Book Title: Pushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Author(s): Mithalal Vyas
Publisher: Mithalal Vyas

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ बहियों में इनके पूर्वजों का परम्परासे शृंखलाबद्ध वृत्तान्त लिखा हुआ मिल सकेगा। नीमरे यह जाति स्वयं इतिहास प्रेमी भी होने से इन्हीं के यहां से जब कि बहुधा अन्यान्य लोगों का भी प्राचीन वृत्तान्त मिल सकता है तो फिर इनके निजका वृत्तान्त मिक जाने में तो आश्चर्य हो क्या है । और चौथ यह जाति व हुत प्राचीनकाल से राजाओं के कुलाचार्य - पुरोहित, गुरु ब राज्य मुसाहिब - आदि होने से राजाओं के दिये हुये ताम्रपत्र, शिळालेख, राज्य शासन पत्र आदि मिलने के उपरान्त राजाओं के निजक इतिहास में भी इनका बहुतसा वृत्तान्त मिल सकेगा । (४) जाति सभा की आवश्यकता - : परन्तु इतना सुविधा होने पर भी सर्वत्र घूम फिर कर पत लगा के उक्त साधनों का संग्रह करना मेरी अकेलेकी शक्ति से बाहर जान के इस महान् कार्यको पूर्ण करने के लिये पुष्करणे ब्राह्मणों की एक जातीय महा सभा स्थापित करानी उचित दे खकर मैंने उद्योग करके सं० १९४७ के कार्त्तिक कृष्ण १३ सो + सं० १८७७ में जोधपुर के एक चत्ताणी व्यासने गाँव बाँब लड़ी में पुष्करणे ब्राह्मणों के भाट सदारामसे तकरार हो जाने से उसकी बहियें छीन की। तभी से जोधपुर, पाली, नागोर, मेड़ता आदि के पुष्करणों के यहां भाटों का आना जाना बन्द हो जाने से अब भाटों की बहियों में इन के नाम भी नहीं लिखे जाते हैं । किन्तु यह परम आवश्यकीय प्राचीन प्रथा उठ जानी दोनों ही के लिये महान् हानिकर हुई है । अतः उभय पक्षको अवश्य ही चाहिये कि विना विलम्ब के उसका पुन: प्रचार कर दें ताकि पुष्करणों के तो पूर्वजों की कीर्त्ति और भाटों की जीविका सदाकाल बनी रहे । For Private And Personal Use Only * जोधपुर में भी चोहटिया जोशी जाति के पुष्करणों के यहां प्राचीन इतिहास लिखने की प्रथा कई पीढ़ियों से चली आती हैं।

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