Book Title: Jinrajsuri Krut Kusumanjali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 309
________________ १४६ अलसाणउ अलीक २२० अवगणना की अवगण्यउ अवगणिया- २२५ कर्णाभरण अवदात २४२ विरुद २१० मोका अवसाण १३५ गुमसुम १९१ अविघटित ५६ ३२४ ५५ • अवाणगू विहड़ असाय अहल्यउ अहारग महिनाणे आत्र लूहण आविली आतलहूण आइम आउ आउकार जिनराजसूरि कृति - कुसुमांजलि ऐश्वर्यं शालो - ऑडइ आछइ आछे नर्जूर १४ आलसी हुआ १५६ मिथ्या अशाता व्यथं आहारक शरीर १७० अविज्ञानसे आ २०९ आत्मज १६८ इमली १५२ आत्मज ५.५ आदिम ५४ आयु १३५ आवकार, स्वागत आउखउ २२९ आयुष्य आखडी २० नियम आप ६ आक्षेप आछणची ७४ निरस १९४, २२० १४१,१४२ है १६५ आज का आडर भाडी आडी नाव आडो आणतउ आणि आय आयम आदरण आपणडइ आपतउ आफाणी आमलउ आरडी आल भालोदु नावसही ७ १५० वावसी १४४ ५ १४४ हठ करके हठ रुकावट मे २६२ १६९ १० रुकावट डालती है ' काम आना १९२ २३१ ला कर ७२,१३२,१७६, १७७ घन, अर्थ आभोपो १६८ आमणदूमणी १७७१८० उदास १२९ अस्त होता है १३८ लेने का अपने लाता हुआ ११४ देता हुआ स्वयमेव, अपने आप ३८, ५० ५०, १५८ रोने लगी, चिल्लाकर ३८ कलक मिथ्यारोप आलोचना करू १६४ धर्मस्थान से निकलते बोलने का शब्द (निवृत्ति से प्रवृत्ति में आना) १९१ आवेगी

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