Book Title: Namaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal
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________________ नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत 'श्री' कारे श्रुत-धरणौ पद्मावत्यृषयः परम् / श्रर ईम् / 'हो' अर्हद्-धा(ध)रणाऽदेह-वाचकर्षिजमीरितम् ह अ उम् // 7 // . अर्हन्त-धरणाऽदेहैस्तपसा 'हः' समाश्रितम् / ह्र अस्। / 'हंसः' जिनाऽजनुर्योगी, श्रद्धा-श्रुत-तपांसि च // ह अम्स् अ 'अत्यल्पमेतद् याक्षीयम्' // स् // 8 // बीजाक्षर 'श्री' कारमा चार वर्णो आ प्रमाणे छे–श्+र+ई+म् –आ. चार अंशोमांथी पहेलो अंश 'श्' श्रुतज्ञाननो, बीजो अंश 'र' धरणेन्द्रनो, त्रीजो अंश 'ई' पद्मावतीनो अने चोथो अंश 'म्' मुनिनो वाचक छ। बीजाक्षर 'हो' कारमा पांच वर्णो आ प्रमाणे छे-ह+र+अ+उ+म् -आ पांच अंशमाथी प्रथम 10 अंश 'ह' अरिहंतनो, बीजो अंश 'र' धरणेन्द्रनो (?), त्रीजो अंश 'अ' अदेह एटले सिद्धनो, चोथो अंश 'उ' उपाध्यायनो अने पांचमो अंश 'म्' मुनिनो वाचक छे, एम (विद्वानोए) कहेलं छे // 7 // बीजाक्षर 'हः' मां चार वर्णो आ प्रमाणे छे-ह+र+अ+स्--आ चार अंशोमांथी प्रथम अंश 'ह' अरिहंतवडे, बीजो अंश 'र' धरणेन्द्रवडे (?), त्रीजो अंश 'अ' अदेह एटले सिद्धवडे अने. चोथो अंश 'स्' (विसर्ग) तपवडे समाश्रित छ / 15 'हंसः' पदमा छ वर्णो आ प्रमाणे छे-ह+अ+म् + स्+अ+स्-आ छ अंशोमांथी प्रथम अंश 'ह' अरिहंतनो, बीजो अंश 'अ' 'सिद्धनो, बीजो अंश 'म्' मुनिनो, चोयो अंश 'स' श्रद्धानो, पांचमो अंश 'अ' श्रुतज्ञाननो अने छट्ठो अंश 'स्' (विसर्ग) तपस्नो वाचक छे॥ 'आ अल्पाक्षरी यक्षोनी (संकेत) वाणी (?) छे' // 8 // परिचय 20 'मातृकाप्रकरण' नी एक ह० लि. प्रति पू० मु० श्रीयशोविजयजी म० पासेथी मळी हती, तेमां भाषाना संधिनियमो, छंद, वर्णप्रस्तार, उच्चारविधि वगेरे अनेक विषयोनो संग्रह करेलो छे. ते ग्रंथमां ज यक्षोनी अल्पाक्षरी संकेतविधि (?) आठ श्लोकमां दर्शावी छे, जे नमस्कार अने तेनां मंत्रबीजो उपर सुंदर प्रकाश पाथरे छे। __ए आठ श्लोकोनो संदर्भ अहीं अनुवाद साथे आप्यो छे। 25 आ मातृकाप्रकरणना कर्ता पायचंदगच्छीय श्रीरत्नचंद्रगणि छे, तेओ प्रायः सत्तरमा सैकामां __थया हशे एवं अनुमान छ /