Book Title: Bhagwan Mahavir ki Parampara evam Samsamayik Sandarbh
Author(s): Trilokchandra Kothari, Sudip Jain
Publisher: Trilok Ucchastariya Adhyayan evam Anusandhan Samsthan

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Page 110
________________ 21. 8. जैन सिद्धान्त भास्कर, भाग 1, किरण 4, पृष्ठ 71-74. 9. आचार्य यतिवृषभ, तिलोयपण्णती, श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा, कोटा 1986 ई. (टीकाकी आर्यिका 105 श्री विशुद्धमती माताजी, गाथा संख्या 66-67). 10. वही, गाथा संख्या 57-77. 11. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैनधर्म, पृष्ठ 265. 12. नाथूराम प्रेमी, जैन साहित्य और इतिहास, बम्बई, 1972, पृष्ठ 17. 13. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैनधर्म, पृष्ठ 269. 14. डॉ. कस्तूरचन्द्र कासलीवाल, आचार्य कुन्दकुन्द : व्यक्तित्व एवं कृतित्त्व, श्री महावीर ग्रंथ अकादमी, जयपुर, 1990, इसी लेखक की एक अन्य कृति खण्डेलवाल जैन समाज का वृहद् इतिहास, पृष्ठ 18-23. 15. परमानन्द शास्त्री, जैन धर्म का प्राचीन इतिहास : द्वितीय खण्ड, मथुरा, 1950, पृष्ठ 87. 16. वही, पृष्ठ 154-55. पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैनधर्म, पृष्ठ 270. 18. नाथूराम प्रेमी, पृष्ठ 420. आचार्य जिनसेन, आदिपुराण, पृष्ठ 174. विशेष द्रष्टव्य : तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा, भाग 2 एवं. षट्खण्डागम, धवलाटीका, जीवस्थान, काल अनुयोगद्वार, पृष्ठ 316. 22. तत्वार्थसूत्र की अनेक प्रतियों के अन्त में उपलब्ध पद्य. 23. नमः समन्तभद्राय महते कविवेधमे। यद्वचो-वज्रपाते मर्दन्ते कुमातद्रयः।। योगीन्दु : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व, अद्यावधि अप्रकाशित. द्रष्टव्य, वही. उत्तरपुराणप्रशस्ति, श्लोक 11-13 तक. 27. श्रीपुरपार्श्वनाथस्तोत्र, वीर सेना मन्दिर सरसावा, सन् 1949 ईस्वी, प्रस्तावना, पृष्ठ 12. 28. कर्मकाण्ड, गाथा 1. 29. जीवकाण्ड, गाथा 1. 30. पुरातन जैनवाक्यसूची, वीर सेना मन्दिर, प्रथम संस्करण, प्रस्तावना, 121. 31. आदिपुराण, भारतीय ज्ञानपीठ काशी संस्करण, 1/46. 32. गद्यचिन्तामणि, भारतीय ज्ञानपीठ संस्करण, 1/6. 33. प्रमेयरत्नमाला, 1/2. 34. वही, टिप्पण, पृष्ठ 1. 35. आप्तपरीक्षा, प्रस्तावना, पृष्ठ 27-33, वीर सेना मन्दिर संस्करण, 1949. 36. प्रमेयरत्नमाला. चौखम्बा विद्याभवन. वाराणसी. 1/3. 37. जस्स य पायपसायेणणंतसंसारजलहिमुत्ति ण्णो। वीररिदणंदिवच्छों णमामि तं अभयणंदिगुरुं।। 38. जैन सिद्धान्त भास्कर, भाग-6, किरण-4, श्रवणबेलगोल एवं यहाँ की गोम्मट मूर्ति, पृष्ठ 205 तथा इसी अंक में गोम्मट मूर्ति की प्रतिष्ठकालीन मूर्ति का फल. 39. श्रीलाट-वर्गटनभस्तलपूर्ण..............। जैन साहित्य इतिहास, द्वितीय संस्करण, पृष्ठ 411. 40. बृहत् कथाकोश, भारतीय विद्या भवन, बम्बई, सन् 1943, अंग्रेजी प्रस्तावना, पृष्ठ 117-119. 41. "इति सकलतार्किककचक्रचूडामणिचुम्बितचरणस्य रमणीयपंचपंचाशन्महावादिदिविजयो 25. 26. 4092 भगवान् महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ

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