Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 03
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 11
________________ L अथ रावल जगमालजीरी वात 3 रावळ जगमाल मालावत मेहवै राज करै । त्यांरै महळ चहुवाण बेटा ३ ' । वडो मंडळीक, दूसरो भारमल, तीजोर रिणमल । सु पछै जगमालजी वळ गेहलोत परणिया । ताहरां चहुवांणी रीस कीवी । गांम छोडियो । बेटा ले तलवाड़े जाय रही मेहवैरै नजीक' । तद रजपूतां रावळ जगमालजीनूं ले चहुवांणरै घरे गया । पण चहुबांण मानी नही' । तद तलवाडैथी चहुवांण पीहर गई बाहडमेर " । लोक साथै घणो हुतो, सु चहुवाणारै उजाड रोज घणो करै । तद चहुवांण सूजो बाहडमेर धणी तिके दीठो-' बुरा' ।' 'भाणेज ! और ठोड़ा रहो । थे म्हारो देस छाडो नही' । 5 तद कोऔ छाड़े ।' सु 11 तद चहवाण मडळीकरी घोडियारा पूछ वाढिया, अर भैसियारा मगर तेलसू बाळिया ' ' । तरै ओ किसो मनमे राखि अर पर लोकामे समचो कर अर आापरा मामासू चूक कियो सु भूजाई जीमता ऊपर - मडळीक जाय पडियो । सु स्रब चहुवांण मारिया । बाहडमेर कोटडो लिया 12 1 अर जगमालजीनू खबर पोहचाई - 'जु म्हां ओकांम 6 साथमे बहुत मनुष्य थे, I रावल जगमाल मालावत मेहवेमे राज्य करते है । उनकी स्त्री चौहान ( रानी ) जिससे जगमालजीके तीन पुत्र हुए । 22 तीसरा । 3 जगमालजीने गहलोतोके यहा दूसरा विवाह किया, जिससे चौहान ( रानी) नाराज हो गई । उसने गाव छोड दिया । अपने वेटोको साथमे लेकर मेहवेके नजदीक तिलवाडामे जा रही । 4 तब जगमालजीको साथमे लेकर राजपूत लोग चौहान ( रानी) के घर उसे मनानेको गये, परतु चौहानीने नही माना । 5 तव चौहानी तिलवाडासे अपनी पीहर बाडमेर चली गई । चे चौहानो नित्य बहुत नुकसान करते हैं । 7 बाहडमेरका स्वामी सूजा चौहान - उसने देखा ये लोग तो बुरे 1 8 तब उसने कहा- 'भानजो | तुम लोग दूसरी जगह जा रहो, हमारा देश छोड दो । 9 परतु ये छोड़ते नही 10 तव चौहानोने मडलीककी घोडियोके पूछ काट दिये श्रोर भैसो (भैंसियो ) की पीठें गरम तेलसे जला दी । II तव इन्होने (भानजोने) इस वातको अपने मनमे रखा और अपने आदमियोको सकेत करके मामाके ऊपर धोखे श्रमण कर दिया । 12 भोजन करते हुए पर मडलीक जा पडा और उसके साथ सव चोहानोको मार दिया । वाहडमेर श्रीर कोटड़े पर अधिकार कर लिया ।

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