Book Title: Bruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation

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Page 448
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मौका ८६३ मौर्यवंशी पीपी। मौका (स्त्री०) अवसर। तनुर्नरोक्तैव समस्ति मौका। (वीरो० १८/३०) मौक्तिकं (नपुं०) ०मोती। (दयो० ५४) कुसुम। (जयो० ३/७५) मुक्तफल। (जयो० ३/७५) शौक्तिक। (जयोवृ० २।८२) मौक्तिकगुम्फिका (स्त्री०) मोती की माला गूंथने वाली स्त्री। मौक्तिकत्व (वि०) मोतीपना। (सुद० ४/३०) मौक्तिकदामन् (नपुं०) मोतियों की माला, मोतियों की लड़ी। मौक्तिकप्रसवा (स्त्री०) सीपी। मौक्तिकशक्तिः (स्त्री०) सीपी, मोतियों वाली सीपी। मौक्तिकसरः (पुं०) मोतियों का हार। मौक्तिकायते-मोतियों की प्रतीति होती है। (दयो० २/१) शुक्तिकोदरसम्प्राप्तो वार्विन्दुमौक्तिकायते (दयो० २/१) मौक्तिकावलिः (स्त्री०) मोतियों की माला। (जयो०५/३०) मौक्तिकानामावलिः (जयो० ५/३०) मौक्तिकोत्पत्तिः (स्त्री०) मोती की उत्पत्ति। (समु० ६/१३) मौक्यं (नपुं०) [मुक्+ष्यञ्] गूंगापन, मौन, मूकता। मौखरिः (पुं०) एक कुल विशेष। मौखर्यं (नपुं०) बकवास। (भक्ति० ४६) गाली, झूठा, अरोप। निरर्थक वचन, बहुप्रलाप, प्रजल्पन। ०बातूनीपन, मुकरीभाव। ०बाचाल, अधिक बोलने वाला। मौख्यं (वि०) [मुख्+ष्यञ्] वरिष्ठता, श्रेष्ठता, प्रधानता। मध्य (वि०) मुग्धता, मूढ़ता, मूर्खता। मौचं (नपुं०) केले का फल। मौज (वि०) [मुंज+अण] मुंह की घास से निर्मित। मोजः (पुं०) मूंज का पत्ता। मौञ्जी (स्त्री०) मूंग की गांठ, तगड़ी। मौढ्यं (नपुं०) अज्ञान, जड़ता, मूर्खता। अविचरिता।(जयो० २।८७) ०जाड्य। (जयो० २८७) ०अज्ञानतावश। (सुद० १२४) - लड़कपन। प्रपाठोऽस्ति मौढ्यस्य कार्यम्। (वीरो० १६/१८) मौढ्यसत्व (वि०) मूर्खता। (सुद० १०८) मौत्रं (नपुं०) [मूत्रस्येदम्] मूत्र की मात्रा। मौदकिकः (पुं०) [मोदक ठक्] हलवाई, कान्दयिक, कन्दोई। मौद्गलि: (स्त्री०) [मुद्गत+इञ्] काक, कौवा। मौद्गीन (वि०) मूंग बौने की उपयुक्तता। मौनं (नपुं०) [मुनेर्भाव:-अण्] मुद्रण, मूकभाव। (जयो० १/५४) मुख मुद्रणात्मक। (जयो० ११/५०) ०चुप्पी, चुप होना, शांत रहना। (समु० ७/१६) निष्क्रिय। तयोरथैकाकिताऽन्वये तु, शक्तिः पुनः सा खलु मौनमेतु। (सम्य० २३) एकाग्र होना, मग्न होना। मौना जानामि नानादरिणी' रतौ ना मौनं सम्मतिलक्षणम्। (जयो० १७/२३) मौनगत (वि०) ध्यानगत, शांत हुआ। मौनजाति (स्त्री०) मुद्रणमुत। (जयो० १८/३०) मौनत्यजी (वि.) मौन तोड़ने वाला, चुप्पी खोलने वाला। मौनदानं (नपुं०) चुप होना, शांत होना। मौनपदं (नपुं०) मौन भाव। (सुद० ४/१४) मौनभावः (पुं०) ०मौनधारण करना। ०ध्यानमग्न होना। ०एकागता रखना। मौनमुद्राः (स्त्री०) मौन धारण की अभिरुचि, शान्तस्थिति, एकाग्रता का भाव। मौनवृत्ति। (जयो०वृ० २४/४२) मौनवृत्तिः (स्त्री०) मौनस्थिति, मौनमुद्रा। (जयो० २४/४२) मौनिन् (वि०) चुप रहने वाला, शान्त रहने वाला। मौनिनी (वि०) मौन युक्त, एकाग्रता युक्त। (जयो० १८३८) मौनिमनस् (नपुं०) शान्तमन, एकाग्रमन। (भक्ति० ३२) मौनी (वि०) वाग्विरहित, वचन से रहित, चुप रहने वाला। (वीरो० ४/८). मौरजिक (वि०) [मुरज+ठक्] मृदंग बजाने वाला। मौयं (नपुं०) [मुर्खकष्यञ्] मूर्खता, मूढता, जड़ता। मौर्यः (पुं०) मौर्यवंश, चन्द्रगुप्त का कुल। ०मौर्य नामक ग्राम। (वीरो० १४७) सातवें गणधर का नाम। (वीरो० १४/८) मौर्यपुत्रः (पुं०) सातवें गणधर, मौर्य की संतान। असूत माता विजयाऽथपुत्रम्मौर्येण नाम्ना स हि मौर्यपुत्रः। (वीरो० १४/८) मौर्यवंशी (वि.) मौर्यवंश वाले। ०चन्द्रगुप्त शासक का वंश। जो आचार्य भद्रबाहु के चरणों का सेवक और सम्पूर्ण भारत का अद्वितीय शासक था। (वीरो० २२/११) मौर्यस्य पुत्रमथ पौत्रमुपेत्य हिन्दु, स्थानस्य संस्कृतिरभूदधुनैकबिन्दुः। For Private and Personal Use Only

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