Book Title: Dhyanhatak Tatha Dhyanstava
Author(s): Haribhadrasuri, Bhaskarnandi, Balchandra Siddhantshastri
Publisher: Veer Seva Mandir
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२ गाथानुक्रमणिका
५ ૪૨
अटं रुद्दं धम्मं अणुवकयपराणुग्गह अण्णाण मारुएरिय श्रमणाणं सद्दा वहाऽसंमोह-विवेग श्रवियारमत्थ- वंजण
जह छउमत्थस्स मणो जह रोगासयसमणं ५७ जह वा घणसंघाया ६ जह सव्वसरीरगयं ६० जं थिरमज्भवसाणं जं पुण सुणिप्यकंपं जिणदेसियाइ लक्खण ४ जिण - साहूगुण कित्तण ३ जो (तो) जत्थ समाहाणं
५०
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अह खंति-मद्दवऽज्जव तोमुहुत्तपर तोत्तमेतं अंबर-लोह-महीणं आगमउवएसाऽऽणा
६७ ६७ ६० ४२ ८८
८
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भाइज्जा निरवज्जं झाणप्पडिवत्तिकमो झाणस्स भावणाम्रो भाणोवरमेवि मुणी णाणे णिच्चन्भासो ६५ तत्तोऽणुप्पेहाम्रो तत्थ य तिरयण तत्थ य मइदोब्बलेणं तदविरय- देसविरया
आरोढुं मुणि वणिया आलंबणाइ वायण प्रसवदारावाए श्रासवदारा संसार sri विसयाण इय करण-कारणाणुमइ सव्वगुणा उपाय-ट्ठिइ-भंगाइ उवप्रोगलक्खणमणाइ उस्सारियेंषणभरो -एए च्चि पुत्राणं एयंचविहं राग एयं चव्विहं राग
२३ १०५ ७७ ५५ ७३
तस्सsaकंदण - सोयण तस्स य सकम्म जणियं
तस्य संतरणसहं -६४ तस्सेव य सेलेसी १० तह तिब्वकोह-लोहा २४ तह तिहुयण - तणुविसयं
७६
तह विधी
एवं चिय वयजोगं कालोऽवि सो च्चिय
३८ तह सूल-सीसरोगाइ
कावोय-नील काला कावय-नील- काला किंबहुना सव्वं चिय
१४ तह सोज्झाइसमत्था २५ तापो सोसो भेश्रो ६२ तिहुयणविसयं कमसो
१२
ते य विसेसेण
कुण व पत्थाखि वलय-दीव सागर
૫૪
तो जत्थ समाहाणं तो देस-काल- चेट्ठा
चालिज्जइ बीभेइ य
१
चित्ताभावेवि सया
८६
तोयमिव नालियाए थिरकयजोगाणं पुण
३६
जच्चिय देहांवत्था जह चिरसंचियमघण
१०१ | देविंद चक्कवट्टित्तणाई
८४
१००
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२
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εξ
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