Book Title: Naishadhiya Charitam 03
Author(s): Mohandev Pant
Publisher: Motilal Banarsidass

View full book text
Previous | Next

Page 558
________________ परिशिष्टम्-३ तुलनात्मकाध्ययनाथं महाभारतीयनलोपाख्यानान्तर्गतस्वयं वरपर्यन्तः मूल-कथाभागः। आसीद् राजा नलो नाम वीरसेनसुतो बली / उपपन्नो गुणरिष्ट रूपनाश्वकोविदः // 1 // अतिष्ठन्मनुजेन्द्राणां मूनि देवपतियथा / उपर्युपरि सर्वेषामादित्य इव तेजसा // 2 // ब्रह्मण्यो वेदविच्छूरो निषधेषु महीपतिः / अक्षप्रियः सत्यवादो महानक्षौहिणीपतिः // 3 // ईप्सितो वरनारीणामुदारः संयतेन्द्रियः / रक्षिता धन्विनां श्रेष्ठः साक्षादिव मनुः स्वयम् // 4 // तथैवासीद् विदर्भेषु भीमो भीमपराक्रमः / शूरः सर्वगुणयुक्तः प्रजाकामः स चाप्रजः // 5 // स प्रजार्थे परं यत्नमकरोत् सुसमाहितः / तमभ्यगच्छद् ब्रह्मर्षिदमनो नाम भारत ? // 6 // तं स भीमः प्रजाकामस्तोषयामास धर्मवित् / माहिष्या सह राजेन्द्रः सत्कारेण सुवर्चसम् // 7 // तस्मै प्रसन्नो दमनः सभार्याय घरं ददी। कन्यारत्नं कुमारांश्च त्रीनुदारान् महायशाः // 8 // दमयन्ती दमं दान्तं दमनं च सुवर्चसम् / उपपन्नान् गुणः सर्वर्णीमान् भीमपराक्रमान् // 9 // दमयन्ती तु रूपेण तेजसा यशसा श्रिया / सौभाग्येन च लोकेषु यशः प्राप सुमध्यमा // 10 // अथ तां वयसि प्राप्ते दासीनां समलंकृताम् / . शतं शनं सखीनां च पर्युपासच्छचीमिव // 11 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590