Book Title: Prashnottar Chintamani
Author(s): Anupchand Malukchand Sheth
Publisher: Jain Gyan Prasarak Mandal

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Page 288
________________ ( २७७ ) शनी, त्यार पछीना आठ भागनो स्वामी गुरु, त्यार पछीना सात भागनो स्वामी बुध, त्यार पछीना पांच भागनो स्वामी शुक्र ए रीते मिथुन सिंह, तुला, धन, कुंभना भागोना स्वामी एन जाणवा. अने समराशि जे वर्ष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन ए छए सम लग्नमां पहेला पांच भागनो स्वामी शुक्र, ते पछीना पांच भागनो स्वामी बुध, ते पछी आठ भागनो स्वामी गुरु, ते पछीना सात भागनो स्वामी शनी, ते पछीना पांच भागनो स्वामी मंगल ए प्रमाणे अंशना स्वामी जोवा. तेमां सौम्य ग्रहना अंशमा मुहूर्त करवु श्रेष्ठ छे. वली बीजी रीते त्रीश अं. शमाथी अंश कह्या छे, ते नीचे मुजब. त्रीश अंशमांना अंश. वर्ष तथा मकर लग्ननो वीशमो अंश. मीन, कर्क, कन्यानो ४ तथा ८ अंश. वृश्चिकनो १२ अंश. कुंभनो । २६ अंश. तोला लग्ननो २४ अंश. मेषनो २७ अंश. सिंहनो १८ अंश. धन तथा मिथुन लग्ननो १७ अंश. ए रीते जे. लग्न होय, तेना उपर कहेला अंशमां मुहूर्त करवू. ते पण उत्तम कर्तुं छे. बारे लग्नना स्वामी जोवा ते मेषनो मंगल, वर्षनो शुक, मिथुननो बुध, कर्कनो चंद्रमा, सिंहनो रवि, कन्यानो बुध, तोला. नो शुक्र, वृश्चिकनो मंगल, धननो गुरु, मकर तथा कुंभनो शनि, मी. ननो गुरु ए मुजबना लग्नना स्वामी जाणवा. ते स्वामी बलवान् जो. वा तथा उच्च स्वग्रही होय तो बहु सारो, पण नीचनो वा शत्रुना घरमां बेठेलो वा हस्तनो वक्रीनो होय ते वर्जवो. आ रीते छ वर्ग शुद्धि जोवी. वली एक आचार्य महाराज एम कहे छे जे नवमांश शुद्ध जोह प्रतिष्ठा करवी. एम लग्नशुद्धिमां कहे छे. चंद्रमा क्रूर ग्रहे युक्त होय तो Scanned by CamScanner

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