । ४. आच्छादन । श्रावरण । ५. कपट | छल । छंद । छदन- दे० छद । छदम - दे० छद्म । छदमस्त - (वि०) मतवाला । अलमस्त । छ दरसरण - ( न० ) षड्दर्शन । सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा तथा वेदान्तये षट्शास्त्र । छपा - ( ना० ) रात । क्षपा । छपाई - ( ना० ) १. छापने का काम । २. छापने का पारिश्रमिक | छपाको - ( न०) एक चर्म रोग | छपारगो - ( क्रि०) छपवाना | छपावरणी । छपाव - ( न०) छिपाव । दुराव । छपावणो - ( क्रि०) छपवाना | छपारगो । छप्पन - ( वि०) १. पचास और छः | २. बहुत | अधिक । अनेक । ( ५६ देश, ५६ भाषाएँ और ५६ संस्कृत के कोश ग्रंथ, इस मान्यता के आधार पर) जैसे- थार सिरसा छप्पन देखिया है । ( न० ) छप्पन की संख्या । '५६ ' छप्पनगिर - ( न० ) १. सिवाणा ( मारवाड़ ) के निकट की एक इतिहास प्रसिद्ध पर्वत श्र ेणी । छप्पन रा पहाड़ । हलदेश्वर रो पहाड़ । २. मेवाड़ की एक पर्वत श्रेणी । For Private and Personal Use Only Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छप्पन भोग । ४०३ ) छप्पन भोग-(न०) १. ठाकुरजी को चढ़ाई छमछमिया-(न०) मंजीरों की जोड़ी। जाने वाली छप्पन प्रकार की भोजन सामग्री। झाँझ जोड़ी। २. दुनियां के समस्त भोग विलास । छमछरी-(ना०) १. संवत्सरी । संवत का छप्पय-(न0) छः चरणों का एक मात्रिक व्यवहार । २. वार्षिकी व्रत या उत्सव । छंद। ३. जैनों का एक व्रतोत्सव । पर्युषण पर्व छप्पर-(न०) १. झोंपड़ा । २. छान । का अंतिम दिन । ४. मृत्यु दिवस का छाजन । (वार्षिक) श्राद्ध। छप्पर खाट-(न०)वह पलंग जिसमें मच्छर- छमंछर-(न०) सम्वत्सर । दानी लगी हो। मसेरीखाट। छमा-(ना०) क्षमा। छब-(ना०) १. छवि । तसवीर । तसबीर। छमासी-(ना०) १. मृत्यु के छः महीने बाद २. शोभा। होने वाला श्राद्ध तथा भोजन। छठे मास छबकाळो-(वि०) रंग बिरंगा। में होने वाला मृतक का श्राद्ध । (वि०) छबड़ी-(ना०) डलिया। टोकरी । छाब । १. छः मास से संबंधित । छः मास का । २. जो छः महीनों में हो गया है। छाबड़ी। छमासी-री-छाँट-(ना०) मृतक का पाणछबरणो-(न०) दरवाजे की चौखट के ऊपर मासिक श्राद्धिक लोकाचार । का पत्थर । छमासी। छबरां-छबरां-(क्रि० वि०) खूब जोर से छ (रोना)। छय-(न०) क्षय | नाश । खय । खै। छबलियो-(न०)छोटी टोकरी। छबोलियो। छर-(न०) १. हाथ । २. भुजा। ३. सिंह __ का पंजा । हत्थल । ४. प्रहार । ५. छाबड़ी। भाला। छबी-(ना०) १. तसबीर । छबि । चित्र । २. दृश्य । ३. सौंदर्य । शोभा । ४. रूप । छरड़-दे० चड़स । (चड़स का विकृत रूप ।) छरा-(ना०) कलंक । लांछन । लंछण । छबीलो-(वि०)छबीला। सुन्दर । सजीला। दूसरण । छबोलियो-दे० छबलियो। छराळो-(न०) १ वीर पुरुष । २. सिंह । छभा-(ना०) १. सभा । २. परिषद् । ३. (वि०) १. शस्त्रधारी । २. भालेवाला। समिति । छरी-दे० छुरी। छमक-दे० छमको । दे० छमछम । छरो-(न०) १. हाथ । २. भुजा । ३. सिंह छमक छमक- दे० छमछम । ___ का पंजा। हत्थल । ४. भाला। ५. छमकणो-(क्रि०) छौंकना । बघारना । तलवार । ६. छर्रा । ७. कलंक । लांछन । वघारपो। छरों-(न०) एक प्रकार की बंदूक की गोली। छमको-(न०) छौंका । बघार । वघार । बहुत छोटी गोली। छमच्छर-(न०) सम्वतसर । संवत् । छळ-(प्रव्य०) १. लिये । निमित्त । वास्ते। छमछम-(ना०) नूपुर, पायल, घुघरू आदि २. युद्ध में। (न०) १. छल । कपट । बजने का शब्द । धोखा । २. कीर्ति । ३. प्रतिष्ठा । ४. छमछमाट-(न०) १. 'छम छम' आवाज।। युद्ध विजय की कीत्ति । ५. युद्ध । ६. २. गर्व । ३. तौर। अवसर । ७. भेद । ८. क्रोध । For Private and Personal Use Only Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४० ) छळक-(ना०) छलकता हो इस तरह । हुआ। छलकन । छल्लो-(न०) १. छल्ला । अंगूठी। २. स्त्रियों छळकरणो-(क्रि०) १. छलकना। २. उम- की एक ऐसी अंगूठी जो दो अंगुलियों में ड़ना । ३. उभरना। पहनी जाती है। छळ-कपट-(न०) १. झांसा-पट्टी। छल- छव-(न०) छ: की संख्या । '६' (वि०) छः। कपट । २. धोखाधड़ी। षट। छळकारणो-(क्रि०) छलकाना । उभराना। छवाई-(ना०) १. छाने की मजदूरी । २. छळकावणो-दे० छळकाणो। छाने का काम । ३. एक शस्त्र । छळछंद-(न०) पूर्तता । कपट का व्यवहार। छवी-दे० छवीस । छळछंदी-(वि०) धूर्त । छल कपट करने छवीस-(वि०) १. एक सौ बीस । २. वाला । कपटी। छब्बीस । छळछिद्र-दे० छळछंद । छवीसी-(वि०) एक सौ बीस । छळछिद्री-दे० छळछंदी। छंग-दे० छाँग। छळ-जाग-(ना०) १. युद्ध रूपी यज्ञ । २. छंगणो-दे० छाँगणो। युद्ध भूमि । छंगास-दे० चंगास। छळणो-(क्रि०) छलना । धोखा देना। छछाळ-(न०) १. हाथी । २. घोड़ा । ३. ठगना । ठगयो। सिंह । ४. फव्वारा । ५. वायु का झोंका। छळभोम-(ना०) १. युद्धभूमि । रणक्षेत्र। (वि०) १. पागल । २. मदान्ध । २. रणकुशलता। छंछेड़गणो-(क्रि०) १. छेड़ना । २. हिलाना। छळावो-(न०) छल । धोखा । ३. सताना। ४. लगाना। सुलगाना । ५. चिढ़ाना। छळा-(अव्य०) लिये । वास्ते । छलांग-(ना०) कुदान । उछाल । फलांग ।। छंट-(ना०) १. बूद । छाँट । २. दुर्गध । (वि०) छाँटा हुआ । छटेल । चालाक । छळा-नायक-(न०) युद्धनायक । सेनापति । छळि-(प्रव्य०) संप्रदान विभक्ति । लिये। छंटणी (ना०) १. नौकरी से दूर करने के लिये छाँटने का काम । छंटनी। २. वास्ते । हेतु। छंटाई। छळियो-(वि०)१.छली । धोखेबाज । कपटी। छंटणो-(क्रि०) १. छंट कर अलग होना । २. योद्धा । जोधो। साथ छूटना । पृथक होना। २. छंटा छळी-(वि०) छल करने वाला। छलिया। जाना । चुना जाना । कपटी। छंटाई-(ना०) १. छांटने की क्रिया । २. छलीमरदो-(न०) ऊंट के पलान का एक छिड़काव । उपकरण। छंटाणो-(क्रि०) छंटवाना। छलेणी-(वि०) १. छलांग मारने वाली। छंटाव-(ना०) १. छांटने की क्रिया। २. .. २. छलने वाली । ठगनी। अलग होने या करने का कार्य । ३. छळो-(न०) १. घोड़े या गधे का मूत्र । छिड़काव । २. बकरा। . छंटावरगो-दे० छंटाणो। छलो-(न०) छल्ला। छंटेल-(वि०) १. छांटा हुआ । २. बदमाश । छलोछल-(वि०) लबालब । पूरा भरा ३. धूर्त । चालाक । For Private and Personal Use Only Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छंडणो (४०५) छागो छंडरगो-(क्रि०) १. छोड़ना । मुक्त करना। छाई-(ना०) राख । छारी । दे० छाईस । २. छूटना । मुक्त होना। छाईजणो-(क्रि०) छाया जाना । छंद-(न०) १. अक्षर और मात्राओं की छाईस-(वि०) बीस और छः । (१०) नियमबद्ध गणना के अनुसार संगठित की छब्बीस की संख्या । '२६' । हुई सार्थ पदों की विराम युक्त पंक्तियों छाक-(ना०) १. मस्ती। उन्मत्तता । २. का एक समाहार । कविता-विज्ञान । पद्य । नशा । ३. मिजाज। अहंकार । ४. तृप्ति। २. छल । कपट । धोखा । ३. अक्षरों ५. शराब पीने का प्याला । ६. प्याला की गणना के अनुसार वेदों के वाक्यों का भर शराब । ७. रक्त का प्याला जो देवी भेद । ४. वेद । छंदस । ५. डिंगल काव्य को अर्पण किया जाता है। ८. शक्ति । की एक संज्ञा । ६. स्वेछाचार । ७. चाल। ९. खेत में काम करने वाले के लिये ८. रंग-ढंग । ६. युक्ति । १०. एकांत । पहुंचाया जाने वाला भोजन । भातो। ११. पत्ता। १२. ढक्कन । १३. अभिप्राय । (वि०) १. मस्त । २. भरा हुमा । पूर्ण । १४. विष । १५. समूह । छक। छंदगारी-दे० छंदागारी। छाकटाई- (ना०) बदमाशी । लुच्चाई। छंदगारो-३० छंदागारो। छाकटो-(वि०) बदमाश । लुच्चा । 'घाटको' छंदशास्त्र-(न०) छंदों के रूप लक्षण बताने का वर्ण व्यतिक्रम। वाला शास्त्र। छाकणो-(क्रि०) १. छक जाना । पूर्ण छंदागारी-(वि०) १. छल कपट करने होना । प्रधाना। २. मस्त होना । ३. वाली । कुटिला। २. नखरे वाली। गर्व करना । फूलना। नखराली। नखराळ । ३. ऊपर का प्रेम छाकियो थको-(प्रव्य०) १. छका हुमा । दिखाने वाली । ४. प्राज्ञाकारिणी । नशा लिया हुआ । २. नशे में । ३ नशा ५. उद्यमी। लिये हुए की हालत में । ४. नशा लिया छंदागारो-(वि०) १. नखराबाज । चोचला- हुआ होने पर । बाज । २. कपटी । धोखाबाज । ३. छाग-(न०) बकरा । झूठा । ४.दुराव रखने वाला। ५.उद्यमी। छागड़-(न०) बकरा। छंदो-(न०) १. नखरा। चोचला। नाज। छागरण-दे० छारणाग । २. दिखावटी प्रेम । ३. छल। कपट। छागर-(न०) १. बकरी । २. बकरा। ४. छिपाव । दुराव। ५. उपकार, सेवा, छागरथ-(न) अग्नि । सहायता प्रादि । छागळ-(न0) बकरा। (ना०) बकरी के छंदोबद्ध-(वि०) जो छंद या पद्य के रूप में बच्चे के चमड़े से बना जल-पात्र । हो। पद्यात्मक । चंगेरी। छोटी मशक । दीवड़ी। छंदोभंग-(न०) छंद की लय या गति में छागळियो-दे० छा गळ । त्रुटि । दोषपूर्ण छंद रचना ।। छागळी-(ना०) १. बकरी। २. बकरी के छवरो-३० झमरो। बच्चे के चमड़े से बना जल-पात्र । छोटी छा-(भू०कि०) 'होणो' क्रिया का भूतकालिक मशक । दीवड़ी। बहुवचन रूप । 'छो' का बहुवचन रूप। छागळो-दे० छागळ । थे। जैसे-माया था । (माये थे)। छागी-(ना०) बकरी । For Private and Personal Use Only Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छार्छ । ४०६ ) छातीछोलो छाछ-(ना०) तक्र । छाँछ । छा । हुअा करदा। छानन । २. तरल पदार्थ छाज-(न०) १. सूप। छाज । सूपड़ो। के नीचे जमा हुप्रा करदा। कीटो। ३. छाजळो । २. छज्जा । छाजो। कचरा । कूड़ा करकट । ४. कलंक । छाजणो-(कि०) १. शोभा देना । २. योग्य लांछन । ५. अव्यावहारिक या असामाहोना। ३. छा देना। ४. ढक देना। जिक काम । ६. अपकीत्ति । ५. छाजाना। छारणबीण-(ना०) १. जाँच-परताल । २. छाजळी-(ना०) छोटा छाज । सूपड़ी। देखभाल । तलाश । छानबीन । छाजळो-दे० छाज। छाणस-(न०) १. कचरा । कंडों का चूर्ण । छाजाळो-(वि०) छज्जे वाला। ३. कंडा। गोबरी । उपला । ४. चोकर । छाजिया-(न०) १. मृतक के पीछे स्त्रियों छानस । पूलो। द्वारा छाती कूट कर रोने की क्रिया। छाणाग-(ना०) कंडों की प्राग । २. वृद्ध मृतक के पीछे गाया जाने वाला छाणारी-दे० छाणेरी। रुदन-गीत । पार। सियापो। छेड़ा। छाणेरी-(ना०) १. रसोईघर का वह भाग .पल्लो । जहाँ जलाने के कंडे रखे रहते हैं । २. छाजो-(न०) छज्जा । उपलों को चुनकर बनाया हुमा व्यवस्थित छाट-(ना०) संकट । दुख । ढेर । छाटकाई-(ना०) बदमाशी । धूर्तता । छारो-दे० छाणेरी। लुच्चाई । छाटकापरणो। छारणो-(न०) १. कडा । २. उपला । (क्रि०) छाटकापरणो-दे० छाटकाई। १. छा जाना। २. छा देना । ३. ढक छाटको-(वि०) बदमाश । लुच्चा । धूर्त । देना । ४. ढक जाना। ५. फैल जाना। छाकटो। ६. शोभा पाना। ७. रहना । निवास छाटी-(ना०) जट का बना हुआ ऊंट, बैल करना । आदि पर नाज भर कर के लादा जाने छात-(न०) १. छत्र । २. छाता। ३. राजा । वाला दो भागों वाला एक बड़ा थैला। ४. रक्षक । ५. मुकुट । (ना०) छत । जट का दुपल्ला बोरा । गूण । गूगती।। पाटन । छाड-(ना०) वमन । कै । उलटी। छातथंभ-(न०) छात का थंभा । दे० राजथंभ। छाडणो-(क्रि०) १. के करना । वमन छातरणो-(कि०) १. डूबना । २. फैलना। करना । २. छोड़ना। छोड़णो। ३. डुबाना । ४. फैलाना। छारण-(ना०) १. जाँच-परताल। छानबीन । छाती-(ना०) १. वक्षस्थल । सीना । २. निचोड़। नतीजा। ३. गोबर । ४. उराट २. स्तन । कुच । ३. हृदय । उर। कंडा । उपला । ५. कंडों का चूरा । ६. ४. हिम्मत । साहस । होयो । कचरा । करदा। छातीकूटो-(न०) १. अधिक परिश्रम और छारणग-दे० छागण । छाणाग । लाभ कम । २. व्यर्थ का परिश्रम । छारणरणो-(क्रि०) पाटा, पानी आदि को मजमारी । ३. लड़ाई-झगड़ा। कलह । ___ चलनी या कपड़े में से निकालना। छानना। ४. गृह-कलह । ५. काम का बोझा । छारणत-(वि०) १. अप्रिय । अरुचिकर। छातीछोलो-(वि०) दुखदायी । (10) २. असह्य । (ना०) १. छानने से निकला दुख । कष्ट । For Private and Personal Use Only Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छारे छाती झल्लो ( ४.७ ) छातीझल्लो-(वि०) हिम्मत वाला । करना। छापना। ३. कांटों की बाड़ साहसी । छातीवाळो। बनाने के लिये झड़बेरी की शाखाओं की छातो-(न0) छाता । छतरी। छतरड़ो। झुरमुट (पाहियों) को एक पर एक छात्र-(न०) १. क्षत्री। २. राजा। ३. जमाना। विद्यार्थी। छापर(न०) १. मैदान । २. युद्धभूमि । छात्राळ-(न०) राजा। रणक्षेत्र। छात्रालय-(न०) छात्रों के रहने का स्थान। छापाखानो-(न०) वह स्थान जहाँ पुस्तकें बोडिंग । अखबार प्रादि छापने का काम होता है । छात्राळो-(न०) १. जैसलमेर के भाटी मुद्रणालय । प्रिंटिंग प्रेस । प्रेस । राजानों का एक विरुद । २. जैसलमेर छापो-(न०) १. समाचार-पत्र । अखबार । का राजा । ३. राजा। २. छापने की कल । मुद्रण-यंत्र । ३. छान-(ना०) छप्पर । छाप । ४. मुद्रा । मुहर । ५. सांचा । छानी-(ना०) बारीक टुकड़े किये हुये घास ठप्पा । ६. कुकुम से वस्त्र पर लगाया अथवा डंठलों का चारा । कुतर । (वि०) हुप्रा हाथ का निशान । ७. किसी मुकदमे गुप्त । छिपी हुई। की सुनवाई की तारीख पर तलब के छान-(क्रि०वि०) १. गुप्त रीति से । २. लिये दरवाजे पर चिपकाया हुआ नोटिस । चुपचाप । ८. छापा । अचानक आक्रमण । छान-चुपकै-दे० छाने या छान-मान । छाब-(ना०) १. छबड़ी। डलिया । २. छान-छरकै-दे० छानो-मानो व छान-माने । छिछला पात्र । छान-मान-(क्रि०वि०) गुप्त रूप से । चोरी छाबड़ी-(ना०) टोकरी । छबड़ी । मोडी। से। छिपकर । छाने । छाबळी-दे० छावळी । छानो-(वि०) १. गुप्त । छिपा हुआ । २. छायल-(वि०) १. जो छाया हुआ है। चुप । शात । २. प्रभावशाली । ३. सामर्थ्यवान । शक्तिछानो-मानो-(क्रि०वि०) १. चुपचाप । २. मान । ४. महिमावान । ५. प्रभावित । छिपे छिपे । चोरी-चोरी । गुप्तरीति से। दबा हुआ । ६. जिस पर छाया हो । छाप-(ना०)१. प्रतिकृति । चित्र । २.ठप्पा। छायावाला। ७. ढका हुआ। ८. आक्र ३. मुहर । ४. प्रभाव । रोब । ५. दाब। मणकारी । ६. आक्रान्त । (ना०) १. एक दबाब । ६. गीत या कविता में रचना- वस्त्र । ओढ़ना। २. स्त्रियों की एक कार का नाम । प्राभोग । ७. कवि का प्रकार की कुरती। उपनाम । ८. कलंक। ६. स्त्रियों की एक छाया-(ना०) १. छाँह । छौंपा। २. परअंगूठी । १०.एक प्रकार की अंगूठी । ११. छाँई । प्रतिबिम्ब । ३. भूत-प्रेतादि का तीर्थ-स्थान में यात्रियों के बाहुमूल पर आवेश । ४. किसी चित्र की नकल । लगाई जाने वाली शंख चक्र आदि की प्रतिकृति । ५. आश्रय । ६. प्रसर । ७. मुद्रा। आँखों के नीचे आने वाली श्यामता । छापखानो-दे० छापाखानो। छारी। छापणो-(क्रि०) १. छापना । अंकित छार-(ना०) १. राख । भस्म । २. धूलि । करना। २. छापे की कल से मुद्रित रज । ३. क्षार । ४. नाश । नष्ट । For Private and Personal Use Only Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (805) arr छाररण- ( ना० ) १. राख । २. कचरा । छारंडी - ( ना० ) १. होली का दूसरा दिन । धुलेंडी । धुरेली । २. रंग, गुलाल, अबीर आदि से खेला जाने वाला होली का त्यौहार । छारी - ( ना० ) किसी वस्तु पर जमने वाली परत या पपड़ी । २. फफूंदी । ३. चहरे पर छा जाने वाली श्यामता । ४. किसी धातु को गलाने पर उसके ऊपर आने वाली मैल आदि की पपड़ी । ५. आँख पर जमने वाली पपड़ी । ६. नेत्र ज्योति को कम करने वाला एक रोग । पडल | छारोळी - नारियल की गिरी। चारोळी । दे० छारंडी । छाल - ( ना० ) १. पेड़ की शाखा का छिलका । वल्कल । २. चमड़ी । त्वचा । छाळ - ( ना० ) बकरियों का झुंड । अजा समूह । एवड़ । छाँग । छाळी - ( ना० ) बकरी | छाळी - नाहर - ( न० ) एक हिंसक पशु । छाळो - ( न०) १. व्रण । फोड़ा । छाला । २. फफोला । ३. बकरा । छावड़ो - ( न० ) १. पुत्र । २. बच्चा । छावरण - ( न०) १. तंबू । २. झोंपड़ा । छावरणी - ( ना० ) १. सेना का पड़ाव । २. सेना के रहने का स्थान । छावनी । छावरणो - ( क्रि०) १. छा देना । २. ढक देना । ३. छाना । ४. ढक जाना । ५. फैल जाना । व्याप्त होना । ६. शोभा पाना । ७. रहना । निवास करना । छावळी - ( ना० ) किसी वीर की कीर्ति को चिरस्थायी रखने का लोकगीत । २. राजस्थानी लोकगीत की एक तर्ज । ३. छोटा चंग वाद्य | बड़ी खंजरी । छावो - ( न०) १. बेटा । पुत्र । चावो । २. बच्चा | ( वि० ) १. प्रख्यात । प्रसिद्ध । ( क्रि० वि० ) प्रकट | जाहिर । प्रत्यक्ष रूप में । छक्की छासट - ( न० ) छासठ की संख्या । '६६' | ( वि०) साठ और छः । छाँ - ( क्रि० ) प्रथम पुरुष वर्तमान क्रिया 'छू' का बहुवचन रूप | हाँ । हैं । छाँग- ( ना० ) १. गाय, बकरी तथा भेड़ों एव । २. वृक्ष की टहनियों क्रिया । ३. कटी हुई को काटने की टहनियाँ | छाँगो - ( क्रि०) १. वृक्ष की बढ़ी हुई शाखाओं को काट कर छोटा करना । छाँगना । २. काटना । ३. मारना । छाँट - ( ना० ) १. बूंद । २. फुहार । ३. छाँटने - काटने की क्रिया । ४ कतरन । छाँटरा - ( न० ) १. विवाहादि मंगल अवसरों पर संबंधियों पर डाला जाने वाला रंग या रंग के छींटे । २. छींटे । छिड़काव । छाँटणो- (वि०) १. छाँटना । छिड़काव करना । छींटे फेंकना । २. अलग करना । ३. चुनना । ४. हटाना । ५. साफ करना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छाँटा छड़को- (न०) साधारण वर्षा । थोड़ी बरसात | बौछार । छाँटो - ( न० ) १. चल्लू में भर कर उछाला हुआ पानी । २. बूंद । छींटा | छाँडरगो- ( क्रि०) छोड़ना । त्यागना । छाँद - (वि०) वेद पढ़ा हुआ । छाँव दे० छाया । छाँह - दे० छाया । छाँहड़ी-दे० छाया । छि:- ( अव्य० ) घृणा सूचक शब्द । छिअंतर - ( वि०) सत्तर और छः । ( न० ) छिहत्तर की संख्या । ७६. । छिकरणो - ( क्रि०) १. लिखते समय कागज पर स्याही का फूटना या फैलना । २. काटा या मिटाया जाना । छक्की - ( ना० ) विवाह के पूर्व वर का बधू के घर और वधू का बर के घर घोड़े For Private and Personal Use Only Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org fa पर बैठ कर जलूस के साथ जाने की जाति विशेष की एक प्रथा । छिछई - (वि०) असती । कुलटा । छिनाळ । छिछळो - ( वि०) १. कम गहरा । उथला । ( ४०६ ) छिछला । २. तुच्छ । छिछोरापण - ( न०) प्रोद्यापन | क्षुद्रता । छिछोरो - ( वि०) १. श्रोछा । क्षुद्र । तुच्छ । २. छोटा । छिटकरणो - ( क्रि०) १. छितराना । २. दूर होना । ३. बिछुड़ जाना। साथ छूटना । ४. हाथ से छूट जाना । ५. हाथ से निकल जाना । वश में नहीं रहना । छिटकारणो - ( क्रि०) दे० छिटकावणो । छिटकrवरणो - ( क्रि०) १. छितराना । २. दूर कर देना । ३. साथ छोड़ देना । ४. हाथ से छोड़ देना । ५. वश में नहीं रखना। हाथ से निकाल देना । छिटपुट दे० छुटपुट | छिड़करणो - ( क्रि०) पानी छाँटना । छिड़कना । छांटो । छिड़काई - ( ना० ) दे० छिड़काव | छिड़काव - ( न० ) पानी छिड़कने का काम । छड़काव । छिड़कावरण - ( क्रि०) पानी छँटवाना | छिड़कवाना | छिड़को - दे० छिड़काव । छिड़ो - ( क्रि०) आरंभ होना । शुरू होना । (युद्ध, झगड़ा, विवाद ) आदि । छिरण - ( ना० ) क्षण । खिरण । छिरणगारो - दे० छंदगारो । छिरगो - (To) साफे का सिरा । छोगो । छित - ( ना० ) धरती । पृथ्वी । क्षिति । जमी । छितररगो - ( क्रि०) बिखरना । फैलना । छितरूह - (To) वृक्ष । क्षितिरुह । छिद्र - ( न० ) १. छेद । सुराख । ठोंडो । २. दोष । ऐब । ३. कलंक । छिन - दे० खिरा । छिदालो छिनाळ - ( वि०) १. कुलटा । छिनाल | २. व्यभिचारिणी । छिनाळो - ( न०) १. व्यभिचार । २. बदका | दुष्कर्म । छिन्न- (वि०) कटा हुआ । खंडित । छिन्न- भिन्न- ( वि० ) १. नष्ट-भ्रष्ट । २. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तितर-बितर । ३. कटा हुआ । छिन्नू - (वि०) नब्बे और छः । ( न० ) छियानवे की संख्या । ६६ । छिपकली - ( ना० ) गरोली । छिपकली । बिस्तुइया । बिसू दरी । छिपरणो - ( क्रि०) होना । छिपलो - ( न० ) १. नटने या मुकरने का भाव । नटाई । २. मुँह छिपाने या उपस्थित नहीं होने का भाव । ३. दुराव । छिपाव | छिपा - ( ना० ) रात्रि । क्षपा । रात । छिपाणो- दे० छिपावणो । छिपाव - ( न०) दुराव । छिपाव । छिपावणो - ( क्रि०) करना | कारणो । छिब - ( ना० ) १. शोभा । २ तसवीर । छिपाना | अदृश्य छबि । For Private and Personal Use Only १. छिपना । २. प्रदृश्य छिबरणो - ( क्रि०) १. स्पर्श होना । २ छूना । छिलको - ( न०) फल आदि के ऊपर का आवरण | छिलका । फोती । फोतरको । छिलरणो - ( क्रि०) १. बहुकना । २. ऊपर होकर बहना । उभलना । ३. पूरा भर जाना । उभरना । छिलना । ४. गर्व करना । ५. खरोंच लगना । छिल जाना । ६. ऊरझना । ७. उन्मत्त होना । छिछ - ( न० ) १. फव्वारा। फुहारा । २. बूंद । छींटा । ३. फुहार । झींसी । ४. ऊपर उठती हुई तेज धारा । छिदाळ - दे० छिनाळ | छिदाळो - दे० विनाको । Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org छया छिया- दे० छींश्रा । छिया- तावड़ो - ( न० ) १. एक खेल । २. छाया और धूप । ३. सुख-दुख । छियाळीस - (वि०) चालीस और छः । ( न० ) छयालीस की संख्या '४६' | छियासी - ( वि०) अस्सी और छः । ( न० ) छयासी की संख्या । ८६ । छी- ( ना० ) १. टट्टी ( बच्चे की ) ( अव्य० ) घृणा सूचक उद्गार । ( क्रि०भू०) 'होणो ' की भूतकालिक नारी जाति क्रिया । 'छो' का नारी जाति रूप । थी । ( ४१० ) छीकरणी- दे० छींकरणी । छीछालेदार - ( ना० ) छीछालेदर | दुर्दशा । छोछी - ( अव्य०) १. घृणा सूचक उद्गार | ( ना० ) टट्टी । मैला । गू। छीज - दे० छोजत | छीजणो - ( क्रि०) १. क्षीण होना । मिटना । कम होना । २. दुखी होना । ३. कमजोर होना । अशक्त होना । छीजत - ( ना० ) १. किसी वस्तु के उपयोग में लाने से होने वाली कमी । क्षति | २. कमी का एवजाना । क्षतिपूर्ति । ३. घाटा । हानि । ४. घटती । घटत । कमी । छीड़ - ( ना० ) १. भीड़ का कम होना । भीड़ में कमी । भीड़ की छँटाई । मनुष्य समूह की कमी । २. मेले का बिखराव । ३. ३. 'भीड़' का विपरीतार्थक शब्द | 'भीड़' का उलटा । छींकरणी छीदरी - ( वि०) १. फैली हुई । २. वह (छाछ) जिसमें पानी अधिक हो । ३. जो कुछ कुछ दूरी पर हो । छोरो- (वि०) १. फैला हुआ । ३. वह (वस्त्र) जिसके धागे दूर दूर तंतु वाला । छोदो । ४. जो कुछ कुछ दूरी पर हों । ५. जिसमें अधिक पानी हो । पतला । ६. चौड़ा । छीदो - ( वि०) १. फैला हुआ । छीदा । छीदरो । पसरा हुआ । २. चौड़ा । ३. लंबा-चौड़ा । ४. अलग-अलग । ५. जिसकी बुनावट घनी न हो । ६. जो घना न हो । छीनकी- दे० छिनाळ । छीना झपटी - ( ना० ) १. किसी वस्तु को छीन कर लेने की क्रिया या भाव | २. खींचातानी । छीनरगो - ( क्रि०) बलपूर्वक लेना । छीनना । छीनो- (वि०) दुखी । खिन्न । छीप-दे० सीप । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only २. छिछला । दूर दूर हों । छीपो - दे० छींपो । छीरप - ( न०) छोटा बच्चा । धावरियो । खीरप | छीलरग - ( ना० ) १. छीलने से निकले छोटे पतले छिलके या टुकड़े । छीलन । २. छीलने की क्रिया या भाव। छीलरो - ( क्रि०) १. छीलना । छिलका या छाल दूर करना । छोलणो । २. काटना । ३. खुरचना । छीण - (वि०) क्षीण । दुर्बल। ( ना० ) छत को छाने की पत्थर की लंबी पट्टी । चीरण । छीरणी - ( ना० ) छेनी । की । छीलर - ( न०) १. छिछले पानी की तलैया । खाबोचियो । २. रेजगारी । रेजगी । छीब - (वि०) मतवाला । छीतर - ( ना० ) १. छोटी पहाड़ी । २. पथरीली भूमि । छीं - ( अव्य० ) छींकने का शब्द | छा- दे० छया । बादल । छीतरी - ( ना० ) १. छोटे छोटे लहरदार छींक - ( ना० ) वेग सहित नाक से निकलने वाली हवा का एक झटका | छिक्का । छीतरी छाछ - ( ना० ) अधिक पानी मिली छींकणी - ( ना० ) सूंघने की तमाखू । सूघनी छाछ | बहुत पतली छाछ । नास । छींकनी । नाहका । Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छुहारो छींकणो ठीकगो-(क्रि०) छींक होना । छींकना। जिसे (आयु में छोटा होने अथवा अयोग्य छींकली-(ना०) छींकलो हरिण की मादा। होने आदि से) राज्य या जागीर की छींकली। हरिणी। गद्दी नशीनी का परम्परागत अधिकार न छींकलो-(न०) एक जाति का हरिण जो मिल सका हो । ३. पद और मान मर्यादा प्रायः छींकता रहता है। में वंश का छोटा व्यक्ति । ४. छोटा छींकी-(ना०) ऊँट के मुंह पर बाँधी जाने भाई । अनुज। वाली एक जाली। छुट्टी-(ना०) १. कार्यालय की ओर से नियत छींको-(न०) १. छींका । सिकहर । सीका। अवकाश दिन । तातील । २. अवकाश । २. ऊंट आदि पशुओं के मुंह पर बांधी। ३. अनुमति । ४. छुटकारा। रिहाई । जाने वाली जाली। मुक्ति । ५. चलने या जाने की अनुमति । छींट-(ना०) १. एक प्रकार का रंगा और छुड़ागो-(क्रि०) १. बंधन या उलझन से छपा हुप्रा कपड़ा। बेल बूटीदार रंगा मुक्त कराना। छुड़वाना । छोड़ावणो । हुप्रा कपड़ा । २. टुकड़ा । ३. बिखराव । २. दूसरे के अधिकार से अलग करना । छींटगो-(क्रि०) १. टट्टी जाना । हंगना ।। ३. किसी प्रवृति या अभ्यास से दूर २. पतला दस्त लगना। कराना। छीपण-(ना०)१. छींपा की स्त्री। २. छींपा छड़वाणो-दे० छुड़ाणो। जाति की स्त्री। छुद्र-(वि०) १. क्षुद्र । नीच । २. कम । छींपो-(न०) १. वस्त्र रंगने व छापने वाली अोछा। जाति का व्यक्ति । कपड़े पर बेल- छुधा-(ना०) क्षुधा । भूख । बूटा छापने वाला। छूपणो-(क्रि०) १. छिपना । लुकना । छींया-(ना०) छाया । २. लुप्त होना । छिपरणो । लुकरणो। छुवाछूत-(ना.) १. अस्पृश्यता । २. अस्पृ- छूपाणो-(क्रि०) छिपाना । छुपावणो । श्यता का सिद्धान्त या आचरण । ३. छूपावरपो-दे० छुपायो । अमुक को छुपाने न-छुपाने का विचार ।। छुरी-(ना०) चाकू । चक्कू । छरी । छूछम-(वि०) सूक्ष्म । थोड़ा । सुछम ।। छुरो-(न०) १. छुरा। बड़ी छुरी। २. छुपारो-(न०) छुहारा । खारिक । खारक। __उस्तरा । पाछपो। छूट- (वि०) छोटा। छूळकरणो-(क्रि०) रुक-रुक कर पिशाब छूटकारो-(न०) १. किसी कार्य भार से । __ करना । थोड़ा-थोड़ा मूतना । मिलने वाली मुक्ति । २. मुक्ति । रिहाई । छूळकी-(ना०) १. थोड़ा-थोड़ा पिशाब ३. अंत । छूटको। करने की क्रिया । २. ऊंट द्वारा रुक-रुक छुटपुट-(वि०) १. छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटा । कर पिशाब करने की क्रिया । या फैला हुआ । २. छोटे-छोटे पैमाने पर होने वाला । ३. इक्का-दुक्का। छूलगो-(क्रि०) चमड़ी या छिलके का अपने छुटभाई-(न०) १. राजा या जागीरदार के अंग से छूट कर अलग होना । छिलना । वंश का वह अधीनस्थ व्यक्ति जो छोटी छुवारणो-(क्रि०) छुपाना। स्पर्श कराना । जागीरी को लेकर अलग हो गया हो। अड़ाना। २. राजा यो जागीरदार का वह वंशधर छुहारो-(न०) खारक । खुरमा । छुहारा । For Private and Personal Use Only Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छेकडो । ४१२ ) छू-(अव्य) १. मंत्र पढ़ कर फूक मारने का छूतछात-दे० छुवाछूत । __ शब्द । २. गायब । छूतीवाड़ो-(न०) १. अशौच । २. स्पर्शछूट-(ना०) १. रियायत । नरमी। २. दोष । कमीशन । ३. ऋण की माफी। छूमंतर-(न०) १. जादू । छूमंतर । २. जंत्र ४. कृपा । ५. स्वतंत्रता । ६. मंत्र का प्रयोग । ३. हाथ सफाई से वस्तु तलाक । ७. अनुमति । ८. रिहाई। को गायब कर देने की क्रिया । छुटकारा । ६. कुशादगी। १०. तंगी, छू होणो-(मुहा०) गायब होना। अदृश्य संकोच अथवा मनाई का अभाव । होना। छूटक-(वि०) १. अलग-अलग २. फुटकर। छू -(क्रि०) वर्तमान कालिक 'छ' (हिंदी 'है') __ खुदरा । ३. थोक-बंद नहीं।। क्रिया का उत्तम पुरुष एकवचन रूप । हूं। छूटको-(न०) १. मुक्ति। छुटकारा । रिहाई। जैसे-म्हूं पायो छु। २. लंबी बीमारी की तकलीफ का (मत्य छू छ-(ना०) उमंग । उत्साह । हो जाने से मिलने वाला ) छुटकारा। छूछा-(न०) फल का तंतु । फल के गूदे का अंत । छुटकारो। निस्सार भाग। (वि०) १. निःसार । निःसत्व । २. खाली । रिक्त । ३. छूटछाट-(ना०) १. रियायत । नरमी। निर्धन । २. कमीशन, दलाली आदि के रूप में दी छूतको-दे० छूतरको। जाने वाली माफी। छू तरको (न०) छिलका । फोतरको । छूटगो-(क्रि०) १. छूटना। मुक्त होना। फोतरो। २. हाथ में से किसी वस्तु का गिरना। छतरो-(न०) छिलका। फोतरको । ३. बंधन दूर होना । गाँठ का खुलना। फोतरो । फोती। ४. चिपकी हुई चीज का अलग होना। छदो-(न0) किसी फल की कतलियां बना खुलना। ५. अलग होना। ६. बचना । कर या कुचल कर चीनी की चाशनी में त्राण पाना । ७. नौकरी से अलग हो बनाया जाने वाला एक प्रकार का प्रचार। जाना। ८. गोली, तीर आदि अस्त्रों का कचूमर । कबर । चलना। ६. शेष रहना। १०. इजाजत छेक-(10) १. चाकू या किसी शस्त्र की मिलना । ११. प्रसव होना। धार की रगड़ से बना घाव या दरार । छूट पल्लो-दे० छूटा-छेड़ा। चीरने का घाव । चीरा । चोरो। २. छटा छेड़ा-(न०) कायदे के अनुसार पति छेद । सुराख । ३.अंत । सीमा। ४.रद्द । पत्नी का संबंध त्याग । विवाह विच्छेद । छेकड़-(अव्य०)अंत में । आखिर में। (न0) तलाक। दरार । सुराख । छटो-(वि०)१. बंधन रहित । मुक्त । खुला। छेकडो-(न०) सुराख । दरार । २. अलग । जुदा । छेकरणो-(क्रि०)१. काटना । चीरा लगाना । छूणा-(क्रि०) १. छूना। स्पश करना। २. लिखा हुआ ठीक नहीं है ऐसा समझने सटाना । २ स्पर्श होना। के लिये उसके ऊपर लकीरें खींचना । छूत-(ना०) १. रोग संचारक वस्तु का । लिखे हुए को रद्द करना। ३. सुराख स्पर्श । छोत । २. संसर्ग । छूने का भाव।। करना । छेदना। ४. छलांग मारना । (वि०) संसर्ग से उत्पन्न । ५. भागना। For Private and Personal Use Only Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बैंकलो छेकलो-दे० छेकड़ो। छेकाछेक-(ना०) १. लिखे हुए को रद्द समझने के लिए उसके ऊपर खींची हुई लकीरें । काटा-कूटी । २. काटने चीरने का काम । छेकानुप्रास-(न0)एक अलंकार (साहित्य)। छेकियोड़ो-(वि०) लिखावट में काट-छाँट किया हुआ । लिखावट पर काट-छाँट की हुई। काटा हुआ । रद्द किया हुअा। छेको-(क्रि०वि०) शीघ्र। जल्दी। (न०) शीघ्रता । दे० छेक । छेकोक्ति-(ना०) साहित्य में एक अलंकार। छेटी-दे० छेती। छटै-(क्रि०वि०)दूर । दूरी पर । फांसले से। छेटो-(क्रि०वि०) दूर । (न०) दूरी। अंतर । छेड़-(ना०) १. छेड़छाड़ । छेड़ने का काम । २. रगड़ा । चाल । बदमाशी। ३. हँसी। दिल्लगी। मसकरी। छेड़खानी-(ना०) छेड़-छाड़। छेड़छाड़-(ना०) किसी को तंग करने या चिढ़ाने की बात या क्रिया। छेड़णी-(ना०) दे० छेड़ या छेडखानी। छेड़णो-(क्रि०) १. छेड़ना। तंग करना। २. चिढ़ाना । खिजाना । ३. किसी कार्य, - गायन या विवाद आदि को शुरु करना। छेड़ा-दे० छाजिया। छेड़ा-छेड़ी-(ना०)१. पाणिग्रहण के अवसर पर तथा भांवर लेते समय वर ओर कन्या के दुपट्टे और चुनरी दोनों के छोरों में दी जाने वाली गांठ । गठजोड़ा। गठबंधन । २. छेड़खानी। छेड़ा-छेड़ी री जात-(ना०) १. गॅठजोड़े के साथ दम्पति द्वारा की जाने वाली देव-पूजा या यात्रा । पाणिग्रहण के बाद नवदंपति का देव दर्शन को जाना। २. किसी मान्यता के उपलक्ष में दम्पति द्वारा की जाने वाली देव दर्शन की यात्रा और मेंट। छेड़ा लेणो-(मुहा०) १. वृद्ध के मरने पर उसकी कीत्ति को स्त्रियों द्वारा रोने की राग में गाना। २. वृद्ध समधी की मृत्यु पर समधिनों के द्वारा व्यंग्य या परिहास के रूप में शोक-गीत का गाना । सापा गाना । पल्ला लेणो । छेडियो-(न०) १. गले का वह आभूषण जिसके किनारों पर पोत (चीडों) या मोतियों के गुच्छे लगे हों। २. पोत या छोटे मोतियो का गुच्छा। छेड़-(क्रि०वि०) १. एक ओर । २. किनारे पर । छोर पर। छेड़ो-(न०)१ ओढ़ने या साड़ी का पल्ला । वस्त्र का छोर । २. घूघट । ३. अंत । पार । समाप्ति । ४. किनारा। अंतिम भाग । ५. सीमा । हद । ६. एक ओर । ७. रुदन का एक प्रकार । ८. मृतक के पीछे स्त्रियों का रुदन । ६. वृद्ध मृतक के पीछे स्त्रियों द्वारा रुदन राग में गाया जाने वाला शोक-गीत । छेड़ो वाळणो-(मुहा०) मृतक के पीछे रोना । (स्त्रियों का) छेणी-दे० छीणी। छेतरण-(ना०) १. कपट । छल । २. धोखा । दगा। छतरणो-(क्रि०) १. धोखा देना । ठगना । २. भुला देना। भ्रम में डालना । चकमा देना । कपेट करना। छेतरामण-(ना०) १. ठगाई । धोखा । २. भ्रांति । घोखा । भ्रम । ३. कपट । छल। ४. भूल। छेतरामणी-दे० छेतरामण । छतरीजणो-(कि०) १. धोखा खाना । ठगीजणो । २. भ्रम में पड़ना । छेती-(ना.) १. दूरी । फासला । अंतर । छेटी । २. बाधा । अड़चन । छेत्र-(न०) क्षेत्र । For Private and Personal Use Only Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४१४ ) छोगाळो छेद-(न०) १. सुराख । छिद्र । फाडो। २. छलछबीलो-(वि०) १. शौकीन । रसिक । विवर । बिल । ३. नाश । ४. दोष । सजा-धजा। छेदणो-(क्रि०) १. छेदना । छेद करना। छैलण--दे० छैली। २. नाश करना । मारना । ३. काटना। छैल वर-(न०) रसिक पुरुष । रंगीला ४. घाव करना। व्यक्ति । छेदो-(न०) १. छल । कपट । २. धोखा। __छैली-(वि०) १. बनी-ठनी । सजीली । २. छल छेलो-(वि०) सबसे अंतिम । शौकीन । ३. नखराली । छैलरण । छेलमछेलो-दे० छलछेलो। छैलो-(वि०) १. बना-ठना । सजीला। छेलो-(वि०) अंतिम । शौकीन । २. प्यारा । ३. नखराबाज । छेवट-(न०)अंत । अखीर । सेवट । (अव्य०) छो-(भू०क्रि० )सत्तार्थक क्रिया 'हुवणो' होणो को अंततः । आखिरकार । आखिर में।। और होवणो के उत्तम, मध्यम और अन्य छेवटी-(ना०) १. घोड़े की जीन । २. तीनों पुरुषों में संभाव्य (वर्तमान या भूत) पलान । काठी । पलारण । काल के दोनों वचनों का रूप । हो । था। छेवाड़ो-(न०) १. अंत । २. सोमा । ३. जैसे हूं पायो छो। थू पायो छो । ३. किनारा । छोर । वो पायो छो । (अव्य०) १. भले । अस्तु । छेह-(न०) १. दगा। विश्वासघात । २. भला। खैर । अच्छु । २. कोई बात अंत । समाप्ति । ३. किनारा। ४. थाह । नहीं । २. वाह । खूब । गहराई । ५. हानि । ६. ओर । तरफ । छेहड़ळो-दे० छेहलो। छोकरगो-(क्रि०) १. मस्त होना। २. नशे छेहड़-(अध्य०) १. एक तरफ । २. किनारे । में बेहोश होना। ३. तृप्त होना। छक जाना। छेहड़ो-दे० छेड़ो। छोकरड़ी-दे० छोकरी । (तिरस्कार शब्द) छेहलो (वि०) अंतिम । अाखिरी । छेलो। छोकरड़ो-दे० छोकरो। (तिरस्कार शब्द) छै-(क्रि०) वर्तमान कालिक क्रिया 'हुणो', छोकर बुद्धि-(वि०) बालक जैसी अल्प 'होणो' अथवा 'होवणो' (हिंदी 'होना') बुद्धि वाला । नासमझ । (ना०) १. नाका अन्य पुरुष में एक वचन और बहु समझी । लड़कपन । वचन रूप 'है' तथा 'है'। जैसे-राम छोकर मत- दे० छोकर बुद्धि । आयो छ । राम नै लछमण पाया छ। छोकरवाद-(न०) लड़कान । छैल-(न०) १. छैला । रंगीला पुरुष । २. छोकरियो-दे० छोकरड़ो। पति । प्रीतम । ३. वह जिसका प्रपिता- छोकरी- (ना०) १. बच्ची । २. लड़की । मह (परदादा) जीवित हो । मवर । कन्या । छोरी । ३. दासी। (वि०) १. प्यारा । २. रंगीला । रसिक। छोकरो-(न०)१. बालक । छोरो । बच्चा । छैला। २. पुत्र । ३. संतान । छलकड़ी-(ना०) कान के बीच में पहनी छोगाळो-(वि०) १. कलगी वाला। २. जाने वाली एक प्रकार की बाली। पगड़ी या साफे में फुदने (तुरे) वाला। छलकड़ो-(न0) पांव में पहनने का सोने छोगे वाला। ३. शौकीन । रसिक । ४. या चांदी का एक प्रकार का कड़ा। वीर । बहादुर । पर। For Private and Personal Use Only Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घोगो ( ४१५ ) छोगो-(न०)१. कलगी। २. पगड़ी यो साफे छोतरको-दे० छोती। में उठा हुआ तुरे के समान छोर । ३. छोतरो-(न०) छिलका । फोती । फोतरो । साफा के पीछे की ओर लटकने वाला छोती-(न०) छिलका । फोती। छोर । ४. तुर्रे के समान बना गोशवार। छोतो-(न०)१. घास। चारा । चार छोतो। सिरपेच । २. फूस । ३. तिनका।। छोटक्यो-(वि०) छोटा । नैनो । (न०) छो-नी-(अव्य०) भले ही। भले । भला ही। छोटा पुत्र । छोटोड़ो। छोर-(न०)१. किनारा । २. सिरा । नोक । छोटमन-(वि०) कंजूस । ___३. अंतिम सीमा। छोटाई-(ना०) १. छोटापन । लघुता । २. छोरा-रोळ-(ना०) १. नासमझो। नादानी। क्षुद्रता । अोछापन । ३. नीचता। मूर्खता । २. बच्चों का सा खेल । छोटो-(वि०) १. जो अवस्था, कद, विस्तार छोरी--(ना०) १. लड़की । छोकरी। २. पद पोर परिमाण आदि में कम हो। पुत्री। बेटी । ३. दासी । छोटा । नैनो। २. अोछा । क्षुद्र । ३. छोरू-(न०) १. संतान । पुत्र, पुत्री प्रादि । न्यून । कम । थोड़ा। २. पुत्र । ३. छोरा । बालक । ३. सेवक । छोटो-मोटो-(वि०) १. साधारण । २. (वि०) चिरंजीव । छोटा सा । ३. तुच्छ । छोरो-(न०)१. लड़का । बच्चा । छोकरो। छोड-(ना०) १. भ्रूण के स्थान गर्भाशय में २. पुत्र । बेटो। उत्पन्न होने वाला मांसपिंड । २. पौधा। छोल-(न०) १. छिलका । २. छाल । ३. छोड़णो-(क्रि०) १. छोड़ना । मुक्त करना। चमड़ी । ४. छीलन । खरोंच । ५. छौडो । २. अपराध क्षमा करना । माफ करना। छोळ-(ना.) १. लहर । तरंग । २. तेज ३. अपने अधिकार या प्रभुत्व को हटा लहर । लहर का झपट्टा । ३. प्रवाह का लेना। ४. त्यागना । त्याग करना। ५. वेग। ४. अतिवेग से बरसने वाली वर्षा । पद, कार्य अथवा अधिकार से अलग ५. बौछार । ६. उदारता । ७. उमंग । होना । ६. साथ न देना। पीछे रहने मौज । ८. प्रसन्नता । आनंद । ६. हंसी। देना। ७. किसी कार्य को भूल वश न ठट्ठा । मजाक । करना। भूल जाना। ८. अभियोग से छोळणो-(क्रि०) १. छीलना । छिलका मुक्त करना । ६. बंदूक की गोली या तीर उतारना । २. खुरचना । ३. खरादना । को चलाना । १०. गिराना। छोड़ाणो-दे० छुड़ायो। छोलदारी-(ना०) छोटा खेमा या तम्बू । छोड़ावरणो-दे० छुड़ायो । छोला-(न०) चना। छोड़ो-दे० छोडो। छोह-(न०) १. क्रोध । २. रोष । क्षोभ । छोरण-(न०) बछड़ा। ३. उत्साह । ४. जोश । ५. अनुग्रह । छोणी-(ना०) पृथ्वी । घरती। क्षोणि। दया। ६. स्नेह । प्रेम । ७. वियोग । छोत-(ना०) १. संसर्ग दोष । २. अपवित्र। छोंकर-(ना०) शमीवृक्ष । खेजड़ी। जाट । वस्तु को छूने का दोष । ३. अपवित्रता। छोतरो-(न०)छिलका । छोतरो। फोतरो। ४. अस्पृश्य को छूने का अशीच । ५. छोती-दे० छोती। अस्पृश्यता । ६. छिलका। छौ-दे० छो। For Private and Personal Use Only Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४१६) जको छोडो-(न०) १. वृक्ष की छाल । २. छाल अधिकता। २. मौज-मजा। ३. हंसी का टुकड़ा । ३. लकड़ी का छोटा टुकड़ा। मजाक । ४. प्रसन्न । खुश। कुल्हाड़ी या बँसोले से उतारा हुआ (काटा छौळीलो-(वि०) १. मौजी । लहरी । २. हुपा) लकड़ी का चपटा टुकड़ा। हँसोड़ । मसखरा। छौळ-दे० छोळ । छयासट-दे० छासट । छौळ-बौळ-(वि०) अत्यधिक । (ना.) १. छयासी-दे० छियासी। ज-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्णमाला जकड़णो-(क्रि०) १. मजबूती से पकड़ना। के चवर्ग का तीसरा वर्ण । इसका उच्चा- २. मजबूती से बाँधना । कस कर रण स्थान तालु है। बाँधना । ज-(अव्य०) १. जोर, प्रभाव, और जकड़ी-(ना०) १. गीत, भजन, लावनी या निश्चय सूचक एक शब्द । ही। २. ख्याल आदि के अंतरा के बीच में बदलने काव्य तथा गीतों में एक पाद पूरक वाली राग या लय । २ लावनी। ३. एक अक्षर । (प्रत्य०) किसी शब्द के अंत में छंद । ४. संगीत का एक ताल । संयुक्त होने पर उत्पत्ति अर्थ का वाचक जकड़ीजगो-(क्रि०)१. बंधन में आना। नर जाति प्रत्यय । जैसे---जल +ज - फँस जाना । २ बँध जाना बातचीत में)। जलज । (सर्व०) १. जिस । २. उस । ३. ठंड, चोट आदि लगने से शरीर का जइ-(क्रि०वि०) १. यदा । जब । २. यहाँ । अकड़ जाना। (अव्य०) यदि । जो। अगर । जकरण-(सर्व०) जिस । जिकरण । जिके । जइयाँ-(सर्व०) १. जिसको। (क्रि०वि०) जकरणो-(क्रि०) १. नींद में बात करना । जहाँ। __ व्यर्थ बकना । ३. चौंकना । भौछक्का जई-(क्रि०वि०)जब । (ना०) १. जौ। यव। होना । ४. चैन पड़ना । आराम मिलना। २. छः राई का तौल । ३. लंबे डंडे में जका-(सर्व०)१. स्त्री वाचक एक सर्वनाम । लगी लकड़ी की दो नोकों वाली कँटीली जो । २. सो। ३. वह । ४. उस । झाड़ी या घास आदि उठाने का कृषकों जकात-(ना०) १. चुंगी। आयात कर । का एक उपकरण । बेई । (वि०) जीतने महसूल । २. खैरात । वाला। जयी। जकात-माफी-(ना०) कर मुक्ति । महसूल जईमैण-(न०) मयरणजई । मदनजई । माफी। महादेव । जकार-(न०) 'ज' वर्ण । जक-(ना०)१. चैन । शांति । २. पाराम । जकार-(सर्व०)जिनके । जिकार । जिपार । विश्राम । जकाँरो-(सर्व०) जिनका । जिकारो । जकड़-(ना०) १. बंधन । २. पकड़ । ३. जिरणारो। (ना०) जकारी । कस कर पकड़ने या बाँधने का भाव । जकी-दे० जका। . For Private and Personal Use Only Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जगती जके-(सर्व०) १. एक बहुवचन संबंध सूचक सर्वनाम । जो। २. वे। ३. उन। ४. जिन । जको-(सर्व०) १. जो । २. सो। ३. उस। ४. वह। जकोई-(सर्व०) जिसका जिक्र या उल्लेख हुमा हो । पूर्वोक्त । वही । वह ही। जको ज-दे० जकोई। जको ही-दे० जकोई। जक्ख-(न०) यक्ष । जक्ष-(न०) यक्ष । जख-(न०) यक्ष । जख कादम-(न०) १. एक प्रकार का अंग लेप, जिसका लेप यक्ष अपने अंगों पर करते हैं । यक्ष कर्दम । २. कपूर, कस्तूरी अगर, कंकोल इत्यादि सुगंधित पदार्थों से बनाया जाने वाला एक अंग लेप । जखणी-(ना०) यक्षिणी। जखणो-(क्रि०)१. व्यर्थ बकना । २. अधिक बुखार में असंगत और व्यर्थ बकना।। जखम-(न०) १. जस्म । घाव । क्षत। २. फोड़ा। जखमायल-(वि०) जख्मी। घायल । जखमी-(वि०) जख्मी । घायल । जखराज-(न०) यक्षराज । कुबेर । जखराट-(न०) कुबेर । यक्षराज । जखवै-(न०) यक्षपति । कुबेर । जखाधीस-(न०) यक्षाधीश । कुबेर । जखाराज-(न०) कुबेर । क्षराज । जखीरो-दे० जखेरो। जखेरो-(न०) १. ढेर । राशि । जखीरा। २. कोष। जखेस-(न०) १. महादेव । शंकर । यक्षेश। २. कुबेर । यक्षेश । जखेसर-दे० जखेस । जग-(न०) १. संसार । जगत । २. यज्ञ । जगकर्ता-(न०) जगत को रचने वाला। ईश्वर । जगचख-(न०) १. सूर्य । जगच्चक्षु । जगचावो-(वि०) जग प्रसिद्ध । विश्व विख्यात । जग जणणी-(ना०)जगदंबा । जग जननी। जग जणियार-(न०) जगत्पिता। जग जाड-(ना.) जगत की जड़ता । अज्ञा नता। जगजामी-(न0) जगपिता । जगजिवास-(न०) १. जगत का जीवन । २. परमेश्वर । ३. पवन । वायु ।. . जगजेठ-(वि०) जगत में बड़ा। (न०) १. प्रख्यात वीर । २. ईश्वर । ३. संसार के बड़ों में से बड़ा। जगजेठी-दे० जगजेठ। जगजोत-(न०) १. सूर्य । जगज्योति । जगचख । २. ईश्वर । जगढाल-(न०) जगत का रक्षक । जगण-(न०) १. छंद शास्त्र में दो लघु और इनके बीच में एक गुरु ऐसे तीन अक्षरों का एक गण । २. यज्ञ । ३. अग्नि । जगणो-(क्रि०) जागना । जागणो। जगत-(न०) संसार । विश्व । दुनिया। जगतजेठ-दे० जगजेठ। जगतरण-(ना०) वेश्या । जगतप्राण-(न०) १. पवन । वायु । २. ईश्वर । जगतसेठ-(न0) अत्यन्त धनी व दानी व्यक्ति को सरकार की और से दी जाने वाली एक उपाधि । जगतंबा-दे० जगदंबा। जगति-(ना०) द्वारिका नगरी । जगती-(ना०) १. संसार। २. पृथ्वी। ३. मंदिर का तल । सतह । प्रांगन । प्लिथ । For Private and Personal Use Only Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १ ) जगत्र-(न०) १. जगत । संसार । २. जग. जगभाळरण-(ना०) १. प्रख । नेत्र । त्रय । त्रिलोक । ३. यज्ञ । ४. यज्ञमंडप । २. सूर्य । जगदंबा-(ना.) १. जगज्जननी। जगत जगमग-(न०) प्रकाश । चमक । (वि०) की माता । २. महामाया । ३. दुर्गा ।। प्रकाशमान । चमकीला । जगदाधार-(न०) ईश्वर । जगमगरगो-(क्रि०) चमकना । जगमगना। जग-दिवलो-(न०) सूर्य । जगमगाट-(ना0) चमक । जगमगाहट । जगदीश-(न०) ईश्वर । जगमिण-(न0) जगद्मणि । सूर्य । जगदीश्वर-(न०) परमात्मा । परमेश्वर । जगमोहन-(न०) १. ईश्वर । २. देवमंदिर जगदीश्वरी-(ना०) १. महामाया। जग- में गर्भगृह के सामने का स्थान । दीश्वरी । २. दुर्गा ।। जगर-(न०) १. कवच । २. अधिकार । जगदीस-(10) जगदीश । ईश्वर । वश। जगदीसर-दे० जगदीस। जगरै प्रावणो-(मुहा०) घोड़ी का ऋतु में जगदीसरी-(ना०) जगदीश्वरी। दुर्गा ।। प्रामा । घोड़ी को कामेच्छा होना । जाग . महामाया। में प्राणो । जगदुप्राळ-(न०) १. जगड्वाल । व्यर्थ का जगरो-(न०) १. शीघ्र जल उठने वाली आडम्बर । २. माया । संसार का प्रपंच। पतली टहनियों और घास आदि की जगधरणी-दे० जगदीस । छोटी राणि । शीत मिटाने के उद्देश्य से जगन-(न०) १. यज्ञ । २. महाभोज । ब्रह्म जलाने के निमित्त इस प्रकार का इकट्ठा भोज । ३. बड़ा काम । कीत्ति काम ।। किया हुआ कचरा । तृणपुज । २. घोड़ी जगनाथ-(न०) १. जगन्नाथ । परमेश्वर । का ऋतु समय । घोड़ी की कामेच्छा । २. उड़ीसा की जगन्नाथपुरी का श्रीकृष्ण जाग। का अपूर्ण दारु-विग्रह । श्री जगन्नाथपुरी जगवंद-(न०)१. जगवंदनीय । २. परमात्मा। की श्रीकृष्ण (सुभद्रा और बलभद्र के । जगवंदण-दे० जगवंद । साथ) की अर्धपूर्ण (असंपूर्ण) काष्ठमूर्ति। जगवासग-(न०) १. जगत को बसाने वाला ३. चार दिशाओं के चार धामों में पूर्व व पोषण करने वाला ईश्वर । २. जो दिशा का जगन्नाथ धाम । जशदीशपुरी । जगत में व्यापक है वह । ३. जिसके जगनाथी-(ना०) १. एक वस्त्र । २. एक । अंदर जगत बसा हुआ है वह । परमात्मा। जलपात्र। परब्रह्म। जगनामो-(न०) १. सत्कों द्वारा संसार जगवै-(न०) जगपति । ईश्वर । में रह जाने वाला अमर नाम । २. जग जगसाखी-(न०) सूर्य । जगत्साक्षी । यश । जगकीर्ति । ३. जगप्रसिद्धि । विश्वख्याति । जगहथ-(न0) समस्त जगत को विजय कर जगनण-(न०) सूर्य । अपने हाथ (अधिकार) में करने का जगन्नाथ-दे० जगनाथ । काम । जगद्विजय । दिग्विजय । जगपड़-(न०) १. पृथ्वीतल । जगतीतल। जगा-(ना०) १. स्थान । स्थल । जगह । २. पृथ्वी। जमीन । २. खाली स्थान । ३. मकान । ४. जगप्राण-दे० जगतप्राण । नौकरी । ५. पद । ओहदा । For Private and Personal Use Only Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जगाजोत जगाजोत - ( ना० ) १. अनेक दीपकों का प्रकाश । जगमगाहट । २. अनेक दीपक । दीपक माल । जगारगो - ( क्रि०) १. जगाना। नींद छुड़ाना । २. प्रज्वलित करना । ३. सावधान करना । जगात - दे० जकात | जगाती - (वि०) जकात वसूल करने वाला । (To) जकात वसूल करने वाला व्यक्ति । जगावणो - दे० जगारणो । जगीस - ( न० ) १ युद्ध । २. बड़ा यज्ञ । ३. जगदीश । ( ना० ) १. इच्छा । अभिलाषा । २. कीर्ति । यश | ( ४१६ ) जग्गार दे० जागर । जग्य - ( न० ) यज्ञ । जग्योपवीत - ( न० ) यज्ञोपवीत । जनेऊ । नोई | चरणो - ( क्रि०) १ उचित लगना । हृदय में जमना । जंचना । २. स्वीकार होना । ३. स्थिर होना । कायम होना । ४. फबना । सुंदर लगना । ५. किसी वस्तु का अन्य वस्तु से मेल खाना । जचारणो- दे० जचावणो । जचावरणो - ( क्रि०) १. जँचवाना । जाँच करवाना । २. तोल करवाना। ३. परीक्षा करवाना । ४. किसी वस्तु का किसी अन्य वस्तु से मेल बिठवाना ५. प्रतीति करवाना । ६. यथावत् मनाना । जच्चा - ( ना० ) प्रसूता स्त्री । जच्चा राणी - ( ना० ) १. पुत्र प्रसूता का महिमामय नाम । २. पुत्र प्रसव के समय गाया जाने वाला एक लोकगीत | ३. जच्चा । जच्छ - ( न० ) यक्ष । जज - ( न०) उच्च या उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश | जजरग - ( न०) १. यजन । यज्ञ । २. याग Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करण । ३. पूजन । ४. यज्ञ करने का स्थान । जजमान - ( न० ) १ यज्ञकर्त्ता । २. यज्ञानुष्ठान में दीक्षित । यजमान । ३. व्रती । ४. दक्षिणा (पारिश्रमिक ) देकर ब्राह्मण से धार्मिक क्रिया कराने वाला | ५. ब्राह्मण को दान देने वाला । जजमानी - ( ना० ) १. यजमान वृत्ति । पुरोहिती । २. किसी ब्राह्मण की किसी घर, जाति या गाँव की विवाह यादि कार्य सम्पन्न कराने की निश्चित की हुई वृत्ति । विरत । जजरंग - ( न० ) जवाट जजर - ( न० ) १. यमराज । २. एक शस्त्र । ३. वज्र । ४ झनकार । (वि०) १. जर्जरित । जीणं । २. बुढ्डा । वृद्ध | ३. शिथिल । ४. क्षतविक्षत । १. यमराज । २. सिंह | ३. वज्र । जजराग- ( न० ) १. वज्र । २. वज्राग्नि । ३. यम । काल । ४. सिंह । ५. तो जजराट - ( न० ) यमराज । जजायळ - ( ना० ) ऊंट पर कस कर चलाई जाने वाली लंबी बंदूक । शुतुरनाल । जजायळची - ( न०) जजायळ बंदूक छोड़ने वाला उष्ट्रारोही । शुतुरनाल को चलाने For Private and Personal Use Only वाला । जजियो - ( न० ) १. 'ज' वर्ण । २. एक कर जो मुसलमानी शासन काल में प्रत्येक हिन्दू से लिया जाता था । जजिया । जेजियो । जजेसर - ( न०) दे० जखेसर | जज्जो - ( न० ) 'ज' वर्णं । जकार । जज्र - ( न०) १. यमराज । २. वज्र । ३. तोप । जज्रमाथ - ( न० ) १. यमराज । जम । २. बड़ी तोप । जाट - ( न० ) यमराज । जमराज । Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जट ( ४२० ) जड़मूळे जट-(ना.) १. ऊंट व बकरी के बाल। भीतरी भाग। ऊंट या बकरी के काटे हुए बाल। जठा-(क्रि०वि०) जिधर । जहाँ । २. जटा। जठा ताँई-दे० जठालग। जटधर-(न०) महादेव । जठा तारणी-दे० जठालग। जटवाड़-(ना०) १. जाटों का मोहल्ला। जठातीरै-दे० जठापर्छ । जाटों की बस्ती। २. जाट समूह । ३. जठापछै-(क्रि०वि०) जिसके बाद । तत्पजाटों की सेना। श्चात् । जटा-(ना०) १. सिर के बड़े बाल। २. जठामहोर-(क्रि०वि०) १. जिसके पहिले । नड़, पीपल आदि वृक्षों की जड़ के समान लटकती हुई शाखामों के सिरों पर का जठालग-(क्रि०वि०) जहाँ तक । महीन गुच्छा । ३. नारियल के ऊपर का जठी-(क्रि०वि०) जिधर । जहाँ । तंतु-समूह । नारियल के ऊपर जमा जठ-(क्रि०वि०) जहाँ । जिघर । हुमा रेशा। जड़-(वि०) १. अचेतन । चेतना रहित । जटाजूट-(न०) १. बहुत बड़ी जटा । २. २. मूर्ख । (न०) १. वृक्ष लता आदि का जटा का बंधा हुआ बहुत बड़ा जूड़ा। वह भाग जो भूमि में रहता है । जड़ । जटाधर-(न०) महादेव । शिव । मूल । २. नींव । ३. आधार । आश्रय । जटाधारी-(वि०) सिर पर जटा रखने ४. कारण। ५. स्रोत । वाला। (न०) १. योगी । तपस्वी । २. जड-(न०) नाई । हज्जाम । (संकेत शब्द)। शिव । महादेव । जड़णो-(क्रि०) १. जड़ाई करना । प्राभूजटाय-(न०) जटायु । षणों के खानों या कोठों में रत्न को जटायु-(न०) रामायण में वर्णित एक कुदन की गोट लगा कर बिठाना । २. प्रसिद्ध गिद्ध । मारना। पीटना। ३. दृढ़ करना । ४. जटाळ-(न०) महादेव। ताला लगाना । ५ बंद करना । ६. स्थिर जटाळो-(न०) १. बड़ी जटा वाला साधु ।। करना। ७. अकड़ना। ८. मिलना । २. महादेव । (वि०) जटावाला। प्राप्त होना । ६. एक वस्तु में दूसरी जटाशंकरी-(ना०) गंगा । भागीरथी। वस्तु बिठाना । १०. जूते मारना । जटियो-(न०) चमड़ा साफ करने व रंगने जड़त-(ना०) कुदन की गोट लगा कर वाली जाति का व्यक्ति ।। किया जाने वाला आभूषणों में रत्नों की जटियो-कुंभार-(न०) कुम्हार जाति का जड़ाई का काम । जड़ाई । (वि०) व्यक्ति जो जट बुनने का काम करता है। जिसमें जड़ाई हुई हो। जटियो-मेघवाळ-(न०) चमड़े को साफ जड़तर-दे० जड़त । करने या रंगने वाली एक जाति या जड़धर-(ना०) कटारी । उस जाति का व्यक्ति । जड़बातोड़-(वि०) मुंहतोड़ । सचोट । जटीधू-(न०) धूर्जटि । महादेव । धूजटी। जड़बो-(न०) मुंह के ऊपर नीचे की वे जटेत-(वि०) १. युद्ध करने वाला । लड़ाकू। हड्डियां जिनमें दांत लगे रहते हैं । जबड़ा। (न०) १. शिव । महादेव । २. सिंह। जबाड़ो। जठर-(न०) १. पेट। उदर । २. पेट का जड़मूळ-दे० जड़ामूळ । For Private and Personal Use Only Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जडलंग ( ४२१) जणीक बार जड़लग-(न०) १. तलवार । २. कटार। जड़ लियो-दे० झड़ लियो। जड़ाई-(ना.) १. जड़ने का काम । २. जड़ो-(वि०) १. जड़वत । मूर्ख । २. जड़ने की मजदूरी । ३. जड़त का काम । असभ्य । अशिष्ट । ३. प्रशिक्षित । ४. जड़त। बैल, ऊंट आदि वह पशु जिसको सवारी जड़ाऊ-(वि०) वह जेवर आदि जिसमें नग की चाल नहीं सिखाई गई हो। बिना (रत्न) जड़े हों। जड़ाव वाला। जड़ा ढंग की चाल वाला । प्रदरियो। जण-(न०) १. व्यक्ति । जन । पुरुष । हुमा । जड़तवाला। जरणो। २. जन। लोक । ३. भक्त । जड़ाग-(न०) १. रत्न । मरिण । २. आभू ४. सज्जन । ५. लोक । समूह । (सर्व०) षण । ३. पुत्र । ४. घोड़ा। ५. युद्ध। जिसने । जिस । (वि०) १. महाबलशाली वीर । २. जणण-(न०) १. उत्पत्ति । जन्म । २. श्रेष्ठ। ___ संतान । ३. प्रसव । जड़ारणो-(क्रि०) १. प्राभूषणों में रत्नों जगणी-(ना०) माता । जननी । की जड़ाई करवाना। २. खिड़की या जणणो-(क्रि०) बच्चे को जन्म देना । किंवाड़ बंद करवाना। ३.ताला लगवाना। जनना। ४. प्रहार करने के लिये उकसाना। ५. जणन-दे० जिरणने । प्राप्त करवाना। ६. तलाश करवाना। जणसू-दे० जिणसू। ६. जूते मरवाना या लगवाना । ८.पिटाई जमा __ जणाणो-दे० जणावरणो। करवाना । पिटाना। जणा दीठ-(अव्य०)१. प्रति व्यक्ति । व्यक्ति जड़ामूळ-(न०) १. मूल का मुख्य साधन । वार । जड़मूल । २.मुख्य मूल । ३.मुख्य प्राश्रय। जणारजण-(न०) जनार्दन । विष्णु । ४. समस्त साधन । ५. आदि । शुरू। जणाव-(न०) जानकारी। प्रारंभ । ६. वंश । ७. वंश परम्परा। जणावणो-(क्रि०) १. जानने को प्रेरित जड़ायुज-(न०) घोड़ा। करना । जतलाना। बताना। २. प्रसव जड़ाळ-(ना०) कटारी। कार्य करना । जनमाना । ३. प्रगट करना । जड़ाली-(ना०) कटारी। जणां-(क्रि०वि०) जब । जिस समय । जड़ाव-(वि०) रत्न जड़ित । (न०) १. जरां। जदै । जव । (नम्ब०व०) जन ___ मणि-माणिक्य । २. जड़ाई का काम । समूह । (अन्य०) जनों ने । लोगों ने। जड़ावरणो-दे० जड़ाणो। जणियारी-(ना०) जन्मदातृ । माता । जड़ियो-(न०) जड़ाई का काम करने जरिणयो-(न0) पुत्र । (क्रि०भू०) जन्म दिया वाला। आभूषणों में रत्नों को जड़ने जन्मा । वाला । २. जड़ाई का काम करने वाली जणी-(ना०) १. स्त्री। नारी। जनी । जाति का व्यक्ति । जड़िया। व्यक्ति । २. माता। ३. पुत्री। (सर्व०) जड़ी-(ना०) १. जड़ी-बूटी। वनौषधि । १. जिस । २. उस । (क्रि०वि०) जब । . २. प्रौषधि के रूप में काम आने वाली जणीकै दीठ-(अव्य०) १. एक व्यक्ति को । वनस्पति की जड़ । ३. बहुत पतली मूली। २. एक एक व्यक्ति को। प्रत्येक व्यक्ति जड़ीबूटो-(ना०) वनौषधि । को । प्रतिव्यक्ति । ३. व्यक्ति की दृष्टि से। जड़ लिया-दे० झड़ लिया। जणीक वार-दे० जणीक-दीठ । For Private and Personal Use Only Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जणीको ( ४२२ ) जैथा सर्गत जणीको-(सर्व०) १. उस । २. उसका। परमपद प्राप्त करने के लिये यत्न करने (न०) पिता । बाप । (अव्य०) एक वाला संन्यासी। ४. श्री पूज-शिष्य जैन .. व्यक्ति । काई व्यक्ति । साधु । जणीको-जणीको-(सर्व०) १. जिस-जिस । जत्थो-दे० जथ्थो । २. उस-उस । (अव्य०) १. एक एक जत्र-(क्रि०वि०) जहाँ । जहाँ पर । व्यक्ति । २. प्रत्येक व्यक्ति । जथा- (ना०) १. एक अलंकार । २. डिंगल जणीती-(ना०) माता । जनीता । जनीती। गीत रचना का एक नियम । (प्रव्य०) जैसे। जणीतो-(न0) पिता । जनक । बाप । यथा । जिस प्रकार कि। उदाहरण स्वजणीरो-(सर्व०) उसका । उपरो। रूप । (वि०) जैसा । जिस प्रकार का । जणेता-दे० जणीता। जथा करतब-(प्रव्य०) कर्तव्य के अनुसार । जणै-(क्रि०वि०) जब । जिस समय । जद । यथा कर्तव्य । जरै। जथा क्रम-(अव्य०) १. क्रम के अनुसार । जणो-(न०) १. व्यक्ति । पुरुष । जन । यथा क्रम । २. कर्म के अनुसार । यथा जरण । २. पिता। कर्म । जत-(ना०) १. जन्म । २. ब्रह्मचर्य । ३. जथा जात-(वि०) मूर्ख । यथा जाति । प्रतिष्ठा । ४.जती। ५.यति । ६.यतिधर्म। जथा जोग-(प्रव्य०) १. जैसा जिस योग्य । ७.एक मुसलमान जाति । (वि) जितना। उपयुक्त । २. जो जिस योग्य । यथा योग्य । जतधार-(न०) हनुमान । जतन-(न०) १. रक्षरण । २. यत्न । ३. ३ जथा तथ-(अव्य०) यथा तथ्य । ज्यों का त्यों। प्रबंध । व्यवस्था । ४. उपाय । ५. नजर न लगने के लिये किया जाने वाला टोटका। जथाबंदी-दे० जथ्थाबंदी। ६. लाड़कोड । लाडचाव । लाड़ करने जथाबंध-दे० जथ्था बंध। का उत्साह । ७. प्रमाण । ८. सत्कार । जथामती-(अव्य०) यथामति । समझ के ६. प्रतिष्ठा । अनुसार। जतनाँ-(अव्य०) १. लिये। निमित्त । २. जथारथ-(वि०) १. यथार्थ । २. ठीक । सम्हाल करके । ३. लाड़कोड से। __उचित । योग्य । (अव्य०) जैसा उचित जतरै-(क्रि०वि०) १. जब तक । २. जितने जथारीत-(अव्य०) चालू रीति के अनुसार। यथा रीति। जतरो-(वि०) जितना । जितरो। जित्तो। जथा रुचि-(प्रव्य०) इच्छानुसार । यथाजतागो-(क्रि०) १. सूचित करना । चेताना। रुचि । २. प्रभाव दिखाना । ३. प्रभाव होना। जथावत-(प्रव्य०) जैसा था वैसा ही । ४. ज्ञात करवाना। बतलाना। यथावत । जताव-(न०) १. जताने का काम । २. जथाविध-(अन्य०) विधिपूर्वक । यथाविधि । प्रभाव । असर । ३. जानकारी। जथाशक्ति-(अव्य०) शक्ति के अनुसार । जतावणो-दे० जतायो। यथाशक्ति । जतावो-दे० जताव । जथा सकती-दे० जथा शक्ति । जती-(न०) १. यति । २. ब्रह्मचारी । ३. जथा सगत-दे० यथा शक्ति । For Private and Personal Use Only Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जथास्थान ( ४२३ ) जनमोजनम जथास्थान-(अव्य०) ठीक स्थान पर । यथा- जनखो-(न०) हिजड़ा । जनखा । हीजड़ो। स्थान । जनता-(ना०) १. प्रजा । २. सर्वसाधारण जथो-(न०)१.समूह । मुड । यूथ । जत्था। लोग। २. राशि । ढेर । ३ पक्ष । सहायकों या जननी-दे० जणणी। सवर्गों का दल । ४. साथियों या मित्रों जनपद-(न०) १. भूमि, भूमि पर बसने का दल । ५. पूजी। धन । वाले जन और जन की प्रादेशिक जीवन जथोचित-(अव्य०) जैसा या जितना उचित के रूप में विकसित संस्कृति-प्राचीन हो । यथोचित । काल के इन तीन तत्वों की एक भौगोजथ्थाबंदी-(ना०) दलबंदी। लिक तथा राजनैतिक इकाई । गणराज्य । जथ्थाबंध-(अव्य०) १. छूटक नहीं किंतु २. बस्ती । आबादी। बड़ी राशि के रूप में। (न०) १. बड़ा जनम-(न०)१. जन्म । उत्पत्ति। २.जीवन । जत्था । बड़ी राशि । २. क्रय-विक्रय की जिंदगी । थोक वस्तु । जनम पाठम-(ना०) जन्माष्टमी । भादों जथ्थो -दे० जथो। ___ कृ० ८ । श्रीकृष्ण जन्माष्टमी। जद-(क्रि०वि०) जिस समय । जब । जरा। जनम कुडळी-(ना०) जन्म समय के ग्रहजरे। योगों की काल गणना के अनुसार बनाया जदन-(अव्य०) उस दिन । जाने वाला बारह राशियों का कोठा । जदपि-(प्रव्य) यदि ऐसा है ही। यद्यपि। दे० जन्म कुंडली। अगरचे। जनम गाँठ-(ना०) १. साल गिरह । वर्ष जदि-(प्रव्य०) जो । यदि । अगर । गाँठ। जन्म दिन । २. जन्म दिन का जदी-दे० जद । उत्सव । वरस गांठ। जदुकुळ-(न०) यदुकुल । यदुवंश । जनम घूटी-(ना०) जन्मघुट्टी। जदुनंदरण-(न०) यदुनंदन । श्रीकृष्ण । जनमरणो--(क्रि०) जन्म लेना। जदुराज-(न०) यदुराज । श्रीकृष्ण । जनम दिन-(न0) जन्म तिथि । जन्म दिन । जदुवंसी-(न०) यदुवंशी। . बरस गाँठ। जदूरणो-(वि0) उस समय का। जब का। जनमपत्री-दे० जन्म पत्री। (क्रि० वि०) उस समय से। तब से। जनम भोम-(ना०) १. जन्मभूमि । २. (स्त्री० जदूणी) मातृभूमि । मातनोम । जदे-दे० जद । जनम-मरण-(न०) जन्मना और मरना जन-(न०) एक वचन समास रूप में प्रयुक्त, जन्म-मरण । जैसे-वैष्णवजन । प्रजाजन इत्यादि। जनम हारणो-(मुहा०) जन्म को व्यर्थ दे० जण (न०)। खोना । जीवन व्यर्थ गंवाना। जनक-(न०) १. भगवान राम के ससुर जनमाठम-दे० जनम आठम । विदेह जनक । भगवती सीता के पिता। जनमारो-दे० जमारो। मिथिलापुरी के महाराज जनक । २.पिता। जनमांतर-(न०) जन्मान्तर । दूसरा जन्म। जनकजा-(ना०) पीता । जानकी। जनमोजनम-(अव्य०) जन्म-जन्म में । जनकपुरी-(ना.) महाराज जनक की नगरी। २. प्रति जन्म। For Private and Personal Use Only Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir • पती जनवरी ( ४२४ ) जनवरी-(ना०) ईसवी सन् का पहला की लंबी कंठी। बदी। ३. सोने की __महीना । जानुप्रारी। लंबी कंठी। जनवासो-दे० जानीवासो। जनोईवढ़-(न०) तलवार का ऐसा प्रहार जनस-दे० जिनस । जो धड़ को जनेऊ की तरह टेढ़ा काट दे। जनाजो-(न०) मुसलमानों में मुर्दे को कब जनेब । जनेवा । लेखपवन । में गाड़ने को ले जाने की खटिया । मृतक जन्नत-(न०) स्वर्ग । की प्ररथी । अरथी । टिकची । सीटी। जन्म-दे० जनम । जनादी-(ना०) बहुत कम मूल्य के एक जन्मकुंडली-(नाo) जन्म के समयों में ग्रहों पुराने सिक्के का नाम । की स्थिति की फल ज्योतिष के अनुसार जनान खानो-(न०) अंत:पुर । रनिवास । बनाई हुई सारिणी। दे० जनम कुडळी। रणवास। जन्मपत्री-(ना०) वह पत्रिका जिसमें किसी जनानी डोढी-(ना०) रनिवास । अंतःपुर। के जन्म के समय के ग्रहों की स्थिति, जनानखाना। दशायें और अंतर्दशायें इत्यादि लिखी जनानो-(न०) १. परदे में रहने वाला स्त्री हुई रहती हैं। जन्म के बाद उत्तरोत्तर समुदाय । हरम । अंतःपुर । २. स्त्री। (भविष्य में) बनने वाले बनावों तथा पौरत । ३. पत्नी । जोरू । ४. नामर्द । लाभ-हानि को बताने वाली जन्मकुडली नपुंसक। के आधार से (ज्योतिषी के द्वारा) जनाब-(न०) श्रीमान् । महाशय । बनाई हुई पत्रिका । जन्मपत्रिका । जनारजन-(न०) १. जनार्दन । विष्णु। जन्मभूमि-(ना०) किसी के जन्म या देश २. श्रीकृष्ण। ___ का स्थान । जहाँ जन्म हुआ है वह देश जनार्दन-(न०) १. विष्णु । २. श्रीकृष्ण। या स्थान । मातृभूमि । जनावर-(न०) १. जानवर । पशु । जिना- जन्माष्टमी-दे० जनमाठम । वर । २. गदहा। ३. जीवधारी। प्राणी। जन्मांध-(वि०) जो जन्म से अंधा हो । (वि०) मूर्ख । प्रखम। जनाँ हंदा-(वि०) जिनका। जप-(न०) किसी नाम या मंत्र का रटना। जनि-(अव्य०) नहीं । मत । एक ही नाम को बार बार दोहराते रहने जनेऊ-दे० जनोई। की क्रिया । रटन । जाप । जनेत-(ना०) जनेता। (न०) बराती। जपजाप-दे० जप । जनेता-(न०) माता। जनित्रि । जनीता। जपणी-(ना०) १. जपमाला। माला । जरणीती। २. गोमुखी। जनेती-(न०) बराती । जानियो। जपणो-(क्रि०)१. जप करना । जपना । २. जनेब-(ना०) १. तलवार । २. तलवार कहना । ३. बोलना । उच्चारण करना । का वह प्रहार जो कंधे पर पड़ कर तिरछे ४ शांत होना । बकवाद बंद करना। . बल कमर तक काट करे। जनेऊ की जपत-(दे०) जन्त । तरह तिरछा प्रहार । जनेवा । जप-तप-(न०) जप और तप । तपस्या और जनोई-(ना०) १. यज्ञोपवीत । जनेऊ। ईश्वर के नाम का जपन । २. जामे के ऊपर पहनने की एक प्रकार जपती-(ना०) १. जन्ती । २. कुर्की। For Private and Personal Use Only Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जपमाळा ( ४२५ ) जमडाँढे जपमाळा-(ना०) मंत्रजाप गिनने की बोली । ३. वचन । प्रतिज्ञा । ४. भाषा। माला । जप करने या गिनने की माला। जबानी-(वि०) १. कंठस्थ । कंठान । २. माळा । सुमिरनी । तसबीह । सुमरणी। मौखिक । ३. जो कहा गया हो पर जपियो-(वि०) १. जप करने वाला । (न०) लिखित न हो। दक्षिणा या पारिश्रमिक लेकर यजमान के जबाब-(न०) १. उत्तर । जवाब । २. कल्याणार्थ किसी मंत्र का जप करने मुकाबला। सामना । ३. बदला। प्रतिकार। वाला। २. ब्राह्मण । जबाबदार-(वि०) १. जिम्मेदार । २.जवाब जबक-(ना०) प्रहार । चोट । जरक। देने वाला। जबर-(वि०) १. जबरदस्त । २. साहसी। जबाबदारी-(नाo) जिम्मेदारी । उत्तर३. पक्का । दृढ़ । दायित्व । जबरजस्त-दे० जबरो। जबाबदावो-(न०) मुदायले की ओर से जबरजस्ती-(ना०) जबरदस्ती बलात्कार । __मुद्दई के अर्जी दावे का अदालत में दिया ___ ज्यादती । (क्रि०वि०) बलपूर्वक । बलात्। जाने वाला जवाब। जबरजंग-दे० जबरो। जबाब-सवाल-(न०) १. विवाद । २. जबरदस्त-दे० जबरो। सवाल और जबाब । प्रश्नोत्तर । ३. काम जबरदस्ती-दे० जबरदस्ती। काज की दी जाने वाली जबानी विगत । जबराई-(मा०) १. जबरदस्ती। २. ज्यादती। जबानी दिया जाने वाला । वृत्तान्त । रिपोर्ट । ३. बल प्रयोग । ४. अत्याचार । जबाबी-(वि०) १. जिसका जबाब मांगा जबरायल-(वि०) जबरदस्त । पराक्रमी।। गया हो। २. जिसके जबाब के पैसे भर जबरी-(ना०) १. अनूठापन । विलक्षणता । दिये हों। ३. जबाब में प्राप्त (जबाबी २. खूबी । ३. ज्यादती। अधिकता । ४. हमला आदि)। अत्याचार । ५. जबरदस्ती । (वि०) १. जब्त-(न०)१. काबू । २. नियंत्रण । (वि०) बलवती। २. भयावनी । ३. बड़ी। जब्त किया हुआ । प्रचंडिका। ४. चालाक । ५. जबरदस्त। जम-(न०) १. यम । यमराज । २. ऊंट । (क्रि०वि०) जबरदस्ती से। दे० यम ।। जबरेळ-(वि०) जबरदस्त । पराक्रमी। जम-उच्छब-(न०) यमद्वितीया का उत्सव । जबरो-(वि०) १. जबरदस्त । २. बलवान। जमक-(ना०) एक शब्दालंकार जिसमें एक ३. होशियार । ४. चालाक । ५. बड़ा। शब्द उसी रूप और उसी क्रम से अलगप्रचंड । ६. भयावना। ७. दृढ़ । मजबूत। अलग अर्थों के साथ पुनः पुनः पाता है। ८. अच्छा । खूब । यमक अलंकार। जबाड़ो-(न०) जबाड़ा । जबड़ा । चौहड़। जम-कातर-(ना०) १. यम की कैंची। जबाद-(ना०) कस्तूरी। यम का एक शस्त्र । २. मृत्यु । जबादि-जळहर-(न०) १. जलक्रीड़ा का जमघट-(न०)जनसमूह । भीड़ । जमावड़ो। केशर, कस्तूरी प्रादि से सुरभित जला- जमजाळ-(न०) १. यमपाश । २. यमाशय । २. ऐसे जल से किया जाने वाला यातना। ३. एक छोटी तोप । (वि०) स्नान । ३. सुरभित जलागार में की यमराज के समान जाज्वल्यमान । जाने वाली जलक्रीड़ा । स्नानक्रीड़ा। जमडाढ-(ना०) १. तलवार । २. कटार । जबान-(ना०) १. जीभ । जिह्वा । २. ३. यमदंष्ट्रा । ४. मृत्यु । For Private and Personal Use Only Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जमाढाळ ( ४२६ ) जमादार जमडाढाळ-(वि०) १. यम के समान भया- जमपुरी-(ना०) यमपुरी । यमलोक । वना । २. प्रचंड शक्तिशाली । यमालय । जमडारण-(ना०)१. मृत्यु । काल । २. यम- जमभगनी-(ना०) यमुना । यमभगिनी । दण्ड । जमराज-(न०) यमराज । यम । जमडारणी-(न०) १. यमदूत । २. यम ।। जमराण-दे० जमराज । जमड़ो-(न०) १. यम । यमराज । २. यम जमराणापुर-(न०) यमलोक । यमपुर । द्वितीया । ३. यम द्वितीया के दिन बनाये जमराणो-(न०) यमराज । जाने वाले तेल पक्वान्न । ४. यम द्वितीया जमरूक-(न०)१. यूद्ध । २. यम का शस्त्र । के दिन तेल पक्वान्न बनाने की प्रथा । ५. ३. तलवार । ४. मृत्यु । तेल पात्र या दीपक में लगा तेल किट्ट। जमलोक-(न०) १. यमलोक । यमपुरी । जमड़ोबाळणो-(क्रि०) १. यम द्वितीया के दिन तेल किट्ट लगे पात्रों को अग्नि ताप जमवारो-(न०) १. जीवन । जिंदगी। देकर. साफ करना। २. यम द्वितीया को २. जन्म । ३. यम का द्वार । ४. अंततेल में तल कर विविध प्रकार के व्यंजन काल । मरणकाल। (खाजा, साकळी आदि) बनाना। जमवाहण-(न०) यम वाहन । भैसा । जमरण-(न०) जन्म । (ना०) यमुना नदी। जमहर-दे० जैवर । जमणिका-(ना०) परदा । यवनिका । जमा-(ना०) १. प्राय । आमदनी । २. बही कनात । में प्राय की मद में लिखी हुई रकम । ३. जमणो-(क्रि०) १. जमना । यथावत् स्थिति बही में वह भाग जहां प्राप्ति या आमदनी में हो जाना। २. स्थिर होना। कायम लिखी जाती है। ४. धन । सम्पत्ति । होना । ३. किसी तरल पदार्थ का पूजी । ५. जोड़ । योग । (वि०)इकट्ठा । गाढ़ा होना । ४. एकत्र होना । एकत्र । २. इकट्ठा किया गया। ३. बही ५. दृढ़ता पूर्वक बैठना । ६. किसी में प्राय पक्ष में लिखा हुआ। कार्य का अच्छी प्रकार चलने की जमाई-(न०) दामाद । जंवाई । स्थिति में हो जाना । ७. पूरा अभ्यास जमाखरच-(न०) १. प्राय और खर्च । होना । ८. किसी वस्तु का अपने स्थान . जमा-खर्च। २. आमदनी और खर्च का पर फिट बैठना । ६. निशाना बैठना । का हिसाब । ३. बही में जमा और खर्च जमदगन-(न०) महर्षि यमदग्नि । के दो भाग । जमदढ-दे० जमडाढ । जमारणो-दे० जमावरणो। जमदाढ-दे० जमडाढ । जमात-(ना०) १. वर्ग । श्रेणी । कक्षा । जमदूत-(न०) यमदूत । मृत्यु का दूत ।। २. मनुष्यों का समुदाय । जत्था । ३. जमधर-(ना०) कटारी । जमडाढ । नागा साधुनों का जत्था। साधुओं की जमना-(ना०) यमुना नदी । __ मंडली। अखाड़ो। जमनोतरी-(ना०) हिमालय में बंदरपुच्छ जमाद-(न0) ऊंट । श्रृंखला में एक पवित्र स्थान जहाँ से जमादार-(न०) सिपाही या पहरेदारों का यमुना नदी निकलती है । यमुनोत्तरी। का मुखिया । For Private and Personal Use Only Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 'जमानत ( ४२७ ) जमीयत जमानत-(ना०) जामिनगिरी। जामिनी । जमावणो-(क्रि०) १. जमाना। यथावत् जमानो-(न०) १. समय । काल । २. अव- स्थिति में लाना। २. स्थित करना । सर । मौका। ३. बहुत अधिक समय । कायम करना। स्थापित करना। ३. मुद्दत । ४. वर्ष । साल । ५. वर्षाकाल। किसी तरल पदार्थ को गाढ़ा बनाना । ६. वर्षा, कृषि, और घास-चारा प्रादि की ४. दूध में जामन डाल कर दही बनाना। दृष्टि से वर्ष की स्थिति । ७. देशकाल ५. किसी कार्य को अच्छे प्रकार से चलने और प्राचार-विचार आदि की अमुक की स्थिति में लाना। ६. पूरा अभ्यास स्थिति । ६. आचार-विचार आदि का करा देना । ७ किसी वस्तु को यथास्थान अमुक काल। ६. संसार । दुनिया। बिठा देना । ८. निशाना बिठाना । जमाबंदी-(ना०)१. पूजी । धन । २. जमा जमी-(ना०) १. पृथ्वी । सृष्टि । २. भूमि । की दर्द जी। ३. वर स्थिति जिसमें जमीन । पृथ्वी । ३. खेती के योग्य जमीन ब्याज पर रुपये उधार लेकर व्यापार का टुकड़ा । ४. किसी वस्तु की ऊपरी किया जाता है। ४. उधार ली हुई रकम । सतह । ५. नक्शे में समुद्र से पृथ्वी की ५. प्रासामियों का लगान संबंधी हिसाब। भिन्नता दिखाने वाला पृथ्वी का रंग या ६. सरकारी बंदोवस्त खाता । चिन्ह । ६. तसवीर के मूल चित्र के जमारीक-(वि०) १. जमाने के मुताबिक ।। अतिरिक्त खाली जगह । वह तल जिस पर चित्र बना हो । चित्रतल । समयानुसार । २. जमाना साज । ३. जमीक-(न०) ऊँट । साधारण । ४. निश्छल । जमी-करवत-(न०) ऊंट । जमारो-(न०)१. जन्म । २. जन्म से मरण जमीकंद-(न०) १. सूरन । २. आलू, मूली, तक का समय । जीवन काल । जिंदगी। . . अदरक, मूगफली आदि बिना रेशों की ३. आयु । ___ जड़ों वाले कंद । कंदमूल । भक्ष्यकंद । जमाल-(न०) १. नीति और शृगार के । दोहों का रचयिता एक मुसलमान कवि ।। जमीदार-(न०) १. जमीन का मालिक । भूस्वामी । जमींदार । २. जमींदारी का २. प्रकाश । ३. सुन्दरता । सौंदर्य । पद । जमालगोटो-(न०) एक पौधा जिसके बीज जोडारी __जमीदारी-(ना०)१. जमींदार की जमीन । अत्यन्त रेचक होते हैं। प्रजपाळियो। २. जमीन के लगान की व्यवस्था । ३. जमाव-(10)१. जमने या जमाने का भाव। जमीन का लगान । भूमिकर । ४. खेती २. टिकाव । स्थिति । स्थिर । ठहराव । का लगान । कृषि कर । ३. एकत्र । इकट्ठा। ४. भीड़। समूह । जमीत-दे० जमीयत । ५. पड़ाव । डेरा। ६. विश्राम । ७. जमीदोज-(वि०) १. जमीन के अंदर ढका प्रारम्भ । शुरुमात । ८. शुरु करने का या रखा हुआ। खाडाबूज । २. तोड़ भाव । ६. मल-संचय का उदर विकार। फोड़ कर जमीन के बराबर किया हुआ । जमावट-(ना०) १. जमाने का काम । २. ३. जमीन के भीतर का । जमने या ठहरने की स्थिति । ३. जमने जमीन-दे० जमी। की क्रिया या भाव । जमीयत-(ना०)१. थाना । २. रक्षा निमित्त जमावड़ो-(न०) १. बहुत से लोगों की घोड़ों या ऊंटों के रखे हुए आदमियों की भीड़ । जमघट । २. मिलन । चौकी । जमीयत । ३. जत्था । ४. सेना। For Private and Personal Use Only Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जमीरत (४२८) जैरकावणो जमीरत-(ना०) १. जागीरी। २. सेना। जय रामजी री-दे० जय श्री रामजी री। ३. अधिकार । कब्जा। दे० जमीयत। जयवारो-दे० जैवारो।. जमो-(न0) किसी लोक देवता के निमित्त जय श्रीकृष्ण-(पद०) 'जय श्रीकृष्ण' बोल भजन कीर्तन करने को किया जाने वाला कर किया जाने वाला अभिवादन । सामूहिक रात्रि जागरण । रात्रि जागरण जय श्री रामजी-री-(पद०) हाथ जोड़कर के लिये जमा होना। रात्रि-गायन का या गले मिलकर किया जाने वाला जमाव । प्रणाम । मेंट या प्रस्थान का अभिवादन । जय-(ना०) १. जीत । विजय । २. देवता, प्रणति । 'श्री रामजी की जय' उद्गार गुरु या राजा मादि के अभिवादन स्वरूप कर किया जाने वाला अभिवादन । उनके नाम के साथ किया जाने वाला जय समंद-(न०) मेवाड़ की एक विशाल घोष शब्द । जैसे-'सियावर रामचंद्र री झील। जय' । ३. परस्पर अभिवादन के समय जयंती-(ना०) १. किसी महापुरुष की जन्म किसी देवता के नाम के साथ कहा जाने तिथि । २. जन्म दिन को होने वाला वाला शब्द । जैसे-'जय रामजी रा सा'। उत्सव। 'जय माताजी री सा' इत्यादि । जया-(ना०)१.दुर्गा । २. पार्वती । ३.दूर्वा । जय गोपालजी री-(पद०) एक अभिवादन जयानक-(न०) 'पृथ्वीराज विजय' का अव्यय तथा पद । __ रचयिता पुष्कर निवासी एक कवि । जय जयकार-दे० जै जै कार । जर-(ना०) १. धनमाल । २. सोना। ३. जय जयवंती-(ना०) एक रागिनी। ज्वर । ४. बुढ़ापा । ५. तरल पदार्थ को जय जंगळधर-(पद०) बीकानेर के राठौड़ __छानने का अनेक छिद्रों वाला कटोरीनुमा राजाओं की उपाधि या विरुद । २. एक पात्र । झरनी। सर । बीकानेर राज्य का मुद्रा लेख। जरक-(ना०) चोट । आघात । जरब । जयजीव-(न०) 'जय हो' और 'दीर्घायु हो' जरकरणो-(क्रि०) १. भय खाना । डरना । ___ इस अर्थ का अभिवादन । २. चोट लगना। ३. चोट लगाना । ४. जयरणा-(ना०) यत्न । सम्हाल । जतन । पीटना । मारना । ५. गिरना । जयतखंभ-दे। जैतखंभ। जरकसी-(वि०) जिस पर जरी का काम जयति-(प्रव्य०) जय हो। किया हुआ हो । जरी बाला । जरीदार । जयपुर-(न०) राजस्थान की राजधानी के शहर का नाम । जयपुर नगर । महाराजा जरकाणो-(क्रि०) खूब अधिक पिटाई जयसिंह द्वारा बसाया हुआ भारत का __ करना । बहुत अधिक मार मारना । सुन्दरतम नगर। जरका-बोलो-(वि०) १. कर्कश बोला। जय मंगळ-(न०) १. राजा के बैठने के कर्कश बोलने वाला। कठोर शब्दों का हाथी । २. श्रेष्ठ हायी। ३. एक विशेष उच्चार करने वाला। २. मन को घोड़ा। अघात पहुँचाने वाले शब्दों द्वारा बात जय माताजी री-(अव्य०) शक्ति उपासकों करने की आदत बाला। (ना० जरका द्वारा किया जाने वाला अभिवादन । बोली ।) जयमाळ-दे० जैमाळ । जरकावरणो-दे० जरकाणो । For Private and Personal Use Only Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जरकोजणो जरीक ( ४२६ ) जरकीजणो-(क्रि०) १. गिरना । पड़ना। जरदपोस-(वि.) कवचधारी । (न०) २. गिरने से हड्डी में दर्द होना । ३. गिरने कवचधारी योद्धा। से हड्डियों का ढीला पड़ कर दर्द करना। जरदाळ-(न0) कवच । (वि०) कवचधारी । जरको-(न०) १. धक्का । २. चोट । जरदाळ -(न०) एक मेवा । खूबानी । आघात । जरब । ३.कर्कश बोल । वाणी किस्टो। की चोट । ४. मन को चुभने वाली कर्कश जरदाळो-(वि०) कवचधारी । वाणी । ५. धमकी । डाँट । (वि०)बीर । जरदेत-(वि०) कवचधारी। बहादुर । जरदो-(न०) १. तम्बाकू । जरदा । २. जरख-(न०)एक हिंसक पशु । लकड़बग्घा। तम्बाकू का पत्ता या चूरा । ३. चावलों घोरखोदो। से बना एक व्यंजन । जरदा । जरखणी-(ना०) जरख की मादा । (वि०) जरबाफ-दे० जरीबाफ। झगड़ने वाली । झगड़ालू । जरबो-(न0) १. जूता । २. भारी वजनी जरख वाहणी-(ना.) डाकिनी । डाकण । जूती । किसानी जूती। जरजोजण-दे० जुरजोण । १. जरंद-(न०) चाबुक । २. मजबूत और । भारी जूता । ३. चाबुक या जूते की मार । जरझरी-(ना०) जस्ता प्रादि धातु की बनी ४. सख्त मार । कड़ी पिटाई ।। सुराही । जस्ते का बना नली वाला एक जरा-(वि०) थोड़ा। कम । (ना०) १. जल-पात्र । जरायुज । पिंडज । २. वृद्धत्व । वृद्धाजरठ-(वि०) १. वृद्ध । बुड्डा । २. जीर्ण । वस्था । बुढ़ापा । पुराना । जराक-(वि०) थोड़ा सा । जरासा । (न०) जरडो-(वि०) वृद्ध । बुड्डा । १. भय । २. चोट । जरक । जरणा-(ना०)१. क्षमा । २. सहनशीलता। जरापण-(प्रव्य०)थोड़ा भी। (न०)बुढ़ापा। क्रोध को मारने की शक्ति । जरापणो-(न०) बुढ़ापा । जरणारजन-दे० जनार्दन । जरायत-(वि०)वर्षा के पानी से होने वाला जरणो-(क्रि०) १. पचना । हजम होना। (खेती काम)। बागायत से उलटा। २. सहन होना। ३. धन का वास्तविक धि देज का राजा। रूप में खर्च होना । सम्पत्ति का सदुपयोग कंस का ससुर । होना। जरासीक-दे० जराक। जरतार-(वि०) जरी का काम किया हुआ। जरासो-दे० जराक । (न०) जरी के तार । सोने के तार । जरा-(क्रि०वि०) जब । जरै । जद । . जरतास-(न०) जरी और ताश से बुना जरियो-(न०) १. साधन । जरिया । २. कपड़ा । जरबफ्त । मार्ग । तरीका । ३. लगाव । संबंध । जरतो-(क्रि०वि०) १. अनुमान सर । २. जरिया । ४. कारण । हेतु । सब की रुचि अनुसार । (वि०) थोड़ा। जरी-(न०) १. कारचोबी । कलाबत्त । २. कम । नरतो। कपड़े में सुनहले तारों का बेलबूटे आदि जरद-(वि०) पीला । जर्द। (न०) १. का काम। . कवच । २. घोड़ा। जरीक-दे० जराक। For Private and Personal Use Only Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जळघर जरीबानो ( ४३० ) जरीबानो- (न0) जुरमाना। अर्थदण्ड। जळजोखो-(न०) १. जिम्मेवारी । २. जर जोखिम । जर जोखो। जरीबाफ-(न०)जरी के काम का एक रेगमी जळजोग-(न०) वर्षायोग । कपड़ा । जरफ्त । जरबाफ । बाफतो। जळजोर-(न०) समुद्र का चढ़ाव । ज्वार । जरीमानो-दे० जरीबानो। जळभूलणी-इग्यारस-(ना०)भाद्रपद शुक्ला जरीद-दे० जरंद। एकादशी। उस दिन देव मूर्ति को जल जरू-(न०) १. दृढ़बंधन । २. वश । काबू । क्रीड़ा के लिये रिवाड़ी में बिठा कर बड़े ३. धावा । आक्रमण । (वि०) १. जबर- जलूस और भजन कीर्तन के साथ जलाशय दस्त । २. दृढ़। मजबूत । ३. चिरस्थाई। पर ले जाया जाता है । ४. ऐसे काबू जो हिल डुल न सके। जळग-(ना०) १. अग्नि । २. ईंधन । ३. (क्रि०वि०) १. जरूर । २. खूब कस जलन । दाह । ४. ताप । उष्णता । ५. करके। ईर्ष्या । डाह । ६. मानसिक कष्ट । जरू करणो-(मुहा०) १. खूब कस करके ७. क्रोध । बाँधना । २. ठोंककर खूब गहरा बिठाना। जळगो-(किo) १. जलना। सुलगना। ३. हढ़ करना। ४ वश में करना। दग्ध होना। २. झुलसना। ३. ईर्ष्या जरूर-(क्रि०वि०) अवश्य । निःसन्देह । करना । ४. कुढ़ना । ५. क्रोध करना । जरूरत-(ना०) १. आवश्यकता । २. प्रयो- जळतवाई-(ना०) १. तेलपात्र के ऊपर जन । जमने वाला मैल । तेल का मैल । तेल जरूरी-(वि०) आवश्यक । किट्ट । चीकट । (वि०) १. बड़ा कं स । जरूको-(क्रि० वि०) जब का। जदको । महा कृपण । २. मैले स्वभाव का। जदूण । कुटिल । जरै-(क्रि०वि०) जब । जरी । जद । जळतो-बळतो-(वि०) क्रोघपूर्ण । क्रोधित । जळउत-(न0) जलसुत । कमल । जळतोरू-(ना०) जलतोरू । मछली । जळकूडो-(न०) सूर्य और चन्द्रमा के चारों जळत्रखा-(ना०)१. जलजंतु । २. मछली । ओर दिखाई देने वाला वर्षा सूचक प्रभा ३. तृषा । मंडल । जळद-(न०) १. जलद । बादल । मेघ । जलग्रभ-(न०) बादल । मेघ । जलगर्भ । २. कपूर । जळचर-(न०)जल में रहने वाले जीवजंतु । जळदाग-(न०) १. शव को जलाने के बदले जलचर। पानी में बहा देने की क्रिया । जल संस्कार। जळज-(न०) १. कमल । २. मोती। ३. २. अधिक वर्षा से फसल के गल जाने शंख । ४. मछली। की स्थिति । जळजळो-(वि०) १. प्रश्र पूर्ण । डबडबाया जळदावो-(न०) अधिक वर्षा से फसल का हुआ । २. गद्गद् । गळगळो । गल जाना। अधिक वर्षा से होने वाली जळजात-(न०) १. कमल । २. जोंक । ३. हानि । मछली । ४. शंख । ५. मोती। जलदी-(क्रि०वि०)शीघ्र । जल्दी । झटपट । जळजाळ-(न०) १. जलधारा । २. घन- (ना०) शीघ्रता। घटा । मेघमाला । ३. समुद्र । जळधर-(न०)१. बादल । मेघ । २. समुद्र। For Private and Personal Use Only Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जळधरण ( ४३१ ) जळापारी जळधरण-(न०) बादल । मेघ । जळसो-(न०) १. जलसा । समारोह । २. जळधि-(न०) समुद्र । उत्सव । ३. बैठक । मीटिंग। जळनिधि-(न०) समुद्र। जळहर-(न०) १. इन्द्र । २. जलधर । जळपती-(न०) जलपति । समुद्र। बादल । ३. वर्षा । ४. जलाशय । जळपंछी-(न०) बतक, हंस आदि । जल जळहरी-(ना०) १. चन्द्रमा के चारों तरफ पक्षी। दिखाई देने वाला गोलाकार चन्द्रमंडल। जळपान-(न०) १. नाश्ता । कलेवा ।। चंद्रमा का प्रभा मण्डल । २. पाषाणार्ध झारो । सीरावण । २. साधारण हलका । जिसके मध्य में शिवलिंग स्थापित किया भोजन । जाता है। शिवलिंग वेदी । तीर्थ वेदी । जळपू-(न०) जलपोस । अभ्रक । भोडल। ३. शिवलिंग के ऊपर जलधारा टपकाने जळपोस-दे० जळपू । वाला पात्र । जळप्रलय-(न०) १. अतिवृष्टि । २. बाढ़। जळबंड--(न0) १. मोती । मुक्ता । २. बुद ३. सर्वत्र पानी का फिर जाना। जला- बुदा। कार । जलप्रलय । जलंद्रीपाव-(न०)जालंद्रपाद । जलंधरनाथ । जळबाला-(ना०) बिजली। जळधर-(न०) १. जलोदर रोग । २. जळबाँक-(न०) १. कुश्ती का एक दाँव ।। प्रसिद्ध योगी जलंधर नाथ । ३. जालंधर २. पानी में लड़ने का एक दाँव ।। नाम का एक असुर । ४. मारवाड़ के जळबोळ-दे० जळाबोळ। प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगर जालोर का एक जलम-(न०) जन्म । उत्पत्ति । काव्य प्रयुक्त नाम । जलमणो-(क्रि०) जन्म लेना। जनमना। जळधरनाथ-(न०)राजा गोपीचंद के गुरु । जनमरणो। एक प्रसिद्ध सिद्ध योगी। जळरूह-(न०) कमल । जळा-(ना०) १. जल का असीम फैलाव । जळळ-(ना०) १. क्रोध । २. क्रोधाग्नि । ___चारों ओर फैला हुआ पानी । जलाकार । ३. भगदड़ । ४. आतुरता । बेसब्री । ५. .२. सेना । फौज। ३. नाश । विनाश । जलन । ६. दुःख । ७. युद्ध । ८. भयं- ४. आफत । आपत्ति। संकट । ५. ज्वाला। करता । (वि०) १. भयंकर । २, क्रोधी। जळवट-(न०) १. जल प्रदेश । समुद्र । जळाकार-(न०) जल ही जल। सब तरफ 'थलवट' का विपरीतार्थक । २. जलमार्ग। ___ जल ही जल । जल प्रलय । जळा । (प्रव्य०) समुद्री मार्ग द्वारा। जहाज के जळारणो-(क्रि०) १. जलाना। प्रज्वलित द्वारा। करना। सुलगाना। २. ईर्ष्या उत्पन्न जळवळ-(वि०) जाज्वल्यमान । तेजस्वी।। करना। जळवा-(ना०) नवप्रसूता का जलाशय पर जलाद-(न०)१. जल्लाद । २. क्रूर व्यक्ति । जल-पूजन को जाने का उत्सव । जळाधार-(न०) समुद्र । जळवाह-(न०)१. बादल । २. दे० जळवा। जळाधारी-(ना०) शिवलिंग के ऊपर अजस्र जळसमाधि-(ना०) जल में डूब कर प्राण धारा प्रवाहित करने के लिये नीचे छिद्र त्याग करना। वाला छात में लटकाया जाने वाला ताम्र जळसुत-(न०) कमल । . घट । जळहरी । जळेरी। For Private and Personal Use Only Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जळापो जळापो - ( न० ) ईर्ष्या की जलन । डाह । दाह | बळापो | बळरण । जळाबोळ - ( न० ) १. सर्वत्र पानी ही पानी । २. जल प्रलय । ३. असंख्य सेना । ४. असीम संताप । ५. बुरा समय । (वि०) १. जल में डूबा हुआ । जलबोड़ । २. संतापावृत । ३. खूब गहरा । ४. विकट । भयंकर । ५. क्रोधपूर्ण । ६. डूबा हुआ । जल प्लावित । ७ रंग से तर बतर । ६. नशे में चूर । ६. संपन्न । १०. अपार । जलाल - ( न० ) १. ' जलाल गाहाणी' नाम arth fee, उदार और इतिहास प्रसिद्ध व्यक्ति । २. 'जलाल' और 'जलो' नाम से प्रसिद्ध गीतों का नायक । ३. प्रियतम । ( वि० ) १. रसिक । २. प्रिय । प्यारा । ३. सुन्दर । मनोहर । ४. प्रकाशमान । ५. उदार । ६. जबरदस्त । बलवान । ( ४३२ ) जळावरण- दे० जळारणो । जळाहळ - (वि०) प्रकाशमान । देदीप्यमान । ( न० ) १. अग्नि । २. क्रोध । ३. चमक । प्रकाश । जलूस - ( न० ) १. शोभायात्रा २. जनयात्रा । जलूसाई - ( ना० ) १. जलूस की तैयारी । २. सजावट । ३. तड़क-भड़क । ४. शामशौकत । (वि०) जलूस संबंधी । जलूस का । जलूसी । जलसात - दे० जलूसाई । जलेब - ( ना० ) १. सेवा । टहल । हाजरी । तैनाती । २. पाड़ोस । श्रासपास । ३. पक्ष । लगाव | तरफदारी । सहानुभूति । (विo ) १. सवारी के साथ पैदल चलने वाला । जलेबदार । २. नियुक्त । तैनात । जलेबखानो - ( न० ) १. सवारी के इर्द-गिर्द रहने वाले सेवकों का घेरा । २. सेवक गरण । ३. जलेबदारों के रहने का स्थान । 'जनमाळ जलेबदार - (वि०) १. राजा, गुरुजन आदि की सवारी के समय मातहती में रहने वाला । २. पक्षपाती । ३. सहायक । ( न०) सेवक | हाजरियो । जलेबी - ( ना० ) एक मिठाई । जळे री-दे० जळहरी । जलो - ( न०) १. एक लोक गीत । २. एक प्रेम गीत का कथा नायक । ३. 'जलाल गाहरणी' नाम के एक रसिक व्यक्ति का लोक गीतों में प्रयुक्त नाम । जळो - ( ना० ) जोंक | जळोख । जळोख - ( ना० ) जोंक । जलोसात - दे० जलूसाई । जल्दी - दे० जलदी | जव - ( न० ) १. जौ । यव । यवान्न । २. अतुल के छठे या आठवें भाग का माप । ३. एक जो परिमारण का तौल । ४. गुली के उपरि पोर में रेखाओं द्वारा बना यवाकार चिन्ह । यव चिन्ह | जवखार - ( न० ) जब का क्षार । यवक्षार । जवड़ो - ( वि० ) जैसा । समान । जड़ो । जिसो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जवन - ( न० ) यवन । मुसलमान । जवनारण - ( न० ) यवन समूह । मुसलमानों का दल 1 जवनारणो - ( न० ) १. मुसलमानी व्यवहार । यवन रीति । यवनाचार । २. यवनत्व । यवनपना । जवनायरण - ( ना० ) १. यवनसमूह । २. यवन सेना । ३. यवन- प्रदेश | जवनेस - ( न० ) यवनेश । बादशाह । मुसलमान बादशाह | जवमाळ - ( ना० ) १. विवाह के प्रथम पाटोत्सव - मुहूर्त्त और पाणिग्रहण के समय वर और कन्या को पहनाई जाने वाली जव, लौंग, छुहारा, मोती इत्यादि की माला । जो माला । यवमाला । जवारी । For Private and Personal Use Only Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जबरी ( ४३३ ) जहड़ो जवाली। मवाळी । २. जौ के समान जस-(न०)यश । कीत्ति । (क्रि०वि०)जैसा। सोने के छोटे मनकों की माला । जवाळी। जसखाटक-(वि०)१. कीर्तिमान । यशस्वी। जवरी- दे० जॅवरी। २. यश प्राप्त करने वाला। जवलियो-(न०) १. एक गहना । २. जव जसखाटू-दे० जसखाटक । ___ के आकार का सोने का घुघरू। जसगाथा-(ना०) यशगाथा। यश वर्णन । जव-हरड़े-(ना०) जोहर। यवहरीतिका। जसजोड़ो-(न०) १. कवि । २. खुशामदी छोटी हर। हीमज । हरई। कवि। यश गाने वाला कवि । (वि०) जवाई-(ना०) १. प्रस्थान । गमन । २. यश प्राप्त । मारवाड़ की एक नदी। (वि०) १. जौ जसढोल-(न०) १. विवाह की एक रीति के जैसे रंग का । २. जो जैसे रंग से रंगा जिसमें सब कार्य सविधि और प्रसन्नता हुआ। पूर्वक समाप्त हो जाने पर बरात की जवाकंठी-(ना०) एक कंठाभूषण । विदाई के समय दोनों ओर में यशप्राप्ति जवाखार-(न०) जो के पौधे का क्षार ।। के उल्लास के ढोल का बजाया जाना। यवक्षार । जवखार । यशवाद्य । २. कीर्तिमान । ३. वाहवाही। जवाद-(न०) १. ऊँट । २. घोड़ा। ३. जसद-(ना०) जस्ता नामक धातु । जसोद । कस्तूरी। ४. एक प्रकार का तरल गंध जसत । द्रव्य । जुबाद। जसधर-(वि०) यशधारी । जसधारी। जवाधि जळहर-दे० जबादि जळहर ।। जसनामी-(वि०) कीर्तिमान । यशधारी । जवान-(न०) १. युवक । तरुण पुरुष । जसनामो-(न०) १. ऐसा कार्य जिसका यश मोटियार । २. योद्धा । ३. सैनिक । सदा बना रहे । २. पुण्य कार्यों द्वारा सिपाही । (वि०) युवा । तरुण । प्राप्त की हुई ख्याति । ३. ख्यातनाम । जवानी-(ना०) युवावस्था । तरुणाई । ४. यश नाम । ५. यशस्वी पुरुषों में लिखा मोटियारपणो। जाने वाला नाम । ६. वीरगति पाये हुए जवाबदावो-(न०) दे० जबाबदावो। यशधारियों में प्रसिद्ध नाम । ७. नामजवार-(ना०) ज्वार धान्य । वरी । ख्याति । जवारा-(न०) मांगलिक पर्व पर गमले में जसरथ-(न०)श्री राम के पिता । दशरथ । गेहूँ या जो के उगाये हुये अंकुर । जरई । जंवारा। जसलुद्ध-(वि०) यशलुब्ध । यशलोभी । जवाळी-दे० जवमाळ । जसवंत-(वि०) यशधारी । यशवंत । जवेरात-दे० जवाहरात । जसवास-(ना०)यश-सौरभ । जवाहर-(न०) हीरा, माणिक, मोती आदि र जसाई-(ना०)१. यश वाद्य । २. यशगीत । ३. मांगलिक गीत और वाद्य । रत्न। जवाहरात-(न0) जवाहर का बहुवचन । जसी-(वि०) यशस्वी। जवाँमर्द-(वि०) बहादुर । जसोद-दे० जसद । जवो-(न०) १. पशुओं के चमड़े में लगा जसोदा-(ना०)श्रीकृष्ण की माता । यशोदा। रहने वाला एक कीड़ा। २. स्त्रियों की जस्यो-(वि०) जैसा। जिसो । जड़ो। नाक का एक गहना । लौंग । जहड़ो-(वि०) जैसा । जैड़ो । जिसो । For Private and Personal Use Only Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ४३४ ) जंरणो जंगळवे - ( न०) जांगलू देश का राजा । बीकानेर का राजा । विषधर । सर्प | ( वि० ) जंगळायत - ( न०) १. जंगल रक्षा का सरकारी महकमा । २. सरकार द्वारा रक्षित जंगल । जंगळियो - ( न० ) शौच का जलपात्र । जंगळी - ( वि०) १. जंगल का । जंगल संबंधी । २. जंगल में रहने वाला । ३. बिना लगाये अपने आप उगने वाला । ४. मूर्ख । ५ असभ्य । ( न०) घोड़ा । जंगळो - ( न०) लोहे की छड़ों वाला दरवाजा या खिड़की । जंगाल - ( न० ) १. दो कड़ों वाला बड़ा तसला । २. ताँबे के जंग जैसा एक रंग । ३. ताँबे के जंग का रंग । ताँबे का काट या जंग | ४. तूतिया । जंगार । ५. नगाड़ा । ६. सेना का दाहिना भाग । जंगावर - (न०) वीर पुरुष | योद्धा । जंगावळ - ( ना० ) १ युद्ध । २. सेना का घेरा । जंगी - (वि०) १. जबरदस्त । २. बड़ा । ३. दीर्घकाय । ४. युद्ध संबंधी । ५. युद्ध संबंध रखने वाला । 1 जंगेव - (वि०) युद्धोत्सक ( न०) जंग | युद्ध | जंघा - ( ना० ) जाँघ । साथळ | राम । जंजर - ( न० ) ताला। (ना० ) एक छोटी तोप | ( वि० ) पुराना और कमजोर । जर्जर | जहर जहर - ( न० ) विष । गरल । जहरजर - ( न० ) महादेव । जहराळ - ( न० ) जहरीला | विषाक्त | जहरी - ( वि० ) जहर वाला | विषाक्त । जहरीला । जहरीलो - ( वि०) १. जहरवाला | जहरी । २. प्रतिक्रोधी । जहवो दे० जहड़ो | जहाज - ( न०) बड़ा जलपोत । जहाज । जहान - ( न० ) संसार । जहानवी - ( ना० ) जान्हवी | गंगा | जहूर - ( न० ) १. प्रदर्शन । २. प्रकाश । ३. कांति । ( वि० ) १. प्रकाशमान । २. विकसित | जहेच्छ - (वि०) यथेच्छ । इच्छानुसार । जंखे रो - ( न० ) १. खूब तेज वायु । प्राँधी । २. प्राँधी का झोंका । ३. तेज वायु के कारण उड़ कर आया हुआ धूल और कचरा । ४. कूड़ा-कचरा । ५. ढेर । राशि ( कचराकी) | जंग - ( न० ) १ युद्ध । लड़ाई । २. मुरचा । काट | जंग जूट - (०) शूरवीर | योद्धा | ३. जंगम - ( न० ) १. घोड़ा । २. एक स्थान पर नहीं टिकने वाला साधु । संन्यासी । चल संपत्ति । मनकूला । जायदाद । (वि०) चलता-फिरता । जंगम -पसम - ( न० ) घोड़े के शरीर की केश-राजि । जंगळ - ( न० ) जंगल । वन । अरण्य । जंगळजती - ( न० ) ऊंट । जंगळ जागो - ( मुहा० ) पाखाने जाना । टट्टी जाना । जंगळधरा- (न०) बीकानेर प्रदेश | जांगलू देश | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जंजाळ - ( न० ) ९. स्वप्न । २. प्रपंच । माया । ३. उपाधि । प्राफत । भंभट । ४. दुख । ५ एक प्रकार की तोप । जंजाळी - (वि०) प्रपंची । बखेड़ा बाज | जंजालवाला | जंजीर - ( ना० ) १. जंजीर । सांकल । सांकळ । २. लड़ । माला । ३. बेड़ी । जंगळराय - ( ना० ) १. करणी देवी का एक जंझर - ( ना० ) जजीर । सांकल । नाम । २. बीकानेर का राजा । जंरगो- ( क्रि०) झकझोरना । For Private and Personal Use Only Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४३५ ) जैवाई जंत-(न०) १. यंत्र । २. जंतु । ३. बैलगाड़ी जंत्र-मंत्र-दे० जंतर-मंतर । का एक उपकरण । ४. तंबूरा, सारंगी जंद-(न०) १. पारसियों का धर्म ग्रंथ । २. आदि तार वाद्य । (वि०) जबरदस्त । वह भाषा जिसमें पारसियों का यह धर्म जंतर-दे० जंत्र । ग्रंथ लिखा हुप्रा है दे० जिद । जंतरड़ी-दे० जंतरी। जंप-(न0) चैन । शांति । कल । निरांत । जंतरणो-(क्रि०) १. मारना । २. पीटना। जंपणो-(क्रि०) १. कहना । वर्णन करना । ३. भूत प्रेत आदि को किसी तान्त्रिक यंत्र २. जपना। ३. शांत होना । शांतचित । द्वारा वश में करना। होना । ४. नींद आना। जंतरबाण-(वि०) अत्यन्त दृढ़ । बहुत जंबु-(न०) १. जामुन । २. जामुन का वृक्ष । मजबूत । (न०) गांवई जूता। भारी जंबुक-(न०) १. सियार । गीदड । जंबुक । जूता। २. जामुन । जंतर-मंतर-(न0) १. जादू टोना । जादू। जंबुखंड-(न०) १. पुराणानुसार सात द्वीपों २. वेधशाला । ३. यंत्र और मंत्र । में से एक । जंबु द्वीप । २. भारतवर्ष । जंतराणो-दे० जंतरणो। जंबुदीप-दे० जंबुखंड। जंतरावरणो-(क्रि०) दे० जंतरणो। जंबूर-(ना०) १. एक प्रकार की छोटी तोप । जंतरी-(ना०) गोपुच्छ की भांति क्रम से २. तोपगाड़ी । ३. एक औजार । पकड़ । छोटे होते हुए सुराखों वाली एक लोह- जंबूरा। पट्टी । (इसके उत्तरोत्तर छोटे बने हुए जंबूरी-(ना०) १. किसी वस्तु को मजबूती सुराखों में होकर सोना, चांदी ग्रादि के से पकड़ने, खींचने या मोड़ने का एक तार को निकाल कर पतला बनाया औजार । एक प्रकार की बिना चोंच जाता है तथा बढाया जाता है) जंती। वाली साँड़सी। पकड़ । २. एक शस्त्र । जातरी । तारकशी। २. पंचांग । पत्रा। जंबूरो-(न०) १ एक प्रोजार । जंवूरा । जंती-दे० जंतरी। पकड़ । २. मदारी का मददगार लड़का। जंतु-(न०) १. जीव । प्राणी । २. कीड़ा। ३ ऊंट पर लादी जाने वाली एक तोप । छोटा जीव । जीवड़ो। जंभ-(न०) १. दाढ़ । २. कटारी। जंतो-(न०) तारकशों और सुनारों का एक जंभियो-(न0)एक प्रकार की टेढ़ी कटारी । औजार जिस से सोना, चांदी के तार जॅवर-(न0) १. शत्रु की विजय निश्चित हो पतले किये जाते हैं। एक के बाद एक जाने पर पराजित राजपूतों की स्त्रियों क्रम से छोटे बने हुए छेदों वाली एक ___का चिता में जलजाने की मध्यकालीन लोह-पट्टी जिसके छेदों में से तार को एक प्रथा। जौहर । मंगलमृत्यु । २. खींच कर पतला और लंबा बनाया जाता शस्त्र पर दिया जाने वाला लहरदार है। जांता । जांतरो । जाँतो। पानी । शस्त्र की रंगीन और लहरदार जंत्र-(न०) १. तांत्रिक प्राकार या कोष्ठ । प्राब । ३. रत्न । जवाहिर । ४. अग्नि । तांत्रिक प्राकृति । यंत्र । २. ऐसी आकृति ५. कोप । ६. तलवार ।। या प्रक्षरों वाला कागज या पतरा। जैवरी-(न०) १. रत्नों का व्यापारी । तावीज । ३. जादू । ४. तोप । ५. बंदूक। जोहरी । २. रत्न परीक्षक । ३. गुणदोष ६. बाजा । तारवाद्य । वीणा । ७. कल। पहचानने वाला। ४. गुणग्राहक । यंत्र। जॅवाई-दे० जमाई। For Private and Personal Use Only Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जवाईराज ( ४३६ ) जागीर जवाईराज-(न०) १. ससुराल में जमाई के जागण-दे० जागरण । लिये सम्मानसूचक संबोधन । २. जमाई। जागणो-(क्रि०) १. जागना; जगना । नींद दामाद। ३. एक लोकगीत । को त्यागना । सोकर उठना। २. चेतन जॅवारा-दे० जवारा। होना। सावधान होना। सजग होना । जा-(प्रत्य०) किसी शब्द के अंत में प्रयुक्त ३. उत्पन्न होना । ४. उत्तेजना होना । होने पर उत्पत्ति अर्थ का वाचक नारी जागती-(वि०) १. जगी हुई। जाग्रत । जाति प्रत्यय । यथा-प्रात्म+जा- २. प्रज्वलित ।। आत्मजा (पुत्री), गिरि + जा - गिरिजा जागतीजोत-(ना०) १. देवी चमत्कार । (पार्वती) इत्यादि । (ना०) १. पुत्री। २. किसी देवी देवता का प्रत्यक्ष चमत्कार। २. जननी । माता । (सर्व०) १. जिस । ३. प्रज्वलित ज्योति । २. उस । (वि०) उचित । मुनासिब । जागतो-(वि०) १. जगता हुआ । जाग्रत । (अव्य०) १. जाने का प्राज्ञासूचक अोछा शब्द । २. जाने की आज्ञा । (क्रि०) जाने जाग में प्रारणो-(मुहा०) १. घोड़ी को के भाव की आज्ञार्थक क्रिया।। कामेच्छा होना । २. घोड़ी को गर्भधारण जाइ-(वि०) १. जितना। २. जिस प्रकार __की इच्छा होना । जगर आयो । का। (सर्व०) जिस । जागर-(न०) १. युद्ध । २ कुत्ता। जाइगा-दे० जायगा। जागरण-(न०) १. किमी उत्सव पर्व आदि जाइंदो-(वि०) १. 'लाइंदो' (दत्तक) से पर सारी रात जागते रह कर किया जाने उलटा । गोद लाया हुया नहीं। स्व- वाला भजन गायन । रतजगा । २.रात में कुलोत्पन्न । स्ववंशज। २. उत्पन्न । जाया (नींद नहीं लेकर) जागते रहने का भाव हुया । जायोड़ो। ३. औरस । (ना०) जागरी की स्त्री। जाई-(ना०) १. पुत्री । बेटी । २. स्त्री। जागरी (न०) १. वेश्या पुत्र । २. भड़ वा । जाऊ-(वि०) जाने वाला। (अव्य०) जाने ३. जागरी जाति । की तैयारी में। जागवणो-(क्रि०) १. उत्पन्न करना। २. जाऊली-(भ०क्रि०) जाऊंगी। सृष्टि उत्पन्न करना । ३. जगाना । जाऊंला-(भ०क्रि०)१. जाऊंगा। २. जाऊंगी। जागा-(ना०) १. जगह । स्थान । २. जाऊंलो-(भक्रि०) जाऊंगा। मकान । घर । ३. मठ । स्थल । अस्थल । जाकळ-(वि०) वीर। ४. अोहदा । पद। जाखोड़ो-(न०) १. ऊंट । २. सवारी के जागा-जमी-(ना०) मकान और जमीन । लिये सजा हुअा ऊंट । जागा-मीटो-(न०) १. अर्द्ध जाग्रतावस्था । जाग-(न०) १. एक वेदोक्त कर्म । यज्ञ । अर्द्ध निद्रावस्था । थोड़ी नींद थोड़ी याग। २. धर्मयुद्ध । ३. विवाह आदि जाग्रतावस्था। २. वह समय या स्थिति मांगलिक उत्सव । ४. महाभोज । ५. __ जिसमें कोई सो रहा हो और कोई जग ब्रह्मभोज । ६. जगते रहने का भाव । रहा हो। जाग्रति । ७. जाग्रतावस्था । ८. स्थान । जागीपो-दे० जाग सं. ६, ७. जगह । ६ घोड़ी की मूत्रेन्द्री। अश्वा. जागीर-(ना०) सरकार की ओर से (इनाम योनि । १०. घोड़ी की संभोगेच्छा । या स्वत्वाधिकार के रूप में) प्राप्त भूमि तुरंगी की कामेच्छा । जगरो। या प्रदेश । For Private and Personal Use Only Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाल जागीरदार ( ४३७ ) जाडायत जागीरदार-(न०) जागीर का मालिक। जाजरणो-(क्रि०) १. सहन करना। २. जागीरी प्राप्त व्यक्ति । संहार करना । मारना। जागीरदारी-दे० जागीरी। जाजरू-(न०) १. शौचागार । २. पाखाना। जागीरबक्षी-(न०) मध्यकाल में एक राजकीय पद। जाजळ-(वि०) १ तेजस्वी । २. जबरदस्त । जागीरी-(ना०) १. जागीरदार के कब्जे के जाजळामान-(वि०) १. जाज्वल्यमान । गांव-जमीन । जागीर । २. जागीरदार तेजस्वी । २. उपद्रवी । उत्पाती । होने का भाव । ३. रईसी। ४. हैसियत। नटखट । ऊधमी । शरारती । विसात। माम। (fo) जागीर से जाजळी-दे० जाजळ या जाजळो । संबंधित । जागीर का। जाजळो-दे० जाजळामान। जागोड़ी-(वि०) १. जगी हुई । २. सचेत। जाजुळ-(वि०) १. जबरदस्त । २. जाज्वल्यजागोड़ो-(वि०) १. जगा हुआ । जाग्रत । मान । ३. क्रोधी । ४. उपद्रवी । २. सचेत । सावधान । जाजुळमान-दे० जाजळामान । जाच-(ना०) १. याचना । २. जांच। जाजुळी-दे० जाजुळ । तपास । २. वजन करने का भाव । तौल। जाज्वल्यमान-(वि०) तेजपूर्ण । तेजपंज । जाचक-(न०) १. याचक । २. भिखारी।। १२. भिखारी। जाझी-(वि०) १. अधिक । खूब । २. दृढ़ । जाचरण-(वि०) याचने वाली । जाझेरो-(वि०) १. अधिक । बहुत । २. जाचणी-दे० जाच । बहुतसा । बहुतसारा। जाचरणो-(क्रि०) १. जाचना। माँगना । जामो-(वि०) १. अधिक । पुष्कल । २. याचना करना। २. जांचना । तपासना। तेज । ३. दृढ़। ३. तौल करना। जाट- (न०) १. एक जाति । २. जाट जाति जाचिग-दे० जाचक । का व्यक्ति। जाचू-(वि०) जाचने वाला। जाटणी-(ना०) जाट जाति की स्त्री। जाचेल-(न०) १. तिल्ली का तेल । तिल्ली जाटव-(न0) एक चमार जाति । जाटोके तेल पर बनाया हुआ सिर में डालने का भाभी। एक सुगंधित तेल । जाटू-(वि०) १. जाट जाति से संबंधित । जाज-(न०)१. मैला रंग । २. मैल। (वि०) २. जंगली । (ना०)हरियाणा की बोली। १. बदरंग । २. थोड़ा। जाटो भाँभी-(न०) १. एक चमार जाति । जाजम-(ना०) बेलबूटों से छपे हुए मोटे २. इस जाति का व्यक्ति । जाटव । कपड़े की बड़ी दरी । जाजिम । जाड-(न०) १. पाप । २. अज्ञानता । जाजमाठ-(वि०) १. यथामात्र । मात्रा के मूर्खता। जड़ता। ३. दल । समूह । अनुसार । मात्रा से अधिक नहीं । २. (वि०) १. अधिक । २. मोटा । जाडो । यथावश्यक । जरूरत मुताबिक । ३. कम। जाडउ-दे० जाडो । थोड़ा । ४. यत्किचित । थोड़ासा। कुछ। जाडाई-(ना०) १. मोटापन । मोटाई । २. ५. बहुत कम। । स्थूलता। जाजर-(वि०) १. जर्जर । जीर्ण । २. दृढ़। जाडायत-(वि०) १. जबरदस्त । २. बड़े (10) १. सहनशीलता । २. संहार । कुटुम्ब वाला। For Private and Personal Use Only Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाडायती । ४३८ ) जाणो जाडायती-(क्रि०वि०) जबरदस्ती से। जारणकारी-(ना०) जानकारी । विज्ञता । जाडाँ-(वि०) अधिक । (क्रि०वि०)जबरदस्ती २. परिचय । ३. निपुणता । जाणग-(वि०) १. जानने वाला । ज्ञाता । जाडियो-(न०) दाढ़ी के बालों को ऊंचा जाणणारो। २. बहुश्रु त । जमाये रखने के लिये उन पर बांधी जाने जाणगर-(वि०) १. ज्ञाता। जानकार । वाली एक वस्त्र पट्टी । बकानी । (वि०) जारणग । २.विशेषज्ञ । ३.समझने वाला। १. मोटा । २. घना। जागरणारो-दे० जाणकार । जाडी-(वि०) १. मोटी । सेंठी । २. धनी। जागरणो-(क्रि०) १. जानना । २. समझना। ३. अत्यधिक । ४. दलदार । (ना०)मूछ ३. पता लगना । ४. ज्ञान प्राप्त करना । को जमाये रखने के लिये उस पर बाँधने ५. पहचानना । ६. खबर रखना । सूचना की कपड़े की पट्टी। मूछपट्टी । मूछो। पाना। मूछियो। . जारगपरण-दे० जाण । जाडीकीरत-दे० जाडोजस । जारापरणो-दे० जाण । जाडी जीभ-(ना०) १. मृत्यु के समय जीभ जाण-पिछारण-(ना०) जान-पहिचान । परिचय । का मोटा हो जाना। २. बोला नहीं जाणभेद्-(वि०) भेद जानने वाला । जाना। भेदिया । भेदू । भेदियो। जाडो-(वि०) १. मोटा। २. स्थूल । ३. जाण-म-जाण-(अव्य०)१. जाने-अनजाने । पुष्ट । सेंठो । ४. दलदार । ५. अत्यधिक २. जानो या नहीं जानो। ६. धना । ७. प्रबल । जोरावर । जाणवीण-(ना.)जानकारी। (वि०) जानजाडो-(न0) १. शीतकाल । सियाळो । २. कार। शीत । जाड़ा। सरदी। ठंड । सी। ३. जाणाऊ-(न०) भेदिया । गुप्तचर । (वि०) जत्था । समूह । ४. पक्ष । चतुर । विज्ञ । जाडो जस-(न0) बहुत बड़ी ख्याति । बड़ी जागिण-अव्य०) मानो । गोया। प्रशंसा । जाडी कोरत । जाणी-पाणी-(ना०) १. जाना-माना । २. जाण--(ना०) १. जानकारी। २. पहिचान । हानि-लाभ । ३. समझ । ज्ञान । ४. बुद्धि । अक्ल । जाणीकार-दे० जाणकर । (अव्य०)१. मानो । जानो। २. जैसे कि । जारणीतो-(वि०) १. जाना हुप्रा । पहचाना जारण-अजाण-(अव्य०) १. जानते हुए हुआ। ओळखाण वाळो । मोळखीतो। या अजान में । २. बिना इरादे । २. प्रसिद्ध । मशहूर । छायो । ३. जानजाणक-(अव्य०)मानो । मानो कि । जैसे। कार । भिज्ञ । जाणकर । मानो । गोया। गोया कि । जाणो के। जाणै-(अव्य०) मानो। गोया । जैसे कि । (वि०) १. जानने वाला । ज्ञाता । २. बहु- जनौं । जाणि । श्रु त । जाणग। जाणो-(क्रि०) १. जाना । गमन करना । जाणकार-(वि०) १. जानकारी रखने २. अलग होना। ३. अधिकार से निक वाला । जानकार । जानने वाला । लना । हाथ से निकलना। ४. बहना । जाणग । जाणणारो। २. समझदार। (प्रव्य०) मानो। गोया। जैसे । जारिस । विज्ञ । ३. चतुर । जाणे। For Private and Personal Use Only Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाणो-प्राणो ( ४३६ ) जाती जागो-प्राणो-(न०) १ जानान्माना । नुसार) हिन्दू जाति में किया गया ब्राहाण आवागमन । २. हानि लाभ। (क्रि०) क्षत्री आदि के रूप में मानव समाज का जाना और पाना। विभाग । हिन्दू समाज । जाति । वर्ण । जात-(ना०) १. जाति । समाज । २. गुण । २. देश परम्परा या धर्म की दृष्टि से धर्म आदि की दृष्टि के पदार्थों का किया गया मानव समाज का विभाग । विभाग। वर्ग। कोटि । ३. प्राकृति, यथा-हिन्दू, पारसी, मुसलमान आदि । प्रकृति प्रादि की दृष्टि से जीव-जंतुओं का ३. गुण, धर्म, प्राकृति आदि की दृष्टि से विभाग । ४. किस्म । प्रकार । ५. गुण।। तथा योनि भेद से पदार्थों अथवा जीव६. किसी कामना से की जाने वाली देव- जंतुषों का बना हुआ विभाग, जैसे मनुष्य, दर्शन यात्रा। ७. विवाहोपरान्त वर-वधू पशु, स्त्री, पुरुष, घोड़ा, साँप आदि । का देव-पूजार्थ देव स्थानों में जाना । ८. जातिधर्म-(न०)१. जाति या वर्ण का धर्म । गोत्र । ६. जन्म । १.. पुत्र । (वि०) १. २. जातियों के अलग-अलग कर्तव्य । जन्मा हुआ । उत्पन्न । २. प्रकट । जाति-पाँति-(ना०) १. एक पंक्ति में भोजन जातक-(न०) १. बुद्ध के पूर्व जन्म की करने वाला समाज । २. बिरादरी । कथाएँ । २. बच्चा। जातिभाई-(न०) एक ही जाति का होने से जातणी-(ना०) स्त्री-यात्री। यात्रिणी। माना जाने वाला भाई। जातना-(ना०) यातना । कष्ट । पीड़ा। जातिभेद-(न०) जातियों में परस्पर रहने जातपात-(ना०) १. जाति-पाति । बिरा- वाला अंतर । दरी। २. एक पंक्ति में बैठ कर भोजन जातिभ्रष्ट-(वि०) जाति से बहिष्कृत । करने वाली जातियों का मेल । जातिमद-(न०) जाति का अभिमान । जात बार-दे० जाती बाहर। जातिवाचक-(वि०) जाति के गुण इत्यादि जातरी-दे० जात्री। बताने वाला। जातरू-(न०) बैलगाड़ी के 'माकड़ों' में खड़े जातिवाचक संज्ञा-(ना०) १. जाति की किये जाने वाले डंडे । २. तीर्थ यात्री। प्रत्येक इकाई या वस्तु की वाचक संज्ञा । जातरूप-(न०) स्वर्ण । सोना । (व्या०) २. सामान्य नाम । जातवान-(वि०) १. अच्छी नस्ल का। २. जातिवार-(अव्य०) प्रत्येक जाति के हिसाब ऊंची खानदान का । कुलीन । ३. से। असली । खरा । सच्चा । ४. विशुद्ध । जाति वैर-(न०) १. स्वाभाविक शत्रुता । जातवेद-(न०) अग्नि । सहज वैर । २. जातियों में परस्पर वैरजातसुभाव-(न०) १. वंश-परस्परा का भाव । स्वभाव । कुल स्वभाव । २. जाति जाति व्यवहार-(न०) जातियों में परस्पर स्वभाव । भोजन व्यवहार । जातांकरणी-(मुहा०) यात्राएँ करना। जाति स्वभाव-(न०) १. जाति का विशेष जाता-जुगाँ-(अन्य०) युगों के बीत जाने पर गुण या स्वभाव । २. एक अलंकार ।। भी। जातिहीन-(वि०) १. जातिच्युत । २. हीन जाताँपाण-(अव्य०) जाते ही । पहुँचते ही। जाति का। जाति-(ना०) १. कर्मानुसार (अब जम्मा- जाती-दे० जाति । For Private and Personal Use Only Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जाति महि जाती बाहरे - (वि०) जाति से निकाला हुआ । जाति । जाति बहिष्कृत । जाती-रा-पग - (श्रव्य ० ) अध: पतन के चिह्न । जातीवर - ( न०) जाति शत्रुता । सहज वैर । स्वाभाविक शत्रुता । जैसे बिल्ली और चूहे में । ( ४४० ) जाती सुभाव - ( न०) १. जाति स्वभाव । जाति का गुण । २. वंश गुरण । कुल का स्वभाव । जातू - ( न० ) बैलगाड़ी के मांकड़े में खड़ा किया जाने वाला डंडा । जातो-तो- (वि०) जाता आता । जाताआता हुआ । जात्रा - ( ना० ) १. यात्रा । तीर्थाटन । २. देशाटन | भ्रमरण । जात्राळ - (वि०) तीर्थाटन करने वाला । यात्रा करने वाला । यात्री । जात्री - ( न० ) यात्री । जादम-दे० जादव | जादरियो - (०) गेहूं की ऊंबी में से निकाले हुए हरे गेहूं या हरे चने या हरी ज्वार को पीस कर बनाया जाने वाला हलवा | जादव - ( न० ) १. यादव | २. श्रीकृष्ण । ३. भाटी क्षत्री । जादवपति - ( न०) यादवपति श्रीकृष्ण । जादवराय - ( न० ) श्रीकृष्ण । जादवेस - ( न०) श्रीकृष्ण । जादवो - ( न०) श्रीकृष्ण । जादा - ( वि० ) ज्यादा । अधिक । घणो । जादुराय दे० जादवराय । जादू - ( न० ) १. इंद्रजाल । २. टोटको । टोना । ३. यादव । जादव । जादूगर - (To) जादू करने या जाननेवाला । इंद्रजालिक । जादूमंतर - ( न०) जादू का मंत्र । जादूमंत्र । जान - ( ना० ) १. बरात । जनेत । २. प्राण । ३. शक्ति । ४. जानकारी । ज्ञान । ५. अनुमान | ख्याल | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जॉबक जानकी - ( ना० ) श्रीराम की पत्नी । सीता । जानकीनाथ - ( न०) श्रीराम । जानरगी - ( ना० ) बरातिन । जनेतिन । जानराय - ( न०) १. श्रीराम । २. विष्णु । जानवर दे० जनावर । जानियो - ( न०) जनेती । बराती । जानी - ( ना० ) बराती । जनेती । जानियो । (वि०) प्यारा । जानीवासो - ( न०) बरातियों के ठहरने का मकान । जनवासा । डेरो । जानेत-दे० जानेती | जानेतरण - ( ना० ) जनेतिन । बरातिन । जानणी । जानेती - ( न०) बराती । जनेती । जानियो । जानो । जान्हवी - ( ना० ) गंगा नदी । जाह्नवी । जाप - ( न० ) जप | जापक - ( वि०) जप करने वाला । जपियो । जापजप - दे० जपजाप । जाताई - दे० जाबताई | जापताप दे० जपतप । जापतो दे० जाबतो । जापान - ( न० ) एक देश । जापानी - ( ना० ) १. जापान की भाषा । २. जापान का निवासी । ( वि० ) जापान का । जापान संबंधी । जापायती - ( वि० ) प्रसूता । जच्चा । जापो - ( न० ) १. सोरी । सूतिकाग्रह । २. सूति । प्रसव | जन्म | जाफ - ( ना० ) बेहोशी । मूर्च्छा । जाफरान - ( ना० ) केशर । जाफरी - ( ना० ) वरंडे, बारी आदि के आगे लगाई जाने वाली बाँस या लोहे की पट्टियों की बंद जाली । जाब - ( न० ) जवाब । उत्तर । जबाब । जाबक - ( वि० ) समस्त | सब | ( क्रि०वि० ) सर्वत्र । सब जगह । (अव्य० ) १. सबका For Private and Personal Use Only Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाव करणो जायदाद गैर मनकूला पागा सब । ऊपर से नीचे तक । आदि से अंत दार कपड़ा। ४. एक प्रकार का फूल कढ़ा तक । २. सर्वथा । बिलकुल । हुआ कपड़ा । ५. चमड़े की थेली । जाब करणो-(मुहा०) १. उत्तर देना । जामनेमी-(न०) इंद्र । २. प्रश्न करना। जामफळ-(न०) अमरूद । जाबड़ो-(न०) जबाड़ा। जबाड़ो। जामळ-(न०) १. जन्म । २. स्त्री-पुरुष । जाबताई-(ना०) हिफाजत से रहने की व्य- नर-नारी । यामल । ३. जोड़ा । युग्म । वस्था । दे० जाबतो। यमल । यामल । ४. संग । साथ । जाबतो-(न०) १. पक्का बंदोवस्त । जामळरणो-(क्रि०) १. मिलना । सम्मिलित जाब्ता। २. सम्हाल । सावधानी । ३. होना। २. एकमत होना । सहमत होना। रक्षा । निगरानी । ४. रक्षा का प्रबंध। जामात-(न०) जमाई । दामाद । जाब पूछणो-(मुहा०) उत्तर माँगना। जामा-बरदार-(न०) राजा, बादशाह के जाम-(न०) १. रात । २. क्षण । पलक । चलने के समय उनके भारी जामा को ३. प्रहर । ४. पिता । ५. पुत्र । ६. पुत्री। बाजू से पकड़ कर चलने वाला सेवक । जाया। ७. सौराष्ट्र के नवानगर (जाम जामिन-(न०)जमानत देने वाला । जामिन । नगर) के जाड़ेजा शासक की उपाधि । प्रतिभू । ८. प्याला। (वि०) १. दाहिना । २. जामी-(न०) १. पिता। २. यम नियमों दोनों। ३. रुका हुआ । ४. अटका हुआ। का पालन करने वाला तपस्वी । यमी। फंसा हुआ। ३. योगी। जामगरी-दे० जामगी। जामो-(न०) १. जन्म । उत्पत्ति । २. जामगी-(ना०) बंदूक या तोप दागने का जीवन । जिंदगी । ३. पुत्र । ४. सहारा । पलीता। जामगरी। पलीतो।। प्राधार । ५. घाघरे की तरह घेरेदार जामण-(ना०) १. माता । जननी। २. (अंगरखी के साथ जुड़ा हुआ) पुरुषों के संतान । (न०) १. जन्म । २. मेल । पहनने का बागा । वागो । प्रांगी । मिलान । ३. दूध को जमाने के लिये जामोत-(न०) जमाई । दामाद । उसमें डाली जाने वाली छाछ या दही। जमोपत्त-(वि०) १. आधार प्राप्त । सहारा जामन । प्राप्त । २. (जीवन के लिय) आधार जामणजाई-(ना०) बहिन । भगिनी । . प्राप्त करने वाली । ३. जन्मा हुमा । जामणजायी-दे० जामणजाई । (भू०क्रि०) १. जन्मा। २. जीवन निर्वाह जामणजायो-(न०) भाई। किया। जामण-मरण-(न०) जन्म-मरण । जन्मना जाय-(न०) पुत्र । (ना०) १. पुत्री। २. और मरना। ___स्त्री । ३. चमेली । ४. जूही। जामणी-(ना०) १. दही जमाने का पात्र । जायकटयो-(अव्य०) एक गाली। प्राथणी । २. रात । रात्रि । यामिनी। जायगा-(ना०) १. जगह । स्थान। २. जामणो-(क्रि०) १. जमना । स्थिर होना। मकान । घर । ३. जमीन । २. जन्म लेना । ३. होना । ४. फैलना। जायदाद-(ना०) संपत्ति । माल-मिलकत । जामदानी-(ना०) १. एक प्रकार का संदूक। जायदाद गैर मनकूला-(ना०) अचल २. बुगचा। ३. बुगचा बनाने का काम- संपत्ति । For Private and Personal Use Only Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जायदाद मनकूला जाळीचा जायदाद मनकूला-(ना०) चल संपत्ति । परत । ८. आँख की पुतली के ऊपर छाने जायपीट्यो-(अव्य०) एक गाली । वाली झिल्ली । जाळो । जायफळ-(न०) जायफल । जाळउर-(न०) जालोर नगर । जाया-(ना०) १. पुत्री। २. स्त्री। जाळण-(ना०) १. अग्नि । २. ईंधन । जायापीट्या-(प्रव्य०) एक गाली।। ई धरणी । ईनरणी । बळीतो। जायी-(ना०) १. पुत्री । जाई । (वि०) जालम-(वि०) जालिम । अत्याचारी । जन्मी हुई। जुल्म करने वाला। जायो-(न०)१. पुत्र । बेटा । (वि०) जनमा जाळवण-(ना०) १. अग्नि । २. ईधन । हुआ। जात । ३.