Book Title: Prashnottar Chintamani
Author(s): Anupchand Malukchand Sheth
Publisher: Jain Gyan Prasarak Mandal

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Page 280
________________ भ K उ रे १ श 머 ( २६९ ) रोहिणीवेध ते. Scanned by CamScanner कुरो मृ आ पुपुष्य अ म पु उ 64 हचि स्वा वि उपरनी रेखामां नक्षत्र लख्यां छे ते नक्षत्र उपर मुहूर्त्तना दिवसे जे जे नक्षत्र उपर ग्रह होय, ते ग्रहो नक्षत्र उपर लखवां अने पछी तपासवुं के, जे नक्षत्र उपर चंद्रमा होय ते लीटीनी सामेना नक्षत्र उपर कोइ पण ग्रह होय तो ते वेध समजवो अने चंद्रवाला नक्षत्रमां ' मुहूर्त्त करवुं नहि. ए नक्षत्र तजवुं, अभिजित नक्षत्र उपर कोइ पण ग्रह नहि होय पण उत्तराषाढाना चोथा पायामां जे ग्रह होय ते अथवा श्रवण नक्षत्र बेसतां चार घडी सुधी जे ग्रह होय, ते ग्रह अभिजित उपर जाणवो. केम के उत्तराषाढाना चोथा पायाने श्रवण बेसतां चार घडी सुघीनेज अभिजीत नक्षत्र कहेलुं छे. आ मुजब रोहिणीवेधनुं नक्षत्र तजवुं . उपग्रह ते सूर्य नक्षत्र जे वर्ततुं होय ते नक्षत्रयी ५-११-१८-१९-२२ २३-२४ एमांनुं नक्षत्र होय सो ते उपग्रह वेध कहीए माटे ए तजवं. लग से लता पोताना एटले प्रतिष्ठा करावनारना तथा दीक्षा लेनार

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