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सुन्दरबोधिनी टोका वर्ग ५ माय..१ निषध
४२१ शिखरमचुरः-अनेकानि तटानि-तीराणि कटकाः गण्डशैलाः पर्वतासंत्रुव्यपतिता महापाषाणाः, विवराणि-छिद्राणि, अवशरा=निर्झरविशेषाः, प्रपाता = भृगवा गर्तरूपाणि निर्झरणजलपतनस्थानानि, प्राग्भाराः ईषदवनताः पर्वतपदे
हुआ रम्य प्रदेश और अनेक सुन्दर शिखर विद्यमान थे। वहाँ अप्सरागण देवगण और विद्याधरोंके युगल आकर क्रोडा करते थे । और जहाँ जङ्घाचरण विद्याचरण मुनि भी ध्यान मौनादिके लिये निवास करते थे। तथा वह पर्वत उत्सवका एक रमणीय स्थल था। और नेमिनाथ भगवानसे युक्त होनेके कारण तीनों लोकमें श्रेष्ठ बलवीर दशा)का वह पर्वत सोम आह्लाद उत्पन्न करनेवाला था, शुभ-मंगलकारी था प्रियदर्शन=नेत्रोंको सुख देनेवाला था, सुरूप सुहावना था, प्रसादीय मनको प्रसन्न करनेवाला था, दर्शनीय-देखने योग्य था, अभिरूप=अपनी सुन्दरताके कारण चमकता था, प्रतिरूप दर्शक जनोंके हृदयमें प्रतिबिम्बित हो जाता था। उस रैवतक पर्वतके समीपमें नन्दनवन नामक उद्यान था, जो सभी ऋतुओंके फूलोंसे सम्पन यावत् दर्शनीय था। उस नन्दनवन उद्यानमें सुरप्रिय यक्षका यक्षायतन बहुत
ભાગ અને સુંદર શિખર વિદ્યમાન હતા ત્યાં અપ્સરાગણ, દેવગણ, અને વિદ્યાધરનાં જેડલાં આવીને ક્રીડા કરતાં હતાં અને જ્યાં જંઘાચરણ, વિદ્યાચરણ મુનિ પણ ધ્યાન, મોન આદિ માટે નિવાસ કરતા હતા. તથા આ પર્વત હમેશાં ઉત્સવનું એક રમણીય સ્થાન હતું અને નેમીનાથ ભગવાનથી યુક્ત હોવાથી ત્રણે awi श्रेष्ठ मलवीर शानिपत सोम माइमा उत्पन्न ४२वावापाणी sal, शुभ मारी , प्रियदर्शन-नेत्रीने सुम आपापा तो, सुरूप ३याणा शामाR &, प्रासादोय-मनने प्रसन्न ४२वावा! तो, दर्शनीय नेवा योग्य
ता, अभिरूप पोतानी सुंदरताने सीधे यमरतो ता, प्रतिरूप=MRibiwi છાપ પાડે તે હતે, (પ્રતિબિંબિત થઈ જતે હતે.) તે રૈવત પર્વતની પાસે નન્દનવન નામે એક ઉધાન હતું. જે બધી ઋતુઓમાં કુલેથી સંપન્ન હેવાથી દર્શનીય હતે. તે નદનવન ઉધાનમાં સુત્રાયક્ષનું યક્ષાયતન બહુ પ્રાચીન હતું
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