जाल वृक्ष । पीलू वृक्ष । जाळ । ४.जालजायोड़ी-(वि०) जन्मी हुई। वृक्ष की लकड़ी। ५. हिफाजत । निगजायोड़ो-(वि०) जन्मा हुआ। रानी। संभाळ । (वि०) जलाने वाला। जायोपीट्यो-(प्रव्य०) एक गाली। जाळवणी-(ना०) १. देखभाल । सम्हाल । जार-(न०) पराई स्त्री से अनुचित संबंध २. सुरक्षा । ३. अग्नि । ४. ईंधन । रखने वाला व्यक्ति । व्यभिचारी। जाळवणो-(क्रि०) १. सम्हालना । सुरक्षित जार कर्म-(न०) व्यभिचार । जारी। रखना । देखभाल करना। २. सुरक्षित जारण-(ना०) १. अग्नि । २. बळीतो। रहना । सम्हल कर रहना । ३. जलाना । ईंधन । ईधरणी । ३. जलाने का भाव या जाळसाज-(वि०) जालसाजी करने वाला। क्रिया। धोखेबाज । दगाबाज । जारणी-(ना०) १. अन्य पुरुष से अनुचित जाळसाजी-(ना०) धोखाबाजी । बगासंबंध रखने वाली स्त्री। दुश्चरित्रा। बाजी । जारिणी । व्यभिचारिणी। कुलटा। जाळ धर-(न०) १. जालोर नगर का एक २. ईंधन । इंधन की लकड़ी। ईधरणी । नाम । २. नाथ सम्प्रदाय के एक सिद्ध जारणो-(क्रि०) १. पचाना । हजम करना। योगी। जलंधर नाथ । २. सहना। ३. जलाना । ४. मारना। जाळानळ-(ना०) १. अग्नि । आग। २. जारत-(ना०) १. यात्रा। २. तीर्थ यात्रा। अग्नि की ज्वाला । झाळ । तीर्थाटन । जियारत । ३. दर्शन। तीर्थ- जालिम-दे० जालम । दर्शन। जाळियो-(न०) जाल वृक्ष का फल । पीलू । जारात-(ना०) जाहिरात । प्रसिद्धि । जाळी-(वि०) १. जालसाज । २. बनावटी । (वि०) प्रसिद्ध । छावो। जाली । -(ना०) १. छिद्रवाली कोई जारी-(ना०) व्यभिचार । पर स्त्री गमन । परत । जाली । २. झिल्ली। ३. लट्ट, २. पर पुरुष गमन । जारकर्म । (वि०) फिराने की डोरी। ४. काटने वाले ऊँट प्रचलित । चालू । के मुंह पर बाँधने की रस्सी से बनी हुई जाळ-(ना०) जाल । पीलू वृक्ष । (न०) १. जालीदार टोपी । ५. एक प्रकार का फंदा । जाल । २. धोखा । षड्यंत्र । ३. कवच । ६. छिद्रोंवाला एक कपड़ा। समूह । ४. जाला (मकड़ी का)। ५. माया ७. झरोखा। खिड़की । बारी।। का बंधन । माया जाल । ६. कर्म बंधन। जाळीचाँ-(अव्य०) धोखे बाजों के। जाली ७. किसी वस्तु के ऊपर छाई हुई झिल्ली। लोगों के । For Private and Personal Use Only Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जाळीदार जाळीदार - (वि०) जाली वाला । जाळीसधरा - ( ना०) मारवाड़ का जालोर प्रदेश | जालोरी | ( ४४३ ) जाळो - ( न० ) १. मकड़ी आदि का जाल । जाला । । ५. जमे २. प्रांख का एक रोग । मोतिया । ३. संगठन । ४. समूह हुए धुएँ का जाल समूह । जालोर - ( न०) मारवाड़ का प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगर । जालोर । जाळोरी - ( न०) १. जालोर के आसपास का वह भाग जिसमें मारवाड़ी भाषा की जालोरी बोली का प्रचलन है । २. जालोर के आस पास का या जालोर जिले का प्रदेश | ( वि० ) १. जालोर या जालोरी का । २. जालोर से संबंधित । जाव - ( न०) वह खेत जिसमें कुएँ या नहर से सिंचाई की जाती हो । [ राजस्थान में ( एक फसली) वर्षा द्वारा उत्पन्न फसल की भूमि को खेत कहते हैं और कुएँ या नहर की सिंचाई वाली दो फसली भूमि को जाव कहते हैं] २. अलता । महावर। जावक । ३. मेंहदी । जावद - (वि०) १. बाहर भेजा हुआ । निर्यात । २. बाहर जाने वाला ( माल) । ( ना० ) १. व्यय । खर्च । २. खर्च में लिखी हुई रकम | उधार । ३. महावर । अलता । जावणियो- (वि०) जाने वाला । जारण वाळो । जावरणवाळो । जावरण - ( क्रि०) १. जाना । प्रस्थान करना । दूर होना । जाणो । २. कम होना । घटना | बीतना । ३. नष्ट होना । ४. नुकसान होना । ५. मरना । ६. गायब होना । जावरो- (वि०) वृद्ध | बूढ़ा | जावसी दे० जावेला । जावंतरी - ( ना० ) जावित्री । जांगड़ जावाला - ( भ० क्रि० ब० व०) १. जायेंगे । २. जायेंगी । जावित्री - ( ना० ) जायफल के ऊपर का सुगंधिदार छिलका । जावंतरी । जावेल - ( न०) चमेली का तेल । जावैला - ( भ० क्रि०) १ जायेगा । २. जायेगी । जास - ( क्रि०वि० ) जिससे । ( सर्व० ) जिस । ( ना० ) १. साहस | हिम्मत । २. धीरज । खटाव । जासती - (वि०) १. अधिक । ज्यादती । २. अत्याचार । जबरदस्ती । बलात् । जासाँ - दे० जावांला । जासी दे० जावैला । जासूस - ( न० ) गुप्तचर । भेदियो । जासू - ( भ०क्रि०) १. जाऊंगा । २. जाऊंगी। जास्ती- दे० जासती । जाहनवी - दे० जाह्नवी । जाहर - ( वि० ) लोकज्ञात । प्रकट | जाहिर । जाहररणवी-दे० जाह्नवी । जाहरपीर - (न० ) १. एक पीर । २. चौहान गोगा । लोक देवता गोगा पीर । जाहाँ - (वि०) जाहिर । प्रकट । ( क्रि०वि०) १. प्रकट रूप से । जाहिरा । २. जब । जिस समय । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ना० ) १. जुल्म । ३. जाहरात दे० जारात । जाहाँ तेग - (वि०) १. तलवार चलाने में For Private and Personal Use Only प्रसिद्ध । २. वीर । जाहिर-दे० जाहर | जाही- दे० जासी । जाह्नवी - (ना०) गंगा नदी । जाँ - ( क्रि०वि०) १. जहाँ । २. जब । ( सर्व० ) १. जिन । २. जिनके । ३. जो । ४. उन । जाँखळ - (To) कलेवा। नाश्ता | झांकळ । सिरावरण । जाँगड़ - ( न० ) १. एक मुसलमान जाति । मुसलमान ढोली । २. यशोगान करने Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोगड़ियो । ४४४ ) जिगं वाला व्यक्ति। ३. जंग में वीरता की जाँदा पड़णो-(मुहा०) १. मन की मन में प्रशस्तियाँ गाकर वीरों को प्रोत्साहन देने . ही रहना। मन की पूरी न होना । २. वाला गायक । ४. ढोली ।। ५. ढाढ़ी। कष्ट भुगतना। तकलीफ उठाना । ३. ६. योद्धा । (वि०) वीर । बहादुर । वियोग पड़ना। ४. इच्छा पूरी नहीं जाँगड़ियो-दे० जांगड़। होना । ५. कमी होना। जाँगड़ो-(न०) डिंगल का एक छंद। जाँबाज-(वि०) १.मात्मबली । २.जवां मर्द । दे० जांगड़ । जाँबाजी-(ना०) जान की बाजी। आत्म जाँगळ -(न०) राजस्थान में बीकानेर जिले बलिदान । २. जवां मर्दी। का एक प्रदेश। जांबू-(न०) १. सौराष्ट्र का लींबड़ी प्रदेश । जाँगी-(न०) १. नगारा। २. बड़ा ढोल। २. जंबूफल । जामुन । ३. रण वाद्य । ४. छोटी हर की एक जाँबो-दे० जांभो। किस्म । ५. छोटी किस्म की हरें। जाँभेल(न०) तारामीरा का तेल । जाबो जाँगी हरड़े-(ना०) एक प्रकार की छोटी तेल । हरें। हीमज । जाँभो-(न०)सरसों की जाति का पर सरसों जाँघ-(ना०) जंघा । साथळ । से अधिक तीखा और कड़ा तिलहन । जाँघियो-(न०) १. तंग मोहरी का घुटनों तारामीरा। तक का एक पजामा । कच्छा । जांघिया। जाँभोजी-(न०) पीपासर (राजस्थान) में २. पजामा। जन्मे विसनोई (जाति) संप्रदाय के प्रवर्तक जांच-(ना०) १. देखभाल। निरीक्षण। एक सिद्ध पुरुष ।। २. परख । परीक्षा । ३. खोज । जांभो तेल-(न०) तारामीरा का तेल । जाँचरणो-(क्रि०) १. जाँचना । तपासना। जांभेल । २. परखना । परीक्षा करना। जाँवरण-(न०) जामन । जावन । जामरण । जांझर-(न०) स्त्रियों के पैरों में पहनने का । जाँवळणो-दे० जामळणो । बारीक घूघरूदार एक गहना । झांझर । जिकरण-(सर्व०) 'जिको' का वह रूप जो जाँझरके-(प्रव्य०) प्रातःकाल में। प्रभात उसे विभक्ति लगने के पहिले प्राप्त होता वेला में। है। जिस । (वि०) जिस । जांझरको-(न०) प्रातःकाल । प्रभात । जिकर-(न०) १. जिक्र । चर्चा । बातचीत । उषाकाल । झिकर । २. कथन । जाँझरिया-(न०ब०व०) बच्चे के पांवों में जिका-(सर्व०) वह । पहनने की छोटी जांझर जोड़ी। जिका-((सर्वव०व०)१.जिन्हें । २.जिन्होंने । जाँट-(ना०) शमीवृक्ष । खेजड़ी। ३. जिन । ४. उन । जाँतरो-(न०) तार को खींच कर पतला जिकाँरै-(सर्व०ब०व०) जिनके । जिणार । बनाने का एक यंत्र । तार पट्टी। जिकाँरो-(वि०ब०व०) जिनका । जाँदा-(नम्ब०व०) १. कष्ट । तकलीफ। जिकी-(सर्व०) वह । (वि०) जो । २. वियोग । जुदाई। ३. दूरी । भेद। जिके-(सर्व०) १. जिस । २. उस । ३. जो । अंतर । ४. लालसा। ५. अभिलाषा। जिको-(सर्व०) वह । (वि०) जो। तीव्र इच्छा। जिग-(न०) यज्ञ । For Private and Personal Use Only Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिगन (४५) जियारत जिगन-(न०) यज्ञ। जिनगी-(ना०) जिंदगी। जिगर-(न०) १. कलेजा । २. दिल । मन । जिनड़ी-दे० जिनगी । ३. साहस । हिम्मत । जिनमत-(न०) जैन धर्म । जिगरी-(वि०) प्यारा । प्रिय। जिनमंदिर-(न०) जैन मंदिर । जिडो-(वि०) जितना। जित्तो । जितरो। जिनवर-(न०) तीर्थंकर । जिढ-(ना०) जिद्द । हठ। जिनस-(ना०) १. चीज । वस्तु । जिन्स । जिढी-(वि०) जिद्दी । हठी। २. अदद । नग। ३. प्रकार । भांति । जिण-(सर्व०) १. जिसने । २. जिस । ४. खाका । ढाँचा । ३. जिसके। जिनहाँ-(सर्व बल्व०) १. जिन्होंने । २. जिणगी-(क्रि०वि०) जिस ओर । (वि०) जिनके । ३. जिन ।। जिसकी। जिनहाँ हंदियाँ-(वि०ब०व०) १. जिनका। जिणथी-(सर्व०) जिस (व्यक्ति) से । जिससे। २. जिनकी। जिगन-(सर्व०) जिसको। जिना-(न०) व्यभिचार । जिण परि-(प्रव्य०) १. जिससे । २. जिस जिनाकारी-(ना०) व्यभिचार । प्रकार । ३. जिस पर । ४. जिसके बाद । जिनात-(ना०) सामर्थ्य । हैसियत । ताकत । जिगरी-(सर्व०) जिसकी। जिनावर-दे० जनावर जिणरो-(सर्व०) जिसका। जिना-दे० जिनहाँ । जिणसू-दे० जिणथी। जिना हंदा-दे० जिनहाँ हंदियाँ । जिणंद-(न०) जिनेन्द्र । तीर्थकर । जिना हंदियाँ-दे० जिनहाँ हदियाँ । जिरिण-(सर्व०) जिस । जिभै-(न०) गला काट कर प्राण लेने की जिणियारी-(ना०) माता। क्रिया । जबह । जिबह । जिणो-दे० जणो। जिभ्या-(न10) जिह्वा । जीभ । जितणो-(वि०) जितना । जितरो। जिम-(क्रि०वि०) १. जिस तरह। जिस जित-तित-(क्रि०वि०) जहाँ तहाँ । जठे तठे। प्रकार । (अव्य०) ज्यों। जैसे । जैसे कि। जितर-(क्रि०वि०) १. जब तक । २. जितने ज्य। ज्युके। जिमक्कड़-(वि०) खूब खाने वाला । जितरो-(वि०। जितना । जित्तो। जिम-तिम-(क्रि०वि०) जैसे-तैसे । जिस जितै-(क्रि०वि०) १. जितने में। २. जब किसी प्रकार । ज्युत्यु। तक । जठ ताई। जिमावणो-(क्रि०) खिलाना । भोजन जित्ता-(वि०व०व०) जितने । जितरा । ___ कराना । खवावरणो। जितो-(वि०) जितना। जितरो। जिम्मेवार-(न०) उत्तरदायी । जित्तो-(वि०) जितना । जितरो। जिम्मेवारी-(ना०) उत्तरदायित्व । जिद-(ना०) हठ । दुराग्रह।। जिय-(न०) जीव । जिद्दी-(वि०) जिद्दी । हठी । दुराग्रही। जियान-(क्रि०वि०) जिस प्रकार । जैसे । जिन-(न०) १. विष्णु । २. बुद्ध । ३. सूर्य । ज्यं । ४. तीर्थकर । ५. मुसलमान भूत । जियारत-(ना०)१. तीर्थ यात्रा । २. मुसलजिनगानी-दे० जिंदगानी। मानों की मक्के, मदीने की यात्रा । For Private and Personal Use Only Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीण जियारी (४) जियारी-दे० जीवारी। जिंदगाणी-(ना०) जिंदगी । जीवन । जिंदजियाँ-(सर्व०ब०व०)१. जिनका । २.जिनकी। गानी । जिनगानी । ___३. जिन्होंने । जिरणां । (अव्य०) जैसे कि। जिंदगी-(ना०) १. जीवन । २. जीवन जियाँकळो-(वि०) १. जिस प्रकार का। काल । प्रायु ।। जैसा। जड़ो। जिसो। २. उस प्रकार जिंदो-(वि०) जीवित । जीवतो। का। वैसा। अड़ो। बड़ो । विसो। जी-(प्रव्य०) १. सम्मान सूचक एक शब्द । २. जितना । जितरो जित्तो। २. प्रादर सूचक प्रत्युत्तर का एक शब्द । जिरह-(न0) कवच । बस्तर । (ना०) ३. गुरुजनों के प्रति उच्चारण किया जाने १. ऐसी पूछताछ जो सच्ची बात का पता वाला स्वीकृति व समर्थन प्रादि का सूचक लगाने के लिये की जाय। २. प्रश्न जो शब्द । ४. पिता, पितामह, मातामह प्रतिपक्षी या उसका वकील बयान की आदि गुरुजनों के लिये सम्मान सूचक सच्चाई जाँचने के लिये करे। ३ हुज्जत । शब्द । जी। जीसा । प्रापजी। ५. व्यक्ति जिराफ (न०) लंबी गरदन का एक अफ्रीकी के नाम के अंत में लगने वाला आदर पशु। वाचक शब्द। जी। यथा-किसनजी, जिलै-(ना0) अोप । चमक । जिला। रामदेवजी, पाबूजी । (न०) १. जीव । जिलो-(न०) सूबे का वह भाग जो कलेक्टर प्राण । २. प्रादर सूचक प्रत्युत्तर । के अधीन हो। जिला । ३. मन । दिल । ४. पिता। जीसा । जिल्द-(ना०) १. पुस्तक की एक प्रति । प्रापजी । ५. माता। २.पुस्तक का एक भाग। खंड । ३.पुस्तक जीकारो-(0) १. 'जी' शब्द का बोधक की रक्षा के लिये ऊपर नीचे चढ़ाई हुई । पद । २. किसी के नाम के अंत में लगाया दफ्ती । पूठा। __ जाने वाला सम्मान सूचक 'जी' शब्द का जिल्दसाज-(न0) पुस्तकों की जिल्दें बांधने भाव । जैसे रामचन्द्रजी । वाला। जिवड़ो-(न०) जीव । जी। (वि०) १. जैसा। जीखा-(न0) वर्षा की बारीक बूदें। (ना.) पकाई हुई ईट को घिस कर बनाया २. जितना। जिवावरणो-दे० जिवाड़णो । हुमा बारीक चूर्ण या बुरादा।। जिसड़ो-दे० जिसो। जीखेस-(न०) १. शिव वाहन । नंदी। जिसन-(न०) १. इंद्र । जिष्णु । २. अर्जुन। २. बैल । वृषभ । जिष्णु । ३. सूर्य । ४. श्रीकृष्ण । जीजाजी-(न०) बड़ी बहन का पति । बहनोई। जिसम-(न०) शरीर । जिस्म । डोल।। जिसी-(वि०)जैसी । जैड़ी। जीजी-(ना०) बड़ी बहिन । जिसो-(वि०) १. जैसा । जड़ो । २. समान। जी-जोड़-(प्रव्य०) जी-जान से । पूरी शक्ति जिस्यान-(क्रि०वि०) जिस प्रकार । जैसे। से। (वि०) जैसा। जीरण-(ना०) १. एक प्रकार की विशेष जिस्यो-दे० जिसो। बुनावट का मोटा वस्त्र । २. घोड़े की जिना-(प्रव्य०) जिस तरह। जैसे । ज्युके। काठी। पलारण । चारजामा। जीन । जिद-(न०) १. भूत । २. मुसलमान भूत । दे० जीणमाता । For Private and Personal Use Only Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीणगर ( 0) जीव-जड़ी जीणगर-(न०) १. घोड़े की जीन बनाने जीमण-(न०)१. भोजन । खाना । पाहार । वाला कारीगर । जीनसाज । जीनगर। २. परोसा । जेमन । थाळ । कांसो । २. मोची। जीमणवार-(न०) ज्योनार । भोज । जीणपोस-(न०) जीन के ऊपर डाला जाने जीमणियार-(वि०) १. निमंत्रण पर भोजन वाला कपड़ा। जीनपोश । करने को पाये हुए। २. बहुत खाने जीणमाता-(ना०) शेखावाटी की एक वाला। दे० जीमणियाळ । प्रसिद्ध लोकदेवी। जीमणियाळ-(वि०) बैलगाड़ी में दाहिनी जीणसाळ-(न०) जीनसाल। कवच । __ अोर जोता जाने वाला (बैल)। जीत-(ना०) विजय । जय । फतह । जीमणी-(वि०) दाहिनी। जीतरिणयो-(वि०) जीतने वाला । जीमणो-(वि०) दाहिनी ओर का। दाहिना। जीतरणो-(क्रि०) विजय पाना । जीतना। (क्रि०) भोजन करना । जीमना । खाना। फतह होना। जीमाड (वि०) बहत खाने वाला । खाऊ । जीतब-(न0) १. जीवन । जिंदगी । २. जीमाड़णो-(क्रि०) खिलाना । भोजन कर जीवन-स्थिति । ३. जीवन-यात्रा। वाना। जीतवा-(न०) १. जीव । २. जीवात्मा। जीमावरणो-दे० जीमाडगो । जीती-(ना०) १. जीवन साफल्य । सफल जीमूत-(न०) १. बादल । मेघ । २. पर्वत । जीवन । २. विजय । जीत । ३. सूर्य। जीप-(ना०) १. जीत । विजय । २. एक जीरगण-(वि०) जीर्ण । पुराना । (ना०) जाति की मोटर गाड़ी। ज्वार । जुग्रार धान्य । जीपणो--(क्रि०) जीतना । विजयी होना। जीरणो-दे० जीरवगो। जीभ-(ना०) १. जिह्वा । जीभ । रसना। जीरवणो-(क्रि०) १. सहा करना। बर२. वाणी। जबान । ३. कलम को नोक। दान करना । गम खा.।। पचाजाना । २. धीरज रखना । ३. पच जाना। हजम ३. बूट पहिनने में प्रयुक्त एक लोहे की करना। पट्टी। जीराण-(न०) श्मशान । मसारण । जीभ जाडी पड़णो-(मुहा०) मृत्यु के समय जीरो-(न0) जीरा । जीरक । जीभ का मोटा हो जाना। मरणासन्न जीरोई-(ना०) दरी। होना। जीव-(10) १. प्राण । शरीर का चेतन जीभाळ-(न०) राक्षस । (वि०) १. लंबी तत्त्व । जीव । २. प्राणी। जीव । जीवजीभ वाला। २. बकवादी । जीभोटो। धारी । ३. मन । दिल । जी । ४. प्रेम । जीभी-(ना०) जीभ का मैल उतारने का ५. मोह । ६. चित्त । ध्यान । ७. खाट एक उपकरण । की एक बुनाई जिसका मध्य भाग जीव जीभोटा-(न० ब० व०) व्यर्थ की बातें। संज्ञक होता है । ८. कीड़ा । कीट। बकवाद । जीव-उकाळो-(न०) १. क्लेश । दुख । जीभोटो-(वि०) १. व्यर्थ बकने वाला। २. कुढ़न । ३. मनस्ताप । बकवादी। २. लबार । गप्पी । असभ्य । जीव-जडी-(ना०) १. जीवनमूरि । जीवन ३. जबान करने वाला। जबानदराज । की जड़ी। २. जीवन का आधार । वाचाल । ३. प्रेमी । ४. पति । For Private and Personal Use Only Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीव-जंत (४४ ) जीवाणो जीव-जंत-(न०) कीड़ा-मकोड़ा । जीव-तंतु। प्राप्त होने वाला वीर योदा। (वि०) जीव-जंतु-दे० जीव-जंत । १. विजयी । २. वीर गति प्राप्त । जीवड़ो-(न०) १. जीव । २ आत्मा। जीवती-(वि०) १. जीवित । २. सजीव । ३. जी । मन । ४. कीड़ा-मकोड़ा । छोटा जीवतेजीव-(अध्य०) १. जीवित रहते कीड़ा । ५. जंतु । जीव-जंतु। हुए। जीवतावस्था में । जिंदगी में । २. जीवण-(न०) १. जीवन । २. मायुष्य । जिंदगी है जब तक। उम्र । ३. प्राण । जीवन । जीवतो-(वि०)१.जीता । जिंदा । जीवित । जीवणधन-(न०) १. ईश्वर । परमात्मा। २. जीव वाला । सजीव । ३. परिमाण २. स्वामी। पति । जीवन धन । (तोल-नाप आदि) से कुछ अधिक । जीवरणम्रत-(वि०) १. जो जीवित ही मृत जीवतोड़-(वि०) अत्यधिक कठिन ( परि समान हो । जीवन्मृत । २. जिसका जीवन श्रम ) जीतोड़ । सार्थक न हो । (न०) जीवन और मृत्यु । जीवन-दे० जीवण जीवण-साथरण-(ना०) जीवन-संगिनी । जीवन चरित-(न०)१. किसी के जीवन का पत्नी । वृतान्त । जीवन-चरित्र । २. वह पुस्तक जीवणो-(क्रि०) १. जीना। सांस चलना। जिसमें किसी के जीवन का वृत्तान्त लिखा २. जीवित रहना । ३. जीवन गुजारना : हुमा हो । ३. एक साहित्यिक विधा। जीवत औसर-दे० जीवत खरच । जीवन चरित्र-दे० जीवन चरित जीवत खरच-(न०)जीवित अवस्था में किया जीवनी-दे० जीवन चरित जाने वाला प्रपना हो मृतक भोज । वह जीवरखो-(न0) १. किला। दुर्ग। २. किले मृत्यु भोज जो अपनी मृत्यु होने के पहले ___ में बुर्ज पंक्ति के बीच में उठा हुआ स्थान (जीवितावस्था) में स्वयं के द्वारा कर जिसमें युद्ध का सामान रहता है और लिया जाता है। योद्धा लोग रहते हैं। ३ शरणागतों को जीवतदान-(न०) १. मारे जाने या मरने किले में छिपा रखने का स्थान । संरक्षण वाले की कीजाने वाली प्राण रक्षा। स्थान । ४. विद्रोही व शत्रु राजा, सरदार प्राणदान । जीवनदान । २. जीवित रहने आदि को किले में कैद रखने का स्थान । का साधन । ३. वह दान या सहायता ५. गुफा । ६. घर । ७. चोर, डाकू पाकजो किसी के जीवन भर का सहारा बन मणकारी इत्यदि से बचने के लिए सुरसके। क्षित स्थान । ८. जीवन रक्षा । ६. शरीर । जीवत-म्रत-(वि०) १. (सार्थक) मृत्यु को जीवहिंसा-(ना०) १. जान-अनजान में होने जीवन से श्रेष्ठ समझने वाला। २. जीवित वाली प्राणी हिंसा । २. प्राणियों का ही मृत समान । (न०) जीवन और वध । हत्या। मृत्यु। जीवाजण-(ना०) १. जीवयोनि । २. जीवजीवतसंभ-(न०) १. वीर गति प्राप्त करने जंतु । प्राणीमात्र । मनुष्य, पशु, पक्षी पर्यन्त रुद्र रूप से लड़ते रहने वाला वीर इत्यादि प्राणी। योद्धा । २. जीवित (प्राण) रहने तक जीवाड़णो-(क्रि०) १. जीवित करना । रुद्र के समान शत्रु संहार करते रहने वाला २. मृत्यु से बचाना । ३. संकट से बचाना। वीर पुरुष । ३. जीवित ही रुद्र गति को जीवाणो-दे० जीवाड़णो। For Private and Personal Use Only Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भोवाणी ( ४ ) जुगजुगी जीवाणी-(10)१. पानी वाले जीव । सूक्ष्म जीवणी-कानी-(प्रव्य०) दाहिनी पोर । जल -जीव । २. पानी को छानने पर छन्ने जीवणी-दिस-(अव्य०) दाहिनी ओर। में रह गये जीव । ३. जीवों वाला पानी। जीवणो-(वि०) दाहिना । जीमणो । जीवाणू-(न०) १. जीवयुक्त अणु । २. अणु जींस-(सर्व०) जिससे । के समान सूक्ष्म जीव ।। ३. जोवारणी। जु-(अव्य०) एक पादपूरक अव्यय । २. एक पानी वाले जीव । ४. जीव वाला पानी। संयोजक अव्यय । कि । ३. यदि । जो । जीवात-(ना०) १. सूक्ष्म जंतु या कीड़ों का अगर । -(मर्व०) १. जो । २. वह । समूह । २. अनाज में पड़ने वाले जंतु। जुग्रळ-(न०) युगल । जोड़ा । युग्म । ३. जीवात्मा । जीव। जुग्राजुमा-(वि०) जुदा-जुदा । अलगजीवारी-(ना०) १. जीवन का साधन । . अलग । भिन्न-भिन्न । २. भूख प्यास आदि के (प्राण हरण जैसे) जुग्रा-जुई-(ना०) विवाह के अवसर पर वरसंकट से उद्धार । प्राण जाने की स्थिति वधू के परस्पर जुमा खेलने की एक प्रथा। का निवारण । भरण-पोषण । निर्वाह । जुपाड़ो-(न०) बैलगाड़ी के आगे लगा जीविका । ४. जीव । प्राण । ५. जीवन। रहने वाला एक काष्ठ उपकरण जो बैलजिंदगी। ६. पाश्रय । ७. परस्पर के गाड़ी को खींचने के लिए बैलों के कंधों संबन्धों की मधुरता। पर रखा जाता है । जुआ । जुमाठो। जीवावणो-दे० जीवाड़णो। जूप्रार-(ना०) एक बरछट अनाज । ज्वार । जीवाहन-(न०) इन्द्र । जीमूतवाहन।। जवार। जी-सा-(अव्य०) १. पिता या पितामह प्रादि जुग्रारी-(न0) जुमा खेलने वाला । द्यूत गुरुजनों के लिये आदर सूचक संबोधन । कार । तविद । (न०) पिता। जुई-(वि०) जुदी । अलग। जीह-(ना०) जिह्वा । जीभ । जुनो-(वि०) जुदा । अलग । (न0) जुमा । जीहा-दे० जीह । जीं-(वि०) जिस । जिण । -(सर्व०) जिसने। जुखाम-(न०) सरदी से होने वाला एक रोग जिणे । जिसमें नाक तथा मुह से कफ निकलता जीखा-दे० जीखा । है । जुकाम । श्लेष्म । सळे खम । ठाड। जींगण-(न०) जुगनू । खद्योत । प्रागियो। सरदी । जींजणियाळ -(ना०) जीजणी और बेरी जुग-(न०) १. युग । बारह वर्ष का काल । : वृक्ष की पोरण (रक्षित वन क्षेत्र) में रहने २. जमाना । जुग । काल । ३. शास्त्राबाली देवी। २. करणी देवी। नुसार काल का एक दीर्घ परिमाण जो जींजणियाळी-दे० जीजणियाळ । सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग के नाम जीजणी-(ना.) एक क्षुप । २. कंटीली से विभाजित है । ४. जोड़ा । युग्म ।। झाड़ी। जुग-जमारो-(न०) लंबा समय । वर्षों के जीजा-(न०००) झांझ, ताल या मजीरों वर्ष । (अव्य०) बहुत वर्ष पहले। की जोड़ी। जुगजुगाँ-(अव्य०) अनेक युगों तक । जीझरिणयाळी-दे० जीजणियाळ । जुगजुगी-(ना०) गले का एक भाभूषण। जीन-(सर्व०) जिसको। धुगधुगी। गयाळ। For Private and Personal Use Only Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जुगत (५०) जुगत-(ना०) १. युक्ति । प्रकार । रीति । एक छोटी सोप । २. युक्ति। तर्क । दलील । ३. उपाय। जुजवळ-(ना०)खुलेपत्रों के हस्तलिखित ग्रन्थों तदबीर । ४. करामात । ५. कौशल। में लेखन के दाहिने बायें दोनों ओर के निपुणता । ६. व्यवस्था । तैयारी । सजा- उपान्त (बोर्डर) की दोहरी लाल लकीरें वट । ७.रमणीयता। ६.समानता । मेल। खींचने की लोहे या पीतल की दोनों प्रोर जुगती-दे० जुगत । (ऊपर-नीचे) दो नोक वाली एक कलम । जुगतो- (वि०) योग्य । . जुजाण-(न०) युद्ध । जुगनू-(न०) एक उड़ने वाला चमकीला जुजीठळ-दे० जुजठळ । कीड़ा । खद्योत । जींगण ।मागियो। जुझ-(न०) युद्ध। जुगम-(वि०) १. युग्म। जोड़ा। युगल । जुझाऊ-(वि०) १. युद्ध सम्बन्धी । २. युद्ध २. दो। करने वाला । जूझने वाला । वीर । जुझार । जुगराज-(न०) युवराज। जुझार-दे० जूझार। जुगल-(वि०) १. दो। २. दोनों। (न०) जुझ्झ-(न०) युद्ध । जोड़ा । युगल । जुट-(ना०) १. गुट । दल । २. थोक । लाट। जुगलकिशोर-(न०)युगलकिशोर । श्रीकृष्ण। ३. दो परस्पर मिली हुई वस्तुएँ । ४. २. राधाकृष्ण । मिलान । ५. दिक्कत । परेशानी । जुठ । जुगलजोड़ी-(ना.) १. जोड़ी। जोड़ा। जुटणो-(क्रि०) १. युद्ध में प्रवतं होना । युगल । २. मित्रद्वय । ३. पति-पत्नी। २. युद्ध करना। ३. मिलना। ४. जुटना । दम्पति । जुड़ना । संलग्न होना । ५. लगना । जुगळी-(ना०) १. साथ रहने वाले व्यक्ति। चिपटना। ६. किसी काम में सम्मिलित २. जोड़ी। ३. मित्रमंडली। हाना । ७. एकत्र होना। जुगवर-(न०)युग का श्रेष्ठ पुरुष । युगपुरुष जुटागो-(क्रि०)१. संलग्न करना । जोड़ना । जुगाड़-(ना०) १. आर्थिक सामर्थ्य । २. २. मिलाना। ३. किसी को किसी काम हैसियत । सामर्थ्य । ३. व्यवस्था। ४. में लगाना । ४. एकत्रित करना। प्रबन्ध । जुटाळ-(न०) सिंह । (वि०) १. वीर । जुगाद-(अव्य) युग का आदि। युगादि। बहादुर । २ जुटाने वाला । (वि०) प्राचीन । पुराना (क्रि०वि०) जुटावणो-दे० जुटाणो। प्राचीन समय से। युग के आदि से। जुठ-(ना०) दिक्कत । परेशानी। तकलीफ । जुगाळी-दे० प्रोगाळ । जुड़णो-(क्रि०) १. कविता का बन पड़ना । जुगोजुग-(अव्य०) युग प्रति युग । युग-युग। २. जुड़ जाना। जुड़ना। ३. युर में प्रतियुग । प्रतियुग में। शामिल होना। ४. भिड़ना। लड़ना। जुज-(न०) १.युद्ध । २.अंग । अंश । (वि०) ५. प्राप्त होना। मिलना। ६. इकट्ठा थोड़ा। होना । जमा होना । शामिल होना। जुजठळ-(न०) युधिष्ठिर । (काव्योक्त नाम) जुड़वाई-(ना०) १. नोड़ने का काम । २. जुजदान-(ना.) १. शृंगार पेटी । २. चित्र जोड़ने की मजदूरी । पोथी । एल्बम । जुड़मो-(वि०) जुड़ा हुआ । जुजरबो-(न०) ऊंट पर कसी जाने वाली जुड़वों-दे० जुड़मो। For Private and Personal Use Only Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जुरो जुड़ाई-दे० जोड़ाई। काव्यगत नाम। जुरण-(अव्य०) १. ऊंट को बिठाने के समय जुधाणनाथ-(न०) जोधपुर का राजा । उच्चार किया जाने वाला शब्द । जुग। जोधपुर नरेश । (न०) ऊंट । बंग। जुन्हाई-(ना०) १. ज्योत्सना। चांदनी । जुत-(वि०) युक्त । युत । २. प्रकाश । रोशनी। जुतणो-(क्रि०) १. किसी काम में प्रवतं जुपणो-(क्रि०) १. जुतना। २. प्रज्वलित - होना। २. बैल, घोडे आदि का गाड़ी होना । लगना । सुलगायो। 'प्रादि को खींचने के लिए उसमें जुड़ना। जुमलै-(न०) १. योग । कुल योग। (वि०) ____३. काम में साथ देना। सब । कूल। जुदाई-(ना०) अलग होने का भाव । जुमलो-(न०) १. वाक्य । जुमला । पृथकता। वियोग । जुदापन। अळगापरणो। २. भीड़ । (वि०) सब । जुमला । जुमै-(क्रि०वि०) जिम्मा में। जिम्मेदारी जुदो-(वि०) १. अलग। जुदा। २. अति- में । देखरेख में । सुपुर्दगी में। . • रिक्त । अलावा । सिवाय । ३. अनोखा। जुमो-(न०) जवाबदारी । जोखमदारी । जुध-(न०) युद्ध । लड़ाई। जिम्मा । जुध अघायो-(वि०) १. युद्ध से तृप्त । जुयळ-(वि०) १. अलग। पृथक् । २. दोनों। २. युद्ध में जिसके घाव नहीं लगे हों। ३. दो। (न०) १. जोड़ा। युगल । ३. जो शक्ति भर लड़ा हो। ३. घावों से २. दोनों पांव या हाथ । पूर्ण । ५. युद्ध से अतृप्त । जूर-(ना०) १. कटोरी के आकार की डंडी जुध-जूट-(वि०) वह जिसका जीवन युद्धों दार द्रव पदार्थ छानने की चलनी । २. से ही जुटा रहता है । युद्ध-जुष्ट । हलका ज्वर । ३. ज्वर । ताप । जुधठळ-(न०) १. युधिष्ठिर । २. युद्ध- जुरजोजन-(न०) दुर्योधन । स्थल । जुरजोण-(न०) दुर्योधन । जुधणो-(क्रि०) युद्ध करना । लड़ना। जुरजोधण-(न०) दुर्योधन । जुधथंभ-(म०) युद्ध में स्तम्भ रूप से खड़ा जुरड़ो-(न०) १. छेद । विवर । २. काटों रह कर लड़ने वाला वीर । युद्ध में पीछे की बाड़ में किया हुआ अविध मार्ग । • पांव नहीं देने वाला अडिग वीर । ऊपरवाड़ो । सेरो। २.वृद्ध पुरुष । जरहो। जुधथिर-(न०) युधिष्ठिर । (वि०) युद्ध में जुरा-(ना0) जरा । वृद्धावस्था। स्थिर रहने वाला। जुरत-(ना०) जरूरत । आवश्यकता । जुधबंध-(न०) १. व्यूह रचना। २. व्यूह। जोइजवारण । ३. योगा। जुररो-३० जुरो। जुध मादळ-(न०) १. युद्ध का ढोल । २. जुरासंध-(न0) कंस का ससुर मगध देश युद्ध का हाथी। का राजा जरासंध। जुध रीझल-(वि०) १. युद्ध रसिक । २. जुरासँधखय-(न०) जरासंध को मारने युद्धप्रिय। वाला भीम । जुधारण-(न०) १. जुध का बहुवचन रूप। जुरो-(न०) द्रव पदार्थ छानने या झारने भनेक युद्ध । २. जोधपुर नगर का एक का सुराखों और लंबी रंडी वाला लोहे For Private and Personal Use Only Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवघ। ( ४५२) पुभाऊ का एक पात्र । पूरी-पकोड़ा प्रादि तली की जाने वाली मनौती। ३. जुहार के जाने वाली वस्तुओं को कड़ाही में से रूप में देवता को चढ़ाया जाने वाला निकालने का लंबी डंडी वाला छिछला नैवेद्य । चालना । झारो। झुहारड़ा-(न०) नमस्कार अर्थ 'जुहार' जुर्म-(न0) अपराध । सूचक का ब० व० रूप । जुळ-(क्रि०वि०) एकत्रित । इकट्ठा। जुहारणो-(क्रि०) १. अभिवादन करना । जुळणो-(क्रि०) १. इकट्ठा होना। २. प्रणाम करना । जुहारना । २.देवस्थान में उत्पन्न होना। ३. होना । ४. मिलना। देवता को भेंट पूजा करने को जाना। प्राप्त होना । जुड़णो। जुहारी-(ना०) १. विवाह की एक प्रथा जुलफ-(ना०) सिर के बालों की कान के जिसमें पाणिग्रहण विधि समाप्त होने के आगे निकली हुई लटिया। जुल्फ । बाद दूल्हा का पहिले अपने वडीलों को और कुल्ली। फिर संबंधियों के यहाँ जुहार (प्रणाम) जुलम-(न०) १. अत्याचार । जुल्म । २. करने को जाना। २. जुहारी में प्राप्त जबरदस्ती । ३. बलात्कार । ४. अन्याय। हई भेंट । ३. पाणि-ग्रहण के बाद वर५. अपराध । वधू का गठजोड़ सहित गाजे-बाजे के साथ जुलमी-(वि०) १. जुलम करने वाला। देवस्थानों में जाकर भेंट-पूजा चढ़ाना । अत्याचारी । २.प्रजापीड़क । ३.अन्यायी। जंग-(न०) १. ऊंट। २. ऊंट को बिठाते ४.जबरदस्ती करने वाला । ५. अपराधी। समय बोला जाने वाला एक शब्द । पुरण । जुलाई-(ना.) ईसवी सन् का सातवा जुझलाणो-दे० झुझळावणो।। महीना। जुझलावणी--(ना०) १. अकुलान । ऊब । जुलाब-(न०) १. रेचन । २. दस्त लगाने __जुझलाहट । २. क्रोध । वाली औषधि । जुझळावरणो-(क्रि०) १. ऊबना । अकुजुलावो-(न०) जुलाहा । तंतुवाय। लाना । जुझलाना। २. क्रोध करना । जुव-(वि०) १. दो । २. दोनों । जुहर-दे० जौहर । जुवक-(न०) युवक । युवापुरुष । जूनो-(न०) जुमा । चू त । (वि०) जुदा । जुवती-(ना०) जवान स्त्री। युवती । अलग। जुबराज-(न०) युवराज । .. जूजवो-(वि०) जुदा जुदा । जुवळ-(न०) १. पांव । पैर । २. युग्म। जूजुप्रो. दे० 'जूजवो । : जोड़ा । (वि०) १. दोनों। २. दो। जूझ-(न०) युद्ध । संग्राम । युगल। जूझ-झळ-(ना०)१. युद्धाग्नि । युद्ध ज्वाला। जुवाड़ो-दे० जुपाड़ो। भयंकर संग्राम । २. युद्ध करने की: तीव जुवार-दे० जुमार। : इच्छा । जुवारी-(वि०) जुआ खेलने वाळा । जुपारी। जूझणो-(क्रि०) १. युद्ध करना। २. सिर .. यू तकार। ........... कट जाने के बाद धड़ से लड़ना। जुवो-दे० जुनो। जूझाऊ-(वि०) १. युद्ध से संबंध रखने जुहार-(न०) १. नमस्कार । प्रणाम । २. वाला । युद्ध संबंधी । युद्ध का। २. युद्ध कार्य सिद्ध हो जाने पर अमुक देवता की करने वाला। For Private and Personal Use Only Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ४५३ ) जूर जूझार - ( न०) १. शूरवीर । २. वह वीर जो सिर कटने पर भी लड़ता रहता है। जूझारजी - (न०) लोक देवता की भाँति पूजा जाने वाला जुझार वीर । (श्रव्य ०) व्यंग्य, उपालंभ या वाक्युद्ध श्रादि प्रसंगों में प्रयुक्त असामर्थ्य सूचक एक जैसे - करलीजै थारी बहादरी । देख लियो थनै भारजी नै । अव्यय । जूसरण - ( न० ) कवच | जूह - ( न०) १. भुंड | यूथ । समूह । २. सेना । ३. युद्ध । ४. हाथी । (वि०) बहुत बड़ा । जूं - ( ना० ) १. बालों का एक कीड़ा । जूं ं । जूं प्ररो - दे० जुग्राड़ो । जंग - ( न० ) १. ऊंट । २. ऊंट को बिठाने के लिये बोला जाने वाला शब्द । जुरण । जूंगी - ( ना० ) ऊंटनी | सांय | जूट - ( वि०) १ जुड़ा हुया । २. दो । ( न०) जूं जळो - ( न०) काले रंग का कीड़ा, जो प्रायः विष्ठा की गोली बना कर पाँवों से लुढ़काता और उलटा चलता हुआ बरसात में दिखाई देता है । गोगीड़ो । गुकीड़ो । जू' भरगो-दे० झरणो । १. जोड़ा । २. सन । पटसन । जूटरो - ( क्रि०) १. युद्ध में प्रवर्त होना । २. युद्ध करना। ३. संलग्न होना । जुड़ना । ४. भिड़ना । टकराना । जूड़ी - ( ना० ) १. पूली । जूरी । मुट्ठा | २. जू झळ - ( ना० ) भुंझलाहट । चिढ़ | जू झळाट - दे० तूळ । तमाकू के पत्तों की जूरी । जूण - ( ना० ) १. योनि । जन्म । २. जीवन । जिंदगी । जूड़ो - ( न० ) बालों को माथे पर लपेट कर जूं भार-दे० जूझार | जू भारजी दे० जूझारजी । बनाई हुई गुत्थी । म्बोड़ो । जूठो - (वि०) १. चतुर । चालाक । होशियार । २. कपटी । छली । २. उच्छिष्ट । एंठा । जुठा । जूट - ( ना० ) १. जुड़ी हुई दो चीजें । दो जुड़ी हुई चीजों से बनी एक वस्तु । २. जोड़ी । ३. दो-दो की एक पंक्ति । ४. जून - ( न०) जूती । पगरखी । पादत्राण । जूता । जूती - ( ना० ) पगरखी । जूतो- ( न० ) ता । पगरखो । जोड़ो । जूथ - ( न०) १. समूह । यूथ । २. सेना । जूथार - (To) हाथी | जून - ( न० ) ईसवी सन् का छठा महीना । जूनाळी - ( ना० ) एक तोप | ( वि०) जूनी । पुरानी । जूनी - ( वि० ) १. पुरानी । प्राचीन । २. जीणं । जर्जरित । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जूनो - ( वि० ) १. पुराना । प्राचीन । २. जर्जरित । जीर्ण । जूपणो - ( क्रि०) १. जुतना । संलग्न होना । २. प्रज्वलित होना । लगना । जूटो - (०) जुम्रा । द्यूत | जेज For Private and Personal Use Only जूटो - ( न०) १. जोड़ी । जोड़ा । २. हाथ बुनी चद्दर का एक जोड़ा । जूठो - दे० जूबो | जूबो - ( न०) बाजरी आदि के एक दाने में निकले हुए अनेक पौधे । एक जड़ में से फूटे हुए नाज के अनेक पौधों का समूह । जूसर - दे० जुप्राड़ो । जू सरो- दे० जुम्राड़ों । जू सहरी - दे० जुग्राड़ो । जे - ( अव्य० ) १. यदि । २. जो । ( सर्व० ) १. जिस । २. जिसने । जिरग । ३. जो । ४. वह । जेई - दे० जेळी | जेखळ- ( न०) सूअर जेज - ( ना० ) १. देर । विलंब । २. समय । जेस । मौड़ो । Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जेजियो । ४५४ ) जेळी जेजियो-(10) मुसलमानी शासन काल का जेथ-(क्रि०वि०) १. जहां। जिस जगह। एक यात्रा कर जो हिंदुनों पर लगता २. वहाँ । उस जगह । था। जजिया। जेथी-(क्रि०वि०) १. जिससे । जिस कारण जेझ-दे० जेज। २. जिसके लिये। जेट-(ना०) १. समूह । २. एक के ऊपर जेदी-(प्रव्य०) जिस दिन । उस दिन । एक इस प्रकार बरतनों आदि की लगी जेब-(ना०) जेब । खीसा । जियो। हुई तह । ३. चपातियों की तह । रोटियों जियो। की तह । ४. एक ही प्रकार की वस्तुओं जेम-(क्रि०वि०) १. जिस प्रकार । जैसे । का क्रमबद्ध ढेर । ५. राशि । ढेर। यथा । जिरणभात । २. ज्यों । म्यु। जेठ-(न०) १. पति का बड़ा भाई । भसुर। जेर-(ना०) गर्भगत बालक के ऊपर की २.वैशाख और प्राषाढ़ के बीच का महीना, झिल्ली। जेरी। आंवळ । (वि०) १. ज्येष्ठ मास । विक्रम संवत का तीसरा परास्त । पराजित । २. जिसे बहुत हैरान महीना । (वि०) बड़ा । अग्रज। किया जाये । (क्रि०वि०) वश में । प्रधिजेठळ-(न०) १. बड़ा भाई । २. जेठ । भसुर।। कार में । ताबे। ३. युधिष्ठिर । जेर करणो-मुहा०) १. पराजित करना । जेठ रा सोरठा-(न०) ऊजली चारणी की हराना । २. हैरान करना । ३. अधिकार ओर से कहा गया जेठवे के प्रति विरहोद् में करना। गार-काव्य। जेरणो-(कि०) १. वश में करना। बंधन जेठाणी-(ना०) पति के बड़े भाई की पत्नी। में डालना । २. नष्ट करना । ३. परास्त करना। जेठ की पत्नी । जेठानी। जेरबंद-(न०) १. घोड़े की बाग को तंग के जेठी-(वि०) बड़ी । (न०) बड़ा भाई।। जेठीपाथ-दे० जेठी पाराथ । साथ जोड़ने वाला चमड़े का तसमा । २. चमड़े का कोड़ा । चाबुक । ३. रस्सी जेठी-पाराथ-(न०) १. भीम । २. युधि की भांति काम में आने वाली चमड़े की ष्ठिर। लंबी पट्टी । तसमा । जेठीबाहु-(वि०) माजानु बाहु । जेर बार-(वि०) १. जिसको बहुत हानि जेठूतरो-(न०) जेठ का लड़का । जेठोता। उठानी पड़ी हो। हानिग्रस्त । २. जिसे जेठूती-'ना०) जेठ की लड़की । किसी विपत्ति के कारण बहुत सहन जेठूतो-दे० जेठूतरो। करना पड़ा हो । आपत्तिग्रस्त । विपत्तिजेठो-(वि०) बड़ा । (न०) बड़ा भाई। ग्रस्त । जेण-(सर्व०)१. जिस । जिसने । २. जिससे। जेरी-दे० जेळी । जेरिण-दे० जेण। जेळ-(ना०) १. बंदीगृह । कैद । कैदखाना। जेतलो-(वि०) जितना। २. रोक । रुकावट । ३. बंधन । ४. कैदजेती-(वि०) जितना। खाने की सजा । कैद। जेता-(वि०) जीतने वाला । विजेता । जेळखानो-(न०) कारागृह । जेलखाना । (वि०ब०व०) जितने । बंदीगृह । जेतो-(वि०) १. जितना । २. जीतने वाला। जेळी-(न०) लकड़ी के दो तीक्ष्ण लंबे फल विजेता। या नोकों वाला कृषकों का एक लंबा For Private and Personal Use Only Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - डंडा, जिससे कैंटीली झाड़ियां हटाई जेहवी-(वि०) जैसी। जिस प्रकार की। जाती हैं। बेई । जेरी। जेवड़-(ना०) रस्सा । रज्जु । जेहवो-(वि०) जैसा। जिस प्रकार का । जेवड़ी-(वि०) जैसी । (ना०) रस्सी । डोरी। जड़ो। जिसो । जेवड़ो-(न०) डोर । रस्सा । (वि०) जेहि-(सर्व०) जिस । (क्रि०वि०) जैसे । जैसा। जिस प्रकार का । ज्यों । ज्यु। जेवर-(न०) गहना । प्राभूषण। जेही-(वि०) जैसी । जड़ी। जेवरलो-(वि०) १. विरल। थोड़ा। २. जेहो-(वि०) जैसा। जिस प्रकार का । कोई-कोई । बहुत में से कोई । (क्रि०वि०) जड़ो। जिसो। कहीं-कहीं। जै-दे० जय । जेवलो-दे० जेळी। जैकार-(न0) जय घोष । जयकार । जयजेसळ-(ना०) जेसल मामक प्रसिद्ध भाटी जय कार । राजा जिसने वि० सं० १२१२ सावन जै गोपालळजी री-दे० जै रामजी री । शु० १२ को जैसलमेर नगर और उसके जै जैकार-(प्रव्य०) १. जय जयकार । २. पास की पहाड़ी पर किले का निर्माण जय जय शब्द का उच्चारण । विजय करवाया। ध्वनि । जयघोष । ३. विजय की जेसळगिर-(न०) जैसलमेर का पहाड़ और प्रसन्नता का घोष । उस पर बना हुआ किला। २. जैसलमेर जैड़-(क्रि०वि०) १. जब तक । जठा ताई। नगर। २. तब तक । जताई। जेसळमेर-३० जैसलमेर। जैड़ो-(वि०) जैसा । जिसो । जेसाण-(न०) १. जैसलमेर नगर । २. जैत-(ना०)जीत । विजय । (वि०)विजयी । जैसलमेर राज्य । जैतखंभ-(न०) १. विजय स्तम्भ । जयजेसारणो-दे० जेसाण। स्तम्भ । २. विजय प्राप्त करने वालों में जेह-(ना०) १. किनारा । अंतिम सिरा। प्रमुख वीर । ३. युद्ध विजयी वीर पुरुष । किसी वस्तु का अंतिम भाः। २. दीवार जैतवादी-(वि०) १. सदा विजय प्राप्त की चुनाई में इंटों की एक ऐसी तह जो करने वाला । २. युद्ध विजयी । दीवाल के पोसार से कुछ बाहर निकली जैतवार-(वि०) विजयी। जीतने वाला । हुई होती है। ३. दीवाल के ऊपरी भाग (ना०) १. भलाई । २. लाभ । ३. लाभमें सामान रखने के लिये लगाया जाने का काम । जीत का काम । ४. विजयोवाला पत्थर । टर। ताक । ४. डोरी। त्सव । ५. विजयवेला । ६. विजय । रस्सी । ५. प्रत्यंचा । (क्रि०वि०) जैसा। जैतहथ-(वि०) विजयी । जैताई-(वि०) जीतने वाला। विजयी । जेहड़ी-(वि०) जैसी। जिस प्रकार की। जैत्र-(ना०) विजय । जीत । बैड़ी। जिसी। जैत्राई-दे० जताई। जेहड़ो-(वि०) जैसा। जिस प्रकार का। जैन-(न०) १. जैन धर्म । २. जिन का बड़ो। जिसो। उपासक । ३. जैनधर्म का पालन करने जेहर-(ना०) पैर का एक गहना । पाजेब । वाला । श्रावक । For Private and Personal Use Only Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जैनी www.kobatirth.org ( ४५६ ) जैनी - ( न० ) जैन मतावलम्बी | श्रावक । जैमाळ - ( ना० ) जयमाला । विजयमाला । जै - रामजी - री - (श्रव्य ० ) १. परस्पर मुलाकात के समय, भुजबाथ लेते समय तथा बिछुड़ते समय उच्चारण किया जानेवाला एवं पत्राचार करते समय लिखा जाने वाला एक अभिवादन पद । २. नमस्कार करने एक वैष्णव उद्गार । ( इसी अभिप्राय के 'जै श्रीकृष्ण', 'जै-गोपालजी-री', 'जे इकलिंगजी-री', 'जै माताजी - री', 'रामराम - सा', जै-रामजी-री- सा' इत्यादि इष्ट पद उच्चारण करने तथा पत्राचार में लिखने की प्रथा भी व्यवहृत है ।) जैवार - ( ना० ) १. आनंद की वेला । सुसमय । २. विजयोत्सव | विजयानंद । ३. वृद्धि | लाभ | जैवारो - ( न० ) १. लाभ या प्रसन्नता की कोई बात । जयवार । २. किसी वस्तु में वृद्धि । बरकत । ३. बचत । ४. बचत की भावना । ५. कमाई । ६. सफलता । ७. मुनाफा | लाभ | वृद्धि । ८ तथ्य । ६. सार (तत्व) । १०. सुजीवन । जंसळ - दे० जेसळ | जैसळगिर-दे० जेसळगिर । जैसलमेर - दे० जेसलमेर । जैसारण - दे० जेसारण । जेंरो- (वि०) १. जिसका । जिरो । २. जिनका । जिणां । जो - ( अव्य० ) १. यदि । अगर । २. 'तो' के साथ प्रयुक्त होने वाला संशय, शर्त तथा तुलना का सूचक शब्द | ( सर्व० ) कहे गये सर्वनाम या संज्ञा का एक संबंध वाचक सर्वनाम जिसके संबंध में और कुछ कहने का है । जोइजरणो - ( क्रि०) १. आवश्यक होना । जरूरी होना । २. जरूरत पड़ना । ३. देखा जाना । जोखमी जोइजतो- (वि०) १. चाहिये उतना । जितने की आवश्यकता हो । २. भावश्यक | जरूरी | जोइजवारण - ( ना० ) श्रावश्यकता । जरूरत । जोइजै - (अव्य०) १. चाहिये । २. श्रावश्यकता है । ३. उचित है । उपयुक्त है । ४. देखा जाय । ५. देखिये । देखो । ६. देखना चाहिये | जोइसी - ( न०) ज्योतिषी । जोईसर - ( न०) योगेश्वर । जो कै- ( अव्य०) जो कि । यद्यपि | अगरचे । जोख - ( न० ) १ जोखने का बाट । तौल । २. तौल । जोख । वजन । ३. जोखने का काम या भाव। ४. जोखने की रीति । ५. श्रानंद । मौज । ६. अभिलाषा । ७. दान । ८. वैभव । ऐश्वर्य । जोखणी - ( ना० ) १. तकड़ी । २. जोखने का Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काम | जोखरगो- ( क्रि० १. तोलना । वजन करना । २. परीक्षा करना । देखना । ३. आनंद करना । मौज करना । जोखता - ( ना० ) योषिता । स्त्री । जोखम - ( ना० ) १. विपत्ति की आशंका | २. भविष्य में होने वाले नुकसान की दहसत । ३. हानि । जोखम । ४. अनिष्ट | भवांछित । ५ अमंगल । ६. संकट | विपत्ति । ७. साहस । ८. उत्तरदायित्व | जिम्मेदारी । जोखिम । ६. आभूषण, धनमाल श्रादि । जोखिम । १०. बीमा । प्रागोप | इन्स्युरेन्स । जोखमणो - ( क्रि०) १. नाश करना | बरबाद करना । २. चोट लगाना । ३. तोड़ना - फोड़ना । ४. बेकार बनाना । ५. विकृत करना । ६. नाश होना । बरबाद होना । ७. चोट लगना । जोखमी - (वि०) जोखमवाली । For Private and Personal Use Only Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ४५७ ) ataमजो जोखमीजरगो - ( क्रि०) १. नुकसान पहुँचना । २. चोट लगना । ३. हड्डी टूटना । ४. विकृत होना । ५. मकान, वस्तु आदि का कोई भाग खंडित हो जाना । जोखाई - ( ना० ) १. तौलने - जोखने का काम | २. तोलने जोखने की मजदूरी । पारि श्रमिक । ३. मौज | आनंद । जोखामणी - ( ना० ) १. तौलने का काम । तुलाई । २. तौलने का पारिश्रमिक । जोखो - ( न०) १. नुकसान । हानि । २. खतरा । जोखम । भय । ३. उत्तरदायित्व | ४ अमानत । ५. धनमाल । जोग - ( न० ) १. संयोग । २. फकीरी । ३. योग साधना । ४. ज्योतिष का योग । ५. प्रारब्ध । ६. हीर-रांजा के लोकगीतों की संज्ञा । ७. संबंध । ८. फलित । ( वि० ) १. योग्य | लायक । २. उचित । ( श्रव्य० ) १. की ओर का । के लिये । जैसे- 'नाम जोग हुंडी । साह जोग हुंडी चलरण का दीजो । २. के प्रति । जैसे—' प्रमुकचंदजी जोग । जोग प्रधीस - ( न० ) १. महादेव । २. योगेश्वर | योगाधीश | जोगटो- (न०) १. बनावटी जोगी । पाखंडी योगी । २. योगी के प्रति तुच्छार्थ शब्द । जोगरण - ( ना० ) १. योगिनी । साधुनी । संन्यासिनी । साधाणी । २. ररणचडी । ३. शक्ति । ४. जांगी की पत्नी । ५. - जोगी जाति की स्त्री । ६. ज्वार बाजरी की फसल का एक रोग । जोगपीठ - ( न०) १. दिल्ली । २. योगिनी जोगिंदर - ( न०) योग्रीन्द्र । पीठ । जोगापुर - ( न० ) दिल्लीनगर । योगिनीपुर । जोगखपुरो - ( न० ) बादशाह | ( वि०) दिल्ली का निवासी । जोगेसर यात्रा प्रकरण में दिशाओं में स्थित रहने वाली योगिनी । ५. वर्षागम से पहले के बादल । ६. मेघ- घटा । ७ ज्वार की फसल का एक रोग । जोगरणी पीठ-दे० जोगरण पीठ । जोगणीपुर - ( न०) दिल्ली । जोगणी - ( ना० ) १. योगिनी । तपस्विनी । २. रण की देवी । रणपिशाचिनी । ३. दुर्गा की एक सहचरी । ४. ज्योतिषानुसार Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोगतो- (वि०) १. योग्य । लायक । २. मुनासिब उचित । ठीक । ( स्त्री० जोगती ) जोगमाया - ( ना० ) १. योगमाया । महाशक्ति । २. सृष्टि को उत्पन्न करने वाली ईश्वर की शक्ति । ३. ईश्वर की माया । माया । ४. दुर्गा । जोगवाई - ( ना० ) १. योग्यता । लायकी । २. स्थिति । दशा ३. व्यवस्था । प्रबन्ध । ४. सम्पत्ति । धन-माल । ५ सम्पन्नावस्था । ६. सामर्थ्यं । ७. मौका | अवसर | जोग साधना - ( ना० ) योग की साधना । जोगा जोग - ( न० ) अनुकूल और प्रतिकूल संयोग । जोगाड़ - ( विo ) योग्य | लायक । दे० जुगाड़ | जोगारद - ( न० ) महादेव । शंकर | जोगानजोग - ( अव्य० ) १. संयोगवशात् । योगानुयोग । २. बनने का समय होजाने से । जोग आने पर । ३. अवसर मा जाने पर । जोगाभ्यास - ( न०) योग का अभ्यास | जोगिणपुर - ( न०) दिल्ली नगर । जोगियो - ( न०) १ योगी । २. श्रीकृष्ण । जोगी - ( न० ) १. योग साधना करने वाला । तपस्वी । योगी । २. पूरंगी वादक सँपेरा । ३. एक जाति । जोगी राज - ( न० ) योगियों में श्रेष्ठ । महायोगी । जोगीसर - ( न० ) योगीश्वर । बड़ा योगी । जोगेसर-दे० जागीसर । For Private and Personal Use Only Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोगो ( ४५८ ) जोड़ीवाल जोगो-(वि०) १. योग्य । लायक । २. उप- हल प्रादि से युक्त करना। जोते से पशुको युक्त । उचित । ३. अधिकारी । जुमाठे आदि के साथ बांधना । जोतना । जोजन-(न०) चार कोस की दूरी । योजन।। जोड़ना। २. वाहन या सवारी तैयार जोयण। करना । ३. दो वस्तुओं को सी कर, चिपका जोजर-(वि०) १. जीर्ण-शीर्ण । २. वृद्ध । कर, झालन देकर या अन्य उपाय द्वारा बूढो। मिला कर एक करना। ४. टूटे हुये पदार्थों जोजरो-(वि०) १. टूटा-फूटा । २. दरार को मिला कर एक करना। ५. जूदी पड़ा हुआ। ३. खोखला। ४. खाली । वस्तुओं का संबंध करना । ६. इकट्ठा ५. पोला । ६. शिथिल । ढीला । ७. बहुत करना । संग्रह करना । ७. संख्यामों का मार खाया हुआ । ८. धन संपत्ति खोया योगफल निकालना। जोड़ लगाना । ८. हुप्रा । खूटोलो। काव्य रचना करना । ६. पदों की योजना जोट-(ना०) जोड़ी। करना। जोटो-(न०) १. एक सी दो चीजों की जोड़। जोड़-तोड़-(ना०) १. काग्य-रचना। २. जोड़ा । युग्म । पैरोडी रचना। ३. विचारों की घड़-भंजन। जोड़-(ना०) १. योग । जोड़ । २. योगफल । ४. तजवीज । प्रबन्ध । ५. सामान जुटाने ३. संधिस्थान। ४. जोड़ने की क्रिया। की हलचल । ६. तैयारी । ७. दांव पेच । ५. जोड़ा। ६. प्रतियोगिता में समान छल-कपट । उतरने वाली दूसरी चीज । ७. स्त्रियों के जोड़ाई-(ना०) १. जोड़ने का काम । २. पैरों का एक गहना । ८. काव्य रचना। जोड़ने की उंजरत । ६. बराबरी । समानता। (वि०) समान। जोड़ाखर-(न०)संयुक्ताक्षर । मिलित वर्ण । बराबर। जोडाक्षर। जोड-(न०) १. वह तराई वाला स्थान जो जोडाजोड-(प्रव्य०)१. बिल्कुल पास । पासघास के लिये सुरक्षित हो। घास का रक्षित पास । अडोमड़ । २. पाड़ोस में। वन-भाग । २. कच्चा तालाब । जोहड़। जोडाण-(न०) १. मिलन । मिलान । २. जोड़-कळा-(ना०) १. काव्य-कला । २. संधान । सांघा । सांषो। कविता । काव्यरचना। जोड़ायत-(ना०) पत्नी । (वि०) बराबरी का। जोड़को-(न०) १. एक साथ जन्मे हुए दो ना __ जोड़ियाळ-(वि०) १. जोड़ी का । बराबरी , बालक । २. एक दूसरी के साथ जुड़ी हुई ___ का। २. समवयस्क । ३. जोड़ी के रूप में एक जैसी दो वस्तुएँ । साथ रहने वाला । (न०) मित्र । साथी। जोड़ग-(न०) १. कवि । २. संग्राहक । जोडणी-(ना०) १. शब्द में पाये हए अक्षरों जोड़ी-(ना०) १. युग्म । जोड़ी। २. जूती को मात्रामों सहित लिखना या कहना। का जोड़ा। शब्द लिखने के लिये अक्षरों के जोड़ने की जोड़ीदार-(वि०) १. जोड़ का । बराबरी रीति । वर्तनी । जोड़नी । हिज्जे । वर्ण- का। २. समवयस्क। (न०)मित्र । दोस्त । योजना । २. जोड़ने का काम या रीति । साथी। जोड़ाई । ३. जोड़ने की कला। जोड़ीवाल-(न०) १. मित्र । साथी । २. जोड़णो-(क्रि०)१.बैल, घोडेमादि को गाड़ी, पति । ३. पत्नी । ४. जिनकी समान For Private and Personal Use Only Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोड़ .. (४५६ ) जोधपुर जोड़ी हो । (वि०) १. भागीदार । २. की पट्टी। जुमाठे से बंधी हुई रस्सी या साथ काम करने वाला। तसमास तसमा जिससे बैल की गरदन को जुमाठे जोड़े-(वि०) सदृश । तुलना। बराबर। से बांधा जाता है। मोतो। जोत। २. (कि०वि०) १. निकट । नजदीक । २. जुताई। ३. प्रासामी को जोतने के लिये साथ में (न०) १.तुलना । सादृश्य। समता। दी गई भूमि ।। २. साथ । संग। जोतरणो-दे० जोतरणो । जोडो-(न०) १. छोटा कच्चा तालाब । जोतलिंग-(न०) १. ज्योतिलिंग। २. शिव नाो । पोखरा । २. बगैर बंधा हुआ कच्चा के मुख्य बारह लिंग। द्वादश ज्योतिलिंग। कुमा। द्रह बहा। बड़। शिव । जोड़ो-(न०)वो एक सी वस्तुएँ । एक प्राकार- जोतवंत-(वि०) ज्योतिवाला। (न0) धी। प्रकार के दो पदार्थ । २. नर और मादा घृत । का युग्म । ३. स्त्री और पुरुष का युग्म । जोतवान-(वि०) ज्योतिवाला । पति और पत्नी । दंपति । ४. समानता। जोतसरूप-(न०) ज्योति स्वरूप । परब्रह्म । बराबरी । मुकाबला । ५. दोनों पांवों के परमात्मा । जूते । जूती-जोड़ा । पगरखा। खासड़ा। जोतसिखा-(ना०) १. दीपक । २. ज्योति बाहड़ा । (वि०) वह जो बराबर हो। शिखा । जोढ-दे० जोध । जोतसी-(न०) ज्योतिषी। जोणो-(क्रि०) १. देखना । ताकना। २. जोतंबळ-(न०) पानी । जल । ढूंढ़ना। तलाश करना । ३.प्रतीक्षा करना। जोताई-(ना०) १. जोतने का काम । २. राह देखना। जोतने की मजदूरी। जोत-(न०)१.वह तसमा जिससे बैलगाड़ी का जोतिस-(न०) ज्योतिष । जूमा बैल की गरदन पर रख कर बांधा जोतिसरूप-(न०) ज्योतिस्वरूप । परब्रह्म । जाता है। (ना०) २. परब्रह्म । ज्योति परमात्मा । स्वरूप । ३. ज्योति । रोशनी । ४.धी जोती-दे० जोत २ से ८. का दीपक जो देवी-देवता के आगे जलाया जोतीगर-(न०) १. ज्योतिकर । सूर्य । २. जाता है। देव-दीपक । देवमंदिर का दोपक। चन्द्रमा । ५.दृष्टि । नजर । ६.दीया । दीपक। ७. जोध-(न०) १. पुत्र । २. योद्धा । शूरवीर । दीये की लौ । ८. प्राँख । नेत्र । ६.प्राण। (वि०) युवा । जवान । जोतख-दे० ज्योतिष । जोध-जड़ाग-(वि०) अत्यधिक जोरावर । जोतखी-दे० जोतसी। जोध-जवान-(वि०) १. पूर्ण यौवनशाली। जोतनो-(क्रि०) १. बैल, घोड़े प्रादि को पूर्ण युवक । २. मजबूत । दृढ़। कद्दावर । गाड़ी, हल मादि से संलग्न करना । जोतना। ३. बलशाली। शक्तिशाली । २. वाहन या सवारी तैयार करना । ३. जोधपुर-(न०) स्वतंत्र भारत के राजस्थान . काम में लगाना । ४. बेगार में लगाना। राज्य के अंतर्गत भूतपूर्व मारवाड़ राज्य जोतबळ-३० जोतंबळ । की राजधानी का नगर । इसे राव जोधा जोतर- (न०) बैलों को गाड़ी प्रादि में जोत ने वि. सं. १५१५ की जेठ सुदि ११ शनि ने के लिये गले में डाली जाने वाली चमड़े बार को बसाया था। For Private and Personal Use Only Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोपहर । ४६० ) जोवावणो जोधहरो-(न०)१. जोधपुर को बसाने वाले ४. प्रबलता । तेजी। ५. वेग । प्रवाह । . राव जोधा का वंशज । २.योद्धा । वीर । ६. भरोसा । ७. दबाब । प्रभाव । ८. जोधाण-(न०) जोधपुर शहर का काव्योक्त महनत । श्रम। नाम । जोधपुर। जोर-जबराई-(ना०) १. जबरदस्ती । जोधाणनाथ-(न०) जोधपुर का राजा। २. जुल्म । जोधाणो-दे० जोधाण। जोर-जुलम-(न०) १. अत्याचार । जुल्म । जोधार-(न०) १. पुत्र । २. योद्धा । (वि०) २. बलात्कार । जबरदस्त । जोरदार-(वि०) १. प्रबल । शक्तिशाली । जोधो-(न०) १. वीर पुरुष । योद्धा। २. जोर वाला । २. अच्छा । श्रेष्ठ ।। जोधपुर नगर को बसाने वाले राव जोधा जोराई-(ना०) जबरदस्ती । का वंशज। जोराजोरी-(ना०) जबरदस्ती । बलपूर्वक । जोनपीट-(ना०) आग । अग्नि । वासदेव। जोरामरदी-दे० जोराजोरी। जोनल-(ना0) ज्वार धान्य । जोरावर-(वि०) १. जोर वाला। शक्तिजोनी-(ना०) १. योनि । भग। २. योनि । वान । २. बहादुर। शूर वीर । ३. जन्म । ३. जीवन । जिंदगी । ४. प्राणियों साहसी । ४. उत्साही। . की जाति । जोरावरी-(ना०) १. जबरदस्ती। बलात् । जोप-(ना०) युवावस्था । मोटियार पणो। २. बहादुरी। वीरता। शूरता। ३. जोपणो-(क्रि०) १. पूर्ण युवावस्था को अत्याचार । ४. उत्साह । प्राप्त होना। २. विकास होना। ३. जोरिंगण-(न०) जुगनू । युवावस्था के जोश में आना । ४. शोभा जोरू-(ना०) पत्नी। लुगाई। देना । ४. बलवान बनना । दृह होना। जोवरिणयो-(वि०) १. देखने वाला। २. जोम-(न०) १. शक्ति । बल । २. नशा। तलाश करने वाला। ३. तपास करने मस्ती । ३. उत्साह । उमंग । ४. क्रोध । वाला। खबर लेने वाला। सम्हालने ५. गर्व । घमंड । ६. आवेश । जोश । वाला। ७. बल का गर्व । जोवरणो-(क्रि०) १. देखना। २. तलाश जोमरद-(न०) जवान और बहादुर । जवा- करना। खोजना। ३. ध्यान देना। मर्द । साहसी । मोटियार । समझना। ४. प्राजमाना । अनुभव करना। जोमंग-(वि०) १. शूरवीर। २. जोशीला। ५. बाट देखना। राह देखना । प्रतीक्षा जोमवाळो। करना। जोमंड-दे० जोमंग। जोवन-(न०) यौवन । तारुण्य । जोबन । जोय-(ना०) १. स्त्री। २. पत्नी। बैर। जोवंती-(ना०) यौवनवती । युवती । (वि०) लुगाई। १. देखने वाली । २. देखती हुई । जोयण-(ना०)१. आँख । नेत्र । २. योजन। जोवा जोग-(वि०) १. देखने योग्य । २. जोजन । सुदर । मनोहर । ३. विचारने लायक । जोयसी-(न०) ज्योतिषी। जोवाड़णो-(क्रि०)१.दिखाना। दिखलाना। जोर-(न०) १. शक्ति। बल । २. वश। बतलाना। २.दुदवाना । तलाश करवाना। काडू । अधिकार । ३. उन्नति । बढ़ती। जोवावणो-२० जोवाइयो। For Private and Personal Use Only Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जोश जोश- दे० जोस । जोशी - जोसी । जोस- ( न० ) १. जोश । श्रावेग । २. उत्त - जना । सरगर्मी । ३. उफान । उबाल । ४. उमंग । उत्साह । ५. मनोवेग । जोसरण - ( ना० ) जोशी की स्त्री । जोशिन । ( न० ) १. कवच । जूसर । २. एक आभूषण । जोसरियो - (वि०) १. कवचावृत्त । कवचधारी । २. जूसरणकर । कवच बनाने वाला । ( न० ) कवच | जूसर । जोसी - ( न०) १. ज्योतिषी । जोशी । जोसीलो- (वि०) जोश बाला । जोशीला । जोसेल - दे० जोसीलो । जोहड़ - (To) छोटा और कच्चा तालाब । नाठो | नाडको । जोहड़ो - ( न० ) जोहड़ | कच्चा तालाब | नाडी । जो हुकम-(न०) १. जुल्म । धाक । (श्रव्य० ) १. गु' जनों से बातचीत करते समय स्वीकारोक्ति के रूप में उनके सम्मान हित बोला जाने वाला 'हाँ' अर्थ सूचक एक अव्यय । २. हुक्म के मुताबिक | प्राज्ञा । जैसी आज्ञा दें । हाँ । जोंक - (ना० ) पानी में रहने वाला एक ज्योति-दे० जोती । जो कीड़ा । जौहर-दे० जँवर | जौहरी - दे० जँवरी 1 ज्ञ - ( न०) 'ज + ञ' का संयुक्ताक्षर । 'ग्य' तथा पन' का उच्चार वाला संयुक्ताक्षर । वैदिक भाषा में 'ज्न' उच्चारण किया जाता है । (वि०) समास के अंत में जानकार' अर्थ को बतलाने वाला | ज्ञान - ( न०) १. बोध । समझ । २. जानकारी । . ( ४६१ ) ज्वारी ज्ञानवान - (वि०) १. ज्ञानी । २. समझदार । बुद्धिमान । ३. विवेकी । ज्ञानी - (वि०) ज्ञानवान । जानकार । ( न० ) आत्मज्ञानी । ब्रह्मज्ञानी । ३ तत्वज्ञान | ब्रह्मज्ञान । ४. भान । प्रतीति । ५. समझने की वस्तु । ज्ञान पांचम - ( ना० ) कार्तिक शुक्ल पंचमी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्याग - ( न० ) यज्ञ । जाग । ज्यादा - ( वि० ) अधिक । बहुत । धरणो । ज्यान - ( ना० ) १. हानि । नुकसान । २. श्राफत । बला । ३. प्रारण । जान । जीव । ( अव्य० ) जैसे । उसी प्रकार । ज्यानै - ( सर्व०) जिनको । ज्यार - ( क्रि०वि०) जब । जिस समय । ज्यारै दे० ज्यार | ज्यास - ( ना० ) १. संतोष । २ धीरज । ढाढ़स । ३. शांति । ४. भरोसा । विश्वास । ज्यां - (अव्य० ) उदाहरण स्वरूप । जैसे । २. जिनको । ३. १. जहाँ । जिस ) ( सर्व०) १. जिनके । जिन्होंने । ( क्रि०वि० जगह । २. जब तक 1 ज्यां - ( सर्व०) जिनका । ज्यांलग- ( क्रि०वि०) १. जब तक । २. जहाँ तक । ज्यां सूधी - ( क्रि०वि०) जब तक | ज्याँह- दे० ज्यां । ज्यु - ( श्रव्य०) ज्यों । जैसे । जिस प्रकार | ज्योतगी - ( न०) ज्योतिषी । ज्योतिर्लिंग दे० जोतलिंग । ज्योतिष - दे० जोतिस । ज्योनार - ( ना० ) १. दावत । २. भोज । जीमरणवार । ज्वर - (न०) बुखार | ताप । ताव | ज्वान - ( न० ) १. जवान । युवक । २. सिपाही । सैनिक 1 ज्वार - ( ना० ) १. एक मोटा नाज । जुनार । २. समुद्र का चढ़ाव । ज्वार - बाजरी - ( ना० ) गुज़ारा | भरणपोषण । (ला० ) ज्वारी- ( न०) जुम्रारी । For Private and Personal Use Only Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्याळ (४२) ज्वाळ-(ना०) १. ज्वाला। २. प्राफत । ज्वाळानळ-(10) अग्नि । संकट। ज्वालामुखी-(वि०) जिसके मुख में से ज्वाळ जंत्र-(न०) १. तोप । २. बंदूक । ( जिसके अंदर से ) अग्नि निकलती है । ज्वाळनळ-दे० ज्वाळानळ । (न०) १. वह पर्वत जिसके भीतर से ज्वाळा-(ना०) ज्वाला । अग्निशिखा । अग्नि, धुपा मोर पिघला हुआ पत्थर ज्वाळा देवी-(ना.) १. एक प्रसिद्ध देवी निकलता है। (ना.) १. एक देवी । जिनका स्थान कांगड़ा जिले में है । २. ज्वालादेवी। २. ज्वालामुखी तीर्थ । कोहकाफ पर्वत की एक देवी। ज्वाँई-(न0) जमाई । दामाद । झ-(न०) संस्कृत परिवार की राजस्थानी झकाझक-(वि०) १. साफ और चमकीला। वर्णमाला के चवर्ग का चौथा व्यंजन । २. ताजा । बढ़िया । सुदर । झक-(ना०)१. मछली । २. सनक । खन्त । झकाळ-(ना०) व्यर्थ की बातें । बकवाद । ३. जिद । हठ । (वि०) उज्वल । झकाळियो-(वि०) व्यर्थ की बातें करने चमकीला। वाला। झककेतु-(न०) कामदेव । झषकेतु । झकाळी-दे० झकाळियो। झकझक-(ना.) १. व्यर्थ की बकवाद । झकी-(वि०) १. हठी। जिद्दी । २. व्यर्थ ___ कहा-सुनी । २. हुज्जत । तकरार। __की बातें करने वाला। झक झोरणो-१. जोर से हिलाना। २. झकुड-(न०) मस्तक । प्रकुट । झटका मारना। झक मारगो-(मुहा०) १. व्यर्थ समय नष्ट झकोळरणो-(क्रि०) १. पानी, तेल मादि करना। २. अपनी बरबादी करना। किसी तरल पदार्थ में किसी वस्तु को ३. सनकी बातें करना। ४. अव्यवहारी डुबा कर बाहर निकालना । २. पानी को बातें करना। ५. छलकपट की बातें इधर-उधर हिलाना। ३. पानी आदि में करना । ६. झूठा और व्यर्थ पाचरण किसी वस्तु को बार बार दुबाना-निका. करना। लना। ४. धोना । प्रक्षालन करना । झकर-दे० झिकर। ५. जुबाना । ६. नहाना । ७. नहलाना। झकळ-झकळ-(अनु०) पानी को थपथपाने झकोळियो-(न०) मावश्यकता से अधिक का शब्द । पानी पड़ गया हो वह साग, तीवन झकळवाणी-(न०) वह द्रव व्यंजन ( साग प्रादि। सब्जी, तीवन प्रादि) जिसमें जरुरत से झकोळो-(न०) १. स्नान । २. कम पानी ज्यादा पानी पड़ गया हो। का स्नान । ३. प्रक्षालन । ४. दुबकी। झकळवाणो-दे० झकळवाणी । ५. पानी का धक्का । ६. साग, तीवन झक वेधक-दे० झकवेधरण। प्रादि वह वस्तु जिसमें आवश्यकता से झक-वेधण-(न०) अर्जुन प्रधिक पानी पड़ गया हो। For Private and Personal Use Only Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कोको लागो झकोळो खारगो - ( मुहा० ) १. नहाना । २. जल्दी नहाना । ३. डुबकी लगाना । झक्की - (वि०) १. सिनकी । २. जिद्दी । भख - ( ना० ) मछली । झष । झलकेत - दे० झककेतु । झख मारणो - ( मुहा० ) १. निकम्मा बैठे रहना । व्यर्थं समय नष्ट करना । पछताना | २. भगभगतो- (वि०) १. जलता हुआ । प्रज्वलित । २. प्रकाशमान | झगझगाट - (वि०) १. प्रकाशमान । २. जलता हुआ । ( ना० ) चमक । जगमगा - हट । झगड़ो - ( क्रि०) १. झगड़ा करना । लड़ना । झगड़ना । २. कलह करना । ३. हठ करना । ४. तकरार करना । विवाद करना । झगड़ाखोर - (वि०) १. झगड़ा करने वाला । झगड़ालू । २. कलह प्रिय । झगड़ा - भगड़ी - (श्रव्य०) लड़ना ही लड़ना । ( ४६३ ) लड़ने का काम | झगड़ाळ - दे० झगड़ाखोर । झगड़ो- ( न० ) १. लड़ाई-झगड़ा । टंटा फसाद । २. युद्ध । ३. हुज्जत । तकरार । ४. बैर | शत्रुता । झगड़ो - झाँटो - (न०) झगड़ा टंटा | टंटा फसाद । झगड़ो-टंटो - दे० झगड़ो-झाँटो | गरण - ( क्रि०) अग्नि का प्रज्वलित होना । झगमग - (वि०) चमाचम | चमकीला | झगरो- (न०) सूखा झाड़-झंखाड़ | कंटीली और पतली टहनियों आदि का ढेर । तीली बताने से शीघ्र श्राग पकड़ले ऐसा कचरा । झगलो - ( न०) छोटे बच्चों के पहनने का ढीला कुरता । गा । झगझग - (वि०) १. प्रकाशमान । २. प्रज्व Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लित । झगामग- ( ना० ) १. अनेक दीपकों का प्रकाश । २. रोशनी । बहुल प्रकाश । झटपट ३. चमक । प्रभा । भगो-दे० झगलो । झज्भो - (न०) 'भ' अक्षर । भकार । झट - ( ना० ) १. प्रहार । झटका । २. हठ । जिद । ३.मुकाबला | सामना । ( क्रि०वि०) शीघ्र | जल्दी । तुरंत । झटकरणो - ( क्रि०) १. भटकना | फटकना । २. झटका देना। ३. जोर से हिलाना । ४. छीन लेना । ५. डांटना । झटकाझटकी - (ना० ) भटकने का काम । भटकारणो- दे० भटकावणो । भटकामरण - ( ना० ) १. भटकने की क्रिया । २. भटकने से निकलने वाला कचरा । झटकन | फटकन । ३. भटकने की उजरत । भटकावरण- ( क्रि०) १. झटके से मारना । २. झटका देकर किसी वस्तु को काटना । ३. फटकाना । भटकाना । झटके - ( क्रि०वि०) जल्दी । शीघ्र । झटको - ( न०) १. तलवार का प्रहार । २. भटका । धक्का । ३. एक ही प्रहार से पशु को काट देने का एक प्रकार । ४. झटके के साथ किया हुआ प्रहार | ५. चुभने वाली बात । ६. अचानक बड़ी हानि । ७. हानि से होने वाला दुख । भट लगियो - (वि०) १. प्रहारों को सहन करते हुए लड़ने वाला । २. सामना करने वाला । भट लगो - (मुहा० ) १. प्रहारों को सहन करना । २. मुकाबला करना । ३. श्रविश्राम लड़ते रहना । झट देतारणी - ( मुहा० ) बहुत जल्दी । एक दम । झटपट - ( क्रि०वि०) तुरंत । फौरन । For Private and Personal Use Only Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झटपंख ( ४६४ ) झटपंख-(न०) गरुड़। कपड़े का बड़ा पंखा । २. कपड़े को झपट झटसार-(न०) तलवार । कर डाली जाने वाली हवा और वह झटाक-(क्रि०वि०) १. एक दम । अचानक। कपड़ा। ३. झपटने की क्रिया । ४.त्वरा । २. त्वरा से । फुर्ती से। ३. तत्काल । शीघ्रता। ५. वेग। ६. टक्कर । ७. तत्क्षण । तुरंत । कपड़े से लगने वाली झपट । ८. मुठभेड़ । झटाझट-(क्रि०वि०) झटपट । जल्दी-जल्दी। मुकाबिला । ६. बोलचाल । वाग्युद्ध । (न०) १. शीघ्र-शीघ्र शस्त्रों के प्रहार। झड़पड़ती-वेळा-(ना.) १. संध्या समय । २. शस्त्रों की झड़ी। २. राहगीरों को लूटने-खोसने का संध्या झटायत-(वि०) १. प्रहार करने वाला। समय जिससे तुरंत कोई पीछा नहीं कर २. प्रहार करने में निपुण । ३ वीर। सके। झटोझट-(क्रि०वि०) जल्दी-जल्दी । झटपट । झडपरणो-(क्रि०) १. खोसना । छीनना । झड़-(ना०) १. छंद की पंक्ति । २. अन- २. कपड़े से हवा डालना । ३. झड़पना । . वरत होने वाली वर्षा । सतत वृष्टि। झपटना। ४. किसी काम को वेग देना । अविच्छिन्न वर्षा । ३. अवरोध रहित काम को द्रुतगति से करना। ५. आक्रकथन । धारा प्रवाह बोलते ही रहना।। मण करना । टूट पड़ना।। ४. प्रहार । झड़पा-झड़पी-(ना०) १. खोसा-खोसी । झड़-उथल-(ना०) छंद रचना की एक छीना-झपटी। २ हाथापाई । भिड़त । पद्धति जिसमें एक झड़ की पुनरावृत्ति झड़बाण-(न०) १. बाणों की वर्षा । २. होती है झड़-उलट-दे० झड़-उथल । एक साथ अनेक बारण छोड़ने का एक अस्त्र । झड़-अोझड़-(वि०) १. क्षत-विक्षत । झड़वोर-(न०) झड़बेरी का फल। छोटा (क्रि०वि०) प्रहारों को सहन करता हुआ। बेर । (न०) १. प्रहारों पर प्रहार । २. अजस्र झड़बोरड़ी-(ना०) झड़बेरी का वृक्ष । झड़प्रहार । बेरी। झड़करणो-(क्रि०)१. झटकना । फटकारना। झड़-मंडण-(न०) लगातार होने वाली . २. झिड़कना। डांटना। फटकारना । वर्षा। धमकाना । झड़-मंडणो-(मुहा०) बहुत समय तक वर्षा झड़कावणो-(क्रि०) झटकना। का होते रहना। लंबे समय तक बरसते झड़णो-(क्रि०) १. कटकर गिरना। टूट ___ रहना। .. कर गिरना। २. वृक्ष से फलों का टूट कर गिरना । ३. ढह पड़ना । ४ प्रहार । झड़ा-प्रोझड़ा-दे० झड़-पोझड़। होना। ५. शस्त्रों से कट कर मरना । Fai झड़ाक-(क्रि०वि०) एक दम । झटपट । झट ६. साफ होना। ७. कम होना। ५. से। जज्दी से । बीमारी के कारण दुबला होना। झड़ाको-(न०) १. वाग्युट । वाक्-कलह । झड़ती-(ना०)१. तलाशी । २. पुलिस द्वारा कहासुनी। २. प्रारोप-प्रत्यारोप । ३. तलाशी। कटाक्ष । व्यंग्य । ४. लड़ाई । भिडंत । झड़प-(ना०) १. छत में लगाया जाने वाला मुठभेड़ । टक्कर । . For Private and Personal Use Only Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भवको मोक। झडाझड़-(प्रव्य०) प्रहार पर प्रहार करने झनन-झनन-दे० झणण-झरणण । का शब्द । (क्रि०वि०) लगातार । जल्दी- झन्नाटो-(न०) सहसा होने वाला झन झन जल्दी । शब्द । झड़ी-(ना०) १. लंबे समय तक होने वाली झपकी-(ना.) १. हलकी नींद । थोड़ी देर 'वर्षा। जोर की वर्षा । २.लंबी बात-चीत। की नींद । २. बैठे-बैठे पानेवाली नींद । बात का लंबा अंत। ३. किसी काम या बात को बिना रुके झपाटे से करते रहना। झपट-(ना०) १. झपटने की क्रिया । २. " झड़ ला-(नम्ब०व०) १. बच्चे के सिर पर वेग। ३. लपक ४. टक्कर । ५. भूतादि के गर्भ के बाल । बच्चे के सिर पर के दे के फेर में प्राजाना । प्रेतबाधा । ६ कपड़े केश जो जन्म के बाद मुंडवाये नहीं गये । का एक पंखा। 'हों। २. बच्चे के जन्म के वे सिर के केश । झपटणो-(कि०) १. किसी वस्तु को लेने, पकड़ने या किसी पर प्रहार करने के लिये जो अमुक अवधि के बाद किसी देवता के । वेग से उसकी ओर बढ़ना । झपटना । २. सम्मुख मुंडवाने की मनौती से रखे गये हों। मनौती केश । झडोलिया। . तेज भागना । ३. खोसना । छीनना । झपझड लियो-(न)गर्भ के बालों वाला बच्चा।। टना। ४. हमला करना। ५. कपडे से वह बच्चा जिसका मुंडन संस्कार नहीं हवा करना। हुमा हो । सडोलियो। झपताळ-(न०) संगीत में पांच मात्राओं का झडूलो-दे० झड़ लियो । एक ताल । झपताल । झड़ोलिया-दे० झड़ ला ।। झपाक-(क्रि०वि०) शीघ्रता से । झड़ोलिया-उतारणो-(मुहा०) बच्चे के झपाझप-(ना०)१.झड़पा-झड़पी । २. मारा जन्म के बालों को उतरवाने और शिखा मारी । मारकाट । ३. प्रहार पर प्रहार । रखने का संस्कार करना । चूड़ाकरण (क्रि०वि०) जल्दी। ....संस्कार का संपादन करना। झपाझपी-(ना०)१. हाथापाई । मारामारी। झड़ोलियो-दे० झड़ लियो। भिड़न्त । २. हड़बड़ी । ३. शीघ्रता । ४. झरणकार-(न०) झांझर आदि का झन-झन Tr/ मतिका अनजान भागदौड़। . शब्द । झालर, टकोरे आदि का शब्द । झपाटो-(10) १. झपाटा । वैग। फर्राटा भानकार। २. हवा का धक्का । झापटा । ३. चपेट । झणकारो-दे० झणकार । टक्कर । ४. जोर से किया हुमा प्रहार । भगभरणाट-ना०).१. झनझनाट । झन: १. शघ्रिता । .. .. कार। २. हाथ पांव प्रादि किसी अंग झपीड़-(ना०) जोर की थप्पड़ । तुमात्रा। के दबे रहने से होने वाली सन-सनाहट । :: झापड़ । झुनझुनी । ३. रह-रह कर होने वाली झपेटो-दे० झपाटो। . पीड़ा। ४. पीड़ा की सनसनाहट । ५. झपोझप-(न०) १. झपाटा। (क्रि०वि०) जलन । .. - झटपट । जल्दी। झणझणी-(ना०) १. क्रोध । रीस । २. झबक-दे० झबको । मुनमुनी । सनसनाहट । झबकरणो-(क्रि०) १. कुछ कुछ दिखाई देना। झणण-झणण-दे० झणझणाट । २. प्रकाश की रेखा दिखना । ३. प्राभास झनकार-दे० झणकार। होना । झलकना । झळकणो। ४. प्रकाश For Private and Personal Use Only Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ४६६ ) देना । ५. मंद प्रकाश देना । ६. बिजली का चमकना । ७. रह-रह कर प्रकाश फैलना । ८. चमकना । भबकारो - दे० भबको । भबको - (०) १. मंद प्रकाश । २. अंधेरे झमझमाट - (न०) १. झमझमाहट । समः छमाहट । २. हलकी जलन । थोड़ी जलन । भमरी - ( ना० ) लकड़ी की डंडी में घोड़े की पूछ के बालों का गुच्छा या कपड़े को बाँध कर बनाया हुआ मक्खियां यादि उड़ाने का एक उपकरण । चमरी । भमरो - (न०) पत्तों सहित वृक्ष की पतली टहनी ( प्रायः नीमकी) । झमाळ - ( न०) १. एक डिंगल छंद । २. स्वनाम संज्ञक डिंगल काव्य । में क्षणिक प्रकाश । ३. श्राभास । झलक । ४. प्रकाश । ५. प्रकाश की चमक । कौंध 1 भबभब - ( ना० ) थोड़ा-थोड़ा चमकना । सब शबाट । भबभबाट- दे० भबभब | बबी - ( ना० ) स्त्रियों के पहिनने का एक झमेलो - ( न० ) १. टंटा । बखेड़ा | भंभट | गहना । २. दिक्कत । श्रड़चन । ३. समझ में नहीं आने जैसी बात । ४. पेचीदा काम ।.. भरभर कंथो- (न०) जीणं श्रौर फटा हुआ वस्त्र । बहुत पुराना वस्त्र । भरभरी - ( ना० ) जस्ते की बनी सुराही । भरड़ - ( ना० ) १. कपड़ा फाड़ते समय होने वाली आवाज । २. खरोंच । झरड़को- (न०) १. खरोंच । २. बिलौने के भटके को श्रावाज । ३. कपड़ा फाड़ते समय होने वाली प्रावाज । भरड़ो - (न० ) १. खरोंच । २. एक लोक देवता । बांडो सरड़ो । भरड़ोज़ी - ( न०) एक लोक देवता । बांडो हरड़ो । भररणाटो - ( न०) १. सहसा झनझन होने बाला शब्द । नाटा | झरणो- (न० ) प्रपातः । झरना + सोता ( क्रि०, भरना | टपकना । भवित होना । भरमर - (न०) १. वषों की फुहार । बूंदाबूंदी । २. वर्षा की ध्वनि । ३. जर्मन सिलवर नामक धातु । भरूखो-दे० झरोखो । झबरक - (वि०)खूब प्रकाशमान । तेज प्रकाश देने वाला । झबरकरणो - ( क्रि०) १. फहराना । २. दिखना । ३. चमकना । प्रकाश देना । भवळकरणो - ( क्रि०) १. घड़े आदि बरतन के हिलने से उसके अंदर के पानी का हिलना । २. इस प्रकार हिलने से शब्द का होना । ३. उछलना । फुदकना । झबूकड़ो - (To) बिजली की चमक । कौंध । बूकरणो - ( क्रि०) १. चमकना । प्रकासना । २. बिजली का चमकना । कौंधना । भबूकना । ३. दिखाई देना । बोळणी - ( क्रि०) १. वस्त्रादि को पानी में सुबाना । २. पानी में डुबा कर निकालना । १. किसी तरल पदार्थ में किसी वस्तु को बाकर तरबतर करना । झबोळो-(न०) पानी प्रादि तरल पदार्थों में डुबाने या डबने की क्रिया । डुबकी। डोड । झमकरु.- (ना०) १. एक एक शब्दालंकार । यमक । २. नाच की एक गति । तीव्र गति का नाच । ३. नखरा । ४. पाजेब या घुघरू का शब्द | झनकार | ५. नखरे की चाल । ठमक | ६ चमक । प्रकाश । ७. बिजली । ८. एक वर्णवृत्त । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झरो - (न०) छेदों वाला बड़ा छिछला कलछा जिससे कड़ाही में से तली जाने वाली पूरियाँ, सेवें प्रादि निकाली जाती हैं । For Private and Personal Use Only Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करोली (१७) झरोखो-(10) १. गवाक्ष । २. गोखड़ो। झळहळ-/ना०) १. अग्नि । २. प्रकाश । ३.बारजा । बरामदा । ४. अटारी। (वि०) जाज्वल्यमान । झळ-(ना०)१. ज्वाला । २. दाह । जलन। झळहळणो-(क्रि०) १. खूब प्रकाश देना । ३. क्रोध । गुस्सा । ४. तीव्र खुजली। २. चमकना । ३. चमचमाना। ५. ईर्ष्या । ६. उग्र कामना । ७. पूर्व झळा-दे० झळ । दिशा । ८. अग्नि । झळाबोळ-(वि०) १. अत्यधिक । बहुत । झलक-(ना०) १. ढंग। तौर तरीका। २. जाज्वल्यमान । तेजस्वी। ३. उग्र । २.स्वरूप । बनावट । ३.चमक । प्राभा। तेज । ४. तप्त । तपा हा। ५. विपत्ति४. प्रतिबिम्ब । ग्रस्त । ६. प्रज्वलित । ज्वालाबोड़ । झळक-(ना०) १. झलक । चमक । ओप। (न०) १. संकटापन्न स्थिति । २. मग्नि २. संकेत । प्राभास । झलक । प्रकोप । ३. विपत्ति । संकट । झळकणो-(शि०) १. चमकाना । प्रकाशित झळामळ-(न०) बिजली का प्रकाश । होना । २. छलकना। ३. मंद दिखना। झलावरिणयो-(वि०) पकड़वाने वाला। ४ जोश में पाना । आवेश में पाना। झलावणो-(क्रि०) पकड़ाना । थमाना । ५. क्रोध करना । ६.प्रापे में नहीं रहना। झळावरणो-(क्रि०) किसी धातु की वस्तु को धीरज नहीं रख सकना। ___टाके से जुड़वाना। झलकी-दे० झाल की। झळिंग-दे० झळींगो। झळकी-(ना०) झलक । मंद चमक। भळियाँ-(ना०) ज्वालाएँ। झनको-(न0) घास का एक परिमारण। झळींगो-(न०) घास या तेल जैसे पदार्थों में झळको-(न०) १. चमक । २. प्रतिबिंब । एकाएक प्रज्वलित होने वाली अग्नि की ३. परछाई। बड़ी ज्वाला। झळजीहा-/ना०) अग्नि । वासदे। झलू-दे० झेलू । झळझळाट-(न०) १. चमक । २. गहरा झलोझल-(वि०) १. मध्यगत । बीच का । प्रकाश । इप्ति। मध्य का । २. पूर्ण । बराबर । टीक। झलगो-(क्रि०) १. पकड़ा जाना। पकड़ ३. संपूर्ण वैभव युक्त । वैभवशाली । में पाना । २ वश में माना। ३. किसी झल्लरी-(ना.) १. एक वाद्य । मालर । अंग का अकड़ जाना। ४. प्रारम्भ होना। २. घुघरूमों की माला। ३. शोभा के ५. शोभा देना । झिलना। लिये लगायी जाने बाली जालीदार झळरणो-(क्रि०) पातु की टूटी हुई वस्तु में किनारी । मालरी । टांके से झालन लगना । टाँके से जुड़ना। झंक-(ना.) १. दरार । २. गुजन ।। झळपट-(ना०) १. लम्बी और तेज ज्वाला। झंकार । २. हवा के तेज झोंके से किसी अंग पर झंकार-(न०) १. झनझनाहट । झनकार । लायी हुई पांच की जलन । २. झींगुर, भौंरे प्रादि की गुजन । झळमाळा-(ना०) अग्नि । बासदे। झंकारी-(न०) भ्रमर । भौंरा। भमरो। झळळाट-(न०) प्रकाश । चमक। झंखर-(न०) १. पुष्प-पत्र विहीन वृक्ष । झळ-लूमां-(ना.) खूब गरम लूएँ । लू की झड़े हुये पत्तों वाला वृक्ष । झंखाड़ । ज्वालाएँ। २. पतझड़। (वि०) पत्ररहित । प्रपत्र । For Private and Personal Use Only Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अखाड़ (४९ ) झाटलेणो झंखाड़-(न०) १. वह वृक्ष जिसके पत्ते झाकर-झूकर-(न०) किसी वस्तु का छोटे झड़ गये हों। २. कांटे वाले वृक्ष-पौधों टुकड़ों या कणों के रूप में बचा भाग । की झाड़ी । ३. शून्य प्रदेश । झाकळ-(ना०) १. प्रोस । शबनम । २. झंगर-(न०) १. गहन वन । झाड़ी। २. कुहरा। जंगल । वन । झाग-(न०) फेन। .. झंगी-(ना०) झाड़ी । बीहड़। झागड़-झोटो-(वि०) १. बिना . शऊर भंगो-(न०) छाछ। वाला । अशिष्ट । २. मूर्ख । ३. गंदा । झंझट-(ना०) बखेड़ा । झमेला । पचड़ा। ४. लड़ाई करने में मजबूत । ५. पहलझंझेडगो-(त्रि.०)१.हिलाना । झकझोरना। वान । ___ झटका देना । २. हैरान करना। झागड़ -(वि०)१. मुकदमा बाज । २. झगझंझोडणो-दे० झंभे डणो।। ड़ने वाला । झगड़ालू । ३. कलहप्रिय । झंडाळो-(वि०) १. जिस पर झंडा लगा झागड-(न०) झाग । फेन । .... हो । झंडे वाला। २.जो झंडा लेकर चलता झागोटा-(न०) फेन समूह । झाग ही झाग । हो । झंडेवाला। झाझो-दे। जाभो। झंडी-(ना०) १. छोटा झंडा । झंडी । २. झाट-(ना०) १. प्रहार । २. हवा का जोर रेलगाड़ी को चलाने के संकेत को हरी झंडी वा धक्का। ३. युद्ध । ४. छलांग । ५. और रोकने के संकेत की लाल झंडी। झपट । ६.भय । ७.बीमारी की अशक्ति । झंडो-(न०) ध्वज । निशान । पताका । ८. टक्कर ! ६. मुकाबला । १०. सर्प के झंपताळ-(न0) एक मात्रिक छंद। फन का प्रहार । डसना । डसणो । .. झंपूरियो-(वि०) १. लंबे और घने बालों ___वाला। २. बिखरे बालों वाला। झाटक-(न०) एक शस्त्र । (ना०) प्रहार । झंपो-(न०) पत्तों सहित टहनी। टहनी चोट । (वि०) १. प्रहार करने वाला । सहित पत्तों का गुच्छा । झंय । २. साहसी । ३. योद्धा। झंब-दे० झंपो। झाटकणो-(क्रि०) १. झटकना । फटकना । अंबाझोळ-(वि०)१. पसीने से तर। २. तर २. कपड़े आदि से गर्द को झटकना । बतर। ' ३.झटका देना । ४. सूप से साफ करना । झैवरो-दे० झमरो। ५. प्रहार करना । तलवार चलाना। ६. झाउड़ो-(न०) दे० झाऊ। - डॉटना । उलटी-सीधी सुनाना । फटझाऊ (न०) पत्तों की जगह पतली सीको कारना । ___ वाला एक वृक्ष । पिचुल वृक्ष । झाऊ। झाटको-(न०) १. झटका । प्रहार । २. " झाउड़ो। कपड़े आदि से झटक कर की जाने वाली झाग्रोलियो-(न०) १. दही जमाने की सफाई । मिट्टी की कठौत । २. दही से भरी हुई झाटझड़-(ना०) १.. शस्त्रों के प्रहार पर मिट्टी की परात या कठौत । प्रहार । अनवरत प्रहार । २. शस्त्रों के झाकझमाळ-(ना०) १. सजावट । तैयारी। प्रहारों की ध्वनि । २. शोभा। ३. शृंगार । ४. उत्सव। झाट लेणो-(मुहा०) टक्कर लेना। टक्कर ५. प्रकाश । झेलना। For Private and Personal Use Only Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झाड़ ( ४६६ ) झामरो झाड़-(न०) १. वृक्ष । पेड़ । २. अनेक झाड़-(न०) विष्टा । टट्टी। गू। बत्तियों वाला छत में लटकाया जाने झाड़े जारणो-(मुहा०) टट्टी जाना । पाखाने वाला काच का फानूस । ३.डाँट । डपट । जाना । हगना । झाड़को-(न०) १. वृक्ष । झाड़ । २. क्षुप। झाड़ो-(न०) १. मंत्रोपचार । २. मंत्र पढ़ने झाड़-झंखाड़-(न०) १. झाड़ी। २. धनी और झाड़ने की क्रिया । यौना। २. जंगली झाड़ियों का समूह । बीहड़ बन । समूह । मुड । ३. मल । विष्टा । झाड़णा-(क्रि०)१. झाड देना । बहारना। झाड़ा दणा-(मुहा०) १. मंत्र पढ़ कर २. फटकारना । ३. धूल, गर्द आदि साफ फूकना। २. मंत्रोपचार करना । करना । कपड़े आदि से झपट कर सफाई झारण-(न०) ध्यान । करना। ४. झटकना। ५. मारना । झाप-(ना०)१. झपट । २.छलांग। कुदान । ६. वृक्षों से फलों आदि का गिराना । ७. झापट-(ना०) १. तमाचा । थप्पड़ । २. डाँटना । फटकारना । ८. मंत्र पढ़ते हुये झपेटा । प्रेतबाधा। हाथ फेरना और फूंक मारना । झापटगो-(क्रि०) १. कपड़े से झाड़ना । झाड़पान-(न०) १. बनस्पति । पेड़-पौधे ।। २. डाँटना। फटकारना। ३. मारपीट करना । ४. थप्पड़ मारना । २. घास-चारा । ३. वृक्ष और पत्ते । झापटो-(न०) १. जोरों की वर्षा । २. झाड़साही-(वि०) १. अविश्वस्त । २. वृक्ष झपट । ३. थोड़े समय की जोर की वर्षा । के चिन्ह वाला। (न०) भूतपूर्व जयपुर झापड़-दे० झापट। राज्य का सिक्का जो झाड़ (वृक्ष) चिन्हां झापेटगो--(क्रि०) १. सख्त मार मारना । कित होता था। भाड़शाही। २. झपटना । फटकारना । झड़ागर--(न०) मंत्रों द्वारा भूत-प्रेत का झावर--(वि०) घने बालों वाला । आवेश या सर्प, बिच्छू आदि का विष दूर । ११ र झाबरियो-दे० झाबर । करने वाला । झाड़ा-फूका करने वाला । । झाबी-(ना०)१. स्त्रियों का एक प्राभूषण। झाड़ागरी-(ना०) झाड़ागर का काम । २. छिछली कटोरी। .. ... __ झाड़ा फूका। झाबो-(न०) १. ऊंट के चमड़े का बता झाडा-झपटो-(न०) दे० झाडा-कुंको । हुप्रा चौड़े मुह का नालीदार तेल पात्र । झाड़ा-को-(न०) प्रेत बाधा दूर करने, २. तेल मापने का एक मोटा नाली वाला विष उतारने या किसी बीमारी को दूर चर्मपात्र । ३. कीप । चोंगी। ४. खोपड़ी। करने के निमित्त मंत्रों को बोलते हुये झाम-दे० झामणो । झाड़ने-फूकने की क्रिया । झाडा-फूका। झामणो-(न०) चोट आदि के लगने से खून मंत्रोपचार। जम कर चमड़ी में पड़ने वाला काला झाड़ी--(ना०) १. कंटीले वृक्ष, पौधों का दाग । झाम । समूह २.पेड़-पौधों का समूह । घने वृक्ष। झामर-(न०) आँख का एक रोग। झाड़ -(न०) बुहारी । झाड । झामर झोळो-(न०) १. विवाह का एक झाड़ देणो-(मुहा०) १. कचरा निकालना। तंत्र । २. जादू । झाड़ लगाणो-दे० झाड़ देणो। झामरी-(ना०) हथेली में या पगथली में झाड़ वाळो-(न०) भंगी। महत्तर । झाड़ उठने वाला व्रण। वाला। झामरो-३० झामळो। For Private and Personal Use Only Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झामळो झालर वाव झामळो-(न०) आँख का एक रोग । दृष्टि- झालकी-(न०) १. झालं में जितना घास __ मांद्य । प्रादि समा सके या बैलगाड़ी में जितना झामो-(न०) दे० झावो। भरा जा सके उतना परिमाण । २. बैल झारणो-(क्रि०) १. जल आदि को झरने गाड़ी में (झाल वेष्टित होकर) भरा जा देना । २. थोड़े २ पानी की घार देना। सके उतना नाज, घास प्रादि । ३. पाला, ३. गरम पानी की धार से धोना या सेक कड़व प्रादि घास से भरी हुई बैलगाड़ी। करना। झालड़ी-दे० झाल की। झारा झूरो-दे० खारा खेरो। झाळण-(न०) १. किसी धातु की वस्तु में झारिया-(न०) घोट-छान कर तैयार की टांके (धातु जोड़ने का साधन) से की हुई पेय-मंग । छनी हुई भांग । पीसी हुई गई जुड़ाई । - झालन । २. छेद, सांध भांग का द्रव रूप । विजयाद्रावण । आदि को टांके से जोड़ने की क्रिया । ३. झारिया जमावणो-(मुहा०) भंग पीना। जोड़ । टांका । झारी-(ना०) एक टोंटीदार जलपात्र । झालण-(न०) १. सूत का बना हुग्रा मोटा झरझरी। और बड़ा कपड़ा जो बैलगाड़ी में नाज झारो-(न०) १. नाश्ता । कलेवा २. तांबे ढोने के लिये बिछाया जाता है तथा छाया पीतल आदि का टोंटीदार एक जलपात्र । करने के लिये बांधा जाता है। २. पास ३. पानी आदि झारने की क्रिया । ४. आदि भरने के लिये घेरे के रूप में लगाया छेदों वाला बड़ा छिछला कलछा जिससे जाने वाला जट का बुना हुप्रा, लंबा चोड़ा पाल । कड़ाही में तली हुई पूरियाँ, सेवें आदि निकाली जाती हैं। ४. सेवें छाँटने का झालगो-(क्रि०)१.पकड़ना। ग्रहण करना । २. थामना । ३. सहन करना। ४. उत्तरछेदों वाला कलछा । झाबा। दायित्व लेना। झाळग-(न०) १. अग्नि । २. ज्वाला सहित झाळरणो-(क्रि०) धातु की बनी हुई वस्तु अग्नि । ज्वालाग्नि । ३. अग्नि के समान को टॉक से जोड़ना । झालना । झालन जाज्वल्यमान । ४. घासफूस के जलने से लगाना। होने वाली बड़ी ज्वाला। भळ-पूळो-(वि०) १. ज्वाला के समान झाळ-(ना०) १. बैलगाड़ी में ऊने तक घास विकराल । २. अत्यन्त क्रोधी। कुर प्रादि भरने के लिये उसके नीचे झाळ-बंबाळ-(वि०) १. अग्नि के समान विछाने तथा उसे ढकने का मोटा जट तेजस्वी। २.महाकोधी । (मा०)क्रोधाग्नि । का बुना कपड़ा। २. झाल में जितना झालर-(ना०) १. टकोरा । घड़ियाल । भास प्रादि समा सके या बैलगाड़ी में घंटा। २. शोभा के लिये कपड़े प्रादि में जितना भग जा सके उतना परिमाण । लगाई जाने वाली गोट या किमारी। ३. बैलगाड़ी में भरा जा सके उतमा माज ३ जालीदार किनारी। ४. पत्तों वाला प्राधि। ४. स्त्री के कान का एक माभू एक शाक । ५. एक जल पात्र । हाथी पण। के कान का एक प्राभूषण। काळ-(110) १. ज्वाला। २. क्रोध । ३. झालर वाव (म0) १. चारों ओर सीहियों क्रोध का प्रावेश । झल्लाहट । ४.भालन। वाली बावली। चौकोर पैड़ियों पाली झाळग। वापो या कुआँ । मालरो। For Private and Personal Use Only Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झालरियो । ४७१ ) झांगरी झालरियो-(क्रि०) झल्लरी वाला । (ना०) झाँक-(ना०) झांकने की क्रिया या भाव । १. कंठा। हार । झालरो। २. झालर झाँकरणो-(क्रि०) १. झुककर देखना । २. वावी। आड़ में छिपकर कुछ देखना । झालरी-(ना०) १. किसी वस्तु के किनारे झाँकी-(ना.) १. दर्शन । २. अवलोकन । पर शोभावृद्धि के लिये लगाया जाने ३. देव मंदिरों में समय समय पर थोड़े वाला उपांत । हाशिया । झल्लरी । २. समय के लिये कराया जाने वाला दर्शन । चमड़े के चरस में जोड़ के रूप में लगाया ४. व्यवसायी ब्राह्मण या साधुओं द्वारा जाने वाला चमड़े का टुकड़ा । ३. एक प्रतिदिन नई नई देव-लीलामों को मिट्टी वाद्य। से बना कर और श्रृंगार करके रात्रि के झालरो-(न०) १. स्त्रियों के गले में पहिनने समय दिखायी जाने वाली लीलाओं के का एक आभूषण । कंठा । २. कूप के दृश्य । ५. झलक । आभास । ६. दृश्य । समान एक जलाशय जिसमें चारों ओर ७. झाँकने की जगह । बारी। ८. चौकोर पैड़ियाँ बनी होती हैं। झालर झरोखा। वापी । झालर वाव । झाँको-(न०) १. मंददृष्टि । २. मंदप्रकाश । झालावाटी-(ना०) झाला राजपूतों का (वि०) १. मंद रंग वाला। २. मंद । प्रदेश । २. भूतपूर्व झालावाड़ रियासत ।। धुधला । तेजहीन । ३. मलिन । झालावाड़-(न०) १. राजस्थान का एक एक झाँख-(ना०) आँख का एक रोग। दृष्टि " ___ नगर । २. भूतपूर्व झालावाड़ राज्य । मांद्य। झाली राणी-(ना०) १. विवाह का एक झाँखर-(ना०) झंखाड़। और लोक गीत । २. विवाह के गीतों की झाँखरो-(न०)१.झड़े हुये पत्तों वाला वृक्ष । लोक नायिका। ३. झाला क्षत्रीय वंश की। २. पतझड़। राजा की पत्नी। झाँखारगो-(कि०) १. कुम्हलाना । २. झाळी-(वि०) क्रोधी । (ना०) ज्वाला। दिखाई पड़ना । दिखलाई देना । (वि०) झालो-(न0) १. संकेत । इशारा । २. हाथ १. कुम्हलाया हुअा। २. उदासीन । का संकेत । हाय हिला कर किया हुआ म्लान । ३. लज्जित । संकुचित । संकेत । ३. झाला क्षत्रिय । खिसौंहा । (क्रि०५०) कुम्हला गया। झाळोझाळ-(न०) १. प्रचंड अग्नि प्रकोप। झाँखो-दे० झाँको। २. अग्नि-ज्वालानों का विस्तार । ३. विस्तृत रूप से प्रज्वलित अग्नि । ४. उग्र झाँग-(ना०)१. ज्वाला । २. दीर्घ ज्वाला । झा क्रोध । क्रोधाग्नि । ३. पतली टहनियों व फूस का ढेर । झावो-(न०) १. हाथों-पांवों पर रगड़ कर झांगर वेड़-(ना०) १. स्त्री और उसके मेल छुड़ाने का मिट्टी का एक उपकरण । बच्चे । २. फूहड़ स्त्री भार उसक मल हो । २. एक छिछला पात्र। कुचेले बच्चे । ३. एक ही व्यक्ति के बहुझावोलियो दे० झायोलियो। तेरे बच्चे-बच्चियों का मुड । झाँई -(ना०)१. मंद प्रकाश । २. प्रतिबिम्ब। झाँगरौं-(ना०) मरुप्रवेश का वह सजल परछाई। ३. झलक । ४. चमड़ी में भाग जहाँ कुए, वृक्ष, खेती आदि हरि. पड़ने वाला कालापन । याली और कुछ बस्ती हो । मरुस्थल में For Private and Personal Use Only Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ४७२ ) झाँझ छोटी उपजाऊ भूमि । शाद्वल । नखलिस्तान । मरुद्वीप | झाँझ-(न०) बड़े मंजीरों की जोड़ी । ताल । करताल । झाँझर-(ना०) चलने के समय मधुर ध्वनि करने वाला स्त्रियों के पाँवों का एक गहना । पाजेब | पैंजनी । झाँझरको दे० जाँभरखो । झाँझरिया - (न०ब०व०) बच्चे के झांझर | छोटे झांझर । झाँट - (न०) १. उपस्थ - कच । गुह्यंद्रिय के बाल | घुसो घुहो । ( वि०) तुच्छ । झाँटो - (न०) १. कलह । २. झगड़ा । झाँटोलियो- (वि०) तुच्छ । अत्यन्त निकम्मा | हलका | झाँप - ( ना०) १. कुदान । छलांग । २. झपट | ३. खोसने की क्रिया या भाव। झाँप लेगो - ( मुहा० ) छलांग मारना । झाँपो - (न०) १. झोंपड़ा । २. घर । ३. झोंपड़े या बाड़े का द्वार । ४. द्वार । दरवाजा । ५. फाटक । झाँयाँ देणी - ( मुहा० ) चिढ़कर बोलना । क्रोध में बोलना । झाँवळा - (न०) आँखों से कम दिखने का एक रोग । यदा-कदा रंग-बिरंगी लहरें दिखने का एक रोग | झाँस - ( ना०) झाड़ी । झाँसो- ( न०) धोखा । झाँसा झिकर - ( ना० ) १. जिक्र । कथन । वात चीत । चर्चा । २. व्यर्थ की बातचीत । झिकाळ - ( ना० ) व्यर्थ या अधिक बोलने या बातचीत करते रहने का भाव । बकबाद | झकाळ भिकाळियो- (वि०) बहुत बोलने वाला | बकवादी । बाचाल । भिकाळी- दे० भिकाळियो । भिखरगो - ( क्रि०) १. चमकाना । २. शोभा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झिल्ली देना | झिझक - ( ना० ) १. संकोच । हिचक । २. लज्जाजनित संकोच । ३. लज्जा । ४. भय । ५. संकोच । झिड़करणो - ( क्रि०) १. डाँटना | फटकारना । २. तिरस्कारपूर्वक बात करना । झिड़की - ( ना० ) डांट भिरण - ( ना० ) छाछ । झंगो । झिरमटियो - ( न०) १. बालिकाओं का एक फटकार । नृत्यमय खेल । २. बालिकाओं का एक लोक गीत । झिरमिट दे० झिरमटियो । झिरी - ( न० ) १. लकड़ी - पत्थर आदि की बनी हुई किसी सपाट वस्तु के किनारे पर कुरेदी हुई लंबी लकीर । २. दरज । दरार । ३. किनारी । हाशिया । ४. एक रोग । ५. भट्टी । झिलरगो - ( क्रि०) १. प्रकाशित होना । २. शोभा देना । फबना । ३. प्रकाश देना । ४. समृद्ध होना । ५. भर जाना । पूर्ण होना । ६. ग्रहण लगना । फिलम - ( ना० ) १. कवच के ऊपर गले और कंधों को ढके रहने वाली लोहे की दुहरी कड़ीदार जाली । २. युद्ध के समय गरदन, मुख और कंधो पर बाँधने की लोहे की जाली । फिलम टोप - ( न०) झिलमयुक्त टोप | वह शिरत्राण जिसके नीचे गरदन और कंधों की रक्षा करने वाली जाली लगी रहती है । फिलम और टोप | झिलमिल - ( न० ) १. हिलता हुआ प्रकाश । अस्थिर प्रकाश । २. शोभा यात्रा का एक लवाजमा । For Private and Personal Use Only झिल्ली - ( ना० ) १. प्रति सूक्ष्म चमड़ा । पतला चमड़ा । २. ऐसी पतली चमड़ी या तह जिसमें होकर दूसरी ओर की वस्तु दिखाई पड़े । Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झिगोर । ४७३ ) झुकरणी झिंगोर-(न०) मोर का शब्द । बची हुई लंबी कतरन (पु० झीरो) झिझोटी-(ना०) राग विशेष । झीरोहर-(ना.) १. निछरावल । निछावर । भी-(न०) घी। घृत । उत्सर्ग । २.झीर-झीर । ३.टुकड़े-टुकड़े । झीक-(ना०) १. शस्त्रों के प्रहार का शब्द । झील-(ना०) बहुत बड़ा प्राकृतिक जलाशय । २. शस्त्र-प्रहार । ३. अविरल शस्त्र कुदरती सरोवर । २. एक जंगली क्षुप । प्रहार । ४. खूब जोर की वर्षा । ५. वर्षा ३. बज्रदंती क्षुप । की अजस्रता। ६. औसर-मौसर आदि झीलगो-(क्रि०) स्नान करना। नहाना । भोज-प्रसंगों पर भोज्य सामग्री की मुक्त- संपाड़ो करणो । हस्त छट। ऊपरा-उपरी परोसगारी। झीलावणो-(क्रि०) नहलाना। स्नान कररोठ । ७. बिना कंजूसी के उदारतापूर्वक वाना । संपड़ावरणो। किया जाने वाला खर्च। ८. सलमे-सितारों झींकणो-(क्रि०) १. रोना । २. व्यर्थ में का काम । ६. कार चोबी। १०. बारीक समय बरबाद करना। ३. काम को किनारी। बिगाड़ना। ४. सुस्ती से काम करना । झीक उडणो-(मुहा०)१. बहुतसी तलवारों धीरे धीरे करना। ५. दुखड़ा रोना । का एक साथ प्रहार होना। २. शस्त्र- रोना रोना । ६. कुढ़ना। खीजना । ७. प्रहारों का शब्द होना । ३. विशेष भोजन पश्चाताप करना । ८. तरसना । आदि अवसरों पर वस्तुप्रों का छूट से झींग-(ना०) छोटी मछली । झींगी। उदारतापूर्वक व्यवहार या खर्च होना। झींगर-(ना०) १. झींगुर । झिल्ली। झीझळियो-'न०) १. सवारी का ऊंट । तिवरी । २.मछुप्रा । धीवर । ३. मच्छी। २. एक लोकगीत । जमाई के सवारी के झींगीं-(ना०) छोटी मछली । झींग। ऊंट का एक लोकगीत । ३. ऊंट । झींट-(ना०) चौकोर कपड़े के एक अोर के झीगो-(वि०) १. बारीक । पतला। दोनों सिरों को गरदन में बाँधकर और महीन । २. तीक्षण । पैना । ३. सुरीला। दूसरे दोनों सिरों को हाथ में पकड कर मधुर स्वर वाला। ४. जो स्थूल न हो। बनाया हुअा नाज भरने का झोला। पतला । कृश । (न०) १. ऊंट की एक झीटा-(न०ब०व०) १. बकरे के बाल । २. जाति । २. बहुत तेज चलने वाला ऊंट । सिर के लंबे बाल । (ऊनवाची) ३. सिर झीणोड़ो-दे० झीणो। के बिखरे हुए बाल । लंबे केश ( बिना झीणो मोरियो- (न0) एक लोक गीत । संवारे हुए)। झीरण-(वि०) फटा पुराना। जीर्ण। झोटिया-(न०) सिर के अव्यवस्थित खुले (न०) फटा पुराना वस्त्र । जीर्ण वस्त्र। बाल । बिखरे हुये सिर के लबे बाल । चिथड़ा। जटा। झीरा-झीरा-(न०) १. वस्त्र-पत्र आदि के झीटोळियो-(न०)१. लंबे बालों वाला भूत । फाड़-चीर कर किये हुये टुकड़े। २. जीर्ण २. वह जिसके सिर पर लंबे व घने बाल वस्त्रों में बनी अनेक दरारें और फटन। हों। ३. गदा व्यक्ति । (वि०) नीच । झीरी-(ना०) १. वस्त्र कागज या चद्दर तुच्छ । प्रादि की लंबी पट्टी। २. वस्त्र, कागज झुकणो-(त्रि०) १. झुकना । नवना । या बद्दर मादि की कांट छांट करने से नमो । २. नीचे की ओर प्रवृत होना। For Private and Personal Use Only Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कालो उतार पर होना । ढलना । ३. किसी पदार्थ का किसी ओर मुड़ना । लचकना । ४. प्रणाम करना । ५. हार मानना । ६. वरसना । ७. बनना । निर्माण होना । भुकारणो- दे० झुकावणो । झुकाव - ( न० ) १. झुकने की क्रिया या भाव। झुकाई । २. प्रवृत्ति । बहाव । ३. चाह । इच्छा । ( ४७४ ) भुकावणो - ( क्रि०) १. झुकाना । नवाना | २. मजबूर करना । विवश करना। ३. प्रवृत्त करना । ४. नीचा दिखाना । ५. हराना । ६. बनवाना । निर्माण कराना । भुरंट - ( ना० ) १. नख की रगड़ या खरोंच । नखक्षत । २. रगड़ । खरोंच | भुरड़रणो - ( क्रि०) १. खरोंचना | २. तोड़ना । ३. मार मारना । पिटाई करना । बेंत या लकड़ी से मारना । भुरणो - ( क्रि०) १. बरसना | टपकना । २. रोना । रुदन करना । ३. किसी के वियोग में रोना । ४. दुख या चिता से क्षीण होना । ५. कलपना | विकल होना । भुरमट - ( न० ) १. किसी स्थान को ढका हुमा झाड़ों का समूह । २. झाड़, क्षुप और घास प्रादि का समूह । प्रति प्रधिक धारा, पेड़, पौधे आदि का झुंड । भुरापो दे० रायो । भुरावो दे० रा । नारणो- दे० त्रावणो । भुनावणो - ( क्रि०) १. बच्चे को भूले में सुलाकर उसे हिलाना । भुलाना। २. ढालते रहना । अटकाये रखना । प्राजकल करते रहना। ३. भरोसे में रखना । ४. ४. स्नान कराना । भुंड - (न० ) समूह | समुदाय | झुंड । ढोला । होठो । भूझ - (न०) युद्ध । जु । कजियो । झूट - (न०) झूठ । प्रसत्य । मिय्या | कूड़ । रणो झूटमूट - ( क्रि०वि०) बिना किसी वास्तविक आधार के । झूठमूठ । व्यर्थ । यों ही । कूडसाच । झूटो - ( वि० ) असत्य । मिथ्या । झूठा । कूड़ । २. झूठ बोलने वाला । झूठा । कड़ो । ३. बनावटी । नकली । भूइरो - ( क्रि०) १. डंडे से पीटना । ठोंकना । २. जोर की पिटाई करना । ३. भकझोरना | झटकारना । ४ मारना । काटना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूमको - ( न०) १. एक ही प्रकार की वस्तुनों का गुच्छा । २. फुंदना । ३. एक गहना । ४. स्त्रियों का झुंड । झूलरो । भूमणो - ( क्रि०) १ मस्ती में इधर उधर भूलना | लहराना । २. लिपटना । ३. लटकना । ४. हाथापाई करना । ५. लड़ना । ६. ताकना । ७. झुकना । ( न० ) कान का एक गहना । झूमर - ( न० ) १. स्त्रियों के कानों का एक गहना । भूमरो । २. स्त्रियों का लोकनृत्य । घूमर । ३. एक लोक गीत । ४. छत में लटकाने का अनेक बत्तियों वाला काँच का एक बड़ा फानूस । झाड़फानूस । ५. बड़ा हथौड़ा । भूमरो । झूमर - देछींट - ( ना० ) रंगी और छपी हुई घाघरे की छींट का एक प्रकार । भूमरी - ( ना० ) कान का छोटा भूमरा । भूमरी । भूमरो - ( न०) १. स्त्रियों के कान का एक गहना । २. बड़ा हथौड़ा । झर - ( न० ) १. कचरा । कूड़ा । २. झाड़न । ३. झाड़ आदि की पतली-सूखी टहनियों का ढेर । ४. एक व्यक्ति के बहुतेरे छोटे मोटे बच्चे बच्चियों का समूह । ५. समूह | भूरणो- दे० भूड़ो | भुरणो । For Private and Personal Use Only Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org रो भूरो- ( न०) १. किसी वस्तु के छोटे छोटे टुकड़ों की राशि । २. झाड़ आदि की पतली-सूखी टहनियों की राशि । ३. ( ४७५ ) कचरा । फूस । झूल - ( ना० ) १. हाथी, घोड़े आदि की पीठ पर सुंदरता के लिये डाला जाने वाला वस्त्र विशेष । २. कवच । ३. हाथी या • घोड़े का कवच । पाखर । ४. भुंड । झूळ - ( ना० ) १. भुंड । समूह । २. सेना । ३. विश्राम के समय सैनिकों के अस्त्र शस्त्रों को अपने अपने वर्ग में खड़ा करके रखने का एक ढंग । ४. काटे हुए नाज के पूलों को सुखाने के लिये पंक्तिबद्ध रखने का एक ढंग । भूनरणा - ( न० ) स्वनाम संज्ञक डिंगल-काव्य । जैसे -- गजसिंघजी रा भूलगा । राव श्रमसिंहजी रा भूलरणा । भू नरगा - इग्यारस - ( ना० ) १. भाद्रपद शुक्ल एकादशी । २. देव मंदिर से देवमूर्ति का शोभायात्रा के रूप में जलाशय पर ले जाकर स्नान कराने का इस दिन मनाया जाने वाला एक महोत्सव | भूाणी ग्यारस दे० झरणा- इग्यारस । भूरणो - ( क्रि०) १. झूले पर बैठ कर पेंगना । भूलना | २. लटकाना । ३. हिलना । ( न० ) १. भूलना नामक एक छंद । २. झुलान । हिंडोला । भू नर - ( न०) समूह । भुङ । भूलरियो ( न०) १. झुंड । २. माहेरा भरने को आने वालों का समूह । ३. माहेरा का एक लोक-गीत । भान भरने के समय गाया जाने वाला एक लोकगीत । ४. पलने में भूलन वाला बच्चा । छोटा बच्चा । भून रो - ( न०) १. स्त्रियों का झुंड | उत्स्वार्थ संगठित स्त्री समूह । २. झुंड | समूह | भूलाळे - (न०) हाथा | (वि०) १. भूलने रण वाला । २. भूलता हुआ । ३. जिसके ऊपर भूल पड़ी हो । ४. कवचधारी । भूलाळो-दे० भूलाळ | भूलो- (न०) हिंडोला । पलना । भूस- दे० जूसरण | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूसरण - दे० जूसरण | भूसरिगयो - ( वि० ) कवचधारी । (न० ) कवच । गो- ( न०) कुएँ पर बना हुआ वह कुंड जिसमें होकर मोट से निकला हुमा पानी बहता रहता है । टणो - ( न०) स्त्रियों के कानों का एक गहना । ( क्रि०) खोसना । छीनना । पड़ी - ( ना० ) छोटा झोंपड़ा । झोंपड़ी । पड़ो - ( न० ) झोंपड़ा । भूपी - ( ना० ) १. जागीरी समय का प्रति घर से लिया जाने वाला एक टैक्स । २. झोंपड़ी। भूपी लाग - ( ना० ) घर या झोंपड़े पर लगने वाला एक कर । गृह कर । हाउस टैक्स । भूपो - ( न० ) १. झोंपड़ा । २. ढेर | ३. घास का ढेर । बक - ( न०) एक स्त्री प्राभूषण । भूमरो । भूवरण- ( क्रि०) १. लिपटना । गले लगना । २. लटकना । ३. हाथापाई करना । ४. युद्ध करना । जुरो । ५. आवेश में बोलना । वो दे० 'बो | सर - ( न०) जुधा । जुम्राठा । जुम्राड़ो । . झेडर - ( न० ) एक लोक गीत । फेर - ( ना०) १. बैठे बैठे ली जाने वाली नींद | बैठे हुये को आने वाली नींद । २. हलकी नींद । ३. तरंग लहर । भैरगियो - (To) मंथन डंड । मथनी । रई मेरो । I फेररणो- (न०) दही बिलोने की छोटी मधनी । मथनी । रई । ( क्रि०) १. गिराना । २. वृक्ष की For Private and Personal Use Only Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जाने वाला शब्द | करणो - ( क्रि०) ऊंट को बिठाना । कारणो- दे० भैरापी टहनी को हिला कर पत्तो फलादि गिराना । खेरो । ३. बिलोना करना । ४. प्रहार करना | चोट करना । रापो - ( न०) १. प्रेमी की वियोग जनित हृदय वेधक स्मृति | २. वियोग जनित रुदन । ३. प्रेमी के वियोग में गाया जाने वाला लोक गीत | झुरापो । ४. वियोगजनित प्रलाप | भेलरगो - ( क्रि० ) १ पकड़ना । थामना | हाथ में लेना । भेलना । २. गिरफ्तार करना | पकड़ना । ३. सहारा देना । ४. सहन करना । भेला - ( न०ब०व०) कामों का एक आभूषण । भेला भेली - ( ना० ) १. बच्चों का एक खेल । २. भेलने या पकड़ने की क्रिया । ३. खींचातान । ४. पकड़ा पकड़ी। लावरियो- (वि०) दे० लावरियो । लावणी - ( क्रि०) दे० झलावणो । तू - (वि०) जिम्मेवार | उत्तरदायी । * - ( अव्य० ) ऊंट को बिठाने के लिये बोला कारणो । www.kobatirth.org वो - ( क्रि०) ( ४७६ ) को विलाना । पना | परगो - ( क्रि०) भोक - ( न०) १. शाबासी | वाहवाही । २. ऊंटनी का प्रसव । ३. ऊंटों का बाड़ा । ४. आक्रमण । ५. झुकाव । झुकने का भाव | ६. पिनक । ७. बैठे बैठे आने वाले नींद झपकी । ८. ढंग | तौर तरीका | ६. सुंदरता । शोभा । १०. चाल-चलन । ११. ऊँट । ( अव्य) एक प्रशंसा सूचक शब्द | धन्य । वाह | भोकरियो - ( वि०) १. भट्टी में झोका देने वाला । २. युद्ध में प्रवर्त करने वाला । ३. संकट में डालने वाला । भोकरणी - (ना० ) ऊंटनी | भोकरणो - ( क्रि०) १. युद्ध में प्रवर्त होना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भोको २. युद्ध में प्रवर्त करना । ३. किसी वस्तु को जलाने के लिये प्राग में फेंकना । ४. किसी काम में अंबाधु खर्च करना । ५. किसी को संकट की स्थिति में ढकेल देना | ६. कठिन काम में लगा देना । ८. ऊंटनी का प्रसव ७. धन्यवाद देना । होना । झोक देखो - ( मुहा०) १. ऊंटनी का प्रसव होना । ऊंटनी का बच्चा देना । २. धन्यवाद देना । शाबासी देना । झोकाई - ( वि०) १. सेना को युद्ध में झोंकने वाला । २. प्राक्रमणकारी । ३. वीर । बहादुर । पराक्रमी । ४. लुटेरा । ५. साहसी । हिम्मत वाला । ६. झोका देने वाला । झोकाऊ - दे० झोकाई । फोका खाणो- (मुहा० ) १. नींद या नशे में (बैठे हुए की) गरदन झुकता | बैठे बैठे नींद लेना । २. इधर उबर हिलना । झोकारण - ( न० ) १. व्यवस्था । २. दशा । अवस्था । ३. किसी वस्तु या घर ग्रादि का भला या बुरा रहन-सहन का ढंग । ४. ऐसे रहन-सहन या ढंग का दृश्य | ४. तौर-तरीका । रूप रंग । ६. चाल चलन । झोका देणो- (मुहा०) ग्रग्नि को प्रज्वलित रखने के लिये ( भड़भूजे या रंगत का काम करने वालों की ) भट्टी में डंठल या झुरमुट डालते रहना । झोकायत - ( न०) १. ग्रक्रमणकारी । २ः लुटेरा । ( वि०) १. वीर । २. साहसी । झोका लेगो - (मुहा०) बैठे बैठे मींद लेना । बैठे-बैठे झुकझुक कर नींद लेना । कोको - (न०) १. अधिक ज्वाला प्रज्वलित करने के लिये भट्टी या भाड़ में डाला जाने वाला तृण-समूह । २. तृणसमूह से भट्टी या भाड़ में उत्पन्न होने वाली तेज For Private and Personal Use Only Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झोटिंग . ( ४७७) ज्वाला। ३. बैठे-बैठे को पाने वाली दही । ३. बच्चे को सुलाने के लिये कपड़े नींद । हलकी नींद । ४. हवा का धक्का। की बनाई हुई झोली । ४. ढीली खाट । ५. नशे का झोंका । ६. पैग। पिनक। झोळी-(ना०) १. झोली। थैली। २. झोटिंग-(न0) समस्त शरीर पर बड़े बड़े भिक्षान्न डालने की साधु की झोली । ३. बालों वाला एक भूत । (वि०) १. बड़े बच्चे के सोने की झोली । झोळणो। बालों वाला । २. जटाधारी। झोलो-(न०) १. अत्यन्त उष्ण अथवा शीतल झोटी-(ना०) जवान भैस । ग्रोसर । कलोर। वायु, जिसके चलने से फसल और वृक्ष झोटो-(न०) १. झोंटा । पेंग । हिलोर। एक बारगी सूख जाते हैं । २. फसल को २. जवान भैसा। पाडो। हानि करने वाला विपरीत दिशा का झोल-(न०) १. सिरों पर से बंधी हुई किसी पवन । ३. वायु की झपट । ४. प्राघात । लंबी चौड़ी वस्तु के बीच वाले भाग में ५. मस्ती। ६. डिगना । हिलना । ७. होने वाला झुकाव । २. चारों कोनों से रति क्रीडा । ८. नशे की लहर । ६. एक बँधे हुए कपड़े, सायबान आदि के बीच . वात रोग । १०. इशारा । ११. भोंका। में रहने वाला झुकाव । बंधे हुए कपड़े १२. संकट । १३. विक्षेप । का वह अंश जो ढीला होने के कारण भोळो-(न०) १. कपड़े का थैला। २. लटक जाय । ३. ढिलाई । ढीलापन । गिलाफ । खोली । खोळी । भोळ-(न०) १. शोरवा । रसा। झोल। झौड़-(न०) १. वाग्युद्ध । बोलचाल । २. मुलम्मा । ३. झुड । समूह। विवाद । २. माथापच्ची। ३. हठ । झोळणो-(न०) १. यात्रा में साथ रखा जिंद । हठवादिता । ४. बखेड़ा । प्रपंच । जाने वाला एक थैला । २. छोटे बच्चे ५. झगड़ा-टंटा । लड़ाई। .. के लिये बनाया हुआ कपड़े का झूलना। झौड़-झपाड़-(ना०) १. बकवाद । २. बोलझोळी । चाल । टंटा-फसाद । झोळदार-(वि०) १. रसेदार । जिसमें रस झौड़ायत-(वि०) १. झोड़ करने वाला। हो। २.