Book Title: Bharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 2
Author(s): Radheshyamdhar Dvivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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भारतीय चिन्तन की परम्परा में नवीन सम्भावनाएं
८ - भारतीय दर्शनों का प्रदर्शित वर्गीकरण आज भी इसी रूप में परिगृहीत है और लोग इन्हीं नामों से उन्हें समझते भी हैं अतः यह वर्गीकरण प्रमाण और प्रमेय के अबधारण की दृष्टि से यदि किया जाय तो और भी समीचीन हो सकता है जैसेप्रमाणदर्शन - न्याय, वैशेषिक, मीमांसा, बौद्ध, जैन । इसी तरह से भारतीय तत्त्व समीक्षा - बादरायणसूत्रमूलक एवं बौद्ध दर्शन | योग दर्शन जिसमें पातंजल, बौद्ध, जैन, तंत्र आदि । इसी तरह से इसका विशिष्ट वर्गीकरण अध्ययन को सुलभ करने की दृष्टि से किया जा सकता है किन्तु मूलरूप में परिवर्तन नहीं हो सकता ।
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परिसंवाद- ३
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