Book Title: Pariksha Mukham
Author(s): Manikyanandisuri, Gajadharlal Jain, Surendrakumar
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Samstha

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ हिंदवंगानुवादसहितं परीक्षामुखं । बंगला-ये पदार्थ ज्ञानेर कारण । नियमतः सेइ पदार्थह ज्ञानेर विषय, यदि एइरूप बलेन ताहा हइले इंद्रिय मन प्रभृति ज्ञानकारणे व्यभिचार उपस्थित हइबे । ये हेतु इंद्रिय प्रभृति पदार्थ समूहेर ज्ञान तो कराय बटे किंतु स्वयं निजेर ज्ञान कराय ना ।१०। सामग्रीविशेषविश्लेषिताखिलावरणमतींद्रियमशेषतो मुख्यं ॥११॥ सावरणत्वे करणजन्यत्वे च प्रतिबंधसंभवात् ॥१२॥ हिंदी--जो ज्ञान, देश काल तप आदि सामग्री विशेषसे समस्त कर्मावरणोंसे रहित हो, अतींद्रिय और सर्वथा विशद (निर्मल) हो, उसे मुख्यप्रत्यक्ष कहते हैं। क्योंकि आवरण सहित और इंद्रियोंकी सहायतासे होनेवाले ज्ञानका प्रतिबंध होना संभव है ॥११-१२॥ ____ बंगला-ये ज्ञान देश काल तपः प्रभृति सामग्रीविशेषद्वारा कर्मावरणरहित, अतींद्रिय एवं सर्वथा विशद (स्वच्छ ) ताहाके मुख्य प्रत्यक्ष बले । ये हेतु आवरण सहित ओ इंद्रिय सहाय्ये उत्पन्न ज्ञानेर प्रतिबंध हइबार संभावना थाके ॥१११२॥ इति परीक्षामुखसूत्रार्थे द्वितीयोद्देशः ॥२॥ अथ तृतीयोद्देशः। परोक्षमितरत् ॥१॥ हिंदी-प्रत्यक्ष ज्ञानसे भिन्न स्मृति आदिक ज्ञान परोक्षप्रमाण हैं ॥१॥ बंगला-प्रत्यक्ष ज्ञान हइते भिन्न स्मृति प्रभृतिके परोक्ष प्रमाण बला हय ॥१॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90