जिस पर मुलम्मा किया हुआ हो। बकवादी। २. लड़ने वाला। झोळियो-(न०) १. दही में पानी के साथ झौड़ियो-(वि०) झोड़ करने वाला । चीनी या नमक-जीरा को मथ कर बनाया झोड़ीली-(वि०) झोड़ करने वाली। हुआ एक पेय । मट्ठा । लस्सी । २. पतला झोड़ीलो-(वि०) झौड़ करने वाला। ज ज-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्ण मालों का दसवां व्यंजन वर्ण । चवर्ग का पांचवां वर्ण। इसका उच्चारण स्थान तालु और नासिका है। वाणीकी पाठशाला में इसे 'ननियो खाँडो चंदरमा' कहा जाता है। For Private and Personal Use Only Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( Yue i ट-संस्कृत भाषा परिवार की राजस्थानी टकसाळी बंध-(वि०) ठीक और पक्का । वर्णमाला की तीसरी व्यंजन आम्नाय के खरा । टवर्ग का मूर्धास्थानीय प्रथम वर्ण। टकसाळी-बात-(ना०) १. पक्की बात । टक-(ना०) बिना पलक गिराये एक ही ओर २. सच्ची बात । देखते रहो का भाव । २. स्थिर दृष्टि । टकसाळी-बोली-(ना०) १. शिष्टभाषा । यथा-एक टक देखणो । ३. टकराने का २. व्याकरण-सम्मत भाषा । साहित्य की शब्द । दे० टंक सं०३ से६ । भाषा। ३. शिष्ट समाज की भाषा । ४. सर्व सम्मत भाषा। टकटक-(प्रव्य०) घड़ी आदि के चलने का टकसाळी-भाषा-दे० टकसाळी-बोली। शब्द । टकटको-(ना०) स्थिर दृष्टि । निनिमेष टका-(मा०)धन-सम्पत्ति । रुपया-पैसा । टकाऊ-दे० टिकाऊ । दृष्टि । टकणेत-(वि०) पांव पीछे नहीं देने वाला टका भर-दे० टके भर। वीर । बहादुर । (न०) वीर पुरुष । टकार-(न०) 'ट' वर्ण । रहो। टकरणो-दे० टिकणो। टकाव-दे० टिकाव । टकरणो-(कि०) टकराना । टकरा जाना । टके भर-(अध्य०) बहुत थोड़ा। टको-(न०) १. टका । पैसा । २. दो पैसे । टकरागो-(क्रि०) १. टक्कर लगना । जोर ३. दो पैसों का एक सिक्का । अधन्ना । से भिड़ना । २. ठोकर लग जाना । ३. ४. रुपया-पैसा । नागो। ५. कर। सामने से आने वाले का मिलाप होना। महसूल । अकस्मात रास्ते में मिल जाना । ४. टकोर-(ना०) १. व्यंगपूर्ण बात । व्यंग्य । हिसाब या लेन-देन का परस्पर मिलान ताना। २.वक्रोक्ति । ३. प्राघात । चोट । करना । ५. मारे मारे फिरना। ४. टकोरे का शरद । झंकार । टकराव-(न०) टकराने या भिड़ने की टकोरो-(10) १. टकोरा । घड़ियाळ । स्थिति। घंटा । भलरी । मालर । २. टकोरे की टकरावणो-(क्रि०) टकरायो। झंकार। टकरीजणो-(क्रि०) १. जोर से भिड़ना। टक्कर-(न०) १. मुकाबला। २. भिड़न्त । टकराना। २. ठोकर लग जाना। ३. ३. धक्का । ४. ठोकर । ५. चोट । मार्ग में सामने से मिलाप हो जाना। प्रहार । ६. हानि । घाटा। प्रकस्मात मागे म मिल जाना। टक्कर खागो-(मुहा०) मुकाबला हाना। टकसाळ-(ना०) सिक्कों के ढलने या मुद्रित टक्कर लेगो-(मुहा०) मुकाबला करना। होने का स्थान । टकसाल । टकसाल । टखणो-नि0) एडी के ऊपर की उभरी टकसाळी-(वि०) १. प्रामाणिक । खरा। हई हड्डी । टखना। २. टकसाल में बना हुमा। टग-(न०) १. पटकन । रोक । २. सहारा। टकसाळी.खबर-(ना०) पके समाचार । ३. हठ । दुराग्रह । जिद । ४. किनारा । पुख्ती खबर । ५. पैड़ी। For Private and Personal Use Only Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुपको टगण-(10) छः मात्रामों का एक गण टणका-री-टग-(10) बलवानों को भी (छंद)। सहारा देने की सामर्थ्य रखने वाला टगमग-टगटग-(ना०)देखने की एक क्रिया। व्यक्ति । सामर्थ्यवान । (वि०) समर्थ । टगी-(ना०) १. हठ। जिद । दुराग्रह । अड़। सबल । २. सहारा। (वि०) हठी। दुराग्रही। टणको-(वि०) १. जबरदस्त । बलवान । अड़ियल। २. बड़ा। विशाल । विस्तृत । (न0) टच-(न०) १. शुद्धाशुद्ध सोने चांदी का स्त्रियों के पाँव का एक गहना । पांव का टकसाल द्वारा निकाला हा प्रकाशित एक कड़ा। मांक । २. दे० टचकारो। टणटण-दे० टनटन। टचकारी-दे० टिचकारो। टणटणाट-(न०) बकवाद । वाग्वृद्ध । २. टचकारो-दे० टिचकागे। बार बार कहते रहना। ३. कलह । टंटा। उचली अाँगळी-(ना०)सबसे छोटी उंगली। ४. टनटन शब्द । टचुकड़ो-(वि०) बहुत छोटा।। टणटणाटो-दे० टणटणाट । टटपूजियो-(वि०) १. जिसके पास थोड़ी ई टणटणाणो-(क्रि०) १. टनटन बजना या पूजी हो । टुट-पूजिया । २. गया-बीता। बजाना। २. घंटा बजना या बजाना निकम्मा । ३. दीन । गरीब । ४. हीन। ३. बकवाद करते रहना । बोलते रहना । तुच्छ । ५. अोछा। टटोळपो-दे० टंटोळणो। टणटणावणो-दे० टणटणाणो । टट्टी-(ना.) १. विष्टा । शोव । पाखाना। टणणगा-(ना०) घंटा बजाने की ध्वनि । विसा। २. शौचालय । पाखाना । संडास। टणमण-टणमण-(ना०) छोटी घंटड़ी के ३. चिक । परदा । बजने की ध्वनि। टट्टी जाणो-(मुहा०) पाखाना करना । टन-(न०) लगभग साढ़े सत्ताईस मन का दिसा जारणो। एक अंग्रेजी तोल । टट्ट -(न0) १. छोटे कद का घोड़ा। २. टनटन-(अव्य०) १. घड़ी की आवाज । २. हाथ-पांव आदि कमेंद्रियां । यथा-मन टकोरे की अावाज । ३. हर समय बोलते चाले पण टटू नहीं चाले। रहना व नुक्स निकालते रहने का भाव । टट्टो-(न०) 'ट' अक्षर । टकार । टप-(न०) १. बूद या किसी वस्तु के गिरने टड्डो-(न०) स्त्रियों की कोहनी के ऊपर का शब्द । २. गाड़ी के ऊपर की छत या पहनने का एक कड़ा। बाहु में पहिनने पाच्छादन । का एक गहना । टड़िया। टपकरणो-(कि०) १. टपकना । चूना । २. टणकाई-/ना0) जोरावरी। जबरदस्ती। मुग्ध होना । ३. झलकना। प्राभास टणकाचंदजा-(न०) बलवान व्यक्ति । होना। संकेत होना । ४. अचानक जा (व्यंग्य)। पहुँचना। टणकापणो-(न०)१. जोर । शक्ति । बल। टपकायो-दे० टपकावणो । २. पौरुष । ३. जबरदस्ती । टपकाई। टपकावणो-(क्रि०) टपकाना । टणकार-(ना०) टणणण ध्वनि। टंकार। टपकी-(ना०) १. छोटी बूद। २. बिंदी। (वि०) दृढ़ । मजबूत । टोकी। टणकारबंद-(वि०) दृढ़ । मजबूत । टपको-(न0) बूद । छींटा । छोट। .. For Private and Personal Use Only Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाप ( १९०) टरकाणा टपटप-(न०) १. बूदें गिरने का शब्द। जल्दी से । २. टपटप की आवाज। टपोड़ी-(ना०) आँख की पुतली पर सफेद टपणो- (क्रि०) १. किसी के पासरे रहना। चिन्ह हो जाने का एक रोग । २. तपना । ३. तपस्या करना। ४. ताकते टप्पड़-दे० तप्पड़ ।। रहना। ५. मौके की राह देखना । ६. टप्पो-(न०) १. गप । गप्प । २. संक्षिप्त कष्ट सहन करना। विवरण । टब्बो । ३.किसी लेख प्रादि का टपर-(न०) १. सामान्य सामान । २. सारांश । ४. उद्धत अंश । ५. एक झोंपड़ी। ३. बैलगाड़ी पर छाया करने गायन । ६. गाने की एक तर्ज । ७. व्यर्थ का मोटा कपड़ा। का माना जाना। बेकार फिरना । ८. टपरियो-दे० टपरो। अंतर । ६. फेरा । चक्कर। १०. छोटी टपरी-(ना०) १. कच्चा घर। टापरी। कहानी। २. झोंपड़ी। टब-(ना०) नहाने का या नहाने के लिये टपरो-(न०) १. कच्चा घर । टापरो। पानी रखने का एक पात्र । २. झोंपड़ा। टबको-दे० टपको। टपली-(ना०) १. सिर । माथा। २. टबो-दे० टब्बो । खोपड़ी । टिपली। ३. सिर पर दी जाने टबो-(न०) १. मूल (ग्रंथ की पंक्तियों) के वाली एक हलको थप्पड़ । ४. कुम्हार बीच में सूक्ष्म अक्षरों में लिखा जाने वाला के मिट्टी के कच्चे पात्र को घड़ने का एक शब्दार्थ व संक्षिप्त विवरण । २. पृष्ठ के उपकरण । टिपली । थपलियो। उपान्त में लिखी हुई टीका या अर्थ । टपलो-(न०) मिट्टी के कच्चे बरतनों को टिप्पण। टप्पो । ३. इस प्रकार लिखे टीपने का कुम्हार का एक प्रौजार। जाने की एक प्राचीन शैली। टब्बा शैली। कुम्हार की हांडी आदि टीपने का एक टबो । उपकरण । थापी । थापियो । थपियो। टमकागो-(क्रि०) १. आँख का झपकाना । टपस-दे० टप्पस । अाँख का इशारा करना । २. चमकीला । टपाक-(क्रि०वि०) जल्दी । शीघ्र । ३. झलकाना। ४. बजाना। टपाटप-दे० टपोटप। टमकार-दे० टमकारो। टपाल-(ना०) डाक से पाने या भेजी जाने टमकारणो-दे० टमकाणो । वाली चिट्ठी-पत्री आदि । डाक। टमकारो-(न०) १. आँख का इशारा । २. टपालियो-(न०) डाक बाँटने वाला । पोस्ट- २. टकोरा बजने का शब्द । मैन । डाकियो। टमकावणो-दे० टमकाणो। टपाली-दे० टपालियो। टमटम-(न०) एक प्रकार की घोडागाड़ी। टपूकड़ो-(न०) १. बूद। छाँट । 'टपको' टमरकटू-(न0) फाखता के बोलने से उत्पन्न (-बूद) का विशिष्ट रूप । २. सिंह। होने वाला शब्द । (बाल भाषा में)। टमाटर-(न०) एक शाक-फल । टॉमेटो। टपेत-(वि०) वीर। टरकणो-(क्रि०) १. टरकना । खिसकना । टपोटप-(क्रि०वि०) १. टपाटप । टप से। २. टलना। २. एक एक करके । ३. झटपट । टरकारणो-दे० टरकावणो । For Private and Personal Use Only Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टरकायोड़ो टहटहणो टरकायोड़ो-(भू०काकृ०) टरकाया हुअा। हट । २. हिलने डुलने व इधर उधर होने टरकावणो-(क्रि०) बहाना बनाना । टर- की क्रिया । ३. हलन-चलन । रेंगना । __ काना । टालना। टळावरणो-(क्रि०) १. चुनवाना। २. अलग टरकियोड़ो-(भू०का०कृ०) टरका हुआ। करवाना। छाँट छाँट कर अलग करटरटराणो-(क्रि०) मेंढक का बोलना। वाना । ३. पंक्ति से बाहर करवाना । टरड़-(ना०) घमंड । अभिमान । टळियोड़ी-(वि०) १. बहिष्कृत। जाति टरड़को-(न०) १. नाराजी । २. अधोवायु च्युत । टली हुई । २. ऋतुमती । ३. दूध __ का शब्द । देना बंद की हुई (गाय, भैंस आदि)। ४. टरड़पंच-दे० अड़वड़ पंच। दूरस्थित । ५. खिसकी हुई। हटी हुई । टरवाटो-(न०) १. व्यर्थ बोलते रहना। ६. बची हुई। . बकझक । २. किसी वस्तु की बार बार टळियोड़ो-(वि०) १. बहिष्कृत । जातिमांग करते रहना। बार बार की जाने च्युत । टला हुआ । २. दूरस्थित । ३. वाली मांग। खिसका हुआ। हटा हुआ। ४. बचा टरणो-दे० टिरणो। हुमा। टळटळणो-(क्रि०) १. धूजना । काँपना। टल्लो-(न०) १. धक्का । टक्कर । टिल्लो । २. हिलना। टिल्ला । २. प्राघात । चोट । टळगो-(क्रि०) १. टलना । दूर होना । २. टवकार-दे० टोकार । अन्यथा होना । ३.किसी वस्तु का स्थाना. टवणो-(क्रि०) प्रहार करना । न्तर होना । खिसकना । हटना । ४.समय टवर्ग-(न०) ट, ठ, ड, ढ, रण-राजस्थानी बीतना। ५. पंक्ति व समाज से बहिष्कृत भाषा के इन पाँच व्यंजन वर्णों का वर्ग । होना। ६. गाय भैस आदि का दूध देना टसक-(ना०) १. टीस । २. अकड़। ३. बंद होना । ७.फिर जाना । मुकरना । ८. अभिमान । बचना । उबरना । ६. अतिक्रमण होना। टसकणो (क्रि०)१. बसकना। टीस मारना। उल्लंघन होना। १०. स्थगित होना । टसकना। करहाना। २. खिसकना । टळतर-(वि०)१. टला हुआ। पंक्ति बाहर। सरकना । बहिष्कृत । २. बिना काम का। जो टसकाई-दे० टसक । छाँट कर अलग कर दिया गया हो। ३. टसको-(न०)१. रोने की बसक । २. टीस । बिना चलन का । खोटा। __ कसक। ३. गर्व । ऐंठ । ४. सूखी खांसी। टळवळरणो-(क्रि०) ५. बीमारी या पीड़ा टसर-(न0) एक प्रकार का सूत वा खससे के कारण सोते हुये इधर उधर होना। बुना हुआ कपड़ा। २. पीड़ा से तड़फड़ाना। छटपटाना। टसरियो-(न०) १. अफीम रखने की एक तड़फड़ना । ३. नींद में करवटें बदलना। छोटी जेबी डिबिया । हडियो। २. एक ४.लालायित होना । खाने को ललचाना। अौजार । ५.मक्खी, जू आदि का बदन पर चलना टहकारो-(न०) दुख या पीड़ा की आवाज । व रेंगना । ६. धीरे धीरे हिलना। ७. टैंकारो। हिलना डुलना। टहको-दे० सहकारो। टळवळाट-(ना०) १. बीमारी की घबरा- टहटहणो-(क्रि०) वाद्य का बजना। For Private and Personal Use Only Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org टहरको ( ४८२ ) २. टहरको - ( न०) १. नखरा । नाज । बनावटी चेष्टा । ३. व्यंगपूर्ण बात । ताना | व्यंग्य । ४. गर्वपूर्ण बनावटी कोमल चेष्टा । ५. अभिमान । गर्व । ६. नाराजी | नाराजगी । ७. रोस । क्रोध । टहल - ( ना० ) १. चाकरी । सेवा । २. भ्रमण | विहार | टहलरणो - ( क्रि०) भ्रमण करना । फिरना । घूमना । चहल कदमी करना । टहल - बंदगी - ( ना० ) सेवा । चाकरी । टहलियो - (To) सेवक । हाजरियो । टहल करने वाला । १. मोर या कोयल का हो दे० टहलियो । टहूकरणो - ( क्रि०) बोलना । २ दूरस्थ व्यक्ति को बुलाने के लिये तेज व तीखी आवाज से पुकारना । टहूको - ( न०) १. मोर या कोयल की आवाज । २.केका । ३. दूरस्थ को बुलाने के लिये की जाने वाली लंबी ऊंची आवाज । टंक - ( न० ) १. समय । २. वार । दफा । ३. भोजन का समय । ४. एक बार का भोजन । ५. एक बार के भोजन की संज्ञा । ६. विवाह मौसर आदि में दिया जाने वाला एक बार का भोजन । ६. चार माशे का एक तौल । टंक अढार दे० अढार टंकी । टंकरण - (To) १. सुहागा। टंकन । टंकरण क्षार । पर यंत्र या ठप्पे ग्रादि की सहायता छाप लगाकर सिक्के बनाने का कार्यं । ३. टाइप राइटिंग | टंगियोड़ो टंकाई ( ना० ) १. टाँकने की मजदूरी । २. टाँकने की क्रिया या भाव। टंकाउळि - दे० टंकावळ । टंकार - ( न०) १ टन टन ( टं टं ) शब्द | २. धनुष की प्रत्यंचा की ध्वनि । टंकारणो - ( क्रि०) १. धनुष की डोरी को खींच कर छोड़ने से उत्पन्न होने वाली ध्वनि । ३. टं टं शब्द करना । टंकारव - ( ना० ) १. धनुष की प्रत्यंचा की ध्वनि । धनुष की डोरी खींचने से उत्पन्न शब्द । २. टकार । टंकार ध्वनि । टंकारी दे० टंकार । टंकी - ( ना० ) १. पानी, तेल इत्यादि भरने का बरतन या कुंड । कुंडी । २. भारी धनुष । टंकेत-(वि०) १. टंक वाला । २. चिह्नित । ३. जबरदस्त । टंकोटक - ( श्रव्य० ) १. नियत समय पर । २. योग्य समय । समय पर । ३. प्रत्येक टंक पर । टंकोर - ( ना० ) ध्वनि । आवाज । २. चाँदी, तांबे श्रादि घातु-खंडों टंकोरो - ( न० ) टकोरा । घंटा । घड़ियाल । झालर । टंकणखार - ( न० ) सुहागा । टंकरण यंत्र - ( न०) एक ग्राधुनिक लेखनयंत्र | टाइप राइटर । टंकसाळ - दे० टकसाळ | टंकसाळी-दे० टकसाळी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कावळ - (वि०) १. बहुत लड़ियों (श्रेणियों) वाला (टणका + अवली ) और कीमती । २. चार लड़ियों वाला । ( टंक + अवली) ( न० ) १. बड़ा और बहुमूल्य कंठाभरण । २. एक प्रकार का हार । टंकावळ हार - ( न० ) १. चार लड़ी का हार । २. बहुमूल्य कंठाभरण । टंग- दे० टाँग । टॅगड़ी-दे० टाँगड़ी | टँगो - ( क्रि०) टँगा जाना | गावरण - ( क्रि०) १. लटकाना । टंगवाना | टंगियोड़ो - (भू०का०कृ०) टँगा हुआ | लटका हुआ । For Private and Personal Use Only १. टँगना । लटकना । २. Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टच ( ४८३ ) टाप टंच-(वि०) १. बढ़िया किस्म का । पक्का । कर दूर जा पड़ना। ५. उछलकर आई २. कंजूस । ३. तैयार । ४. कसौटी पर हुई वस्तु का टकराना या टकराने से चोट जांचा हुआ । ५. चंट । धूर्त । दे० टच लगना। ६. मारा मारा फिरना। इस सं०१। घर से उस घर को जाना। ७. बेइज्जत टंचरणो-दे० टाचणो। करना । ८. डॉटना। फटकारना। टंचावणो-(क्रि०) १. टाचे लगवाना । २. टाचकियोड़ी-(वि०) १. अनादृता । प्रमाने २. चक्की को टॅचवाना । ३. टंच निकल- तण । वाना (सोने चांदी का)। टाचकियोड़ो-(वि०) १. टकराया हुआ। टंट-दे० टंटो। २. अप्रतिष्ठित । टंटाखोर-(वि०) झगड़ालू । फसादी । उप- टाचको-(न०) १. डाँट । फटकार । २. द्रवी । टंटाळू । बेइज्जती । ३. टक्कर । ४. चोट । टंटाळ-दे० टंटाखोर। प्राघात । टंटो-(न०) १. टंटा। झगड़ा। कजियो। टाट-(ना०)१. बकरी । २. गंज । खल्वाट । तकरार । २. व्यर्थ की झंझट । ३. ३. सन की डोरियों का मोटा कपड़ा। उत्पात। ४. खोपड़ी। कपाल । (वि०) १. बकटंटो-झगड़ो-दे० टंटो फिसाद । वादी । २. मूर्ख । टंटो-फिसाद-(न०) टंटा-फसाद। लड़ाई- टाटियो-(वि०)टाट वाला । गंजरोग वाला। झगड़ा। खल्वाटी। टंटोळणो-(क्रि०) टटोलना । खोजना। टाटी-(ना०) १. बांस आदि की पट्टियों से ढूंढना। बनाई हुई प्राड़। पल्ला । टट्टर । टट्टी। टंडेरो-(न०) १. घर-गृहस्थी । २. सामान। २. पतली ( मात्र एक ईंट लंबी की ) टंडो-दे० टाँडो। दीवाल। टाइम-(न०) समय । वक्त । टाटू-दे० टाटियो। टाइम-टेबल-(न0) समय पत्रक। समय टाटो-(न०) १. गरमियों में ठंडक के लिये सारिणी। लगाया जाने वाला खस आदि का पल्ला। टाउन हॉल-(न०) नगर का सार्वजनिक टट्टी । २. बकरियों का झुंड । ३. सभा इत्यादि करने का मकान । बकरी। टाकर-(ना०)१. घाव । चोट । २. टक्कर। टाण-दे० टांड । ३. ठोला । ठोसा । ४. चोंच की मार से टाणो-(न०) १. समय । २. अवसर । पड़ने वाला घाव । ठोंग। शुभाशुभ प्रसंग । ३. शुभ प्रसंग । ४. टाकी-(ना०) १. घाव । जस्म । क्षत । २. मौका । ५. उत्सव । ६. जीमन । भोज । ककड़ी, मतीरे आदि की कच्चे-पक्के की ७. मृत्यु भोज । ८. माहेरा। परीक्षा के लिये उसमें चाकू से काट कर टाणो-टामचो-(न०) १. विशेष अवसर । बनाया गया बखोल । डगळी। खास मौका । वार तहवार । २. शुभ टाचकणो-(क्रि०) १. टकराना। २. दो अवसर । वस्तुओं का परस्पर टकराना। ३. उछ- टाप-(ना०) १. घोड़े के चलने का शब्द । लना । कूदना। ४. किसी वस्तु का टूट घोड़े के पांवों का जमीन पर पड़ने का For Private and Personal Use Only Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org टापटीप ( ४८४ ) शब्द । २. घोड़े के पैर का वह भाग जो टामंक दे० टामक | जमीन पर पड़ता है । सुम । खुर । टापटीप - ( ना० ) १. सजावट । श्रृंगार । २. शोभा । ३. मरम्मत । दुरुस्ती । ४. व्यवस्था । सुघड़ता । सफाई । ५. बनावट | टीपटाप । सिगगार । टापर - ( ना० ) १. घोड़े आदि पशुओं को प्रोढ़ाने का मोटा कपड़ा । टप्पर । २. घोड़े की जीन के नीचे रहने वाला कपड़ा । टापरियो - ( न०) १. झोंपड़ा । २. घर । टापरी दे० टापरो । टापरो - ( न० ) १. घर । २. साधारण कच्चा घर | झोंपड़ा । ३. सिर । माथा । टापी - ( ना० ) झोंपड़ी । टापरी । टपरी । टापू - ( न०) चारों ओर पानी (समुद्र) से घिरा हुआ भू भाग । द्वीप | टापो - ( न०) १. कहीं जाने पर काम सिद्ध न होने का भाव । टांपा । चक्कर | फेरा । खाली हाथ लौटना । २. झोंपड़ा । टापरो । टावर ( न०) बालक । बच्चा । टाबर-टींगर-दे० टाबर टोळी । टावर - टोळी- (ना०) बाल-बच्चे । बाल २. बचपन । ३. ग्राकाश दीप । टामचो - ( न० ) अवसर । मौका | दे० टारगोटामचो | टामरण - टूमर - ( न०) १. जादू-टोना । २. वशीकरण । कामण । टुमणटामण । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टार - ( उ० ) दे० 'टारडी' और 'टारड़ो' । टारड़ी - ( ना० ) १. छोटे कद की दुबलीपतली घोड़ी । टार । २. घटिया नसल की घोड़ी । टाली टारड़ो - ( न० ) १. छोटे कद का दुबला-पतला घोड़ा। टार । २. घटिया नसल का घोड़ा । समूह | बालकवृंद । टाबरदार - (वि०) बाल-बच्चों वाला | टावरपणो - ( न०) १. बालक जैसा बरताव | बालक जैसी हरकत । बाल्यावस्था | टाळाटाळी दे० टाळाहळी । टाबरियो- दे० टाबर । टामक - ( न० ) १. बड़ा नगारा । २. बड़ा टाळाटूळी - ( ना० ) १. बहाना । मिस । २. ढो । (fo) मूर्ख | छाँटने का काम | छँटाई । टामकी - ( ना० ) १. ढोलक । २. डुगडुगी । टाल - ( ना० ) १. बाल भड़ गये हों वह सिर का भाग । खल्वाट । २. सिर के बालों को दो भागों में करने से बनी रेखा । माँग । ३. लकड़ी, भूसे श्रादि की दुकान । टाळ - ( अव्य० ) १. बगैर । बिना । रहित । २. अतिरिक्त । सिवाय । ३. निवारण । टाळको- (वि०) १. चुना हुआ । चुनिंदा । छँटा हुआ । २. अच्छा । बढ़िया । ३. चुन कर या छाँट कर निकाला हुआ । छँ । ४. बदमाश । छँटेल । धूर्त | टाळवों । टाळमों । टाळणी - ( त्रि०) १ अलग करना । टालना । पृथक करना । २. चुनना । छाँटना । ३. अमान्य करना । ४. ग्रहण न करना । छोड़ना । ५. अच्छा ले लेना और खराब को छोड़ देना । ६. जबाबदारी नहीं लेना । बहाना करना । ७. बहिष्कार करना टाळको । टाळ मटूळ - ( ना० ) बहाना । मिम । टाळमों-दे० टाळको । टाळवों दे० टाळको । For Private and Personal Use Only टाळियोड़ो ( वि०) १ अलग किया हुआ । बहिष्कृत । २. चुना हुआ । छाँटा हुआ । ३. अमान्य । ४. अग्राह्य । टाली - ( ना० ) १. लकड़ी, भूसा आदि की दुकान । २. बूढ़ी गाय । ३. गिलहरी | ( वि० ) अर्द्ध । प्राधा । (सं. भा. ) Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टाळा टाँडणी टाळो-(न०) १. बचाव । किनारा । २. टाँग-(ना.) १. प्राणी के चलने फिरने का टालमटूल । बहाना । ३. जुदाई । अंग। २. जांध से एड़ी तक का भाग । किनारा । ४. निवारण । निवृत्ति । पैर । ३. मेज, कुर्सी प्रादि का पाया। टाळोकड़-(वि.) समूह या राशि में से छाँटा टॉगड़-(न०) १. एक टाँग से दौड़ कर पकहुना। ड़ने का बच्चों का एक खेल । २. एक टाळोकडी-(वि०) समूह में से छाँटी पाँव से चलना । ३. पाँव । टाँगड़ी-(ना०) पाँव । टाँग। टाळोकड़ो-दे० टाळोकड़। टाँगणो-(क्रि०) टाँगना । लटकाना । टावो टेवो-(न०) विवाहादि विशेष अवसरों टाँगरो-(न०) १. स्त्री-पुरुष, बाल-बच्चे पर तैयार कराया जाने वाला सामान और उनका सामान । २. काफिला और तथा उसको तैयार कराने की हलचल । उसका सामान । ३. बाळद । ४. प्रव्यटाँक-(न०) एक तौल । टंक । वस्थित सामान । ५. फालतू सामान । टाँकरण-(न०) टंकन । सिरका । (संकेत अटाला । ६. सामान का ढेर । ७. फेरी वाले का सामान । शब्द) टाँगाटोळी-दे० टींगाटोळी । टाँकणी-(ना०) १. शिल्पियों का एक टाँच-(ना०) १. चोंच । २. चोंच द्वारा लगा औजार । २. पत्थर आदि टाँकने का एक हुमा घाव । ठोंग । मौजार । ३. पालपिन । टाँवणो-(क्रि०) १. सिल, चक्की आदि को टाँकरणो-(न०) १. अवसर । समय । २.. टाँकी से खुरदरा बनाना । रेहना । अवसर विशेष । शुभाशुभ अवसर । ३. टाँकना । टाँचे बनाना। २. खोसना । पर्व । उत्सव । ४. टाँकने का औजार । झपटना । ३. किसी तरह से प्राप्त (क्रि०) १. नोट करना । लिखना। २. करना। ४. फुसला करके या धोखे से किसी रचना में से नकल करना । ३. किसी वस्तु का प्राप्त करना। ५. चोंच पत्थर टाँकना। ४. टाँका मारना। सिलाई मारना। करना। टाँचावरणो-दे० टंचावणो । टाँकी-(ना०) १. पानी की टंकी । २. पत्थर टाँचो-(न०) १. झटका । चोट । २. पुन घड़ने का औजार । छेनी । टॉकरणी। लग्न । ३. विधवा का किसी की पत्नी छीगी। बनना । टाँको-(न०) १. सिलाई । सीवन । टेंका। टाँट-(नाo) धोती पहनने के समय लगाई टांका। २. थिगली । पैबंद । कारी। जाने वाली पार्श्व ऐंठन । (वि०) दुबला३. बखिया । ४. जमीन में बनाया हुआ पतला। पानी-घर । जल कुड । बरसात का पानी टाँटियो-(न०) १. भिड़ । बरं । ततैया । भर कर रखने का भुइंहरा । ५. सोने २. पैर (ऊनार्थक) (वि०) दुबला-पतला। चांदी आदि के प्राभूषणों को झालने का टाँटो-(वि०) टेढ़ा । वांको । एक धातु-मिश्रण। धातु-संधान । झालने टाँड-(ना०) परछत्ती । टाँड़। पछीत । का साधन । सबानोस्कर। ६. एक भूमि रास । कर। टाँडरगो-(क्रि०) तांडना । दहाड़ना । For Private and Personal Use Only Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टांडा-रो-नायक । ४८६ ) टिपली टाँडा-रो-नायक-(न०) १. दलपति । २. टिकिया-(ना०) १. छोटी किन्तु मोटी बालद का स्वामी । मुख्य बनजारा । ३. रोटी। टिक्कड़। २. चपटी गोलाकार भात भरने (माहेरे) का एक लोक गीत। छोटी वस्तु । टिकड़ी। ४. भात भरने (माहेरा करने) को आने टिक्कड़-(न०) मोटी रोटी। वाले दल का मुखिया । दुल्हे या दुल्हिन टिक्की-(ना०) १. सिफारिश । लागवग । का मामा। २. सफलता । कामयाबी । ३. तजवीज । टाँडाळो-(वि०) जिसके पास माल लाने या टिगट-(ना०) १. विशिष्ट काम, यात्रा, ले जाने के लिए बैलों का समूह हो। प्रवेश, डाक इत्यादि के लिये खरीदा जाने वाला कागज का बना मल्य पत्र या टाँडे वाला । टांगधारी। अधिकार पत्र । २. डाक, रेल, बस या टाँडो-(न०) १. समूह । २. गाँव । ३. बन सिनेमा का टिकट । टिकट । टिकेट । जारे के बैल, मनुष्यादि का समूह । टिगटघर-(न०) टिकट बेचने वा खरीदने पोठ । बाळद । ४. मरे हुए पशुओं आधिकारिक स्थान । का चमड़ा उतारने का स्थान । टिगणो-दे० टिकणो। टाँपो-(न०) १. किसी काम के लिये कहीं टिच-(ना०) १. वाद विवाद । झगड़ा। जाने पर खाली हाथ लौटना । २. फेरा। बोलचाल । दे० टिचकारो। चक्कर । बाटो । फेरो। टिचकारणो-(क्रि०) टिच टिच के अव्यक्त टांस-(न०) एक पक्षी । लीलटाँस ।। शब्द का उच्चारण करना। टिटकारना । टिकट-दे० टिगट। टिचकारी-दे० टिचकारो। टिकड़ी-(ना०) टिकिया। टिचकारो-(न०) १. वधूवर्ग की स्त्रियों का टिकरणो-(कि०) १. सहारे पर रहना। बड़े बूढ़ी से सम्भाषण नहीं करने और टिकना । २. निभना। ३. रहना । ४. घूघट रखने के कारण उनके प्रति किये एक स्थल पर ज्यादा समय तक ठहरना। जाने वाले संबोधन अथवा उनकी किसी ५. बैठना । ६. जमना। बात के लिये दिये जाने वाले नकारात्मक टिकली-(ना०) गोलाकार छोटी चिपटी उत्तर का एक अव्यक्त शब्द । 'टिव' जैसा वस्तु । एक अनुकरण शब्द । २. घास खाने वाले टिकलो-(न०) गोलाकार चिपटी वस्तु । पशुनों को हाँकने का 'टिच-टिच' जैसा बड़ी टिकली। एक अव्यक्त शब्द । टिकाऊ-(वि०) १. स्थाई । कायम । पाये- टिचन-(वि०) १. तैयार । प्रस्तुत । २. दार । स्थितिमान । २. मजबूत । दृढ़। जिसमें कोई त्रुटि न हो । दुरुस्त । टिकाणो-(क्रि०) १. टिकने में सहायक अच्छा । ठीक । ३. पक्का । खरा । होना। २. आधार से खड़ा या स्थित टिचनबंद-दे० टिचन । करना। ३. टिकाना । ठहराना। टिटकारणो-दे० टिचकारणो । टिकाव-(न०) १. टिकाऊपन । मजबूती। टिटकारो-दे० टिचकारो। २. विश्राम । पड़ाव । ३. ठहराव । स्था- टिपकी-दे० टपकी। यित्व । ४. धीरज । सब्र । टिपको-दे० टपकी। टिकावरणो-दे० टिकारयो । टिपली-दे० टपली। For Private and Personal Use Only Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ४८७ ) टिपलो टिपलो - ( न०) माथा । खोपड़ी । टिपस - ( ना० ) १ युक्ति । उपाय | टिप्पस । २. सिफारिश । टिक्की । ३. अभिप्राय साधने की युक्ति । टिप्पस । ४. नियुक्ति । ५. किसी धंधे का हीला मिल जाना । धंधे में लगने का भाव । टिपारणो- दे० टिपावरणो । टिपावणो - ( क्रि०) १. चोट लगाना । प्रहार करना । पीटना । २. घड़ना । ३. लिखना । ४. पिटवाना । प्रहार करवाना। ५. घड़वाना । ६. लिखवाना । टिमटिमारणो- ( क्रि०) १. मंद प्रकाश देना । २. रह-रहकर धीमे-धीमे चमकना । टिमरियो- (वि०) छोटा । ठिगना । टिररणो- ( क्रि०) लटकना । टिल्लो - ( न०) १. धक्का । टिल्ला | टल्ला । २. चोट । प्राघात । टिंच दे० टंच | टीक - (ना० ) स्त्रियों के सिर का एक भूषण | टीको । टीकम - (०) १. त्रिविक्रम | टीकम । २. श्रीकृष्ण । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टीको टीकली - कमेडी - ( ना० ) प्रतिष्ठित, बुद्धिमान, चतुर, धनवान, प्रमुख इत्यादि । ( व्यंग्यार्थ में) टीकलो- (वि०) १. टीके वाला । २. तिलकधारी । वाला । गुण दोषों की अर्थं । २. व्याख्या । ३. टीका । ४. किसी घटना या बात पर किया जानेवाला विचार | प्रालोचन । ५. स्मरणार्थ लेख । नोध | नोट । ६. वह छोटा लेख जिसके द्वारा गूढ़ वाक्य का अर्थ बताया जाय । टिप्पणी- दे० टिप्पण । टिप्पस - ( ना० ) १. मतलब साधने का उपाय । २. बड़प्पन की बातें करना । टपस । टिप्पो - ( न०) १. नोंध । नोट । नंध । २. ताना | प्रक्षेप | महणो । तानो । ३. सहज धक्का | 1 टिबकी - ( ना० ) बिंदी | टीकी । टिमची - ( ना० ) तिपाई | टिप्पण - (न०) १. गूढ़ वाक्य का विस्तृत टीका- टबका - दे० टीका - टिमका । टीका-टिप्पणी - ( ना० ) आलोचना | टीका- टिमका - (न०ब०व०) १. तिलकछापा । २. उपरी दिखावा । ढोंग । ३. नखरा । टीकायत - ( न०) १. पाटवी कुँवर । राज्य का उत्तराधिकारी राजकुमार । टोलायत । २. गुरु या मठाधीश का उत्तराधिकारी शिष्य । पट्ट शिष्य । तिलकायत । ३. बड़ा लड़का । ४. टीके वाला । तिलकधारी । ५. प्रधान मुखिया । टीकी - ( ना० ) बिंदी | बिंदुली । टीकी-भळको- दे० टीली- भळको । टीको - ( न० ) १. तिलक । २. राज्य तिलक । ३. सगाई की एक रीति जिसमें कन्या का पिता लड़के को या लड़के के पिता को कुछ घन देता है । ४. राजाओं में सगाई - संबंध करने की एक रीति, जिसमें कन्या का पिता पुरोहित के हाथ किसी अन्य राजा के यहाँ सगाई स्वीकार करने के निमित्त कुकुम, नारियल और मुद्रा आदि की भेंट भेजता है । ५. स्त्रियों का एक शिरोभूषण । ६. पशु की ललाट में भिन्न रंग के बालों का चिन्ह । ७. संक्रामक रोगों की एक प्रतिरोधात्मक चिकित्सा, जिसमें छेदन प्रक्रिया द्वारा टीका - ( ना० ) १. अर्थ । २. व्याख्या । ३. पद तथा वाक्य का बोलचाल की सरल भाषा में किया हुआ स्पष्टीकरण । ४. गुण दोष की समालोचना । ५. निंदा । टीकाकार - ( न० ) ग्रंथ की व्याख्या करने For Private and Personal Use Only Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टीखळ ( ४८८) टीसी औषध विशेष को रक्त में प्रविष्ट किया ४. सजधज । ५. तडकभड़क । बनावजाता है । टीका । ७. बारहवें के मृत्यु- सिंगार । सिणगार । टापटीप । भोज की एक रीति जिसमें मृतक के टीपणी-(ना०) १. किसी सार्वजनिक काम संबंधी उसके यहां उस दिन कुछ रोकड़ के लिये अनेक व्यक्तियों से इकठ्ठा किया या कपड़े देते हैं। ___जाने वाला धन । चंदा। २. चंदे की टीखळ-(ना०) १. झंझट । इल्लत । २. सूची। मसखरी । मजाक । दिल्लगी। ३. एक टीपणो-(न०) पतड़ा । पंचांग। (ज्यो) व्यक्ति के अनेक बच्चा-बच्ची। बह- (क्रि०) १. लिखना । नोट करना । संतान । ४. रूप, स्वभाव, गुण इत्यादि २. टीपना। पीटना । ठोकना । ३. से रहित संतान । ५. रूप, स्वभाव, गुण मारना । पीटना । इत्यादि से रहित संतान ( कुटुम्ब के टीपरियो-/न0) घी यालोड़ी तिलोड़ी में व्यक्ति ) के कारण होने वाला मनस्ताप। से घी या तेल निकालने की छोटी टीपरी। टीखलियो-(वि०) टीखळ करने वाला। टीपरी-(न०) छोटा टीपरा। टीटोड़ी-(ना०) १. एक पक्षी। टिटहरी। टीपरो-(न०) १. ऊंचाई की अोर (खड़ी) २. गिलहरी । टोलोड़ी। लंबी डंडी लगा हुआ द्रव पदार्थ को लेने टीड-दे० टीड। या मापने का कटोरीनुमा एक पात्र । टीडी-भळ को-(न०) स्त्रियों का एक शिरो- टीपाँ-(ना० ब० व०) चूड़ी के ऊपर की भूषण। पत्तियाँ। टीडीलो-पीडीलो-(न०) एक खेल। टीपो-(न०) बूद । छाँट । टीण-दे० टीन। टीबो-(न०) मिट्टी या रेती का उभरा हुमा टीन-(न०) १. लोहे की चद्दर । २. चद्दर भाग । रेत का टोला । रेती की पहाड़ी। का डिब्बा। टोबा | धोरो। टोप-(ना०) १. गाने की अलाप । तान । टीमटाम-(ना०) १. बनावट । ठाठ बाट । ऊंचा स्वर । २. तार या फूक वाद्य का २. शृगार । एक विशेष स्वर। ३. संक्षिप्त उद्धरण। टीलायत-दे० टीकायत । ४. किसी सार्वजनिक काम के लिये कई टीलो-दे० टीकी। व्यक्तियों से इकट्ठा किया जाने वाला टीली-भळ को-(न0) स्त्रियों का एक शिरोरुपया-पैसा । चंदा । उघाया हया धन । भूपण । ५. दीवार की चुनाई में ईटों की संधि टीलो-(ना०)१. तिलक । २.एक ग्राभूषण । में रह गई खाली जगह में चूने आदि का ३. टीबा। धोरो। लेप लगा कर पक्का करना। ६. सूची। टीलोड़ी-(ना०) गिलहरी । फेहरिश्त । ७. वर्षा की ठंडी बूद या टीस-(ना०) रह रह कर उठने वाली पीड़ा। पोला। ८. याददास्त के लिये नोट कसक । चसक । करना । (वि0) बहुत ठंडा। टीसी-(ना०) १. टहनी के ऊपर का कोमल टीपटाप-(ना०) १. सँवारने का काम । २. भाग । टहनी का अग्र भाग । २. टहनी । मरम्मत । ३. पाउम्बर । बनावट। शाखा । ३. नाक का अग्रभाग । For Private and Personal Use Only Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टींगर ( ४८६ ) टूमरण टींगर-(न०)१. बाल-बच्चे । बच्चे-बच्चियाँ। टुक्कड़खोर-(न०) १. मंगता। भिखारी । २. एक ही व्यक्ति के अनेक बच्चे- २.रिश्वतखोर । (वि०) १.कं जूस । २.नीच । बच्चियाँ। ३. बच्चा ।। टुग-टुग-(ग्रव्य०) आँख पलकाये बिना देखते टींगरियो-(न०) बच्चा। (व्यंग्य में) । रहने का भाव । टाबर । टुचकलो-(न०)१. छोटी कहानी। चुटकला। टींगाटोळी-(ना०) दो या चार जनों के २. हँसी की बात या कहानी। (वि०) द्वारा हाथ-पांघ को पकड़ कर बलात् छोटा । तुच्छ । क्षुद्र। उठाकर ले जाने की क्रिया। टुच्ची-(वि०) १. छोटी। २. अोछी । ३. टींच-(ना०) १. वाद-विवाद । २. बोला ३. धूर्ता। ४. दुष्टा । चाली । वाग्युद्ध । २. लड़ाई । झगड़ा। टुच्चो-(वि०) १. छोटा । क्षुद्र । २. अोछा। टिच। छिछोरा । हलका । ३. धूर्त । कपटी । टींचको-दे० टीचियो। ४. दुष्ट । टींचा-टींच-(ना०) दो जनों के परस्पर का टुणटुणाटो-दे० टरणाटो, टणटणाटो। ___ वाग्युद्ध । वादविवाद । बोलचाल । टुरणो-(क्रि०) चलना। खिसकमा । जाना। टीचियो-(न०) १. व्यंग्यपूर्ण चुभने वाली रवाना होना । बात । ताना । २. चोट । ३. शरीर या टुवाल-(न०) अंगोछा । किसी पात्र में चोट लगने से बनने वाला टूक-(न0) टुकड़ा । खंड । चिन्ह । चोट का चिन्ह । टूटगो-(क्रि०) १. टुकड़े होना। भागरणो। टींट-(ना०) पक्षी की विष्टा । बीट । २. किसी अंग के जोड़ का उखड़ जाना। टींटोड़ी-दे० टीटोड़ी। ३.अचानक धावा करना। हमला करना । टीड-(न0) टिड्डी । तोड । टोड । ४. संबंध छूटना। संबंध भंग होना । टींडसी-(मा०) टिंढ़सी । टिंडा । ५. शरीर में ऐंठन या तनाव के कारण टुकड़ाखोर-दे० टुकड़ेल । पीड़ा होना । ६.धनमाल समाप्त होजाना। टुकड़ी-(ना.) १. एक मोटा देशी कपड़ा। दरिद्र होना । ७. पक्ष की किसी तिथि रेजी। २. दुपट्टा । ३. छोटा दल । का न होना । क्षय होना । ८. सिलसिला टुकड़ी। बंद हो जाना । क्रम नहीं रहना । टुकड़ेल-(वि०) १. टुकड़े टुकड़े के लिये रोता टूट-फूट-(ना०) किसी वस्तु के नष्ट होने फिरने वाला । २.माँगने वाला। भिखारी। की क्रिया या भाव । ध्वंसन । खंडन । ३. कंजूम । कृपण । ४. रिश्वत लेने टूटोड़ो-(भू०का०कृ०) टूटा हुआ । खडित । वाला। घूसखोर। टूटो-फूटो-(वि०) टूटा-फूटा । खंडित । टुकड़ो-(न०) १. टुकड़ा । छिन्न अंश । २. टूरणो-टोना । जादू । भाग। खंड । ३. रोटी का टूटा हुआ टूम-(ना०)१. बहुमूल्य और बढ़िया गहना। अंश। २. कोई विशिष्ट वस्तु । ३. मेंट में दी टूकियाँ-(न०ब०व०) कांचली का वह उभरा जाने वाली कोई कीमती व नफीस वस्तु । हुआ भाग जो कुचों के ऊपर रहता है। ४. चुटकला । टुक्कड़-(न०) १. मोटी रोटी। २. रोटी टूमण-दे० टूमण टामण [ 'टामण' का का टुकड़ा । ३. टुकड़ा । (वि०) टुकड़ेल । विर्भाव, 'टामण टूमरण' ] । For Private and Personal Use Only Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दमण-टामण ( ४६० ) हे पोजणो टूमण-टामरण-(न०) जादू-टोना । टामण- शिखर । टूमरण । टूचको-(न०) १. किसी वस्तु का अग्रभाग। टूमो-(न०) १. अंगुली की गाँठ । २. अंगुली सबसे ऊपर का छोटा पतला हिस्सा । के बीच की जोड़ का ( उभरा हुआ ) २. पत्ते, फल आदि का वह छोटा डंठल ___ उपरि भाग। (पतला सिरा या नोक) जो टहनी से जुड़ा टूर-(वि०) १. अधिक नशा करने वाला। रहता है। २. अफीमची। (न०) १. अधिक नशा। टूचरणो-(क्रि०)चोंच मारना। दे० ढुंचको। २ प्रवास । मुसाफिरी। टूचो-दे० टूको। टूल-(न०) एक प्रकार का लाल कपड़ा। टूट-(ना०) चोट या बात रोग से हाथ टूक-(ना०) १. वृक्ष, पहाड़ आदि की सबसे अथवा अंगुलियों में होने वाला टेढ़ापन । ऊंची चोटी। २. शिखर । (वि०) १. टूटियो-(वि०) १. टूटी हुई अंगुली वाला। थोड़ा । २. अोछा । कम । ३. संक्षिप्त। जिसके हाथ की अंगुली कम हो । २. टेढ़ी ट्रंकणो-(क्रि०) कम करना। अंगुलियों वाला। (न०) एक प्रकार का ट्रॅकारण-(न०) संक्षेप । सार रूप।। बुखार । इनफ्लुएन्जा। (क्रि०वि०) थोड़ा में । संक्षेप में। टूटी-(ना०) नल में से पानी निकालने की ट्रॅकारणो-(क्रि०) कम करवाना। टोंटी। ट्रंकावरणो-दे० ९कारणो। टूटो-(वि०) कटे हुए या मुड़े हुए हाथ या टकियो-(न०) १. किलकारी । २. ऊंची अंगुली वाला। जगह । चोटी। ३. किसी ऊंचे स्थान या टूटयो-दे० टूटियो । पहाड़ी पर बैठ कर आने जाने वालों की टूड-(ना०) सूअर का मुह । थुथना । तुड। निगाह रखने वाला व्यक्ति। जंगल में नियत टूडाड़-(न०) १. व्यंग्य या क्रोध में मुंह के किया जाने वाला वह चौकीदार या गुप्तचर : जो किसी शत्रु या अवांछनीय व्यक्ति के लिये किया जाने वाला तुच्छार्थक शब्द । आने पर सांकेतिक भाषा में दूसरे टूकिये २. बिगाड़ा हुआ मुह । नाराजगी की को (प्रागे से आगे) सूचना देता रहता है। मुखाकृति । ३. क्रोधावेश की मुखाकृति । टूको-(वि०) १. कम । थोड़ा । २. अोछा। ४. गुदा । ५. शूकरमुख । ६. सूअर । ३. संक्षिप्त । ४. विस्तार में कम । शूकर। संकीर्ण । तंग। टुंडाळ-(न०) सूपर । शूकर । ट्रॅकोटच-(वि०) १. कम लंबा। बहुत टू डो-(न०) पेंदा । तल । डो। छोटा। २. संक्षिप्त । (अव्य०) बस। टूप-दे० हूँपियो । काफी । समाप्त । टू पणो-(क्रि०) गला दबाना । हूंपा देना। टुंगणो-(क्रि०) १. भोजन करने वाले की दंपो देणो । थाली के भोज्य पदार्थों को खाने की टूपलो-दे० टूपियो। इच्छा से एक टक ताकते रहना। खाने टूपियो-(न०) गले का एक गहना। की लालसा से भोज्य-सामग्री के आसपास टू पीजणो-(क्रि०) १. टूपा लगना। गला फिरना तथा ताकना। २.लालायित होना। घुटना । २. आर्थिक कष्ट भुगतना । तंगी एंच-(ना०) १. चोंच । २. नोक । ३. भुगतना। For Private and Personal Use Only Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टैक्स टपा सना ( ४६१) टूपो-(न०) १. गला। २. गला दबोचने वक्र । का काम । गला दबोच जाने की क्रिया । टेभो-(न०) १. सूअर का बच्चा । २. अधफांसा। बेगड़ा । दे० टोभो । टूप्यो-दे० टूपियो। टेर-(ना०) १. गायन की पहली कड़ी। टेक-(ना०) १. प्रतिज्ञा । २. लाज। ३. ध्रुवपद । टेक । २. राग का प्रकार । ३. हठ। दुराग्रह । जिद। ४. मर्यादा। गाने में ऊँचा स्वर । तान । पालाप । पान । ५. लिहाज । पक्ष । ६. भजन की ४. पुकार । प्रार्थना । ५. आवाज । पहली कड़ी। भजन या पद की स्थायी टेरणो-(क्रि०) १. टाँगना। लटकाना । कड़ी। टेक । टेर। ६. ध्रुव पद । २. गाना शुरू करना । ३. तान लगाना । ध्र पद । पालापना। ४. पुकारना । आवाज देना । टेकणो-(क्रि०) १. सहारा लेना । २. प्रवेश टेरियोडो-(भ०का0क0) टांगा हुआ । लटकराना । ३. प्रवेश करना । ४. लगाना। काया हुआ। छना। ५. टिकाना । सहारा देना । ६. टेरो-(10) १. प्राँस, रेंट आदि के बहने ठहराना । रखना । थामना । का निसान । २. आँसू, लार, रेंट अथवा टेकरी-(ना.) १. पहाड़ी । २. छोटा टेकरा।। किसी पात्र में से पानी तेल आदि की छोटा टीबा। मंदगति से होने वाली रिसन या टपकन । टेकरो-(न०) बड़ी टेकरी । रेलो। टेकलो-(वि०) १. टेक वाला। हठी । २. टेव-(ना०) आदत । टेव । बान । स्वभाव । पणधारी। टेवकी-(ना०) १. सहारा । आसरा। २. टेको-(न०) १. सहारा । आधार । टेका। २. प्राधार की वस्तु । टेकनी । ३. अनु सहारा देने की वस्तु । लकड़ी। टेवको-(न०) सहारा। मोदन । ४. जोड़ । सिलाई। टाँका। टेव टाळणो-मुहा०) शौचादि से निवृत्त ५. पैबंद । थिगली। ६. बंधन। टेगड़ो-(न०) १. कुत्ता। २. एक वर्णसंकर होना। हिंसक पशु । अधबेगड़ो। बेगड़ो। ३. टेवटा लेणो-(मुहा०) 'टेव टाळणो' का एक भेड़िया। अन्य रूप। टेटो-(वि०) कच्चा । अपक्व । (फल आदि) टेवटियो-दे० टेवटो। टेडो-दे० टेढो। टेवटो-(न०) स्त्रियों का एक कंठा भूषण । टेढ-(ना०) १. व्यंग्य । २. गर्व । मिजाज । तिमरिणयो । तेवटो। ३. बाँकापन । टेढ़ापन । टेवो-(न0)१. जन्मकुंडली के साथ जन्म की टेढाई-(ना०) १. बाँकापन । टेढ़ापन । तिथि, वार और समयादि का टिप्पण। तिरछापन । २. वक्रता । उद्दडता । ३. जन्मपत्र । जन्माक्षर । २. जन्मकुंडली । मिजाज। टेसण-(ना०) मुसाफिरों के बैठने-उतरने के टेढापण-दे० टेढापणो। लिये रेलगाड़ी के ठहरने का स्थान । टेढापणो-दे० टेढ़ाई। स्टेशन । ठेसण। टेढो-(वि०) १. तिरछा । बांका। वक्र। टेसू-(न०) पलाश वृक्ष का फूल । केसूलो। २. कठिन । मुश्किल । ३. कुटिल। टैक्स-(न०) कर । महसूल । For Private and Personal Use Only Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४६२ ) टोटी टेण-(न०) टीन को नालीदार चद्दर। छोटी घंटी । २. घंटा। ३. घूघरू । ४. नालीदार पतरा। गले के भीतर का लटकन । कोमा । टैम-(ना०) टाइम । समय । कागलियो। टैमो-टैम-(अव्य०) यथा समय । ठीक टोकरी-(ना.) १. घंटी। २. डलिया । समय पर । अविलम्ब । प्रोडी । ३. स्त्रियों के कान का प्राभूषण । टैरको-दे० टहरको । टोकरो-(न०) बड़ा घंटा । दे० टोकरियो। टैल-दे० टहल । २. बड़ा घूघरू। ३. टोकरा। बड़ी टैलगी-दे० टहल । टोकरी । झाबा । प्रोडो। टैलणो-दे० टहलणो। टोकळचंद-दे० टोकरचंद। टैल-बंदगी-दे० टहल-बंदगी । टोकळो-(न0) बड़ी जू। (वि०) मूर्ख । टैलियो-दे० टहलियो। टोकार-(ना०) १. टोकने का भाव । एतटैलूमो-दे० टहलियो। राज । २. दृष्टि का बुरा प्रभाव । दृष्टि टैल्यो-दे० टहलियो। दोष । नजर । ३. किसी सुन्दर वस्तु की टैंकारो-दे० टहकारो। की जाने वाली ऐसी या इतनी प्रशंसा टैंको-(न०) १. सिलाई। सीवन । टांका। जिससे उस पर उलटा प्रभाव पड़े। २. थिगली । कारी । पैवंद । टोकारणो-(क्रि०) १. टोकना। एतराज टैंगार-(न०) १. छोटे या दुर्बल की बड़ों के करना । २. दृष्टि का बुरा प्रभाव डालना। प्रति नाराजगी । २. बच्चे की नाराजगी। नजर लगाना। ३. किसी सुन्दर वस्तु से ३. नाराजगी। अप्रसन्नता । ४. गर्व । आकर्षित होकर इतनी अधिक प्रशंसा घमंड । करना जिससे उस पर उलटा बुरा प्रभाव टैंगारियो-(वि०)बात बात में शीघ्र नाराज पड़े। होने वाला। ₹गारी। टोगड़ियो-(न०)गाय का बछड़ा । टोगड़ो। टैंगारी-दे० टंगारियो। टोगड़ी-(ना०) गाय की बछिया । टैट-(ना०) १. गर्व । घमंड । २. अकड़। टोगड़ो-दे० टोगड़ियो। टैंहको-(न०) १. बीमारी में दर्द या अशक्ति टोटको-(न०) १. जादू टोना । २. प्राधिसे होने वाला शब्द । २. नखरा। व्याधि को दूर करने के लिये किया जाने टोक-(ना०) एतराज । मनाई । वाला तंत्र-मंत्र प्रयोग । ३. सरल प्रयोग। टोकणो-(क्रि०) १. ऐतराज करना । उन सादा उपचार । ग्रामीण उपचार । ४. करना । आपत्ति उठाना । २. मना कार्य साधक युक्ति । कीमिया । ५. करना । टोकना। (न0) एक बरतन ।। प्रासानी से अधिक धन मिले ऐसा इल्म । हांडा । टोकना। टोटल-(न०)१. योग । जोड़ । २. सब मदों टोकर-(न०) १. बड़ा घंटा। घंटा। २. की जोड़ । सरवाळो । (वि०) सब । घंट का लोलक । ३. बड़ा लटकन । टोटायत-(वि०) १. टूटा हुप्रा । गरीबी में टोकरचंद-(न०) बड़प्पन का गर्व करने आया हुआ । २. हानि उठाया हुमा । ३. वाले व्यक्ति का व्यंग्य पूर्ण नाम । गरीब । निर्धन । ४. दुःखी । टोकरियो-(न०) १. ( प्रारती उतारने के टोटी-(ना०) स्त्रियों के काम का एक समय पुजारी द्वारा बजाई जाने वाली) गहना । For Private and Personal Use Only Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org टोटी-भूमर टोटी - भूमर - (०) स्त्रियों के कान का एक आभूषण जो टोटी और उसके घू घुरुदार लटकन वाला होता है । टोटी - भेला - ( न०) ( ४६३ ) सिर का एक संयुक्त प्राभूषरण । टोटी-सांकळी - ( ना० ) स्त्रियों के कान का स्त्रियों के कान और टोपियो - (न०) पतीला । झाबा । तसला । कूडो टोपी - ( ना० ) १. सिर का एक पहनावा । टोपी । २ अनाज के दाने का श्रावरण । दाने के ऊपर का छिलका । ३. एक टोपीनुमा साधन जिसको बंदूक के लौंग चे ऊपर रख कर बंदूक दागी जाती है । ४. विदेशी शासन । म्लेच्छ शासन । टोपो - ( न० ) १. बड़ी टोपी । टोपा । २. बूंद छाँट टोभो - ( न०) १. ऊंची जगह । २. पहाड़ के किनारे की ऊंचाई । ३. पहाड़ पर की छोटी वस्ती । ४. रक्षा, निरीक्षरण श्रादि के लिये इस ऊंचाई पर बना हुआ स्थान । ५. छोटा तालाब । ६. बड़ा कुआ । टोयो- (न०) रहँट या बैलगाड़ी का एक एक आभूषण । टोटो - (०) १. हानि । घाटा । घाटो । २. न्यूनता । कमी । टोड - ( न० ) १. जवान ऊंट । २. जवान ऊंटनी | टोडड़ - ( न० ) ऊंट का बच्चा । टोडड़ी - ( ना० ) ऊंट का मादा बच्चा । टोडर - ( न०) एक गहना । टोडरमल - ( न० ) एक लोक गीत । टोडरो - ( न०) पाँव का एक गहना । टोडारू - (न०) १. ऊंट और ऊंटनियों आदि का समूह । २. ऊंट जाति । ३. ऊंट । टोडियो - ( न० ) ऊंट का बच्चा । टोडी - ( ना० ) टोडा । टोडो - (न०) पड़छती (टाँड) या छज्जे आदि को ठहराने के लिये दीवाल की चुनाई से बाहर निकला हुआ एक विशेष पत्थर । टोप- (न०) १. पैंदे में मुँह के समान गोलाई १. एक रागिनी । २. छोटा के ऊंचे किनारों वाला एक पात्र । कूडा । पतीला | बड़ी पतीली । झाबा । २. युद्ध के समय पहिनने की लोहे की टोपी । शिरस्त्राण । ३. एक प्रकार की छज्जेवाली बड़ी टोपी । टोपरो- दे० कोपरो । टोपस - (न०) स्त्रियों के कान का एक ग्राभू षण । टोपसी - दे० टोपाळी । टोपाळी - ( ना० ) १. नारियल के गोलाकार गिरी भाग के ऊपर का श्राधा कठोर आवरण | नारियल की आधी खोपड़ी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टोळी २. गिरी भाग के कठोर आवरण का कटोरीनुमा आधा भाग | नारेली । नारियली । टोपसी । उपकरण । टोडो - ( न०) १. जवान ऊंट । २. ऊंट का बच्चा | टोडियो । टोररणो- ( क्रि०) १. तलाश करना | ढूंढना । देखना । २. हाँकना । चलाना (पशु को ) । टोरो - ( न० ) १. डींग । गप्प । २. धक्का | ठोकर | टक्कर । टोळ - ( न० ) १. अनघड़ पत्थर । बड़ा पत्थर । २. समूह । ३. मस्करी । ठिठोली | ( वि०) मूर्ख । टोळणो - ( क्रि०) १. पशुओं के समूह को हाँकना । २. ढूंढना । टोळा - टाळ - (वि०) १. समूह व समाज से टला हुआ । २. भ्रष्ट । च्युत । ३ टाला हु । निष्कृत | २. टोळी - ( ना० ) १. समुदाय । भुंड । संगठन । ३. मंडली । ४. दुर्वृत्त मनुष्यों का संगठित समूह | For Private and Personal Use Only Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टोलो ( ४६४) ठगारो टोलो-(न०) १. अंगुली के बीच के जोड़ टोस-(न०) स्त्रियों के कान का एक का मोड़ कर (उसके द्वारा) सिर में मारी आभूषण । जाने वाली चोट । ठोंग । २. उपालंभ। टोह-(ना०) १. खोज । पता। २. जान उलाहना । ३. चुभने वाली बात । ताना। कारी । ३. छिपी बात की जानकारी का टोळो-(न०) १. समूह । झुड । २. पशुयों प्रयत्न । का मुड। ट्रेन-(ना०) रेलगाड़ी। ठ-राजस्थानी वर्णमाला के ट वर्ग का मूर्द्ध ठगणी-(वि०) १. मोहनी । मोहकारिणी। ___ स्थानीय दूसरा व्यंजन वर्ण। मोहित करने वाली । २. मायाकारिणी । ठक-(न०) १. संतोष । तृप्ति । दे० ठिक । मायाविनी । मायिनी । ३. ठगने वाली । २. ठोंकने का शब्द । धोखा देने वाली । (ना०) १. ठग की ठक-ठक-(ना०) ठोंकने का शब्द । स्त्री । ठगिनी । २. कुटनी । ३. धूर्तस्त्री। ठकराई-(ना.) १. ठकुराई । प्रभुत्व । २. चालाक स्त्री। ४. ठग-विद्या । ५. बड़ाई। बड़प्पन । रोब । मोटाई। ३. ठगाई । धूर्तता। हुकूमत । शासन । (ना०) ठाकुर। ठगणो--(क्रि०) १. ठगना । छलना। छल ठकराणी-(ना०) ठाकुर की स्त्री। ठकु करना। २. सौदा बेचने में बेईमानी राइन । ठकुरानी। करना। रद्दी माल देकर बहुत ज्यादा ठकरात-(ना०) १. ठकुरायत । ठकुराई । कीमत लेना। ३. स्वार्थ सिद्ध करने के २. आधिपत्य । प्रभुत्व । लिये उल्लू बनाना। ४. धोखे से किसी ठकरायत-दे० ठकरात । की संपत्ति हथिया लेना। ठकराळो-(न०) ठाकुर । जागीरदार । ठगपणो-(न०) १. ठगने का काम । २. ठकाणो-दे० ठिकाणो। धूर्तता । छल। ठगबाज-(न०) ठगने वाला । ठग । ठकार-(न०) 'ठ' प्रक्षर । ठगबाजी-(ना०) ठगाई । प्रपंच । ठकुराई-दे० ठकराई। ठकुरात-दे० ठकरात । ठगविद्या-(ना०) १. ठगने की हिकमत । घोखा देने का हुनर । २. धूर्तता। ठकुरायत-दे० ठकरात । चालाकी। ठकुराळो-दे० ठकराळो। ठगइजणो-दे० ठगीजणो।। ठग-(न०) १. छली। धूर्त । २. धोखा देकर ठगाई-(ना०) ठगी । धोखे बाजी । ठगने की उल्लू बनाने वाला और धन इत्यादि मार क्रिया। लेने वाला । ३. अधिक दाम वसूल करने ठगाण-(ना.) १. ठगाई । ठगी। २. ठगा वाला। ३. नकली और खोटा माल बेचने जाने का भाव । वाला। ठगाणो-दे० ठगावरणो। ठगण-(न०) पांच मात्राओं का एक गण ठगारो-(वि०) १. ठगने वाला। २. धोखे (छंद)। बाज । ३. मायावी । छलिया । धूर्त । For Private and Personal Use Only Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठपको ठगावणो ( ४९५) ठगावरणो-दे० ठगीजणो। ठठेरो-दे० ठठारो सं० १।। ठगी-(ना०) दे० ठगाई। ठठोळी-(ना०) १. ठठोली । हँसी । मस्करी। ठगीजणो-(क्रि०)ठगा जाना । धोखा खाना। २. ठट्ठा । खिल्ली । ठगोकड़ी-दे० ठगोरी। ठठ्ठा-मस्करी-(ना०) हँसी-मजाक । ठट्ठाठगोरी-(वि०) ठगने वाली । (ना०) ठगा। दिल्लगी। ठगोरो-दे० ठगारो। ठठ्ठो-(न०) १. मजाक । हँसी । मसखरी । ठट-(न०) १. अधिक भीड़ । जमाव । ठठ। ठट्ठा । २. 'ठ' अक्षर । ठकार । २. झुड। ३. बहुत सी वस्तुओं का ठणक-दे० ठनक। समूह । ठणकणो-(क्रि०)१. ठण-ठण शब्द होना । ठटणो-(क्रि०) १. स्थिर होना । २. इकट्ठा २. झनकार शब्द होना। ३. धीरे धीरे होना । ३. खड़ा होना । ४. डटे रहना। चलना । ५. उपस्थित होना। ठणकारो-(न०) ठणक आवाज । ठटोटट-(अव्य०) १. पूर्ण । पूरा भरा ठणको-(न०) १. ठनक । नृत्य की ध्वनि । हुआ। २. बहुत अधिक। २. चलने का ढंग । ठमक । ठुमक । ३. ठठकारणो-(क्रि०) १. दुत्कारना । २. पाँव की आहट । चलने की प्राहट । ४. धिक्कारना। रोब । दबदबा । ५. गर्व । ठठकारियो-(वि०) १. दुत्कारा हुआ । २. ठण ठण-(न०) खाली बरतन की आवाज । अपमानित । तिरस्कृत । ३. लांछित । ठणठण गोपाळ-(न०)१. ठन-ठन गोपाल । कलंकित । ठिठकारियो। ___ साधन हीन मनुष्य । २. बुद्धिहीन मनुष्य । ठठाई-(ना०) १. स्त्रियों का कत्थई रंग का ३. निःसार वस्तु । (वि०)१. साधनहीन । प्रोढ़ना। २. गमी में प्रोढ़ने की कत्थई निर्धन । २. बुद्धिहीन । मूर्ख । रंग की प्रोढनी। ठणठणपाळ-दे० ठरण-ठण-गोपाळ । ठठाणो-(क्रि०)१.धारण करना । पहिनना। ठणठणाट-(न०) ठणठण शब्द । (व्यंग में) २. जमाना । स्थिर करना। ठणगो-(क्रि०) १. मन में स्थिर होना । ३. एकत्रित करना । ४. यथावत् करना। जमना। २. तत्परता से प्रारंभ करना। ५. पीटना । मारना । ६. किसी काम को ३. प्रारंभ होना । छिड़ना । ठनना । ४. उत्तमता से करना। उद्यत होना । तनना। ठठारगो-(क्रि०) ठाठ करना। सजाना। ठनक-(ना०) १. नृत्य की एक ध्वनि । २. २. धारण करना। झांझर की एक ध्वनि । ३. चलने का ठठारी-(ना०) ठठेरे की स्त्री। ठठेरी। ढंग । गति । ४. ठनठन शब्द । कंसारी । कंसारण । ठठेरण । ठप-(वि०) बंद । रुका हुआ । (न०) 'ठप' ठठारो-(न०) १. ठठेरा। कंसारो। २. शब्द । युक्ति । बनाव । ३. ठाट-बाठ । सजधज। ठपकारणो-(क्रि०) १. सांचे में बिठाना । ४. प्राडंबर । ठबकारणो । २. उलाहना देना । ठठावरगो-दे० ठठाणो। ठपको-(न०) १. उलाहना । उपालंभ । ठठेरण-दे० ठठारी। मोळभो । २. टक्कर । धक्का । ३. ठठेरी-दे० ठठारी। लांछन । कलंक । For Private and Personal Use Only Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठप्पो उसो जागो ठप्पो-(10) सांचा । ठप्पा । संचो। ठरडो-(न०) मारवाड़ में पोकरण और ठबकारणो-दे० ठपकारणो। उसके पाजू-बाजू का प्रदेश । ठबको-दे० ठपको। ठरणो-(क्रि०) १. ठंडा होना। २. सर्दी ठमक-(ना०) १. बच्चे की चाल । २. लगना। ३. ठंड से गाढ़ा या ठोस होना। चलने की छटा । नजाकत भरी चाल । ४. जलती हुई चीज का ठंडा होना । ३. चलने की ठसक । ठुमक। गरम चीज का ठडा होना। ५. संतोष ठमको-(न०) १. ठमक ठमक चलने की होना । शांति होना । ६. क्रोध मिटना । क्रिया। २. चलते समय होने वाली पाँव ७. निभना । ८. मरना । की आहट । पदचाप । ३. नखरा । ४. ठळियो-(न0) बेर की गुठली। २. फल का ठमक। सख्त बीज । कुळियो। ठमठोर-(वि०)१. समस्त । सभी । संपूर्ण । ठळोकड़ी-(ना०) १. छेड़छाड़ । छेड़खानी। कुल । (मानव समूह) । २. संपूर्ण भरा २. व्यंग्य । ताना । ३. मजाक । हँसी। हुप्रा । खूब भरा हुआ । खंभठोर । ठल्लो-दे० ठालो। ठमठोरणो-दे० ठंठोरणो। ठव-(ना०) १. ठौड़ । स्थान । २. प्राहट । ठमणो-(क्रि०) ठहरना । रुकना । थमना । ठवड़-दे० ठौड़ । ठयो-(अव्य०) १. अस्तु । अच्छा । खैर। ठवरणी-(ना०) पुस्तक को पढ़ते समय उसे २. कोई बात नहीं। जो हो गया सो रखने का एक उपकरण । रेळ । ठीक। ठवति-(ना०) स्तुति । (वि०) स्थापित । ठरक-(ना०) १. दृष्टि दोष । २. टक्कर । ठवणो-(क्रि०) १. रखना। २. स्थापित धक्का । ३.हानि का प्राघात। ४.उपेक्षा। होना । ३. चलना । ठरकावणो-(क्रि०) १. डाँटना। २. अप- ठस-(वि०) १. ठस । ठोस । ढूंसकर भरा मानित करना। ३. धक्का मारना । ४. हुआ। जो भीतर से खाली न हो। २. मार-पीट करना। सख्त । ३. जमा हुआ । ४. जो गफ बुना ठरकियोड़ो-दे० ठरकेल । हुआ हो । ५. सुस्त । (क्रि०वि०) परिठरकेत-(वि०)ठरके वाला । हैसियत वाला। पूर्ण । ठसाठस । ठरकेल-(वि०)१. उपेक्षित । २. अपमानित। ठसक-(ना.) १. रोब । शान । ठस्सा । २. तिरस्कृत । ३. फटकारा हा । ४. अभिमान पूर्ण भाव । ३. लटका । ठरकाया हुया । धक्का मारा हुआ । ५. ठसक । नखरा । ४. ऐंठ। मरोड़ । निर्लज्ज । ६. नालायक । अकड़ । ५. धाका । ६. ठोकर । ठरको (न०) १. प्रहार । चोट । झटका। ठसकदार-(वि०) १. शानदार । ठस्सादार । २. धक्का । टक्कर । ३. हैसियत । २. अभिमानी। ३. नखरे वाला। ४. बिसात । सामर्थ्य । ४. गर्व । अभिमान। अक्कड़वाला । अक्कड़ । ५. प्रतिष्ठा । ठसकीलो-दे० ठसकदार । ठरडगो-(क्रि०) १. पाँवों को जमीन से ठसको-दे० ठसक। रगड़ते चलना। २. खींचना । घींचना। ठसणो-(क्रि०) १. तरल पदार्थ का ठोस घसीटना । घींचरणो। ३. दौड़ाना। रूप होना। जमना। गाढ़ा होना। २. For Private and Personal Use Only Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्सास ( ४९७ ) हृदय में जमना। मन में बैठ जाना। ३. पक्का बनाना । ७. बंद करना । रोकना। समझ में आ जाना। ४. ठहरना । ८. रुकवानो । समाप्त करवाना। रुकना। ठहराव-(न०) १. विश्राम । मुकाम । २. ठसाठस-(प्रव्य०) ठसो ठस । ठूस-सकर। प्रस्ताव । प्रसंग । बात । ३. निश्चय । (वि०) पूरा भरा हुआ। निर्णय ठसाणो-दे० ठसावणो। ठहरावणो-दे० ठहराणो-1 ठसावणो-(क्रि०) १. जमाना । ठसाना। ठहाणो-दे० ठहावणो। गाढ़ा करना। २. मन में बिठवा देना। ठहावरणो-(क्रि०)१.बनाना । तैयार करना। समझ में बिठा देना । ३. ठहराना। निर्माण करना। २. सहारा देना। ३. ठसो-(10) १. प्रभाव । २. सिक्का। ३. व्यवस्थित करना । जमाना । ४. मरम्मत गर्व । ४. सौचा। ठसोठस-दे० ठसाठस । करना। दुरुस्त करना। ५. निश्चय ठस्सो -दे० ठसो। करना। ६. सजाना। तैयार करना । ठहकरणो-(क्रि०)१. बोलना । शब्द करना। अलंकृत करना । ७. स्थापित करना । २. घमंड में बात करना। ३. घमंड ठंठ-(वि०) १. कड़ा। सख्त । २. सूखा । ३. रीता । खाली । ४. कुछ कम करना। ४. टक्कर लगना । ५. बजना। ध्वनि होना। (तोल में) (न०) १. ढूंठा । २. अकड़न । ठहको-(न०) १. शब्द । भावाज । २. ऐंठन । ठंठणपाळ-दे० ठणठण गोपाल । मिजाज । घमंड । ३. व्यंग्य । ताना। ४. साधारण धक्का । हलकी टक्कर । ठंठाणो-दे० ठंठावणो। ठंठारी-दे० ठठारी। ५. ठसका। ठहणो-(क्रि०) १. बनना । तैयार होना । टारो-(न०) ठठेरा। २. निश्चित होना। तय होना। ३. ठंठावरणो-(क्रि०) १. धारण करना । सज्जित होना । तैयार होना। ४. अच्छा पहनना । (व्यंग में) २. भरने के लिये लगना । शोभित होना । पात्र को हिलाना। ३. खूब भरना । ठहरणो-(क्रि०) १. ठहरना। कना। २. हिला हिला कर भरना। खड़े रहना । स्थिर रहना। ३. विश्राम ठठो-(वि०) १. तोल में कुछ कम । तोल में करना । पड़ाव डालना । मुकाम करना। बराबर नहीं । २. तोल में अधिक बराबर नहा । २. ताल टिकना। ४. स्थाई रखना। ५. साथ नहीं । ३. तोल में न ज्यादा न कम ।। देना । काम आना। ६. निश्चित होना। ठंठोर-(वि०) १. पूर्ण भरा हुआ । २. बरतय होना। ७. बंद होना। रुकना। तन को हिला हिला कर खाली जगह ८. समाप्त होना। भरने का भाव । ठहराई-(ना.) १. ठहराने का काम । २. ठंठोरणो-(क्रि०) १. हिला हिला कर भरना। निश्चय । २.पूरा भरने के लिये बरतन को हिलाना। ठहराणो-(क्रि०) १. ठहराना। रोकना। ३. हिलाना। ४. पीटना । ठोकना । ५. २. रुकवाना । ठहराना । ३.खड़ा रखना। बरतन घड़ते समय हथोड़े की हलकी चोटें स्थिर करना। ४. निश्चित करना । तय मारना । मठारणो। करना। ५. टिकाना । विश्राम करना। ठंड-(ना०) १. ठंड । सर्दी । २. शीतलता। पड़ाव डलवाना। ६. स्थाई बनाना। ३. सर्दी जुकाम । For Private and Personal Use Only Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठंडक ( ४९८ ) ठाट-बाट ठंडक-(ना०) १ शीतलता। ठंढ़क । २. बोहनी में गाहक को ठगने का शकुन या शांति । तृप्ति । ठंढ़क । ठगने की भावना। ठंडाई-(ना०) १. बादाम, पिस्ता, गुलाब के ठाकरणो-(क्रि०) १. पत्थर को घड़ना । २. फूल, काली मिर्च, इलायची आदि को पत्थर को दूसरी तीसरी बार घड़ कर घोट और पानी या दूध में छान कर सुडौल बनाना । आकार देना। बनाया जाने वाला एक शीतल पेय । २. ठाकर-(न०) १. जागीरदार । ठाकुर । २. शीतलता। क्षत्री के लिये प्रादर सूचक शब्द । ३. ठंडास-(न०) १. ठंडापन । शीतलता । २. शासक । सुस्ती । मंदता। ठाकराई-दे० ठकराई। ठंडी-(ना०)१. शीत । सर्दी । २. शीतलता। ठाकरां-(अव्य०) सामान्य क्षत्री के लिये (वि०) शीत । सर्द । ठंढ़ी। आदर सूचक संबोधन । ठंडो-(वि०) १. ठंढ़ा। शीतल । २. बहुत ठाकरियो-(वि०) छोटा। (न०) १. ठाकुर पहले पका कर रखा हुअा। बासी। (अपमानक सूचक ) २. छोटा ठाकुर । ३. मंद । सुस्त। धीमा । ४. स्वस्थमना। ठाकरियो वीछू-(न०) छोटी जाति का ५. शान्त । प्रत्यंत विषैला बिच्छू । ठंडोगार-(वि०) खूब ठंडा । बर्फ सा ठंडा। ठाकरी-(ना०) १. ठकुराई । २.प्रोहदा । पद ठंडो टीप-दे० ठंडोगार। ३. धनमाल । ठंडो-ठरियो-(वि०) बहुत समय पहले ठाकुर-दे० ठाकर । पकाया हुआ। ताजा नहीं। बासी। ठाकुरजी-(न०) श्रीकृष्ण या विष्णु की ठाडो-ठरियो। प्रतिमा। ठंडो-बासी-दे० ठंडो-ठरियो। ठाकुरद्वारो-(न०) विष्णु या विष्णु के ठा-(न०) १. मालूम । पता। खबर । २. अवतार श्रीराम या श्रीकृष्ण का मंदिर । . ज्ञात । जानकारी । ठाह । २. वैष्णवों का मंदिर। ठाइ-(ना०) १. जगह । स्थान । २. स्थिर। ठागो-(न०)१. ठगाई। छल । २. आडम्बर। (वि०) स्थिर रहने वाला। ढोंग । दिखावा। ठाउ-(न०) १. जगह। स्थान । ठाम । ठाट-(न०) १. धनमाल प्रादि से सभी प्रकार २. बरतन । वासरण । ठाम । का सुख । पाराम । २.सजावट । शोभा। ठाए-दे० ठाहै। ३. भीड़ । मजमा । जमघट । ४. शान । ठानो-(न०) स्थान । (क्रि०वि०) ठिकाने- शान-शौकत । ठाट । ५. भपका । सर । ठिकाने पर। यथास्थान । ठीक आडम्बर । ६.ढंग । शैली । ७. समारंभ । जगह पर । ठायो। ८. धन । माल । ६. अधिकता । बहुताठामोठा-दे० ठामोठाम । यत । १०. झुड । ११. सेना । ठामोठाम-(क्रि०वि०) यथास्थान । ठीक ठाटदार-(वि०) १. शानदार । ठाटदार । जगह पर । ठामोठाम। ठाट वाला । २. शोभावाला । ३. सजावट ठाक-ठोक-(ना०) १. मारपीट । ठोकना। वाला। ४. आडंबर वाला। पीटना । पिटाई । २. बोहनी की गाहकी ठाट-वाट-(न०) १. वैभव । सम्पन्नता । में किसी गाहक को ठगने की क्रिया। ३. २. सजधज । तड़क भड़क । For Private and Personal Use Only Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठाणो ठाठ ( ४६६) ठाठ-३० ठाट। ठाडोळाई-दे० ठाडोळ। ठाठियो-(न०) १. 'ठाट' का तुच्छता सूचक ठाढ़-दे० ठाड । शब्द । २. कूटे का बनाया हुआ छोटा ठाढो-दे० ठाडो। बरतन । ३. ठाठा-ठाठिया प्रादि कूटे के ठारण-(ना०) १. मवेशी को घास डालने का बरतन, खिलौने बनाने वाला व्यक्ति । का स्थान । २. मवेशी को बांधने का ठाठी-(ना०) आड़ । रोक । विघ्न । स्थान । ३. तबेला । ४. स्थान । जगह । ठाठो-(न०) १. ढाँचा । २. कूटे का बनाया ५.वंश । कुल । ६. घोड़ी की प्रसव दशा। हुआ एक बरतन । ३. शरीर । ४. शव। ७. घोड़ी का प्रसव । लाश । ५. हड्डियों का ढाँचा। पंजर। ठाणणो-(क्रि०)१. विचार करना । निश्चय ६. बारणों को रखने का ऊंट के चमड़े से करना। २. रचना । रचना करना । ३. बना एक थैला । चोंगा। तरकश। किसी काम को करने का दृढ़ निश्चय ठाड-(ना०) ठंड । शीत । करना । ४. तत्परता से प्रारंभ करना। ठाडक-(ना०) १. ठंडक । २. शान्ति । ठाण देणो-(मुहा०) घोडी का प्रसवना । ठाडी-(ना०) १. राख । भस्म । २. सर्दी। घोडी का बच्चा देना। जाड़ा। शीत। ३. ठंडी । शीतलता। ठाणपूर-(वि०) १. अपने पद, कुल और (वि०) १. सुस्त । २. ठंडी। शीतल । व्यक्तित्व इत्यादि की परम्परागत प्रतिष्ठा ३. बासी। को निभाने वाला तथा इनकी कीत्ति को ठाडो-(वि०) १. ठंडा । शीतल । २. ताजा बढ़ाने वाला। वंश वर्धन । २. अपने नहीं । बासी। ३. मंद । सुस्त । धीमा। स्थान पर शोभा देने वाला। ३. उच्च (न०) १. व्रण अथवा किसी दर्द के कुल में उत्पन्न । कुलवान । खानदानी । स्थान को गरम शलाका द्वारा दागने की ४. प्रतिष्ठिा । ५. रोबदार । ६.अपने पद क्रिया । २. दागने का निशान । दाग ।। या स्थान की मान-मर्यादा रखने वाला। डाम । चुहियो। ३. शीतला देवी को भेंट ठाण सिणगार-(वि०) १. एक जगह पड़ा धरने के लिये एक दिन पहिले बनाया हुआ __रहने वाला। २. किसी के काम नहीं बासी भोजन । ४.(भू००) खड़ा । स्थिर।। आने वाला । निकम्मा । निठल्ला। . ठाडोगार-दे० ठंडोगार। ठाडो टीप-(वि०) अत्यन्त ठंडा। ठाणा-(न००व०) जैनधर्म के तेरहपंथी या ठाडो ठरियो-दे० ठंडो-ठरियो। बाईस टोले के साधुनों की संख्या का ठाडो-पहोर-(न०) गरमी की मौसम में नाम । संख्या । गिनती। ठाणांग-(न0) जैन धर्म का स्थानांगसत्र दिन का वह समय जब सूर्य तपा न हो। ग्रंथ। अथवा अस्त होने जारहा हो। प्रातःकाल या ढलते दिन का समय । ठाणियो-(न०) १. तबेले का नौकर । ठाडो पेट-(न०) १. बड़ी-बूढी स्त्रियों द्वारा साहरणी। २. मवेशी के लिये कुतर, ग्वार, सौभाग्यवती स्त्रियों को दिया जाने वाला बाजरी आदि का मिश्रण पकाने का स्थान पुत्रवती होने का आशीर्वाद । २. स्वास्थ्य व पात्र । दे० दळियो। ३. दे० ठाण की दृष्टि से पेट का ठंडा रहना । सं० १ और २। ठाडो-बासी-दे० ठंडो बासी । ठाणो-(न०) जैन साधु । (क्रि०)१. स्थापित .ठाडोळ-(ना०) ठंडक । शीतलता। करना । २. ठानना । निश्चित करना । For Private and Personal Use Only Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ठाम www.kobatirth.org ( ५०० ) ठाम - ( न०) १. स्थान । जगह । २. घर | ३. मकान के विभिन्न भाग - कोठा, कमरा आदि । ४. बरतन । पात्र । ठाम ठिकाणो - ( न०) १. घर और उसका पता । प्रत पता । नामठाम । २. घर बार । ठाम ठीकरा - ( न०ब०व०) १. घर का सामान । घर विकरी । २. बरतन वगैरा । ठामरणो - ( क्रि०) १. रोकना । ठहराना । २. सहारा देना । थामना । ३. श्राश्रय देना । सहारा देना | मदद देना । ठामीठाम - ( अव्य० ) १. यथास्थान । अपनी अपनी जगह । २. प्रत्येक स्थान । ३. प्रत्येक स्थान पर । जगह-जगह । ४. ठीक स्थान पर । ठायो - ( न०) १. बातचीत करने का स्थान । उठने-बैठने का स्थान । आने-जाने की जगह । २. मिलने का स्थान । गुप्त स्थान । ३. निश्चित स्थान | लक्ष्य स्थान । ४. ठहरने का स्थान । ५. ठिकाना । पता । ६. घर । निवास । ठाँव । ७. निशान । खोज । ८ स्थान । जगह । ठार - ( ना० ) १. नमी । गीलापन । २. ठंड शीत । ३. प्रोस । झाकळ । ४. ठंडापन । ५. मृत्यु । ठाररणो- ( क्रि०) १. ठंडा करना । शीतल करना । २. जमाना । ३. समाप्त करना । मारना । ४. बुझाना। शांत करना । शीतल करना । ठारी - ( ना० ) १. हलकी ठंड । २. प्रातःकाल की ठंडी । ३. आश्विन कार्तिक की ठंडी । ४. शबनम । प्रोस । झाकळ । ठाळ - ( ना० ) १. कुदान । छलांग । २. तलाश । ठालरणो- ( क्रि०) १. खाली करना । २. गिराना । पटकना । ३. एकत्र करना । ढेर लगाना । ४. ढूंढ़ना । खोजना । ५. छांटना | चुनना । ६ उड़ेलना । ठालप - ( ना० ) बेकारी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठावो ठालवणो - (त्रि०) दै० ठालणो । ठाळियो- दे० ठळियो । ठाली - ( वि०) १. खाली । रीता । २ बेकाम | बेकार । ठाला | ३. गर्भवती न हो । (गाय, भैंस आदि मवेशी ) | ( श्रव्य ० ) १. कारण । बेमतलब । २. सिर्फ । केवल । मात्र । ठालीठम - (वि०) बिलकुल खाली । ठाड़ - ( वि०) १. बिना सूझ बूझ का । नासमझ | मंदबुद्धि । २. निकम्मा | ग्रामी । निरर्थक | ३. लबाड़ । गप्पी | ठालेड़ाई - ( ना० ) १. ठालेड़ व्यक्ति के काम । For Private and Personal Use Only नासमझी । २. लबाड़पन । ठालो - (वि०) १. रीता । खाली । २. जिसके पास कोई काम न हो । ठाला । बेकार । ( अव्य० ) १. अकारण । बेमतलब । २. मात्र । केवल । सिर्फ । ठालो-ठाकर - ( न० ) १. नाम का ठाकुर । २. भूखा ठाकुर । दरिद्री जागीरदार । ठालो भूलो- (वि०) १. श्रसमर्थ और निर्धन । २. भाग्यहीन । अभागा । बदनसीब । ३. निकम्मा । नालायक । ठावकाई - ( ना० ) १. गभीरता । संजीदगी । २. प्रामाणिकता । ३. योग्यता । ४. विवेक । ५. बड़प्पन । ६. लुच्चाई । ७. बड़प्पन की डींग | ठावकी - ( वि० ) १. रूपवान । सुन्दर । २. अच्छी । ३. व्यवस्थित । ४. चालाक । ५. लुच्ची । ठावको - ( वि०) १ : प्रामाणिक । २. योग्य । ३. विश्वासपात्र । ४. विवेकी । ५. सुव्यवस्थित । ६. गंभीर । संजीदा । ७. लुच्चा । ८. डींग हांकने वाला । ६. चालाक । १०. खानदानी । ठावरगो-दे० ठहावणो । ठावो - ( न०) १. निश्चित स्थान । २. यथास्थान । ३. निश्चय । ४. तसल्ली । ( वि० ) Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गह ठीकाठीक १. विश्वसनीय । २ प्रतिष्ठिन । ३. घर । जीविका का स्थान । ७. जीविका प्रसिद्ध । ४. नित्य । शाश्वत । ५. कुवि- का ढंग । ८.स्थिति । ६. स्थिरता । १०. ख्यात । बदनाम । ६.लुच्चा । (क्रि०वि०) निश्चय । ११. व्यवस्था । ढंग । ठिकानेसर । पतेवार । ठिठकारणो-दे० ठठकारणो। ठाह-(ना०) १. पता । ठिकाना । २. खबर। ठिठकारियो-दे० ठठकारियो। खोज । पता। ३. सूचना । खबर । ४. ठिणगणगो-(क्रि०) बच्चों के समान स्थान । जगह । ठा। रोना । तुनकना । ठुनकना । ठाहणो-(क्रि०)१. बनाना। संपादन करना। हिरड़णो-दे० ठरड़णो। तैयार करना । २. सजाना । ३. जमाना। ठीक-(ना०) १. खबर । पता। सूचना । यथास्थान स्थिर करना। ४. स्थापित २. ज्ञान । जान । जानकारी। ३. असंकरना। दिग्ध बात । स्थिर बात । ४. स्थिर ठाहर-(ना०) जगह । स्थान । .... प्रबंध । पक्का आयोजन । (वि०) १. ठाहियो-दे० ठायो। अच्छा । भला । २. शुद्ध । सही। ३. ठाहै-(प्रव्य०) ठिकाने पर । जैसा हो वैसा । यथार्थ । ४. उचित । ठाहो-दे० ठोयो। उपयुक्त। ५. चाहिये जैसा। बराबर । ठाँ-(ना०) १. जगह । स्यान । २. ठिकाना। ६. न अच्छा न बुरा। सामान्य । ७. __ पता । ३ बंदूक छूटने का शब्द । निश्चित । ८. यथा परिणाम । (अव्य०) ठांठी-(वि०) जो ब्याती न हो । बांझ अस्तु । खैर । अच्छा । भले । (मादा पशु)। ठीकठाक-(अव्य०) व्यवस्थित रीति से रखा ठांठो-दे० ठंठो। या सजाया गया हो ऐसा। ठीकठाक । ठांभणो-दे० ठामणो। (वि०) १. प्रमाण अथवा तुलना में ठांयचो-दे० ठायो। अच्छा । २. अच्छा। दुरुस्त । ३. व्यवठाँव-दे० ठाम । स्थित । ४. साधारण । कामलायक । ठांसरण -(न0) घुटना । गोडो । ठांसपो-दे० ठूसगो। ठीक पड़णो-(मुहा०) १. समझ में आना । ठांसमो-(न०) बुनाई का गाढ़ापन । __ जान पड़ना। २. पता लगना। मालूम होना। (वि०) १. ग ढ़ा बुना हुप्रा। पास-पास । धागों से सघन व ठोस बुना हुप्रा । घट्ट ठीकरी-(ना०) मिट्टी के बरतन का टूटा हुप्रा खंड । ठिकरी। बुना हुप्रा । २. दवा-दबा कर भरा हुआ। ठूसा हुप्रा । डट कर भरा हुमा। ३. डट ठोकरो-(न०) १. मिट्टी के बरतन का टा कर खाया हमा। हुप्रा टुकड़ा। ठीकरा। २. मिट्टी का ठिक-(न०) १. भोजन की तृप्ति । २. बरतन । ३. भिक्षा पात्र । ४. बरतन के संतोष । तृप्ति । ३. स्थिरता। ४. यथा- लिये न्यूनतासूचक शब्द । बरतन । ५. स्थान । सुस्थान । निकम्मी चीज । (वि०) व्यर्थ । निकम्मा। ठिकाणो-(न०) १. स्थान । जगह । २. ठीकाठीक-(वि०) १. साधारण । मामूली। ठिकाना । पता । ३.जागीरी । ४.जागीर- २. जैसा-तैसा । ३. काम चलाऊ । जैसे दार का घर । ५.घराना । वंश। प्रतिष्ठित तैसे निभे वैसा । For Private and Personal Use Only Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठोरगणो । ५.२ ) ठेट तक ठीणणो-(क्रि०) १. निंदा करना । हलका ठूगार-(न०) अफीम, भंग आदि लेने के दिखाना। २. अप्रितिष्ठित करना। ३. बाद किया जाने वाला नाश्ता । नशा लेने उपालंभ देना। बुरा भला कहना । ४. के बाद किया जाने वाला जलपान । तुच्छ समझना। हलका समझना। ठूगो-(न०) १. कागज की कोथली। २. ठीब-(न०) टूटे हुये मिट्टी के घड़े, हंडिया अफीम, शराब प्रादि नशीली चीजें खानेआदि के नीचे का भाग। पीने के बाद लिया जाने वाला नाश्ता । ठूगार। ठीबड़ी-(ना०) १. टूटा हुप्रा मिट्टी का ठूठ-(न०) १. सूखा हुअा वृक्ष या लकड़ा । बरतन । २. टूटे हुये मिट्टी के घड़े आदि के नीचे का भाग का बड़ा टुकड़ा । पेड़ का सूखा तना । छैठ। २. वह लाश (शरीर) जिसका दम निकले हुये बहुत ठीबड़ो-(न०) १. फूटा हुआ मिट्टी का समय होने के कारण अकड़ गई हो। बरतन । २. बड़ी ठीब । ठूठो-दे० ठूठ। ठीमर-(वि०)१. गंभीर । २. शांत । धीर। ह्रसरणो-(क्रि०) १. दबा-दबा कर भरना । . धैर्यवान । ३. आवश्यकता से अधिक नहीं बलपूर्वक घुसाना। २. पेट भर जाने पर बोलने वाला। भी खाते रहना । डट कर खाना । ठीमरपणो-(ना०) १. गंभीरता। २. धैर्य । ठसियो-(न०) १. गले का एक गहना । धीरज । २. ऊंट को खांसी होने का एक रोग । ठीमराई-दे० ठीमरपणो। ठेक-दे० ठेकां । ठीयणो-(क्रि०) १. होना। २. बनना। ठेकड़ी-दे० ठेकां। थियो। ठेका देणो-(मुहा०) भाग जाना। ठीया-(न०ब०व०) १. वे दो पत्थर जिन पर ठेकाँ-(ना०) १. हँसी । मजाक । ठठोली । पांव रख कर पाखाना फिरने को उकड़ २. ताना। व्यंग्य । ३. कुदान । चौकड़ी। (पाँवों को टिका कर) बैठा जाता है । २. ठेकेदार-(न0) ठीकेदार । अस्थाई तौर से बनाये हुये चूल्हे के तीन ठेकेदारी-(ना०) १. ठीकेदार का काम । पत्थर। ठीकेदारी। ठीगणो-(वि०) प्रमाण में कम ऊँचाई । ठेको-(न०) १. छलांग । झांप। २. पलाठिगना । बोना। यन । फरार । ३. घोड़ी की एक चाल । ठींगो-(वि०) १. जबरदस्त । २. ठिगना।। ४. ठेका । ठीका । इजारा। ५. तबला ठींडो-(न०) सुराख । छेद । या ढोलक बजाने की एक रीति । ताल । ठुमरी-(ना०)एक प्रकार का गाना या राग। ठेचरी-(ना०) उपहास । दिल्लगी। निंदा ठळी-(ना०) बारीक छोटा काँटा। कँटिया। सूचक हास । मखौल । ठेसरी । फांस । ठेट-(न०) १. शुरू। प्रारंभ । २. अंत । ठुळियो-दे० ठळियो। पार । ३. दूर । फासला। ४. लक्ष्य । ठूसी-(ना०) स्त्रियों के गले का एक गहना। (क्रि०वि०) फासले पर। अंतर पर। ट्रंकलणो-(कि०) १. किसी के काम में दोष दूर । (अव्य०) १. अंत तक । २. लक्ष्य निकालना। ऐब देखना। २. डाँटना। तक । फटकारना। ठेट तक-(अन्य०) १. अंत तक । भाखिर डूंग-दे०ढुंगार। तक । २. लक्ष्य तक । ३. पूर्ण होने तक। For Private and Personal Use Only Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ठेट तारणी ठोकाक ठेट तारणी-दे० ठेट तक । पेल । ( वि० ) १. बहुत अधिक । २. ठेट ताँई दे० ठेट तक | पूर्ण । ठेट थी - ( अव्य० ) शुरु से । ठेठ से । प्रारंभ ठेलमों - (वि०) १. खूब अधिक । २. प्रपूरित । से । ३. भरपेट । ठेलो - ( न०) १. ठेल कर चलाई जाने वाली गाड़ी । ठेला । २. धक्का | ठेळो - ( न०) १. चुटकला । २. व्यंग्य | ( ५०३ ) ठेट सू-दे० ठेट थी । ठेट सूध-दे० ठेट तक | ठेटा तारणी-दे० ठेट तक । ठेटा ताँई दे० ठेट तक | ठेटा लग दे० ठेट तक । ठेठा लगी- दे० ठेट तक । ठेटी - ( ना० ) कान का मैल । ठेठी । ठेपी | ठेठ दे० ठेट | ठेठर - ( न०) १. थियेटर । थयेटर । २. नंगे पाँवों चलते रहने से बन जाने वाला पगथली का मोटा चमड़ा । ३. गोबर मिट्टी आदि से भरा हुम्रा गंवारू जूता । ४. पुराना और फटा सूखा जूता । ५. परिमाण और आवश्यकता से अधिक भारी वस्तु । ठेठी-दे० ठेटी । ठेब - दे० ठेस । ठे खारगो - ( मुहा० ) १. उलझना । छल कना । २. उछलना । ३. उमड़ना । ४. धक्के खाना । ५. भटकना । ठेवा देणो- ( मुहा० ) १. उमड़ना । २. उछलना । । ३. छलकना । ठेबो - ( न०) १. बढ़ाव । उमड़ । २. उझळ । उछल । छलकन । ८. ठेलो - ( क्रि०) १. भगाना । २. धकेलना । ३. धक्का देना । ४. धक्का देकर आगे बढना । ठेलना । ५. ठोकर मारना । ६. दूर करना । ७ अस्वीकार करना । भरना । ६ उड़ेलना । ढालना । १०. लौटाना । ११. भाग जाना । १२. चलना । १३. चलाना । १४. छोड़ना । ठेलमठेल - ( न०) १. ऊपरा ऊपरी घकेलने का काम । २. धक्कम धक्का । धक्का Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठेस - ( ना० ) १. मानसिक चोट । २. मजाक । हँसी । ३. चोट । ४. ठोकर । ५. धक्का । टक्कर । ६. हानि । ठेसरण - (न०) रेलवे स्टेशन । टेसरण । ठेसरी - ( ना० ) १. ताना | व्यंग्य । मजाक । दिल्लगी । मखौल । ठेचरी । ठेहरण - दे० ठेसण | ठ-दे० हैं । रणो- दे० ठहरणो । ठें - ( न०) १. गिरने का शब्द । २. बंदूक छूटने की आवाज । ३. श्रान्ति । शिथिलता । ४. मृत्यु । ठो - ( न० ) संख्या | अदद । नग | ठोक - ( ना० ) १. ठोंक । मार । प्रहार । २० उलाहना । ताना। ३. हानि । घाटा । ठोकरणो - ( क्रि०) १. मारना पीटना । ठोंकना । २. खूंटी । कील आदि गाड़ने, खोंसने के लिये चोटमारना । ३. हड़प करना । ४. गप हाँकना । ५. हजम करना । खाजाना । ६. श्रावेश में कोई निश्चय करना । प्रवेश की बात करना । ठोकर - ( न० ) १. ठोकर । ठेस । २. पैर से मारी जाने वाली टक्कर । ३. जोर का धक्का । ४. जूते का अगला भाग । ५. घाटा | खोट । हानि । ठोकरीजरगो- (fro) ठोकर खाना । ठोकाक - ( वि०) १. अनुचित रूप से लेने वाला | हजम करने वाला | हड़पने वाला । २. हड़पने की इच्छा रखनेवाला । For Private and Personal Use Only Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५०४ ) डकारणो इच्छुक । ३. अधिक खाने वाला। ४. ठोरमठोर-(वि०) १. स्वस्थ । नीरोग । ठुकवाने वाला। २. दृढ़ । मजबूत । हृष्ट-पुष्ट । ठोठ-(वि०) १. अपढ़ । ठोठियो। २. मूर्ख। ठोलो-दे० टोलो। जड़ । बुद्ध । ठोस-(वि०)१. जो भीतर से खाली व पोला ठोठियो-दे० ठोठ। न हो । २. पक्का । ३. निश्चित । ४. ठोठी-दे० ठोठ । प्रामाणिक । ४. मजबूत । ठोडी-(ना०) १. ठोड़ी । चिबुक । २. सांप ठोसो-(न०) १. मुक्का । घूसा । २. ताना । ___ का मुंह । व्यंग्य । ३. दे० टोलो। ठोर-(न०) १. एक मिठाई । माठ । वही- ठौड़-(ना०)१. स्थान । जगह । २. स्थान । तड़ो। २. रोब । धाक । ३. प्रहार । ४. पद । ओहदा। स्वत्व । हक । (वि०) स्वस्थ । नीरोग। ठौड़-ठौड़-(क्रि०वि०) हरेक जगह । प्रत्येक चंगा। राजी खुशी। स्थान पर । ठोर-ठोरा-दे० ठोरमठोर । ठौड़-बिगाड़-(वि०)दुराचरण तथा प्रतिकूल ठोरणो-(क्रि०) १. ठोंक कर भरना । २. बातों से वातावरण को विरुद्ध व दूषित मारना । पीटना । ३. प्रहार करना। बनाने वाला। ठोर-पाखर-(वि०) १. दृढ़ । मजबूत । २. ठौड़ो-ठौड़-(क्रि०वि०) यथास्थान पर । स्वस्थ । नीरोग। यथा-स्थान । ड-संस्कृत परिवार की राजस्थानी भाषा की वर्णमाला की तीसरी व्यंजन आम्नाय के 'ट' वर्ग का मूर्ध स्थानीय तीसरा वर्ण। डक-(न0)१. एक बाजा । नगाड़ा । ढक्का । २. ढ़क्के का शब्द । ३. एक कपड़ा। डकचूक-(वि०) १. सुध-बुध रहित । २. ___ घबराया हुआ । डाफाचूक । डकडक-(न०) १. ऊपर से पानी पीने से होने वाली गले की ध्वनि । २. हँसने की ध्वनि । ३. सुराही आदि सकड़े मुह के पात्र में पानी निकालते समय होने वाला शब्द । डकणो-(क्रि०) १. कूदना । लाँघना। २. कूदा जाना । लांघा जाना । डकर-(ना०) १. जोश । २. अातंक । ३. दहाड़। वीर ध्वनि । ४. अभिमान । डकरणो-(क्रि०) १. दहाड़ना। २. अभि मान करना । ३. डकार लेना। डकरियोड़ो-(वि०) १. गर्वान्वित । २. गर्वान्ध । ३. मस्त । डकरेल-दे० डकरियोड़ो। डकळ-डकळ-दे० डखळ-डखळ । डकार-(ना०) १. मुख से निकलने वाला वायु का उद्गार । पेट की वायु का मुंह से सशब्द निकलने की क्रिया । २. उक्त शब्द । उद्गार । (न०) 'ड' वणं । उड्डो। डकारणो-(क्रि०) १. पेट की वायु को मुख से निकालना । डकार लेना । २. किसी की चीज वस्तु या रुपया पैसा लेकर वापिस नहीं देना। हजम करना । हड़प लेना। ३. खा जाना । पचा जाना। For Private and Personal Use Only Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डकावरणो । ५०५ ) डड्डो डकावणो-(क्रि०) कुदवाना । छलांग डगली-(ना०) रूईदार सदरी।। भरवाना। डगळी-(ना०) १. किसी फल में उसका डकेत-(न०) डाकू । लुटेरा। स्वाद रंग आदि विशेषताएँ देखने के लिये डको-(न०) एक चर्म वाद्य । लगाई जाने वाली चकती। थिगली । डकोळी-दे० डंकोळी। फल की टाँका । टाकी । २. समझ शक्ति । डखळ-डखळ-(न०) मुंह में ऊपर से धार ३. समझ । बुद्धि । उड़ेलकर पानी पीने से गले में होने वाला डगळी खसणो-(मुहा०) १. मान नहीं शब्द । २. जल्दी जल्दी पानी पीते समय रहना । २. बिना समझ की बात करना । गले से निकलने वाला शब्द । ३. पागल हो जाना। डखोळणो-(क्रि०) घुघोरना । गंदला डगलो-(न०) १. एक प्रकार का अंगरखा । करना। २. पाँव । कदम । डग । डग-(न०) १. कदम । फाल । फलाँग । २. डगंबर-दे० डिगंबर । पांव । पैर । ३. एक डग से दूसरे डग डगारणो-दे० डिगाणो । की दूरी। डगावरणो-दे० डिगावणो । डगण-(न०) काव्य में चार मात्राओं का । डगमगू-(वि०) अस्थिर । एक गण। डगणो-दे० डिगयो। डचको-(न०) मुंह से बाहर निकला हुआ ___ गाड़े कफ का अंश । बलगम । डगबेड़ी-(ना०)हाथी को बांधने की सांकल । . डटण-(वि०)१.गड़ा हुआ । २. गाड़ा हुआ डगमग-(वि०) १. विचलित । निश्चय में ढचुपचु । २. प्राशंकित । ३. हिलता दाटा हुआ । (न०) गड़े हुये के ऊपर का ढक्कन । हुमा । (ना०) १. वहम । संशय । २. डटगो-(क्रि०) १. खड़े रहना । २. जमकर प्राशंका। ३. अस्थिरता । चंचलता। ४. अनिश्चितता। खड़ा होना । अड़ना। ३. गड़ना । दफन डगमगणो-(क्रि०) १. निश्चय से विचलित होना । ४. भिड़ना। ५. दत्तचित्त होकर काम में लग जाना। होना । डाँवाडोल होना। २. संशय होना । ३. अाशंका होना । ४. हिलना । डटारणो-दे० डटावरणो। डटावरणो-(क्रि०) १. दफनाना । गाड़ना । डगमगाना। २. दफवाना। गड़वाना। ३. सटाना । डगमगाट-(न०) १. हलन-चलन । डग ४. भिड़ाना । दबाना। मगाहट । २. घबराहट । थर्राहट । ३. डटियोड़ो-(वि०) १. गड़ा हुआ। दफन आशंका । खटका । ४. लड़खड़ाहट । डगमगाणो-(क्रि०)१. इधर-उधर हिलना। किया हुआ। २. दबा हुआ । भिड़ा हुआ। डगमगाना। २. निश्चय से विचलित ३. डटा हुप्रा । टिका हुआ। होना। ३. विचलित करना। ४. प्राशं- इट्ट डट्टो-(न०) १. किंवाड़ को बंद होने से कित होना। रोकने वाला लकड़ी का डट्टा । २. छींट डगर-(न०)१. मार्ग । रास्ता । २. पत्थर । छापने का डट्टा । भांत । ठप्पो । ३. मुंह डगरो-(न०) ऊंट। या छेद बंद करने वाली वस्तु । काग । डगळ-(वि०) निर्जन । शून्य । (न०) ढेला। डड्डो-(न०) ट वर्ग का तीसरा वर्ण । पत्थर। डकार । 'ड' वर्ण । इसके दो उच्चारण For Private and Personal Use Only Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टेढ ( ५०६ ) हमरू और दो रूप होते हैं। प्रयोग शब्द डफोळियो-दे० डफोळ । के प्रथम अक्षर के रूप में नहीं होता। डबको-(न०) १. आकस्मिक भय । आतंक । शब्द के अंत में या बीच में होता है। २. निराशा । ३. पानी में डूबने या गिरने टढ-(वि०) दृढ़ । मजबूत । डिढ । का शब्द । डपट-(ना०) १. डाँट । डपट । झिड़की। डबगर-(न0) १. नगाड़े, ढोल, आदि पर २. दौड़। ३. वातावरण में फैली हुई चमड़ा मढ़ने वाली या चमड़े के कुप्पे तेज सुगंध । दूर से आने वाली तेज बनाने वाली जाति । दफगर । २. डबगर सुगंध । (वि०) १. परिपूर्ण । यथेष्ट । जाति का व्यक्ति । २. बहुत अधिक। डबडब-(ना०) गड़बड़ । पोल । बदइंतडपटगो-(क्रि०) १. डाँटना । फटकारना । जामी । (वि०)डबाडब । डबडब । (प्रांसू २. तेज दौड़ना। ३. सभी ओर से वस्त्र द्वारा ढक देना। भरे नयन) डबडबाते हुए । डबकोंहाँ । डफ-(न०) १. एक बाजा । चंग। (वि०) डबडबारणो-(क्रि०) १. प्रश्र पूर्ण होना । बेसमझ । बेवकूफ। आँखों में आँसू पाना । २. घबराना। डफलारणो-दे० डफळावणो । डबरो-(न०) एक छिछला पात्र । डफळावरणो-(क्रि०) १. घबरा देना। २. झमेले में फंसना। ३. भुलाना। भटाकना। डबल-(वि०) १. दुगना । दोवड़ो। २. ४. हैरान करना। दुहरा। डफली-(ना०) १. छोटा डफ । २. खंजरी। डबलरोटी-मोटी खमीर उठी रोटी। डफळीजणो-(क्रि०) १. घबराना । घबरा डबली दे० डिबी । जाना। २. भूल जाना। भटक जाना। डबियो-(न०) डिब्बा । ३. झमेले में फंसना । ४. हैरान होना। डबी-दे० डिबी। डफाण-(ना०) १. शेखी । गप्प । डींग। डबो-(न०) १. रेलगाड़ी का मुसाफिर बैठने दंभान । २. ढोंग । पाखंड । दंभ । का या माल भरने काडिब्बा । २. धातु डफाणो-(क्रि०) १. डाँटना । फटकारना। का एक ढक्कन दार बरतन । डिब्बा । २. भुला देना। ३. घबराहट में डाल कटोरदान । ३. बड़ीडिबिया । डिब्बा । देना। ४. भौंचक्का बना देना । ४. बच्चों को होने वाला निमोनिया डफावणो-दे० डफाणो। रोग। डफीड़-दे० डफीड़ो। डबोगो-(क्रि०) १. डुबाना । डुबोना । २. डफीड़ो-(न०) चक्कर । अाँटा । गोतो। नष्ट करना । डुबोना । डफो-दे० डफीडो । (न०) १. संकट । डबोळणो-(क्रि०) १. डुबाना । २. पानी में २. संताप । डुबा कर या भिगो कर बाहर निकालना । डफोळ-(वि०)ढपोर । मूर्ख । जड़। डोफो। डफोळसंख-(न०) १. जो कहे बहुत पर करे डबोवणो दे० डबोणो। कुछ भी नहीं। डींग हांकने वाला। डब्बो-दे० डबो। गप्पी। ढपोर शंख । २. जड़ मनुष्य । डमर-दे० डंबर । (वि०) जड़ । मूर्ख। डमरू-(न०) १. एक वाद्य । डमरू । २. डफोळाई-(ना०) मूर्खता। घुटने में होने वाला एक वात रोग । For Private and Personal Use Only Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra डर www.kobatirth.org ( ५०७ ) डर - ( न०) १. भय । खौप । बोह । भौ । २. धमकी । ३. आशंका | डरकरण - ( वि०) कायर | बीकण | डरड़ो - (न०) बूढ़ा ऊंट । २. खड्डा । गढ़ा । दरड़ो । डरणियो - (वि०) डरकरण | बीकरण । डररणो - ( क्रि०) १. डरना । भय खाना । भयभीत होना । बीहणो । २. आशंका करना । अनिष्ट की संभावना करना । १. डरपोक । भीरू । २. डरने वाला । डरपोक । ड परण- दे० डरकरण । डरपणो - ० डरणो | डपेड़ो - (वि०) डरा हुआ । डरियोड़ो । डरपोक - (वि०) कायर । भीरू । डरकण | डरखियो । बीकरण । डरामरणी - ( ना० ) धमकी । ( वि०) १. डर लगे ऐसी । डरावनी । भयाविनी । २. डर उत्पन्न करने वाली । भयाविनी । डराम गो- (वि०) डरावना | भयानक । डरावणी-दे० उरामणी । डरावणो - ( क्रि०) डराना । डर दिखाना । ( वि० ) १. डरावना । भयानक । २. डर से अभिभूत । भयाक्रान्त | रियोड़ो - (वि०) डरा हुआ । भयाक्रान्त | डपेड़ो । डरू - डरू - ( न० ) मेंढ़क के बोलने का शब्द । (वि०) घबराया हुआ | डरू - फरू - ( विo ) घबराया हुआ । भयाकान्त | डळी - ( ना० ) १. घोड़े की पीठ पर जीन के नीचे रखी जाने वाली ऊन की एक गद्दी । नमदा । कंगोर । २. टुकड़ा । ३. छोटा टुकड़ा । ४. किसी वस्तु में से लिया हुआ, तोड़ा हुआ अथवा काटा हुआ छोटा श्रंश । डळो - ( न०) किसी वस्तु का अलग किया हो हुआ कुछ अंश । टुकड़ा । खंड । डला । उस - ( ना० ) ताले के जिससे ताला बंध जीभ । २. किसी बाहर निकला हुआ समय पकड़ी जाने वाली तराजू की डंडी के बीच के सुराख में डाला हुआ रस्सी का टुकड़ा । तणियो । ४. बैर का बदला लेने का भाव । दंश । ५. डाह । ईर्ष्या । ६. दे० इसी सं. २ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भीतर का वह भाग होता है । ताले की लंबी पतली भाग । ३. तोलने के वस्तु का उसरण - ( न०) दाँत । दशन | डसरणी - ( वि०) १. डसने वाली । काटने वाली । २. नाश करने वाली । ३. बड़े दाँतों वाली । ( ना० ) १. तलवार । ३. कटारी । डसणेस - ( न० ) १. गजानन । गणेश । २. हाथी । ३. गणेशजी का दाँत । ४. हाथी का दाँत । ५. दाँत । दशन | डसरणो - ( क्रि०) १. दाँत से काटना । दंशना । २. साँप का काटना । डसी - ( ना० ) १. वस्त्र का छोटा लंबा टुकड़ा । धज्जी | लोरी । चोंधी । २. किसी लोकदेवता को कष्ट निवारणार्थ अर्पण की जाने वाली कपड़े की धज्जी । sant - ( न०) रोने की सिसकन । उसका । डहक - ( ना० ) १. नगाड़े का शब्द । २. प्रसन्नता । खुशी । ३. गर्व । घमंड । करणो - ( क्रि०) १. अंकुरित होना । प्रा निकलना । २. डहडहाना । हराभरा होना । ३. प्रसन्न होना । ४. प्रफुल्लित होना । खिलना । ५. घमंड करना । ६. घबराना । ७. छला जाना । धोखा खाना । ८. नगाड़ा बजने का शब्द होना । ६. डमरू का बजना । For Private and Personal Use Only डहरणो - ( क्रि०) १. धारण करना । २. शोभित होना । ३. घबराना । ४. भयभीत होना । ५. रखना । ६. सजना । तैयार करना 1७. दुखी होना । Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हहर । ५०८ ) डंडाल डहर-(न0) १. छापर । २. समतल मैदान। २. डंक चुभाने वाला । (न०) डंक वाला ३. चारों ओर कुछ ऊंचा उठा हुप्रा नीची कीड़ा। भूमि का मैदान । ४.नीची जमीन वाला। डंको-(न०) १. ढोल नगाड़े की आवाज । ( जिसमें वर्षा का पानी भर जाता हो) २. ढोल नगाड़े बजाने का डंडा। चोब । खेत । डबरा। ३. नगाड़ा। ४. जीत । विजय । ५. जीत डहरी-(ना०) १. डाकिनी । २. दे० डेरी। का बाजा । विजय वाद्य । डहरू-दे० डैरू । डंको देगो-(मुहा०) १. नगाड़ा या ढोल डहरो-दे० डैरो। बजाना । २. उत्साह से किसी कार्य को डहोळरणो-(कि०) पानी को गंदला करना। करने के लिये प्रस्थान करना। डहोळो-(वि०) गंदला। (न०) १. डर। डंको वाजणो-(मुहा०) १. कीत्ति होना । भय । २. खलभली। २. प्रसिद्धि होना। ३. रोब जमना। पाक डंक-(न०) १. मधुमक्खी और भिड़ के पिछले भाग में तथा बिच्छू की पूंछ में डंको होणो-(मुहा०) १. नगाड़ा या ढोल लगा रहने वाला एक जहरीला काँटा, बजना । २. सवारी (शोभा यात्रा) निकजिसको फँसा कर वे जीवों के शरीर में लना या प्रस्थान करना। ३.विजय होना। जहर पहुँचाते हैं । डंक । जहरी काँटा। डंकोळी-(ना०) ज्वार, बाजरी आदि पौधों २. डंक का चुभना। दंश । चटको। ३. का छिलका उतारा हुप्रा सूखा डंठल । क्षत । ४. नाज के दाने में घुन लगने से डकोळी। उसमें होने वाला छेद । ५. शत्रुता । बैर। डंखणो-(क्रि०) १. उतेजित होना। २. ६. कोई चुभने वाली बात । ६. नगाड़ा। आक्रमण करना । ३.खटकना। खटकरणो। ८. नगाड़ा-ढोल बजाने का डंडा । ६. डंगर-दे० डांगर । प्रकृति के अनेक रूप और उनके व्यापार डंठळ-(न०) १. छोटे पौवों की पेड़ी और के आधार पर वर्षा विज्ञान के सिद्धान्तों शाखा । को निश्चित करने वाले एक ज्योतिषी डंड-(10) १. दंड । सजा। जुरमाना । २. का नाम। एक कसरत । ३. डंडा । सोटा। डंक चूड़ी-(ना०) स्त्रियों के हाथ की एक डंड-कमंडळ-न०) १. माल असबाब । प्रकार की चूड़ी। सामान । २. संन्यासी का दंड और डंकरणो-(क्रि०) १. डंक मारना। २. मन कमंडल । ३. संन्यासी का सामान । _ में खटकना । चुभना। डंडकारण-(न०) दंडकारण्य । डंकदार-(वि०) डंक वाला। डंडो -(क्रि०) १. दंड करना । जुर्माना डंक मारणो-(मुहा०) डंक चुभाना।। करना । दंड लेना। २. बला धन वसूल डंक लागणो-(मुहा०) १. धान्य के दानों करना । ३. सजा करना । दंड देना। में छिद्र होना । नाज में कीड़ा लगना। डंडा-बेड़ी-(ना०) डडे वाली बेड़ी। दंडसुळपो। २. किसी विषले जंतु का डंक निगड़ । चुभना । ३. मन में खटकना। डंडाळ-(न०) १. नगाड़ा। दुदुभी। २. डंकी-(वि०)१.जिसके डंक हो। डंक वाला। भाला। (वि०) १. नगाड़ा बजाने वाला। For Private and Personal Use Only Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बाळो (५०६) २. डंडियों से गेहर (खेलने) रमने वाला। बना अंधेरा। १०. भीड़। जमाव । ३. रण-रसिक। समूह । दल । ११. जोश । उमंग । १२. डंडाळो-(वि०) डंडे वाला । डंडाघारी। मरुपा । १३. सुगघ । (वि०) १. गहरा । डंडाहड़-(न०) १. डंडियों की गेहर । २. घना । खूब । २. अश्रु पूर्ण । ३. आच्छाडंडा रास । ३. नगाड़ा। दित । ४. विस्तृत । डंभ-दे० डाम। डंडिया-गेहर-(ना०) खिड़किया या चूचदार पाघ में तुर्रा-कलंगी, जामा सभी प्रकार डंभारण-(ना०) दंभ । पाखंड । डंस-(न०) १. दंश । दाँत । २. डांस । के आभूषण और पांवों में धूघरू प्रादि मच्छर । (ना०) ईर्ष्या । डाह । राजाशाही वेशभूषा में सज्ज होकर समूह रूप से ढोल नौबत आदि वाद्यों के ताल __ डंसपो-दे० डसणो। पर पतली डंडियों (छड़ियों) से खेला जाने । डाइण-(वि०) १. वृद्ध । २. वृद्धा । (ना०) वाला एक वासंतिक (होलिकोत्सव) नृत्य । १.डाकिनी । डायन । २.भूतनी । चुडैल । ३. डरावने रूप वाली स्त्री। ४. जादूरास । रास नृत्य । डंडी-(न०) १. संन्यासी। २. राजा । ३. गर स्त्री। यमराज। ४. द्वारपाल । ५. तराजू की __ डाई-(ना०) १. खेल में हारने वाले के ऊपर आने वाली पारी। (प्रायः बालकों के खेल आडी लकड़ी । ६.कलछी की लंबा सिरा। में) २. धातु का सिक्का, फूलपत्ती इत्यादि ७. छाते की छड़ी। (वि०) जिसे दंड काटने का सांचा। मिला हो । दंडित । सजायाफ्ता । डाईजणो-(क्रि०) १. घोड़ी को कामेच्छा डंडो-(न०) डंडा । सोंटा । दे० डांडो। होना। २. घोड़ी को गर्भ धारण की डंडूळ-(न०) वातचक्र । भयूळो । इच्छा होना । घोड़ी का जाग में आना। डंडाको-(न०) डंडा । सोंटा। डाक-(ना०) १. एक पैड से दूसरे पैंड का डंडोत-(ना०) दंडवत । उलटा सोकर किया। अन्तर । डग। कदम । २. छलांग । किया जाने वाला प्रणाम । साष्टांग कुदान । ३.निरंतर प्राने जाने की क्रिया। प्रणाम । साष्टांग दंडवत । नित्य का प्रावन-जावन । ४. अधिक डंडोळो-(न०) नगाड़ा। संख्या में पावन-जावन । ५. प्राचीन समय डंफर-(ना.) १. आडम्बर । २. धौंस । की ऊंट सवार, घुड़ सवार आदि के द्वारा रोज । ३. तेज हवा । राज्यों की परस्पर चिठ्ठी पत्री या फरमान डंफारण-(ना०) १. लंबी चौड़ी बात । शेखी। प्रादि पहुँचाने की एक व्यवस्था । ६. गप्प । २. दंभ । पाखंड । धूर्तता । ३. चिट्टियों, पारसल आदि के आने-जाने या झूठा रोब । मिलने-भेजने का एक सरकारी प्रबन्ध । डंबर-(न०)१. प्राडंबर । ढोंग । २.प्रकाश । ७. डाकघर के द्वारा भेजी जाने वाली या ३. प्रताप । महिमा । ४. ऐश्वर्य। वैभव । प्राप्त की जाने वाली चिट्ठियाँ इत्यादि । ५. बादल । मेघ-घटा। ६ एक प्रकार ८. डाकगाड़ी। ६. कोई चर्म वाद्य । का बड़ा चदोबा । ७. विस्तार । फैलाव।। १०. युद्ध वाद्य । ११. वाद्य शब्द । ८. गुलाल या धूल से आच्छादित वाता- १२.शब्द । ध्वनि । आवाज । १३. उलूक वरण । ६. आकाश में गर्द छा जाने से शब्द । उल्लू का बोलना । १४. युद्धस्थल For Private and Personal Use Only Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . डाक खर्च (५१. ) डागळी में अप्सराओं का नाच (कवि कल्पना) डाकियो-(न०) १. चिट्ठी-पत्र प्रादि का १५. भूत-प्रेतों का नाच । १६. भूत-प्रेत या घर घर पर जाकर बांटने वाला । डाक भूतनियों का समूह । बाँटने वाला। पोस्टमैन । २. डाक ले डाक खर्च-ना०) डाक द्वारा भेजी जाने जाना वाला। वाली चीजों का खर्च । डाक का खर्च । डाकी-(वि०) १. जबरदस्त । २. शूरवीर । डाकखानो-(न०) डाकघर । पोस्ट ऑफिस । ३. दुष्ट । ४. सबल । प्रचंड । ५. बहुत डाकगाड़ी-(ना०) डाक ले जाने वाली तेज खाने वाला। ६. डरावना । भयावना । रफ्तार की मुसाफिर रेल गाड़ी। मेल ट्रेन । (न०) दैत्य । डालने वाला। डकैत । डाक घर-दे० डाकखानो। डाक टिकट-(ना०) डाक महसूल के लिये लुटेरा । (वि०) १. जबरदस्त । २. डराचिठ्ठी-पत्री आदि पर लगाया जाने वाला वना । भयानक । एक प्रकार का कागज का छोटा टुकड़ा । डाको-(न0) १. ढोल, नगाड़ा आदि बजाने (भिन्न भिन्न मूल्य के कागज के इन टुकड़ों का लकड़ी का डडा। २. ढोल, नगाड़े पर (टिकटों) पर सरकार द्वारा निश्चित दी जाने वाली चोट । उंको। ३. धनमाल चित्रांकन होते हैं।) लूटने के लिये किया जाने वाला धावा । डाकरण-(ना०) १. डाकिनी । चुडैल । धाड़ । लूट । डाका । डाकिन । २. भूत विद्या जानने वाली डाकोत-दे० थावरियो। स्त्री। ३. जिसकी नजर लगे ऐसी स्त्री। __ डाकोर-(न०) गुजरात में प्राणंद के पास रात में पागांट के । डाकरण-स्यारी-दे० डाकण।। एक प्रसिद्ध वैष्णव तीर्थ-स्थान । छोटी डाकरणी-दे० डाकरण । द्वारका। डाकरणो-(क्रि०)१. फांदना । छलांग भरना। डाक्टर-(न०) १. एलोपेथी का चिकित्सक। कूदना । २. लांघना। डाकदर । २. किसी विषय से संबंधित डाकदर-(न०) १. चिकित्सक । वैद्य । शोधपूर्ण महानिबंध पर विश्वविद्यालय डाक्टर । २. साहित्य का पंडित । दे० से दी जाने वाली पी-एच. डी. अथवा डाक्टर । डी. लिट. आदि की डिगरी। ३. ऐसी डाक महसूल-(न०) डाक द्वारा भेजी जाने वाली वस्तुओं पर लगने वाला खर्च । डिगरी (पदवी) प्राप्त करने वाला महाडाकर-(ना०) १. डॉट । रोब । २. खोप । निबंध लेखक । साहित्य-संशोधक पंडित । डर । ३. दहाड़। डाक्टरणी-(ना०)स्त्री-डाक्टर। डाक्टराणी। डाकरणो-(क्रि०)१. दहाड़ना। २. डाँटना। डाक्टरी-(ना०) १. डाक्टर का काम । २. ३. रोब दिखाना। डाक्टर की पदवी। डाका पांचम-(ना०) फाल्गुन बदी पांचम, डागळ-(वि०) बड़ा । चौड़ा । (न०) छत । जिस दिन वसंतोत्सव के होली पर्व की डागळो । ढोल-नौबत वाद्यों के साथ डंडियों की डागळी-(ना०) १. छोटी छत । २. बैलगाड़ी गेहर शुरू होती है । डंडियों की गेहर का के आगे का वह भाग जहाँ बैलों को ढोल पर डाका (डंका) पड़ना शुरू होने हांकने वाला बैठता है। ३. दिमाग । वाली पांचम । समझ शक्ति। For Private and Personal Use Only Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डागळी खसणो ( २११ ) डाणी डागळी खसणो-दे० डगळी खसणो। डाढाळ-(न०) सूअर । (ना०) करणी देवी। डागळो-(न०) १. छत । २. बैलगाड़ी का (वि०) १. बड़े दाढ़-दांतों वाला। २. दाढ़ी वह बड़ा समतल भाग जिस पर सवारियां वाला। बैठती है या माल लादा जाता है । डाढाळी-(ना०) १. करणी देवी । २. वह डागी-(ना०) ऊंटनी । सायड़। स्त्री जिसकी ठोडी पर दाढी निकल आई डागो-(न०) ऊंट। हो। ३. शूकरी । ४. कटारी । (वि०) डाच-(न०) १. दाँत । २. मुह । १. दाढ़ी वाली । २.बडे दाढ़-दाँतों वाली। डाचको-(न०) उबकान । मतली। डाढाळो-(न०) १. सूअर । शूकर । २. डाचो-(न०) १. मुह । २. दांत से काटने पुरुष । मर्द । ३. घनी दाढ़ी। (वि०) की क्रिया। दंशन । ३. दांत से काटा १. बड़ी दाढ़-दांतों वाला । २. बड़ी दाढ़ी हुमा स्थान । दंश । दंशन । ४. दंतक्षत । वाला । डढ़ार । बचको। डाढी-(ना०) १. ठुड्डी के बाल । दाढ़ी। डाचो भरणो-(मुहा०) दांतों से काटना। डाढीक-(वि०) गम्भीर । समझदार । बचको भरणो। डाढी-खूटी-(ना०) १. मृतक के बारहवें डाट-(न०) १. छेद बंद करने की वस्तु । दिन अशौच-निवृत्ति के निमित्त कराई डट्टा। २. बोतल-शीशी आदि का मुंह जाने वाली हजामत । २. अशौच-निवृत्ति बंद करने की वस्तु । काग। कॉर्क । ३. के रूप में मृतक के बारहवें दिन कराई मेहराव को रोके रखने के लिये खड़जे जाने वाली हजामत की प्रथा । (खड़ी ईटों) की जुड़ाई। मेहराब की डाढो-(वि०) १. अच्छा । २. स्वस्थ । खडंजे की चुनाई । (ना०) १. महाविनाश। चंगा । ३. खुश । प्रसन्न । ४. वृद्ध । ५. तबाही । २. धमकी। डाँट। फटकार। वीर । ६. बुद्धिमान । ७. बहुत । अधिक। ३. रोक । ४. बारूद की सुरंग । (न०) डाढ़ी (व्यंग में)। डाटणो-(क्रि०) १. धमकाना । डाँटना। डाढो-भलो-(वि०) १. खूब अच्छा। २. खूब २. दाटना । दफनाना। गाड़ना। ३. खुश । अत्यन्त प्रसन्न । डराना। ४. छिपाना। ५. अधिकार में डाण-(न०) १. कदम । पैड । २. छलाँग । रखना । वश में रखना। कुदान । ३. हाथी की गरदन से झरने डाट-डपट-दे० डाट-फटकार । वाला मद । ४. गर्व । ५. युद्ध । ६. राजडाट-फटकार-(ना०) डाँट-फटकार । डाँट- देय । चूंगी । कर । ७. दंड । ८. दान । डपट । डाँट। ६. साहस । १०. सेना। ११. समूह । डाटी-(ना.) १. धमकी । डाँट । २. भय ।। १२. चाल । १३.दाँव । दारण । १४.प्रवडर। सर । मौका । दारण। १५.पारी । बारी । डाटो-दे० डुचो। १६. तीतर । १७. भाँति । तरह । डाडर-(ना०)१.छाती । वक्षस्थल । सीना। प्रकार। २. पीठ । डाणाक-दे० डील-डाणाक । डाडारणो-दे० दादाणो। डाणी-(न०) १. राजदेय प्राप्त करने वाला डाढ-(ना०) १. दाढ़ । २. चौघड़ । व्यक्ति । कर वसूल करने वाला व्यक्ति । डाढणो-दे० ढाढयो । २. आयात माल पर चुगी लेने वाला For Private and Personal Use Only Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गफाडोल ( ५१२ ) गली व्यक्ति । वाणी। ३. बालद (पोठ), ४. हिलता हुमा । बैलगाड़ी आदि में भरकर लाये हुये नाज डायजो-दे० दायजो । आदि को तोलने का धंधा करने) वाला डायण-(ना०) १. डायन । भूतनी। चुई ल। व्यक्ति । तोलावट । ४. नाज बेचने या २. डरावनी स्त्री। खरीदने वाले से धरमादे खाते की चुगी डायरी-(ना०) दैनिक कार्य-विवरण लिखने लेने वाला व्यक्ति । ५. कुशल क्षेम। राजी की पुस्तिका । दैनंदिनी। खुशी। (अव्य०) अतिथि के आगमन पर डायो-(वि०) १. सीधा। भला। भोलापरस्पर पूछा जाने वाला कुशल समाचार। भाला। २. सयाना । समझदार । प्रानंद में हो। मजे में हो। राजी खुशी डार-(न०) १. पशुओं का झुंड । २. शूकर हो-इत्यादि का वाचक शब्द । समूह । ३. पॅक्ति । श्रेणी । कतार । डाफाडोळ-(वि०) घबराया हुआ। डारण-(वि०) १. दारुण । भयंकर । २. डाफाडोळ होणो-मुहा०) घबराना। जबरदस्त । ३. चीरने वाला । दारण । डाफो-(न०) व्यर्थ का आना जाना । चक्कर। डारणो-(वि०) डराने वाला। डरावना । प्रांटा । आंटो। भयानक । डाबड़ी-(ना०) डिब्बी। डिबिया । डाबी। डारपत-(न०) सूपर । डाबड़ो-(न०) १. कटोरदान । २. टोकरा। डाल-(ना०) १. छिछली टोकरी । डलिया । छाबड़ा । छबड़ा । ३. डिब्बा। डाबो। २. कुट्टी नापने की डलिया। कुतर की डाबर-(वि०) बड़ा (नयन) (न०) छोटा हुई घास को नापने की प्रोडी । ३.डलिया जलाशय । तळं या । पोखरी। भर घास का नाप या परिमाण । मोडी। डाबर नैणी-(वि०) १. बड़े नेत्रों वाली। डाळ-(ना०) १. डाल । शाखा। डाली। २. सुदर नेत्रों वाली । सुनयनी। २. स्त्री बाहु। ३. स्त्री-बाहु के उपरि डाबळी-दे० डाबड़ी। भाग (कोहनी के ऊपर) की चूड़ियों के डाबळो-दे० डाबड़ो। नीचे को चूड़ी। ४.इस जगह पहिना जाने डाबी-(ना०) डिब्बी। वाला सोने या चांदी का एक प्रकार का डाबो-(न०) डिब्बा । कटोरदान । डन्यो। कडा। ५. शस्त्र विशेष । ६. तलवार की डाभ-(ना०) १. दर्भ । दूर्वा । २. कुश। नोक। डाभी-(न0) एक क्षत्रिय जाति । डाळकी-(ना०) छोटी शाखा । डाळी। डाम-(न०) १. शरीर के रुग्ण भाग को डालकी-दे० डाल । तप्त शलाका से दग्य किया हुप्रा स्थान डाळको-(न०)वृक्ष की बड़ी शाखा । डाळो। का चिन्ह । दाग । चरको। गुल । ३. डाला-मत्थो-दे० डालामथो । लांछन । धब्बा। डाला-मयो-(न०) १. सिंह । २. बड़ा डामणो-(कि०) १. तपाई हई धातु शलाका मत्था। (वि०) बड़े मस्तक वाला। से शरीर पर दाग देना। दागना । गुल डाळी-(ना०) वृक्ष की शाखा । डाल । छोटी देना । चरका देना। २. दंडित करना। शाखा ३. कलंकित करना। डाली-(ना०) १. (कुट्टी) घास नापने की डामाडोळ-(वि०) विचलित । अस्थिर। छोटी डलिया। प्रोडी। २. फल फूल, डांवाडोल । २. चकित । ३. भ्रमित । मेवे और नकदी आदि की वह सौगात जो For Private and Personal Use Only Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir r ( ११३ ) डलिया में सजाकर गुरु, राजा आदि को डाहपण-(ना०) समझदारी। उनके सम्मानार्थ मेंट की जाती है । भेंट। डाहळ-(न0) एक वाद्य । डाळो-(न0) पेड़ की मोटी शाखा । तने की डाहळी-दे० डाळी । शाखा । डाल। . डाही-(वि०ना०) १. चतुर । २. सीधी। डालो-(न०) १. टोकरा । ओडो। २. कुट्टी ३. समझदार । सयानी । (घास) नापने का एक बड़ा टोकरा। डाहो-दे० डायो। कुतर नापने का प्रोडा। ३ डाला-भर डाह्यो-दे० डायो । कुट्टी कुतर) का नाप । डाला-भर कुट्टी डाँक-(न०) आभूषण में जड़े जाने वाले का परिमाण । नगीने की चमक बढ़ाने के लिये उसके डाव-(ना०) १. दांव । बाजी। २. अवसर। नीचे दिया जाने वाला चमकीला पत्तर । मौका। डाँखरणो-क्रि०) १. प्रहार करना । शस्त्र डावड़ी-(ना०) १. पुत्री। २. लड़की । ३. ___उठाना । २. हाथ में शस्त्र उठाये रखना। दासी। ३. क्रोधित होना । ४. अचानक आक्रमण डावड़ो (न०) १. पुत्र । बेटा । २. लड़का। करना । ५. एकाएक जा खड़ा होना । बच्चा । डाँखळी-(ना०) डाली में से फूटी हुई छोटी डावलियो-(वि०) दाहिने हाथ की बजाय डाली। टहनी। बायें हाथ से अधिक काम लेने की आदत डाँखळो-(न०) १. शाखा में से निकली हुई वाला । खाबलियो। खाबेड़ी। पतली डाली । २. तिनका । घोचो। ३. डावियाळ-(वि०) १. बैलगाड़ी में बायीं स्त्री के हाथ में पहनी हुई टूटी-फूटी हाथी ओर से जुन कर बोझ खींचने में सक्षम । दाँत की चूड़ी। २. जो बांयी ओर जुतने का प्रादि हो। डाँखियो-(वि०) १. भूखा । २. क्रोधित । ३. एक से दूसरा अधिक सक्षम । ४. (क्रि०वि०). १. भूखे मरता हुआ । २. तुलना में अधिक उ युक्त। ५. साथ में भागता हुअा । (न०) भूखा सिंह । रह कर काम करने वाला । जो किसी डॉग-(ना०) लाठी । बड़ा डंडा। का बायाँ हाथ हो । सहायक । ६. अपने डाँगड़ी-दे० डॉग। . से अधिक सक्षम और उपयुक्त । ७. हर- डाँगर-(न०) गाय, भैंस प्रादि पशु । दम साथ रहने वाला। चौपाया। ढोर । (वि०)नासमझ । बेवकूफ। डावी पाघ-(ना०) राठौड़ क्षत्रियों की डाँगरजंत्र-(न०) १. एक प्रकार की तोप । पगड़ी। २. राठौड़ क्षत्री। ३ बाएं पेच २. बाण । की पगड़ो। डाँगरो (वि०)नासमझ । बेवकूफ (न०)पशु । डावो-(वि०) १. बायाँ । वाम । २. बाई डाँचो-(न०) ऊचे पायों वाला बड़ा खाट । ओर का । ३. विरुद्ध । प्रतिकूल । डाँट-(ना०) १. फटकार । डपट । २. डास-(ना०) १ निराई करने योग्य खेत की दबाव । घास । २. जड़ों सहित उन्मूलन की जाने डाँटणो-(क्रि०) शब्दों की मार देना । वाली खेत की घास । ३. खेत का बिना झिड़कना । डाँटना । डपटना। निराई किया हुप्रा भाग। डाँड-(न०) १. लंबा डंडा । डाँड । २. नाव डाह-(ना०) १. ईर्ष्या । जलन । २. द्वेष। . खेने का बल्ला । (वि०) १. डडे के समान For Private and Personal Use Only Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गडिया रास ( ५१४) लंबा । २. बिना बालबच्चे वाला। ३. किसी बात पर स्थिर नहीं रहना। ४. विधुर । ४. बेशर्म। विचलित होना। पथभ्रष्ट होना। ५. डांडिया रास-(न0) १. छोटे डंडे से खेला भष्ट होना। च्यत होना। जाने वाला रास । एक रास नृत्य । २. डिगमिग-दे० डगमग । होलिकोत्सव के दिनों में डंडियों के ताल डिगर-(न०) चाकर। के साथ खेला जाने वाला एक वासंतिक डिगरी-(ना०)१. विश्वविद्यालय की परीक्षा नृत्य । गेहर । गीदड़। ___ में उत्तीर्ण होने की पदवी। २. अंश । डॉडियो-(न०) जीर्ण हुई धोती को बीच में कला । ३. दीवानी अदालत का दावादार से फाड़ कर उसके दोनों सिरों को जोड़ने के पक्ष में दिया गया निर्णय । डिक्री । के लिए की जाने वाली सिलाई। दो डिगरीदार-(वि०)वह जिसके पक्ष में डिक्री कपड़ों की चौड़ाई की ओर से की गई हुई हो। सिलाई । २. डंडा। डिगरो-दे० डिगर । डाँडी-(ना०) १. पगडंडी। २. लीक । डिगंबर-(न०) १. शिव । महादेव । २. चीला । मर्यादा । ३. पंखी की डंडी । ४. एक नागा सम्प्रदाय । ३. नंगा साधु । छोटी पतली लकड़ी। ५. लंबा-पतला ४. दिगम्बर सम्प्रदाय का नंगा रहने हत्था या दस्ता। वाला जैन साधु । क्षपणक । (वि०) वस्त्र डांडो-(न०) १. हत्था । मूठ। दस्ता। रहित । नंगा । विवस्त्र । हायो। २. होलिका दहन के एक मास डिगारो-(क्रि०) १. डिगाना । हटाना । पूर्व (माघी पूनम को) होलिकोत्सव के २. खिसकाना । टालना। ३. विचलित । प्रारंभ हो जाने के रूप में गांव के नियत करना । प्रथभ्रष्ट करना । ४. स्थिर नहीं स्थान पर खड़ा किया जाने वाला (प्रायः होने देना। खेजड़ी का) एक लंबा टहना, जो होली डिगावणो-३० डिगाणो । जलने तक रखा रहता है। डिठोणो-(न०) दृष्टि दोष से बचाने के डॉफर-(ना०) १. खूब तेज ठंडी हवा। लिये सुदर वस्तु पर बनाया जाने वाला शीतकाल की ठंडी आँधी। २. धौंस । अशुभ चिन्ह । २. बालक को नजर से .. रोब। बचाने के लिये उसके मुख पर लगाई डाँभ-दे० डाम । जाने वाली काजल की बिंदी।। डाभरणो-दे० डामणो। डिढ-(वि०) दृढ़ । मजबूत ।। डाँवांडोळ-(वि०) १. हिलता-जुलता हुआ। डिढाणो-(क्रि०) १. भूल न जाय, इसलिये अस्थिर । २. भ्रमित । विचलित । ३. दुबारा या बार बार कहना । याद घबराया हुआ । ४. प्रतिकूल ।। दिलाना। २. दृढ करना। मजबूत करना। डाँस-(न०)१. एक प्रकार का बड़ा मच्छर । ३. मन में पक्का निश्चय करना। २. बड़ा मच्छर। डिढ़ावरणो-दे० डिढाणो। डांसर-दे० डांस । डिबो-दे० डबो। डांह-दे० डांस । डिबी-(ना०) डिबिया । छोटी डिब्बी। डिगणो-(क्रि०) १. डिगना। हिलना । डिब्बी-दे० डिबी । लुढ़कना । २. टलना । खिसकना । ३. डिब्बो-दे० डबो । For Private and Personal Use Only Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हिमग्नि ( ५१५ ) हुपटो डिमडिम-(न0) एक वाद्य । ऊंचा और हृष्ट-पुष्ट । दीर्घकाय । २. डिंगळ-(ना०)१. राजस्थान की मध्ययुगीन बड़े कुटुम्ब वाला। साहित्यिक काव्य भाषा। २. चारण भाटों डीलाळो-(वि०) १. दृढ़ और मोटे शरीर का तथा उनकी शैली का काम्य। ३.