Book Title: Naishadhiya Charitam 03
Author(s): Mohandev Pant
Publisher: Motilal Banarsidass
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________________ परिशिष्टम्-४ क्रतोः कृते जाग्रति (977) चमूचरास्तस्य (1971) / क्रमेलकं निन्दति (6 / 104) चरच्चिरं शैशव० (859) क्रमोद्गता पीवरता० (797) चर्म वर्म किल (5 / 129) क्रियेत चेत्साधु (3 / 23) चलनलंकृत्य (1966) क्रीणीष्व मज्जीवित (3387) चलाचलप्रोथ० (160) क्व प्रयास्यसि (5 / 75) चलीकृता यत्र (1 / 114) क्षणनीरवया (278) चिकुरप्रकुरा (2 / 20) क्षणादथैष क्षणदा० (1 / 67) चितं तदा कुण्डिन० (68) क्षितिगर्भधरा (2 / 81) चित्रमत्र विबुधै० (5 / 57) क्षीणेन मध्येऽपि (7 / 81) चिरादनध्याय० (9 / 61) खण्डः किमु त्वगिर (80101) चैतोजन्मशर० (3 / 130) खण्डितेन्द्रभवना (5 / 4) छायामयः प्रैक्षि (6 / 30) गच्छता पथि (5 / 3) जगज्जयं तेन (1319).. गता यदुत्सङ्ग० (1198) जगद्वधूमूर्धसु (100) गलत्परागं (1192) जघनस्तनभरा (2 / 97) गिरः श्रुता एव (9 / 5) जनुरधत्त सती (4 / 45) गिरानुकम्पस्व (9 / 120) जनैविदग्धर्भव० (6 / 9) गुच्छालयस्वच्छ० (776) जम्बालजाला० (7 / 13) गुणा हरन्तोऽपि (6 / 105) जलजे रविसेव० (3 / 28) गौरीव पत्या (783) जलाधिपस्त्वाम० (9 / 23) ग्रीवाद्भुतैवावट (766) जागति तच्छायह० (6 / 33) चकास्ति बिन्दु० (9 / 104) जानेतिरागादिद० (7 // 39) चकोरनेत्रेण० (7 // 32) जितंजितं तत्खलु (9 / 48) चक्रेण विश्वं युधि (789) जितस्तवास्येन (9 / 145) चण्डालस्ते विषम० (9 / 156) जीवितावधि किम० (5 / 97) चतुष्पथे तं विनि० (6 / 27). जीवितावधि वनी० (5 / 81) चन्द्राधिकैतन्मुखं (7 / 44) जीवितेन कृत० (5 / 49) . चन्द्राभमानं तिलकं (6 / 62). | ज्वलति मन्मथ० (4 / 34) -

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