Book Title: Prashnottar Chintamani
Author(s): Anupchand Malukchand Sheth
Publisher: Jain Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 282
________________ ( २ ) रो--आ. - अ आ यंत्रमा जे शूलयोगे मृगशीर्ष नक्षत्र मूक्युं छे तेमज परिघयोगे मघा, वैधृते चित्रा, व्याघाते पुनर्वसु, वज्रे पुष्य, विषकुंभे अश्विनी, अ. तिगंडे अनुराधा, गंजे मूल, व्यतिपाते अश्लेषा ए प्रमाणे जेटलामो योग होय तेटलामुं नक्षत्र मूक. आ मुजबना दोष तजीने प्रतिष्टा दीक्षानां मुहर्तनां नक्षत्र लेवां. दीक्षानां नक्षत्र लग्नंशुद्धि प्रमाणे लेवां.. . उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, हस्त, अनुराधा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, पुष्य, पुनर्वसु, रेवती, मूल, अश्विनी, श्रवण, स्वाती ए नक्षत्रोए दीक्षा आपवी. गुरुने चंद्र बल जोवं. ने शिष्यने . चंद्रबल गुरुबल रविबल ने प्रतिष्ठा करावनारने जोवाने कछुळे तेम Scanned by CamScanner

Loading...

Page Navigation
1 ... 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299