अपभ्रंश वाला । पुष्ट शरीर वाला । २. व्यक्तित्व रूप की राजस्थानी की एक काव्य शैली। वलाा। ४. ऊँचे स्वर से सुनाया जाने वाला प्रेरक डीलोडील-(न०)१. समस्त अंग । २. अंगोकाव्य । जीवन काव्य । [डींगी(-ऊंची, पांग । (अव्य०) १. स्वयं । खुद । २. दीर्घ) + गल ( - बात, आवाज) । ५. आपखुद । खुदोखुद । ३. डील के अनु डींगल । वीरवाणी। (वि०) वीर । सार । ५. शरीर में बराबर । डिगळियो-(वि०) १. डिंगल काव्य की डींग-(ना०)१. लंबी-चौड़ी बात । २. गप्प । रचना करने वाला। २. डिंगल काव्य को शेखी । ३. आत्म प्रशंसा। समझने वाला। (न0) १. डिंगल कवि। डींगरो-(न०) गाय, भैंस आदि पशूत्रों के २. भाट-चारण । ३. वीर पुरुष । गले में बांधा जाने वाला एक मोटा और डिभ-(न०) १. बच्चा। २. युद्ध। लंबा डंडा जिससे वे भाग न सकें।। डीकरी-(ना०) १. पुत्री । बेटी । २. डोंगाळो-(वि०) १. जो तुलना में ऊचा हो। लड़की । कन्या। मुकाबले में डींगा। २. डोंगो। ऊचा । लंबा। डीकरो-(न०) १. पुत्र । बेटा । २. लड़का।। डोंगी-(वि०) १. ऊंची। २. लंबो। ३. डीधी-दे० डींगी १, २, ३. लंबी-ऊंची। ४. डींग हांकने वाला। डीघो-दे० डीगो। गप्पी । डीठ-न०) १. दृष्टि । नजर । २. देखने डींगो-(वि०) १. जो कद में ऊंचा हो तथा की शक्ति। ३. सूझ । ज्ञान । ४. दृष्टि लंबा हो। २. लबा । ३. ऊंचा। का बुरा प्रभाव । नजर । (अव्य०) डीड-(10) १. जल सर्प । पानी का सांप । प्रत्येक । हर एक । प्रति । २. विष रहित सांप । डुडुभ । डीबो-(न०) १. पेट में वायु रुकने का एक डीभू-(न०) भिड़ । ततया । बरं । भमरी। ही रोग। २. पेट में होने वाली वायु की भारी। गांठ । ३. कलेजे में होने वाला एक दर्द। डुक-(न०) घूसा । मुक्का । ४. मनस्ताप । ५. छाती भर जाना। डुक्कर-(न०) शूकर । सुअर । डीर-(न०) १. वृक्ष की टहनियां, फूल, पत्ते ड्रखलियो-(न०) बिना तना हुया टूटा-फूटा आदि । २. बोर । मंजरी। खाट । जीर्ण खटिया । डुखलो। डील-(न०) १. शरीर । देह । २. शरीर का इखलो-दे० ड्रखलियो। विस्तार । कद। ३. कुटुम्बीजन । ४. ड्रगडुगी-(ना०) एक छोटा बाजा । डग्गी । स्त्री का गुप्तांग । योनि । डुग्गी-दे० डुगडुगी। डील करणो-(मुहा०) अवयवों का विकसित डपटी (ना.) १. कंधे पर रखने की एक होना । शरीर का बढ़ना। चादर । दुपट्टी। २. दुपट्टी। चादर । डील-डाणाक-दे० डीलाळो । दोपट्टी वाली चद्दर।। डीलायतो-दे० डीलायतो। ड्रपटो-(न०)१. ओढ़ने की चादर । दुपट्टा। डीलायतो-(वि०) १. बड़े कद वाला। २. जरी के काम वाला स्त्रियों का एक For Private and Personal Use Only Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सुपट्टी ओढ़ना । ३. दो पाट की लंबाई में सिली हुई एक चद्दर । पट्टी-० पटी | पट्टी- दे०पटो | डुबकी - ( ना० ) पानी में डूबने की क्रिया । गोता । डुबकी । डुबको - ० डुबकी । डुबारण - ( न० ) १. डूब जाने के जितनी गहराई । गहराई । बामण । २. नीचाई । ढलान । नोचारण । ३. किसी समतल वस्तु या भूमि का वह भाग जो अपेक्षाकृत नीचा हो । ( ५१६ ) डुबामरण - दे० डुबाण | डुबोरगो-दे० डुबोवणो । डुबtaणो - ( क्रि०) १. डुबाना । २. हानि पहुँचाना। ३. नष्ट करना । डुरगलो - ( न० ) स्त्रियों के कान का एक गहना । छतरी और घुंघरू वाली टोटी । डुळरणो - ( क्रि०) १. तरसाना । ललचाना । २. तरसना । ललचाना । ३. खाने के लिये ललचाना । खाने के लिये उतावला होना । ४. ढह जाना । गिरना । धँस जाना । ५. नष्ट होना । डुळियोड़ो - (वि०) १. ललकित । लालायित । लोलुप । २. भोजन- लोलुप । भोजी । ३. ढहा हु । ध्वस्त । पतित । ४. नष्ट । पतित । डू - ( ना० ) बारी | पारी ( खेल में ) । डूच - दे० डूचरणो ( न० ) । डूचणो- (न०) बोतल, शीशी आदि के मुँह का ढक्कन । कॉर्क । काग । डूजरगो । ( क्रि०) १. ऊंचा करना । उठाना। २. बड़े बड़े कौर लेना । ३. ठूस कर खाना । डूचा माररणा - ( मुहा० ) ऊपरा - ऊपरी बड़े बड़े कौर लेकर खाना । डूचो - (न०) १. डाट । अटकाव । २. किसी छेद का बंद करने के लिये चिथड़ों का Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बनाया हुआ डट्टा या दड़ा । ३. कॉर्क । काग । डाट । ४. गले में किसी चीज के अटक जाने से होने वाली घुटन । ५. मनोवृत्तियों के आवेश में छाती में होने वाली घुटन या बेचैनी । ७. बड़ा कौर । गस्सा | डूचो मारणो - ( मुहा० ) छेद या मुँह को बंद करना । टके जितना बड़ा कोर लेना । १. डूचे के द्वारा गले में डूज - ० डूज | डूजरगो - (न०) बोतल, शीशी श्रादि के मुँह का ढक्कन । कॉर्क । डूचरणो । जो दे० डूचो | डूठ - ( वि० ) १. दुष्ट । २. जबरदस्त । डूबो - ( क्रि०) १. डूबना । गोता खाना । २. नष्ट होना । ३. आफत में पड़ना । ४. सूर्य चन्द्र श्रादि का अस्त होना । ५. दिवाला निकलना । ६. उधार दिया हुआ प्राप्त नहीं होना । उघराई खोटी होना । ७. लीन होना । डूबत - ( वि० ) १. वसूल नहीं हो सके ऐसी रकम या लेनदारी । डूबने लायक | वसूल नहीं होने लायक । २. डूबता हुआ । डूबत खातो - ( न० ) लेनी रकम नहीं पट का जमा खर्च | डूबोड़ो - (वि०) १. डूबा हुआ । २. विचार मग्न । चितित । ३. नष्ट | वरबाद । डूम - ( न० ) १. ढाढ़ी | मिरासी । २. ढोली । ३. डोम । डूमरण - दे० डूमणी । डूमरणी - ( ना० ) १. डूम की पत्नी । ढाढिन । २. डूम जाति की स्त्री । ३. डोमिन । ४. ढोलिन । For Private and Personal Use Only डूमी - ( न०) एक जाति का सर्प । डूर - ( न०) बाजरी ज्वार आदि की बाल के अन्दर दाने के ऊपर का बारीक आवरण । भूसा । Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डूल-(न०) १. धरोहर में रखी हुई वस्तु के डेगड़ी-दे० देगड़ी। मयाद बाहर हो जाने के कारण स्वा- डेगडो-दे० देगडो। मित्व का मिट जाना। २. शर्त में रखी डेडकियो-दे० डेडको । हुई वस्तु का हार जाने पर प्रतिपक्षी के डेडकी-(ना०) १. छोटा मेंढक । २. मेंढक कब्जे में जाना। ३. धोखा । भ्रम । ४. की मादा। संदेह । शक । (वि०) १. डूबा हुआ। डेडको-(न०) मेंढक । डेडरियो । डेडरो। गरक । २. नष्ट । तबाह । ३. डोलता डेडर-दे० डेडको। हुा । भ्रमण करता हुआ। डैडरियो-दे० डेडको। ड्सको-(न०) धीरे धीरे रोने का शब्द । डेडरी-दे० डेडकी। सिसकी। डेडरो-(न०) मेंढ़क । दादुर । डूख-(न०) डंठल । डेरा-डाँडा-(नम्ब०व०) १. घर गृहस्थी का डूंगर-(न०) पहाड़ । पर्वत । मगरो। सामान । माल असबाब । २. यात्रा का भाखर । सामान । डूंगरपुर-(न०) एक भूतपूर्व रियासत व डेरा देणा-(मुहा०) पड़ाव डालना। - इस नाम का नगर। डेरो-(न०) राज्य के जागीरदार का राजडूंगराळ-नि0) पहाड़ी प्रदेश । धानी में बना हुआ मकान । ठिकाने की डूंगरौं नरेस-(न०) १. प्राबू पर्वत । २. हवेली। ३. अस्थाई निवास । डेरा । ४. डूगरपुर नरेश। पड़ाव । डेरा । ५. जनिवासा। रो। डूंगरी-(ना०) पहाड़ी । छोटा पर्वत ।। ६. तंबू । खेमा। ७. धनमाल । ८. " भाखरी । मगरी। निवास स्थान । इंगियो-(10) अग्निकरण । चिनगारी। डेरो करणो-(मुहा०) पड़ाव डालना। तिळंगियो। डेरोदेणो-(मुहा०) १. कन्या पक्ष की ओर डूंगो-(वि०) गहरा । ऊडा । ऊंडो। से बरात के ठहरने के लिये मकान की हावा नोटमा व्यवस्था करना । २. पड़ाव डालना। डेळी-(ना०)बुद्धि । विवेक । विचार-शक्ति । इंज-(ना०) आँधी । वाबळ'। डेळी-चुळियोड़ो-दे० डेळी-चूक । टी-(ना०) नाभि । सूटो। डेळी चूक-(वि०) १. बुद्धि हीन । विवेकडुडको-(न०) नाव । डोंगी। हीन । २. खाने पीने की मर्यादा रहित डंडो-(ना०)१. डोंडी। मुनादी। घोषणा। रुचि रखने वाला । खाऊ । ३. पयभ्रट । २. नगाड़ा या ढोल बजा कर सर्व साधा. ४. वह जिसकी नीयत स्थिर न हो। रण को दी जाने वाली राज-प्राज्ञा। डेहली-(ना०) मुख्य द्वार के पास भीतर की हेलो। शाला । देहली। पोरी । ड्योढ़ी। इंडो-दे० डूडको। डैकारणो-(क्रि०) १. ऊंट को बिठाना । डूब-दे० डूम। झे कारणो । २. कूदना । ३. बहकाना। डूबरणी-दे० डूमणी। डकावणो-दे० डैकारणो । डेकड़-(न0) एक पक्षी। डैण(न०) १. वृद्ध । बुड्डा । डोकरो। २. डेग-दे० देग । भूत । (ना०) १. वृद्धा । बुढ़िया । २. डेगची-दे० देगची। भूतनी । डायन । (वि०) दुखदाई । डूचरणो। For Private and Personal Use Only Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डणती ( ५१८ ) डैणती-(ना०)१. वृद्धा । बुढ़िया । डोकरी। डोको-(न०) १. ज्वार-बाजरी प्रादि का २. भूतनी । डाइन । (वि०) दुखदाई। सूखा डठल । कड़ब । खारियो। २. दुखदायिनी। घास । घास-चारा। ३. पतली लकड़ी डैर-(न0) पानी के भराव वाली जंगल या का टुकड़ा । तिनका । घोचो। खेत की जमीन । डहर । डबरा। डोचलो-(न०) १. माथा । सिर । २. ऊपर डैरी-(ना०) छोटा डेरा। ___का भाग । ३. गूदा निकाली हुई तरबूज डैरू-(न०)१. घुटने का वात रोग । गठिया। की आधी खोपड़ी। डॅबरुमा । २. डमरू वाद्य । डोट-(ना०) पुर जोर की दौड़। (न०) डैरो-(न०) कड़ाह में से हलुपा, लापसी १.नदी या नाले में और वेग से पाने वाला आदि निकालने का डंडा लगा एक जल का प्रवाह । ३. पानी का धक्का । छिछला पात्र । डोट देणो-(मुहा०) भागना । दौड़ना। डैलारण-(न०) घर के द्वार के ऊपर बना डोटी--(ना०) १. चिथड़ों की दड़ी। दड़ी। हुआ कमरा। मकान के ऊपरि भाग में २. ओढ़ने का एक वस्त्र । दुपटी । सम्मुख का कमरा । माळियो। डोवटी। डली-(नाo) वह कमरा जिसमें घर का डोटो-(न०) बड़ी डोटी। दड़ो। __ मुख्य द्वार हो । देहली।। डोटो मारणो-(मुहा०) १. दड़ी या दड़े डैलो-(न०) दरवाजे के पास का घर का को बल्ले से फटकारना । २. नट जाना । बड़ा भाग । मुकरना । ३. भाग जाना। डेश-(न०) दो पदों या वाक्यों के बीच च डोठा पुड़ी-(ना०) १. एक मिठाई । २. में विराम सूचक लंबी आड़ी रेखा'-'। एक पकवान । ३. एक प्रकार की खस्ता डोइलो-(ना०) काठ का चम्मच । लकड़ी पूरी। की कलछी । छोटा डोइला । डोठो-(न०) १. एक मिठाई । २. एक डोइलो-(न०) लकड़ी का कलछा । डोना।। . पकवान । बड़ी डोई। कहुप्रा । कलछा । काठ का डोड-(वि०) मूर्ख । जड़। (न०) १. बड़ा लंबी डंडी वाला बड़ा चम्मच । कौमा । डोडकागलो। डोंई-दे० डोइली। डोड कागलो-(न0) एक जाति का बड़ा डोकरड़ी-दे० डोकरी। कोपा । डोमकौना । द्रोणकाक । डोकरड़ो-दे० डोकरो। डोकरियो-दे० डोकरो। डोडळ-(ना०) अाँख या चहरे की सूजन । डोकरी-(ना०)बूढ़ी औरत । वृद्धा । बुढ़िया। डोडी-(ना०) १. एक आभूषण । २. छोटा डोकरो-(वि०)१. वयोवृद्ध । २. मेधावान । डोडा । ३. उक्तिवान । ४. प्रतिभाशाली। ५. डोडो-(न०) १. कपास, सेमल, इलायची प्रौढ़। ६. वृद्ध । बूढ़ो। (न0) वृद्ध और पोस्त आदि का बीज-कोश । डोड़ा। पुरुष । २. जुपार प्रादि की बाली । पूख। ३. डोकी-(ना०) १. बाजरी या जुधार का डोडे सूमरे का एक लोक गीत। सूखा डंठल । २. छिलका उतरा हुमा डोढ-(वि०)१. एक और प्राधा। डेढ़ (10) सूखा डंठल । १. डेढ़ की संख्या, '१॥। २. बीस, सी, For Private and Personal Use Only Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डोढ प्रानो ( ५१६ ) होरड़ो हजार, लाख इत्यादि संख्याओं के साथ कीमत का पुराना सिक्का । २. पैसा । उनकी आधी संख्या का योग । कावड़ियो । ३. एक वस्त्र । डोढ आनो-(न०) १. ब्रिटिश राज्य के डोढी-(ना.) १. ड्योढ़ी । पौरी । (वि०) एक रुपये के १६ पाने अथवा ६४ पैसों १. डेढ़गुनी । २. डेढ़गुनी से अधिक। के हिसाब से छः पंसे । २. डेढ पाने का डोढीदार-(न०)ज्योढ़ी पर पहरा देने वाला चिन्ह । '' सिपाही । २. द्वारपाल । ड्योढ़ीदार ।। डोढ करोड़-(वि०) १. एक करोड़ और डोढो-(वि०) १. डेढ़ गुना । ड्योढ़ा। २. पचास लाख । (न0) डेढ़ करोड़ की डेढ़ गुना अधिक । (न०) ड्योढ़े का संख्या । '१५०००००.' पहाड़ा। डोढ डायो-(वि०) जरूरत से ज्यादा होशि ___ डोढो रावण-दे० दोढो रावण । यार या अक्लमंद (व्यंग)। २. लाल डोफाई-(ना०) मूर्खता। बुझक्कड़ । ३. मूर्ख । बेसमझ। डोफी-(विना०) मूर्खा । डोढ लाख-(वि०) १. एक लाख पचास डोफो-(वि०) मूर्ख । ना समझ । डफोळ । हजार । (न०) डेढ लाख की संख्या। "१५०००० डोब-(न०)१.कपड़े को(रंगने के समय)रंप के डोढवणो-(क्रि०) १. डेढ़ गुना करना। पानी में जुबाने की क्रिया। २ डूबने की क्रिया या भाव । डुबकी। ३. पानी की २. डेढ़ा करना । २.प्राधा पौर मिलाना । डोढवाड़ कूतो-(न0) फसल को डेढ़ी। - गहराई का माप या अनुमान । अनुमानित कर लिया जाने वाला जागीर डोबरो-(न०) फूटे हुये मिट्टी के पात्र के दार का छठा भाग। टकोर मारने से होने वाला शब्द । (वि०) डोढ बीसी-(वि०) तीस । बीस का ड्योढ़ा। फूटा हुआ। (न०) डोढबीसी की संख्या। डोबी-(ना०) १. भैस । २. बुड्डी भैस । डोढ सौ-(वि०) एक सौ पचास । २. एक (वि०) १. मूर्खा । मंद बुद्धि वाली । २. __ सौ पचास की संख्या । १५०' आलसी । सुस्त । डोढहथी-दे० डोढ हथ्थी। · डोबो-(न0) बूढ़ी मैस । (वि०) मंद बुद्धि डोढ हथ्थी-(ना०) तलवार । डेढ़ हत्थी। . वाला । मूर्ख । डोढा-(न०) डेढ़ का पहाड़ा। . . .. डोम-दे० डूम । ... ड्रोढा करणो-(मुहा०)१. काम बंद करना। डोम कागलो-दे० डोड कागलो। २. काम बंद करके सामान, प्रौजार आदि डोयली-(ना०) छोटा डोयला । डोई। . को यथा स्थान रखना। ३. घर या डोयलो-(न०) कलछा । काठ का चम्मच । मकान के किवाड़ बंद करना। ४. संध्या डोमा । डोइलो । डोयो। समय दुकान बंद करना। ५. डेढ़ गुना डोयो-दे० डोयलो। करना। डोर-(ना०) १. डोरी । रस्सी । २. पतंग डोढ़ाळणो-(क्रि०) १. किंवाड़ बंद करना। की डोरी । ३. लगाम । ओढाळणो । २. काम बंद करना। डोरड़ो-(न०) १. विवाह सूत्र । २. मंगल डोढी करणी-(मुहा०) दुकान बंद करना सूत्र । कांकरण-डोरड़ो । ३. एक राग । (प्रायः संध्या समय में)। ४. विवाह का एक लोक गीत । ५. डोढियो-(न०) १. लगभग एक पैसे की रस्सा । For Private and Personal Use Only Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डोरणो ( ५२० ) डोलची डोरणो-दे० डोरड़ो। घिरनी पर लिपटता जाता है। धागा डोरा बंध-(न०) १. मारवाड़ के बिलाड़ा लंबाई में अमुक माप का होता है। एक नगर की आईजी द्वारा प्रवर्तित आईपंथ घिरनी से दूसरी घिरनी पर आने में का शिष्य या अनुयायी। २. पाईपंथ का लगभग तीन चार घंटे लग जाते हैं । अनुयायी। (वि०) १. विवाह-सूत्र बँधा समस्त धागा जब दूसरी घिरनी पर हुमा । २. जिसके आईपंथ का डोरा बँधा प्राजाता है तो एक डोरा समाप्त हुआ हा हो। ३. आईपंथी। कहा जाता है। तब क्लान्त बैलों की डोरियो-(न०) १. एक धारीदार बारीक जोड़ी को छोड़ कर उसकी जगह (अन्हट वस्त्र । २. छाया करने के लिये बाँधा चलने या मोट खींचने के लिये) दूसरी जाने वाला मोटा वस्त्र । तिरपाल । पाल । बैल-जोड़ी जोत दी जाती है। पारी । ३. जाजिम की जगह बिछाया जाने वाला बारी । डोरा । ८. सगाई करने के समय मोटा कपड़ा। ४. बैलगाड़ी में नाज भरने कन्या के पिता से निश्चित कराकर विवाह के लिये उसमें बिछाया जाने वाला एक के समय दुलहे को दिया जाने वाला धन । मोटा कपड़ा । ५. एक गहना। ६. कष्ट निवारणार्थ हाथ या गले में डोरी-(ना.) १. रस्सी। डोर । २. एक बाँधा जाने वाला अभिमंत्रित घागा। १०. प्रकार के अश्लील लोकगीत । ३. लगाम। सगाई के समय लड़के लड़की के हाथ में ४. जमीन का एक नाप । बाँधा जाने वाला सूत्र । वाग्दान सूत्र । डोरी खोंचरणो-(मुहा०) १. तीर्थाटन या ११. विवाह के पूर्व वर के दाहिने पाँव में .. देवदर्शन के लिये अवसर प्राप्त होना । और कन्या के बाएँ हाय और पाँव में २. प्रार्त की सुनवाई होना। ३. मृत्यु बाँवा जाने वाला एक विवाह सूत्र । द्वारा आर्तजन का छुटकारा होना। १२. स्त्रियों के सिर के बालों की चोटी डोरीजणो-(क्रि०) घोड़ी का गर्भ धारण __में गूयने का ऊन का काला मोटा धागा। करना। १३. एक लोक गीत । डोरी लागणी-(मुहा०) १. ईश्वर के ध्यान डोल- (ना०) १. डोल । बालटी। २. कुएँ में लीन होजाना। २.ध्यान मग्न होजाना। से पानी निकालने का एक बरतन । डोरो-(न०) १. पतला धागा। २. गले का डोळ-(न०) १. ढंग । तरीका । २. आकार। एक आभूषण । ३. घी तेल आदि की घाट। ३. खाका । नमूना। ४. बाहरी पतली धार । ४. तैयार होते हुये शाक दिखावा । ढोंग । ५. अन्न को दलने में में खटाई के लिये छोड़ी जाने वाली रह जाने वाला आखा दाना। ६. खोल किंचित छाछ की धार । ५. आँख में (धानी) का बिना फूटा हुप्रा दाना। दिखाई देने वाली लाल डोर। ६. धुएँ डोळ चालणी-(ना०) दाल चालने की या गर्द की उठी हुई लंबी रेखा । ७. कुएँ चलनी । धान्य के डोळ (पाखे) दाने जुदे पर चक्र की धुरी से संलग्न घिरनियाँ जो करने की चालनी।। पानी निकालने वाली बैलों की जोड़ी डोलची-(ना०) १. छोटी डोल । २. चमड़े के चलाने से चक्र चलने के साथ चक्कर - की डोल । ३. पानी की गेहर के खेल में खाती रहती हैं। इनमें से एक पर लपेटा पानी से चोट मारने की एक विशेष प्रकार हुआ धागा चक्र के चलने के साथ दूसरी की मुटु वाली डोल । For Private and Personal Use Only Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डोलण हीडो ( ५२१ ) ढंगलाबंध डोलण हीडो-दे० डोलर हीडो। की एक विवाह प्रथा। २. कुएं में से डोलणो-(कि०) १. कंपायमान होना । २. पानी निकालने का एक पात्र। ३.पालकी । हिलना । इधर उधर होना । ३. झूलना। पीनस । ४. घूमना। फिरना। ५. डगमगाना। डोळो (न०) १. आँख का कोया। डेला । विचलित होना । ६. कंपायमान करना। २. अांख । ७ नाश करना । ८. डरना । ६. डराना। डोळो डूबरणो-(मुहा०) १. मन मानना । डोळपो-दे० डहोळणो। २. इच्छापूत्ति होना। डोळदार-(वि०) १. जिसका खाका अच्छा डोवटी-(ना०) १. एक प्रकार का मोटा बना हो । २. सुन्दर । सुघड़। कपड़ा । २. अोढ़ने का एक वस्त्र । डोलर हीडो-(न०) एक प्रकार का चक्कर डोह-(न०) द्रोह । शत्रुता । (ना०) मस्ती । __ में धूमने वाला झूला । हिंदोल। डोहणो-(क्रि०) १ विलोड़ित करना । डोळा उघडणो-(मुहा०) अक्ल ठिकाने मंयन करना । २. कंपायमान करना । ३. पाना । अाँख उघडणी भय उत्पन्न करना। ४. मारना । ५. नाश डोळा काढणो-(मुहा०) १. क्रोध या उपेक्षा करना । ६. मैला करना। गंदला करना से देखना। २. क्रोध करना। (पानी को)। डोहळणो। डोली-(ना०) कुएँ से पानी निकालने की डोहळणो-(क्रि०) पानी को गंदला करना। • डोल । दोलिका। डोळी-(ना०) १. पुण्यार्थ दी हुई भूमि। डोहळी-(ना०) दान में दी हुई खेत आदि दान में दी हई खेती प्रादि की जमीन । की जमीन । द्विहल्या । दोहळी । डोळी । २. एक प्रकार की पालकी। डोला । ३. डोहळो-(वि०) गॅदला । मैला (पानी) घायलों को उठा कर ले जाने का अरथी ड्योढहथी-दे० डोढ़हथी। जैसा एक साधन । डोली । स्ट्रेचर। ड्योढी-दे० डोढी । डोलो-(न०) १ पाणिग्रहण के लिये कन्या ड्योढीदार-दे० डोढीदार । को डोली में बिठाकर दूल्हे के यहाँ पहुँचने ड्योढा-दे० डोढो। ढ-संस्कृत परिवार की राजस्थानी भाषा के ढका-दे० ढक्को । टवर्ग का चौथा मूर्ध स्थानीय व्यंजन। ढक्को -(10) १. बड़ा ढोल । २. बड़ा ढक-(न०) १. मूला। मूळो। (जैस.) २. नगाड़ा । ढक्का । ढक । ढक्कन । ढाकरणो । ३.बड़ा ढोल । ४.बड़ा ढग-दे० ढिग। नगाड़ा। ढक्का। ढकणी-दे० ढाकणी। ढगण-(न०) काव्य में एक मात्रिक गण जो ढकणो-दे० ढाकरणो। तीन मात्राओं का होता है। ढकोसळा-(नम्ब०व०) १. पाखंड । ढोंग। ढगळ-(न०) १. ढेला । २. ढेर । राशि । २. बनावटी रोना-धोना। ढगलाबंध-(वि०) बहुत । अधिक । ढेरों। For Private and Personal Use Only Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढगली ( ५२२ ) ढळणो ढगली-दे० ढिगली। ढोल का शब्द । २. ढोल का एक ताल । ढगलो-(न0)ढेर । पुंज । राशि । ढिगलो। ढरडो-(न०) १. पुराने रिवाज का अनुढचरका-(न०ब०व०) १. ढोंग । पाखंड । सरण। ढर्रा । २. खोटे रिवाज का ___ ढकोसले । २. नखरा । अनुसरण । अंधानुकरण । ३. दृष्टानुढचरो-(न०) पाखंड । ढोंग । (वि०) वृद्ध।। सरण । देखादेखी । ४. स्वभाव । आदत बुड्ढा । (अनुचित) ५. शैली । ढंग । ढर्रा । ६. ढचूपचू-(वि०) १. डावांडोल । डिगमिग । कुप्रथा । खोटा रिवाज । हरों। २. अनिश्चित । ढर्रा-दे० ढरड़ो। ढदो-(न०) १. 'ढ' अक्षर । ढकार । २. जड़ ढळ-(न०) १. अस्त होने की क्रिया या - मनुष्य । सर्वथा अज्ञान मनुष्य । भाव । २. ढेला। ३. पहाड़ के पास की ढपला-(न०ब०व०) १. ढोंग । पाखंड । २. रक्षित भूमि । कृत्रिम रोना । चरित्र । ढळकरणो-(क्रि०) १. गिर कर बहना । २. ढब-(ना०) १. ढंग । युक्ति। रीति । २. आँसू ढरकना । आँसू बहना। ३. किसी रचना । बनावट । ३. तदबीर । उपाय ।। वस्तु का हिलते हुए दिखना । ४. लोलक ४. पसंद । ५. वश । अधिकार । ६. अव की भांति हिलना। सर । मौका । ७. सुविधा । सहूलियत । ढळकावणो-(क्रि०) १. हिलाना । २. ढबरणो-(क्रि०) १. निभना । निर्वाह होना । गिराना। ३. लुढ़काना। ४. बहाना। २. ठहरना । रुकना। ढबदार-(वि०) १. ढबवाला। २.वशवाला। (प्रांसू)। आंसू ढरकाना । ३. पसंद वाला । ४. छटादार । __ढळको-(न०) अाँख से पानी गिरते रहने ढबू-दे० ढब्बू । ___ का एक रोग । ढलका। ढब्बू-(वि०) मूर्ख । जड़। (न०) १. दो ढळरणो-(क्रि०) १. नक्षत्रों का मध्याकाश में पैसों का मोटा और पुराना ताँबे का एक प्राकर पश्चिम की ओर जाना। प्रस्त सिक्का । २. टका । दो पैसे। ३. पौने होने के निकट या स्थिति में माना । ग्रहों दो तोले का एक तोल । का अस्ताचल की ओर जाना। २. पात्र ढमक-दे० ढमको। में से पानी तेल आदि प्रवाही पदार्थ का ढमक-ढमक-(न0) ढोल के बजने की। गिरना, बहना या बाहर निकलना । ३. आवाज । घोड़े, ऊंट आदि का जंगल में चरने जाना। ढमकरणो-(क्रि०) ढोल का बजना । ४. चलना । रवाना । जाना। ५. पलंग, ढमकारणो-(क्रि०) ढोल बजाना । जाजम प्रादि का सोने-बैठने की स्थिति ढमकावणो-दे० ढमकारणो। में होना या बिछाया जाना । ६. पिघली ढमको-(न०) ढोल बजने का शब्द । हुई धातु का साँचे में ढाला जाना । ७. ढमढम-दे० ढमक ढमक । ठहरना । विश्राम करना । ८. अचेत ढमक-दे० ढमक । होकर गिर पड़ना। ६. बीतना । १०. ढमंकणो-दे० ढमकणो। मरना । ११. एक ओर झुकना । १२. ढमाक-दे० ढमको । अमुक वृत्ति की ओर झुकना । १३. देवता ढमाढम-(न०) १. ढोल बजने की आवाज । के ऊपर चमर का फिराया जाना। For Private and Personal Use Only Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढळती ऊमर । ५२३ ) ढळती ऊमर-(ना०) बुढ़ापा । ढसड़णो-(क्रि०) जमीन पर रगड़ते हुए ढळती छाया-(ना.) १. फिरते दिन । २. खींचना । घसीटना। दुर्भाग्य के दिन । ३. दुर्भाग्य । ४. ढहणो-(क्रि०) १. गिरना । पड़ना। २. सौभाग्य के दिन । ५. सुदिन । मरना । नष्ट होना। ३. किसी उभरी, ढळती छींया-दे० ढळती छाया । उठी हुई या उठाई हुई वस्तु का गिर ढळती रात-(ना०) पिछली रात । जाना । जैसे—दीवाल आदि । ढळती वेह-दे० ढळती ऊमर।। ढहाणो-(क्रि०) १. गिराना। २. ध्वस्त ढलता दिन-(न०) वृद्धावस्था । करना । नाश करना । ३. गिरवाना । ४. ढळतो दिन-(न०) १. मध्यान्ह के बाद का ध्वस्त करवाना । नाश करवाना। दिन । दुपहर के बाद का समय । २. ढहावरणो-दे० ढहाणो। दिन का चौथा पहर। . ढंक-(न०) १. ढक्कन । २. कोप्रा । ३. ___ ढोल । ढक। ढळमो-(न०) १. साँचे में ढला हुआ। २. ढंकणो-(ना०) ढकनी । ढाकरणी। जो एक अोर नीचा हो । ढलुमा । ढालू । ढंकरणो-(क्रि०) १. ढक जाना । २. ढक ढळाई-(ना०) १. चढ़ाई से उलटा । देना । ढकना । (न०) ढक्कन । ढाकणो। उतार । नीचाई। ढलाई। २. किसी ढंग-(न०) १. तरीका । ढब । रीति । २. धातु आदि को गला कर सांचे में ढालने चालढाल । बर्ताव । ३. असार । का काम । ३. ढालने को मजदूरी।। लक्षण । रंगढंग। ४. प्रकार । तरह । ढळारण-दे० ढळोख । ५. दशा । हाल । ढळामण-(ना०) ढालने की मजदूरी । ढंगढाळो-(न०) १. रहन सहन । बरताव । ढलाई। आचरण । २. बनावट । आकार । ढंग । ढळाव-(न०) उतार । नीचाई। चढ़ाई से । ३. रंग ढंग। लक्षण । ४. व्यवस्था । उलटा। प्रबंध । ५. हालत । दशा । ढलावणो-(क्रि०) १. साँचे में ढलवाना। ढंगसर-(कि०वि०) १. अच्छी प्रकार से । २. किसी वस्तु को कोई प्राकार देना। सुचारू रूप से । २. तरकीब से। क्रमशः । ३. पानी प्रादि प्रभाही पदार्थ को गिरवा ढंगी-(वि०) १. ग वाला। ढंग से रहने देना । दुलवाना। वाला। २. कार्य व परिश्रम में प्रथम ढळोख-(ना०) १. ढाल । ढालू जगह । २. नहीं आने वाला। पीछे रहने वाला। नीचे की प्रोर । चढ़ाई से उलटा । जिसकी गणना काम करने ( की क्षमता ढलाई । उतार । ढळाव। वालों) में पश्चाद्वर्ती रहती हो । ३. ढलांत-दे० ढलाँख । बिना ढंग वाला। ढळो-(न०) १. मिट्टी का ढेला । (वि०) १. ढंचो-(न०) १. साढ़े चार का पहाड़ा। मूर्ख । प्रज्ञ । २. पालसी । सुस्त । ढाँचा। २. साढ़े चार का माँक । '४|| ढलो करणो-(मुहा०) १, छोड़ना । २. (वि०) साढ़े चार। काम करना छोड़ना। ३. हाथ में लिये ढंढ-(न०) १. पानी का नेस। २. मिट्टी से हए काम या बात को अधूरा छोड़ना। भरा हुआ पुराना तालाब । ३. ढोर । ढल्लीस-(न०) दिल्लीश । दिल्ली का पशु । बाढो। (वि०)१. पोला। खोखला। बादशाह। २. ना समझ । मूर्ख । For Private and Personal Use Only Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढंढेरो । ५२४ ) ढारणं ढंडे रो-(न०) ढिंढोरा । मुनादी । घोषणा। ३. छत्ररूप गुरुजन । ४ पति । ५. ढंढोळो। राजा । ६. ढक्कन । ७. संरक्षक । ढंढोरो-दे० ढंढेरो। ढाकरिणयो-(न0)१. ढक्कन । २. संरक्षण । ढंढोळणो-(क्रि०) १. खोजना । तलाश (वि०) १. ढकने वाला। २. संरक्षक । करना । ढं ढ़ना । २. इधर-उधर हिलना। ढाकरणी-(ना०) १. ढकनी। छोटा ढकना। ३. जोर से हिलना । ४. खोसना । २. घुटने के ऊपर की गोल हड्डी का लूटना। टिकला । घुटने की ढकनी । ढंढोळियो-(न०) ढंढोरा पीटने वाला । ढाकणो-(क्रि०) १. ढकना । ढाँकना । २. ढढोरची। ढंढोळो-दे० ढंढेरो। बंद करना । (न०) ढक्कन । ढाई-(वि०) दो और प्राधा । ढाई । (न०) ढाको-(न०) १. ढक्कन । २. छत्र । ३. आच्छादन । ढाई का प्रांक । २॥' अढ़ी। (२) (ना०) ढागली-दे० ढागी। १. अवसर । मौका । २. अनुकूलता । ढागी-(ना०) १. गाय । २. बूढ़ी गाय । सीधी स्थिति । अविरुद्धता । ढागली। ढाई अाना-(नम्ब०व०) १. ब्रिटिश राज्य के ढागो (न0) १. ऊंट। २. बैल । ३. बूढ़ा समय के एक रुपये के १६ पाने अथवा ६४ । बैल । ४. लबे कद का बेडौल व्यक्ति । पैसों के हिसाब से १० पैसे । २. दस पैसों (वि०) मूर्ख । जड़। की संज्ञा । ३. ानों में लिखा जाने वाला १० पैसों का चिन्ह । 'का' अढी ढाट-(न०) धाट देश । दे० धाट । ढाटो-(वि०) १. धाट देश का निवासी। आना। ढाई करोड़-(वि०) दो करोड़ पचास लाख । घाटी। २. धाट देश संबंधी। धाट देश का। (न०)ढाई करोड़ की संख्या। २५००००००' अढी करोड़। ढाटो-(न०) मोटे कपड़े का बड़ा साफा ढाई फोड़णो-(मुहा०)१. काम सिद्ध होना। जिसका एक सिरा कनपटियों और डाढ़ी २. किसी कठिन काम का सरलता से को ढके रहता है । ढट्टा । धाटो । पार लग जाना। ढाढ-(ना०) जोर से रोने की आवाज । ढाई सौ-(वि०)दो सौ और पचास । (न०) ढ ढरण-(ना०) ढाढी की स्त्री । ढाढिन । ढाई सौ की संख्या । '२५०' अढी सौ। ढाढणो-(फि०) १. जोर से रोना। २. ढाई लाख-(वि०) दो लाख पचास हजार। ढाड़ना । चिल्लाना। (न०) दो लाख पचास हजार की संख्या। ढाढस-(ना०) १. दिलासा । सांत्वना । २५००००' प्रढी लाख । धैर्य । २. दृढ़ता। ढाई हजार-(वि०) दो हजार पाँच सौ। ढाढी-(ना०) १. बधाई के गीत गाने वाली (न०) ढाई हजार की संख्या । '२५००' एक जाति । (न०) ढाढी जाति अढी हजार । का पुरुष । ढाक-(10) १. पलाश वृक्ष । २. ढक्कन । ढाण-(न०) १. स्थान । २. मुकाम । ३. ढाकड़ो-दे० ढाक । घर । ४. किला । ५. मध्य गति से दौड़ने ढाकरण-(वि०) रक्षक । शरण में रखने की ऊंट की एक चाल । ६. चाल । बाला। (न०) १. माता पिता । २. गुरु। ७. ढंग । ८. नाश । ६. प्रवाह । For Private and Personal Use Only Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढाणी ( ५२५ ) ढालियो ढाणी-(ना०) १. मुकाम । २. पांच सात ३. बचाव का साधन । पाड़ । ४. माता घरों की बस्ती। पांच सात घरों की पिता गुरुजन आदि । (वि०) रक्षक । बस्ती का गांव । ३. खेत में रहने के बचाने वाला। लिये बनाया हुआ झोंपड़ा। ४. अस्थाई ढाळ-(ना०) १. वह जगह जो बराबर नीची निवास। होती हुई चली गई हो । उतार । चढ़ाई ढारणो-(न०) १. मुकाम । २. यात्रा के बीच का उलटा। २. ढलवां जमीन । ३. किया जाने वाला विश्राम । पड़ाव । ३. आकार । ४. गाने की पद्धति । तर्ज । चरस का पानी खाली करने का थाला। लय । राग । ५. तरीका । ढब । थाळो । कोठो। श्राचरण । (अव्य) प्रकार । भांति । ढारणोढारण-(प्रव्य०) पड़ाव दर पड़ाव। ढाळ-उतार- वि०)क्रम से छोटा। गावदुम । प्रत्येक विश्राम स्थान । गोपुच्छवत् । ढाब-(ना०) ५. रोक । २. मर्यादा। ३. ढाल-उथाळ-(वि०)१ शत्रुओं की ढालों को प्रतिबन्ध । उथलाने वाला । २. वीर । ढाबरिणयो-(वि०) १. रक्षण देने वाला। ढाळकी-(ना०) सोने या चाँदी को गलाकर शरण देने वाला । २. रोकने वाला। ३. रेजे में ढालकर बनाई हुई पतली छड़ । निर्वाह करने वाला। कदला । कंदली । गुल्ली। रवी । ढाळी। ढाबरणो-(क्रि०) १. रोकना । २. थामना। ढाळको-(न०) धातु को गलाकर रेजे में पकड़ना । ३. वश में रखना। ४. शरण ढाला हुइ लम्बा माटा गुल्ला - लाल ढाली हुई लम्बी मोटी गुल्ली . ढालका । देना। आश्रय में रखना। ५. सांत्वना कदला । देना । आश्वासन देना। ६. निभाना। ढालगर-(न०) ढालें बनाने वाली जाति का व्यक्ति । निर्वाह करना। ढाळणो-(क्रि०) १. गलाने से पुनः ठोस ढाबरियो-(न०) कूटे से बनाया हुआ एक बन जाने वाले पदार्थ को गले हुए रूप में छोटा पात्र । टोकरी । ठाठियो। प्राकृति देने के निमित्त साँचे मे उँडेलना। ढाबलियो-दे० ढाबरियो । सांचे में ढालना । २. बिछाना। लगाना। ढाबो-(न०) १. कूटे से बनाया हुआ एक खाट, जाजम आदि बिछाना। ३. गिराना बड़ा पात्र । टोकरा । ठाठो। २. मुर्गा (प्रांसू)। ४. पात्र में से द्रव पदार्थ को मुगियों को बन्द करने का एक टोकरा। बहाना। ५. घोड़े, ऊट आदि को चरने ३. मूल्य देकर खाना-पीना प्राप्त करने के लिये जगल में छूटा छोड़ना । ६. का स्थान । साक-रोटी की दुकान ।। मारना। बीसी । लॉज । २. झोंपड़ा । झूपड़ो। ढाळदार-(वि०) उतारवाला । ढालवाला। ढामक-(न०) १. बड़ा ढोल । २. बड़ा । ___ढलुवाँ । नगाडा । टामक । ढालांत-(ना०) ढालू जगह । ढलाव । ढायो-दे० अढियो। उतार । ढलाई। ढाल-(ना०) १. तलवार आदि शस्त्रों के ढाळियो-(न०) १. खपरेलों से छाया हुआ प्रहार का रोकने का एक साधन । ढाल वाली छत का छपरा । अगढाळियो। फलक । २. युद्ध में हाथी की ललाट पर इकपलिया। २. एक ओर ढालू छत वाला कसा जाने वाला फलक । हाथी-सिपर। वरंडा या साल । For Private and Personal Use Only Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सक डाळी ( ५२६ ) ढाळी-दे० ढाळकी। . ढांचा । भारभरा । भार लदा । ३. बनाढालू-(न०) कर (करील) का पका हुआ वट । गढ़न । ४. प्रकार । भौति । फल । पका हुप्रा लाल कैरफल । ढेलू । ढांडो-दे० ढांढो । पीचू । - ढाँढी-(न०) १. मरा हुआ पशु । २. बूढा ढाळ -(ना०) चढ़ाई से उलटा । ढलाई। पशु । ३. बूढी गाय । उतार । नीचाई। (वि०) ढलुवा । २. ढांढो-(न०) १. पशु । २. मरा हुआ पशु । ढलाई की ओर का। (वि०) मूर्ख । गवार । ढाळो-(न०)१. रिवाज । पद्धति । तरीका। ढाँपणो-(क्रि०) ढकना । (न0) ढक्कन । २. रहन सहन । चाल-चलन । ३. यात्रा ढकरणो। के बीच में किया जाने वाला विश्राम। ढिग-(न०) १. राशि । पुज । ढेर । ढिगलो। विश्रांति । पड़ाव । (क्रि०वि०) १. निकट । पास । कने । २. अोर । तरफ । ढाळोढाळ-(क्रि०वि०) १. क्रमानुसार । सिलसिले वार । २. ढाल-उतार । ३. ढिगल-(न०) ढेर । राशि । ढगलो। ढिगला बंध-दे० ढगला बंध । ढलाई की ओर । ४.क्रम से उतरता हुप्रा । (वि०) एक के बाद एक-दूसरा। (न०) ढिगली-(ना०) छोटा ढेर । ढेरी । ढगली । छोटी मोटी वस्तुओं का क्रम । ढिगलो-(न०)१.ढेर । राशि । २. मटाळो। कचरा। ढावो-दे० ढाहो। ढिग्गो-(न०) १. टीबा। २. रेत या मिट्टी ढाहणहार-(वि०) गिराने वाला। नाश ___ का ढेर । धूंबो। ३. ढेर । दिगलो। करने वाला। ढिब्बो-दे० ढिग्गो। ढाहणो-(क्रि०) १. मारना । नष्ट करना । ढिलड़ी-(ना०) १. दिल्ली का एक काव्यानु२ गिराना । ढाहना। मोदित नाम । २. मयूरी । मोरणी। ढाहो-(न०) १. नदी का ऊंचा किनारा। लड़ी। ढाहा । ढावो । २. किनारा। ढिलाई-(ना०) १. ढीला होने का भाव । ढोंक-(न०) १. ढक्कन । २. कलंक । २.सुस्ती । शिथिलता । ३.बिलंब । देरी। ढाँकरण-दे० ढाकण । ढिल्ली-(ना०) दिल्ली शहर । ढांकरणी-दे० ढाकरणी। ढिल्लीपत-दे० ढिल्ली। ढाँकरणो-दे० ढाकणो। ढिल्लीवै-(न०)१. दिल्लीपति । २.सम्राट । ढांगी-(वि०) दे० ढांगो। बादशाह । ढाँगो-(वि०) १. छितरी या बिखरी हुई ढिल्लीस-दे० ढल्लीस या ढिल्लीवै । बस्ती वाला (गाँव)। घटती आबादी ढी-(ना०) १. गो। गाय । २. गाय को वाला। २. निर्जन । ३. भद्दा । कुरूप। पानी पिलाने के समय उच्चार किया जाने असुदर । ४. ढंग रहित । (स्त्री० ढाँगी) वाला एक शब्द । ३. गाय की बछिया । ढाँचो-(न०) १. किसी वस्तु को तैयार करने टोगड़ी। के पूर्व बनाया जाने वाला उसका पूर्व ढीग्रो-गाय का बछड़ा। टोगड़ो। दे० 'ढी' रूप । खाका । डोल । २. पशुओं की पीठ सं० २. पर कसा जाने वाला भार भरने का ढीक-दे० ढींक । For Private and Personal Use Only Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ५२७ ) ठीकड ढीड़ - ( fao) श्रमुक | फलौं । ढकड़ सिंघ - ( न० ) १. अमुकसिंह | अमुक व्यक्ति । २. बहादुर आदमी ( व्यंग में) ढीकड़ो - ( fao) अमुक । फलाँ । ढिमक । फलागो । ढीली - ( ना० ) एक प्रकार की तोप । छोटी ढीलोढाळो - (वि०) सुस्त | बहुत सुस्त । प्राळसी । तोप । ढीट - (वि०) घृष्ट । निर्लज्ज । ढीठ । धीट । ढोटो | ढीटो-दे० ढीट । ढीठ- दे० ढीट । ढीम - ( न०) व्रण | छाळो । ढीमको - ( fao) अमुक । फलाँ । ढिमका । फलारगो । ढोकड़ो । मो - (०) १. ॐ श्रा । २. कुएँ से पानी निकालने का एक यंत्र । ढेंकली । ३. कुएँ पर लगी ढेंकली वाला खेत । ४. व्रण । गाँठ । छाळो । ढीमो - (न०) उत्तर गुजरात के प्राचीन एवं प्रसिद्ध धरणीधर ( वाराहपुरी) तीर्थस्थान का आधुनिक नाम । ढेमो । धरणी धर । ढीमोळी -लींगोळी | ढीरो - ( न० ) अनेक कंटीली शाखाओं वाली बड़ी टहनी । कांटों वाली टहनी । ढील - ( ना० ) १. छूट । स्वतंत्रता । अवकाश । २. देरी । विलंब । ३. सुस्ती । ४. तनाव का प्रभाव । ५. उपेक्षा । लापरवाही । ढोलढाळो - ( न०) हाथी । ( वि० ) सुस्त | .. ढीलो । ढोलंगो - (वि०) प्रालसी । सुस्त । ढीलाई - दे० ढिलाई | ढीलापण - ( न० ) ढीलापन । शिथिलता । ढीलो - (वि०) १. ढोला । मंद । काहिल । २. सुस्त । ३. पस्तहिम्मत । ४. कमजोर । ५. शान्त । ६. नरम । ७. जो कसा न हो । ८. जो खींचाई में शिथिल हो । ६. जो Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुकान तंग न हो । तंग न हो । १०. जो पहनने में ११. जो सख्त न हो । ढीला | १२. जो बहुत गाढ़ा न हो । ढलोटस - (वि०) १. बिलकुल ढीला । २. ढींक - ( न० ) १. मांसाहारी पक्षी विशेष । २. गिद्ध पक्षी । गोध | ढीकरण - दे० ढीकड़ । ढकली - ( ना० ) १. कुएँ से पानी निकालने का साधन । चोंच । ढीमड़ी । ढेंकली । २. एक छोटी तोप । ढकेल - (०) रहँट का एक उपकरण । ढींग - दे० धींग | ढींगोळी - ( ना० ) १. स्त्रियों का एक व्रत जिसमें ब्राह्ममुहूर्त में नहा धोकर श्रौर पूजा करके भोजन कर लिया जाता है। और दिन भर उपवास रखा जाता है । धींगोळी । ढींच - ( न० ) १. हाथी । २. एक बड़ा पक्षी । ढींचरण - ( न०) घुटना । गोडो । ढींचाळ - ( न०) हाथी । दुई - ( ना० ) १. बाजरी जुम्रार के डंठलों आदि का महीन चारा । चारे की कुट्टी । कुतर । २. रीढ़ के नीचे का वह भाग जहाँ कूल्हे की हड्डियाँ मिलती हैं । त्रिक । ३. कमर । कड़तू । दुप्रो - ( न० ) १. रीढ़ के नीचे का भाग जहाँ कूल्हे की हड्डियाँ मिलती हैं। पीठ के नीचे का भाग । हो । २. संगठन । ३. दल । ड ढुकारणो - दे० ढुकावणो । ढुकाव - ( न० ) १. उपस्थिति । श्रागमन । २. विश्राम । ३. बरात का आगमन । ४. बरात आगमन का सदेश । ५. बरात की शोभा यात्रा । ६. बरात का स्वागतोत्सव | सामेळो । For Private and Personal Use Only Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुरो (५२) ठुकावणो-(त्रि०) १. काम में लगाना। अनुमार बन जाना। ११. काम पर २. काम शुरू करवाना। ३. काम पर लगना । लगवाना। सपादन करवाना । काम को ढूब - (ना०) पीठ का टेढ़ापन । कूबड़ । पार लगवाने में सहायता करना । तज- दूबी-(वि०) कुबड़ी। वीज करना। ४. काम बनाना। ५ मन दो-(वि०) कुबड़ा। में जंचाना। ६. निकट ले जाना। ७. टूल-(न०) १. पक्षियों का झुड । पक्षी माप के अनुसार बिठा देना। समूह । २. दल । समूह । ढुगली-दे० ढिगली। दूळ-(न०) समूह । मुड । ढुगलो-दे० ढिगलो। दूळड़ी-दे० ढूली। इलियो-(न०) चबेना बेचने वालों का एक दुळगो-(क्रि०) १. ऊपर-नीचे या इधर __ माप-पात्र । पायलो। उधर होना, फिरना । २. वारा जाना । ठूली-(ना०) १. गुड़िया। २. दिल्ली। (चॅवर का)। चँवर का ढोला जाना । दिल्ली। ३. मोहित होना। ४. न्योछावर होना । ढलीपत-दे० ढिल्लीपत। ५. गिरना । फैलना । (पानी का) ६ गिर दलो-(वि०) १. भयभीत । डरा हुआ । २. कर बहना । बरतन में से पानी आदि द्रव डरपोक । ३. गावदी। नासमझ । ४. पदार्थ का गिरना। ७. प्रस्थान करना । पालसी। ५. स्त्रीजित । स्त्रण । ५. ८. मेहरबानी करना। नामर्द । (न0) ढूली का नर । गुड्डा । दुही-दे० दूही। दूसरी-दे० ढूसी। ढुहो-दुनो। ढूसी-(ना०) जुगार, बाजरी आदि के डंठलों ढूंढ-दे० ढूढ। का महीन चारा । घास की कुट्टी। कुतर। ढुंढराव-(न०) सिंह । शेर । दूही। दुढा-(ना०) हिरण्यकशिपु की बहिन । टूटी-दे० ढूसी। ढुंढाड़-दे० ढूंढाड़। ढूहो-(न०) १. ऊची जमीन । २. टीला । दुढाहड़-दे० ढूंढाड़। ढि राज-(न०) श्रीगणेश । ३. चूतड़ । नितंब । ४. किसी वस्तु का उठा हुआ भाग। ढंढो दे० ढूढो। दूंग-(न०) १. ढोंग । दंभ । २. नितंब । ढूई-दे० ढूही। ढूगरी-(ना०) घास की ढेरी । घास को टूकड़ो-(क्रि०वि०) नजदीक पास । निकट । चुन कर लगाई हुई ढेरी। नडो। कनै । नजीक । दंगारगो-दे० धूगारणो। दूकरणो-(क्रि०) १. बनना। सम्पन्न होना। दगी-(वि०) १. छद्मवेशी । २. ढोंगी। काम होना। २. लगना। प्रवृत होना। दभी। ३ पहुँचग। ४. प्रारंभ होना। ५. प्रारभ ढुंगो-न०) चूतड़ । नितंब । ढेको। करना । ६. संगति करना। साथ करना। ढूढ-(ना०) १. प्रथम होलिका दहन के समय ७. साथ होना। ८. अँचना। उचित . (रात को) गाँव के मुखिया और पुरोलगना । ६. निकट आना। संपक में हितों द्वारा नवजात शिशु को उसके घर पाना। १०. किसी वस्तु का माप के . जाकर एक लोक-काव्य द्वारा दिया जाने For Private and Personal Use Only Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ढणी वाला आर्शीवचन | २. बच्चे के जन्म के पश्चात् की प्रथम होली पर होलिका-दहन के बाद ( घुल हटी के प्रातः ) ढूंढा से किये जाने वाले बच्चे के विवाह का उत्सव | ३. तलाश । खोज । निगे । ४. घर । ५. झोंपड़ा । ढूंढो - ( क्रि०) १. तलाश करना। खोजना । निगे कररणी । २. होलिका दहन के बाद बच्चे की ढूंढ करना । ढूंढाड़ - ( न०) १. जयपुर के पास का एक प्रदेश | जयपुर राज्यान्तर्गत एक प्रदेश | २. जयपुर राज्य का नाम । ढूंढाड़ी - ( ना० ) १. ढूंढाड़ प्रदेश की बोली । (वि०) १. ढूंढाड़ से संबंधित । २. ढूंढाड़ प्रदेश का रहने वाला । ढूंढिया - (To) होलिका दहन के पश्चात् नवजात शिशु के घर जाकर ढूंढ कराने वालों का दल । ( ५२६ ) ढूंढिया पंथ - ( न० ) जैनधर्म का एक पंथ । ढूंढियो - (०) १. जैनधर्म के ढूंढ़िया-पंथ का साधु । २. जैनधर्म के ढूंढिया पंथ का अनुयायी । बाईस टोला जैन संप्रदाय का अनुयायी । ३. घर । ढूंढो । ढूंढो - ( न० ) १. पुराना घर । २. घर । मकान । ३. खंडहर । ४. कच्चा मकान | ढूसो - (०) १. श्रोढ़ने का मोटे रेशम का एक कपड़ा । घुस्सा | मोटे रेशम की सफेद चादर । घूंसो । २. ऊनी चादर । लोई । लोवड़ी । 1 ढेको - (०) चूतड़ | नितंब | दूंगो । ढेटाई - ( ना० ) धृष्टता । ढिठाई । टाई | ढेटी - (वि०) १. निर्लज्ज । निलजी । धेटी । २. कुटिला । ढेटो - (वि०) १. धृष्ट । निर्लज्ज । ढीट | धेटो । निलजो । २. कुटिल । ढेड - ( न० ) १. इस नाम की अंत्यज जाति का मनुष्य । ढेढ़ । २. मरे हुये पशुओं डेरवणो का चमड़ा उतारने का काम करने वाली जाति । ढेडरण - ( ना० ) १. ढेढ़ की पत्नी । २. ढेढ़ जाति की स्त्री । ढेरणी-दे० ढेडरण | ढेडवाड़ो - ( न०) १. ढेढ़ों का मोहल्ला । २. गंदी बस्ती | ढेढ-दे० ढेड | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ढेर - दे० ढेड | ढेढणी - दे० ढेडी | ढेढियो- ( न०) १. एक रंग । २. ढेढ़ । ढी - ( ना० ) १. बिना मजदूरी (पारिश्रमिक ) का काम । बेगार । २. ढेढ़ का काम | ३. नित्य प्रपंच । नित्य की भंझट । ढेपो - ( न०) १. जमी हुई गाढ़ी वस्तु की मोटी तह या दल । २. गली हुई वस्तु का (ठंडा हो जाने से ) जमा हुआ टुकड़ा । थक्का | चक्का । ३. मिट्टी मिला हुआ कंडा । ढेबरा । ढेबरी - ( ना० ) १. किवाड़ की चुल के नीचे रहने वाली लोहे की ढेबरी जिस पर किंवाड़ घूमता है । ऊखळी । २. खूंटी या कील लगाने के लिये दीवाल में लगाया जाने वाला काठ का टुकड़ा । ४. तरबूज, ककड़ी आदि फल में उसकी परीक्षा के लिये बनाया हुआ चकता । डगळी । ढेबरो - दे० सोगरा | ढेमो-दे० ढीमो । I ढेर - ( न० ) राशि | ढिगलो । ( वि०) बहुत । अधिक | घरो । ढेरो दे० ढेरवणो । ढेरवणो - ( क्रि०) १. वाहन - पशु को रोकने के लिये उसकी लगाम को खींचना । २. रोकना । ३. ध्यान देना। बात ऊपर विचार करना । ४. कान लगाना । ५. ढेरे ( रस्सी बटने के उपकरण ) को फिराना । For Private and Personal Use Only Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हेरियो ( ५३.) ढोळ बैठणो देरियो-दे० ढेगे। ढोल-(न0) १. दोनों ओर चमड़ा मढ़ा हुआ ढेरी-(ना०) ढेर । राशि । ढगली । ढिगली। एक बड़ा बाजा। २. पानी अादि भरने (वि०) मूर्खा । का ढोल के समान लोहे आदि का बड़ा ढेरो-(वि०) १. मूर्ख । २. पालसी । (न०) पात्र । एक उपकरण जिससे रस्सी बटी जाती ढोलक- दे० ढोलको । है। फिरकी। ढोलकी-(ना०) लकड़ी के गोल खोखले घेरे ढेल-(ना०) मोरनी । मयूरी । ढेलड़ी। के दोनों ओर चमड़े से मँढा हुआ एक ढेलड़ी-(ना०)१. दिल्ली नगर । २. मोरनी। वाद्य जो ढोल से छोटा होता है । मयूरी। ढोलड़ी-(ना०) छोटी चारपाई । खटिया। ढेलड़ीपत-(न०) १. दिल्लीपति । २. ढोलण-(ना०) १. ढोली का स्त्री। २. बादशाह । ढोली जाति की स्त्री। ढेलणी-दे० ढेलड़ी। ढोलणो-(ना०) स्त्रियों के गले का एक ढेलू-दे० ढालू । गहना। ढेलो-(न०) मिट्टी, पत्थर आदि का टुकड़ा। ढोळणो-(क्रि०)१. किसी बरतन में से पानी ढेला। आदि द्रव-पदार्थ को गिराना । उड़ेलना । ढेसो-दे० ढेपो। २. चंवर को ऊपर हिलाना। चंवर ढणो-दे० ढहणो। ढालना। ३. हवा डालना । (पंखे से) । लैवरणो-दे० ढहणो। (पंखा) झलना। टैंकरणो-(कि०) १. गाय आदि पशुओं का ढोल-रो-ढमको-(न०) १ ढोल बजने का खाँसना । २. रंभाना । __ शब्द । २. ढोल पर नाचने का ताल । लैंचाळ-(न०) हाथी। ढोळा-(नम्ब०व०) १. खुशामद । चापलूसी । ढोई (ना०) १. आश्रय । २. सहारा। २. झूठी 'हाँ' या स्वीकृति । ३. झूठा ढोप्रो-(न०) १. अाक्रमण । ढोवो । २.लूट । आश्वासन । ४. व्यर्थ महमानगिरी। ३. वजन । भार । ढोळा देणा-(क्रि०) १. हाँ में हाँ मिलाना । ढोकळी-(ना०) १. ढोकले का छोटा रूप। झूठी हाँ भरना । २. बिना काम महमान २. एक व्यजन । (वि०) १. मूर्खा । गिरी करना । २. स्थूल व कुरूपा (स्त्रो)। ढोळा-फोड़ो-(न0) ढोलने-फोड़ने का काम। ढोकळो-(न०) भाप से पकाई हुई एक ढोलारव-(न०) ढोल का शब्द । प्रकार की बाटी। बाफलो। (वि०) १. ढोळावणो-(क्रि०) दुलवाना । मूर्ख । २. कुरूप । ३. मोटा । जाड़ा। ढोळिया-दे० ढोळा । ढोगो-दे० ढोवरणो। ढोलियो-(न०) पलंग । ढोर-(न०)गाय, भैस आदि चौपाया। ढोर। ढोली-(न०) १. ढोल बजाने वाली एक पशु । डंगर । (वि०) १.मूर्ख । २.गॅवार। जाति । २. ढोल बजाने वाला। ढोर-चराई- (ना०) पशुप्रों को जंगल में ढोळं बैठणो-(मुहा०) १. पशु का खड़े नहीं चगने का काम । २. पशुत्रों को जगल में हो सकने के रोग से ग्रसित होना । २. चराने का कर। कमजोर हो जाना । ३. स्थिति का ढोर-डांगर-(न०) पशु । मवेशी । बिगड़ना। For Private and Personal Use Only Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ५३१ ) ढोलो तक ढोलो - ( न०) नरवर का एक प्रसिद्ध राजकुमार जिसका मालवणी और मारवरणी के साथ विवाह हुआ था । २. राजस्थानी लोकगीतों का नायक । ३. ढोला । पति । ४. दूल्हा । ५. मूर्ख व्यक्ति । ५. बोझा उठा कर ले जाना । उठा कर ले जाना । ६. धारण करना । ७.उठाना । ८. ले जाना । ६. सम्हालना । ढोवाई - ( ना० ) १. ढोने का काम । २. ढोने की मजदूरी | दुलाई | ढोळ - (To) खड़े नहीं हो सकने का पशुप्रों ढोवो - ( न० ) १. श्राक्रमण । २. लूट । ३. का एक रोग । ढोल्यो - दे० ढोलियो । ढोवणो - ( क्रि०) १. चलाना । २ दौड़ाना । ३. युद्ध में झोंकना । ४. बोझा उठाना । ण - राजस्थानी में ट वर्गीय मूर्द्धस्थानी अनुनासिक व्यंजन | राजस्थानी वर्णमाला का पन्द्रहवाँ व्यंजन वर्ण । इस अक्षर से प्रारंभ होने वाला शब्द भाषा में नहीं है । वाणी की पाठशाला में इसका मनोरजक त - संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्णमाला का सोलहवाँ और तवर्ग का प्रथम दंत्य व्यंजन वर्ण । ( अव्य०) १. पाद पूर्णार्थं श्रव्यय । २ तो । तब । उस स्थिति में 1 ३. ही । ४. भी । ( सर्व०) उस | उरण | उ । तइ - (अव्य०) तब । उस समय । ( सर्व ० ) उस | उरण | तइयो - दे० तियो सं० २, ३ | तई - (सर्व०) १. तू । २. तेने । ३. तेरे । ४. उस । ( प्रत्य० ) करण और अपादान कारक की विभक्ति । से । तई - दे० तवी | ( वि० ) १. प्राततायी । अत्याचारी । २. दुष्ट । ३. शत्रु । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भार । वजन । ढोहगो - ( क्रि०) गिराना । ढोंग - दे० दूंग | ढोंगी - ० दूंगी | नाम 'राणो तारणो हेल ए' ( राणे ताण्यो सेल है ) पढाया जाता है गरण - ( न०) दो मात्रामों का एक मात्रिक गरण । ( क्रि० वि०) तब । उस समय | ( सर्व ० ) उस । तउ - ( अव्य० ) १. तो । २. तो भी । ( सर्व० ) तू तक - ( न० ) गुड़, खाँड, हुये थेलों को ( भारी नाज आदि के भरे वस्तुनों को) तोलने का बड़ा काँटा । तराजू । भारकांटो । २. मौका | अवसर | उपयुक्त समय । ३. आचरण । व्यवहार । ४. ताक । तलाश । ५. लक्षण । आसार । ६. प्रकार । तरह | ढंग | (श्रव्य ० ) किसी वस्तु या काम की सीमा या अवधि सूचित करने वाली एक विभक्ति | पर्यंत । For Private and Personal Use Only Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तकर ( ५३२ ) तगस तकड़-(न०) एक परिमाण । (ना.) १. तके-(सर्व०) १. 'तको' का बहुवचन । वे । शीघ्रता। जल्दी । २. शक्ति । पहुँच । २. उन । ३. निगाह । सम्हाल । ४. डाँट । डपट । तको-(सर्व०) १. वह । २. उस । ५. तकाजा। तक्षशिला-'न0) दाशरथि भरत के पुत्र तक्ष तकड़ियो-(न०) छोटी तराजू । द्वारा स्थापित एक प्राचीन नगर जो तकड़ी-(ना०) तराजू । ताकड़ी। (वि०) रावलपिंडी के निकट था। यह नगर दृढ़ । मजबूत । गांधार देश की राजधानी और प्रसिद्ध तकड़ो-(वि०) दृढ़ । मजबूत । विद्यापीठ था। तकणो-(क्रि०) १. ताकना । तकना । ताक तखत-(10) तख्त । सिंहासन । में रहना। २. देखना। ३. निशाना तखतियाँ रो काँठलो-(न०) स्त्रियों के गले साधना । साँधना। का एक माभूषण। तकदीर- (ना०) प्रारब्ध । भाग्य । तखती-(ना०) १. पाटी । पट्टी । २. पट्टा। तक-मेळ -(वि०) अवसर वादी । चौकी। तकरार-(ना०) १. शीघ्रता। २. काम तखतो-(न०) १. पट्टा । चौकोर लकड़ी के जल्दी निपटाने की सूचना या चेतावनी। पट्टे का बैठका । २. दर्पण । ३. भगड़ा । बोलनाल । ४. बहस । तखंग-(न0) तक्षक नाग । विवाद । ५. टट्टी को हाजत । शौच-वेग। तगड़-(ना०) १. कष्ट । २. दौड़धूप । ३. तकलीगो-(वि०) सुलभता से प्राप्त होने कठिन परिश्रम । ४. शीघ्रता। उतावल । वाला। ५. काम की भागा-दौड़। काम ऊपर तकलीदो-(वि०) १. अशक्त । कमजोर । काम । २. नाजुक । कोमल । ३. थोड़े से प्राघात तगड़गो-(क्रि०) १. दौड़ाना । भगाना । से टूट जाने वाला । तकलीदी। २.हाँकना । चलाना । ३.परेशान करना । तकलींदो-दे० तकलीदो। हैरान करना। ४. एक काम करके पाते तकलीफ-(ना०) कष्ट । दुख । ही दूसरे काम के लिये भेजना या तका-(सर्व०) १. वह । २. उस । दौड़ाना । तकात-(अव्य०) १. भी। ही। २. तक। तगड़ो-(वि०) हृष्टपुष्ट । बलवान । तगड़ा। लौ । पर्यंत । तगा -(न०) दो गुरू और उसके बाद एक तकादो-(ना०) तकाजा। लघु मात्रा वाला गण । तकार-(न0) 'त' वर्ण । तत्तो। तगणो-(वि०) तिगुना। तकावी-(ना०) सरकार की ओर से किसान तगतगारगो-(क्रि०) १. भगाना । दौड़ाना। को दिया जाने वाला ऋण । तकावी। २. निराश लौटाना । तकां-(सर्व०) १. उन । तिकां । २. वे । तगदीर-दे० तकदीर । तकियो-(न०) तकिया। उपधान । प्रोसीसो। तगरो-(न०) १. पशु-पक्षियों को पानी २. कब्रिस्तान में बना हुअा मुसलमान पिलाने का मिट्टी का बरतन । २. छिछला फकीर के रहने का मकान । ३ छज्जे जल पात्र । ३. तगारी। आदि पर लगाई जाने वाली पत्थर की तगस-(न.) १. तक्षा सर्प । २. प्राग । एक पदिया। ३. गरुड़। For Private and Personal Use Only Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तगाई ( ५३३ ) तड़जोड़ तगाई-(ना.) १. जबरदस्ती। बलात् । २. हुमा । खवीजियोड़ो। ४. त्यागा हमा। नीचता । ३. दुष्टता । नागाई। तट-(न०) १. कूल । किनारा । २. सीमा। तगादो-(न०) १. तकाजा। तगादो । उघ- हद । (क्रि०वि०) पास । निकट । राणी । उधाई। तटणी-(ना०) नदी। तटिनी । तगार-(वि०) 'तडाग' का वर्ण व्यतिक्रम। तठाथी-(प्रव्य०) वहाँ से । उठ सू। (तगाड़-तगार)पानी, घी, तेल प्रादि प्रवाही तठा पर्छ-(अव्य०) जिसके बाद । जिरणपर्छ । पदार्थों की निर्मलता का सूचक एक तठा पहला-(अव्य०) १. इससे पूर्व । २. विशेषण । निर्मल । बहुत साफ। इसके पहले । जिरण पहला। तगारी-(ना०) १. लोहे-पीतल का एक तठ-(क्रि०वि०) वहाँ । उधर । उठे । वठे। छिछला बरतन । २. चूना या गारा ढोने तठी-(क्रि०वि०) वहाँ । उधर ।। का तसला। तड़-(ना०) १. पक्ष । दल । २. समूह । तगारो-(न0) बड़ी त गारी। सगठन । गुट । ३. जाति का उपविभाग। तगो-(वि०) १. जबरदस्त । बलवान । २. ४. बेंत । छडी। ५. सामने का पक्ष । दुष्ट । ३. नीच। मुकाबले का दल । शत्रु। तचा-(ना०) त्वचा । चमड़ी। तड़क-(न०) टूटने का शब्द । तछाई-(ना०) १. (सलाई से छील कर के) तडकणो-(क्रि०) १. टूटना। २. फटना । आभूषण पर नक्काशी का काम । २. ३. जोर का शब्द करना । ४. मुझलाना । जड़ाई के काम में कुदन को जमा करके उसमें चमक देने के लिये ऊपर से छीलने तड़क-भड़क-(ना०) चमक-दमक । का काम । ३. कुरेदनी । कटाई। तड़काउ-(न०) १. प्रातःकाल के समय । तछेरी-(ना०) तरह । प्रकार । संवेरा होने के समय । सवेरे। २ सवेरा। तज-(न०) १. पोस्त का दाना । खसखस । प्रातःकाल। (क्रि०वि०) तड़के में। सवेरे। २. किसी धातु को रेती (परगती) के तडक-(न0) १. पाने वाले कल का सवेरा। द्वारा घिसने से बने चूर्ण का बारीक २. पाने वाला कल। (अव्य०) १. सवेरे। दाना । ३. रज से छोटा देना। ४. दार- २. झटपट । शीघ्र। चीनी। ५. दारचीनी की जाति का गरम तडको-(न०) १. सवेरा । प्रातःकाल । २. मसाला । ६. तेजपात । छींटा । बूद। ३. तेजी। ४. धूप । ५. तजणो-(क्रि०) १. तजना। त्यागना । गरमी । ६. क्रोध । ७. छौंक । बघार । छोड़ना। २. क्षीण होना। कृश होना। (वि०) थोड़ा। ३. क्षीण करना । पतला करना। तड़छ-(न०)१. टुकड़ा। २. टूटने का शब्द । तजबीज-(ना०) १. तजबीज । बंदोबस्त । ३. तड़फड़ाट । ४. नाश । ५. मूर्छा । २. अनुकूलता । सगवड़ । जोगवाई। तड़छणो-(क्रि०) १. टुकड़े होना । २. दुखी तजा-दे० तचा। होना । व्याकुल होना। ३. छटपटाना। सजा गरमी (ना०) एक चर्म रोग। तरफना । ४. काटना। तोड़ना । ५. नाश तजियोड़ो-(वि०) १. कृश । दुबला। २. या संहार करना। ६. मूच्छित होना। रगड़ से घिग हुप्रा (पात्र)। घिप्तीनियोड़ी। तडजोड़-(ना०) १. प्रबंध । व्यवस्था । २. ३. जंग लगा हुमा। सड़ा हुआ। गला दोनों दलो की समानता । ३. पराबरी। बिगड़ना। For Private and Personal Use Only Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तड़तड़ाणो ( ५३४ ) तणियो समानता । ४. किसी बात या काम को तड़ो-(न०) १. लंबा बाँस । २. वृक्ष की कटी यथारूप या यथानुकूल बिठाने का प्रयत्न। हुई लवी शाखा। ३. लोहपत्र का वह ५. समाधान । निवेड़ो। चौकोर टुकड़ा जिस पर रख कर किसी तड़तड़ारणो-(क्रि०) १. तेल या घी का चीज को गरम किया जाता है । खूब गरम होना । २. तेल या घी में तला तढमल-(वि०) १. जबरदस्त । दृढ़ । २. जाना । ३. कष्ट पहुँचाना। वीर ।। तड़फड़णो-(क्रि०)१.तड़फना । छटपटाना। तरण-(न०) १. शरीर । तन । २. पुत्र । २. कठिन परिश्रम करना । तड़फना। तनय । (प्रत्य०) संबंधकारक विभक्ति, तड़फड़ाट-(न०) १. छटपटाट । २. व्यर्थ का, की, के । (सर्व०) उस । तिरण । प्रयत्न । फाँको । ३. बकवाद । तराई-दे० 'तणै' प्रत्यय अर्थ । तड़फणो-(क्रि०) १. दुख में हाथ पांव तगउ-दे० 'तणो' प्रत्यय प्रर्थ । मारना। तड़फड़ाना । छटपटाना। २. तणकणो-(क्रि०) १. तनना । खिचना । कठिन परिश्रम करना। तड़फना । ३. २. एंठना । अकड़ना। व्यर्य प्रयत्न करना। तणकाई-(ना०) १. जोरावरी । जबरदस्ती। तड़बो-(न०) १. बासी और विकृत राब टणकाई । २.खिचाव । खींचने का भाव । __ आदि । २. पतळा गोबर।। तणको-(वि०) १. जोरावर । टणको । तड़ग-(वि०)१.नंगा। २. तन्वंग । ३.लंबी। २. तना हुप्रा । खिचा हुआ। (न०) १. तड़ाक-(न०) १. टूटने का शब्द । (क्रि०वि०) अकड़ । २. अभिमान । ३. हैसियत । तुरंत । जल्दी। तगाखलो-(न०) तिनका । तृण । तड़ाको-(न०) १. झूठी बात । गा। २. तणखो-(न०) १. तिनका । तृण । २. नाक तड़ाक ध्वनि। में पहिनने की छोटी सिली। तड़ाग-(ना०) सरोवर । तड़ाग । तालाब। तणगो-(क्रि०) १. खिंचना। २. ताना तड़ाछ-(ना०) मूर्छा । बेहोशी । जाना । खिवा जाना । ३. रुष्ट होना । तडातड़-(क्रि०वि०) १. झटपट । लगातार । ४. घमंड करना। २. तड़-तड़ शब्द सहित । तणमणाट-(ना०)१.अकड़। ऐंठ । २.गर्व । तड़ातड़ी-(ना०) १. उतावली । भागदौड़। घमंड । ३. गुस्सा । ४. आवेश । ५. धमाचौकड़ी। ३. कहासुनी। ४. मार- अधैर्य । पीट। तरणय-(न०) पुत्र । तनय । तड़ापीटो-(न०) मारपीट । मारामारी। तणया-(ना०) पुत्री । तनया । तड़ामार-(क्रि०वि०) १. शीघ्र । जल्दी। तणाव-(न०) १. खिंचाव । २. रचना । २. अतिशीघ्र । उपरा-उपरी। ३. तेजी बनाव । ३. शत्रुता । दुश्मनी । वैमनस्य । से । जोरों से। (ना०) १. दौड़वूप । २. ४. खींचातानी। ५. लड़ाई । टंटा-झगड़ा। मारामार । ३. जल्दी। ६. ऊंटनी का गर्भ। तड़ाल-(ना०) बिजली । तड़ित। तणावणो-(क्रि०) १. खिंचवाना । तनाना। तड़ियाळ-(ना०) बिजली । तड़ित । २. व्यर्थ खर्च में पड़ना। तड़ी-(ना०) १. बेंत। छड़ी। २. पतली तरिणयो-(न०) तराजू की डंडी के बीच के शाखा । ३. लकड़ी। सुराख में डाला हुमा रस्सी का बह टुकड़ा For Private and Personal Use Only Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तणियोड़ो । ५३५ ) तथा जिसको पकड़ कर तोलने के समय तरानू ततखिण-(क्रि०वि०) तत्क्षण । तुरंत । उठाई जाती है । डस । तत्काल । तणियोड़ो-(वि०) १. तना हुग्रा। खिचा ततब-(न०) १. सार । तत्व । सारांश । हुया । २. फैला हुआ। ३. एंठा हुआ। सार वस्तु । २. यर्थाथता । वास्तविकता । अकड़ा हुप्रा । तरोड़ो। ३. सामर्थ्य । हैसियत । तणी-(ना०) १. वस्त्रादि सुखाने-टांगने के ततबाऊ-(क्रि०वि०) १. शीघ्रता से । (वि०) लिये बांधी हुई डोरी। २. विवाहादि आवश्यक । मांगलिक अवसरों पर घर के प्रांगन के ततबो-(न०) फुरती । शीघ्रता । ऊपर चारों कोनों में बांधी जाने वाली तत्काल-दे० ततकाळ । मंगल-सूत्र रूप एक रस्सी। तलिया- तत्कालीन-(वि०) उस समय का । तोरण । तरिणयां-तोरण । ४. पुत्री। तत्त-(न०)१.तत्व । २. ब्रह्म । (वि०) तप्त । तनया। (प्रत्य०) संबंध कारक की विभक्ति तत्तो-(न0) 'त' वर्ण । (वि०) १. तप्त । 'की' । केरी। गरम । २. क्रोधित । तातो। ३. तेज । तणीजणो-(क्रि०) १. खिचना । खींचा वेगवान । जाना । २. नदी के बहाव में बह जाना। तत्त्व-(न०) १. तत्त्व । सारांश । सारवस्तु। ३. हठ करना । जिद करना। ४. अभि २. परमात्मा। पारब्रह्म । ३. संसार का मान करना । गर्व करना । मूलकारण । ४. पंचभूत । ५. यथार्थता । तण-दे० तणो। (वि०) यथार्थ । वास्तव । तोड़ो-(वि०) तना हुआ। तत्त्वज्ञान-(न0) ब्रह्मज्ञान । तणै-(न०) तनय । पुत्र । (प्रत्य०) 'के' तत्त्वज्ञानी-(न०) तत्त्वज्ञ । ब्रह्मज्ञानी । विभक्ति । षष्टी विभक्ति । (अव्य०) १. तत्त्वमसि-(पद०) वह तू ही है। तू ही तत्त्व के समीप । २. के लिये। __(ब्रह्म) है। (यजुर्वेद का एक महावाक्य) तणो-(प्रत्य०)१. संबंध कारक की विभक्ति। तत्पर-(वि०) तैयार । सज्ज । 'का' अर्थवाचक विभिक्त । केरो। (न०) तत्र-(क्रि०वि०) वहाँ । १. पेट का एक अवयव । २. पेडू । ३. तत्सम-(न०) १. संस्कृत का वह शब्द पेडू की आँत । ४. पुत्र । तनय । जिसका प्रयोग भाषा में उसी प्रकार हुआ तत-(सर्व०) १. उस । २. वह । (क्रि०वि०) हो । २. अन्य भाषा से पाकर अविकृत वहाँ । (न०) १. तत्व । २. ब्रह्म। ततकार-(न०) नाच का एक बोल । रूप से स्थित शब्द । (व्या०) (क्रि०वि०) शीघ्र । जल्दी । तथ-(ना.) १. तथ्य । सच्चाई । यथार्थता। ततकारणो-(क्रि०) १. दौड़ना। भागना। २. बात । ३. विवाद । ४. तिथि । २. तेज चाल से चलना। ३. बैल प्रादि मिती । ५. अग्नि । ६. कामदेव । को हाँकना। ४. तुरही बजाना। रण- तथा-(प्रव्य०) और। व । वैसा ही। सींगा बजाना । ५. दुनकारना । (ना०) १. धार्मिक कृत्य, किसी काम या ततकाळ-(क्रि०वि०) तत्काल । तुरंत ।। बात की बड़ी विधि को संक्षिप्त करने फारन । मट। की क्रिया या भाव के लिये एक सांकेतिक ततकाळे -दे० तत काळ । शन्द । संक्षिप्तीकरण। For Private and Personal Use Only Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तथापि ( ५३६ ) तपण तथापि-(अव्य०) १. तो भी । तब भी । तो तन मन धन-(अव्य०) १. सर्वस्व । २. ही। २. यद्यपि । जो। समस्त शक्ति-साधनादि। तथास्तु-(अव्य०)१.ऐसा ही हो । एवमस्तु। तनमात-(न०) पंच भूतों का मूलस्वरूप । २. और अच्छा । तन्मात्र। तद-(क्रि०वि०) १. तब । उस समय । २. तनराग-(न०) तनुराग । उबटन । पीठी । इसके बाद । उसके बाद । तरै। तनवी-दे० तन्वी। तदबीर-(ना०) युक्ति । उपाय । तरकीब। तनसार-(न०) १. कामदेव । २. वीर्य । ३. तदरो-(क्रि०वि०) १. तबसे। उस समय से। घृत । घो। २. तब का। तन सिणगार-(न०) १. पहनने के वस्त्र । तदा-(अव्य०) तब । उस समय । (सर्व०) २. वस्त्रा भूषण। १. वह । २. उस । तनाजान-(वि०) १. नष्ट । बरबाद । २. तदाकार-(वि०) उसके आकार का। अकेला । तदी-(क्रि०वि०) १. उसके बाद । २. उस तनाजो-(न०) १. तनाजा। झगड़ा। २. समय । तब । शत्रुता । बर। तद्धित-(न०) १. व्याकरण में वह प्रत्यय तनारसी-(न०) धनुष । जो संज्ञा शब्द के अंत में लग कर भाव- तनाँ-(सर्व०) तुझको। थने ।। वाचक संज्ञा तथा विशेषण बनाता है। तन-(10) पुत्र । बेटा। दीकरो । जैसे मित्रता का 'ता'। २. वह शब्द जो तनजा-(ना०) १. बेटी। पुत्री। दीकरी । इस प्रकार प्रत्यय लगा कर बनाया जाय । २. यमुना नदी। तद्भव-(न०) भाषा में प्रयुक्त होने वाला। तन-(न०) १. वह समधी जिसके यहाँ पुत्र संस्कृत का वह शब्द, जिसका रूप विकृत पुत्री का वाग्दान या विवाह संबंध हुआ होगया हो। २. दूसरी भाषा से विकृत त हो। २. नजदीक का रिश्तेदार । ३. होकर पाया हुअा शब्द । अतिप्रिय समधी । ४. कुटुम्बी। तन-(न०) १. शरीर । देह । २. पुत्र । ३. तन गितायत-दे० तनू । सं० १, २, ३ । वंशज । ४. गाढ़ा संबंध। ५. संबंधी। रिश्तेदार । गिनायत । तनै-(सर्व०) तुझको। तुझे । यने । (10) तनय । पुत्र । तनखा-(ना०) तनख्वाह । वेतन । पगार ।। । तन्मात्र-(वि०) १. मात्र यही । २. शुद्ध । तन ढाकरण-(न०) वस्त्र । कपड़ा। गाभो। तन तोड़-(वि०) खूब। अधिक । भारी (न०) पचमहाभूतों का शुद्ध सूक्ष्म रूप । (परिश्रम)। तन्वी-(वि०) कोमलांगी। (ना०) पतली तनत्राण-(न०) कवच । बख्तर। सुकुमार स्त्री । तन्वंगी। तन दीवाण-(न०) अंगत मंत्री । निजी तप-(न०) १. तपस्या । २. कठिन व्रत । मंत्री । प्राइवेट सेक्रेटरी। ३. ताप । गरमी। ४. अग्नि । ५. ठंड तनपात-(न०) मृत्यु । मिटाने के लिये सुलगाई जाने वाली अग्नि। तनमध-(ना०) कमर । कटि । ६. अलाव । कऊ । ७. तेज । प्रताप । तनमन-(न०) १. तन और मन । २. पातु. तपरण-(न०) १. सूर्य । २. अग्नि । ३. ताप । रता। (पव्य०) खूब आतुरता से। गरमी। For Private and Personal Use Only Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तंबरी तपणी ( ५३७ ) तपणी-(ना०) ठंड में तपने के लिये प्राग तपेसरी-(न०) तपस्वी। रखने का पात्र । अंगीठी । तापणी। तपोधन-(न०) १. जिसका तपस्या ही धन तपरणो-(क्रि०) १. धूप, अाँच यादि से गरम है। २. शिव की पूजा करने वाली एक होना। २. ठंड मिटाने को अग्नि से गरमी गृहस्थी संन्यासी जाति जो शिव का प्राप्त करना । तपना। ३.गरमी लगाना। निर्माल्य ग्रहण करती है। ३. इस जाति ग्रीष्म ऋतु की उष्णता का प्रतीत होना। का मनुष्य । ४. शिव का पुजारी। ४. सूर्य का प्रखर होना। ५. तपस्या तपोबळी-(वि०) १. तपस्या का बल रखने करना। ६. क्रोध करना । ७. दुखी वाला। २. ऐश्वर्यवान । वैभव शाली । होना। ८. प्रभुता का अातंक जमना। ३. महंत । ४. राजा । तपना । तपोवन-(न०) तपस्या करने का वन प्रदेश । तपत-(ना०) १. ग्रीष्मकाल की गरमी। तपस्या करने के योग्य वन प्रदेश । ताप । उष्म । २. उष्णता । जलन। तप्पड़-(न०) १. ऊंट पर का भार-बरदारी तपधारी-(वि०) १. ऐश्वर्यवान । २. तप या सवारी का पलान आदि सामान । २. करने वाला । (न०) तपस्वी। टाट का बिछावन । तपन-(न०) १. सूर्य । २. धूप । ३. गरमी। तफतीश-(ना०) १. तलाश । खोज । अनुउष्णता । ४. जलन । संधान । तपसा-(ना०) तपस्या। तफावत-(न0) फर्क । अंतर । तपसी-(न०) तपस्वी। तफावार-(अव्य०) १. विभागानुसार । तफा तपसील-(ना०) विस्तारपूर्वक वर्णन । व्यौरे मुजब । २. परगनावार । __ बार वर्णन । व्योरा । तफसील। तफै-(न०) १. ताल्लुका । २. आधिपत्य । तपारणो-दे० तपावणो। प्रभुत्व । ३. स्वत्व । (अव्य०) ताल्लुका तपावणो-(कि०)१. तपाना । गरम करना। में । परगने में। २. दुख देना। तको-(न०)१.ताल्लुका । परगना । परगनो। तपावस-(ना०) १. तपास । खोज । २. २. विभाग । ३. जत्था । ४. कलंक । निगरानी। सम्हाल । देखभाल । ३.जाँच- तबक-(न०) १. लोक । २. तल । ३. तह । पड़ताल । परीक्षा । ४. सहशयन । परत । ४. सोने या चाँदी का वरक । घरवास । बरक । ५. परात । बड़ा थाल । ६. एक तपास-(ना०) १. शोध । खोज । २. परीक्षा। वाद्य । ७. एक व्यंजन । एक खाद्य जाँच ३. तहकीकात । तफतीश । ४. पदार्थ । निगरानी । देखभाल । तबड़क-(ना०) कूदते हुये दौड़ने की क्रिया। तपासणो-(क्रि०) १. खोजना । ढूढ़ना। तबड़कारणो-(क्रि०) १. दौड़ाना । २. लानत २. जाँच करना । परीक्षा करना। ३. देना। चौकसी करना । निगरानी करना। तबर-(ना०) १. कुल्हाड़ी। २. फरसा । सम्हाल करना। संभालना। परशु। तपी-(न०) तपस्वी। तबर बंध-(वि०)१.फरसाधारी । २. शस्त्रतपेली-(ना०) बटुला। बटलोई । पतीली। धारी। तपेलो-(न०) बड़ी पतीली । बटुला। तबरो-(न०) ऊँचे किनारों का बड़ा तसला। For Private and Personal Use Only Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तबल । ५३८ ) तबल-(न०)१. बड़ा ढोल । २.बड़ा नगाड़ा। तमस्सुक-(न०) १. दस्तावेज । २. ऋण ३. ऊंचे किनारों की बड़ी थाली । थाल। पत्र । लिखत । तबरा। ४. कुल्हाड़ी जैसा एक शस्त्र । तमंचो-(न०) पिस्तौल । तबर । तमा-(ना०) रात । निशा । तबलची-(न०) तबला बजाने वाला। तमाखू-(ना०) तमाकू । तंबाकू । तबलबंध-(वि०) १. सवारी के समय नगाड़े तमाम-(वि०) १. सब । कुल। (न०) बजवाने का अधिकारी। अपनी सवारी समाप्त । खत्म । के आगे नगाड़ा बजवाने का अधिकार तमासो-(न0)१.मनोरंजक दृश्य । तमाशा। प्राप्त। ३. ढोल या नगाड़ा बजाने वाला। २. खेल। ३. नाचगान का खुले मंच का तबलियो। नाटक । ख्याल । ४. भद । फजीहत । तबलो-(न०) ताल देने का चमड़े से मढ़ा तमास्ती -(सर्व०) तुम । थे। एक प्रसिद्ध बाजा । तबला । तमियो-(न०) एक पात्र । तबलियो-(न०) तबलची। तमी-(ना०) रात। तबाक-दे० तबक । तमीचर-(न०) १. चंद्र । २. निशाचर । तबाह-(वि०) बरबाद | नष्ट । तमीणो-दे० तुमीणो । तबियत-(ना०) १. शरीर की रोगारोग तमोगुण-(न०) प्रकृति के तीन गुणों में से स्थिति । २.स्वास्थ्य । ३.मन । जी। चित्त ।। ___ एक । मोह, क्रोधादि को उत्पन्न करने तबीड़ो-(न०) डक आदि नुकीली वस्तु के वाला गुण। चुभने की क्रिया । २. व्रण में रह रह कर तमोगरणी-(वि०) १. क्रोधी । तमोगुण होने वाली पीड़ा। तबेलो-(न०) घुड़साला । पाएगा। वाला । २. अहंकारी। तम-(न०) १. अंधेरा। २. तमोगुण । ३.. । तम्मर-(न०) १. गर्व । घमंड । २. आँखों के आगे अंधेरा छाना । चक्कर आना। क्रोव। तमक-(ना०) १. क्रोध । रीस । २. जोश। तयार-(वि०) १. उद्यत । सनद्ध । तत्पर । तैयार । २. प्रस्तुत । ३. जो बम कर बिलआवेश । ३. उतावल। ___ कुल ठीक हो गया हो। तमकरणो-(क्रि०) क्रोधित होना । तमकना। तमजाळ-(न०) १. अज्ञान । २. अंधेरा। तयारी-(ना०) १. तैयारी। तत्परता । पा तमणियो-(न०) स्त्रियों के गले का एक २. सजावट । ३. प्रबंध । ४. भोजन की आभूषण । तिमणियो। विविध प्रकार की सामग्री। ५. धूमधाम । तमनास-(न०) १ दीपक । २. मूर्य । ३. तय्यार-दे० तयार। प्रकाश । तर-(ना०) १. ऊंट की पूछ के बालों को तमन्ना-(ना०) १. लालसा । २. इच्छा । बट कर बनाई हुई बाली (छल्ला) जो तमबीज-(न०) पाप । मद में आये हुए शरारती ऊंट के नाक में तमर-(न०)१.गर्व । अभिमान । २. अंधेरा। डाल कर उससे मुहरी बांध दी जाती है । तिमिर । २. वृक्ष । तरु। ३. घी में सना हुमा तमरार-(न०) सूर्य । तमारि । तिमिरारि । पकवान । ४. लात । ५. बेंत । (वि०) तमरिपु-(न०) १. सूर्य । २. प्रकाश । १. भीगा हुप्रा । २. अधिक गीला । ३. तमस-दे० तामस । (न०) अंधेरा। जिसमें अधिक घृत मिला हुमा हो ! घी For Private and Personal Use Only Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तरक ( ५३६ ) तरमर-तरमर में सना हुअा (पकवान) । घृतपूर्ण । ४. तरणारगो-(क्रि०) १. उभार पाना। २. तृप्तिदायक । ५. मालदार । सम्पन्न । जोश में आना। ३. ऊपर उठना। ४. ६. अधिक गहरा (कपड़े आदि का रंग)। विकसना । ७. ठंडा। शीतल । (अव्य०) १. गुणा- तरणि-(न०) १. तरूणी। युवती। २. धिक्य प्रगट करने वाला एक प्रत्यय । नौका । नाव । ३. सूर्य । जैसे-श्रेष्ठतर । निम्नतर आदि । २. तरणापो-(न०) तरुणावस्था । प्रायः। अक्सर। यथा-अधिकतर। तरणो-(न०) १. तिनका। तृण । तिणको। ज्यादातर अादि । ३. तो । यथा-नहीं २. चारो। घास । (क्रि०) १. तैरना । तर । ४. शीघ्र। पैरना । तिररणो। २. पार करना । तरक-(ना०) १. तर्क । कल्पना । अनुमान। लाँचना । ३. उद्धार होना। २. हेतुपूर्ण युक्ति । दलील । तर्क । ३. तरत-दे० तुरत । चमत्कारपूर्ण युक्ति । ४. व्यंग्य । ताना। तर-तर-(अव्य०) १. ज्यों-ज्यों। २. त्यों५. त्याग । तर्क । त्यों। तरकस-(न०) तीर रखने का चौंगा। तरतीब-(ना०) सिलसिला । क्रम। तूणीर । तरगस । भायो। तरतोज-(न०) १. इलाज । चिकित्सा । २. तरकारी-(ना०) १. शाक सब्जी। साग- उपाय । भाजी। २. भोजन के लिये पकाये हुए तरदोज-(न०) १. खटका । २. अंदेशा । सब्जी के पत्ते, फल, फली आदि। ३. चिन्ता । सोच । ४. धोखा । छल । तरकीब-(ना०) युक्ति । तरकीव । उपाय। तरपण-(न०) एक कर्मकांड जिसमें देवों तरगस-दे० तरकस । और पितरों को तृप्त करने के लिये जलांतरज-(ना०) १. रीति । तर्ज। शैली। जलि दी जाती है । तर्पण । ढंग । २ बनावट । ३. नखरा । ४. स्वर, तरपणी-(ना०) १. गंगा नदी। २. जैन ताल और लय युक्त संगीत । राग । ५. साधुओं का एक पात्र । गाने का एक ढंग। तरफ-(ना०) १. पोर । तरफ । बाजू । २. तरजमो-(ना०) १. तरजुमा। उल्था । पक्ष । ३. दिशा । (अव्य०) दिशा में । अनुवाद । भाषान्तर । तरफ । तरभंगर-(न०) १. वृक्ष समूह । २. कटीले तरफदारी-(ना०) १. पक्षपात । २. हिमावृक्ष । झाड़झंखाड़। यत । तरडगो-(क्रि०) १ पतला मल निकलना। तरबंब-(वि०) पूर्ण (जल से) । सराबोर । २. दस्तें लगना । ३. टट्टी फिरना। तरबूज-(न०) तरबूज । मतीरो। एक फल । तरड़ो-(न०) १. पतला मल । २. अधिक तरबोळ-(वि०) सराबोर । तराबोर । तरल पशुमल । गाय भैस आदि का तरभारणी-(ना०) सध्या-पूजा आदि धर्म पतला गोबर । अधिक तरल गोबर । विधि में काम आने वाली तांबे की तरण-(वि०) तरुण । युवा। मोटियार । तासक । ताम्रभांड । त्रिभारणी। (न०) तैरने की क्रिया । तरम-(ना०) शोथ । सूजन । सोजो। तरण तारण-(न०) भवसागर से पार करने तरमर-तरमर-अव्य०) पापे से बाहर होने वाला। ईश्वर । (वि०) उार करने का भाव। क्रोध में बड़बड़ाना । अंटसंट बाला। बोलना। For Private and Personal Use Only Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तरमरांट ( ५४० ) तराणू तरमराट-(न0) १. प्रापे से बाहर होने का ३. ललचाने को विवश करना। भाव । २. नाराज होना । बिगड़ जाना। तरसींग-दे० त्रसीग । तरमराटो-दे० तरमराट । तरसो-(वि०) तृषित । प्यासा । तृषातुर । तरमाळो- (न0) नगाड़ा । बाल । तिरसो। तिसायो। तरमीम-(न०) १. संशोधन । २. हेरफेर । तरस्यो -दे० तरसो। तर मेवो-(न०)१.गीला मेवा । ताजा मेवा। तरह-(ना०) १. प्रकार । भाँति । २. ढंग । २. फल । स्थिति । ३. वनावट। ४. चाल। व्यवहार तरळ-(वि०) १. बहने वाला। द्रव । २. (व्यग में)। गीला । ३. चंचल । तरल । ४. कोमल । तरहदार-(वि०) १. चतुर। २. धूर्त । तरलंग-(न०) घोड़ा। चालाक । ३. नखराबाज । ४. शौकीन । तरळो-(वि०)१ चंचल । २.तरल । पतला। तरंग-(ना०) १. लहर। २. कल्पना । ३. ३. गीला । द्रव । ४. हिलता हुआ। (न०) विचार । ४. मौज । उमंग। ५. पागल१. पतला मिश्रण। बहने वाला मिश्रण। पन । ६. नशा। ७. नशे की लहर । ८. २. गाय-भैंस आदि का अधिक तरल नथ का अध्याय । गोबर । तरड़ो। तरंगणी-(ना०) नदी । तरंगिणी । (वि०) तरवर-(न०) १. बड़ा वृक्ष । तरुवर । २. १. तरंग वाली। मौजी। २. सनक वृक्ष । पेड़। वाली । सनकी। तरवाड़ी-(ना०) १. ब्राह्मणों की एक अटक। तरंगाळी-(ना०) १. नदी । तरंगिणी । २. एक अल्ल । त्रिवाड़ी । त्रिपाठी। सनक वाली । सनकी । ३. मोजी। तरवार-(ना०) तलवार । खङ्ग । वाढाळी। तरंगियो-(वि०)१. अस्थिर विचारों वाला। रूक। २. पागल । सनकी। ३. कल्पनाएँ करने तरवारियो-(वि०) १. तलवार रखने वाला। वाला। ४.मौजी। तरंगी । ५. बेपरवाह । वाढाळो । रूकहयो । २. तलवार चलाने तरंगी-दे० तरंगियो । वाला । तरज-(वि०) १. साफ । स्वच्छ । २. सही । तरवाळी-दे० तिरवाळो । सच्चा । (न०)१. सही और सुंदर काम । तरवेणी-(ना०) १. गंगा, यमुना और २. सुदर व्यवस्था । सरस्वती तीनों नदियां । त्रिवेणी । २. तराछणो-(क्रि०) १. छीलना । छिलका इन तीनों का जहाँ संगम होता है वह उतारना । २.खुरचना । ३. टेढ़ा काटना। स्थान । त्रिवेणी। प्रयागराज । प्रयाग तराज-(ना०) १. तरह । प्रकार । भाँति । का त्रिवेणी संगम तीर्थ । २. ढग । प्रकार । ३. सामान । बराबर। तरस-(ना०) १. तृषा। प्यास । तिरस । ४. तराजू । तकड़ी। २. दया । रहम। करुणा। अनुकंगा। तराजवो-(न०) तराजू। तकड़ी। ताकड़ी। ३. उत्कट इच्छा । लालसा । तराजू-(ना०) तकड़ी । ताकड़ी। तरसणो-(क्रि०) तरसना । ललचाना। तराजे-(वि०) समान । बराबर । (10) तरसंग-(न०) पक्षी । तरुसंगी। दे० सींग। तरह । प्रकार । तरसाणो-(क्रि०) १. व्यर्थ ललचाना। तरार-(वि०) नब्बे और तीन । (10) ९३ तरसाना। २. अभाव का दुख होना। - की संख्या । For Private and Personal Use Only Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तळथियो तरावट ( ५४१ ) तरावट-(न०) १. घी से तरबतर भोजन। तलक-(क्रि०वि०) तक। पर्यन्त । लग । स्निग्ध भोजन। २. तृप्तिकारक वस्तु। ताँई । (न०) तिलक । ३. गीलापन । नमी। ४. शीतलता। तळगट-(ना०) द्वार की चौखट का नीचे (वि०) १. नकदी वाला। रोकड़ धन वाला भाग। चौखट की नीचे की लकड़ी। वाला । २. सम्पन्न । तलकठ । ऊमरो। तरासरणो-(क्रि०) १. तराशना । छीलना। तळघर-(न०) तलगृह । तहखाना । भूहरो। २. काटना । चीरना। ३. खुरचना। तळछणो-दे० तड़छणो । कुचरना । तळछियो-(वि०) १. घायल । २. संहार तरां-(क्रि०वि०) १. उस समय । तब । २. किया हया। (क्रि० भू०) संहार कर इस कारण । दिया। मार दिया। तरी-(ना०) १. स्त्री। २. नाव । नौका। तळरण-(ना०) १. हैरानी। परेशानी । २. ३. गीलापन । नमी । ४. शीतलता । ५. तलने की क्रिया। तरावट। तळणो-(क्रि०) १. तलना। २. हैरान तरीको-(न०) १. रीति । ढंग । तरीका। करना । सताना। २. उपाय । युक्ति । तरीका । ३. व्य- तळतळो-(न०) १. कलह । झगड़ा। २. वहार । संकट । तरुपर-(न०) १. वृक्ष । तरुवर । २. अाम्र- तळतळाटो-दे० तळतळो । वृक्ष । ३. कल्पवृक्ष । तळताळियो-दे० तळतळो । तरुपार-(ना०) तलवार । तलप-(ना०) १. उत्कट इच्छा (व्यसन की) तरुण-(वि०) युवा । मोटियार । बायड़ । २. पलंग। ३. शय्या । सैज । तरुणाई-(ना०) युवावस्था। मोटियारपरणो। ४. स्त्री। तरुणी-(ना०) १. स्त्री। २. युवास्त्री। तळपट-(न०) १. आय और व्यय का युवती । मोटयारण। संक्षिप्त पत्रक । तारवरणी । २. पोते तरेस-(न०) तरह । भाँति । बाकी । ३. बरबादी। तरेसाँ-दे० तरेस । तरै-(क्रि०वि०) १. उस समय । तब । २. तळब-(ना०) १. सरकारी बुलावा । तलब । इस कारण । ३. ज्यों। जैसा । २. बार बार आने वाला बुलावा। ३. माँग । आवश्यकता। ४. उत्कट इच्छा। तरोवर-(न०) १. वृक्ष । तरुवर । २. कल्प चाह । ५. तलाश । खोज । ६. शौचादि वृक्ष । तर्ज-दे० तरज। का वेग । हाजत । तलब । तर्पण-दे० तरपण । तळबागो-(न०) वह खर्चा जो गवाह को तळ-(न०)१. नीचे का भाग । पेंदा । तळियो। बुलाने के लिये अदालत में जमा कराया २. जलाशय के नीचे की भूमि । ३. पैर जाता है । तलबाना । का तलवा। ४. सात पातालों में से तळबियो-(न०) १. तकाजा करने वाला प्रथम । तल । ५. मातहतो । अधीनता। व्यक्ति । २. सरकारी रकम वसूल करने तळक-(ना०) १. तलहटी। २. ऊंट के वाला नौकर । ३. प्रासामियों को बुला दौड़ने से होने वाला शब्द । ३. लालसा । कर लाने वाला नौकर । For Private and Personal Use Only Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तळमी ( ५४२) तळा तळमी-(वि०) घी या तेल में तली हुई। लेने के पेटे जो लेनदेन होती रही है वह तळियोड़ी। आज समग्रत: कर्ज चुकाकर बेबाक करता तळमी बाटी-दे० तळमी रोटी। हूँ । अब लेनदेन है तो मात्र ईश्वर प्रदत्त तळमी रोटी-(ना०) तवे पर घी में तली तालाब के पानी का जिसमें ऋणी और हुई मोयनदार खस्ता रोटी । फोणारोटो। ऋणदाता दोनों का समान भाग है। तवापुड़ी। तळमी बाटी। तलाश-दे० तलास । तळमो-(वि०) घी या तेल में तला हया। तलाशी-दे० तलासी। तलवाँ । तळियोड़ो। तलास-(ना०) खोज । जाँच । तलाश । तळवो-(न०) तलुप्रा । पाद तल । तळासणो-(क्रि०)१.धीरे धीरे पांव दबाना। तळसीम-(ना०) प्रणाम । तसलीम । २. चाँपना । दबाना । चपी करना। पग'तसलीम' का वर्ण व्यतिक्रम । चंपी करना। ३. आतुर होना । बेचैन तळसीर-(ना०) १. जमीन के भीतर बहने होना । तरसना । ४. लात मारना । ५. वाली जलधारा । २. जलस्रोत । सोता ।। दुत्कारना। तळहटी-(ना०) पर्वत के नीचे की भमि। तलासी-(ना०) छिपाई हुई वस्तु की तलहटी। तलाश । तलाशी। तळगियो-(न०) चिनगारी। अग्नि करण । तळिया झाटक-(अव्य०)१.बिलकुल खाली । चिरणग। ___२. सर्वथा नष्ट । नेस्त-नाबूद । तळाई-(ना०) छोटा तालाब। तलैया । तळियाझाड़-दे० तळिया झाटक । नाडो। तळावड़ी। तलिया तोरण-(न०) विवाहादि मांगलिक तलाक-(ना०) १. शपथ । सौगंध । २. अवसरों पर गणपति-गृहदेवता आदि का प्रतिज्ञा । ३. त्याग । ४. संबंध त्याग । पूजन करके विविध प्रकार की प्रथम ५. विवाह संबंध का विच्छेद । पती-पत्नी भोजन सामग्री को सजा-पिरो कर ऋद्धि का संबंध त्याग । वृद्धि के रूप में घर के चौक के चारों तलाकरणो-(क्रि०) १. प्रतिज्ञा या शपथ के । कोनों में बाँधी जाने वाली एक रस्सी । साथ किसी वस्तु का त्याग करना । तरिणयां तोरण । २. एक बहुमूल्य मणित्यागना । तलाक देना। २. तलाक लेना। मंडित तोरण जो मांगलिक अवसरों पर शपथ खाना ३. पति-पत्नी का परस्पर घर के भीतरी भाग में बांधा जाता था। संबंध त्याग करना। ३. एक विशेष प्रकार का वंदनवार । तळातळ-(न०) सात पातालों में से एक । तळियो-(न०) १. एक मकान बनने योग्य तलातल । भू-भाग । प्लॉट । थाळो । २.बनाये जाने तलार-(न०) कोटवाल । नगर रक्षक । जाने वाले मकान की जमीन । ३. किसी तळाव- (न.) तालाब । वस्तु का तल भाग। पैदा। तला । ४. तळावड़ी-(ना.) तलैया । तळाई । नाडो। पैताबर । तळाव-पाणी-रो-सीर-(अव्य०) लेन-देन तळियोड़ो-(वि०) तला हुआ । तळमो । की फारखती (कर्ज अदाई की रसीद) तळी-(ना०) १. 4दी। २. ड्रते के नीचे का का एक पद जिसका भावार्थ है कि उधार चमड़ा। ३. पैर का तलुगा । ४. हथेली । For Private and Personal Use Only Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तळीगण तहनाळ उठणो तळीगण-(न०) चूल्हे के धुएं से बचाने के तसतंबो-(न०) एक कड़ या फल । इंद्रालिये बरतन के फंदे में किया जाने वाला यन । तूहड़ो। मिट्टी का लेप। तसदी-दे० तसती। तळे टी-(न0) तलहटी। तसफियो-(न०) फैसला। निर्णय । तळे - (क्रि०वि०) नीचे । हेठ । तसबीर-(ना०) चित्र । छबि । तसवीर । तळो-(न0) एक मकान बनाने योग्य जमीन तसलीम-(ना०) १. प्रणाम । सलाम । का टुकड़ा। भूभाग । शाळो। २. कां। तळसीम । २. किसी की ओर से प्राप्त कूप । बेरो। ३. छोटा गांव । ४. विसी होने वाली वस्तु को स्वीकार करने के वस्तु का तलभाग । पैदा । तला। ५. जूते पूर्व दाता को प्रणाम करके स्वीकार के नीचे का चमड़ा। तले का चमड़ा। करने का भाव । सम्मान सहित स्वीकार । तलो-बलो-(न०) १. संबंध । रिश्ता । २. तसल्ली-(ना०) १. धैर्य । विश्वास।। व्यवहार । लेन-देन । तसियो-(न०) १. दुःख । संकट । २. अंत । छेह । ३. त्रास । ४. मग्जपच्ची । माथातल्लो-(न०) मकान का खंड। मंजिल । फोड़। तल्ला । तसीस-(न०) हाथ । तल्लो-बल्लो-दे० तलो-बलो। तसू-(न०) एक माप जो लगभग एक इंच तवणो-(क्रि०) १. प्रार्थना करना । स्तुति के बराबर होता है। एक पोर से दूसरे करना । २. कहना। पोर तक का माप । तसू । २. पोर । ३. तवन-(न०) १. स्तवन । स्तुति । २. गीत। इच का चौथाई (1) माप। गायन । पद । तह-(ना०) १. चेतना । होश । २. परत । तवर्ग (न0) त, थ द, ध, न-राजस्थानी तह। ३. थाह । तल । गहराई। ४. भाषा के इन पांच वर्णों का वर्ग या पैदा । तल । समाम्नाय । तहकीकात-(ना०) किसी घटना की जाँच । तवंगर-(वि०) धरवान । मालदार । ऐश्वर्य- जांच-पड़ताल । वान । तहखानो-(न०) तलघर । भूमिगृह । भूहरो। तवा-दे० तवै। भोयरो। तवारीख-(ना०) इतिहास । तहड़ कूण-(ना०) उत्तर और वायव्य दिशा तवी-(ना०) १. मालपूपा और जलेबी बनाने के बीच की दिशा । रोतहड़ि दिशा । का एक छिछला पात्र । २. छोटा तवा। तहताज-(ना०) १. पगड़ी। उष्णीष । २. तवै-(न०) १. तबाह । २. हैरान । परेशान।। मृकुट। तवो-(न०) १. चूल्हे पर रख कर रोती तहताय-(न०) धीरज । पाश्वासन । सेंकने का एक गोल छिछला पात्र । तवा। तहनाळ-(न०) १. तलवार के म्यान पर नीचे के भाग में लगाई जाने वाली किसी २. कवच का छाती पर का भाग । ३. धातु की कड़ी । म्यान के मूठ वाले भाग हाथी के गंडस्थल का ढक्कन । गजढाल । पर लगा हुआ बंधन। २. धूलि । रज । तसकर-(10) चोर। तहनाळ उडणो-(मुहा०) १. स्थिति अच्छी तसती-(ना०) १. कष्ट । दुख । क्लेश। नहीं होना। गरीबी हालत होना । २. २. महनत । तसदीह । फाकाकसी की स्थिति होना । For Private and Personal Use Only Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तहमल ( ४ ) तंबा तहमल-(ना.) १. बिना लांग की घोती। तंडव-(न०) १. तांडव नृत्य । २. नाच । ३. तहमत । लूगी । २. धीरज । दहाड़ । गर्जन । तहरी-दे० तारी। तंडीर-(न०) तरकस । तूणीर । तहरीर-(ना०) १. लेख । लिखा हुआ। तंत-(न०) १. शक्ति । बल । २. तत्व । ३. __ मजमून । २. लिखावट । ____ तार । तंत । ४. तंतु । ५. तंतुवाद्य । ६. तहवार-(न०) १. पर्व दिन । त्यौहार । २. मौका । अवसर । ७. भेद । रहस्य । - अानंद उत्सव का दिन । तंत बाहरो-(वि०) १. तत्वहीन । तत्व तहवारी-(ना०) पर्व के दिन को नेगियों को बहिर । २. बिना काम का। अयोग्य । दिया जाने वाला इनाम, भोजन आदि । ३. बिना समझ का । अबुद्ध । ४. दे० तैवारी। अशक्त। ५. निस्तेज । तहस-नहस-(न०) विनाश । तंतर-दे० तंत्र। तही-(ना०) प्रायु । उमर । अवस्था । तति-(ना०) तार का बाजा । तंतुवाद्य । (वि०) समवयस्क । हमउम्र । तंतिसर-(न०) वीणा, सितार प्रादि तार तई-दे० ताई। वाद्यों का स्वर । तंतुस्वर । तंत्री स्वर । तंग-(वि०) १. कमा हुा । तंग । २. परे. तंती-(ना०) १. सितार यादि तार वाद्य । शान । हैरान । दिक । ३. तंगदस्त । ४. तत्वाद्य । २. तंत्री। विस्तार में कम । संकीर्ण । सकड़ा। ५. तंतु-(न०) १. लतासूत्र । तातो । २. लता। तना हुग्रा । अकड़ा हुया। ६. कम । ७. बेल । वेल । ३. धागा । डोरो। प्रभाव वाला। (10) १. घोडे की जीन तंतुवाण-दे० तंतुवाय । कसने का पट्टा । तंग । २. अंग का वह ततुवाय-(न०) १ जुलाहा । बुनकर। २. भाग जहाँ तंग कसा जाता है। मकड़ी। तंगड़ी-(ना०) १. पाजामा। सुथनी। २. तंत्र-(न०) १. झाड़ने-फूकने का सिद्धान्त । जांधियो । ३. धोती। मंत्र-तंत्र । जादू-टोना । २. उपासना तंगाई-(ना०) १. तंगी । कमी। अभाव। संबंधी शास्त्र । ३. निश्चित सिद्धांत । २. गरीबी। निर्धनता । ३. सँकडापन । ४. राज्य-प्रबंध । ५. तंतु । तांत । ६. संकीर्णता । ४. परेशानी। सूत । धागा। तंगास-दे० तंगाई। तंत्री-(ना०) १. तंत्र वाद्य । तार वाद्य । तंगी-दे० तंगाई। तंत्री। २. तंतु वाद्य का तार । तंत्री। तंगोटी-(ना0) छोटा तंबू । छोलदारी।। ३. धनुष की डोरी । पनच । ४. रस्सी । तंजीब-(ना०) एक महीन कपड़ा। डोरी। तंड-(न०) :. गर्जन । दहाड़। २. पक्ष । तंदुळ-(न०) १. चावल । २. सिर । तड़। ३. तांडव ! ४. अोर । तरफ। तंदूर-(न०) मिट्टी का एक प्रकार का बड़ा तंडगो-(क्रि०) १. गर्जना । दहाड़ना। २. भट्टीनुमा चूल्हा, जिसमें रोटियां पकाई रंभाना । तांडना । ३. तांडव नृत्य करना। ४. नावना। ५. मंथन करना। तंदूरो-(न०) तंबूरा । तानपुरा । मथना । तंपा-दे० तंबा। तंडल-(न०) १. नाग । संहार । २. छिन्न तंव-(न०) १. बैल । २. अभिमान । अंग। (वि०) छिन्नाँग । तंबा-(ना०) गाय । तम्बिका। For Private and Personal Use Only Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ताकीदी लिन । तंबाळ । ५४५ ) तंबाळ-दे० त्रंबाळ। ताईत-(न०) तावीज । तंबीररण-दे० तंबेरण। ताईद-(ना०) समर्थन । तंबू-(न०) खेमा । पटगृह । वस्त्रकुटि। ताऊ-(न०)पिता का बड़ा भाई । बड़ा बाप । तंबूरो-दे० तंदूरो। (वि०) १. उग्र प्रकृति वाला । क्रोधी। तंबेडो-(न०) तांबे का घड़ा। तांबड़ो। २. उतावला । ३. तप्त । __ ताम्रघट । ताऊस-(न०) मोर। तंबेरण-(न०) हाथी। ताक-(ना०) १. मौके की टोह । अवसर की तंबेरव-(न०) हाथी । तंबेरण । प्रतीक्षा । २. घात । उपयुक्त अवसर की तंबोळ-(न०) १. नागर बेल का पान । २. खोज। ४. ताकने की क्रिया । अवलोकन । विवाह गीत का एक प्रकार । ३. पुष्करणों ५. निशाना । ६. स्थिर दृष्टि । टकटकी । में गाया जाने वाला विवाह का एक ७. खोज । तलाश । ८. पाला । ताखा । गीत । ४. फेन । साग । ताकड़-(ना०) ताकीद । जल्दी । शीघ्रता । तंबोळण-(ना०) तंबोली की स्त्री। तंबो. ताकड़ियो-(न०) छोटी तकड़ी। ताकड़ी-(ना०) तकड़ी । तराजू । (वि०) तंबोळी-(न०) पान बेचने वाला । तंबोली। उतावली । तँवर-(न०) १. वह बालक या व्यक्ति जिसके ताकड़ो-(वि०) १. उद्धत । २ जोरावर । पिता, पितामह ओर प्रपितामह तीनों ३. जल्दबाज । उतावला। ४. तेज । बड़ेरे जीवित हों। भवर का पुत्र (कँवर जोशीला । ५. क्रोधपूर्ण । का पुत्र भंवर और भवर का पुत्र तंवर ताकरणो-(क्रि०)१. घूर कर देखना । स्थिर कहलाता है । बाप के जीवित होने पर दृष्टि से देखना। २. छिप कर देखना । उसका पुत्र 'कँवर', दादा के जीवित होने ३. तकना । देखना । ताकना । ४. मौका पर 'भँवर', और परदादा सहित तीनों देखना । अवसर की प्रतीक्षा करना। के जीवित होने पर 'तँवर' कहलाता है)। ताकत-(ना०)१. शक्ति । बल । तागत । २. २. एक क्षत्री जाति या वंश। सामर्थ्य । हैसियत । तंवराटी-(ना०) जयपुर जिले का एक नाम ताकतवर-(वि०)१. बलवान । शक्तिवान । जहां पहले तँवरों का शासन था । २. सामर्थ्यवान । हैसियत वाला। तौरावटी । तंवरावाटी। ताकळो-(न०) तकला । तकुप्रा । टेकु प्रा । तँवरावाटी-दे० तँवराटी। ताकव-(न०) १. चारण । २. चारण ता-(सर्व०) १. उस । २. इस । कवि । ताइ-(अव्य०) बिल्कुल । सर्वथा। (सर्व०) ताका-(नम्बर)व०) इधर-उधर झाँकने का १. उस । २. उसका । ३. उसकी । ४. भाव । उसके । (ब०व०) ५. उन । ६. उनका। ताका-तकिया-(न०ब०व०) १. इधर-ऊघर ७. उनकी । ८. उनके । ६. वह । (क्रि० ताकने-झाँकने का भाव । २. विचार । वि०) १. इससे । २. इनसे । ३. उससे। ताकीद-(ना०) १. उतावल । शीघ्रता । ४. उनसे । २. चेतावनी । धमकी। ३. शीघ्र तैयार ताई-(ना०)१. पिता के बड़े भाई की पत्नी। करने की आवश्यकता । पिता की भाभी । २. शत्रु । ३. प्रातताई। ताकीदी-(न०) दे० ताकीद । For Private and Personal Use Only Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जब्त । ताको ताको - ( न० ) १. कपड़े का थान । २ ताक आळो । ताखा | ३ मौका | अवसर | ताखड़ो- (वि०) १. उतावला । २. तेज । ताखो - ( न०) १. तक्षक सर्प । २. कपड़े का था । (वि०) १. बहादुर । वीर । जबरदस्त । २. उत्साही । ताग - ( न० ) १. धागा । डोरा । २. थाग । थाह । तागधिन - ( न० ) १. ऐश । केलि । भोगविलास । । २. मौज-शौक । ३. नाचगान । गाना-बजाना । रंग-राग । तागधिन्ना - दे० तागड़घिन । तागड़ी - ( ना० ) करधनी । कटिसूत्र | कंदोरो । तागत - दे० ताकत | तागावरण - ( न०) १. यज्ञोपवीत की ग्रधि कारी जातियाँ । द्विज । २. ब्राह्मण । तागावाळ - (न०) १. ब्राह्मण । २. द्विज । ३. हिन्दू । ४. धरना देकर अनशन करने वाला (सेवग, चारण या भाट आदि ) । तागीर - ( न० ) १. किसी के अधिकार की, भूमि, गाँव आदि पर राज्य द्वारा किया हुआ कब्जा । २. इनायत की हुई जागीरी को वापिस ले लेना या खालसे कर देना । ( ५४६ ) तागीरी - ( ना० ) जब्ती । तागो- ( न०) १. जनेऊ । २. डोरा । धागा । ३. धरना । ४. नाराजी । ५. अनशन । ६. अपने कंठ में अपने हाथ से कटारी मार कर मरना । ७. गुस्सा ८. स्त्रियों का एक गहना । ताचकरणो - दे० टाचकरणो । ताछ - ( ना० ) १. धातु का छीलन । २. सोने चाँदी के प्राभूषरणों पर नक्काशी करते समय उतरने वाला छीलन । ३. कमी । ४. किसी बीमारी के बार-बार होने का प्रभाव । ५. किसी बीमारी का बार बार होते रहना । किसी बीमारी का Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ताटकरणो पुनः पुनः दोरा । रोगावृत्ति । ६. कष्ट । पीड़ा । ७. मृत्यु | ताछरणो- ( क्रि०) १. पछाड़ना । गिराना । २. भटकना । ३. मारना पीटना । ४. आक्रमण करना । वार करना । ताछरणो - ( क्रि०) १. काटना । २. छीलना । ३. सोने चांदी के आभूषणों पर तछाई का काम करना । ४. काटना । ताछो- ( न०) १. कमी। अभाव । तासो । २. ग्रप्राप्ति । ३. कष्ट । तकलीफ । तज - ( ना० ) १. राजमुकुट । मुकुट । २. आगरे का ताज महल । ( ना० ) श्री कृष्ण भक्त एक मुसलमान महिला । ताजरण - ( ना० ) घोड़ी । (वि) नखरेवाली । नखराळी । ताजरगो - ( न० ) चाबुक । कोड़ा | कोरड़ो । ताजदार - ( न०) बादशाह । मुकुटधारी । ताजपोसी - ( ना० ) ताजपोशी राज्या रोहण | राज्याभिषेक | ताजियो- ( न०) ताबूत । ताजिया | ताजी - ( न० ) घोड़ा । ( वि०) तुरन्त की । नवीन | नई | ताजीम ( ना० ) १. बादशाही - सम्मान । २. बादशाह या राजा की ओर से किसी को दी जाने वाली विशेष सम्मान सूचक उपाधि । ३. सम्मान करने की एक रीति । ४. विवेक । प्रदब । ताजी मदार - (वि०) ताजीमवाला । ताजीमी सरदार- ( न० ) वह सरदार जिसे ताजी मिली हुई हो । ताजीरात - ( न० ) दंड संबंधी कानूनों का संग्रह | ताजो- (वि०) १. तुरंत का नया । ताजा । २. थकान दूर होकर स्फूर्ति में श्राया हुआ । ३. हृष्ट-पुष्ट । ४. सम्पन्न । ताटकरे - ( क्रि०) १. श्राक्रमरण करना । २. बहुत जोर से वरराना । ३. बहुत जोर से बादल का गरजना | For Private and Personal Use Only Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तापड़ ताटक ( ५४७ ) ताटक-(न०) १. कर्णफूल । २. एक छंद। जंजाल । मायाजाल । ताटी-दे० टाटी। तात-(न०) १. पिता । बाप । २. पति । ताड़-(न०) १. एक वृक्ष । ताड़ । २. मार। ३. गुरु । ४. ईश्वर । ५. पूज्य व्यक्ति । प्रहार । आघात । ३. लताड़। ६. प्यार का एक संबोधन । ताडका-(ना०) एक राक्षसी। तातपरज-(न०) तात्पर्य । मतलब । अभिताड़णो-(क्रि०)१. भागना । २. भगा देना। प्राय । मतबळ । ३. मारना। ४. ताडना । ताडना देना। ताताथई-(ना०) नाच का एक बोल । नृत्य का एक ताल । डांटना । धमकाना । लताड़ना। ५. ताताळ-(वि०) १. उतावला । २. शीघ्रभाँपना । समझ लेना। गामी । तेज रफ्तार । ताडपत्र--(न0) ताड वक्ष का पत्ता । तातील-(ना०) छुट्टी का दिन। ताड़ी-(ना०) १. छाते को ताना हुअा रखने तातो-(वि०) १. वेगवान । तेज । २. तेज के लिये लगाये जाने वाले लोहे के तारों रफ्तार । शीघ्रगामी । ३. गरम । उष्ण । में से एक तार । २. ताड़ वृक्ष का रस । ४. उतावला । चंचल । ५. क्रोधी । ६. ताडूकरणो-(क्रि०) साँड का गर्जना । कठोर स्वभाव का । तेज । ७. जवान । ताढ-दे० ठाड । तादाद-(ना०) संख्या । गिनती। ताढो-दे० ठाडो। तान-(ना०) १. संगीत की लय । आलाप । तारण-(ना०)१. खिचाव । तनाव । २. अन २. स्वर संधान । ३. स्वर । सुर । तान । बन । ३. विवाद । ४.अभिमान । घमंड। ४. प्रीति । प्रेम । ५.तैयार । उद्यत । ६. ५. हठ । ६. एक रोग जिसमें शरीर में प्रस्तुत । मौदूद । हाजर । ७. मौका । तनाव व ऐंठन हो जाती है। नसों का अवसर । तनाव । ७. मिरगी रोग । ८. पानी के तानपूरो-(न0) एक प्रकार का तार वाद्य । बहाव का जोर । ६. दीवाल में लदाव तानसेन--(न0) सगीताचार्य हरिदास के की चिनाई । १०. कमी। अभाव । शिष्य और अकबर की सभा के नौ रत्तों ताणगगा-(वि०) १. खीचना । तानना । में से एक । विश्वविख्यात गायनाचार्य । २. घसीटना। ३. लंबाई में फैलाना। तानो-(न०) १. व्यंग्यपूर्ण चुटीली बात । ४. तरफदारी करना । पक्ष लेना। ताना। २. उपालंभ । ३. अवसर । तारणी-(प्रव्य०) १. संप्रदान कारक का एक मौका । ४. संयोग । मिलान । मेल । ५ चिन्ह । लिए । वास्ते । २. तक । लग। उपलब्धि प्राप्ति । ६. सम्पन्नता । ऐश्वर्य । ताणीजणो-(क्रि०) १. खींचा जाना । ताप-(न०) १. सूर्य का प्रकाश । २. सूर्य ताना जाना । २. हठ करना। की गरमी । धूप । ३. अग्नि । ४. तारणो-(न०) बुनने के लिये लंबाई के बल ज्वाला । ५. भय । अातंक । ६. गरमी । फैलाया हुआ सूत । कपड़े की बुनावट में ७. क्रोध । ८. ज्वर । ६. सेंक । १०. लबाई की बल के धागे । ताना । 'वाणो' कष्ट । ११. अग्नि के द्वारा सोने को शुद्ध का उलटा । दे० तावणो। करने की एक विधि । तारणो-वारणो-(न०) १. वस्त्र की बुनावट तापड़-(न०) १. ऊंट की लात । २. ऊंट की में लंबाई और चौड़ाई के सूत्र-तंतु । चाल । ३. मृतक की शोक-बैठक । ४. ताना-बाना । २. तजबीज । युक्ति । ३. बिछाने का एक मोटा कपड़ा। For Private and Personal Use Only Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तापड़णो । ५४८ ) तापडणो-(क्रि०) १. ऊंट को तेज भगाना। कम कीमत के गहने । २. ऊंट का तेज भागना। ३. भगाना। ताबीन-(वि०) १. अधीन । मातहत । २. ४. भागना । दौड़ना। आश्रित । ३. आज्ञाकारी । वशीभूत । तापडधिन-(न०)१. ढोलक, मृदंग या तबले ताबीनदार-(न०)नौकर । (वि०) आधीन । पर थापी मारने से उत्पन्न शब्द या बोल। मातहत । ताबदार । २. ढोलक-तबले पर थापी लगने की ताबीन-रो-लोक-(न0) प्रजा । प्राधीन क्रिया । ३. गाना-बजाना । रंग-राग। प्रजा । गाने, बजाने और नाचने प्रादि की धूम- ताबीनी-(ना.) १. सेवा । चाकरी। २. घाम । हाजरी । ३. प्राश्रय । सहारा । तापड़ा-तोड़गो-(मुहा०) १. खुशामद करके ताबूत-(न०) १. ताजिया। २. शव-पेटी । हैरान होना। २. किसी से काम बनवाने ३. जनाजा। में असफल होना । असफल होना । ताब-(वि०) १. अधीन । वशवर्ती। २. तापड़ियो-(न०)सन का बना मोटा कपड़ा। आज्ञावर्ती। (न०) अधिकार । वश । टाट। (अव्य०) लिये । वास्ते । तापड़ो-(न0)१. एक मोटा कपड़ा । २. जुट ताबदार-(न)नौकर। (वि०) आज्ञाकारी। या मन का बना मोटा कपड़ा। टाट । ३. ताबदारी- (ना०) सेवा । नौकरी। मृतक की शोक-बैठक । तापरणी-दे० तपणी। ताम-(सर्व०) १. उस । २ तुम । अाप । (सर्वब०व०) १. उन । २. उन्हें । (क्रि० तापरणो-(क्रि०) अग्नि या ताप से शरीर । वि०१. उस समय । २. तब । ३. वहाँ । गरम करना । तापती-(ना०) भारत की एक नदी । तहाँ। ४. इस कारण। (वि०) १. अधिक । २ सब । (न०) गर्व । घमंड । ताप्ती। तामजाम-(ना०) एक प्रकार की पालकी। ताप देणो-(मुहा०) १. दुख देना । कष्ट __ पहुँचाना। २. अग्नि द्वारा सोने को शुद्ध तामड़ी- दे० ताँबड़ी। तामडो-दे० ताँबड़ो। करने की क्रिया का सम्पादन करना ।। तामरिणयो-(न०) छोटी तामणी । तापस-(न०) तपस्वी। तापी-(ना.) १. ताप्ती नदी । २. तपस्वी। १. तामणी-(ना०) साग-तरकारी आदि बनाने ३. जोधपुर की एक प्रसिद्ध सातखंडी और का मिट्टी की बटलोई जैसा पात्र । सात पोलों वाली बावली। तापी वावडी। तामस-(ना०) १. तमोगुण । तामस । (वि०) दुखदायी । कष्टदायी। तमम । २. क्रोध । तापो-(न०) १. लट्ठ, बाँस और पदों के तामसी-(वि0) तामस प्रकृति वाला । टट्टर के नीचे पीपे या उलटे घड़ों को बाँध तमोगुणी। कर बनाई हुई नाव । बेड़ा । २. ऊंट की तामीर- (न०) भवन निर्माण का काम । लात। तामील-(ना०) १. आज्ञा का पालन । २. ताबड़ तोब-दे० ताबड़ दौड़ । सूचना प्रादि का अभीष्ट स्थान पर ताबड़ दौड़-(ना०) उतावळ । शीघ्रता । पहुंचाया जाना । ताबा-तीवो(न०) १. छोटे मोटे जेवर । २. ताम्र--(न०) ताँबा । For Private and Personal Use Only Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ताम्रपत्र (५४६ ) तारणो ताम्रपत्र-(न०) १. वह तांबे का पत्तर जिस सप्तक । ६. तारा । १०. नशा। ११. पर दान प्राज्ञा खुदी हुई हो। नशे की लहर । १२. नतीजा। १३. पानी ताय-(ना०) १. कष्ट । पीड़ा। २. ताप । में ऊपर हाथ उठाये हुये खड़े आदमी संताप । (सर्व०) १. वह । २. उस । ३. की गहराई । १४. प्रीति । मेल । संबंध । उसका । ४ उमने । ५. किस । ६ १५. यौवन । १६. चाशनी को जाँचने के किसका । (वि०) १. तरह । भांति । समय बनने वाले तंतु। १७. संयोग । तुल्य । (क्रि०वि०) १. तब । २. लिए। (वि०)१. साफ। निर्मल । २. लेश मात्र । वास्ते । ३. जैसे । ज्यों। ४. वैसे । ५. थोड़ा सा । थोड़ा भी। शीघ्र । जल्दी । ६. बिल्कुल । सर्वथा। तारक-(न०) १. तारा । नक्षत्र । २. तायक-(10) १. शत्र। दशमन । २. वीर ईश्वर । कर्णधार । ४. तारक मंत्र । ५. पुरुष । योद्धा । (वि०) संहार करने आँख । ६. अाँख की पुतली । ७. चाँदी । वाला । (सर्व०) तेरा । तुम्हारा। रौप्य । ८. तारकासुर राक्षस । ६. मृतक तायजादो-(न0) पुत्र ।। कर्म कराने वाला। मृतक कर्म का दान तायफो-(न०) १. वेश्या। २. वेश्या और लेने वाला । तारकियो। कारटियो । उसकी गाने बजाने वाली मंडली । महा ब्राह्मण । १ तायफा। तारने वाला। पार करने वाला । २. तायल-(न०) १. शत्रु । दुश्मन । २. पात- भवसागर से पार करने वाला। तायी । (वि०) १. क्रोध में तप्त । २. तारक-मंत्र-(न०) श्री राम का षड़ अक्षर तप्त । तपा हुआ। ३. क्रोधित । उग्र। मंत्र (ॐ रामायनमः)। ४. शक्तिशाली । बलवान । ५. तेज। तारकस-(न०) १. तार खींचने वाला। ६. चंचल । तारकश । २. कोर-गोटे और कलाबत्त तायलो-(सर्व०) तेरा। तुम्हारा । (वि०) का काम करने वाला। १. तप्त । २. क्रोधित । तप्त । उग्र।। तारकासुर-(न०) एक असुर का नाम । तायो-(वि०) १. तप्त । गरम । २. उता- तारख-(न०)१. गरुड़ । तार्क्ष्य । २. घोड़ा। वला । ३. व्यग्र । परेशान । ४. तपा तारखी-दे० तारख ।। हुमा । गरम किया हुमा। तारघर-(न०) टेलीग्राफ मॉफिस । तायोड़ो-(वि०) १. गरम किया हना। २. तारजंत्र-(न०) सितार, वीणा मादि तार वाद्य । तप्त । गरम । ३. संतप्त । दुखी। तारण-(न०) १. नतीजा । परिणाम । २. तार-(न०) १. धातु को मशीन या जंत्री द्वारा खींच कर बनाया हुअा धागा। खोज । जाँच । अनुसंधान । ३. भावार्थ । तांत । २. लोहे या ताँबे आदि का तार, सार । ४. उद्धार । निस्तार । (वि०) तारने वाला । उद्धारक । जिसके द्वारा बिजली की सहायता से । स तारण-तरण-(न०) उद्धार करने वाला। समाचार भेजा जाता है । टेलीग्राफ । ३ ईश्वर । इस प्रणाली द्वारा वर्ण संकेतों में भेजा तारणियो-(वि०) तारने वाला। गया या प्राया हुप्रा समाचार । टेलीग्राम। तारणो-(कि०) १. उद्धार करना। २. ४. चांदी । ५. मोगी। ६. धागा । तागा। पानी में बाहर निकालना। डूबते को सूत । ७. क्रम । ६. संगीत का एक बचाना। ३. तिराना। For Private and Personal Use Only Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तारत ( ५५० ) तालाबुलंद तारत-(न०)शौचघर । शौचालय । संडास। गुण । विशेषता। तारतखानो-दे० तारत । तारो-(न०) १. तारा । नक्षत्र । २. अाँख तार-तार-(वि०) जिसके तार, धागे और की पुतली । ३. भाग्य । ४. सोने, चाँदी, धज्जियाँ अलग २ हो गई हों। गिलट आदि की चमत्कार या रंग-बिरंगी तारवणी-(न०) १. जाँच। पड़ताल । २. एक छोटी घरिया जो तिलक आदि बनाने परिणाम । ३. निस्तार । ४. पाय-व्यय के काम आती है । ५. एक आतिशबाजी। का हिसाब । तळपट । तारोतार-(न०) १. तार दर तार । प्रत्येक तारवणो-(क्रि०)१. जाँच करना । परताल तार । २. छूटा हुग्रा प्रत्येक तंतु । ३. करना । २. परिणाम निकालना । यथास्थिति । (वि०) छिन्न-भिन्न । अलगतारकंठी-(ना०) स्त्रियों के गले का एक अलग। आभूषण । ताल-(न०) १. संगीत में वाद्य का एक तारागढ़-(न०) चौहान अजयपाल द्वारा ठेका । २. नृत्य का एक प्रकार । ३. अजमेर के वीटली पर्वत पर बनाया हुआ संगीत में नियत मात्रामों पर बजाई जाने प्रसिद्ध दुर्ग । वाली ताली । ४. लय ५. क्षण । समय । तारानामी-(ना०) एक प्राभूषण । ६. वार । देर । ७. दफा । मरतबा . ८. तारामंडळ-(न०) १. तारक समूह । २. बड़ा मैदान । ६. तालाब । १०. झाँझ । एक आतिशबाजी। ताल | करताल । तारायण-(न०) १. तारक समूह । तारों ताळ-(न०) १. ताड़ का वृक्ष । २. तालाब । का समूह । २. आकाश । (वि०) तारने ३. झाँझ । करताल । ४. विलंब । देरी । वाला। ५. समय । वेळा । ताराँपत-(न०) चंद्रमा । तारापति । तालके-(क्रि०वि०) १. अधिकार में। कब्जे ताराँसाई-(वि०) १. तारों वाली । तारा- में । २. देख रेख में । मंडल से सुशोभित । २. मेघाच्छन्न रहित तालबखानो-(न०) अंत.पुर ।। (रात्रि)। बिना बादलों का (रात्र्याकाश)। तालमेळ-(न०) ताल और स्वरों का मेल । (ना०) रात । रात्रि । तालमेल । २. तजवीज । प्रबंध । ३. तारी-(ना०) चनों की दाल, गट्टे और उपयुक्त अवसर । तालमेल । चावल आदि के मेल से बना एक बढ़िया तालर- (न०) १. पक्की जमीन का बड़ा धृतपूर्ण व्यंजन, जिसमें बादाम, चिरौंजी, मैदान । २. नमक उत्पन्न करने वाली पिस्ता, किशमिश आदि मेवा और मसाले जमीन का मैदान । मिले रहते हैं। एक मसालेदार बढ़िया ताळ-विमाळ-(वि०) १. डरा हुआ । घबखिचड़ी। तहरी। राया हुा । भयभीत । कष्ट । बरबाद । तारीख-(ना०) १. ईस्वी या मुसलमानी ताळवो-(न०) मुंह के भीतर का ऊपरी महीने का पूरा दिन । महीने के दिनों का भाग । तालू । क्रमिक अंक । २. तिथि । दिन । दिनांक । ताला-(न०) १. भाग्य । प्रारब्ध । २. ढंग। ३. निश्चित तिथि। ३. अवसर । मौका। तारीफ-(ना०) १. प्रशंसा। २. परिचय । तालाबिलंद-(वि०) भाग्यशाली। ३. परिभाषा। ४. वर्णन । ५. मुख्य तालाबुलंद-(वि०) भाग्यशाली। For Private and Personal Use Only Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तालाबेली तास तालाबेलो-दे० ताला मेली । ताव उतरणो-(मुहा०) बुखार नहीं रहना। तालामेली--(ना०) १. तजवीज । तालमेल । बुखार उतर जाना । २. जल्दबाजी । ३. व्याकुलता । ताव खाणो-(मुहा०) क्रोध करना । तालावर-घि ) भाग्यशाली। ताव चढणो-(मुहा०) बुखार हो जाना । ताळो-(न०) १. हथेलियों का परस्पर तावड़ो-(न०) १. सूर्य का प्रकाश । धूप । आवात । करतल ध्वनि । २. कुजी। २. सूर्य की गरमी । सूर्यताप । घाम । कूची । ३. तल्लीनता । ४. समाधि। तावरणी-(ना०) १. मक्खन को गरम करके ताली-(ना०) १. सूची। तालिका। २. घी बनाने का काम । २. मक्खन बनाने कूजी। ची। ताली। ३. खलिहान या किसी वस्तु को गरम करने की क्रिया । में साफ करके लगाया हा अनाज का ३. तावणी का पात्र । वासरण । ४. जाँचढेर । परताल । तालीको-(न०) १. जागीर का पट्टा । तावरणा-(क्रि०) १. सताना। दुख देना । सनद । २. परम्परानुसार नेगियों को नेग २. तपाना । गरम करना । ३. घी बनाने दिये जाने की क्रिया । ३. नेग । के लिय मक्खन को गरम करना । मक्खन को गरम करके उसे घी रूप देना। ताळी लागरणी -(मुहा०) १. किसी बात में मन का रंग जाना । रंग लग जाना । २. ताव-तप-(न०) १. मौसमी बुखार । २. बीमारी। ध्यान लगना । ३. सफलता मिलना। तावदान-(न०) १. द्वार या बारी पर ताळ -दे० ताळवो। तालुको-(न०) १. तालुका । तहसील । २. बनाया हुप्रा पाला। रोशन दान । द्वार के ऊपर का ताख, पाला या ताँड के लिये संबंध । ३. जान पहिचान । परिचय । ताळो-(न०) ताला । कुलफ । लगाई जाने वाली पत्थर या लकड़ी की पट्टी। ३. ताख । ताक । आला । ४. ताळोकूची-(न०) १. ताला और उसकी बारी। रोशनदान। चाबी । २. पक्का कब्जा। तावळ-(क्रि०वि०)उतावल । जल्दी । शीघ्र । ताळोखोलामरणी-(मुहा०) आसामी (ऋण- तावळी-(विना०) उतावली । उतावळी । माही) को रुपये कर्ज देते समय ताला तावली-(वि०) ज्वर-पीड़िता। बुखार वाली। खोलने के नाम पर लिया जाने वाला तावळो-(वि०) उतावला । उतावळो । धनिक (बोहरा /ऋणदाता) का लाग। तावलो-(वि०) जिसे बुखार चढ़ा हो । कोथली खोळामणी। ज्वरपीड़ित । ताव-(न०) १. बुखार । ज्वर । २. आंच। तावी-(ना०) १. बड़ा तवा । तई । २.छोटा ३. रोष। क्रोध । ४. अहंकार । ५. तवा । ३. कवच । ४. शत्रु । अहंकार को झोंक (मूछों पर) ६. दुख । तास-(ना०) १. मोटे कागज के बावन पत्तों पीड़ा । पाफत । ७. प्रांतक । भय । . का एक खेल । २. मोटे कागज के चौकोर सोने चांवो आदि धातु की गुल्ली को आंच टुकड़ों पर चार रंग की बूटियों और देने के बाद हथोहे से ठोक कर बढ़ाने की तसवीरों वाला बावन पत्तों का एक सैट। किया। ३. तासीर । गुण। असर । ४. किसी ताव प्रावणो-(महा०) बुखार होना । काम का यथावत तथा पथारूप बन For Private and Personal Use Only Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तासक ( ५५२ ) ताँतो जाना । (सर्व०) १. उसका । २. वह। तांडव-(न०) १. शिव नृत्य । २. प्रलय (क्रि०वि०) प्रकार । तरह । नृत्य। तासक-(ना) तश्तरी । रकाबी । तासळी। तांडीस-(न०) १. शंकर। शिव । २. नृत्य । ३. तांडव नृत्य । तासणो-(क्रि०) १. डराना । २. कष्ट देना। तांडो-दे० टाँडो। ३. डरना । ताँत-(ना०) १. तार । २. तंतु। ३. प्रांत तासळी-(ना०)१. छोटी थाली । २.