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५६. सिद्धान्तशास्त्रों के गहन अध्येता का अभिनंदन वास्तव में एक प्रकार से सिद्धान्त शास्त्रों का ही अभिनंदन है। ६०. भावशून्य क्रिया कभी भी वांछित फल नहीं दे सकती। ६१. हृदय परिवर्तन का जो काम है, वह समय सापेक्ष होता है । ६२. आत्मोन्मुखी दृष्टि ही दूरदृष्टि है ।
६३. अकर्तावाद यानी स्वयं कर्तावाद ।
६४. आज की दुनिया संघर्ष की नहीं, सहयोग की दुनिया है । ६५. विवादों में उलझकर चित्त को कलुषित करते रहना मानव जीवन की सबसे बड़ी हार है ।
६६. मार्ग अन्तर की रुचि से ही मिलेगा, पर के भरोसे कुछ नहीं होगा । ६७. असफलता के समान सफलता का पचा पाना भी हर एक का काम नहीं ।
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