Book Title: Nrutyaratna Kosh Part 02
Author(s): Rasiklal C Parikh
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 187
________________ . [ १७. ] . श्लोक कार क्रमांक पृष्ठांक | श्लोकमा क्रमांक पृष्ठांक., नासादेशं गतो यत्र -५३, १४६ निर्वेदादिभाववर्गगणने ३६६::३१.. नासानिलेन व्याख्यातो०१.१८, ९६. निर्वत्ता इति विज्ञेयाः .. ३९३....३३ . नासापि षड्विधा १७६३ निवतितोऽन्तर्म (? र्ग)तया:-: ७३, ७६.. नासिकाक्षेत्रतः कार्यः ५५१: “४५) निवेशमेलकाक्रीडमुद्धतं .. १७ १४६ . निञ्चितं मतल्लिः ७६:१७९ निवेश्य (?वेशि)तो स्व-::.: निकुञ्चितासूच्याख्य०-८११७६:: (? त्व)धः निकट्टकाभिधं कुर्यात्ततः ६७१८०:: निश्चेतव्यास्ततश्चैते ५०६ : ४२ निकुट्टका लताक्षेपा० ७.१२६ निष्क्रान्ते सूत्रधारेऽथ २७७ ..२५ निकुट्टनमिहाङ्गस्य ८४.१७६ : निष्क्रियः स्तब्ध इत्युक्तो:७२: : ७६ . निकुट्टमूरूवृत्तं चाhिoj३३१७४: निष्काशो निष्कर्षणं १३४ -९६ : निकुट्टनं तु:पादेन ,३,१३४: निष्पत्तिर्नाट्यशास्त्रस्य १८ .... ३ . निकुट्टितस्तद्वदेव पादो १.०७.१५५: निष्पत्तिर्नाट्यशास्त्रस्य २६:१४ निकुट्टितो समौ पादौ ३२ १३७.. निषण्णौ गगने तत् .....३०:१११ - नितम्बकेशहस्तादि० : ८६ १५.३.. निषेधे नैवमित्युक्तौ १. १४६ १०१.. नितम्बविष्णुक्रान्ता ६४. १७८ :- निसारुरासकं वाद्यास्तालाः .. १४२ २१४... नितम्बश्चतुरस्त्रो वा०७४.१५१.. निःश्वासोऽनुशयादौ स्यात् ११६ ६६.. नितम्वांसभुज : निःश्वासोच्छ्वासमन्दत्वे-... ६८. : ९४.. निहञ्चितं परावृत्तं : ४७५ : ३६. नितम्ब करिहस्त निहतेऽन्यस्य पादस्य : -२८. १२१ :: निदधाति तदा प्रोक्ता ६६ १९० नीरक्षीरित चुम्बितानि ........१३. २००. निपतेतां समुक्षिप्य ४६ १३१ नोलमुत्पलमित्येष :: ७६४.. ६४. नूपुरं च तथाक्षिप्तं . . २५. १७४. निमेषिती तु पुटयोः ७३ नूपुरं च विवृत्तं -.७५ १.७६. नियुक्तो वेदनासूया०१२ नूपुरं चैव विक्षिप्त० २८.१७४. नियुक्ती लोलितो तत्र ७१ नूपुरं भ्रमरं कृत्वा .४५. १७६नियोज्यः स्वरगमनेर हे नूपुरं पादापविद्ध ८.६.१४६.. निरपेक्षौ यथा सर्वो०३३ १०५ नुत्तश्रमविधिस्तद्वत् २८ -...४.. निद्धश्चिरमाभुक्तो ११०- नृत्यन् सालगसूडेन :: ४६. १६. निरूपयन्ति यत् ७२०६१ नृत्यन्ती नर्तकी यत्र :५२ २०५:. निर्गच्छदिव यन्मव्य : १७:२४: नृत्यन्ती यल्लये क्वापि ६६ २०७.. निगच्छति महर्वक्त्रा० १०७ : ६५: नृत्यस्य प्रनियां कृत्वा. -------७०. २२७.. निर्णीयन्ते प्रेक्षकश्च ४२६ : ३६. नृत्यस्याखिलन (कृ)त्यवित्.::.३ १६३.. निर्दिष्टं तत:प्रबोद्ध० :.:...४ ४१:: नत्यानुगं वर्षमाने २०६ :१६. निर्वेदोऽय तया ग्लानि० . : १६३ २१६. नृत्याभिधेऽङ्गाभिनये . ... .४४५ ३७.. निर्वणना तु सा ज्ञेया : ... .. ६० -६२- नृत्य प्रसारिता पावें ...५६ ८० नितम्बो पल्लवाख्या .१७ ४२ २० १७३ . नितम्ब करिह . निम्नपृष्ठं च निर्भ ७८२ ६६

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