Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 313
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसिद्धतापस् ७२८ प्रसेकः प्रसिद्धतापस् (वि०) ख्यात गुण युक्त तपस्वी। प्रसिद्धदानं (नपुं०) उत्कृष्ट दान। प्रसिद्धवंश (वि.) ख्यातवंश वाला, अच्छे कुल/गोत्र वाला। प्रसिद्धसंधिन् (वि०) ख्यात संघ वाला। प्रसिद्धा (स्त्री०) कीर्ति, विश्रुति, ख्याति। (जयो०वृ० १/३) प्रसिद्धि (स्त्री०) [प्र+सिध+क्तिन] ०ख्याति, यश, कीर्ति, विश्रुति। ०सफलता, पूर्ति, निष्पन्नता। ०शृंगार, अलंकरण। प्रसिद्धिमत् (वि०) प्रशंसनीय, कीर्तिमय। प्रसिद्धिरस्यास्तीति प्रसिद्धिमत् प्रशंसनीयम्। (जयो०). प्रसिद्धिशील (वि०) कीर्तिवाला। प्रसीदिका (स्त्री०) [प्रसिद्+ण्वुल्-प्रसाद्यतेऽस्याम्] वाटिका, उद्यान। प्रसुप्त (भू०क०कृ०) [प्र+स्वप्+क्त] निद्रित, सोया हुआ आलस्य युक्त। प्रसुप्तिः (स्त्री०) [प्र+स्वप्+क्तिन्] प्रगाढ़ निद्रा, घोर निद्रा। ०व्याकुलता। निद्रालुता। ०बेचैनी, बेहोशी। प्रसू (वि०) [प्र+सू+क्विप्] प्रकाशित करने वाला, पैदा करने वाला, जन्म देने वाला। प्रसूत (भू०क०कृ०) [प्र+सू+क्त] उत्पन्न, जनित, सूत। (वीरो० समु० १०) (दयो० ३) (जयो० १०/११७) उत्पादित, पैदा किया गया। (जयो० ३/८६) प्रसूर्त (नपुं०) पुष्पा उपजाऊ स्रोत। प्रसूता (स्त्री०) जच्चा स्त्री। प्रसूति (स्त्री०) [प्रसूक्तिन्] ०प्रसव, प्रसर्जन, जन्म, उत्पत्ति। उत्पादन, जनम। (समु०३/२१) जन्म देना, उत्पन्न करना। प्रकट होना, दर्शन। संतति, प्रजा, अपत्य। ०उत्पादक, जनक, प्रस्रष्टा। विकसन। प्रसूतिका (स्त्री०) जच्चा स्त्री। प्रसूति। प्रसूतिजं (नपुं०) प्रसव पीड़ा। प्रसूत्व (वि०) उत्पत्ति वाला। (सुद० २/१०) प्रसून (भू०क०कृ०) [प्र+सू+क्त] उत्पन्न, जन्म दिया, पैदा किया। प्रसून (नपुं०) पुष्प, फूल। प्रसूनकं (नपुं०) कुसुमत्व, पुष्पत्व। प्रसूनता (वि०) पुष्पपना, फूलपना। (सुद० ३/२१) प्रसूनवर्षः (पुं०) पुष्पवृष्टि। प्रसूनवाणः (पुं०) कामदेव। (जयो० १,७६) प्रस (अक०) फैलना, बढ़ना, विकसित होना, विस्तृत होना। प्रसरन्ति (जयो० १/१०२) प्रसन्न होना-प्रससार (जयो० ८८२) अथ जन्मनि सन्मनीषिणः प्रससारात्यभितो यश: किण:।। (वीरो० ७/१) लोट-पोट होना-प्रसरन् (सुद० ३/२५) प्रसृत (भू०क०कृ०) [प्रसृ+क्त] फैला हुआ, आगे बढ़ा हुआ। फैलाया गया, प्रसारित किया गया। विस्तृत, विस्तार युक्त, लम्बा, विस्तीर्ण। ०व्यस्त, लगा हुआ। •फुर्तीला, तेज। सुशील, विनीता प्रसृतः (पुं०) दो पग माप। (जयो० ११/१९) प्रसृता (स्त्री०) पैर। प्रसताच्छल (वि०) पैरों के बहाने। (जयो० ११/१९) प्रसृतिः (स्त्री०) [प्र+सृ+क्तिन्] ०प्रगति, आगे जाना, बहना। फैली हुई हथेली, अञ्जलि। प्रसृतिभावः (पुं०) अञ्जलि भाव। (जयो० १/१०३) प्रसृत्वर (वि०) [प्र+सृ+क्वरप्] ०बहता हुआ, झरता हुआ। फैलता हुआ, आगे बढ़ता हुआ। ०टकराने वाला। प्रसृमर (वि०) [प्र+सृ+क्मरच्] ०बहता हुआ, झरता हुआ। ___घायल, क्षतिग्रस्त। प्रसृष्ट (भू०क०कृ०) [प्र+सृज्+क्त] त्यागा हुआ। एक ओर डाला हुआ। ०बहाया हुआ। घायल किया गया। ०क्षतिग्रस्त। प्रसृष्टा (स्त्री०) फैली हुई अंगुली। प्रसेकः (पुं०) [प्र+सिच्+घञ्] ०बहना, रिसना, झरना। ०टपकना, गिरना, चूना। छिड़कना, आई करना। उगिरण, प्रस्रवण। उद्गमन, वमन, कै। For Private and Personal Use Only

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