Book Title: Kavyalankar Sutra Vrutti Author(s): Vamanacharya, Vishweshwar Siddhant Shiromani, Nagendra Publisher: Atmaram and Sons View full book textPage 5
________________ हमारी योजना 'हिन्दी काव्यालङ्कारसूत्र', 'हिन्दी अनुसन्धान परिषद् ग्रन्थमाला' का पहला ग्रन्थ है । हिन्दी अनुसन्धान परिषद्, हिन्दी- विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, की संस्था है जिसकी स्थापना अक्तूबर १९५२ में हुई थी । इसका कार्य - क्षेत्र हिन्दी भाषा एवं साहित्य विषयक अनुसन्धान तक ही सीमित है और कार्यक्रम मूलतः दो भागो में विभक्त है। पहले विभाग पर गवेषणात्मक अनुशीलन का और दूसरे पर उसके फलस्वरूप उपलब्ध साहित्य के प्रकाशन का दायित्व है । परिषद् ने इस वर्ष पाँच ग्रन्थो के प्रकाशन की योजना बनाई है । प्रस्तुत ग्रन्थ के अतिरिक्त दो ग्रन्थ और प्रकाशित हो चुके है : (१) मध्यकालीन हिन्दी कवयित्रियों और (२) अनुसन्धान का स्वरूप । श्रन्य दो ग्रन्थ-'हिन्दी वोक्तिजीवित' तथा 'हिन्दी साहित्य पर सूफीमत का प्रभाव' भी प्रेस में है । उपर्युक्त ग्रन्थो में से 'अनुसन्धान का स्वरूप' अनुसन्धान के मूल सिद्धान्त तथा प्रक्रिया के सम्बन्ध में मान्य आचार्यों के निबन्धो का सङ्कलन है; 'हिन्दी वक्रोतिजीवित' श्राचार्य 'कुन्तक' के प्रसिद्ध ग्रन्थ 'वक्रोक्तिजीवितम्' की हिन्दीव्याख्या है, और शेष दोनो ग्रन्थ दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा पी-एच डी के लिए स्वीकृत गवेषणात्मक प्रबन्ध है । इस योजना को कार्यान्वित करने में हमें हिन्दी की सुप्रसिद्ध प्रकाशन - सस्था - ' श्रात्माराम एण्ड सस' के अध्यक्ष श्री रामलाल पुरी का सक्रिय सहयोग प्राप्त है । उनके अमूल्य सहयोग ने हमे प्रायः सभी प्रकार की व्यावहारिक चिन्तानो से मुक्त कर यह अवसर दिया है कि हम अपना ध्यान और शक्ति पूर्णतः साहित्यिक कार्य पर ही केन्द्रित कर सकें । 'हिन्दी अनुसन्धान परिषद्' श्री पुरी के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करती है । चैत्र शुक्ला प्रतिपदा, २०११ वि० नगेन्द्र अध्यक्ष हिन्दी अनुसन्धान परिषद् दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्लीPage Navigation
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