तश्तरी। को बटकर बनाई हुई डोरी । ४. इकतारा रकाबी। ३. काँसी की छिछली कटोरी। वाद्य । ५. जुलाहे का एक प्रौजार । ताहळी । ४. परोसा । पारेसा । (वि०) दुर्बल । पतला। तासळो-(न०) १. भोजन करने की ऊंचे। ताँतरण-(न०) १. धागा । डोरा । २. तार। किनारों की थाली। २. कांसी का बड़ा । ३. गले का एक गहना। ४. लंबी बातकटोरा। ताहळो। चीत । ५. बात की लंबाई । तासीर-(ना०) १. किसी वस्तु का गुण- ताँतणो-दे० तांतरण । सूचक प्रकृति । २. प्रभाव । असर। ताँतरस-(न०) १. सितार, वीणा आदि तासो-(न०) १. एक वाद्य । तासा। २. तंतुवाद्य के बजाने का शौक । २. तंतू कमी। अभाव । ताछो। ताछा । ३. वाद्य बजाने का व्यसन । अप्राप्ति । कष्ट । तकलीफ । ताँतवो-(न०) मगरमच्छ । ताहरइ-दे० ताहरै। ताँतियो-(न०) एक तंतु घास । ताहरां-(क्रि०वि०) तब। ताँती-(ना०) १. तंतुवाद्य । २. तार वाद्य । ताहरै-(क्रि०वि०) तदुपरान्त । तब । ३. एक पाँव में पहनी जाने वाली सोने (सर्व०) तेरे। या चांदी की तार जैसी एक पतली कड़ी। ताहरो-(सर्व०) तेरा। ४. किसी रोग या दोष निवारण के ताहळी-दे० तासळी। निमित्त किसी देवता की मान्यता का ताहळो-दे० तासळो। संकल्प करके पाँव में पहनी जाने वाली ता-(सर्व०) उन । (क्रि०वि०) तब । तांत या पतली कड़ी। ५. पशुओं के मेले ताँई-(प्रव्य०) १. तक । पर्यन्त । २. लिये। में या पोठ के पड़ाव डालने पर बल प्रादि वास्ते । ३. पास । निकट । पशुत्रों को एक कतार में बांधना । पशुओं तांगड़-(म०) १. हाथी को बांधने का मोटा का पंक्तिबद्ध बंधन । एक लंबी रस्सी से और लंबा रस्सा । २. एक पाँव से चलने- अनेकों को बाँधने की क्रिया। ६. कतार । दौड़ने का एक खेल । पक्ति। ताँगी-(भा०) १. लड़खड़ाहट । २. बेहोशी। तांतू-दे० ताँतवो । मूर्छा । ३. चक्कर। ताँतो-(न०) १. संतु । २. डोग । धागा। तांगो-(न०) एक घोड़े वाली सवारी गाड़ी। ३. प्रांत की बनाई हुई डोरी। ४. लता इक्का । एको। बेल । ५. बात का लबा सिलसिला । तोडणो-(क्रि०) १. सांड का शब्द करना।। ६. बकवास । ७. श्रेणी। पॅक्ति । ८. दहाड़ना। २. गर्जन करना। ३. तांडव संबंध । रिश्ता । ६. वंश परम्परा । १०. सत्य करना। बधन । For Private and Personal Use Only Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बड़ी ताँबड़ी - ( वि०) १. वह सोना या चाँदी जिसमें ताँबा मिला हुआ हो । २. ताँबे के जैसे रंग वाला | ( ना० ) एक ताम्र पात्र | बड़ो- (०) स्याह माइल माणिक । काली भाँई वाली चुन्नी । तामड़ा | ( वि०) ताँबे के जैसे जैसे वर्ण का । ताँबा गळ - ( न० ) १. बड़ा नगाड़ा । २. बड़ा ढोल । ३. ताम्र निर्मित ढोल या नगाड़ा | बागळ | तांबाड़ो - ( क्रि०) ( ५५३ ) गाय का रंभाना | रंभाना । राँभना । ताँबाड़ो - ( न०) गाय के रंभाने की आवाज । ताँबापत्र - ( न०) दान, पुरस्कार या किसी श्राज्ञा ( पद, श्राधिपत्य, स्वत्व आदि का परवाना) का राज्य द्वारा दिया जाने वाला ताम्र पत्र पर अंकित प्रमाणपत्र | तांबापत्र से परवाणो । ताँबियो - ( न०) १. तांबे का तसला । २. तांबे की कलछी । ३. तांबे का पैसा । पइसो । पीसो । ताँबेड़ो - (०) ताँबे का घड़ा । ताम्र कलश । तांबेसर - (०) ताम्र भस्म । ताँबा भसम । ताँबो - ( न०) ताम्र । ताँबा | २. इस पर । इस ताँ परि - ( अव्य०) १. तब । २. इसके बाद | तदुपरान्त । तद । बात पर । तामस - ( न०) १. क्रोध । होश । ४. तमोगुण । २. चक्कर । ३. ताँ लग ( अव्य० ) तब तक । उठे ताई । व तारणी । ताँ लगि दे० ताँ लग । ताजो - (सर्व०) १. तुम्हारा । २. तेरा । तिकड़म - ( ना० ) १. युक्ति । उपाय । २. चाल । ३. चालबाजी । तिकड़मबाज - दे० तिकडमी । तिकड़मवाजी - (ना० ) चालबाजी । चालाकी । तिकड़मी - (वि०) चालबाजी से अपना काम तिखू टो बनाने वाला | चालबाज । धूर्त्त । चाल बाज । तिकरण - ( सर्व०) १. उस । २. वह । वो । तिकरण रो - ( सर्व०) १. जिसका । २. उसका । उरो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिकरणसू - ( अव्य०) १. उससे । उसके द्वारा । २. इसलिये । ति । तिकरि - ( अव्य०) १. जिससे । २. के लिये । तिकंध - (वि०) वीर । शूरवीर । तिका - ( सर्व०) १. वह । २. उस (स्त्री) | तिकाळ - दे० त्रिकाळ | तिकां - ( सर्व०ब०व०) १. उन्होंने । २. उन । ३. वे । तिकांनू - (सर्व०ब००) जिनको । उणां । बांन तिकी - ( सर्व०ना० ) वह । तिकूण - ( न० ) तीनों कोण | त्रिकोण | दे० तिकूणो । तिकूरणो- (वि०) तीन कोनों वाला । त्रिकोण । तिखूण | तिके - ( सर्व ब०व०) १. वे । २. उन । तिको - (स० ) १. वह । २. उस । तिकोरणो- (वि०) जिसमें तीन कोने हों । तिकोना । त्रिकोण । तिको - तो - ( श्रव्य०) वह तो । तिको स-दे० तिको । तिकोस-तो- दे० तिको-तो । तिखरण- दे० तिखड । तिखणो- दे० तिखंडो । तिखंड - ( न०) १. तीन मंजिल । २. घर की तीसरी मंजिल । तिपड़ो । तिखंडो- (वि०) तीन मंजिल वाला । तिखंडा । तिखूरिगयो - ( वि० ) तीन कोनों वाला । त्रिकोणाकार | तिखूणो दे० तिखूटो | तिखूं टो-दे० तिकोणी । For Private and Personal Use Only Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निगम ( ५५४ ) तितर-बितरं तिगम-(न०) १. सूर्य । २. वज्र । तिडावणो-(क्रि०) निर्लज्जता से हँस कर तिगार-(वि०) निर्मल । स्वच्छ । ( द्रव दाँत दिखाना। २. बुलवाना। तेड़ापदार्थ ) । वणो। तिगारी-(ना0) लोहे का एक छिछला पात्र। तिड़ियोड़ो-(वि०) १. टूटा हुप्रा । फूटा तिगारो-(न०) बड़ी तिगारी। हुप्रा । २. वह जिस में दरार पड़ गई हो। तिगुणो-(वि०) तिगुना। चटका हुआ। तिगूमिग-१. प्रायः अस्त होने वाला (सूर्य) तिरण-(सर्व०) उस । (न०) घास । तृण । २. थोड़ा सा (दिन)। तिणकणो-(क्रि०) क्रुद्ध होना। तुनकना । तिघड़ियो-(न०) १. कलह । झगड़ा। २. तजीजरणो। तीन घड़ी का समय । (वि०) १. तीन तिरणकलो-(न०) तृण । तिनका । तिरणखो। घड़ी में बनने या होने वाला। २. तीन तिणखलो-दे० तिणकलो । घड़ी का। तिणको-दे० तिणखो। तिजड़-(ना०) १. खङ्ग। तलवार । २. तिगखो-(न०) १. तृण । २. वृक्ष या घास कटारी। को सींक । सींक । तिनका । ३. नाक में तिजइहथ-(वि०) खङ्गधारी।। पहनने की छोटी सिली । फूली । सिळी । तिजाब-(न०) किसी क्षार पदार्थ का अम्ल- लूग। सार जो ज्वलन शक्ति वाले पानी रूप में तिणगियो-दे० तिळगियो। होता है । एसिड । अम्ल । तेजाब । तिण मात-(वि०) १. तिनके के समान । तिजारो-(न०) १. खसखस । २. अफीम का बहुत छोटा या हलका । २. तृण मात्र । पौधा । पोस्त । ३. पोस्त (खस-खस बहुत थोड़ा । चिनियो सो। और उसका डोडा ) को उबाल कर तिणरो-(सर्व०) उसका । तैयार किया हुप्रा रस । पोस्त का तिणसू-(अव्य०) १. उससे । २. इसलिये। कसवा । ४. तीन बार निकाला हुप्रा तिणंग-दे० तिळ गियो । शराब । तिबारा । ५. तीसरे दिन प्राने तिणंगियो-दे० तिळगियो । वाला बुखार । तिरिण-(सर्व०) १. उसने । उण । २. उससे । तिजोरो-(ना०) रुपये और मूल्यवान गहने मादि रखने की लोहे की एक मजबूत उण। ३. उसको। उणने । ४. वह । ५. उस । (प्रन्य०) इस कारण । इससे । आलमारी । तिजोरी। इणसू । तिड़ -(ना०) १. क्रोध । २. टूटने की क्रिया तिरिण कियै-(अव्य०)इसलिये । इस कारण । या भाव । ३. टूटने का चिन्ह या रेखा। तेड़। दे० धड़ो। इण वास्ते। तिड़करणो-(क्रि०) १. फटना । दरार पड़ना। तिण-(सर्व०)१. जिसने । २. उसने । उरण । २. पक जाने या सूख जाने पर फली तिरणो-(न०) तृण । घास । खड़। प्रादि का फटना । ३. चूड़ी, घड़े प्रादि का तित-(क्रि०वि०) उस जगह । वहाँ । उ । टूटना । ५. क्रोध में जोर से बोलना या प्रोथ । बठे। उत्तर देना। तितर-बितर-(प्रव्य०) अस्त-व्यस्त । इधर. तिडपो-(क्रि०)१. टूटना । २. बरतने प्राति उधर । (वि०) बिखरा हुमा । अव्यव. में टूटने की रेखा बनना। स्थित। For Private and Personal Use Only Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तितरै ( ५५५ ) तिरपाठी तितर-(अव्य०) १. इतने ही में । २. तब तिमंजलो-दे० तिखंडो। तक । तिमाही-(वि०) त्रिमासिक । तितरो-(वि०) १. इतना। २. जितना। तिमि-दे० तिम । ३. उतना । तिमिर-(न०) अंधेरा । अंधारो। तिथ--(ना०) १. तिथि । चाँद्रमास का प्रत्येक तिय-(ना०) १. स्त्री । २. पत्नी । लुगाई । दिन । दिनांक । मिती। २. संवत्सरी का (सर्व०) उस । (वि०) तीन । दिन । पुण्य दिन । (न०) वृतान्त ।। तियग-(न०) १. बंका वीर । २. तैलंग तिथना-(अध्य०) संबंध में सोचना । देश । तेलंगाना । ३. त्रिजग । त्रिजगत् । तिथंकर-(न0) तीर्थंकर । (वि०) १. टेढ़ा । २. बाँका । तिर्यक । तिथि-दे० तिथ । तिथिए-( क्रि०वि०) वहाँ । तहाँ । उठे। तिया-(ना०) १. स्त्री । २. पत्नी । त्रिया । तियार-(सर्व०) उसका। ठ। प्रोठे। तियाळ -(सर्व०) १. तेरे । तिधारी-दे० त्रिधारी। २. उसके । (अव्य०) उस समय । तिधारो-दे० त्रिधारो। तिन्हाँ-(सर्व०) १. जिनकी । तिनकी । २. तियोळा-(सर्व०) १. तेरा । २. उसका । २. जिनको । उनको। ३. जिन्होंने । तियो-(न०) १. तीन का अंक ३' । २. मृतक का तीसरा दिन । ३. तीसरे दिन तिपड़ो-(न०) घर की तीसरी मंजिल । किया जाने वाला मृतक का क्रिया कर्म । __ तिखंड । ४. सम्वत् का तीसरा वर्ष । (वि०) १. तिपाई- (ना0) तीन पायों का बना ऊंचा तीसरा । २. तीन । बाजोट या चौकी। तियोतर-(वि०) तिहत्तर । सत्तर और तिपोळियो-(न०) १. पास-पास में बने तीन तीन । (न०) तिहत्तर की संख्या। ७३. बड़े द्वार । २. सिंहद्वार । तिर-दे० तिरखा। तिबारी-(ना०) १. बैठक । २. तीन बारियों तिरकाळ-दे० त्रिकाळ । वाला स्थान । तिब्ब-(वि०) अतिशय। तीव्र । तिरखा-(ना०) तृषा । प्यास। तिरस । तिब्बत-(न०) हिमालय के उत्तर में एक तिर। देश का नाम । तिरखटो-दे० तिकोणो या तिखूटो । तिब्बर-दे० तीन । तिरछो (वि०) टेढ़ा। वक्र । तिरछा । तिम-(अध्य०) १. वैसा । वैसे। उस प्रकार। तिरजात-दे० विजात ।। २. जैसा । जैसे। जिस प्रकार । अड़ो। तिरणो-(न०) १. तृण । घास । २. सूखी बैड़ो। प्रोड़ो। घास का टुकड़ा। तृण । तिनका । (क्रि०) तिमची-दे० तिरमची। १. तैरना । परना। २. पार जाना । तिमणियो-(न०) स्त्रियों के गले का एक पार होना । ३. उद्धार होना । __ गहना । पटियो । तेड़ियो। तिरप-(ना०) नृत्य का एक ताल । त्रिसम । तिमर-(न०) तिमिर । अंधेरा । अंधारो।। तिरपण-(न०) पितरों को तृप्त करने के तिमरहर-(न०) सूर्य । सूरज। लिये तिल-जो मिश्रित जलांजलि। तर्पण। तिमंगळ-(न०) १. बड़ा मत्स्य । तिमिगिल। तिरपत-दे० विपत । २. मगरमच्छ । तिरपाठी-दे० त्रिवाड़ी। For Private and Personal Use Only Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिरभाणी । ५५६ ) तिलिया लाडू तिरभाणी-(ना.)संध्या, पूजा ग्रादि धार्मिक राज्याभिषेक । (वि०) श्रेष्ठ । उत्तम । ४. विधियों में काम में आने वाली ताँबे की मुसलमान तेलिन के पहिनने का एक एक तश्तरी । ताम्र भांड । लहँगा। तिरफळ-(न०) एक गाली का शब्द । तिलकायत-(न०) १. टीकायत । २. वल्लभतिरफळा-दे० त्रिफला। सम्प्रदाय के पीठाधीश । तिरभाँड-(वि०) १. सर्वत्र लांछित । हर तिलकूटो-(न०) कूटे हुए तिल और चीनी जगह बदनाम । त्रिभांड । २. कुख्यात । मिला हुआ एक खाद्य । बदनाम । तिलड़ी-(ना०) १. स्त्रियों का एक आभूतिरभेटो-दे० त्रिभेटो। __षण । २. तीन लड़ियों वाला हार । तिरमची-(ना०) लकड़ी या लोहे की बनी तिल-पापड़--(वि०) दुखी। घड़ा आदि रखने की तिपाई। तिल-पापड़ी-(ना०) गुड़ की पैथ या खाँड तिरलोक-दे० त्रिलोक । की चाशनी में तिलों को पगा कर बनाई तिरवाड़ी-दे० त्रिवाड़ी। हुई पपड़ी । तिलपट्टी । तिलपपड़ी। तिरवाळी-(ना०) १. पानी के ऊपर तैरने तिलवट । वाली घी, तेल आदि स्निग्ध पदार्थों की तिलमात-(वि०) १. तिलमात्र । तिलभर । थिरकन । तिरमिरा । २. चकाचौंध । ३. २. अत्यन्त थोड़ा। सिर घूमना । चक्कर । ४. मूर्छा। तिलमात्र-दे० तिलमात । तिरवाळो-दे० तिरवाळी । तिलमिलाणो-(क्रि०) पीड़ा के कारण तिरवेणी-दे० त्रिवेणी। विकल होना। तिलमिलाना । छटपटाना । । प्यास । तिरखा। तिलवट-(न0) नाश । दे० तिलपापड़ी । तिरसकार-(न०) १. तिरस्कार । अनादर। तिलवटी-दे० तिलपापड़ी । २. धिक्कार। तिलवटो-(न०) तिल और शक्कर को कूट तिरसाँ मरतो-(वि०)१. प्यास से व्याकुल। कर बनाया हुअा एक खाद्य । तिलौटा । २. इच्छावान। सैलाणी। तिरसो-(वि०)प्यासा । तृषावंत । तिसियो। तिलवड़ी-(ना०) १. एक प्रकार की मुंगोड़ी तिरिया-(ना०) १. त्रिया । स्त्री । नारी। जिसमें तिल मिलाये जाते हैं । २. एक वृक्ष। २. पत्नी तिल संकरांत-(ना०) तिल खाने और दान तिरी-(ना0) तीन बूटी वाला ताश का करने का मकर सक्रांति पर्व । मकर पत्ता । सक्रान्ति । तिल-(न०) १. एक धान्य जिसको पैर कर तिल-साकळी-(ना०) एक खस्ता पूरी जो तेल निकाला जाता है। देव धान्य । गुड़ के पानी में तिल और आटा गूध तिल । २. शरीर पर तिल जितना काला कर बनाई जाती है । साकळी । चिन्ह । काले रंग का छोटा दाग। तिळंगियो-(न०) चिनगारी । मागियो । तिलक-(न०) १. केसर, चन्दन आदि से तिलंगी- (ना०) तेलगू भाषा । ललाट पर अंकित किया जाने वाला तिलंगो-(वि०) तेलंग प्रदेश का । साम्प्रदायिक चिन्ह । टीका। तिलक। तिलिया लाडू-(न०) तिल के लड्डू । २. स्त्रियों के माथे का एक गहना । ३ तिलवा । For Private and Personal Use Only Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिलियो । ५५७ ) तिलियो-(वि०) १. तिलों का। २. तिलों फलीभूत होना । २. भविष्य में शुभकारी से सम्बन्धित । होना। ३. स्थिर रहना। टिकना । तिलियो तेल-(न०) तिलों का तेल । मीठा ठहरना। तेल। तिहत्तर-(वि०) सत्तर और तीन । (न०) तिलेक-(वि०) तिल के जितना। बहुत तिहत्तर की संख्या । '७३' थोड़ा। तिहाई-(ना०) तृतीयांश । तीसरा भाग। तिलो-(न०) नपुंसकता नष्ट करने वाला तिहाव । तेल । तिल । तिहारण-(न०) ऊंट पर तीन व्यक्तियों की तिलोक-दे० त्रिलोक । सवारी । तेळा। तिलोकी-दे० त्रिलोकी।। तिहाळ -दे० तियाळं । तिलोचण-(न०) १. एक सोनी भक्त । २. तिहाळो-(सर्व०) तेरा । थारो। एक वैश्य भक्त । ३. शिव । महादेव । तिहाव-दे० तिहाई। त्रिलोचन । तिहावलो-(न०) १. रुपये का तीसरा तिलोटो-दे० तिलकूटो। हिस्सा । २. तीसरा हिस्सा । तिलोड़-दे० तिलोर । तिहाँ-(क्रि०वि०)यहाँ । उठे। वठे। (सर्व०) तिलोड़ी-(न०) नित्य काम में लिया जाने उनके । उणारे। तेल का छोटा पात्र । नित्य प्रयोग का तिहि-(सर्व०) उसको। तेल पात्र । दीपक में तेल डालने का एक तिहुप्ररण-(न०) त्रिभुवन । पात्र । तेलोड़ी। तिहु-(वि०) तीनों। तिलोर-(ना०) एक पक्षी । तिहुं भुवरण-(न०) त्रिभुवन । तिल्ली -(ना०) १. पेट के भीतर की एक तिहोतर-दे० तिहत्तर । ___ गाँठ । प्लीहा । २. तिल । तिहोतरो-(न०) तिहत्तरवां सम्बद तिवाड़ी-(न०) ब्राह्मणों की एक उपजाति । तियाळी-दे० तियाळीस । तिवारी । त्रिपाठी। तियाळीस-(वि०) चालीस और तीन । तिस-(ना०)तृषा । प्यास । तिरस । (सर्व०) (न०) ४३ की संख्या । उस । उरण । विरण। तिसटगो-(क्रि०) फलीभूत होना । फलप्रद तियासी-(वि०) अस्मी और तीन । (न०) ८३ की संख्या। होना । दे० तिस्ठणो।। तिसड़ी-(वि०) वैसी । तैसी । बड़ो।। तिवरी-(ना०) झींगुर । तिसड़े-(क्रि०वि०) १. तब । २. त्योंही । तिवार-दे० तैवार । (अव्य०) उस समय । तिसड़ो-(वि०) वैसा । तैसा। वैड़ो। तिवारी-दे० तैवारी। तिसायो-दे० तिसियो। तिवाळी-(ना०) १. बेहोशी । मूर्छा । २. तिसळणो-(क्रि०) फिसलना । सिर घूमना । चक्कर । तिसाळ -(वि०) तृषावंत । प्यासा । तिवाळो-(न०) १. बेहोशी का चच्कर । २. तिसियो-(वि०) तृपित । प्यासा । तिरसो। बेहोशी । मूर्छा । तिसा-(वि०) वैसा । बेड़ो । ऊड़ो । प्रोड़ो। ती-(ना०) १. स्त्री। २. पत्नी । तिया । तिस्ठणो-(क्रि०) १. लाभकारी होना । (वि०) १. तीन । २. तीसरा। For Private and Personal Use Only Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ५५८ ) तीक्ष्ण तीक्ष्ण - ( वि०) १. तीखा । तेज धार वाला । २. तेज नोक वाला । ३. तीखे स्वाद वाला । ४. प्रखर । तेज । ५. उग्र । १. श्रेष्ठ । प्रचंड | तीख - ( वि०) २. श्रग्र । ३. तीखा । १. श्रेष्ठता । विशेषता । २. अग्रता । ३. प्रतिष्ठा । मान । ४ ऊँचाई | बड़प्पन | ५. तीखापन । तीक्षणता । ६. ईर्ष्या । तीख - चोख - ( ना० ) १. श्रेष्ठता । विशेषता । २. जाँच । परख । परीक्षा । ३. प्रतिष्ठा । मान । तीखट - ( वि०) तीक्ष्ण । तीखड़ी बोर - ( न० ) एक प्रकार के लंबे और नोक वाले स्वादिष्ट बेर । उच्च | ऊपर । तीखो । ( ना० ) तीखरण - ( न० ) लोहा । दे० तीक्ष्ण । तीखास - ( न० ) तीखापन । तीखापरणो । तीखूणो- दे० तिखूणो । तीखो - (वि०) १. तीक्ष्ण । तेज नोक या धार वाला । २. चरपरे स्वाद वाला । ३. उग्र । ४. अधिक । ५. अच्छा । चढतो । तीखो-याँक- दे० चढतो प्राँक | तीखोली - ( ना० ) १. पर्वत श्रृंग । पहाड़ की चोटी । २. वृक्ष की चोटी । वृक्ष की सबसे ऊँची चोटी । तीग - ( ना० ) दृष्टि | नजर । तीगरगो - ( क्रि०) देखना । जोवरणो । तीछेर - ( न०) एक छोटा भाला । तीज - ( ना० ) १. पक्ष का तीसरा दिन । चांद्र मास के दोनों पक्षों का तीसरा दिन । २. श्रावण शुक्ल पक्ष और भादों कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथियों को मनाया जाने वाला महिलाओं वर्षा कालीन रागरंग का उत्सव | ३. तीज के लोक गीत । तीजरण दे० तीजणी । तीजगी - ( ना० ) चैत्र सुदी ३, श्रावण शु. ३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तीघर और भादों कृ. ३ के त्योहारों को मनाने वाली कन्या व सौभाग्यवती स्त्री । तीज-तिवार - दे० तीज-तैवार । तीज - तैवार - ( न०) १. चैत्र, सावन भादौं की तीजें और हिन्दुनों के अन्य त्योहार ३. त्योहार । तीजवर - ( न० ) तीसरी बार विवाह करने करने वाला या किया हुआ पुरुष । तीजाँत - (वि०) वह ( गाय भैस प्रादि) जिसने तीसरा बछड़ा दिया हो । तीजी - ( वि०) तीसरी । तीजी ताळ - ( क्रि०वि०) १. प्रतिशीघ्र । उसी समय । २. तीसरी ताली बजाते ही । तीजीताळी - दे० तीजीताळ | तीजो - ( वि० ) १. तीसरा । तृतीय । २. अन्य | परायो । तीजोड़ी - (वि०) तीसरी । तीजोड़ो- (वि०) तीसरा । तीज- पोहर - (०) १. तीसरा पहर । २. सायंकाल के पहले का समय । ढळतो दिन । तीठ - ( ना० ) १. संकट । २. कैद । ( उ० तोड़ण मामा तीठ, आयो दोस ऊगलो । ) तोरण - ( न० ) १. चरस । मोट । २. बैलों द्वारा चरस को खिंचवाकर सिंचाई के लिए पानी निकाला जाने वाला कुप्राँ । ३. बैलों द्वारा चरस खिचवाया जाकर कुएँ में से पानी निकालने की क्रिया । ४. पँक्ति । कतार । लेण । तीरणो - ( न०) १. बारीक सुराख । २. छेद | सुराख । ठींडो । तीत - ( न० ) छोटा बच्चा । ( वि०) बीता हुआ | प्रतीत | तीतर - ( न०) एक पक्षी । तीधर - ( न०) तीसरी धरती | विदेश | परदेश | ( क्रि०वि०) कहीं । किवर भी । For Private and Personal Use Only Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५५६) तीसमारखो तीन-(वि०) दो और एक । (न०) तीन की उपवास प्रादि । संख्या । '३' तीरबारा-दे० तीरबारी । तीन-पाँच-(ना०) १. शेखी । २. मिजाज। तीरबारी-(ना०ब०व०) १. दुर्ग के परकोटे तीन-बीसी-(वि०) साठ। उनसठ प्रौर और बुर्ज में बनी वह छिद्र पॅक्ति जिनमें एक । पचास और दस । होकर दुर्ग को घेरे हुए शत्रु दल पर तीर तीब-(ना०) १. एक गहना । २. चूड़ियों अथवा बंदूक की गोलियां चलाई जाती की पत्तियों की जोड़ का एक गहना । ३. हैं। तीरकस । २. तीरों का चलना । फटे हुये वस्त्र के दिये जाने वाला टाँका।। तीर चलने की क्रिया। ४. सिलाई । ५. जोड़ । ६. टाँका। तीरवा-(ना०)बाण छोड़ने पर वह जितना तीबगो-(क्रि०) वस्त्र में टाँका लगाना ।। दूर जा सके उतना अन्तर । तीर वाह । तीब्र-(वि०) १. बहुत तेज । तीव्र । २. तीरवाह-दे० तीरवा। तीक्ष्ण । ३. असह्य । ४. उग्र । ५. जोर- तीरंदाज-(वि०) १. तीर छोड़ने में कुशल । दार। २. निशाना बाज। तीब्रबद्धि-(वि०) मेधावी । तेज बुद्धिवाला। तीरंबाज-दे० तीरंदाज । तीमो-(ना) १. स्त्री । औरत । तीवई। वीरे-क्रिवि) १. किनारे। २. पास । २. पत्नी । लुगाई। निकट । ३. बाद । पीछे । तीयो-दे० तियो। तीर्थ-दे० तीरथ । तीर-(न0) १. नदी, तालाब आदि का तीर्थस्थान-(10) तीर्थयात्रा करने योग्य किनारा। २. बारण । शर। पवित्र धार्मिक स्थान । यात्राधाम । तीरकस-(न०) १. मकान या परकोटे की तीर्थरूप-(वि०) १. पूज्य । २. पवित्र । दीवाल में बने वे छेद जिनमें से तीर या (अव्य०) पिता आदि गुरुजनों के लिये बंदूक की गोली चलाई जाती है । २. (पत्रादि में) प्रयुक्त किया जाने वाला बारणों का भाथा । अादर सूचक शब्द । तीरकारी-'ना०) १. तीरों का युद्ध । बारण तील-(ना०) १. अंगिया । कंचुकी। २. एक युद्ध ।। २. तीर चलाने की क्रिया । गहना। तोरगर-(न०) बाण बनाने वाला। तोवट-(न0) वाद्य और संगीत का एक तीरथ-(न०) १. तीर्थ । पुण्य स्थान । २. ताल । त्रिवट । त्रिताल । किसी पवित्र नदी (गंगा यमुना आदि) के किनारे बना धर्म-स्थान । ३. दसनामी तीवरण-(न०) १. दाल, कढ़ी प्रादि साग । संन्यासियों का एक नामाभिभेद । ४. रसेदार तरकारी। २. व्यंजन । नमकीन संन्यासियों की एक उपाधि । भोज्य पदार्थ । तीरथ-बड़कूलिया-दे० तीरथ-व्रत । तीस-(वि०) बीस और दस । (न0) तीस तीरथराज-(न०) प्रयाग । तीर्थराज। की संख्या । '३०' तीरथ-वरतोलिया-दे० तीरथ-व्रत । तीसमार-दे० तीसमारखाँ । तीरथ-व्रत-(न०) १. तीर्थ और व्रत । २. तीसमारको-तीसमारखाँ । तीर्थ यात्रा के धार्मिक नियम-व्रत । ३. तीसमारखाँ-(वि०)१. अपने आपको बहादुर तीर्थ यात्रा के समय किये जाने वाले व्रत- समझने वाला। २. शेखी मारने वाला। For Private and Personal Use Only Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तीसरी ( ५६० ) तुपक तीसरो-(वि०) १.तीसरा । तृतीय । तीजो। लतीफा । चुटकला । ७. मन की तरंग । २.जिसका प्रस्तुत विषय या विवाद से कोई ८. गप्प । प्रत्यक्ष संबन्ध न हो । दूर का । ३. अन्य। तुख्म-(न०) १. बीज । तुम । २. वीर्य । अप्रत्यक्ष । (न०) १. मृतक का तीसरा ३. वंश । कुल । दिन । २. मृतक का तीसरे दिन किया तुखम-तासीर-(न०) १. बीज का प्रभाव । जाने वाला क्रिया कर्म। २. कुल का प्रभाव । तुख्मे तासीर । तीसू-(अव्य०) १. इसलिये । २. इससे । तुखार-(न०) हिमकरण । पाला । तुषार । तीसो-ही-दिन-(वि०) तीस ही दिन । मास तुग-दे० तुक सं० ६, ७ ।। के तीस दिन में कभी त्रुटि नहीं। अंतर तुगल-(ना०) कान की बाली । वाळी । रहित । निरंतर । लगातार । तुगियाँ-(ना०ब०व०) १. दाढ़ी-मूछ के बाल । तीड-(म0) टिड्डी । टीड। __२. दाढ़ी-मूछ के छितरे हुए (घने नहीं) तीरो-(सर्व०) १. जिसका । उसका। बाल । तु-(सर्व०) १. तेरा। २. मध्यम पुरुष एक तुचा-ना०) त्वचा । चमड़ी। चामड़ी। वचन सर्वनाम । तू (अशिष्ट) तुच्छ-(वि०) १. थोड़ा। अल्प । २. निकृष्ट । तुअ-(सर्व०) तेरा । तुव। क्षुद । अोछा। तुपर-(न०) एक द्विदल अन्न जिसको दाल तुज-दे० तुझ । बनती है । अरहर । तुजीह-(ना०) १. धनुष की डोरी। प्रत्यंचा। तुपाळो-(सर्व०) तेरा। थारो। २. धनुष । तुइजणो-(क्रि०) गाय, भैंस आदि का गर्भ- तुझ-(सर्व०) 'तू' का विभक्ति पूर्व का रूप । पात होना। तुड़िताण-(वि०) १. रक्षक । उद्धारक । तुक-(ना०) १. कविता, पद या गीत की त्रुटिवारण । २. प्रतापी । तेजस्वी । ३. एक कड़ी। २. पद्य के दोनों चरणों के शक्तिशाली । ४. त्वरित तान। (न०) १. अंतिम अक्षरों (शब्द) की मात्रामों का वंगज । २. श्रेष्ठ वीर । जबरदस्त वीर । परस्पर मेल । ३. दो बातों या कामों का (क्रि०वि०) शीघ्र । त्वरित । झट । पारस्परिक सामंजस्य । ४ विषय । बात। तुणको-दे० तिणको । ५. मतैक्य । ६. मत। विचार । ७. तुणणो-(क्रि०) फटे वस्त्र में तुनाई करना। युक्ति । तजबीज । तरकीब । ___ रफू करना। तुकबंदी-(ना०) केवल तुक मिलाकर बनाई तुणाई-(ना०) रफू करने का काम या उसकी जाने वाली कविता। काव्यगुण से रहित उजरत । कविता । तुकबदी । भद्दी कविता। तुगगारो--(न०) तुनने का काम करने वाला। तुक मो-(न०) तमगा । पदक । रफुगर । तुकांत-(न०) अन्त्यानुप्रास । काफिया । तुणावणो-(क्रि०) तुणाई करवाना। रफू तुक्की-(ना०) तजवीज । व्यवस्था । युक्ति । कर वाना। तुक्को -(न०) १. बिना फल का बाण । २. तुनां-(सर्व०) १. तुझे । तेरे को। थनै । भोंठा तीर । ३. बाण । तीर । ४. हीला। २. तेरा। थारो। बमीला । ५.बिना बसीले या बिना विशेष तपक-(ना०) १. एक प्रकार की तोप । प्रयत्न के काम का बन जाना। ६. तुफंग । २. छोटी तोप । ३. बंदूक । For Private and Personal Use Only Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुबड़छ-(न०) टुकड़ा। तुम-(सर्व०) 'तू' का आदरार्थी रूप ।। तुमख-(ना०) रीस । क्रोध । तुमत-(ना०) दोषारोपण । तोहमत । तुमर-दे० तुबर । तुमार-(न०) अनुमान । अटकळ । तुमां-(सर्व०) तुम। तुमीणो-(सर्व०) तुम्हारा । थारो । थाँको । तुमुल-(न०) घोर ध्वनि । (वि०) तीव्र । प्रचंड । घोर । तुम्मर-दे० तुंबर । तुरक-(न०) १. मुसलमान । २. तुर्क। तुरकरणी-(ना०) १. मुसलमान स्त्री। २. तुर्क स्त्री। तुरकाणी-(ना.) १. तुओं का राज्य । मुसलमानी सत्ता। २.तुर्क स्त्री। तुरकरणी। तुरकागो--(न०) १. मुसलमान संस्कृति । तुर्कों का राज्य । तुरकी-(वि०) १. तुर्क देश का। २. ती से संबंधित । (ना.) तुर्की भाषा। तुरग-(न०) १. घोड़ा। तुरंग। (वि०) शीघ्रगामी। तुरगाळ-(न०) १. अश्वदल । २. घोड़ा । तुरगी-(ना०) घोड़ी। तुरत-(प्रत्य०) जल्दी । तुरंत । झट । तुरत बुद्धि-(न०) प्रत्युत्यन्नमति । तुरतरियो-(न०) पकौड़ा । बड़ा । तुरप-ताश के खेल में सबसे प्रधान मान लिया जाने वाला रंग । तुरुप । तुरपणो-(क्रि०) हाथ की सिलाई करना । तुरपाई करना। तुरपाई-(ना०)१.हाथ से की जाने वाली एक प्रकार की सिलाई । हाथ से की जाने वाली बारीक सिलाई । २. बढ़िया सिलाई। तुरम-(न०) एक वाद्य । तुररी-(ना०) १. एक फूक वाद्य । तुरी। २. छोटा तुर्रा । तुरीय तुररो-(न०) १. जरतारी ( के असंख्य तार समूह ) का गोलाकार एक गुच्छा जो राजा या दूल्हे की पगड़ी में लगाया जाता है । तुर्रा। तुरल-(न०) १. वातचक्र । बवंडर । २. प्राधी। तुरस-(वि०) खट्टा । (ना०) १ खटाई । २. दही। तुरसघट-(न०) दधिघट । दही की मटकी । तुरसाई-(ना.) १. खटाई। तुर्शी । २. __ सुस्वाद। तुरही-(ना०) फूंक कर बजाने का एक बाजा। तुरंग-दे० तुरग। तुरंग वदन-(न०) किन्नर । तुरंगारण-दे० तुरगाळ । तुरंगी-दे० तुरगी। तुरंत-दे० तुरत । तुराट-(न०ब०व०) १. घोड़े। अश्वसमूह । २. घोड़ा। तुरियंद-(न०) घोड़ा । अश्व । तुरिया-(वि०) चौथा। चतुर्थ । तुरीय । (ना०) १. अज्ञानता से प्राप्त चेतनता का प्राधार । २. जीव की एक अवस्था । चौथी अवस्था । तुरीय अवस्था । अतिम अवस्था । ३. आत्मा या प्राणी की ब्रह्म में लीन अवस्था। ४ वाणी का वह रूप या अवस्था जब वह मुख में आकर उच्चरित होती है। वाणी का मुह से उच्चरित रूप । वैखरी। ५ घोड़ी। (न०) निर्गुण ब्रह्म । ब्रह्म । तुरी-(न०) १. घोड़ा। २. तुरही नामक __ वाद्य । तुरही । ३. छोटा तुर्रा । ४. जरतारी का तार । जरतार । ४. मोतियों की लड़ियों का फूदा। ६. फूलों का गुच्छा । तुरीय-(ना०)१.वाणी का मुह से उच्चरित __ रूप । वैखरी। २.प्रात्मा या प्राणी की ब्रह्म For Private and Personal Use Only Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir में लीन अवस्था। समाधि अवस्था । ३. तुलावरणो-दे० तुलाणो। घोड़ा । अश्व । तुरी। तुव-(सर्व०) १. तेरा । २. तू । ३. तुम । तुर्क-(न०) १. तुर्किस्तान का बासी। २. ४. तुझे । तुझको। मुसलमान । तुरक। तुवाळो-दे० तुपाळो। तुलछाँ-(ना०) तुलसी । तुलसी का पौधा। तुस-(न०) १. अनाज दाने के ऊपर का तुळछाँ-तेला-(न८ब०व०) कार्तिक शुक्ल ११ छिलका, भूमी । तुष । २. घास । चारो। से होने वाला स्त्रियों का त्रिदिवसीय ३. कटा हुआ या फटा हुआ बहुत बारीक तुलसीव्रत । टुकड़ा। ४. सोने या चाँदी का बारीक तुळछी-दे० तुळसी। टुकड़ा। तुळछी तेला-दे० तुळछाँ तेला। तुसर-(सर्व०) १. तू । २. तेरा। (न०) तुळछी बीड़ो-(न०) तुलसी का पौधा । तुष । तुस । तृण । तुळजा-(वि०) वृद्धा । (ना०) १. माता। तुसांडो-(सर्व०) तेरा । थारो। २. दुर्गा । शक्ति । देवी।। तुस्ट-(वि०) १. खुश । प्रसन्न । राजी । २. तुलणा-(ना०) तुलना । समानता। बराबरी । सरखामणी। तुस्टगो-(क्रि०) १. खुश होना। प्रसन्न तुलगो-(क्रि०) १. तुलना । तोला जाना । होना। २. संतुष्ट होना। ३. संतुष्ट २. जंच जाना। समझ में बैठ जाना। करना । ३. निश्चय होना । ४. समझ में आना। तुस्टमान-(वि०) १. प्रसन्न । राजी । तुष्टतूलवाई-(ना०) १. तोलने की क्रिया। मान । २. अनुकूल । २. तोलने की मजदूरी ।। तुहारी-दे० तुहाळी। तुळसाँ-दे० तुळसी। तुहारो-(सर्व०) तेरा । थारो। तुळसी-(ना०) एक सुगंधीदार पौधा जो तुहाळी-(सर्व०) तेरी । तेरे वाली। थारी। । पवित्र माना जाता है। तुलसी। तुहाळो-(सर्व०) तेरा । तेरे वाला । थारो। तुलसी माळा-(ना०) गल का एक प्राभू- तुहाँ-(सर्व०) १. तेरा । २. तेरे । षण। तुहाँ थिय--(सर्व०) तेरे से । थारै सू। तुला-(ना.) १. तकड़ी। कांटो। २.सातवीं तुहाँ थी-(सर्व०) तेरे से । थासू । थारसू। राशि । तुहिम-(सर्व०) तुम्हारा। तुलाई-दे० तुलवाई। तुअ-(सर्व०) तू। तू । ५। तुलारणो-(क्रि०) तोल करवाना । तुलवाना। तुग-(वि०) १. ऊँचा । उन्नत । २. मुख्य । तुळादान-(न०) दान विशेष, जिसमें किसी ३. प्रचण्ड । ४. बलवान । (न०) १. मनुष्य के तोल के बराबर धन या पदार्थ धरती । २. स्वर्ग । ३. पुत्र । ४. शिखर । का दान किया जाता है । तुलादान ।। ५. पर्वत । ६. मदिरा भर कर रखने का तुलावट-(ना०) १. नाज आदि तोलने का एक बड़ा पात्र । ७. सेना। ८. सेना का काम । २. तोलने की मजदूरी । तुलाई। एक भाग । ६. समूह । ड । टोळो । ३. मंडी में बिकने को प्राये हुये कृषक के तुड-(न०) १. शिर । मस्तक । २. मुंह । नाज को तोलने वाले से लिया जाने वाला ३. चोंच । ४. सूपर की थूथन । ५ सूड । एक कर । (वि०) तोलने वाला। ६. शिव । महादेव । For Private and Personal Use Only Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५६३ ) तुडी-(न०) १. गणपति । गजानन । २. तूतू-(प्रव्य०) कुत्ते को बुलाने का उद्गार। हाथी । (ना0) नाभि । दुडी । सूटी। (न०) कुत्ता (बालभाषा में । तु दिक-दे० तुदी। तू-तू मैं-मैं-(अव्य०) १.बोलचाल । वाग्युद्ध । तुंदिभ-दे० तुदी। २. मारामारी। तुदी-(वि०) तोंदवाला। तूनां-(सर्व०) १. तेरे को । २. तेरे से । तुबरण-(ना०) तूबे की बेल । तूप-(न०) घी । घृत। तुबर-(न०) १. एक वाद्य । २. इकतारा । तूर-(न०) १. एक फूक वाद्य । तुरही। तंबूरा । ३. किन्नर । ४. गंधर्व । तुबुरु । शहनाई । २. एक द्विदल नाज । तूपर । ५. देवता। अरहर । तूकारो-दे० तू कारो। तूल-(वि०) तुल्य । समान । (ना०) रूई । तूजी-दे० तुजीह । तूळी-(ना०) दियासलाई । तीली। तूझ-(सर्व०) १. तेरा । थारो । २. तू ही। तूस-(न०) १. इंद्रायण का फल । २. तूटक-(वि०) १. खंडित । त्रुटित । २. __समझ । बुद्धि । ३. प्रसन्नता। ... अपूर्ण । अधूरो। ३. पृथक । अलग- तूसड़ो-दे० तसतू बो।। अलग । ४. बिछड़ा हुअा। बिखरा हुआ। तूसणो-(क्रि०) १. गाय, भैस आदि का दूध अलग होगया हुआ। देना बंद कर देना । २. गाय, भैस आदि तूटरणो-दे० टूटयो। का गर्भस्राव होना। ३. प्रसन्न होना । तूटफूट-दे० टूटफूट । तुइजरणो । तूहरणो। तूठणो-(क्रि०) १.प्रसन्न होना । खुश होना। तूहड़ो-दे० तसतूबो । तूस सं० १। । २. तुष्टमान होना । ३. अनुकूल होना। तूहणो-दे० तूसणो । तुरण-(न०) १. तीर रखने का भाता । २. तू -(सर्व०) तू। रफू । तुनना। तूकारो-(न०) १. किसी को 'तू' कह कर तूणणो-(क्रि०) रफू करना । तुनना। के संबोधन करने का शब्द । 'तू' संबोधन। तूणारो-(न०) कपड़ों को रफू करने वाला २. अपमानजनक संबोधन । अशिष्ट रफूगर । संबोधन । ३. 'तू' कह कर के बतलाने तूणीर-(न०) तीर रखने का चोंगा। भाता। का भाव । तरकश । निषंग। तूग-(ना०) १. मदिरा पात्र । १. अग्नि- . तू-तड़ाको-(न०) १. बोलचाल । वाग्युद्ध । ___ करण । आग की चिनगारी। करण । आग का चिन बोलाबाली । चड़भड़। २. मारामारी। तूगियो-(न०) अग्निकण । चिनगारी । ३. लड़ाई-झगड़ा। तुंगो-(न०) १. सेना का एक भाग । सेना तूत रियो-(वि०) नीच। प्रोछो। (न०) की एक टुकड़ी। २. यात्रा में साथ वालों कुत्ता । ..... का अलग-अलग हो जाने से बनने वाली तूती-(ना.) १. मुह से बजाया जाने वाला ... एक-एक भाग की इकाई। एक बाजा । २. एक चिड़िया । ३. पानी तूंडो-दे० हूंडो। आदि की पतली धार । तूंती । ४. तू-तू तूतड़ी-(ना०) मुंह से बजाया जाने वाला मैं-मैं । झगड़ा। एक धीमी आवाज का वाद्य । For Private and Personal Use Only Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हू-तरणी (५४ तू-तणी- (सर्व०) तेरी। तेईस-(न०) '२३' की संख्या । (वि०) बीस तूतणी-(ना०) मूत्रनलिका । शिश्न । और तीन । व्यंग्य में)। तेउ-(सर्व०)१. उस । २. उसका । ३. वह । तू-तण-(सर्व०) तेरे। तेख-(न०) १. अभिमान । मजाज । २. तू-तगो-(सर्व०) तेरा। रीस । क्रोष । ३. रूठना । रुष्टता । तूंतणो-दे० तांतणो। नाराजी। तूती-(ना.) १. मुंह से बजाया जाने वाला तेखड़-(ना.) तीन जनों साथ । तीन की एक वाद्य । २. पानी की पतली धार । टोली । ३. मूत्रधारा। तेखणो-(क्रि०) १. नाराज होना। २. गुस्सा तू-थी-ज-(अव्य०) तेरे से ही। तेरे द्वारा करना। रीस करणी। ३. देखना । पेखना । देखरणो। तूं बड़ी-(ना०) तुबी । कमंडल । तेखळ-(न०) १. तीन जनों का साथ । तीन तूबी-(ना०) तू बी बेल का फल । लउपा। की टोली । २. असगुन समझी जाने वाली २. सूखा लउग्रा फल, जिसका साधु लोग तीन वस्तुओं का समूह । ३. घोड़ा ऊंट आदि के पैरों को बांधने की मोटी सांकळ जलपात्र बनाते हैं। तुमड़ी। तुबिया । या रस्सी । ४. घोड़ा, ऊँट आदि के तीन कमंडल। पैरों को बाँधने की क्रिया या भाव । तूंबो-(न०) १. तूंबा । २. तूबा फल को तेखीलो- (वि०) १. जल्दी-जल्दी नाराज हो खोखला कर के बनाया हुआ जल पात्र । जाने वाला । रीसटियो। २. साधारण ३. लउमा या लोका का सूखा फल जो बात के लिये नाराज हो जाने की प्रादत हलका होता है और पानी में तैरने के वाला। समय पास रखा जाता है। तेग-(ना०) तलवार । तृण-(न०) १. तिनका । २. घास । तेगाळ-(वि०) खड्गधारी । योद्धा । (ना०) तृतीय-(वि०) तीसरा । तेग। तलवार । तृतीया-(ना०) पक्ष की तीसरी तिथि । मला तथि । तेगियाँ-तिलक-(न०) १. शूरवीरों में श्रेष्ठ तीज। शूरवीर । २. शस्त्र धारण करने वालों तृप्त-(वि०) १. संतुष्ट । २. प्रसन्न । में श्रेष्ठ वीर पुरुष । तृप्ति-(ना०) १ इच्छा पूर्ति । संतोष । २. तेगी-(वि०)१. तीक्षण धार वाली(तलवार)। प्रसन्नता। २. क्रोधी । ३. तलवारधारी । तुषा-(ना०) १. पास । २. इच्छा । ३. तेगो-(न०)१.तेग । तलवार । २. बाँकापन । लोभ । टेढ़ापन । ३. भाटी राजपूत । (वि०) १. तृषावंत-(वि०) प्यासा ।। जोशीला। तेज । उग्र । २. शूरवीर । तृष्णा -(ना०) १. प्यास । २. लोभ । ३. बहादुर । किसी वस्तु को पाने की तीव्र इच्छा। तेघड़-(ना०) पैर का एक गहना। ते-(सर्व०) १. वह । २. वे । ३. उसको। तेज-(न०) १. प्रकाश । २. पातक । ३. उसे । ४. उसके । ५. जिस । ६. उस। प्रभाव । सामर्थ्य । ४. पराक्रम । ५. (अव्य०) १ इससे । २. अतः । इसलिये। तीक्ष्णता । ६. वीर्य । ७. स्वर्ण । सोना । For Private and Personal Use Only Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेज अंबार ( ५६५ ) ८ पंच महाभूतों में अग्नि तत्व । तेज । तेड़-(ना०) १. दरार। फटन । फटाव । ६. अग्नि । (वि०) १. तीक्षण धारवाला। रा। २. रेखा । ३. भग। योनि । २. द्रुतगामी। ३. महँगा । ४. गरम (लक्षणा-व्यंग्य । ४. निमंत्रण । तेड़ो। मिजाज । उग्र । ५. फुरतीला । ६. तेड़णो-(क्रि०) १. बच्चे को कमर पर चपल । चंचल। ७. चमकीला । ८. शीघ्र उठाना । २. बुलाना । निमंत्रण देना । प्रभाव डालने वाला। ज्योतना। तेज-अंबार-(न०) १. तेजपुंज । २. सूर्य । तेडागर-(वि०)१. निमंत्रण देने वाला । २. ३. ईश्वर । जिसको निमंत्रण दिया गया है। ३. जो तेजण-(ना०) घोड़ी। अश्वा । अश्विनी। निमंत्रण देने से आया है। निमंत्रित । (वि०) नखरेवाली । नखराळी। ४. बालक को कंधे या पीठ पर उठाने तेजरो-(न०)तीसरे दिन पाने वाला बुखार । वाला। तेजरो ताव । तेड़ावणो-(क्रि०) १. बुलवाना । निमंत्रित तेजळ-दे० तेजण । तेजवंत-(वि०) तेजस्वी। . करना। २. कमर में उठावना ( बच्चे को)। तेजवान-दे० तेजवंत । तेडियो-(न०) स्त्रियों के गले में पहिनने का तेजस-(न०) १. सूर्य । २. रुद्र । महादेव ।। एक प्राभूषण । तिमरिणयो । मूठ। ३. वीर्य । (वि०) तेजस्वी।। तेडो-(न०) निमंत्रण । न्योता। बुलावा । तेजसी-(वि०) तेजस्वी । प्रतिभावान । नतो। ___ कांतिवान । तेण-(सर्व०) १. उस । २. उसी । उस ही। तेजस्वी -दे० तेजसी। ३. उसे । उसको । (क्रि०वि०) अतः अततेजागळ-(वि०) तेज गति वाला । तेज गति __ एव । इसलिये । इससे । इणसू। से दौड़ने वाला । (न०) घोड़ा। तेरिण-दे० तेण । तेजाब-दे० तिजाब। तेतलो-(वि०) उतना। तेजाबी-(वि०) १ तेजाब से सम्बन्धित । तेता-(वि०)उतने। उतरा। उत्ता । बतरा। २. तेजाब द्वारा शोधित (सोना, चाँदी दे० वेता। प्रादि)। तेजाळ-(वि०) १. तेजवाला । तेजस्वी । २. तेतीस-(वि०) तीस और तीन । (न०) ३३' की संख्या । तेज गति वाला। ३. उग्र। क्रोधी। तेते-(वि०) उतने । तेता। उतरा। उत्ता। (न०) १. सूर्य । २. घोड़ा। तेजी-(ना०)१. भावों का बढ़ना । महँगाई। । तेतो-(वि०) उतना। उतरो । उत्तो । बतरो। महँगी । सुर्सी । २. शीघ्रता । तीव्रगति । तेथ-(क्रि०वि०) वहां । उठे । बठे। मोय । ३. स्फूर्ति । उत्साह । हौसला । ४. तेयी-(क्रि०वि०) १. जिससे । २. उससे । उग्रता । ५. क्रोष । ६. गरमी । स । उष्णता । (न०) घोड़ा । प्रश्वा ते दी-(प्रव्य०) उस दिन । तेजो-(न०) नागौर जिले के खड़नाळ में तेदीह-दे० ते दी। हुप्रा एक प्रसिद्ध जूझार जाट बीर । २. तेपन-(वि०)पचास और तीन । (न०) ५३' तेजा की सत्यनिष्टा, परोपकार परायणता की संख्या । और वीरता का एक लोक गीत । तेम-(मध्य०) १. तैसे । उसी प्रकार । For Private and Personal Use Only Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ५६६ ) मड़ाराय तेमड़ाराय - ( ना० ) चारणों की प्रावड़देवी । आवड़ देवी का एक नाम । तेयो - ( न०) मृतक का तीसरा । मृतक के तीसरे दिन की क्रिया । तोयो । तोसरो । तेरस - ( ना० ) पक्ष का तेरहवाँ दिन । तेरहवीं तिथि । त्रयोदशी । तेरह - (वि०) दस और तीन । ( न० ) तेरह की संख्या । ' १३ ' तेरह ताळी - ( ना० ) १. एक ही व्यक्ति के द्वारा तेरह मंजीरे एक साथ बजाने की कला । २. एक नृत्य । तेरह पंथ- दे० तेरा पंथ । तेरह पंथी- दे० तेरापंथी 'तेरह बीसी - (वि०) तेरह बार बीस । दोयसो साठ । तेराक - दे० तेरू | तेरापंथ - (न०) बाईस टोला ( स्थानकवासी) जैन सम्प्रदाय से अलग होकर तेरह साधुत्रों के द्वारा प्रवर्तित एक श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय । तेरहपंथ । इसके प्रथम आचार्य भिक्खुगर थे । तेरापंथी - (वि०) तेरहपंथ संप्रदाय का अनु यायी । तेरह पंथी । तेरायल - ( वि०) १. वर्णसंकर । दोगला | २. महानालायक । ३. दुराचारी । व्यभिचारी । ( न०) एक गाली । राळ - ( वि०) १. कुलटा । व्यभिचारिणी । दुराचारिणी । २. दुराचारी । दे० तेरायल । तेरी दे० थारी । तेरीख - ( ना० ) १. व्याज की दर । २. व्याज गिनने का दिन । व्याज लगाने का दिन । ३. व्याज के दिनों का नाम । ४. तारीख । मिती । तेरू - (वि०) तैरने वाला । तिरने वाला । तैराक । कुशल तैराकं । तेरू'डो–(न०) १. मकर सक्रान्ति को तेरह Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेळास कन्यात्रों को एक ही प्रकार की वस्तु भेंट देकर मनाया जाने वाला स्त्रियों का एक व्रतोद्यापन पर्व । २. तेरू डे में दी जाने वाली वस्तु । ३. तेरू डे का भोजन । तेरो - ( सर्व०) तेरा । थारो । थाको । तेल - ( न०) १. तिल, सरसों प्रादि तिलहन को पेल कर निकाला जाने वाला स्निग्ध तरल पदार्थ । वह स्निग्ध पदार्थ जो बीजों में से निकाला जाता है । २. जलाने के काम आने वाला एक खनिज पदार्थ | घास तेल | केरोसीन । तेल चढणो- ( मुहा० ) विवाह की एक प्रथा जिसमें पाणिग्रहण के कुछ दिन पूर्व वर और कन्या के हलदी मिला तेल चढ़ाया जाता है । तेल चढियो- (वि०) तेल चढा हुआ (वर) | तेल चढी - ( ना० ) वर या कन्या के तेल चढाने का उत्सव | (वि०) तेल चढी हुई (कन्या) | तेल चढ्यो- दे० तेल चढियो । तेलड़ी - (वि०) १. तीन लड़ियों वाली । २. तीन परतों वाली । ( ना० ) १. दीपक में तेल डालने का तेल पात्र । तिलोड़ी । २. स्त्रियों का एक श्राभूषरण । लड़ो- (वि०) १. तीन लड़ियों वाला । २. तीन परतों वाला । तेलरण - ( ना० ) १. तेली की स्त्री । २. तेली जाति की स्त्री । तेल फुलेल - (०) सुगन्धित तेल और इत्र । तेळा - ( न०ब०व०) १. ऊँट के ऊपर की जाने वाली तीन जनों की सवारी । २. तीन दिन का उपवास । । तेळायो- (वि०) जिस पर तीन जनों की सवारी की गई हो (ऊंट) तेळास - (ना० ) ऊँट के ऊपर जाने वाली तीन जमों For Private and Personal Use Only एक साथ की सवारी | Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेलियो ( ५६७ ) तेलियो-(वि०) १. तेल के रंग का। काले पांगळ से कार की ऊमर का सवारी का रंग का (ऊँट)। २ तेल वाला । तेल से ऊँट । ४. चिंता। सोच-फिकर । ५. बना चिकना। ३. तेल में भिगा हया। सोच-विचार । तेल से तर । तेवीस-दे० तेईस । तेली-(न0) तेल पेरने और बेचने वाला। तेसठ-(वि०) साठ और तीन । (न०) प्रेसठ __ की संख्या। '६३' घांची । २. तेली जाति का मनुष्य ।। तेलो-(न०) १. त्रिरात्र व्रत । २. तीन दिन तेह-(न०) १. सौष्ठव । सुडौलपन । सौंदर्य । सुन्दरता । ३. तल । थाह । तह । ४. __ का उपवास। तेलोड़ी-(ना०) वह तेल-पात्र, जिससे दीपक क्रोध । रोस । ५. घमंड । ६. वर्षा से भूमि के भीतर तक गीला होने का अंगुली में तेल डाला जाता है । तिलोड़ी। परिमाण । वर्षा परिमाण । ७. वर्षा के तेवटियो-(न०) १. स्त्रियों के गले का एक जल का जमीन में गहरा पहुँचना । गहना । २. लंबाई में जिसके तीन पट्टियाँ तेहड़ो-(वि०) वैसा। जुड़ी हुई हों ऐसा प्रोढ़ने का या घोती की का तेहवो-(वि०) वैसा ।। - जगह काम में लिया जाने वाला पुरुष का तेही-(वि०)१. तसी। २. क्रोधी । (क्रि०वि०) एक वस्त्र। उसी प्रकार । तेवटो-दे० तेवटियो। तै-(न०) १. तय । निश्चय । २. निर्णय । तेवड़-(ना०) १. हैसियत । सामर्थ्य । २. फैसला । (वि०) १. पूरा किया हुआ। मितव्ययिता । किफायत । ३. तजवीज। समाप्त । २. निश्चित । ठहराया हुआ। व्यवस्था । ४. प्रबंध । बंदोबस्त । ५. ३. निबटाया हुआ । निर्णीत । तैयारी । ६. तत्परता । ७. सजावट । ८. तैखानो-दे० तहखानो। सार सम्हाल । देखरेख । ६. व्यंजन। तैड़ी-(वि०) वैसी । तैसी । १०. तीन परत । त्रिपट । (वि०)१. तीन तैड़ो-(वि०) तैसो । वैसो। परत वाला । २. तिगुना। तैनात-(वि०) १. नियुक्त । मुकर्रर । २. तेवड़णो--(क्रि०) १. व्यवस्था करना। २. तैयार । तत्पर । ३. हाजर । मितव्यता से खर्च करना। ३. फालत तैनाती-(ना०) १. हाजरी । २. नियुक्ति । खर्च नहीं करना। ४. सावधानी से गृहस्थी तैनाळ-दे० तहनाळ । चलाना। ५. इरादा करना। विचार ते-परार-(न०) गत दो वर्षों के पहिले का वर्ष। करना। ६ निश्चय करना। तेवड़ो-(वि०) १. तिगुना । २. तिहरा।। तै-पैले दिन-(न०) गत चौथा दिन । २. आने वाला चौथा दिन। तीन परतों वाला। तैयार-दे० तयार । तेवणो-(कि०) कुएँ में से चरस द्वारा पानी तैयारी-दे० तयारी। निकालना। तैयो-(न०) १. मृतक का तीसरा दिन । २. तेवर-(ना०) १. ललाट के तीन बल या । ___ मृतक के तीसरे दिन किया जाने वाला सिलवट । त्योरी । २. भूभ्रग । भृकुटी। क्रिया-कर्म । तीयो । तीसरो।। तेवरी। तराई-(ना०) १. तैरने की क्रिया । २.तैरने तेवाण-(10) १. हाथी, घोड़ा और रथ में सहारा देकर नदी आदि से पार करने तीनों वाहुन । वाहन । २. ऊँट । ३. की मजूरी। For Private and Personal Use Only Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तैराक ( ५६८ ) तैराक-(वि०) १. तैरने वाला। २. तैरने था । तोक । मंडेरा । २. झुड । में कुशल । तेरू। तो-कज-(अव्य०) तेरे लिये । तैरायळ-दे० तेरायल । तोकगो-(क्रि०) १. शस्त्र उठाना। २. तैरी-(ना०) मसालेदार एक बढ़िया घृत प्रहार करना । ३. पकड़ना। ४. प्रतीक्षा पूर्ण खिचड़ी जिसमें बादाम पिस्ता आदि करना । ५. उठाना । सम्हालना । मेवा मिला रहता है । तहरी । तोकायत-(वि०) १. शस्त्र उठाने वाला। तैरीख-दे० तेरीख । तारीख । २. शस्त्र उठाया हुअा । ३. वीर । तैवार-(न०) त्योहार । पर्व । तोखरणो-(क्रि०) राजी करना । संतुष्ट तैवारी-(ना०) वह पदार्थ जो त्योहार के करना । संतोखरणो। उपलक्ष में पौनियों व नौकरों आदि को तोखार-(न०) घोड़ा । अश्व । दिया जाता है। त्योहार के दिन कारू. तोग-(न०) १. मुगल साम्राज्य का एक नारू जातियों को दिया जाने वाला नेग। ध्वज जिस पर सुरा गाय के बाल लगे तैस-(ना०) १. क्रोध । गुस्सा । २. आवेश। रहते थे । २. एक शस्त्र । ३. चक्कर। तोगो-(न०) १. गुस्सा। क्रोध । २. हठतैसू-(सर्व0) उससे। धर्मी । ३. एक प्रसिद्ध राठौड़ वीर । तैस्सितोरी-(न०) हिंदू संस्कृति, कला और युवक । मारवाड़ी भाषा का एक अनन्य प्रेमी इटा. तोछ-(वि०) १. थोड़ा । कम । २. तुच्छ । लियन विद्वान । इनका पूरा नाम लुइजि- (ना०) न्यूनता । पिनो तस्सितोरी (Luiji Pio Tiesitori)| तोछड़ाई-(ना०) १. अोछापन । तुच्छता । ३२ वर्ष की अवस्था में बीकानेर में सन् अोछापणो । २. प्रसभ्यता । गुस्ताखी । १९१४ में इनकी मृत्यु हुई। बेअदबी। तें-(सर्व०) मध्यम पुरुष एक वचन सर्वनाम। तोछड़ो-(वि०) १. अोछा बोलने वाला। तूने । (अशिष्ट)। २. झिड़कने वाला । ३. प्रोछो । हलका। तो-(प्रव्य०) १. प्रायः 'जो' से शर्तबंध हुए ४. असभ्य । ५. गुस्ताख । ६. न्यून । वाक्य में प्रयोग होने वाला अव्यय । तोछो-दे० तोछड़ो। तब । उस स्थिति में । २. ही । भी। ३. तो ज-(अव्य०) तबही । तो हो। पीछे । ४.भले । प्रस्तु। (सर्व०) १.तेरा। तोजी-(ना०) १. तजवीज । २. सुराग । २. तुझको। पता । टोह । तोइचो-(न०) १. एक रास नृत्य । २. ढोल तोटायत-दे० टोटायत । का एक ताल जिस पर तोइचो रास-नृत्य तोटी-(ना०) स्त्रियों के कान का एक नाचा जाता है । तोइचो-ताल। गहना । टोटो। तोइज-(प्रव्य०) १. तभी तो। २. तब ही। तोटो-दे० टोटो । ३. ऐसा होने पर ही । तो हीज। तोड़-(न०) १ तोड़ने की क्रिया या भाव । तो हिज । २. चौपड़ के खेल में प्रतिस्पर्दी की गोट तोक-(न०) कवच । २. लोहे का एक भारी जिस घर में पड़ी हुई हो, उसी घर में छल्ला, जो पुराने जमाने में अपराधी के सहखिलाड़ी की गोट का दांव लग जाने गले में सजा के रूप में पहिनाया जाता से, प्रतिस्पर्दी के गोट के मर जाने को For Private and Personal Use Only Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । ५६६) क्रिया या भाव । ३. नदी के पानी के तोड़ा-फोड़ी-(ना०) तोड़-फोड़ करने की तेज बहाव के कारण किनारों की भूमि क्रिया या भाव । के टूटने की क्रिया । ४. किसी प्रभाव तोड़ायत-(वि०) १. दरिद्री । २. कमी आदि को नष्ट करने वाला पदार्थ, बात वाला । ३. दिवालिया। ४. व्यापार आदि या काम । ५. दही का पानी। ६. में हानि से हुषा निर्धन । टूोड़ो। ५. निष्कर्ष । सारांश । खुलासा। ७. बार। दुखी । ६. शत्रु । ७. जरूरत वाला । दफा । ८. फैसला । ९. प्रतिकार । १०. तोड़ावणो-(क्रि०) तुड़वाना । संगीत का एक ताल जो गायन की कड़ी तोडावाळ-दे० तोड़ायत । समाप्ति पर बजाया जाता है। ताल- तोड़ावाळो-दे० तोड़ायत । अलंकार । मान-उतार । मान । उतार। तोडियोड़ो-(भू००) तोड़ा हुआ। (संगीत-ताल)। ११. प्रथम समागम । तोड़ी-(ना०) स्त्रियों के पांव का एक गहना। प्रथम संभोग। तोड़ो-(न०) १. अभाव । कमी । न्यूनता । तोड-दे० टोड। २. हानि । नुकसान । घाटो। ३. माँग । तोड़को-दे० टोड । जरूरत । ४. एक प्रकार का सिर पेच । तोड़-जोड़-(न०)१. समाधान । घड़ भंजण। ५. जरी के अनेक तारों से बनाई हुई २. समझौता । ३. दांव-पेंच । ४. चाल । एक डोरी जो चूचदार मौर खिड़किया ५. युक्ति । ६. परिश्रम । पाघ के ऊपर बाँधी जाती है। ६. पांव तोड़-(ना०) वायु से पिंडली में होने का एक गहना । तोड़ा। साँकळो । वाली असहनीय टूटन । लंगर । ७. पलीतेदार बंदूक के बंधी रहने तोड़णो-(क्रि०) १. तोड़ना। खंडित करना। वाली जलती हुई रस्सी । जामगी। २. अलग करना । उतारना (फूल)। पलीता। ८. छोटा तमंचा । ६. हाथी के ३. किसी नियम को रद्द करना। ४. पाँव में बंधी रहने वाली सांकल । १०. नियम का उल्लंघन करना। ५. संबध सुतली, रस्सी आदि का छोटा टुकड़ा । विच्छेद करना। ६. बात पर कायम न ११. ऊट । १२. एक हजार रुपये नकद रहना। ७. सेंध लगाना। ८. खतम । समा जाये उतने मान की थैली और करना । मिटाना। ६. किसी के धन को उसमें भरे हुए एक हजार रुपये । रोकड़े हड़प कर के उसे निर्धन बनाना । हजार रुपयों की थैली। १३. वीणा आदि तोड़-फोड़-(न०) १. तोड़ना और फोड़ना। तार वाद्यों में बजाया जाने वाला या तोड़फोड़ । ध्वंसन । गाया जाने वाला अलंकार रूप स्वरतोडर-(न०) स्त्रियों के पांव का एक गहना।। समूह । १४. एक नृत्य प्रकार । १५. टोडर। गायन में राग पलट । १६. जकड़ी तोड़ाक-दे० तोड़ायत । (संगीत)। तोड़ा-दे० तोड़ण। तोडो-दे० टोडो। तोड़ारणो-दे० तोड़ावणो । तोत-(न०) १. पाखंड । ढोंग । २. कपट । तोड़ादार बंदूक-(ना.) तोड़ा से दागी छल । ३. आडंबर । तड़कभड़क । ४. ___ जाने वाली बदूक । पलीते से छोड़ी जाने झूठ । असत्य । ५. समूह । ढेर । (प्रव्य०) बाली बदूक । तो। तब। For Private and Personal Use Only Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ततकं तोतक - दे० तोत ( न०) 1 तोड़ो-दे० तोतलो । तोतलो - दे० तोतळो । www.kobatirth.org ( ५७० ) तो तळो- (वि०) जो तुतला कर बोलता हो । तुतळा । तोतला । तोतो- (वि०) तुतला। (न०) तोता । सुप्रा । सुग्गा । तो थी - दे० तो सूं । तो नू - ( सर्व०) तुझे । तेरे को । तोप - ( ना० ) एक बड़ा आग्नेयास्त्र । तोप । तोपखानो - ( न० ) वह मकान जहाँ तोपें रखी रहती हैं । तोपखाना | तोपची - ( न०) तोप दागने वाला । तो - परण - ( अव्य०) १. फिर भी । तथापि । २. ऐसा होने पर भी । ३. ऐसा करते हुए भी । तोफान - (०) १. उपद्रव । उत्पात । हलचल । २. दंगा फसाद । ३. झगड़ा । लड़ाई । ४. वायु-वेग | आँधी । ५ तूफान । बाढ़ | तोफानी - ( वि०) १. उत्पाती । उपद्रवी । २. तोफानवाला । तोफान से संबंधित | तोब - (०) १. शब्द | आवाज । २. तोबा । ३. तोबड़ा । तो बड़ो - ( न० ) १. चमड़े या टाट का एक थेला जिसमें दाना भर कर घोड़े को खिलाने के लिये उसके मुँह पर बाँध देते हैं । तोबड़ा । २. क्रोध से बिगड़ा हुआ मुँह । रीस के मारे फूला हुआ मुँह । तोबर - ( वि० ) १. वीर । २. मजबूत । ( न० ) तोबड़ा | तोबराळ - ( न० ) घोड़ा । तोबा - ( नं०) १. प्रायश्चित सूचक शब्द | पश्चाताप । २. भविष्य में अनुचित काम न करने की प्रतिज्ञा । परेशानी । ३. हैरानी । तोरण तोम - ( न०) १. यज्ञ । स्तोम । २. प्रार्थना । ३. स्तुति । तोमर - ( न० ) १. एक शस्त्र । २. एक छंद । ३. क्षत्रियों की एक उपजाति । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तोय - ( न० ) पानी | ( अव्य० ) तब भी । फिर भी । तथापि । तोयचो- दे० तोइचो | तोयद - ( न० ) १. बादल । २. घृत । तोरड़ो-दे० टोरड़ो | 1 तोरण - ( न०) १. द्वार । २. मेहराबदार द्वार । ३. किसी उत्सव पर अस्थायी रूप से बनाया हुआ द्वार । ४. परिकर । मूर्ति के आजू बाजू की विशेष प्रकार की मेहराब, जिसमें उस मूर्ति से संबंधित छोटी छोटी मूर्तियाँ आदि अंकित की हुई होती हैं । ५. लाल रंग से रंगा हुआ लकड़ी का एक मेहराबदार विशिष्ट प्रकार का छोटा तोरण, जो विवाह के समय मुख्य द्वार पर लगाया जाता है, जिसको वंदन श्रादि विधियों का संपादन करके दुल्हा पाणिग्रहण के लिये घर में प्रवेश करने पाता है । द्वार तथा तोरण का प्रतीक । ६. वन्दनवार । तोरण -घोड़ो - ( न०) १. दूल्हे का घोड़े पर चढ़ कर तोरण वंदन करने का एक जागीरी लाग । २. घोड़े सवार दूल्हे का तोरण वंदन करने की एक प्रथा । ३. तोरण वंदन का एक नेग । तोरण वांदणो- ( मुहा० ) दुलहे का पारिण ग्रहण करने के लिये ससुर के घर में प्रवेश करने के पूर्व द्वार पर लगे तोरण वंदन की प्रथा का संपादन करना । तोररिण - ( न० ) श्राग्नेय ( श्राग्नेयी) और दक्षिण (निवास) दिशा के बीच की रूपाराम दिशा का एक पर्याय | सोलह दिशाओं में की एक दिशा । कपारास । For Private and Personal Use Only Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तोरणियो । ५७१ ) तोक तोरणियो-(न०) १. विशाखा नक्षत्र । २ रूप में लिया जाने वाला सरकारी टैक्स । एक दिशा । तोरणि । रूपारास। तोलों की जांच करवाने का कर । तोरावाटी-(ना०) जयपुर के पास का एक तोळाट-(वि०) तौलने का काम करने वाला। प्रदेश जहाँ पहले तोमरों का राज्य था। तोलने वाला। तँवरावटी । तोलारण-(न०) तोलने का काम । तोलने तोरू-(ना०) एक बैल और तरकारी बनाने की क्रिया । तुलाई । के काम में आने वाला उसका लंबा फल। तोळावट-दे० तुलावट । तुरई। तोलावणो-(क्रि०) तोल करवाना। तुलतोल-(न०) १. वजन । जोख । तौल । २. वाना। तौलने के काम में आने वाला साधन । तोलै-(अव्य०) तुलना में। समानता में । बाट । ३. महिमा । महत्त्व। ४. प्रतिष्ठा। बराबरी में। (वि०) तुल्य । समान । ५. वातावरण। ६. रहस्य । मर्म । ७. बराबर । अनुमान । तुमार । ८. वजन । भार। तोलो-(न0) बाट । तोल । बोझ । ६. समानता। बराबरी। १०. तोळो-(न०)१. बारह माशा का तौल । एक जाँच । परीक्षा। ११. निश्चित धारणा। कलदार रुपया भर वजन । तोला। २. १२. बाट । बटखरा । १३.ढंग । तरीका। बारह माशा का एक बाट । (वि०) समान । बराबर । तोस- (न०) १. संतोष । सब्र । सबर । २. तोल-जोख-(न०) १. तौल और मूल्यांकन। सत्कार । २. तौर-तरीका । ढंग। तोसक-(न०) रुईदार मोटा गद्दा । तोशक । तोलड़ी-(न०) मिट्टी की हाँडी । हँडिया। तोसण-(कि०) १. संतोष कराना। सब हांडी । तामणी । कराना । संतोखरगो। २. प्रादर-सत्कार तोलगो-(क्रि०) १. तौलना। जोखता । आदि से खुश करना। वजन करना । जोखरणो। २. उठाना। तोसदान-(न०) दारू गोली मादि रखने की ३. शस्त्र उठाना। ४. तुलना करना। सिपाहियों की थेली। ५. अनुमान लगाना । अंदाजयो। तोसाखानो-(न०) अमीरों के वस्त्राभूषण तोल-तुमार(न०) १. ढंग। २. मन की रखने का भंडार। बात । ३. व्यवस्था । ४. वातावरण। तो सारू-(क्रि०वि०) १. तेरे लिये । थार परिस्थिति। ___ सारू । २. तेरे से । ३. तेरे समान ।। तोला-(न०ब०व०) छोटे मोटे (कम ज्यादा) तो सू-(सर्व०) तेरे से । थासू। थारैसू। सभी प्रकार के बटखरे । छोटे-मोटे बाट। तोसो-(न०) संबल । भातो। तोलाई-(ना०) १. तोलने का काम । २. तोहमत-(ना०) १. झूठा कलंक । २. झूठा तोलने का पारिश्रमिक । तुलाई। अभियोग । असत्य आरोप । भारोप। तोला-छपाई-(ना०) १. पुराने बटखरों को तो हिज-(अव्य०) तबही । । यथा समय जांच कराने का सरकारी तोही-(प्रव्य०) १ तो भी। २. फिर भी। नियम । २. पुराने ( घिस जाने से ) तो हूंत-(सर्व०) तेरे से । था। थारसू। बटखरों की जांच करवा कर यथा परि- तोक-(ना०) अपराधी के गले में पहनाने की माण करा के छाप लगवाने के पारिश्रमिक लोहे की भारी हँसली । For Private and Personal Use Only Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तौकीर । ५७३ ) बाक तौकीर-दे० तौक । त्यावलो-(न०) एक तृतीयांश । तृतीयांश । तौर-(न०) १. अहंकार । मिजाज । २.मान। तीसरा भाग । एक पारण । प्रतिष्ठा । ३. अातंक । प्रभाव । ४. तेज। त्याँ-(क्रि०वि०) १. वैसे । त्यु। ज्यु। ५. ढग । चाल चाल ढाल । ६. प्रकार। २. वहाँ । उठ। (सर्व०) १. उन । २. भाँति । उनका । ३. उनके । ४. उनको। ५. त्याग-न०) १. संन्यास । २. उत्सर्ग। उन्होंने । ६. जिनको । तिनको । दान । ३. कुरबानी। प्रात्मत्याग । ४. त्याँरी- सर्व०) उनकी । उणारी । वारी । विरक्ति । ५. विवाह, मौसर आदि त्योर-(सबं०) उनके । उणार । वारे । किरियावरों के अवसर पर नेगियों को त्याँरो-(सर्व०) उनका । उारो । वारो। दिया जाने वाला नेग। ६. नेग में दी त्याँ लग-(अव्य०) तब तक । जठे ताई । जाने वाली वस्तु । त्याँ सू-(सर्व०) उनसे । उणांसू । वासू। त्यागरणो-(क्रि०) १. छोड़ना । तजना । त्याँह-दे० त्यां। त्यागना। त्रइ-(वि०) तीन। त्याग करगो-मुहा०) १. छाड़ना। २. • ई-(वि०) १. तीन प्रकार का । २. तीन । दान देना। (ना०) १. तीन का समाहार । २. त्याग चुकाणो-(मुहा०) १. नेग चुकाना।। त्रिपुटी। याचक जाति को दान देना। २. दान बट-(ना०) १. प्यास । २. लोभ । करना। त्रण-(वि०) तीन । (न0) तृण । घास । त्यागपत्र-(न०) १. इस्तीफा । २. दानपत्र । चारो। त्यागवीर-(वि०) १. बड़ा दानी। दानवीर । त्रणकाळ-(न०) जिस वर्ष में घास की २. त्यागी। पैदावार कम हो। घास के प्रभाव का त्यागियां-तिलक-(न०) दानियों में श्रेष्ठ वर्ष । घास का दुष्काल । दानी। दानियों में शिरोमणि । बहुत बड़ा दानी। त्रणदीठ-(न०) महादेव । शिव । त्रिनेत्र । त्यागी-(वि०) १. स्वार्थ प्रथवा सांसारिक त्राण-(न०) महादेव । सुखों को छोड़ने वाला। विरक्त । त्यागी। दस-(वि०) १. तेरह । २. तीस । २. दानी । दातार । त्रपा-(ना०) शरम । लाज । त्यार-(वि०) तय्यार। अबंक-(वि०) १. तीन बल (टेढ़ापन) वाला। त्यारां-(क्रि०वि०) तब । तरे। त्रिवंक । त्रिवक्र । २. बलवान । जबरत्यारी-दे० तयारी। दस्त । (न०) वीरश्रेष्ठ। वीराधिवीर । त्याव-(न०) तीसरा भाग । तिहाव । २. तीनवौंक । त्रिवंक । ३. एक डिंगल तिहाई । छंद । त्यावली-(ना०) १. रुपये और आनों को बंकड़ो-(न०) डिंगल का एक छंद । लिखने के संकेत रूप में उनके आगे लगाई बाक-(न०) १. ऊँचे किनारों की बड़ी जाने वाली खड़ी अद्ध चंद्राकर रेखा। थाली । भोजन करने की ऊँचे किनारों रुपयों-मानों को दर्शाने वाली रेखा । । की बड़ी थाली। थाल । २. नगाड़ा । २.चौथा भाग। अंबाळ । बक। For Private and Personal Use Only Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रभाग ( ५७१) वाटको प्रभाग-(न०) भाला । भालो। युद्ध वाध । युद्ध मर्दल । त्रभागो-(न०) भाला। बाट-(न०) नगाड़ा। त्रमझड़-(ना०) वर्षा की खूब झड़ी। जोर त्रंबाळ-(न०)नगाड़ा । (वि०)ताम्र संबंधी । की वर्षा । चंबाळवो-(न०) १. ढोल । २. नगाड़ा । त्रमागळ-दे० बागळ। ३. ताम्र संबंधी। त्रमाट-(न०) नगाड़ा। नंबाळो-(न०) नगाड़ा। (वि०) ताम्रवत् । त्रमाळ-दे० बागळ । ताँबे का। त्रय-(वि०) तीन । (न०) तीन का समूह। त्राक-दे० त्राग । त्रयलोचरण-(न0) त्र्यंबक । महादेव। त्राकड़ी-दे० ताकड़ी। त्रसकणो-(क्रि०) १. भयभीत होना। त्राकळो-दे० ताकळो । डरना। बाग-(न०) १. घागा। डोरा। तांतरण । त्रसकाय-(न०) जैन मतानुसार छः जाति २. यज्ञोपवीत । जनोई। के जीवों में से एक । त्रागो-(न०)१. धागा । डोरा । २. जनेऊ । त्रसणा-(ना०) १. तृष्णा । त्रिसणा। २. यज्ञोपवीत । जनोई। ३. अनशन । ४. प्यास । तिरस । धरना । ५. नाराजी । त्रसरेणू-(न०) चमकता हुया वह सूक्ष्म कण त्राछटणो-दे० ताछटरणो । जो छेद में से प्राती हुई धूप में दिखाई बाछणो-(क्रि०) १. मारगा। काटना । २. देता है। छीलना। त्रसळ-दे० विसळ । त्राजवो-दे० त्राजुयो। त्रसींग-(वि०) जबरदस्त । बहादुर । (न०) त्राजुओ-(न०) तराजू । तकड़ी । ताकड़ी। सिंह। बाजो-दे० त्राजुनो। त्रस्त-(वि०) १. भयभीत । डरा हुआ । २. वाट-(न०) १. टाट । खोपड़ी । २. गर्जन । सताया हुमा । त्रसित । ३. वर्षा की झड़ी। जोर की वर्षा । ४. त्रह-दे० सहक । माक्रमण । ५. शस्त्र का प्रहार । ६. त्रहक-(ना०) ढोल, नगाड़ा प्रादि के बजने प्रहार पर प्रहार । झड़ी। की ध्वनि । त्राटक-(न०)१. हठ योग में बिन्दु पर दृष्टि त्रहकणो (क्रि०) ढोल, नगाड़ा आदि का जमाने की एक यौगिक क्रिया। २. वर्षा बजना। की झड़ी। ३. शस्त्रों के प्रहारों की त्रहणो-(क्रि०) १. नगाड़ा बजना। २. झड़ी। डरना। त्राटकणो-(क्रि०) १. आक्रमण करना । २. वहाक-दे० अहक । अचानक आक्रमण करना। ३. गुस्सा त्रहुं-(वि०) १. तीनों ही । तीन । करना । खीजना । ४. बादल का जोर से अंबक-(न०) १ ढोल । २. नगाड़ा। ३. गरजना। ५. मूसलाधार वर्षा होना । महादेव । शिव । त्र्यम्बक । ६. सिंह का आक्रमण के साथ गरजना । त्रंबका(ना.) १. पार्वती । २. दुर्गा । त्राटको-(न०) अाक्रमण । २. प्रा पड़ने वाला अंबा-(ना०) १. गाय । २. घोड़ी। अचानक संकट । ३. अत्यन्त दुखदायी अंबागळ-(न०) १. नगाड़ा । २. ढोल । ३, शोक समाचार । ४. एक डिगल छद । For Private and Personal Use Only Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाटणो ( ५७४) त्रिका त्राटरगो-(क्रि०) १. आक्रमण करना। २. त्रासणो-(क्रि०) १. डराना । त्रास दिखाना । क्रोध में जोर से बोलना। ३. जोर से २. मारना . ३. तराशना। ४. हैरान गरजना। करना। ५. हैरान होना । ६. डरना। त्राटी-दे० टाटी। वासियो-(वि०) १. तृषित । २. पीड़ित । त्राठणो-(क्रि०) १. भागना । दौड़ना । २. त्रासो-(वि०) १. प्यासा। २. डरा हुप्रा । विलय होना। दे० तासो। बाड़-(ना.) १. जोर से रोना । रुदन । २. त्राहि-(प्रव्य०) रक्षा करो। बचायो । गर्जना । ३. भय । डर। त्राहिमाम-(अव्य०) मेरी रक्षा करो। बाड़णो-(त्रि०) १. गर्जन करना। २. वांबको-दे० त्र्यांबको। उत्साहित होना। ३. उत्साहित करना। त्रांबागळ-दे० त्रांबाळ । ४. ताड़ना। ५. धिक्कार देना। ६. त्रांबाट-(न०) नगाड़ा । मारना । ७. काटना । तोड़ना । ८. जोर प्रांबाड़णो-दे० तांबाडणो । से रोना . चिल्लाना । ६. डराना । १०. बांबाड़ो-दे० तांबाड़ो। धमकाना। त्रांबाळ-(न०) १. तांबे के कूडे (टोप) पर वाड़ कणो-दे० ताकड़ णो । मढ़ा हुप्रा बड़ा नगाड़ा। २. तांबे के घेरे त्राण-(न०)१. कवच । २. ढाल । फलक । पर मढ़ा हुअा बड़ा ढोल । (वि०) १. ३ रक्षा। रक्षण । बचाव । भय से तांबा से संबंधित । २. तांबा का बना छुटकारा । ४. शरण । हुआ । ताम्रनिर्मित । वारणो-(वि०) त्राण करने वाला । रक्षक। त्रांबाळो-दे० त्रांबाळ । त्रात-दे० त्राता। त्रांस-(ना०) १. वह सीध जो लक्ष्य से वाता-(वि०) १. रक्षक । २. उद्धार करने इधर उधर हो। २. टेढ़ाई । टेढ़ापन । वाला। वक्रता । वाँक । त्राप (न०) १. ऊँट की लात । २. कुदान । त्रांसो-(वि०) १. जिसकी सीध लक्ष्य पर न छलांग । ३. तेज दौड़। ४. तमाचा। हो । २. टेढ़ा । वक्र । धांको । वाँको । थप्पड । ५. दुख । संकट । ताप । ६. त्रि-(वि०) तीन । भय । डर । अातंक । त्रिक-(न०) तीन का समुदाय । त्रापड़-(ना०) १. छलांग । कुदान । २. ऊंट त्रिकळ-(न०) १. तीन मात्रामों का शब्द । की लात । ३. ऊँट की तेज दौड़। ४. दोहे का एक भेद । जमीन पर बिछाने का मोटा कपड़ा । ५. त्रिकळस-(न०) १. सिवाने के किले में नौ मृतक की शोक सूचक बैठक । चौकियों का ऐतिहासिक गवाक्ष । २. त्रापड़णो-(क्रि०) १. कूदना । छलांग श्रेष्ठ कारीगरी का गवाक्ष जिसके ऊपर मारना । २. ऊँट का लात मारना। ३. स्वर्ण के तीन कलश चढ़े हुए होते हैं और ऊँट का तेज भागना । चित्रकारी की हुई होती है । वापो-दे० तापो। त्रिकाळ-(न०) १. भूत, भविष्य और वर्तत्रास-(न०) १. डर । भय । २. धाक। ३. मान-तीनों काल । २. प्रात: मध्याह्न और दुख । कष्ट । संताप । ४. जुल्म । त्रास। सायं-तीनों समय । ३. संध्या । सांझ । ५. परेशानी । हैरानी। (वि०) १. तीनों ही अवस्था में (जीवन चौकियों का For Private and Personal Use Only Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्रिकालन ( 1) विधारो भर) पागल का जीवन जीने वाला । २. विजड़-(न०) १. तलवार । खड्ग । २. बिलकुल पागल । ३. महामूर्ख । गहलो। कटारी । ३. कोई शस्त्र । त्रिकालज्ञ-दे० त्रिकालदर्शी । त्रिजड़हथ-(वि०) तलवार धारी। शस्त्र त्रिकालदर्शी-(वि०) १. तीन काल की धारी । खडगहयो । जानने वाला। त्रिकालज्ञ । २. तीनों विजड़ी-(ना.) १. तलवार । तरवार । कालों को देखने वाला। २. कटारी। त्रिकाल संध्या-(ना०) १. प्रातः, मध्यान्ह त्रिजात-(वि०) तीसरी जाति से उत्पन्न । और सायं का समय । २. प्रातः, मध्यान्ह व्यभिचार से उत्पन्न । (न०)जातिसंकर । और सायं-इन तीनों समयों में किये जाने विजात-रो-मूत-(न०) १. वर्णसंकर । २. वाले संध्या, तर्पण प्रादि दैनिक धार्मिक एक गाली। कर्मकाण्ड । ३. ठीक संध्या का समय । त्रिजामा-(ना०) रात । रात्रि । ऐन संध्या। ४. तीनों संध्याओं का त्रिपकाळ (न०) वह वष जिसम या त्रिणकाळ-(न०) वह वर्ष जिसमें घास की समाप्ति विधान। उपज कम अथवा बिल्कुल नहीं हुई हो । त्रिकुट-दे० त्रिकुट गढ़। घास के अभाव वाला वर्ष । तृण दुष्काल। त्रिकुटगढ़-(न०) १. लका। २. लंका का त्रिरण-(न०) १. तृण । घास । २. तिनका । गढ़ । ३. लंका का त्रिकुटाचल पर्वत । सींक । (वि०) तीन । त्रिकुटाचल-दे० त्रिकुट गढ़। त्रिणमात्र-दे० तिरणमात । त्रिकूटो-(न०) सोंठ, मिर्च और पीपर का त्रिणि-दे० त्रिण । मिश्रित चूर्ण। त्रिणेव-(अव्य०) तीनों ही । तीन ही। त्रिकुटबंध-(न०) डिंगल का एक छंद ।। त्रिणो-(न०)१. तृण । तिनका । २. घाम। त्रिकोण-(न०) तीन कोनों वाली प्राकृति । चारा। तीन कोनों वाली कोई वस्तु । त्रिभुजक्षेत्र । त्रिण्ह-(न०) तीन की संख्या । (वि०)तीन । त्रिकोणगढ-दे० त्रिकुट गढ़ । त्रिताल-(न०)वाद्य का एक ताल। तिताला। त्रिकोरिणयो-(वि०) तीन कोनों वाला। त्रितीया-(ना०) मास के पक्ष का तीसरा तिकोरिणयो। __ दिन । तृतीया तिथि। त्रिखा-(ना०) १. प्यास । तपा। तिरस । त्रिदस-(न०)१. देवता। २. त्रिनेत्र । शिव । २. तृष्णा । __ (वि०) तेरह । त्रिखावंत-(वि०) तृषावान् । प्यासा । त्रिदेव-(न0) ब्रह्मा, विष्णु और महादेव । तिरसो। त्रिदोष-(न०) वात्, पित्त और कफ-शरीर त्रिखूरिणयो-दे० तिखूणियो। ___ के ये तीन दोष । त्रिगुण-(न०) १. सत्व, रज और तम ये विधा-(अव्य०) १. तीन प्रकार से। २. तीन गुण । (वि०) तिगुना । तीन गुना। तीन ओर से । ३. तीन तरफ में । तिगुणो। त्रिधार-(न०) १. भाला विशेष । २. त्रिगुणनाथ-(न०)त्रिगुणपति । परमेश्वर। तिधारा । ३. तीन धाराएँ । त्रिचख-(न०) महादेव । त्र्यम्बक । त्रिचक्षु। त्रिधारी-(न०) तीन कोनों वाली रेति । त्रिजटा-(ना०) रावण की बहिन का नाम। अरगती । तिधारी। अशोक बाग में सीता की चौकी करने त्रिधारो-(न०) एक प्रकार का भाला । वाली राक्षसी। (वि०) तीन धाराओं वाला। For Private and Personal Use Only Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्रिसणा त्रिनेत्र । ५७ ) त्रिनेत्र-(न०) महादेव । शिव । वह स्थान । त्रिपथ । २. सीन जनों का त्रिपट-(वि०) १. तिगुना। २. तीन परतों साथ । वाला । ३. दुष्ट । ४. कष्टदायी। त्रिमासिक-(वि०) तीन में होने वाला। त्रिपत-(वि०) तृप्त । संतुष्ट ।। त्रिया-(ना०) १. स्त्री । २. पत्नी । त्रिपथ-(न०) १. जहाँ तीन मार्ग मिले वह त्रिलोक-(न०) त्रिभुवन । तीन लोक (स्वर्ग स्थान । २. स्वर्ग, पाताल और मृत्युलोक । ताल)। त्रिपथगा-(ना०) गंगा। त्रिलोकी-(ना०) त्रिलोक । (वि०) त्रिलोक का। त्रिपथा-(ना०) गंगा । त्रिपथगा। त्रिपंखो-(न०) डिंगल का एक छंद। त्रिलोकीनाथ-(न०)तीनों लोकों का स्वामी। त्रिभुवनपति । परमात्मा। त्रिपाठी-(न0) ब्राह्मणों की एक अल्ल । त्रिलोचण-(न०) शिव । महादेव । (वि०) तीन वेदों का पठन करने वाला। त्रिलोचन । त्रिवेदी। त्रिपिटक-(न०) सुत्त, विनय और अभिधाम त्रिलोचन-दे० त्रिलोचण। त्रिलोयण-(न०) त्रिलोचन । शिव । इन तीनों प्रकार के बौद्ध ग्रन्थों का समूह । महादेव । त्रिपुरार(न०) त्रिपुरारि । महादेव । त्रिवट-दे० तीवट । त्रिपुड-(न०) तीन रेखाओं वाला शैव त्रिवलि-(न0) पेट के तीन बल । पेट के तिलक । त्रिपुण्ड्र । ऊपर पड़ने वाली तीन वलि । त्रिवलि । त्रिपोळियो-दे० तिपोळियो। त्रिवाड़ी-(न0) ब्राह्मणों की एक प्रल्ल । त्रिफला-(न०) हरे, बहेड़ा और आँवला त्रिपाठी । तिवारी। इन तीनों का सामाहार या चूर्ण । त्रिविक्रम-(न०) विष्णु । त्रिबंक-(न०)१. डिंगल का एक गीत-छंद । त्रिविष्टप-(न0) स्वर्ग । २. नगाड़ा। त्रिवेणी-(ना०) १. गंगा, यमुना और त्रिभग-(न०) भाला। सरस्वती। २. वह स्थान जहाँ तीनों का त्रिभंग-(वि०) १. जो पाँव, कमर और संगम होता है । प्रयाग । ३. इड़ा,पिंगला गरदन इन तीनों जगहों से टेढ़ा हो। और सुषम्ना-ये तीनों नाडियाँ (हठयोग)। (न०) इस प्रकार की टेढ़ाइयों से खड़े त्रिवेदी-110) तीन वेदों को जानने वाला। होने की स्थिति । २. ब्राह्मणों की एक अल्ल । त्रिभंगी-(न०) १. एक छंद । २. एक राग। त्रिशक्ति-दे० त्रिसकति । ३. एक ताल । दे० त्रिभंग। त्रिशल-(न)तीन अनियों वाला एक शस्त्र । त्रिभाग-दे० विभागो। त्रिशूल । शिवास्त्र । विभागो-(न०) १. भाला। २. तीन धार त्रिस-(10) तृषा । प्यास । तिस । वाला शस्त्र। त्रिसकति-(ना०) १. दुर्गा, सरस्वती और त्रिभांड-दे० तिरभाँड । लक्ष्मी । तीन देवियां । त्रिशक्ति । २. त्रिभूवरण-(न०) स्वर्ग, मृत्यु और पाताल, दुर्गा । ३. गायत्री। ये तीनों लोक । त्रिभुवन । त्रिसणा-(न०) १. तृष्णा। प्यास । २. त्रिभुवन-दे० त्रिभुवण । अप्राप्त वस्तु को पाने तीव्र इच्छा । ३. त्रिभेटा-(न०) जहाँ तीन मार्ग मिलते हों, लोभ । For Private and Personal Use Only Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १७७ ) त्रिसत-(वि०) तृषित । प्यासा । तिरसो। त्रेताजुग-(न0) चार युगों में दूसरा जो त्रिसळ-(न०)ललाट के तीन सल । १२६६०० वर्षों का माना जाता है । त्रिसींग-दे० त्रसींग। त्रेतायुग। त्रिसूळ-३० त्रिशूळ । ओपन-दे० तेपन । त्रिसो-(वि०) प्यासा । तिरसो। वटो-दे० तेवटो। बिह-(वि०)१. तीन । २. तीनों। तीनों ही। त्रेवड़-दे० तेवड़। त्रिभुवरण-(न0) त्रिभुवन ।। वडो दे० तेवड़ो। त्री-(ना०) स्त्री । (वि०) १. तीन । २. मठ--(वि०) साठ और तीन । (न०) साठ तीस। __ और तीन की संख्या । '६३' त्रीकम-(न०) १. त्रिविक्रम । २. वामन । हर ह-(न०) १. वर्षा से भूमितल के गीला त्रीज-20 तीज। होने का अंगुली परिमाण । वर्षा का त्रीजो-(वि०) तीसरा । तृतीय । . पानी जमीन में गहरा पहुँच जाने का त्रीठ-(न०) बाजा । (ना०)१. पीड़ा । दुख । परिमाण । २. वर्षा का पानी जमीन में २. दृष्टि । गहरा पहुँचना । तेह । त्रीण-(वि०) तीन । त्रीनैण-(न०) महादेव । त्रिनेत्र। त्रोट-(ना०) १. शत्रुता । वैर। दुश्मनी । २. मनमुटाव । ता। ४. त्रीपंचाद-(ना०)राजस्थानी साहित्य की १६ । दिशाओं की पंचाद दिशा का एक पर्याय।। __ हानि । घाटा। पंचादकूरण । त्रोटक-(न०) एक छंद । त्रीस-दे० तीस । प्रोटी-दे० तोटी या टोटी। श्रींगडो-(वि०)१. तीनों फलों वाला(वाण)। त्रोटो-(न०)१. कमी। २. हानि । नुकसान । २. तीन सींगों वाला । ३. जबरदस्त । घाटो। टोटो। टपो-दे० टूटणो। तोड़गो-दे० तोड़णो। ठणो-दे० तूठणो। त्र्यांबको-(न०) १. 'भूखियो-भळको' नाम वेख-दे० तेख। का एक शस्त्र । २. एक प्रकार का भाला । खड़-दे० तेखड़। भाला। त्रियांबिका। ग्रेडियो-दे० तेड़ियो। त्वां-(सर्व०) १. तुमको। २. तुम। ३. त्रेता-(वि०) तीसरा । (न०) त्रेतायुग। तेरा । थ थ-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्णमाला होने का प्रयत्न । ३. घुटने चलने वाले का सत्रहवां व्यंजन वर्ण और दंत स्थानीय बच्चे की खड़े होने की क्रिया व स्थिति । त वर्ग का दूसरा वणं। थइ करणो-(मुहा०) घुटने चलने वाले थइ-(ना०) १. नाचने की मुद्रा और ताल । शिशु का खड़े होने का प्रयत्न करना । २. शिशु का बिना सहारे पांवों पर खड़े थई-(ना०) एक के ऊपर एक इस प्रकार For Private and Personal Use Only Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । ५७८ ) सिलसिलेवार जमा कर रखी हुई (प्रायः थके-दे० थका । एक जैसी) वस्तुग्रों की राशि । (भूफि०) थके ई-दे० थकइ । १. हो गई । २. बनी । बन गई । रची। थकेड़ो-दे० थकियोड़ो। थक-(न०) १. ढेर। राशि । थग। २. थकेल-दे० थकेड़ो। समूह । अँड । ३. थकान । थकावट। थकेलो-दे० थकेड़ो। थकाइ-(अव्य०) १. से । २. थके । ३. होने थको-(अव्या) १. लगाया हुआ। किया से । होते । होते हुए ।यका। हुमा । हुआ। २. होता हुमा । रहता थकणो-(क्रि०) १. परिश्रम से थकावट हुा । ३. होते हुए। रहते हुए । ४. के होना। क्लांत होना । थाकरणो। २. लिए । ५. के कारण। के द्वारा। ६. दुर्बल होना। प्रशक्त होना। ३. कृश समान । होना । दुबला होना । ४. ऊब जाना। थकोड़ो-दे० थाकोड़ो। (स्त्री० थाकोड़ी) थका-दे० थका। थकोणो-(क्रि०)१. थका देना। २.हरादेना। थकाई-दे० थकारण । दे० थकाई । थकोवरणो-दे० थकोगो। थकारण-(ना०) थकान । थकावट । श्रान्ति । थग-(न०) १. ढेर । राशि । विगलो। २. थाकलो। थकारणो-(क्रि०) १. श्रान्त करना । शिथिल __थाह । ३. अंत । छह । पार । करना। थकावरगो। २. अधिक परिश्रम थग आवरणो-(मुहा०) पार पाना । समाप्त होना। करवाना। ३. हैरान करना। ४. हराना। थकार-(न०) 'थ' अक्षर । थथ्यो । थग लागणो-(मुहा०) ढेर लगना । ढिगलो थकाव-दे० थकावट । होणो। थघ-दे० थग। थकावट-दे० थकारण। थकावरणो-दे० थकाणो। थट-(न०) १. सेता । २. भीड़ । ३. राशि । ढेर । थकाँ-(अव्य०) १. होते हुए । रहते हुए । २. होने पर भी । रहने पर भी। ३. हुए थट जमगो- (मुहा०) खूब भीड़ होना । भी । रहे भी । ४. स्थिति में। होकर। थटणो-(क्रि०) १. इकट्ठा होना। भीड़ ५.. से। करना । २. समूह रूप में प्रगट होना । थकाई-(प्रव्य०)१. हुए भी । होते हुए भी। ३. समूह के साथ प्रवेश करना। ४. डटे २. रहते हुए भी। ३. से ही। से भी। रहना । डट जाना। ५. शोभित होना। थकेई। ६. सज्जित होना । ७. खदेड़ना। हटाना । थकित-(वि०) १. स्थगित । २. चकित । थट लागणो (मुहा०) १. भीड़ होना । २. दिग्मूढ़ । ३. थका हुआ । थाकोड़ो। ढेर लगना । थकियोड़ो-(भ००) थका हुया । श्रांत। थटवै-(न०) सेनापति । थकी-(प्रव्य०) १. लिये । वास्ते । २. रहती थट्ट-दे० थट । हुई। होती हुई । ३. के कारण। के थट्टो-(न0) राजस्थान के पश्चिम में एक द्वारा । से (प्रत्य०) १. से । २. में से। मरुप्रदेश । थट्टा । २. एक नगर । ३. थकीजणो-(क्रि०) १. थकने को मजबूर समूह । थाट । होना । ६. थकना। थड़-(न०) १. धड़ । २. तना । गोढ । For Private and Personal Use Only Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1) पपेड़को थड़णो-(कि०) १. इकट्ठा होना । २. सामने वाला। स्थिति-बहिर । मतिहीन । २. पाकर खड़ा होना । ३. प्रगट होना। अविश्वसनीय । ३. निर्धन । थड़बड़-(ना०) १. लड़ाई । झगड़ा । खड़- थतवाळो-(वि०) सम्पन्न । बड़। २. लड़खड़ाहट। थतहीणो-(वि०) निधन । थड़बड़णो-(क्रि०) १. लड़ना । झगड़ना। थतियो-(क्रि०वि०) निरंतर । स्थायी रूप खड़बड़ना। २. युद्ध करना। ३. लड़- से। रोजीना । थितियो। खड़ाट । थतै-(प्रव्य०) होते हुए। थड़बड़ाट-(ना.) १. लड़ाई । हाथापाई। थतो-(अव्य०) होता हुआ । बनता हुआ । २. बोल चाल । खड़बड़ाहट । ३. लड़- थत्ती-(ना०) किसी वस्तु का करीने से खड़ाना। ___लगाया हुअा ढेर । चिन कर रखी हुई थड़ी-(ना0)१. शिशु का बिना सहारे (पांवों नाज आदि से भरे हुए थैलों की राशि । पर) खड़े होने की स्थिति व क्रिया। थथेड़णो-(क्रि०) मोटा लेप करना।। .. यह । २ थप्पी । ढेर । गंज ढग। थथोबो-(न0)१. दम-दिलासा । तत्तोवो। थड़ो-(न०) १. मृतक के दाह स्थान पर तत्तोथवो । २. झांसा । झूठा आश्वासन । उसके स्मरणार्थ बनाया गया देवल । ३. झूठा भरोसा। देवळी । छतरी । २. श्मशान । ३. ऊँट थथ्थो-(न०) 'थ' वर्ण । थकार । के पलान के नीचे लगी रहने वाली गद्दी। थन-दे० थरण। थण-(न०) १. गाय, मैंस प्रादि का स्तन । थनक-(न0) नाचने का शब्द । थनकधन । २. स्तन । थनक। थणकढ-(वि०) १. थन से निकला । तुरंत थनथन-(अव्य०) नाचने की आवाज । का। ताजा (दूध)। २. धारोष्ण (दूध)। थप-उथप-दे० थाप-उथाप । सड़कट। थपकरणो-(क्रि०) १. शरीर पर हलके हाथ थण-~घणी-(पव्य०)पाणिग्रहण को जाते से ठोंकना । धीरे धीरे ठोंकना । २. पुच. समय दूल्हे का और युद्ध में जाते समय कारना। वीर का, माता का स्तनपान करने की थपकियो-(न०) कुम्हार का वह थपना एक मध्यकालीन प्रथा। (माता अपने जिससे मिट्टी के गीले बरतनों को ठोंक ठोंक दूध की शक्ति और वंश की उज्वलता की कर संवारता है । थपियो। टपलो। स्तनपान करवा कर याद दिलाती है कि थपकी-(ना०) हथेली का हलका आघात । वह उसके दूध को लजायेगा नहीं और थापी। विजय करके ही लौटेगा)। थपणो-(क्रि०) १. स्थापित होना। २. थणाणी-(ना०)१.स्तनों वाली । २. स्त्री। स्थापित करना । ३. निश्चित होना । ४. थरिणयाळो-(ना०) गाय, भैस आदि थन . थपथपाना । वाला मादा पशु । (वि०) स्तनों वाली। थपथपियो-(न०) कुम्हार । थणी-(ना.) १. स्त्री। २. स्तनों वाली। थपथपी-(ना०) थपकी। थत-दे० थित। थपाणो-(क्रि०)स्थापित करना। थत बायरो-दे० पत बाहरो। थपियो-दे० थपकियो । टपलो। थत बाहरो-(वि०) १. अस्थिर स्वभाव थपेड़णो-(कि०) १. थपाना । थपथपाना । For Private and Personal Use Only Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पप्पर (१०) पळी थप्पड़-(ना०) चांटा। तमाचा । झापड़। थरकमान-(वि०) पाश्र्यान्वित । चकित । थप्पड़ । थाप । थापड़ी। थप्पणो-(क्रि०)१.स्थापित करना । थापरणो। थरथर-(ना.) कंपन । पूजणी। २. स्थापित होना । थपणो। __ थरथरणो-(क्रि०) कांपना । थर्राना । थप्पी-(ना०) १. एक के ऊपर एक रख कर धूजना । धूजणो । बनाया हुअा गंज। करीने से रखी हुई थरथराट-(न०) थरथराहट । कंपन । वस्तुओं का ढेर । व्यवस्थित राशि । २. धूजणी।। एक समान वस्तुओं की खड़ी की हुई थरथराटी-(ना०) कंपकंपी। कंपन। धूजन । श्रेणी । थत्ती। थरथराहट । थबोळो-(न०) १. पानी का धक्का। जोर थरथराणो-(क्रि०) १. भय या ठंडी से की लहर । हिलोरा । हबोळो । हिलोळो। कांपना । २. कापना । २. लहर । तरंग। थरपणा-(ना०) स्थापना । पापना । थम-(न०) १. स्तंभ । थंभा । २. रोक । थरपणो-(क्रि०) स्थापित करना । स्थापना रुकावट। करना । थापरणो। थमरणो-(क्रि०) १. ठहरना। २. रुकना। थरमो-(न०) एक प्रकार का कपड़ा। ३. प्रतीक्षा करना। थुलमा । थुरमो । थिरमो। थया-(भू०क्रि०) 'थयो' का बहुवचन रूप। थरहरणो-(क्रि०) कॉपना । धूजना । हुए । होगये। थळ-(न०) १. मरुस्थल। २. स्थान । स्थल । थयो-(भू०क्रि०) 'होणो' अथवा 'होवणो' ३. टीना । घोरो। ४. भूमि। (हिंदी में होना) क्रिया का भूतकालिक थळचट-(वि०) १. थालीभर खाने वाला। रूप 'हुनो' (हिन्दी में 'हुमा' या 'होगया' बहुत खाने वाला। थाली चट्ट । २. अर्थसूचक पर्याय ।) हया । होगया। पराया धन हजम करने वाला। थर-(ना०) मलाई । साढ़ी । वालाई। थळचर-(न०) पृथ्वी पर रहने वाले जीव । थरकरण । (न०) १. तह । परत । स्तर थळरणो-(क्रि०) १. तैयार करना । २. (कपड़े आदि की) २. दीवार की चिनाई संवारना । दुरस्त करना । (न०) तैयार में ईटों या पत्थर की एक तह । ३. किये जारहे आभूषण को संवारने या सही ___ करने का एक औजार । थलिया। चढ़ती-उतरती (बड़ी-छोटी) चूड़ियों का थळपति-(न०) राजा। सैट (जत्था) ४. एक के ऊपर एक की थळवट-(न०) १. थल प्रदेश । थळ । ऊंची. चुनाई । थप्पी। ५. भैल आदि की पळी । २. स्थलमार्ग। जमीन मार्ग । जमी हुई परत । पपड़ी। ६. राशि। थळवाट । ३. जमीन । थळवाट-दे० थळवट । थरक-(न०) १. आश्चर्य । विस्मय । थळियो-(वि०) १. थल प्रदेश का निवासी। प्रचरज । २. डर । भय । २. गवार । मोयो। (न0) सुनार, ठठेरों थरकण-(ना०)१. मलाई । साढ़ी। बालाई। का एक औजार । थलना । थळरणो । थर । २. कंपन । धूजणी। थळी-(ना०) १. मारवाड़ का एक भाग । थरकरणो-क्रि०)१. थिरकना । २. कांपना। २.राजस्थान का एक प्रदेश । ३.रेगीस्तान । धूजणो। मरुभूमि । थल प्रदेश । For Private and Personal Use Only Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पळीदेस थागड़ थैया थळीदेस-(न०) १. राजस्थान का रेगीस्तानी थाकणो-(क्रि०) १. थकना । क्लान्त होना। भाग । २. मरुप्रदेश । मारवाड़ । २. दुबला होना। ३. अशक्त होना। थळे चर-दे० थलचर। कमजोर होना। ४. हैरान होना । ५. कम थवरणो-(क्रि०) होना। पड़ना। थह-(ना०) १. गुफा । कंदरा । २. स्थ न। थाकल-(वि०) १. थका हुधा । २. दुबला । जगह । ३. सुरक्षित स्थान । ४. किला। ३. निर्धन । गढ़ । ५. गहराई का अंत । थाह। थाकी-(सर्व०) तेरी । थारी । थहरणो-(क्रि०) होना। थाके-(सर्व०) तेरे। थही-दे० थई। थाकेड़ो-दे० थाकोड़ो। थंड-(न०) १. समूह । २. सेना । ३. ढेर। थाकेली-दे० थाकोड़ी। थंडणो-(क्रि०) १. भगाना । खदेड़ना । २. थाकेलो-(न०) थकान । थकावट । श्रान्ति । ढेर लगाना। ३. भरना । पूरना। ४. थाक। (वि०) थका हुआ । श्रान्त । इकट्ठा होना। शिथिल । थाकोड़ो। थंडो-(न०) १. सेना । २. समूह । ३. ठंडा। थाको-(सर्व०) तेरा। थारो । तेरो। (वि०) थंब-दे० थंभ। थका हुा । थाकोड़ो। थंभ-(न०) १. स्तम्भ । थंभा । थांभो। शामोडी-fo) ली। श्री । २. यामलो। २.रोक । रुकावट । ३.तोरण। थकी हई । थाकेली। थभरण-(10) स्तम्भन । रुकावट । थाकोड़ो-(वि०) १. थका हुआ। श्रांत । थंभरणो-(क्रि०) रुकना । ठहरना । रुकरणो। २.क्षीणकाय । दुर्बल । कृश । ३.निर्धम । थंभावण-(वि०) स्थिर रखने वाला । थामने थाको-मांदो-(वि०) १. प्रायः बीमार । वाला। प्रायः अस्वस्थ रहने वाला। २. बहुत थंभावरणो-(क्रि०)१. रुकवाना । २.रोकना। - थका हुआ । अधिक श्रान्त । ३. दुबला । ३. स्थिर रखवाना। ४. ठहराना। कृश । ४. कमजोर । निर्बल । ५. निबंल थंभो-(म०) थंभा । खभा । थांभो।। स्थिति वाला । निर्धन । थाभलो। थाग-(न०)१. पानी की गहराई की सीमा । था-(कि००) भूतकाल एक वचन क्रिया थाह । २. गहराई का तल । ३. प्रत । 'यो' का बहुवचन रूप । 'होणो' क्रिया छह । पार । थाह । ४. किनारा। का भूतकालिक बहुवचन रूप। थे। थागड़-(न०) १. वाद्य का एक ताल । २. (प्रत्य०) अपादान कारक की विभक्ति। नृत्य की एक गति । ३. वाद्य की थापी से। (सर्व०) तुझ । तेरे। के साथ पांव उठाकर चलने की एक थाई-(वि०) स्थायी। क्रिया। ४. धीमी चाल । मंद गति । ठाट थाक-(ना०) १. थकावट । पकान । पाकेलो। २. श्रम। से चलने की एक क्रिया। ५. वाद्य और थाकणा-(न0040) विवाह मावि मांगलिक नृत्य का अनुकरण शब्द । ६. ताताथई । अवसरों की निर्विघ्न समाप्ति पर, बरात ताथई की विदाई के समय तथा बंदोला-बदोली थागड़ थैया-(न०) १. नाच और गाना। की शोभा यात्रा के समय बजाये जाने २. वाद्य का ताल। ३. मौज-मजा। पाले ढोल के विशेष-विशेष प्रकार । तागड़ धिमा । For Private and Personal Use Only Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थागड़वा ( ५६२ ) पापणो थागड़दा-दे० थागड़-थैया । थाती-(ना.) १. संचित धन । पूजी । २. थागणो-(क्रि०) पार पाना । थाह पाना। अमानत । धरोहर । अनामत । थाग लेणो-(मुहा०) १. पता लगाना । २. थान-(न०) १. स्थान । २. निवास । ३. छह लेना। ३. गहराई तक पहुँचना। किसी लोक देवता की मूत्ति का स्थान थागियळ-(वि०) १. जिसका थाह नहीं या मदिर । ४. कपड़े की निश्चित लंबाई पाया जा सके। २. जिसका थाह मिल का टुकड़ा। ताका । ताको। गया हो । (न०) समुद्र। थानक-(न०) १. स्थान । २. देव-स्थान । थाघ-दे० थाग। ३. लोक देवता का चबूतरा । ४. तेरापंथी थाट-(न०) १. समूह । दल । २. सेना। या बाईसटोला जैन साधुनों के ठहरनेफौज । ३. ठाट । शान । तडकभड़क। रहने का स्थान । ४. पाराम । मजा । अानंद । ५.समृद्धि। थानकवासी-(न०) १. एक जैन सम्प्रदाय । ६. रचना । बनावट। ७. उत्सव । २. थानक में रहने वाला। समारंभ। ८. अधिकता। पुष्कलता। थान-निमठ-(वि०) मूर्ख । ६. न्यूनाभाव । १०. बैलगाड़ी के नीचे थान-दे० थाने। का भाग । ११. पशु समूह । १२. गायों थान-(सर्व०) तुम्हें । तुमको । के ठहरने का स्थान । बाड़ा। बाड़ो। थाप-दे०१. थप्पड़ । सापट । २. स्थापन १३. स्वर समुदाय । (संगीत)। करने की क्रिया। थाटणो-(क्रि०)१. थट्ट लगाना । २.निर्माण थाप-उथाप-(वि०) १.किसी को उच्च पद पर ___ करना । ३. शोभित करना। स्थापन और वहाँ से उत्थापन करने की थाटथंभ-(न०) १. सेना-नायक । २. वीर।। शक्ति वाला। २. स्थापित किये हुए को योद्धा। उखाड़ने वाला । (10)१. अधिकार । २. थाट-बाट-दे० ठाट बाट । निर्णय करने का अधिकारी । ३.निर्णय । थाटवी-110) पाटवी (युवराज) का छोटा थाप-उथापरण-दे० थाप-उथाप । __ भाई । (पाटवी का उलटा या अनुकरण) थापट-दे० थप्पड़ । थाड-दे० थाढ या ठाढ । थापटणो-(क्रि०) १. थप्पड़ मारना । २. थाडो-दे० ठाढो। मारना । ३. थपेड़ना। थाढ-(ना०) ठंड । शीत । सरदी। । थापड़ी-(ना०) गोबर को थपेड़ कर बनाई थाढो-२० ठाढो। हुई टिकिया। उपला। पड़ी । २.थप्पड़। थारण-दे० ठाण। चांटा । थाप । थारणादार-(न०) पुलिस थाने का मुख्य थापण-(न०) १. स्थापन । २. माल । अधिकारी । पुलिस सब-इंसपेक्टर ।। जायदाद । पूजी । थाती। ३.घर, जमीन - थानेदार। मादि अचल संपत्ति । ४. रहन रखी हुई थारणापती-(न०) १. स्थान रक्षक देवता। वस्तु । थाती । धरोहर । गिरवी । क्षेत्रपाल । प्राम-देवता । २. एक ही स्थान थापण-उथापरण-दे० थाप-उथाप । पर रहने वाला । ३. सर्प। थापरणो-(कि०) १. स्थापित करना । थागो-(10) १. पुलिस थाना । २. पाल- थापना । कायम करना । २. प्रतिष्ठित बाल । थांवला । ३. मुकाम । करना । ३.उपला थेपना । ४. से करना। For Private and Personal Use Only Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थापन ( ५८३ ) थाळी बजावणी निश्चित करना । ५. थपेड़ना । ६. थप्पड़ थाम पूजा-दे० थाँभ पूजा । मारना । प्रहार करना। थामली-दे० थांभली। थापन-(न०) स्थापन । थामलो-दे० थाँभलो। थापना-(ना.) १. किसी देव मूनि की थाय-(क्रि०भ०) 'होता' क्रिया का एक रूप । प्राणप्रतिष्ठा कर के मंदिर में की जाने इसके अन्य रूप 'थाया। थाये' 'हुवै' और वाली स्थापना। २. नवरात्रि के प्रथम होवे। दिन दुर्गा पूजा के लिये की जाने वाली थाया-(भूगकि०) 'थयो' का एक बहुवचन घटस्थापना। ३. प्रतिष्ठा महोत्सव । ४. रूप । हुए। थया । हुमा । स्थापनादिवस । ५. अधिकार । थारली-(सर्व०) तेरी । थारी। थापनाचारज-(न०) १. स्थापना करने या थारलो-(सर्व०) तेरे वाला। तेरा । थारो। कराने वाला । २. स्थापनाचार्य । थारी-(सर्व०) तेरी । थारी । थापल-(वि०) १. स्थापित किया हुमा। थारी-म्हारी-(प्रव्य०) १. तेरी और मेरी २ थपेड़ा हुआ। का भ्रम । भ्रमजाल । माया-जाल । तेरीथापलगो-(क्रि०) १. थपेड़ना। २. प्यार मेरी । २. अधम प्रकार का गाली से थपकी देना । ३. उत्साह बढ़ाना। गलौंच । मम्मो-चच्चो। थापी-(ना०) १ ढोलक आदि वाद्यों पर थारै-(सर्व०) तेरे। लगाई जाने वाली थापी। २. हिमायत । थारो-(सर्व०) तेरा। ३.शह । उत्तेजन । उकसाव । ४.उभार । थाळ-(न०) १. बड़ी थाली। २. ठाकुरजी बढ़ावा । ५. मदद। के नैवेद्य का थाल । २. ठाकुरजी को थापो-(न०) १. सिंह, चीते प्रादि हिंसक थाल रखते समय गाया जाने वाला पशुपों के अगले दोनों पांवों के बीच के स्तोत्र गान । ऊपर का भाग। वक्षस्थल । २. गीली थाल-(वि०) १. अनुकूल । सीधा । २. रोलो से लगाया हुया हथेली का छापा । _यथावत् । (ना०) १. अनुकूलता। अनुकूल थापा । ३.मोढ़नी प्रादि वस्त्रों पर छपाई, स्थिति । सीधी स्थिति । २. किसी भारी जरी तथा कसीदे की कोई गोल बनावट ।। वस्तु को उलटने की क्रिया। थाबो-(10) १. किसी काम के लिये किसी थाळ-अरोगणो-(महा०) भोजन करना । के पास जाने पर, उसके नहीं बनने की (रईसों के लिये प्रयुक्त)। निष्फलता। २. व्यर्थ प्राने जाने की थाल-पड़णो-(मुहा०) १. किसी काम का क्रिया । चक्कर । प्रांटा। ३. हैरानी। अपने अनुकूल पार पड़ जाना । काम का परेशानी। बन जाना । २. व्यवस्थित रूप से बनना। थाबोखारणो-(मुहा०)१. व्यर्थ माना जाना। थालकियो-(10) छोटी थाली। २. चक्कर खाना । ३. प्रौटा खाना । थाळी-(ना०) १. थाली। २. एक वाच । थाम-(न०) १. थंभ । स्तंभ । पाभो । २. थाली-वाद्य । ३. भोजन । ४. परोसी . रोक । अबरोध । हुधी थाली। थामणो-(क्रि०) १. रोकना । २. खड़ा थाळी बजावणी-(मुहा०) पुत्र जन्म की करना । ३. पकड़ रखना । खुशी में थाली बजाना। For Private and Personal Use Only Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थाळी बाजणी । ५८४ ) या हस्ते थाळी बाजरणी-(मुहा०) १. पुत्र जन्म हद । (वि०) असीम । बेहद । (सर्व०) होना। २. पुत्र जन्म का उत्सव होना। तरा । थारो। ३. पुत्र जन्म पर थाली का बजना। थाहरी-(सर्व०) तेरी । थारी । थाळे पड़णो-दे० थाल पड़णो। थाहरो-(सर्व०) तेरा । थारो। थाळो-(न०) १. जमीन का वह भाग, जिस थां-(सर्व०) तुम । प्राप । थे। थाँकी-(सर्व०) तुम्हारी । यौरी । पर मकान बनाना है। मकान बनाने की थाँके-(सर्व०) प्रापके । तुम्हारे । धार । जमीन । प्लॉट । तळियो। २. सोने या चाँदी के पत्तर पर ठप्पे में उठाई हुई, थाँको-(सर्व०) तुम्हारा । आपका । थारो। थान-(सर्व०) तुमको । थाने । फूल और बेलबूटों से युक्त इष्ट देवता थॉन-दे० थान । की मूर्ति जिसे गले में पहिना जाता है । थाभ-(न०) १. विवाह का मंगल-स्तम्भ । फल । ३. कुएँ के मुंह पर कोस के पानी २. थंभ । स्तंभ । थांभो। को खाली करने के लिए बना हुआ थाँभणो-(क्रि०) १. रोकना । ठहरना । छिछला कुंड । थाला। ४. छोटे वृक्ष की २. सहारा देना। ३. पकड़ना । लेना। रक्षा के लिये बनाया हुया घेरा । पाल ग्रहण करना । ४. खड़ा करना । बाल । थाँवळो। थाँभ पूजा-(न०)दुलहे द्वारा की जाने वाली थावणो-(क्रि०) १. होना । २. बनना। स्तम्भ पूजा । थावर-(न०) १. शनि । २. शनिवार । ३. थाँभली-(ना०) छोटा खंभा । थामली । पर्वत । पहाड़ । (वि०) १. स्थावर। थाँभलो-(न०) खंभा । स्तम्भ । थांभो। प्रचल । २. मूर्ख । नासमझ । थाभायत-(न०)वंश का मूल पुरुष । शाखा थावर वार-(न०) शनिवार । पुरुष । बडेरो। थांभो-(न०)(न०)खंभा । स्तंभ । थाँभलो । थावरियो-(न०)१. शनि-कोप निवारण हेतु २. सहारा । ३. वंश (वंश वृक्ष या उसकी दान लेने वाली एक ब्राह्मण जाति । २. बड़ी शाखा) का मूल पुरुष । ४. वंशइस जाति का व्यक्ति । सनीचरियो । वेलि । ५. साधु-सम्प्रदाय में वह साधु थावस-(न०) १. धीरज । २. स्थिरता । जिसके नाग से उसकी शिष्य परम्परा ३. विश्वास । ४. आश्वासन । सान्तवना। पहचानी जाती है। दिलासा। थारी-(सर्व०) तुम्हारी । प्रापकी । थोकी । थावसयो-(क्रि०) १. धीरज बँधाना। २. थारै-(सर्व०) तुम्हारे । आपके । थाके। सान्तवना देना । दिलासा देना। थोरै सू-(प्रव्य०) तुम्हारे से । पासू। थासू- (सर्व०) तेरे से । तुझ से। थारो-(सर्व०) तुम्हारा । प्रापका । थोको । थाह-(ना०) १. नदी, तालाब आदि की थाँ सू-(अव्य०) तुम्हारे से । थोरसू। गहराई की सीमा। थाह । तल । २. थाँहरी-दे० थारी। गहराई का पता । ३. छह । पार। अंत। थाँहर-दे० थारे । थाहगो-(कि०) १. स्थित करना। २. थाहरो-दे० थारो। राकना । (वि०) रोकने वाला। थाँ हस्ते-(प्रव्य०) १. तुमारे द्वारा। २. थाहर-(न०) १. स्थान । २. सिंह की गुफा। तुमारी मारफत । ३. तुमारे हाथ से । ४. ३. गढ़ । ४. घर । मकान । ५. सीमा। तुमारे यहाँ । ५. तुमारे अधिकार में। For Private and Personal Use Only Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir याहाळी ( ५८५ ) थुथकारो थाँहाळी-(सर्व०)तुमारी। आपकी । थारी। थिर थापत-(वि०) १. स्थिर-स्थापित । थाहाळो-(सर्व०) तुम्हारा । थारो। स्थाई रूप से स्थापित । स्थाई तौर से थिग-दे० थग। रहने वाला । (न०) १. स्थायित्व । थिगणो-(क्रि०)१. रुकना। २. लड़खड़ाना। टिकाव । ठहराव । २. अन्यत्र नहीं होने डगमगाना। की स्थिति। थित-(ना०) १. धन-माल । २. अचल थिरमो-थरमो। संपत्ति । ३. पृथ्वी। ४. स्थिरता। ५. थिरा-(ना०) पृथ्वी। स्थिरा । जमी। पड़ाव । (वि०) १. स्थित । आसीन । धरती। टिका हुआ। २. अचल । स्थिर । ३. थिरू-(वि०) स्थिर। थिहूर-(वि०) स्थिर । सदा । नित्य । थित बाहरो-दे० थत बाहरो। थी-(प्रत्य०) करण तथा अपादान कारक का थितवाळो-दे० थतवाळो । चिन्ह । से । (भू०क्रि०) १. वर्तमान 'है' थितहीणो-दे० थतहीणो। क्रिया का नारी जाति भूतकालिक रूप । थिति-(ना०) १. एक ही स्थान में एक ही २. भूतकालिक 'थो' का नारी जाति रूप । रूप में बना रहना । स्थिति । अस्तित्व । हती । हुती । हुती । छी। हो। थीणो-(न०) खीच, खिचड़ी, घाट मादि २. अवस्था । दशा । ३. आकार । स्वरूप । ४. वैभव । ५. मुकाम । ६. रंधेज । रंषण । (वि०) ठसा हुआ। निवास। थुई-(ना०) १. ऊँट की पीठ का उठा हुआ थितियो-(प्रव्य०) लगातार । निरंतर । भाग । ऊँट की कूबड़ । २. पंचमी तिथि चालू । बराबर । स्थाई तौर से । (वि०) को किया जाने वाला एक जैन व्रत । स्थिर । निश्चल । पंचमी स्तवन । थियो-दे० थयो। थुड़-(न०) १. वृक्ष का तना । थड़ । गोठ । थिर- (वि०)१.स्थिर । निश्चल । २.स्थायी। २. लड़ाई। __(ना०) पृथ्वी । थिरा। 'थुड़गो-(क्रि०) लड़ना । भिड़ना। थिरकणो-(क्रि०) १. चलायमान होना । थुड़ी-(ना०) भिड़न्त । २. नृत्य में पांवों को तालबद्ध गति देना। थुतकार-दे० थुथकार । थिरकना। ३. नृत्य में अंग सचालन का थुतकारणो-दे० थुथकारणो । भाव दिखाना। थुतकारो-दे० थुथकारो। थिरकस-(वि०) स्थिर । निश्चल । (ना०) थुतको-दे० थुथकारो। स्थिरता । निश्चलता। थुथकार-(न०) 'यू' शब्द । थिरचक- (वि०) स्थिर । अटल । निश्चल। थुथकारणो-(क्रि०) दृष्टि-दोष के विरुद्ध थिरचर-(न०)भूमि पर रहने वाले प्राणी। थूकने का टोना करना। थूक कर कृत्रिम भूचर । पळचर। पुणा करना, जिससे किसी सुन्दर वस्तु थिरता-(ना.) १. स्थिरता। निश्चलता। पर दृष्टि-दोष का प्रभाव न हो। २. धीरता । धीरज । ३. दृढ़ता। ४. युथकारो-(न०) १. दृष्टि-दोष के विरुव संतोष। थूकने का टोना । यूक कर की जाने वाली जमा हुआ। For Private and Personal Use Only Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir थुथकी । ५८६ ) थेकड़ो एक कृत्रिम घृणा जिससे किसी सुन्दर थूळ-(वि०) १. स्थूल । मोटा । जाड़ा । वस्तु पर दृष्टि-दोष का प्रभाव न हो । जा हो। २. बिना ढंग का। ३. बेडौल थुथकी-दे० थुथकारो। मोटे शरीर वाला। ४. मूर्ख । गँवार । थुथको-दे० थुथकारो। असभ्य । (न०) १. समूह । २. असुर । थुरथुरणो-दे० थरथरणो। राक्षस । ३. तंबू । थुरमो-दे० थरमो। थूळनास-(न०) सूपर । शूकर । थुळ-(वि०) दुष्ट । (न०) असुर । थूली-(ना.) १. गेहूं और जौ का दलिया। थुब-दे० थूब । २. इस दलिये की खिचड़ी। थूली । गेहूं थुभ-दे० धुंब । के दलिये का रंधन । रंधेज । थुभी-दे० शूलो-(न०) गेहूं के आटे की छान । चोकर। थु भेलकंध-(वि०) बैल की थुभी के समान चापर । चापड़। ___ दृढ़ कंधों वाला । बलिष्ट ।। थू-(सर्व०) तू । थू-(प्रव्य०) १. थूकने का शब्द । २. घृणा थूक-दे० थूक । सूचक शब्द । यूँ कणो-दे० थूकरणो। थूक-(न०) १. मुह से निकलने वाला एक थूड-(ना०)सूअर का मुंह । तुड । थूथन । रस । लार । ष्टीवन । २. खखार। थूडो-(ना०) १. तुडी । नाभि । थूकरणी-(ना०) १. खखार आदि थूकने का धुंब-(ना०) १. ऊँट की पीठ का उठा हुआ पात्र । २. थूकने की आदत । ३. मुंह में भाग । कूबड़ । ककुद । २. टेकरी। ३. थूक की अधिकता होना। छोटा टीबा। थूकरणो-(क्रि०) १. थूकना । २. घृणा धुंबाळी-(ना०)ऊँटनी । साँयड़ । क्रमाळी । करना । (न०) खखार आदि थूकने का धुंबाळो-(न०) ऊँट । पात्र। थूभ-दे० थूब । थूकफजीता-(नम्ब०५०१. जबानी लड़ाई। थू भाळी-दे० धुंबाळी । बोलाचाली । २. लड़ाई-झगड़ा। यूं भी-(ना०) १. खुमी । कुकुरमुत्ता । २. थूणी-(ना०) लंबा पतला लट्ठा । बल्ली। बैल का कूबड़ । ककुद । ३. ऊँट की पीठ थूथको-दे० थुथकारो। ___ का उठा हुआ भाग। थूथरण-(ना०) सूपर का मुंह । थूथन । थे-(सर्व०) १. तुम । आप। २. तुमने । प्रापने। यूथी-(वि०) १. गवार स्त्री । गँवारी । २. थेई-(ना०) छोटे बालक को पांवों पर खड़ा __ भद्दी । ३. मूर्खा । मोथी । __ करना । दे० थई-थई। थू-थू-दे० थू। थेई-थेई-(ना.) १. थिरक-थिरक नाचने की थूथो-(वि०) १. गॅवार । ग्रामीण । २. एक मुद्रा। २. नाचने का ताल। ३. असभ्य । मूर्ख । मोयो। नाचने की आवाज । ४. बालक को खड़ा यूर-(वि०) १. बड़ा । २. मोटा । ३. दृढ़। करते समय का उद्गार । . .. ४. दुष्ट । (न०) राक्षस । थेकड़ो-(न०) १. सांकलदार गहने में जड़ा यूर-हथ-(वि०) १. हढ़ हाथों वाला। २. हुमा कोठा । गहने के बीच का कोई जड़ा मोटे और लम्बे हाथों वाला। हुमा कोठा । २. कुदान । छलांग । For Private and Personal Use Only Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यगड ( ५८७ ) थोगळणो थेगड़-दे० थेगो। थेपरणो-(क्रि०) १. थपथपाना । थपकना । थेगो-(न०) सहारा । मदद। २. गोबर को पाथ कर उपला बनाना । थेघ-(न०) ढेर । राशि । ग । गा थेपड़ी बनाना। थेचाकूटो-(न०) १. बिना ढंग की बनी हुई थेबो-दे० थेगो। वस्तु । भद्दी वस्तु। २. कुम्हार का एक थेली-(ना०)१. थैली। बोरी। २. कोथलो। औजार (वि०) १. निडर । निर्भय । २. कोथळी । निर्लज्ज । ३. धृष्ट । धीठ । थेलो-(न०)१. थैला । बोरा । २. कोथला । थेचो-(न०) लोंदा। कोथळो। थेट-(न०)१. प्रारंभ । २. अंत । ३. निर्दिष्ट थेह-दे० थह । स्थान । उद्दिष्ट स्थान । ४. दूर । थें-(सर्व०) तैने । तूने । फासला । ५. लक्ष्य । (वि०) १. उद्दिष्ट । थो-(भूपक्रि०) 'होणो' या 'होवणो' क्रिया निद्दिष्ट । २. लक्ष्य । (अव्य०) १. अन्त का भूतकालिक रूप । 'है' का भूतकालिक तक । २. लक्ष्य तक। पुल्लिंग रूप । था । हो। थेट तक-दे० ठेट तक । । थोक-(न०) १. किसी वस्तु की व्यवस्थित थेट तारणी-दे० थेट ताई। राशि । २. माल की बड़ी राशि । इकट्ठी थेट ताँई-(प्रव्य०) १. अंत तक । २. शुरू। वस्तु । ३. फुटकर या खुदरा का उलटा। से आखिर तक। ४. सब का सब। एक साथ । ५. किसी थेट सू-(प्रव्य०) शुरू से । प्रारम्भ से । • वस्तु का इकट्ठा क्रय या विक्रय । ६. थेटा तारणी-दे० थेट ताई। इकट्ठा बेचने की वस्तु । ७. ढेर । राशि । थेटा-ताई-दे० थेट ताई। ८. मुड । समूह । ६. उपकार । थेटालग-(अव्य०)अंत तक । शुरू से आखिर सहायता । १०. बात । काम । ११.वस्तुतक। • स्थिति । १२. संयोग । संबंध । १३. हर थेटालगी-दे० थेटा लग। बात में पूर्णता । १४. धनमाल । संपत्ति। थेटू-(प्रव्य०)थेट से । प्रादि से । परंपरागत। १५. परिणाम। थेड़-(नो०) खंडहर। थोकड़ी-(ना०) १. गड्डी। २. राशि । ३. थेथड़-(ना०) १. मुंह पर की सूजन । २. छोटी राशि । लेपन । ३. मोटा लेपन । (वि०) १. थोकड़ो-(न०) १. राशि । हेर । २. बड़ी निकम्मा । २. धूल । मोटा । जाडो। राशि । ३. मुड । समूह । थेथड़णो-(क्रि०) मोटा लेप करना । गाढ़ा थोकबंध-(वि०)१. थोक में । एक साथ सब लेप देना। का सब । जथाबंध । २. खूब । बहुत । थेप-(ना०) मोटा लेपन । पुष्कल । थेपड़ी-(ना०) थापे गये गोबर का छाना। थोगरगो-(क्रि०) १. मुकाबिला करना । २. गोबरी । उपला। मुकाबिला करके शत्रु को पागे बढ़ने से थेपड़ो-(म०)१. चौड़ा चिपटा खपड़ा जिसके रोकना । ३. रोकमा । ऊपर नरिया रखा जाता है। थपुपा। थोगळणो-(क्रि०) १. डरते हुए बोलना । खपड़ा। खपरेल । २. मोटे लेपन की २. बोलते हुए डरना। ३ घबराते हुए उखड़ी हुई परत । लेपड़ो। बोलना। हड़बड़ाते हुए बोलना। ४. For Private and Personal Use Only Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोषणा ( १८८ ) घबराना । भय खाना। हड़बड़ाना । थोबड़ो-(न०) १. मुह । मुख । २. लंबा उद्विघ्न होना। __ मुह। ३. क्रोध से बिगड़ा मुह। ४. थोघणो-(क्रि०) रोकना। ___ तोबड़ा। थोड़ा बोलो-(वि०) थोड़ा बोलने वाला। थोबरणो-(क्रि०) रोकना । __ अल्पभाषी। थोभ-(न०) १. रुकावट । भटकाव । २. थोडी-दे० ठोडी। रुकने का स्थान । ३. सहारा । आश्रय । थोड़ीक-(अव्य०)१. थोड़ी ही । २. बिलकुल ४. थंभा। ५. सीमा । थोड़ी। थोभरणो-(क्रि०) १. रुकना । पटकना । २. थोड़ीक तो-(प्रव्य०) थोड़ी तो। रोकना । अटकाना। थोड़ीताळ-(अव्य०) १. थोड़ी देर । जरा थोभावणो-(क्रि०) १. रोकना। २. रुकदेर से। वाना। थोड़ीसीक-दे० थोड़ीक। थोभो-(न०) १. सहारा। २. टेक । सहारे थोड़ो-(वि०) कम । अल्प । थोड़ा । कुछ। की वस्तु । ३. रुकने की जगह । जरा । (ना.) थोड़ी। थोर-(न०) थूहर । से हुँड़। थोड़ो-घणो-(वि०) १. थोड़ा ही । २. कम थोरण-(ना०) थोरी जाति की स्त्री। __ ज्यादा । ३. थोड़ा । कुछ। थोरणो-(क्रि०) १. देने का आग्रह करना। थोड़े रो-(वि०) थोड़ा सा। २. देना। ३. अनुरोध करना । आग्रह थोथ-(ना०) १. खोखलापन । पोल । २. करना । वस्ती रहित प्रदेश । निर्जन प्रदेश । थोरा करणो-(मुहा०)१. मनुहार करना । (वि०)१. खोखला । पोला । २. निर्जन । २. प्राग्रह करना । ३. खुशामद करना । वस्ती रहित । किसी बात को मनाने के लिये गरज थोथो-(वि०) १. व्यर्थ । निकम्मा। २. करना। निःसार । ३. खोखला । पोला । ४. थोरी-(न०) १. एक जाति । २. उस जाति शून्य । निर्जन । ५.निर्धन । ६.निकम्मा। का मनुष्य । ३. शिकारी। ..... . ७. खाली । (ना.) थोथी । थोरो-(न०) १. अनुरोध । खुशामद । २. थोरगो-(क्रि०) १. इलजाम लगाना । मनुहार । ३. प्रार्थना। ४. भाग्रह । पारोप लगाना। २. जमाना। रखना। जोर। थोपना। थोहर-दे० थोर । थोबड़-दे० थोबड़ो। ध्यावस-दे० थावस । द-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्णमाला का १८ वा और त वर्ग का तीसरा दंत स्थानीय व्यंजन वर्ण । बहो । ददियो। द-(वि०) 'देने वाला' अर्थ को सूचित करने वाला एक समासांत उपपद या प्रत्यय । जैसे-सुखद । धनद । (10) १. देवता । २. पक्षी । ३. साधु । दा:-(अन्य०) दस्तखत' शब्द का छोटा रूप। For Private and Personal Use Only Page #606 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (११) दइत-नि०) दैत्य । भोज के अंत में ब्राह्मणों को दिया जाने दइत निकंदण-(म०) १. दैत्यों का नाश वाला दान । दिखरणा । करने वाला । २. ईश्वर। दख-(न०) दक्ष प्रजापति । दइतां गुरू-(न०) दैत्य गुरू शुक्राचार्य । दखण-(न०)१. दक्षिण दिशा । २. दक्षिण दइता दम-(न०) १. दैत्यों का दमन करने वाला । २. ईश्वर । भगवान । दखरणाद-दे० दिखणाद । दइतांदव-दे० दइता-दम । दखणादी-दे० दिखणादी । दइव-(न०) १. देव । सुर। २. विधाता। दखणादू-दे० दिखणादू । ३. देव । भाग्य। दखणादो-दे० दिखरणादो । दइव-रो-फेर-(मध्य०) १. भाग्य पलटा। दखणी-दे० दिखणी । २. अकस्मात । दुर्घटना । ३. सुअवसर। दखल-(ना०) १. प्रवेश । २. कब्जा। ३. दइवाण-(न०) १. देव । देवता । २. देव हस्तक्षेप । दस्तंदाजी । रुकावट । दखल । समाज । देवगण । ३. स्वर्ग । ४. देवी दगड़-(न०)१. अनघड़ पत्थर । २. पत्थर । का मन्दिर । देव्यायण। ५. भाग्य । ३. मैदान। दैव । प्रारब्ध । ६. राजा। (वि०) १. दगड़ी-(वि०)१. बेडौल(स्त्री)। जाड़ी-मोटी। दैवी शक्तिवाला । २. देव तुल्य पराक्रमी। २. बेशऊर (स्त्री०) । मूर्खा । ३. शक्तिशाली। बलवान । जबरदस्त । दगड़ो-(वि०)१.मूर्ख । जड़ । २. दगाबाज । ४. योद्धा। वीर । ५. बहुत बड़ा। धूतं । ३. जाड़ा-मोटा । बेडौल । ४. महान । ६. होनहार । बेशऊर । (न०) १. ढेला । २. पत्थर । दई-(न०) १. भाग्य । देव । २. विधाता। दगध-(ना०) १. जलन । २. मनस्ताप । दई मारयो-(वि०) हतभाग्य । प्रभागा । ३. पीड़ा । दुख । (वि०) १. दग्ध । जला (न०) एक गाली। हुप्रा । २. उजड़ा हुआ। ३. अशुभ । दउलत-दे० दौलत । दगधाखर-दे० दधाखर । दक-(न०) पानी। जल । दगल-(न०) दगा । धोखा । (वि०) दकार-(न०) 'द' वर्ण । बदियो । बद्दो। दगाबाज । दकाळ-(ना०)१. सिंह की गर्जन । २. डराने दगलखोर-दे० दगलबाज । वाली जोर की आवाज । दहाड़ । गर्जन। दगलखोरी-दे० दगलबाजी। ३. ललकार । ४. भय । डर । ५. जोश। दगलबाज-(वि०) दगाबाज । दकाळणो-(क्रि०) १. ललकारना । २. दगलबाजी-(ना०) धोखाबाजी । दगाबाजी। डराना । ३. जोश में बोलना। ४. जोर दगळी-(ना०)रूई का अंगरखा । उगळी । से बोलना । ५. सिंह का गर्जन करना। दगाखोर-(वि०) दगाबाज । दगलबाज । दक्ष-(न0) एक प्रजापति । सती के पिता। दगाखोरी-(ना०) दगाबाजी। (वि०) निपुण । कुशल । दगाबाज-(वि०) धोखेबाज । छली । बगलदक्षा-(ना०) पृथ्वी । धरती। दक्षिण-(ना०) दक्षिण दिशा । (वि०) दगाबाजी-(ना०) धोखा बाजी। दाहिना। दगो-(न०) १. दगा। छल । धोखी । २. दक्षिणा-(ना०) धार्मिक क्रिया या ब्राह्मण विश्वासघात । For Private and Personal Use Only Page #607 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दग्गड़ दग्गड़ - ( न० ) पत्थर । दग्ध दे० दगध । www.kobatirth.org ( ५२० ) दढ - (वि०) हढ़ | मजबूत । विढ़। ( ना० ) दाढ़ । डा। दच्छ-दे० दक्ष । दरिणयर - दे० दियर । दच्छ कन्या - ( ना० ) शिवजी की पहली दरणी - ( ना० ) कमान । धनुष । पत्नी । सती । दछा- दे० दशा । दजोरण - ( न० ) दुर्योधन । दरगो- ( क्रि०) जलना । दग्ध होना । दटरगो - ( क्रि०) १. गड़ना । दफन होना । दवना । २. पाँव रोप कर खड़ा होना । भड़ना । धड़रणो । उटणो । दट्टो दे०डाटो । दड़ड़ - ( न०) १. पानी गिरने का शब्द | बड़बड़ । २. मेघ गर्जन का शब्द । दडदड़ - ( न० ) १. पानी गिरने का शब्द । २. सूत्रों का गिरना । टपटप । दडपणो - ( क्रि०) १. वस्त्र से प्राच्छादित करना । २. ढकना । दड़बड़ - ( ना० ) दौड़ने की आवाज । बो- (०) १. जमीन का ऊँचा भाग । २. टीबा । ३. श्रव्यवस्थित ढेर । ४. अनेक प्रकार की वस्तुओं का ढेर । ५. लोंदा । लूं दो । ६. बिना ढंग की बनी हुई कुरूप वस्तु । ७ कबूतरों व मुर्गियों का खुड्डा । दड़ाछंट - ( क्रि०वि०) १. दड़े की भाँति तेजी से भागता हुआ । उतावला भागता हुआ २. तेजी से । शीघ्रता से । दयिंद - ० ददि । ददि - ( न० ) सूर्य | सूरज । दिनकर । दिगियर । दड़ी - ( ना० ) १. चिथड़ों से बनाई हुई गेंद | दड़ी । २. छोटी गेंद | कंदुक । दीदोटो - ( न०) एक खेल । दड़ करणो - ( क्रि०) १. सौड़ का शब्द करना । २. भिना । दड़ो - ( न० ) १. गोलाकार वस्तु । पिंड | गोला । २. गेंद । ३. टीबा । टीला | धोरो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दत - ( न० ) १. दत्तात्रेय । दत्त । २. दान । ३. दहेज । ४. भोजन । खुराक । ५. गाय-भैंस आदि पशुओं को दी जाने वाली घी, तेल, दाना आदि की खुराक । पशुओं (घास के अतिरिक्त) पौष्टिक खुराक । दतदायजो - ( न०) दहेज । बात । वायजो । दतब - ( न०) १. दान । दत्तव । २. खुराक । ३. पौष्टिक खुराक । दत्त - (०) १. दत्तात्रेय । २. पूर्व जन्म में किया हुआ दान | ( fa०) दिया हुआ । दत्तक - ( न० ) गोद लिया हुआ । खोळं । दत्तब - दे० दतब । दत्तात्रय - (०) महर्षि अत्रि तथा अनुसूया के पुत्र, जो अवतार माने जाते हैं । ददियो- ( न०) 'द' अक्षर । वहो । ददाम - दे० दमाम । ददामो- दे० दमामो । दद्दो- (न०) 'द' अक्षर | दध - ( न० ) १. दही । दधि । २. समुद्र । उदधि । ( ना० ) १. जलन । २. ईर्ष्या । डाह । ३. शत्रुता । ( वि० ) १. दग्ध । जलाया हुआ । २. पीड़ित । दुखित । ३. अशुभ । दधआखर - ( न० ) १. छंद शास्त्र के अनुसार छंद के प्रारम्भ में अथवा छंद की प्रत्येक पंक्ति के आरंभ में प्रयोग वर्जित अमुक अक्षर । कोई प्राठ (ख, घ, झ, ध, न, भ, र और ह) और कोई सत्रह अक्षर थ, प, फ, ब, भ, और ह ) प्रक्षरों को किन्हीं ने भ, म, र, प प्रक्षरों को ही अशुभ प्रशुभ वचन । ३. (झ, ट, ठ, ड, ढ, त, म, र, ल, व, ष दग्ध मानते हैं । और ह इन पांचों माना है । २. गाली । प्रपशब्द | For Private and Personal Use Only Page #608 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धबुत ( ५६१) दबावणो दधसुत-(न०) १. चंद्रमा । दधिसुत । २. दबकेल-(वि०) १. मातहत । प्राधीन । मोती । ३. अमृत । पराधीन । २. दबा हुआ। दबेल । ३. दधि-(न०) १. समुद्र । २. दही। दबने बाला। ४. डरपोक । ५. असमर्थ । दधिसुत-दे० दधसुत । दवकै-(क्रि०वि०) तुरंत । शीघ्र । झट । दन-(न०) दान । दबणी-(ना०) हार । पराजय । दनादन-(अव्य०) १. एक के बाद एक । दबरणो-(क्रि०) १. बोझ के नीचे पाना । २. दन-दन करते हुए । ३. तुरंत । दबना । २. विवश होना । ३. संकोच झटपट । करना । ४. झुकना । ५. हारना । हार दनुज-(न०) राक्षस । स्वीकार करना।६. वशनचलना। ७. दपट-(वि०) १. बहुत अधिक । पुष्कल । दुबकना । ८. बीमारी में मरने की २. तेज। स्थिति में प्राना । ६. स्थिति का कमजोर दपटगो-(क्रि०) १. सभी ओर से प्राच्छा- होना। दित करना । लपेटना । ढक देना। २. दबदबो-(न०) १. ठाटबाट । भपका। २. डॉटना । धमकाना। ३. दौड़ना । रोब । अाँतक । भागना । ४. संहार करना। मारना। दबवाळ-दे० दबेल । ५. पेंट भर कर खाना। दबंग-(वि०) १. निर्भय । २. उद्दण्ड । ३. दपरजात-(न०) १. चाकर। सेवक । प्रभाव वाला । ४. नहीं दबने वाला । ५. नौकर । २. गुलाम । ३. गोला । गोलो। व्यक्तित्व वाला। दप्प-दे० दर्प। दबाक-(ना०) कुदान । छलांग । फदाक । दप्पण-(न०) दर्पण । प्राईना । (क्रि०वि०) झट । तुरंत । दबके । दफरणारणो-दे० दफणावणो। दबारण-(न०) १. भार । वजन । २. दफरणावरणो-(फि०) १. जमीन में गाड़ना। असर । प्रभाव । दफनाना । दाटगो । २. मुर्दे को दबाणो-दे० दबावणो । गाड़ना। दबादब-(क्रि०वि०) झट । तुरंत । शीघ्र । दफ्तर-(न०) १. कार्यालय । ऑफिस । २. दबाव-(न0) १. दाबने की क्रिया या भाव । हिसाब-किताब तथा विवरण के काग- चाप । २. भार । बोझो । ३. प्रभाव । जात। असर । ४. उत्तरदायित्व । दफ्तरी-(वि०) १. दफ्तर से संबंधित । २. दबावरणो-(क्रि०) १. दबाना । दाबना । राजकाज से संबंधित । (न०) १. दफ्तर भार के नीचे डालना । २. विवश करना। का कर्मचारी । २. जिल्दसाज। ३. संकोच में डालना । ४. झुकाना । दब-(न०) १. दबाव । २. ज़ोर । ३. डर । ५. हराना । पराजित करना । ६. दूसरे भय । का वश न चलने देना । ७. कमजोर दबकरणो-(क्रि०) १. छिपना। लुकना। बनाना । ८. दूसरे के गुणों का प्रकाश २. डरना । भयखाना । ३. धातु के तार नहीं होने देना। ६. बलपूर्वक अपने या पत्र आदि को सचे, डाई, पड़ी आदि अधिकार में लेना या करना। १०. में हथोड़े से ठोंक कर चित्रित करना । दबोचना । ११. ठूसना । दाबना । ४. हथोड़े से ठोंक कर बढ़ाना । १२. उभड़ने नहीं देना । ऊँचा उठने नहीं For Private and Personal Use Only Page #609 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पबियोड़ी (१९९) वामणी देना। १३. किसी बात को उठने या हुई वह छाजन या पाटन जिस पर बैठ फैलने नहीं देना। कर बंदूकें दागी जाती हैं । ४. मोरचा । दबियोड़ो-(वि०) १. बोझ के नीचे पाया ५. एक प्रकार की तोप । ६. धूल से भरी हुआ, दबा हुआ। २. प्रभावित । ३. हुई बोरियां अथवा रुई से भरी हुई आतंकित । ४. विवश । ५. पराजित । बरकियों के द्वारा युद्ध मोर्चे की बनी ६. संकुचित । ७. गड़ा हुग्रा । ८. उठी दीवाल ७. आडंबर । ढोंग । हुई या फैली हुई नहीं । ६. हड़प किया दमदाटी-(ना०) डॉट । डांट-डपट । हुआ । १०. गुप्त । छिपा हुआ। धमकी । दबेल-दे० दबकेल। दमदार-(वि०) १. दमवाला । २. जीवनी दब्बू-(वि०) डरपोक । शक्ति वाला। जानदार । ३. दृढ़ । दम-(न०) १. दम । श्वास । सांस । २. मजबूत । ४. तेज । तीव्र । ५. चोखा। दमा । श्वास रोग । दमे की बीमारी। प्रच्छा । ३. जीव । प्राणवायु । ४. ताकत । दमबाज-(वि०) १. गांजा-चरस आदि बूता । दम । कुब्बत । शक्ति । ५.