Book Title: Nrutyaratna Kosh Part 02
Author(s): Rasiklal C Parikh
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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मुं० २० को०-उल्लास ४, परीक्षण ४
२३९ श्रीब्रह्मगिरिभौमस्वर्गतायथार्थीकरणरचितचारुपथेन ॥ ५१ ॥ श्रीकामाक्षागिरिनवीन.: निर्मितिपराजितसुमेरुणा ॥ ५२ ॥ श्रीमहिपाचलोपरिश्रीहरिशरणरचिताचलदुर्गेण
॥ ५३ ॥ रायंगुरु चायंगुरु सेलगुरु रायांचापरगुरु वागाङ्गलारायांचामुहवनरायहिंसक्लरायमाचल्लपूर्वपश्चिमउत्तरदक्षिणचतुर्दिशां. रायांचा-आंवुला-इत्यादि-विरुदावलीविराजमानेन ॥ ५४ ॥ अध्युष्टतमनरेश्वरेण ॥ ५५ ॥ सवलराजस[मून्मूलना-5 चार्येण ॥ ५६ ॥ दुर्बलराजसंस्थापनाचार्येण ॥ ५७ ॥ पितृवैरसमुद्भूतरोपपोषणमहीपतिमत्तमातङ्गमस्तकाचशेन ॥ ५८ ॥ अभिनवभार्गवेण ॥ ५९॥ राजभुजवलभीमेन
॥६० ॥ हिन्दूकराजगजपतिना ॥ ६१ ॥ आसनसिंहासनसितातपत्रमाणिक्यमाला- मण्डितवातान्दोलितजयपताकाकनकदण्डचन्द्रावदातचलचामरयुगलमकरध्वजादि-.
राजराजालङ्करणावलोकनमत्सरितमानसेतरनृपालमौलिनिहितवामचरणेन ॥६२॥ नल-10 नहुषधुंधुमारभरतभगीरथमान्धातृमेधातिथिप्रभृतिचिरराजरत्नोदात्तचरितेन ॥ ६३ ॥ वेदमार्गस्थापनचतुराननेन ॥ ६४॥ सर्वदाव्यम्बकादिगोदाविमुक्तिसमस्तामुक्तिप्रवितीर्णमुक्तमुक्ताकलापेन ॥ ६५ ॥ श्रीब्रह्मगिरिसन्निधिकृतयुगधर्मानुवृत्तिब्रह्मवृन्दाधि-ष्ठितानेकयज्ञाद्यखिलसुकृतकृत्य सत्यलोकेन ॥ ६६ ॥ परमभागवतेन ॥ ६७ ॥ अभिनव
भरताचार्येण ॥ ६८॥ सङ्गीतमीमांसानिर्माणापरप्रभाकरेण ॥ ६९॥ प्रवन्धराजश्रीगीत-15 गोविन्दनिर्माणपरितोषितराधामाधवेन ॥ ७० ॥ कामाक्षास्तुतिकरणाराधितकामेश्वरीचरणकमलेन ॥ ७१ ॥ श्रीगीतगोविन्दटीकारचनवर्णितसाङ्गशृङ्गाररसेन ॥ ७२ ॥ सकलराजवाग्गेयकारतोडरमल्लेन ॥ ७३ ॥ सकलकविराजचक्रचूडामणिना ॥ ७४ ॥ वीणावादनप्रवीणेन ॥ ७५ ॥ सुशारीरशालिना ॥ ७६ ॥ पद्मनगरजनस्थानगोदावरी विराजमानम्लेच्छोच्छेदितचिरकालधर्मसंस्थापनेन ॥ ७७॥ संस्कृतभाषामहाराष्ट्रभाषा-20 त्रैलिङ्गकर्णाटभाषाचतुष्टयविरचितनाटकराजचतुष्टयेन ॥ ७८ ॥ याचकजनकल्पनाकल्पद्रुमेण ॥ ७९ ॥ वसन्तसमयसमागतसमस्तसामन्तसीमन्तिनीशिरोमणिसीमन्तसिन्दूरपूरदूरोद्भूलनप्रकटितप्रौढप्रतापेन ॥ ८० ॥ निसर्गदुर्ग्रहदुर्गवर्गदुर्गमप्र(?प्रा). कारपरिखापरिपातपरिखिद्यमानपरिशङ्कितपरिजनपरिवीतप्रत्यर्थिनितम्बिनीलुटाकार्ग
लादीर्घभुजायुगलेन ॥ ८१॥ धीरोदात्तधीरशान्तधीरोद्धतधीरललितचतुर्विधनायक- 25 " गुणग्रामविचारचातुरीचतुराननेन ॥ ८२ ॥ अष्टविधनायिकाहावभावविकोदामोद्दीपितस्मरविलोकनानुभूयमानङ्गाररससान्तरनिरन्तरान्तरानन्देन ॥ ८३ ॥ नाटकनाटिकाख्यायिकाप्रलेहि(? हेलि)काकलाकलापकौशल्येन ॥ ८४ ॥ भारतीयरस दृष्टिभावदृष्टिभावितंभावनाभिनवभरताचार्येण ॥ ८५ ॥ नन्दिकेश्वरमतानुवर्तनाराधितत्रिनयनेन ॥ ८६॥ परमपराक्रमार्जुनेनाथ वृहन्नटेन ॥ ८७ ॥ सतताराधितधर्मेणाथ 30 वृकोदरेण ॥ ८८॥ श्रीसरस्वतीरससमुद्भूतकैरवोद्याननायकेन ॥ ८९॥ यवनकुलाकालकालरात्रिरूपेण ॥ ९० ॥ सततपराभूतसूर्यवंशीन्द्रसेनराजराज्यसंस्थापनढाझीकारेण ॥९१॥ गूर्जरधराधीशमहमदसुलताणधीरत्वोन्मूलनप्रचण्डपवनेन ॥ ९२ ॥ त्रिसंध्यक्षेत्रसमुद्रसंभवरोहिणीरमणेन ।। ९३ ॥ अरिराजमत्तमातङ्गपञ्चाननेन ॥ ९ ॥ मरूदपत्रयवनदवदहनदावानलेन ॥ ९५ ॥ प्रत्यर्थिपृथिवीपतितिमिरततिनिराकरण-35 प्रौढप्रतापमार्तण्डेन ॥ ९६ ॥ वैरिवनितावैधव्यदीक्षादानदक्षोहण्डकोदण्डमण्डिता.

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