Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 671
________________ ( ६५० ) ५३१ अट्ठकथा-साहित्य ४७१ -का अत्तनगलुविहारवंस ५४१, ५४८, उद्भव और विकास ४९५-५००, ५७४-५७५ ४९७, ४९८, ४९९, ५००-- अतिरिक्त धम्म १९९ की संस्कृत भाष्य और टीआओं अतीतवत्थु २७७ से तुलना ५००-५०१,--की। अत्यव्याख्यं ६४१ कुछ सामान्य विशेषताएँ ५००-५०१, अत्थवण्णना २७७ ५०२, ५०३, ५०४, ५०५, ५०६, । अत्थसवग्ग ६२९ ५०८, ५१४, ५१५ अत्थुद्धार-कंड ३७३, ३९४, ३९५ बुद्धघोष की अट्ठकथाएँ ५२२- अर्थकथा ७१, १०४, १०५, १०९, ५२९, बुद्धदत्त की अट्ठकथाएँ। २२३ ५०४-५०५, अभिधम्मपिटक । अर्थजाल १३४ सम्बन्धी अट्ठकथाएँ ५२८-५२९; । अर्थ-विद्या २९२ ५३२, ५३६ अद्वेष ३८८, ३९४, ४४०, ४५८, अट्ठकथाकार ३०८, ४२७, - ५३३, ५३५ पालि साहित्य के तीन बड़े ५०१- अर्द्धमागधी १८, १९, २८, ३१, ३२, -- का पालि से सम्बन्ध ३१अट्ठकथाचरिय ५७७ ३३; ३४, ३९, ४५, ४८, ४९, अट्ठकनागर-सुत्त ९५, १५३ अट्ठक-निपात १०१, १७८, १८०, अविकरणपच्चय-कथा ५०४ । १८२, १८९, १९०, १९३ अधिकरणसमथा धम्मा (सात) अट्ठकनवनिपात-अंगुत्तर ६३९ ३१२, ३१९-३२१ अट्ठकदग्ग १०६, १०७, २४० अधिकरण-शमथ ३.१३ अट्ठसालिनी १०५, १९९, ३५२, अधिट्ठान-हार ४६८ ३५९, ४७३, ४९८, ५०७, ५१३, अधिपति-प्रत्यय ४५७, ४६० ५२८, ५३०, ५४३, ५८६, अधिमोक्ष ३८७, ३९२, ३९३, ४१२, ६४१ ५३४, ५३५ अट्टसालिनी-अट्ठकथा ६३९ अधोविरेचन १६० अट्ठसालिनी की निदानकथा १९८, अनंगण १४९ १९९, ३३५, ३३६, ३५० अनंगण-सुत्त ९३, १४९ अट्ठसालिनी की टीका ५३८, ५४२ अनन्त आकिंचन्य (शून्यता) का अट्ठसालिनी-निस्सय ६४१ ध्यान ३७८ अट्ठान-जातक २९४ अनन्त आकाश का ध्यान ३७८ अड्ढकासी (भिक्षुणी) २६९ अनन्त विज्ञान का ध्यान ३७८ अत्तदण्ड-सुत्त .२४१ अनन्यशरण १७५ अत्तदीप-सुत्त १७५ अनन्तर-प्रत्यय ४५७, ४६० अत्त-वग्ग २१५, २१८, २२४ अनमतग्ग-संयुत्त ९९, १६५ अत्तनगल्ल (या अत्तनगलु-लंका अन्-अवत्रपा (अनोत्तप्पं) ३८८, में स्थान) ५७५ ३९२, ३९३, ५३५

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