Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 03
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ ४ ] मुहता नैणसीरी ख्यात कियो' । जगमालजी सुण राजी हुआ । जगमालजी पछ मंडळीक मेहवै राज कियो । भारमल बाहड़मेर राज कियो। रिणमल कोटड़े राज कियो । ॥ इति रावळ जगमालजोरी वात सपूर्ण ।। 1 और इन्होने जगमालजीको सूचना दी कि हमने यह काम कर दिया है। 2 जगमालजी मुंन कर प्रसन्न हुए। 3 जगमालजीके वाद मेहवेमे मडलीकने राज्य किया। 4 भारमलने वाहडमेरमे राज्य किया और रिणमलने कोटडेमे राज्य किया।

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 304