Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 671
________________ विषयानुक्रमणिका पंचेन्द्रिय प्रत्यक्ष ३६६ चक्षु इन्द्रिय, श्रवणेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घाणेन्द्रिय तथा स्पर्शेन्द्रिय ३६६ पटेल १३३ पट्टकिल १३३ पट्ट गृह (मंदिर) ३४१ पट्टण २४२, २८०, २८५ पट्टण (नगर) २८५ पत्तन २४२, २४३, २५२, २६१, २६२,२८०-२८२, २८४ :रत्नों की खान २६१, इसके दो भेद २६२, समुद्रतट पर प्रवस्थित २६२, नौका द्वारा गम्य २६२, वाहनों द्वारा गम्य २६२, जलवर्ती पत्तन २६२, स्थलवर्ती पत्तन २६२, काट का प्राधा भाग २८४, खेट का भाषा भाग २८४ पत्थर का काम करने वाले २३२पा० पत्नी को त्याग ४६० पत्नी पर्व का अवमूल्यन ४६२ पत्नियां + दशविध ४६१, ४६२ पदाति युद्ध १६३ पदार्थ ज्ञान ३८१ पद्म ( श्या) ३६३ परतीर्थ ६७८ परम भट्टारक ८४ परमाणु ३८७, ३८८ परमार राजा ५२३ परमात ८५ परमेश्वर ८४ ६३७ परराष्ट्र नोति ७५, ७८, ११५, १४६, १५०, ४५६, ४८८, ५०८, ५०६ परराष्ट्र मन्त्री १५३ परराष्ट्र विभाग १५४ परलोक १३, ३६६ परांगना (वेश्या) ४८ १ परिखा (खाई ) १६५, १८८, २४६, २४६, २५०, २५१ इनके तीन भेद, जल परिखा पङ्क परिखा, शुष्क परिखा २४६, इनमें स्त्रियों का स्नान २४६, इनके तटों पर वृक्ष २५६, इनमें हंस २४६, द्रष्टव्य प्राकार परिखा, २५०, नगर परिखा २५० परिग्रह ३२८, ३६३ बाह्य परिग्रह दस प्रकार के ३२८ श्रान्तरिक परिग्रह चौदह प्रकार के ३२८ परिणमन ३८६ परिचारक (कुबड़े) १२२ परिचारिका ( कुबड़ी) १२३, १२४ परिवार ४, १२, १६, २०, ६६, १२५ १३४, १३५, १४२ परिवारों के मुखिया १३३ परिहार (कर) १४२ परीषहजय ३६० परोक्ष प्रमाण ३८१, ३८२ पर्यायार्थिक नय ३७६, ३८२ इसमें ऋजुसूत्र, शब्द, समभिरूढ़ तथा एवंभूत नयों का अन्तर्भाव ३५२

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