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छठा गुणस्थान.
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हुशियार है, वह एक ही दफाके निशानेसे कई पक्षियों या मृगों का संहार कर डालता है । इत्यादि सर्व विचारोंको तथा अश्वमेध यज्ञ याने अग्निमें घोड़ेका हवन करना, गोमेध यज्ञ-अग्निमें गाय अथवा बैलका हवन करना, अजामेध यज्ञ-अग्निमें बकरका हवन करना, नरमेध यज्ञ-मनुष्यको अग्निमें होम करना । इन यज्ञोंमें पूर्वोक्त जीवोंको अवश्य होमना चाहिये, इससे बड़ा पुण्य होता है और स्वर्गादि सुखकी प्राप्ति भी इसीसे होती है, इत्यादि हिंसक विचार करने, तथा कितने एक मनुष्य पाप कर्ममें रचे मचे ऐसा विचार करते हैं कि पक्षी वगैरह जीवोंका मांस भक्षण करनेसे शरीर पुष्ट होता है, तथा रोग नष्ट हो जाता है, इसी लिये वे लोग खरगोस, मृमादि पशुओंको मारनेके लिए सिकारी कुत्ते पालते हैं और उन बिचारे निरापराधी जीवोंको वध करके खुश होते हैं । कितने एक मनुष्य मुरगे, भैंसे तथा मैंढे वगैरहकी लड़ाई करा कर खुश होते हैं और कितने एक क्रूर खभाववाले मनुष्य जीवोंका संहार करनेके लिए बन्दूक, तमंचा, रफल, तल्वार, कटार, तीर, धनुष, बाण, पैनी छुरी और चक्कू वगैरह शस्त्रोंका संग्रह करते हैं, तथा ऐसे शस्त्र देख कर जीवोंके वध करनेका विचार करते हैं । बाज आदमी दूसरोंको अपनेसे अधिक गुणी या सौभाग्यशाली, संपत्तिवान, धनवान, रूपवान, पुण्यवान तथा विशेष कुटुंबवान देख कर उनकी ईर्षा किया करते हैं और उनका किसी भी प्रकारसे अपकर्ष करनेका ही प्रयत्न किया करते हैं। दूसरोंको अपनेसे अधिक सुखी देख कर मन ही मन ईर्षासे झुर झुरकर मरते रहते हैं। कितने एक पापारंभी मनुष्य अति क्रोधी, मानी, मायी, लोभी, दुर्व्यसनी अधर्मियोंकी संगत करते हैं। किसी स्वार्थवश या अपनी मान बड़ाईके लिए संसारमें हिंसाकी प्रवृत्ति हो ऐसा