Book Title: Bhagwati Sutra Part 02
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भगवती सूत्र
श. २५ : उ. ७ : सू. ५३३-५४२
काल-पद ५३३. भन्ते! (एक) सामायिक-संयत काल की अपेक्षा से कितने काल तक रहता है? गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः देशोन-नव-वर्ष कम कोटि-पूर्व। इसी प्रकार (एक) छेदोपस्थापनिक-संयत की भी वक्तव्यता। (एक) परिहारविशुद्धिक-संयत जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः देशोन-ऊनतीस वर्ष कम कोटि-पूर्व। (एक) सूक्ष्मसम्पराय-संयत की निर्ग्रन्थ की भांति (भ. २५/४२६), (एक) यथाख्यात-संयत की सामायिक संयत की भांति वक्तव्यता (भ. २५/५३३)। ५३४. भन्ते! (अनेक) सामायिक-संयत काल की अपेक्षा से कितने काल तक रहते हैं?
गौतम! सर्वकाल। ५३५. (अनेक) छेदोपस्थापनिक-संयत..........? पृच्छा (भ. २५/५३४)।
गौतम! जघन्यतः अढाई-सौ-वर्ष, उत्कृष्टतः पचास-लाख-कोटि-सागरोपम। ५३६. (अनेक) परिहारविशुद्धिक-संयत ...............? पृच्छा (भ. २५/५३४)।
गौतम! जघन्यतः देशोन-दो-सौ-वर्ष, उत्कृष्टतः देशोन-दो-कोटि-पूर्व। ५३७. (अनेक) सूक्ष्मसम्पराग-संयत.............? पृच्छा। (भ. २५/५३४) गौतम! जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः अन्तर्मुहूर्त। (अनेक) यथाख्यात-संयतों की (अनेक) सामायिक-संयतों की भांति वक्तव्यता। अन्तर-पद ५३८. भन्ते! (एक) सामायिक-संयत के पुनः सामायिक-संयत होने में कितने काल का अन्तर होता है? गौतम! पुलाक की भांति जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त.....(भ. २५/४३०)। इसी प्रकार यावत् (एक) यथाख्यात-संयत की वक्तव्यता। ५३९. भन्ते! (अनेक) सामायिक-संयतों ........? पृच्छा।
गौतम! कोई अन्तर नहीं होता। ५४०. भन्ते! (अनेक) छेदापेस्थापनिक-संयत.........? पृच्छा (भ. २५/५३९)।
गौतम! जघन्यतः तिरेसठ हजार वर्ष, उत्कृष्टतः अठारह-क्रोड़ाक्रोड़-सागरोपम। ५४१. (अनेक) परिहारविशुद्धिक-संयत .......? पृच्छा। गौतम! जघन्यतः चौरासी-हजार-वर्ष, उत्कृष्टतः अठारह-क्रोड़ाक्रोड़-सागरोपम। (अनेक) सूक्ष्मसम्पराय-संयतों की निर्ग्रन्थों की भांति वक्तव्यता। (भ. २५/४३४)। (अनेक) यथाख्यात-संयतों की सामायिक-संयतों की भांति वक्तव्यता (भ. २५/५३९)। समुद्घात-पद ५४२. भन्ते! सामायिक-संयत के कितने समुद्घात प्रज्ञप्त हैं? गौतम! छह समुद्घात प्रज्ञप्त हैं, कषाय-कुशील की भांति वक्तव्यता (भ. २५/४३७)। इसी
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