Book Title: Jain Syadvadamuktawali
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Vadilal Vakhatchand Zaveri

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ॐ महामुनि रविसागरगुरुभ्यो नमः श्री जैन स्याद्वाद मुक्तावली ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रणम्य शंखेश्वर पार्श्वनाथं प्रकाशितानंत पदार्थ सार्थ स्वान्य प्रकाशाय तमस्तमार्कः प्रकाश्यते जैनविशेष तर्कः ॥ १ ॥ स्याच्छन्दार्थलसद्र सोद्भवभवा द्रव्यादिभिर्भास्वती स्वान्य द्रव्यचतुष्टयैक्य कलिता सार्वोक्तिभिःशाश्वती सत्सामान्यविशेषभावललिता स्यात्सप्तभंगावली धार्यासद्भिरियंसुखैककृमिला स्याद्वाद मुक्तावली |२| सत्तर्क कर्कशविचारपद प्रचारै दुवादिवाद रसनाशन शासनाय । अज्ञान संतमसराशि विनाशनाय स्यादवादसत्वतिलकाय नमो नमोस्तु ॥ ३ ॥ सम्यक् प्रमाण नय तत्त्वसतत्त्वसिद्धिः स्यात्सर्वदर्शि समयाध्ययनाभियोगात् For Private And Personal Use Only

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