Book Title: Madhyakalin Gujarati Shabdakosha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश
( पासे / नजीक आवीने आलिंगन मागे छे.)
षडाबा.मां
आघडं पियाणउं न करइ.
( आगळ प्रयाण करता नथी . )
संपादके पण 'आगळ' अर्थ आप्यो छे.
अखाका. मां
-
५९७
आकाशथी आघेरुं चालवुं, शुं बेठा छो हारी.
अहीं संपादके आपेलो 'दूर' अर्थ बेसे तेम छे, पण वस्तुतः एना मूळमां 'आगळ' एवो अर्थ ज रहेलो छे : "आकाशथीये आगळ चालवानुं छे. हारी शुं बेठा छो ?"
चित्तसं.मां
आघो न चाले मारो लक्ष.
(मारुं ध्यान आथी आगळ जतुं नथी. ) निज रूपे थई आघो वट्यो.
( आत्मरूप थईने ए आगळ वध्यो . ) आघो उकेल जो न होइ कशो.
(जो आनाथी आगळ कोई उकेल न होय.) संपादके पण 'आगळ' अर्थ ज आपेल छे.
विराप.मां.
-
थोडी शब्दार्थचर्चा
कुण मुर्ख जि आवइ आघउ .
संपादके 'समक्ष' अर्थ आप्यो छे ते चाले, पण 'पासे, नजीक' ए अर्थ वधारे योग्य छे : “पासे आवे एवो कोण मूर्ख छे ?"
विमप्र.मां
चाउचीयाविउ वाघलु ए तु, आघलउ कोई न थाइ तु. (बाघ रोषे भरायो. कोई एनी आगळ / पासे आवतुं नथी.) संपादके आपेलो 'नजदीक अर्थ बराबर छे.
'आधुं'ना मूळमां सं. 'अग्र' छे तेथी 'आगळ' ए एनो मूळभूत अर्थ होवानुं समजाय एवं छे.
Jain Education International 2010_03 अध्य.३८
३८. आडइ, आडौ
सार्थ जोडणीकोश 'आडे आववुं'नो 'वच्चे (विघ्न के राहत तरीके) पडवुं' एवो अथ आपे छे. एटलेके विघ्नरूप थवुं के राहतरूप थवुं ए संदर्भ पर आधारित छे. पण राजस्थानी कोश 'आड' ना 'रक्षा, शरण, सहायता, मदद, आश्रय, आधार' एवा अर्थो
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716