Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 12
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ४८१४६. (+) स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्र.वि. संशोधित., दे., (२३.५४१०.५, १२४२७). १. पे. नाम. शंखेश्वर पार्श्वजिन पद, पृ. १अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, आ. जिनचंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीसंखेसर पासजिनेसर; अंति: जिनचंद० रिपुजीपतौ, गाथा-५. २. पे. नाम. मगसी पारसजिन स्तवन, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-मगसी, मु. सुखलाल, रा., पद्य, वि. १९१२, आदि: अश्वसेनजी ताता वामा; अंति: सकल सिघ सुख पाता, गाथा-९. ४८१४७. (#) सूरज सलोक, संपूर्ण, वि. १८९३, श्रावण कृष्ण, ८, मध्यम, पृ. १, ले.स्थल. कोहीला, प्रले. मु. तीर्थसागर, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२४.५४११.५, १७४३७). सूरजदेव सलोको, मु. ऋषभसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमु सारदा गणपतरा; अंति: रिखभसुंदर दोलतदाई, गाथा-२८. ४८१४९. स्तोत्र, स्तुति व श्लोक, संपूर्ण, वि. १९३४, वैशाख शुक्ल, १३, मंगलवार, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, ले.स्थल. लाडणु, प्रले. श्राव. तेजकर्ण ब्रह्मचारी; पठ. पनु, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. कुल ग्रं. ३, दे., (२४४११.५, १२४३०-३६). १.पे. नाम. सरस्वती स्तोत्र, पृ. १अ, संपूर्ण. सरस्वतीदेवी स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: वाग्वादिनी नमस्तुभ्य; अंति: बुद्धि मिंदिरम्, श्लोक-७. २. पे. नाम. पजुसण स्तुति, पृ. १अ-१आ, संपूर्ण. पर्युषणपर्व स्तुति, मु. मानविजय, मा.गु., पद्य, आदि: सतरैभेदी जिनपूजा; अंति: पूरे देवी सिद्धाइजी, गाथा-४. ३. पे. नाम. सुभाषित श्लोक, पृ. १आ, संपूर्ण, वि. १९३४, भाद्रपद शुक्ल, ७, पे.वि. यह कृति बाद में लिखी गई है. सुभाषित श्लोक*,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: अपुत्रस्य गृहे शून्य; अंति: सर्वशून्यं दरिद्रता, श्लोक-१. ४८१५०. नाकउडा पार्श्वनाथ लघु स्तवन, अपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ३-२(१ से २)=१, जैदे., (२४४१०.५, १०४४०). पार्श्वजिन छंद-नाकोडातीर्थ, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: (-); अंति: कहै गुण जोडो, ___ गाथा-८, (पूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं., प्रथम गाथा का प्रथम चरण नहीं है.) ४८१५१. मेघरथराजानी सझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, दे., (२५४११.५, १३४३०). मेघरथराजा सज्झाय-पारेवडाविनती, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: दसमे भवे श्रीशांतजी; अंति: दयाथी सुख नीरवाण, गाथा-१८. ४८१५२. पार्श्वजिन सप्रभावक स्तवन, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. १, दे., (२४४११.५, १३४३४). पार्श्वजिन अष्टक-मंत्रगर्भित, सं., पद्य, आदि: श्रीमन्नागेंद्ररूद्र; अंति: जयति पार्श्वनाथोजिनः, श्लोक-११. ४८१५३. नोकारवाली १०८ गुण सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, दे., (२४४११, ७X४०). पंचपरमेष्ठि गुणविवरण, प्रा.,सं., पद्य, आदि: बारस्स गुण अरिहता; अंति: साहु सत्तवीसंतु, गाथा-१. पंचपरमेष्ठि गुणविवरण-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: बार गुण अरिहंतना ते; अंति: १०८ गुण नोकारवाली. ४८१५४. बारमासो व स्तवन संग्रह, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. ३, जैदे., (२४४११, १३४४५). १. पे. नाम. राजिमती नेमजी सज्झाय, पृ. १अ, संपूर्ण.. नेमराजिमती बारमासो, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: राणी राजुल इण परि; अंति: पालै अविहिड प्रीत रे, गाथा-१३. २. पे. नाम. मुगतागिरी जिनवर स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण. साधारणजिन स्तवन, मु. केसर, मा.गु., पद्य, आदि: अरज सुणो अलवेसरुजी; अंति: केसर०अवसर करज्यो सार. गाथा-७. ३. पे. नाम. ऋषभजिन स्तवन, पृ. १आ, संपूर्ण. आदिजिन स्तवन, मु. केसर, मा.गु., पद्य, आदि: सारद सार दया करी दया; अंति: हिवै प्रीती पुरो आस, गाथा-५. ४८१५५. (+) मल्लीनाथ स्तवन, संपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ३, अन्य. हरिबाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संशोधित., जैदे., (२४४१०.५, १०४३४). For Private and Personal Use Only

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