टिकाव । नशीर चिलम पीने वाला। स्थिति । ६. दृढ़ता । मजबूती। ७. __ इन वस्तुओं का नशा लेने वाला । २. संयम । निग्रह । ८. क्षण । ६. चिलम, धोखेवाज। हुक्के प्रादि के धुएँ का कश । दम । दमंगळ-(न०) १. युद्ध। लड़ाई। २. धूम्रपान का सड़ाका । उत्पात । ३. उपद्रव । दमक-(ना०) चमक । दमाज-(न०) ऊँट । दमकणो-(क्रि०) चमकना । दमकना । दमाद-(न०) दामाद । जमाई। दमगळ-दे० दमंगळ । दमाम-(न०) १. रोब । आतंक । दबदबा । दमजोड़ो-(वि०) कंजूस। २. नगाड़ा। दमड़ा-(न०ब०व०) १. रुपया पैसा। २. दमामी-(न०) १. ढोली । २. ढोल या धन-माल । __ नगाड़ा बजाने वाला। दमड़ी-(न०) १. पैसे का चौथा भाग। दमामो-(न०) १. युद्ध का ढोल । २. (कहीं कहीं आठवा भाग) युद्ध के समय बजाया जाने वाला नगाड़ा। दमण-(वि०) १. दमन करने वाला। ३. बड़ा ढोल या नगाड़ा।। नाश करने वाला । (न०) १. बलपूर्वक दमेदो-(न०) १. एक मिठाई । ठोर । शांत करने का काम । दमन । २. दमन। २. बड़ा बतासा । ३. तल कर बनाई हुई निग्रह । ३. नाश । चीनी में पगी मोटी रोटी। दमणो-(क्रि०) १. दमन करना। २. दया-(ना.) १. अनुकंपा । करुणा । रोकना । ३. वश में करना । ४. रहम । २. शुभ नजर । ३. कृपा । दबाना । दयादृष्टि-(ना०) कृपा या अनुग्रह की दृष्टि । दमदमो--(न०) १. मकान के ऊपर बनी रहम नजर ।। छोटी कोठरी की छाजन । २. जीने दयामणो-(वि०) १. ऐसी स्थिति वाला, (सीढ़ी) के ऊपर बनी कोठरीनुमा जिसको देखने से दया उत्पन्न हो । २. छाजन । ३. किलेबंदी की प्रोट में बनाई दननीय । दया के योग्य । दया पात्र । For Private and Personal Use Only Page #610 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दया-मया ( ५९३ ) दरपक ३ विकुल मुख । ४. गरीब । रंक । ५. पत्र । प्रर्जी । २. प्रार्थना । प्रर्ज। दुखी। दरगा-(ना०) १. ईश्वर का दरबार । दया-मया-(ना०) दया और मोह-ममता। २. राजा का दरबार । सभा । ३. पीर दयारास-(न०) राजस्थानी साहित्य की की कबर । मजार । दरगाह । मक सोलह दिशाओं में की एक दिशा का बरा। नाम । पाठ दिशाओं के अतरकोण की दरगाह-दे० दरगा। एक दिशा । दरगुजर-(वि०) १. माफ किया हुआ । दयाळ-(वि०) १. कृपालु । दयालु । २. २. सहन किया हुआ। करुणाद्र । रहम दिल ।। दरज-(वि०) १. बही, चौपड़ा, रजिस्टर दयाळजी-(न०) मारवाड़ के प्रसिद्ध आदि में लिखा हुआ (रकम, कलमनिरंजनी संप्रदाय के आदि प्रर्वतक श्री आइटम) । २. लिखा हुआ । अंकित । हरिपुरुषजी। ( हरिसिंह नाम के एक दर्ज । ३. प्रतिलिपि किया हुप्रा । (ना०) राजपूत का साधु और सिद्ध पुरुष हो फटा हुा । स्थान । दरका । दरार । जाने के बाद का एक नाम । इनकी दरजण-(ना०) १. दरजी की स्त्री । समाधि और गद्दी डीडवाना (मारवाड़) दरजिन । (न०) १. बारह वस्तुनों का के पास गाढ़ा गांव में है)। समाहार । डजन । ३. गिनती में बारह दयालु-(वि०) करुणा । रहमदिल । का समूह । दरजन । डजन । दयालु। दरजी-(न०) दरजी । सूचिक । दयावंत-(वि०) दयावाला । दयावान। दरजो-(न०) १. अधिकार । २. कोटि । दयालु। ___३. कक्षा । श्रेणी । ४. प्रोहदा । पद । दयावान-(वि०) दयावंत । दयालु । दरजोजण-(न०) दुर्योधन । दर-(न०) १. चूहे आदि का बिल । २. दरजोण-दे० दरजोजाण । भाव । ३. कीमत । ४. इज्जत । ५. दरड़-(न0) जमीन खोद कर बनाई हुई द्वार । ६. गुफा । ७. दरबार । सभा। पतली लंबी जगह जिसमें चूहे आदि जीव ८. हृदय । (अव्य) हरेक । प्रत्येक । वंतु रहते हैं । विल । दरड़ो । दर । दरक-(न०) ऊंट। दरड़ो-(न०) १. खड्डा । गड्ढा । खाडो । दरकार-(ना०) १. आवश्यकता । २. बिल । विवर । परवाह । ३. संभाल । ४. इच्छा । दरद-(न०) दुख । पीड़ा । दर्द । पौड़ । चाह । दरदरो-(वि०) जो मोटा पिसा, दला या दरकूच-(ना०) १. समूह यात्रा या सेना के कूटा हुप्रा हो । जो बारीक पिसा-कुटा न प्रत्येक विश्राम (दर मजल, दर मंजिल) हो । के बाद की जाने वाली रवानगी या दरदवान-(वि०) १. दर्दी । दुखी । २. कूच । २. आक्रमण के लिए की जाने जरूरतमंद । आवश्यकता वाला। वाली चढ़ाई । ३. प्रस्थान । रवानगी । दरदी-(वि०) १. दर्दी । बीमार । मांदो । कूच । २. पीड़ित । दुखी । दरखत-(न०) दरख्त । वृक्ष । पेड़। दरप-(न०) दर्प । गर्व । घमंड । दरखास्त-(ना.) १. दरख्वास्त । प्रार्थना. दरपक-(न०) कामदेव । मनोज । For Private and Personal Use Only Page #611 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दरपरण ( ५६४) दरीखानो दरपरण-(न०) दर्पण । शीशा । पाईना। दरसाव-(10) १. दृश्य । २. दिखावा । काच । आविर्भाव । ३. प्रगटीकरण । दरब-(न०) १. धन । द्रव्य । २. माल। दरसावरगो-(क्रि०) १. बताना। २. सामान। दिखाना । दरसाना । ३. समझाना । ४. दरबान-(न०) द्वारपाल । दिखाई देना । ५. प्रगट होना। ६. प्रगट दरबार-(न०) १. राजसभा। २. राजा। करना। दरबारी-(वि०) १. दरबार का। दरबार दरंग-दे० द्रग । से संबंधित । दराज-(वि०) १. अधिक । बहुत । २. दरभ-(ना०) दर्भ । डाभ। महत्वपूर्ण । श्रेष्ठ । ३. दीर्घ । विशाल । दरमजळ-(ना०) समूह-यात्रा या सेना के लंबा । (ना०) कागज आदि रखने का अभियान का किया जाने वाला प्रत्येक __ मेज में लगा खाना । मेज का कोष्टक । विधाम । दरमंजिल। दर पड़ाव । दराड़-(ना०) फटा हुप्रा स्थान । दरार । मंजिल दर-मंजिल । दरज। दरमावो-दे० दरमाहो। दरि-(न०) १ दरिखाना। रासभा । दरमाहो-(न०) मासिक वेतन । २. द्वार । दरवाजा । ३. घर । दरवाजो-(न०) १. द्वार । द वाजा। २. दरिगह-दे० दरगा। किवाड़। दरिद्र-(वि०) गरीब । निर्धन । दरवेस-(न०) १. मुसलमाम फकीर । दरिद्री-(वि०) १. गरीब, निर्धन । २. दरवेश । २. साधु। गंदा । मैला । ३. मालसी। सुस्त । दरस-(न०) १. दर्शन । दर्श । दरियादासी-(वि०) १. दरियावजी के पंथ दरसरण-दे० दर्शन। का अनुयायी। २. दरियावजी द्वारा 'दरसरणी-(न०) १. जो दर्शन करने योग्य प्रवर्तित (पथ)। हो। साधु पुरुष । २ संन्यासी । ३. दरियापत-(वि०) मालूम । ज्ञात । दर्पण । ४. एक पक्षी। (वि०) १. वह दरियाव--(न०) १. समुद्र । २ बड़ी नदी । (हुंडो) जिसका भुगतान तत्काल (जब ले ३. बड़ा जलाशय । आवे उसी समय) हो जाये । २. दर्शन . दरियावजी-(न०) रैण (मेड़ता-मारवाड़) करने योग्य । दर्शनीय । ३. मनोहर । की रामस्नही संप्रदाय (दरियापं य) के दरसरणीक-(वि०) १. दर्शन करने योग्य एक मुसलमान रामभक्त साधु । दरिया दर्शनीय । २. सुकृति। साहब। दरसरणी-हँडी-(ना०) वह हुँडी जिसके दरी-(ना०) १. गुफा । २. तलघर । ३. दिखाते ही उममें लिखे हुए रुपयों का मोटे सूत से बना हुग्रा बिछावन । दरी । भुगतान करना पड़े । दर्शनी हुँडी। सतरंजी । फरासी । सेतरूजी । दरसरणो (क्रि०) १. दिखाई देना । २. दरीखानो-(न०) १. अनेक दरवाजों जानने में आना। ३. विचार में माना। बारियों वाला स्थान या बैठक। २. ४. प्रतीत होना। राजसभा का स्थान । ३. जागीरदार का दरसल-(अव्य०) दरअसल । वास्तव में । मका । या बैठक । ४. राजसभा। दरदरसाणो-दे० दरसावरगो। बार । For Private and Personal Use Only Page #612 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपाधि । । द्वार । बारणो। परीभ्रत ( ५६५ ) पळमळणो दरीभ्रत-(न०) पर्वत । पहाड़। के महाराजा गजसिंह का बिरुद या दरूजो-(न०) दरवाजा । द्वार । बारणो। मगेरो । दळथंभण-दे० दळथंभ । दरोगरण-(ना०) १. दरोगा जाति की स्त्री। दळद-(न०) दारिद्रय । निर्धनता । गरीबी। २. दरोगा की स्त्री। ३. दासी। दळदर-(न०) १. दरिद्रता । गरीबी । २. दरोगो-(न०) १. वर्णसंकर क्षत्री । २.. आलस, नींद आदि की अधिकता । ३. दासीपुत्र । ३. एक वर्णसंकर। क्षत्री __मैल । ४. गंदगी। (वि०) दरिद्र । जाति । ४. एक राज्याधिकारी । दाळदर । दारोगा। दळदरी-दे० दरिद्री। दरोळ-(न०) १. बाधा। रुकावट । विघ्न । दळदळ-(न०) दलदल । कीचड़ । कायो । २. विरोध । व्याघात । ३. क्षोभ । दळदार-(वि०)१. मोटे दल या परत वाला। अशान्ति । ४. उपद्रव । उत्पात । घबरा जाडो । मोटा । २. दल वाला। हट । खलबली। दळ-दीपक-(न०) १. चारणों द्वारा राजापों दर्प-(न०) १. घमंड । गर्व । २. अातंक । को दिया जाने वाला एक विरुद । २.सेना को प्रकाशित करने वाला। सेना को ३. उद्दडता। यशस्वी बनाने वाला । ३. सेना में दीपक दर्पण-(न0) आईना। शीशा । वरपरण ।। रूप । दर्शन-(न०) १. साक्षात्कार । प्रत्यक्ष । २. दळद्र-(न०)१. दारिद्रय । दारिद । गरीबी। . दर्शन । देखाव । देखने की क्रिया । ३. निर्धनता। २. गंदगी। मलिनता। ३. भक्तिभाव से देखने की क्रिया । दर्शन । मैल । ४. दर्शन शास्त्र (षट दर्शन) । ५. नाथ दळद्री-(वि०) १. दरिद्री। निर्धन । गरीब । संप्रदाय के संन्यासियों के कानों के कुडल। २. गंदा । गंदला । मैला । ३. आलसी । दळ-(न०) फौज । सेना। २. समूह । ३. दळपति-(न०) १. सेनापति । २. अगुवा । जाडाई । मोटाई । ४. घनता । ५ पत्ता। दळ-पाँगळो-(न0) सेना की अतिशयता। पत्र । ६. फूल की परी । ७. खड्ग । अधिकता के कारण पंगू की गति के कोश । म्यान । ७. पार्टी। पक्ष । ८. समान दिखाई देने वाली सेना । २. ऐसी मैल । विकार । ६. नशा । विशाल सेना का स्वामी होने के कारण दळण-(न०) १. नाश । दलन । २. दरदरा जयचंद का एक प्रसिद्ध विरुद। पिसा अन्न । वळियो। ३. दाल । ४. दळ-बगसी-(न०) १. सेना का एक अधिदलने की क्रिया। कारी। २. सेना में वेतन बाँटने वाला दळणी-(ना०) चक्की । घट्टी। __अधिकारी । ३. सेना का खजानची। दळरणो-(क्रि०) १. मोटा पीसना । दलना। दळ-बळ-(न०) १. सेना। २. समूह । ३. २. पीसना। ३. नाश करना । ध्वस्त ठाट । ४. सैनिक शक्ति । करना। दळ बादळ-दे० दळवादळ । दळथंभ-(वि०) १. सेना को रोकने वाला। दळभंजण-(वि०) सेना का अकेला सहार २. युद्ध में खंभ की तरह खड़ा रह कर करने वाला । महान योद्धा । लड़ने वाला। ३. शूरवीर । ४. जोधपुर दळमळणो-(क्रि०) नाश करना । For Private and Personal Use Only Page #613 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दळमोड़ ( ५६६ ) दळमोड-(वि०) शत्रु सेना को पीछे हटाने दलेल-(वि०) १. उदार । २. दलाल । वाला । वीर। ३. दलील । तर्क । बहस । दळवइ-दे० दलपति । दलोल-कलोल-रा-मगरा-(न०) मेवाड़ दळ वादळ-(न०) १. सैन्य समूह । बहुत की एक पर्वत श्रेणी । बड़ो सेना। २. बड़ा शामियाना। ३. दव-(न०) १. दावाग्नि । दावानल । २. अनेक कोष्टकों वाला सभी साधनों से युक्त अग्नि । आग। ३. जंगल । वन । ३. विशेष प्रकार से सजाया हुआ बड़ा और झगड़ा । कलह । ऊँचा शामियाना । ४. बड़ा महल । भव्य दवा-(ना०) १. औषधि । दव।। २. प्रासाद । ५. चित्रादि से अंकित और इलाज । चिकित्सा। सज्जित ऊँचा महल। ६. मेघ घटा। दवाई-(ना०) औषधि । दवा । ७. एक प्रकार का वस्त्र । दवागीर-(वि०) दुग्रा देने वाला। दळ-सिणगार-(न०) १. सेना का श्रृंगार । दवात-(ना०) स्याही रखने का छोटा अद्वितीय वीर सेनापति । (वि०) वीर।। पात्र । मसिपात्र । मजियासणी । पराकमी। दवात-पूजा-(ना०) वाणी और श्रीवृद्धि दलाल-(न०) १. वह मध्यस्थ व्यक्ति जो के लिये दीपावली (और कहीं कहीं शुल्क लेकर के दो व्यापारियों में खरीद होली) पर दवात और कलम की जाने फरोख्त (का सौदा) करने कराने में वाली पूजा। में सहायता दे। सौदा ठीक कराने वाला। दवा-दारू-(ना०) १. इलाज । चिकित्सा। बिचवई । ब्रोकर । दलाल । २. शुल्क ले २. इलाज की व्यवस्था । ३. औषधि करके व्यापारियों का माल रेल द्वारा समूह । पौषधियाँ। भेजने तथा रेल द्वारा प्राया हुग्रा माल दवा-पाणी-दे० दवादारू । छुड़ाने का काम करने वाला व्यक्ति । दवामी-(वि०) स्थाई। मुकादम । मारफतिया ३. कूटना। भडुग्रा। (वि०) दानगील । उदार। दवामी काश्तकार-(न०) स्थाई कृषि दलाली-(ना.) १. दलाल का काम । २. करने को हक वाला कृषक । दलाल के काम का पारिश्रमिक । दवामी पट्टो-(न०) इस्तमरारी पट्टा । दळाँवै-(न०) दलपति । सेनापति । दवायती-(ना०) १. प्राज्ञा । इजाजत । दलिद्र-(वि०) दे० दळद्र । २. अनुमति । स्वीकृति । ३. निस्तार । दळियो-(न०)१. दला हुमा अन्न । दलिया। छुटकारा । ४. पंचों द्वारा न्याती भोज २. दले हुये अन्न को पका कर बनाया करने की प्राज्ञा। खाद्य पदार्थ । दलिया। दवावेत-(ना०) १. राजस्थानी भाषा की दळीचो-दे० दुलीचो। उर्दू (मुसलमानी) प्रभाव वाली अनुदलील-(ना०)१. बात के समर्थन या विरोध प्रासवाली गद्य शैली । २. छोटा इतिहास में दिखाया हुआ कारण । तर्क । २. प्रसंग । विवाद । बहस । दवे-(न०) ब्राह्मणों को एक अल्ल । दलेची-(ना०) द्वार के पास का कमरा । द्विवेदी । दुबे। दरीची। दश-दे० दस । For Private and Personal Use Only Page #614 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दशकंठ दसमो धोवणो दशकंठ-(न०) रावण । दसरगाण-(न०) १. दशानन । रावण । दशकंध-(न०) रावण । २. दस जनों का समूह । दश जने । दशकंधर-(न०) रावण । दस द्वार-(न०) शरीर के दस छेद । यथाःदशन-(न०) दाँत । आँखें २, कान २, नाक २, मुह १, दशनामी-दे० दसनामी। गुदा १, लिंग १ और ब्रह्मछिद्र (कपाल में दशनावलि-दे० दसनावळ । दसधू-(न०) दशानन । रावण । दसदशम अवस्था-(ना०) मृत्यु । मौत। माथ। दशमलव-(न0) गणित में भिन्न का एक दसनामी-दे० दसनामी संन्यासी । भेद जिसमें हर दश पर उसका कोई घात दसनामी संन्यासी-(न०) १. आदि शंकराहोता है । इकाई के दसवें, सौवें इत्यादि चार्य के दस शिष्यों द्वारा चलाया गया भाग को सूचित करने के लिये सख्या के संन्यासियों का एक संप्रदाय । २. दश पहले लगाया जाने बाला बिंदु । २. उक्त प्रकार के सन्यासी यथा-अरण्य, आश्रम, पद्धति । ३. उक्त चिह्न युक्त संख्या । गिरि, तीर्थ, पर्वत, पुरी, भारती, वन, दशमुख-दे० दसमुख । सरस्वती और सागर । ३. प्रादि शंकरादशरथ-(न०) श्रीराम के पिता । चार्य के दशनामी संप्रदाय का संन्यासी । दशशीश-दे० दस धू । दसनावळ-(ना०) दशनावलि । दंत पॅक्ति । दशहरा-दे० दसरावो। वंत भोळ। दशा-(ना०) १. स्थिति । हालत । २. दस बीसी-(वि०) दोय सौ। ग्रहों का भाग्यकाल । दशा । ३. ग्रहों दसम-(ना०) १. चांद्र मास के प्रत्येक पक्ष का भोग्यकाल । दशा । ४. बुरी दशा। की दसवीं तिथि । २. पक्ष का दसवाँ दशानन-(न०) रावण । वसमुख । दिन । दशमी। दशांग धूप-(न0) दश सुगंधित । द्रव्यों के दसमाथ-(न०) रावण । __ मेल से बना धूप । दसमी-(ना०) १. दशम तिथि । २. प्राटे दशांश-(न०) दशवां भाग । को दूध में गूध कर बनाई जाने वाली दस-(ना०) १. दस की संख्या १०' (वि०) रोटी। पांच प्रौर पाँच । दसमुख-(न०) रावण । दसकत-दे० दसखत । दसमळ-(10) औषधि रूप में काम पाने दसकंध-(न0) रावण । दशानन । बाली दस प्रकार की जड़ें या उनका दसकंधर-(न०) रावण । दशकंधर । समूह । दसको-(न०) १. दस वर्ष का समय। दसमो-(वि०) दसवौं । (न०) १. प्रसव के २. दस वर्षों का समूह । बाद के दसवें दिन का अशीच कर्म । दसखत-(न०) १. हस्ताक्षर । दस्तखत ।। दशौं । वसोठण । २. मृत्यु तिथि से सही । २. अक्षर की लिखावट । ३. हाथ दसवें दिन होने वाला प्रेत कृत्य । दसवाँ । की लिखावट । ४. लिखावट । लेख । दसमो धोवरणो-(मुहा०) प्रसूता का दशवें दसग्रीव-(न०) रावण। दिन प्रथम स्नान करना और जनना शौच दसरण-(न०) दाँत । दशन । का प्रथम निवृत्ति कर्म करना । For Private and Personal Use Only Page #615 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दसमो साळगराम ( ५६८) दस्तरी दसमो साळगराम-(न0) जालोर के राव सु-(न०) चोर । दस्यु । कान्हड़दे सोनगरा की एक उपाधि । दसूदी-(ना०) १. कृषि उपज में से दसवें दसरथ-दे० दशरथ । भाग के रूप में लिया जाने वाला कर । दसरथ-तण-(न०) राम । दसरथ तनय । दसोंदी । २. ब्रह्मभट्टों (रावों) को दिया दसरथ रावउत-(न०) १. श्री रामचंद्र । जाने वाला नेग। ३. ब्रह्मभट्टों (रावों) की २. पृथ्वीराज राठौड़ के इस शीर्षक या एक उपाधि । संबोधन के श्रीरामचंद्र की स्तुति का दोहा दसेरक-(न०) १. मरुप्रदेश । २. मरुप्रदेश काव्य । ___ का एक भाग जो सपादलक्ष (स्वाळख) दसरावो-(न०) आश्विन शुक्ल १० मी का नाम से प्रसिद्ध है। नागोर जिला । भगवान राम द्वारा रावण के वध का स्वाळख । उत्सव । रावण वध का मेला । विजया- दसेरी-(ना०) दस सेर का तौल । दशसेरी। दशमी । दशहरा। दसेरो-(न०) १. दशहरा । २. दश सेर का दसरोहो-दे० दसरावो । तौल। दसवीसी-दे० दसबीसी। दसैं-दे० दसमी। दस सहसो-(न०) गहलोत क्षत्रियों की एक दसो-(न०) १. जाति का उपभेद । २. संकर उपाधि । जाति । ३. वर्णसंकर । ४. दसवाँ वर्ष । दससिर-(न०) रावण । दसोठण-(न०) १. पुत्र जन्म के बाद दसवें दससीस-(न०) रावण । वसमाथ । दिन की जाने वाली अशौच शुद्धि । २. दसा-दे० दशा । (न०ब०व०) १. उपजाति पुत्र जन्म के संबंध में किया जाने वाला के लोग । जैसे-दसा प्रोसवाळ, दसा एक भोजन समारोह । श्रीमाळी इत्यादि । २. किसी जाति की दसोतरसो-दे० दावोतर सो। पेटा जाति । उपजाति । ३. वर्णसंकर। दसोतरी-(ना०) १. प्रति सौ के हिसाब से जाति का वंश । दश और । २. प्रति सौ के ऊपर दस और दसागरण-(न०) दशानन । रावण । वस- देने लेने का रिवाज । ३. मकान या जमीन बेचने पर प्रति सौ रुपयों पर दस दसानन-दे० दसाणण। रुपये के हिसाब से लिया जाने वाला दसावळ-(क्रि०वि०) दशों दिशामों में। मारवाड़ राज्य का एक पुराना कर । दसादहाड़ो-दे० दहाड़ोजी सं० १ दसोदिस-(अध्य०) १. चारों ओर । सब दसा-वीसो-१. किसी वस्तु के गुण, परि- तरफ । २. दशों दिशाओं में। (ना०) माण आदि का अंतर । २. परस्पर दुगुना दसों दिशाएँ । अंतर। ३. दस और बीस का अंतर। दस्त-(न०) हाथ । (ना.) १.पतला पाखाना। ४. एक खेल। दस्त । २. बार बार पाखाना लगने का दसासुत-(न०) दीपक । दिशासुत। रोग। दसी-१. दस वर्ष का समय । २. दस की दस्तखत-दे० दसखत । संज्ञा का ताश का पता। दस्तपोशी-(ना०) एक दूसरे से मिलने पर दसी-वीसी-(ना०) चढ़ती-पड़ती। उन्नति- परस्पर हाथ मिलाना । अवनति । दस्तरी-(ना०) कागज की तख्ती। For Private and Personal Use Only Page #616 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दस्तावेज ( ५६६) दही देणो दस्तावेज-(न०) १. किसी इकरार या लेन- दहलगो-(क्रि०) १. डरना। भयवाना । देन की लिखा पढ़ी के नीचे किये गये भयभीत होना । दैळ गो। २. घबराना । दस्तखत वाला कागज । हस्ताक्षरांकित ३. काँपना । प्रतिज्ञा लेख । लिखत । २. ऋणपत्र। दळियो-(न0) मवेशी के लिये कुतर, दस्तावेज । तमस्मक। बाजरी, ग्वार आदि के मिश्रण को पानी दस्तूर-(न०) १. प्रथा। रिवाज । दस्तूर । में भिगो कर पकाने का पात्र । सानी २. लाग । नेग । दापो । ३. व्यवहार । पकाने का बड़ा पात्र । हांडा । दैळियो । चलन । धारो। ४. पारसियों का पुरो- दहवट-दे० दहवाट । हित । ५. छूट । कटौती। ६. कर। दहवाट-(न०) नाश । ध्वस्त । महसूल । ७. शास्त्रोक्त विधान । विधि। दहवाटणो-(क्रि०) नाश करना। दस्तूरी-(ना०) १. शु: । कर । २. नगर- दहसत-(ना०) १. भय । डर । २. रोब । पालिका की ओर से लिया जाने वाला धाक । अातंक । कर । ३.हक । ४. नेग । दस्तूरी। दापो। दहाई-(ना०) १. अकों की गिनती करते ५. दलाली । (वि०) दस्तूर संबंधी। समय दाहिनी ओर से दूसरा स्थान । २. दस्तो-(न०) १. हत्या। दस्ता। हाथो। दस का परिमाण । मूठ। २. चौबीस कागजों की गड्डी। दहाड़-(ना०) १. गरज । दहाड़ । गर्जन । ३.अमूक संख्या की सिपाहियों की टुकड़ी। २. प्रात नाद । ३. चिल्लाहट । ४. सेना की छोटी ट्रकडी। दहाड़णो-(क्रि०) १. दहाड़ना । गरजना । दह-(वि०) दस । (ना०) १. अग्नि । २. २. डराने जैसी आवाज में जोर से ताप । जलन । ३. ज्वाला । ४. पानी से बोलना । ३. चिल्ला चिल्ला कर रोना । भरा रहने वाला गहरा खड्डा । द्रह। दहाड़ो-(न०) १. दिन । २. तिथि । वार । न-(न०) रावण । २. समय । जमाना । ३. प्रारब्ध । दहकंध-(न०) रावण । दशकंध। नसीन । सितारा। ४. अंतिम समय । दहण-(न०) १. दुख । क्लेश । २. जलन । मृत्यु । ३. मनस्ताप । चिता । ४. अग्नि । आग। दहाड़ोजी-(न०) १. चैत्र कृष्ण दसमी को (वि०) दहन करने वाला। जलाने वाला। किया जाने वाला सौभाग्यवती स्त्रियों का दहरणो-(क्रि०) १. जलना। सळगणो। २. एक व्रत । २. सूर्य पूजा का व्रत ३. सूर्य। दे० दाड़ोजी। दुखी होना। ३. जलाना। सळगारगो। ४. दुखी करना । (वि०) दाहिनो । दहियावटी-(ना०) मारवाड़ का एक प्रदेश । जीमरणो। दहियों की जागीरी का प्रदेश । दहपट-दे० दहवाट । दही-(न०) दधि । दही। दहपटणो-(क्रि०) नाश होना । दही देणो-(मुहा०) १. तोरण द्वार पर दहपाट-दे० दहवाट । सास का दूल्हे की ललाट में दही का दहपाटणो-(क्रि०) नाश करना । तिलक करना । २. सास द्वारा दही का दहमग-दे० दहबाट । तिलक लगा कर तोरण द्वार पर दूल्हे दहल-(ना०) १. उर। भय । दैळ । २. का स्वागत करना । ३ दंपत्ति की जीवन रोब । धाक । यात्रा, सुख, समृद्धि पूर्ण व्यतीत होने के ददक For Private and Personal Use Only Page #617 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दंपा दहीतरो ( ६०० ) शकुन रूप मांगलिक दही का दूल्हे को दंत-(न०) दाँत । तिलक करना। दंत-कणींगो-(वि०) निर्लज्जता से दाँत दहीतरो-(न०) ठोर नाम की एक मिठाई। दिखाने वाला। हैं हैं करने वाला। ठोर। मूर्ख । दहुं-(वि०) दोनों। दंत कथा-(ना०)१. जनश्रु ति । किम्वदन्ती। दहेज-दे० दायजो। मुख परंपरा से चलती आई हुई बात । दहोतरी-दे० दसोतरी। ३. व्यर्थ की बातचीत । बकवाद । चकदंग-(न०) १. झगड़ा। लड़ाई । दंगा । २. चक। ४. जबानी बातचीत । जबानी गृहकलह । ३.डर । भय । ४. अग्निकण। जमा खर्च । चिनगारी । (वि०) स्तब्ध । चकित। दंतलो-(न०) हँसिया । दरांती । दातला । दिग। दंतार-दे० दंताळ । दंगळ-(न०) १. अखाड़ा। २. मल्लयुद्ध। दंताळ-(न०) १. गजानन । गणेश । २. ३. युद्ध । हाथी । (वि०) होठों से बाहर निकले दंगो-(न०) १. दंगा । बखेड़ा । हुल्लड़ । २. हा बड़े दांतों वाला विप्लव । बलवा । ३. दगा-फसाद । दंतालय-(न0) मुह । मुख । मूढो । दंगो-फिसाद-(न०) दंगा-फसाद । लड़ाई दंताळी-(ना०) घास फूस आदि हटाने या झगड़ा । हुल्लड़। ___ समेटने का कृषक का एक औजार । पाँचा। दंड-(न०) १. जुरमाना। अर्थ दण्ड । २. (वि0) बड़े दांतों वाळी । सजा। ३. एक व्यायाम । ४. छड़ी। ५. डंडा। ६. ब्रह्मचारी तथा संन्यासी के दताळो-(न०१. हाथी। २. सिवाने (मारपास रहने वाला दंड । ७. राजदंड। वाड़) के पास की एक ऐतिहासिक पहाड़ी जिसके शिखर समूह दाँतों के समान उठे शासन दंड । ८. अधिकार । शासन ।। ६. छत्रदंड । १०. हस्ति-सुण्ड । सूड । __ हुए हैं । (वि0) बड़े दांतों वाला। ११. चार हाथ का नाप । १२. साठ पळ दंतावळ-(न०) १. हाथी । २. दंतपंक्ति । का समय । एक घड़ी। दंती-(न०) १. हाथी । दंती। २. कंघी। दंडगो-(क्रि०) १. दंड करना । जुरमाना (वि०) दांतों वाला। करना। २. सजा करना। ३. मारना। दतूसळ-(न०) १. हाथी या सूअर का बाहर पीटना । ___ निकला हुमा दाँत । २. दे० दाँतोर ।। दंडवत-दे० दंडोत । दंतेरू-(न०)सिर में होने वाला एक फोड़ा । दंडा-बेडी-(ना०) बीच में डंडे वाली पांव दंतोर-दे० दांतोर । को बेड़ी। दंद-(न०) १. झगड़ा । कलह । द्वन्द्व । २. दंडाहड़-(न०) ढोल के ताल के साथ खेला उपद्रव । ३. दुविधा । जाने वाला एक डंडा रास नृत्य । दंदी-(वि०) झगड़ालू । उपद्रवी । बन्दी । दंडी-(न0) १. दण्डधारी संन्यासी। २. एक झगड़ाखोर । प्रसिद्ध संस्कृत कवि। दंपति-(न०) पति-पत्नी का जोड़ा। पतिदंडो-दे० डण्डो। पत्नी। पंडोत-दे० डंडोत । दघा-(ना०) बिजली । सपा । जिवण । For Private and Personal Use Only Page #618 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दभ दंभ-(न०) १. पाखंड । ढोंग । २. गर्व। शामिल । (न०) प्रवेश । अभिमान । घमंड । दाखलो-(न०) १. उदाहरण । दृष्टांत । २. दंभी-(वि०) १. दंभवाला । ढोंगी। पाखंडी।। प्रमाण । ३. विवरण । ४. लिखा जाना। २. अभिमानी । घमंडी। इंदराज। ५. सीख । सबक । ६. अधिदंभोळ-(न०) वज्र। कार ! सत्व । ७. अनुभव । ८. प्रवेश । दंश-दे० दस । दाखवणो-दे० दाखयो। दंस-(न०) १. दाँत । दंश । २. बिच्छू , बर्र दाग-(न०) १. मृतक का दाह संस्कार । आदि का डंक-छेदन । ३. सर्प का डसना। अग्नि संस्कार । २. जल जाने का चिह्न। ४. दाँत से काटने या डंक मारने की ३. पशुओं के अंग पर पहिचान के लिये क्रिया। ५. दाँत से काटने या डंक मारने दग्ध क्रिया से बनाया हुमा निशान । ४. से होने वाला घाव । दंश । ६. कवच । धब्बा । दाग । निशान । ५. दोष । दंसगो-(क्रि०) १. डक मारना । डसना । __ अपराध । ६. कलंक । लांछन । (सर्प आदि का)। ३. दाँतों से काटना। दागड़-दोटो- (वि०) दग्गड़ जैसा बेडौल । दंस्टी-(न०) १. डसने वाला । सर्प। २. बेडंगा । (न०) बच्चों का एक खेल । सूअर । दंष्ट्री। दागड़ियो-(न०)१. चालाकी से लेने खरीदने दा:-(अव्य०) किसी दस्तावेज के नीचे में ज्यादा और देने-बेचने में कम परिमाण दस्तखत करने के पूर्व लिखा जाने वाला (तोल, माप और नाप आदि) में खरीदने 'दस्तखत' शब्द का संक्षिप्त रूप । बेचने वाला धूर्त दूकानदार । २. छली । दा-(ना०) इच्छा । दाय । (न०) १. दादा। धूर्त । ठग । लुटेरा । पितामह । २ बार । दफा। मरतबा। दागड़ो-(न०) १. लुटेरों का दल । २. ३. दाँव । दाव । (प्रत्य॰) षष्ठी का समूह । झुड । ३. लुटेरों का आक्रमण । चिन्ह । 'का' ४. लूट। दाई-(ना०) १. धाय । उपमाता । २. दागणो-(क्रि०) १. दाग देना। शव का बच्चा जनाने वाली स्त्री। वायरण । ३. अग्नि संस्कार करना । २. जलाना। ३. प्रकार । तरह । ४. बार । दफा । बाण। डाम देना। गरम शलाका से अंग पर (वि०) समान । बराबर । चिन्ह करना । दागना । डामणो। ४. दाकल-(ना०)१. डर । २. धमकी । डाँट। बंदूक, तोप आदि का छोड़ना । ५. धाकल । ३. ललकार । ४. डराने वाली। कलंकित करना। जोर की आवाज । दहाड़ । गरजन । दाग देणो-(मुहा०) १. शव का अग्नि दाकलगो-(क्रि०) १. धमकाना । डाँटना। संस्कार करना। मृतक को जलाना । २. २. डराना । ३. ललकारना । सप्त शलाका से पशु को चिन्हित करना । दाख-(ना०) द्राक्षा । वाख । द्राख । दागल-दे० दागी। दाखगो-(क्रि०) १. कहना। २. ध्यान में दागळो-दे० डागळो । लाना। ३. दिखाना । बताना। ४. दागी-(वि०) १. दाग या धब्बे वाला। प्रगट करना। ५. दरियाफत करना । ६. दागल। २. कलंकित। लांछित । दागल । गुगण धर्म बताना । असर दिखाना। ३. सड़ा हुग्रा । ४. त्रुटिवाला। ५. दाखल-(वि०) १. दाखिल । प्रविष्ट । २. खराबी वाला । दोष युक्त । प्राखा For Private and Personal Use Only Page #619 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दागोजणी ( ६०२ ) दाणवे दागीजणो (त्रि०) १. दाग लगना। २. स्त्रियाँ दाड़ोजी के व्रत के दिन सुनती दागा जाना। ३. सड़ना। ४. सड़ांध हैं। दे० दहाड़ोजी । उत्पन्न होना । दाढ-दे० डाढ । दागीणो-दे० दागीनो। दाढ़ाळ-(वि०) दाढ़ी वाला। २. बड़ी डाढ़ों दागीनो-(न०) १. गहना । प्राभूषण । २. वाला । (न०) सूअर । संख्या। नग । अदद । दाढ़ाळी-दे० डाढाळी । दागो-(न0) १. धब्बा । दाग । २. कलंक। दाढाळो-(न०) १. सूपर । शूकर । २. लांछन । पुरुष । मर्द । ३. घनी दाढ़ी। (वि०) १. दाघ-(न०)१. कलंक । लांछन । २. धब्बा । दाढ़ी वाला । डढ़ार । २. मर्द । निशान । ३. दोष । ऐब । दाढी-(ना०) डाढी । (वि०) तंदुरुस्त । २. दाजी-(न०) १. दादा । २. बड़ा भाई । ३. अच्छी । बड़ा-बुडढा । दाढी खूटी-दे० डाढी-खूटी । दाभ-(न०) १. जलन । २. संताप। ३. दाढो-दे० डाढो। मानसिक कष्ट । ४. शत्रुता। ५. ईर्षा । दाढो भलो-दे० डाढो भलो। डाह । द्वेष । ६. क्रोध । चिढ़। ७. अनू- दाण-(न०) १. राजदेय । चूगी। महसूल। कंपा । चिढ़ । मालगुजारी। २. दान । ३. दंड । जुरदाझरणो-(क्रि०) १. जलना । दग्ध होना । माना । जरीबानो। ४. दाँव । चाल । २. जलन होना। ३. संताप होना। ४. ५. चौपड़, सतरंज आदि में खेलने का जलाना । दग्ध करना । ५. अत्यधिक । ।। ५ अत्यधिक दाँव । बारी। ६. मौका । अवसर । ७. कष्ट देना । संतप्त करना । बार । दफा। ८. बारी । पारी । ६. दाट-(न०) १. रुकावट । रोक । २. समूह । भांति । प्रकार। १०. हाथी का मद । मदजल। ३. धमकी । फटकार । ४. बोतल, शीशी दागात-दे० दानत । आदि का काग । डाट । ५. चोट । दाणलीला-(ना०) ग्वालिन-गोपियों से दही प्रहार । ६. तबाही । विनाश । ७. वारूद दूध की चूगी लेने की की हुई श्रीकृष्ण की सुरंग। की लीला। दाटक-(वि०) १. बीर । बलवान । शक्ति दारणलो-दे० दागव। वान । २. दृढ़ । मजबूत । ३. धमकाने दारणव-(न०)१. दैत्य । दानध । २. यवन । वाला । फटकारने वाला। ४. रोकने मुसलमान । घाला। दागवगुरु-(न०) दानवगुरु । शुक्राचार्य । दाटणो-दे० डाटणो। दाणव राह-(ना०) १. मुसलमानों के जैसा दाटी-दे० डाटी। रहन-सहन । २. मुसलमानी व्यवहार । दाटो-दे० डाटो। ३. दानव राह पर चलने वाला । मुसलदाड़म-(ना०) अनार । दाडिम । मान । ४. दुष्टता । १. अत्याचार । दाड़ो-(न०) दिन । वहाड़ो। (वि०) १. दुष्ट । २. प्राततायी । दाड़ोजी-(न०) १. एक लोक देवता । अत्याचारी। दहाड़ोजी । २. स्त्रियों का एक व्रत । ३. दारणवै-(न०) १. दानवपति । २ रावण । स्त्री-समाज की एक लोक वार्ता, जिसे ३. कंस । ४. यवन बादशाह । For Private and Personal Use Only Page #620 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दीद दाणव-राव ( ६०३ ) दाणवै-राव-(न०) १. दानवराज । दानवों दातरण-कुरळो-(न०) १. मुख शुद्धि । २. का स्वामी । २. बादशाह । यवन वाद- दातुन और गरारा द्वारा दाँत, जीभ और शाह । गला साफ करने की प्रातः क्रिया। ३. दाणवो-दे० दाणव। दातुन नाश्ता आदि करने की प्रातः दाणादार-(वि०) दरदग । दानेदार । क्रिया । रवादार । करणीदार । कणीवाळो। दातण पाणी--(न०) १. दातुन और पानी । दागी-(न०) १. कर वसूल करने वाला २. दातुन और पानी से की जाने वाली व्यक्ति या कर्मचारी। २. नाज का व्या- हाथ-मुह की सफाई । ३. मुखशुद्धि । ४. पारी। ३. नाज तोलने का धंधा करने दातृन, नाश्ता आदि करने की क्रिया । ५. वाला तोलावट । तोलाबटियो । ४. कलेवा । नाश्ता। धारण करने वाला या रखने वाला अर्थ दातरड़ी-(ना०)१. छोटी हँसिया। गडासी। को व्यक्त करने वाला एक प्रत्यय । जैसे- २. सूअर का बाहर निकला रहने वाला पीकदाणी, सुरमादारणी आदि। दाँत । दागो-(न0)१. अनाज । धान्य । २. धान्य दातरडो-(न०) हँसिया । दात्र । गँडासा । करण । दाना। ३. घोड़े को तोबड़े में दातरळो-दे० दातरड़ो। खिलाई जाने वाली चने की दाल आदि । दातलो-दे० दातरड़ो । दाना। ४. माल का दाना। मनका। दाता-(वि०) १. देने वाला। २. दानी । ५. गठड़ी। बंडल । नग। ६. नग। उदार । (न०) १ कुटुम्ब का वृद्ध पुरुष । अदद । ७. नगीना । रत्न करण । ८. २. पिता । ३. ईश्वर । ४. दानी पुरुष । समझ । बुद्धि । दातार-(वि०)१. दानी । २. उदार । (न०) दाणो दाबणो-(मुहा०)१. विचार जानना। १. ईश्वर । २. दानी पुरुप । २. किसी के मन की जानने का प्रयत्न दातारगी-(ना०) दातृत्व । दानशीलता । करता । ३. खुशामद करना । बदान्यता। दाणो देरगो-(मुहा०) घोड़े, बैल आदि को दातार गुर-(वि०)बड़ा दानी । महादानी । दाना खिलाना। दातारी-दे० दातारगी। दारणो-पाणी-(न०) १. प्रारब्ध । नसीब । दातावरी-(वि०) देनेवाली । (ना०) दान तकदीर । २. दाना-पानी। अन्न-जल । शीलता । वदान्यता । दातारी । ३. जीविका। रोजी। ४. संयोगवश दात्रड़ियाळ-दे० दांतड़ियाळ । किसी स्थान पर रहना और वहाँ का दाथरो-(न०) भाप से सिझोने के निमित्त अन्न-जल लेना । रहने का संयोग। खाद्य वस्तु को बरतन में अधर रखने के दाणो-पाणी करणो-(मुहा०) पड़ाव पर लिये की जाने वाली पानी के ऊपर तृण दाना पानी (भोजन) करना । आदि की परत या जाली। दात-(ना०) १. दहेज । २. दान । ३. दाँत। दाद-(ना०) १. फरियाद । अर्ज। २. इन्साफ। ४. दात्र । हँसिया । (वि०) दाता । न्याय । दाद। ३. किसी के व्यक्तित्व, देने वाला। काम या बात को समझने, मानने या दातड़ियाळ-दे० दांतड़ियाळ । महत्व देने का भाव । ४ धन्वाद । ५. दातण-(न०) दाँतुन । दतौन । एक चर्म रोग । दद् । दाद । For Private and Personal Use Only Page #621 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दाद फरियाद ( ६०४ ) दानी-मानी दाद-फरियाद-(ना०,१. सुनवाई । पुकार। दादोजी-(न०) दादा (मानार्थक) । २. शिकायत । फरियाद । ३. न्याय। दादोसा-दे० दादोजी। इन्साफ। दाध-(ना०) १. द्वष । २. शत्रुता । ३. दादर-(न०) १. एक पक्षी। २. मेंढक । जलन । दादुर । ३.बादल । ४.पहाड़ । ५. जीना। दाधारीगो-(वि०) १. आलसी। २. बिना सीढ़ी । ६. एक वाद्य यंत्र । ढंग का । ३. पागल । मूर्ख । ४. असभ्य । दादरो-(न०) १. संगीत का एक ताल । दाधीच-(न०) दधीचि ऋषि का वशज । २.गाने की एक तर्ज । एक राग । दादरा। दान-(न०) १. श्रद्धापूर्वक धर्मबुद्धि से ३. सीढ़ी। पुण्यार्थ किसी को दी जाने वाली कोई दादागुरु-(न०) गुरु का गुरु । वस्तु । २. धर्म की दृष्टि से या दयावश दादारगो-(न०) १. नानाणो ( ननिहाल ) किसी को कोई वस्तु बिना मूल्य लिये देने शब्द के साम्य पर प्रयुक्त किया जाने । की क्रिया । दान । खैरात । ३. हाथी का वाला दादा, पिता तथा दादा के पौत्र मद । ४. खेल में प्राप्त होने वाला दांव । का घर । २. खुद का घर । स्वगृह । ३. बारी । पारी । (प्रत्य०) किसी संज्ञा शब्द के आगे रखने वाला, धारण करने वाला जिनके घर में जन्म लिया है वे पिता, या जानने वाला अर्थ को सूचित करने दादा आदि कुंटुबीजन । दादा का वाला प्रत्यय शब्द । उदा. कलमदान । परिवार । ४. पीहर । पीकदान । दादाभाई-(न०) बड़ा भाई । दादा। दानखो-(न0) दीवानखाना । बैठक । दादारीगो-(वि०) १. सुस्त । ढीला । २. दानगुरु-(न०) १. बड़ा दानी। दानवीर । अकर्मण्य । ३. निर्बुद्धि । बेसमझ। दानश्वरी । दादी-(ना०) पिता की माता । पितामही। दानत-(ना०) मनोवृत्ति । मन की अवस्था। दादीजी-(ना०) १. दादो । पितामही मनस्थिति । (मानार्थक) २. दादी सास । दान-दिखणा-(ना०) दान और दक्षिणा । दादी मा-दे० दादी । (मानार्थक) ।। दान की वस्तु । २. दान । दादी-सा-दे० दादीजी। दानधर्म-(न०) दान करने का धर्म । दादी-सासू-(ना०) सास की सास । ददिया दानव-(न०) राक्षस । वारणव । राखस । सास । दानवीर-(न०) बहुत बड़ा दानी। दानेश्वर । दादी सुसरो-(न०) ददिया ससुर । दानेसरी। दादूजी-(न०) दादूपंथ के प्रवर्तक दादूदयाल दानाई-(ना०) १. बुद्धिमानी । २. विवेक। (या दादूजी) नाम के एक संत । इनका ३. भलमनसाई । ४. प्रामाणिकता । निवास स्थान जयपुर जिले के नराणा ईमानदारी । ५. बुढ़ापा । गाँव में था और वहीं इनका देहान्त दानापरणो-दे० दानाई। हुप्रा था। दानी-(वि०) दान देने वाला। दानी । दादपंथी-(वि०) संत दादूजी के चलाये हुये उदार। (प्रत्य०) शब्द के मागे प्राने पथ का अनुयायी। वाला प्रत्यय । जैसे पीकदानी। दादो-(न०) पिता का पिता। पितामह । दानी-जानी-(वि०) दान देकर सम्मान करने वाला । २. बड़ादानी। For Private and Personal Use Only Page #622 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org दानेसरी दानेसरी - ( न०) दानेश्वरी । बड़ादानी । दानवीर | दानेस्वर - ( न०) दानेश्वर । बड़ादानी | दानवीर । दापटरगो-दे० दपटरणो । दापड़-दे० दाफड़ । ( ६०५ ) दानो- (वि०) १. समझदार । विवेकी । बुद्धिमान | २. वृद्ध | बुड्ढा | दाप - ( न० ) १. दर्प । श्रभिमान । २. शक्ति 1 प्रताप । तेज । ३. दबदबा । ४ उत्साह ५. क्रोध । दापो - ( न० ) १. विवाह श्रादि उत्सवों में लगने वाला एक कर । २. एक राजकीय कर । ३. नेग । लाग । हक । हक का माँगना । दापो छोड़ावरण - ( मुहा० ) दापा माफ कर वाना । दाफड़ - ( न०) मच्छर प्रादि के काटने से चमड़ी में होने वाला चकता । ददोरा । दाब - ( न०) १. बूरा - चीनी और गाय के ताजे घी का एक योग, जो आँखें आ जाने पर रात को सोते समय खाया जाता है । २. दबाव । ३. ग्राग्रह | ४. अकुंश । धाक । नियंत्रण | करना । दाभ-दे० डाभ | दाबना । अंकुश में जबरदस्ती दाबरणो - ( क्रि०) १. दबाना । हंसना | २. दमन करना । रखना । ३. किसी वस्तु को छीन कर अपने अधिकार में कर लेना । हड़पना | दबोचना । ४. पगचंपी करना । ५. बोझ के नीचे रखना । ६. पराजित दाम - ( न० ) १. मूल्य कीमत । २ रुपयापैसा | ३. एक प्राचीन सिक्का । ४. रुपया का चालीसवाँ भाग ( व्याज फलावद में) । ५. पैसे का पचीसवाँ भाग । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दाय दामरण - ( ना० ) १. बिजली । दामिनी । ( न० ) १. पल्ला | ग्रांचल । दामन । २. पशुओं के पैर बांधने की रस्सी का टुकड़ा । बंधन | दामरणगीर - दे० दावणगीर । दामणी - ( ना० ) १. एक प्रकार की प्रोढ़नी । २. विधवा स्त्री की प्रोढ़नी । ३. बिजली । दामिनी । ४. स्त्रियों के सिर पर का एक गहना । एक शिरोभूषण । दामरणो - ( न०) १. स्त्रियों के हाथ की दो अंगुलियों में पहने का एक छल्ला । दामो । २. गाय, भैंस को दोहने के समय उनके पिछले दोनों पाँवों को बाँधने का रस्सी का एक टुकड़ा । छांद | नोई | ३. ऊंट के पाँव को बाँधने की रस्सी का तोड़ा। तोड़ो । ४. मथानी की रस्मी । नेतरो । नेतो । (वि०) १. दमन करने वाला । नाश करने वाला । २. बंधन में डालने वाला । ( क्रि०) १. दमन करना । नाश करना। २. बंधन में डालना । कैद करना । दाम - दुपट - ( न०) मूल रकम से ब्याज की रकम अधिक हो जाने की स्थिति में मूल रकम से दुगुनी रकम कोर्ट द्वारा दिलाये जाने का एक नियम । कजं से दुगुना लेना । दून । २. दुगुना दाम | दुगुना रुपया । दामन - दे० दामरण । दामनगीर - दे० दावणगीर । दामी - जोड़ो - ( वि०) १. धन संचय करने वाला । २. कंजूस । दामो दे० दामणो सं० १ दामोदर - ( न०) १ रुपया पैसा ( व्यंग में ) । २. श्रीकृष्ण । For Private and Personal Use Only दाय - ( ना० ) १. मर्जी । इच्छा । २. पसंद | अभिरुचि । ३. पैतृक सम्पत्ति का भाग । ४. प्रकार | तरह । Page #623 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दायको । ६०१ ) दावागीर दायको-(न०) १. दस वर्ष का अंतर । २. दाळद-(न०) १ दारिद्रय । निर्धनता । दस वर्षों का समाहार । दस वर्ष का गरीबी । २. कचरा । मैला । समय । दशक । दाउदर-(न०) १. कचरा । २. गरीबी । दायजो-(न०) १. दहेज । २. स्त्रीधन । निर्धनता । दायरण-(ना०) दाई। दाळदरी-(वि०) १. गरीब। निधन । २. दायर-(ना०)१. तरह । प्रकार । २ इच्छा। मैला-कुचेला । दाय । ३. जो निर्णय के लिये न्यायाधीश दाळ-रोटी-(ना०) १. दाल और रोटी। के सामने उपस्थित किया गया हो। २. निर्वाह । ३. पोषण । दायो-(न०) स्वत्व । हक । दावा । दावो। दाळिद्र-(न०) १. दरिद्रता । निर्धनता । दार-(ना०) १. स्त्री। नारी। २. पत्ली। २. कचरा । मैला । ३. लकड़ी। काष्ट । दारु । ४. शब्द दाळियो-(न०) १. नमक-मिर्च आदि मसाले (यौगिक) के अंत में लगने वाला एक मिला कर तली हुई दाल की टिकिया । प्रत्यय जिसका अर्थ होता है - रखने बड़ा। भुजिया। २. चनौठी या काली वाला । जैसे-'पइसादार' मालदार । मिर्च जितनी छोटी चमकदार प्याली इत्यादि । (गुरिया) ये गुरियाएँ दुन्हे के तिलक दारक-(वि०) १. मारने वाला। २. चीरने बनाने के काम में भी पाती हैं । ३. दाल वाला । (न०) ऊँट ! दरक । दमाज । परोसने का पात्र । ४. दाँत । दारण-(वि०) १. दारुण। २. चीरने दाव-(न०) १. मौका। अवसर । दाँव । वाला। २. सुयोग। ३. युक्ति । ४. चाल । ५. दारमदार-(न०) १. कार्य का भार । २. छल । कपट । ६. संकल्प-विकल्प । ७. प्राश्रय । आक्रमण । ८. बार । समय । मर्तबा । दारा-(ना०) पली। स्त्री । १. पारी । वारी। दारिगह-दे० दरगाह । दावटगो-(कि०) १. दवाना । २. हराना । दारिद-(न०) दारिद्रय । दावरण--(न०) १. लहँगा। घाघरा । २. दारियो -(न०) वेश्या का पुत्र । जागरी। चारपाई के पैताने की रस्सी। दामर । दारी-(ना.) १. पुत्री। २. दामी। ३. बदामरण । ३. आँचल । पल्ला । देश्या। दावरणगीर-(वि०) १. दामनगीर । वस्त्र दारू-(न०) १. शराब। मद्य । २. दवा। पकड़ने वाला । २. दावा करने वाला । प्रौषधि । ३. बारूद । पीछे पड़ने वाला। २. प्राश्रय में रहने दारूडियो-(वि०) शराबी। वाला। दारू-रूखड़ो-(न०) महुप्रा वृक्ष । दावत-(ना०) भोज । जीमन । जीमण । दाळ-(ना०) १. दला हुआ मूग, मोठ ग्रादि गोठ । द्विदल धान्य । २. मूग मोठ आदि की दावपेच-(न०) १. युक्ति प्रयुक्ति । २. दाल को पानी में सिझा कर पकाया हुआ चालाकी । तीवन । सिझाई हुई दाल में नमक मिर्च दावागीर-(न०) १. शत्रु । २. अपना अधि आदि मसाले डाला हुमा सालन । दाल । कार जताने वाला। ३. दावा करने दाळचीगी-(ना०) दारचीनी । वाला। For Private and Personal Use Only Page #624 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । ६०७) दांताकसी दावाग्नि-दे० दावानळ । दाहकर्म-दे० दाहक्रिया। दावानळ-(न०) जंगल में लगने वाली दाह क्रिया-(ना०) शव का अग्नि संस्कार । अग्नि । २. वन की ग्राग जो बाँस आदि दाहणो-(वि०) दाहिना । दाँया । (क्रि०) के रगड़ खाने से स्वत: लग जाती है। १. जलना । २. संताप होना । दव । दावो। दाह संस्कार-(न०) शव संस्कार । अंत्येष्टी दावायत-दे० दावागीर ।। क्रिया। शव को अग्नि से जलाने का एक दावै-(प्रव्य०) १. कारण। निमित्त । २. धार्मिक संस्कार । अग्नि संस्कार । बदले में । प्रतिशोध के लिये । २. तरह। दाहो-(न०) १. जलन । ताप । २. संताप । (अव्य०) (दाय + प्रावै) १. जैसे पसंद बळतरा । ३. अति शीत से फसल, वृक्ष हो । २. जैसा पसंद हो। आदि का सूखजाना या जलजाना । शीत दावो-(न०) १. अधिकार । कब्जा। २. दाह । (वि०) बिना ठंड लगे आगे वाला स्वत्व । हक । मालिकी। ३. मुकदमा। (ज्वर) । अभियोग । दावा । ४. प्रमाण । पुरस्सर दाहोतर सो-(न०) पहाड़े में बोला जाने कथन । ५. प्रतिशोध । प्रतिकार । ६. वाला एक सौ दस (११०) का अंक । गाक्ति । ७ शत्रुता । ८. युद्ध । ६. दृढ़ दाहातरी-(न०) दसवाँ वर्ष । आत्मविश्वास । १०. अति ठंडी से फसल दाहो ताव-(न०) ठंडी नहीं लग कर पाने आदि का जल जाना। शीनदाह । १०. वाला ज्वर । दाह-ज्वर । गरम बुखार । दावानल । दावाग्नि । दाहो-(न०) अधिक शीत के कारण फसल, दावोतर सो-दे० दाहोतर सो। वृक्ष आदि का सूख जाना या जल जाना। दावोतरो-दे० दाहोतरो। शीतदाह । दास-(न०) १. सेवक । दास। २. एक दाँ-(न०) १. दावें । २. प्रकार । तरह । प्रत्यय जो पुरुष नामों के अंत में लगता (अव्य०) १. दें। देवें । दे दें। २. देते है। है। जैसे · रामदास । दाँई-(ना०) १. वयस्क। २. अवस्था । दासपगो-(न०) दासपन । गुलामी । उम्र । ३. प्रकार । तरह। ४. बार । दासता । दासत्व । मरतबा । दफा। दासरथी-(न०) दशरथ के पुत्र श्रीराम । दाँडिया-रास-दे० डांडिया रास । दाशरथि । दाँडियो-दे० डांडियो। दासातन-(न0) दासत्व । दासता। दाँडी-दे० डाँडी। दासी-(ना०) सेविका । नौकरानी । दासी। दाँडो-दे० डाँडो । दासेर-(न०) ऊंट दाँत-(न०) १. दंत । दाँत । दशन । २. दासे रक-(न०) ऊंट। दांता । ३. हाथीदांत । दासो-(न०) १. द्वार के नीचे का चपटा दाँतड़ियाळ-(न०) १. सूअर । २. हाथी । पत्थर । २. बिल्ली की विष्टा । (जैस.) दाँतलो-(वि०) १. बड़े दाँतों वाला। २. फड़ियो। जिमके दांत होठों से बाहर निकले हुए हों। दाह-(ना०) १. जलन । ताप । बळतर। दाँत वसन-(न०) होंठ । २. मृतक का दाह संस्कार । २. डाह । दाँताकसी-(ना०) कलह । झगड़ा । २ ईर्ष्या । (वि०) भस्मित् । भस्मात् । बोलचाल । विवाद । For Private and Personal Use Only Page #625 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दानाघिसी (10) दिग्विजय दांताघिसी-दे० दाताकसी। दिखणाद-(ना०) दक्षिण दिशा। (अव्य०) दाँती-(न०) १. हाथीदांत. नारेली प्रादि की दक्षिण दिशा में। चूड़ियाँ बनाने वाला व्यक्ति । चूड़ीगर। दिखराादी-(वि०) दक्षिण की ओर का । चीरवियो। २. हाथीदांत की चूड़ियों का दक्षिणी । २. दक्षिणी । दक्षिण देश का। व्यवसाय करने वाला व्यक्ति । ३. माथे दिखरणादू-(वि०) दक्षिण दिशा का । के बालों में उत्पन्न गएँ और लीखों को (क्रि०वि०) दक्षिण में । निकालने के लिये कंघी के दांतों का धागे दिखणादो-दे० दिखणादी । से बांधने की क्रिया । ४. किसान का एक दिखगी-(वि०) १. दक्षिण का। दक्षिण औजार । संबंधी । दक्षिणी । २. दक्षिण देश का दाँतूर-दे० दाँतोर । निवासी । महाराष्ट्रीय । दक्षिणी । (ना०) दांतूसळ-(न०) १. हाथी का दाँत । २. दक्षिणी भाषा | मराठी भाषा । ऊपर नीचे के दांतों के परस्पर भिड जाने दिखणी-चीर-(न०) एक प्रकार का मूल्यका एक रोग । दांतोर । मुंह और दांत वान । प्रोढ़ना । दक्षिणी चीर । बंद हो जाने का एक रोग। दिखाऊ-(वि०) १. जो केवल देखने भर का दांतो-(न०) प्रारी आदि का दाँत । दाँता। हो । २. बनावटी । ऊप हो। २. बनावटी। ऊपरी । प्राडंबरी । दाँतोर-(न०) दांतों का एक रोग जिसमें __ दिखावटी । ३. कृत्रिम । नकली बनावटी। ऊपर नीचे के दाँत परस्पर मजबूती से दिखाणो-दे० देखावणो । दिखाव-दे० देखाव । भिड़ जाते हैं। दिखावट-(ना०) १. देखा जा सके वह । दाँयर-(ना०) प्रकार । तरह । २. बनावट । ३. ढोंग । प्राडम्बर । दाँवण-(ना०) खाट की बुनन में पायताने दिखावटी-दे० दिखाऊ। की अोर बुनन और उपले में लगी रहने दिखावड़ो-दे० देखावड़ो। वाली रस्सी। चारपाई के पैताने की दिखावरगो-दे० देवावरणो। रस्सी । वदामण । विदावरण । दिखावो-(न०) १. ऊपरी तड़क भड़क । दाँवणो दे० दामणो। आडंबर । २. दृश्य । ३. पाखंड । दिप्रग-दे० दियण। दिख्या-दे० दीक्षा। दिक-(वि०) हैरान । तंग । (ना०) दिशा। दिग-(ना०) दिशा । (न०) क्षय रोग। दिगमुढ़-(वि०) दिग्मूढ़ । चकित । छक । दिक्कत-(ना.) १. मुश्किली। कठिनाई। दिगंवर-(वि०) १. नंगा । अवस्त्र । (न0) हरकत । २. हैरानी । परेशानी । १. एक जैन संप्रदाय । २. नंगा रहने दिख-(न०) १. दक्षिण दिशा । २.दक्षिण वाला दिगम्बर का साधु । ३. महादेव । में स्थित देश । दक्खिन । दखन । ४. सिद्ध महात्मा । ३. मारवाड़ का दक्षिण प्रदेश । दिग्ध-(वि०) दीर्घ । डीघो। दिखणाण-(न०) १. दक्षिण दिशा । २. दिग्विजय-(ना०) देश देशान्तरों को दक्षिण देश। ३. दक्षिणायन । (वि०) जीतना। सभी दिशाओं में की जाने १. दक्षिण दिशा का। २. दाहिनी ओर वाली विजय । चारों दिशाओं में की का । जाने वाली जीत । For Private and Personal Use Only Page #626 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दिच्छा (.) दिलेर दिच्छा-दे० दीक्षा। दिब-दे० दिव्य । दिट्ठ-(वि०) दृष्ट । देखा हुआ। (मा0) दिमाग-(न०) १. मगज । मस्तिष्क । २. १. दृष्टि । २. प्राख । (भू०कि०) देखा। बुद्धि । ३. गर्व । अभिमान । .. दिठोणो-(न०) बच्चों की ललाट या गाल दियण-(वि०) देने वाला। (क्रि०वि०) देने आदि पर नजर बचाने के लिए लगाई के लिये। जाने वाली काजल की बिंदी। दिठौना। दियाळी-दे० दीवाळी । दिढ-(वि०) दृढ़ । मजबूत । दियासळाई-(ना०)प्राग जलाने की तीली। दिढता-(ना०) दृढ़ता । दिढ़ाई । दियसलाई । तूळी। दिढाण-दे० दिढ़ाव । दियो-(न०) दीपक । दीया। (क्रि००) दिढाणो-दे० दिढावणो। दिया। दे दिया। दिढाव-(न०) दृडाव । दृढ़ता। दिराणो-दे० दिरावणो। दिढावरणो-(क्रि०) १. दृढ़ करना । मजबूत दिरावणो-(क्रि०) दिलाना । दिलवाना। करना । २. निश्चय करना । ३. निश्चय दिल-(न०) १. हृदय । २. चित्त । मन । करवाना। ४. बात को पक्की करना। ३. साहस । ४. इच्छा । प्रवृत्ति । ५. दुहराना । बहरागो। दिल-टखूल-(वि०) १. दिल का कुटिल । दिरण-(न०) दिन । दिवस । २.निर्दय । बेरहम । ३. कृपण । कंजूस । दिणकर-(न०) दिनकर । सूर्य । ४. श्रद्धाहीन । प्रभक्त । दिणंद-(न०) दिनेन्द्र । सूर्य । दिलगहर-(वि०) १. उदार । २. गंभीर । दिणयर-(न0) दिनकर । सूर्य । दिलगीर-(वि०) १. उदास । खिन्न । दिगियर-(न०) सूर्य । दिनकर । नाखुश । २. दुखी । दित-(10) १. आदित्य । सूर्य । २. दैत्य । दिलगीरी-(ना०) १. उदासी। खिन्नता । दिन-(न०) १. दिवस । दिन । २. काल । नाखशी। २. शोक । दुख । ३. खेद । समय । ३. सप्ताह का दिन । वार । ४. अफसोस । मिति । तिथि । दिलड़ी-(ना०) १. दिल्ली नगर । ढिलड़ी। दिनचर्या-(ना०) दिन भर का काम । २. दिल । ३. एक प्राभूषण । तिलड़ी। दिनमरिण-(न०) सूर्य । सूरज । दिल-दराज-दे० दिल-दरियाव । दिनमान-(न०) १. सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिल-दरियाव-(वि०) १. जो बड़े हृदय का मान । २. प्रारब्ध भाग्य । नसीब । वाला हो । उदार । २. दानशील । ३. सूर्य । दिनरात-(अव्य०) हमेशा । सदैव । (न०) दिल-दूठ-(वि०) १. कपटी। छली। २. दिन और रात। ___ दुष्ट । ३. साहसी । ४. दृढ़ । मजबूत । दिनूगे-(प्रव्य०)१.आनेवाले कल का सवेरा। दिल-माठो-(वि०) कंजूस । कृपण । कल सवेरे । २. आने वाला कल । ३. दिलावर-(वि०) १. साहसी । २. वीर । सूर्योदय के समय । (न०) प्रभात । प्रात: काल । दिनोदय । दिलासा-(ना०) आश्वासन । सांत्वना । दिनेदिने-(प्रव्य०) प्रतिदिन । दिनोदिन । ढाढ़स । धीरज ।। दिनोदिन-(अव्य०) प्रतिदिन । दिनदिने। दिलेर-(वि०) हिम्मतवान । बहादुर । ___ बहादुर । For Private and Personal Use Only Page #627 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साला दिलेसर । ६१.) दिसांतरी दिलेसर-(न०) दिल्लीश्वर । राजा । बाद- दिशाओं की कल्पना करके १६ दिशाएँ शाह । (वि०) बड़े दिल वाला। ओर दो प्राकाश पाताल इस प्रकार कुल दिल्लगी-(ना०) १. मनोरंजन । विनोद । १८ दिशाएँ मानी गई हैं।) ३. भोर । __ मजाक । तरफ । बाजू । दिल्ली-(ना०) इतिहास प्रसिद्ध भारत की दिशाशूल-(न०) ज्योतिष के अनुसार अमुक राजधानी का नगर । दिशा में जाने के लिए अशुभ गिना जाने दिल्लीबोर-(न०)एक प्रकार का बड़ा बेर। वाला दिन । दिल्लीवै-(न०) १. दिल्लीपति । २. दिशासुत-(न०) दीपक । बादशाह । दिस-(ना०) १. दिशा । २. तरफ । पोर । दिव-(न०) १. दिन । २. सूर्य । ३. दीपक। दिसट-(ना०) दृष्टि । ४. स्वर्ग । ५. आकाश । (वि०) १. दिसली-(प्रव्य०) १. अोर की । तरफ की। दिव्य । २. आलौकिक । ३. प्रकाशमान। २. दिशा की ओर से । दिव चख-(न०) १. सूर्य । २. ज्ञानचक्षु । दिसंतरी-दे० दिसांतरी। दिव्यचक्षु । दिसंबर-(न०) ईसवी सन का बारहवाँ दिवटियो-दे० दीवटियो। (अंतिम) महीना । डिसेम्बर । दिवलो-(न०) दीपक । दिउला । बीवो। दिसा-(ना.) १. क्षितिज वृत के किये हुये दिवलोक-(न०) स्वर्ग। मुख्य चार और इनके अन्तर्गत राजस्थान दिवस-(न०) १. सूर्योदय से सूर्यास्त तक का । में सोलह (आकाश पाताल के साथ १८) समय । दिन । २. एक सूर्योदय से दूसरे कल्पित विभागों में से एक । दिशा । सूर्योदय तक का समय । दिन । दिवस ।। दिक । २. ओर । बाजू। तरफ । ३. ३. समय । जमाना । दिन । ४. दिन । पाखाना । विष्टा । टट्टी। ४. मल त्याग दिवसकर-(न०) सूर्य । की क्रिया। (अव्य०) बाबत । संबंध में । दिवसमुख-(न०) प्रभात । दिसा जाणो-मल त्याग करना। पाखाना दिवाकर-(न०) सूर्य । जाना । टट्टी जाना । झाड़ेजारणो । दिवाटियो-दे० दीवटियो। दिसा-फरागत-(न०) १. मल त्याग । दिवायर-(न०) दिवाकर । सूर्य । फरागत । पाखाने जाना । झाड़ेजारणो। दिवाळी-दे० दीवाळी। दिसाभूल-(न0) दिशाभ्रम ।। दिव्य-(वि०) १. अलौकिक । २. भव्य । दिसावर-(न०) १. परदेश । विदेश । देशा शानदार । ३. प्रकाशमान । ४. सुन्दर । वर । २. प्रदेश । दिव्य दृष्टि-(ना०) अलौकिक दृष्टि । दिसावरी-(वि०) १. परदेश में रहने दिव्यास्त्र-(न०) १. मंत्र द्वारा परिचलित वाला। २. परदेश में व्यवसाय करने अस्त्र । २. देवता द्वारा प्रदत्त अस्त्र। वाला। ३. परदेशी। ४. दिसावर से दिशा-(ना०) १. क्षितिज वृत के किये हुए संबंधित । दिसावर का। चार विभागों में से एक । २. दिशामों के दिसांतरी-(न0) १. एक ब्राह्मण जाति चार कोण और दो आकाश-पाताल-इस जो मृतक का एकादशा कर्म करवाती है। प्रकार दस दिशाओं में से प्रत्येक । २. शनिवार की पीड़ा निवारणार्थ दान (राजस्थानी में आठ त्रिकोण (शकुन) लेने वाली एक जाति । डाकोत । ३. For Private and Personal Use Only Page #628 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दिति (११) दीन्ही प्रेत कर्म कराने वाला और उसका दान के बाद गोदसीदित्य से भोगादीत तक लेने वाला ब्राह्मण। महा पात्र। महा ५५ पीढ़ीयों की दीत या दीत ब्राह्मणों ब्राह्मण । कट्टहा । कारटियो। (प्रादित्य ब्राह्मणों) की अल्ल या गोत्र । दिसि-(ना०) १. दिशा । २. मोर । तरफ। दीत ब्राह्मण । (नैणसी री ख्यात) दिसिया-(ना.) १. दिशा । २. ओर। दीत ब्राह्मण-दे० दीत सं० २ । तरफ । दीत बार-(न०) सूरजवार । रविवार । दिह-(न०) १. दिन । २. दिशा। दीद-(ना०) १. आँख । २. दृष्टि । नजर । दिहाड़ी-(अव्य०) १. नित्य प्रति । प्रति- दीदा-(न०)बड़ी बहिन का पति । बहनोई। दिन । हर रोज । (ना०) दैनिक पारि- दीदार-(न०) १. दर्शन । २. स्वरूप । ३. श्रमिक । एक दिन का वेतन । बनगी। मुख । ४. कान्ति । दिहाड़ो-(न0) दिवस । दिन । दीदारू-(वि०) १. दीदार वाला। स्वरूपदिंग-(वि०) चकित । दंग । छक। __ वान । कांतिमान । २. दर्शनीय । दी-(न०) १. दिन । दिवस । २. दशा का दीदी-(न0) बड़ी बहन । जीजी। ग्रह (प्रत्य) संबंध कारक स्त्रीलिंग दीध-(भू०क्रि०) दे दिया। दिया । (वि०) विभक्ति । की। (क्रि०५०) दी। दे दी। दिया हुआ। दीधा-(प्रव्य०) देने से । देने पर । प्रदान की। दीकरी-(ना०)१. पुत्री । बेटी । २. कन्या । दीधो-(भू०क्रि०) दिया । प्रदान किया। दीधोड़ी-(वि०) दी हुई । प्रदत्त । दीकरो--(न०) पुत्र । बेटा। दोधोड़ो-(भू००) दिया हुमा । प्रदत्त । दीक्षा-(ना०) १. गुरु के द्वारा व्रत, नियम, दीन-(वि०) १. गरीब । २. दुखी। ३. उपदेश व मंत्र आदि लेने की क्रिया ।। विनीत । (न०) १. धर्म । मजहब । २. गुरु मुख से मंत्र ग्रहण। २. संन्यास ।। मुसलमानी धर्म। ३. शास्त्र विधि से लिया हुआ किसी दीनता-ना०) १. गरीब । २. नम्रता । देवता के मंत्र का उपदेश । ४. गुरुमंत्र । दीन दयाळ-(वि०) दीनों पर दया करने दीखणो-(क्रि०) दिखाई देना। __ वाला । ईश्वर । दीघ-दे० दीर्घ । दीनदुखी-(न०) गरीब और दुखी । दीठ-(ना०) १. नजर। दृष्टि । (प्रव्य०) दीनदुनिया-(ना0) लोक-परलोक । १. प्रति । पीछे। प्रत्येक । फी। २. दीनबंधू-(न०) १. दीनों का सहायक । २. प्रत्येक के हिसाब से। (वि०) बहुतों में से प्रति एक । प्रत्येक । हरेक । दीनानाथ-(न०) १. दीन दुखियों का दीठणो-(क्रि०) दिखना । दिखाई देना। रक्षक। २. ईश्वर । दीठा-(प्रव्य०) देखने से।। दीनार-(न०) १. ढाई रुपयों की कीमत का दीठी-(ना०) दृष्टि । दोठ। (क्रि०५०) एक प्राचीन सिक्का । २. मध्ययुगीन एक देखी। सुवर्ण मुद्रा। ३. एक तौल । दीठो-(भू०क्रि०) १. दिखाई दिया। २. दीना-(प्रव्य०) देने से । देखा । (वि०) अनुकृत । देखा हुआ। दीनो-दे० दीधो। दीत-(न०) १. प्रादित्य । सूर्य । २. चितौड़ दीनोड़ो-दे० दीघोड़ो। के शासक मीसोदियों के पूर्वज वन शर्मा दीन्हो-दे० दीयो । For Private and Personal Use Only Page #629 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ११२ ) दीवाळी दीप-(न०) १. दीपक । २. द्वीप । टापू। दीर्घ वर्ण-(न0) द्विमात्रिक प्रक्षर । (व्या.) दीपक-(न०) १. दीप । दीवो। २. एक दीव-(न०)१. द्वीप । २. सूर्य । ३. दीपक । अलंकार (साहित्य)। ३. संगीत का एक दीवट-(ना०) दीपपादप । दीप दंड । राग । ४. केशर । ५. अजवायन । (वि०) दीवटियो-(न०) १. दीपक जलाने का मिट्टी पाचनशक्ति वर्धक । पाचक । का कटोरी जैसा एक पात्र । दीप जलाने की दीपकधजा-(ना०) काजल। मिट्टी की छोटी कुल्हिया। २. मशालची। दीपकसुत-(न०) काजल। दीवड़ी-(ना.) १. बकरी के चमड़े या मोटे दीपघर-(न०) १. दीवट । २. फानूस । कपड़े का बना जलपात्र । २. पाथेय । दीप-झाड़-(न०) दे० अढार जोत । भातो। दीपणो-(क्रि)१. शोभना । शोभा पाना। दीवा-टारगो-(न०) संध्या समय। समी२. चमकना । ३. प्रसिद्ध होना । प्रका सांझ । दीपक जलाने का समय । शित होना। ४. शोभादेना। फबना। दावाण-(न०) १. दावान ।। दीवाण-(न०) १. दीवान । प्रधानामात्य । दीपतो-(वि०) १. दीप्तिमान । कांतिमान। २. उदयपुर के महाराना की एक उपाधि । २. फबता। फबतो। यथाविहित । ३. ३. बिलाड़ा (मारवाड़) नगर की आई चमकता हुआ । ४. शोभावाला । माता के मन्दिर का मुखिया । ४. राजदीपदान-(ना०) १. दीवट । २. देवता के सभा । दरबार । ५. बड़ा कमरा । ६. सामने दीपक जलाकर रखना। परिच्छेद । अध्याय । प्रकरण । ७. गजल दीपमाळका-(ना०)दीपमालिका । दीवाली। संग्रह की पुस्तक । दीपमाळा-(ना.) १. दीपकों की पंक्ति । दीवाणखानो-(न०) १. दीवानखाना । २. दीवाली । दीपमाला । बैठक । २. बड़ा कमरा । दीपसुत-(न०) काजल। दीवारणगी-(ना०) १. दीवान का पद । २. दीवान का काम । दीपावणो-(क्रि०) १. शोभित करना । २. दीवाणी-(वि०)१. रुपये-पैसे और जायदाद के चमकाना । प्रकाशित करना। ३. किसी इन्साफ से संबंधित । २. पागल । (ना०) को प्रसिद्धि में लाना। १. दीवान का काम । २. दीवानी प्रदादीपावती-(वि०) १. प्रकाशमान । २. दीपों ___लत । ३. दीवानी अदालत का मुकदमा । . से प्रकाशमान । ३. द्वीपावली। द्वीपवती। दीवाणी-अदालत-(ना०) अर्थ संबंधी मुक(ना०) पृथ्वी। दमों का न्यायालय। दीपावली-(ना०) १. दीवाली का त्योहार । दीवारणी कचेड़ी-दे० दीवारणी अदालत । २. दीपों की पंक्ति । दीवारणो- (वि०) दीवाना । पागल । दीमक-दे० उदेई। गहलो। दीयाँ-दे० दीधां। दीवाधरी- (ना०) दीपक संजोने वाली दीयो-(न०) दीपक । दासी। दीरघ-दे० दीर्घ । दीवान-दे० दीवाण। दीरघाव-(न०)१. दीर्घायु का आशीर्वचन। दीवार-(ना०) भींत । २. आशीर्वाद । ३. दीर्घायु । (वि०) दीवाळी-(ना०) १. दीपमालिका का उत्सव । दीर्घायु वाला। कार्तिक अमावस्या का पर्व । २. भगवान दीर्घ-(वि०) १. लंबा । डीघो। २. बड़ा। राम के राज्यतिलकोत्सव का पर्व-दिन । For Private and Personal Use Only Page #630 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org दीवाळी- मिलण एक जागीरी कर दीवाळी- मिलरण - ( न० ) जो दीवाली पर लिया जाता था । दीवा - वेळा - ( ना० ) दीया बसी करने का समय । संध्या समय। साँझ । समीसांझ । दीवासळी - ( ना० ) दीयासलाई । तीली । तूळी । दीवी - ( ना० ) १. डंडे में चिथड़े लपेट कर बनाई गई मोटी चिराग । मशाल । २. atar | चिरागदान । ३. छोटा दीपदान । दीवेल - ( न० ) १. दीये में जलाया जाने वाला तेल । २. इरंडी का तेल । दीवो - ( न०) १. दीपक । २. वंशज । ३. पुत्र । ४. पौत्र । ५. कुल उन्नायक श्रेष्ठ पुरुष । दीस - (०) दिवस | दिन । ( ना० ) दृष्टि । दीसरण - ( क्रि०) १. दूर की वस्तु का दिखाई देने की स्थिति में होना । दिखना । दिखाई देना । २. प्राँखों देखने की शक्ति का विद्यमान होना । अंधापा नहीं होना । सूझणो । ३. मालूम होना । ध्यान में आना । सूझना । दीह - ( न० ) १. दिन । दिवस । २. भाग्य । प्रारब्ध । ३. द्विमात्रिक । हस्व का उलटा । दीर्घ । ( ६१३ ) दीहरणो - दे० दीसणो । दीपत - (To) दिवसपति । सूर्य । सूरज । दीहाड़ी - दे० दिहाड़ो । दुग्रठ्ठ - ( वि०) १. दुष्ट । २. दृढ़ | मजबूत । ३. ( दो बार प्राठ) सोलह । दुअसपाह - ( न०) दो घोड़े रखने के अधिकार वाला सैनिक। दो निजी घोड़ों वाला सैनिक | दुना - ( ना० ) १. आशीर्वाद । २. प्रार्थना । विनती | दुप्रादस - ( वि०) द्वादश । बारह । दुप्रदसी - दे० द्वादशी । दुआदसो - (०) १. मृतक का बारहवें दिन होने वाला श्राद्ध | मृतक के बारहवें दिन का क्रिया कर्म । २. मृत्यु के बारहवें दिन किया जाने वाला भोज । दुप्रायती - दे० दवायती । दुआर - ( न०) द्वार । दरवाजा । बारणो । दुनारका दे० द्वारका । दुारामती - ( ना० ) द्वारिका । द्वारामती । दुधाळ - ( न०) १. झंझट । बखेड़ा । २. झगड़ा टंटा । ३. प्रपंच । ४. छल । धोखा । ५. संकट । दुख । ६. संसार । सृष्टि 1 ७. यह दुनिया और इसका जंजाल । जगड्वाल | ८. एक से दो होने Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का भाव । दुप्राळो - ( न० ) १. किसी काव्य की दो पंक्तियाँ । दुप्राला । २. डिंगल गीत - छंद के समुदाय का कोई एक छंद । ३. संपूर्ण गीत छंद का एक भाग । ४. समष्टि गीत का एक छंद । ( गीत के छंदों की संख्या निश्चित नहीं है, किन्तु प्रायः चार छंद होते हैं) । ५. पद्यांश । दुइ-राह - ( ना० ) १. हिन्दू धर्म और मुसलमान धर्मं । २. हिन्दू और मुसलमान । ३. आर्य-अनार्य । ४. धर्म-अधर्मं । ५. निवृत्ति और प्रवृत्ति । ६. पुण्य और पाप । ७. प्रास्तिक श्रौर नास्तिक । ८. दो मार्ग । दोनों मार्ग । (वि०) अच्छा और बुरा। उत्तम और निकृष्ट । दुई - (वि०) १. दो । २. दोनों । ३. दूसरी । ( ना० ) १. जुदाई का भाव । अपने को दूसरे से अलग समझना | पृथकता । २. अंतर । ३. भेदभाव । ४. दो का भाव । द्वत । ५. दो बूटी वाला ताश का पत्ता । दुप्रो - ( न० ) १. श्राज्ञा । आदेश । २. मुनादी । ढिढोरा । घोषणा । ३. सामाजिक प्रतिबंध । ४. दो की संख्या । । मिलान । (वि०) दूसरा । ५. साम्य द्वितीय । For Private and Personal Use Only Page #631 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुकड़ियो ( ६१४ ) दुचित दुकड़ियो-(न०) भोजन परोसने का दोनों जगह पर चोट करना। २. सताना । हाथों से पकड़ा जाने वाला दो कड़ों कष्ट पहुँचाना। वाला पात्र । दुखावो-(न०) वेदना । पीड़ा। दर्द । दुकड़ा-(नम्ब०व०) संगीत में ताल देने की दुखियारी-(वि०) १. दुखियारा । दुखी । चमड़े से मढ़ी हुई एक प्रसिद्ध नर-मादा दुखिया । २. दुख देने वाला । ३. दुख वाद्य की जोड़ी। तबला जोड़ी। देने वाली । दुखदाई । (ना०) दुखी दुकर-(वि०) १. दुष्कर । कठिन । स्त्री। दुखिता । दुखियारण ! मुश्किल । २. दुष्ट । ३. नीच । दुखियारो-(वि०) १. संकटग्रस्त । दुखी । दुकान-(ना०) माल बेचने का स्थान । २. दुख देने वाला । दुखदाई । ३. दूसरे दूकान । हाट । के दुख से प्रसन्न होने वाला । .. दुकानदार-(न०) दुकान वाला। दुकान दुखियो-(वि०) १. दुखी । २. दरिद्री । ___ का मालिक । दुखी-(वि०) १. कष्टी । संतप्त । दुखी। दुकानदारी-(ना०) दुकान चलाना । दुकान २. व्यथित । ३. रोगी। पर माल बेचने का काम । खरीद फरोख्त दुगणो-(वि०) दोगुना। द्विगुण । दूना । का धंधा। बमरणो । बवरणो। दुकाळ-(न०) दुष्काल । अकाल । दुभिक्ष। दुगदुगी-(ना०) एक प्राभूषण । धुकदुक्रत-(न०) १. दुष्कृत्य । कुकृत्य । घुकी। कुकर्म । २. पाप। दुगम-(वि०) १. दुर्गम । २. वीर । दुख-(न०) कष्ट । दुख । तकलीफ। बहादुर । (न०) १. सूपर । २. सिंह । दुखड़ो-(न०) १. दुख का वर्णन । दुख दुगाणी-(न०) १. एक पुराना सिक्का । कथा । दुखड़ा। दुख । विपत्ति । ३. २. रुपये का चालीसवाँ भाग (ब्याज की दुर्गति । ४. व्यथा। फलावट में) ब्याज फालने का मान । दुखगियो-दे० दूखणियो। दुरगाणी । वि०) छोटा । तुच्छ । दुखतर-(ना०) बेटी । पुत्री । दुख्तर । दुगाम-दे० दुगम । दुखतरपति-(न०) जमाई । जामाता। दुगाय माता-(ना०) मारवाड़ के ई दावाटी दुखदाई-(वि०) दुख देने वाला। दुखद । प्रदेश के दुगाय पर्वत की देवी का नाम । दुखदायी। दुगाह-(वि०) १. जो ग्रहण नहीं किया दुखदायक-दे० दुखदाई। __जा सके । २. जो जीता नहीं जा सके । दुखदायण-(वि०) दुख देने वाली। दुगुण-दे० दुगुणो। दुखागो-दे० दुखावणो। दुगुणो-(वि०) दूना । दुगुना ।। दुखारो-(वि०) १. दो क्षारों वाला। २. दुघड़ियो-(न०) १. दो-दो घड़ी का मुहुर्त वह जिसमें चाँदी और तांबा मिला हो । विधान । दो दो घड़ियों का वारों के (सोना) ३. वह जिसमें जसद और अनुसार निकाला हुषा मुहुर्त । (वि०) तांबा मिला हो । ४. दो धातुओं की दो घड़ी का।। मिलावट वाला। ५. दुखी । ६. दुख- दुचित्तो-(वि०) खिन्न । अप्रसन्न । दुमणो । दाई। दुचिंत-(वि०) १. चिंतातुर । २. दुखी । दुखावणो-(क्रि०) १. दुखाना । दर्द की ३. खिन्न । अप्रसन्न । For Private and Personal Use Only Page #632 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org दुर दुचूर - ( न०) सिंह | दुछर - ( न० ) १. सिंह । २. योद्धा । दुछरा - ( ना० ) १. दुधारी तलवार 1 दुधारा । २. तलवार । खड्ग । ३. कटारी । ( न० ) सिंह | ( वि०) वीर । बहादुर । ( ६१५ ) दुछराँ राव - ( न० ) १. शूरवीर । २. नृसिंह । दुछरो- दे० दुछर । दुज - ( न० ) १. ब्राह्मण । द्विज । २. ब्रह्मा । ३. ब्राह्मण, क्षत्री और वैश्य वर्ण के लोग । त्रिवर्ण । द्विज । ४. चंद्रमा । ५. अंडज प्राणी । ६. पक्षी । ७. दाँत । दुजड़ - ( ना० ) तलवार । दुजड़झल - (वि०) १. खड्गधारी । २. वीर । दुजड़-हथो- (वि०) १. खड्गधारी । २. वीर । दुजड़ी - ( ना० ) १. कटारी । तलवार । दुजरण - ( न० ) १. दुर्जन । दुष्टजन । शत्रु । (वि०) दुष्ट । नीच । दुजपंख - (न०) गरुड़ । २. दुजराज - ( न०) १. परशुराम । २. ब्राह्मरण । दुजवर - ( न०) १. द्विजवर । ब्राह्मण । २. चार लघु मात्राएँ (छंद) दुजागरी - ( ना० ) १. परायापन । अलगाव । २. भेदभाव । दुतीय दुजीहो- (वि०) १. इधर उधर लगाने वाला । दोनों ओर भिड़ाने वाला । २. चुगलखोर । ३. उपकार के बदले अपकार करने वाला । कृतघ्न । ( न० ) सर्प । दुजी - (०) १. द्विजिह्वा । सर्प । २. कटारी । (वि०) चुगलखोर । २. परस्पर भिड़ंत कराने वाला । ३. झूठा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाग । दुजोरा - ( न० ) १. दुर्योधन । २ शत्रु । (वि०) दुष्ट | दुजोयण - (To) दुर्योधन । दुझड़-दे० दुजड़ | दुझळ - ( वि० ) १. क्रोधित । २. बीर । योद्धा । दुकाळ - ( वि०) १. महाक्रोधी । २. जबरदस्त । दुर्धषं । ३. वीर । दुटपी - (वि०) १. दो टप्पों की ( बात) श्रल्प । छोटी । २. दुतरफी । दुट्ठ - ( वि०) १. वीर । २. दुष्ट | दुड़की - ( ना० ) घोड़े की एक चाल | दुड़बड़ी - ( ना० ) १. एक प्रकार का बाजा । २. दोड़ना । दौड़ । दुड़ियंद - (To) सूर्य । दिनेन्द्र | दुड़िद - (To) सूर्य । दुत-दे० दुति | दुतकारणो- ( क्रि०) १. फटकारना डाँटना । २. धिक्कारना । तिरस्कार करना । ३. तिरस्कार करके दूर हटाना । दुतर रिण - (वि०) दुस्तर । श्रत्यन्त । कठिन । दुतरफ - ( ना० ) १. दोनों श्रोर । २. दोनों दुजाणी-दे० दुजाळी । दुजाति - (०) द्विजाति । पक्ष । ३. दुजायगी - ( ना० ) १. दूसरापन २. अलगाव । दुतंग - ( न० ) जीन में दोनों ओर कसा जाने भिन्नता । वाला तंग | दुजाळी - (वि०) दूध देने वाली (गाय, दुति - ( ना० ) १. शोभा | २. किरण । भैंस) दूधाळी । दूतणी । ज्योति । द्य ुति । ४. प्रकाश । दुजिद - ( न०) द्विजेन्द्र | दुतिया - ( ना० ) द्वितीया । दूज 1 बीज । दुजीभ-दे० दुजीह | दुतिवंत - ( वि०) १. प्रकाशमान । २. 1 For Private and Personal Use Only तिवान । सुंदर । दुतीय- ( वि०) द्वितीय । दूसरा । दूजो । बीजो | Page #633 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुत्तर दुत्तर-दे० दुत्थर । २. मदिरा । शराब। दुत्थर-(वि०) दुस्तर। दुबाह-(न०) घोड़ा। (ना०) १. सेना । दुथणी-(ना०) स्त्री । (वि०) दो स्तनों २ तलवार । (वि०) १. वीर । बहादुर । वाली। शक्तिशाली । २. दुर्धर्ष । ३. दृढ़ । दुदंत-(न०) द्विदंत । हाथी। दुभाव-(न०) १. भेदभाव । २. भेद । दुधारी-(वि०) दो धार वाली । (ना०) १. दुभावरणो-(क्रि०) १. दुखी करना । २. दो धार वाली तलवार । २. कटारी। ठेस पहुँचाना। दिल जलाना । ३. भेददुधारू-(वि०) १. दूध देने वाली (गाय भाव रखना। भैस) २. अधिक दूध देने वाली। दुभाँत-(ना०) १. भेदभाव । २. भेद । दुधाळ-दे० दुधारू । दुराव। दुनाळी-(ना०) दो नाल वाली बंदूक । दुम-(ना०) पूछ । पूंछड़ी। दनां-(वि०) दोनों । (न०) दोनों तरफ। दुमची-(ना०) जीन का वह बंधन (पट्टी या दुनिया-(ना०) संसार । जगत । तस्मा) जो घोड़े की दुम के नीचे दबा दुनियारण-(ना०) दुनिया। रहता है। दुनियादारी-(ना०) दुनिया का व्यवहार। दुमणो-(वि०) व्यग्रचित । खिन्न । दुमना । दुनी-(ना०) संसार । दुनिया । दुचित्तो। दुपटी-(ना.) १. कंधे पर रखने का वस्त्र। दुमन-(वि०) खिन्न । अप्रसन्न । उपरना । दुपट्टी। २. दो पट्टी वाला दुमात-(ना.) १. सौतेली माता। विमाता। एक वस्त्र । चादर । (वि०) दुतरफी। २.अक्षर के ऊपर की दो मात्राएँ। (वि०) दुपटो-(न०) दुपट्टा। १.दो माताओं वाला । २.दो मात्रामों वाला। दुपट्टो-(न०) १. दो समान वस्त्रों की लंबाई दुमायो-(वि०) सोतेली माता से उत्पन्न । में सिली हुई चादर या ओढ़ना। २. दुमार-(ना०) १. तंगी। परेशानी। २. स्त्रियों का एक जरी वाला ओढ़ना। कमी। प्रभाव। ३. दो तरफ की मार । दुपहरी-(ना०) १. दुपहर का समय । दुपहर एक साथ दो अोर से प्राने वाला संकट । ___ का भोजन । दुपहरो । दुपारो। ४. धर्मसंकट। दुपहरो-दे० दुपारो। दुमारो-(न०) १. तंगी। परेशानी । २. दुपारो-(न०) दुपहर में किया जाने वाला कमी । अभाव । दुमार। भोजन । दुपहरा। दुमाळो-दे० धूमाळो। दुफरावरणो-(क्रि०) १. रोना । विलाप दुमेळ-(न०) १. शत्रुता। वैमनस्य । २. एक करना । २. पति के मरने के कुछ महीनों डिंगल छंद। (वि०) जो समान न हो। तक विधवा का कोने में बैठ कर प्रातःकाल असमान । में रोना। दुय-(वि०) दो। दुफसली-(वि०) जिसमें रवि और खरीफ दुयण-(न०) १. दुर्जन । दुष्ट । २. शत्रु । दोनों फसलें होती हों। वरी। दुबध्या-दे० दुविधा। दुयंगम-(वि०) वीर । बहादुर । दुबारा (क्रि०वि०) दूसरी बार। दुर-(उप०) निषेध या दूषण सूचक अर्थ दुबारो-(न०) १. एक प्रकार का शराब। वाला एक उपसर्ग। जैसे-दुरभिमान, For Private and Personal Use Only Page #634 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org दुरकारणो ( ६१७ ) दुरंगी दुराचार श्रादि । ( श्रव्य०) दूर हट । दूर दुरभख - ( न० ) १. दुर्भिक्ष । अकाल । २. अभक्ष्य | दुर्भक्ष्य | हो । (तिरस्कार पूर्वक ) । दुरका रगो-दे० दुतकारणो । दुरग - ( न०) किला । दुर्ग | गढ | दुरगत - ( ना० ) दुर्गति | दुर्दशा । दुरगतियो - (वि०) १. दुर्गति को प्राप्त होने वाला । २. दुर्गति में रहने वाला । ३. नरक प्राप्त । दुरगम - (वि०) १. जहाँ जाना कठिन हो । दुर्गम । कठिन । २. जो आसानी से समझ में न आये। जो कठिनता से जाना जा सके । दुर्बोध । दुर्ज्ञेय । दुर्गम । दुरगाणी - दे० दुगाणी | दुरगंध - ( ना० ) दुर्गन्ध | बदबू | दुरगुरण - ( न०) १. दोष । ऐब । नुक्स | दु । २. शरारत । दुरजरण - ( न०) २. शत्रु । वैरी । १. दुर्जन । दुष्ट मनुष्य । दुरजोग - ( न०) दुर्योधन । जरजोज । दुरट्ठ - ( वि०) दूर स्थित । दूर रहने वाला । दुरणो - ( क्रि०) १. दूर होना । छिपना । २. मिटना । समाप्त होना । दुरत - ( न० ) १. विपत्ति । ग्रापद । २. पाप । दुरित । ३. क्रोध । गुस्सा । ४. शत्रु । ( वि० ) १. पापी । दुरिता । दुष्ट । २. बलवान | जबरदस्त । ३. भीषण । भयावना । दुरद - ( न०) हाथी । द्विरद । दुरदसा - ( ना० ) दुर्दशा | बुरी हालत । दुरदिन - (०) १. दुर्दिन । २. दुख और कष्ट के दिन । ३. बुरा समय । दुरबळ - (वि०) १. दुर्बल । निर्बल । २. गरीब । निर्धन | दुरबुध - ( न०) दुष्ट बुद्धि । दुर्बुद्धि । (वि०) खोटी बुद्धिवाला । अज्ञानी । मूर्ख | दुरबोध - ( वि०) जो जल्दी समझ में न भावे । जिसका आशय समझना कठिन हो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुरभाग - ( न० ) दुर्भाग्य | कमनसीबी । बदकिस्मती | दुरभागरण - ( वि०) १. दुर्भाग्यनी । श्रभागिनी । मंदभाग्यनी । बदकिस्मत वाली । २. विधवा । दुरभा गियो - दे० दुरभागी । दुरभागी - (वि०) अभागा । दुरभावना - ( ना० ) बुरी भावना । दुरभिख - ( न० ) दुर्भिक्ष | अकाल | दुकाल काळ दुररे - ( अव्य० ) १. कुत्ते को भगाने के लिये प्रयुक्त शब्द । २.दूर हट जारे। (तिरस्कार पूर्वक) दूर रह । ( न० ) १. कुत्ता । २. तिरस्कार | दुरलभ - ( वि०) १. कठिनता से प्राप्त होने वाला । दुर्लभ । २. अनोखा । ३. प्रियतम । दुरवचन - ( न० ) गाली । दुर्वचन । दुरस - ( वि०) १. जिसमें कोई त्रुटि न हो । दुरुस्त । उचित । ठीक । सही । २. यर्थाथ । ३ स्वस्थ । ४. कडुप्रा । ५. विरस | नीरस । ( न०) बैर | शत्रुता । दुरसोजी प्राढो- ( न०) एक प्रसिद्ध डिंगल के चारण कवि | दुरस्त - ( वि० ) ठीक । उचित । यथार्थ | दुरुस्त | दुरस्ताई - दे० दुरस्ती | दुरस्ती - ( ना०) दुरुस्ती । सुधार । दुरंग - ( न०) १. दुर्ग किला । २. दो रंग । ( वि०) १. दो रंग वाला । २. कुरूप | बदसूरत । ३. खराब । दुरंगी - (वि०) १. दो रंगों वाली । २. दो प्रकार की । ३. दोनों पक्षों में भाग लेने वाला । कभी इस पक्ष में और कभी उस पक्ष में । ४ कपटी । छलिया | For Private and Personal Use Only Page #635 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ६१८ ) दुरंगो दुरंगो - (वि०) १. दो रंगों वाला । २. दो प्रकार का । ३. दोहरी चाल चलने वाला । दोगला । ४. अस्थिर मति वाला । ५. खराब । दुरंत - ( वि०) १. जिसका अंत दूर हो । विकट | दुर्गम । दुस्तर । २. जिसका अंत दूषित हो । दूषित परिणाम वाला । अशुभ । खोटो । ३. ग्रपमानजनक । ४. बहुत लंबा | दीर्घ । अपार । ५. भीषण । घोर । भयानक । ६. दुष्ट । ७. शत्रु । दुराग दे० दुराजो | दुराचरण - ( न०) खोटा प्राचरण । दुराचार - ( न० ) बुरा प्राचरण । अनीति युक्त प्राचार । दुराचार । दुराचारण- (वि०) खोटे श्राचरण वाली । दुराचारी - ( वि०) खोटे आचरण वाला । दुराजो - ( न० ) १. वैमनस्य । वैर । २. नाराजगी । नाराजी । दुराणो - ( क्रि०) I १. छाना । २. छल करना । दुराव - ( न०) १. भेदभाव । २. छिपाव । ३. छलकपट । ४. दुर्भाव । दुरावणो-दे० दुराणो । दुराशिष - दे० दुरासीस | दुरासा - ( ना० ) १. झूठी प्राशा । २. दुराशिष । दुरासीस - ( ना० ) दुराशिष । श्राप । बद दुआ । दुरी - ( वि० ) १. अशुभ । दुष्ट । २. दुखदायी । ३. दो। (ना०) १. दो का चिन्ह | २. दो के चिन्ह वाला ताश का पत्ता । दुरुस्त दे० दुरस्त | दुरेफ - ( न०) भौंरा । द्विरेफ । भ्रमरो । दुर्ग-० दुरंग । दुर्ग-० दुर | 0 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुर्गम-दे० दुरगम । दुर्गंध - दे० दुरगंध । दुर्गा - ( ना० ) १. पार्वती । २. प्रादि शक्ति । ३. नौ वर्ष की कन्या । दुर्गादास राठौड़ - ( न० ) महान त्यागी, स्वामी भक्त, प्ररणवीर और ख्यातनाम एक राठौड़ वीर । दुर्गुण-दे० दुरगुरण | दुर्घटना - ( ना० ) अशुभ घटना। वारदात । अकस्मात । दुबाई दुर्जन- दे० दुरण | दुर्दशा - दे० दुरदसा | दुर्दिन - दे० दुरदिन | दुर्बल-दे० दुरबळ | दुर्बुद्धि दे० दुरबुध । दुर्भाग्य- दे० दुरभाग | दुर्भाव - ( न० ) १. बुरा भाव । २ तुच्छ विचार | दुर्भिक्ष दे० दुरभिख । दुर्वचन - (न०) गालो । दुलख - (To) दुर्लक्ष्य | (वि०) दो लाख । दुलखणो - ( क्रि०) १. दुर्लक्ष करना । २. उद्देश्यहीन समझना । (वि०) कुलक्षणों वाला । कुलखरणो । दुलड़ी - ( ना० ) दो लड़ों वाला स्त्रियों के गले का एक आभूषण । (वि०) दो लड़ों वाली । दुलहरण - ( ना० ) दुलहिन | दुल्हो । वधु | बीनरणी । दुलहो - ( न० ) दुलहा | वर | बींद । दुलाई - ( ना० ) रजाई । दुरीस - ( न० ) दुष्ट राजा । दुलार - (न०) लाड़ | प्यार | दुरुखी - (वि०) १. दोनों ओर की । २. दोनों दुलीचो - ( न०) गलीचो । कालीन । पक्षों की । दुव - (वि०) १. दो । २. दूसरा । दुवजीह - दे० दुजोह | दुवा - ( ना० ) तुझा | आशिष । दुवाई - ( ना० ) १. दुहाई । घोषणा शपथ । सौगंध । ३. प्रौषधि | दबाई । २. For Private and Personal Use Only Page #636 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org . बुवागण 1 दुवागरण- दे० दुहागरण दुवादस - ( वि०) द्वादश । बारह । दुवादसी - ( ना० ) द्वादशी । बारस । दुवार - ( न०) १. द्वार । दरवाजो | दहजो । मोड़ो । बारणो । २. घर । ( ६१६ ) दुवारका - ( ना० ) द्वारका । दुवाळो दे० दुप्रालो । दुविधा - ( ना० ) १. मन का अस्थिर भाव । निश्चय - श्रनिश्चय में डोलना । २. चिन्ता । दुविहार - ( न० ) जैन मतानुसार दो प्रकार के प्रहार का एक व्रत | दुवै - (वि०) दोनों। दुवो-दे० दु । । दुशालो - ( न० ) कीमती दोहरी शाल प्रोढ़ने का एक कीमती वस्त्र । दुश्मन - ( न०) शत्रु । वैरी । दुष्ट - ( वि०) दुर्जन | खल । श्रधम । दुसट । दुसकरनी - (वि०) बुरा काम करने वाला । दुष्कर्मी । लोटणो । दुसट दे० दुष्ट | दुसटाँ-दळ - (न०) १ दुष्टों का दलन करने वाला । दुष्ट दलन | ईश्वर । २. शत्रुनों की सेना । ३. यवनों की सेना । दुसमरणावट - दे० दुसमरगाई । दुसमणी- दे० दुश्मनी | दुश्मन | शत्रु । वैरी । दुसमी - (1 - ( वि०) दुसराणो-दे० दुसरावणो । दुसरावणो - ( क्रि०) बेहराणी | दुसह - ( न० ) शत्रु । (वि०) १. सहन नहीं होने योग्य । २. सहन नहीं करने योग्य । प्रसह । दुसुपन - (To) खोटा स्वप्न । दुस्ट-दे० दुष्ट | दुस्टी - (वि०) १ दुष्ट स्वभाव वाला । २. दुराचारी । ३. दुखदायी । दुस्तर - (वि०) जो कठिनता से तैरा जाय । दुत्तर । दुहरणो - ( क्रि०) १. दोहन करना | चौपायों के थनों में से दूध निकालना । दुहना । दोहरणो । २. दुख देना । दुहवणो । दुहवरणो - ( क्रि०) १. दुख देना । कष्ट पहुँचाना। २. नाराज करना । दुसमणाई - ( ना० ) दुश्मनी । शत्रुता | बैर | दुहाई - ( ना० ) १. दुहाई | शपथ । दुवाई | दुसमरण - ( न० ) दुश्मन | शत्रु । वैरी । बॅरो । बंर । दुसराना । दुहराना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुहागरण दुसाको - (न०) दो प्रकार के शाक परोसने का एक जुड़वाँ पात्र । दुसाखियो - ( वि०) जहाँ वर्षा और शीत दोनों ऋतु की कृषि होती है । जहाँ रबी और खरीफ दोनों फसलें होती हों । दुसार - ( ना० ) १. तलवार । २. दुधारी तलवार । ३. दोनों बाजू घाव या सुराख करने का भाव । ४. यह छोर और वह छोर । ( क्रि०वि०) एक छोर से दूसरे छोर तक । आर पार । दुसालो - (0) दुशाला । दुसासेण - ( न० ) दुर्योधन का छोटा भाई दुशासन । २. शासन । हुकूमत । ३. राजाज्ञा । ४. मुनादी । घोषणा | दुहाग - ( न०) १. वैधव्य । विधवापरणो । २. पति के द्वारा पत्नी के साथ प्रेमालाप, मान मिलन आदि स्त्री विषयक व्यवहार की की जाने वाली अवज्ञा । ३. सुहागसुख का प्रभाव | पत्नी के प्रति अपमान वृत्ति । पति की नाराजी । पत्नी के प्रति विमुखता । दुहागरण - (वि०) १. विधवा । २. अनादृता । तिरस्कृता । ३. वह सधवा जिसके ऊपर For Private and Personal Use Only Page #637 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुहागपरणो । ६२० ) पति की कृपा न हो । तिरस्कृता। (ना०) दूजवर-(न०) पत्नी के मर जाने से दूसरी १. विधवा स्त्री । २. अनाहता स्त्री। कन्या से विवाह करने वाला पुरुष । दुहागपणो-दे० दुहाग। दूसरी बार विवाह करने वाला पुरुष । दुहिता-(ना०)पुत्री । बेटी। दूजागारी-(ना०) १. दूसरापन । २. अलदुहितापति-(न०) जामाता । दामाद । गाव । भिन्नता। दुहुँ-(वि०) दोनों । दोही। दूजाणो-(न०) दूध देने वाली (गाय भैंस)। दुहवाँ-(वि०) दोनों । (क्रि०वि०) १. दोनों दूजियाण-(वि०) दूसरी बार व्याने वाली से । २. दोनों ओर । ३. दोनों ने। या ब्यायी हुई (गाय भैसादि)। या व्यायी दर्द (गाय माथि दुहवै-(वि०) दोनों। (क्रि०वि०) १. दोनों दुजो-(वि०) १. अन्य । दूसरा । पराया । प्रकार से। २. दोनों ही । ३. दोनों बीजो । २. तुलना में आने वाला । बराओर । दोही कानी । बरी करने वाला। दुहेलो-(वि०) १. दुखदाई । कष्ट कर । २. दूजोड़ी-(वि०) दूसरी । बीजोड़ी। दुष्कर । कठिन । ३. दुर्गम । दूजोड़ो-(वि०) दूसरा । अन्य । बीजोड़ो। दुद-(न०) १. युद्ध । द्वन्द्व । २. उत्पात । दूझणी-(वि०) दूध देने वाली (गाय भैंस उपद्रव । ३. कलह । झगड़ा। ४. द्वन्द्व ___ आदि)। युद्ध । ५. कोलाहल । शोर । ६. धुंध । दूझणो-(न०) दूध देने वाली (गाय भैस कुहरा । ७. अंधेरा । अंधारो। आदि) । (क्रि०) गाय, भैंस आदि का दूध दुदभ-(न०) बड़ा नगाड़ा । दुदुभि ।। देना। नगारो। दूझार-(ना०) गाय-भैंस आदि का दूध देने दुदुभि-(न०) १. बड़ा नगाड़ा। २. युद्ध " का काल या स्थिति । ___ का नगाड़ा। दूझारू-दे० दूझार। दुबो-(न०) १. मोटी पूछ वाला मेंढ़ा । २. दूझाळी-(वि०) दूध देने वाली। अधिक टीबो । टोबा । ३. ढेर । ढिगलो। दूध देने वाली। दू-(वि०) विधवा । वुहागण । दूठ-(वि०) १. जबरदस्त । बलवान । २. दूरो-दे० दूवो। वीर । बहादुर । ३. दुष्ट । दूख-(न०) दर्द । पीड़ा। दूण-(वि०) दुगना । दुगुणो। दूखण-(न०) १. दोष । अपराध । २. दूणागिर-(न०) द्रोणगिरि । द्रोणाचल । पाप । ३. कलंक । दूषण । दूखणखाई-(ना०) एक कीड़ा। दुणियो-(न०) १. दूध दोहने का पात्र । दूखरिणयो-(न०)१. फोड़ा। व्रण । छाळो। २. छोटा जल पात्र । धातु का छोटा २. गिल्टी। घड़ा । (वि०) पीड़ित। दुखणो-(क्रि०) दुखना । दर्द होना । (न०) दूणेटो-(वि०) १. दुगना । २. जितना फोड़ा । फुसी । छाळो । बीज । लिया जाय उससे दुगना या उतना ही दूछर-दे० दुछर । और मिलाकर वापस देने का भाव । दूछराँ-राव-(न०)१. नृसिंह । २. शूरवीर। दूरणो-दे० दुगुणो। दूज-(ना०) पक्ष का दूसरा दिन । द्वितीया। दूत-(न०)१. संदेश वाहक । दूत । हलकारो। (वि०) द्वितीय । २. जासूस । For Private and Personal Use Only Page #638 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । ६२१ ) दूरंदेश दूती-(ना०) १. झगड़ा कराने वाली स्त्री। दूधेली-(ना०) दूधी नामक वनस्पति (घास) २. कुलटा । ३. स्त्री संदेशवाहक । का छत्ता। दूतिका । ४. कुटनी । कुटणी। दून-दे० दूरण । दूथी-(न०) चारण। दूनो-(न०) पत्तों का बना कटोरी जैसा " पात्र । दोना। दूध-(न०) १. दुग्ध । दूध । २. आक, बड़ दूफर-दे० दूफरी। आदि वनस्पतियों में से निकलने वाला दूफरणो-दे०दुफरावणो। सफेद रस । वनस्पति का दूध के रंग का दूफराणो-दे० दुफरावणो । निर्यास । दूध । ३. चारों वर्गों में विभाजित कोई जाति । जाति । जात। दुफरावणो-दे० दुफरावणो । दूफरी-(ना०) मृतक के पीछे रोने पीटने की दूध-पूत-(न०) १. पुत्र-पौत्रादि की वंश _क्रिया । रुदन । विलाप । वेलि। २. गाय-भैंस, धन-धान्य और दूब-(ना०) दूर्वा । द्रोब । पुत्र-परिवार । जनधन । । दूबळाई-(ना०) दुर्बलता । कमजोरी । दूधार-दे० दुझार । दूबळी-(वि०) दुर्बल (ना.) । दूधारी-(वि०) दूध देने वाली। दूझरणी । दूबळो-(वि०) १. दुर्बल । २. निधन । दे० दूधाहारी। दू-बैर-(ना०) विधवा स्त्री । दू-लुगाई । दूधारू-(न०)गाय भैस आदि दूध देने वाला "चौपाया । (वि०)अधिक दूध देने वाली। दूभर-(वि०) दुःसाध्य । कठिन । दोहरो। दूमरणो-(वि०) १. नाराज । २. चिंतित । दूधाळ -दे० दूधारू । ३. संतप्त । ४. दुर्मनस्क । ५. दुखी । दुधाळो-(वि०) १. दूध वाला। २. दूध खिन्न । बेचने वाला। ३. दूध मिलाकर तैयार दुमो-दे० दुबो। किया हुआ। दूर-(क्रि०वि०) १. अलग । दूर । आघो। दूधाहारी-(न०) केवल दूध का आहार २. अंतर । फासळो । ३. रद करना । करने वाला व्यक्ति। ४. निकाल देना । दूरी करण । (अव्य०) दूधिया-(न०ब०व०) लकड़ी के कोयले ।। दूरी पर । अंतर पर । (विपरीत नाम)। दूरणो-(न०) गाय भैंस आदि दूध देने दुधिया नशा-१. दे० दूधियाभांग । २ हलका " वाले पशु। __नशा । हळको नसो। दूरदरसी-दे० दूरदर्शी। दुधियाभांग-(ना०) दूध में प्रौटा कर दूरदर्शी-(वि०) १. दूर दृष्टि वाला। २. बनाया हुआ भाँग का पेय । दूर की सोचने वाला। दूधियो-(वि०) १. दूध जैसे वर्ण वाला। दूरदृष्टि-(ना०) दूर तक जानेवाली नजर । सफेद । २. दूध से मिला या दूध से बना। दूरबीरग-(ना०) दूरदर्शक यंत्र । दूरबीन । (न०)१.लकड़ी का कोयला । २.कोयला। दूरंतर-(क्रि०वि०) १. दूर से । २. दूर ही दूधी-(ना०) १. छोटी पत्तियों वाले घास से । ३. दूर पर । आघो। का एक छत्ता जिसमें से दूध के समान दूरंतरि-दे० दूरंतर ।। सफेद रस निकलता है। २. लोकी। दूरंदेश-(वि०) १. दूर की सोचने वाला। दूधी। २. भावी का विचार करने वाला। दूधेन्हावो, पुत्रेफळो(अव्य०)एक आशीर्वाद। दूरंदेश । For Private and Personal Use Only Page #639 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूरा ( ६२२ ) देखणो दुरा-(क्रि०वि०) दूर । अलग। (अव्य०) अथवा जान पड़ने वाला । प्राभासीन । दूर की बात । कठिन काम। (वि०) १. दृष्टि-(ना०) १. नजर । २. देखने की अधूरा । २. थोड़ा । कम। शक्ति । ३. ध्यान । ४. लक्ष्य । दूरिट्ठ-(वि०) दूरस्थ । दूर रहने वाला। दृष्टिकोण-(न०) १. सोचने विचारने और दूरी-(ना०) अंतर । फासला। देखने का पहलू । २. विचार धारा । ३. दूळ यो-(न०) वातचक्र। विचार बिन्दु । ४. सिद्धान्त । ५. सोचने दूवरणो-दे० दूहणो। का कोई विशिष्ट ढंग । दूवळ-(क्रि०वि०) १. दूसरी ओर । २. दूसरी दृष्टिपात-(न०) देखना। बार । ३. दोनों ओर।। दे-(अव्य०) १. कतिपय स्त्री पुरुषों के नामों दूबो-(न०) १. प्राज्ञा । २. घोषणा । के अंत में लगने वाला देवी और देव अर्थ मुनादी । दुहाई। ३. दोहा छंद । ४. को सूचित करने वाला एक प्रत्यय । देवी दो की संख्या । ५. न्याति भोज की और देव शब्दों का संक्षिप्त रूप । यथाघोषणा । ६. किसी को दंडित करने या अंतरंगदे, ईहड़दे, उछरंगदे, ऊमादे, रूपांदे दंडित को माफ करने आदि की न्याति इत्यादि स्त्री नाम । कान्हड़दे, गोगादे, घोषणा। रामदे, वीसळदे, इत्यादि पुरुष नाम । २. दूषण-दे० दूसण। स्त्री-पुरुषों के नामों के अंत में लगने वाला दूसरण-(न०) १. पाप । दूषण । २. अप. एक आदर सूचक प्रत्यय शब्द । ३. लोक राध । गुनाह । दोष । ३. दूषण । ऐब । गीतों का एक अव्यय शब्द । ४. एक खोट । ४. कलंक । पादपूर्थिक अव्यय । ५. एक त्वरायं दूसरो-(वि०) द्वितीय । दूसरा । बोजो। संपुट । यथा-सड़ाक दे जातो रयो । दूह-(वि०) विधवा । दुहागिन । देई-(ना०) देवी। दहणो-(क्रि०) गाय, भैंस आदि के थनों को देईवारण-दे० दइवाण । निचोड़ कर दूध निकालना । दोहना ।। देउळ-(न०) देवल । देवस्थान । मंदिर । दूहो-(न०) चार चरणों वाला एक छंद । देवळ। दोग्धक । दोधक । दोहा । देखरण जोग-(वि०)देखने योग्य । दर्शनीय । दूंग-(न०) चिनगारी । इंगियो । डूंग। दूटी-(ना०) टुडी । नाभि । सूटी। देखण जोगो-दे० देखण जोग । दूदाळो-(वि०) तोंद वाला । देखरणवाळो-दे० देखणहाळो । दृग-(न०) अांख । नेत्र । देखणहाळो-(वि०) देखने वाला । दृढ़-(वि०) १. मजबूत । पक्का । दिद। देखरिणयो । जोवरिणयो। २. टिकाऊ । स्थिर । दिढ़। देखणाळो-दे० देखरगहाळो । दृढता-(ना०) १. मजबती । पक्काई । २. देखणियो-(वि०)देखने वाला । जोवरिणयो। स्थिरता । अटलता । टिकाऊपना । देखणो-(क्रि०) १. देखना । जोवरणो । दिढता । ३. टिकाव । २. सोचना । विचारना । ३. तलाश दृष्टांत (न०) १. उदाहरण । मिसाल । करना । ४. परखना । जाँचना। जांचरणो। दिस्टांत । २. प्राभास । ३. स्वप्न । ५. सम्हालना। ६. संशोधन करना । ७. (वि०) प्राभास रूप में दीख पड़ने वाला ध्यान देना । For Private and Personal Use Only Page #640 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देखणो-चोखरणो ( ६२३ ) देण-लेण देखणो-चोखणो-(मुहा०)१. तलाश करना। देखावड़ो-(वि०) १. देखने जैसा। २. रूप२. जांचना। जांचरणो। वान । सुन्दर । रूपाळो। देखणो-जोखणो-(मुहा०) प्रकृति. गुण, देखावणो-(क्रि०) १. दिखाना। २. जाँच धर्म, प्रकार, मूल्य तथा तौल आदि की करवाना। परखाना। ३. मादा और जाँच करना। नर को मैथुन के लिये इकट्ठा करना । देखता-पाण-(अव्य०) १. देखते ही । २. जोड़ा लगाना (पशु) ४. अपने प्रभाव का देखने के साथ । ३. देखते-देखते । देखते परिचय कराना। ५. जोर बताना । बल रहने पर भी। का परिचय देना। देखती-आँखे-(प्रव्य०) १. जानबूझ कर। देखावो-(न०) १. दिखाने के लिये की जाने २. पाँखों के सामने । सम्मुख । वाली तैयारी। प्रदर्शन । २. दिखाने के देखभाळ-दे० देख-रेख । लिये सजाकर रखी हुई दहेज की देखरेख-(ना०)१. सार-सम्हाल । निगरानी। सामग्री । दहेज प्रदर्शन । २. आडंबर । २. जाँच-पड़ताळ । ढोंग । ३. चमक-दमक । तड़क-भड़क । देखाई-(ना०) १. देखने का काम । २. देखीजतो-(वि०) १. प्रत्यक्ष। स्पष्ट । दिखलाने का काम । ३. दिखलाने का २. दिखावटी। महनताना । ३. तुलना । बराबरी। देखीतो-(वि०) दे० देखीजतो। देखाऊ-(वि०) बनावटी । नकली। दिखा- देग-(न०) खाना पकाने का तांबे या पीतल वटी । (अव्य०) देखने में। __ का बड़ा बर्तन । देगड़ो। देखाणी-(प्रव्य०) १.देखता हूँ; सोचता हूँ; देगची-दे० देगड़ी। प्रतीक्षा करता हूँ; देखता हूँ, कैसे कर देगचो-दे० देग । लेता है। इत्यादि अर्थों का सूचक २. देगड़ी-(ना०) देगची। छोटा देग । एक संपुट । जैसे 'पाव देखाणी' मार देगड़ो-(न०) १. पीतल का बना हुआ पानी देखाणी इत्यादि। __ का घड़ा। २.छोटा देग । हाँडा । देगचो। देखाणो-दे० देखावणो। देगवट-(न०) १. भोजन-प्रकार । २. पाक. देखादेख-दे० देखादेखी। क्रिया का मानदंड । ३. हर समय भोजन देखा-देखी-(ना.) किसो को करते देख कर की तैयारी । ४. भोजन-सत्कार । करना । अनुकरण । नकल । देज-(न0) दहेज । दात । दायजो। देखाळणो-(क्रि०) दे० देखावणो । देठाळो-(न०) १. दृष्य । दृष्ट । दिखाव । देखाळो-(न०) १. दिखाई देना। दर्शन। २. दिखाने का भाव । २.किसी देवता या प्रेत प्रादि का आवेश। देडको-(न०) मेंढ़क । डेडको । डेडरियो। आवेश-परिचय । ३. प्रभात । प्रातःकाल देण-(वि०) देने वाला । देवरिणयो। (न०) का समय । १. कर्ज । २. देना। दान । देखाव-(न०) १. दिखाने का भाव । २. देगदार-(वि०) कर्जदार । कर्जवाला । तड़क-भड़क । आडम्बर । बनाव । ३. ऋणी । करजायत । दृश्य । नजारा । देखावो । ४. सजावट । देणदारी-(ना०) कर्जदारी । ऋण । ५. प्राकार । प्राकृति । रूप । रूपरंग । करजो। ६. प्रत्यक्ष । देण-लेगा-(ना०) देन लेन का व्यवहार । For Private and Personal Use Only Page #641 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देणियो ( ६२४) देवत-कांसो देणियो-(वि०) देने वाला । देवणियो । पूजा करने वाला। भोजक । २. एक देणारो। प्रल्ल । देणी दे० देताणी। देरी-दे० देर । देणो-(क्रि०) १. देना। प्रदान करना । देरुतो-दे० देवर । २. सौंपना। हवाले करना। ३ प्रहार देव-(न०) १. देवता । देव । २. परमात्मा। करना। (न०) ऋण । कर्जा। करजो। परमेश्वर । ३. एक प्रत्यय जो पुरुष देतारणी-(अव्य०) १. क्रिया विशेषण के नामों के अंत में लगता है । जैसे रामदेव, शुक्रदेव। साथ लगने वाला एक त्वरार्थ सूचक देवऊठणी-इग्यारस-दे० देवठणी-ग्यारस । संपुट । यथा-वो झट देतागी प्राय देवऊठी-दे० देव ऊठणी इग्यारस । गयो । किंवाड़ खट देताणी बंद होगयो। देवकी-(ना०) श्री कृष्ण की माता । २. देने के साथ । देते ही। देताँ-दे० दीधा। देवगत-(ना०) १. देवति । भाग्य । देदार-दे० दीदार । प्रारब्ध । २. देवगति । देवत्व । देव . योनि । ३. मृत्यु । मरण । मौत । देधारण-(न०) १. समुद्र । २. दधि । दधिसागर । ३. बड़ा समुद्र । महोदधि । देवग्य-(न०) ज्योतिषी । देवज्ञ । जोतसी । देवचो-(न०) १. वचन-दान । प्रतिज्ञा । देन-(ना०) १. प्रदत्त वस्तु । २. प्राप्त । २. शपथ। वस्तु । सौगात । ३. ईश्वर, गुरुजनों देवजणी-(ना०) देवदासी । आदि से प्राप्त बड़ी महत्वपूर्ण वस्तु । देवजी-(10) राजस्थान के मेक प्रसिद्ध ४. कर्जा । ५. बाकी रकम । लोक देवता । यह गूजर जाति में विशेष देनदार-दे० देणदार। मान्य हैं । इनका जन्म आसींद (मेवाड़) देनदारी-दे० देणदारी। में माघ सुदि ६ को वि. सं. १३०० में देय-(वि०) १. देने योग्य । देणजोग । २. माना जाता है। दिया जा सके वह । देवजी-रोटो-दे० घणदेवजी रोटो। देर-(ना०) १. विलंब । देर । ढोल । देवजोग-(न०) १. देवयोग । २. संयोग । जेझ । मौड़ो। २. समय । ३. होनहार । देराडी-(ना०) १. एक शकुन चिड़िया । २. देवज्ञ-दे० देवग्य । उलूक जाति की एक रात्रि शकुन चिड़ी। देवभूलगी ग्यारस-(ना०) भादौं सुदि दिवांधिका । भैरव । भैरवी। चीबरी। एकादशी । कोचरी। ३. देव-चिड़ी नाम की एक देवठणीग्यारस-(ना०) देवोत्थनी एकाशकुन चिड़िया। दशी । कार्तिक शुक्ला एकादशी । देराणी-(ना0) पति के छोटे भाई की देवरणो-दे० देणों । पत्नी । देवरानी। देवत-(न०) देवता। देरावणो-दे० दिरावणो। देवत-काँसो-(न0) विवाह आदि मांगलिक देरासर-(न०) १. देव-मंदिर । २. जैन अवसरों पर कुल देवता के निमित्त मंदिर। परोसा जाने वाला भोजन सामग्री का देरासरी-(न०) १. देरासर में नियमित थाल । For Private and Personal Use Only Page #642 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देवतण ( ६२५ ) देवाळ देवतण-(न०) देवत्व । देवळी-(ना०) १. स्त्रीमूत्ति । वीर सती देवता-(न०) १. सुर । देव । २. आग। स्त्री की पुत्तलिका । ३. छोटा देवालय । अग्नि । ३. देवत्व । (ना०) देवी। देवली । ४. स्मारक रूप से बनवाई हुई देवथान-(न०) देवस्थान । देवालय । छत्री । देवमंदिर। देवलोक-(न०) १. देवलोक । स्वर्ग । देवदार-(न०) एक जाति का वृक्ष और २. मृत्यु । उसकी लकड़ी । देवदारु। देवलोक जाणो-(मुहा०) मरना । देवदीवाळी-(ना.) १. देव मंदिरों में देवलोक पधारणो-दे० देवलोक जाणो । विशेष प्रकार से मनाये जाने वाले देवलोक होणो-दे० देवलोक जाणो । दीपोत्सव की कार्तिक पूर्णिमा का दिन। देववाणी-(ना०) संस्कृत भाषा। २. कार्तिक पूर्णिमा का पर्व । काती सुदि देवविद्या-(ना०) निरुक्त विद्या । व्युत्पत्ति पूनम । ___ शास्त्र । देवधाम-(न०) १. स्वर्ग । २. मृत्यु । देवशयनी-(ना०) देवशयनी एकादशी । देवनदी-(ना०) गंगा नदी । सुरसरी। प्राषाढ़ शुक्ला एकादशी । सुरसरिता । देवशरण-(न०) १. रामशरण । मृत्यु । देवनागरी-(ना०) १. संस्कृत, राजस्थानी, मरण । २. भगवान की शरण। हिंदी, मराठी प्रादि भाषाओं की लिपि । देवसंजोग-दे० देवजोग । बालबोध लिपि । बाळबोध । देवसंयोग-दे० देवजोग । देव-पोढ़णी-दे० देव पोढणी ग्यारस । देवस्थान-(न०) देवालय । देवमंदिर । देव-पोढणी ग्यारस-(ना०) १. प्राषाढ़ देवयान । शुक्ल एकादशी। देवशयनी एकादशी । देवहर-रा-मगरा-(न०) मेवाड़ की एक २. इस एकादशी का पर्व । पर्वत श्रेणी। देवप्रयाग-(न०) हिमालय में एक प्रसिद्ध देवाचा-दे० देवचो । तीर्थ स्थान । . देवाण-(न०) १. देवता । २. देव समूह । देवभख-न०) १. देवताओं का भोजन । ३. ब्रह्मा । ४. देवत्व । । देवभक्ष्य । २. अमृत । देवारण विद्या-(ना०) १. सरस्वती । विद्या देवभाखा-(ना०) देवभाषा। संस्कृत देवी । २. संस्कृत भाषा । दे० देव विद्या। भाषा। (वि०) विद्या देने वाली। देवभाषा-(ना०) संस्कृत भाषा । देवातन-(न०) १. देवायतन । देवस्थान । देवमंदिर-(न०) देवस्थान । देवालय । देवमंदिर । २. देवस्वरूप । ३. देवत्व । देवयोग-दे० दैवयोग । (वि०) १. जिसके तन में देवी देवता का देवर-(न०) पति का छोटा भाई । आवेश होता हो । २. देव्यांशी । ३. देवराज-(न०) इन्द्र । देवांशी। देवराणी-दे० देराणी। देवाधरण-(ना०) गाय । देवरिख-(न०) देवऋषि । नारद ऋषि । देवाधिदेव-(न०) देवताओं के देवता । देवरो-(न०) देवालय । देहरो। देवायर-(न०) दिवाकर । सूर्य । सूरज । देवळ-(न०) देवालय । देवरो । देवमंदिर। देवाळ-(वि०) १. देने वाला । २. दानी ।। For Private and Personal Use Only Page #643 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देवालय ( ६२६ ) देवालय-(न०) देवमंदिर । देवळ । देश निकाला। देवाळियो-(न०) कर्जा नहीं उतार सकने देसपत-(न०) राजा । देशपति । वाला व्यक्ति। दिवाळिया । नादार व्यक्ति। देस-रजपूत-(न०) १. साधारण राजपूत । देवाळो-(सं0) ऋण नहीं चुकाने की स्थिति बिना जागीरी का राजपूत । २. देश में व असमर्थता । दिवाला । नादारी। विख्यात राजपूत । ३. देश में रहने वाला देवा-अगवाणी-(न०) गणेश ।। राजपूत। देवांगना-(ना०) अप्सरा । अपछरा। देसवटो-(न०) देश निकाला । निर्वासन । देवांशी-(वि०) जो देवता के प्रश से देश से बाहर निकालने की सजा । उत्पन्न हुआ हो। देसवाळी लोग-(न०) जैसलमेर राज्य की देवांसी-दे० देवांशी। मुसलमान प्रजा जिसको भी जजिया देवियारण-दे० देव्यायण । भरना पड़ता था। देवी-(ना०) १. प्राद्या शक्ति । दुर्गा। देसाटण-(न०) देशाटन । देशभ्रमण । २. सरस्वती । ३. लक्ष्मी । ४. स्त्री नामों देसावर-(न०) परदेश । देशावर । के अंत में लगने वाला एक गौरव सूचक देसावरी-(वि०) परदेश में रहने वाला। प्रत्यय शब्द । ५. स्त्री (सम्मान वाचक) परदेशी । ६. एक चिड़िया । शकुन चिड़ी। देसी-दे० देशी। देवेथान-दे० देवथान । देसूटो-दे० देसवटो। देवेस-(न०) देवेश । महादेव । देसोटो-दे० देसवटो। देव्यायण-(न०) बारहठ ईसरदास कृत देसोत-(न०) १. राजा । देशपति । २. देवी की महिमा व स्तुति का एक जागीरदार । प्रसिद्ध भक्ति ग्रंथ । देवियारण। देह-(ना०) शरीर । देह । काया । देश-(न०) १. देश । मुल्क । २. राष्ट्र। देहत्याग-(न०) मृत्यु । ३. क्षेत्र । ४. स्थान ।। देहपात-(न०) मरण । मृत्यु । देशज-(वि०) १. देश में उत्पन्न । २. लोक देहरखो-(वि०) १. शरीर की ही विशेष तथा देश की बोलचाल से उत्पन्न । चिंता करने वाला। २. अपनी रक्षा शिष्ट भाषा की व्युत्पत्ति रहित लोगों करने वाला । ३.स्वार्थी । (न०) कवच । की बोल चाल से उत्पन्न (शब्द)। देहरो-(न०) देवघर । देवालय । देशी-(वि०) १. स्वदेश में उत्पन्न या बना देहळियो-(न०) गाय, भैंस के लिये कुट्टी हुआ । देशी । २. देश संबंधी । ३. देश आदि पकाने तथा खिचड़ा आदि रांधने में रहने वाला । (ना०) १. एक रागिनी। का मिट्टी का बड़ा पात्र । २. स्थान विशेष की बोली। देहळी-(ना०) देहली । देहलीज । ऊमरो। देस-दे० देश । देहात-(न०) गांव। देसज-दे० देशज । देहाती-(वि०) गाँव का । ग्रामीण । देस-दीवारण-(न०) १. देश का बड़ा गामड़ियो । दीवान । २. दीवान का एक ओहदा या देही-(न०) १. देह । शरीर । २. देह प्रकार । धारण करने वाला । जीवात्मा । देहदेसनिकाळो-(न०) निर्वासन का दंड। धारी जीव । For Private and Personal Use Only Page #644 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org देहुरो देहुरो - ( न०) मंदिर | बेवळ । देवरो । देहरी । दैरण - ( ना० ) १. दुख । संकट | संताप | क्लेश । २. झगड़ा । कलह । ३. दहन | जलन । मनसंताप । ४. चिंता । फिक्र । दैरगियो - दे० दैनगियो । (वि०) १. संताप करने वाला । २. दुखदाई । ३. झगड़ालू । कलहकारी | देणगी - ( ना० ) १. दिनमान का काम या मजदूरी । २. दैनिक पारिश्रमिक पर किया जाने वाला काम । ३ दिनभर के काम का पारिश्रमिक । दैनिक पारिश्रमिक । ४. एक दिन का महनताना । दैनिकी । (वि०) दैनिक | दैत- (To) दैत्य | दैतरणी - ( ना० ) १. दैत्य की स्त्री । २. कुरूपा स्त्री । ३. झगड़ालू स्त्री । दैनगियो - ( न०) दैनिक पारिश्रमिक पर काम करने वाला मजदूर । मजूर । दैनगी - दे० देणगी | दैळियो- दे० देहळियो । दैवयोग - ( न०) संयोग । इत्तिफाक । दो - (वि०) एक और एक । ( न० ) दो की संख्या | '२' ( ६२७ ) दोइरण - दे० दोयण | दोई - (वि०) दोनों । दोकड़ो - ( न० ) १. एक पुराना सिक्का । २. रुपये के सौंवे भाग का एक सिक्का । ३. रुपये का सौवाँ भाग । ( ब्याज फलावट का मान) ४. सौवाँ भाग । ५ प्रतिशत । ६. ब्याज । ७. घन । रोकड़ । पूंजी । पैसा | दोकलो- (वि०) जिसके साथ कोई और साथी हो । दुकेला । अकेला नहीं । दोकी - ( ना० ) १. दो चिन्हों वाला ताश का पत्ता । दुरी । तुकी । २. शौच जाने के लिये दो प्रगुलियाँ उठा कर किया जाने दोभो वाला संकेत । बेकी । ३. मल त्याग | शौच । (वि०) दो । दोकी जाणो - ( मुहा० ) मल त्याग करने को Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाना । बेकी जारगो । दोख - ( न० ) १. दोष । ऐब । २. देवता की नाराजी । ३. देवता की नाराजी से हुआ कष्ट या रोग । ४. भूत-प्रेत या किसी लोक देवता की नाराजी । ५. किसी लोक देवता का अभिशाप । ६. पीड़ा । ७. द्वेष । ८. रोग । ६. पाप । दोखरण - ( न०) १. पाप । २. दूषरण । दोखी - ( वि०) १. शत्रु । दुश्मन । २. बुरा चाहने वाला । ३. ईर्ष्यालु । ४. द्वेषी । ५. दूसरे के दुख में सुखी और सुख में दुखी होने वाला । ६. दुखियारा । ७. दुखी । ८. दोषी । अपराधी । दोखो - ( न० ) १. बीमारी । रोग । २. प्राकृतिक संकट | ३. दुख । कष्ट । ४. पाप । दोगलापण - ( न०) १. दोनों पक्षों से मिला रहकर दोनों में कलह कराने का काम २. दुतरफी बात करने का काम । ३. वर्णसंकर व्यक्ति का काम । दोगलो - ( न० ) १. वर्णसंकर । जारज । २. दोनों पक्षों में मिला रह कर कलह कराने वाला । ३. दुतरफी बात करने वाला । दोज - दे० दूज | दोजग - ( न० ) दोजख । नरक । दोजगी - ( वि०) १. दुखिया । २. ईर्षालु । ३. वह जिसको न तो रात में और न दिन में चैन पड़े । ४. पापी । नारकी । दोजखी । दोजीवाती - ( ना० ) गर्भवती स्त्री । दोजीवी - दे० दो जीवाती । दोझो - ( न०) १. थन । स्तन । (पशु) । २. दूध देने वाला पशु | For Private and Personal Use Only Page #645 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दोट ( ६२८) दोष दोट-(ना०) १. दौड़ने की क्रिया। दौड़। दोब-(ना०) दूर्वा । . २. आक्रमण । ३. आँधी। तूफान । ४. दोभा-(वि०) १. वर्णसंकर । २. दो भांति धक्का। टक्कर । ५. नदी व समुद्र में का। आने वाला प्रति वेग के साथ पानी का दोमज-(न०) युद्ध । । धक्का । जोर की लहर । ६. दड़ी। दोमळा-(न०) एक छंद । गेंद। दोय-(वि०) दो। (न०) दो की संख्या । दोटी-(ना०) १. दड़ी । गेंद । २. एक दोयण-(न०) १. शत्रु । दुश्मन । २. खल। 'प्रकार का कपड़ा । दुपट्टी। दुर्जन । दोटो-(न०) १. प्रहार । २. धक्का । ३. दोर-(ना०) डोर । दे० दौर। पानी का धक्का । ४. दड़ी । गेंद । दोरप-(ना०) १. कठिनता। २. कष्ट । दोठा पुड़ी-दे० डोठा पुड़ी। तकलीफ । संकट । दोठो-दे० डोठो। दोरम-दे० दोरप। दोढ-दे० डोढ । दोराई-दे० दोरप । ('सोराई' का उलटा)। दोढवाड़ कूतो-दे० डोढवाड़ कूतो। दोरिम-दे० दोरप । दोढो रावण-(नa) १. कुंभकर्ण। २. दोळां-दे० दोळी । ___ बड़ा रावण । (वि०) महा जबरदस्त । दोळी-(वि०) १. चारों ओर । आजूबाजू । २. पीछे लगना । पीछा। दोणकी-दे० दोणी। दोलू-(न०) दांत । दीणियो-(न०) दुहने का पात्र । दोहनी । दोळ -दे० दोळी। (वि०) । दुहने वाला। दोणी-(ना०) दोहने का पात्र । दोहनी। दाळ -(वि०) १. पार्छ। आजूबाजू । । दुहनी। ___ चारों ओर । ३. पीछे लगा हुआ। दो-दो हाथ-(अव्य०)१. मल्लयुद्ध । २. बाहु दोळो-(अव्य०) १. चारों ओर। आजू बानू । इधर उधर । २. पीछा । युद्ध । ३.सामने-सामने का युद्ध । ४.लड़ाई। दोवटी-(ना०) १. दो पट्टी वाली मोटी 'बाथमबाथ । ५. सहकार । सहयोग। धोती। २. दो पट्टी वाला प्रोढ़ने का दोधक-(न०) १. एक छंद । २ दोहा छंद। वस्त्र। ३. कंधे पर रखने का वस्त्र । दोधारो-(वि०) दो घार वाला। (न०) दुपट्टी । वोटी । डुपटी। दुधारी तलवार । दोवड़-(ना०) १. दुहरा सिला हुआ ठंड दोन-(वि०) दोनों । उभय । में मोढ़ने का एक वस्त्र । दो पट्टी का दोनो-(न0) १. लांछन । कलंक । बजो। वस्त्र । ३. कपड़े की दो तह । दो तह । २. अपकीर्ति । कुजस । (वि०) दुगुना। दोपट-(वि०) दुहरा । दुपट । दोवड़-तेवड़-(वि०) दुगुना-तिगुना। दोपटो-(वि०) वस्त्र के दो पट लंबे सीए दोवड़ो-(वि०) १. दुहरा। दोहरा । २. हए । (न०) दो पट वाला वस्त्र । डबल । दुगुना । ३. दोनों ओर का । दोवटी। दो-वीसी-(वि०) चालीस । दोपारो-(न०) दुपहर में किया जाने वाला दोष-(न०) १. दोष । अपराध । २. भूल । प्रल्पाहार । दूसरे पहर का जलपान । ३. लांछन । ४. पाप । ५. पारोप । ६. For Private and Personal Use Only Page #646 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दोषारोपण ( ६२६ ) अभियोग । ७. कमी । खराबी । ८. दोहितरो-दे० दोहीतो। साहित्य के गुणों में कमी । काव्य । दोहिलो-(वि०) १. कठिन । दुस्साध्य । २. दोष। ___ दुखी। (अव्य०) कठिनता से । दे० दुहेलो। दोषारोपण-(न०) किसी के ऊपर दोष दोहीती-(ना०) पुत्री की पुत्री । दोहित्री। __ मंढने का भाव । दोहीतो-(न०) बेटी का बेटा । दोहित्र । दोस-दे० दोष । दुहता। दोसण-दे० दूसण। दोहेलो-दे० दुहेलो। दोसदार-(न०) दोस्त । मित्र । दौड़-(ना०) १. दौड़ने की क्रिया । दौड़ । दोसदारी-(ना०) दोस्ती । मित्रता। २. हमला। आक्रमण । धावा । ३. दोसूती-(वि०) दो सूत का बुना। डबल पहुँच । शक्ति । ४. प्रयत्न । ५. लूट । धागों से बुना हुआ (कपड़ा)। दो सूत दौड़णो-(क्रि०) १. दौड़ना। भागना । २. वाला। पलायन होना । ३. हमला करना । धावा दोस्त-(न०) मित्र । साथी । करना । ४. लूटना । डाका डालना । ५. दोस्ती-(ना०) मित्रता। प्रयत्न करना। दोह-दे० दोस। दौड़भाग-(ना०) १. दौड़ा-दौड़ी । २.