Book Title: Bhugate Usi Ki Bhul Author(s): Dada Bhagwan Publisher: Dada Bhagwan Foundation View full book textPage 1
________________ दादा भगवान प्ररुपित भुगते उसी की भूल ! भुगतता उसी की भूल ! यह जेब कटी, उसमें भूल किसकी ? इनकी जेब नहीं कटी और आपकी ही क्यों कटी? आप दोनो में से अभी कौन भुगत रहा है ? भुगते उसी की भूल'। 'भुगते उसी की भूल' यह सिद्धांत मोक्ष में ले जानेवाला है । यदि कोई पूछे कि मैं अपनी भूलें कैसे खोजूं ? तो हम उसे बतायेगें कि "तुम्हें जहाँ जहाँ भुगतना पड़ रहा है, वह तुम्हारी ही भूल है। तुम्हारी एसी क्या भूल हुई होगी कि ऐसे भूगतना पड़ रहा है, वह तुम्हें ढूँढ निकालना है।" हमें तो सारा दिन ही भुगतना पड़ता है, इसलिए ढूँढ निकालना चाहिए कि हमसे क्या क्या भूलें हुई है। हम अपनी ही भूलों से बंधे हैं । दूसरे लोगों ने हमें नहीं बांधा है।भूल सुधर गयी कि मुक्त हुए। -दादाश्रीPage Navigation
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