Book Title: Dharmvarddhan Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली:
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Hemraमिनापुत्सर्गपानिध्यमायानिमिनायवदिनबाध्यते परिहत्यापवादविषयमुत्सतितिशत गोमतस्थानिय ll
त्यासविकारपवादानोत्सगतिविधानाधते गोपादारतिसप्तमोध्यायः सर्वत्रासिकायमविर्वनने पाद अनित्यमा गमावासन निमिनापाटनैमितिकस्पाप्पपाय रेफषाद, गौणखरव्ययारियकार्यपत्यय, शनिमानिमयो सति| मिकार्यसत्यया पानाप्रधानयो पनि कार्थ प्रत्ययः पदवितीकारक वित्तक्तिबलायमावयवृद्धिमा मुदायप्रसिर्बिजायसी गामादायदणे,विशेष: सामान्यस्यातिदेशनिशेषग्याननिदेशा तामिनया, श्रोता
धोघलाया पिस्वराधिस्वरोवलीयान विधिनिय मसलवेविधरेवड्यांयान प्रतियतिविधामाधोगविता |गोबलायात नियमज्ञापकयोमिथोविनराधेश्यारण्य विलविवेचल्यत्वान्नतनवलंबन्नम् सविधिया लोपविधिबलवा तत्पविकारेत्पसदेवशास्पमा नर्थलात्यविधिपत्यथापत्यययो पत्ययस्पवय
'सदवश्विासदवस्तियोः सत्वरितस्पेनयदा यथाद्देवासज्ञापस्तिाषाकार्यमनित्यम् 'गणकार्यम नित्य संदेदेवजवनप्रयोकव्य अादितक्तिपरिणामयोगवितागादिष्टसिदि, पयायशदातारकरलायव नाडायने व्यवस्थितवितापायाकायोगिक्रियते अनिष्टि प्रत्ययास्वार्थतवति ज्ञापकशिनसर्वत्र सुगमता धिकरणवचनेक इंधासाधनेनयुत्पने पचासवा ' अथवावमुपसगया समासहनदिनेसबा निधानमन्पत्र निन्तरूपावासिवारियबंधेत्या एत्वपादातिभ्रष्टाध्यायज्ञपिस्सिापासमानतामगादगाधरी णा गयश्लोका १६॥ अगाम्बकुमाशोगापमाणेवसरवरे शुक्राचाष्टमातियामलिरवक्षाविना श्री. श्री मदनापोलीत तौरवाहात्मरायोवियाकरणमाषायावी नवलप नातिधारनाकरे।
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कविवर धर्मवर्द्धन की हस्तलिखित “परिभापा"।

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