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में, पृथ्वीराजको शाहबुद्दीनने पकड़ा तब, मारा-मया।
महा कवि चन्द भाट कुन पृथ्वीराज रासे से भी यही समय नाहरराव पड़िहार का विदित होता है।
हमारे यहाँ के प्राचीन पुस्तकालय का मत
नाहरराव पड़िहारने मण्डोर नगर को आनन्द सं० ११०० (विक्रम सं० ११९६) में फिर से वसाया था, और आनन्द सं० ११११ (विक्रम सं० १२०७ ) में उस का कोट बनवाया था।
नाहरराव पड़िहार का दामाद (जमाई ) पृथ्वीराज चौहान था। उसने मारवाड़में नागोर नगरका कोट आनन्द सं० १११२ (विक्रम सं० १२०८ ) में बनवाया था।
नाहरराव पड़िहार की 'पिङ्गला' नामको बहन चित्तौड़के राणा तेजसी को व्याही थी। राणा तेजाके उत्तराधिकारी राणा समरसी हुये । वे विक्रम सं० १२०६ में जन्मे थे ।
उपरोक्त आशय का लेख हमारे यहां को एक बहुत प्राचीन हस्त लिखित इतिहास को पुस्तकमें, जो सं० १७९९ की लिखी हुई है, लिखा है । इस से भी ज्ञात होता है कि मण्डोर के राजा नाहरराव पड़िहार सं० १२०० के लगभग ही हुये थे।
पुष्कर खुदने का समय । उपरोक्त मण्डोर के राजा नाहरराव पड़िहारने पुष्करजी का तालाब विक्रम सं० १२१२ में खुदवाया था जिस के प्रमाण का एक दोहा, जो सर्वत्र ही प्रसिद्ध है, यहां लिखता हूं:संवत् बार बारोत्तरै पुष्कर बाँध्यो धाम । पेमपालरा नाहराव थें कियो निश्चल नाम ॥
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