Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 12
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ६ www.kobatirth.org कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १. पे. नाम. गुरुवंदन भाष्य, पू. १अ ३आ, संपूर्ण. गुरुवंदनभाष्य, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पच, आदि: गुरुवंदनणमह तिविहं अंतिः अणभिनिवेसी अमच्छरिणो, गाथा-४१. २. पे. नाम. दूहा संग्रह, पृ. ३आ, संपूर्ण. जैनदुहा संग्रह, प्रा., मा.गु. सं., पद्य, आदि (-); अंति: (-), गाथा- १. ४८१८४. उठाणारी गाथा व्याख्यान, संपूर्ण वि. १८९२ आषाद कृष्ण, ६, मध्यम, पृ. ३ ले, स्थल, नागोर, जैदे. (२४४११.५, १४X३०). व्याख्यान संग्रह *, प्रा., मा.गु., रा., सं., गद्य, आदि: अनित्यानि सरीराणी; अंति: परलोक सुखी होवे. ४८१८५. ४ मंगल सज्झाय, संपूर्ण, वि. १८३४, श्रावण कृष्ण, १४, श्रेष्ठ, पृ. ३, प्रले. मु. रतना ऋषि (गुरु मु. दुलिचंद), प्र.ले.पु. सामान्य, जैवे. (२४.५x१०, १०x३३). ४ मंगल सज्झाय, मु. जेमल ऋषि, मा.गु., पद्य, आदि: अनंत चोवीसीजिन नमुं; अंतिः ऋष जैमलजी कहे एम तो, गाथा - ३८. ४८१८७. फाग संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, दे., (२३.५X११.५, १०X३३). १. पे. नाम. शत्रुंजयतीर्थ फाग, पृ. १अ, संपूर्ण. शत्रुंजयतीर्थ होरी, मु. मोहनविजय, मा.गु, पद्य, आदि: चालो सखि सेनुजागीर, अंतिः मोहन० जनम तारो दास, गाथा-५. २. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १अ १आ, संपूर्ण. पुहिं., पद्य, आदि: होरी खेलो रे भविक; अंति: तें राख्या सबल थरके, गाथा-५. ४८१८८. सासरानी सझाय, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, दे., ( २४१२, १४x२५). Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आध्यात्मिकसासरीया सज्झाय, आ. खिमाविजयसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: सासरडे ईम जयइ रे अंति: सिवपूरलहिइं रे बाई, गाथा - ९. ४८१८९. प्रतिमा थापनमत स्वाध्याय, संपूर्ण, वि. १८७६, माघ शुक्ल, ६, श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., (२५X११, १४X३४). जिनप्रतिमा स्थापना सज्झाय, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि जिन जिन प्रतिमा वंदन, अंतिः किजै तास खाण रे, गाथा - १५. ४८१९०. स्तवन चौवीसी, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. १, दे., ( २४.५X१२.५, ११४३४). स्तवनचौवीसी, उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, वि. १८वी, आदि: जगजीवन जगवालहो; अंति: (-), (अपूर्ण, पू. वि. प्रतिलेखक द्वारा अपूर्ण, अजितजिन स्तवन अपूर्ण तक लिखा है.) ४८१९१. विचार संग्रह सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ३, कुल पे. ४, जैदे., ( २४.५X११.५, ५X३४). १. पे. नाम. गोचरी दोष सह टबार्थ, पृ. १अ ३अ, संपूर्ण. , गोचरी दोष, प्रा., पद्य, आदि अहाकम्मु १देसिअ २ अंतिः निशीथे पारिवासीएय९६ (वि. प्रतिलेखक ने गाथा संख्या ५ के बाद संख्या नहीं दी है.) गोचरी दोष- बार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: अ० आधाकर्मी आहार जे; अंति: सूत्रमांहि कह्यो छे. २. पे. नाम. ४७ दोषनो प्रायछित, पृ. ३अ, संपूर्ण. गोचरी ४७ दोष, मा.गु., गद्य, आदिः १ अहाकमे १ उपवा० वरा, अंति: ४७ कारणे १ आंबिल. ३. पे. नाम. साधु को त्याग करने योग्य १२ प्रकार के आधाकर्मि आहार, पृ. ३अ, संपूर्ण. पुहिं., गद्य, आदिः १आधाकर्मि २ उद्देशिक; अंति: ते परिठवणो साधु .. ४. पे. नाम. तीर्थकर धर्मतीर्थ आंतरादि विचार संग्रह, पृ. ३आ, संपूर्ण, विविधविचार संग्रह गु., प्रा., मा.गु. सं., गद्य, आदि: (-); अंति: (-). ४८१९२. नंदीषेणमुनि सझाय, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, ये. (२४४१२.५, १४४३३). नंदिषेणमुनि सज्झाय, मु. मेरुविजय, मा.गु., पद्य, आदि: राजगृही नयरीनो वासी, अंति: थयो शिववधुनो रागी है, (वि. दूसरी ढाल की गाथा संख्या ७ के बाद प्रतिलेखक ने गाथा संख्या नहीं लिखी है.) For Private and Personal Use Only

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