Book Title: Jain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Author(s): Mohan Chand
Publisher: Eastern Book Linkers
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पशु व्यबहार ६, १५. पशु हिंसा ३१७, ३६८-३७०
पश्चिमी क्षत्रप ५२८ पहेलियां बुझना ५०१-५०२
पाटिल १३३
पाठविधि ४१६ ४१७, ४१६ पाणिनि व्याकरण ४३० पाणिमुक्त प्रायुध १६८, १६६
पाण्डव ३७४
पाण्डबकथा ३६, ४२, ४७, ५२ पाण्डु जाति ५३५
पातिव्रत्य धर्म ४६४
पात्र ( पूजा द्रव्य) ३३७, चान्दी ३३७, कांसे के ३३७, ताम्बे के ३३७
पाप (तत्व) ३८४, ४००, ४०१ पाप-पुण्य ३७६, ३६५, ३६८, ४०१ पापाश्रव ३५६
पारलौकिक धर्म ३१८, ३२१, ३२४, ३२५
पारलौकिक सुख ४० ० -४०२
पारशवगरण ५३२
पारिप्लव प्राख्यान ३१
पार्लियामेन्ट २६६
पार्वती की तपश्चर्या ३६४, ३६५ पार्श्वनाथ ( तीर्थंकर) २५, ४७,
५६ पालवंशीय
जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज
पितृपक्ष की विद्याएं ४२३ पितृसत्तात्मक कुलतन्त्र ४५८, ४५६
पीत (लेश्या) ३६३ पुटभेदन २४२, २५०, २८२,२८४ कावंट का प्राषा भाग २६४ पुडभेयरण २५०
पुण्य (तत्व) ३५४, ४००, ४०१ पुण्याश्रव ३८६
पुद्गल ३८३, ३८६, ३८६
इसका लक्षरण ३८७, प्रजीव तत्व का एक भेद ३८७ 'प्रण' अपर संज्ञा ३८७, इसमें छह भेद - स्थूल स्थूल, स्थूल, स्थूलसूक्ष्म, सूक्ष्म-स्थूल, सूक्ष्म तथा सूक्ष्म सूक्ष्म ३८७, ३८८ पुनरावृत्ति विधि ४१७
शासनव्यवस्था १३२,
१३३
पाशुपतादि सम्प्रदाय २८८
पाषण्डि २८८ पा० पाषण्डि धर्म २८७
पुर ३३, ६८, ११६, १६५, १६६, १६८, २४५, २७०, २७५, २७७, २७८, २५१, २५२, २८४, २६० पुरनिवासी २६६
पुरशासक २७०
पुराण १२, २६, ३४, ३६, ४०, ४२, ४३, ४५, ४८, ५०, ६८, ८४, ५१०
पुरातत्त्वीय स्रोत २७२, ४५६ पुरुष (तत्व) ३६८ पुरुष का वर्चस्व ५०६ 'पुरुष' की उदासीनता ४५८
'पुरुष' तत्व की प्रधानता ४५९ पुरुष तीर्थंकर ४६३
पुरुषवाद ३८०

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