Book Title: Mahavir Jivan Prabha
Author(s): Anandsagar
Publisher: Anandsagar Gyanbhandar

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Page 158
________________ * अवशेष * [१४५ १. अभयकुमार-महाराजी श्रेणिक के ज्येष्ठ पुत्र, चतुर्बुद्धिनिधि, व्यवहार विदग्ध, प्रधान मन्त्रि अभय कुमार ने बड़ी तरकीब से पिताजी की आज्ञा लेकर दीक्षा ली: ____२. नन्दीषण-अभय कुमार के भ्राता नन्दीषेण नै बड़े वैराग्य से दीक्षा ली, चारित्र से पतित होकर वैश्या के चुंगल में फंस गये, लेकिन दस जनों को दीक्षा दिला कर भोजन करने की प्रतिज्ञा से बहुतेरों का उद्धार किया एक दिन बहुत कोशीश करने पर भी नौ से अधिक दीक्षित न हुवे, तब तुरन्त ही आप ने दीक्षा ग्रहण करली. ___३. शालीभद्र-राजगृही निवासी अढलग द्रव्यराशी के स्वामी, एशोआराम में गुल्तान, नवनीत सदृश कोमलाङ्गी, बत्तीस ललनाओं के पतिदेव , शालीभद्रजी ने 'नाथ' का कारण पाकर अपने बहनोई धन्नाजी के साथ दीक्षा ग्रहण करली. ४. हरिकेषी-चाण्डाल कुल में उत्पन्न हरिकेपी ने वैराग्यपूर्ण दीक्षा ग्रहण की, उत्तराध्ययन सूत्र में जिमका बढ़िया विवरण है. ५. जम्बू कुमार- अतिशय सुख- सम्पत्ति और कुटुम्ब परिवार को छोड़ कर जम्बू कुमार ने दीक्षा ली; महावीर स्वामी के द्वितीय पट धर हुवे. . . . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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