Book Title: Klesh Rahit Jivan
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 72
________________ ६. व्यापार, धर्म समेत ५. समझ से सोहे गृहसंसार १२९ कि 'मैं' तो जेठानी हूँ न! यह तो व्यवहार है, नाटक खेलना है। यह देह छूटी इसलिए दूसरी जगह नाटक खेलना है। ये रिश्ते सच्चे नहीं हैं, ये तो संसारी ऋणानुबंध हैं। हिसाब पूरा हो जाने के बाद बेटा माँ-बाप के साथ नहीं जाता है। _ 'इसने मेरा अपमान किया!' छोड़ो न! अपमान तो निगल जाने जैसा है। पति अपमान करे तब याद आना चाहिए कि यह तो मेरे ही कर्म का उदय है और पति तो निमित्त है, निर्दोष है। और मेरे कर्म के उदय बदलें, तब पति 'आओ, आओ' करता है। इसलिए हमें मन में समता रखकर उकेल ला देना है। यदि मन में हो कि 'मेरा दोष नहीं है फिर भी मुझे ऐसा क्यों कहा?' इससे फिर रात को तीन घंटे जगता है और फिर थककर सो जाता है। भगवान के ऊपरी जो हो गए उनका काम हो गया और पत्नी के ऊपरी बन बैठे, वे सब मार खाकर मर गए हैं। ऊपरी हो तब मार खाता है। पर भगवान क्या कहते हैं? मेरा ऊपरी बनें तो हम खुश होते हैं। हमने तो बहुत दिन ऊपरीपन भोगा, अब आप हमारे ऊपरी बनो तो अच्छा। 'ज्ञानी पुरुष' जो समझ देते हैं, उस समझ से छुटकारा होता है। समझ के बिना क्या हो? वीतराग धर्म ही सर्व दु:खों से मुक्ति देता है। घर में तो सुंदर व्यवहार कर डालना चाहिए। 'वाइफ' के मन में ऐसा हो कि ऐसा पति नहीं मिलेगा कभी और पति के मन में ऐसा हो कि ऐसी 'वाइफ' भी कभी नहीं मिलेगी!! ऐसा हिसाब ला दें तब हम सही!!! जीवन किसलिए खर्च हुए? दादाश्री : यह व्यापार किसलिए करते हो? प्रश्नकर्ता : पैसे कमाने के लिए। दादाश्री : पैसा किसके लिए? प्रश्नकर्ता : उसकी खबर नहीं। दादाश्री : यह किसके जैसी बात है? मनुष्य सारा दिन इंजन चलाया करे, पर किसलिए? कुछ नहीं। इंजन को पट्टा नहीं दें, उसके जैसा है। जीवन किसलिए जीना है? केवल कमाने के लिए ही? जीव मात्र सुख को ढूँढता है। सर्व दुःखों से मुक्ति कैसे हो यह जानने के लिए ही जीना है। विचारणा करनी, चिंता नहीं प्रश्नकर्ता : व्यापार की चिंता होती है, बहुत अड़चनें आती हैं। दादाश्री : चिंता होने लगे कि समझना कि कार्य बिगड़नेवाला है। ज्यादा चिंता नहीं हो तो समझना कि कार्य बिगडनेवाला नहीं है। चिंता कार्य के लिए अवरोधक है। चिंता से तो व्यापार की मौत आती है। जिसमें चढ़ाव-उतार हो उसका नाम ही व्यापार, पूरण-गलन है वह। पूरण हुआ उसका गलन हुए बगैर रहता ही नहीं। इस पूरण-गलन में अपनी कोई मिल्कियत नहीं है और जो अपनी मिल्कियत है, उसमें से कुछ भी पूरणगलन होता नहीं है, ऐसा साफ व्यवहार है। यह आपके घर में आपके बीवीबच्चे सभी पार्टनर्स हैं न?

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