Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers
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विषयानुक्रमणिका
५६५
३०६, पादाभूषण ३१०, स्वर्णाभूषण ३०२, ३०३, ३१२, रजताभूषण ३०२, ३१२, मुक्ताभूषण ३०२, ३०५, ३०७ मणि-प्राभूषण ३०२, ३१०, ३३७ रत्नाभूषण ३०२-३०३, ३०८, ३३७, मारिणक्याभूषण ३१० शंखाभूषण ३०३, ३०८ शृङ्गाभूषण ३०८, पुष्पाभूषण ३०२, ३०५, पल्लबाभूषण ३०५ प्रौषधिमूल से निर्मित
प्राभूषण ३०६ प्राभूषण संज्ञा :पङ्गद (बाजूवन्द) ३०२, ३०७,
पावों का अङ्गद ३१० अवतंस (कर्णाभरण) ३०५ उरुजाल (मेखला) ३१० एकावली ३०६, ३०७ कंकण (हस्ताभूषण) ३०८,
मणिकङ्कण, ३०८ रत्न
कंकरण ३०८ कटक (कड़ा) ३०२, ३०८ कटिसूत्र (कमरबन्द) ३०९ कण्ठहार ३०७ कण्ठिका (माला) ३०६, तीन
लड़ियों वाली कण्ठिका ३०६,
रत्न-निर्मित कण्ठिका ३०६ कर्णपूर (कनफूल) ३०४, मरिण
कर्णपुर ३०४; पुष्प-कर्णपूर
कांची (मेखला) ३०६ कांचिका ३०९ किरीट (मस्तकाभरण) ३०२
३०३ किरीटी ३०३, मणि-स्वर्ण
निर्मित ३०३ कुण्डल १०३, ३०२, ३०४ ___ मणिकुण्डल ३०२, ३०४, __ मकराकृति कुण्डल ३०४ केयूर ३०७, ३०८ चन्द्रहार १६३ निष्क कण्ठाभूषण ३०६ नूपुर (पायल) ३१०, ३५५ कल-नूपुर ३१० भास्वतकलनूपुर ३१०, मणिनूपुर ३१०, माणिक्य नूपुर ३१०, शिजित
नुपूर ३१० पट्ट (मस्तकाभूषण) ३०४,
स्वर्ण-निर्मित पट्ट ३०४, त्रिशिखा पट्ट ३०४, पंचविध पट्ट-राज पट्ट, पट्ट ३०४ महिषीपट्ट, युवराजपट्ट
सेनापतिपट्ट तथा प्रसाद प्रलम्बसूत्र (माला) ३०७ पादवेष्टक (पादाभूषण) ३१० मणिमेखला १६३ मस्तकाभरण (सीसफूल) ३०३ माला (हार) ३०५, ३०६,
३४२ इकहरी माला, ३०६ मोतियों की माला ३०६, ३४२, मणि माला ३०५ जूड़े की माला ३०४, रत्नों
३०४
कर्णमुद्रिका ३०५ कर्णावतंस (कनफूल) ३०४ कणिका (कान की बालियां)
३०४, ३०५

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