Book Title: Nyayamanjari Granthibhanga
Author(s): Chakradhar, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 11
________________ तिविशेषश्चममन्यन्त्रमाणपंचममक्लिनधावापिविरुवादिविशेषस्तनपंक थमन्पत्तथानियामान्यन्वतंष्टध्यायेत्वानामंजवेदितिापवंविधरपोद्यय्य वरलुचिनिन्नविषयावरलुस्कनावोयंयमित्रोवरजिमपियामापंचपन मयाअयसापधिराछनामिनियस्तमयमोषधालुनामियात्वममष्टया दृथ्वानिनिसंबंधाकिंन्दनापथिगछन्डालोचनाक्प्रवरातिनियमि नानन्ममेकास्पिातिअनमयकामियांपरप्पपिमित्मचकित्र माताभिनिवेत्तदाहावगतिनियमितेतिरूपमेयात्रुपक्यांमान्यूनःपथ्य रागंडानिवगम्मतोतयात्रिधमिजलेषारुपमकीपमित्वच पकाते रति निस्त्रयंफ्लेकदेवनिरयंपकं--पाहिनाशिलेदेनज लखएव------------ अन्सयामिछान्मावित्रोषनिष्टत्रा झगनोजने-होतकालेनसितिमितिा------केनेशापर्व जनानुकुले----सवरादिसूनिवेदिलेनिासवरणस्छानवर परितमानवरलानामाप्पयोगप्राधनाधिप--वाहापाकंचकराजसल चंदनगंगाटकान्नधरस्वतहवेपिनलफ्नातुति सर्ववष्टिसाहचर्या बाटाबाझामवस्छानां--पुरुषा:कटा-वारणकटवानातिवृत्ता य-राजाऽतित्रा-कता:नातवान्जाभवाव्यातुलया-व चनंतुलाचंदनंगंगावानमापोगंगाकमेनोनयुलपटा निम्ता धनापन्नत्रमापति)लाधिपत्पादयंसुरुमाऊलमियुनेस्यामा नाधिकररोपेनवाहपित्रवतततिवादविविधालगंबंधेनाम्यामा सुमावडेडमिनिष्क्रियागगनलकृष्णयामितिनाकलधुटाकाय स्पवाहीकध्यमाद्याटिईक्ष प्रतिपादयतुगिस्तापत्रयोगोनमुनाह गयांगंगवाष्टोमासामाग्छनारघरखनाक्यतयाजदर श्रावकरामनवक्रधरकृतिन्पायनेजरीयलंगेल्काप्राप्तानिजमश जानिलकत्रिकस्यवमादिस्वपियादवावादत्राकर-- साप्रकारत्न मोजयितुत्राक्यत्वादिनिायथाअहेतु:कालत्रयेप्पप्राक्कावास्यका लक्ष्यप्पनाभकत्वादहनुमाधम्यनिनिलाम्पसतात्रयमंशाधनाला नवजात्युत्तरोहीतनितिातेनहिक्रियावानात्माप्रमाणात यातुमुल्योगात्रात्यंलोष्ट क्रियान्वउपयुक्तःक्रिमावानुनथाचा मितिजाउदाहरण्यापनावाघालावलनादिकर्मयोगेनोन थानेननमायापन्निध्यतातिरयंचलत्वाचाऊयवहित्पादितेनाविक तपाबाटोनिविपताऽनिलेनदृष्टानेनाविपरीतनयालन्यातपायुधाघटान धादामपतिदित्रपतोयश्चात्यनिधर्मकलम्योपलिरिनितम्पोलेरियाय पाख्यानी एर्वमनुत्पसानवितव्यूमिनित्रउत्पन्नेरलात्मनः किमुद्दिच्यते। विमुगतानास्पत्रविमतिरिपोम्याचम्पत्निक्रियासिसितिग्नये ननित्पनानिपेनचसाधास्त्रपदपढ़याःअनिःप्रक्रियाप्रकरलामननि कृतमानप्रतिनिधिोत्पत्तोप्रकरणनितिनवितिप्रतिक्रतोनिक नोनियिनिहलनावक्विाधम्मेलतियदास्थापनावापयामी Ms. To folio no. 58 (see printed pp. 241-42 ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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