Book Title: Jambuswami Charitra Author(s): Vimla Jain Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation View full book textPage 5
________________ प्रकाशकीय पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी द्वारा प्रभावित आध्यात्मिक क्रान्दि को जन-जन तक पहुंचाने में पं. टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर से ड हुकमचन्दजी भारिल्ल का योगदान अविस्मरणीय है; उन्हीं के मार्गदर्शन में अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन की स्थापना की गई है। फैडरेशन की खैरागढ़ शाखा का गठन २६ दिसम्बर १९८० में पं. ज्ञानचंदजी विदिशा के शुभ हस्ते किया गया था। तब से आज तक फैडरेशन के सभी उद्देश्यों की पूर्ति इस शाखा के माध्यम से अनवरत हो रही है। इसके अन्तर्गत सामूहिक स्वाध्याय, पूजन, भक्ति आदि दैनिक कार्यक्रमों के साथ-साथ साहित्य प्रकाशन, साहित्य विक्रय, श्री वीतराग विद्यालय, ग्रन्थालय, कैसेट लायब्रेरी, साप्ताहिक गोष्ठी आदि गतिविधियों उल्लेखनीय साहित्य प्रकाशन के कार्य को गति एवं निरंतरता प्रदान करने के उद्देश्य से सन् १९८८ में श्रीमती घुड़ीबाई खेमराज गिड़िया ग्रन्थमाला की स्थापना की गई। साथ ही इस ग्रन्थमाला के आजीवन ग्रन्थमाला परमं संरक्षक सदस्य ५००१/- में तथा संरक्षक सदस्य रु. १००१/- में भी बनाये जाते हैं, जिनके नाम प्रत्येक प्रकाशन में दिये जाते हैं। पूज्य गुरुदेवश्री के अत्यंत निकटस्थ अन्तेवासी एवं जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन उनकी वाणी को आत्मसात् करने एवं लिपिबद्ध करने में लगा दिया। ऐसे ब्र. हरिभाई का हृदय जब पूज्य गुरुदेवश्री का चिर-वियोग (वीर सं. २५०६ में) स्वीकार नहीं कर पा रहा था। ऐसे समय में उन्होंने पूज्य गुरुदेवश्री की मृतदेह के समीप बैठ-बैठे संकल्प किया कि जीवन की सम्पूर्ण शक्ति एवं सम्पत्ति का उपयोग गुरुदेवश्री के स्मरणार्थ ही खर्च करूंगा। तब श्री कहान स्मृति प्रकाशन का जन्म हुआ और एक के बाद एक गुजराती भाषा में सत्साहित्य का प्रकाशन होने लगा, लेकिन अब हिन्दी भाषा के प्रकाशनों में भी श्री कहान स्मृति प्रकाशन का सहयोग प्राप्त हो रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप नये-नये प्रकाशन आपके सामने हैं। साहित्य प्रकाशन के अन्तर्गत जैनधर्म की कहानियों भाग १-२-३-४-५,६ लघु जिनवाणी संग्रह अनुपम संकलन, चौबीस तीर्थकर महापुराण (हिन्दी-गुजराती). श्री जम्बूस्वामी चरित्रPage Navigation
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