प्रयत्न। दोहग-(न०) १. दुर्भाग्य । २. दुख । कष्ट । कोशिश । ३. संकट । दौडादौड़ी-(ना.) १. बार बार दौड़ना । दोहणकी-दे० दोहणी। २. दौड़धूप । भागदौड़। ३. जल्दबाजी । दोहणियो-(न०) दुहने का पात्र । दोहनी। दौड़ो-(न०) १. चक्कर। फेरा । भ्रमण । (वि०) दुहने वाला। दौरा । २. अाक्रमण । ३. अधिकारी का दोहणी-(ना०) दूध के दोहने का पात्र । अपने अधिकार क्षेत्र में निरीक्षण के लिये दुग्ध पात्र । दोहनी । दोणी। जाना । दौरा । ४. समय समय पर होने दोहणो-(क्रि०) १. दुहना। दूहरणो। २. वाले रोग का आक्रमण । दौरा । रोगा. किसी वस्तु का सार भाग निचोड़ देना। वर्तन । ५. डाका। दोहराई-(ना०) तकलीफ। कष्ट । दुख । दौर-(न०) १. रोब । आतंक । २. प्रभाव । दोराई। ३. वैभव के दिन । ४. भ्रमण । फेरा । दोहरी-(वि०) १. दुखिता । २. दुखियारी। दौलत-(ना०) १. दौलत । पूजी। धन । दुखी। (ना०) तकलीफ । कष्ट । २. जागीरी । ३. भाग्य । प्रारब्ध । (क्रि०वि०) १. दुख से । २. कठिनता से। दौलतखानो-(न०) घर । निवास स्थान । ३. तकलीफ में। दौलत-छौळ-(वि०) १. जिसके पास दौलत दोहरो-(न०) १. बे-आराम । तकलीफ । लहरें ले रही हों। अपार धनवान । २. कष्ट । २. एक छंद । दोहा । (वि०) उदार । दातार । दुखी। (क्रि०वि०) १. कठिनता से । २. दौलतधारी-(वि०) धनवान । तकलीफ में। दौलतमंद-(वि०) धनवान । दोहलो-(न०) दोहा छंद । दे० दोहिलो।। दौलतवान-(वि०) धनवान । दोहा-दे० दूहो। द्यउ-(क्रि०) दियउ । दीजिये। दे मो। दोहितरी-दे० दोहीती। (विनयार्थक) For Private and Personal Use Only Page #647 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra थाड़ो mist - (To) दिवस | दिन aणी - (fro) दाहिनी । जीमरणी । tury - (वि०) दाहिना । जीमणो । धारणो- (वि०) दाहिना । ( न० ) २. प्रकाशमान । घोराणी-दे० देराणी । द्यो - ( क्रि०) घोस- ( न० ) दिवस | दिन । १. देना । २. दीजिये । www.kobatirth.org श्रर । जीमरणी कानी । द्यामरणो- दे० दयामरणो । ति - ( ना० ) कान्ति । तेज । तिवंत - ( वि० ) १. कान्तिमान । सुंदर । ( ६३० ) द्रढता - ( ना० ) दृढ़ता। मजबूती । द्रढाव - दे० दिढाव । दाहिनी द्रग - ( न० ) १. हग | नेत्र । २. दृष्टि । नजर । द्रजीत - ( न० ) इंद्रजीत । मेघनाद । द्रोण - (To) दुर्योधन । द्रढ-दे० दिढ । द्रढेल - ( वि०) दृढ । दृढ़तावाला । द्रप- (म० ) १. दर्प । गर्व । २. प्रतिक । रोब । ३. उद्दंडता । I द्रब- ( न० ) द्रव्य | धन । द्रब-उभेळ-दे० दौलत छोळ । द्रब छौळ - दे० दौलत छौळ । द्रम - ( 70 ) १. वृक्ष । द्रुम । २. मरुस्थल । मरूप्रदेश । ३. प्रचंड पवन । ४. वायु वेग । ५. एक प्राचीन सिक्का । द्रम्म । द्रमंक - ( न० ) १. धमाका । २. गर्जन । ढोलक का शब्द | द्रव - ( न०) १. द्रव्य । २. किसी वस्तु का तरल रूपान्तर । रस । द्रव पदार्थों के तीन रूप - ठोस, द्रव और गैस में से एक । तरल पदार्थं । ३. द्रवणो - ( क्रि०) १. पिघलना । २. भरना । चूना । ३. गद्गद् होना । द्रव्य - ( न० ) धन । पैसा | नारगो । २. पदार्थ । वस्तु । द्रस्टांत दे० दृष्टान्त | द्रह - ( न० ) बहुत गहरे २. खड्डा । ह्रद । कुआ । द्रवाट दे० दहवाट | रंग - ( न० ) १. दुर्ग ३. टीबा । घोरो । ६. नगर । गड़ो - ० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग | द्रोही पानी का खड्डा । ३. बिना बंधा हुआ द्राख - ( ना० ) दाख | द्राक्षा । द्रिठ-दे० दीठ । २. गाँव । किला । ४. खड्डा । ५. देश ॥ For Private and Personal Use Only ठिबंध - (वि०) दृष्टिबंध | ीठ - ( ना० ) १. दृष्टि । नजर । २. श्राँख । नेत्र । दुग - ( न० ) किला | दुर्गं । गढ़ | द्रुत - (वि०) १. तेज । तीव्र । २. शीघ्र । द्रुमची- दे० दुमची | ग - ( न०) १. दुर्गं । किला । गढ । २.गाँव । ३. टीबा । धोरो । द्र - ( न० ) १. पर्वत । भाखर । २. जंगल । ३. लकड़ी । ४. सोना । स्वर्ण । द्र ेठ - ( ना० ) १. दृष्टि । नजर । २. प्रांख । द्र ठि-दे० द्रेठ । द्रोण - ( न० ) १. पर्वत । २. पांडव - कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य । ३. एक माप । ४. दोना । ५. रथ । द्रोपता - ( ना० ) द्रौपदी । द्रोप- ( ना० ) द्रौपदी । द्रोब - ( ना० ) दूब । दूर्वा । द्रोह - ( न०) १. ईर्ष्या । द्वेष । २. बैर । शत्रुता । ३. कपट । दगा । ४. विरोध | ५. बगावत । द्रोहरो - ( क्रि०) १. द्रोह करना । २. विरोध करना । ३. बगावत करना । द्रोही - ( वि०) १. द्रोह करने वाला । २. शत्रु । ३. दगाखोर | कपटी । ४. विरोधी । ५. बगावती । Page #648 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्रौपदी ( ६३१ ) घकोवरणो द्रौपदी-(ना०) राजा द्रुपद की पुत्री। पांडवों वार पाल । डोढीदार। की पत्नी। द्वारा-(प्रव्य०) जरिया । मारफत । से । द्वद-(न०) १. झगड़ा। द्वन्द्व । २. द्वन्द्व द्वार रोकाई-दे० बार रोकाई। युद्ध । ३. दो का जोड़ा । द्वन्द्व । ४. एक द्वारो-(न०) १. मंदिर । २. साधु-संतों का समास । (व्या०)। स्थान । यथा--रामद्वारो। द्वात-(ना०) दवात । मसिपात्र । मजिया- द्वाळो-दे० दुपाळो। सगो। द्विज-(वि०)१.जन्म और यज्ञोपवीतधारणद्वादशी-(ना०) बारस तिथि । बारस । इन दो संस्कारों द्वारा उत्पन्न । दो बार द्वादशो-(न०) मृतक का बारहवां । बारियो। जन्मा हुआ। (न०) १. ब्राह्मण, क्षत्री, दुपावसो। वैश्य । त्रिवर्ण । २. ब्राह्मण । ३. पक्षी । द्वापर-(न०) चार युगों में से तीसरा युग । ४. अंडज । ५. दांत । द्वार-(न०) दरवाजा । बारणो। द्विदळ-(न०) मूग, मोठ, चना प्रादि कठोळ द्वारका-(न०) १. द्वारिका नगरी । २. चार धान्य । द्विदल-धान्य । प्रधान तीर्थों में से एक। सागर तट पर द्विरद-(न०) हाथी । दुरद । स्थित सौराष्ट्र का प्रख्यात तीर्थ-क्षेत्र । द्विवेदी-(न०) ब्राह्मणों की एक अल्ल । द्वारकाधीश-(न०) श्रीकृष्ण । द्वेष-(न०) १. ईर्ष्या । २. बैर । शत्रुता । द्वारकानाथ-(न०) श्रीकृष्ण । ३. जलन । द्वारपाळ-(न०)द्वार पर रहने वाला रक्षक। द्वैरद-(न०) हाथी । विरद । घ ध-संस्कृत परिवार की राजस्थानी भाषा धकचाळ-(ना०) १. युद्ध । लड़ाई । २. की वर्णमाला का उन्नीसवां और तवर्ग उपद्रव । का चौथा व्यंजन वर्ण । इसका उच्चारण धकचाळो-दे० धकचाळ । स्थान दंतमूल है। धकरणो-(क्रि०) १. चलना । निर्वाह होना । धइयो-(न०) १. विपत्ति। संकट । आफत । २. निभाना । २. कष्ट । संताप । ३. टंटा-झगड़ा। धकधूरगणो-(क्रि०) जोर से हिलना । कलह । झकझोरना। धईडो-(न०) किसी चिंता, विपत्ति आदि धकपंख-(न०) गरुड़ । की अचानक सूचना । २. ऐसी झूठी धकलो आँक-दे० चढतो प्रॉक । सूचना । धकाणो-(क्रि०) १. निर्वाह करना । धक-(ना०) १. भय, शोक प्रादि के कारण चलना । २. निभाना । ३. धक्का मार हृदय की गति तेज होने का शब्द । २. कर चलना। ४. खदेड़ना । ५. पीछे जोश । ३. क्रोध । ४. सहसा । ५. हटाना । ६. पराजित करना । धक्का । (क्रि०वि) एक दम । सहसा। धकार-(न०) 'घ' वर्ण । धधो । धन्धो । अचानक । धकावरणो-दे० धकारणो। For Private and Personal Use Only Page #649 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धकीजणो ( ६३२ ) धजराज धकीजणो-(फि०) १. धकाया जाना । धगन-(ना.) १. अग्नि । २. ज्वाला। ३. धकेला जाना । २. धकना। ३. निभाना। जलन । धुखण । धकेलगो-(कि०) १. धकेलना । धक्का धगस-(न०) उत्साह । लगन । जोश । देना । ठेलना । २. किसी काम या बात धगार- (न०) १. प्राकाश । २. जोश । को लापरवाही से योंही आगे को ठेलते उत्साह । जाना। धचकरणो-(क्रि०) १. जमीन के किसी धकेलो-(न०) धक्का । हड़े लो । हड़सेलो।। भाग का नीचे फंस जाना । २. धक्का धर्क-(अञ्य०) १. सामने । आगे। समक्ष । लगना । ३. दलदल में फंसना । २. उपस्थिति में । ३. मुकाबले में। ४. न धचकारणो-(क्रि०) १. फंसाना । साना । भविष्य में। ५. अग्रस्थान में। आगे। २. धक्का लगाना। धचकावणो-दे० धचकाणो । अगाड़ी। ६. पूर्व । पहिले । धको-दे० धक्को। धचको-(न०) १. झटका । धक्का । धकूमधका-(न०) १. धक्कमधक्का । टक्कर । __ धक्काधक्की । २. भीड । धज-(ना०) १. ध्वजा । धजा। २. नोक । ३. भाला। ४. अग्रभाग । ५. घोड़ा। धकाधको-दे० धक्कमधक्का । (वि०) १. अति तीक्ष्ण । २. दृढ़ । ३. धक्काधूम-(ना०) १. धक्कमधक्का । ठेला श्रेष्ठ । ४. जोशीला । ५. अग्रणी । ठेली। २. ऊधम । धजडंड-(10) १. ध्वजडंड । धजा का धक्कामुक्की-(ना०) धक्का देना और मुक्का डंडा । २. भाला । मारना । परस्पर धकेलने और मुक्के धजणी-(न०) १. सेना । फौज । ध्वजिनी। मारने की क्रिया । २. घोड़ी। धक्को -(न०) १. धक्का । टक्कर । २. धजनी-दे० धजणी। ठोकर । ३. आक्रमण । ४. हानि । घजपंख-(न०) गरुड़। घाटा । ५. चक्कर । फेरा । ६. हानि, धजबंध-(न०) १. राजा । २. घोड़ा। ३. शोक, दुख आदि का प्राघात। देवालय। (वि०) १. वीर। योद्धा । धख-(ना०) १. अग्नि । आग । २. क्रोध। २. विश्वस्त । ३. घजाधारी । ४. ३. जोश । प्रामाणिक । ५. अवक्र । सीधा। घखणो-(क्रि०) १. सुलगना । दहकना। धजबंधी-(ना०) १. पार्वती । दुर्गा । २. २. क्रोधित होना। घोड़ी । ३. राजा। धखपंख-(न०) गरुड़ । धकपंख । धजर-(न०) १. पान । २. मरोड़ । ३. धखपंखधज-(न०) १. श्री विष्णु । २. गर्व । ४. प्रतिष्ठा । ५. घोड़ा । ६. श्रीकृष्ण। भाला । ७. तलवार । ८. कटारी । ६. धगड़-(न0) मुसलमान । म्लेच्छ ।। धजा । १०. मंदिर । ११. किला । १२. धगड़ी-(ना०) कुलटा स्त्री । (वि०) प्राकाश । (वि०) १. वीर । २. उच्चकुलटा । मना । ३. श्रेष्ठ । ४. मनोहर । धगड़ो-(न०) १. जार । लंपट । परस्त्री। धजरंग-(वि०) नोकदार । नुकीला । लंपट । २. उपपति । ३. मुसलमान धजराज-(न०) १. घोड़ा । २. राजा । For Private and Personal Use Only Page #650 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra धजराळ www.kobatirth.org ( ६३३ ) धजराळ - ( न० ) १. घोड़ा । २. राजा । ३. मंदिर । ४: दुर्गं । (वि०) धजाधारी । धारो | धजरेल - ( वि०) १. श्रेष्ठ । २. वीर । ३. खड्गधारी । ४. घजाधारी । घोड़ा । धजवड़ - ( न० ) १. तलवार । २. यश । कीर्ति । ३. मान । प्रतिष्ठा । धजवड़ हथो - (वि०) १. खड़गधारी । २. वीर | योद्धा । श्रेष्ठ । श्रेष्ठ । ( न० ) घड़ - ( न०) १. गले के नीचे का भाग । २. बिना सिर का शरीर । कबंध । ३. शरीर । ४. पेड़ का तना । ५. सेना । धजवर - ( न० ) १. ध्वजधारियों में २. राजा । ३. शस्त्रधारियों में ४. शस्त्रधारी । दे० धजवड़ । धजवी - (वि०) १. शस्त्रधारी । २, घजा धारी । ( ना० ) घोड़ी । धजा - ( ना० ) ध्वजा । पताका । धजाडंड- दे० ध्वजदंड । धजारणी - दे० धजणी । १. धजाबंध - ( वि०) १. जिसके ऊपर ध्वजा फहरा रही हो । धजावाला । ( न० ) देवालय | मंदिर | २. देवी । देवता । ३. धजार - ( न० ) १. आकाश । २. भाला । धारो - (वि०) १. श्रेष्ठ । २. अग्रणी । ३. मुखिया । ४. धजावाला । ५. भालाधारी । धजाळ - ( वि० ) १. घजाधारी । २. भालाधारी । भाला रखने वाला । धजाळी - ( ना० ) देवी । (वि०) ध्वजावाली । धजाळो - दे० धजाळ | धज्जी - ( ना० ) १. कागज, कपड़े श्रादि की लंबी और पतली पट्टी । २. बदनामी । अपकीर्ति । कुअस । घट - ( वि०) १. श्वेत । सफेद । २. स्वच्छ । निर्मल । घट- चानणी - (वि०) बिना बादलों के निर्मल चंद्र प्रकाशवाली (रात्रि ) | ( ना० ) निर्मल Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घड़ चाँदनी । ज्योत्सना । घट - चानरणो - ( न० ) १. तेज प्रकाश । २. श्वेत प्रकाश । ३. चंद्रमा का निर्मल प्रकाश | ज्योत्सना । ६. भुंड । ७. खंड | भाग । धड़क - ( ना० ) १. धड़कना । हृदय की कंपन । २. डर । भय । धड़करण - ( ना० ) हृदय का स्पन्दन । धड़करणो - ( क्रि०) १. हृदय का धक-धक करना । घड़कना । २. काँपना । ३. भयभीत होना । धड़को - ( न०) १. भय । डर । २. दिल की धड़कन । ३. भटका । धड़का । धक्का | धड़ - खरगती - ( ना० ) तलवार । धड़च - ( ना० ) तलवार । ( न०) वस्त्र को फाड़ने का शब्द | धड़चरणो - ( क्रि०) १. चीरना। फाड़ना । २. संहार करना । नाश करना । धड़चाळो - (वि०) फटा हुआ । धड़चो - (न०) १. टुकड़ा । खंड । २. छिन्न अंश । धड़छ - ( न० ) टुकड़ा । धड़धड़ाट - ( न० ) १. घड़घड़ की ध्वनि । २. हृदय की धड़कन । धड़धड़ो - ( न० ) १. एक प्रकार की खड़िया । जिप्सम | धाघड़ो । २. घड़कन । धड़वाई - ( ना० ) १. नाज तोलने का काम । २. नाज़ तोलने वाले से लिया जाने वाला For Private and Personal Use Only कर । धड़हड़ो - ( क्रि०) १. घड़ धड़ करना । २. २. गर्जना | माजणो । ३. काँपना । ४. युद्ध करना । लड़ना । धड़ंग - ( वि०) १. नंगा । २. मर्यादा रहित । निर्लज्ज । ३. मुंह फट । Page #651 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शब्द | धड़ाबंद - ( वि०) सम्पूर्णं । संग | धड़ाबंदी - ( ना० ) दलबंदी । धड़ाम - (न० ) का शब्द । धड़ाकाबंध धड़ाकाबंध - ( अव्य० ) १. धड़ाका के साथ | २. एक दम । एक झपाटे में । धड़ाको - ( न० ) किसी वस्तु के जोर से गिरने या फटने से उत्पन्न शब्द । धड़ाका । धड़ाधड़ - ( अव्य० ) १. लगातार । बिना रुके । २. एक दूसरे के पीछे । ( न० ) 'धड़धड़' ( ६३४ ) ऊपर से एक बारगी गिरने १. नाज तोलने वाला । घड़ियो - ( न० ) फड़ियो । २. पासंग | धड़ी - ( ना० ) १. किसी वस्तु का का वजन । २. एक बार में बाट से तोला जाना। ३. एक बार में दस सेर तोली हुई वस्तु । (नोट- घड़ी का मान कहीं पाँच सेर का भी होता है ) । ४. कान का एक प्राभूषण । ५. एक बार का तोल । एक तोल । एक दस से र दस सेर के वजन । धड़ी करणो - ( मुहा० ) १. इकट्ठा करना । २. चुनना । ३. तोलना । धड़ करणो - ( क्रि०) १. साँड़ का जोर से शब्द करना । तांडना । २. सिंह का गरजन करना | दहाड़ना । ३. बादल का गरजना । धड़ो - (०) १. समूह । २. ढेर । राशि । ३. कई संख्याओं का योग । जोड़ । वह संख्या जो कई संख्यात्रों को जोड़ने से निकले । का । ४. किसी जाति या दल को दोमतों में बँटा हुआ एक विभाग | पक्ष । तड़ । ६. विचार । ७. पसंग । पासंग | ८. ढेला या कंकड़ आदि से दिया हुआ खाली पात्र का वह समान तोल जिसमें किसी वस्तु को डालकर वस्तु का निश्चित तोल करना होता है। पात्र का सम धरणीव्रत तोलन । ६ सेना । १०. भीड़ । धड़ी करणो - ( मुहा० ) १. इकट्ठा करना । २. चुनना । ३. किसी बरतन में किसी वस्तु को डाल कर तोलने के पहिले खाली बरतन का तोल करना । खाली बरतन का संतुलन करना । ४. विचार धना । ५. जोड़ना । धरण - ( ना० ) १. पत्नी । स्त्री । २. गायों का समूह । घन । धणियारणी - ( ना० ) १. पत्नी । २. गृहस्वामिनी । ३. स्वामिनी । मालकिन । ४. देवी । शक्ति | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धरिणयाप - ( न० ) १. स्वामित्व । २. अधि कार । ३. कृपा । धरण्यापो - दे० घरिणयाप । धरिणयाँ - (सर्व०) श्राप । दे० घणी । (न०) १, २. धरणी - ( सर्व० ) प्राप, तुम और वे के स्थान पर प्रयुक्त होने वाला आदर सूचक प्रयोग । श्राप | तुम । ( न० ) १. पति । खाविंद | स्वामी । २. स्वामी । मालिक । ३. प्रभु । ईश्वर । ४. धनुष । ५. धनुष की डोरी । प्रत्यंचा । (स्त्री० धरण और धणियाणी | ) धरणी जोग - (वि०) १. खरीददार को ही मिले ऐसी हुंडी । २. वह व्यक्ति जिसके नाम की हुंडी लिखी हुई हो । ( न० ) हुंडी के रुपये पाने का अधिकारी व्यक्ति । यथा-' - 'हुंडी सिकार नै घरणी जोग रुपया दे दीजो ।' धरणी - धोरी - ( न० ) १. स्वामी एवं मुखिया । २. रक्षक | ३. कर्ता-धर्ता । ४. वारिस । उत्तराधिकारी । दायद । धरणीवार - (श्रव्य ० ) १. प्रति व्यक्ति । २. जो जिसका हकदार या घनी हो । धरणीव्रत - दे० धणियाप । For Private and Personal Use Only Page #652 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धत धनिक नाम धत-(ना०) १. जिद पकड़ने की प्रादत। समृद्धि । २. हठ । दुराग्रह । ३. बुरी आदत । धनधाम-(न०) रुपया-पैसा और घरबार । कुटेव । (प्रव्य०) दुत्कारने का उद्गार। समृद्धि । धन और मकान । तुच्छकार का शब्द । धनभिळणो-(मुहा०) गाय, भैस आदि का धतूरो-(न०) १. एक विषैला पौधा । गर्भ धारण करना। धतूरा । २. एक लोक गीत । धनराज-(न०) कुबेर । धत्त-(अव्य०) १. दुत्कारने का शब्द । २. धनरेखा-(ना०)धन बताने वाली हस्तरेखा। दुत्कार । डाँट । फटकार । ३. हाथी को धनवंत-(वि०) धनवान । धनी । मालदार। वश में करने या चलाने के लिए उच्चा- धनवंतरी-(न०) देवताओं के वैद्य । रण किया जाने वाला शब्द । घत्त-धत्त। धनवन्तरी । धत्त-धत्त-(प्रव्य०) हाथी को बिठाने, चलाने धनवान-(वि०) धनवंत । धनी । अमीर । या वश में करने का शब्द । धनाढय। धत्ती-(वि०) दुराग्रही। धनहीन-(वि०) निर्धन । गरीब । धत्तो-(न०) १. झूठा आश्वासन । धत्ता। धनंक-(न०) धनुष । जुल । झांसा । २. धोखा । धनंजय-(न०) पांडु पुत्र अर्जुन । धधक-(ना०) १. अग्नि । २. ज्वाला । ३. धनंतर-(न०) धन्वन्तरि । (वि०) १. अग्नि की उग्रज्वाला की भड़कन । अग्नि सत्यवक्ता । प्रामाणिक । २. बहुत बड़ा का सहसा भभक उठना। ४. उग्र क्रोध । जानकार । ३. बड़ा धनवान । श्रीमंत । क्रोधाग्नि । ५. दुगंध । बदबू । धनंद-(न०) कुबेर । धधकणो-(क्रि०) १. अग्नि की ज्वाला धनान्य-(वि०)धनी । धनवान । मालदार। उठना । २. क्रोध करना। ३. बदबू धनावंशी-(न०) रामानंदी साधुओं का एक देना। भेद, जो धना भक्त की शिष्य परम्परा में धधधो-(10) 'घ' अक्षर। कहा जाता है। धन-(न०) १. द्रव्य । माल । २. संपत्ति। धनासरी-(ना०) एक रागिनी। जायदाद । ३. मूलपूजी । ४. गाय, भैंस धनिक-(वि०) १. ऋणदाता। २. धनी । प्रादि । ५. गायों का टोला । ६ घश्य । अमीर । धनवान । ७. गणित में जोड़ का (+) चिन्ह । धनिक नाम-(अव्य०) ऋणी की ओर से प्लस । ऋणदाता को लिखकर दिये जाने वाले धनक-(न०) १. स्त्रियों का एक रंगीन । ऋण पत्र (दस्तावेज, खत) में ऋणदाता प्रोढ़ना । २. धनुष । का परिचायक संकेत जो उसके नाम के धनगलो-(वि०) अपने धन का अभिमानी। पहले उसकी हैसियत के रूप में लिखा धनमदान्ध । धनांद। हुआ रहता है। ऋणपत्र में ऋणदाता धनतेरस-(न10)१. कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी। (बोहरे) के नाम का परिचय कराने वाला २. दीपावली से संबंधित कार्तिक कृष्ण एक पारिभाषिक पद । जैसे-धनिक नाम त्रयोदशी का उत्सव या त्योहार । ३. तिलोकचंद फूलचंदाणी वास जोधपुर धन की पूजा का दिन । आगे प्रासामी (ऋणी) जाट किरतो धनधान-(न०) १. धन और धान्य । २. वीरमाणी रहवासी गाम वासणी रो For Private and Personal Use Only Page #653 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ६३६ ) घमको तिण पासे गिरंता रु० १००) प्रखर धपळको-(न०) अग्नि ज्वाला। भाग की रुपिया सौ पूरा लेहणा। रुपिया किरता लपट । री छोकरी धनकी रै व्याव सारू हाथ धपाऊ-(वि०) १. अत्यधिक । खूब । काम उधारा दीना छ । तिण रो व्याज........ व्यवसाय आदि । २. भरपेट । पापमो । धनी-(वि०) धनवान । मालदार । ३. सतोष कारक । धनुख-दे० धनुष । धपाणो-(क्रि०) १. पेटभर खिलाना । धनभ्रत-दे० धनुषधारी। प्रघाना । तृप्त करना। २. हैरान करना। धनुष-(न०) १ चाप । धनुष । २. इंद्र- परेशान करना। ३. संतुष्ट करना । ४. .. धनुष । ३. चार हाथ का एक माप। खूब देना। धनुषधारी-(न०) १. श्री रामचंद्र । २. धपावणो-दे० धपायो । अर्जुन । (वि०) धनुष धारण करने धफरणो-(क्रि०) हाँफना। वाला । बाणावळी । कमनैत । धबकरणो-(क्रि०)१ धड़कना । २. धब-धब धनस-दे० धनुष । शब्द होना। धनेस-(न०) कुबेर । धनेश । धबकारो-(न०)धड़कन । धड़का । धड़को। धनो भगत-नि०) जाट जाति का एक धबड़को-(न०) घब-धब का शब्द । प्रसिद्ध भक्त । धना भक्त। धबसो-(न0) १. दोनों हथेलियों को मिला धन्न दे० धन्य । कर बनाई हुई अंजलि । धोबो। दे० धन्नासेठ-(न०) धनवान सेठ । धोबो । २. धबसो में समा जाये उतना धन्नो-(न0) जाट जाति का एक भक्त । पदार्थ । ३. अंजली। धनो भगत । (वि०)धनवाला । धनवान। धबाक-(ना०) कुदान । छलांग । फलांग । धन्य-(प्रव्य०) धन्य । शाबास । धन। धबाको-(न०) १. कूदने का शब्द । २. (वि०) १. कृतार्थ । २. प्रशंसनीय । ३. कुदान । छलांग । फलांग । भाग्यशाली । ४. पुण्यात्मा । पुण्यवान । धबोड़णो-(क्रि०) १. प्रहार करना। २. धन्यवाद-(न०)शाबासी । साधुवाद । वाह- मारना । पीटना । ठोकरयो । वाह । शुक्रिया। वबोधब-(प्रव्य०) १. ऊपरा-ऊपरी। २. धन्वदेश-(न0) मारवाड़ । मरुदेश । झटपट । शीघ्रता से। धन्वंतरी-(न०) १. देवताओं के वैद्य । २. धब्बो-(न०) १. दाग। धब्बा। बागो। मार्य चिकित्सा शास्त्र के तज्ञ एवं २. कलंक । लांछन । प्रणेता । धमक-(ना०) १. पांवों की आहट । २. धन्वी-(न०) धनुंधर। भारी वस्तु के गिरने की आवाज । ३. धपटणो-(क्रि०)१. खूब खाना या खिलाना। तोप बंदूक की आवाज । ४. वेग । २. अघा जाना'। ३. दौड़ना । भागना। जोश । ४. खोसना । लूटना। ५. मारना। धमकरणो-(क्रि०) १. अचानक आ जाना। पीटना । वेग से प्रा पहुँचना। २. धम धम शब्द पटमो-(वि०) १. अत्यधिक । खूब । २. होना । ३. ढोल आदि का बजना । पूर्ण । धपाऊ। ४. भरपेट । धपाऊ। धमकारणो-दे० धमकावणो। पापमो। धमको-दे० धमाको। For Private and Personal Use Only Page #654 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धमकावणो (१३ ) धमोळी धमकावणो-(कि०)१. धमकाना। डराना। ऊषम । शोरगुल । २. डांटना। ३. उपालंभ देना। धर्मको-(न०) १. किसी वस्तु के गिरने का धमकी-(ना०) घुड़की। धमकाने की क्रिया। शब्द । धमाका । २. भाले के प्रहार का डाँट । फटकार। शब्द । धमगजर-दे० धमजगर । धमंगळ-दे० दमंगळ । धमगज्र-दे० धमजगर । धमाको-(न०) १. एक प्रकार की छोटी धमचक-(न०) १. ऊधम । शरारत । २. बंदूक । २. बंदूक तोप आदि के दगने का शब्द । ३. किसी भारी वस्तु के गिरने उपद्रव । ३. युद्ध । लड़ाई। की आवाज। धमचाळ-(ना.) १. युद्ध । २. लड़ाई। धमागळ-(न०) १. युद्ध.। २. उपद्रव । घमचाळ । धमाधम-(न०) १. 'धम-धम' शब्द । २. धमजगर-(न०)१.युद्ध । लड़ाई । २. शोर ढोल आदि बजने का शब्द । ३. अधम । गुल । ३. उपद्रव । ४. ऊपरा-ऊपरी उत्पात । तोपों के छूटने का शब्द । (वि०) धुएं से धमाळ-(ना०)१.होली पर गाई जाने वाली भरा । धुआंधार । एक राग । धमार । २. डिंगल का एक धमजर-दे० धमजगर। छद । ३. उत्पात । शैतानी। ४. उछलधमण-(ना०) १. लुहार की पारण (भट्टी) । को फूकने का बकरी के चमड़े का बना धमासो-(न०) एक घास । एक उपकरण धमनी । धौंकनी । भाथी। धमीड़-(न) किसी भारी वस्तु के गिरने २. अग्नि । ३. ज्वाला । ४. जलन। का शब्द । २. मार । पिटाई । ३. धमरिण-(ना०) नाड़ी । नब्ज । नाड़। प्रहार । धमणी-(ना०) आग में फूंक मारने की धमीड़णो-(क्रि०) १. किसी भारी वस्तु को नली। नंगळी। गिराना। २. मारना । पीटना । ३. धमणो-(क्रि०) १. धौंकनी चलाना । प्रहार करना । धमना । धौंकना । २. प्राग को फूकना। धमीड़ा लेणो-(मुहा०)१. छाती कूटना। २. ३. मारना । पीटना । ठोकणो। दुखी होना । ३. पछतावा करना। धमधमो-दे० दमदमो। धमोड़ो-(न०) १. धमाका । दे० धमीड़। धमन-दे० धमण सं० २, ३, ४. धमेड़ो-दे० धमीड़ो। धमरोळ-(ना०) १. अधिकता । बहुतायत। धमोड़णो-दे० धमीड़यो । २. ऊधम । उपद्रव । ३. मारा-मारी। धमोड़ो-(न०) १. भाले के प्रहार का शब्द । ४. संहार । नाश । ५. खेल-कूद। २. धमाका । धमीड़ो। धमरोळणो-(क्रि०) १. हिलाना । २. धमोळी-(ना०) १. सावन-भादों की तीज प्रहार करना। ३. नाश करना। ४. तिथियों के अवसर पर स्त्रियों के द्वारा मारना पीटना। किये जाने वाले उपवास के निमित्त दूज धमळ-दे० धवळ । की पिछली रात को स्नान-पूजा करके धमस-(ना०) १. धम-धम की ध्वनि । २. भोजन करने की प्रथा । २. धमोळी का पदापात । ३. मेले या उत्सव की भीड़. विशिष्ट भोजन । ३ धमोळी के लिये भाड़ । ४. बहुत भीड़। भारी भीड़ । ५. . सबंधियों द्वारा भेजी जाने वाली मिष्ठान For Private and Personal Use Only Page #655 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घर धरमदुपार की सौगात । ४. स्त्रियों द्वारा धमोळी धरत्री-(मा०) धरित्री । पृथ्वी । भोजन करने की क्रिया । धरथंभ-(न०) १. वीर । २. राजा। धर-(ना०) १. पृथ्वी । धरा । २. संसार । घरदीवो-(न०) देश का दीपक । सुकृ ३. पर्वत । (वि०) १. धारण करने तिजन। वाला । २. रक्षक । (प्रत्य०) 'धारक' धरधी-(ना०) सीता । जानकी । धरसुता । अर्थ को व्यक्त करने वाला एक प्रत्यय । धरधूधळ-(न०) रेगिस्तान । थळ । समासान्त शब्द । यथा-गजधर । धरनी-दे० धरणी। घरणीधर आदि। धरपत-(न०) १. संतोष। तृप्ति । २. धर-करवत-(न०) ऊंट । . प्रारम्भ । शुरू । ३. धरापति । राजा। धरकार-(न०) धिक्कार । धरपति-(न०) राजा । धरापति ।। धरकोट-(न०) १. जमीन पर बना हुआ धरपाड़-(वि०) १. दूसरे की जमीन को कोट या किला । २. लकड़ी, कंटक, वृक्ष खोसने वाला । दूसरों की भूमि या प्रानि से बनाया हुअा बाड़ा। अहाता। राज्य को छीनने वाला । २. दूसरों की धरण-(ना०) १. धरणि । पृथ्वी । २. धरती में लूट-खसोट करने वाला । पात नाभि । टुडी । ३. नाभि की नस । तायी। धरणवै-(न०) धरणीपति । धरपुड़-(न०) पृथ्वीतल । घरणियो-(वि०) धरने वाला । रखने धरबरण-(न०) १. मिट्टी की छत । छत । वाला । धारण करने वाला। डागळो । २. ढेर । ३. पिटाई । धरणी-(ना०)१.धरती। जमीन । २.संसार । धरबरणो-(क्रि०) १. धरबरण बनाना। २. भूमण्डल । ठोंकना। पीटना । ३. पटकना । ४. धरणीधर-(न०) १. शेषनाग । २. पर्वत । ढेर लगाना । ३. विष्णु । ४. कच्छप । ५. मारवाड़ की धरम-दे० धर्म । सीमा पर उत्तर गुजरात के ढेमा गांव में धरम-करम-दे० धर्म-कर्म । प्राया हुआ एक प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ- धरमकाम-दे० धर्म काम । स्थान । (इसका प्राचीन नाम वाराहपुरी धरम करणो-(मुहा०) १. पुण्य का काम भी कहा जाता है। पैदल द्वारिका की करना । २. दान देना। यात्रा करने वाले उत्तर भारत के यात्रियों धरमखाते-(अव्य०) पुण्यार्थ । को धरणीधर की यात्रा भी करना जरूरी धर मजला धर कूचा-(अव्य०) राजस्थानी . समझा जाता था)। · कहानियों में यात्रा (प्रायः सामूहिक धरणो-(क्रि०) १. रखना । २. पकड़ना। • कूच) के प्रसंग में बातपोश के द्वारा कहा ३. संग्रह करना। ४. छोड़ना । ५. जाने वाला एक संपुट (कथन)। पड़ावनिश्चय करना । मन में विचार करना। दर-पड़ाव । ६. स्थिर करना । (न०) १. किसी के धरमजुध-(न0) कपट रहित और नियम. द्वारा मांग पूरी न होने पर उसके यहाँ पूर्वक किया जाने वाला युद्ध । वह युद्ध कर बैठना । तागो। २. अनशन । जिसमें किसी प्रकार के नियम का धरती-(ना०) १. धरणी। जमीन । २. उल्लंघन नहीं हो। धर्मयुद्ध । संसार । ३. राज्य । ४. देश । घरमदुपार-दे० धर्म द्वार। For Private and Personal Use Only Page #656 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धरमधक्को ( ६३९) धरसूडो धरमधक्को-(न०) १. धर्म की सौगंद का घरमातमा-(वि०) धर्मनिष्ठ । धर्मात्मा। विश्वास दिला कर नट जाना। झांसा। धरमादा खातो-(10) कारोबार में जुल । धोखा । धर्मधक्का । २. अपना पुण्यार्थ निकाली जाने वाली रकमों का बचाव करने के लिये कही गई झूठी बात खाता । ३. मिस । बहाना । ४. व्यर्थ का फेरा। धरमादेखाते-(प्रव्य०) पुण्यार्थ । धर्मधक्का । ५. धर्म के कारण होने धरमादो-(न०) धर्मार्थ निकाला हुआ धन । वाला कष्ट। दान । धरमधज-(न०) १. धर्मध्वज । पाखंडी। धरमाधरमी-(प्रव्य०) १. धर्म की सौगंद २. धर्माचार्य । से । २. धर्म-अधर्म का विचार करके । धरमधरा-(ना०) भारतवर्ष । धर्मधरा। धरमारथ-(न0) १. धर्म और अर्थ । २. धरमधुज-दे० धरमघज । धर्म और परोपकार का काम । धर्मार्थ । धरमधुरधर-(वि०) १. धर्म की धुरा (अन्य०) धर्म और परोपकार के लिये । को धारण करने वाला । २. सबसे बड़ा धरमार्थ-दे० धरमारथ । धर्मज्ञ। धरमी-(वि०) १. धर्मात्मा । धर्मी । धरमपुरो-(न०) वह स्थान जहां गरीबों धर्मिष्ठ । २. अमुक धर्म या गुण वाला। को खाना दिया जाता है। ३. धर्म करने वाला । ४. धर्म का धरमबहन-(ना०) वह स्त्री जिसके हाथ में अनुयायी । ५. कर्तव्य पालक । (न०) धर्म की साक्षी से धर्म सूत्र बांध कर धार्मिक व्यक्ति । बहिन का संबंध स्थापित किया गया धरमूळ-(अव्य०) आदि से। प्रारंभ से । हो। (न०) प्रारंभ । शुरू । जड़मूल । घरमभाई-(न०) वह व्यक्ति जिसके हथ में धरमेला-(न०)भाई-भाई, बाप बेटी या धर्म की साक्षी से धर्म सूत्र बाँध कर बहन भाई का वह संबंध जो (रक्तभाई का संबंध स्थापित किया गया हो। वंश का न होकर) धर्म की साक्षी द्वारा धरमभिष्ट-दे० धर्मभ्रष्ट । स्थापित किया गया हो । धर्म संबध । धरमराज-दे० धर्मराज । धरवजर-(न0) इंद्र । वज्रधर । धरमलाभ-(अव्य०) वंदना करने पर जैन- धरवै-(न०) धरापति । पृथ्वीपति । साधु द्वारा दिया जाने वाला (धर्म का राजा । लाभ हो इस अर्थ को सूचित करने धरसण-(वि०) व्यभिचारिणी । कुलटा । वाला) आशीर्वाद। धरसंडो-(न०) १. बिना जुती हुई बैलधरम सरूपी-(अन्य०) १. धर्म से । २. गाड़ी के आगे के भाग को जमीन से धर्म के अनुसार । ३.धर्म की सौगध से। ऊंचा रखने के लिये उस (आगे के भाग) धर्मस्वरूप मानकर। में नीचे की ओर लगा हुआ डंडा । २. धरमसाला-(ना०) यात्रियों के ठहरने के बैलगाड़ी के आगे का लंबा लकड़ा । लिये धर्मार्थ बनवाया हुमा मकान । चोंच । ऊंटड़ो। धर्मशाला । सराय। धर-सधर-(न०) पर्वत। धरमंडण-(न०) १. वर्षा । २. बादल। धरसुता-(ना०) सीता। जानकी । ३. इन्द्र । ४. राजा। धरसूडो-दे० धरसंडो। For Private and Personal Use Only Page #657 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घरहरणो ( ६४० ) धर्म भाई धरहरणो-(क्रि०) १. धड़ धड़ शब्द होना। धरो-(न०) १. पेट भर खाने का भाव । धड़धड़ाना। २. जोर की वर्षा होना। अधाव । तृप्ति । २. संतोष । सन। ३. गर्जन होना । गरजना। धरोड़-(ना०) धरोहर । थाती। धरहूंडो-दे० धरसंडो। धर्ता-(वि०) धारण करने वाला। धरा-(ना०) १. पृथ्वी। २. देश । ३. धर्म-(10) १. वेद विहित कर्म । २. राज्य । ४. संसार । लौकिक, सामाजिक और धार्मिक कर्तव्य । घराऊ-(न०) उत्तर दिशा। ३. गुण, लक्षण, कर्तव्य, नीति, सदा. घराणो-(क्रि०) १. रखवाना । २. थमाना। चार और जन्म मरण एवं ईश्वरादि (10) १. लेनदार का तकाजा या सख्ती। गूढ़ तत्वों की विचारधाराओं का परम्पतलब । २. कर्ज । ऋण । देनदारी। धरातळ-(न०) पृथ्वीतल । सपाटी।। रागत संप्रदाय । ४. दान-पुण्य । ५. कर्तव्य । ६. पंथ । मत । मजहब । ७. घराधर-(न०) १. शेषनाग । २. पर्वत । नीति । ८. ऋषियों अथवा शास्त्र ग्रंथों ३. कच्छप । ४. विष्णु । घराधव-(न०) राजा। द्वारा प्रतिपादित ईश्वर, जीव, जीवन, धराधिनाथ-(न0) राजा । लोक-परलोक इत्यादि से संबद्ध दर्शन धराधिप-(न०) राजा । एवं प्राचार-संहिता। धराधीश-(न०) राजा। धर्मकथा-(ना.) धर्म का बोध कराने धरापूर-(वि०) शुरू से आखिर तक । वाली कथा । धार्मिक कथा । धर्म-कर्म-(10) १. वह कर्म जिसका संपूर्ण । पूरा। करना धर्मग्रंथों में आवश्यक कहा गया धराभुंज-(न०) पृथ्वी को भोगने वाला । हो । २. शास्त्रों द्वारा प्रतिपादित कर्म राजा। विधान । ३. धर्म और कर्म । ४. धराळ-(न०)जुए की ओर बैलगाड़ी में अधिक भार के कारण होने वाला मुकाव ।। धार्मिक कृत्य । ५. धर्मपूर्वक की गई प्रतिज्ञा । ६. धर्मयुक्त काम। बैलगाड़ी में आगे की ओर होने वाला भुकाव । 'उलाळ' का उलटा । २. पृथ्वी धर्म काम-(न०) पुण्य काम । भलाई का तल । ३. प्राणी । जीवधारी। काम। धराव-(न०) १. गाय, भैंस प्रादि पश। धर्म चर्चा-(ना०) धर्म संबंधी बातचीत । २. पशुधन । धार्मिक चर्चा। धरावरणो-(क्रि०) दे० धराणो। धर्मद्वार-(न०) १. स्वर्ग । धर्मद्वार । २. धराविधू सण-(ना०) तलवार । (वि०) सत्संग । ३. शरण । पाश्रय । १. संसार का नाश करने वाला । २. धर्मध्वज-दे० धरमधुज । देश द्रोही । ३. लुटेरा।। धर्मपत्नी-(ना०) शास्त्रविधि से बनी हुई धरावै-(न०) धरापति । राजा।। पत्नी । विवाहित पत्नी। धराशायी-(वि०) १. धरती पर सोया धर्म पिता-(न०) पालक पिता। ___ या गिरा हुआ । २. युद्ध में मारा गया। धर्मपुत्र-(न०) १. युधिष्ठिर । २. गोद धरू-(न०) ध्रव । लिया हुआ लड़का। धरूंडो-दे० धरसूडो। ___धर्म भाई-/न०) धर्म की साक्षी से माना धरेस-(न०) राजा । घरेश ।। हुआ भाई । For Private and Personal Use Only Page #658 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धर्मभ्रष्ट ( १४१ ) पसलो धर्मभ्रष्ट-(वि०) धर्म से पतित । धव-(न०)१. पति । स्वामी । २. धव वृक्ष । धर्मयुद्ध-दे० धरमजुध । धावड़ो। धर्मराज-(न०) १. यमराज । २. युधिष्ठिर। धवडाणो-दे० धवड़ावणो । ३.वह राज्य जिसमें सर्वत्र धर्म का पालन धवड़ावरणो-(क्रि०) स्तनपान कराना। होता हो । ४. प्रामाणिक राज्य । धवड़ी-(ना०) १. पत्नी। २. वीरांगना । धर्मराज्य । धवराड़णो-दे० धवाड़णो। धर्मलाभ-(न०) श्रावक के वंदना करने पर । धवळ-(न०) १. बैळ । २. हंस । ३. घर । जैन साधु की ओर से दिया जाने वाला महल । ४.एक डिंगल छंद । ५. स्वागत । आशीर्वाद । सम्मान । ६.मंगलगीत । ७.एक रागिनी । धर्मवीर-(न०) धर्म के लिये प्राण न्यो- (वि०) १. धवल । श्वेत । घोळो । २. छावर करने वाला वीर पुरुष । शहीद । उज्वल । ऊजळो । । ३.सुन्दर । ४.वीर । धर्मशाला-दे० धरमसाळा । धवळगिर-(वि०) १. हिमालय पर्वत । २. धर्मशास्त्र-(न०) १. धर्म का ज्ञान कराने कैलाश पर्वत । ३. मारवाड़ में जसवंतपुरा वाला शास्त्र । २. धर्म विशेष के प्रमाण के पहाड़ का एक नाम । सूदो भाखर । ग्रंथ । ३. वह मथ जिसमें समाज के धवळ मंगळ-(न०) १. मांगलिक अवसरों शासन के लिये नीति तथा सदाचार से संबंधित गीत । मांगलिक गीत । २. संबंधी नियम लिखे हुये हों। ४. किसी उत्सव । समारोह। ३. देवालयों में की धर्म विशेष की निजी विधि । ५. धर्म जाने वाली प्रातःकाल की प्रारती । मंगल या संप्रदाय के सिद्धान्तों, क्रिया-काण्डों आरती । ४. मंगल आरती के समय गाये इत्यादि के ग्रोथ । ६.वेद, पुराण इत्यादि। जाने वाले पद या भजन । धर्मसंकट-(न०) वह कठिन प्रसंग जिसमें धवळहर-(न०) १. मकान । महल । धर्म अधर्म की सूझ न पड़े । २. ऐसी प्रासाद । धवलगृह । २. ऊंचा और श्वेत स्थिति जिसमें दोनों पक्ष संकट का महल । धौळहर । अनुभव करें। धवळंग-(न०) १. हस । २.भवन । महल । धर्माचार्य-(न०) १. धर्मगुरु । २. संप्रदाय प्रासाद । का आचार्य । धवळा-(ना०) १. पार्वती। २. देवी। धर्मात्मा-(वि०) धर्मनिष्ठ । धर्मानुसार महामाया । शक्ति । ३. गाय । ४. श्वेत आचरण करने वाला । २. पुण्यवान ।। गाय । धोळी । धर्मादो-(न०) दान । घरमादो। धवळागिर-दे० धवळगिर । धर्मानुकूल-(वि०) धर्म सम्मत । धवळो-(न०) बैल । बळद । (वि०) धौला। धर्मार्थ-दे० घरमारथ । ___ सफेद । धोळो। धर्मिष्ठ-(वि०) धर्मानुसार प्राचरण करने धवा-(ना०) देवी । शक्ति । वाला। धवाड़णो-(क्रि०) स्तनपान कराना । धर्मी-(वि०) धर्मिष्ठ । विशिष्ट गुण-धर्म से धवाणो-दे० धवाड़णो । युक्त। धवावरणो-दे० धवाड़णो। धरयाँ-(अव्य०) धरने से । रखने से। रखने धसकणो-(क्रि०) १. धंसना । २ दहलना। पर। धसणो-(क्रि०) १. भीड़ में घुसना । बलात् For Private and Personal Use Only Page #659 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धसमसणो ( ६४२ ) धागड़ो घुसना। २. पैठना। प्रवेश करना । ३. धंधोळपो-दे० धंधूणणो । गड़ना । धंसना । भीतर घुसना। धंस-(न०) १. नाश । ध्वंस । २ युद्ध । ३. धसमसणो-(क्रि०) १. ऊँचा-नीचा होना। सेना । २. डोलना। धंसपो-(क्रि०)१. ध्वंस होना । नष्ट होना। धसळ-(ना०) १. युद्ध । २. सेना के चलने २. ध्वंस करना। नाश करना। ३. की आहट । ३. अाक्रमण । ४. रोब । गड़ना। भीतर घुसना । चुभना । ४. धाक । आतंक । ५. मस्ती। ६. डाँट । प्रवेश करना । पैठना। धमकी। ७. फूहड़पना । भद्दापना । ८. धंसथळ-(न0)१. ध्वंस स्थल । खंडहर । २. धक्का । युद्धभूमि । ३. छावनी । धसळक-(वि०) १. फूहड़पन । बेशऊरी। धंसाणो-(क्रि०) १. ध्वंस करना। नष्ट २. फूहड़ । बेढंगी (चाल)। ३. धीमी। करना। २. प्रवेश करना। पैठाना । ३. (चाल । गति) ४. फिसलने की क्रिया। गड़ाना । चुभाना । ५. आक्रमण । धंसावरणो-दे० धंसायो।। धसारो-(न०) १. भीड़भाड़। २. धक्का। धा-(ना०) १. माता । जननी । २. बच्चे हमला। भीड़ का धक्का । ३. हल्ला। को दूध पिलाने और उसकी देख-रेख करने शोर । ४. अधिकता। वाली स्त्री । धाय । धात्री। ३.सरस्वती। धंक-(न०) १. क्रोध । २. पराक्रम । ३. ४. पार्वती । ५. पृथ्वी । (अव्य०) ओर । तरफ । (प्रत्य०) प्रकार । तरह । इच्छा । ४. निश्चय । ५. धक्का । टक्कर । ६. भय । डर । धाउकार-(न०) १. मरण । मृत्यु । २. धंख-(न०)१. ईर्ष्या । २. द्वेष । ३. शत्रुता ।। मृत्यु-रुदन । ३. मृत्युसंदेश । पटकी । ४. क्रोध । धाउकार पड़ियो-(मुहा०) 'मृत्यु हो जाय' धंतरजी-(न०)१. बहुत बड़ा विद्वान पुरुष। या 'मृत्यु होगई' इस आशय की अशुभ २. जवरदस्त व्यक्ति । ( व्यंग्य में ) ३. वाणी या गाली। धन्वन्तरि । धाक-(ना०) १. डर । भय । २. अंकुश । धंध-(न०) १. द्वन्द्व । उपद्रव । २ बिगाड़। ३. अातंक । रोब । ४. प्रभाव । नाश। ३. धुंधलापन । ४. अंधकार । धाकल-दे० दाकल । ५. कुहरा। धाकलगो-(क्रि०) १. डराना । धमकाना । धंधारथी-(वि०) धंधे में लगा रहने वाला। डाँटना। २. धाकल करके ऊंट, बैल आदि धंधे वाला। को चलाना । हाँकना । धंधारथू-दे० धंधारथी। धाका-धीको-(न०) ज्यों-त्यों करके किया धंधाळो-(वि०) धंधे वाला। जाने वाला गुजारा। धंधूणणो-(क्रि०) हिलाना । डुलाना। धाको-(न०)१. धाक । डर । २. प्राक्रमण । ___ कंपाना । हिलारणो। धंधोळणो। ३. गुजारा । निर्वाह । धंधो-(न०) १ उद्यम । रोजगार । धंधा। धागड़ियो-(न०) १. लुटेरा । २. ठग । काम । २. व्यापार । ३. प्रपंन । धून । दे० दागड़ियो सं० १ धंधो-रोजगार-(न०) १. धंधा और रोज- धागड़ो--(न०) १. समूह । मुड । २. लूटेरों गार । २. कामकाज । का समूह । ४.ध्वंस । नाश। For Private and Personal Use Only Page #660 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धागो ( ६४३ ) धाधड़ो धागो-(न०) १. जनेऊ। यज्ञोपवीत । २. धाड़ो-(न०)१ लूट । डाका । २. अाक्रमण । डोरा । डोरो । तागा । तंतु । ३. क्रम। हमला। ३. बेची जाने वाली वस्तु का सिलसिला। गाहक को तोल में कम देना। बाजार धाट-(न0) मारवाड़ के मालानी प्रदेश का भाव से अधिक मूल्य लेना अथवा अच्छी एक पश्चिमी भाग जो अब पश्चिमी वस्तु की बजाय खराब वस्तु देना । ठगी। पाकिस्तान के सिंध प्रान्त का एक भाग ठगाई। लुटेरापन । २. चोर बाजारी । बना हुआ है। राजस्थान के बाड़मेर लूट। जिले की पश्चिमी सीमा पार का थर- धारणको-(न०)१.धाणका जाति का व्यक्ति । पारकर जिला, जो पाकिस्तान में सामिल २. एक जंगली जाति का व्यक्ति । ३. कर लिया गया है। थर-पारकर । महतर । ४. एक गाली। सोढारण । ढाट । धारणंख-दे० धानंख । धाटी-(वि०) धाट (थर-पारकर) प्रदेश का धाणा-नि0) धनिया। धाना । निवासी। घाट देशवासी। २. घाट धारणी-(ना०) भूजा हुआ गेंहू आदि धान्य । संबंधी । धाट देश का । ढाटी। खील । लाजा। फली। धाटेची-(वि०) १. धाट देश का रहने धाणी करणो-(मुहा०) १. भूनना। २. वाला। २. धाट देश संबंधी। धाट देश नाश करना । का । घाटी । ढाटी। धारणो-दे० धावणो। धाटो-(न०) सिर पर शस्त्र की चोट से धात-(ना०) १. वीर्य । धातु । दे० धातु बचने के लिये बाँधने का मोटा साफा। सं० (२, ३) २. पीटने से ट्रकड़े नहीं हो दे० ढाटो । २. साफा । फटो। जाने वाले सोना, चाँदी आदि खनिज धाड़-(ना०) १. पुकार । २. रुदन । पदार्थ । दे० धातु । ३. लूटखसोट । डाका । ४. विपत्ति। धाता-(न0) विधाता । ब्रह्मा । सृजनहार । संकट । ५. भय । डर । ६. लुटेरों का धात-(ना०) १. क्रिया का मूल रूप समूह । ७. डकैत। (व्याकरण)। २. विभिन्न प्रकार के वे धाड़पाड़-दे० धाडफाड़। खनिज द्रव्य जो अपारदर्शक होते हैं, धाड़पाडू-(न०) लुटेरा । डाकू । धाड़ती। शोधन करने पर जिनमें चमक प्रकट होती धाडफाड़-(वि०) १. निडर । २. साहसी । है और जिनको ताप देकर और पीटकर ३. धाड़ पाडुओं को भगाने अथवा मारने गहने, बरतन और शस्त्र आदि बनाये वाला। जाते हैं। ( सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा, धाड़वी-(न०) लुटेरा । डाकू। धाड़ायत । राँगा, शीशा और जस्ता-ये सात मुख्य घाड़ेती। धातुएँ हैं ) खनिज द्रव्य । ३. शरीर को धाड़ायत-(न०) लुटेरा। धाड़ेती। बनाये रखने वाले रस, रक्त, मांस, मेद, धाडायती-दे० धाड़ायत । मज्जा, अस्थि और शुक्र-ये सात द्रव्य धाड़ी-दे० धाड़ेती। अथवा इनमें से प्रत्येक । ४. शुक्र । वीर्य । धाडेती-(न०) १. लुटेरा। २. चोर बाजारी धाधड़ो-(न०) एक प्रकार की खड़िया । करने वाला । धाड़ायती। . खड्डी । धडपड़ो। २. कलह । झगड़ा। For Private and Personal Use Only Page #661 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पारण धा-धा । ६४) धा-धा-(अनु०) १. ढोल नगाड़े प्रादि की पूर्व में जगदीश । ३. दक्षिण में रामेश्वर ध्वनि । २. मार-पीट। और ४. पश्चिम में द्वारिका। धान-(न०) धान्य । अनाज । धामण-(न०) १. एक प्रकार की घास । धानंक-(न०) धनुष । २. एक जाति का सर्प । ३. एक वृक्ष । धानकधारी-(न०) धनुषधारी । धामधूम - (न०) १. उत्सव । समारोह । धानंकी-(न०) धनुषधारी। २. पानंद-उत्सव की तैयारी । ३. उमंग । धानंख-(न०) धनुष । उत्साह । ४. शोरगुल । हो हल्ला । धानंखी-दे० धानंकी। धामा-दे० धामो सं०२:३. धानखी फूल-(न0) कामदेव । धामाजागर-दे० धमजगर । धानंतर-दे० धनंतर । धामीणी-(ना०) १. गाय । २. कन्या दान धाप-(ना०) तृप्ति । संतोष । के समय कन्या को दान में दी हुई गाय । धापड़-दे० दाफड़। ३. प्रथम गौना के समय दहेज के साथ धापणो-(क्रि०) १. भोजन से पेट भर दी जाने वाली गाय । जाना । अघाना। २. पन भर जाना। धामो-(न०) १. एक पात्र । २. किसी के तृप्त होना। मन के उपरान्त उसके यहाँ टिके रहना । धापतो-(वि०) १. सुखी । २. सम्पन्न। ३. लबे समय तक पड़ाव डाले रहना । ३. तृप्त । ४. अभिमानी। धाय-(ना०) १. माता। २. बच्चे को दूध पिलाने व उसकी देख भाल करने वाली धापमो-(वि०) १. जितने से पेट भर स्त्री। ३. दफा । मरतबा। बार । जाय। जितना खाया जा सके । २. (वि०) समान । बराबर । (प्रव्य०) दे० जितने से संतोष हो जाय । ३. चाहिये धाये। जितना । ४. जितना किया जा सके। धाये-(अव्य०) ओर । दिशा । तरफ । धापियोड़ो-(वि०) १. अघाया हुआ । धायो-(वि०) तृप्त । धापा हुआ। २. संपन्न । धायोड़ो-(वि०) १. स्तनपान किया हुप्रा । धापो-(न०) १. तृप्ति । तुष्टि । २. २. तृप्त । ३. मस्त । रिश्वत । घूस । धार-(ना०) १. तलवार आदि शस्त्र का धाबळियाळ-(ना०) करनी देवी। तीक्ष्ण किनारा । २. किसी तरल पदार्थ धाबळियो-(ना०) १. स्त्रियों का ऊनी के बहने या गिरने का क्रम । ३. पानी प्रोढ़ना । २. ऊनी घाघरा। की धारा । प्रवाह । ४. बाढ़ । ५. धाबळो-(न०) १. ऊनी ओढ़ना व घाघरा।। किनारा । छोर । ६. रेखा । ७. युद्ध । २. मोटे वस्त्र का घाघरा । ३. कंबल । ८. तलवार । ६. प्रकार । भांति ।। (ना० घाबळी) । धारण-(ना०) १. तक (सराजू) के पलड़े धा-भाई-(न०) दूध भाई । में समा सके या तोला जा सके उतना धाम-(न०) १. तीर्थ स्थान । २. देवालय । नाज, गुड़, खांड़, आदि पदार्थ । २. देवमंदिर । ३. चारों दिशाओं में स्था. पलड़े में नाज आदि भर कर तोलने की पित हिन्दू धर्म के चार बड़े तीर्थ-स्थान । क्रिया । ३. किसी वस्तु की राशि को यथा-१. उत्तर में बदरी-केदार । २. अमुक परिमाण (पंसेरी, दसेरी प्रादि For Private and Personal Use Only Page #662 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धारणा ( ६४५ ) धावड़े कोई बटखरा) में अनेक बार तोले जाने धाराळी-(ना०) १. तलवार। २. कटारी। का क्रम। ४. तराजू का पलड़ा। ५. ३. बरछी। धारण करने की क्रिया । पकड़ । धाराहर-(न०) १. मेघ । २. वर्षा । ३. ग्रहण । ६. किसी वस्तु की राशि को तलवार । तोलने की अनेक इकाइयों में से धाराँ-वाह-(न०) १. तलवारों के प्रहार । तकड़ी में एक बार तोलने का क्रम । २. रणभूमि में लगे शस्त्रों के प्रहार । धारणा-(ना०) १. कल्पना । अनुमान । धारियाँ-दे० धारयाँ । २. मनसूबा । ३. निश्चय । ४. स्मरण- धारियो-(न०) एक शस्त्र । शक्ति । ५. स्मृति । ६. मन की एकाग्र धारियोड़ो-(वि०) १. विचारा हुआ । २. वृत्ति । ७.निश्चित विचार । ८. विचार। निश्चय किया हुआ। ६. स्थिति। धारी-(ना०) १. किनारी। २. रेखा । धारगो-(क्रि०) १. मानना । समझना । (प्रत्य०) 'धारण करने वाला' अर्थ में २. धारण करना। ३. इच्छा करना । प्रयुक्त होने वाला एक प्रत्यय जो शब्द ४. निश्चय करना । ५. कल्पना करना । के अंत में लगता है। जैसे-भेखधारी । ६. अनुमान करना । ७. रखना । स्थिर धारीधर-(न०) पर्वत ।। करना । ठहरना । ८. सौंपना । धारूजळ-(ना०) तलवार । धारा-(ना०) १. युद्ध । २. तलवार । ३. धारेचो-(न०) १. विधवा स्त्री का नियम खङ्गधार । ४. सेना । ५. प्रवाह । पूर्वक किसी पुरुष को अपना पति मान धारा । ६. वर्षा । ७. दफा । धारा ।। कर उसके घर में रहने की स्थिति । २. नियम । पत्नी की भांति किसी अन्य पुरुष के घर धारा करवत-(न०) काशी में करोत लेने में रहने की क्रिया । ३. पति को छोड़कर का कठिन व्रत । अन्य पुरुष के घर में पत्नी रूप से रहना। धाराकरोत-दे० धारा करवत । धारो-(ना०) १. रिवाज । प्रथा। रीति । धारागळ-(वि०) बहुत बड़ा (मकान)। २. नियम । धारा। धारा तीरथ-दे० धारातीर्थ । धारोळो-(न०) १. जोर से वर्षा होने का धारातीर्थ-(न०) १. युद्ध । संग्राम । २. झपाटा। वर्षा वेग । २. बादलों में से युद्धभूमि । ३. देश और धर्म के लिये धुध के रूप में पृथ्वी को स्पर्श करती बलिदान होने की पुण्यभूमि । ४. युद्ध- हुई दिखाई देने वाली वर्षा की धारामृत्यु । वीर मृत्यु । वीरगति । वली । धारावली। धाराधर-(न०) बादल । मेघ । धारचाँ-(अव्य०) धारण करने से । धारण धाराधाम-(न०) १. युद्ध में प्राप्त वीर करने पर । गति । २. धारा तीर्थ । धाव-(न०) १. विचार । २. निश्चय । ३. धाराधिनाथ-(न०) १. युद्ध विशेषज्ञ । २. आक्रमण । हमला। ४. गति । चाल । युद्ध विजेता । ३. राजा । दौड़-भाग । ५. पशु-चौपाया। धारामीत-(ना०) द्वारका । द्वारामति । धावड़-(न०) १. अाक्रमण । २. थाहर । धाराळ-(न०) १. तलवार । २. कटारी। पीछा । ३. स्तनपान करने की इच्छा । ३. भाला । (वि०) वीर । ४. स्तनपान कराने वाली (पत्नी) का For Private and Personal Use Only Page #663 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धावड़राय धियारी पति । धाय का पति । ५. स्तनपान धाँगड़ी-(ना०) १. बैलगाड़ी का एक उप कराने वाली धाय । ६. स्तनपान करने करण । २. किंवाड़ की मजबूती के लिए वाला बच्चा । (वि०) १. अाक्रमण करने उसके पीछे लगा रहने वाला डंडा।। वाला । अाक्रमणकारी । २. पीछा करने धांधळ-(ना०) १. हड़बड़ी। व्यग्रता । २. वाला । वाहरू। अंधेर । मनमानी । ४. रौला। बलवा । धावड़धाय-(ना०) १. स्तनपान कराने फसाद । ५. उत्पात । उपद्रव । ६. वाली बड़ी धाय । २. बड़ी धाय । जबरदस्ती अपनी गलत बातें आगे धावड़ो-(न०) धव वृक्ष । (वि०) धव वृक्ष रखना । ७. राठौड़ों की एक शाखा । का। धव से संबंधित । धाँधळी-दे० धांधळ सं १ से ६ धावड़ो-गूद-(न०) धव वृक्ष का गोंद। धांधस्त-(न०) ध्वंस । धावणियो-(वि०)१. स्तनपान करनेवाला। धांस-(ना०) १. आभूषणों में लगी रहने २. भागने वाला । ३. वाहर करने वाली कील । २. कील । मेख । ३. वाला । पीछा करने वाला। (न०) १. खाँसी । धाँसी । ४. ध्वंश । स्तनपान करने वाला बच्चा। २. दूत। धाँसगो-(क्रि०) खाँसना। धावक । धाँसी-(ना०) सूखी खाँसी। धावरणो-(क्रि०) १. स्तनपान करना। २. धाँसो-(न0) भाला। दौड़ना । भागना । ३. बहना । ४. ध्यान धाँह-दे० धाँस ।। करना। धिक-(अव्य०) धिक्कार सूचक उद्गार । धावना-(ना०) १. भक्ति । ध्यावना। २. धिग। सुमिरण । ध्यान । धिकरणो-दे० धकणो। धावो-(न०) आक्रमण । चढ़ाई। हमला। धिकारणो-(क्रि०) १. निभाना । चलाना । निभाना धासक-(ना०) डर । भय । दहशत । २. निर्वाह करना। धास्ती -(ना०) डर । दहशत । भय। धिक्कार-(न०) फटकार । लानत । धाह-(ना०) चिल्ला कर रोना । धाड़। तिरस्कार । धिक्कार । धाइड-(न०) १. पुकार । कूक । २. रोना। धिकारपो-(क्रि०) फटकारना। धिक्कारना। चिल्लाना। धिखणो-(कि०) १. कोप करना । २. युद्ध धाहड़ी-(ना०) १. चिल्लाकर किया जाने वाला रुदन । ऋदन । २. शीघ्रता __ करना । ३. भिड़ना। ४. प्रज्वलित (भागने की)। होना । जलना । धुखना। धिग-दे० धिक। धाहवू-(वि०) १. धावक । २. पीछा करने धिन-दे० धन्य। वाला। धिनवाद-दे० धन्यवाद । धाँ-(ना०) १. तरह । प्रकार । २. दे० धिनो-दे० धन्य । धाँस । धाँग-(ना०) नाज आदि से भरे थैलों का धिन्नड़-दे० धेनड़। करीने से लगाया हुमा ढेर। राशि। धिया-(ना०) पुत्री। बेटी। करीने से रखी हुई भरे हए थलों की धियाग-(ना०) १. अग्नि । प्राग । २. राशि । ज्वाला । ३. क्रोधाग्नि । ४. आकाश । धाँगड़-(वि०) जंगली । मनार्य । धियारी-(ना०) पुत्री। बेटी। For Private and Personal Use Only Page #664 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धीर धियो । ६४७ ) धियो-(न0) पुत्र । बेटा। धीठो-दे० धीट । धिरकार-दे० धिक्कार । धी-(ना०) ऊन या जट का मोटा धागा। धिरगार-दे० धिक्कार । धोरणू-दे० धीणो। धिराज-(न0) अधिराज । राजा। धोणो-(न०)१. दुधारू गाय, भैंस आदि का धिरोज-(न०) १. संतोष । सब्र । २. घर में होना। घर में गाय, भैस आदि धीरज । दुधारू पशुप्रों के होने की स्थिति । २. धिसणा-(ना०) बुद्धि । किसी व्यक्ति के यहाँ वर्तमान में दूध देने धी-(ना.) १. बेटी । पुत्री। २. बुद्धि । ३. वाले गाय, भैंस आदि की सज्ञा। दीपक । ४. मन ।। धीणोधापो-(न०) १. दूध, दही और घृत धीग्रड़-(ना०) पुत्री । बेटी । डोकरी। आदि के लिए गाय, भैस आदि का और धीक-(ना०) १. धूसा मारने की चोट । अन्न का पूर्ण संग्रह । २. दुधारू गाय भैस मुष्टि प्रहार । २. घूसा मारने की की अधिक संख्या में अवस्थिति । आवाज । ३. घूसा। धीकरणो-(क्रि०) मारना । ठोंकना। धीप-(न0) दामाद । जमाई । धीपति-दे० धीप। धोज-(ना०) १. विश्वास । २. प्रतिज्ञा । ३. संतोष । ४. धीरज । धैर्य । ५. सच्चे धीव-(ना०) १. प्रहार । २. धीबने की ध्वनि । और झूठे की परीक्षा की एक प्राचीन न्याय विधि । ६. बहुत कड़ी परीक्षा । धीबगो-(क्रि०) १. मारना । पीटना । २. अग्नि, तप्त तेल आदि से अपराधियों की __ पटकना । ३. पछाड़ना । ४. प्रहार करना । ठोकरणो। ली जाने वाली प्राचीन काल की परीक्षा धीमर-(न0) धीवर । माछी। विधि । धीजणो-(क्रि०) १. धीरज होना। २. धीमंत-(वि०) बुद्धिमान । आश्वस्त होना । ३. भरोसा होना । ४. धीमाई-(ना०) १. धीमापन । मंदता । २. भरोसा करना । ५. भरोसा दिलाना। धैर्य । ३. गम्भीरता । ६. विश्वास करना। धीमास-दे० धीमाई। धीजो-(न०) १. विश्वास । भरोसा। २. धीमै-(अव्य०) धीमाई से । धीरे से । धीरज । धैर्य । __ आहिस्ता । धीरे। धीट-(वि०) १. मूर्ख । २. ढीठ । धृष्ट । धीमो-(वि०) १. प्रालसी । २. शांत प्रकृति उदंड । ३. लज्जा रहित । निर्लज्ज । का। ३. मंद । शिथिल । ४. धीरे । ४. दोष प्रमाणित होने पर भी लज्जित धीमा। ५. धीरे चलने वाला। (ना. नहीं होने वाला । ५. डोंग हाँकने वाला। धीमी । गप्पी । ६. वीर । ७. हठी । जिद्दी। धीय-(ना०) पुत्री । दीकरी । धीटो-दे० धीट । धीयड़-(ना०) पुत्री । बेटी। धीठ-दे० धीट । धीयारी-दे० धियारी। धीठाई-(ना०) १. मूर्खता । २. धृष्टता। धीयो-दे० धियो । धीठता । निलंज्जता । ४. जिद । हठ। धीर-(वि०) १. स्थिर चित्त । धैर्यवान । ५. वीरता। २. दृढ़ । ३. गभीर । ४. नम्र । १. For Private and Personal Use Only Page #665 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धौरजवाने ( ६४८ ) धुखण धीमा । (न०) १. संतोष । २. धैर्य । ३. धीह-(ना०) १. पुत्री। धी। २. नगाड़े का सूर्य । ४. एक नायक । (साहित्य) . शब्द । ३. चिल्लाहट । धीरजवान-(वि०) १. धीरज वाला । धींक-दे० धीक । धैर्यवान् । २. संतोषवाला। धींग-(वि०)१. वीर । बहादुर । जबरदस्त । धीरट-नि०) हंस । २. हृष्ट पुष्ट । मोटा-ताजा । धीरणो-(क्रि०) १. उधार देना । कर्ज धींगड़-दे० धींग ।। देना। २. कृषक को कृषि के निमित्त धींगड़मल-(न०) वीर पुरुष । कर्ज देना । ३. विश्वास करना । भरोसा धींगलो-(न०)मेवाड़ और मारवाड़ में किसी रखना । ४. पाश्वासन देना। समय प्रचलित तांबे का एक छोटा धीरत-(न०) १. हंस । २. धीरज । सिक्का। धीरता-(ना०) १. धैर्य । धीरज । २. धागाई-(ना०) १. ऊधम । उत्पात । शरासंतोष । रत । २. ज्यादती । जबरदस्ती। धीरप-(न०) १. आश्वासन । २. विश्वास। धींगा-गवर-(ना.) १. वैसाख वदी तीज भरोसा । ३. धैर्य । ४. चित्त की को मनाया जाने वाला गणगौर का स्वस्थता । शांति । ५. गम्भीर । उत्सव । २. इस उत्सव पर प्रदर्शित की धीरपणो-(क्रि०) १. धीरज बँधाना। २. जाने वाली गोरी की मूर्ति । संतुष्ट करना। ३. विश्वास दिलाना। धींगाण-(क्रि०वि०) बलात । जबरदस्ती । ४. सान्त्वना देना । (न०) धीरज । धींगाणो-(न०)१.युद्ध । २. शोर । ऊधम । धीरललित-(न०) हँसमुख, रसिक एवं धींगामस्ती-(ना०) १. ऊधम । लड़ाई । वीर नायक (साहित्य)। २. शरारत । बदमाशी । ३. धृष्टता। धीराई-(ना०) १. धैर्य । धीरज । २. धींगो-(वि०) १. जबरदस्त । धींग । २. अव्यग्रता। __ मजबूत । दृढ़ । ३. उत्पाती। धीरे-(क्रि०वि०) १. मंद गति से । होळं । धींगोळी-दे० ढींगोळी । हवळ । २. धीमे स्वर से । ३. चुपके से। धुक-(न०) १. अग्नि । २. जलन । ताप । धीरो-(वि०) १. धीर । धैर्यवाला। २. ३. प्रज्वलन । ४. क्रोध । ५. जोश । धीमा । मंद । ३. अव्यग्र । ६. साहस । ७. कुढ़न । ८. युद्ध । धीरोदात्त-(न०) प्रात्मश्लाघा से रहित, धुकणो-(क्रि०) १. अग्नि का प्रज्वलित क्षमावान, वीर, विनम्र एवं दृढ़वत नायक होना । जलना । सिळगणो । २. धुपा (साहित्य) । निकलना। ३. जठराग्नि का प्रबल होना। धीव-(ना०) पुत्री । बेटी। धी। डीकरी । ४. भीतर ही भीतर जलना । कुढ़ना । बीकरी। कुढणो । ५. क्रोध करना । ६. लड़ना । धीवड़-दे० धीव । युद्ध करना। धीवड़ी-दे० धीव । धुकधुकी-(ना०)१. एक गहना । जुगजुगी । धीवर-(न०) १. मल्लाह । केवट । २. धुगधुगी। २. कलेजे की धड़कन । ३. मछलियाँ पकड़ने वाला । माछी। भय । डर । ४. कंपन । थरथराहट । धीस-(न०) १. अधोश । राजा । धीश। धुख-दे० धुक । २. परमेश्वर । अधीश्वर । ३. मालिक। धुखण-(ना०)१. अग्नि । २. जलन । दाह । स्वामी । पपी। घगन। For Private and Personal Use Only Page #666 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org घुखरणो धुखगो - ( क्रि०) १. प्रज्वलित होना । धुखना | सिळगरणो । २. क्रोध करना । ३. दुखी होना । जलना । ४. मनस्ताप होना । कुढणो । धुखावणो - ( क्रि०) १. अग्नि प्रज्वलित करना । सिळगारणो । २. दुखी करना । कष्ट देना । ३. नाराज करना । ४. क्रोधित करना । ( ६४९ ) धुगधुगी - दे० धुकधुकी । धुज - ( ना० ) १. घजा । पताका । २. घोड़ा । ३. भाला । ( वि० ) १. अग्रणी । २. श्रेष्ठ | घुड़गो - ( क्रि०) गिरना । ढहना । मकान, दीवार आदि का णो । धुरगो-दे० धुताई - ( ना० ) १. घूर्त्तता । २. ठगी । धुतारो - ( वि०) १. धूर्त्तं । २. ठग । धुन - ( ना० ) १. किसी कार्य में बराबर लगे रहने की प्रवृत्ति । लगन । २. चिंतन । ३. गाने का ढंग । ४. भजन की एक लंबे समय तक सतत चलने वाली ध्वनि । ५. मन की तरंग | ६. ध्वनि । धुनी - ( ना० ) १. ध्वनि । श्रावाज | शब्द | २. आवाज की गूंज । ३. धूनी । धुनीग्रह - (न०) कान 1 ध्वनिग्रह । श्रवणेन्द्रिय | धुपगो - ( क्रि०) १. धुलना । धुला जाना । २. क्रोध करना । ३. संपत्ति का नष्ट करना या होना । ४. नाश होना । मिटना । ५. बीमारी के कारण रक्त की कमी होना । धुपीजरगो - ( क्रि०) १. घोया जाना । शरीर में रक्त की कमी होना । धुपेड़ो - दे० धूपियो । २. धुपेल - ( न०) सिर में डालने का एक सुगंधीदार मसालों से बनाया हुआ तेल । धुबणो - ( क्रि०) १. युद्ध करना । . २. नगाड़े व कोल का बजना । लड़ना । ३. तोप Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुळे टी प्रथम । ३. व बंदूक का छूटना । ४. जलना । ५. मार खाना । ६. जोश में आना । धुमाड़ो - दे० घुप्राड़ो । धुमाळोदे० धूमाळो । धुर - ( वि० ) १. एक । २. अगला । ४. आदि । शुरु । उच्च स्थान । २. धुरा । अक्ष । ३. प्रारंभ। शुरुआत । ४. बैलगाड़ी का जुना । ५. कर्जा लेने वाला । ऋणी । आसामी । ६. बोझा । भार । ७. जिम्मेवारी । ( क्रि०वि०) १. पहले । २. निकट | ( न० ) १. धुरज - ( न० ) घोड़ा | धुरधाररण - ( न०) बैल | बळद | धुर पेड़ - ( अव्य० ) शुरू से । धुरवहो - ( न०) बैल | बळव । धुरंधर - ( वि०) १. अग्रणी । प्रधान । श्रेष्ठ । धुरीण । २. प्रकाण्ड | ३. जो सबमें बहुत बड़ा, प्रवीरण या विद्वता वाला हो । ४. दायित्व निभाने वाला। ५. भार उठाने वाला । भार वाहक | धुरा - ( न० ) अंत | (श्रव्य ० ) १. ठेठ तक । अंत तक । २. अंत में । तक । ( ना० ) १. वह कल्पित रेखा जो दोनों ध्रुवों से मिलती है । २. पृथ्वी की धुरी । प्रक्ष । ३. पहियों की धुरी । ४. समाधि । धुराधर - (वि०) १. अग्रणी । अगुआ । २. प्रधान । ( श्रव्य० ) १. जो अग्रणी है । २. अग्रणी भी । ३. अग्रणी सहित । धुरियो - ( न०) १. ऋणी । २. धुरा । ३. बैलगाड़ी का जुआ । धुरी - ( ना० ) लोहे का डंडा, जिसके सहारे पहिया घूमा करता है । धुरेळी - दे० घूरेळी । धुरो - ( न० ) १. लोहे का डंडा । २. बैलगाड़ी का जुम्रा । ३. धुरा । धुळे टी- दे० घूरेळी | For Private and Personal Use Only Page #667 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुलाई । ६५० ) धूड़कोट धुलाई-दे० धोवाई। और भोस आदि से छा जाने वाला धुवरणो-(क्रि०) धोया जाना । अंधेरा । कुहरा । २. आँख का एक रोग धुवाड़णो-दे० धुवाणो। जिसमें ज्योति मंद पड़ जाने से चीजें धुवाखो-(क्रि०) धुलाना । धुंधली दिखाई देती हैं। ३. तोंद । धुवावरणो-दे० धुवाण।। तुद । ४. अज्ञान । धुवाँधुज-दे० धुआधुज । धुधकार-(न०) अंधेरा । अंधकार । धुअर-दे० धुध । अंधारो। धुआड़ी-(ना०) धूनी । धूरगी। धुधलारणो-दे० धुधलावणो।। धुपाड़ो-(न०) धुआँ । धूम्र । धुओ। धुधलावणो-(क्रि०) १. धुध छा जाना । धुंआधार-(क्रि०वि०) १. अधिक वेग से। वातावरण का धुधला हो जाना । २. बहुत जोर से। त्वरा से । २. अधिक अंधेरा हो जाना। जनों के एक साथ त्वरा के प्रयत्न व ध वाडो-दे० धुपाड़ो। परिश्रम से । (वि०) १. बड़े जोर का धू-(न०) १.ध्रुवतारा । २. ध्रुव भक्त । ३. २. बेशुमार । अपार । ३. धुएं से भरा। शिव । ४. हाथी। ५. उत्तर दिशा । ६. (अव्य०) धुआँ ही धुयाँ । अपार धुआँ। सिर । ७. पुत्री। बेटी। कन्या । ८. गोटमगोट । ओर । तरफ । (वि०) १. प्रथम । २. धु आधुज-(न०) अग्नि । प्राग । एक । ३. स्थिर । अटल । ४. निश्चित । धाधोर-(न०) १. खूब उठे हुये या फैले ५. शाश्वत । ६. वीर । ७. धूर्त । हुये धुएँ के गोट । आकाश में उठे हुये धकळ-(न०) १. युद्ध । २. शोर । कोला. धुएँ के बादल । २. धुएँ से होने वाला हल । ३. उत्पात । अंधेरा । (वि०) धुएँ से परिपूर्ण । धूजट-दे० धूजटी। धूमायमान । धूजटी-(न०) धूर्जटि । महादेव । धुपा बराड़-(न०) प्रति चूल्हे पर (अथवा धूजणी-(ना०) कंपन । धूजन । जलाने की लकड़ी पर) लिया जाने वाला धूजणो-(क्रि०) १. धूजना। काँपना । २. प्राचीन समय का एक कर। हिलना। धुपाख-(न०) १. तोपों के छूटने से धुड-(ना०) १. धूलि । रज । २. मिट्टी। आकाश में छाया हुआ धुआँ । २. धुएँ आ। २. धुए ३. गर्द। के बादल। धूड़कोट-(न०) १. मिट्टी का बना किला। धुपाडंबर-दे० धुआख । धूलि दुर्ग । २. प्राउ का किला, जिसे धुई--(ना.) १. धूनी। २. लोबान, धूप १८५७ के युद्ध में अंग्रेजों ने फतह किया आदि का धुआँ । था । ३. मिट्टी की ऊँची पालि से गिरा धुअो-(न०) धुआँ । धूम्र । धुआड़ो।। हुआ कोट । ४. शत्रु के किले की मिट्टी धुगार-(न०) १. छौंक । बधार । २. की बनाई हुई वह प्रति कृति जिसको असफुलगारणो। फल एवं परास्त आक्रामक ध्वस्त करके धुगारणो-दे० धूगारणो। उसे विजय करने की अपनी प्रतिज्ञा का धुद-दे० धुध । पालन करना समझ लेता था। ५. काल्पधुध-(न०) १. आकाश में गर्द, धु निक गढ़ या दुर्ग । For Private and Personal Use Only Page #668 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धूम धूड़गढ़ (अस्मिना) धूड़गढ़-दे० धूड़कोट । ध-तारों-(न0) ध्रुवतारा। धूड़धमासो-(न०) १. अव्यवस्था । २. धूती-दे० धूतारी ।। खाने-पीने की अच्छी बुरी सभी वस्तुप्रों धूधर-(न०) देह । शरीर । का मेल । ३. खाने-पीने की गड़बड़ी या धू-धारण-(न०) १. पृथ्वी को धारण अव्यवस्था । ४. खाने-पीने में पथ्य-कुपथ्य करने वाला । २. शेषनाग ।। के विचार का प्रभाव । ५. कचरा । धून-(वि०) १. अधिक । २. बढ़िया । धूड़धारणी-(ना०) नाश । बरबादी। श्रेष्ठ । (ना०) १. धुन । लगन । तरंग। धूड़ीख-(ना०) १. आँधी । २. गर्द । लहर । २. लत । ३. गरदन । धूड़ो-(न०) १. धूल । गर्द । २. धूल का धून-पाँती-(ना०) १. श्रेष्ठ भाग । बढ़िया ढेर । ३. कचरा। हिस्सा । २. बँटवारे में आने वाला अच्छा धूरण-(ना०) १. धुन । लगन । २. अस्वी- भाग। कृति । ३. गरदन । ४. एक परिमाण । धूप-(न०) १. घाम । सूर्य की गरमी । (वि०) १. अधिक । २. बढ़िया । श्रेष्ठ। तावड़ो । २. सूर्य का प्रकाश । ३. एक धूणगो-(क्रि०) १. अस्वीकृति रूप में सुगंधित द्रव्य । धूप । ४. देवता के सिर हिलाना । अस्वीकार करना (सिर निमित्त किया जाने वाला गुगुल आदि हिलाके) २. मना करना। ३. देवता, सुगंधित पदार्थों का धुआँ । भूत, प्रेत आदि के आवेश से कॉपना। धूपटगो-(क्रि०) १. खोसना । लूटना । ४. प्रकंपित करना । शरीर को कंपित २. मारना ! पीटना । ३. मौज करना । करना। ५. हिलाना । झकझोरना । ६. माल उड़ाना । ४. खुले हाथों खर्च मारना । पीटना । ७. युद्ध करना। ८. करना । ५. अधिकार करना । अाक्रमण चक्कर देना । ६. कपित करना । करके देश या धरती पर अधिकार काँपना । १०. धुनकी से रुई साफ करना। करना। रुई धुनना । धूपगो-दे० धूपदाणी । (क्रि०) धूप, अगरधूणी-(ना०) १. तापने की अग्नि । धूनी। बत्तो आदि जलाना। धूप करना । २. साधुनों के तापने का कुड़। ३. धूपदाणी-(ना०) वह पात्र जिसमें धूप आग में डाले गये सुगंधित पदार्थों का जलाया जाता है । धूपदानी। धूपपात्र । धुपा। धूपदाणियो। धूपियो। धूरणो-(न०) बड़ी धूनी। धूपियो-दे० धूपदाणी। धूत-(वि०) १. धूर्त । २. ठग । ३. धूपेरण-(न०) गुग्गुल का पेड़। चालाक । ४. वीर। धूपेल-(न०) बालों में डालने का सुगंधित धूतणो-(क्रि०) ठगना । तेल। धूताई-दे० धुताई। धूबको-(न०) कूदने की आवाज । धू-तारण-(न०) ध्रव का उद्धार करने धूवरणो-(क्रि०) क्रोध करना । वाले भगवान विष्णु । धूम-(ना०) १. हलचल । हल्ला-गुल्ला । धूतारी-(ना०) धरती। (वि०) ठगिनी। २. ऊधम । शरारत । ३. युद्ध । लड़ाई। धूतारो-(वि०) १. धूर्त । २. ठग । ३. ४. समारोह । ५ बड़ी भारी तैयारी । बेईमान । ४. बदमाश । ६. धुआँ । ७. उपद्रव । For Private and Personal Use Only Page #669 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धूमकेतुं ( ६५२ ) धूमकेतु-(न०) पुच्छल तारा । धू ई-(ना०) १. धूनी । २. भूतप्रेत आदि धूमधड़ाकै-(अव्य०) खूब तैयारी के साथ। की बाधा के निवारणार्थ गिरी प्रादि का धामधूम सू। धूमधाम से। किया जाने वाला धुआँ । ३. लाल मिर्च धूमधडाको-(न०) १. धूमधाम । २. शोर- को जला कर किसी बाधा को दूर करने गुल । होहल्ला । का टोटका। धूमधाम-(ना०) १. बड़ी भारी तैयारी। धूकळ-(न०) १. ऊधम । शरारत । २ बड़ा आयोजन । २. समारोह । ३. झगड़ा । टंटा । दंगाफसाद । ३. युद्ध । शोरगुल । होहल्ला । ४. सजधज । ५. लड़ाई । ४. शोर । गुल । ५. हलचल । प्रदर्शन । धामम । दौड़धूप । ६. उपद्रव । उत्पात । धूमरक-(वि०) काला । श्याम । धूगारणो-(क्रि०) छीली-कतरी हुई (बिना धमंग-दे० धोमंग । उबाली) साग सब्जी को घी का धुआं धूमाळो-(न०) सिर पर बांधा जाने वाला देकर संस्कारित करना । काटी हुई सब्जी मोटा साफा । बड़ी पगड़ी । धाटो। को घी का धुआं देना। फुलगारणो । धूरजटी-(न०) धूर्जटि । महादेव । २. बघारना । छौंकना। धूरत-(वि०) १. धूर्त । २. छली। ठग। धूध-दे० धुध । .. ३. चालबाज । धूंधळो-(वि०) १. अस्पष्ट । २. धुएँ के धूरेळी-(ना०) धुरेंडी । होली के दूसरे दिन रंग का । ३. धुएँ, गर्द आदि से पाच्छाका वह उत्सव जिसमें रंग, गुलाल और दित । धूमिल । ४. घने बादलों से छाया हुआ। धूल आदि एक दूसरे के ऊपर उड़ा कर धू धारणो-दे० धू धावणो। बसंतोत्सव मनाया जाता है। धुरो-(वि०) अधूरा । धू धाळो-(वि०) १. बड़े पेट वाला । तोंद धू-लंका-(ना०) १. उत्तर-दक्षिण दिशा। वाला । २. धूमिल । २. पासों के खेल में एक और दो की धू धावणो-(क्रि०) १. धमकाना । डराना । संज्ञा । ३. पासों के खेल में स्थान २. ठोकना । पीटना । ३. गोल चक्र की तरह फिराना। गोल गोल घुमाना । विशेष । ४. तेज गति से चलाना । भागना । धु-लंकाऊ-(अव्य०) १. उत्तर से दक्षिण __ दौड़ना । ५. तेज भागने से साँस का बंद दिशा तक । २. उत्तर से दक्षिण दिशा होना। संबंधी । (न०) उत्तर से दक्षिण दिशा धूधी-(ना०) १. सनक । २. कंपन । की ओर का जमीन का माप । धूजणी। धूळे री-दे० पूरेळी। धूपियो-दे० धूपियो। धस-(न०) १. नगाड़ा। चूंसो । २. झुड । धू बो-(न०) १. ढेर । राशि । २. टीबा। समूह । ३. सेना। भीटा । धोरो। धूसरणो-(क्रि०) १. नगाड़ा बजाना । २. धूस-(न०) १. अातंक । रोब । घाँस । २. ध्वंस करना । नष्ट करना। डाँट-डपट । घुड़की। ३. डर । भय । धूसर-(न०) तेली । (वि०) धूल के रंग ४. ध्वंस । नाश । ५. सेना । ६. भीड़। का। समूह। ७. उत्सव । ८. नगाड़ा । ६. धूसो-दे० धूसो। नगाड़े का शब्द । १०. गर्जन । For Private and Personal Use Only Page #670 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूंसको ( १५३ ) धोखो धू सणो-(क्रि०) १. नष्ट करना । ध्वंस धेन-(ना०) गाय । धेनु । करना । २. डराना । धमकाना । ३. धेनड़-(न०) १. प्रसव समय की पुत्र संज्ञा। नगाड़े का बजना । ४. नगाड़े का २. पुत्र । बालक । बजाना। धेनडियो-दे० घेनड़। धस संडणो-(मुहा०) १. नगाड़ा बजना। धेनु-(ना०) गाय । गौ। २. पीड़भाड़ होना । ३. उत्सव होना। धेम-(न०) राशि । ढेर । धूसरी-(ना०) १. खेह । रज । २. धुरी। धेली-(ना०) आवे रुपया का सिक्का । ३. जुमा । जुमाड़ो। __ अठन्नी प्रधेली। धू साळ-(वि०) १. यशस्वी। २. प्रभाव- धेलो-(न०) प्राधे पैसे का सिक्का । प्राधा शाली । ३. धौंस दिखाने वाला। पैसा । अधेलो। धूसो-(न०) १. बड़ा नगाड़ा। २. सुयश । धेस-दे० घेख । ३. प्रताप । अातंक । ४. सु-राज्य का धेड़-(ना०) १. बिना बँधा हुआ कुआँ । यशगान । ५. होरी को तजं में गाया __ कच्चा कुप्रौं । दहर । २. पानी से भरा जाने वाला मारवाड़ देश का एक प्रसिद्ध हुअा गहरा खड्डा । ३. खड्डा । गढा । धेड़ो-दे० धड़। लोक गीत । ६. चीनी रेशम का एक धंधींगर-(न०) १. हाथी । २ सर्प । (वि०) सफेद दुपट्टा । ७. सर्दियों में प्रोढ़ने का १.प्रचंडकाय । भीमकाय । २. जबरदस्त । एक वस्त्र । धूह-दे० धुध । धैळियो-दे० दहलियो। धूहर-(न०) कुहरा । धुंध । धळणो-(क्रि०) १. डरना। भयखाना । धृत-(वि०) धारण किया हुआ। दहलना । भय से कांपना । धृति-(ना०) १. स्थिरता । २. धैर्य । ३. धोक-(ना०) १. प्रणाम । पा लागन । २. मन की दृढ़ता । दंडवत । ३. पूजा । ४. एक जंगली वृक्ष । धृतराष्ट्र-(न0) कौरवों का पिता। धोकणो-(क्रि०) १. प्रणाम करना । धृष्ट-(वि०) १. निर्लज्ज । २. उद्धत । ढीट। साष्टांग प्रणाम करना । पा लागना । २. धृष्टता-(ना०) १. ढिठाई । २.निर्लज्जता। किसी देवता, तीर्थ प्रादि की यात्रा को ३. धूतंता । ढोटपरणो।। जाना। ३. ठोकना । पीटना। ४. धातु के धेख-(न०) १. द्वेष । डाह । २. शत्रुता । लंबे टुकड़े के सिरों पर हथोड़े से चोटें मार कर छोटा करना। ३. युद्ध । ४. हठ । जिद्द । ५. धोकळ-दे० चूकल। विरोध । धोको-(न०) १. जाड़ी लकड़ी का टुकड़ा। धेखी-(वि०) १. द्वषी । २. विरोधी। ३. २. कपडे धोने की घोटी। ३. डंडा । हठी । जिद्दी । (न0) शत्रु । दुश्मन ।। सोटा । दे० धोखो। धेग-दे० देग। धोखाधड़ी-(ना०)१. चालबाजी । चालाकी। धेजो-(न०) धीजो। २. ठगी । ठगाई । ३. धूर्तता। घेटो-दे० धेठो। धोखाबाज-(वि०) धोखेबाज । कपटी । घेठाई-दे० धीठाई। छली। धेठो-(वि०) १. धृष्ट । २. निर्लज्ज । धीट। धोखो-(न०) १. धोखा । छल । भुलावा । . २. संकोच रहित । (स्त्री० धेठी) दगा। २. पश्चाताप । ३. क्षोभ । ४. For Private and Personal Use Only Page #671 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धोणो ( ६५४ ) घोरो भ्रान्ति । ५. अज्ञान से होने वाली भूल । २. बहुत बड़ा। बहुत दूर तक फैला ६. हानि । ७. चिंता। हुआ। ३. जबरदस्त । धोरणो-दे० घोवणो। धोमचख-(वि०) खूब क्रोधित । (न०) धोत-(ना०) १. धोती। २. प्रोसवालों क्रोधित नेत्र । (जैनियों) में मृतक शौच मिटाने की ऐक धोम झळ-(ना०) अग्नि की ज्वाला। क्रिया, जिसका किसी मांगलिक प्रसंग के धोम-मारग-(न०) १. बड़ा मार्ग । २. वह पूर्व मंदिर में जाकर सम्पादन किया रास्ता जिस पर खूब आना जाना रहता जाता है। हो। ३. किन्हीं गाँवों के बीच का वह धोतड़ी-(ना०) छोटी घोती । पंचियो । मार्ग जिस पर पैदल और सवारियों का धोतियो-(न०) धोती। अधिकता से आना जाना होता हो । धोती-(ना०) एक अधोवस्त्र । धोती। धोमंग-(न०) अग्नि । माग । धोतियो। धोमानळ (ना०) अग्नि । आग। धोती जोटो-(न०) धोती जोड़ा। धोयोड़ो-(वि०) धुला हुआ । धोया हुआ। धोती जोड़ो-(न०) साथ में बुनी हुई दो धोरण-(न०) १. रीति । पद्धति । २.नियम धोतियाँ । धोती जोड़ा। ३. पंक्ति । ४. श्रेणी । ५. स्तर । धोतीधारी-(न०) १. धोती पहनने वाला। धोरावरणो-(क्रि०) धुलवाना। २. हिन्द (अहिंद की ओर से व्यंग्य में)। धारिया-(न०) १. छोटा टोबा । धारा। धोप-(न०) १. धुलाई । २. धोये जाने की । २. बैल । बळद । ३. ऊँची-नीची जमीन विशिष्टता । ३. धोने में आने वाला प्रोप में समतल (लेवल में) बनाई हुई पानी की या सफाई। ४. तलवार । (वि०) १. नीक । पाली चढ़ाकर बनाई हुई पानी की नीक । श्वेत । २. उजला। धोपटणो-दे० धूपटणो। धोरी-(वि०) १. मुख्य । प्रधान । मुखिया । धोबरण-(ना०) धोबिन । धोबी की स्त्री। २. वीर । योद्धा । ३. बड़ा। प्रशस्त । (न०) १. बैल । २. पुत्र । धोबा देणा-(मुहा०) अंजलियां देना।। धोरी मोड़ो-(न०) बड़ा द्वार । खास दरधोबी-(न०) कपड़े धोने का धंधा करने __ वाजा। वाला | रजक । धोबी। धोरी मोडो-(न०) अगुवा साधु । महंत । धोबी घाट-(न0) धोबी के कपड़े धोने की (तुच्छकार में) जगह। धौरै-(क्रि०वि०) पास । निकट । धोबो-(न०) १. दोनों हथेलियों को मिला धोरो-(न०) १. अति सुगंधित वातावरण । कर बनाई हुई अंजली। २. धोबे में समा २.अतर, धूप आदि की सुगंधि की लहर। सके उतना पदार्थ । ३. बहुत बढ़िया सुगंधि । ४. खान-पान, धोम-(न०) १. सूर्य । २. सूर्य का प्रखर गायन, अतर-फुलेल की सुगंधि आदि का ताप । ३. अग्नि । ४. क्रोध । ५. युद्ध । उल्लासपूर्ण वातावरण । ५. उत्साह और ६. धुआँ । ७. बड़ा समूह । अपार । आनंद का वातावरण । ६. कोर-गोटा । भीड़ । ८. ठाट-बाट । ६. तोगों के छूटने गोटा-किनारी। ७. खेत (जाव) की की प्रावाज । (वि०) १.खूब । अत्यधिक । . ऊंची-नीची भूमि में मिट्टी की बनाई हुई For Private and Personal Use Only Page #672 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धोलणो ( ६५५ ) ध्रवणो समतल पाली जिस पर नाली बना कर धोवाड़णो-दे० घोवाणो। क्यारों में पानी पहुंचाया जाता है । पाली धोवाणो-(क्रि०) पानी से साफ करवाना। पर बनी हुई पानी की नीक । ८. नीक धुलाना । धुलवाना। की पाली । ६.खेत की मेंड । १०.टीबा। धोवादाळ-(ना.) पानी में भिगोकर छिलके धोरो। ११. मार्ग । उतारी हुई दाल । मोगर । धोलणो-(क्रि०) १. सफेदी करना । २.सफेद धोवावरणो-दे० धोवारणो। करना। धोंस-(ना०) १. धमकी । २. रोब । धौंस । धोळहर-दे० धवळहर । धोंसो-दे० धूसो। धोळाई-(ना०) १. सफेदी । पुताई । २. धौफ़-(ना०) १. रोब । आतंक । २. भय । चूना पोतने की मजदूरी । सफेदी करने डर। की मजदूरी। धौळ-(वि०) धवल । सफेद । (ना०) १. धोळावणो-(क्रि०) मकान आदि की सफेदी एक रागिनी । २. गीत । गायन । (न0) करवाना। सिर । मस्तक । धोळास-(न०) धोलापन । सफेदी। धौल-(ना०) थप्पड़ । चात । लप्पड़ । धोळियो-(वि०) धवल । सफेद । (न०) धौळहर-(न०) १. मकान । महल । २. बैल । राजमहल । धोळो-(वि०) धवल । सफेद । (न०)१ बैल । धौळागिर-दे० धवळगिर। २. श्वेत प्रदर। ध्याग-दे० धियाग। धोळो पावरगो-(मुहा०) श्वेत प्रदर का रोग ध्यान-(न०) १. चिन्तन । २. लक्ष्य । ३. होना। एकाग्रता । ४. स्मृति । ५. विचार । धोळो धट-(वि०) खूब सफेद । एकदम ख्याल । ६. चिन्तन करने की वृत्ति । ७. सफेद । धोळोधप। चित्त । मन । ८. योग के आठ अंगों में धोळोधप-दे० घोळोघट । से एक । धोळो पड़णो-१. श्वेत प्रदर का रोग होना। ध्यानी-(वि०) १. ध्यान करने वाला । २. २. सफेद हो जाना । ३. खून कम हो जाना। चितनशील । धोळोफट-दे० घोळोधट। ध्यावरणो-(क्रि०)१. ध्यान करना । २. स्मधोवरण-(न०) १. वह पानी जिससे बरतन रण करना। ३. ईश्वर का सुमिरण करना। आदि धोये गये हों। वह पानी जिसमें कोई वस्तु घोई गई हो। २. पानी । ३. ध्रकार-दे० धिक्कार । घोने की क्रिया या भाव। ध्रग-दे०धिक। धोवरिणयो-(वि०) घोने वाला। (न०) ध्रगधंगी--(ना०) हृदय की धड़कन । कपड़े धोने की घोटी। ध्रम-दे० धर्म। धोवणो-(क्रि०) पानी से साफ करना। ध्रमकरणो-(कि०) ढोल का बजना । धोना। ध्रमरत्तो-(वि०) धर्मानुरक्त । धोवती-दे० धोती। ध्रवणो-(क्रि०) १. सतुष्ट करना। २. धोवाई-(ना०) १. धोने की क्रिया । २. भागना । ३. ग्राँसू बहाना । ४. मारना । धोने की मजदूरी। पीटना। For Private and Personal Use Only Page #673 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घ्रवान (१६) नकटो ध्रवान-(ना०) १. शब्द । अावाज । २. ध्र-(न०)१.मुंड । मस्तक । २.ध्र वतारा । गिरने की आवाज । ध्र जट-दे० धूजटी। ध्रग-दे० द्रग। धूमाळा-(ना०) मुडमाला। ध्राइणो-(क्रि०) तृप्त होना । ध्रुख-(न०) १. द्वेष । बैर । २. विरोध । ध्रापणो-दे० धापणो। ध्रोण-(न०) सिर । मस्तक । ध्राव-(न०) गाय-भैंस आदि मवेशी । पशु। ध्रोब-(ना०) दूर्वा । दूब ।। ध्रावणो-(क्रि०) तृप्त होना । धापरणो। ध्रोब-पाठम-(ना०) १. भादौं शुक्लाध्रीबरणो-(क्रि०) १. पटकना । २. रखना। अष्टमी। दूर्वा ग्रहणी अष्टमी। दूर्वा ३. जलाना। ४. मारना। पीटना । ५. ष्टमी । ध्रुवप्रष्टमी। (इसी दिन भगवान पछाड़ना। विष्णु ने अपने भक्त ध्रुव को दर्शन दिये ध्रीह-(ना०) नगाड़े का शब्द । थे, इसलिये यह ध्र वाष्टमी भी कही ध्रुव-(न०)१. उत्तर दिशा का एक निश्चल जाती है। (मारवाड़ में खेड़ पाटण में तारा। २. राजा उत्तानपाद का प्रख्यात ध्रुवनारायण के प्राकट्य का इस दिन विष्णुभक्त पुत्र । ३. पृथ्वी जिस अक्ष पर बड़ा मेला भरता है। यहाँ ११ वीं सदी फिरती है उसके दोनों सिरों में से प्रत्येक। का ध्र वनारायण का बड़ा मंदिर बना यथा-उत्तरी ध्रव । दक्षिणी ध्रव । हुआ है, जो अब रणछोड़राय के मंदिर ४. उत्तर दिशा। (वि०) १. स्थिर। के नाम से प्रसिद्ध है ।) निश्चल । अटल । २. निश्चित । ३. ध्वज-(न०) झंडा । ध्वजा । (ना०)पताका। प्रथम । पहला। धजा। ध्र वरणो-(क्रि०) १. बजना । २. लड़ना। ध्वनि-(ना.) १. आवाज। शब्द । २. ३. युद्ध करना । ४. मारना । ___ व्यंजना। ध्र व तारो-(न0) ध्रव का तारा। उत्तर ध्वनिग्रह-(न०) कान । श्रवणेन्द्रिय । की दिशा का एक निश्चल तारा। ध्वंस-(न०) नाश । बरबाद । न-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्णमाला नई-(ना०) नदी । (वि०) नवीन । नयी । का बीसवाँ और त वर्ग का पांचवां दंत नक-(न0) नाक । स्थानीय अनुनासिक व्यंजन वर्ण । नक-छींकणी-(ना०)१.नसवार । सुघनी । न-(प्रव्य०) १. नकारात्मक शब्द । निषेध २. एक घास। सूचक शब्द २.ना। नहीं। ३.एक उपसर्ग। नकटाई (ना०) १. निर्लज्ज । बेशर्मी । २. (वि०) अन्य । धृष्टता। नई-दे० नै । नकटी-(वि०) १. नाककटी । २. निर्लज्ज । नइड़-दे० नइयड़ । ३. दुराचारिणी। नइयड़-(न०) १. नदी के पास वाला देश। नकटो-(वि०) १. नाककटा। नकटा । २. नदर। २. नदी तट का उपजाऊ प्रदेश । निर्लज्ज । बेशर्म । (न०) क्षुद्रता सूचक ३. निकट की सीमा का प्रदेश । एक शब्द । For Private and Personal Use Only Page #674 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नकतोड़ ( ६५७ ) नकतोड़-(10) १. मुहरी डाले जाने वाला नक वढियो-दे० नाक वढियो। ऊंट के नाक का एक छेद । २. ऊंट के नकवेसर-(ना०) नाक की बाली। छोटी नाक में डाली जाने वाली एक बाली। नथ । नकली । (वि०) नाक को तोड़ने वाली ( ऊंट के नकसी-(ना०)१. नक्शी काम । कोतरपी। नाक की तर) नक्काशी। २. चित्रकारी । ३.रंगसाजी। नकद-दे० नगद । ४. बदनामी। अपकीर्ति । लोकनिंदा । नकदी-दे० नगदी। (वि०) जिस पर बेलबूटे बने हों। नफफूली-(ना०) स्त्री के नाक में पहिनने नकसीर-(ना०) नाक में से निकलने वाला ___ का एक गहना । नकबेसर । खून । नकार । नाकोर । नकर-(वि०) ठोस । नकराई-(ना०)१. जिसके ऊपर हुंडी लिखी नक नकसो-(न०) १. किसी स्थान व प्रदेश का गई हो उसकी अोर से उसे सिकारने की मापसर प्रालेखन । २. पृथ्वी के किसी अस्वीकृति । २. हुंडी की पकती मुद्दत भाग या खगोल का चित्र । मानचित्र । पर रकम नहीं चुका सकने की स्थिति । ३. रेखाचित्र । प्राकृति । ४. चालढाल । ५. दशा । ६. सांचा। ३. हुंडी लिखने वाले के पास से लिया जाने वाला अस्वीकृति (नकराई) का नकंट-(वि०) १. निष्कंटक । २. निविघ्न । खर्चा । ४. नकराई ली जाने का स्थानीय बाधा रहित । (व्यापारिक) नियम। नकाम-दे० निकाम। नकरामण-दे० नकराई। नकामो-दे० निकामो। नकल-(ना०) १. मूल पर से उतारी हुई न का-(अव्य०) नहीं तो। दूसरी लिखावट । २. लेख आदि की नकार-(न०) १. नहीं का बोध कराने वाला प्रतिलिपि । कॉपी। ३. अनुकृति । प्रति शब्द । २. अस्वीकृति । ३. 'न' वर्ण । रूप । ४. स्वांग। वाणी, वेश प्रादि का नकारणो-(क्रि०) १. हुंडी को स्वीकार यथावत अनुकरण । ५. हँसी । मजाक । नहीं करना। २. अस्वीकार करना । नकलनवीस-(न०) न्यायालय में दस्तावेजों नकारना । ३. 'नहीं' कहना । किसी काम की प्रतिलिपि करने का काम करने या बात को मान्य नहीं रखने का उत्तर वाला कर्मचारी । लिपिक । देना। नकलबाज-(वि०) १. नकल करने वाला। नकारो-(वि०) १. निकम्मा। दे० नाकारो। २ मसखरा। नकी-दे० नक्की। नकलवही-(ना०) वह बही जिसमें प्राव नकीब-(न०)१.राजा या धर्माचार्य की सभा श्यक चिट्ठियों, हुंडियों आदि की नकलें में या उनकी सवारी के प्रागे उनके विरुद, और उधार दी हुई वस्तुओं का विवरण उपाधि आदि की घोषणा करने वाला लिखा रहता है। नकलंक-(वि०) निष्कलंक । कलंक रहित ।। व्यक्ति । २. मुनादी सुनाने वाला व्यक्ति । (10) कल्कि अवतार । ३ छड़ीदार । ४. कड़खेत । नकली-(वि०) १. खोटा । प्रसली नहीं। न कू-(प्रव्य०) १. कोई नहीं। २. कुछ भी २. बनावटी। कृत्रिमः। ३. नकल करके नहीं। ३. नहीं। बनाया हुआ। नकूचो-(न०) १. अंकुस । अकोड़ा। नकलीडो-(न०) मसखरा । जोकर । २. सांकल अटकाने का कोंढ़ा। कुडा। For Private and Personal Use Only Page #675 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ६५८ ) नकेल नकेल - ( ना० ) १. ऊंट के नाक को छेद कर डाला जाने वाला लकड़ी का एक उपकरण, जिसमें मोहरी (रस्सी) बँधी रहती है । न केवळो - दे० निकेवळो । नकै - ( क्रि०वि० ) [ 'क' का वर्ण व्यक्तिक्रम ] पास । निकट । नजदीक । न को- (अव्य०) १. कोई नहीं । २. नहीं । नकोर - (वि०) १. अखंडित । २. नया । ३. बिना फलाहार का (उपवास) । नक्की - ( वि०) १. खरा । पक्का । दृढ़ । २. जिसका निर्णय हो गया हो । निर्णीत | निश्चित । ३. ठोक । ४. नाक से संबंधित | नक्की फूंक - ( ना० ) पूगी श्रादि मुँह से बजाये जानेवाले फूंक वाद्यों की स्वरगति बंद नहीं होने देने के लिए नाक से श्वास को खींच कर मुँह से जारी रखी जाने वाली स्वासक्रिया । नक्र - ( न०) मगरमच्छ । नक्षत्र - ( न०) १. तारा । २. कृतिका, रोहणी आदि २७ नक्षत्रों में से प्रत्येक । नक्षत्रधारी - दे० नखतधारी । नख - ( न० ) १. नाखून । नख । २. ग्रल्ल । उपगोत्र । नख प्रावध- ( न० ) शेर, चीता, बिल्ली, कुत्ता प्रादि तीक्ष्ण नखों वाला कोई हिसक जानवर | नखायुध । नखत - ( न० ) १. नक्षत्र । २. तारा । नखतमिरण - ( न० ) नक्षत्रमणि । सूर्यं । नखतर - ( न० ) नक्षत्र । ( अश्विनी, भरणी आदि २७ नक्षत्र ) । नखतरी - ( वि० ) शुभ नक्षत्र में जन्म लेने लेने वाला । भाग्यशाली । नक्षत्रवारी । नखताळी - ( ना० ) नक्षत्रावलि | नक्षत्रपंक्ति । नखतेत - (वि०) नक्षत्रधारी । भाग्यशाली । नखतेस - ( न०) नक्षत्रेश | चंद्रमा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नखीतळाव नखत्र - ( न० ) नक्षत्र । नखनिवायो- (वि०) बहुत कम गरम | साधारण गरम (पानी) | नखर - ( न०) नख । नाखून । दे० निखर । नखरधर - ( न० ) नख वाले हिंसक पशु । मांसाहारी पशु | नखरादार - (वि०) नखरा वाला । नखराळी - (वि०) ०) १. नखरे वाली । २. श्रृंगार चेष्टा वाली । शौकीन । For Private and Personal Use Only नखरालो - (वि०) १. नखरे बाज | नखरा करने वाला । २. शौकीन । नखरो - ( न०) १. नखरा । विलास चेष्टा । हावभाव । २. श्रृंगारिक चेष्टा । ३. बनावटी चेष्टा । ४. बनावटी इनकार । नखलियो - ( न० ) १. स्त्री के पाँव की अँगुली में पहिना जाने वाला एक छल्ला । २. वीणा आदि तार वाद्यों को बजाने के लिए तर्जनी अंगुली में पहिना जाने वाला लोहे के तार का गूंथा हुआ एक छल्ला । मिजराब । ३. सुथार का एक औजार । नखलो - ( वि० ) [ मूल शब्द 'कनलो' । ध्वनि भेद रूप 'खनलो' का मेवाड़ी वर्ण व्यक्तिक्रम ] पास । निकट का । नख - सिख - ( न० ) १. पैर के नाखून से लेकर सिर की शिखा तक के सभी अंग । २. शरीर के सभी अंगों का वर्णन । ३. सभी अंगों की सुन्दरता और उनके शृंगार का वर्णन | ( वि०) समस्त । सभी । नखावणो - ( क्रि०) १. डलवाना । २. फिक वाना । ३. रखवाना । ४. दूर करवाना । बाजू पर रखवाना । ५. अंदर डलवाना । नखायुध - दे० नख श्रावध | नखावध दे० नख प्रावध | नखी - ( न० ) १. नखायुध । २. सिंह । ३. चीता । ४. तीक्ष्ण नखों वाला पशु । नखीतळाव - ( न० ) श्राबू पर्वत पर का एक पवित्र रमणीय तालाब । Page #676 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मलेद नखेद - (वि०) १. नीच । २. लुच्चा । ३. बदमाश । ४. अशुभ । ५. दूषित । निषिद्ध ( न० ) निषेध | अभाव ( ६५६ ) रुकावट । नखै - ( क्रि०वि० ) [ मूल शब्द 'कनै' का ध्वनि भेद रूप 'खने' का वर्ण व्यक्तिक्रम ] पास निकट । कर्न । नखोद - ( न०) १. सत्यानाश । उच्छेद । २. वंशनाश | कुलोच्छेद | नखोदियो- (वि०) १. जिसका वंशोच्छेदन हो गया हो । निर्वंश । २. विनाशकारक । ३. अशुभ । ४. एक गाली । नखोरियो - ( न०) नाखून की खरोंच । नख क्षत । नग - ( न० ) १. कोई एक वस्तु । अदद । नग । २. एक का परिमारग । इकाई । ३. नगीना । रत्न । ४. मोती । ५. पर्वत । ६. वृक्ष । ७. संतान । ८. कुपुत्र । ६. कुपात्र । १०. हाथी । ११. सर्प । १२. पाँव | पैर । १३. आठ की संख्या 1 का वाचक | नगटाई - दे० नकटाई | नगटी - दे० नकटी । नगटो - दे० नकटो | नगद - ( वि०) रोकड़ । नकद । नगदनारगो - (न०) रोकड़ी मिलकत । रोकड़े रुपये | तैयार रुपये । नगद नारायण - ( न०) १. नकद रकम । २. रुपया । नगदी - ( ना० ) १. रुपया । २. मालमत्ता । (वि०) नकद । नगपति - ( न० ) १. हिमालय पर्वत । २. सुमेरु पर्वत । ३. कैलाश पर्वत । ४. आबू पर्वत । ५. ऐरावत । नगर र - ( न० ) १. बड़ी वस्ती वाला स्थान । शहर । २. शहर का मुहल्ला । नगर नायका - ( ना० ) वेश्या । रंडी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नगीनो पातर । नगर नायिका | नगरनारी- ( ना० ) वेश्या । रंडी । पातर । नगर सेठ - ( न० ) १. नगर का प्रधान धनाढ्य सेठ । २. वह जिसे नगर सेठ की उपाधि प्राप्त हो । ३. दातृत्व और उदारता आदि गुणों से समलंकृत व्यक्ति । नगराज - ( न० ) १. हिमालय पर्वत । २. सुमेरु पर्वत । ३. अर्बुद गिरि । आबू पर्वत । ४. बड़ा पर्वत । नगरी - ( ना० ) १. नगर । शहर । २. छोटा नगर । ( विo ) नगर का । शहरी । नगवे - दे० नगपति | नगाधिप - ( न० ) १. हिमालय । २. श्राबू पर्वत । नगारखानो - ( न०) १. देवमन्दिर या ि आदि का वह स्थान जहां नियत समय पर नौबत नगाड़ा बजाया जाता है । २. वह स्थान जहां वाद्य सामग्री रखी रहती है । नगारची - ( न०) नौबत-नगाड़ा बजाने वाला । ढोली । नगाराबंद - (वि०) जिसको अपनी सवारी बजाने का अधिकार के आगे नगाड़ा प्राप्त हो । नगारी - ( ना० ) १. शहनाई गायन के साथ बजाई जाने वाली नौबत में बड़े नगाड़े के साथ बजाई जाने वाली छोटी नगाड़ी । २. नगारची । नगारा - निसारण - ( न० ) १. वह नगाड़ा और भंडा जो राजा तथा महन्त की सवारी के आगे रहता है । २. नगाड़ा और झंडा । नगारो - ( न०) नगाड़ा । घौंसा | दुदुभि । For Private and Personal Use Only नगपत - ( न०) १. नगपति हिमालय । २. आबू पर्वत । नगाँव दे० नगपति । नगीनो- ( न० ) १. नगीना । रत्न । २. नागौर नगर का साहित्यिक नाम । Page #677 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नगोट नजीक नगोट-दे० निगोट। नजरबंद-(वि०)कहीं प्रा-जा नहीं सके ऐसी नगोदर-(न०)१.विविध प्रकार के रत्नों का निगरानी में रखा हुआ। हार । २. नौ रत्नों वाला हार । ३. नजरबंदी-दे० नजरकैद । (ना०) बाजीगर पर्वत की गुफा । का खेल । जादूगरी। नचाड़गो- दे० नचाणो। नजरबंधी-(ना०) जादू या हाथ की सफाई नचाणो-(क्रि०) १. नाचने में प्रवृत्त करना । से लोगों की दृष्टि में भुलावा डालने की नचाना । २. हैरान करना । क्रिया। नचावणो-(क्रि०) दे० नचायो । नजरबाग-(न०) मकान के आसपास का नचिंत-(वि०) निश्चित । बेफिक्र ।। बगीचा। नचितो-दे० नचित । नजर बैठणी-(मुहा०) १. ध्यान में पाना । नचीत-दे० नचित । २. समझ सकना। नचीताई-(ना०) निश्चितता । बेफिकी। नजर लागणी-दे० नजरीजणो। नचीतापणो-दे० नचीताई । नजरसानी-(ना०) १. मुकदमे में पुनर्विचार नचीतो-दे० नचित । के लिए न्यायाधीश को दिये जाने वाला नछत्री-(वि०)१. क्षत्रिय रहित । न क्षत्री। प्रार्थनापत्र । २. पुनर्विचार । २. शुभ नक्षत्रों वाला । नक्षत्री। नजराणो-(ना०) १. सट्टे के व्यापार में नजर-(न०) १. दृष्टि । नजर । २. लक्ष्य । ३. दृष्टि दोष । ४. भेंट । उपहार । लगाया जाने वाला एक प्रकार का दांव । वायदे के सौदे पर लगाये जाने वाले या नजराना। ५. निगरानी । सम्हाल । ६. खाये जाने वाले नफे नुकसान की अमुक कृपादृष्टि । सीमा का एक सौदा और उसकी शुल्क । नजर करणो-(मुहा०) १. भेंट धरना । २. नजराना। २. नजर की जाने वाली दृष्टि डालना। नजरकैद-(ना०) १. एक ऐसी सजा जिसमें वस्तु । भेंट की वस्तु । ३. उपहार । भेंट। कैदी को हथकड़ी-बेड़ी नहीं पहनाई जाती किन्तु एक निश्चित सीमा या स्थान से नजरियो-(न०) नजर नहीं लगने के लिए बच्चों के हाथ या गले में पहनायी जाने ‘बाहर नहीं जाने दिया जाता। निश्चित वाली काली चीड़ों की सांकल अथवा सीमा में ही रहने की एक कैद । २. वह गाल पर लगायी जाने वाली क.ली बिंदी स्थान जहां नजर कैदी रक्खा जाता है। नजरकैदी-(न०) वह व्यक्ति जिसे नजरकैद आदि । तावीज । टोटका । डिठौना । का दण्ड दिया गया हो। नजरीजणो-(क्रि०) दृष्टि दोष का असर नजर चूक-(ना०) १. नजर में से छूटी हुई होना। भूल । नजर में नहीं आई हुई भूल । २. नजरोनजर-(प्रव्य०)१. आँखों के सामने । नजर चूक जाने का भाव । ३. किसी प्रत्यक्ष । २. नजर से नजर । वस्तु का नजर में नहीं माना। ४. नजर नजलो-(न०) जुकाम । . बंदी। नजारो-दे० निजारो। नजर पहोंचणी-(मुहा०) १. देखा जाना। नजीक-(अव्य०) पास । निकट । नजदीक । २. समझ में आना। नेड़ो। For Private and Personal Use Only Page #678 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नजीको नत्रीठो नजीकी-(वि०) नजदीकी । पास का । २. नस । रग । निकटवर्ती । समीपस्थ । नढाळो-(वि०) १. अरक्षित । २. ढाल नजीर-(न0) उदाहरण । रहित। ३. व्यवस्था रहित । ४. ढंग नजोरी-(वि०) जिस पर अपना जोर नहीं बिना का । चले । जिसमें अपनी मजबूरी हो । नगद-(ना०) पति की बहन । ननद । विवश । (ना०) १. विवशता । मजबूरी। नणदल-दे० नणद । २. कमजोरी । असामर्थ्य। ३. प्रशक्ति । नगदी-दे० नणद । नट-(न0) १. रस्सी पर चलने या नाचने नणदीबाई-दे० नणद । वाली एक जाति । २.बाजोगर । ३.अभि- नणदोई-(न०) ननद का पति । पति का बहनोई। नेता। ४. एक राग। नणदोतरी-(ना०) ननद की पुत्री। पति नटकळा-(ना०)नट की कला अथवा विद्या। की बहिन की बेटी । नटखट-(वि०) १. चालाक । धूर्त । २. नणदोतरो-(न०) ननद का पुत्र । पति की चंचल । ३. शरारती। बहिन का बेटा। नदी -ना०) १. नटने का भाव । २. नट नणदोती-दे० नणदोतरी । की स्त्री । नटी। नणदोतो-दे० नणदोतरो। नटगो-(क्रि०) १. नटना । इनकार करना । नत-(प्रव्य०) नतो । नहीं तो। (वि०) २. कह कर मुकर जाना । नटना। १. झुका हुआ । २. विनीत । ३. उदास । नटनागर-(न०) श्रीकृष्ण । ४. दे० नित। नटबाजी-(ना०) १. नट का खेल । २. नतमाथ-(वि०) नत मस्तक । नट की कला । ३. चालाकी। नताळ-दे० निराताळ । नटराज-(न०)१. श्रीकृष्ण । २. महादेव । नतांगणि-(ना०) स्त्री । नारी । नतांगी। नटवर-(न०) श्रीकृष्ण । नतांगिनी। नटवर-नागर-(न०) श्रीकृष्ण । नतीजो-(न०) परिणाम । फल । नटविद्या-दे० नटकळा । नत्रीठ-(न०) १. एक बाजा । २. नगाड़ा । नटाटूट-(क्रि०वि०)नहीं रुक कर । निरंतर। ३. घोड़ा। ४. वीर पुरुष । ५. युद्ध । नटेसर-(न०) शिव । नटेश्वर । ६. प्रहार । (वि०) १. निडर । निर्भय । नठोर-(वि०) जो समझाने पर भी नहीं २. भयकर । ३. तेज । (क्रि०वि०) समझे। जोर से । वेग से। नड़-(न०) १. मोटी रस्सी। २. चमड़े की नत्रीठणो-(क्रि०) १. नगाड़ा बजाना। २. रस्सी । ३. गर्दन । ४. धड़ । कबंध । ५. तेज गति से चलना । ३. भागना । झरना । ६. पर्वतीय माला । ७. विध्न । नत्रीठा वाहण-(न०) १. बहुत तेज गति नड़णो-(क्रि०) १. रुकावट होना । रुकना। से चलने वाला वाहन । २. अश्वरथ । २. विघ्न करना। ३. प्रतिकूल होना। नत्रीठो-(न०) १. घोड़ा। २. युद्ध । ३. ४. रुकावट डालना। रोकना। ५. विघ्न योद्धा । ४. बाजा। (वि०) १. तेज गति डालना। से चलने वाला । २. वीर । ३. भयंकर । नडर-दे० निडर । ४. अपार । ५. निर्भय । ६. अखूट । नड़ी-(ना०) १. चमड़े की रस्सी । नाड़ी। (क्रि०वि०) बेरोक-टोक । For Private and Personal Use Only Page #679 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नथ www.kobatirth.org ( ६६२ ) नथ - ( न० ) १. स्त्री के नाक में पहिनने का एक गहना । नाक की बाली । २. नाथ । नकेल | नथ - अनथ - ( वि० ) १. बिना नाथ वालों को नाथने वाला । २. वश में नहीं होने वालों को वश में करने वाला । ३. नहीं जीते जाने वालों को जीतने वाला । नथी - ( अव्य० ) १. नहीं । ( वि० ) नाथने वाला । नद - ( न० ) १. बड़ी नदी । २. वाद्य ध्वनि । नाद । ३. एक आभूषण । नदपत - ( न० ) समुद्र । नदीपति । नदपति । नदवे - ( न० ) नदपति । समुद्र । नदारद - ( द - ( वि०) लुप्त । गायब | नदियारण - ( न० ) १. नदी का पानी । २. नदियों का समूह । ३. नदियों को अपने में समा देने वाला । समुद्र । नदी - ( ना० ) नदी । सरिता । नदेसर - (न०) समुद्र । नदीश्वर । नद्द - ( न० ) नाद | ( ना० ) नदी । न धरियो - ( वि० ) बिना मालिक का । लावारिसी । नन - ( अव्य० ) १. नहीं । २. नहीं कुछ | (वि०) कुछ | थोड़ा । किंचित । ननसाळ - ( ना० ) ननिहाल । ननारणो - दे० नानारणो । ननामी - ( वि० ) जिस पत्र आदि में लिखने वाले या भेजने वाले का नाम नहीं लिखा गया हो । बिना नाम का । अनामिक | गुमनाम । ( ना० ) शव को श्मशान ले जाने की अरथी । टिकटी । सोढी । ननामो - ( न० ) अनामिक । बिना नाम का । नहीं | नकार | नगो - ( वि०) १. अविश्वसनीय । २. गप्पी । नपट - दे० निपट | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नपावट - दे० निपावट । नपीरी - (वि०) जिसके पीहर में कोई नहीं रहा हो । aafn नपुंसक - (वि०) १. पुरुषत्वहीन । हिजड़ा । नपूतो - दे० निपूतो । नफकरो- दे० नफिकरो । नफट - ( वि० ) निर्लज्ज | बेशर्म । नफर - ( न०) १. चाकर । २. दैनिक पारिश्रमिक ऊपर काम करने वाला मजदूर । दैनगियो । २. नफरत - ( ना० ) तिरस्कार । घृणा । नफरी - ( ना० ) १ मजदूर का एक दिन का काम । २. मजदूर के एक दिन की मजदूरी । ३. मजदूरी का एक दिन । ४. सूची । ५. सैनिकों की गिनती । नफाखोर - (वि०) १. अधिक नफा खाने वाला । २. केवल नफा का ही विचार करने वाला | नफाखोरी - ( ना० ) केवल नफे का ही सोचने गुमनाम । नन्नो - ( न० ) 'न' अक्षर | नकार | ( म्रव्य०) नभरणो - दे० निभणो । का भाव । नफिकरो - ( वि० ) निश्चित | बेफिक्र । नफेरी - ( ना० ) शहनाई । नफो- ( न०) १. लाभ | फायदा । मुनाफा | २. श्रमदनी । नफो-टोटो - ( न०) १. लाभ-हानि । २. नफा टोटा निकालने का हिसाब । नबळाई - ( ना० ) निर्बलता । कमजोरी । शक्ति । नबळो - (वि०) निर्बल । कमजोर । अशक्त । नभ - ( न० ) आकाश नभचर - ( न०) १. पक्षी । पंखेरू । २. नक्षत्र । नभरण - ( वि०) १. अपढ़ | २. मूर्ख | For Private and Personal Use Only नभधज - ( न० ) मेघ । बादल । नभोध्वज । नभधुज | नभमिरण - ( न० ) सूर्य । नभोमणि । Page #680 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नेमवाणी नरकुट नभवाणी-(ना०) आकाशवाणी । नभो- नमाड़णो-(क्रि०) १. झुकाना । नमाना । वाणि । देव वाणी। २. विनीत बनाना । ३. नीचा दिखाना । नभाव-दे० निभाव । ४. मजबूर करना। बाध्य करना। ५. नम-(ना०) १. मास के (कृष्ण और शुक्ल) प्रवृत्त करना। ६. झुका या दबा कर दोनों पक्षों का नौवां दिन । नौमी। अधीन करना। नवमी । २. सील । आर्द्रता। नमारणो दे० नमाड़णो। नमक-(न०) लवण । लूण। नमावरणो-दे० नमाड़णो। नमक-हराम-(वि०) १. सरकश । अधर्मी। नमियो-(न0) नौवें दिन का मृतक कर्म । २. कृतघ्न । नमूनेदार-(वि०) १. उत्तम । २. नखरे नमकहरामी-(वि०) १. कृतघ्न । २. अधर्मी । (न०) १. कृतघ्नता । २. नमूनो-(न०) १. बानगी। वानगी । २. अधर्म । खाका । प्रतिरूप । ढाँचा । ३. उपमा । नमकहलाल-(वि०)स्वामीनिष्ठ। वफादार। ४. उदाहरण । ५. वह जिसके रूप गुण नमण-(न०) १. तोलने में कुछ अधिक ।। आदि का अनुकरण किया जाय । २. तराजू में तोलते समय वस्तु की ओर आदर्श । नमूना । झुकता पलड़ा। ३. झुकाव । ४. नमस्कार। नमो नारायण-(अव्य०)संन्यासी को किया प्रणाम । नमन । जाने वाला नमस्कार । नमणो-(क्रि०) १. बंदन करना। प्रणाम नमोरो-(10) बादशाह द्वारा प्रादेशित वह करना । नमन करना। २. मुकना । नत फरमाना (परवाना) जिस पर नौ मुहरें होना। ३. नम्र होना । ४. हार मानना। (शाही मुद्रा के ठप्पे) अंकित होते थे। ५. ताबे होना। ६. शरण में आना।। नौमुहरा । नव मोहरा । पक्का फरमान । (वि०) विनीत । नम्र । विनय । नव मोहरो। नमतो-(वि०) १. नीचे की ओर झुकता नयण-(न०) नयन । प्राख । हुया। नीचा । झुका हुमा। २. एक नयर-दे० नगर । ओर का नीचे झुकता हुअा (तराजू का नयो-दे० नवो। पलड़ा) । ३. शांत । नरम । ढीला। नर-(न०) १. पुरुष । मनुष्य । मर्द । २. नमदो-(न०) १. एक प्रकार का जमाया पुरुष जाति का कोई प्राणी या वस्तु । हुमा रेशमी या ऊनी कपड़ा। नमदा। ३. पुरुष जाति वाचक शब्द । पुल्लिग । २. मखमल का गद्दा । (वि०) १. वीर । बहादुर । २. श्रेष्ठ । नमन-(न०) नमस्कार । नरक-(न०) १. धर्मशास्त्र के अनुसार वह नमः-(प्रव्य०) १. नमन हो । २. नमन है। स्थान जहां मरने के बाद पापियों की यथा-श्री गणेशायनमः आत्मा को अपने कुकर्मों का फल भोगने नमस्कार-(न०)झुक कर किया जाने वाला के लिये जाना पड़ता है। दोजख । अभिवादन । प्रणाम । २. बहुत गंदा स्थान । ३. विष्ठा । मल। नमस्ते-(अन्य०) आपको नमस्कार । पाखाना । . नमाज-(ना०) इसलामी मजहब के अनुसार नरकवाड़ो-(न०) बहुत गंदा स्थान । की जाने वाली खुदा की बंदगी। नरकुट-(न०)नाक । नासिका । For Private and Personal Use Only Page #681 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नरंग ( ६६४ ) नरेस नरग-दे० नरक। गीला । पिचपिचा। ५. धीमा । सुस्त । नरगवाड़ो-दे० नरकवाड़ो। मंदा । ६. निर्बल । ७. मंदा । सस्ता । नरघो-(न०) ताल देने एक वाद्य । नरमाई-(ना०) १. नरमी। सस्तापन । तबला । मदी । २. नम्रता । ३. कोमलता। नरज-(न०) कांटा । तराजू । तक। नरमी-दे० नरमाई। नरजाति-(ना०)१. पुरुष वर्ग । नरश्रेणि। नरमेध-(न०) १. मनुष्य की बलिवाला २. पुल्लिग । (व्या०)। यज्ञ । २. नर संहार । ३. महायुद्ध । नरजू-(ना०) खपरेल की छाजन के दीवाल नरमो-(न०) एक जाति का कपड़ा। से बाहर निकले हुए भाग को थामने के नरलोक-(न०) मनुष्य लोक । लिए दीवाल में लगाई जाने वाली खड़ी नरलोय- (न०) नरलोक । मृत्युलोक । लकड़ी। नरवै-(न०) नरपति । राजा। नरड़ो-(न०) बंधन । चमड़े की रस्सी। नर वर-(न०) राजा। नाड़ी। नरस-(वि०) नीरस । नरणो-दे० निरणो। नरसमंद-(न०) १. जोधपुर (मारवाड़) के नरतक-(न0) नर्तक । नृत्य करने वाला। राठौड़ राजाओं की दान, वीरता और नरतकी-(ना०) नाचने वाली । नत की। उदारता की लोक-विश्रुत उपाधि । २. नरती-(वि०) १. यथावश्यक । २. कम। मारवाड़ के महाराजा गजसिंह की थोड़ी । ३. खराब । निकृष्ट । ४. मृत्यु उपाधि । संदेश देने वाली (खबर)। नरसिंघ-दे० नरसिंह। नरतो-(वि०) १. यथावश्यक । २. कम। नरसिंघ चवदस-दे० नृसिंह चतुर्दशी । अल्प । ३. निकृष्ट । पतित । नीच। नरसिंह-(न०) १. सिंह के समान वीर नरदळ-(न०) १. मानव-समूह । २. सेना। पुरुष । २. नृसिंह अवतार । ३.पैदल सेना। . नरसींगो-(न०) तुरही जैसा एक बाजा, नरदावो-दे० निरदावो। जिसे फूक कर बजाते हैं । नरसिंघा । नरदेव-(न०)१.उपकारी तथा त्यागी पुरुष। नरसू-(न०) बीता हुआ या आने वाला २. राजा । ३. ब्राह्मण। ___ चौथा दिन । नरसो। नरनाथ-(न०) राजा। नरहर-(न०) नृसिंह अवतार । नर नारायण-(न०) १. मनुष्य और पर- नराज-दे० नाराज । मात्मा। २. एक ऋषि । नराजगी-(ना०) नाराजगी । नर नारी-(न०) पुरुष और स्त्री। नराट-दे० निराट। नरनाह-(न०) राजा । नर-नाथ । नराताळ-दे० निरीताळ । नरपति-(न०) राजा। नराधम-(न0) महा दुष्ट व्यक्ति । अषम नरपाळ-(न०) राजा । नेपाल । नर । नरबदा-(ना०) नर्मदा नदी । नरीताळ-दे० निरीताळ । नरभव-(न०) मनुष्य जन्म । नरेण-(न०) राजा लोग । दे० नरेहण । नरम-(वि०)१. नरम । कोमल । मुलायम। नरेश-(न०) राजा। २. सहल । आसान । ३. विनम्र । ४. नरेस-(न०) राजा । नरेश । For Private and Personal Use Only Page #682 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नरेस वरम्म ( ६६५ ) नवेतर नरेस-वरम्म-(न०) १.