Book Title: Mahavira Charitam
Author(s): Gunchandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 662
________________ माया पारद्धंमि विवाहे लक्खिज्जइ एस धूमकेउछ । ता भायइ मज्झ मणो सहसा एयंमि दिलुमि ॥ ३॥ सहिए भणियं-सुयणु! मा एवमुल्लवसु, एसो तुझ पाणनाहो भविस्सइ, तीए भणियं-सहि! सच्चमेयं ?, एस मे पाणनाहो भविस्सइ ?, तीए भणियं-सहि ! सच्चमेयं होही?, सहिए भणियं-को इत्य विन्भमो ?, वडकुमारीवि जइ परं पराभवित्ति भणिऊण विसायवसविसप्पमाणतिवसंतावा सणियं सणियमवकमिऊण जणमज्झयाओ पुरोहडावडंमि निवडिया वेगेण, तओ जाव इओ तओ समीवट्ठियजणविमुक्कहाहारवनिसामणेण धाविओ उत्तारणत्थं जणो । ताव अइपउरसलिलत्तणेण कूवस्स अवस्संभवियवयाए विणासस्स मया एसा, विगयजीविया य बाहिं पक्खिता | कवयाओ, कओ से सरीरस्स सकारो, ताणि य कोरिटंगजणणिजणगाईणि जणेण हीलिजमाणाणि गयाणि सग्गाम, भणिओ य तेहिं एसो-वच्छ ! कोरिटंग तुह परिणयणनिमित्तं न सो कोऽवि उवाओ जो न कओ केवलं तुह कम्मपरिणइवसेण सबो विहलत्तणं पत्तो, ता मा मुणिहिसि जहा अम्मापियरो ममं उबेहगाणिति, तेण । |भणियं-पुवकयकम्ममेव एत्थ अवरज्झइ, का तुम्ह उवेहा ?, जइ खुजओ दूरमूसवियबाहूवि फलं न पाया है। ता किं कप्पतरुवरस्स वयणिजंति ?, एवं च तेर्सि परोप्परोल्लावेण जाया रयणी, अह तेसु निन्भरपसुत्तेसु परमं ॥ चित्तपरितावमुवहतो कोरिटंगो नीहरिओ गेहाओ, पयहो तित्थदंसणत्थं, कमेण य दट्टण सयललोइयतित्थाइंग-15 हिया अणेण कावालियतवस्सिदिक्खा, मुणिओ तद्दरिसणाभिप्पाओ, सिक्खियाई भूमिलक्खणपमुहाई विनाणाई।

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