Book Title: Mokshmarg Ki Purnata
Author(s): Yashpal Jain
Publisher: Todarmal Smarak Trust

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Page 7
________________ विषयानुक्रमणिका क्र. विषय पृष्ठ प्रथम खण्ड १. भूमिका ७-१० • द्रव्य का स्वरूप ११-१७ • गुण का स्वरूप १८-२० • पर्याय का स्वरूप २१-२५ • कर्ता-कर्म का स्वरूप २६-३० २. . सम्यक्त्व की पूर्णता उत्पत्ति के साथ ३१-५४ सम्यग्ज्ञान की पूर्णता (अक्रम से) ५५-६८ ४. सम्यक्चारित्र की पूर्णता (क्रम से) ६९-१०३ • चारित्र की पूर्णता के अज्ञान से आपत्तियाँ, उपसंहार एवं लाभ द्वितीय खण्ड १. रत्नत्रय के सम्बन्ध में आध्यात्मिक सत्पुरुष श्रीकानजीस्वामी के उद्गार • सम्यग्दर्शन ११०-१३७ •सम्यग्ज्ञान १३८-१४७ • सम्यक्चारित्र १४८-१५८ तृतीय खण्ड १. रत्नत्रय की आगमोक्त परिभाषाएँ आदि • सम्यग्दर्शन १५९-१८६ सम्यग्ज्ञान १८७-१९९ • सम्यक्चारित्र २००-२१३

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