Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग का भौगोलिक विश्लेषण इसके अलावा ज्ञाताधर्मकथांग में वनस्पति के विभिन्न अंगों का उल्लेख मिलता है- मूल, कंद, छाल, पत्र, पुष्प, फल, बीज (1/15/9) आदि।
लताएँ
ज्ञाताधर्मकथांग में अग्रांकित लताओं का नामोल्लेख मिलता है- कंदल (1/9/22), कदली (1/13/19), चंपकलता (1/16/36, 83), मल्लिका, वासन्तिका (1/9/22)।
पुष्प
ज्ञाताधर्मकथांग में अग्रांकित पुष्पों का उल्लेख विभिन्न संदर्भो में मिलता
आम्रपुष्प (1/925/), अलसी (1/14/48), अशोक (1/8/27), कमल (1/9/38), किंशुक, कर्णिकार (1/9/25), कुंदपुष्प (1/16/187), कोरंट (1/ 8/27), चम्पक (1/16/21), चम्पा (1/8/27), चन्द्रविकासी (1/13/12), कुमुद, कुवलय (1/9/54), पाटला, मालती, पुनांग, मरूवा, दमनक, शतपत्रिका (1/8/27), बकुश, शिरीष (1/9/25), सन, सप्तच्छद, नीलोत्पल, पद्म, नलिन (1/9/23), श्वेतकुन्द (1/9/25), तिलक, बकुल, मल्लिका, वासन्तिकी (1/9/ 25), सुभग (1/9/38), पद्म, सूर्यविकासी, नलिनी, सौगंधिक, पुण्डरीक, महापुण्डरीक, सहस्रपत्र (1/13/12), पाँचवर्णों के पुष्प (1/14/55), सप्तवर्ण (1/16/21), मालती, सिन्दुवार (1/16/187)।
___ ज्ञाताधर्मकथांग में तत्कालीन नगरों, पर्वतों, उद्यानों, नदियों, वनस्पतियों आदि का उदात्त चित्रण उपलब्ध होता है। इन सभी के विश्लेषण से उस समय की भौगोलिक स्थिति का अनुमान सहजता से लगाया जा सकता है।
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