स्वामी के लिए कवच हड्डी । २. कपड़ा बुनने की नली। ३. रूप । २. राजा का अंग रक्षक ।। नलिका । भूगळी । ४ एक फूक वाद्य । नरेहरण-(वि०) १. निष्कपट । निश्छल। तुरही । २. निष्कलक । निर्दोष । ३. निष्पाप। नळो-(न०) १. सिंह, चीते आदि का अगला ४. नहीं हटने वाला। पीछे पाँव नहीं पाँव । २. हिंसक पशुओं के अगले पांव देने वाला । ५. जबरदस्त । (न०) की लंबी हड्डी। ३. घोड़े के अगले पांव राजा। (अव्य०) राजा से । राजा के की लंबी हडी। ४. नाला। ५. पर्वत । द्वारा। नव-(वि०) १. नया । २. चार और पांच । नरेहर-दे० नरेहण । नो । (न०) नो की संख्या। '' नळ-(न०) १. पेट की बड़ी प्रांत । २. पेडू नवकार मंत्र-(न०) जैन धर्मनुयायियों के की एक नाड़ी । ३. धातु की एक लंबी . जपने का एक मंत्र । जनों का प्रसिद्ध नलिका । नल । २. एक वाद्य । ५. सिंह नमस्कार मंत्र ।। आदि हिंसक पशुओं के आगे के पाँव । नवकारसी-दे० नोकारसी। ६. उनके आगे के पाँव की लबी हड्डी। नवकुळी-(वि०) नौ कुलों वाले (नाग)। ७. घोड़े के अगले पांव की लंबी हड्डी। नवकोट-(न०) १. मारवाड़ देश । २. मार८. घोड़े का नथुना। ६. निषध देश के वाड़ के प्रसिद्ध नौ किले । ३. एक राजा का नाम जो दमयंति का पति था। ऐतिहासिक नगर का नाम । १०. सेतू बाँधने वाला राम की सेना का नवकोटी-(वि०) नौ प्रसिद्ध दुर्गों वाला एक वानर । (मारवाड़ देश)। नळको-दे० नळी। नवकोटी मारवाड़-(न०) नौ प्रसिद्ध और नलज-(वि०) निर्लज्ज । बेशर्म । बड़े दुर्गों वाला मारवाड़ राज्य । नलजियो-(वि०) लज्जित नहीं होने वाला। नवखंड-(न०) पौराणिक भूगोल के अनुसार निर्लज्ज । पृथ्वी के नव खंड । २. समस्त पृथ्वी । नलजो-(वि०) निर्लज्ज । नलज । ३. जंबूद्वीप के नौ खंड। नळणी (ना०) नलिनी । कमलिनी। नवगढ-(न0) मारवाड़ के प्रसिद्ध नव किले। नळराजा-दे० नळ सं०६ नवग्रह-(न0) फलित ज्योतिष के अनुसार नळियो-(न०) १. नलिका। छोटा प्रौर सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुद्ध, गुरू, शुक्र, शनि, पतला नल । २. मिट्टी का पका हुआ राहु और केतु ये नौ ग्रह । अद्ध वृत्ताकार टुकड़ा जो घर की छाजन नवग्रही-दे० नोधरी। पर दो थेपड़ों की संधि ढकने के लिये नवचंडी-(ना०) १. नौ दुर्गा । २. नौ रखा जाता है । नरिया । अर्द्धवृत्ताकार दुर्गाओं का पूजन, होम इत्यादि। खपड़ा। ३. मूठ या तिमणिया नामक नवजणो-(न०) गाय को दुहते समय उसके स्त्रियों के गले में पहनने के गहने का वह पिछले पाँवों को बाँधने की रस्सी। छांद । भाग जो नलिका के जैसा होता है और नोई । पगहा । नोजरखो । नूजरणो। जिसमें डोरी डाल कर गले में पहना नवतर-(न०) जोतने से छोड़ा जाने वाला जाता है। (बुवाई नहीं किया जाने वाला) खेत का नळी-(ना.) १. घुटने से नीचे की पांव की कुछ भाग । For Private and Personal Use Only Page #683 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवलखी नवतरही । ६६६ ) नवतेरही-(ना०)१. बाईसी सेना । बाईसी। विविध प्रकार का। २. नये प्रकार का । . २. बाईस सूबों की सेना । ३. रूपवान । नवदुर्गा-(ना०) १. नौ दुर्गा देवियाँ । २. नवरंगी-(वि०) १. नौ रंग की। २. रूपनौरात्र में पूजी,जाने वाली नौ दुर्गाएँ। वान। ३. छलछबीली। ४. अद्भुत । विचित्र । नवद्वार-(न०) शरीर के अाँख, नाक, कान नवराई-दे० निवराई। और गुह्यन्द्रियों के दो-दो और एक मुंह नवरात-(ना०)१. चैत और आश्विन शुक्ला ये नौ द्वार। प्रतिपदा से नवमी तक के नौ दिन जिनमें नवधाभक्ति-(ना०) नौ प्रकार की भक्ति । दुर्गा की विशिष्ट पूजा की जाती है। श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, नवरात्र । नोरता । २. प्राचीन समय का वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन । एक रात्रि यज्ञ जो नौ रात-दिनों में नवनवो-(वि०) १. नया नया । नया । २. समाप्त होता था। विविध प्रकार का । ३. अजनबी। नवरातर-दे० नवरात। नव नहचै-(अव्य०) निश्चय ही। नवरात्री-दे० नवरात । नवनाड़ा-(ना०) १. स्त्री के वस्त्र-परिधान नवरास-दे० निवरास । में लगने वाली नौ गाँठे । २. वे मो नवरी-(वि०) १. खाली। २. बेकाम । ताबीज जो पति को वश में करने के लिये निष्क्रिय । बेकार । ३. विधवा। ४. काम कुलटा स्त्री अपने वस्त्रों की नो गांठों में से फारिख । निवृत्त । बांधे रहती है । ३. कुलटा स्त्री। नवरो-(वि०) १. खाली। २. बेकाम । नवनाथ-(न०)१. नो प्रसिद्ध नाथ संन्यासी। निष्क्रिय । बेकार । ३. काम से निबटा २. नाथ संप्रदाय के संन्यासियों का एक हमा। फारिग । निवृत्त । ४. क्वारा । भेद। ५. विधुर। नवनिधि-(ना०) १. नौ प्रकार की निधियाँ। नवरोजो-(न०) १. बादशाह अकबर २. कुबेर का खजाना। द्वारा प्रवर्तित एक उत्सव जिसमें उसके नवनीत-(न०) मक्खन । माखरण । अधीनस्थ राजा, नवाब और उनकी पत्नियों नवबीसी-(वि०) एक सौ अस्सी।। को सम्मिलित होना पड़ता था। नौरोजा। नवमी-(ना०) चांद्रमास के दोनों पक्षों का २. पारसियों के वर्ष का पहिला दिन । नौवां दिन । नम । नौरोज । पारसी वर्ष के फरवर दिन मास नवमो-(वि०) गिनती में नौ के स्थान पर का पहिला दिन । ३. पारसियों के नये प्राने वाला ( नवम । नौवाँ । ) क्रम में साल का त्योहार । पतेती। पाठ के बाद का । २. दे० नमियो। नवल-(वि०) नया । नवो । नयो । नवमोहरो-दे० नमोरो। नवलखी-(ना०) १. कच्छ के निकट का नवरता-दे० नवरात। सिंध प्रदेश । सिंध का एक प्रदेश । २. नवरतो-(न०) नौरात्रि का एक कोई एक सिध देश। ३. साराष्ट्र का एक बदर । दिन । ४. श्रेष्ठ जाति की घोड़ी। (वि०) १. नवरंग-(न०) १. औरंगजेब । नौरंग । २. सिंध के एक भाग का विशेषण । २. नौ एक छंद । ३. सुंदरता । (वि०) १. लाख के मूल्य की । नौलखी। बहुमूल्य । For Private and Personal Use Only Page #684 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ६६७ ) नवौ नवाजूना - ( वि०) नये तथा पुराने जानने योग्य (समाचार) | नवलायक - ( वि०) १. नालायक । अयोग्य | २. बदमाश । ३. मूर्ख । नवलो- (वि०) नया | नवल । नवो । नववीसी - दे० नवबीसी । नवसदी मुनसब - ( अव्य० ) एक बादशाही Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवलखो नवलखो - ( वि०) नौ लाख के मूल्य का । २. बहुमूल्य । नवल वनी - ( ना० ) नव वधू । नवोढ़ा । २. नवाजूनी - ( ना० ) उथलपायल | बहुत बड़ा परिवर्तन | दुलहिन । बीनरणी । नवल वनो - ( न० ) दुलहा | वर | बींद | वींदराजा । नवलासी - (वि०) १. नया । नवीन । २. मनोहर । सुन्दर । ३. नित्य नवीन क्रीड़ा करने वाला | ( ना० ) १. नव यौवना । २. नर्तक बाला । नवारण - दे० निवारण । नवारण - दे० निना । नवात - ( ना० ) मिसरी । मिश्री । साकर । नवादी - दे० नवाई | नवादू - (श्रव्य ० ) १. नये सिरे से । फिर से । ( वि०) १. नया । नवीन । २. दूसरा । श्रौर । नवानी - ( वि०) नयी । नवीन । नवायो - दे० निवायो । नवाँ गढ़ - ( न० ) १. नौ कोटि मारवाड़ | २. नो ही गढ़ । ( वि०) नौ प्रसिद्ध गढ़ों मनसब । वाला । नवसर-हार - (न०) नौ लड़ी हार । नौलड़ा नवाँ - री - तेरह - ( अव्य०) सामर्थ्य से करना हार । हो सो । जो कर सकने की ताकत हो सो । नवार - दे० निवार । नवि- ( श्रव्य० ) नहीं । नवी - ( वि०) नयी । नवीन । ( ना० ) नव नव सहँसो- (अव्य० ) १. राठौड़ क्षत्रियों की एक उपाधि | राठौड़ वंश का राजपूत । २. नौ सहस्र गाँवों का अधिपति राव मालदेव । राव मालदेव का विरुद | नवसादर - ( न०) नौसादर | नवसासो - दे० नवसहँसो । वधू | नवीनी - दे० नवाजूनी | नवीत - ( क्रि०वि०) निर्भय | नवहथी - ( ना० ) १. सिंहनी । शेरनी । २. २. ऊंटनी । ३. तलवार । ( वि०) १. नौ हाथ की लंबी । २. वीरांगना । नवहथो - (०) १. सिंह | शेर । २. ऊंट | ( वि० ) १. नौ हाथ का लंबा । २. वीर । बहादुर । नवी संदो - ( न० ) १. आय-व्यय और क्रयविक्रय आदि का हिसाब लिखने वाला व्यक्ति । मुनीम । २. हिसाब किताब का विशेषज्ञ व्यक्ति । गणितज्ञ । ३. लिखने पढ़ने में माहिर । ४. लिपिक । लेखक । नवेली - ( ना० ) नव वधू । नवाई - ( ना० ) १. नवीनता । नयापन । २. श्रीश्चर्य । श्रचरज | ( वि०) १. अद्भुत । पूर्व । अनोखा । २. नवीन | नवाई । नवाजरगो-दे० निवाजरगो । नवाजस - दे० निवाजस । नवंबर - ( न० ) ईसवी सन् का ग्यारहवाँ नवेसर - ( अव्य० ) १. पुनः । और । २. नये सिरे से । ३. नये ढंग से । महीना | नोवेम्बर | नवेसरू - ( अव्य०) दे० नवेसर | नवो - ( वि०) १. नया । नवीन । २. तुरंत का । ताजा । ३. अपरिचित । न जाना हुप्रा । ४. अनुभव हीन । ५. कोरा । अछूता । ६. स्थानापन्न । बदला हुआ । For Private and Personal Use Only Page #685 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वोजूनी ( ६६८) नहिं तो (अव्य०) १ पुनः । फिर । २. पुनरपि। शाली । नसीबवर । फिर से । फिर भी। नसीहत-दे० नसीत । नवो जूनो-(वि०) १. नया और पुराना । नसै-गोसै-(वि०) १. प्रामाणिक रूप से । २. पहिले और पीछे का। ३. सबका सत्यता पूर्वक । २. सविवरण और सब । ४. जो हो सो। सप्रमारण। नवोड़ी-(वि०) १. जो नयी हो । २. अभी नसो-(न०) १. नशा। कैफ। मद । २. तैयार की हुई। मादक द्रव्य । ३. धन, विद्या, पद का नवोडो-(वि०) १. जो नया हो । २. नया। अभिमान । ३. अभी तैयार किया हुप्रा। नस्तर-(न०) १. एक शस्त्र । २. चीरानवोढा-(ना०) १. नव विवाहिता । स्त्री। फाड़ी करने का डॉक्टर का एक प्रौजार । वधू ! २. एक नायिका । ___शस्त्र-चिकित्सा का तेज-चाकू । नश्तर । नवो नकोर-(वि०) बिलकुल नया । नह-(प्रव्य०) नहीं। नव्वो -(न०) १. नौ का अंक, ''। २. सौ नहचळ-(वि०) निश्चल ।। वर्ष की संवत् गणना में आने वाला नौवां वर्ष । नहचेरण-दे० नह। नशो-दे० नसो। नहच-(क्रि०वि०) १. निश्चय ही । अवश्य । नश्तर-दे० नस्तर। २. निःसंदेह । (न०) १. निर्णय । २. नश्वर-(वि०) नाश होने वाला। पक्का विचार । नष्ट-(वि०) १. जिसका नाश होगया हो। नहचो-(न०) १. संदेह रहित ज्ञान । २. खराब । नीच । ३. मृत । निश्चय । २. धीरज । ३. भरोसा । ४. नष्टभ्रष्ट-(वि०) सर्वथा नष्ट । बरबाद।। संतोष । पायमाल । नहणो-(क्रि०)१. नाथना । वश में करना। नस-(ना०) १. शरीर की रक्तवाहिनी। २. बनाना। ३. रखना। धरना। ४. नलिका । २. स्नायु । रग । ३. नाड़ी। धारण करना। थामना । ५. ग्रहण ४. गरदन । ५. पत्ते का रेशा। ६. करना । लेना। (न०) बढ़ई का एक नस्य । सूधनी । ७. मूत्रेन्द्री । लिंगेन्द्री। अौजार । नहियो। नसकोर-(ना०) १. नाक में से खून निकलने नहरणी-(ना०) नख काटने का प्रौजार । वाला रक्त । नकसीर । २. नाक से खून नहरनी । नखहरणी। निकलने का रोग । ३. नाक का छेद । नहराळ-(न०) १. तीक्ष्ण नाखूनों वाला नसणो-(क्रि०) नाश होना। मांसाहारी पशु या पक्षी। २. मांसाहारी नसल-(ना०) १. नस्ल । वंश । कुल । २. पशु पक्षियों के तीक्ष्ण नख । (वि०) संतान । तीक्ष्ण नाखूनों वाला। नसलंब-(न०) ऊंट । नहराळो-(न०) तीक्ष्ण नखों वाला मांसानसलंबड़-(न०) ऊंट। हारी पशु या पक्षी। नसीत-(ना०) १. नसीहत । सीख । २.. उपदेश । नहियो-दे० नहणो। नसीब-(न०) भाग्य । प्रारब्ध । नहितर-(प्रव्य०) १. नहीं तो । २. वरना। नसीबदार-(वि०) दे० नसीबधारी। __ अन्यथा । ३. अथवा । किम्वा । नसीबधारी-(वि०) नसीब वाला। भाग्य- नहिं तो-दे०नहिंसर । For Private and Personal Use Only Page #686 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ६६९ ) नहीं नहीं - ( नहींतर दे० नाहितर | नहोरियो - दे० नोरियो । ५. ८. २. नहोरो - ( न० ) १. अनुरोध । निहोरा । प्राग्रह । २. मनुहार । खुशामद । ३. प्रार्थना । मिलत । ४. बाड़ आदि से घिरा हुआ पशुयों को बाँधने का स्थान । बाड़ा । ५. दीवाल से घिरा हुआ चौक या खुला मकान जहां बड़े भोज के बनाने और ज्योनार की व्यवस्था होती है । नंखावरण - दे० नखावरणो । नंग - ( न० ) १. कोई एक वस्तु । प्रदद | नग । २. एक का परिमाण । इकाई । ३. जवाहरात । रत्न । ४. मोती । संतान । ६. कुपुत्र । ७. कुपात्र । पाँव । (वि०) १. नंगा । विवस्त्र । निर्लज्ज । ३. एकाकी । नंग-धड़ंग - (वि०) १. नंगा । विवस्त्र । २. मुँहफट | ३. बदमाश । ४. बेशर्म । ५. विधुर । ६. संतान रहित । ७. घर या कुल में एक मात्र । एकाकी । नंगळियो - ( न०) मिट्टी का छोटा जलपात्र । नंगो - ( वि० ) विवस्त्र | नंगा । नागो । ढकी - ( विo ) नन्ही । छोटी । ( ना० ) १. नवजात कश्या । बच्ची । २. छोटी लड़की । नँढको दे० नँढियो । नँढियो - ( वि० ) नन्हिया | नन्हा | छोटा । ( न० ) १. बच्चा । शिशु । २. छोटा लड़का | व्य० ) न । ना । निषेध । नहीं । नंढो - (वि०) नन्हा | छोटा । नंद - (वि०) नो । । ( न० ) १. श्रीकृष्ण के पालक पिता । २. एक राग । ३. हर्ष । श्रानंद । ४. वणिक । बनिया । ५. पुत्र । ६. मगध राजानों की एक उपाधि । ७. एक निधि । नंद कुँवर - (०) १. श्रीकृष्ण । नंदकुमार श्री बालकृष्ण । २. छोटे बच्चे के प्यार Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाश्रीलाद का नाम । शिशु । बच्चा । नंदगिर - ( न० ) १९ जूनागढ़ का प्राचीन नाम । २. गिरनार पर्वत । ३. अर्बुद गिरि । श्राबू का पर्वत । ४, गिरिराज । गोवर्धन पर्वत । नंदरण - ( न० ) पुत्र । नंदन । नंदरगो - ( क्रि०) १. दीपक बुझाना। २. दीपक का गुल होना । बुझना । ३. आनंदित होना । ४. निंदा करना । नंदनवन - ( न० ) नंदन नाम का इन्द्र का उद्यान । श्रीकृष्ण । नंदनंदरण - ( न० ) नंद- राणी - ( ना० ) नद की पत्नी । यशोदा । नंदा - ( ना० ) १. दुर्गा। पार्वती । २. प्रतिपदा, छट तथा एकादशी । नंदी - ( ना० ) १. नदी । २. शिव का वाहन । वृषभ । बैल | नांदियो । नंबर - ( न० ) १. संख्या । अंक । २. क्रमांक । नंबरी - (वि०) १. नंबर वाला । २. अच्छा । श्रेष्ठ । ना - ( श्रव्य० ) नहीं । ना । मत । नकार | ( प्रत्यo ) संबंध सूचक 'नो' विभक्ति का बहुवचन रूप । के । जैसे- श्राभ ना वादळा । नाइक - दे० नायक । नाई - ( न० ) १. हज्जाम । नापित । खवास | २. नाई जाति । ( ना० ) खेत में हल चलाते समय हल के पास बाँधी जाने वाली बाँस को लंबी नालिका, जिसमें बोने के लिए बीज डाले जाते हैं । (भू०क्रि०) 'न + श्राई' का एक काव्य For Private and Personal Use Only रूप । नाई वर - (०) जिसके नाई बंधी रहती है वह हल | नाऊं - (श्रव्य ० ) 'ना + आऊं' का छोटा रूप । नहीं आऊं । नामौलाद - (वि०) निस्सतान । Page #687 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ६७० ) नामपांचम नाक-(न०) १. नाक । नासिका । २. ८. प्रमुख स्थान । इज्जत । प्राबरू । ३. स्वर्ग । ४. नाकोर-दे० नसकोर । माकाश । ५. प्रतिष्ठा या शोभा की नाखणो-दे० नांखयो । वस्तु । नाखत-(न०) नक्षत्र । तारा । ग्रह । नाक कटणो-(मुहा०) बेइज्जत होना। नाखत्र-दे० नखव। नाक काटणो-(मुहा०) बेइज्जत करना। नाखप-(वि०) अनावश्याः । नाक वढियो-(वि०) १. नाक कटा। २. नाखित-दे० नाखत । नकटी । ३. निर्लज्ज । नाखून-(न०) नख । नाक बढणो-दे० नाक कटो। नाग-(न०) १. सर्प । २. हाथी। ३. एक नाक वाढणो-दे० नाक काटयो। प्राचीन जाति । ४. पर्वत । ५. सीसा नाक में सळ घालणा-(मुहा०) १. मना नाम की एक धातु । ६. देवों की एक करना। २. घृणा करना। ३. नाराज जाति । ७. पाठ का संख्यासूचक शब्द । होना। ४. अनिच्छा प्रगट करना। नाग कन्या-(ना०) नाग जाति की कन्या । नाकाबंधी-(ना०) १. प्रवेश द्वार पर बैठाई नागकेसर-(ना०) १. एक वनस्पति । २. गई चौकी। २. नाका पर लगाई जाने कबाबचीनी। शीतलचीनी। वाले प्रवेश बंधी। ३ किसी रास्ते या नागछोर-दे० अफीम । प्रवेश द्वार में आगे बढ़ने की मनाई। नागछोळ-दे० नागछोर । नाकाबिल-(वि०)अयोग्य । नकामो। नाग-भाग-(न०) अफीम। " नाकार-(क्रि०वि०) नहीं, ना। (वि०) १. नागड़ी-(वि०)१. बदमाश । २. धूर्त(स्त्री)। निकम्मा । बिना काम का। २. कृपण। नागड़ो-(वि०) १. बदमाश । धूर्त । २. नंगा। व्यर्थ । बेकाम । (न0) नहीं का उच्चा नागण-(न०) नागिन । रण। नाकारणो-दे० नकारणो। नागरणी-दे० नागण । नाकारो-(न०) 'न' या 'नहीं' का बोध नागणेची-(ना०) राठौड़ों की कुल देवी । कराने वाला शब्द । नकार । इनकार । नागदमण-(न०) १. श्रीकृष्ण द्वारा किया (वि०) निकम्मा । अयोग्य । नकारा। जाने वाला काली नाग का दमन । २. (अव्य०) नहीं। कवि सांया झूला के एक काव्य ग्रन्थ का नाम । नाकी-(ना०) १. अंगरखी-कचुकी प्रादि में नागदहो-(न०) १. मेवाड़ में एक प्राचीन बटन डालने का नकुमा। २. प्रतिष्ठा । ऐतिहासिक स्थान । २. नागदहा गांव के इज्जत । नाम पर मेवाड़ के राणाओं की एक नाको-(न०) १. छेद । २. सुई या सुए का उपाधि । छेद । नक्का । नाका । ३. कर वसूल नागपहाड़-(न०) अजमेर के निकट आडाकरने की चौकी। ४. गांव में प्रवेश वाला (अरावली) का एक भाग जिसमें करते समय लिया जाने वाला कर। से लणी नदी निकलती है। चुगी। राहदारी । नकुमा। ५. छेह । नागपांचम-(ना०) १. नाग पूजा की भादौ अंत । ६. गली या बाजार का मोड़ या वदी पंचमी । नागपंचमी। २. नाग पूजा प्रवेश द्वार । नुक्कड़ । ७. किनारा। का एक त्योहार । For Private and Personal Use Only Page #688 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नागफणी नागफणी ( ना० ) १. एक वनस्पति । २. एक प्राभूषण । नागफण - ( न० ) अफीम | नागफैरण दे० नागफीण । ( ६७१ ) नागम - ( ना० ) छुट्टी । श्रवकाश । नागा । ( वि० ) अनजान | अज्ञान । बेखबर | नागर - ( न०) १. नागर जाति । २. नागर जाति का व्यक्ति । ३. ब्राह्मणों की एक शाखा । ४. श्रीकृष्ण । ५. सोंठ । (वि०) १. नागर संबंधी । २. नागर जाति का । सभ्य । चतुर । नागर अपभ्रंश - ( ना० ) अपभ्रंश भाषा का एक प्रकार । नागरमोथो - ( ना० ) एक वनस्पति | नागरमुश्ता । नागरवेल - ( ना० ) १. पान बेलि । तांबूललता । २. तांबूल । नागराज - ( न० ) शेष नाग । नागरी - ( ना० ) १. भारत की वह प्रमुख लिपि जिसमें संस्कृत, मराठी, राजस्थानी व हिन्दी लिखी जाती हैं । देव नागरी लिपि । २. नगर में रहने वाली स्त्री । ३. विद्वान स्त्री । ४. चतुर स्त्री । नागरीदास - ( न० ) भक्त कवि किशनगढ़ नरेश सांवत सिंह का काव्य नाम । नागलोक - ( न० ) पाताल । नागा - ( ना० ) १. छुट्टी । तातील । नागम । २. अनुपस्थिति । ३. अंतर । बीच । ४. नंगे रहने वाले साधु । ५. वैरागी साधुत्रों की एक शाखा । ६. एक जाति जो आसाम में रहती है । नागाई - ( ना० ) १. बदमाशी । लुच्चाई | २. धूर्त्तता । ३. निर्लज्जता । ४. हठीला पन । हठ । जिद । नागारगो - ( न०) १. नागौर शहर । २. नागा समूह । ३. हाथियों का झुंड । (वि०) १. नग्न । नंगा । २. निर्लज्ज । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only नागो-लुच्चो नागारण राय - दे० नागणेची । नागाणो - ( न०) १. नागौर नगर । २. नागोर नगर का साहित्यिक तथा लोकभाषी नाम । नागी - (वि०) १. वस्त्र होना । प्रावरण हीन । नंगी । २. निर्लज्जा । ३. भगड़ालू । ४. कुलटा । नागीरांड - ( ना० ) १. एक गाली (स्त्री को) । नागो- (वि०) १ विवस्त्र । २. नंगा | २. छिनाल स्त्री । निर्लज्ज । नलजो । २. झगड़ालू । ( न० ) वैरागी साधु | नागो-तड़ ग - (वि०) बिलकुल नंगा । वस्त्र हीन । साव नागो । नागोतूत - (वि०) बेशर्मं । बिल्कुल बेशर्म । नागोबूच - ( वि०) १. नीच और दुष्ट । २. बद माश । ३. निर्लज्ज । ४. जिसके परिवार में कोई नहीं हो । कुटुम्बहीन । नागोभू गो- (वि०) १. बिल्कुल नंगा । २. बेइज्जत । ३. निर्धन | नागोर - (न० ) मारवाड़ का एक प्रसिद्ध ऐसिहासिक नगर । नागोरण - ( ना० ) राजस्थान के बीकानेर, शेखावाटी आदि उत्तर पूर्व के प्रदेशों में दक्षिण पश्चिम में नागौर की ओर से चलने वाली वर्षा अवरोधक वायु । ( वि०) १. नागोर संबंधी । २. नागौर की ( ना० ) । नागोरी - ( वि०) १. नागौर प्रदेश की नस्ल का (प्रसिद्ध बैल) । २. नागौर के नाम से प्रसिद्ध ( कारीगरी में प्रसिद्ध मुसलमानी लुहार ) । ३. नागोर का रहने वाला । नागौर निवासी । ४. नागौर संबंधी । ( ना० ) १. नागौर के आसपास का का प्रदेश । २. हथकड़ी-बेड़ी (नागौर में बनने के कारण) । नागोरी - गहरणो- ( न० ) हथकड़ी - बेड़ी । नागो - लुच्चो - दे० नागो-बूच । Page #689 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाच ( ६७२ ) नाच-(न०) १. नाचने की क्रिया या भाव। ७. संकट पूर्ण । ८. गंभीर । नृत्य । २. नाचने का उत्सव । ३.नखरा। नाजू-(ना०) १. प्रियतमा । २. कोमलांगी। नाचकूद-(न०) १. उछल-कूद । २. शरा- नाजो। ३. लाड़ली । दुलारी । ४. राजरत । ३. नाच-तमाशा । स्थानी लोक गीतों की एक नायिका । नाचरण-(ना०) १. नाचने वाली । नृत्य की नाजोगो-(वि०) १. अयोग्य । नालायक । नर्तकी। २. नाज नखरों वाली स्त्री। २. नही होने योग्य । ३. नहीं करने नखरीली। ३. वेश्या - गायिका। ४. योग्य । विवाहादि में गाये जाने वाले समधिन नाजारा-दे० नजोरी। संबंधी गाली और व्यंग्य के लोकगीतों नाजोरो-(वि०) १. अशक्त । निर्बल । २. की एक नायिका। विवश । ३. असमर्थ । नाचरिणयो-(न०) नाचने वाला । नर्तक । नाट-(न०) १. नृत्य । २. नकल । स्वांग । ३. कांटा। ४. चुभे हुए काँटे को निकानाचरणो-(क्रि०) १. नृत्य करना । नाचना। लने पर अंग में रहने वाला उसका तीखा २. गोलाई में धूमना। चक्रवत फिरना । भाग । फांस । ५. अभाव । ६. इनकार । गोल गोल फिरना । ३. क्रोध या व्यग्रता नाटक-(न०) १. रंगशाला में किया जाने से ऊंचा-नीचा होना। वाला चरित्र-घटनाओं का प्रदर्शन । २. नाचरणो-(क्रि०)[न+पाचरणो] पाचरण दृश्यकाव्य । ३. ढोंग। नहीं करना। नाटणो-(क्रि०) १. नटना । इनकार करना। नाचीज-(वि०) १. तुच्छ । २. निकम्मा । २. कहकर मुकर जाना । ३. नृत्य निकामो। करना। नाचेत-(वि०) बेहोश । अचेत। नाट थाट-(न०) १. नृत्य का थाट । नृत्योनाछूटक-(अव्य०) विवशता से । लाचारी त्सव । २. ठाट का प्रभाव । ३. संकट । से । नाट वाळ-(वि०) कंजूस ।। नाज-(न०) १. अनाज । अन्न । २. नखरा नाटसाल-(वि०) १. जबरदस्त । शक्ति३. घमंड। शाली। २. वीर । योद्धा । ३. खटकने नाजर-दे० नाजिर। वाला। नाजरपाट-(न०) एक प्रकार का कपड़ा। नाटारभ-(न०)१. नृत्य । २. नृत्य नाटक । नाजायज-(वि०) १. अवैध । २. अनुचित। नाटी-(वि०) १. जबरदस्त । शक्तिशाली। २. ठिगनी । ठीगणी। नाजिम-(न0) एक सरकारी प्रबंधकर्ता ।। नाटो-(वि०) १. जबरदस्त । २. ठिगना । नाजिर-(न०) १. पुरुष भेष में रहनेवाला ठौंगणो। ठौंगो। हिजड़ा। खोजा। २. निरीक्षक । ३. नाठ-(ना०) भाग-दौड़। हाकिम । ४. अंतःपुर का खोजा कार्य नाठणो-(क्रि०) १. भागना। भाग जाना। कर्ता। २. दौड़ना। नाजूक-(वि०) १. अशक्त। कमजोर । २. नाड-(न0) १. छोटी नाडी। छोटा जला २. निकृष्ट । खराब । ३. सूक्ष्म । पतला। शय । नाडकी । २. पानी का खड्डा । ४. कोमल । सुकुमार । ५. तनिक आघात नाड-(ना०) १. नस । २. नाड़ी। नब्ज । से फूट जाने वाला। ६. अवनत । पतित। ३. गरदन । For Private and Personal Use Only Page #690 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाथको मुद्रा। माइकियो ( ६७३ ) नाडकियो-न०) १. छोटा कच्चा तालाब । लानः । २. नहीं आने देना। __ नाडो । २. पानी भरा हुआ खड्डा । नाण-विनाण-(न०)ज्ञान-विज्ञान । नाडकी-दे० नाडी। नारणा-बजार-(न०) १. सराफी बाजार । नाडको-दे० नाडो। सराफा । २. जौहरी बाजार । नाडर-दे० निडर । नाणा-भीड़-(नाo) पैसे की तंगी। अर्थनाड़ा-छोड़-(न०) १. पिशाब । मूत्र । लघु संकट । शंका । २. पिशाब करने को जाने की नागो-(न०) १. धन । द्रव्य । २. रुपयाक्रिया। पैसा। ३. चलता सिक्का । प्रचलित नाड़ा-छोड़करणो-(मुहा०)पिशाब करना। नाड़ा-टाँकण-(ना०) वर्षा ऋतु में दक्षिण नातणो-(न०) अंगोछा । गमछा। पश्चिम की ओर से चलने वाली वर्षा नातर-(न०) १. रक्त प्रदर का रोग । २. अवरोधक वायु । नाडा टोकरण । रजस्राव । (प्रव्य०) नहीं तो। नाडा-टोकरण-दे० नाड़ा टांकरण । नातरात-(ना०)१. 'नातरो' की हुई स्त्री। नाडियो-दे० नाडकियो। २. पुनर्लग्न की हुई स्त्री । पुनर्विवाहिता। नाडी-(ना०) तलाई । बिना घाट का छोटा . नातरायत-दे० नातरात । नातराई-(वि०) १. जिस जाति में स्त्री का तालाब । पोखर । नाडकी। पुनर्लग्न या नाता हुअा हो। (उसका नाड़ी-(ना०) १. नस । २. नब्ज । नाड़ी। विशेषण) नातरात । २. जिस व्यक्ति ने ३. चमड़े की रस्सी । ४. रस्सी । (पुनर्विवाह) नाता किया हो या जो नातनाड़ी-तोड़-(वि०) १. जबरदस्त । २. बल रात का पुत्र हो (उसका विशेषण)। शाली । सेठो । ३. युवा। __ नातरो-(न०) १. विधवा स्त्री का (बिना नाड़ी धमण-(न०) लुहार । लग्न विधि के) दूसरा पति करने की एक नाड़ी-वैद-(न०) नाड़ी देखकर निदान तथा विधि । विधवा का दूसरा पति करना । चिकित्सा करने वाला वैद्य । २. विधवा स्त्री का पुनर्लग्न । नाडीव्रण-(न०) नासूर । नातो-(न०) १. संबंध । रिश्ता। २. दे० नाडो-(न०) छोटा कच्चा तालाब ।। नातरो। नाउकियो। नाथ-(न०) १. ईश्वर । २. श्रीकृष्ण । ३. नाड़ो-(न०) १. सूत का नारा । लहँगा मालिक । स्वामी । ४ पति । शौहर । आदि बांधने का फीता। इजारबंद । २. खाविंद । ५. राजा । ६. नाथ सम्प्रदाय । नवजात शिशु की नाल । आँवळ । जेरी। ७. संन्यासियों की एक उपाधि । संन्या३. चमड़े का रस्सा । सियों की दश उपाधियों में से एक । ८. नाड़ो-खोलणो-दे० नाड़ो-छोड़णो । गोरखपंथियों की एक उपाधि । ६. बैल नाड़ो-छोड़णो-(मुहा०) पिशाब करना । आदि पशुओं को वश में रखने के लिए मूतणो । उनके नाक में डाली जाने वाली रस्सी। नाढब-(वि०) १. बेतरतीब । २. अव्य- नाथ-अनाथ-(न०)अनाथों के नाथ। ईश्वर । वस्थित। नाथणो-(क्रि०)१. बैल आदि का नाक बींध नाण-(न०) ज्ञान । बोध । कर उसमें रस्सी डालना । नाथना। २. नाणणो-(क्रि०) १. (न+पाणणो] नहीं वश में करना । नाथना । For Private and Personal Use Only Page #691 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नाथद्वारो नाथद्वारो - (न० ) मेवाड़ में वल्लभ सम्प्रदाय के श्रीनाथजी का प्रसिद्ध ऐतिहासिक तीर्थं स्थान | नाथद्वारा । श्रीनाथ द्वारा । नाथपूत - (To) कामदेव | नाथवाळो - (वि०) पराधीन । ( न० ) ऊंट, बैल आदि जानवर | नाथी - रो-वाड़ो - (श्रव्य ० ) १. सबके लिये खुला स्थान । बेरोक-टोक आने-जाने की जगह । २. व्यभिचारिणी स्त्रियों का अड्डा । नाद - ( न० ) १. अव्यक्त शब्द । २. अनहद शब्द । ३. ध्वनि । शब्द । ४. शहनाई, नफीरी आदि का ध्वनि-संगीत । ५. संगीत | ६. हरिण के सींग का एक वाद्य | सींग | सोंगड़ी । ७. भारी शब्द | ८. घोर शब्द । गर्जन । ६. गवं । अभिमान । नादम - ( वि० ) १. निकम्मा | बेदम । २. अशक्त । नादरणो- ( क्रि० ) [ न + आदरणो ] १. प्रयत्न नहीं करना । २. प्रदर नहीं करना । ३. स्वीकार नहीं करना । नादान - ( वि०) १. नासमझ । मूर्ख । २. छोटी ऊमर का । नादारी - ( ना० ) १. ऋणमोचनाशक्ति । दिवालियापना। २. दिवाला । ३. गरीबी । ( ६७४ ) ४. कायरता । नादिरशाह - ( न० ) एक जुल्मी बादशाह । नादिरशाही - ( ना० ) १. जुल्मी राज्य कारोबार । २. भारी अंवेर या अत्याचार । ३. निरंकुश शासन । नादेत - (विं०) १. सर्वसाधारण द्वारा प्रशंसित । २. कीर्तिमान | यशस्वी | नानक - ( न० ) सिक्ख संप्रदाय के संस्थापक महात्मा । नानक पंथ - (To) गुरू नानक द्वारा स्थापित पंथ । नाफिकरो नानक पंथी - ( न०) गुरू नानक के मत का अनुयायी । नानकशाही - (०) १. नानकशाह का शिष्य । २. मँगता । ( वि०) झगड़ाखोर । नानड़ियो - ( न० ) छोटा बच्चा । ( वि० ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छोटा । नानड़ी - ( ना० ) छोटी बच्ची । ( वि०) छोटी । नानम- दे० नैनम | नानारगो - ( न०) ननिहाल । नाना - सुसरो - ( न० ) पति के लिये पत्नी का और पत्नी के लिये पति का नाना । ननियाससुर । नानीसुसरो । नानी - ( ना० ) माता की माता । मातामही । नानी । नानी सासरी - ( न०) पति या पत्नी के लिये एक दूसरे का ननिहाल । नानी - सासू - ( ना० ) पति या पत्नी की नानी सास । नानी-सुसरो दे० नाना-सुसरो । नानेरो- दे० नानाणो । नानो - ( न०) बाप का ससुर। माता का पिता । मामा का बाप | मातामह । नान्हडियो - ( वि०) छोटा । नन्हा | ( न० ) छोटा बच्चा । नान्हो - दे० नैनो । नाप - ( न०) लम्बाई-चौड़ाई का परिमाण | नापट - ( न० ) नाई । हज्जाम । ( तुच्छता सूचक ) । नापटियो - दे० नापट । नापणो - ( क्रि०) किसी स्थान या वस्तु की लबाई-चौड़ाई निश्चित करना। नापना । २. ( न + प्रापणो ) नहीं देना । नापो दे० नाप । नाफबतो- (वि०) प्रशोभनीय । ना फिकरो- (वि०) किसी प्रकार की बिना चिता वाला । चिंता नहीं करने वाला । ब्रेफिकर For Private and Personal Use Only Page #692 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माफी । ६७५ ) नामंजूर नाफो-(न०) कस्तूरी से भरी हुई एक गांठ को धार के रूप में गिराना। पानी जो हिमालय के कस्तूरी-मृग की नाभि में डालना। ५. तरल पदार्थ का उडेलना । उत्पन्न होती है। ६. नमना । झुकना । ७. वंदन करना। नाबालिग-(वि०) जो वयस्क न हो । अव- नामदार-(वि०) प्रसिद्ध । नामी । यस्क। नामधारी-(वि०) १. नाम के अनुसार गुण नाबालिगी-(ना०) १. वयस्क न होने की कर्मों से रहित । केवल नाम वाला । २. अवस्था । २. राज्य की वह अवस्था ढोंगी । पाखंडी। जिसमें उत्तराधिकारी अवयस्क होने से नामना-ना०) १. नाम । २. ख्याति । उसका शासन प्रभु-राज्य चलाता है। प्रसिद्धि । ३. कीर्ति । यश । मामवरी। नाबूद-(वि०) १. नष्ट । ध्वस्त । २. समूल । २. समूल नाम-निसारण-(न०) निशान । चिन्ह । उच्छेद । निर्मूल। नाम-निशान । नाभ-दे० नाभि । नाम-मात्र-(प्रव्य०)१. मात्र नाम के लिये । नाभल-(वि०) अच्छा नहीं। बुरा । खराब । २. कहने भर का । (वि०) बहुत थोड़ा। नाभादास-(न०) भक्तमाल प्रादि ग्रंथों के अत्यल्प । रचयिता एक प्रसिद्ध रामभक्त कवि । नाम-माळा-(ना०) १. नामों का कोश । नाभि-(ना०) १. नाभि । धुन्नी । ढोंढी। . ।। दाहा। . नामों की तालिका । २. पर्यायवाची टूडी । २. मध्य भाग । नाह। ३. केन्द्र शब्दकोश । भाग । (वि०) १. मध्य । २. केन्द्र । नामरजी-(ना०) अनिच्छा। नाभी-दे० नाभि । नाभोम-(वि०) अनजान । बेमालूम ।। नामरद-(वि०) १. नार्मद। नपुंसक । २. डरपोक । नाम-(न०) १. नाम । संज्ञा । २. धाक । ३. ख्याति । प्रसिद्धि । ४. स्मृति । नामरदी-(ना.) १. नपुंसकता । २. कायरता। यादगार । ५. कीर्ति । यश । ६. अर्थ । नामराशि-(न०) एक ही नाम के दो या माने । मतलब । (अन्य०) १. अर्थात् । यथा-'वीर नाम भाई । तळो नाम दो से अधिक व्यक्ति । (वि०) १. एक ___ नाम वाले । २. एक राशि के नाम कूओं'। वाले। नामगो-(न०) नाम । ख्याति । नाम लेवो-(न0) उत्तराधिकारी । (वि०) नामजाद-(वि०) १. ख्याति प्राप्त । नामी। प्रसिद्ध । २.अपने नाम से प्रसिद्ध । मशहूर । १.याद करने वाला। २.नाम लेने वाला। नामवर-(वि०) प्रसिद्ध । नामजादिक-दे० नामजाद । नामजादो-दे० नामजाद । नामवरी-(ना.) १. ख्याति । प्रसिद्धि । नामजोग-(वि०) जिसका नाम लिखा गया २. कीत्ति । हो उसी को मिले (हुंडी के रुपये) । साह नामसाद-(वि०) विख्यात । जोग । नामशेष-(वि०) १. मरा हुआ। मृत । २. नाम-ठाम-(न0) पता-ठिकाना। सरनामो। नष्ट । ध्वस्त । नामणो-(क्रि०) १. नमाना । २. झुकाना। नामंजूर-(वि०) १. अस्वीकृत । नामंजूर । ३. प्रवाहित करना । ४, पानी २. अमान्य। For Private and Personal Use Only Page #693 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नामादार । ६७६ ) नायब नामादार-(न०) बही-खाते का काम करने काम । २. बहियों का इंदराज व वाला व्यक्ति । मुनीम । हिसाब। ३. जमा खर्च । ४. जमा ना-मालुम-(अध्य०) १. पता नहीं। पह- खर्च लिखने की विधि । ५. हिसाब । चान नहीं। न जाने । (वि०) अपरिचित । लेखा। अज्ञात । नामोवाळरणो-(मुहा०) बकाया रकम का नामावणो-दे० नमावणो। जमा करना । खाता बराबर करना । नामी-(वि०) १. विख्यात । प्रसिद्ध । २. नामोसी-(ना०) १. नामसी । निंदा । श्रेष्ठ । उत्तम । ३. सुदर । ४. प्रकल्प- बदनामी । २. प्रसिद्धि । ख्याति । नीय । ५. आश्चर्यजनक । विस्मयकारक। नायक-(न०) १. प्राचार्य । २. पति । ३. ६. अनुचित । बुरी । (न०) विष्णु । नायक । अगुवा । ४. सरदार । ५. नामी-गिरामी-(वि०) प्रसिद्ध । श्रेष्ठ पुरुष । ६. किसी काव्य या नाटक नामुराद-(वि०) जिसकी कामना पूर्ण नहीं प्रादि का मुख्य पात्र । ७.एक जाति । ८. - हई हो। विफल मनोरथ । बनजारा । ६. भील, थोरी प्रादि जाति । नामून-(न०) ख्याति । प्रसिद्धि । शिकारी जाति । नामे-(अव्य०) १.-के नाम । -के खाते नायका-(ना०) १. नायिका । २. रूपगुण ' में। -के हिसाब में । नाम ऊपर । २. संपन्न स्त्री । (वि०) रूपगुण संपन्ना । : लेखे । उधार खाते में। . नायकारणी-(ना०) १. नायक जाति की नामेक-(वि०) नाम मात्र । थोड़ा सा। स्त्री । २. नायक की पत्नी । नामे मांडणो-(मुहा०) १. -के खाते में नायका-पाठड़ा-(प्रव्य०) नायक-नायिकाओं .. लिखना । २. रकम ले जाने वाले के नाम के चरित्र या वर्णन में। बही में लेखे लिखना । उधारना। नायठ - (ना०) १. खोये हुये या चुराये गये नामो-(न०) १. धंधे में होने वाले लेन-देन पशु का किया जाने वाला पीछा या की वाणिज्य नियम के अनुसार बहियों तलाश । २. भागदौड़ । (वि०) १. में की जाने वाली नोंध । २. हिसाब । भागने वाला। २. बचने वाला । ३. ३. जमा खर्च । ४. जमा खर्च का अपराध से बचने की कोशिश करने वाला। हिसाब । ५. दैनिक हिसाब । ६ हिसाब- ४. अपराधी। किताब । खाता । ७. बही खाते लिखने नायठू-(वि०) १. खोये हुये पशु की तलाश . का काम । ८. लिखावट । लेख । ६. या पीछा करने वाला । २. भागने वाला। बरतन आदि पर लिखा हुप्रा नाम । ३. बचने वाला । ४. अपराध से बचने १०. पता ठिकाना। ११. ख्याति । नाम। का प्रयत्न करने वाला । ५. अपराधी । नामो करणो-(मुहा०) हिसाब-किताब नायण-(ना०) १. नाई जाति की स्त्री। लिखने का काम करना । २. नाई की पत्नी। नामोठामो-(न0) १. बहियों में इंदराज नायत-(न०) १. कुरान की पायातों को करने का काम । २. नामे का विवरण नहीं पढ़ने तथा मानने वाला । हिन्दू । सहित हिसाब । २. मुसलमानेतर । ३. दीन । ४. वैद्य । नामो-लेखो-(न0) १. बहियों में इदराज नायब-(वि०) १. सहकारी । सहायक । २. करने का काम । हिसाब-किताब का . छोटा । उप । For Private and Personal Use Only Page #694 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीयागो ( ६७७ ) नाळ नायारणो-दे० नागाणो। नारियण-दे० नारायण । नायो-(प्रव्य०) न+पायो (न = नहीं + नारियळ-(न०) नारियल । प्रायो = माया) का छोटा रूप । नहीं नारी-(ना०) स्त्री। नारी । महिला। प्राया । (न०) १. बढ़ई का प्रोजार । नारी जाति-(ना०) १. स्त्री जाति । २, २. बैलगाड़ी के पहिये के बीच में रहने स्त्रीलिंग (व्याकरण)। वाला छेद युक्त एक लोहे का उपकरण जिसमें धुरी रहा करती है। पहिये की नारू-(न०) १. नाई, धोबी, बारी, बढ़ई .. आदि नौ जातियों के समूह का नाम । . नाभि। नार-(ना.) नारी। स्त्री। पौनी। २. विवाह आदि अवसरों पर नारकियो-दे० नारो। नेग लेने वाला। पौनी। ३. एक रोग नारकी-(ना०) नरक । (वि०) १. नरक । जिसमें घाव में से सूत जैसा लंबा सफेद का । २. नरक भोगी। .. कीड़ा निकलता है । । नहरुमा । बाळो,। नारको-दे० नारो। नारळ-दे० नाळेर। नारगी-दे० नारकी । नारळी-दे० नाळे री। नारद-(न०) १. एक प्रसिद्ध देवर्षि । २. नारो-(न०) १. जवान और मजबूत बैल । चुगलखोर । ३. झगड़ा लगाने वाला। २.छोटे कद का जवान बैल । नारक्रियो। नारदो-(न०) १. शौचालय । मलमूत्र नाळ-(ना०) १. तोप । २. बंदुक । ३. करने का स्थान । २. गंदे पानी का बंदूक की नली। नाल । ४. पगडंडी। नाला। ५. दो पहाड़ों के बीच का संकरा मार्ग । नारस-(वि०) नीरस । घाटी। ६. मार्ग । ७. गली। ८. जंगली नारंग-(न०) १. खून । रक्त । २. तलवार । चींटियों के आने जाने का मार्ग । ६. ३. नारंगी। परनाल । पनाला । १०. जीना । सीढ़ी । नारंगफळ-(न०) १. कुच । स्तन । २. ११. कमल की डंडी। १२. रस्सी जैसी नारंगी। वह नली जो गर्भस्थ शिशु की नाभि से नारंगी-(ना०) नारंगी । संतरा । नाराच-(न०) १. तलवार । २. बारण । और गर्भाशय से जुड़ी रहती है। १३. प्राँवळ । जेरी । १४. भग । योनि । ३. एक छंद। १५. छत की खपरेलों की संधि पर नाराज-(ना०) १. तलवार । नाराच । २. बारण । नाराच । ३. भाला। (वि०) लगाया जाने वाला नरिया । १६. जूते अप्रसन्न । रुष्ट । नाखुश । के एड़ी के नीचे या घोड़े के खुर के नीचे नाराजगी-दे० नाराजी। जड़ा जाने वाला अर्द्धचंद्राकार लोह नाराजी-(ना०) अप्रसन्नता । नाखुशी । खंड । १७. आग में फूक देने की नली । नाराट-(न०) तीर । बारण । १८. पशुओं को औषधि देने की एक नाराग-दे० नारायण । नलिका । ढरका । १६. नाम । २०. नारायण-(न०) १. शेषशायी विष्णु भग लोक व्यवहार । २१. जाति व्यवहार । वान । २. ईश्वर । २२. वंश परम्परा । २३. समूह । २४. नारायणी-(ना.) १ लक्ष्मी । २. श्रीकृष्ण पखावज जैसी एक ढोलक । (वि०) की सेना । पुराना। For Private and Personal Use Only Page #695 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ६७८ ) नाळ- अलोम नाळ - श्रलाम - ( न० ) चोर । नाळक - (वि०) पुराना । नाळ कटाई - ( ना० ) १. नवजात शिशु की नाभि में लगी हुई नाल को काटने की क्रिया । २. नाळ कटाई का नेग या उजरत । नाळकी - ( ना० ) १. एक प्रकार की खुली छोटी पालकी । (वि०) पुरानी । जूनी । नाळको- (वि०) पुराना । नाळचो - ( न० ) टीन में से तेल निकालने की एक विशेष नलिका । नाळछेद - ( न० ) डिंगल - काव्य में जथानों का निर्वाह नहीं होने का एक दोष । नाळणो - ( क्रि०) १. देखना । निहारना । २. खोजना। तलाश करना । नाळनिहाव - ( न०) तोप या बंदूक के छूटने शब्द नाळबंद - ( वि०) १. नाल बाँधने वाला । अश्वपादुकाकार । २. नाल बँधा हुआ । (To) प्रश्ववंद्य | नाळबंदी - ( ना० ) नाल बाँधने का काम | ( न० ) एक कर । नाळ भाखर- (न०) मेवाड़ का एक पर्वत । नाळ भ्रष्ट - (वि०) १. मांस, मदिरा सेवन करने के कारण जाति से बहिष्कृत | जाति च्युत । २. प्राचार, नीति और धर्म से गिरा हुआ । धर्म मार्ग से च्युत । ३. पतित । श्रधम । नालंदा - ( न० ) ९. बिहार का एक प्राचीन नगर । २. बौद्धों का एक प्राचीन क्षेत्र । ३. एक प्रसिद्ध विद्यापीठ, जो पटना से ३० कोस दक्षिण में था । नाला नाळिके १२. मूर्ख । वल । नारिकेल | नालिश - ( ना० ) १. फरियाद । २. शिकायत । ३. अन्याय, प्रत्याचार के विरुद्ध स्वायालय में फरियाद करना | मुकदमा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नोवड़णी नाळी - ( ना० ) १. बंदूक । २. तोप । ३. बंदूक या तोप की नली । ४. छोटा नाला । ५. नाली । मोरी । नाळेर - ( न० ) ( नारियल का वर्ण व्यतित्रम रूप) १. नारियल । श्रीफल । २. वाग्दान की एक प्रथा जिसमें कन्या का पिता किसी लड़के के साथ अपनी कन्या की सगाई के निमित्त स्वर्ण या रौप्य मंडित नारियल, कुंकुम और मुद्रा-भेंट पुरोहित के हाथ भेजता है । नाळे रियो - ( न० ) १. नारियल । २. नारियल की टोपसी का बना हुआ हुक्का । ( वि०) १. नारियल का । २. नारियल जैसा । ३. नारियल का बना हुआ । नाळेरी - ( ना० ) १. नारियल की खोपड़ी । २. नारियल की कटोरीनुमा श्राधी खोपड़ी । ३. नारियल की खोपड़ी का बना हुप्रा हुक्का | ( वि०) १. नारियल का । २. नारियल का बना हुआ । नाळे री - पूनम - ( ना० ) सावन की पूनम का रक्षाबंधन पर्व | रक्षाबंधन का दिन | राखड़ी पूनम । श्रावणी । नाळो - ( न०) १. बरसात श्रादि का पानी बहने का नाला । जलमार्ग । २. रस्सी की जैसी एक नलिका जो गर्भस्थ शिशु की नाभि से और गर्भाशय से जुड़ी रहती है । नाळ । ३. मृत्युरोदन । क्रंदन । नाव - ( ना० ) नौका । किश्ती । पोत । नाव - ( ना० ) १. नापसंदी । २. अनिच्छा । अरुचि । ३. दौड़ । पहुँच ४. शक्ति । पहुंच । नावणी - ( क्रि०) १. आगे जाने वाले को पहुँचना | पहुँचना | पकड़ना । पूगरणो । २. पूरा करना । सम्पन्न करना । ३. मुकाबला करना । ४. मन नहीं लगना । ५. नहीं पहुँच सकना । नहीं पूगना । ६. नहीं माना । ७. समझ नहीं सकना । For Private and Personal Use Only Page #696 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नावड़ियो नावड़ियो - ( न०) नाव चलाने वाला | केवट | नावरियो - (वि०) १ न + आवरियो । (न - नहीं + आवरियो - आने वाला) का छोटा रूप | नहीं आने वाला । २. नहीं पहुँच सकने वाला । ( ६७६ ) नावरण- दे० नायण । नावरणो- (अव्य०) १. न + आवरणो (नहीं प्राना का छोटा रूप ) नहीं माना । नहीं पहुँचना । २. नावसी - (भू० कृ०) १. 'न + प्रावसी' ( - नहीं आयेगा) का छोटा रूप । २. बेबसी । नाव कब - ( वि०) अजान । अपरिचित | नावाकिफ । नावारस - (वि०) नावारिस । लावारिस । नावियो - ( क्रि०भू०का० ) नहीं आया । नाविक - ( न० ) नाव चलाने वाला नासका दे० नास १ व २ नासरणो - ( क्रि०) 1 मल्लाह । नावड़ियो । नावी - ( न०) नाई । नापित । नावेड़ो - ( न० ) नाखून और हाथ की अंगुली के बीच में होने वाला व्रण । नाश - ( न०) १. संहार । ध्वश । २. बिगाड़ । नाशवान - ( वि०) नाश होने वाला 1 नश्वर । नास - ( ना० ) १. नस्य । सूघनी । नसवार । छोंकणी । २. नाक | नासिका । ३. नाश । संहार । ४. नाक का छेद | नसकोर | १. नाश होना । २. नाश करना। ३. भाग जाना । नासत - दे० नास्ति । नासती - दे० नास्ति । नासफरिम - ( न० ) १. शत्रु का नाश नहीं हो सकना । शक्तिशाली होने पर भी शत्रु का नाश नहीं किये जा सकने की निराशाजनक स्थिति । २. आज्ञा भंग । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ना-दौड़ ( अव्य० ) रिपु का सफाया नहीं होने पर ( fao) वह जिसकी आज्ञा भंग हो । नास भाग- ( ना० ) १. भाग-दौड़ | भगदड़ | २. घवराहट । हलचल । ३. त्वरा । ना - समझ - ( वि०) १. जिसे समझ न हो । निबुद्धि । अबूझ । नासमझ । २. बेवकूफ | नासमझी - ( ना० ) मूर्खता । बेवकूफी । बूझो । नासवान - दे० नाशवान | नासा - ( ना० ) नाक | नासिका । नासिका - दे० नासका । नासूर - (न०) १. नाक और गले का एक रोग । २. गहरा और छोटा घाव जिससे बराबर मवाद निकलता रहता है । नाड़ीवरण | नास्ति - (व्य० ) विद्यमानता । प्रभाव । नहीं । नास्तिक - ( विo ) ईश्वर, परलोक श्रौर कर्मफल आदि नहीं मानने वाला । नास्ती- दे० नास्ति । नास्तो- ( न० ) कलेवा । नाश्ता । झारो । नाह - ( न० ) १. पति । वर । २. नाथ । ईश्वर । ३. राजा । ( अव्य०) नहीं । नाहक - ( अव्य० ) १. बिना हक । नाहक । अन्याय से । २. अकारण । नाहक | व्यर्थ । निष्प्रयोजन | नाका - ( ना० ) सूंघने की महीन तंबाकू । तपकीर । छोंकरणी । सूघणी । नाहरण - ( ना० ) नहान । स्नान । नाह दुनियारण - ( न०) १. राजा । २. ईश्वर । नाहर - ( न०) शेर । सिंह | नाहरी - ( ना० ) सिंहनी । शेरनी । सिंही । नाहर की मादा । सिंघणी । नाहा-दौड़ - ( ना० ) १. भाग-दौड़ । २. त्वरा । शीघ्रता । नास भाग । For Private and Personal Use Only Page #697 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ܠܳܐ ܘܗܰܦܽ ) नाहिमत निकळणो नाहिमत-(वि०) १. बे हिम्मत । पश्त नाँवजाद-दे० नामजाद । हिम्मत । साहसहीन । २. कायर। नाँव जादिक-दे० नांव जादीक । नाही-(अव्य०) १. नहीं। २. कदापि नहीं। नाँवजादी-(वि०) अपने नाम से पहिचाना नाहेट-दे० नायठ। __ जाने वाला । विख्यात । नाहेटू-दे० नायठू। नाँवजादीक-दे० नांवजादी । नाहेडू दे० नाहे। नाँव जादो-दे० नांवजादी। नाहेसर रो मगरो-(न0) मेवाड़ का एक नाँव-ठाँव-(न०) नाम और पता। पतापर्वत । ठिकाना। नां-(प्रत्य०) १. कर्म और सम्प्रदान कारक नाँवै-परनाँवै-(प्रव्य०)१. उस । उसके नाम की विभक्ति । को। (अव्य०) १. लग। पर। २. जिस-जिसके नाम से । ३. तक । पर्यंत । लौं। २. के ताई। के प्रत्येक के नाम पर। (वि०) प्रति प्रसिद्ध । लिये । ३. जो है। नहि-(अव्य०) नहीं। नाँई-(वि०) समान । तरह। नि-(अव्य०)एक उपसर्ग । यह जिन शब्दों के नांखणो-(कि०) १. डालना। गिराना। पहले आता है. बहुधा उनके अर्थ विपरीत २. फेंकना । ३. धरना । रखना। ४. दूर कर देता है। जैसे-निकलंक । निकमो । करना । बाजू पर रखना। ५. अंदर निडर । इत्यादि । डालना । ६. दौड़ाना । वेग देना। नि-दे० निज । नांग-दे० नग सं० १, २, ३ निमामत-(ना०) ईश्वर प्रदत्त धन-संपत्ति, नाँगळ-(न०) १. नवनिर्मित गृह-प्रवेश के सौंदर्य, गुण, कृपा इत्यादि । ईश्वर की समय की जाने वाली घट-पूजा और गृह- देन । २. धन-दौलत । ३. सुख । ४. दुर्लभ पूजा। २. गृह-पूजा के समय किया जाने गुण । ५. बहुमूल्य पदार्थ । वाला भोज । ३. बैलों की जोड़ी (हल में निकट-(क्रि०वि०) पास । पास में। जुतने वाली)। ४. मिट्टी का घड़ा। ५. निकमाई-(ना०) निकम्मापन । प्रवरोध । ६. बंधन । निकमो-(वि०) १. निकम्मा । नाकारा । नांगळणो-(क्रि०) १. पशु के गले में बंधी २. व्यर्थ । बेकार । फजूल । ३. खोटा । रस्सी से एक या अधिक पशुत्रों को एक बुरा। साथ बाँधना । २. एक सांकळ (नोळ) से निकम्मो-दे० निकमो । ऊँट के दोनों पावों को बांधना । ३. लंगर निकर-(न०) समूह । डालना । लंगरणो । ५. बांधना। निकरम-(वि०) १. जो काम से रहित हो। नांगळियो-दे० नंगळियो। जो काम में लिप्त न हो । निष्कर्म । २. नांघणो-(क्रि०)लांघना । नाँधना । लांघरणो। काम रहित । निष्क्रिय । ३. निकम्मा। नांज-(अव्य०) १. नहीं। २. नहीं हो। निकरमो-(वि०) निकम्मा । नहीं ज। निकल-(ना०) एक सफेद घातु । नाँढ-(वि०) गवार । असभ्य । निकळणो-(क्रि०) १. भीतर से बाहर नांदियो-(न०) शिवजी का बैल । नंदी । आना । निकलना । २.चले जाना । गमन नांव-(न०) नाम । दे० नाम । करना । ३. उदय होना । प्रगट होना । नांवगो-दे० नामगो। ४. उत्पन्न होना। ५. प्रवर्तित होना। For Private and Personal Use Only Page #698 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra निकल क www.kobatirth.org ( ६-१ ) प्रचलित होना । ६. सिद्धि होना । हल होना । ७ प्रकाशित होना । ८. अपने को बचा जाना । C. बिकना । खपना | १०. रोकड़ (नकद) अथवा माल की लेन देन का हिसाब होने पर रुपये किसी के जिम्मे ठहराना । ११. उधार बाकी रहना । १२. अपने उद्गम से प्रादुर्भूत होना । १३. पार होना । निकल' क - (वि०) कंलक । २. निर्दोष | ३. निष्पाप । ( न० ) १. विष्णु का कल्कि अवतार | कल्कि भगवान । २. निकंलक देव | ३. परब्रह्म । नकळागो - ( क्रि०) निकलवाना । निळावरगो-दे० निकळाणो । निकसरो - दे० निकळणो । निकसारो - ( न० ) १. निकलने की क्रिया या भाव | निकाल । निकास । २. निगर्मन । ३. छेद । ४. द्वार । दरवाजा । ५ मार्ग | रास्ता । निकंट- दे० नकंट | निकाम - ( वि०) १. निकम्मा । २. व्यर्थ । बेकार | ३. जिसमें किसी प्रकार की कामना न हो । निष्काम | निकामो- (वि०) १. निकम्मा । बेकार । २. खराब । ३. मन उपयोगी । ( अव्य० ) अकारण | व्यर्थं । नाहक । निका - ( ना० ) १. इस्लामी शादी । २. मुसलमान का विवाह | निकारो - ( वि० ) निकम्मा | निकाळ - ( वि०) १. निकलने की क्रिया या भाव । २. निकलने का मार्ग । निकास निष्कासन । ३. गमन । ४. उपाय । युक्ति । ५. बचाव का उपाय । ६. परिणाम | फल । निचोड़ । ७. फैसला । निबटारा । निवेड़ा । ८. बिकरी । ६. वंश का मूल । निकाळरणो - ( क्रि०) १. जाने देना । निकालना । हटाना । २.अंदर से बाहर लाना । निकूल ३. दूसरी वस्तु में मिली हुई वस्तु को अलग करना । ४. नौकरी से हटाना । ५ बेचना | खपाना । ६. हल करना । सिद्ध करना । ७. रकम जिम्मे ठहरना । ८. निभाना । ६. पार करना । १०. प्रकाशित करना । ११. प्रचलित करना । १२. बाकी निकालना | निकाळो - ( न० ) एक मयादी बुखार । श्रांत्रिक ज्वर । 1 निकास - ( न० ) १. निकाल । निष्कासन । २. माल का किसी दूसरी जगह में चालान या बिकरी । बाहर की खरीददारी । ३. वंश का मूल स्रोत । ४. माल बाहर भेजने पर लगने वाला कर निकासी - ( ना० ) १. निकलने या निकालने की क्रिया या भाव। निस्सरण । २. किसी वस्तु को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर लगने वाला कर । ३. किसी वस्तु को बाहर भेजने का आज्ञापत्र | निकालने की आज्ञा । परवाना । ४. यात्रा निमित्त प्रस्थान | ५. पाणिग्रहरणार्थ कन्या के घर जाने वाली वर की सवारी के साथ प्रस्थान करने वाली बारात की शोभा यात्रा । वर की शोभा यात्रा । वर की शोभा यात्रा का निकलना । निकिरियावरो- (वि० ) जिसके घर में किरियावर ( क्रियावर) का काम न हुबा हो । उदारता व यश के कामों से रहित । निकुटरो - ( क्रि०) १. पत्थर तराशना । पत्थर पर खुदाई करना । २. पाषाण की मूर्ति तैयार करना । ३. निर्माण करना । घड़ना । निकुटी - ( न० ) १. शिला - शिल्पी । संगतराश | सिलावट । २. पाषाण की मूर्ति बनाने वाला । मूर्तिकार । (भू०क्रि० ) निर्माण की । बनाई । तराशा । तराशा दिया । निकूल - ( न० ) पास । समीप । निकट । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #699 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निकेवळ । ६८२ ) निगुणी निकेवळ-(न०) १. शुद्ध स्वरूप। ज्ञान- निखालस-(वि०) १. शुद्ध। पवित्र । २. स्वरूप । कैवल्य । २. मुक्ति । कैवल्य । पाक दिल । ३. जिसमें कोई मिलावट न (वि०) केवल । हो । विशुद्ध । ४. कामिल । ५. ऋण निकेवळो-(वि०) १. निखालिस । शुद्ध । रहित । २. स्वच्छंद । स्वतंत्र । मुक्त । ३. ऋण निखेध-(वि०) १. दुष्ट । २. झगड़ालू । ३. मुक्त । ४. गृहस्थ व समाज के नैमित्तिक ईर्ष्यालू । ४. निषिद्ध । ५. तुच्छ । कत्तं व्यों से निवृत्त । ५. मात्र । केवल । निखोट-(वि०) खोट रहित । त्रुटि रहित । ६. अकेला । ७. एक ही । ८. अंक। दोष रहित । ६. निष्पक्ष । १०. असल । ११. सत्य- निगड-(ना०) १. हाथी के बांधने की मोटी वक्ता। सांकल । २. हथकड़ी । ३, बेड़ी। निखग-(न०) १. तरकश । निषंग। २. पैकड़ी। ४. कैद । बंधन । तलवार । खङ्ग। निगम-(न०) १. वेद । श्रुति । २. शास्त्र । निखटू-(वि०) १. निकम्मा । २. मारा- ३. ज्ञान । ४. परमात्मा। ५. मार्ग। मारा फिरने वाला । नकामो। पथ । ६. समूह । (वि०) अगम्य । निखर-(वि०) १. निर्मल । स्वच्छ । २. निगमणो-(क्रि०) १. भीतर पाना । २. सुन्दर। पसंद नहीं आना । रुचिकर नहीं होना । निखरचो-(वि०) १. खर्चे बिना का (भाव रुचना नहीं। ३. कब्जे से नहीं जाने या मोल)। नैट (मूल्य) २. बिना खर्चे देना। अधिकार में रखना । ४. सौंप का (कोई काम)। देना । ५. बिताना । ६. निर्गमन करना । निखंग-दे० निखग। निकलना । ७. बीतना । गुजरना । ८.दूर निखरणो(क्रि०) १. साफ होना । निर्मल करना । ६. टालना। होना । २. नितरना । नितरणो। निगमागम-(न०) १ वेद-शास्त्र । २. वेद निखरी-दे० निखरो सं० ४ । आदि शास्त्र । निखरो-(वि०) १. साफ। स्वच्छ । २. निगरभर-(वि०) १. बहुत अधिक । २. सुदर । ३. जो खरा न हो। खोटा। सघन । पूर्णतृप्त । ४. निमग्न । तन्मय । खराब । ४. घी में तली हुई भोजन ५. पूरा भरा हुआ। सामग्री । सखरो का उलटा। निगराणी-(ना०) निरीक्षण । देखरेख । निखाद-(न०) १. एक जाति । निषाद। सम्हाल । २. भील । ३. संगीत में सबसे ऊँचा निगळणो-(क्रि०) मुंह में रखकर पेट में स्वर । 'नी' स्वर । निषाद । उतारना । लीलना । निगलना । गिटणो। निखार-(वि०) १. क्षार रहित । २. निगाळ-(न०) निगलने की क्रिया । स्वच्छ । निर्मल । ३. बिना मिलावट निगाळी-(ना०) १. बंशसूची । २. निग का । (न०) निर्मलता। स्वच्छता। लने की क्रिया । ३. गला । ४. नली । निखारणो-(क्रि०) १. धोना । साफ ५. हुक्के की नली । नै। .. करना । निर्मल करना । २. और स्वच्छ निगुणी-(वि०) १. जिसमें कोई गुण न बनाना । मारणो। हा । मूर्ख । २. उपकार वृत्ति से रहित । For Private and Personal Use Only Page #700 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ६०३ ) निगुणो निगुणो- (वि०) १. जो उपकार को न माने । कृतः। के जिसमें कोई गुण न हो.. मूर्ख ! निगुरो - ( वि०) १. बिना गुरु का । जिसने गुरु से दीक्षा न ली हो । श्रदीक्षित । २. जो उपकार को न माने । कृतघ्न । ३. उपकार के बदले अपकार करने वाला । ४. निर्लज्ज । निगेम - (वि०) १. निष्पाप । २. निष्कलंक । ३. शांत । धीर । ( न० ) निगम । वेद | निगै - ( ना० ) १. दृष्टि | नजर । २. सम्हाल | देखरेख । ३. सावधानी । सुधि । खबर । ५. खोज । तलाश । परख । पहचान । जाँच | निर्गदास्ती - ( ना० ) देखरेख | सम्हाल । ४. ६. निगरानी । निगोट - ( वि०) १. ठोस । २. दृढ़ । ३. बिना फलाहार का (उपवास) । निराहार । निगोटव्रत - ( न० ) पानी, फल श्रादि पिये खाये बिना किया जाने वाला उपवास । बिना फलाहार का उपवास । निगोड़ो - ( वि०) १ अभागा । २. दुष्ट । निघंटु - ( न० ) यास्क रचित वैदिक शब्दों का संग्रह | वैदिक कोश । निघात - ( वि०) १ युद्ध में जिसके प्रहार नहीं लगा हो। जिसके घाव नहीं लगे हों । २. जो घात से बच गया है । ३. अधिक । बहुत । ४. विशेष । ५. भयानक । ६. जबरदस्त । ( न० ) १. प्रहार चोट । २. भेद । रहस्य । (क्रि०वि०) शीघ्रता से । निघोट - दे० निगोट । निचलो - ( वि०) नीचे का | निचाई - ( ना० ) १. नीचे होने का भाव । नीचापन । २. नीच होने का भाव । नीचपन | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निचित- दे० नचित । निचिताई - ( ना० ) निश्चिंतता । निचितो - (वि०) दे० नचित | निचीतो- दे० नचित | निचोड़ - ( न० ) निजोज १. कथन का सारांश | ३. निष्कर्ष । निचोड़ने से खुलासा । २. तत्व । सार । परिणाम । ४. वह अंश जो निकले । निचोड़णो--दे० निचोवणो । निचोरगो-दे० निचोवणो । I निचोर - ( अव्य०) गौर वर्ण का विशेषण शब्द । यथा - गोरो निचोर । निचोवणो - ( क्रि०) १. निचोड़ना निचोना । २. सार निकालना । ३. शोषण करना । ४. घन हरण करना । निछटरगो-दे० नीछटो | निछरावल - ( ना० ) १. न्योछावर की हुई वस्तु । नेग । २. न्योछावर । निछावर - ( ना० ) १. न्योछावर । वारफेर । २. नेग । ३. उत्सर्ग । ४. इनाम । निज - ( सर्व०) खुद । स्वयं । ( वि०) खुद का । अपना । निजमंदिर - ( न०) देवमंदिर का वह मध्य गृह जिसमें देवमूर्ति प्रतिष्ठापित की हुई रहती है । निजर-दे० नजर | For Private and Personal Use Only निजळ - (वि) जल रहित । निर्जल । निजारो - ( ना० ) १. आँख का इशारा | २. दृश्य । झाँकी । नजारा । ३. नजर । २. निजी - (वि०) १. अपना । खुद का । व्यक्तिगत | प्राइवेट | निजू - दे० निजी । निजोख मो- (वि०) १. जिसमें किसी प्रकार की जोखिम न हो । प्रपत्ति रहित । २. हानि रहित । निजोज - ( न०) चाकर । सेवक | Page #701 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निजोड़णो । ६८४ ) निधान निजोड़णो-(क्रि०) १. काटना । २. वाली स्त्री । नितंबिनी। २. स्त्री। ___ संहार करना । मारना । (वि०) बड़े नितम्बों वाली । नितंबिनी। निजोर-(वि०) निर्बल । कमजोर । नितार-(न०) १. निथार । २. निस्तार । निजोरी-दे० नजोरी। ३. निष्कर्ष । निजोरो-(वि०) कमजोर । अशक्त । नितारणो-(क्रि०) १. निथारना। २. निझरण-दे० नीझरण । टपकना। निझाड़ो-(वि०) वृक्ष रहित। सूखा । नितांत-दे० नितंत। __ वनस्पति रहित (पर्वत)। नित्य-दे० नित। निठ-(वि०) समाप्त । दे० नोठ ।। नित्रीठ-दे० नत्रीठ। निठजाणो-(मुहा०) समाप्त होना । निदरसरण-(न०) १. प्रदर्शन । निदर्शन । निठणो-दे० नीठणो। २. दृष्टान्त । उदाहरण । निडर-(वि०) १. निर्भय । २. साहसी। निदरसी-(वि०) १. दर्शक । निदर्शक । ३. ढोठ। २. सूचक । निडार-(वि०) १. निडर । २. अकेला। निदाघ-(न०) १. सूर्य की गरमी । प्रातप । नित-(अव्य०) नित्य । प्रतिदिन । गेज। (वि०) १. कभी भी नष्ट न होने वाला। निदाढियो-(वि०) १. जिस (पुरुष) के शाश्वत । अविनाशी । २. सदाकाल का। दाढ़ी मूछ नहीं आते हों। दाढ़ी मूछ रहित । २. दाढ़ी मूछे साफ कराया प्रतिदिन का। हुप्रा । नितकर्म-दे० नित्य कर्म । निदाण-दे० नैदाण । नितनेम-(न०) १. स्नान, पूजा-पाठ मादि निदान-(न०) १. कारण । २. रोग निर्णय । प्रतिदिन का बँधा हुमा काम । नित्य ३.निश्चय । ४.अवसान । अंत । ५.नेदाण। नियम से किया जाने वाला काम । २. (प्रव्य) १. अंत में । आखिर । नित्य का नियम । आखिरकार । २. इसलिये। नितनेमियो-(वि०) स्नान, पूजापाठ आदि निद्रा-(ना०) नींद । ऊघ । प्रतिदिन का बँधा हुआ काम नियमपूर्वक निद्राळ -(वि०) अधिक नींद लेने वाला। करने वाला । नितनेमी। नींदाळ । नितनेमी-दे० नितनेमियो। निध-दे० निधि । नितप्रत-(अव्य०) नित्यप्रति । हमेशा। निधड़क-(क्रि०वि०) १. बेखटके । निशंक । नितरणो-(क्रि०) घुले हुए मैल का नीचे २. बिना रुकावट के । ३. बिना संकोच बैठ जाने से पानी का स्वच्छ हो जाना । के। निथरना । २. टपकना । ३. धन का खूट निधरिणयो-(वि०) १. जिसका सार सम्हाल जाना । धनाभाव होना । करने वाला न हो। २. बिना स्वामी नितंत-(क्रि०वि०) १. बहुत अधिक । बहुत का । जिसका कोई मालिक न हो । ही । २. एकदम । नितान्त । ३. बिल्कुल। निधरणीको-दे० निधणियो। सर्वथा। निधन-(न०) १. मृत्यु । २. नाश । नितंब-(न०) चूतड़ । दूंगा। निधान-(न०) १. परिपूर्णता। २. प्राधार । नितंबरणी-(ना०) १. बड़े और सुन्दर नितम्ब प्राश्रय . ३. निधि । कोष । For Private and Personal Use Only Page #702 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निधि । ६०५ ) निवहणो निधि-(ना०) १. कुबेर के नौ प्रकार के निपतो-(वि०) बिना पते का। . रत्न । २. निधि । खजाना । मंडार । ३. निपाडगो-(क्रि०)१. निभाना। २. उठना। - नी का संख्यासूचक शब्द । ३. उत्पन्न करना। निधुवन-(न०) १. रति । मैथुन । २. हंसी निपाणियो-(वि०) १. जहाँ पानी का ठट्ठा । ३. कंपन । अभाव हो। २. अशक्त । कमजोर । ३. निध्रसणो-दे० नीधसणो। . नपुसक। निनारण-दे० नंदाण। निपात-(न०) १. वह शब्द जिसके बनने निनाणू-(वि०) नम्बे और नौ । सो में एक के नियम का पता न हो। नियम विरुद्ध __ कम । (10) ६९ की संख्या । बनावट वाला शब्द (व्याकरण) २. निनाद-(न0)१.शब्द । ध्वनि । २.गुजार। अनियमित रूप । ३. विनाश । मृत्यु । निनामी-(वि०) बिना नाम की। ४.अधःपतन । (वि०) बिना पत्तों वाला। निनामो-(वि०) बिना नाम का । गुमनाम। निपापो-(वि०) पाप रहित । निष्पाप । ननामो। निपावट-(वि०) १. खराब । गंदा । भद्दा । निपगो-दे० नपगो। २. निकम्मा । अनुपयोगी। ३. मंद । निपज-(ना०) उपज । पैदास । उत्पादन । सुस्त । शिथिल । ४. अयोग्य । ५.सारा। निपजणो-(क्रि०) १. उत्पन्न होना । उप- (अव्य०) बिल्कुल। निपट । कतई । पूरा जना। पंदा होना । २. परिणाम माना। पूरा। ३. परिपक्व होना। ४. उन्नति करना। निपावणो-(pिo) १. उत्पन्न करना । २. बढ़ना। बनाना । तैयार करना। ३. लिपवाना । निपजागो-दे० निपजावणो। निपुण-(वि०) १. प्रवीण। दक्ष । २. निपजावरणो-(क्रि०) १. उत्पन्न करना। अनुभवी । ३. योग्य । २. पकाना । परिपक्व करना। ३. निपूतो-(वि०) निपूता। निःसंतान । ना बनाना। प्रौलाद। निपट-(वि०) १. बेशर्म । निफट । २. निपोंचियो-(वि०) असमर्थ । शक्तिहीन । बहुत । अधिक । (अव्य०) बिल्कुल। परिश्रम करने की शक्ति से हीन । सर्वथा । निपट । सरासर । निब-(न0) लिखने के लिये होल्डर (लेखनी) निपटणो-(क्रि०) १. शौचादि क्रिया से में डाली जाने वाली लोहे या पीतल की निवृत्त होना। निपटना। २. निवृत्त बनी चोंच । होना। निपटना। ३. समाप्त होना। निबटणो-दे० निपटणो । बीत जाना। ४. निर्णीत होना। तय निबटाणो-दे० निपटावणो । होना। निबटारो-दे० निपटारो। निपटाणो-दे० निपटावणो। निबटावणो-दे० निपटावणो । निपटारो-(न०) १. झगड़े का फैसला। निबळ-(वि०) निबंल । अशक्त । २. पूरा होना। निबळाई-(ना०) अशक्ति । दुर्बलता । निपटावणो-(फि०) १. झगड़े का फैसला निर्बलता । नबळाई । करवाना । झगड़ा भिटाना। २. समाप्त निबळो-(वि०) निर्बल । अशक्त । करना । बिताना। निबहणो-दे० निभयो । For Private and Personal Use Only Page #703 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org निबंध निबंध - ( 70 ) १. प्रबंध । लेख । २. किसी विषय का सविस्तार विवेचन | ३. सहारा । आधार । ४. बंधन । ५. रोक । रोकथाम | निबंधरणो - ( क्रि०) १. निर्माण करना । २. एकत्रित करना | बांधना । दे० निमंधरणो । बापो - ( विo ) जिसका पिता जीवित न हो । निबाहो दे० निभाणो । frate - ( fao) निर्भीक । निडर । निंबोळी - दे० नींबोळी । निभरणो- ( क्रि०) १. निभना । २. टिके रहना । ३. निर्वाह होना । ४. पोसाना । निभवो - ( वि०) १. निर्भय । २. निभाव वाला । ३. क्षमता वाला । निभाउ - ( वि०) १ निभाने वाला । २. क्षमाशील । ३. सहनशील । ४. निभ सके जैसा । ५. निभाने वाला । ६. काम चलाऊ । निभागो - ( वि०) अभागा । निर्भागी । निभारणो- दे० निभावणो । करना । निर्भ - ( वि०) निवाह | निर्वाह । निभाव - ( न० ) १. मेल-मिलाप । बनाव । २. मेल मिलाप की स्थिति । अनबन रहित स्थिति । ३. प्राधार । टिकाव । ४. भरण-पोषण । निर्वाह । गुजारा । ५. स्थिति और संबंध आदि बनाये रखने का काम । निभावणो - ( क्रि०) १. निबाहना । निभाना । २. जैसे-तैसे निर्वाह करना । ३. ज्यों का त्यों बनाये रखना । चला लेना । निभा लेना । ४. किसी परम्परा को चलाये जाना । ५. पालन करना । पूरा करना । ६. पालन करना । पोषण १. निर्भय । निडर । ( ६८६ ) २. निमायौ निभ्रांत - (वि०) निर्भ्रान्त । भ्रांत रहित । भ्रम रहित । निमख - ( न० ) १. निमेष । पलक । प्रख का झपकना । २. क्षरण । पल । निमेष । निमटरणो- दे० निपटरणो । निमटारो - दे० निपटाणो । निमत दे० निमित्त । निमधरणो - ( क्रि०) १. रचना । बनाना । २. मन में धारण करना । मन में विचार लाना । ३. बांधना । ४. इकट्ठा करना । निमंत्रण - ( न० ) १. किसी को अपने यहाँ बुलाने का अनुरोध । २. भोजन के लिये बुलावा । तेड़ो । नेतो । नूं तो । नोतो । निबंध - ( न० ) १. नियुक्त | मुकर्रर । २. निश्चय । ३. प्रबन्ध । ४. शर्त । ५. संबंध | ६. निर्माण । ( वि०) १. निर्मित | २. बनावटी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निमंधरणो - ( क्रि०) १. मुकर्रर करना नियत करना । २. नियुक्त करना । ३. शर्त करना । ४. बांधना । ५. निश्चय करना । ६. प्रबंध करना । ७. संबंध स्थापित करना । ८. निर्माण करना । ६. उत्पन्न करना । १०. एकत्रित करना । संकलित करना । निमंसी - (वि०) मांस रहित । जैसे, घोड़ा री निमंसी नळी | निमाइत - ( वि० ) १. जिसके माता-पिता जीवित न हों। माता-पिता रहित । २. निर्माण करने वाला । निर्माण किया हुआ । ४. नियुक्त करने वाला । ५. नियुक्त किया हुआ । निमाड़ो - दे० नीवाड़ो । निमाणो - ( वि०) १. निर्माल्य । प्रशक्त । २. निर्दय । क्रूर । ३. अपमानित । ४. निर्मित । ( क्रि० ) निर्माण कराना । निमायो - (वि०) मातृ हीन । For Private and Personal Use Only Page #704 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निमिख ( ६८७) निरतो निमिख-दे० निमख । निर-(प्रव्य०) 'रहित', 'बिना', 'बाहर' निमित्त-(10) १. कारण । हेतु । २. अर्थ बताने वाला एक उपसर्ग । उद्देश । अभिप्राय । ३. बहाना । मिस। निरकार-(वि०) १. बिना काम का । २. निमूळ-(वि०) मूल रहित । निर्मूल। बेकाम । व्यर्थ । दे० निराकार । निमूछियो-(वि०) १. बिना मूछ का। निरकुळ-(वि०) कुल रहित । अकुलीन । २. निर्बल । ३. स्त्रण । निरख-(न०) भाव । दर । मूल्य । मोल । निमेख-दे० निमख । निरखणो-(क्रि०) १. देखना । निरखना । निय-दे० निज। निहारना । २. सूक्ष्मतापूर्वक देखना । नियत-(वि०) १. नक्की। निश्चित । २. निरीक्षण करना। स्थापित । ३. मन का इरादा। माशय। निरगात-(न०) निराकार । परमात्मा । नीयत । ४. उद्देश्य । निरगुण-दे० निर्गुण। नियम-(न०) १. धर्म, विधि प्रादि के द्वारा निरगुणी-(वि०) १. कृतघ्नी । २. गुण निश्चित प्राचरण के निश्चित सिद्धान्त । रहित । ३. अनाड़ी। २. कानून । विधि । ३. रीति । चाल । निरजर-दे० निर्जर । ४. परम्परा । ५. नियंत्रण। निरजळ-दे० निर्जल। नियमसर-(अव्य०) नियम के अनुसार। निरजळा-इग्यारस-(ना०) वह एकादशी नियंता-(न०) ईश्वर । (वि०) नियंत्रण या उसका उपवास जिसमें पानी भी नहीं या नियमन करने वाला। पिया जाता । जेठ मास की सुदी एकानियंत्रण-(न०) १. नियमों में बांध कर । दशी। रखना । २. शासन बंधन । ३. प्रतिबंध। निरजोर-(वि०) निर्बल । कंट्रोल । निरणी-(वि०) भूखी । निरन्ना । नियारणी-दे० निहाणी। निरणो-(वि०) दिन उगने के बाद से कुछ नियामत-दे० नियामत । भी नहीं खाया हुआ । निराहार । निरन्न । नियारियो-(न०) सुनार, जड़िया या भूखा। जोहरी की दुकान के नियार (कचरे) निरत-दे० नित । (वि०) १. लीन । मग्न । में से छांट कर माल निकालने वाला। आसक्त । २. काम में लगा हुआ। नियारिया। न्यारियो। निरतकर-(न०) नर्तक । नियारो-(न०) सुनार, जड़िया या जौहरी निरतगार-(न०) नर्तक । की दुकान का कचरा या झाड़न । निरतणो-(क्रि०) नाचना । नाचरणो। नियार । न्यारो। बरड़ो। (क्रि०वि०) निरति-(ना०) १. सुधि । खबर । पता । भ्यारा । अलग। २. सम्हाल । ३. एक निष्ठा । ४. एक नियोग-(न०) १. किसी स्त्री के पति द्वारा निष्ठ भक्ति । ५. प्रीति । अनुराग । ६. संतान न होने पर देवर या किसी उच्च नैऋत्य कोण । कुल के वीर या विद्वान के साथ केवल निरतो-(वि०) १. कम । थोड़ा। २. संतान प्राप्ति के लिये किया जाने वाला आवश्यकतानुसार । ३. अनुरक्त । लीन । शास्त्रोक्त विधि के अनुसार संबंध । २. लगा हुअा। निरत । ४. खाली । ५. माज्ञा । प्रादेश । ३. प्रयोग । उपयोग । व्यर्थ । निरत । For Private and Personal Use Only Page #705 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निरवई ( ६८८ ) निरमाळ निरदई-दे० निर्दय। निरपख-(वि०) निष्पक्ष । निरदळण-(न०) नाश । निर्दलन । (वि०) निरपराध-(वि०) अपराध रहित । निर्दोष । नाश करने वाला। बेकसूर । निरदळणो-(क्रि०) नाश करना। निरपराधी-(वि०) अपराध रहित । बे कसूर। निरदावो-(न०) १. अभियोग को निरस्त निरफळ-(वि०) निष्पल । व्यर्थ । निफल । करना । निरस्त अभियोग । २. जिस पर निरबळ-दे० निर्बल। दावा किया गया हो, उस पर अपना निरबंध-(वि०) निबन्ध । बन्धन रहित । किसी भी प्रकार का स्वत्व शेष नहीं रहने छूटा । आजाद । का लिखित पत्र । दावा उठाने का दस्ता. निरबीज-(वि०) १. बीज रहित । वीर्यवेज । स्वत्व को छोड़ने का हस्तलेख । हीन । २. निर्वंश । ३. नाएतराजी। ४. किसी प्रकार के निरबुध्धी-(वि०) निबुद्धि । मूर्ख । स्वत्व से मुक्त रहना । हक नहीं लगाने निरभख-(वि०) भूखा । या जमाने का भाव । ५. माया या प्रपंच निरभय-दे० निर्भय । से अलग रहना । निरभर-दे० निर्भर । निरद्द-(वि०) १. रागद्वेष, मानापमान निरभागी (वि०) निर्भाग्य । प्रभागा । इत्यादि द्वन्द्वों से रहित । निद्वंद्व । २. निरभीक-दे० निर्भीक । उपद्रव रहित । ३. जिसका विरोध करने निरभेळ-(वि०)बिना मिलावट का । शुद्ध । वाला कोई न हो। (न०) शिव । महा- खालिस । देव। निरभ-दे० निरभय । निरदोख-(वि०) १. निर्दोष । बेगुनाह । २. निरमणो-(क्रि०) १. निर्माण करना । बेऐब । दुर्गुण रहित । बनाना। रचना करना ।। २. किसी निरदोस-दे० निरदोख । योनि में जन्म देना । उत्पन्न करना । निरदोसी दे० निरदोस । निरमळ दे० निर्मल । .. निरधण-(वि०) १. पत्नी रहित । विधुर । निरमळो-(वि०) १. शुद्ध अंतःकरण वाला। २. निर्धन । गरीब । साफ दिलवाला। २. सीधा । सज्जन । निरधन-(वि०) गरीब । निर्धन । ३. निर्मल । स्वच्छ । ४. शुद्ध । पवित्र । निरधनियो-दे० निरधन । निरमारण-दे० निर्माण। निरधार-(न०)निर्धार । निश्चय । (प्रव्य०) निरमायल-(वि०) १. नामर्द । नपुंसक । निश्चय पूर्वक । २. अशक्त । कमजोर । ३. कायर । निरधारणो-(क्रि०)निर्णय करना। निश्चय डरपोक । ४. निस्सत्व । ५. स्त्री के करना । तय करना। अधीन रहने वाला स्त्रण । (न०) शिवानिरधध-(वि०) १. जो रागद्वेष, मानाप- पण वस्तु । निर्माल्य । मान, हर्ष शोक प्रादि से रहित हो। निरमाळ-(न०) १. निर्माल्य । देवापित निद्वंद्व । २. स्वच्छ । निर्मल । ३. अवि- वस्तु । २. शिवार्पण वस्तु । (वि०) १. कारी। बेजान । २. निस्सत्व । ३. प्रशक्त । कमनिरनुनासिक-(वि०) जिसका उच्चारण जोर । ४. कायर । डरपोक । ५. नाक से हो । (व्या०) स्त्रण। For Private and Personal Use Only Page #706 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निरमाळियो । ६८९ ) निरीक्षण निरमाळियो-दे० निरमायळ । दाय का शिष्य । (वि०) १. निरंजनी निरमळ-दे० निर्मूल । सम्प्रदाय संबंधी । २. निरंजनी सम्प्रदाय निरमोही-दे० निर्मोही। को मानने वाला। निरर्थक-(वि०) १. व्यर्थ । फजूल । २. निरंतर-(क्रि०वि०) १. सदा । लगातार । जिससे कोई कार्य सिद्ध न हो। (वि०) १. अंतर रहित । २. स्थायी । निरलज-दे० निर्लज्ज । निराऊध-(वि०)प्रायुध रहित । निरायुध । निरळग-(वि०) १. अंग रहित । २. निरस्त्र। अलग्न । ३. निर्लिप्त । ४. अलग । जुदा। निराकार-(वि०)बिना आकार का । (10) निरवंस-दे० निवंश। १. परमात्मा । ब्रह्म । २. आकाश । निरवारण-(न०)चौहान वंश की एक शाखा। निराट-(वि०) १. बहुत । प्रचुर । विपुल । दे० निर्वाण। २. मात्र । (अव्य०) १. बहुत ही । प्रचुर निरवाळो-(वि०) १. संतान की शिक्षा, प्रमाण में । २. बिल्कुल । बिल्कुल ही । विवाहादि से निवृत्त । २. सांसारिक ३. सर्वथा । सभी प्रकार । समूषो। प्रपंचों से दूर । ३. उत्तरदायित्वों से । निराताळ-दे० निरीताळ । निवृत्त । निकेवळो। निरादर-(न०) आदर रहित । अपमान । निरवाह--दे० निर्वाह । निराधार-(वि०) १. आधार रहित । अवनिरवाहणो-(क्रि०) १. निर्वाह करना । ___ लंब रहित । २. बेबुनियाद । निर्मूल । निर्वाहना। २. परम्परानुसार बरतना। ३. निराश्रय । असहाय । ३. निभाना । पालन करना। निरालंब-(वि०)पालंब रहित । निराधार । निरविकार-दे० निर्विकार । निराळो-(वि०)१. एकान्त । २. विलक्षण । निरस-(वि०)१.बिना रस का । नीरस । २. अजीब । ३. अनुपम । ४. अद्वितीय । ५. स्वाद रहित । ३. सारहीन । ४. रूखा- ___अलग । जुदा । (न०) एकान्त स्थान । सूखा । ५. रागहीन । ६. गरीब । दीन। निराश-दे० निरास । निरंकार-(न०) १. निराकार । परमात्मा। निराशा-दे० निरासा । २. आकाश । निरास-(वि०) निराश । ना उम्मेद । निरंकुश-(वि०) अंकुश रहित । कोई अंकुश हताश । न माने । स्वेच्छाचारी। निरासा-(ना०) निराशा । नाउम्मेदी । निरंग-(वि०) १. अंग रहित । २. रंग निरांत-(ना०) १. अवकाश । फुरसत । २. रहित । ३. बदरंग। पाराम । चैन । सुख । ३. शान्ति । निरंजण-(न०) १. ब्रह्म । २. शिव । निरं- सलामती । ४. तृप्ति । संतोष । जन । (वि०)१. निष्कलंक । २. निर्मल। निरांते-(प्रव्य०) १. अवकाश से । फुरसत ३ तेजोमय । ४. अंजन रहित । से । फुरसत में । २. बिना उतावली के । निरंजणी-(न०) १. मारवाड़ में डीडवाना दौड़-धूप किये बिना। ३. चैन से । नगर के पास गाड़ा गांव में संत हरिदास पाराम से । सुख से । निरांत सू। जी (हरिपुरुष जी) द्वारा प्रवर्तित एक निरी-(वि०) बहुत । अधिक । धणी । प्रसिब सम्प्रदाय । २. इस नाम के अनेकों निरीक्षक-(न०) निरीक्षण करने वाला । सम्प्रदायों में से एक । ३. निरंजनी सम्प्र- निरीक्षण-(न०) अवलोकन । मुआइना । For Private and Personal Use Only Page #707 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निरीताळ ( ६६० ) निर्वाण निरीताळ-(वि०) १. अधिक । बहुत । निर्दय-(वि०) १. दया रहित । बेरहम । (ना०) १. दीर्घकाल । देर । विलम्ब । क्रूर । (अव्य०) अधिक समय तक । बहुत देर निर्दोष-(वि०) दोष रहित । निरपराध । तक । निद-३० निरदुद। निरीह-(वि०) १. उदासीन । २. इच्छा निर्द्वद्व-दे० निरदुद । रहित । निर्बल-(व०) बल रहित । दुर्बल । निरुत्तर-(वि०) १. जो कोई जवाब न दे सकता निर्बलता-(ना०) बलहीनता । कमजोरी । सके । २. जिसके पास कोई उत्तर न हो। ३. जिसकी जबान बंद हो गई हो। निर्बीज-(वि०) १. जिसमें बीज न हो । निरुपम-(वि०) उपमा रहित । बिना बीज वाला । निर्बीज । २ निर्वश । निरूखो-दे० निझाड़ो। निःसंतान । ३. नपुसक । वीर्यहीन । निरेणी-(ना०)नख काटने का एक प्रौजार। निर्बु द्वि-(वि०) बुद्धि रहित । मूर्ख । नहरनी। निर्भय-(वि०) निडर। निरो-(वि०)१. अधिक । बहुत । २. निपट। निर्भर-(वि०) अवलंबित । बिल्कुल । निर्भीक-(वि०) निडर । निर्भय । निरोग-(वि०) रोग रहित । स्वस्थ । निर्मळ-(वि०) १. निर्मल । मल रहित । नीरोग। स्वच्छ । २. शुद्ध । पवित्र । निरोगो-दे० निरोग। निर्माण-(न०)१. बनाने का काम । रचना । निरोध-(न0) अवरोध । रोक । २. वह वस्तु जो बनकर तैयार हुई हो । निरोह-(न०) निरोध । अवरोध । ३. रूप । प्राकार । निरोहर-दे० नीरोवर । निर्मूल-(वि०) १. बिना जड़ का। २. निर्गुण-(न०) १. सत्व रज और तम इन निवंश । ३. प्राधार रहित । तीन गुणों से परे । परमात्मा । निर्गुण। निर्मोही-(वि०) १ मोह रहित । २. ममता (वि०) १. जो तीन गुणों से परे हो। रहित । ३. निष्ठुर । २. जिसमें कोई गुण न हो। निर्लज्ज-(वि०) १. लाज रहित । बेशर्म । निर्जन-(वि०) १. निर्जन । जन शून्य । २. २. अविवेकी । एकान्त । ३. सुनसान। निर्लेप-(वि०)जो राग द्वेष प्रादि से विरक्त निर्जर-(न०) १. देवता। निर्जर । (वि०) हो । निलिप्त। ___ जो कभी वृद्ध या पुराना न हो। निर्लोभी-(वि०) लोभ रहित । संतोषी । निर्जल-(वि०) निर्जल । बिना पानी का। निर्वश-(वि०) जिसका वंश न चला हो । (प्रदेश)। जिसके वंश में कोई न रहा हो। २. निर्जला एकादशी-दे० निरजळा-इग्यारस। संतान रहित । निस्संतान । निर्जीव-(वि०) १. बिना जीव का । निर्वाण-(न०) १. मोक्ष । निर्वाण । २. निर्जीव । प्राण रहित । २. निर्बल । ३. छुटकारा । ३. शाँति । ४. निवृत्ति । ५. निकम्मा। मृत्यु । ६. परमात्मा । ७. एक सम्प्रदाय । निर्णय-(न०) १. फैसला । २. निश्चय । (वि०) १. निष्कलंक। २. शून्य । ३. निर्णीत-(वि०)जिसका निर्णय हो चुका हो। शांत । ४. निश्चल । ५. अवश्य । For Private and Personal Use Only Page #708 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निर्वाह (६ ) निवृत्त निर्वाह-(न०)१. किसी परम्परा का चलता निकम्मा। खाली । बेकाम । २. जिसके रहना । निर्वाह । २. निभाव । गुजारा। पास काम नहीं हो। ३. जो काम से पालन । ३. प्राश्रय । ४. पूरा किया। निबट गया हो। फारिग । निवृत्त । ४. जाना। क्वारा । ५. विधुर । निर्विकार-(वि०) १. विकार रहित । २. निवसन-(न०) १. स्त्री का मधोवस्त्र । २. उदासीन । (न०) परब्रह्म । घर । (वि०) वस्त्र रहित । निर्विघ्न-(वि०) विघ्न रहिन । निवाज-(ना०) १. मुसलमानों की ईश्वर निवृत्ति-(वि०) त्यागी। विरागी । (न0) प्रार्थना । नमाज । नवाज । २. कृपा । १. शांति । पानंद । २. मोक्ष । ३. अनुग्रह । (वि०) कृपा करने वाला। निष्पत्ति । समाप्ति । अंत । ४. छट. निवाजणो-(क्रि०) १. मेंट करना। भेंट कारा । निवृत्ति । देना । २. सिरोपाव, इनाम, पद, खिलमत निलज-(वि०) निलंज्ज । बेशरम । आदि देकर संतुष्ट करना। ३. कृपा निलजता-(ना०) निर्लज्जता । बेशर्मी। करना। ४. अभिवादन करना । ५. निलजो-दे० निलज । प्रसन्न होना । खुश होना । ६. तुष्टमान निलज्ज-दे० निलंज्ज। होना । ७. इनाम देना। निलवट-(ना०) ललाट । लिलवट । निवाजस-(ना०) १. कृपा । रहम । मिहरनिलाट-(ना०) ललाट । भाल । बानी । नवाजिश । २. पुरस्कार । निलाड़-(ना०) ललाट । भाल । इनाम । ३. ताजीम । । निलै-(ना०) ललाट । भाल । निवाण-(न०) १. नदी, तालाब, कुंप्रा आदि निवड़-(वि०) १. अधिक । बहुत । २. जलाशय । २. नहाने का स्थान । ३. घनिष्ट । ३ दृढ़ । मजबूत । ४. वीर। जलक्रीड़ा का स्थान । ४. मानसरोवर । (क्रि०वि०) तुरंत । शीघ्र । निवारणभर-(न०) मेघ । बादल । निवड़णो-(क्रि०) १. निवृत्त होना। छुट- निवायो-(वि०) थोड़ा गरम । गुनगुना। कारा पाना। करने को शेष न रहना। निवार-(ना०)खाट बुनने की पट्टी। नेवार । २. समाप्त होना। बीत जाना। ३. निवारणो-(क्रि०)१. हटाना। दूर करना । फैसला होना। निर्णीत होना । ते होना। निवारना । २. छोड़ना। ३. रोकना । ४. शौच क्रिया से निवृत्त होना। ५. वरजणो। सिद्ध होना। तैयार होना। ६. पूर्ण निवाळो-(न०) कौर । ग्रास । कवो। विकसित होना । प्रौढ़ होना। ७. भला निवास-(न०) १. घर । स्थान । प्राश्रय । या बुरा सिद्ध होना। २. रहना । रिहाइश । ३. गरमी । निवणो-(क्रि०) १. नमना । झुकना । २. उष्णता। झुककर प्रणाम करना । नमस्कार करना। निवासी-(वि०) निवास करने वाला। रहने वाला। निवतो-(न०) न्योता । निमंत्रण। निवियासी-(वि०) अस्सी और नौ । (न०) निवराई-(ना०) फुरसत । अवकाश । ८६ की संख्या। खाली समय। निवृत्त-(वि०) १. जिसने काम से अवकाश निवरास-दे० निवराई। पा लिया हो। २. छूटा हुमा । विरक्त । निवरो-(वि०) १. बिना काम काज का। खाली। For Private and Personal Use Only Page #709 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org निवृत्ति निवत्ति - ( ना० ) १. छुटकारा । २. मुक्ति । मोक्ष | निवेड़णो - ( क्रि०) १. निबटना । निबेड़ना । फैसला करना । २. परस्पर समझा बुझा कर टंटा-झगड़ा मिटाना । ३ समाप्त करना । निबटाना | निवेस - ( न० ) ( ६६२ ) निवेड़ो - ( न० ) १. निबेड़ा । फैसला । २. सुलभाव । निबटारा । ३ समाप्ति | अंजाम | ४ काम की समाप्ति । ५. निर्णय । निराकरण । निवेद - ( न०) देवता को अर्पित वस्तु । नैवेद्य | निवेदक - (वि०) निवेदन करने वाला । निवेदन - ( न० ) १. नम्रतापूर्वक किया जाने वाला कथन । प्रार्थना । २. वर्णन । ३. अर्पण | भेंट | १. निवास । २. घर । मकान । निशा - ( ना० ) रात | निशाकर - ( न० ) चंद्रमा । निशाचर - ( न० ) १. राक्षस । २. चोर । ३. भूत । पिशाच । ४. उल्लू । घृघु । ५. चमगादड़ । वागळ । ६. शृगाल । सियाल । ७. सर्प । निशान - ( न० ) १. चिन्ह । २. ध्वजा । निशाना - ( न० ) लक्ष्य | निसारणो । निशानाथ - ( न० ) चंद्रमा । निश्चय - ( न० ) १. दृढ़ संकल्प । २. निर्णय । जाँच | फैसला । ३. विश्वास । यकीन । निश्चल - (वि०) स्थिर । अटल । निश्चित - ( वि० ) चिता रहित । बेफिक्र । निषिद्ध - ( वि० ) १. वर्जित । २. दूषित । निषेध - ( न० ) १. शास्त्र विहित मनाई । 'विधि' का उलटा । २. मना । अवरोध । निष्कपट - ( वि०) १. छल कपट से रहित । २. शुद्ध हृदय वाला । निष्कलंक - ( वि०) निर्दोष | १. कलंक रहित । २. निसरणी निष्ठा - ( ना० ) १. गुरुजनों या धर्म के प्रति श्रद्धा भक्ति । २. विश्वास । निश्चय । निष्ठावान - (वि०) निष्ठा रखने वाला । निष्पक्ष - ( वि० ) पक्ष रहित । तटस्थ । निष्पाप - ( वि० ) पाप रहित । निष्प्राण - ( वि० ) १. मृत । मरा हुआ । २. मरियल । मुड़वल । निष्फळ - ( वि० ) जिसका कोई फल न हो । निष्परिणाम | व्यर्थं । निस - ( ना० ) निशा । रात । निशि । निसकपट- दे० निष्कपट । निसकलंक दे० निष्कलंक | निसकारो - ( न० ) निश्वास । निसचर दे० निशाचर । निसढो दे० निसरड़ो | निस्तरणो- ( क्रि०) निसतरना । निस्तार Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाना । छुटकारा पाना । सितार - ( न० ) निस्तार | छुटकारा | उद्धार । निसदिन - ( न० ) रातदिन । निशिवासर । ( क्रि०वि०) १. रात दिन । आठों प्रहर । २. हमेशा । सर्वदा । निसरण - ( न० ) चंद्रमा । निशानयन । निसपत - ( ना० ) १. निसबत । सम्बन्ध । २. रिश्वत । घूस । उत्कोच । ३. भरोसा । ४. तुलना । बराबरी । ५. अपेक्षा । ६. परवाह । चिता । ७. निशापति । चंद्रमा । ( श्रव्य० ) १. संबंध में । बारे में । २. के मार्फत । के जरिये । निसफळ - दे० निष्फल । निसबत - दे० निसपत । निसमंडण - ( न० ) चंद्रमा । निसरड़ो - (वि० ) १. जिद्दी । हठी । २. बेशर्म । निर्लज्ज | ३. अनाज्ञाकारी । ४. ढोट । घृष्ट । निसररणी - ( ना० ) १. सीढ़ी । निसेनी । २. ढाँचा | For Private and Personal Use Only Page #710 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निसरणो ( ६६३ ) निहाई निसरणो-(क्रि०) १. बाहर होना । सोपान । निसरणी । निसरना । निकलना। २. चले जाना। निस्तै-दे० निश्चय । पार करना । (न०) बड़ी निसेनी। निस्पाप-दे० निष्पाप। निसरमो-(वि०) निर्लज्ज । बेशर्म । निस्फ--वि०) दो बराबर भागों में से एक। निसवादो-दे० नवादो। आधा। निसवासर-(क्रि०वि०) रातदिन । हमेशा। निस्फळ-दे० निष्फळ । नित्य । निशिवासर । सदा । निहकाम-(वि०) १. कामना रहित । निसंक-(वि०) निःशंक । निडर । निर्भय। निष्काम । २. काम रहित । बेकार । निसंग-(वि०) संग रहित । निकामो। निसंडो-दे० निसरड़ो। निहकामो-दे० निहकाम । निसाचर-दे० निशाचर। निहकुरण-(न0) शब्द । आवाज । निसाट-(न०) १. मुसलमान । २. राक्षस । निहखरणो-(क्रि०) पीछे दौड़ना। पीछे निसाण-(न0) १. निशान । चिन्ह । २. भागना। झंडा । पताका । ३. हाथी, घोड़े या ऊँट श्चल । प्रचल। पर बजने वाला नगाड़ा। ४. हस्ताक्षर निहचे-दे० निश्चय । की जगह लगाई जाने वाली अंगूठे की निहटरणो-(क्रि०) १. नष्ट करना। २. छाप । ५. यादगार । स्मारक । ६. ___खत्म होना । ३. रुक जाना। ४. अड़ लक्ष्य । निशाना । जाना। निसाणी-(ना०) यादगारी के लिये दी हुई निहस-(ना०) १. निर्घोष । आवाज । २ वस्तु । स्मृति चिन्ह । निशानी। चोट । निसाणो-दे० निशाना। निहसणो-(क्रि०)१. जूझना । युद्ध करना। ग। निशानाथ । २. शक्तिमान होना। ३. गर्जना। ४. निसाफ-(न०) इन्साफ। बाजा बजाना। ५. आहत होना। ६. निसार-(न0) पश्चिम देशों के देश वासी। वीर गति को प्राप्त होना। ७. बाजा पाश्चात्य लोग । (वि०) १. पश्चिमी।। बजना । ८. प्रहार करना । ६. मारना । पाश्चात्य । २.सार रहित । दे० निकास । काटना। निसासो-(न०) १. निःश्वास । लबी सास। निहंग-(न०) १. घोड़ा । २. तरकस । ३. २. दुखपूर्ण लंबी सांस । आकाश । ४. निःसंग । ५. ब्रह्मचारी । निसाँ-(वि०) खरा। पक्का । (न०) १.. ६. क्वारा। ७. विधुर । (वि०) १. जाँच । तपास । २. आवभगत । ____ अकेला । एकाकी । २. निर्लज्ज । बेशर्म । निसाँ खातर-दे० निसाखातरी । निसाँ खातरी-(ना०)१.भरोसा। विश्वास। निहंगपुर-(न०) स्वर्ग । २. पूर्ण विश्वास । पक्का भरोसा । निहंग साधु-(न०)वह साधु जो विवाह नहीं निसियर-(10) १. निशाकर । चन्द्रमा। करता (घर बारी साधु के मुकाबिले)। २. निशाचर। विवाह संबंध न करने वाला साधु । निसीथणी-(ना०) रात । निशा। निहाई-(ना०) १. अहरण । २. प्रहार । निसेणी-(ना०) निसेनी । जीना । सीढ़ी। चोट । ३. ध्वनि । For Private and Personal Use Only Page #711 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निहाणी (६६४) नीचाई निहारणी-(ना०) १. बढ़ई का एक औजार। निंबार्काचार्य-(न०) द्वैताद्वैत सिद्धान्त के रुखानी । निहानी । २. नाखून । काटने प्रवर्तक व निम्बार्क संप्रदाय के आदि का औजार । निहानी । नखहरणी। प्राचार्य । निहार-(न०) १. परिणाम । नतीजा। निंबोळी-दे० नींबोळी। निकाल । २. दृष्टि । ३. निकलने का नी-(प्रव्य०) १. निश्चय । जैसे हूँ प्रायो मार्ग या द्वार । ४. मलमूत्रादि की उत्सर्ग । हो नी ?' २. अनुरोध जैसे 'लावनी', क्रिया। 'देवनी', कर नी,। ३. नहीं। (न०) निहारणो-(क्रि०) १. देखना। २. गैर । निषाद स्वर का नाम (संगीत)। (प्रत्य०) से देखना । ३. विचार करना। षष्ठी विभक्ति का एक नारी जाति निहाळणो-दे० निहारणो १, २, ३। चिन्ह । 'की' । (व्या०)। ४. कृपा पूर्वक देखना। देखने की कृपा नीक-(ना०) नाली । मोरी। नाळी। (वि०) करना। अच्छा । निहाव-(न०) १. तोप छूटने का शब्द। नीकड़े-(क्रि०वि०) १. सम्मुख । आगे। २. नगाड़े या ढोल के बजने का शब्द । २. निकट । ३. निहाई पर पड़ने वाले धन या हथोड़े नीको-वि०) अच्छा । के घाव का शब्द । ४. अहरण । निहाई। नीगम-दे० निगम । ५. तोप । ६. घाव । चोट । प्रहार ।। नीगमणो-दे० निगमरणो। ७. आकाश । नीगरड़ो-(वि०) प्रदीक्षित । निगुरा । निंगळणो-दे० नींगळणो। निघरियो-(वि०) गृहविहीन । निंदक-(वि०) निंदा करने वाला। नीच-(वि०) १. अधम । निकृष्ट । २. निंदणो-(क्रि०) निंदा करना। वगोवरणो। खल । दुष्ट । खोटा । ३. निम्न श्रेणी निंदरा-(ना०) १. निंदा । बुगई। २. का। निद्रा। नींद। - नीच-ऊँच-(वि०) १. अच्छा-बुरा । २.उन्नतनिंदरोही-(ना०) निर्जन जंगल । रोही। ___ अवनत । ३. खोटा-खरा । ४. सुख-दुख । निंदवणो-(क्रि०) निंदा करना । वगो नीचकुळी-(वि०) नीच कुल में उत्पन्न । वरखो । निंदणो। नीचता-(ना०) क्षुद्रता । नीचपना । निंदा-(ना०) १. दोष वर्णन । २. किसी नीचधुरिणयो-(वि०) १. धिक्कारने से में ऐसा दोष बताना जो वास्तव में न लज्जा के मारे नीचे देखने वाला। २. हो । ३. किसी की कल्पित या वास्तविक नीचे देखते हुए चलने वाला । ३. नीची बुराई या दोष का वर्णन। ४. बदनामी। दृष्टि रखकर बात करने वाला । अपकीर्ति । वगोवरणी। गरदन को नीची झुका कर (सामने नहीं निंदास्तुती-(ना०) १. निंदा के रूप में देखकर) बात करने वाला। ४. बेशर्म । की जाने वाली स्तुति । ब्याजस्तुति । निर्लज्ज । निलजो । ५. निकृष्ट । २. बारहठ ईसरदास का इस प्रकार की अधम । नीचा-जोयो । गई ईश्वर-स्तुति का एक ग्रंथ । 'गुण नीचाई-(ना०) नीचा या ढलुवा होने का निंदा-स्तुति ।' ३. निंदा और स्तुति । भाव । ढलुवापन । For Private and Personal Use Only Page #712 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीचा-जोया (६९५) नीधसणो नीचा-जोया-(न०) १. किसी कुकृत्य-जन्य होना। खूटणो। २. समाप्त करना। कलंक के कारण समाज के सम्मुख खतम करना। खुटोवरणो। ३. धीरज लज्जित बने रहने की या दबा हुआ रखना । ४. आजमाना । जाँचना । रहने की स्थिति । २. दुष्कर्म द्वारा परखरगो। उत्पन्न लज्जा के कारण कूल का नीचा नीठानीठ-(क्रि०वि०) बहुत मुश्किल से । देखने की स्थिति में होना। ३. शर्म से जैसे-तैसे करके । नीचा देखने का संयोग। ४. लज्जित नीठा-दे० नीठ । होना पड़े ऐसी स्थिति। नीठा-सी-(क्रि०वि०) बहुत मुश्किल से । नीचारण-(ना०) १. जमीन का नीचे का नीड़-(वि०) कठिन । (न०) १. चिड़ियों भाग । ढलमा भाग । नीची जगह । का घोंसला । माळो। २. रहने का ढलुापन । २. निचाई। नीचांत । स्थान । निवास स्थान । ३. नदी के नीचांत-दे० नीचाण। किनारे का प्रदेश । नइयड़। (फि०वि०) नीचे-(क्रि०वि०) निम्न तल की ओर ।। निकट । पास । अधो भाग में । हेठे। नीत-दे० नीति । नीचे-ऊपर-(प्रव्य०) अव्यवस्थित । अस्त- नीतर-(अव्य०) नहीं तो। व्यस्त । नीतरणो-दे० नितरणो। नीचो-(वि०) १. जिसके आसपास का तल नीति-(ना.) १. लोक व्यवहार का ढंग । ऊंचा हो। जो गहराई पर हो । जहाँ २. धर्मानुसार आचरण । ३. सदाचार । गहराई हो। २. ऊंचाई में सामान्य की ४. लोकाचार की वह पद्धति जिससे प्रपेशा कम । जो ऊंचाई पर न हो । ३. अपना हित होने के साथ साथ सभी का झुका हुमा । नत । ४. कम ऊंचाई वाला हित हो । ५. समाज की भलाई के लिये ५. खोटा । बुरा। ६. जो गुण, जाति, निश्चित आचार-व्यवहार । नीति । नय । पद में उतरता हुआ हो। ६. व्यवहार का तरीका जिससे अपनी नीचो-जोयो-दे० नीच-धूरिणयो। भलाई हो पर दूसरों को तकलीफ न नीछटणो-(क्रि०) १. प्रहार करना ।। हो । ७. सदाचार पूर्ण व्यवहार । नीति । मारना। २. मार मारना । पीटना। ८. न्याय व्यवहार । ६. मंशा । इरादा। ३. निकलना । ४. फेंकना । नीतिभ्रष्ट-(वि०) १. नीति से विचलित । नोछौ- (न०) इनकार । अस्वीकार । २. अनैतिक । ३. दुराचारी । नीझर-(न०) झरना । सोता । निर्भर । नीतिरीति-(ना०) १. चालचलन । वर्तन । नीझरण-(न0) झरना । निझर । सोता चालचळगत । २. सदाचार । मरणो। (ना०) १. वर्षा की झड़ी। नीतिहीन-(वि०) नीतिभ्रष्ट । २. वर्षा की ध्वनि । नीतोताई-(वि०) १. उच्छखल । २. नीझरणी-(ना०) १. निर्भरणी । नदी। नखराली। २. छोटा सोता । झरना । नीधणियो-(वि०) १. जिसका कोई मालिक नीठ-(अव्य०) कठिनाई से। मुश्किल से न हो । २. लावारिश (वस्तु) । किसी तरह । नीठां। नीधसणो-(क्रि०) १. नगाड़े का बजना । नीठणो-(क्रि०) १. समाप्त होना। खतम २. नगाड़े का बजाना । For Private and Personal Use Only Page #713 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नौधंस (, ६९६ ) नीराजन नीध्रस-दे० नीघस । उत्पन्न करने वाला । रचने वाला। नीध्रसणो-दे० नीधसणो। • नीम हकीम-(न0) ऊंट वैद्य । नीपज-दे० निपज । नीमाड़ो-दे० नीवाड़ो। नीपजणो-दे० निपजणो । नीमी-(ना.) १. रुपया-पैसा । २. मालनीपण-(न०) १. चारण । २. याचक । ___ मत्ता। धन। ३. जायदाद । (वि०) ३. गारा । कीचड़ । ४. लीपने की वस्तु। आधी। ५. लीपने का काम। नीमे-(अव्य०) प्राधे हिस्से से (हुंडी)। नीपणो-(क्रि०) १. गोबर, मिट्टी प्रादि से जैसे-हंडी रु० १०००) अखरै रुपिया किसी जगह को लेपना । लीपना । २. ___ हजार री, नीमे रुपिया पांच सौ रा दूणा पोतना। पूरा साहजोग दीजो। नीपणो-गूपणो-(क्रि०) लीपना-पोतना । नीमोनीम-(अव्य०)१. प्राघोप्राध । २. प्राधे लीप-पोत कर स्वच्छ करना । नीम-(ना०) १. नींव । २. प्राधार । का प्राधा। पायो । ३. प्राधी दूरी । (न०) नीम । नीयत-(ना०) १. मनोवृत्ति । प्रांतरिक वृक्ष । निब । नीमड़ो। (वि०) आधा। भावना । २. प्राशय । ३. मंशा । इच्छा। नीमगिलोय-(ना०) नीम वृक्ष के ऊपर मन का इरादा । ४. उद्देश्य । नीर-(न०) १. पानी । जल। २. कांति । फैलने से गिलोय लता का नाम । प्राभा । ३. शोभा। नीमजणो-(क्रि०) १. निमज्जना। स्नान करना । नहाना। २. उज्ज्वल होना । नीरकी-(ना०) मद्य । शराब । ३. पवित्र होना । ४. गोता लगाना। नीरखीर-(न०) १. पानी और दूध । २. डुबकी मारना । ५. दो टुकड़ों में कट सारग्राही वृत्ति । (वि०) सारग्राह्य । जाना । ६. जन्म लेना । उत्पन्न होना। नीरज-(न०) १. कमल । २. मोती। ७. ठानना । प्रारंभ करना। नीरण-(न०) १. घास-चारा। २. पशुओं नीमजर-(ना०) नीम की मंजरी । निबं. को घास-चारा डालने का काम । नीरण मंजरी। रो काम । नीमड़ो-(न०) नीम वृक्ष । नीरणी-(ना०) १. गाय, भैस आदि धर के नीमण-(वि०) जो भीतर से खाली या पशुओं को नियत समय पर डाला जाने पोला न हो । ठोस । ___ वाला घास-चारा । २. ढोरों का डाले नीमरिणयाइत-(वि०) १. नियुक्त करने जाने वाला घास । वाला । मुकर्रर करने वाला । २. जन्म नीरणो-(क्रि०) घर के गाय, भैस आदि देने वाला । उत्पन्न करने वाला। पशुत्रों को नियत समय पर घास-चारा नीमणो-(क्रि०) १. नियुक्त करना । मुकर्रर डालना । ढोरों को घास डालना । करना । २. निश्चित करना। ३. निश्चय नीरद-(न०) बादल । करना । विचार करना । ४. जन्म लेना। नीरध-(न०) समुद्र । नीरधि । उत्पन्न होना । ५. निर्माण करना। नीरस-(वि०) रस रहित । निरस । बनाना। नीराजगो-(क्रि०) आरती उतारमा । नीमवरण-(न०)१. जन्म । उत्पत्ति । (वि०) नीराजन-(ना०) भारती। For Private and Personal Use Only Page #714 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org नौसय नीरासय- ( न० ) १. नीराशय । जलाशय । २. तालाब । नीरो - ( न०) १. नीरी हुई घास का नहीं खाया जाने वाला शेष भाग । नीरा । कचरा । २. घास । चारा । ३. नीरणी करने का काम | नीरोवर - ( न० ) समुद्र | नीरोहर - ( न०) समुद्र | नील - ( ना० ) १. काई । लील । २. आसमानी रंग । ३. गुळी । लाल बुरज । नील का रंग । ४. एक पौधा । ५. सौ अरब की संख्या । ६. शरीर पर चोट लगने से पड़ने वाला नीला निशान । लील । नीलक- दे० नीलंक । नीलकंठ - ( न० ) १. महादेव । शिव । २. एक चिड़िया जिसके डैने और कंठ नीले होते हैं । नीलगर - ( न०) १. नील के पौधे से रंग बनाने वाला व्यक्ति । २. रंगरेज । नीलटाँच - ( न० ) एक पक्षो । नीलम - ( न०) नीले रंग का एक रत्न । नीलमणि । नीलंक- ( न० ) एक प्रकार का जरी के काम ( ६६७ ) वाला वस्त्र । नोलंग - ( न०) हंस । दे० नीलंक | नीलंबर - ( न० ) १. नीला वस्त्र | नीलांबर । हरा कपड़ा । २. आकाश । नीलाकाश । ३. बलराम । नीलाणी - ( वि०) १. हरे रंग की । हरित । २. हरियाली से आच्छादित । ३. प्रफुलित । प्रसन्न । ( क्रि०भू० ) १. हरियाली सेाच्छादित होगई । हरी होगई। नीली होई । २. प्रसन्न होगई । नीलारणीजणो - ( क्रि०) १. हरियाली से छा जाना । २ हरित होना । ३. प्रसन्न होना । नीलारगो - ( क्रि०) १ हरियाली से छा जाना । २. हरा होना । ३. प्रसन्न होना । नीसाणी नीलाम - ( न०) बोली बोल कर माल बेचने का एक ढंग | लीलाम । २. सफेद नीली - (वि०) १. हरी । हरे रंग की । सब्ज । २. आकाशी रंग की । ३ गीली । आर्द्र । ४. सब्ज । रसवाली । हरेरी । ( ना० ) १. सफेद रंग की घोड़ी । रंग की घोड़ी का नाम । नीलो - (वि०) १. हरा । हरे रंग का । हरित । सब्ज । २. आकाशी रंग का । ३. सब्ज । रसवाला । जो सूखा न हो । हरेरा । तरोताजा । ४. आर्द्र । गीला । ( न० ) १. सफेद रंग का घोड़ा । २. सफेद रंग के घोड़े का नाम । ३. हरा घास । चारा । घासपात । नोलो खड़ - ( न० ) हरा घास । नीली थोथो - ( न० ) तूतिया । लीलो थोथो । नीलोफर - ( न० ) १. नीलकमल । २. बोर्डर की चित्रकारी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीव दे० नींव | नीवो - ( क्रि०) १. निपटना । निवृत्त होना । २. समाप्त होना । ३. तैयार होना । ४. पूर्ण विकसित होना । प्रौढ़ होना । ५. अनुभवी होना । ६. ते होना । निर्णीत होना । ७. पहुँचना । ८. बुरा या भला सिद्ध होना । नीवत - दे० नीयत । नीवाड़ो - ( न० ) कुम्हार का ( आग लगा कर कच्चे ) बरतन पकाने का स्थान या भट्टा । व । नीवी - ( ना० ) १. स्त्री का अधोवस्त्र । २. नारा । इजारबंद | नाड़ो । नीसरणी ( ना० ) निसेनी । नीसररणो- दे० निसरणो । नीसारण - दे० निसारण । नीसारणी - ( ना० ) १. राजस्थानी काव्य का एक मात्रिक छंद । डिंगल का एक छंद । २. स्मारक । ३. निशानी | चिन्ह | For Private and Personal Use Only Page #715 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीसासो (६६ ) नुगतो (ना.) 'नीसाणी' संज्ञक राजस्थानी काव्य नींबू-(न०) एक प्रसिद्ध खट्टा फल । निम्बू । - ग्रन्थ । जैसे-'नीसाणी विवेक वार्ता री।' नीबू । नीसासो- (न०) निस्स्वास । लँबी साँस। नींबोळी-(ना०) १. नीम वृक्ष का फल । निश्वास। निबोरी। नीमकोड़ी। २. स्त्री के गले नींगळणो-(क्रि०) १. अधिक पुराना होने का एक गहना। मूंट । तिमनिया । तथा चिकनाई मादि लगने से मिट्टी के तिमरिणयो। पात्र की वह स्थिति होना कि वह चुए नींव-(ना०) बुनियाद । नींव । प्राधार । जड़ । गि। नहीं। २. अधिक समय तक पानी भरा नीवाड़ो-दे० नीवाड़ो। भरा रहने से मिट्टी के घड़े का पक्का हो नुकती-दे० नुगती। जाना। ३. रोग आदि संकटों से मुक्त होना । ४. कुशलता प्राप्त करना । कुशल नुकतो-दे० नुगतो। होना । ५. चालाक होना । पूर्तता नुकरी-(न०) १. छोटा टुकड़ा। २. प्रफीम सीखना । ६. निगलना । गिटना। ७. का टुकड़ा । ३. सफेद रंग का घोड़ा । ४. घोड़े का सफेद रंग । ५. चांदी। परिपक्व होना। ८. प्रौढ़ होना । ६. नुकळ-(न०) अफीम आदि नशीले पदार्थों निपुण होना। १०. अनुभवी होना। के खाने के बाद मुंह का स्वाद सुधारने नींगारणो-(न०) १. कपड़े का वह टुकड़ा के लिए सुपारी, मिश्री, खारक आदि का जिससे चक्की की वाटी में से आटे को झाड़ पोंछ कर साफ किया जाता है । २. टुकड़ा । नुकरो। नुकल-दे० नकल । दे० नुकळ । फटा हुआ पुराने कपड़े का टुकड़ा। (क्रि०) नुकस-(न0) त्रुटि । कसर । नुक्स । चक्की की वाटी में लगे चून को कपड़े से नुकसारण-(ना०) १. नुकसान । हानि । २. पोंछ कर साफ करना। नीं-तर-दे० नहिंतर । नीतर । बिगाड़ । दोष । ३. हानि । घाटा। क्षति । ४. ध्वंस । नाश। नी-तो-दे० नहीं तो। नुकसारणी-(ना०)१. नुकसान । हानि । २. नींद-(ना०) निद्रा । ऊँघ । नुकसान की पूर्ति । हरजाना।। नींदर-(ना०) निद्रा। नींदाण-दे० नैदाण। नुगरणो-(वि०) १. निर्गुणी। मूर्ख । २ उपकार को नहीं मानने वाला । कृतघ्न । नींदामण-दे० नैदाण। निगुणो। नींदामणी-दे० नैदाण । नुगती-(ना०)एक मिठाई । मीठी बुंदिया । नींदाळ-(वि०) निद्रालु । नुकती। नींदाळवो-(वि०) निद्रालु । नुगतो-(न०) १. अवसर । मौका । २. नींदाळ वो-(वि०) अधिक सोने वाला। नैमित्तिक कार्य । ३. नैमित्तिक भोज । । उनींदा। ४. मृत्युभोज । नुकता। ५. सिफर । नींदाळ -(वि०) निद्रालु । निद्राशील। बिंदी । सुन । ६. सिन्धी, उर्दू, फारसी नींब-(न०) नीम वृक्ष । भाषाओं में हरूफ या लफ्ज के नीचे-ऊपर नींबड़ो-(न०) नीम। संज्ञा के रूप में रखा जाने वाला बिन्दु । नींबावत-(न०) निंबार्काचार्य का अनुयायी ७. पर्व या उत्सव आदि का विशिष्ट साधु। For Private and Personal Use Only Page #716 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra नगरौ नुगरो - दे० निगुरो । नुगसारण - दे० नुकसाण । ती - ( ना० ) स्तुति । प्रशंसा । www.kobatirth.org ( tee) नुमाइश - ( ना० ) प्रदर्शनी । नुसखो - (०) १. प्रौषध विधान । उपचार नुं एली - (वि०) नयी । पत्र । नुसखा । २. इलाज । उपाय । ३. टोटका | प्रो- दे० नवो । वो - दे० नवो । खाणी - ( ना० ) १. यवनों का नाश करने वाली । यवन भक्षिरणी । चंडी । शक्ति | २. दुष्टों का मर्दन करने वाली । नूजरगो-दे० नवजणो । नूतो- दे० तो । नूनता - ( ना० ) १. न्यूनता । कमी । २. बेसमझी । ३. प्रोछापन । नृप - ( न० ) राजा । नरपति । नवेली। युवती । २. नृशंसता- ( ना० ) क्रूरता । निर्दयता । नृसिंह चतुर्दशी - ( ना० ) वैशाख शु. १४, जिस दिन भगवान ने नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकशिपु को मारा था । नेउर-दे० नूपुर । नेऊ - (वि०) निब्बे । ( ना० ) निब्बे की संख्या । नूनी - ( ना० ) बच्चे की मूत्रेन्द्री । नूप - ( वि०) अनूप | अनुपम । नूपुर - ( न० ) पैरों में पहनने का एक गहना । पैजनी । २. नेवर । नेवरी । नूर - ( न० ) १. तेज । प्रकाश । ज्योति । प्राभा । २. शोभा । काँति । ३. शौर्य । ४. नेत्र । ज्योति । ५ वाहन भाड़ा । ६. ईश्वर | नू - ( प्रत्य० ) कर्म और सम्प्रदान कारक की विभक्ति । 'को' । जैसे—थांनू ं (तुमको), मोनू (मुझको), राजानू ( राजा को ) । (श्रव्य ० ) १. में । अंदर । २. लिये । के लिये । तूं जरणो - दे० नबजणी | नूतणो - ( क्रि०) निमन्त्रण देना । निमंत्रित करना । तो - ( न० ) १. निमन्त्रण । भोजन करने को दिया जाने वाला निमंत्रण । न्योता । नेतो । नंतरो । दे० नैत । नूध - ( ना० ) १. नोंष । नोट । टिप्पणी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नग २. विवरण । प्रतिलिपि । धरण - ( क्रि०) १. नोंघना | दर्ज करना । २. नोट लिखना । ३. विवरण लिखना । नूध बही - ( ना० ) दी हुई या बेची हुई वस्तुनों को लिखने की बही । नृत्य - ( न० ) नाच । ६०. नेक - (वि०) १. अच्छा । भला । २. मनोहर । मनोरम । रमणीय । ३. प्रामारिगक । सच्चा । ४. धार्मिक । ५. नीतिमान । ६. सज्जन । शिष्ट । ७. थोड़ा । जरासा । किंचित | नेकनाम - (वि०) प्रतिष्ठित । नेकनामी - ( ना० ) १. नामवरी । सुयश । कति । सुख्याति । २. ईमानदारी । नेकी - ( ना० ) १. ईमानदारी । प्रामाणिकता । २. धार्मिकता । ३. उपकार । भलाई । ४. उत्तम व्यवहार । ५. सज्जनता । शिष्टता । ६. ( राजा महाराजा के माने नेकीबंध - (वि०) ईमानदार। (ना०) ईमानपर) दुहाई पुकारना । स्तुति वचन । For Private and Personal Use Only दारी । नेखम - ( न० ) १. सीमा चिन्ह । सेढो । २. निश्चय । ( वि० ) १. दृढ | मजबूत । २. पक्का । ३. स्थायी । नेग - ( न० ) १. विवाहादि श्रवसरों पर श्राश्रितों को दिया जाने वाला पुरस्कार । पौनियों को दी जाने वाली लाग । बख्शिश । दस्तूर | बंधारण । २. इस प्रकार देने की प्रथा । Page #717 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नेगदार ( ७०० ) नेमणो नेगदार-(न0) नेग पाने का अधिकारी। संकल्प । ६. मथानी की डोरी। ७. व्यक्ति । नेगी। पोनी। बेंत । ८. भाला। ६. पघड़ी। १०. नेत्र । नेगी-(न0) १. त्यौहार के दिन नेग (भेट) ११. झंडा । ध्वज । (वि०) सीधा । लेने वाला व्यक्ति । पौनी । २. नेग पाने नेतर-(ना०) बेंत । छड़ी। (न०)१. नेत्र । या लेने का अधिकारी । पौनी । नेगी। अाँख । २. मूर्ति के लगाई जाने वाली नेचो-(न०) १. हुक्के की नली । मेर। २. कृत्रिम अाँख । ३. शाखा ।। निगाली। नेतरो-(न०) बिलौना बिलौने की रस्सी। नेजाळ-(न०) १. भाला बरदार । नेजा- मथानी की रस्सी। नेती। बरदार । २. भाले वाला। नेता-(न०) आगेवान । अग्रणी। नेजो-(न०) १. भाला। २. पताका । ३. नेताजी-(न०) महान क्रान्तिकारी, वीर चिलगोजा। नोजा । नेवजा। और अद्वितीय देशभक्त स्वनाम धन्य स्व० नेट-(अव्य०) १. अंत तक । २. अंत में। श्री सुभाषचन्द्र बोस का सम्माननीय नाम ३. नहीं तो। (वि०) नष्ट । (10) १. तथा विरुद। निश्चय । २. समाप्ति । ३. भेद । नेति-(अव्य०) १. संस्कृत भाषा का एक रहस्य । पद जिसका ईश्वर की महिमा के रूप में नेटणो-(क्रि०) १. खतम होना। समाप्त प्रयोग किया जाता है। वह परब्रह्म होना । २. मर जाना । ३.खतम करना। जिसका अंत नहीं है । नेति । २. जिसकी समाप्त करना । ४. मारना। इति नहीं । ३. हठयोग का एक भेद । नेती। नेठ-(वि०) १. नष्ट । २. मृत । (क्रि०वि०) ___ कठिनता से । मुश्किल से ।। नेतो-(न०) बिलौने की रस्सी । नेतरो । नेठणो-(क्रि०) १. आजमाना। २. धीरज नेत्र-(न०)१. आँख । नेत्र । २. मथानी की रस्सी । ३. दो का संख्यासूचक शब्द । ४. रखना। ३. खतम करना । समाप्त छड़ी। ५. शाखा। करना । ४. खतम होना । समाप्त नेत्रो-दे० नेतरो। करना। ५. मना करना । रोकना । ६.. नेपज-दे० नेपै । मुलतवी रखना। नेपत-दे० नेपै। नेठाव-(न०)१. धैर्य । धीरज । २. खटाव । नेपाल-(न0) एक राष्ट्र । सहन शीलता । ३. समाप्ति । अंत । ४. नेपाळो-(न०) जमालगोटा। विश्राम । रहना । ५. निवास । नेपै-(ना०) १. खेती की निपज । उपज । नेठो-दे० नेठाव । पैदाइश । नेड़-दे० नइयड़। नेफो-(न०) पायजामे, लहँगे आदि का वह नेडो-(क्रि०वि०) समीप । पास । नजीक । ऊपरी भाग जिसमें नाड़ा (नारा) डाला (वि०) संबंध वाला। जाता है । नेफा। नेढ-(वि०) १. मूर्ख । २. हठी । (ना०) १. नेम-(न०) १. नियम । २. प्रतिज्ञा। ३. ___ मूर्खता । २. हठ । ३. निर्लज्जता। रीति । रिवाज । ४. धार्मिक क्रियाओं नेढो-(वि०) निर्लज्ज । निसड्डो । का पालन । नेत-(न०)१. मंगलसूत्र । २. कंकण डोरा। नेमणो-(क्रि०) नक्की करना । निश्चय ३. विरुद । ४. व्यवस्था। ५. निश्चय। करना । For Private and Personal Use Only Page #718 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नेमत (७०१ ) नेमत-दे० निमामत । जंगल में बनाया हुअा अस्थाई निवास । नेमधरम-(न०) १. पूजा-पाठ प्रादि धार्मिक ढाणी । ६. ऊँट के आयु सूचक कृत्य । २. वे कृत्य जो धर्म से संबंध खास खास दाँत । ७. तालाब भर जाने रखते हैं। पर पानी के निकाल के लिये बनाया नेमियो-(वि०)१. नियम से पूजा पाठ करने हुआ मार्ग । नेसटो। ८.असुर । राक्षस । वाला। २.नियम का पालन करने वाला। नेसटो-(न0) तालाब भर जाने पर पानी के नियम से पालन करने वाला । नियमी। निकाल के लिये बनाया हुआ मार्ग । नेमी। नेस । ओटो। नेर-(न०) १. कतिपय नगरों के नाम के नेसावर-(वि०) १. वह जिसके नेस के दाँत अंत में लगने वाला प्रत्यय । जैसे- आ गये हों (ऊँट)। २. पक्का । खरा। बीकानेर, चंपानेर, जोबनेर आदि । २. नेह-(न०)१. स्नेह । प्रेम । २. तेल । स्नेह । नगर का अपभ्रंश रूप । ३. नगर । नेहड़ी-(ना०) मथानी को सीधी खड़ी रखने नेव-(न०) १. छपरे की छाजन का थेपड़ा। का बिलौने का एक उपकरण । खपरेल । २. नरिया । ३. छपरे की नेहड़ो-(न०) स्नेह । नेह । किनारी जिसमें होकर बरसात का पानी नेहडो-दे० नेहढो । नीचे टपकता है । छप्पर के छोर के खपरे। नेहढो-दे० निसरड़ो। पोलती। प्रोरी । ४. अोलती में से गिरने नेहप्रिय-(न0) दीपक । दीवो। वाला पानी। नेह भीनो-(वि०) स्नेहसिक्त। नेवगी-दे० नेगी। नेहालंदी-(ना०) प्रेमिका । (वि०) स्नेह नेवज-(न०) देवता को अर्पण किया जाने लुब्धा । वाला मधुरान्न । नैवेद्य । भोग । प्रसाद । नेही-(वि०) प्रेमी । स्नेही । (न0) मित्र । नेव झरणो-(मुहा०) १. त्रुटि होना। २. सखा । दोष या अवगुण होना । ३. छपरे से नै-(प्रत्य०) १. कर्म कारक की विभक्ति । पानी टपकना । पोलती में से पानी को' । जैसे-राम नै आवरण दो अर्थात गिरना। 'राम को आने दो।' २. क्रिया (मूलधातु) नेवर-(न०) १. स्त्री के पाँवों का एक के अंत में लग कर 'करके', 'कर', 'के' गहना । नेवरी। २. पाजेब । नुपुर । अर्थों को प्रकट करने वाला एक प्रत्यय, नेपुर । ३. कोतल घोड़े के एक पांव में जैसे-'रोटी खायनै पाऊं हूं' अर्थात पहिनाया जाने वाला एक जेवर । नेवर । 'रोटी खाकर (खा करके या खा के) प्राता नेवरी-(न०) १. स्त्री के पाँवों का एक हैं'। ३. एक संयोजक अव्यय । वह शब्द गहना । नेवरी । २. पाजेब । नूपुर । जो दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने का नेवाण-(न०) जैसलमेर जिले का एक काम करता है। और । व । ऐसे ही। प्रदेश । दे० निवारण । जैसे-'राम नै केशव रोटी खाय रया है' नेस-(न०)१. दान में दी हुई भूमि या गांव । अर्थात राम और केशव रोटी खा रहे हैं। २. घर । मकान । ३.प्रदेश । ४. किसानों ४. दिशा सूचक शब्द के साथ लग कर तथा ग्वालों का जंगल में बनाया हुआ 'मोर', 'तरफ' अर्थ को व्यक्त करने वाला झोंपड़ों वाला छोटा गांव । हाणी । ५. एक अध्यय । जैसे-'अठीन', 'कठीने' For Private and Personal Use Only Page #719 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नैचो नूतो। ( ७०२ ) नोकरियात इत्यादि । (ना०) १. हुक्के को नली। परिवार जिसमें बुजुर्ग नहीं हो । कुटुम्ब २. नदी । (अव्य०) १. किन्तु । लेकिन । में बड़े आदमी का न होना। ४. खोट । २. क्योंकि । ३. केवल । कमी । क्षति । ३. अवयस्कता। नाबानैचो-(न०) हुक्के की वह नली जिस पर लिगी। ५ अवनति । चिलम रखी जाती है । नेचो । नैनपण-(ना०) १. बचपन । छोटापन । नैठो-दे० नेठो। २.नाबालिगी। नडापणो-(न०) निकटता। नैनम-दे० नैनप । नेडापो-दे० नडापणो। नैनो-(वि०) १. छोटा । २. महत्व रहित । नैडो-दे० नेड़ो। ३. तुच्छ । क्षुद्र । (न०)बच्चा । बालक । नैरण-(न०) नेत्र । नयन । नैनो-सूनो-(वि०) साधारण । मामूली । नैरणसुख-(ना०) एक सूती कपड़ा। नाचीज । छोटा सा। नैत-(ना.) १. विवाहादि में सगे सम्बन्धी नैयो-(न०) खाती का एक औजार । आदिकों की ओर से दी जाने वाली नैरणी-(ना०) नाखून काटने का एक नकद मेंट। २. नैत देने की प्रथा । दे० औजार । नखबरणी। नराई-(ना०) १. ढिलाई। सुस्ती। २. नैतणो-(क्रि०) १. भोजन के लिए न्योता देरी । समय । ढील । ३. धीरज । देना । निमन्त्रण देना। २. विवाह के नैरांत-दे० निरांत । भात (भोजन-समारोह) में बरात को नैरित-(ना०) पश्चिम-दक्षिण के बीच की निमंत्रण रूप में गीत गाती हुई कन्यापक्ष दिशा। नैऋत्य दिशा । की स्त्रियों का बरातियों के तिलक करने नैरो-(न०) १. श्मसान । मसान । २. को जाना। कुकुम, अक्षत, नारियल श्मशान तक शव के साथ जाने की क्रिया। आदि मांगलिक वस्तुओं और गीतों द्वारा शव का अग्नि संस्कार करने को जाना । अभिमंत्रित करके भात में भोजन करने लोकाचार । (वि०) न्यारा । अलग । का निमंत्रण देना। नवादो-(वि०)१. स्वाद रहित । नि.स्वादु । नैतरणो-दे० नेतणो। अस्वादिष्ट । २. बिगड़े हुये स्वाद का । नैतियार-(न०) निमंत्रित व्यक्ति । (वि०) ३. बासी।। निमंत्रित । नैवेद्य-(न०) देवता को अर्पण किया जाने नैतो-(न०)निमंत्रण । भोजन का निमंत्रण। वाला मधुरान्न । भोग । न्योता । नतो। नैहडो-दे० निसरड़ो। नैदण-दे० नैदाण । नैहढो-दे० निसरड़ो। नैदाण-(न०) १. खेत में नाज उग आने पर नंढो-दे० निसरड़ो। उसके आस पास के घास की की जाने नोक-(ना०) १. नोक । अनी । प्रणी। वाली कटाई । २. खेत की शुद्धि। सिरा । २. अग्रभाग । ३. सूक्ष्म अग्रभाग। निराने का काम । नोकर-(न०) सेवक । नौकर । नैदावणी-दे० नैदाण। नोकरणी-(ना०) नौकरानी । नैनप-(ना०) १. आर्थिक दृष्टि से कमजोर । नोकराणी-दे० नोकरणी। स्थिति । अर्थाभाव । २. वह अवयस्क नोकरियात-(वि०) नौकरी करने वाला । For Private and Personal Use Only Page #720 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मौकरी नोहराळ नोकरी-(ना०) सेवा । नौकरी । चाकरी। संक्षिप्त पंक्तियाँ । सार लेख । सार भाव । नोकार-(10) जैन धर्मानुयायियों के जपने ३. टिप्पणी । ___ का एक मंत्र । नवकार । नोपत-दे० नोबत । नोकारसी-(ना०)१. मात्र जैनों को कराया नोबत-(ना०) १.देवमंदिरों या राज्यप्रासादों जाने वाला भोजन समारंभ । नौकारशी। आदि में शहनाई के साथ बजाया जाने २. एक व्रत (जैन)। वाला एक मंगलसूचक बाजा । नौबत । नोख-(ना०) १. बात । २. अच्छी बात। २. बड़ा नगाड़ा। ३. दशा। स्थिति । चौज । ३. पाश्चर्य । (वि०) १. ४. संयोग । ५. बारी। पारी । अद्वितीय । अनोखा। २. सुन्दर। ३. नोबतखानो-(न०) १. मंदिर, प्रासाद मादि नया। __ का वह स्थान जहां नौबत बजाई जाती नोखाई-(ना.) १. अनोखापन । विलक्ष- है। २.मंदिर, राज्यप्रासाद आदि में नौबत णता । विशेषता। २. नवीनता। ३. ढोल प्रादि वाद्य रखे जाने का स्थान । सुन्दरता। नोबती-(न0) नौबत बजाने वाला। नोखी-(वि०)१. अद्भुत । नयी । २. जुदी। नोरता-(न०) १. नवरात्र काल । नवरात्रि अलग । के दिन । २. चैत्र सुदी और आसोज सुदी नोखीलो-(वि०) १. अनोखा। अद्भुत ।। प्रतिपदा से नवमी तक के नौ दिन जिनमें २. सुन्दर । नवदुर्गा का विशेष अनुष्ठान किया जाता नोखो-(वि०) १. अनोखा । अद्भुत । २. है। ३. दुर्गापूजा का विशिष्ट उत्सव । नया । ३. जुदा । अलग । ४. दूर । ४. नवरात्रि के दिनों में किये जाने वाले नोघरी-(ना०) १. पहुँचे का एक गहना। व्रत-उपवास । २. नो कोठों में नौ ग्रहों के नौ रत्नोंवाला नोरियो-(न०) १. हिंस्र पशु का नख । २. पहुंचे में पहना जाने वाला एक गहना। हिंस्र पशु के नख की लगी हुई रगड़ । ३. नवगृही । नवग्रही। नख की घर्षण । ४. नाखून । नख । नोछावर-दे० निछावर । नोरो-दे० नोहरो। नोज-(अव्य०) १. नहीं । नहीं ज । २. कभी नोळ-(न0) ऊंट के भाग नहीं सकने के नहीं। ३. क्यों। किसलिए । ४. न हो। लिये अगले दोनों पांवों में बाँधी जाने ५. यों न हो कि । ऐसा न हो कहीं। वाली लोहे की एक सांकल । उँट, भैंस नौज। आदि के पाँवों में बांधने का सांकल जैसा नोजणो-(क्रि०) नोइनी। नोई। छांद। एक उपकरण।। नवजरपो। नोलखो-(वि०)नौ लाख रुपयों के मूल्य का। नोजा-(न०) चिलगोजा । नेजा । नेवजा। नोळियो-(न0) नेवला। नोट-(न०) १. राज्य सरकार की ओर से नोळी-(ना०) करधनी की तरह कमर में प्रवर्तित वह कागज जिस पर राज्यचिन्ह बाँधने की कपड़े की लंबी थेली जिसमें और रुपयों की संख्या छपी रहती है और रुपये भरे रहते हैं । बसनी। जो उतने रुपयों के रूप में चलता है। नोहराळ-(न०ब०व०) सिंह, रीछ, चीता, कागज का सिक्का । २. याददाश्ती। बिल्ली, कुत्ता आदि तीखे नखों वाले ध्यान रखने के लिये लिखी जाने वाली हिंसक पशु : For Private and Personal Use Only Page #721 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नोहरो ४४) प्रत्य नोहरो-(न०) १. अनुरोध । निहोरा। २. अधिकारी जो मुकदमों का निर्णय करता मनुहार । ३. खुशामद । ४. गाय, मैस है। पादि बांधने का बाड़ा। बड़े भोज प्रादि न्यायालय-(न०) प्रदालत । कचहरी । की सामग्री तैयार करने का चारों ओर न्यायी-(वि०) १. न्याय करने वाला । २. दीवाल से घिरा हुआ मैदान । बाड़ा। न्याय पर चलने वाला। ३. न्याय से नौका-(ना०) नाव । डूंडो। संबंधित । नौकार-दे० नोकार । न्यार-(न०) १. मृतक की प्ररथी के साथ नौडियो-(न०) खींप या सिणिये के तृणों श्मशान तक जाने की क्रिया । न्यारो। को बल देकर बनाई हुई रस्सी। लोकाचार । नौड़ी-(ना०) दे० नोडियो। न्यारणी-(ना०) १. गाय भैंस आदि को नौरंग-(10) १. औरंगजेब । २. नवरंग नीरा जाने वाला घास-चारा । २. पुष्ष । न्यारिया की स्त्री। नौरंगजेब-(न०) औरंगजेब बादशाह । न्यारहाळो-दे० न्याराळो । नौरो-दे० नोहरो। न्याराळो-(वि०) १. न्यार के लिये जाने नौरोजो-दे० नवरोजो। वाला । न्यारे जाने वाला। २. न्यारे नौळ-दे० नोळ । गया हुआ। नौलखो-दे० नवलखो। न्यारियो-दे० नियारियो। नौलासी-(ना०) छड़ी । दे० नवलासी । न्यारी-(क्रि०वि०) अलग । जुदी। (ना.) नौळियो-(न०) नेवला । नकुल । न्यारिये की पत्नी । नियारी। नौसादर-दे० नवसादर । न्याउ-(अव्य०)न्याय परक । न्याय संबंधी। न्यारो-(क्रि०वि०) १. अलग । जुदा । (न०) ___ नियार । नियारो । बरलो । दे० न्यार । (न०) न्याय । न्यात-(ना०)१. एक वर्ग या जाति का लोक न्याल-दे० निहाल । समूह । न्याति । जाति । बिरादरी । २. न्याळ-(ना०) शिकार के समय मनाई जाने न्याति भोज । वाली मांस की दावत । २. आखेटन्यात-गंगा-(ना०) गंगा के समान पवित्र गोष्ठी। पाखेट-भोज । करने का महत्व रखने वाला न्याति न्याव-दे० न्याय । समूह । न्यावटो-दे० न्याय । न्यात-जात-(ना०) १. अपनी न्याति और न्याव-पताव-(न०) १. न्याय-निर्णय । २. दूसरी जाति । न्याति और पर न्याति । पंचायत निर्णय । ३. पंच निर्णय । ४. २. जात-पात । न्याय । ५. न्याय करने का काम । न्यात बारे-(वि०) न्याति में से बाहर किया न्याँई-(ना०) तरह । प्रकार । हुग्रा । न्याति-बहिष्कृत । न्योछावर-दे० निछावर । न्याय-(न०)१. इंसाफ । न्याय । २. फैसला। न्योळ-मुखी-दे० न्योळ-मुही। निर्णय । (क्रि०वि०) निश्चय ही। न्योळ-मही-(ना०) ऊँटनी की एक जाति । न्यायकारी-(वि०) न्यायकर्ता । (वि०) लबे मुंह वाली। न्यायाधीश-(न०) न्याय विभाग का वह नत्य-दे० नृत्य । For Private and Personal Use Only Page #722 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ७०५ ) प्रधोम धोम - (वि०) १. घूम व मल रहित । २. प्रकाशवान् । उज्वल । ३. निर्धूम | ग्रुप- ( न०) नृप । राजा । न्रपाळ - ( न०) नरपाल । राजा । त्रित - ( न०) नृत्य | नाच | त्रिप-दे० त्रप । त्रिपाळ - दे० नृपाळ | त्रिभै- ( वि० ) निर्भय । निडर । त्रिभैमन - ( न० ) १. उदार । २. निडर । वीर । ग्रिमळ - (वि०) निर्मल । उज्वल । न्ह्याल - ( न० ) मनोरथ सिद्धि । निहाल । न्हवड़ावरणो - ( क्रि०) नहलाना । स्नान करवाना। न्हवाड़रणो - ( क्रि०) म्हवावणो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न्हवारणो - दे० न्हवड़ावरणो । न्हवावणो - ( क्रि०) करवाना । नहलाना । म्होरो For Private and Personal Use Only स्नान न्हाठरगो - ( क्रि०) भागना । भाग जाना । नाठणी | न्हाठ-भाग- दे० न्हास भाग । हारणो - ( क्रि०) १. नहाना । स्नान करना । २. भागना । देखना । निहारना । न्हाळणी - ( क्रि०) न्याळखो । न्हावरण - ( न० ) स्नान । न्हावरणो-दे० न्हाणो । न्हासो - ( क्रि०) भागना । न्हास भाग- ( ना० ) भगदड़ । भागदौड़ । न्होरियो - दे० नोरियो । न्होरो - दे० नहोरो । नोहरो । Page #723 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only