Book Title: John Stuart Mil Jivan Charit
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 41
________________ पारिचयसे परस्परिक लाभ। ऐसा गुणवती स्त्रीके साथ परिचय बढ़नेसे और तात्त्विक चर्चाका व्यासंग होनेसे मिलको आशातीत लाभ हुआ। उसकी मानसिक उन्नतिपर उसका बहुत ही अच्छा परिणाम हुआ। पर यह परिणाम मन्दगातसे हुआ । और, इस तरह, दोनोंकी मानसिक उन्नतिकी एकता होकर उसके प्रवाहके बह निकलनेमें बहुत वर्ष बीत गये। इस परिचयसे यद्यपि यह स्पष्ट है कि मिसेस टेलरकी अपेक्षा मिलको ही अधिक लाभ हुआ; तथापि हमें यह भी कहना चाहिये कि उसे भी कुछ कम नहीं हुआ। क्योंकि उसके जो विचार या सिद्धान्त थे वे केवल उसकी प्रतिभा और मनोभावोंसे बने थे और इसके मतोंकी रचना अभ्यास और विचारोंसे हुई थी। तब यह स्पष्ट है कि उसके विचार 'और सिद्धान्त इसके परिचयसे बहुत कुछ दृढ़ हुए होंगे । तथापि यदि विचार करके देखा जाय तो कहना पड़ेगा कि मिल ही उसके ऋणसे अधिक दबा था. अर्थात मिलको ही इस परिचयसे अधिक लाभ हुआ था। जिन्हें मनुष्यजातिकी वर्तमान दशा शोचनीय मालूम पड़ती हैऔर इस लिए जो चाहते हैं कि इसका मूलसे सुधार होना चाहिए उनके विचार बहुत करके दो प्रकारके होते हैं। एक प्रकारके विचारोका लक्ष्य आत्यन्तिक उत्तम स्थितिकी ओर रहता है और दूसरे प्रकारके विचारोंका लक्ष्य उपयोगी और तत्काल साध्य सुधारोंकी ओर रहता है । मिलके इन दोनों विचारोंको मिसेस टेलरकी शिक्षासे जो गाम्भीर्य और विस्तार प्राप्त हुआ वह बहुत ही बड़ा था। सारे शिक्षकों और ग्रन्थोंसे भी उसकी प्राप्ति नहीं हो सकती थी । अर्थशास्त्र, आत्मशास्र, तर्कशास्त्र और इतिहासशास्त्र आदि शास्त्रोंके विषयमें

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